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मेरी Hindi sex stories अपने दोस्त की मदद करने का ये सुनहरा मौका मिला कि अपने तो मजे ही मजे हो गए उधर दोस्त की माँ, इधर बुआ और आखिर में दोस्त की बहन की मदमस्त चुदाई का मौका मिला..
दोस्त की माँ को कैसे चोदा
प्यारे पाठकों और पाठिकाओं (चूत वालियों और लण्ड वालों) में रामू सबसे पहले मैं सभी चूत वालियों और लण्ड वालों को धन्यवाद देता हूँ.
मेरी कहानियाँ लोगों को काफ़ी पसन्द आई और मुझे ई-मेल के जरिये सभी का काफ़ी उत्तर मिला.
लोगों ने मुझे और सत्य कथा लिखने का हौसला दिया. इसलिए फिर से आप लोगों के पास एक सच्ची कहानी पेश कर रहा हूँ, आशा है पिछली कहानियों की तरह यह कहानी भी आप लोगों को पसन्द आएगी.
यह कहानी मेरे दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई की है. यह बात आज से 9-10 वर्ष पहले की है जब मेरी उम्र 20-21 साल की थीं. उन दिनों मैं मुम्बई में रहता था.
मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार प्रदीप रहने आया. वो किराये के मकान में अकेला रहता था. मेरी हमउम्र का था इसलिए हम दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. वो मुझ पर अधिक विश्वास रखता था क्योंकि मैं एक सरकारी कर्मचारी था और उससे ज्यादा पढ़ा लिखा था. वो एक निजी फैक्ट्री मे मशीन ऑपरेटर था.
उसके परिवर में केवल 4 सदस्य थे. उसकी विधवा माँ 41 साल की, विधवा बुआ (यानी कि उसकी माँ की सगी ननद) 35 साल की और उसकी कुँवारी बहन 18-19 साल की थीं. वे सब उसके गाँव में रहकर अपनी खेती बाड़ी करते थे.
दीवाली की छुट्टियों में उसकी माँ और बहन मुम्बई में 1 महीने के लिये आए हुए थे. दिसम्बर में उसकी माँ और बहन वापस गाँव जाने की जिद्द करने लगे. लेकिन काम अत्यधिक होने के कारण प्रदीप को 2 महीने तक कोई भी छुट्टी नहीं मिल सकती थीं. इसलिए वो परेशान रहने लगा.
वो चाहता था कि किसी का गाँव तक साथ हो तो वो माँ और बहन को उसके साथ भेज सकता है. लेकिन किसी का भी साथ नहीं मिला.
प्रदीप को परेशानी में देख कर मैंने पूछा, क्या बात है प्रदीप? आज कल तुम ज्यादा परेशान रहते हो!
प्रदीप: क्या करूं यार, काम ज्यादा होने के कारण मेरे ऑफ़िस में मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं मिल रही है और इधर माँ गाँव जाने की जिद कर रही हैं. मैं चाहता हूँ कि, अगर कोई गाँव तक किसी का साथ रहे तो माँ और बहन अच्छी तरह से गाँव पहुँच जायेंगी और मुझे भी चिन्ता नहीं रहेगी. लेकिन गाँव तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा है ना ही मुझे छुट्टी मिल रही है, इसलिए मैं काफ़ी परेशान हूँ.
रामू: यार अगर तुम्हे ऐतराज ना हो तो, मैं तुम्हारी परेशानी का हल कर सकता हूँ और मेरा भी फ़ायदा हो जायेगा.
प्रदीप: यार, मैं तुम्हारा यह एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूँगा! अगर तुम मेरी परेशानी हल कर दो तो. लेकिन यार, तुम कैसे मेरी परेशानी हल करोगे और कैसे तुम्हारा फ़ायदा होगा?
यार, सरकारी दफ्तर के अनुसार मुझे साल में 1 महीने की छुट्टी मिलती है. अगर मैं छुट्टी लेता हूँ तो मुझे गाँव या कही भी जाने का, आने जाने का किराया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती है. अगर मैं छुट्टी ना लूँ तो, 1 महीने की छुट्टी समाप्त हो जाती है और कुछ नहीं मिलता है.
प्रदीप: यार, तुम छुट्टी लेकर माँ और बहन को गाँव पहुँचा दो, इस बहाने तुम मेरा गाँव भी घूम आना!
अगले रामू से मैंने छुट्टी के लिए आवेदन पत्र दे दिया, और मेरी छुट्टी मंजूर हो गई.
प्रदीप ने साधारण टिकट लेकर हम दोनों को रेलवे स्टेशन पहुँचाने आया. हमने टीटी से विनती कर के किसी तरह बर्थ की 2 सीट ले ली.
गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुई.
रात करिब 10 बजे हमने खाना खाया और गपशप करने लगे. बहन ने कहा, भैया मुझे नींद आ रही है! और वो उपर के बर्थ पर सो गई.
कुछ देर बाद माँ भी नीचे के बर्थ पर चादर ओढ़ कर सो गई और कहा कि, तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जाना.
माँ की चूत और झांटों के दर्शन
मुझे भी थोड़ी देर बाद नींद आने लगी, और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया. सोने से पहले मैंने पैंट खोल कर शोर्ट पहन लिया.
माँ अपने बाईं तरफ़ करवट कर के सो गईं. कुछ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी उनकी चादर ओढ़ कर सो गया.
अचानक! रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि, माँ की साड़ी कमर के उपर थीं और उनकी चूत घनी झांटों के बीच छुपी थीं. उनका हाथ मेरे शोर्ट पर लण्ड के करीब था.
यह सब देख कर मेरा लण्ड शोर्ट के अन्दर फड़फड़ाने लगा. मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि, क्या करूँ. मैं उठकर पेशाब करने चला गया.
जब वापस आया मैंने चादर उठा कर देखा कि, माँ अभी तक उसी अवस्था में सोई थीं. मैं भी उनकी तरफ़ करवट कर के सो गया. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थीं.
मेरे लण्ड से माँ की चूत का मिलन
बार बार मेरी आँखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी. थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया. वहाँ 5 मिनट तक ट्रेन रुकी थी और, मैं विचार कर रहा था कि क्या करूँ!
जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाईट चली गई. मैंने सोचा कि, भगवान भी मेरा साथ दे रहा है.
मैंने अपना लण्ड शोर्ट से निकल कर लण्ड के सुपाड़े की टोपी नीचे सरका कर सुपाड़े पर ढेर सारा थूक लगा कर सुपाड़े को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा.
गाड़ी के धक्के के कारण आधा सुपाड़ा उनकी चूत में चला गया लेकिन, माँ की तरफ़ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद में थीं, या वो जानबूझ कर कोई हरकत नहीं कर रही थीं.
मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
एक बार तो मेरा दिल हुआ कि, एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लण्ड चूत में डाल दूँ. लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिम्मत नहीं हुई.
गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लण्ड ने ढेर सारा फ़व्वारा उनकी चूत और झांटों के ऊपर निकाल दिया.
अब मैं अपना लण्ड शोर्ट में डाल कर सो गया.
करीब सवेरे 7 बजे माँ ने उठाया और कहा कि, चाय पिलो और तैयार हो जाओ क्योंकि 1 घन्टे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ़्रेश हो कर तैयार हो गया.
