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प्रथम भाग से आगे : रश्मि का ब्लो-जोब Antarvasna इतना खास था कि मेरे जैसा चोदू और अनुभवी आदमी जिसको झड़ने के लिए कम से कम 45 मिनट चाहिए, उसको रश्मि ने मात्र 15 मिनट में ही खलास कर दिया।
मैं बगैर पूछे न रह सका- रश्मि डार्लिंग ! यह बताओ ! आम तौर पर भारतीय नारी वीर्य नहीं पीती है, फिर तुमने मेरा सारा वीर्य क्यों पिया?
उसने अपनी पूरी स्पर्म थैरेपी की बात बतानी शुरू की…
मैं बचपन में बहुत दुबली थी, 18 साल तक मेरा मासिक धर्म शुरू नहीं हुआ और ना ही मेरी बड़ी चूचियाँ निकली, बहुत छोटी छोटी थी, हालांकि मेरी चूत की ग्रोथ सामान्य 18 साल वाली ही थी।
मेरी सभी सहेलियों की बड़ी-2 चूचियाँ थी और मासिक धर्म भी होते थे। वो सब अक्सर चिढ़ाया करती थी कि तुम्हारी शादी नहीं होगी, कोई लड़का तुमको चोदेगा नहीं।
मुझे बहुत आत्म-ग्लानि होती थी, तब मम्मी ने मेरा इलाज कराना शुरू किया। सभी बड़े डाक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
इन्हीं सब में पूरा एक साल निकल गया। फिर पड़ोस की आंटी ने मम्मी से कहा कि बम्बई में एक बहुत प्रसिद्ध डाक्टर है जिनका नाम डाक्टर जे के लाल जो सेक्सोलॉजिस्ट है, उनको दिखाओ।
मेरी मम्मी बहुत स्मार्ट हैं, वह कॉलेज में पढ़ाती हैं, वह समझ गई कि समस्या बहुत गम्भीर है। अगर बेटी की जिन्दगी बनानी है तो कुछ करना पड़ेगा, इसलिए मम्मी मुझे बम्बई ले कर गई।
डाक्टर लाल की क्लीनिक बहुत बड़ी थी उनकी 1000 रूपए फीस थी, काउन्टर पर 1000/- जमा कर के पर्चा बनवाया, भीड़ बहुत थी बाहर के मरीज ज्यादा थे।
कोई एक घंटे के बाद मेरा नम्बर आया और हम लोग डाक्टर के केबिन में घुसे, डाक्टर साहब की उमर तकरीबन 55 वर्ष की होगी, बहुत गम्भीर और सौम्य लग रहे थे। मम्मी ने डाक्टर साहब को मेरी समस्या एवं पूरी केस हिस्ट्री बताई।
डाक्टर ने बड़े धैर्य से सुना, फिर बोले- इससे पहले आप के खानदान में कोई इस प्रकार की बीमारी से ग्रसित तो नहीं है?
मम्मी ने कहा- नहीं ! कोई नहीं… डाक्टर साहब।
फिर डाक्टर साहब ने बड़े गम्भीरता से मम्मी से कहा- चेकअप रूम में अपनी बेटी को ले जाइये, मैं आ कर देखता हूँ।
हम लोग चेकअप रूम में चले गये। कोई 15 मिनट के अन्दर ही डाक्टर साहब आ गये। डाक्टर ने मेरे सारे कपड़े उतरवा दिए, बड़ी सावधनी से मेरे चुचूकों और बुर को देखा। फिर डाक्टर मेरी बुर के अन्दर दो तीन मशीनें डाल कर काफी देर तक देखते रहे। फिर मुझसे बोले- अब आप अपने कपड़े पहन लीजिये और अपने केबिन में मम्मी को बुलाते हुए चले गये।
मैं कपड़े पहन कर मम्मी के साथ डाक्टर के केबिन में गई। डाक्टर ने मम्मी को बड़ी गम्भीरता से बाताया- रोग जटिल है, एक्यूट हार्मोनल डिसओर्डर है ! इसका इलाज बहुत महंगा है क्या आप इतना खर्च कर सकेंगी?
