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यह बात हैं कुछ 12-14 साल Sex Stories पुरानी, तब मैं 19 साल का एक हट्टा- कट्टा नौजवान था।
मैं मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव “सिवामुलिक” में रहता था। हमारे गाँव में हर साल सावन में मेला लगता था और हम सारे दोस्त उस मेले में जाते थे, बहुत मज़े करते थे। मेला काफी प्रसिद्ध था इसलिए आस-पड़ोस के 5-7 गाँव के भी लोग वहाँ आते थे।
मैंने तब तक किसी भी लड़की को चोदा तो क्या नंगा भी नहीं देखा था। मगर हाँ, मेरे दोस्तों ने मुझे किताबों में लड़कियों की नंगी तस्वीरें दिखाई थी। उसमें अनगिनत लड़कियों की तस्वीरें थी, अलग अलग पोज़ेज़ में ! कहीं एक लड़की दो-दो लड़कों के साथ चुदवा रही थी, तो कहीं तीन लड़कियाँ एक लड़के के लौड़े के लिए लड़ रही थी, सभी कुछ सपना सा लगता था और मैं उन्हें देख कर मुठिया मारा करता था।
खैर, उस मेले में जाने का मुख्य तात्पर्य चोदना था, हम हर बार इसी उद्देश्य से वहाँ जाते थे, इस बार भी हम गए।
इस बार का मेला कुछ अलग ही था, इस बार बहुत सी नई दुकानें थी, झूले थे और काफी सुन्दर लड़कियाँ !
एक लड़की मुझे भी भा गई और मैं उसका पीछा करने लगा। वो जहाँ जाती, मैं वहाँ चला जाता, कभी गुबारा लेने तो कभी चूड़ियाँ लेने !
मेरे मामा की भी वहाँ एक चूड़ियों की दूकान थी, वो वहाँ जा पहुंची और भी वहाँ उसके पीछे पीछे मैं भी चला गया।
मुझे आता देख मामा जी ने कहा,” मुन्ना, अच्छा हुआ तू आ गया, आधे घण्टे के लिए दूकान संभाल ! मुझे ज़रा कुछ काम है !
मौका पाकर मैं वहाँ बैठ गया और उसे चूड़ियाँ दिखाने लगा।
उसके गोरे-गोरे हाथ अपने हाथों में लेकर उनमें चूड़ियाँ पिरोने लगा। कभी कोई टाइट चूड़ी से उसे दर्द होता तो वो अपना दर्द अपने होटों को काट कर दर्शाती। यह सब देख-महसूस कर के मेरा तो लौड़ा ही खड़ा हो गया।
मैंने कहा,” आपके हाथ काफी कोमल हैं, मानो रेशम के बने हों !”
और वो शरमा गई। मुझे लगा कि उसे भी मैं अच्छा लगता हूँ।
धीरे धीरे मैं उसका हाथ अपने लौड़े के पास लाते गया, शायद उसने यह महसूस कर लिया और मुझसे कहा,” क्या आप मुझे घर तक छोड़ सकते हैं, रात काफी हो गई है और मेरी सहेलियाँ भी नहीं दिख रही !”
मैं फट से तैयार हो गया, मामाजी आये तो उनसे सायकिल ली और चल पड़ा उसके साथ।
रास्ते में उससे उसका नाम पूछा।
“रति” उसने जवाब दिया।
काफी देर चलने के बाद हम एक सुनसान जगह पर पहुँचे, मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे पास के खेत में ले गया।
उसके होठों को अपने हाथ से छुआ, उन पर शबाब की बूंदें मानो शहद लग रही थी, मैंने हलके से उसके होठों पर अपने होठ रखे और अपनी जबान को उसके मुँह के अन्दर फ़िलाने लगा। उसके हाथ भी मेरे शरीर पर घूमने लगे, कभी वो मेरी गर्दन को चूमती तो कभी मेरे कान को अपनी जुबान से सहलाती।
मेरे अंग-अंग में रोमांच भर गया, मैंने उसकी चोली निकाली तो उसके स्तन बाहर छलक पड़े, उनका आकार बहुत बड़ा था, मेरे हाथ से भी बड़ा !
मैंने एक को मुँह में लिया और चाटने लगा, उसके चुचूक खड़े हो गए। मैं अपनी जुबान से उसके चुचूक के इर्द गिर्द गोला बनाने लगा, उससे उसको बहुत अच्छा लगा “आ…आया…ऊऊओह्ह्ह्ह” की आवाज़ से मेरे लौड़ा पैन्ट फाड़ने को तैयार हो गया।
मैंने उसे नीचे लिटाया, उसका घगरा निकला और फिर उसकी चड्डी। उसकी गोरी गोरी टांगें देखकर तो मेरे मुँह में पानी आने लगा। मैंने जल्दी से अपनी पैन्ट और चड्डी निकली और उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत में मेरी जुबान अन्दर तक जा रही थी। वो अपना आनंद ” और ….और जोर से …..आह…” की आवाज़ से जता रही थी।
फिर वो हट गई और मुझे लिटा दिया, वो मेरी टांगों की बीच बैठ गई और मेरे खड़े लौड़े को देखने लगी।
” बाप रे ९ इंच ! बहुत बड़ा हैं यह तो ! क्या मेरी चूत में जा पायेगा?”
मैं भी सोच में पड़ गया। मगर उसने मुझे सोचने का वक़्त नहीं दिया, और फट से मेरे लण्ड को अपने गरम होठों के बीच ले लिया, अपने सिर को ऊपर-नीचे करने लगी, लौड़े के सर पर जुबान से गोले बनाने लगी। ख़ुशी के मारे मैं चिल्लाने लगा,” हाँ, हाँ और जोर से…..और जोर से……रति…….रांड और अन्दर ले …”
इतने में मेरा चीक(वीर्य) निकल गया, वो हँस पड़ी, उसने मेरा पूरा चीक खा लिया।
मेरा लौड़ा छोटा हो गया। वो उसे हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी, मेरी छाती को चूमने लगी, मेरे चुचूकों को चाटने लगी। वो फिर मेरी गोटियों को अपने मुँह में लेकर खेलने लगी। थोड़ी देर में मेरा लौड़ा खड़ा हो गया।
“चल अब डाल दे !” रति बोली।
मैंने कहा,” मैंने कभी किया नहीं, क्या आप मुझे बताएंगी कि कहाँ डालना है !”
