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में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी छोटी बहन ने मुझे सेक्स के लिए बुलाया और नंगी होकर ओरल सेक्स का मजा लिया.
उसकी चूत बहुत टाइट थी, मुझे जीभ घुसाने में बहुत मजा आ रहा था.
अब आगे हॉट चूत फकिंग स्टोरी:
उसके हाथ मेरे सर पर थे और मैं लगातार उसकी चूत चुसाई किए जा रहा था.
नीचे से वह पूरे जोश में अपनी गांड उठा रही थी और गोल गोल घुमा रही थी.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.
‘क्या चूसते हो भैया, मुझे पता ही नहीं था कि इतना मज़ा भी आएगा … और अन्दर पेलो … और जोर से चूसो अपनी छोटी बहन की छोटी सी चूत का सारा कामरस निचोड़ दो.’
वह और भी जाने क्या क्या बोले जा रही थी.
फिर उसने जोर से कस कर मेरा सर चूत पर दबाया और मेरे मुँह में झड़ गयी.
मैं उसके रस की हर बूंद को पी गया.
मुझे मेरी छोटी बहन पर बहुत प्यार आ रहा था, वह बिल्कुल शांत हो कर पड़ी थी.
मैं उसके ऊपर आ गया और होंठों पर किस करने लगा.
वह भी साथ देने लगी और वापस जोश में आ गयी.
थोड़ी देर किस करने के बाद लंड उसके मुँह के पास ले गया.
वह लेटी लेटी ही लंड को चूसने लगी.
मैंने उससे कहा- छोटी, इसको अपने मुँह की लार से पूरा चिकना कर दे और हॉट चूत फकिंग के लिए तैयार हो जा!
वह रुक कर लंड हाथ में पकड़ कर बोली- भैया, आपकी छोटी तो कब से तैयार है … आप करो, जो करना है!
वह फिर से लंड चूसने लगी.
उसने पूरे लंड को गीला और चिकना कर दिया था.
मैं नीचे आया और उसकी गांड के नीचे 2 तकिए लगा दिए.
उसने कहा- ये क्यों?
मैं बोला- जैसे जीभ पूरी चूत में ली … वैसे लंड नहीं लेना क्या?
तो वह कटीली स्माइल करती हुई धीरे से बोली- हां लेना है ना!
फिर खुद ही शर्मा गयी और अपने दोनों हाथों के बीच अपना चेहरा छुपा लिया.
मैंने दोनों हाथों को अलग करते हुए कहा- मेरी जान, अब करें!
उसने हां में सर हिलाया और मैंने लंड उसकी चूत पर सैट कर दिया.
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठ चूसने लगा.
दोनों हाथों से उसके कंधे की पकड़ बना कर उसके होंठों कर अपने होंठों का ऐसा शिकंजा बनाया कि उसकी आवाज बाहर ना निकले.
फिर उसको किस करते हुए नीचे से एक जोरदार झटका दे दिया.
उसकी आंखें फट गईं, आंसू निकल आए.
दर्द उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था पर होंठों के लॉक होने की वजह से आवाज ही नहीं निकाल पाई.
नीचे मां और पापा सोए थे यदि उसकी आवाज निकलती तो वाट लग जाती.
कल रात को ऑफिस के रूम में मेरी बहन बहुत जोर से चिल्लाई थी.
यह आपने सेक्स कहानी के पिछले भाग में पढ़ा ही था.
मेरा लंड अभी भी 3 इंच बाहर था.
मैंने थोड़ा सा पीछे किया और फिर से एक बहुत ही जोरदार झटका दिया.
मेरा पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत को चीरता हुआ अन्दर पहुंच गया.
रितिका दर्द के मारे तिलमिला उठी.
उसने मुझसे छूटने की बहुत कोशिश की परन्तु मैंने उसको पहले ही ऐसा पकड़ा हुआ था कि उसकी हर कोशिश नाकाम रही.
मुझे अपनी छोटी बहन पर बहुत तरस आ रहा था लेकिन अगर उसको अलग कर देता तो शायद ही वह वापस लंड को चूत में डालने देती.
क्योंकि पिछली रात को इस तरह से उसकी चुदाई नहीं की थी, परन्तु आज उसे बहुत दर्द सहन करना पड़ रहा था.
मैं वैसे ही उसके ऊपर कुछ मिनट तक लेटा रहा. मेरा लंड उसकी चूत में फुंफकार मार रहा था.
फिर उसको कुछ राहत मिली, तो वह थोड़ी सी ऊपर नीचे होने की कोशिश करने लगी.
मैंने उसको ढीला छोड़ दिया.
रितिका- अब क्यों ऊपर हो रहे हो, भैया जान ही ले ली मेरी … अपनी बहन को ऐसे कौन चोदता है यार!
मैं- सॉरी यार छोटी, तू है ही इतनी क्यूट और हॉट कि खुद पर कंट्रोल नहीं हुआ.
रितिका थोड़ी गुस्सा होती हुई बोली- तो मैं कहीं भागी नहीं जा रही थी. आपके पास ही हूँ, पर थोड़ा आराम से कर लेते.
मैं- सॉरी यार दिल से … और तुझे बुरा लग रहा है या ज्यादा दर्द हो रहा है, तो लंड को बाहर निकाल लेता हूं!
रितिका स्माइल करती हुई- मेरी छोटी सी मुनिया को फाड़ दी और अब निकाल कर क्या करोगे! अब तो मज़ा आ रहा है, कर लो अपने दिल की.
मैं- दिल की नहीं छोटी, अब तो लंड और चूत की होगी.
रितिका- तो करो ना … किसने रोका है, डालो और अन्दर तक!
मैं- तो ये ले छोटी.
और इसी के साथ मैंने 3-4 जोरदार झटके लगा दिए.
रितिका- आहहह … भैया!
मैं- क्या हुआ छोटी, अभी तो बोल रही थी कि डालो अन्दर तक … अब इतनी जोर से क्यों चिल्ला रही है. कोई सुन लेगा!
रितिका अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डालती हुई और अपने होंठों से किस करती हुई बोली- भैया, यह आवाज अब सिर्फ आपको ही सुनाई देगी और मैं चाहे जितना भी मना करूँ, आज आप पूरे जोश से मेरी चुदाई करो.
यह कह कर वह पैर फैलाती हुई बोली- लो, लंड को जितना अन्दर डाल सकते हो, डाल दो भैया!
मैंने उस पर लेटे लेटे ही किस करते हुए चुदाई का संग्राम चालू कर दिया.
कभी मैं उसके बूब्स को पूरे जोश से दबाता, तो कभी होंठ काटते हुए चोदने लगता.
रितिका भी मेरे हर झटके का पूरा जवाब दे रही थी.
वह बहुत आनन्द के साथ अपनी चुदाई करवा रही थी.
मैंने अपनी बहन के ऊपर ही चढ़ कर करीब 20 मिनट तक उसकी चुदाई की, उसके बाद वह झड़ गयी.
उसके झड़ने 5 मिनट के बाद मुझे भी लगा कि मैं भी अब टिक नहीं पाऊंगा.
तो मैंने रितिका से कहा- छोटी, मेरा होने वाला है!
रितिका बोली- हां हो जाने दो भैया, आप अन्दर ही निकाल दो.
मैंने कहा- कुछ हुआ तो?
वह बोली- आप हो ना मेरे साथ … कुछ नहीं होगा. पर आज आपको अन्दर तक महसूस करना है.
यही सब बातें करते करते ही पूरी ताकत के साथ मैं उसके अन्दर ही झड़ गया.
झड़ने के बाद बड़ी शिथिलता हो रही थी तो मैं कुछ मिनट तक उसके ऊपर ही लेटा रहा.
फिर उठ कर देखा तो उसकी नाजुक जांघें पूरी लाल हो चुकी थीं और हम दोनों का कामरस उसकी चूत से बाहर बह रहा था.
मैंने उसके माथे पर किस की और बोला- इतना प्यार करने के लिए थैंक्स छोटी.
उसने सेम टू यू बोला और हंस दी.
मैंने घड़ी में देखा तो 2.40 हो चुके थे.
हम दोनों को पता ही नहीं चला कि कब इतना समय हॉट चूत फकिंग में निकल गया.
मैंने उससे कहा- सुबह ऑफिस चलना है, सो जाते हैं.
उसने भी कहा- ठीक है, पर मुझे वाशरूम जाना है.
मैंने कहा- तो चली जा!
इस पर वह बोली- आप पागल हो क्या भैया?
मैंने कहा- क्यों?
वह बोली- आपके लंड से इतनी चुदाई के बाद मैं तो क्या, कोई भी लड़की थोड़ी देर तक अकेली उठ नहीं सकती. प्लीज आप ले चलो न!
मुझे उस पर प्यार आ गया और उसको उठा कर वाशरूम में ले गया.
उसने सुसु की.
फिर मैंने वापस उसको बेड पर सुलाया.
मैं जाने लगा तो उसने हाथ पकड़ा और मुझे रोक लिया.
तो मैंने कहा- सोने जाना है कमरे में!
वह बोली- यहीं सो जाओ, सुबह चले जाना या मुझे नींद आ जाए, तब चले जाना.
मैंने कहा- ठीक है, पर मम्मी के आने के पहले जाना पड़ेगा.
उसने कहा- हां तो चले जाना, पर अभी सो जाओ.
मैं कपड़े पहनने लगा तो भी उसने मना कर दिया- जब जाओ, तब पहन लेना, अभी नहीं.