मम्मी ने पूछा- कितना खर्च आएगा?
तकरीबन 5 लाख… डाक्टर ने बताया।
मम्मी निराश होते हुए बोली- हम लोग मध्यम वर्ग से हैं, हम लोग इतना खर्च नहीं कर सकते। कुछ सस्ता इलाज बताइये…डाक्टर साहब !
डाक्टर कुछ सोच कर बोले- देखिये मैडम, जो इलाज मैं बताने जा रहा हूँ उसमें कोई खर्चा तो नहीं है, बस उस इलाज को भारतीय समाज में मान्यता नहीं मिली है ! क्या आप कर पाएंगी ?
मम्मी पहले तो कुछ पल तक चुप रही फिर बोली- मुझे अपनी बेटी की जिन्दगी संवारनी है, मैं करुंगी, डाक्टर साहब आप इलाज बताइये।
डाक्टर ने कहा- एक बार फिर से विचार कर लीजिए…
मम्मी ने आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया- डाक्टर साहब, मैं कर लूंगी।
ओके ! डाक्टर बोले- देखिये आप की बेटी को “सेक्सुअल एराउज़ल एण्ड स्पर्म थैरेपी” करानी पड़ेगी।
इसमें क्या होता है? मम्मी ने पूछा।
डाक्टर साहब बोले- फ्रेश ह्युमन स्पर्म एक प्रकार का ऐसा नैचुरल प्रोटीन होता है, जिसके पीने से इंसान के हर्मोनल डिसओर्डर दूर हो जाते हैं इसलिये रश्मि बोटिया को 50 एम एल बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म प्रति दिन एक साल तक पीना है और इतने ही समय तक प्रति दिन कम से कम दो बार सेक्स करना है। इस थैरेपी से आपकी बेटी के सभी अविकसित अंगों का विकास हो जायेगा और फ़ीगर दूसरी लड़कियों की तरह बिलकुल सामान्य हो जायेगी…।
मम्मी बोली- ठीक है, मैं तैयार हूँ ! लेकिन डाक्टर साहब… बगैर हवा लगे फ्रेश ह्युमन स्पर्म मैं कैसे अरेन्ज करूंगी?
डाक्टर बोला- वो तो आपकी प्रोबलम है कि कैसे अरेन्ज करना है… हाँ मैं रश्मि को ट्रेनिंग दे सकता हूँ कि कैसे फ्रेश ह्युमन स्पर्म पियेगी।
मम्मी बोली- ठीक है डाक्टर साहब… मेरी बेटी को ट्रेनिंग दे दीजिये।
ओके !
डाक्टर उठ कर चेकअप रूम की तरफ चलने लगे और मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लेकर अन्दर आइये।
मैं और मम्मी डाक्टर के पीछे चेकअप रूम में चले गये। वहाँ डाक्टर खुद चेकअप बेड पर लेट गये और बेड के बाईं साइड पर मम्मी से कहा कि आप यहाँ खड़ी होइये और मुझसे कहा- बेटा आप यहाँ हमारी दाहिने तरफ़ कमर के पास खड़ी होइये और मेरी पैंट खोल कर मेरा लिंग निकालिए…।
मैंने मम्मी की तरफ देखा…
मम्मी ने कहा- जैसे डाक्टर साहब कह्ते हैं, वैसे करो…
मैंने डाक्टर साहब की पैन्ट खोली, फिर अन्डरवियर से मुर्झाया हुआ लिंग बाहर निकाला। मैं पहली बार किसी मर्द के लिंग को देख रही थी। फिर डाक्टर साहब की तरफ देखने लगी।
डाक्टर साहब मम्मी से बोले- अपनी बेटी को लिंग खड़ा करना बताइये।
मम्मी ने मुझे आदमी के लिंग को खड़ा करने का तरीका सिखाया।
अब डाक्टर साहब का लिंग बिलकुल टाइट हमारे हाथों में था।
अब डाक्टर साहब की बारी थी, वह बड़े सलीके से बोले- बेटी रश्मि, मेरे लिंग को अपने मुँह में लेकर कस कर चूसो और साथ ही साथ अपनी जबान से लिंग के सुपारे को चाटो और यह क्रिया तब तक करती रहो जब तक कि लिंग से वीर्य न निकलने लगे और फिर उस वीर्य को तुम्हें अन्दर ही अन्दर पी लेना है। इस क्रिया को आम भाषा में “ब्लो जोब” कहते हैं। ध्यान रहे कि जब वीर्य निकलने लगे उस समय लिंग तुम्हारे मुँह में ही होना चाहिए। बाहरी हवा वीर्य में लगने से वीर्य ऑक्सीडाइज हो जाता है, उसको पीने से कोई फायदा नहीं। अब जैसा मैंने कहा वैसे करो।