उसने मेरे खड़े लौड़े को अपने हाथ में लिया और अपनी चूत के दरवाज़े पर रख दिया।
“चल अब डाल !” वोह बोली।
और मैंने डाल दिया, थोड़ा सा दर्द हुआ मुझे, पहली बार था ना !
“अब अन्दर-बाहर कर अपने लौड़े को, फिर देख क्या मजा आता है !”
मैं वैसा ही करने लगा, उसके स्तनों को काटने लगा, उसके होठों को चूमने लगा, उसके उभार लाल लाल हो गए थे, उनमें मेरे हाथों के निशाँ भी पड़ गए थे। मैंने अपने धक्कों को गति बढ़ा दी।
” डालो और जोर से डालो, मेरी चूत कब से एक लौड़े के लिए प्यासी थी…. रणजीत… अपने हाथों से मेरी गांड भी दबाओ… !”
मैंने फिर उसके पैर अपने कंधे पर रख लिए और फिर से धक्के देना चालू किया, उसे पैरों को काटता तो कभी चूमता !
मेरे धक्कों के उसके स्तन यूं झूलते मानो आंधी में लालटेन !
” रणजीत, अपने लौड़े की वर्षा से एक बार फिर मेरे चेहरे को नहला दो, जोर से डालो अन्दर……आअह्ह…..ऊऊऊउऊऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह……मेरे राजा…..बड़ी तेज़ हैं तेरी गाड़ी…….फाड़ डाल मेरी चूत को………आ …और और और…..हाँ हाय हाँ हाँ हाँ…” वो बड़ी ही रोमांचित थी और मैं भी !
मैं फिर से निकलने वाला था, मैंने अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसके मुँह की तरफ रख कर हिलाने लगा … एक-दो बार हिलाने के बाद मेरा पूरा चीक निकल गया,”ओह , आ आ….ले…पूरा ले मुँह में रांड……ले ले मेरे लौड़े को !” मैं बोला।
उसके बाद हमने कपड़े पहने और फिर उसे उसके घर छोड़ दिया।
इस घटना के बाद मैंने कई बार कोशिश की उससे मिलने की, मगर वो कहीं नहीं मिली………
आप बताइए, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? Sex Stories
मेरा नाम राहुल है Hindi Porn Stories और मैं आगरा का रहने वाला हूँ। मेरे घर में तीन ही लोग हैं, मैं, पिताजी और माँ।
बात उस समय की है जब मैं पढ़ता था। मेरे पड़ोस में शर्मा जी का घर था, उनकी दो बेटियाँ थी, एक तो मेरे साथ ही पढ़ती थी। मैं पढ़ने में काफी होशियार था इसलिए कई बच्चे मुझसे सवाल पूछा करते थे और मैं भी सबकी मदद कर देता था। मैं अपने मोहल्ले का काफी सीधा लड़का था।
अब मैं आप लोगो को शर्मा जी की बेटियों के बारे में बताता हूँ। बड़ी का नाम सीमा और छोटी का अंशु था। दोनों की जवानी उभार पर थी पर छोटी वाली तो कुछ ज्यादा आगे थी। सीमा का फिगर बड़ा मस्त था 24-36-24, पर रंग थोड़ा सांवला था। अंशु तो गजब की बाला थी, गोरा रंग और गजब का फिगर ! ऐसा कि देखते ही चोदने का मन करे और कई लड़के तो खड़े-2 मुठ मार दें ! फिर भी मैं इन सब पर ध्यान नहीं देता था।
एक दिन की बात है, मैं शाम को घर के बाहर टहलने निकला, तभी अंशु दौड़ती हुई मेरे पास आई और कहा- दीदी आपको बुला रही है, उन्हें कुछ पूछना है।
मैं चलने को तैयार हो गया और उसके पीछे पीछे उसके घर चला गया। वहाँ देखा तो सीमा कुछ पढ़ रही थी। उसके मम्मी-डैडी कहीं बाहर गए हुए थे और घर पर बस वही दोनों थी।
अंशु ने मुझे एक सोफे पर बैठाया और पानी लेने चली गई। तब तक सीमा अपनी किताब लेकर मेरे पास आ गई। उसने आसमानी रंग की एकदम पतली नाइटी पहन रखी थी जिसमें से उसकी काली रंग की ब्रा-पैंटी साफ़ झलक रही थी।
पहले तो मैं थोड़ा शरमाया पर सब सही हो गया। वो मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई और सवाल पूछने लगी। सवाल पूछते-2 वो कुछ ऐसा कर रही थी कि उसके स्तन मुझे दिख जाएँ। मेरी नजरें उसके वक्ष पर अटक गई। वह अपनी सफलता पर थोड़ा मुस्कुराई और फिर आगे पूछने लगी।
तब तक अंशु पानी लेकर आ गई। वह आगे बढ़ी और एक कुर्सी से टकरा गई और पानी मेरी पैंट पर गिर गया। मैं घबरा गया। सीमा के स्तन देखते हुए मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था।
अंशु ने मुझसे माफ़ी मांगी और एक तौलिया दे दिया। मैं बाथरूम में चला गया। तभी सीमा वहाँ आ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं काफी डर गया और अपना हाथ खींच लिया।
वो अंशु को बुलाते हुए बोली- देख रे कैसा शरमा रहा है, जैसे कभी लड़की ही नहीं देखी।
अंशु भी आ गई और वो दोनों मुझे बेडरूम में ले गई।
मैं सिर्फ अंडरवियर और शर्ट में था।
मुझे देख कर सीमा बोली- हाय रे ! कातिल कहाँ छुपा था अब तक?