मैं भी ‘ठीक है’ बोल कर सो गया.
उसने एसी की ठंडक बढ़ा दी और दोनों कम्बल में सो गए.
मुझे भी नींद लग गयी.
फिर अचानक नींद खुली तो 4.45 हो चुके थे.
पर जैसे ही उठा तो एसी की वजह से ठंडक लगी; मैं वापस कम्बल में घुस गया.
रितिका की वजह से कम्बल में गर्मी थी तो मैंने पहले रिमोट से एसी बन्द किया और कुछ देर बाद कम्बल हटा कर देखा.
उस वक्त छोटी सो रही थी और उसने कपड़े नहीं पहने थे.
मेरा लंड अपनी अकड़ में आ गया तो मैंने सोचा कि ठंड लग रही है.
इसी से लिपट कर इसके ऊपर सो जाता हूं.
पर जैसे ही मैंने रितिका को सीधा किया और पैर चौड़े करके ऊपर चढ़ा तो रितिका शायद इसी इंतजार में थी.
उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और अपनी चूत पर टिका दिया.
वह नींद में थी लेकिन लंड के प्रहार से उसकी नींद खुल गयी.
उसने लंड चुत में लेते हुए कहा- अहह … गुड मॉर्निंग उम्मम अहह … भैया आह … मेरी चुत बहुत दर्द कर रही है. इसका दर्द मिटा दो भैया … अब मेरी सुबह की शुरुआत रोज ऐसी ही करना.
मैंने धक्के देते हुए कहा- हां छोटी, तेरी चूत के लिए मेरा लंड हर पल खड़ा रहेगा.
छोटी बोली- भैया आज मैं ऑफिस में लांग गाउन पहनूँगी.
मैंने कहा- क्यों?
वह बोली- आज पैंटी नहीं पहनूँगी और वर्कर तो वैसे भी आज छुट्टी पर है तो मैं आज आपके पास नहीं बल्कि आपकी गोद में बैठूंगी.
ऐसी ही बातों के साथ हमारी मॉर्निंग की चुदाई खत्म हुई.
उसे किस करके मैं अपने कमरे में आकर सो गया.
फिर 8 बजे नींद खुली तो जल्दी से रेडी होकर माँ पापा के साथ नाश्ता किया.
फिर हम दोनों भाई बहन ऑफिस आ गए.
आगे की सेक्स कहानी में कैसे उसकी फ्रेंड के साथ सेक्स किया, वह भी बताऊंगा.
यह मैंने पिछली बार भी कहा था, पर सॉरी … कहानी लंबी खिंच जाने के कारण वह सब आपको अगली सेक्स कहानी में ही लिख पाऊंगा.
यह उस समय की बात है Antarvasna Stories जब मैं पढ़ता था। गर्मियों के दिन थे, मैं अपनी एक कॉपी अपनी अंग्रेजी की टयूशन टीचर के घर पर भूल आया था। मैं दोपहर को दो बजे अपनी कॉपी लेने टीचर के घर गया।
पहले मैं यह बता दूँ कि मेरी टीचर की उमर 30-32 साल के आस पास होगी और वो शादीशुदा हैं। जब भी मैं टयूशन जाता था तो वो मुझे अजीब नज़रों से देखती थीं और जब भी मौका मिलता था तब मुझको अपने से चिपका लेती थीं।
जब मैं उनके घर पंहुचा तो दरवाज़ा खुला हुआ था। मैं दरवाज़ा खोल के अन्दर गया और मैडम के कमरे में घुस गया। मैंने देखा कि वो पारदर्शी सलवार और कुरते में लेटी हुई थीं। उन्हें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उन्हें नमस्ते की और उनके पास जाकर बैठ गया। मैंने उन्हें बताया कि मेरी कॉपी रह गई थी और मैं उसी को लेने आया हूँ।
वो टीवी पर एक फिल्म देख रही थीं, तभी उसमें एक गरम दृश्य आ गया। उन्होंने कस कर मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे दबाने लगीं। मेरा तो वैसे ही हाल बुरा था और अब तो मेरी धड़कने और भी तेज़ हो गई।
उन्होंने उठ कर अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझसे बोलीं- हाय! मैं तो कबसे इस इंतज़ार में थी कि तुम मेरी प्यास बुझाओ। मेरे पति तो हमेशा बाहर रहते हैं और मैं तड़पती रहती हूँ मैं भी अपनी मैडम की एक बार लेना चाहता था और आज मुझे मौका मिल गया।
वो मेरे पास आकर बैठ गईं और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को मसलने लगीं। मैं भी अपने हाथों से उनकी चूचियाँ दबाने लगा और अपने होंठ उनके लाल-लाल होठों पर रख दिए। वो मेरे होंठ चूसने लगीं। मैंने इससे पहले कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया था।
करीब दस मिनट तक यही चलता रहा। फिर उन्होंने मेरी पैंट खोल दी और मेरे लंड को बाहर निकाला। हालाँकि मैं बहुत छोटा था पर मेरा लंड तब भी काफी बड़ा और मोटा था। वो मेरे लंड को देख कर चौंक गईं, बोलीं- तुम्हारा लंड तो मैंने जितना सोचा था उससे भी बड़ा है!
और यह कहते हुए उनहोंने मेरे लंड पर अपना मुँह लगा दिया। वो काफी देर उसे चूसती रहीं।
फिर मैंने उनसे कहा- बस यही करना है क्या?
और मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। जैसे ही मैंने उनकी ब्रा खोली, उनकी चूचियाँ उछ्ल कर बाहर आ गईं, मैं तो दंग ही रह गया। इतनी बड़ी चूचियाँ मैंने पहली बार देखी थीं। मैंने झट से उन्हें मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मैंने उनकी पैंटी के अन्दर हाथ डाला और उनकी चूत को रगड़ने लगा।
वो मस्त हो कर आह ऊई ओह! चिल्लाने लगी।
फिर उन्होंने भी मेरे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों बिलकुल नंगे थे।
मैंने उनसे कहा- मुझे सेक्स करना नहीं आता!
तो उन्होंने कहा- मैं सिखा दूंगी।
फिर उन्होंने मुझे उनकी चूत चाटने को कहा।
पहले तो मैंने मना किया कि मुझे यह गन्दा लगता है, पर बाद में मैं मान गया। मैंने अपने नरम नरम होंठ उनकी चूत पर लगा दिए और कस-कस के चूसने लगा। वाह क्या खुशबू थी।
मैं अपनी जीभ उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। वो पलंग पर लेटी हुई सिसकियाँ भर रहीं थीं। मैं उनके ऊपर गया और उनके होंठ चूसने लगा, साथ ही साथ अपनी ऊँगली उनकी चूत में डाल कर हिला रहा था, तभी मेरे हाथ में कुछ पानी सा आने लगा। मैंने देखा कि मैडम झड़ चुकी थीं। मैंने उनकी चूत का पानी अमृत जल समझ कर चाट लिया।
फिर हम उठे और मैडम मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त था। फिर वो अपनी टांग चौड़ा कर लेट गई। मैं समझ गया कि अब क्या करना है क्यूंकि मैं काफी ब्लू फिल्म देख चुका था।
मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। वो आहह्ह्ह ऊहहह करने लगीं। क्यूंकि वो पहले चुद चुकी थीं इसलिए मेरा लंड आसानी से अन्दर चला गया। फिर मैं उन्हें झटके देने लगा। सारा कमरा फच-फच की आवाजों से गूंज उठा। मैडम भी मस्त होकर सिसकियाँ भरने लगीं। उसी में मैडम दो बार और झड़ गईं।
तभी मुझे लगा कि मेरा लंड फूल रहा है और बाहर नहीं आ पा रहा है।
मैंने मैडम को बताया तो उन्होंने कहा- तुम पानी छोड़ने वाले हो!
मैंने कहा कि उससे तो आप प्रेग्नेंट भी हो सकती हो!
तो वो मेरे भोलेपन पर हंसती हुई बोलीं- कोई बात नहीं! मैं तो एक हफ्ते पहले ही अपने पति से चुदी हूँ! किसी को शक नहीं होगा!
इसी बीच मैंने पानी छोड़ दिया और निढाल होकर एक ओर लुढ़क गया। पर अभी भी थोड़ा सा पानी मेरे लंड में बचा था। मेरी मैडम ने मेरा लंडा हिलाया तो एक ज़ोरदार धार निकली और मेरा अमृत रस उनके मुहँ में भर गया। फिर उन्होंने मेरा लण्ड और जांघ चाट कर साफ़ किये। फिर मुझे बाथरूम में ले जा कर नहलाया और नहाते समय भी मज़े लिए।
मैंने भी नहाते समय उन्हें खूब रगड़ा। फिर मैं अपनी कॉपी लेकर घर चला गया।
उसके बाद भी मैंने उन्हें कई बार चोदा पर बाकी कहानी अगले अंक में!
आपसे विदा लेता हूँ!!