स्टेशन आने तक माँ बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम प्रदीप के घर पहुँचे.
वहाँ पर प्रदीप की बुआ ने हमारा स्वागत किया और कहा- नहा धोकर नाश्ता कर लो.
हम नहा धोकर आँगन में बैठ कर नाश्ता करने लगे.
करीब 11:00 बजे बुआ ने माँ से कहा- भाभी जी आप लोग थक गए होंगे, आप आराम कीजिये मैं खेत में जा रही हूँ और मैं शाम को लौटूंगी.
माँ ने कहा, ठीक है! और मुझसे बोली, अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर लो नहीं तो बुआ के साथ जा कर खेत देख लेना.
मैंने कहा कि, मैं आराम नहीं करुगा क्योंकि मेरी नींद पूरी हो गई है! मैं बुआ जी के साथ खेत चला जाता हूँ, वहाँ पर मेरा समय भी पास हो जायेगा.
मैं और बुआ खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगों ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था. खेत की एक कोने मे एक छोटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी न था.
खेत पहुँच कर बुआ जी काम में लग गईं और कहा कि, तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लुंगी भी है चाहे तो, लुंगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद कर दो.
मैं मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लुंगी बनियान पहनकर बुआ जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी-कभी मेरा हाथ बुआ जी के चूतड़ पर भी टच होता था.
कुछ देर बाद बुआ जी से मैंने पूछा- बुआ जी यहाँ कहीं पेशाब करने की जगह है?
बुआ जी बोली- मकान के पीछे झाड़ियों में जाकर कर लो.
मैं जब पेशाब कर के वापस आया तो देखा बुआ जी अब भी काम कर रही थीं.
थोड़ी देर बाद बुआ जी बोलीं- आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फ़िर काम में लग जाएँगे.
अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और बुआ दोनों ने पहले हाथ पैर धोये फिर खाना खाने बैठ गए. बुआ जी मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थीं.
बुआ की चूचियों और चूत के दर्शन
खाना खाते समय मैंने देखा कि, मेरी लुंगी जरा साईड में हट गई थी. जिस कारण मेरी चड्डी से आधा निकला हुआ लण्ड दिखाई दे रहा था और बुआ जी की नज़र बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा और, बीच बीच में उनकी नज़र मेरे लण्ड पर ही जा रही थीं.
खाना खाने के बाद बुआ जी बरतन धोने लगीं जब वो झुक कर बरतन धो रही थीं तो मुझे उनके बड़े बड़े बूब्स साफ़ नज़र आ रहे थे. उन्होंने केवल ब्लाऊज़ पहना हुआ था. बरतन धोने के बाद वो कमरे में आकर चटाई बिछा दी और बोलीं चलो थोड़ी देर आराम करते है. मैं चटाई पर आकर लेट गया.
बुआ बोलीं- बेटा! आज तो बड़ी गर्मी है!
कह कर उन्होंने अपनी साड़ी खोल दी और केवल पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ़ करवट कर के लेट गईं.
अचानक! मेरी नज़र उनके पेटीकोट पर गई. उनकी दाहिनी ओर की कमर पर जहाँ पेटीकोट का नाड़ा बंधा था वहा पर काफ़ी गेप था और, गेप से मैंने उनकी कुछ कुछ झांटे दिखाई दे रही थी.
अब मेरा लण्ड लुंगी के अन्दर हरकत करने लगा. थोड़ी देर बाद बुआ जी ने करवट बदली तो मैंने तुरंत आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा.
थोड़ी देर बाद बुआ जी उठीं और मकान के पीछे चल पड़ीं. मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया. खिड़की बंद थीं, लेकिन उसमे एक सुराख था.
मैं सुराख पर आँख लगाकर देखा तो मकान का पिछला भाग साफ़ दिखाई दे रहा था. बुआ वहाँ बैठ कर पेशाब करने लगी.
सब करने के बाद बुआ जी थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर, उठकर मकान के अन्दर आने लगी. फ़िर मैं तुरंत ही अपनी स्थान पर आकर लेट गया.
बुआ जी जब वापस मकान में आईं तो, मैं भी उठकर पिछली तरफ़ पेशाब करने चला गया. मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ़ लण्ड पकड़ कर पेशाब करने लगा.
मैंने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और बुआ जी की नज़र मेरे लण्ड पर थी.
मालिश के समय बुआ की चुदाई का विचार
पेशाब करके जब वापस आया तो देखा, बुआ जी चित लेटी हुई थीं. मेरे आने के बाद बुआ बोलीं बेटा आज मेरी कमर बहुत दुख रही है. क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो?
मैंने कहा- क्यों नहीं!
उसने कहा, ठीक है! सामने तेल की शीशी पड़ी है उसे लगा कर मेरी कमर की मालिश कर देना, और फिर वो पेट के बल लेट गईं. मैं तेल लगा कर उनकी कमर की मालिश करने लगा.
वो बोली- बेटा थोड़ा नीचे मालिश करो.
मैंने कहा- बुआ जी थोड़ा पेटीकोट का नाड़ा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटीकोट पर तेल भी नहीं लगेगा.
बुआ जी ने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया. अब मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा. उन्होंने और थोड़ा नीचे मालिश करने को कहा. मैं थोड़ा नीचे की तरफ़ मालिश करने लगा.
थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली, बस बेटा और नाड़ा बंद कर लेट गईं. मैं भी बगल में आकर लेट गया. अब मेरे दिल और दिमाग ने बुआ को कैसे चोदा जाए!
यह विचार करने लगा. आधे घण्टे के बाद बुआ जी उठी और साड़ी पहन कर अपने काम में लग गईं.
शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुँचे. घर पहुँचकर मैंने कहा- माँ मैं बाजार जा रहा हूँ और 1 घण्टे बाद आ जाऊँगा.
यह कहकर मैं बाजार की ओर निकल पड़ा.
कहानी जारी रहेगी.
कहानी का अगला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-2 Hindi sex stories
सबसे पहले तो मैं गुरूजी का Hindi Porn Stories आभार मानता हूँ कि उन्होंने मेरी सही अनुभव वाली दो कहानियाँ ‘स्वर्ग का अनुभव-१’ और ‘स्वर्ग का अनुभव-२’ प्रस्तुत की ! इस कहानी में मेरी कोई कल्पना नहीं है इसलिए जिसको काल्पनिक कहानी में ही मजा आता हो वो यह कहानी नहीं पढ़े ! मेरी पहली दो कहानी के बाद मुझे बहुत सारे मेल मिले ! इसलिए आज मैं मेरी तीसरी सही अनुभव वाली कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ!
मैं अहमदाबाद में रहने वाला ३६ साल का लड़का हूँ! मैं एक लिमिटेड कंपनी में अकाउंट मेनेजर की जॉब करता हूँ! आज मैं जो कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ वो उन्हीं में से एक लड़की की है जिसने मुझे मेल किया था ! उसका नाम कविता हे ! उसी की इच्छा थी कि मैं हम दोनों की कहानी लिखूँ ! उसी की इच्छा को मान देते हुए मैं यह कहानी लिख रहा हूँ ! वो भी अहमदाबाद में रहती है! उसने मेरी कहानी पढ़कर मुझसे मिलने का प्रस्ताव रखा था ! तो लीजिये अब आप सुनिए उसी की कहानी !