अब उन दोनों ने मुझ पर सेक्सी कमेंट्स करने शुरु कर दिए।
मैं बेचैन हो गया और उनसे कहा- मुझे जाने दो !
पर वो भला कहाँ मानने वाली थी।
अंशु ने पीछे से मुझे पकड़ लिया और मेरे शर्ट के बटन खोल दिए। सीमा भी आगे से मेरे ऊपर चढ़ गई और अपने स्तनों को मेरे सीने पर दबाने लगी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उसने मेरे अंडरवियर में हाथ डाला और मेरे लिंग को दबाने लगी।
तभी अंशु ने पीछे से एक ब्लू फिल्म चला दी और कहा- तुम तो काफी ठंडे लगते हो, क्या पहले तुमने ये सब नहीं किया?
मैंने ना में जवाब दिया।
ब्लू फिल्म देख कर मुझे भी जोश आने लगा और मेरा लिंग तनकर 8 इंच का हो गया।
मैंने सीमा की नाइटी उतार दी और ब्रा के बाहर से ही उसके उरोजों को दबाने लगा। क्या सॉलिड बूब्स थे उसके ! मन तो कर रहा था कि काटकर खा लो।
मैंने उसकी पैंटी में ऊँगली डाली और उसकी योनि में ऊँगली करने लगा। उसकी चूत में से पानी आने लगा।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और पैंटी भी उतार दी, उसने भी मेरा अंडरवियर उतार दिया। अब दोनों एकदूसरे के सामने नंगे खड़े थे। मैंने पहली बार चूत के दर्शन किए थे। उसकी गुलाबी रंग की चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसके बड़े-2 चूतड़ उसको और हसीं बना रहे थे।
मेरे लिंग को देखते ही वो बोली-कितने गंदे हो तुम ! कभी अपनी झांटें भी साफ़ कर लिया करो !
मैंने कहा- डर लगता है ! कहीं कट गया तो?
उसने अपनी बहन अंशु से ब्लेड मंगाया और कहा- आओ, मैं तुम्हारी झांटें बना देती हूँ।
वो मुझे बाथरूम में ले गई और झांटे साफ़ करने लगी और इस बीच मैं उसके स्तन दबाता रहा।
इसके बाद उसने शॉवर चला दिया और हम दोनों उसके नीचे भीगने लगे। एक तरफ पानी और दूसरी तरफ आग, पर आज पानी भी आग को नहीं बुझा पाया।
उसने मेरा लिंग मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मैं भी उसकी चूचियों को चूसता रहा और चूत में ऊँगली करता रहा।
उसका बदन जलने लगा और कहने लगी- अब और न तड़पाओ मुझे। चोद दो इस चूत को। फाड़ दो इसे अपने फौलादी लंड से।
मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसकी कमर पर हाथ लगाया और उसकी चूत पर निशाना लगाते हुए अपना लंड आगे दिया। पर मेरा लंड किनारे हो गया। उसकी योनि काफी कसी थी। उसकी गुलाबी चूत शायद अभी तक कुंवारी थी। मैंने २-३ बार कोशिश की पर सफल नहीं हुआ।
फिर उसने मेरे लंड पर शैंपू लगाया और अपनी योनि पर भी। अब धीरे से उसने मेरे लंड को योनि के मुख पर टिकाया और मुझसे धक्का लगाने को कहा, वो खुद भी धक्का लगाने लगी। शैंपू की चिकनाहट के कारण लिंग योनि में सरकता चला गया।
आधा अन्दर जाते ही वो जोर से चिल्लाईई और बाहर निकालने के लिए कहने लगी।
मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और उसके स्तन दबाने लगा। धीरे-2 उसका दर्द कम हुआ, तभी मैंने लिंग को थोड़ा बाहर खींच कर पूरी ताकत से पेल दिया। वो तड़प उठी।
मैं फिर उसके होठों को चूमने लगा। धीरे-2 वो जोश में आने लगी और अपने चूतड़ उछाल-2 कर मजे लेने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।
करीब दस मिनट बाद वो झड़ गई और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया पर मैं अभी भी लगा रहा।
पाँच मिनट बाद मैंने भी वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी और उसके ऊपर लेट गया।
तभी उसकी बहन अंशु वहाँ आ गई और कहने लगी- अब मेरी प्यास भी मिटा दो।
मैंने देखा सीमा वहीं शॉवर के नीचे पड़ी है और उसकी चूत से पानी और खून निकल रहा है।
मैंने सीमा को वहीं छोड़ा और अंशु के पास पहुँच गया।
जैसा मैंने पहले ही बताया था कि अंशु सीमा से भी ज्यादा सेक्सी माल थी और ऊपर से उसका गोरा रंग और गजब ढा रहा था।
मुझे ऐसा लगा की कोई परी मेरे सामने खडी है और कह रही है- आओ, मुझे चोद दो, मेरी चूत की प्यास बुझा दो।
मैंने उसे उठाया और बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेट गया। उसने कसकर मुझे पकड़ लिया और उसकी चूचियों का नरम-2 एहसास मुझे अपने सीने पर होने लगा।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा, धीरे से मैंने उसके होंठों को थोड़ा काट लिया। उसके पूरे बदन में आग लग गई, उसने भी मुझे चूमना शुरु कर दिया।
फिर मैंने उसे थोड़ा अलग किया और उसके स्तन दबाने लगा। वो भी मेरा लिंग दबाने लगी और लिंग को चूसना शुरु कर दिया। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैं भी उसकी चूत में ऊँगली डालने लगा और उसके स्तनों को चूसने लगा।