धन्यवाद। Antarvasna Stories
हमारे घर के पड़ोस में एक Sex Stories परिवार रहता था। उनकी एक लड़की थी। उसका नाम सोनू था। उसकी उमर लगभग 19 साल की थी।
वो एकदम मस्त चीज़ थी उसके बूब 30-32 साइज़ के थे अपनी बॉडी से वो पूरी जवान लड़की लगती थी।
सोनू बहुत ही सेक्सी थी। मैं उसे चौदना चाहता था वो भी मुझे आते जाते अपने घर की छत पर से देखती थी और मुझे देख कर मुस्कुराती भी थी लेकिन कोई मौका नहीं मिल पा रहा था।
उनके घर पर एक कंप्यूटर भी था।
यह उस समय की बात है जब सोनू के माता-पिता 5-6 दिन के लिए कहीं चले गये थे। घर पर केवल सोनू ही अकेली थी।
दूसरे दिन सोनू अपने घर के बाहर दरवाजे पर मुझे खड़ी दिखाई दी।
मैंने उसे देखा तो वो मुस्कुराई और मुझे बुलाया।
जब मैं उसके पास गया तो वो बोली- आप को अगर कंप्यूटर ठीक करना आता हो तो प्लीज़ हमारा कंप्यूटर ठीक दो ना प्लीज़!
और मुझे घर में आने का इशारा किया।
मैं स्कूल जा रहा था इसलिए मैं शाम को आने के लिए कह कर स्कूल चला गया।
स्कूल से वापस आने के बाद मैं सोनू के घर 5 बजे शाम को पहुँच गया।
मैंने कॉल बेल बजाई तो सोनू ने दरवाज़ा खोला।
उसने काले रंग की स्कर्ट और पिंक रंग की टी-शर्ट पहन रखी थी। उसने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। उसकी चूचियों के दोनो निपल्स बाहर से ही महसूस हो रहे थे।
मैं घर के अंदर गया।
वो मुझे कंप्यूटर के पास ले गयी।
मैंने कंप्यूटर को ओन किया और चेक करने लगा।
सोनू चाय बनाने चली गयी।
मैंने एक फोल्डर को खोला जो सोनू ने बनाया था। उस में बहुत सारी अश्लील तस्वीरें थी।
मैं उन तस्वीरों को देखने लगा। उसमें नेट से डाउनलोड की हुई बहुत सारी सेक्सी पिक्चर थी।
थोड़ी देर बाद वो चाय ले कर आ गयी।
उस समय कंप्यूटर स्क्रीन पर जो फोटो थी उसमें एक आदमी एक लड़की को डॉगी स्टाइल में चोद रहा था।
वो मेरे बगल में बैठ गयी और बोली- प्लीज़ ये फाइल्स बंद कर दो। इसे मत देखो।
मैंने कहा- बहुत अच्छी पिक्चर है।
सोनू का चेहरा शरम से लाल हो गया।
मुझे देखने दो।
वो बोली- प्लीज़ जीतू बंद कर दो इसे।
मैंने कहा- मैं कोई ग़लत काम थोड़े ही कर रहा हू। आख़िर तुम भी तो ये पिक्चर देखती होगी। तुम भी जावन हो और मैं भी। तुमने कभी ट्राइ किया है?
वो चुप रही तो मैंने फिर पूछा।
वो बोली- मैं अभी तक कुँवारी हूँ। मैंने कभी किसी से नहीं करवाया है।
मैंने उस से झूठ बोला और कहा- मैंने भी आज तक किसी लड़की के साथ कुछ नहीं किया है। घर पर भी कोई नहीं है। चलो, आज हम दोनों इसे ट्राइ करते हैं।
उसने इनकार कर दिया तो मैंने पूछा- क्यों?
इस बार वो कुछ नहीं बोली और उसने अपना सर दूसरी तरफ घुमा लिया।
मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया तो उसने मेरा हाथ झटक दिया। मैंने फिर पूछा- हम दोनो ही कुंवारे हैं और आज अच्छा मौका है। तुम भी जवान हो और मैं भी। घर पर भी कोई नहीं है। हमें ट्राइ करना चाहिए।’
वो एक दम चुप रही।
मैंने उसकी जांघों पर हाथ फिरना शुरू कर दिया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
उसने अपनी दोनों जांघों को एक दूसरे पर रख कर ज़ोर से दबा लिया।
मैंने उसकी जांघों को सहलाते हुए अपना हाथ उसकी जांघों के बीच घुसा दिया। मेरा हाथ सीधा उसकी चूत पर लगा। उसने नीचे भी कुछ नहीं पहन रखा था। उसकी चूत एकदम मुलायम और चिकनी थी।
उसने इस बार मेरा हाथ नहीं हटाया। मैं समझ गया कि मेरा काम बन जाएगा।
मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया तो उसकी साँसें बहुत तेज़ चलने लगी और उसका चेहरा एक दम लाल हो गया। वो कुछ नहीं बोली।
थोड़ी देर तक उसकी चूत सहलाने के बाद मैं उठा। मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में ले जाने लगा तो उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया।
बेडरूम में ले जा कर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया।
मैंने उसकी टी-शर्ट और स्कर्ट उतार दी। उसके कपड़े उतारने के बाद मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए।
मुझे नंगा होते देख उसने अपनी आँखें बंद ली लेकिन उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
उसका संगमरमर सा गोरा बदन एक दम नंगा मेरे सामने था। मुझे जोश आने लगा।
मैंने उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक होठों को चूमने के बाद मैंने धीरे धीरे उसके चुचियों को, पेट को, जांघों को और फिर उसकी चूत को चूमने लगा।
वो एकदम गरम हो गयी और सिसकारियाँ भरने लगी।
मेरा लंड भी खड़ा हो कर जोश से एक दम लोहे जैसा हो गया था और झड़ने वाला था।
मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास कर दिया और चूसने को कहा।
वो कुछ नहीं बोली।
मैंने उसके मुँह में अपना लंड घुसाने की कोशिश की तो उसने अपना मुँह इधर उधर करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर ना नुकर करने के बाद आख़िर में उसने अपना मुँह खोल दिया।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी।
मैं उसके उपर लेट गया और मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी। दो मिनट बाद ही मैं उसके मुँह में झड़ गया और उसने मेरे लंड का सारा पानी निगल लिया। लंड का सारा पानी निगल जाने के बाद भी उसने मेरा लंड चूसना ज़ारी रखा।
वो भी अब तक बहुत जोश में आ गयी थी और उसकी चूत से भी पानी निकलने लगा।
मैंने भी उसकी चूत का सारा पानी चाट लिया। वो एक दम नमकीन और कुछ कुछ खट्टा था।
दस मिनट में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।
मैं भी अभी तक उसकी चूत को चाट रहा था और वो भी अपना चूतड़ उठा उठा कर मज़ा ले रही थी।
हम दोनो बहुत जोश में आ गये थे। मैं उसके उपर से हट गया और उसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा। वो कुछ नहीं बोली और चुप-चाप उठ कर डॉगी स्टाइल में हो गयी। उसने अपना सर तकिये पर टिका दिया।
मैं समझ गया कि वो चुदवाने के लिए एकदम बेकाबू हो रही है। मैं उसके पीछे आ गया। मैंने उसकी चूत को फ़ैला कर अपने लंड का सूपाड़ा उसकी चूत के बीच रख दिया। वो कुछ नहीं बोली।
मैंने अपना लंड थोड़ा सा अंदर दबाया। उसकी चूत बहुत टाइट थी और केवल मेरे लंड का सूपाड़ा ही उसकी चूत के अंदर घुस पाया।
मैंने थोड़ा और दबाया तो वो पहली बार बोली- प्लीज़। ज़रा धीरे।
मैं समझ गया कि वो एक दम जोश में आ गयी है। मैंने अपना लंड थोड़ा और अंदर दबाया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी।
मेरा लंड उसकी चूत में अब तक 2″ घुस चुका था।
मैंने अपना लंड उसकी चूत में धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
उसने भी अपना चूतड़ पीछे की तरफ दबाया और सिसकारियाँ भरने लगी, उफ़फ्फ़… जीत… धीरे… प्लीज़। दर्द हो रहाआ है… उईए… म्माआआआ… आआआहह… रुक्कक… जाओ…
मैं रुक गया।
वो बोली- जीतू, मैं पहली बार करवा रही हू। ज़रा आराम से धीरे धीरे करो। बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम घबराओ मत। मैं धीरे धीरे और आराम से ही करूँगा। मैं जानता हूँ कि तुम अभी तक कुँवारी हो और तुम्हारी चूत एक दम टाइट है।
मैंने धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।
छः सात मिनट तक चोदने के बाद उसे भी और ज़्यादा मज़ा आने लगा। वो बोली- जीतू, तुम अपना लंड थोड़ा सा और अंदर डाल दो। मैं तैयार हूँ।
मैंने थोड़ा सा और दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 3″ तक घुस गया।
वो फिर बोली- बस, रुक जाओ प्लीज़। दर्द हो रहा है। अभी इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे।