मेरी एक फ़ैन थी कविता ! मुझे भी उसमे बहुत दिलचस्पी होने लगी थी ! मैं भी उसको मिलने के लिए बेकरार था ! उसका मेल आते ही मैंने अपना सेल नंबर उसको भेजा था ! और एक दिन उसका फ़ोन मेरे मोबाइल पर आया ! पहले उसने मेरे बारे में जानकारी ली और फिर उसने मुझसे मिलने के लिए बोला !
मैं भी एक दिन ऑफिस में से आधी छुट्टी लेकर उसको मिलने के लिए चला गया ! हम रास्ते में कहीं मिले फिर हमने होटल में जाने का तय किया ! हम दोनों होटल में चले गए ! मैंने पहले स्नान कर लिया ! फिर मैं कमरे में आ गया ! तो अचानक उसने बोला कि मैं तुमसे नहीं मिल पाऊँगी ! वो कुछ घबराई हुई मुझे लगी ! क्योंकि पहली ही मुलाकात में हम होटल में पहुँच गए थे ! मेरी इच्छा उसे मिलने की बहुत थी ! मैं सोचता था कि काश वो मेरी लाइफ में होती तो मजा आ जाता ! वो दिखने में भी काफी खूबसूरत थी ! उसने बोला कि मैं तुमको छू भी नहीं पाऊँगी !
हमने थोड़ी देर बातें की फिर मैंने उसकी इच्छा को मानते हुए उसे जाने दिया ! मैं उस दिन तड़पता ही रह गया !
उसकी याद मेरे दिल से नहीं गई थी ! इस लिए मैंने उसे एक दिन मेल कर दिया ! तो उसका भी साथ ही फ़ोन आया कि हम युगल-कमरे में मिलते हैं! मुझे लगा कि युगल-कमरे में भी वो मुझे छूने नहीं देगी !
उस दिन हम दोनों युगल-कमरे में पहुँच गए ! मैं सोच रहा था कि उसको छू लूं या नहीं !
उसने अचानक मेरे हाथ को अपने चूचियों पर रख दिए ! मुझे तो लग रहा था कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ ! पर यह हकीकत थी ! फिर मैंने उसके चूचियाँ उसके शर्ट से बाहर निकाल दी ! उसकी चूचियाँ क़यामत थीं ! बिल्कुल तनी हुईं। उसके निप्पल बहुत ही ख़ूबसूरत थे।। मैंने उसकी चूचियों को हाथों से मसलना शुरु कर दिया और फिर दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लगा। हम दोनों को काफी मज़ा आ रहा था ! फिर मैंने उसकी पैंटी में अपना हाथ डाल दिया ! उसने अपनी पैंटी नीचे कर दी !
फिर मैं अपनी ऊँगली से उसकी चूत को सहलाने लगा ! उसके चूत में एक अजीब सी महक थी ! वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी ! फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में मेरी पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया और मसलने लगी ! मैंने अपना ७’’ के लंड को बाहर निकाल कर उसके हाथ में दे दिया ! उसको मेरा लंड बहुत पसंद आया ! फिर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया ! मैं अब आपे में नहीं रह पाया ! फिर वो मेज़ पर आ गई ! मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया ! मैं काफी अन्दर तक अपनी जीभ ले जा कर उसकी चूत को चाटता था ! वो अब मदहोश होने लगी थी ! उसे बहुत मजा आने लगा ! मैं उसकी चूत का सारा पानी निगल गया ! वो अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थी ! फिर मैंने खड़े हो कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया ! फिर मैं उसकी चुदाई करने लगा ! मैं बहुत जोर से धक्का देकर चुदाई करने लगा ! उसको भी उसमें बहुत मजा आने लगा ! ऐसा करने से आवाज भी बाहर जाने लगी थी ! पर हम तो अपने में ही मस्त हो चुके थे ! हम दोनों उस वक्त सेक्स में पूरे खो चुके थे ! फिर मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया ! वो भी झड़ चुकी थी ! उस दिन स्वर्ग का अनुभव क्या होता है वो हमने महसूस कर लिया !
उस दिन के बाद हम दो बार और कमरे में मिले थे !
अगर आपको मेरी सही अनुभव वाली कहानी पसंद आई हो तो मुझे मेल करे ! Hindi Porn Stories
sex stories....मेरा नाम गिन्नी है. मेरी उम्र 19 साल की है और मैं बहुत ही खूबसूरत हूँ. मेरी दो सहेलियां हैं जिनका नाम पिंकी और शिखा है. वो दोनों मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ती थीं. हम तीनों ही बहुत ही सेक्सी थी. कॉलेज में ही हमारा ढेर सारे लड़कों से शारीरिक सम्बन्ध था. हम तीनों ही उन सब लौंडों से खूब चुदवाती थीं.
शिखा चुदवाने में सबसे ज्यादा तेज थी. शिखा हमेशा ही खूब लम्बे और मोटे लंड की तलाश में रहती थी.
पिंकी को कई लड़कों से एक साथ चुदवाने में ज्यादा मजा आता था लेकिन उसे ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं था. जहाँ तक मेरा सवाल है तो मुझे एक साथ चुत और गांड दोनों में लंड लेना पसंद था.
पढ़ाई खत्म होने के बाद पिंकी और मैं 2 साल के लिए दूसरे शहर में पढ़ने चली गई. हमारे जाने के 6 महीने के बाद ही शिखा की शादी उसी शहर में जय के साथ हो गई थी. जय बहुत ही अमीर आदमी था और अय्याश भी था. शिखा ने हम दोनों को भी शादी में बुलाया लेकिन हम उसकी शादी में नहीं आ सकी.
शिखा ने अपनी शादी की दूसरी सालगिरह पर हम दोनों को बुलाया. मैं पिंकी के साथ शिखा के पास आ गई. शिखा ने हम दोनों को देखा, तो बहुत खुश हो गई. हम सबने आपस में खूब बातें की.
शिखा ने मुझे बताया कि वो शादी के बाद से और ज्यादा सेक्सी हो गई थी और वो कई आदमियों से चुदवा चुकी थी. उसकी एक दलाल से जान पहचान हो गई थी, जो कि अमीर औरतों को आदमी सप्लाई करता था. मैं जानती थी कि ये मुंबई के लिए आम बात है..
शिखा ने हम दोनों को लगभग 150 आदमियों के फोटो दिखाए और बोली- मैं इन सबसे चुदवा चुकी हूँ. वो सभी आदमी फोटो में एकदम नंगे थे. उन सब आदमियों का लंड एक से बढ़कर एक था. किसी का भी लंड 8″ से कम लम्बा नहीं था.
मैंने शिखा से कहा- इन सबका लंड तो बहुत ही लम्बा और मोटा है.
वो बोली- तू तो जानती ही है कि मुझे तो खूब मोटा और लम्बा लंड ही पसंद आता है और उसी से चुदवाने में मुझे मजा भी आता है. आज मैंने एक पार्टी रखी है. आज हम सब सारी रात चुदाई का पूरा मजा उठाएंगे.
फिर शिखा ने 6 मर्दों के फोटो हमारे सामने रखते हुए कहा- मैंने आज इन सबको बुलाया है.
मैंने पूछा- अगर जय आ गया तो?
वो बोली- वो तो महीने में 25 दिन बाहर ही रहता है. इसीलिए तो मैंने दूसरे आदमियों से चुदवाना शुरू किया है.