मम्मी ने बीच में कहा- हाँ बेटा, जैसे डाक्टर साहब ने कहा है, वैसे करो ! मैं हूँ ना तुम्हारे साथ।
फिर मैं डाक्टर साहब के लिंग को वैसे ही चूसने लगी जैसे कि डाक्टर साहब ने बताया था। मुझे इस इलाज में बड़ा मजा आ रहा था, मैं डाक्टर साहब के लिंग को चूसे जा रही थी, डाक्टर सहब का लिंग और कड़ा होता जा रहा था डाक्टर साहब अपने लिंग को मेरे मुँह के और अन्दर तक घुसेड़ने में लगे थे। कभी कभी मुझे उबकाई जैसे लग रही थी लेकिन मुझे तो पूरी लड़की बनना था इसलिये इसकी परवाह किये बगैर डाक्टर साहब का लिंग चूसे जा रही थी।
इतने में डाक्टर साहब ने अपनी कमर को मेरे मुँह की तरफ ठेला और उनके लिंग से कुछ नमकीन-2 गोंद सा मेरे मुँह में निकलने लगा। मैंने अपना मुँह लिंग से हटाना चाहा लेकिन डाक्टर साहब ने तुरन्त मेरे सर को पकड़ कर अपने लिंग को मेरे मुँह में गहराई तक घुसेड़ दिया। मेरा मुँह उस गोंद से भर गया। डाक्टर साहब ने धीरे से अपना लिंग मेरे मुँह से निकाला और बोले- इसे पी लो। यही वीर्य है जिसे तुम्हें रोज पीना है, चाहे तुम्हे अच्छा लगे या ना लगे ! और आपकी मम्मी आप को सेक्स करने का तरीका यानि कि चुदवाने का तरीका सिखा देंगी।
यह कहते हुए उन्होंने अपने कपड़े ठीक किये और केबिन में चले गये।
मम्मी ने मुझसे पूछा- कोई तकलीफ तो नहीं हुई?
मैंने नकारात्मक सर हिलाया, कहा- नहीं !
मम्मी डाक्टर साहब के इलाज से काफी संतुष्ट लग रही थी फिर हम लोग डाक्टर साहब के केबिन की तरफ बढ़ गये। डाक्टर साहब अपनी कुर्सी पर बैठे थे, हम लोगों को देख कर मम्मी से बोले- देखिये, रश्मि को मैंने स्पर्म थैरेपी के बेसिक्स बता दिये हैं, शुरू में थोड़ी दिक्कत आ सकती है पर धीरे-2 सब ठीक हो जायेगा। यदि कोई दिक्कत हो तो आप मुझे फोन कर सकती हैं। विश यू आल द बैस्ट ! डाक्टर साहब बोले।
शाम को हम लोगों का रिजर्वेशन था हम लोग वापस लखनऊ आ गये। Antarvasna
मैं पेशे से एक Antarvasna Sex Stories फ़ोटोग्राफ़र हूँ, मुम्बई में रहता हूँ। मेरा अकसर शूटिंग के लिये बाहर जाना होता रहता है। ऐसे ही एक शूटिंग के लिये मैं एक बार गोवा गया था। मेरे लिये यह एक बहुत ही मजेदार अनुभव था। अपनी शूटिंग के बाद कुछ दिन के लिये मैं अकेला गोवा में रूक गया था। मैंने रेलगाड़ी से आने का फ़ैसला किया। मैंने ए सी कम्पार्टमेंट में अपने लिये एक सीट रिजर्व कराया। यह गोवा का ऑफ़ सीजन था इसलिए रेलगाड़ी में बिलकुल भी भीड़ नहीं थी। मुझे बहुत आसानी से रेलगाड़ी का टिकट मिल गया। शाम को 6 बजे मेरी रेलगाड़ी मडगाँव स्टेशन से छूटी। मेरे कम्पार्टमेंट में मुझे सिर्फ़ दो लोग दिखे लेकिन उनकी भी सीट डिब्बे के दूसरे कोने में थी। रेलगाड़ी वहाँ से चली और कुछ देर में ही कोई स्टेशन आया। जहाँ पर एक लड़की जो कि बहुत ही मॉर्डन कपड़ो में थी मेरे कम्पार्टमेंट में आई और मेरे भाग्य से उसकी सीट मेरे सीट की बगल में थी। उसने मेरे केबिन में प्रवेश किया। वह मुस्कराई और उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
हाय ! मैं आलीन !