उसकी सील टूट चुकी थी और वो अब मेरा लंड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी।
मैंने उसे धीरे धीरे चौदना शुरू कर दिया।
दो तीन मिनट में ही उसका दर्द जब कुछ कम हुआ तो उसे मज़ा आने लगा।
वो बोली- थोड़ा और अंदर डाल कर और तेज़ीसे चोदो… मुझे…
मैंने थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 4″ तक घुस गया।
मैं अपनी स्पीड को बढ़ाते हुए उसे चोदने लगा। वो अपना चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी।
पाँच मिनट तक चोदने के बाद वो बहुत ज्यादा जोश में आ गयी और बोली- जीतू, और अंदर डालो अपना लंड मेरी चूत में। खूब तेज़ चोदो मुझे। अब रुकना नहीं, पूरा लंड अंदर घुसा देना। मैं एक दम बेकाबू हो रही हू और मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मैंने अपना लंड थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 5″ तक घुस गया। मैंने उसे धीरे धीरे चौदना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर तक चोदने के बाद मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगा दिया।
मेरा लंड उसकी चूत में 6′ तक घुस गया।
वो चिल्ला उठी लेकिन उसने मुझे रुकने के लिए नहीं कहा।
मैंने एक फाइनल शॉट लगा दिया तो वो बहुत तेज़ चिल्लाने लगी।
मेरा पूरा लंड उसकी चूत में एकदम ज़ड़ तक घुस चुका था।
वो बोली- जीतू, तुमने आख़िर मुझे आज एक लड़की से औरत बना ही दिया। मैंने अपनी चूत में तुम्हारा पूरा लंड अंदर ले ही लिया। बहुत दर्द हो रहा है। थोड़ा रुक जाओ, तब चौदना।
मैं रुक गया।
थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुई तो उसने मुझसे चोदने के लिए कहा। मैंने सोनू की चुदाई शुरू कर दी। पहले बहुत धीरे धीरे उसके बाद मैंने बहुत तेज़ी के साथ चौदना शुरू कर दिया।
5 मिनट तक उसे चुदवाने में थोड़ा दर्द हुआ लेकिन उसके बाद वो एकदम शांत हो गयी और उसे मज़ा आने लगा, उसने अपना चूतड़ आगे पीछे करते हुए मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
2 मिनट बाद ही वो बोली- और तेज़ चोदो, मेरे जीतू राजा। ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और बहुत तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगा। वो अब अपनी चूत में मेरा पूरा लंड आराम के साथ अंदर ले रही थी।
2 मिनट भी नहीं बीते की वो फिर बोली- जीतू, मुझे कुछ हो रहा है। लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है। खूब ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाओ।
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी।
वो बोली- आआआ!!! मैंऽऽऽ आआऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ
उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया।
मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा। लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी 2 बार झड़ चुकी थी। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया।
हम दोनो तक गये थे। कुछ देर आराम करने लगे।
15 मिनट बाद वो बोली- जीतू, प्लीज़। एक बार और करो ना। मुझे बहुत अच्छी लग रही थी यह चुदाई।
उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। दस मिनट में ही मेरा लंड एक दम तैयार हो गया।
मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसके चूतड़ के नीचे 2 तकिये रख दिए। उसकी चूत एक दम उपर उठ गयी।
मैंने उसकी चूत के बीच जैसे ही अपना लंड रखा तो वो बोली- जीतू, मुझे बहुत मज़ा आया था। इस बार तुम अपना लंड को एक ही धक्के में पूरा अंदर डाल दो।
मैंने अपनी सासें रोक कर अपने को थोड़ा तैयार किया और पूरा ज़ोर लगते हुए एक करारा धक्का मारा। मेरा पूरा लंड सनसंता हुए उसकी चूत में घुस गया। वो बहुत तेज़ चीख पड़ी।
मैंने बिना रुके उसकी चुदाई शुरू कर दी। 2 मिनट में ही वो अपना चूतड़ उठा उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। 5 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गयी। उसकी चूत एक दम गीली हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत के पानी से एक दम गीला हो चुका था।
मैं रुका नहीं, उसको चोदता रहा। कमरे में फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी। इस बार मैंने उसे बिना रुके उसको चौदा और उसकी चूत में ही झड़ गया। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकाल देने के बाद मैं हट गया और उसके बगल में ही लेट गया।
वो भी थक कर चूर हो गयी थी और एकदम निढाल हो गयी थी। वो बेड पर ही पड़ी रही। Sex Stories
यह मेरी पहली कहानी Hindi Porn Stories है जो वास्तविक है, बड़ी हिम्मत करके मैं यह कहानी लिख रहा हूं। मेरे दोस्त चन्दू ने इस कहानी को लिखने में मेरी मदद की है।
यह घटना छः माह पहले की है। मैंने अन्तर्वासना की कहानियाँ अभी जब मेरे पास कम्प्यूटर आया तब पढ़ना आरम्भ की थी। अब हमें पुस्तक से अच्छी और अधिक वासनायुक्त कहानियाँ पढ़ने को मिल जाती हैं और हमारे अब पुस्तकों के किराये के पैसे भी बच जाते हैं।
मेरा एडमिशन बेंगलोर में हो चुका था और मैंने होस्टल में दाखिला ले लिया था। मेरे साथ एक और लड़का था, उसका नाम चन्द्र प्रकाश था। सभी उसे चन्दू कहते थे। यूं तो हम दोनों ही दुबले पतले हैं, और लम्बाई भी साधारण सी ही है। मुझे उसके साथ रहते हुये लगभग दो माह हो चुके थे। उसे फ़ुर्सत में अश्लील पुस्तकें पढ़ने का शौक था। वो मार्केट से किताबें किराये पर ले आता था और बड़े चाव से पढ़ता था।
एक बार मैंने भी उसकी अनुपस्थिति में वो किताब उसके तकिये के नीचे से निकाल कर पढ़ी। उसको पढ़ते ही मेरा भी लन्ड खड़ा हो गया। मुझे उसकी खुली भाषा बहुत पसन्द आई और कहानी को अन्त तक पढ़ डाला। अब मेरे खड़े लन्ड को शान्त करना मुश्किल हो गया था। मैंने अन्त में अपना लण्ड बाहर निकाला और हाथ से मुठ मारने लगा। जब वीर्य लन्ड से बाहर निकल आया तो मुझे चैन मिला। पर मुझे उस पुस्तक को पढ़ने में बड़ा मजा आया। धीरे धीरे मुझे भी उन पुस्तकों को पढ़ने में मजा आने लगा। मेरा मन पढ़ाई से उचटने लगा। रात को जब तब मैं अब मुठ मारने लगा था।
चन्दू को भी अब मेरी हरकतें मालूम होने लग गई थी। उसे शायद मालूम पड़ गया था कि मैं उसकी अश्लील पुस्तकें छुप कर पढ़ लेता हूँ। उसने एक दिन उसने वो किताब छुपा ली। मुझे ढूंढने पर भी जब वो पुस्तक नहीं मिली तो मैंने हार कर चन्दू से कह ही दिया,”चन्दू, वो जो तू किराये पर पुस्तक लाता है, क्या अब नहीं ला रहा है?”
“देख प्रेम, पुस्तक तो मैं अपने पैसे दे कर लाता हूँ, तू अगर आधा पैसा दे तो तुझे भी दे दूंगा।”
मैंने उसे आधा पैसा भरने के लिये हां कर दी। अब तो मैं उसकी उपस्थिति में भी पुस्तक पढ़ सकता था।
इन सबके चलते एक दिन हम दोनों ही खुल गये और फिर चला एक दूसरे की गान्ड मारने का सिलसिला।
यह कैसे आरम्भ हुआ…
मैं दिन को लंच के बाद कॉलेज नहीं गया, आराम करने लगा। चन्दू का लंच के बाद एक पीरियड लगता था। मैं कमरे में अश्लील पुस्तक पढ़ रहा था। फिर हमेशा की तरह मैं खड़े हो कर मुठ मारने की तैयारी में था। मैंने अपना पजामा उतार लिया था और चड्डी भी उतार कर अपने कड़क लन्ड को हिला रहा था। तभी चन्दू आ गया… और मुझे लन्ड हिलाते हुये देखने लगा।
“ये क्या कर रहा है रे…” उसने मुझे झिड़का।
मैं बुरी तरह चौंक गया। और पास में पड़ा तौलिया उठा कर लपेट लिया।
“अरे यार वो ऐसे ही… ” मैं हड़बड़ा गया था।
“ऐसे क्या मजा आता होगा … रुक जा, मुझे भी किताब पढ़ने दे … साथ मजा करेंगे !” चन्दू ने बड़ी आशा से मुझे कहा।
मैं कुछ समझा नहीं था।
“साथ कैसे… क्या साथ मुठ मारेंगे…?”