मैंने कहा- जय तुझे कुछ कहता नहीं है?
वो बोली- वो भी तो अय्याश है और तमाम लड़कियों को चोदता रहता है. मैं उसके सामने भी कई बार चुदवा चुकी हूँ.
मैंने कहा- तो फिर तूने आज 6 मर्दों को क्यों बुलाया है?
शिखा बोली- क्या तुम सबको नहीं चुदवाना है?
मैंने कहा- चुदवाना तो है लेकिन 6 मर्द एक साथ?
वो बोली- तो क्या हुआ? ज्यादा लंड होंगे तभी तो चुदाई का असली मजा आएगा.
मैंने कहा- इन सभी के लंड 11″ से कम नहीं हैं.
वो बोली- इसीलिए मैंने केवल इन्हें ही बुलाया है. मैं तो आज रात इन सबसे कम से कम 1 बार जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- शिखा, तू तो जानती है कि मुझे कई मर्दों से एक साथ चुदवाना पसंद है, लेकिन मैं ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद नहीं करती.
शिखा बोली- छोड़ यार, तूने लम्बे और मोटे लंड का मजा कभी लिया ही नहीं, फिर तू क्या जाने कि खूब लम्बे और मोटे लंड से चुदवाने का मजा क्या होता है. आज तो मैं तुझे इन सबसे जरूर चुदवाऊंगी.
पिंकी बोली- तब मेरी हालत एकदम खराब हो जाएगी क्योंकि इसमें से किसी का लंड 11″ से कम लम्बा नहीं है. मैं तो सुबह तक बिस्तर पर से हिलने डुलने के काबिल ही नहीं रहूँगी.
शिखा बोली- क्यों तुझे कल सुबह कहीं जाना है क्या?
पिंकी बोली- नहीं यार, कहीं नहीं जाना है. हम दोनों तो तेरे पास कम से कम 10 दिनों तक रहेंगी.
शिखा बोली- फिर सारा दिन तू बिस्तर पर ही आराम करना.
पिंकी- ठीक है.
उसके बाद शिखा ने मुझसे कहा- तेरा क्या ख्याल है गिन्नी?
मैंने कहा- तू तो जानती ही है, मुझे एक साथ दो लंड अन्दर लेना पसंद है. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. मैं पहले भी 11″ लम्बा लंड अन्दर ले चुकी हूँ. मैं तो इन सबसे कम से कम 2 बार जरूर चुदवाऊंगी.
शिखा बोली- फिर ठीक है. आज रात हम सबको चुदवाने में खूब मजा आएगा.
सारा दिन हम गपशप करते रहे. रात के 8 बजे एक सूमो आकर खड़ी हुई. उसमें से 6 हट्टे कट्टे जवान मर्द बाहर आए. मैं उन्हें देखकर खुश हो गई. पिंकी उन्हें देख कर थोड़ा परेशान हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- तू क्यों परेशान है.
वो बोली- इन सबके लंड के बारे में सोच कर मैं परेशान हूँ.
शिखा बोली- फिर तो आज सबसे पहले मैं तेरी ही चुदाई कराऊंगी.
पिंकी बोली- नहीं, मैं सबसे बाद में चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू लाख कोशिश कर ले लेकिन आज मैं सबसे पहले तुझे ही इन सबके हवाले करूँगी. ये सब तेरी चुदाई कर करके तेरी चुत को एकदम चौड़ा कर देंगें.
पिंकी बोली- इसका मतलब आज तू मेरा कत्ल करवाने पर तुली है.
शिखा बोली- कुछ ऐसा ही समझ ले.
पिंकी बोली- ये सब मेरी चुत की हालत खराब कर देंगें और साथ में मेरी भी.
शिखा बोली- मुझसे शर्त लगा ले. कल सुबह के पहले अगर तूने खुद ही इस अनिल से दोबारा नहीं चुदवाया तो मैं अपना नाम बदल दूँगी.
पिंकी बोली- ये अनिल कौन है?
शिखा बोली- अनिल सबसे ज्यादा देर तक चोदता है और बहुत ताकतवर भी है. मैं सबसे पहले उसी से तेरी चुदाई कराऊंगी.
ये सुन कर पिंकी चुप हो गई.
वो सभी अन्दर आ गए.
शिखा ने कहा- तुम सब कुछ पियोगे?
उसमें से एक बोला- आज रात बहुत मेहनत करनी है. हो सके तो कुछ ड्रिंक पिला दो.
शिखा ने उन सबको 1 बोतल शराब लाकर दे दी.
वो सब शराब पीने लगे.
शिखा ने पिंकी की तरफ़ इशारा करते हुए अनिल से कहा- ये मेरी सहेली पिंकी है. आज तक इसने 7″ से ज्यादा लम्बे लंड से नहीं चुदवाया है. तुम सबसे पहले इसकी चुदाई करो. मैं नहीं चाहती कि इसे बार बार तकलीफ़ उठानी पड़े. तुम इसकी चुत में एकदम बेरहमी से अपना लंड घुसा देना.
अनिल बोला- मैडम, फिर तो ये बहुत चिल्लाएगी.
शिखा ने कहा- तो क्या हुआ… एक बार ही तो चिल्लाएगी, उसके बाद इसे इन सबसे चुदवाने में मजा आएगा.
वो बोला- ठीक है मैडम, मैं एकदम रेडी हूँ, आप कहें तो मैं चुदाई शुरू कर दूँ?
शिखा बोली-हाँ, शुरू कर दो.
पिंकी ने शिखा से कहा- तू मुझे मरवाएगी क्या?
शिखा बोली- नहीं यार, मैं एक बार में ही तेरा काम तमाम कर देना चाहती हूँ, जिससे हम सब एक साथ मजा ले सकें. इसीलिए तो मैं सबसे पहले अनिल से ही तेरी चुदाई करने को कह रही हूँ.
तब तक अनिल पिंकी के पास आ गया. उसका लंड एकदम टाईट हो चुका था. उसका लंड लगभग 11″ लम्बा और 3″ मोटा था और वो बहुत ताकतवर भी लग रहा था. उसने पिंकी के सारे कपड़े उतार दिए और उसे बेड के किनारे लिटा दिया. उसके बाद वो पिंकी के पैरों के बीच में जमीन पर खड़ा हो गया.
उसने पिंकी की चुत के मुँह को फैला कर अपना लंड बीच में रख दिया.
शिखा ने बाक़ी के आदमियों को इशारा कर दिया, तो वो सभी पिंकी के पास आ गए. उन सबने पिंकी के हाथ जोर से पैर पकड़ लिए. एक ने अपना लंड पिंकी के मुँह में दे दिया. पिंकी उसका लंड चूसने लगी. तभी अनिल ने एक धक्का मारा. पिंकी ने उस आदमी का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जोर जोर से चिल्लाने लगी. उस आदमी ने दूसरा धक्का लगाया तो पिंकी बुरी तरह से चीखने लगी.
शिखा बोली- तू इतना चीख क्यों रही है.. साली 7″ लम्बा लंड तो तू पहले ही अन्दर ले चुकी है. इसका लंड तो अभी तेरी चुत में केवल 5″ ही घुसा है.
पिंकी बोली- इसका मोटा भी तो बहुत है.
अनिल जैसे ही रुका तो शिखा ने उसे जोर से डांटा- क्यों बे, रुक क्यों गया. घुसा अपना पूरा लंड इसकी चुत में.