अंशु की योनि तो सीमा से भी मस्त और कसी थी। उसको देख कर ऐसा लगता था मानो भगवान् ने फुर्सत में उसे बनाया है।
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मेरा लिंग एक बार फिर मैदान में आ गया और इस बार उसका निशाना सिर्फ अंशु की चूत थी। अंशु भी गरम हो गई थी और बार-2 मुझे छोड़ने का निमंत्रण दे रही थी।
मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख लिया। मुझे पता था कि अंशु की चूत भी अभी कुंवारी है इसलिए मैंने धीरे से उसकी योनि का मुँह फैलाया और उस पर लंड का सुपारा टिका दिया।
मैं उसके होंठों को चूमता रहा और एक उसके पुष्ट उरोजों को दबाते हुए हल्का सा झटका दिया और मेरा लंड आधा अंशु की चूत में पंहुच गया।
वो दर्द से चीख पड़ी पर मैंने उसे ज्यादा मौका नहीं दिया और उसके होंठों को चूसता रहा। उसकी झिल्ली फट चुकी थी, मैंने उसका कौमार्य भंग कर दिया था।
मैंने थोड़ा पीछे होते हुए पूरी ताकत से लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो तड़प उठी पर थोड़ी ही देर में उसे मजा आने लगा और वो चूतड़ उछाल-2 कर साथ देने लगी।
करीब 15 मिनट बाद वो झड़ गई। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे कुतिया की पोजिशन में कर दिया और फिर उसी तरह करीब आधे घंटे चलता रहा।
तभी उसने कहा- राहुल, अब मैं झड़ने वाली हूँ।
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हम दोनों एक साथ स्खलित हो गए। वो मुझसे चिपक गई और निढाल हो गई।
उस रात हम तीनों ने चुदाई के कई राउंड चलाये। जिसमें दो बार मैंने उन दोनों की गांड मारी और चूत को फाड़ कर भोंसड़ा कर दिया।
उसके बाद भी हमे जब भी मौका मिलता हम पूरा फायदा उठाते।
अंशु की चूत तो अब भी वैसी ही टाइट लगती है। कई बार मैंने उनकी सहेलियों के साथ भी सम्बंध बनाए।
पर यह अगली बार।
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मैं बिहार प्रान्त Antarvasna Stories के हाजीपुर जिले का रहने वाला हूँ। उम्र 25 साल होगी…
काम के सिलसिले में लुधियाना अक्सर जाना रहता था! वहीं कुकरेजा साहब को नौकर की ज़रूरत थी तो सोचा क्यों न मैं ही लग जाऊँ! साहब का बड़ा कारोबार था! वो अक्सर विलायत में रहते थे और मेमसाहब हमेशा पार्टी क्लब में रहती थी! उनकी एक बेटी थी .. बेटी क्या मानो अप्सरा .. जो जन्नत से उतरी हो…
हम प्यार से छोटी मेम कहते थे।
छोटी मेम हमेशा टीवी काम्पुटरवा में लगी रहती थी… ..और मैं अक्सर छोटी मेम का छुप छुप कर दीदार किया करता था…
छोटी मेम जूस पी लो…
ओह्ह हो! राजू सोने दे ना…
छोटी मेम हमेशा बड़ी बेखबर होकर सोती थी…
उस दिन भी… उनकी नायटी थोड़ी ऊपर थी और उनकी लातों के बीच गांड के दरार बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी, शायद अन्दर पैंटी नहीं पहनी है… उनकी गोरी गोरी .. भरी भरी जांघें .. उनकी गोल गोल अध-खिली चूचियाँ ..
ओह यह अमीरों के जिस्म भी ना! मानो क़यामत .. वरना हमरा गाँव की लड़कियाँ .. भूरी-काली टांगें! वो भी बालदार .. छोटी चूची.. मुरझाई सी गांड… राम राम लंड का इन्सल्ट हो समझो ..
राजू! नहाने का पानी दे दिया ..?
अभी देता हूँ मेम… कहकर मैं गरम पानी बाल्टी में ले जाने लगा… शुक्र है वो क्या कहत है गीजर ख़राब था…
मैंने देखा कि मेम काली ब्रा और पैंटी में बाथरूम में इन्तज़ार कर रही थी…
उनकी पतली पेट में वोह नाभि के पास जो तिल था मानो काला हीरा .. वो बार बार अपने चूची चू रही थी ..
मेरा लंड लुंगी के बाहर झांकना चाह रहा था…
चिकनी पीठ मानो मक्खन जैसे…
घुटने और पिंडलियाँ… यौवन की मलिका .. कामसूत्र की पहेली… लंड का पहला रस छुट गया मेरा!
राजू! बोलकर अन्दर आया करो ..! कहकर मेम ने तौलिया ओढ़ लिया।
जाओ अब ..! बेवकूफ कहीं का…!
मैं चुपचाप अपने कमरे में चला गया… मैंने अपना लंड निकला… खड़ा था और रस टपक रहा था।
चल बैठ जा ..मेरे लंड, तू गरीब है .. तेरे नसीब में वो कहाँ??
मेम नहा कर बाहर आई .. उजले कपड़ों में छोटी मेम का गीला गीला जिस्म साफ़ नज़र आ रहा था .. उनकी वो खुशबू पागल बना दे .. वो पंजाबी छरहरी बदन!
राजू मेरा जूस??
जूस पी पी कर उनके चूची भी जूस से भर गई थी…
साली को अपने बॉय फ्रेंड से मिलना था आज…
दोपहर का समय था .. बड़ी मेम बाहर गई थी .. तभी छोटी मेम का बॉयफ्रेंड आया ..
लम्बा चौड़ा .. पूरा पंजाबी .. चौड़ी छाती .. पता नहीं हरामी का लंड कितना बड़ा होगा??
मेरी नाजुक सी मेम को इतना दर्द देता होगा ..
कहाँ मेरा कद .. काले कावा की तरह ..
कमरे में क्या हुआ पता नहीं पर वो लौंडा चला गया और मेम जोर जोर से रोने लगी ..
मेम क्या हुआ?? मैं डरते हुए पूछा।
तभी मेम मुझसे चिपक कर रोने लगी ..