“हां यार, उसमे मजा आयेगा…” मुझे भी लगा कि शायद ये ठीक कह रहा है। वो अपना मुठ मारेगा और मैं अपना मारूंगा। कुछ ही देर में उसने किताब पढ़ ली और उसने बड़ी बेशर्मी से अपनी कॉलेज की ड्रेस उतारी और नंगा हो गया। उसका लण्ड भी तन्ना रहा था।
उसने कहा,”प्रेम, इधर आ और इसे छू कर देख…!” मुझे ऐसा करते हुये हिचकिचाहट हो रही थी। पर मैंने उसके लण्ड को हल्के हाथों से पकड़ कर छू लिया।
“ऐसे नहीं रे … जरा कस कर पकड़… हां ऐसे… अब आगे पीछे कर !” उसने आनन्द से मुझे पकड़ लिया। मुझे दूसरे का लण्ड पकड़ते हुये कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। कड़ा सा, नरम चमड़ी, चमकता हुआ लाल सुपाड़ा… फिर भी मैंने उसके लण्ड पर अपना हाथ आगे पीछे चलाना आरम्भ कर दिया। उसका हाथ मेरी कमर पर कस गया। उसके मुँह से आह निकलने लगी। उसने अब मेरी कमर से तौलिया खींच कर उतार दिया।
“अरे… ये क्या कर रहा है… ?” मैंने हड़बड़ाते हुये कहा।
“तेरा लण्ड की मैं मुठ मार देता हूँ… देख बेचारा कैसा हो रहा है…!” और उसने मेरा लण्ड थाम लिया। किसी दूसरे का हाथ लन्ड पर लगते ही मुझे एक सुहानी सी अनुभूति हुई। लण्ड हाथ का स्पर्श पाते ही बेचारा लन्ड कड़क उठा। उसका हाथ मेरे लन्ड पर कस गया और अब उसने हल्के से हाथ से लन्ड पर ऊपर नीचे करके मुठ मारा। मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा।
“यार चन्दू, मैं मुठ तो रोज़ ही मारता हूँ… पर तेरे हाथ में बहुत मजा है… और कर यार… आह …” हम दोनों अब एक दूसरे का हल्के हाथों से मुठ मारने लगे। मेरे अन्दर एक तूफ़ान सा उठने लगा… सारी दुनिया रंगीन लगने लगी। चन्दू मुठ बड़ी खूबसूरती से मार रहा था। उसके हाथ में जैसे जादू था। उसकी अंगुलियां कहीं सुपाड़े को हौले से मसलती और कभी डन्डे को बेरहमी से मरोड़ती और कस कर मुठ्ठी में दबा कर दम मारती… कुछ ही देर में मेरा वीर्य छूट गया। मैं उससे लिपट गया और ना जाने कहां कहां चूमने लगा। मेरे झड़ते ही मुझे होश आया कि मैंने तो जाने कब चन्दू लण्ड छोड़ दिया था और अपने आनन्द में डूब गया था। अब मैं उसका लन्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। वो अपने बिस्तर पर लेट गया और अपने शरीर को आनन्द से उछालने लगा। उसका लण्ड और सुपाड़े को मैं सन्तुलित तरीके से या कहिये चन्दू के तरीके से मुठ मार रहा था। उसकी हालत देख कर मुझे लग रहा था कि शायद मुझे भी ऐसा ही मजा आया होगा… अन्जाने में मैं भी ऐसा ही तड़पा हूंगा। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने पिचकारी निकाल मारी। उसका वीर्य मेरे हाथो में लिपट गया। मैंने उसका लण्ड धीरे धीरे मल कर उसमे से सारा वीर्य निकाल दिया
एक दूसरे का मुठ मारना रोज़ का खेल हो गया।
एक दिन मुझे चन्दू ने नया खेल सिखाया। उसने नंगे होने के बाद मुझे बिस्तर पर सुला दिया और वो मेरे ऊपर उल्टी पोजीशन में लेट गया। उसने मेरा खड़ा लण्ड अपने मुंह में भर लिया। उसके लण्ड चूसने से मुझे बड़ा मजा आया… मैंने भी उसके लण्ड के अपने मुँह में भर लिया। मैंने भी उसे चूसना शुरू कर दिया। उसकी टांगे मेरी गर्दन के आस पास लिपट गई। मेरा लन्ड तो उसके चूसने से फ़ूलने लगा और मैं आनन्द से भर गया। मेरे चूतड़ नीचे से हिल हिल कर प्रति उत्तर देने लगे थे। उसने भी अपने चूतड़ों को हौले हौले से मेरे मुख में चोदने जैसा हिलाने लगा। मैंने भी उसका लन्ड जोर से होंठ को भींच कर चूसना आरम्भ कर दिया। ये मस्त तरीका मुझे बहुत ही पसन्द आया। मेरा लन्ड भी नीचे फूल कर उसके मुख का भरपूर मजा ले रहा था। वह अपना हाथ से मेरा लण्ड का मुठ भी मार रहा था और मेरे सुपाड़े के रिन्ग को कस कर चूस रहा था। कुछ पलों में मेरा लण्ड मस्ती में हिल हिल कर मस्त हो उठा और ढेर सारा वीर्य उसके मुँह में ही उगल दिया। उसने वीर्य को नीचे जमीन पर थूक दिया और फिर से चूस कर मेरा पूरा वीर्य निकाल कर साईड में नीचे थूक दिया।
अब उसने अपनी कोहनियों पर अपनी पोजीशन ले ली । अब उसका पूरा ध्यान स्वयं के लण्ड पर था जिसे वो मस्ती से हौले हौले मेरे मुख को चोद रहा था। तभी उसने अपने लण्ड का पूरा जोर लगा कर लण्ड मेरे हलक तक उतार दिया और अपना वीर्य छोड़ दिया। उसका सारा वीर्य मेरे गले से सीधे उतर गया और मैं खांस उठा। उसने अपना लन्ड थोड़ा ऊपर करके मुँह में ही रहने दिया और उसका सारा वीर्य मेरे मुँह में भरने लगा। स्वाद रहित चिकना सा वीर्य, पहली बार किसी के वीर्य का स्वाद लिया था। उसके पांवों के बीच मेरा मुख जकड़ा हुआ था, उसका रस गले से नीचे उतर गया और अब उसने मुझे ढीला छोड़ा और मेरे ऊपर से हट गया। इस प्रकार के मैथुन में मुझे आर भी आनन्द आया।
उन्हीं दिनों चन्दू का कम्प्यूटर भी आ गया। हमारा इस तरह का दौर लगभग रोज ही चलता था। हम दोनों सन्तुष्ट हो कर फिर से पढ़ाई में लग जाते थे।
एक बार रात को चन्दू बड़े गौर से एक गे की सीडी देख रहा था। एक लड़का दूसरे लड़के की गान्ड मार रहा था। मैंने भी उस सीन को बहुत बार लगा कर देखा और फिर हम एक दूसरे को प्रश्न वाचक नजरों से देखने लगे।
“ये तो मुश्किल काम है ना… गान्ड का छेद तो इतना सा होता है… कैसे घुस जाता है यार… कहानियों में भी गान्ड की मारा मारी बहुत होती है।” मैंने हैरानी से कहा।
“तू कहे तो एक बार कोशिश करें क्या … अपने पास सोलिड लन्ड तो है ही ना…इस फ़िल्म को देख जब इस सीन में लन्ड गान्ड में घुसा है, ये सच तो लगता है… ये कुछ चिकनाई भी तो लगाते हैं ना…!”
उस सीन को देख कर लन्ड तो दोनों का ही खड़ा था… दोनों ने कपड़े उतार लिये… मैंने ही पहल की।
“देख मैं झुक जाता हूँ… तू अपना लन्ड मेरी गाण्ड में घुसाने की कोशिश कर…”
चन्दू ने यह देखा और तेल की शीशी देख कर कहा, “तेल लगा लेते हैं…!”
उसने तेल की शीशी से तेल मेरी गान्ड में लगा दिया और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गान्ड से चिपका दिया। मेरी गान्ड का छेद डर के मारे और कस गया।
“अरे… गान्ड को ढीली छोड़ ना…” मैंने हिम्मत करके छेद को ढीला छोड़ दिया। उसने थोड़ा जोर लगाया और अन्ततः उसका सुपाड़ा अन्दर चला ही गया। मुझे बड़ा अजीब सा लगने लगा… ये मेरी गाण्ड में मोटा सा ये क्या फ़ंस गया… उसका मोटा सा लन्ड मुझे उसकी मोटाई का अहसास दिला रहा था। उसने जोश में आकर लण्ड को जोर से अन्दर की ओर मारा… उसके मुख से आह निकल पड़ी और उसने तुरन्त अपना लन्ड बाहर निकाल लिया। मुझे भी एक बार गान्ड में दर्द हुआ पर उसके लन्ड निकालते ही आराम हो गया।
“मुझसे नहीं होता है यार …” चन्दू ने अपना लण्ड सम्भालते हुये कहा।
“क्या हो गया… साले तेरे में दम नहीं है गान्ड मारने का, चल तू घोड़ी बन, मैं चोदता हूँ तेरी मस्त गान्ड को… चल घोड़ी बन जा…” मैंने भी उसे घोड़ी बना दिया… और तेल उसकी गान्ड में भर दिया। लण्ड की चमड़ी ऊपर खींच कर मैंने सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी गान्ड ने अंगुली कर के देखा, मुझे तो उसकी गान्ड मस्त लगी। मैंने अंगुली घुमाते हुये उसके छेद को खोला और सुपाड़ा उस पर रख दिया। दबाव डालते ही मेरा लन्ड छेद में घुस गया। चन्दू थोड़ा सा बैचेन हो उठा … मैंने जोर लगा कर लण्ड को धक्का दिया… मुझे अचानक ही तेज जलन हुई, जैसे आग लग गई हो… मैंने लण्ड जल्दी से बाहर निकाल लिया। देखा तो मेरे लण्ड की झिल्ली फ़ट गई थी और कुछ खून की बून्दें उस पर उभर आई थी। कमोबेश चन्दू का भी यही हाल था। हम समझ गये थे कि ये तो लण्ड के कुंवारेपन की निशानी थी, जो अब फ़ट कर जवानी की याद दिला रही थी। हमने अपने लण्ड को साफ़ किया और असमन्जस की स्थिति में सो गये।