अनिल बोला- गलती हो गई मैडम. अब मैं नहीं रुकूँगा.
अनिल ने पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोरदार दो धक्के लगाए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 8″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत से खून निकलने लगा और वो बहुत ही बुरी तरह से चिल्लाने और तड़फने लगी. पिंकी का सारा बदन पसीने से लथपथ हो चुका था.
अनिल ने एक गहरी सांस लेते हुए दो बहुत ही जोरदार धक्के और लगा दिए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड पिंकी की चुत में 10″ तक अन्दर घुस गया. पिंकी की चुत बुरी तरह से फैल चुकी थी. उसकी चुत ने अनिल के लंड को बुरी तरह से जकड़ रखा था. तभी अनिल ने पूरे ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा. इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड पिंकी की चुत में समा गया. उसके बाद अनिल ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी.
शिखा ने पिंकी से कहा- आखिर तूने इसका 11″ लम्बा लंड अन्दर ले ही लिया. अब तो तुझे खूब मजा आ रहा होगा.
वो बोली- मैं दर्द के मारे मरी जा रही हूँ और तुझे मजाक सूझ रहा है.
शिखा बोली- मेरी जान, बस 10 मिनट में ही तू एकदम पक्की चुदक्कड़ बन जाएगी और तुझे वो मजा आएगा कि तू भी मेरी तरह कभी छोटा और पतला लंड पसंद ही नहीं करेगी.
पिंकी मजा लेते हुए बोली- ये तो है.. लम्बा और मोटा लंड अन्दर लेने के बाद छोटा लंड भला किसे पसंद आएगा.
अनिल पिंकी को चोदता रहा और पिंकी मजे से चिल्लाती रही. दस मिनट की चुदाई के बाद जब पिंकी शांत हो गई तो शिखा ने अनिल से कहा- अब तू रहने दे.
पिंकी बोली- अब मुझे मजा आ रहा है तो तू इसे मना क्यों कर रही है.
शिखा बोली- अब तुझे रमेश चोदेगा, फिर उसके बाद राज.. जब तक मैं नहीं कहूँगी तब तक कोई भी अपने लंड का जूस तेरी चुत में नहीं निकालेगा.
पिंकी कलप कर बोली- तू ऐसा क्यों कर रही है?
शिखा बोली- बस, तू केवल देखती जा.
अनिल हट गया तो रमेश पिंकी को चोदने लगा. करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद राज ने पिंकी को चोदना शुरू किया. उसने भी लगभग 15 मिनट तक पिंकी की चुदाई की. उसके बाद कमल, केशरी और शिव ने पिंकी को लगभग 15-15 मिनट तक चोदा. पिंकी को अब मजा आने लगा था और उसे अब जरा सा भी दर्द नहीं हो रहा था. शिखा ने सभी को मना कर रखा था, इसलिए किसी ने अपने लंड का जूस उसकी चुत में नहीं निकाला.
शिखा ने अनिल और रमेश से मुझे चोदने को कहा. उन दोनों का लंड एक ही साइज़ का था. मैं अनिल के ऊपर आ गई और उसका लंड अपनी चुत में डाल लिया. रमेश मेरे पीछे आ गया और उसने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया. उसके बाद वो दोनों मुझे चोदने लगे.
राज शिखा को चोदने लगा. शिखा भी खूब मज़े ले ले कर चुदवा रही थी. मुझे भी खूब मजा आ रहा था.
बहुत दिनों के बाद मुझे बहुत अच्छे लंड से एक साथ चुदवाने का मौका मिला था. मैं भी जोर जोर से सिसकारियां भरते हुए उन दोनों के जोश को बढ़ा रही थी. वो दोनों भी बहुत ताकतवर थे और बहुत ही जोर जोर के धक्के लगा रहे थे.
उधर पिंकी पूरी मस्ती के साथ कमल, केशरी से चुदवा चुकी थी. अब उसे शिव चोद रहा था. उसे चुदवाते हुए लगभग 1 घंटे हो चुके थे. वो अब तक कई बार झड़ भी चुकी थी. अनिल और रमेश भी मुझे लगभग 30 मिनट तक चोद चुके थे. उन दोनों के हट जाने के बाद कमल और केशरी मुझे चोदने लगे. वो दोनों मेरी चुत और गांड की बुरी तरह से धुनाई कर रहे थे. मैं भी एकदम मस्ती के साथ चुदवा रही थी.
शिखा ने सभी को मना कर रखा था कि किसी के लंड से जूस नहीं निकलना चाहिए. वो सभी जब झड़ने वाले होते तो हट जाते थे. जब थोड़ी देर में उनका जोश कुछ ठंडा पड़ जाता तो वो फिर से शुरू हो जाते थे. वो सभी बारी बारी से हम तीनों की चुदाई कर रहे थे.
लगभग 3 घंटे तक हम सबकी चुदाई चलती रही. शिखा ने उन सबसे कहा- अब तुम सब रुक जाओ. वो सब हमारी चुतों से अपना लंड बाहर निकाल कर खड़े हो गए.
शिखा ने कहा- अनिल, अब तुम्हें मेरी गांड मारनी है.
अनिल बोला- मैडम, आप ने आज तक कभी गांड नहीं मरवाई है.
वो बोली- तो क्या हुआ. आज मेरे साथ मेरी सहेलियां भी हैं, इसलिए आज मैं गांड भी मरवाऊंगी. तुम मेरी गांड मारना शुरू कर दो. मुझ पर जरा सा भी रहम मत करना और पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड़ कर ही दम लेना.
वो लंड सहलाता हुआ बोला- ठीक है मैडम.
उसके बाद शिखा ने रमेश से कहा- रमेश, तुम पिंकी की गांड मारो और अपना पूरा लंड उसकी गांड में घुसा कर ही रुकना. नहीं तो समझ लो कि मैं तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँगी.
वो बोला- मैडम, मैं कोई गलती नहीं करूँगा.
पिंकी बोली- तू मुझे क्यों मारने पर तुली हुई है.
शिखा बोली- मैंने इसीलिए 6 आदमियों को बुलाया था. अब तू रमेश का लंड अपनी गांड के अन्दर लेगी और गिन्नी राज से गांड मरवाएगी. उसके बाद हम सबको 2-2 आदमी एक साथ चोदेंगें.
अनिल ने शिखा की गांड में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया. शिखा बहुत जोर जोर से चिल्ला रही थी. रमेश भी अपने लंड का सुपारा पिंकी की गांड के छेद पर रख चुका था.
पिंकी ने शिखा से कहा- खुद तो दर्द के मारे मरी जा रही है और मुझे भी फंसा दिया.
तभी रमेश का बहुत ही जोर का धक्का लगा. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी. मैं खड़ी हो कर तमाशा देख रही थी. अनिल और रमेश पूरी ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहे थे. सारा रूम चीखों से गूँज रहा था.
तभी राज ने मुझसे कहा- मैडम मैं भी शुरू कर दूँ?
मैंने कहा- मैं तो आदी हूँ. जरा इन दोनों की गांड में पूरा लंड तो घुस जाने दो उसके बाद तुम मेरी गांड मार लेना.
फिर 5 मिनट में ही शिखा और पिंकी की गांड में उन दोनों का पूरा का पूरा लंड समा चुका था. वो दोनों अब उनकी गांड मार रहे थे.