मेम की मुलायम चूची मुझे चुभने लगी ..
उनकी बुर को मेरा लौड़ा चूमने को तैयार होने होने लगा…
उनकी गुलाबी होंठ ने मेरे होंठो को चूमा…
राजू मुझसे कोई प्यार नहीं करता… मुझे कभी प्यार नहीं मिला??
मेरे तो परखचे उड़ गए…
मेम…
राजू मुझे प्यार करो ना… लव मी..
ओह! शायद अमीरजादे ने मेरी मेम का दिल तोड़ दिया…
मैंने अपनी मेम को बेड पर लेटा दिया और उनकी मस्त मस्त चूची दबाने लगा…
ओह्ह राजू धीरे धीरे से करो ..
मैंने मेम की सलवार को खोला और फिर क्या छोटी मेम नंगी लेट गई .. मैंने अपना लुंगी गंजी खोली और कूद पड़ा मैदान ऐ ज़ंग में…
मैंने जांघें फैलाई और देसी कुते के तरह विदेसी मेम को नोचने लगा ..
मैं उसकी गांड की छेद में अपने जीभ अन्दर बाहर करने लगा .. वो मस्त हो रही थी और बुर का पानी छुट रहा था .. अहह यह मत करो मेरी बम्स गन्दी है!
नहीं छोटी मेम! इससे तो खुस्बो आवत है…
फिर उसके छरहरी बदन में अपना लौड़ा रगड़ने लगा .. मेम जी आप भी इसे चूसो न..
मैंने उसके लाख मना करने पर अपने लंड उसके गरम होंठों के अन्दर ठूंस दिया- अहह मेम और चूसो न ..
बेचारी को शायद यह पसंद नहीं था…
फिर उसकी मचलती हुई बुर में अपना लौड़ा रखा और एक ही हचके में… फुस्स अन्दर घुस गया बिडू..
मेम चीख पड़ी… उई मम्मा उई आह अह… राजू नहीं राजू अहह
मैंने मेम की टांगों को अपने कंधो पर रखा और दे दना दन चोदने लगा .. उसकी बुर फट गई ..
बुर के होंठो पर लाली छा गई ..
अई जानवर कहीं के…
उसके भोसड़े तक मेरा मेरा टोपा तांडव करने लगा ..
अमीरों के कितने मज़े है रोज़ ऐसी मेम चोदने को मिलती होगी…
आज मेरे गरीब लंड का लोटरी लग गई
मैंने मेम को घोड़ी बना दिया और अपने पीछे से चढ़ गया..
उसके बालों को पकड़ा और धक्के मारने लगा ..
हरामी मुझे दर्द हो रहा है… बस भी कर .. अहह
आह, मैं स्खालित हो गया मेरा फव्वारा उसकी बुर में छुट पड़ा…
उई कितना गरम लावा है… मेरी फुद्दी जल जायेगी… आह
उसका जिस्म ठंडा हो गया और मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया…
यही फर्क है विदेसी माल में ..
देसी लौंडी रहती तो बार बार चुदवाती..
आप ठीक तो है न… मेम?
तेल लगा दूँ…?
वो पूरी रात मैं मेम की फटी हुई बुर पर तेल मालिश करता रहा…
मेम, एक बात कहूँ…
हाँ राजू बोलो!
कहकर अपनी टांगें जोड़ ली और मुझे बिस्तर में बैठा लिया…
छोटी मेम आइ लव यू… Antarvasna Stories
यह घटना तब की है जब मेरी उम्र 22 थी, मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर चुका था और एक ऑटोपार्ट्स की दुकान में काम करता था. मेरे बॉस दुकान के मालिक मुझे छोटू बुलाते थे, उनकी उम्र करीब 36 या 37 साल थी. उनकी पत्नी जिसका नाम मेघा था, उनकी उम्र करीब 30-31 की थी लेकिन वो अपने सुंदर चेहरे, सेक्सी बदन से दिखने पर ऐसी बिल्कुल भी लगती ही नहीं थी कि वो इतनी उम्र की भी हो सकती है, वो बहुत ही हॉट और सेक्सी औरत थी, उनकी एक बेटी भी थी.
मेरे बॉस ने अपनी शादी बहुत देर से की थी.
मुझे अपने बॉस की दुकान के काम के साथ साथ उनके घर के काम भी छोटे बड़े सभी करने पड़ते थे. जैसे कि बॉस का उनके घर से दिन में खाना लेकर आना, घर के लिए कोई भी सामान ले जाना… और भी बहुत कुछ… इससे मेरी और मेरे बॉस की बीवी की बहुत अच्छी बनती थी. उनका व्यव्हार भी मेरे लिए बहुत अच्छा था और मैं हमेशा उन्हें मजाक में बॉस ही बोलता था. लेकिन वो कभी भी मुझसे किसी भी बात पर नाराज नहीं होती थी. वो भी मुझे प्यार से छोटू ही बोलती थी.
जब भी मैं उनके घर पर काम से जाता तो हम बहुत देर तक मस्ती मज़ाक करते. मुझे उनके फिगर के साईज का तो पता नहीं हैं लेकिन वो भरे बदन की थी. उनका रंग भी बिल्कुल गोरा था. हमारा मजाक इतना होता था कि जब भी मैं अपने बॉस का खाना लेने जाता तो मैं उनसे मजाक में बोलता था- आपके पापा ने खाना मंगवाया है.
मेरे मुख से यह बात सुनकर ज़ोर से हँसने लगती और मुझसे कहती- तू बहुत बदमाश हो गया है. बहुत बड़ी बड़ी बातें करता है.
एक दिन मेरे बॉस ने मुझसे बोला- छोटू, मैं 20-25 दिन के लिए किसी जरूरी काम से अपने गाँव जा रहा हूँ तो तू क्या मेरे पीछे से दुकान सम्भाल लेगा?
मैं बोला- हाँ बॉस, कोई बात नहीं, आप आराम से बिना चिंता किए चले जाइये.