अगले दिन भी हम दोनों के लण्ड में दर्द था, सो बस रात को हम कम्प्यूटर पर यूं ही सर्च कर रहे थे। अचानक एक जगह सेक्स कहानियों के बारे लिखा हुआ नजर आया, यह अन्तर्वासना साईट थी। साईट के खुलने पर हमें बहुत सी या कहिये कि अनगिनत कहानियाँ वहां पर मिली। उन कहानियों के पढ़ने पर हमें यह मालूम हुआ कि हमारी स्किन जो फ़टी थी वो तो एक दो दिन में ठीक हो जाती है। गान्ड मारने के बारे में भी पढ़ा और हम दोनों उत्साहित हो उठे। इन रस भरी कहानियों का भरपूर संग्रह मिल जाने से हमने मार्केट से अश्लील पुस्तकें लाना बन्द कर दिया।
अगले दिन हम दोनों ने सच में महसूस किया कि हमारे लण्ड अब ठीक हो चुके है तब हमने कहानियों के अनुसार ही किया। पहले मैंने ट्राई की, मैंने अंगुलिया घुमा कर गाण्ड का छेद चौड़ा किया। मैं तेल लगाता गया और अंगुली घुमाता गया, फिर अपना सुपाड़ा छेद पर रख कर अन्दर धकेला तो आराम से घुस गया। पर हां, गान्ड कसी हुई थी। मैंने डरते डरते लण्ड और अन्दर घुसेड़ा… लण्ड में तो दर्द नहीं हुआ पर चन्दू के मुख से कराह निकल गई। पर मुझे तो लण्ड में मीठी सी वासनायुक्त कसक भरने लगी। इस मीठी सी सुरसुरी का आनद लेने के लिये मैंने अपना लण्ड धक्का दे कर पूरा घुसेड़ दिया।
उसे शायद दर्द हुआ… पर मैं आनन्द के मारे झूम उठा था और उसकी गाण्ड में लन्ड अन्दर बाहर करना आरम्भ कर दिया। अब मुझे मालूम चल रहा था कि लड़कियों की चूत मारने में भी ऐसा ही मजा आता होगा। उसकी तंग़ गाण्ड मारने में मुझे एक अनोखा ही आनन्द आ रहा था। लन्ड खूब रगड़ रगड़ चल रहा था। मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो पूरा जोर लगा कर लन्ड को उसकी गान्ड में मारने लगा… फिर मेरे लण्ड से रस निकल पड़ा और उसकी गाण्ड में भरने लगा। मैंने लण्ड खींच कर बाहर निकाल लिया और बाकी का वीर्य बाहर निकाल दिया। उसकी गान्ड का छेद लण्ड निकालने पर खुला रह गया था और कुछ ही पलों में अब बन्द हो गया था। चन्दू के चेहरे पर पसीना था।
कुछ ही देर में उसने मुझे घोड़ी बना दिया और उसने भी मेरे साथ वही किया। वो मेरी गान्ड का छेद अंगुली डाल कर खींच खींच कर चौड़ा करने लगा। मुझे ऐसा करने से छेद में जलन तो हुई पर अधिक नहीं… बल्कि उसकी अंगुली गान्ड में मीठा सा मजा दे रही थी। कुछ ही देर में उसका सोलिड लन्ड मेरी गान्ड में घुस पड़ा। उसने मेरी गाण्ड में लण्ड धीरे से घुसाया और बड़े प्यार से मेरी गाण्ड मारने लगा। मुझे दर्द तो हो रहा था पर अधिक नहीं। उसका लन्ड मुझे गान्ड में चलता हुआ बहुत मजा दे रहा था। पर जोश में उसके तेज झटके दर्द दे जाते थे…। कुछ ही देर में वो भी झड़ गया। पर उसने अपना वीर्य पूरा ही गान्ड में भर दिया। उसका लन्ड गान्ड में ही सिकुड़ गया था और चिकने वीर्य के साथ सुरसुराता हुआ अपने आप बाहर आ गया।
हम दोनों ही बहुत खुश थे कि अब हमें लडकियों की कोई आवश्यकता नहीं थी… हमें अपना वीर्य निकालने के लिये एक छेद मिल गया था। एक दूसरे के चूतड़ों की नरम गद्दी का एक मधुर सा मजा लण्ड के आस पास गान्ड मारने पर आता था। हम दोनों धीरे धीरे गान्ड मारने और मराने के अभ्यस्त हो चुके थे … अब इस कार्य में बहुत ही मजा आने लगा था। हम अब सप्ताह में दो बार पूरी तैयारी के साथ गान्ड मारते थे। हम अब व्हिस्की लाते, साथ में चिकन और नमकीन लाते और ब्लू फ़िल्म लगा कर रात को कम्प्यूटर पर आराम से देखते और फिर उत्तेजित हो कर आपस में गाण्ड मारते और मराने लगे थे। Hindi Porn Stories
अंधेरे में एक साया एक घर Antarvasna Sex Stories के पास रुका और सावधानी से उसने यहाँ-वहाँ देखा। सामने के घर की छोटी सी दीवार को एक फ़ुर्तीले और कसरती जवान की तरह उछल कर फ़ांद गया और वहाँ लगी झाड़ियों में दुबक गया।
कमरे में रीना बिस्तर पर लेटी हुई कसमसा रही थी, उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे अचानक लगा कि उसके घर में कोई कूदा है। वह दुविधा में रही, फिर उठ कर खिड़की के पास आ गई। उसे एक साया दिखा जो झाड़ियों के पास खड़ा था।
वो साया दबे पांव अन्दर की ओर बढ़ रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि मुख्य दरवाजा खुला हुआ था। वो तेजी से अन्दर आ गया और सीधे मौसी के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। रीना का दिल धक-धक करने लगा, पर उसे ताज्जुब हुआ कि वो मौसी के कमरे में ना जाकर ऊपर सीढ़ियों पर चला गया।
उसने अंधेरे में तुरंत अपना मोबाईल निकाला और अपनी पड़ोसन शमा आण्टी को फोन किया,”आण्टी, हमारे घर में कोई चोर घुस आया है।”
” क्या… क्या … कहाँ है वो अभी ?”
“वो ऊपर गया है”
“रूपा कहाँ है…।”
“शायद सो रही है…”
“ओह्ह्… तुम सो जाओ वो चोर नहीं है ?”
“तो आण्टी ???”
“वो दिल का चोर है… तुम्हारी आन्टी भी ऊपर ही है… सो जाओ !” शमा की खनकती हंसी सुनाई दी ।
रीना ने फोन बन्द कर दिया। ओह्ह्… तो यह बात है… यह मौसी का यार है !!! अरे ये वही तो नहीं है जो सवेरे चाय पी रहा था। इसका मतलब यह रात भर मौसी के साथ रहेगा। मौसा अक्सर बिजनेस यात्रा पर चले जाते थे।
“तो क्या मौसी … छी … छी … ऐसा नहीं हो सकता। मैं ऊपर जाकर देखूँ? हाँ यह ठीक रहेगा।” रीना ने धीरे से दरवाजा खोला और नंगे पांव सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ गई। मौसी के कमरे की लाईट जल रही थी। मतलब वो अभी तक सोई नहीं थी। वो चुपचाप सीढियाँ चढ़ गई। सारी खिड़कियाँ बन्द थी। पर हां खिड़की के पास एक पत्थर की बेन्च थी, उसके ऊपर ही एक खुला रोशनदान था। रीना बेन्च पर चढ़ गई।
जैसे ही अन्दर झांका तो जैसे उसके दिल की धड़कन रुक गई। वो लड़का वही था… उसका नाम आशू था। वो बिल्कुल नंगा खड़ा था और उसका लण्ड लम्बा सा और मोटा सा था। उसका सीधा खड़ा और तन्नाया हुआ लण्ड बड़ा ही मनमोहक लग रहा था।
मौसी बस एक पेटीकोट में थी, उनका ब्लाऊज उतर चुका था। उनकी दोनों चूचियां खूबसूरत थी, गोल गोल, भूरे भूरे निपल, आशू ने मौसी को प्यार से चूम लिया और बदले में मौसी में उसके फ़डकते हुये लण्ड को अपनी मुठ्ठी की गिरफ़्त में ले लिया। उसे प्यार से सहलाते हुये उसके लण्ड अपना हाथ आगे पीछे चलाने लगी।
रीना का दिल कांप उठा। धड़कन बढ़ गई। उसके मन में वासना जाग उठी।
“आशू, मस्त लण्ड के मजे कुछ ओर ही होते हैं… हैं ना…?”
“रूपा, और मस्त चूत भी कमाल की होती है… जैसे आपकी है !”
“कल तो तू बड़ा रीना की चूत मारने की बात कर रहा था…?”
“वो तो नई चूत है ना … अभी तक चुदी नहीं होगी… आप आदेश दे तो उसे भी सेट करें?”
“अभी तो मेरी चूत कुलबुला रही है… चल अपना लौड़ा अब चूत में घुसा डाल… रीना को तो पटा ही लेंगे… अब बेचारी के पास चूत है तो लण्ड तो चाहिये ही ! है ना?”
आशू हंस पड़ा और रूपा से लिपट गया। कुछ देर तक तो वो कुत्ते की तरह लण्ड चूत पर मारता रहा फिर चूत के द्वार पर अपने आप ही सेट हो गया और चूत के पट खोलता हुआ अन्दर घुस गया। रूपा आशू से लिपट गई और एक टांग उठा कर आशू की कमर में डाल दी और लण्ड को अपनी चूत में सेट कर लिया।
रीना का बदन पसीने से भीग गया, सांस फ़ूलने लगी। उसकी चूत भी रिसने लगी और गीली हो उठी। अपने चुदने की बात से उसे अपनी पहली चुदाई याद हो आई। दोनों की कमर धीरे हिलने लगी और रूपा चुदने लगी। दोनों के मुख से वासना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी।
“हाय रे आशू, भगवान ने भी क्य मस्त चीज़ें बनाई हैं… धरती पर ही स्वर्ग का आनन्द ले लो !”