मैंने राज से कहा- चलो अब तुम भी शुरू हो जाओ.
राज ने मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. शिखा और पिंकी अभी भी बहुत जोर जोर से चीख रही थीं.
राज बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाता हुआ मेरी गांड मार रहा था. मुझे खूब मजा आ रहा था. दस मिनट के बाद शिखा और पिंकी शांत हो गईं. अब उन दोनों की गांड में अनिल और रमेश का लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था. उन दोनों ने 10 मिनट तक और गांड मरवाई.
उसके बाद शिखा बोली- अनिल और रमेश अब तुम दोनों रुक जाओ.
उन दोनों ने अपना लंड उनकी गांड से बाहर निकाला और हट गए.
शिखा बोली- रमेश तुम लेट जाओ. मैं तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेती हूँ और कमल पीछे से मेरी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने अनिल से कहा- तुम भी लेट जाओ. पिंकी तुम्हारे ऊपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चुत में डाल लेगी और केशरी उसके पीछे आ कर उसकी गांड मारेगा.
उसके बाद शिखा ने शिव से कहा- गिन्नी राज का लंड अपनी चुत में डाल लेगी और तुम पीछे से उसकी गांड मारना. इस बार तुम सब हमारी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से भर देना.
वो सब बोले- ठीक है मैडम.
शिखा ने जैसा कहा था, ठीक उसी तरह से हम सबकी चुदाई शुरू हो गई. लगभग 1 घंटे तक हमारी खूब जम कर चुदाई हुई. पिंकी ने पूरी मस्ती के साथ 2-2 लंड का एक साथ मजा लिया. शिखा ने भी पहली बार गांड मरवाने का पूरा मजा उठाया.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्यों बेबी, मजा आया?
पिंकी मुस्कुराते हुए बोली- कसम से बहुत मजा आया. मैं ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी लेकिन आज मेरा सारा डर खत्म हो गया. अब तो मैं हमेशा केवल खूब लम्बे और मोटे लंड से ही चुदवाऊंगी. तुम इन सभी से कह दो कि बिना रुके ही खूब जम कर मेरी चुदाई करें और मेरी चुत और गांड को अपने लंड के जूस से एकदम भर दें.
शिखा हंस कर बोली- ऐसा ही होगा, रानी जी.
पिंकी ने आँख मार दी.
शिखा ने उन सबसे कहा- तुमने सुना कि ये क्या कह रही हैं. अब तुम सब शुरू हो जाओ और मेरी सहेली को एकदम मस्त कर दो. ये जब तक मना ना करे, तुम सब इसे खूब जम कर चोदना.
उन सभी ने सुबह होने तक पिंकी को तरह तरह के आसनों में खूब जम कर चोदा और उसकी गांड मारी. सुबह को पिंकी ने उन सभी को खुद ही मना कर दिया. वो एकदम मस्त हो चुकी थी और थक कर चूर भी.
उसके बाद शिखा ने उन सबसे कहा- तुम सब 1-2 घंटे आराम कर लो. उसके बाद गिन्नी को भी इसी तरह से चोदना.
मैंने शिखा से कहा- क्या तू ऐसे ही रहेगी?
शिखा बोली- मेरा क्या, मैं तो हमेशा ही चुदवाती रहती हूँ. तुम दोनों मेरी सहेली हो और मेहमान भी.. पहले तुम दोनों का अच्छी तरह से स्वागत होना चाहिए.
उन सबने 2 घंटे तक आराम किया और फिर उसके बाद वो सब मुझ पर टूट पड़े. उन्होंने बहुत देर तक लगातार खूब जम कर मेरी चुदाई की और मेरी गांड भी मारी. मैं भी पिंकी की तरह से एकदम मस्त हो गई. मुझे बहुत दिनों के बाद चुदाई का मजा मिला और वो भी जी भर के मिला.
दोपहर के 3 बजे वो सब जाने लगे तो शिखा ने अनिल, रमेश और राज से कहा- तुम तीनों रात के 8 बजे आ जाना.
उसके बाद वो सब चले गए. पिंकी ने शिखा से कहा- अब जब मुझे चुदाई का असली मजा मिल गया है तो तूने आज केवल तीन को ही क्यों बुलाया है.
शिखा बोली- मेरी रानी, देखती जाओ.
शिखा ने अपने दलाल को फोन किया और उससे कहा कि रात के 8 बजे 6 आदमियों को और भेज देना लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि उन सभी का लंड 11″ से कम नहीं होना चाहिए और साथ में खूब मोटा भी होना चाहिए.
दलाल ने कहा कि भेज दूँगा.
रात के 8 बजे सूमो से 9 लोग आ गए. उन सभी का लंड एक से बढ़ कर एक था. उसमें से एक का नाम जयंत था. उसका लंड देखते ही पिंकी बहुत खुश हो गई.
शिखा ने पिंकी से पूछा- क्या बात है, तू जयंत को देख कर बहुत खुश हो रही है?
पिंकी बोली- मुझे इसका लंड बहुत ही शानदार लग रहा है. मैं तो आज सबसे पहले इसी से चुदवाऊंगी.
शिखा ने कहा- तू तो ज्यादा लम्बे और मोटे लंड से बहुत डरती थी.. आज तुझे क्या हो गया?
पिंकी बोली- तूने खूब लम्बे और मोटे लंड से मेरी चुदाई करा कर मेरी चुत और गांड में आग लगा दी है. अब तो मुझे इस आग को बुझाना ही है.
शिखा बोली- शाबाश बेबी, आखिर तू जान ही गई कि असली मजा क्या होता है.
जयंत का लंड लगभग 12″ लम्बा था और उन सभी के लंड से बहुत मोटा भी था. जयंत ने पिंकी की चुदाई शुरू कर दी. पिंकी जोर जोर से चीखने लगी.. लेकिन आज वो ज्यादा नहीं चीखी और थोड़ी ही देर में शांत हो गई. उसे जयंत से चुदवाने में खूब मजा आया. जयंत से चुदवाने में मैं भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में मुझे भी खूब मजा आया. शिखा का भी वही हाल हुआ. वो भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे भी खूब मजा आया.
सुबह तक उन सभी ने हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. हम सब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थीं. उसके बाद वो सब चले गए.
मैं पिंकी के साथ शिखा के पास 10 दिनों तक रही. हम सबने खूब जम कर चुदाई का मजा लिया.
एक दिन तो शिखा ने एक साथ 15 आदमियों को बुला लिया था. उन सभी ने तो हमारा चोद चोद कर बुरा हाल कर दिया. वो सभी रात के 8 बजे आए थे उन्होंने दूसरे दिन दोपहर तक हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांड भी मारी. उन सभी ने उस दिन हम तीनों को चोद चोद कर और हमारी गांड मार मार कर ऐसा बुरा हाल कर दिया था कि उनके जाने के बाद हम तीनों शाम तक बिस्तर पर से उठने के काबिल ही नहीं रह गए थे.
मेरी चुत और गांड का मुँह पहले से भी ज्यादा चौड़ा हो चुका था. पिंकी का तो पूछो मत, उसकी चुत और गांड भी एक चौड़े साइज़ की हो चुकी थी. उसे ही सबसे ज्यादा मजा आया. उसके बाद मैं पिंकी के साथ वापस चली आई.