मैं भी मुस्कराया मन ही मन मुझे खुशी हो रही थी चलो अब मेरा रास्ता कम बोरिंग होगा। हम दोनों का वार्तालाप शुरू हुआ। वह काफ़ी बोल्ड किस्म की लड़की थी। उसका सेक्सी फ़िगर मुझे उसकी तरफ़ लगातार आकर्षित कर रहा था। बातों बातों में हम एक दूसरे के बारे में काफ़ी कुछ जान गये थे। वह मॉडलिंग के लिये मुम्बई आ रही थी। इसके पहले उसने एक दो विज्ञापन में काम किया था। मेरे बारे में जानने के बाद उसने मेरे में ज्यादा रुचि लेनी शुरु कर दी। मेरे केबिन की हलकी नीली लाइट जल रही थी। उसने केबिन का पर्दा खींच लिया जिससे हमें बाहर से कोई अवरोध न मिले। वह मेरे सीट पर बैठी थी हम दोनों कॉफ़ी पी रहे थे। हम दोनों की बातें और आगे बढ़ी और फिर फ़िल्म इण्डस्ट्री और उसके आकर्षक लाइफ़ के बारे में होने लगी।
रात काफ़ी हो चुकी थी। हमारे डिब्बे में जो भी दो चार लोग थे अपने केबिन में सो चुके थे। क्योंकि कहीं से कोई आवाज नहीं आ रही थी। हम दोनों अभी भी अपनी बातों में मशगूल थे। वह मेरे से काफ़ी सटकर बैठी थी जिससे हम रेलगाड़ी के झटकों से कभी कभी हलके से छू जाते थे। अचानक मैंने उसके हाथ को अपने हाथ पर पाया। मैंने उसकी तरफ़ देखा वह मुस्कराई, बस मुझे हरी झण्डी मिल गई।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और चूम लिया। उसके कंधों पर अपना हाथ रखकर उसे अपनी ओर खींच लिया। वह आसानी से मेरे ऊपर आ गिरी। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। उसके होंठ बहुत ही मुलायम और गुदाज थे। उसकी सांसे काफ़ी गर्म थी। मैं उसके निचले होंठों को अपने दोनों होंठों के बीच रखकर उन्हें चूसने लगा। उसके हाथो की उंगलियाँ मेरे बालों में उलझी हुई थी। उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में लिया और बहुत ही मजेदार ढंग से चूसने लगी। मेरा प्राइवेट अंग पैंट के भीतर उफ़ान मार रहा था।
मेरा हाथ उसकी पीठ पर घूमते हुये उसकी कमर के नीचे तक पहुँच गया। मैंने अपना हाथ उसकी टाइट टी-शर्ट में डाल दिया। धीमे धीमे मेरा हाथ उसकी दोनों गोलाइयों के नजदीक तक पहुँच गया। मेरे हाथ उसकी ब्रा को महसूस करने लगे। मैं उसकी दोनों गोलाइयों को अपने हाथों में लेने की कोशिश कर रहा था लेकिन वे इतनी बड़ी थी कि मेरे हाथो में नहीं आ रही थी। इस बीच हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना जारी रखा। उसकी हरकतें मुझे बहुत ही ज्यादा उत्साहित कर रही थी।
अचानक मैंने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी पैंट पर पड़ा था। मेरा प्राइवेट अंग मेरे पैंट को फ़ाड़कर बाहर आने को तैयार था। वह मेरे सख्त हो चुके अंग को मेरे पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी। उसने मेरी पैंट की जिप खोल दी और अपना हाथ मेरे पैंट के अन्दर डाल दिया और मेरे लण्ड को अण्डरवीअर के ऊपर से पकड़ लिया। मेरी हालत बहुत बुरी हो रही थी। उसने मेरी पैंट खोल दी और अण्डरवीअर को नीचे की तरफ़ सरकाकर मेरे जनानाँग को पकड़ लिया। मैं अपनी सीट पर ही बैठा था। वह अपनी जगह से उठी और मेरे लण्ड को उसने अपने मुँह में ले लिया। वह बहुत हॉट थी उसका यह सब करना मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मुझे लगा कि अगर मैंने उसे अपने लण्ड से और खेलने दिया तो मेरा वीर्य बाहर आ जायेगा।