“हां देखो ना आपके अधर रस से भरे, आंखों में जैसे शराब भरी हुई है, गुलाबी गाल को सेब की तरह काटने को मन करता है… चल बिस्तर पर चुदाई करते हैं !”
” नहीं रे अभी नहीं … अभी थोड़ा सा गाण्ड को भी तो मस्ती दे यार !” और उसका लण्ड बाहर निकाल कर पीछे घूम गई और घोड़ी बन कर चूतड़ उभार दिये…
जैसे ही आशू का लण्ड गाण्ड के छेद रखा… रीना सिहर गई। रीना का मन उनकी पूरी चुदाई देखने को हो रहा था, और अब तो ये हालत थी कि उसकी चूत भी फ़डफ़डा उठी थी। उसने अपनी चूत को अपने हाथ से हौले से दबा दी। उसकी चड्डी बाहर तक गीली हो गई थी और चिपचिपापन बाहर से ही लग रहा था। उसके सारे शरीर में एक वासना भरी कसक भर उठी थी। रूपा की ग़ाण्ड के दोनों गोल गोल उभरे हुये चूतड़ किसी का भी लण्ड खड़ा कर सकते थे।
आशू ने हल्का सा ही जोर लगाया और उसका लोहे जैसा डण्डा उसकी गाण्ड के छेद में उतर गया। दोनों ही एक साथ सिसक उठे। उन दोनों का रोज का ही गाण्ड मराने का और फिर चुदाने का दौर चलता था।
सो रूपा की गाण्ड तो लण्ड ले ले कर मस्त हो चुकी थी। उसे दोनों ही छोर से चुदाने में मजा आता था। आशू ने रूपा के मस्त बोबे पकड़े और मसलने लगा। साथ ही साथ जोश में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। दोनों मस्ती के माहौल में डूबे हुये थे … हौले हौले सिसकी भरते हुये रूपा चुद रही थी। रीना की आंखें मदहोशी में डूबने लगी थी। उसका सारा शरीर पसीने से भीग उठा था। उसकी आंखों के कटोरे नशे से भर गये थे, नयन बोझिल हो गये थे। उसका बदन जैसे आग में जलने लगा था। उसकी नस नस में वासना की कसक भर चुकी थी। ऐसे में उसे यदि कोई मिल जये तो उसको जी भर के चोद सकता था। रूपा की गाण्ड चुद रही थी। आशू का लण्ड भी फ़ूलता जा रहा था।
उसे भी स्वर्ग का आनन्द आ रहा था। दोनों ही दीन दुनिया से बेखर जन्नत में विचरण कर रहे थे। रीना का मन सकता जा रहा था। उसकी चूत भी चुदाई करने जैसी हालत में आगे पीछे चलने लगी थी। जाने कब उसकी एक अंगुली उसने अपनी चूत में घुसा ली और चूत को शान्त करने की कोशिश करने लगी।
तभी आशू ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और रूपा झट से बिस्तर पर आ गई और उसने अपनी टांगें लेटे हुये ऊपर की ओर उठा ली। अपनी चूत को लण्ड को घुसेड़ने के लिये खोल दी। आशू भी उछल कर रूपा पर सवार हो गया। उसे अपने बदन के नीचे दबा लिया।
उसका लण्ड उसके मुख्य द्वार में घुस गया और अन्दर उतरता चला गया। दोनों ही एक बार फिर से सिसक उठे। दोनों के होंठ मिल गये और फिर दोनों के चूतड़ एक दूसरे दबाते हुये लण्ड को घुसाने लगे। दोनों एक लय में, एक ताल में चलने लगे और चुदाई आरम्भ हो गई। दोनों की वासना भरी चीखें कमरे में गूंजने लगी।
उस कामुकता भरे वातावरण में रीना का मन डोल उठा और उसने चुदाने की सोच ली।
पर अभी चुदाई चल ही चल ही रही थी… उसे देखने का लोभ वो छोड़ ना सकी। रुपा की चुदाई के बाद वो भी कमरे में घुस कर चुदवाना चाहती थी। रीना की चूत मारे गुदगुदी के बेहाल हो रही थी। बार बार अपनी अंगुली चूत में घुसा लेती थी।
तभी रूपा की चीख निकल पड़ी और वो झड़ने लगी। आशू भी साण्ड की तरह अपना मुँह ऊपर करके जोर लगा कर झड़ने की तैयारी में ही था। कुछ ही क्षणों में उसने अपना चेहरा ऊपर करके हुन्कार भरी और लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य उसकी उसके बदन पर बिखेरने लगा। रीना ने देखा कि मामला तो अब शान्त हो चुका है, बड़े बेमन से वो पत्थर की बेंच पर से उतरी और दबे पांवो से सीढ़ियाँ उतर गई।
उसकी चूत की हालत यह थी कि उसकी चड्डी सामने से गीली हो चुकी थी। कमरे में घुसते ही उसने मोमबत्ती ली और बिस्तर पर लुढ़क गई। अपनी चूत को मोमबत्ती से शान्त किया, फिर वो निद्रा में लीन हो गई। सुबह तक उसकी चड्डी सूख कर कड़क हो गई थी। उसकी चूत का पानी भी यहां वहां फ़ैल कर जांघ से चिपक गया था। उसने अपनी फ़्रॉक को नीचे खींचा और कमरे से बाहर निकल आई। उसने अपने खुले टॉप की तरफ़ भी ध्यान नहीं दिया। उसने बाहर आकर दोनों हाथों को उठाकर और आंखे बंद करके एक मदमस्त अंगड़ाई ली, पर आँखें खुलते ही उसने देखा कि आशू सामने खड़ा था। वो उसे आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर यूं घूर रहा था जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो।
रीना ने उसे देखा और घबरा कर वापस अपने कमरे में आ गई। आशू भी मुस्कुरा पड़ा और रीना भी कमरे में मुस्कुरा उठी।
वो तुरंत बाथरूम में जाकर नहा धो कर फ़्रेश हो गई। उसने रूपा के कमरे में जैसे ही कदम रखा तो उसे आशू वहाँ नहीं मिला। वो जा चुका था।
रात को खाना खाने के बाद रूपा अपने कमरे में आराम करने लगी, तभी रीना भी वहाँ पर आ गई।
“मौसी, मैं भी आपके पास लेट जाऊं?”
मौसी एक तरफ़ खिसक गई। रीना उनके पास लेट गई।
“मौसी, एक बात पूछूँ… ये आशू क्या करता है…?” रीना ने धीरे से पूछा।
रूपा ने उसकी तरफ़ करवट ली और कहा,”क्यूं क्या बात है … है ना सुन्दर लड़का…?”
“हां मौसी, सुन्दर तो है, पर मेरे से वो बात ही नहीं करता है…” रीना अपनी चूंचियां रूपा की बांह से दबाती हुई बोली। रुपा को रीना की बैचेनी का अहसास हो गया था। उसने अपनी बांह को उसकी चूंचियों पर और दबाते हुए कहा,”अरे, वो तो तुम्हारी ही बात करता है … कहो तो उससे दोस्ती करा दूँ…!”
रीना को अपनी चूंची पर दबाव महसूस हुआ तो उसके मन में तरगें फ़ूट पड़ी।
“सच मौसी, मान जायेगा वो…आप कितनी अच्छी हैं…!” रीना ने अपनी चूची को उनकी बांह पर पूरा दबाते हुये उन्हें चूम लिया।
“लगता है तेरा मन भटक रहा है… अब तेरी शादी करा देनी चाहिये !” मौसी ने मन की बात पढ़ ली थी।
“मौसी, शादी तो करा देना… पर मन को तो हल्का कर दो… !” रीना की आवाज में कसक थी। रूपा ने उसकी बैचेनी को देखते हुये अपने हाथों में रीना की दोनों चूंचियां भर ली।
“मेरी रीना, अभी तो ये ले … फिर समय आने दे… आशू भी मिल जायेगा…!”
रीना सिसक उठी और रूपा से लिपट गई। रूपा ने भी मौके का पूरा फ़ायदा उठाया और अपनी एक चूंची उसके मुँह से रगड़ दी। रीना ने भी रूपा को पटाना उचित समझा और उसके ब्लाऊज को ऊपर खींच कर उसकी चूंची को अपने मुँह में भर लिया। रुपा भावना में बह चली। दोनों ही वासना में लिप्त हो कर एक दूसरे के बदन से खेलने लगी थी। अंधेरा बढ़ चला था। तभी आशू ने हौले से कमरे के भीतर कदम रखा। रीना चौंक गई, वो भूल गई थी कि आशू के आने समय हो चुका है।
रूपा तो रीना को बहला कर बस आशू के आने का ही इन्तज़ार कर रही थी। रीना तो लगभग नंगी ही थी, पर रुपा ने अभी भी पेटीकोट पहना हुआ तो था पर वो पूरा ही ऊपर उठा हुआ था।
“रीना, देख आशू आया है…”
” मौ… मौसी, मैं तो मर गई, कुछ दो ना… मुझे शरम लग रही है !” रीना हड़बड़ा गई।
“शरमा मत … ये तो मुझे रोज रात को चोदता है… चल आज तू चुदवा ले …” रूपा ने उसे धीरज बंधाते हुये कहा।
” रूपा जी आपने तो अपना वादा पूरा कर दिया … वाह … रीना जी यदि कहेंगी तो ही कुछ करने का मजा आयेगा… “
“आशू जी, आप तो अपने कपड़े उतारो … रीना आपका स्वागत करेगी… रीना कुछ तो कहो !”