वापस आते समय शिखा ने कहा- जब कभी भी इच्छा हो, आ जाना.
मैंने कहा- मैं जरूर आऊँगी.
पिंकी बोली- क्या तू मुझे अपने साथ नहीं ले आएगी?
मैंने पिंकी से मजाक किया, तुझे तो ज्यादा लम्बा और मोटा लंड पसंद ही नहीं है. फिर तू आकर क्या करेगी.
पिंकी ने मेरे गाल काट लिए और बोली- मेरी चुत और गांड में तो अभी भी आग लगी हुई है.
मैंने कहा- चल मैं तेरे लिए फ़िर से लंड ब्रिगेड बुला दूँगी. मेरी बात सुनकर वो जोर जोर से हंसने लगी.
आपकी अंतरा का सभी Hindi Porn Stories अन्तर्वासना के पाठकों को ढेर सारा धन्यवाद ! सबसे ज्यादा आभार तो गुरूजी का कि मेरी कहानी हवा में उड़ रही हूँ आप सब तक पहुंचाई!
तो दोस्तो, आप सब सोच रहे होंगे कि मैंने उस रात किसी तरह अपनी बुर मसलकर खुद को संभाल लिया पर मैं आगे की सोच रही थी।
उस रात के बाद से मैं जब भी मौका मिलता अपनी रांड माँ की नंगी रंगरेलियाँ जरूर देखती थी। मेरी बुर अब पानी छोड़ छोड़ कर प्यासी होती जा रही थी।
तो दोस्तो, मैंने अपना पहला शिकार अपने मास्टरजी को बनाया या शायद खुद ही बन गई !
मास्टरजी की उम्र ४०-४५ के आसपास थी लेकिन वो मस्त दीखते थे। जब से मैंने जवानी का खेल देखा था मेरा पढ़ाई में मन कम लगता था….
एक दिन मेरी सभी बहने माँ के साथ हमारे रिश्ते की मौसी के घर गई हुई थी। मुझे घर सँभालने के लिए छोड़ दिया था। मैं गुस्से में थी, पर क्या करती, मनहूस जो थी। पिताजी शहर गए थे जोकि वो रोज सुबह जाने लगे थे।
ठीक दो बजे मास्टरजी आ गए।
मैंने बेमन से किताबे निकाली और मुँह फुला के मास्टरजी के सामने बैठ गई।
मास्टरजी ने पूछा- क्या बात है?
मैंने कहा- सब मुझे छोड़ के चले गए !
मास्टरजी- कोई बात नहीं, घर में रहना भी जरूरी है।
मैंने चिढ़कर कहा – मेरा रहना ही हर बार क्यूँ जरूरी है?
मास्टरजी- क्यूंकि तुम बाकी सब बहनों से ज्यादा सुन्दर हो ! सब डरते होंगे कि कहीं कोई तुम्हें चुरा के न ले जाये !
मैंने इस जवाब की उम्मीद नहीं की थी पर अच्छा लगा !
मैंने उनसे पूछा- आपको मैं सुन्दर लगती हूँ? मेरे पास तो कोई क्रीम- पाउडर नहीं है !
मास्टरजी- अरे पगली क्रीम तो वो लगाती हैं जो सुन्दर नहीं होती ! तू तो हूर है !
मैंने पूछा- ये हूर क्या होता है?
हूर परी को कहते हैं ! मास्टरजी ऐसा कह कर मेरी तरफ लालची नजरों से देखने लगे।
तभी मुझे ध्यान आया कि जल्दी में मैं अपने घर के कपड़ो में आ गई थी जोकि मेरे स्कूल की पुरानी शर्ट और स्कर्ट था। मेरे शर्ट की ऊपर की बटन टूट गई थी और मेरे पास कोई ब्रा नहीं थी। मतलब यह कि मास्टरजी ने मेरे जोबन का उभार देख लिया था। मैंने शरमा के नजरें नीची कर ली, मुझे बुर में गुदगुदी लगी।
मास्टरजी ने भी मौके को पहचान लिया था कि लौड़ी गरम है।
मास्टरजी ने मुझसे पूछा- घर में कोई नौकर हो तो पानी मंगवाओ !
मैंने कहा- कोई नहीं है, मैं ले आती हूँ !
मास्टरजी ने कहा- ठीक है !
मैं किचन में चली गई, मास्टरजी मेरे पीछे आ गए। जैसे ही मैं किचन में घुसी मुझे अपनी पीठ पर गर्म हाथ का स्पर्श मिला। मैंने मुड के देखा तो मास्टरजी मेरी पीठ सहला के बोले मन छोटा न कर, तेरा दिन भी आयेगा।
मैं कसमसाते हुए बोली- कभी नहीं आयेगा !
फिर मास्टरजी ने कहा- चाय बना दे !
मैं चाय बनाने लगी, मास्टरजी मेरी पीठ सहलाते जा रहे थे मुझे गुदगुदी लग रही थी और अच्छा भी।
मास्टरजी ने पीठ सहलाते हुए अपना हाथ मेरी गर्दन से लेके मेरी छातियों की और कर दिया आप मेरी शर्ट के ऊपर से उनका हाथ मेरी गोलाइयों को नाप रहा था। मैं कसमसाई पर न चाहते हुए भी मेरे चेहरे पे मुस्कान आ गई जिसे उन्होंने पढ़ लिया। अब उन्होंने मेरे कंधे पे दोनों हाथ रख के मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे चेहरे पे दोनों हाथ फिराने लगे। मुझे अजीब लगा क्यूंकि रामू या पिताजी ने माँ के साथ ऐसा कभी नहीं किया था।
मुझे अच्छा लगा तो मैं मास्टरजी से लिपट गई। मास्टरजी फिर से मेरी चूचियों को सहलाने लगे। फिर उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और पूछा- तुम्हारा बिस्तर कहाँ है?
मैंने उन्हें बताया और हम बेडरूम में आ गए।
मैंने कहा- आपकी चाय !
उन्होंने कहा- रहने दो ! जाओ, गैस बंद करके आ जाओ !
मैं गैस बंद करके आ गई और बेडरूम में मास्टरजी के सामने बैठ गई। मास्टरजी ने मुझे खींच के गले लगाया और मेरे गले में एक चुम्मा दिया। मैं गरम हो रही थी। फिर वो मेरे गाल चूमने लगे। मैं उनकी पीठ पर हाथ फिराने लगी। फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी। मेरी छातियाँ नंगी उनके सामने थिरक रही थी। अब मुझे लगा कुछ गड़बड़ हो सकती है पर तब तक उनके हाथ मेरे चुचूक मसलने लगे थे। मैं समझ ही नहीं पाई कि मास्टरजी मेरी दायीं चूची को चूसने लगे। मैं पिघल रही थी, मुझे ख़ुशी भी हो रही थी कि आज मुझे लंड मिलेगा। घर पर कोई नहीं था तो मैं भी मस्त थी।
मास्टरजी ने मेरी चूचियों को चूसने के बाद मसलना चालू किया तो मैं सिसकने लगी। वो मेरी चूचियों को खींच के बाहर निकालना चाह रहे थे, मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी लाजवाब आ रहा था। मेरा हाथ मेरी बुर में पहुँच गया। मास्टरजी मेरी चूचियों से खेल रहे थे और मैं सिसकती हुई अपनी बुर को सहला रही थी।
मास्टरजी ने फिर अपने कपड़े भी उतार दिए और बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया।
मैंने मास्टरजी का लंड देखा वो तना हुआ था शायद ६ इंच का होगा। उसके ऊपर की चमड़ी सुपाडे को आधा ढक रही थी और गुलाबी सुपाडा बड़ा सुन्दर लग रहा था। मैं अपनी बुर छोड़ के मास्टरजी के लंड को मुठी में भर के दबाने लगी। क्या गरम था उनका लंड। मैं तो मस्त हो गई थी। पता नहीं कैसे मेरी शर्म कहाँ गायब हो गई। मैं मास्टरजी के लंड को चूम रही थी। उसकी खुशबू मुझे बहुत मस्त लग रही थी। मैं तो अपनी जीभ भी लंड पर फिरा देती थी तो मास्टरजी के मुंह से उन्ह निकल जाती थी।
मास्टरजी ने कहा- इसे चूस के तो देख चमेली !