मैंने उसे उठाया और अपनी सीट पर वापस बैठाया। मैंने उसके टी-शर्ट को ऊपर करके उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी दोनों बड़ी बड़ी खूबसूरत गोलाइयाँ मेरे समाने बिलकुल आज़ाद होकर झूलने लगी। उसकी गोलाइयाँ एकदम टाइट थी। मैं उन्हें अपने हाथ में लेकर दबाने लगा। उसके चेहरे पर मैं बैचेनी का आलम देख रहा था। मैंने उसके एक निप्पल को अपनी उंगलियों में लेकर उसे धीमे से मसाला। उसके मुँह से एक आआआह्ह्ह्ह्ह की ध्वनि निकाल गई। मैं झुककर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और उसे अपनी जीभ से सहलाने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि उसके स्तन अब और बड़े हो गये थे।
अब मेरे हाथ उसकी जांघों से होते हुए उसके गुप्ताँग पर पहुँच गये। उसने शर्ट-पैंट पहन रखा था। मैंने कैसे भी उन्हें खोला और उसके पैंटी को नीचे किया। उसके गुप्ताँग पर एक भी बाल नहीं थे। मेरी उंगलियां उसके गुप्ताँग में समा गई। मैं अपनी उंगली को उसके गुप्ताँग में अन्दर बाहर करने लगा। मैं उठकर नीचे बैठ गया और उसके गुप्ताँग पर अपनी जीभ रख दी। उसकी मादकता बढ़ती जा रही थी। उसने मेरे बालों को पकड़कर मेरे सर को अपनी जांघों में फ़ंसा लिया। जैसे जैसे मेरी जीभ अपना काम कर रही थी, वह और भी उत्तेजित होती जा रही थी। मैंने अपने आपको उसकी मजबूत पकड़ से मुक्त किया और उसके कपड़ो को निकाल कर उसके पैरो को फ़ैलाया। उसकी सेक्सी चूत मेरे समाने थी जो कि मुझे आमंत्रित कर रही थी। मैंने एक पल की भी देरी किये बिना अपने लण्ड को उसके चूत पर रखा और उसके अन्दर प्रवेश कर गया।
और फिर एक दूसरे को धक्के देने का सिलसिला चालू हो गया। हम दोनों की स्पीड बढ़ती जा रही थी। उसके पैर हवा में खुले हुई थे जिससे मुझे उसके अन्दर तक समाने में आसानी हो रही थी। मेरा लण्ड तेजी से उसके अन्दर बाहर हो रहा था। मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों पर एक जबरदस्त घर्षण उत्पन्न कर रहा था। हम दोनों आनन्द की एक दूसरी दुनिया में तैर रहे थे। उसकी चूत से गर्म पानी निकलने लगा जो कि लुब्रीकैंट का काम करने लगा। हम दोनों अपनी चरम सीमा के नजदीक पहुँच रहे थे। हमारे जननांगों से फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी। आलीन ने मुझे कसकर पकड़ रखा था। हमारे अन्दर एक जबरदस्त तूफ़ान उबाल मार रहा था। मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी और थोड़ी देर में ही हम दोनों अपने चरम सीमा पर पहुँच गये। हम दोनों के अन्दर एक लावा था जो कि फूट पड़ा।
हम दोनों के शरीर शांत हो गये। हम थोड़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे। यह मस्ती का दौर रात में फिर चला। यह मेरी सबसे यादगार रेल यात्रा थी। Antarvasna Sex Stories
मैं एक २६ साल का लड़का Antarvasna हूँ। पाठको ! मै आप लोगों को अपने जीवन की पहली चुदाई की असली कहानी बताता हूँ।
जब मैं कॉलेज़ का छात्र था कहानी तब की है।