फिर बॉस मुझसे बोले- मैडम मेरे साथ नहीं जाएँगी क्योंकि बेटी का स्कूल है तो इसलिए तू दुकान बंद करने के बाद मेरे घर पर ही रहना.
मैं बोला- जी बॉस…
फिर बॉस बोले- मैं कल सुबह ही निकल जाऊंगा तो तू दुकान पर ठीक समय पर आ जाना.
दूसरा दिन आया, मैंने दुकान खोली तब तक बॉस जा चुके थे और मैं पूरे दिन बिल्कुल अकेला था.
फिर रात हुई और मैं अपने बॉस के घर पर गया और वहां पर पहुंचने के बाद मैडम ने मुझसे पूछा कि क्या तुमने दिन में खाना खाया था?
मैं बोला- जी बॉस, मैंने दिन में खाना खा लिया था.
फिर कुछ देर बाद मैडम ने खाना लगाया और हमने एक साथ ही बैठकर खाना खाया और उसके बाद हम तीनों खा पीकर सो गये.
मैं हाल में ही सोया था और ऐसे ही तीन दिन गुजर गये, सब कुछ एकदम ठीक ठाक था.
उसके अगले दिन रात के करीब 2:30 बज रहे थे और मुझे बहुत ज़ोर से पेशाब लगी तो मैं पेशाब करने उठा और जब मैं वापस आया तो मेरी नज़र मैडम के रूम की तरफ चली गई. मैंने देखा कि रूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था तो मैंने सोचा कि शायद मैडम जाग रही है तो इसलिए मैं रूम के बहुत करीब गया और जैसे ही मैंने अंदर देखा तो देखकर मेरे होश उड़ गये और मेरी दोनों आँखें फैल गई, क्योंकि उस समय मेरी बॉस मेक्सी के ऊपर से ही अपनी चूत को सहला रही थी और आअहह उउफफफ्फ़ हनमम्म कर रही थी.
मेरा मन किया कि मैं जाकर उनसे चिपक जाऊँ लेकिन मेरी इतनी हिम्म्त नहीं हुई और मैं किसी तरह अपने आप पर कंट्रोल करके या शायद उनसे डरकर मैं वापस आकर सो गया.
फिर सुबह हुई और हम नाश्ता कर रहे थे, मैं अब चोर नज़र से मैडम को ही बार बार देख रहा था और तभी मैडम मुझसे बोली- क्या बात है, आज तुम बहुत चुपचाप हो?
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है.
फिर मैं दुकान पर जाने के बाद पूरे दिन भर बॉस की बीवी की चुदाई के बारे में ही सोचता रहा और सोचते सोचते मेरा लंड टाईट हो जाता!
आज मैं रात को सोया ही नहीं, बस उनके बारे में ही सोचता रहा और रात को करीब दो बजे मैं फिर से उठा और मैडम के रूम की तरफ जाकर देखा, लेकिन आज दरवाजा अंदर से बंद था तो मैं करीब गया और वहीं पर बैठ गया और कुछ देर बाद अंदर से फिर वही सिसकारियों की आवाज़ आने लगी और मैं बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा.
ऐसे ही पूरे 6 दिन निकल गये.
मेरा मन अब बॉस की बीवी की चुदाई को चोदने का बहुत कर रहा था और फिर वो रात आ गई, रात के 1 बज रहे थे, मैं दरवाजे के बिल्कुल पास ही था और मैडम की आवाज़ सुन रहा था. मैंने अब दरवाजे पर ज़ोर से हाथ मार दिया और जिसकी वजह से दरवाजा खुल गया और मैं मैडम से बोला- क्यों आपकी तबीयत तो ठीक है ना?
मैडम बोली- हाँ क्या हुआ? मैं तो एकदम ठीक हूँ.
मैं बोला- जी मैडम!
और फिर मैं जाकर हॉल में बैठ गया.
थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला और मैडम बाहर आई. मैं उस समय सोफे पर बैठा हुआ था तो वहीं पर मैडम भी आकर बैठ गई और वो बोली- क्या हुआ, क्यों चिल्ला रहे थे मैं डर गई थी?
फिर मैं बोला- मैडम, मैंने आपकी आवाज़ सुनी तो मैंने सोचा कि शायद आपकी तबीयत खराब है.
मैडम बोली- नहीं, मैं एक सपना देख रही थी.
मैंने पूछा- कैसा सपना?
मैडम बोली- वो एक बहुत डरावना सपना था.
अब मैं उनसे नाटक करने लगा- क्या मैडम आप भी सपनों से डरती हो?
अब वो कुछ नहीं बोली.
फिर मैंने उनसे पूछा- क्या हुआ मैडम, क्या आप ज़्यादा डर गई हो?
मैडम बोली- नहीं तो!
मैं बोला- फिर आप बिल्कुल चुप क्यों हो?
तो मैडम बहुत ही धीरे से बोली- मुझे बहुत प्यास लगी है.
मैं तुरंत समझ गया लेकिन फिर भी मैंने नाटक किया- हाँ ठीक है, मैं अभी पानी लाता हूँ!
और मैं उठकर पानी लाया, उनसे बोला- यह लीजिए!
तो मैडम ने देखा तो मुझे हँसी आ गई.
फिर मैडम मुझसे पूछने लगी- तुम ऐसे हंस क्यों रहे हो?
मैं उनसे बोला- लीजिए अपनी प्यास बुझा लीजिए!
तभी मैडम ने मेरा एक हाथ खींचकर मुझे सोफे पर बैठा लिया और वो मेरी गर्दन को दबाकर मुझसे बोली- क्या बात है, तुझे बहुत हंसी आ रही है? प्यास नहीं जानते तुम या नाटक कर रहे हो? और अब मैडम के बूब्स मेरी छाती से टकरा गये.
मैं और पीछे हुआ और मैडम बैठ गई.
फिर मैं बोला- मैडम, मुझे पता है कि आप क्या सपना देखती हो?