चमेली सुन के मुझे और मजा आया। मैंने सुपाड़े को मुंह में ले लिया। हाय क्या मस्त नरम लगा। मुँह में जाते थोड़ा कसेला सा स्वाद आया पर वासना की मस्ती में मुझे वोह भी मस्त लगा। मैं उनके लंड को पूरा मुंह में लेके अपनी थूक से उसे गीला करने लगी। उनकी लटकती गोलियों से तो मेरी उंगलियाँ हट ही नहीं रही थी। फिर मैं उनके लंड के सुपाड़े को अपने होठों में दबा के अपनी जीभ उसके छेद में रगड़ने लगी। मास्टरजी हाय हाय करते हुए झुक गए और कस कस के मेरी चूचियां मसलने लगे। उनसे खड़ा रहना नहीं हो पाया और वो बिस्तर पर पैर लटका के लेट गए। मैं घुटनों के बल उनकी जाँघों के बीच बैठ गई और एक हाथ से अपनी बुर में ऊँगली करती हुई अपनी जीभ उनके लंड पे रगड़ती रही।
अचानक मास्टरजी ने मेरे बाल पकड़ के अपने लंड पर मेरा सर दबा दिया। मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही मास्टरजी के लंड से कुछ पिचकारी जैसा मेरे मुंह में आने लगा। लस लस सा नमकीन स्वाद वाला पानी मैंने पहली बार चखा था। मुझे घिन सी आई तो मैंने उस पानी को बाहर थूक दिया। गाढ़ा होने के कारण मेरे मुंह से एक धार निकल के मेरी चूचियों पर गिरी जिसे मास्टरजी ने मेरी चूचियों पे घिस दिया।
फिर मास्टरजी ने मुझे बिस्तर पे सुला दिया और मेरी स्कर्ट खोल के मुझे नंगा कर दिया। मेरी बुर पूरी तरह से भीग गई थी। मास्टरजी ने जैसे ही एक ऊँगली बुर के मुंह में रखी वो फिसल के अन्दर घुस गई। मास्टरजी के ऐसा करते ही मेरे मुंह से आह निकल गई और मैं एक बार फिर मस्त हो गई। मास्टरजी ने अपने लंड को जो थोड़ा सुस्त हो गया था, मेरी चूत के मुंह पर लगाया और मेरे दाने से रगड़ने लगे। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से चिपका लिया इस तरह उनका लंड फिर से खड़ा हो गया फिर मास्टरजी मेरे ऊपर लेट गए और मुझे कस के भीच लिया।
मास्टरजी ने अपना लंड मेरी बुर के मुंह पर रखा और धीरे धीरे सरकते हुए अपना सुपाड़ा मेरी चूत में घुसा दिया। मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर अगले ही पल एक झटके में उनका चाकू मेरी चूत को चीर चुका था। मेरी सांस गले में ही अटक गई, मैं तड़प गई। मास्टरजी ने अपने होंठ मेरे होंठ से सिल दिए और मेरी निप्पल मसलने लगे। दो चार धक्कों के बाद मुझे मजा आने लगा, मैंने अपनी गांड ऊपर उठा के मास्टरजी के लंड को पूरा ले लिया और मास्टरजी की गांड पकड़ के खींचने लगी।
मास्टरजी ने भी मौका समझ के चुदाई की स्पीड बढ़ा दी अब मेरी बुर फचक फच्च की आवाज के साथ लंड अपने अन्दर ले रही थी और मैं जन्नत की सैर कर रही थी। मास्टरजी …….। आह मास्टरजी……..। मजा आ रहा है……..। हाय क्या कर ……..दिया…….। हाय मजा…….। आह………..। मास्टर……..। पेलो ……। पेल….। पेलो……। न…….। आह……। सी सी स……..स्स्स्स…..। हाय………।
मास्टरजी अपने लंड को मेरी चूत में रख कर कमर को घुमाने लगे ….। हाय क्या मजा था……। मैं बके जा रही थी….। हाय रहने दो न इसे आज अन्दर ही…….। मत निकालो……। पेलो न पेलो न………..। हाय……
मास्टरजी को चोदने की आदत थी और वो एक खिलाडी की तरह रुक रुक के धक्के लगा रहे थे। .। पर मैं तो एक बार में ही पूरा खा जाना चाहती थी… मैं मास्टरजी से चिपक गई और अपनी गांड हिलाते हुए लंड को लेने लगी…।
मास्टरजी ने मुझे पटक के मेरी गर्दन दबाई और बोले ….रुक रुक के कर रांड … कहीं मेरा निकल गया तो मेरी गोलियों को खींचने लगेगी ।
मैं कहाँ मानने वाली थी.। मैंने गांड उछालना जारी रखा…
मस्ती सातवें आस्मां में थी…. अचानक मुझे कुछ होने लगा… मास्टरजी भी आँखे बंद कर के आह आह करने लगे….
तभी झटके के साथ मैं झड़ने लगी। हाय क्या बताऊँ क्या पल था…। लंड की गर्मी, फौलाद जैसा कड़ापन। और मेरा झड़ना। तभी मास्टरजी के लंड ने भी पिचकारी छोड़ दी। मेरी बूर में डबल गर्मी..। क्या बताऊँ मजा ही आ गया…..। मास्टरजी मेरे ऊपर लुढ़क गए और मैंने भी उन्हें कस के पकड़ लिया… दो मिनट तक हम झड़ने का सुख लेते रहे…।
फिर मास्टरजी ने उठ कर कपड़े पहने, पर मुझसे उठा नहीं जा रहा था। मास्टरजी ने मुझे सहारा दे कर बाथरूम तक पहुँचाया और मेरी बूर की सफाई की। मुझे कपड़े पहना के वो बोले- क्यों चमेली कैसा लगा…?
मैं शरमा के मुस्कुराने लगी..
दर्द की हरी गोली ले लेना…। ऐसा कह के मास्टरजी चले गए।
ऐसे गए कि फिर नहीं आये। पता नहीं क्यूँ । पिताजी ने नौकर भेजा तो पता चला कि उन्होंने शहर छोड़ दिया। मैं मन मसोस के रह गई। उसके बाद मैंने कई लंड जुगाड़े पर वो स्पर्श नहीं भूल पाई।
खैर मास्टरजी न सही गुरूजी ही सही…..! क्यूँ गुरूजी.. क्या ख्याल है….?
आप सब पाठकों के पत्रों और सेक्सी सामग्रियों का धन्यवाद।
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