“जी मैं क्या कहूँ… मुझे तो बहुत लज्जा आ रही है…” रीना ने मुँह छुपा रखा था। आशू रीना के और नजदीक आ गया था।
” आपके मुख के पास कुछ है… रीना जी… मुख खोलो तो…” आशू ने कहा।
रीना ने अपना मुख खोल दिया… और आशू ने अपना कोमल, नरम चमड़ी वाला कठोर लण्ड उसके होंठो से सहला दिया। रीना के शरीर में सनसनी फ़ैल गई। उसने धीरे से हाथ बढ़ा कर उसका लण्ड पकड़ लिया,”हाय राम… इतना बड़ा…?” रीना की भारी आंखे आशू की ओर उठ गई और उसे प्यार से निहारने लगी। वो एक दम नंगा उसके सामने खड़ा था। रूपा रीना की ओर देख-देख कर मुस्करा रही थी। उसने प्यार से रीना के सर पर हाथ फ़ेरा और आशू के लण्ड को उसके सर को दबा कर रीना के मुँह में प्रवेश करा दिया। रीना ने सारी शरम छोड़ कर आशू के चूतड़ पकड़ लिये और अपने मुँह में उसे भींच लिया।
रूपा ने आशू को चूम लिया और उसकी गाण्ड में अंगुली डालने लगी। आशू झुक कर रीना के सर को पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।
आशू को रूपा की अंगुली अपनी गाण्ड में बहुत भली लग रही थी। आशू जैसे रीना का मुख चोद रहा था। अब आशू ने रीना को लेटा दिया और उसकी चूंचियों को दबाने और मसलने लगा। उसके चुचूक जो बेहद कड़े हो चुके थे, उन्हें हौले हौले से सहलाने और अंगुलियों से खींचने लगा।
“आह मौसी, ऐसा मजा तो कभी नहीं आया… आशू जी, अब नहीं रहा जाता … प्लीज आ जाओ ना…”
“अभी से कहाँ रीना जी… जवानी का मजा तो लो अभी …” अब आशू के हाथ उसकी चूत की पंखुड़ियो के आस पास सहला रहे थे। बीच बीच में चूत के ऊपर रीना की यौवन-कलिका को भी सहला देता था। उसे हिला हिला कर रीना को असीम आनन्द दे रहा था। रीना की दोनों टांगें ऊपर उठने लगी थी। नतीजा यह हुआ कि उसकी गाण्ड का भूरा-भूरा कमल भी नजर आने लग गया था। आशू पंजों के बल बैठा था, सो रूपा भी आशू का आनन्द ले रही थी। कभी वो उसके लण्ड को मसल देती थी, कभी उसकी गोलियों को सहला देती थी, तो कभी उसकी गाण्ड में अपनी एक अंगुली घुसा देती थी। आशू भी थूक लगा कर रीना की गाण्ड में अंगुली घुसाने लगा था। उसकी गाण्ड के छेद को बड़ा कर रहा था, पर इस क्रिया में रीना मस्ती में बेहाल हुई जा रही थी। उसके मुख से सिसकारियाँ जोर से निकल रही थी, कभी कभी तो मस्ती में चीख भी उठती थी। आशू की अंगुलियाँ चूत में भी कमाल कर रही थी।
रूपा का दिल भी मचल उठा और जान करके उसने आशू का कड़कता लण्ड रीना की गाण्ड में रख दिया और आशू को कुछ कहा।
आशू मुस्कुरा उठा और उसने लण्ड का जोर गाण्ड के छेद पर लगा दिया। लण्ड रीना की गाण्ड में घुसता चला गया। रीना की गाण्ड तो कितनी बार उसके दोस्तो ने चोद रखी थी, सो लण्ड सरकता हुआ भीतर बैठने लगा। रीना ने भी अपनी गाण्ड थोड़ी ऊपर उठा दी। रूपा ने जल्दी से तकिया नीचे लगा दिया। रूपा ने आशू की गाण्ड में अपनी अंगुली फ़ंसाते हुये कहा,”आशू चोद दे साली को, ये तो पहले से ही खुली हुई है… लगा धक्के साली की गाण्ड में…”
“आह्ह्ह, आशू जी, जोर से चोद दो ना इसे … बहुत दिन हो गये इसे चुदवाये … आह्ह… लगा और जोर से…” रीना सीत्कार भरने लगी।
रीना की गाण्ड चुदने लगी … रीना को आनन्द आने लगा।
अब रुपा रीना के पास आ गई और उसके स्तन मुँह में भर कर चूसने लगी, कभी कभी वो उसके मुख को भी जोर से चूस लेती थी। कुछ देर तक यही दौर चलता रहा, फिर आशू ने अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया। रीना के मुख से आनन्द की जोर से आह निकल गई। तभी आशू ने रूपा की चूत में भी अपनी अंगुली प्रवेश करा दी। वो भी चिहुंक उठी। अब आशू का लण्ड रीना की चूत में घुस चुका था। रीना को लगा कि हाय, स्वर्ग है तो बस चूत में ही है…
रुपा भी अपनी चूतड़ आशू की तरफ़ उठाये थी और वो उसमें अपनी अंगुली फ़ंसाये हुये था। अब तो रीना की कमर और आशू की कमर बराबरी से चल रही थी। मस्त चुदाई का माहौल बना हुआ था। तीनों नशे में झूम रहे थे।
रीना तो जबरदस्त चुदाई मांग रही थी,”आशू, प्लीज ! मुझे जोर से चोदो ना… जल्दी जल्दी करो ना … मेल इंजन की तरह …”
आशू ने रुपा को एक तरफ़ किया और अपनी पोजिशन को फिर से सेट की और उसके पांव खींच कर पलंग के किनारे कर दिया और खुद खड़े हो कर पोजीशन बना ली। अब उसका लण्ड उसकी चूत के बिल्कुल सामने था।
“तो रीना रानी, चूत फ़ाड़ चुदाई के लिये तैयार हो…?”
“हां जी… अब देर ना लगाओ … मेरी तो अब फ़ाड़ दो आशू राजा !”
“लगता है पहले से मस्त चुदी चुदाई हो…!”
“आशू जी। आप भी तो मस्त चोदते हो ना… पुराने खिलाड़ी हो ना।”
तीनों ही हंस दिये। आशू ने अपना लण्ड पहले तो अपना लण्ड भीतर घुसा कर सेट कर लिया, फिर बोला,”हां जी… तैयार हो जाओ…” और कहते हुए उसने पूरा लण्ड निकाल कर पूरा ही जोर से धक्के के साथ घुसा डाला। रीना के मुख से खुशी की एक तेज चीख निकल गई। जल्दी ही दूसरा धक्का लगा जो जड़ तक चीर गया। फिर धक्के पर धक्के भीतर तक, चूत को फ़ाड़ देने वाले धक्के चलने लगे। रीना तेज धक्कों से प्रसन्न हो उठी। और उसे और तेज धक्कों के लिये प्रोत्साहित करने लगी। उसके मुख से आनन्द भरी चीखें वातावरण को और वासनामय बना रही थी। अब तो रीना के चूतड़ भी उछल उछल कर लण्ड भीतर तक लेकर चुदवा रहे थे। दोनों के दिल की धड़कनें तेज हो गई थी। पसीना छलक उठा था। रूपा दोनों का इस प्रकार का रूप देख कर विचलित हो रही थी और सोच रही थी कि आशू ने मेरी चुदाई तो कभी भी इस तरह से नहीं की थी। वो मन ही मन जल उठी।
तभी एक तेज चीख ने रूपा का ध्यान भंग कर दिया। रीना झड़ रही थी। उसका यौवन रस निकल पड़ा था। रीना अपना यौवन रस अपनी चूत लण्ड पर दबा कर निकाल रही थी। आशू को लगा जैसे कि रीना की चूत ढीली पड़ गई थी, उसमें पानी भरा हुआ था और लण्ड अब फ़च फ़च की आवाज कर रहा था। तभी रूपा ने अपने आप को आशू के सामने पेश कर दिया…
“उसका काम तो हो गया, आशू जी, मेरी ओर तो देखो, यहाँ तो आपको फिर से बेकरार एक चूत मिलेगी… उठो और मेरे से चिपक जाओ !” रूपा ने आशू को अपनी ओर खींचा। आशू का कड़कता लण्ड रीना की चूत से बाहर गया जो कि रस से नहाया हुआ था। रीना बिस्तर पर ही लोट लगा कर एक किनारे हो गई और रूपा को चुदने के लिये जगह दे दी। कुछ ही पलों में आशू का लण्ड रूपा की चूत में घुस चुका था। इस बार रुपा की बारी थी सिसकारी भरने की। पर आशू तो रीना को ही चोद कर झड़ने के करीब आ चुका था, सो रुपा को चोदते हुये कुछ देर में अपने आप को सम्हाल ना पाया और अपना वीर्य छोड़ने लगा। दोनों ही अब आशू से लिपट पड़ी और उसे अपने चुम्बनों से बेहाल कर दिया। रीना तो आशू का लण्ड मुँह में भर कर बचा खुचा वीर्य भी चट गई। रूपा और रीना भी आपस में लिपट कर एक दूसरे को प्यार करने लगी……
शेष दूसरे भाग में ! Antarvasna Sex Stories
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