अब मैडम ने हल्की सी स्माईल की और बोली- क्या पता है?
मैं बोला- यही कि जो सपना आप देखती हो तो उससे आपको प्यास लग जाती है.
और फिर मैं ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा.
मैडम ने फिर मेरी गर्दन को दबाया और बोली- ज्यादा हंस मत!
और इस बार उनके बूब्स मेरी छाती से पूरी तरह चिपक गये और मेरा लंड एकदम टाईट होने लगा. मेरी नज़र मैडम के बूब्स पर गई और तभी वो उठने लगी तो मैंने देर ना करते हुए उनके गाल पर एक किस कर लिया तो वो पहले थोड़ा सा शरमाई, फिर हंसकर मेरे होंठों को चूमने लगी और अब मैडम सोफे पर एकदम सीधा होकर मेरे ऊपर लेट गई.
मैंने अपने दोनों पैर फैला लिया, मैडम मेरे पैर के बीच में आ गई, मेरा लंड उनकी उभरी हुई गीली चूत से दब रहा था और वो खुद जान बूझ कर अपनी चूत को मेरे लंड पर दबा रही थी, मैं उन्हें ज़ोर से चिपकाए हुए था और हम दोनों ज़ोर से किस कर रहे थे.
तभी मैं अपना एक हाथ उनकी चूत पर ले गया और चूत को सहलाने लगा, मैंने धीरे से मैडम की चूत में एक च्यूंटी काट ली और जिसकी वजह से वो उछल गई और मैं हँसने लगा.
वो मुझसे बोली- कमीने रुक… मैं अभी तुझे बताती हूँ!
यह कह कर उन्होंने ज़ोर से मेरी छाती पर अपने दाँत से काट लिया, उस दर्द की वजह से मैं चिल्ला पड़ा तो उन्होंने तुरंत मेरे मुख पर अपना एक हाथ रख दिया, बोली- ज्यादा चिल्ला मत, वरना मैं और भी ज़ोर से काट सकती हूँ.
फिर हम दोनों सोफे से सीधे नीचे फर्श पर लेट गये, मैडम अब तक मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी, वो लगातार मेरे लंड पर अपनी चूत को मसल रही थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
मैडम का वजन थोड़ा ज़्यादा था.
अब मैडम मेरे ऊपर से हटी, पास में आकर बिल्कुल सीधा लेट गई, हम ऐसे ही नीचे लेटे हुए थे.
फिर मैडम मुझसे बोली- तुम कभी किसी को कुछ भी मत बोलना!
तो मैंने उनसे कहा- आप बिल्कुल भी चिंता मत करो, कभी भी किसी को पता नहीं चलेगा!
मैडम मेरी तरफ मुस्कुराई और मैं उनके ऊपर चढ़ गया, अब मैं मैडम के ऊपर बिल्कुल सीधा लेटा हुआ था, मैं उस समय नाईट पैन्ट पहने हुए था जिससे मेरा लंड मैडम की चूत से होते हुए उनकी जाँघों के बीच में घुस रहा था.
अब हम किस कर रहे थे और मैं एक हाथ से मैडम का एक बूब्स बहुत ज़ोर से दबा रहा था, मैं मैडम की गर्दन को चूम रहा था और साथ ही एक बूब्स को दबा भी रहा था और जिसकी वजह से मैडम उह्ह्ह्ह ऑश आहह अफफफफफ छोटू अह्ह्ह्ह की आवाज़ निकाल रही थी.
अब मैडम ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और वो सोफे पर बैठ गई, मैडम ने अपनी नाईट पैन्ट को उतार दिया, उन्होंने अंदर काली पेंटी पहनी हुई थी. उसने अपने दोनों पैर फैला दिए और फिर वो मुझसे बोली- चल अब आ जा, जल्दी से मेरी प्यास बुझा दे.
मैं सोफे के करीब गया और उनकी चूत पर पेंटी के ऊपर से हाथ फेरने लगा. फिर मैंने पेंटी के ऊपर से ही चूत पर एक किस किया तो मैडम ने उफ़फ्फ़ स्सीईईइ करके अपनी दोनों आँखों को बंद कर लिया.
फिर मैंने मैडम की पेंटी को उतारा और उनकी चूत को अपनी एक उंगली से सहलाने लगा, फिर मैंने अपनी उंगली को चूत में घुसा दिया, जिसकी वजह से मैडम सिसकारियाँ लेने लगी और आअहह उफ्फ्फ्फ़ करने लगी.
अब मैं उस बैचेन, तड़पती हुई, प्यासी चूत के पास अपना मुंह ले गया और अपनी जीभ से उनके चूत के दाने को सहलाने लगा.
मैडम मुझसे बोली- उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह्ह छोटू तू यह क्या कर रहा आईईइ… है?
मैं उनकी चूत को चाटने, चूसने लगा और मैं अपनी जीभ को उनकी चूत में अंदर तक घुसाकर चाट रहा था.
मेरी मैडम अब मेरा सर पकड़कर अपनी चूत के ऊपर ज़ोर ज़ोर से दबा रही थी और वो आहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफफ्फ़ उईईईई की आवाज़ निकाल रही थी.
थोड़ी ही देर में उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर और भी ज़ोर से दबा दिया और अब उन्होंने अपनी चूत का पानी मेरे मुँह पर निकाल दिया जिसको मैं चूसने लगा.
उसके बाद मैं उठा, अब हम दोनों पूरे नंगे हो गये, मेरा लंड पूरा टाईट था तो मैडम लंड देखकर बोली- साले कमीने, तेरा कितना बड़ा है?
मैंने कहा- हाँ, यह आपके लिए ही है.
मैडम बोली- अच्छा रुक, मैं अभी तुझे बताती हूँ!
और वो अब मेरा लंड पकड़ कर ज़ोर से ज़ोर मसलने लगी, मैं ऑश उफ्फ्फ बाप रे मैडम करने लगा.