एक दिन मैं अपने घर में बैठा था। तभी मेरे घर पर मेरे पड़ोस में रहने वाली आंटी मेरे घर पर आई और उनके साथ में उनकी भांजी भी थी। वह भी मेरी ही उम्र की थी।
सभी लोग बैठे बात कर रहे थे, मेरा मन उसकी ओर लगा हुआ था। उसका भी मन शायद मेरी तरफ खिंचा हुआ था।
कुछ देर बाद सभी लोग कमरे से निकल कर बाहर चले गये। कमरे में केवल वह लड़की और मैं ही बचे थे। वह मेरे पास आकर बैठ गई और बातें करने लगी।
अचानक मेरे दिल में पता नहीं कहाँ से विचार आया और मैंने उसको खींच कर अपने घुटनों पर बैठा लिया, वह कुछ नही बोली और उसने आँखें बन्द कर ली। वह स्कर्ट व टी-शर्ट पहने हुए थी। मैंने उसके टी-शर्ट में हाथ डाल दिया और उसके उभारों को दबाने लगा। वह आँखें बन्द करके चुपचाप बैठी रही, मैं उसकी चूचियाँ दबाता रहा।
वह सिसकियाँ लेनी लगी। करीब १५ मिनट तक मैं उसकी चुचियाँ मसलता रहा, वह सिसकियाँ लेती रही। मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जो उसकी गांड में गड़ने लगा था। सिसकियाँ लेते हुए उसने कहा- नीचे कुछ गड़ रहा है !
मैने कहा कि यह मेरा लौड़ा है जो आपके अन्दर घुसना चाहता है !
उसने कहा- डाल दो, मै बरदाश्त नहीं कर पा रही हूँ !
यही मेरा हाल था, लेकिन डर भी लग रहा था कि कोई आ न जाये। यह सोच कर मैने कहा कि कुछ देर बाद हम लोग मिलते हैं। वह चली गई।
करीब दो घंटे बाद जब अंधेरा हो गया, तब वह फिर आई, मैं चुपके से उसको लेकर छत पर चला गया।
छत पर जाते ही उसको जमीन पर ही लिटाकर मैंने उसकी स्कर्ट उठाकर उसकी पैटी उतार दी और अपना लण्ड उसकी बुर पर रख कर चोदने की कोशिश करने लगा। उसकी बुर बिल्कुल बद थी, चूत के होंठ आपस में चिपके हुए थे। वो शायद कभी चुदी नहीं थी।
मेरा लण्ड बुर में घुस नहीं रहा था और मै जबरदस्ती घुसेड़ने में लगा हुआ था, वह दर्द से कराहने लगी। मैं उसकी चूचियाँ दबा-दबा कर चोदने की कोशिश कर रहा था।
कुछ देर बाद मेरा लण्ड उसकी बुर को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। वो बड़ी जोर से चीखी, मगर मैंने उसके होंठ अपने हाथ से दबा दिए और उसकी आवाज़ घुट कर रह गई। मैं उसको धीरे धीरे चोदने लगा। हम लोग मदहोश हो गए और चुदाई करते रहे।
यह मेरी पहली चुदाई थी, अतः मै कितना मस्त था बता नहीं सकता। जब हम लोग निबट कर खड़े हुए तो देखा कि उसकी योनि से खून बह रहा है। खून मेरे लण्ड से भी बह रहा था क्योंकि मेरे लण्ड में नीचे की तरफ लगी हुई खाल फट गई थी और उसकी बुर की भी सील टूट गई थी। Antarvasna
मैं जब भी कहीं जाती हूं तो मेरी नजर खूबसूरत Sex Stories लड़कों पर पहले पड़ती है, ठीक वैसे ही जैसे लड़कों की नजरें सुंदर लड़कियों पर जाती है। ऐसी ही घटना मेरे साथ एक शादी की पार्टी में हुई। उस पार्टी में मुझे एक पुराना क्लासमेट मिल गया। बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स देखते ही बनती थी।
मैं तो देखते ही उस पर फ़िदा हो गई। मैं जानबूझ कर के उसके सामने लेकिन कुछ दूरी पर खड़ी हो गई ताकि वो मुझे देख कर पहचान ले।…. भला कोई सुन्दर लड़की आपके सामने खड़ी हो तो कौन नहीं देखेगा।
“हाय…. काजल जी…. आप…. मुझे पहचाना…. मैं विजय….”