मैडम मुझसे बोली- क्यों क्या हुआ बच्चू? दर्द हो रहा है?
मैं बोला- क्या आज इसे तोड़ ही दोगी क्या?
मैडम हँसने लगी.
फिर वो बहुत आराम से मेरे लंड से खेलने लगी और मैं उनके एक बूब्स को दबाने तो दूसरे को चूसने लगा.
कुछ देर बाद मैं रुका और मैडम से बोला- मैं एक मिनट में अभी वापस आता हूँ!
मैं जल्दी से पास वाले रूम में गया और दो तकिए लेकर आ गया. अब मैडम फर्श पर लेटी हुई थी, मैंने एक तकिए को मैडम की गांड के नीचे रख दिया, मैडम की चूत बहुत मोटी थी, बहुत मस्त चूत थी.
मैंने उनके दोनों पैर फैलाए और एक बार फिर से उनकी चूत को चाटने लगा.
मैडम सिसकारियाँ लेते हुए मुझसे बोली- तू चूत को बहुत अच्छा चाटता है.
मैं उनके मुँह से यह बात सुनकर और भी ज़ोर से उनकी चूत को चाटने लगा, लेकिन थोड़ी देर चूत चाटने के बाद मैडम मुझसे बोली- छोटू मैं गई!
मैं ज़ोर से चाटने लगा.
मैडम का पानी निकल गया जिसकी वजह से उनकी पूरी चूत गीली हो चुकी थी.
मैं अब मैडम के दोनों पैरों के बीच में बैठ गया और अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़कर गीला करने लगा और मैडम बोलने लगी- उफफफ्फ़ आह्ह्ह्ह कमीने, जल्दी से इसे अंदर डाल दे, कुत्ते तू यह क्या कर रहा है? थोड़ा जल्दी से डाल दे… स्सीईईई आह्ह्ह… क्या बस ऐसे ही करता रहेगा?
मैंने उनकी तड़प को देखते हुए अपने लंड का सुपाड़ा मैडम की गीली नंगी चुत के मुँह पर रख दिया और एक ही ज़ोर के धक्के के साथ अपना पूरा लंड चूत के अंदर डाल दिया.
मैडम बोली- उईईई उफ्फ कुत्ते साले… तेरा बहुत बड़ा है! थोड़ा मेरे ऊपर रहम कर! आह्ह्ह्ह!
मैं थोड़ा रुककर ऐसे ही अपने लंड को डाले कुछ देर रुका रहा, फिर मैंने मैडम के दोनों बूब्स को एक एक हाथ में पकड़ा और बूब्स को दबाते हुए बूब्स के बीच में अपनी जीभ से चाटने लगा.
मैडम आअहह उफ्फ्फ्फ़ अर्ररर और हाँ तेज़ तेज़ सिसकारियाँ लेती हुई बोली- छोटू, मुझे किस करो!
मैं मैडम के ऊपर लेट गया और उनके गुलाबी होंठों को धीरे धीरे मज़े लेते हुए चूसने लगा.
अब मैंने लंड को धीरे से थोड़ा बाहर किया और फिर एक ज़ोर का धक्का देकर पूरा अंदर डाल दिया जिसकी वजह से मैडम की चीखने की आवाज़ मेरे मुँह में दबकर रह गई.
मैं लगातार धक्के देकर अपनी मैडम की चुदाई करने लगा, पूरे हॉल में छप छप की आवाज़ आ रही थी. मेरी मैडम ‘ऊऊहह एसस्स ऊओह मरी छोटू और ज़ोर से करो और उफ्फ्फ्फ़ मज़ा आ गया…’ बोलती रही.
करीब 20 मिनट तक हमारी चुदाई चलती रही, फिर हम एक साथ झड़ गये और मैं मैडम के ऊपर ही कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा, मेरा लंड अभी भी मैडम की चूत में ही था और धीरे धीरे सुकड़ कर छोटा हो रहा था.
फिर मैं उठा तो मैडम मुझसे मुस्कुरा कर बोली- क्या हुआ, थक गया?
मैं बोला- अभी कहाँ… अभी तो पूरी रात बाकी है.
फिर हम उठकर बाथरूम में चले गये, मैडम ने पेशाब किया और मैं उन्हें देख रहा था, मैंने अब पेशाब करते हुए ही उनकी चूत में अपनी एक उंगली को डाल दिया, जिसकी वजह से मैडम उछल पड़ी और हम हम दोनों हँसने लगे.
मैडम ने मुझे अपनी छाती से चिपका लिया और फिर हमने पानी चालू किया, अब हम भीगते हुए एक दूसरे को चूमने, चाटने लगे.
मैंने मैडम को अब फर्श पर सीधा लेटा दिया और फिर उनकी चूत को पागलों की तरह चाटने लगा जिसकी वजह से पानी मेरे ऊपर से गिरकर मैडम की चूत पर टपक रहा था और मैडम ऊओह्ह्ह आअहह ह्म्म्म्म कर रही थी.
अब मैंने अपनी मैडम के दोनों पैरों को पूरा फैलाकर चोदा और कुछ देर बाद मैडम मेरे ऊपर बैठकर मुझे चोद रही थी.
उस रात हमने सिर्फ़ दो बार चुदाई की.
अगले दिन से कई बार रात में हम चुदाई करते!
एक दिन मेरे बॉस का फोन आया कि उन्हें वापस आने में अभी 10-12 दिन और लगेंगे.
मेरे बॉस वहाँ पर नहीं थे, तब हम पति पत्नी की तरह रहने लगे.
हमने बहुत बार चुदाई के मज़े लिए और जब मेरे बॉस वापस आए तो भी मेरी मैडम मेरे बॉस को फोन करती और उनसे कहती- छोटू को घर पर भेज दीजिए, उससे मुझे कुछ सामान मंगवाना है. और इस बहाने से हम करीब 20-25 मिनट तक बहुत मज़े से चुदाई कर लेते थे.
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