“अरे….हां विजय हाय…. कहां हो….? क्या कर रहे हो….?”
“यहीं बी एच ई एल में लगा हूं…. एक छोटा सा मकान मिला हुआ है…. और आप….”
बातों का सिलसिला चल पड़ा और मैंने उसे और लम्बा कर दिया। साइड में डीजे चल रहा था। नाच गानों की आवाज में हमारी बातें कोई दूसरा नहीं सुन सकता था। वह मेरे साथ एक कुर्सी पर बैठ गया।
मैंने सोचा कि अभी विजय मुझमें दिलचस्पी ले रहा है….इसे अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है। बातों के दौरान उसे कंटीली नजरों से देखना…. उसे देख कर अर्थपूर्ण मुस्कान देना। अदाएं दिखाना….यानी जो कुछ मैं कर सकती थी ….उसके सामने करने लगी।
नतीजा ये हुआ कि वो मेरी गिरफ़्त में आता नजर आ ही गया। डिनर आरम्भ हो चुका था। हम दोनों धीरे धीरे खा रहे थे…. बातें अधिक कर रहे रहे थे। समय का पता ही नहीं चला….अचानक मेरे मम्मी पापा आ गये।
“चलें क्या…. कितनी देर लगेगी….”
” अंकल, हमने अभी तो शुरू किया है…. मैं काजल को घर पर छोड़ दूंगा….” विजय ने पापा से कहा।
“हां पापा…. ये विजय ! मेरा पुराना क्लासमेट ! …. बहुत दिनों बाद मिला है विजय….छोड़ देगा मुझे घर तक ! प्लीज़….”
“ठीक है…. जल्दी आ जाना….” कह कर पापा और मम्मी निकल गये।
हमने भी जल्दी से खाना समाप्त किया और निकल पड़े।
“देखो काजल…. यहीं पास में उस केम्पस में है मेरा क्वार्टर…. देखोगी….”
“नहीं…. अभी नहीं….देर हो जायेगी….”
मेरा कहा नहीं मानते हुये उसने अपनी गाड़ी अपने क्वार्टर की ओर मोड़ ली….
“बस जल्दी से आ जायेंगे….” हम उसके घर पहुंच गये। ताला खोल कर अन्दर आये तो देखा विजय ने अपना कमरा अच्छा सजा रखा था।
उसने अपना घर दिखाया, फिर बोला,” क्या पसन्द करोगी….चाय, कोफ़ी या कोल्ड ड्रिंक….?”
मैंने समय बचाने के लिये कोल्ड ड्रिंक के लिये कह दिया। विजय शायद मुझे घर पर कुछ कहने के लिये ही लाया था।
“काजल एक छोटी सी रिक्वेस्ट है…. देखो मना मत करना……..” विजय ने थोड़ा झिझकते हुए कहा।
मैं अन्दर ही अन्दर खुश हो रही थी कि अब ये कुछ कहने वाला है, शायद मुझे प्रोपोज करेगा !
“हां हां कहो…. ” फिर उकसाते हुए कहा “प्रोमिस ! मना नहीं करूंगी।”
“जाने से पहले एक किस दोगी……..!” फिर एकदम से घबरा उठा, “म्….म….मजाक कर रहा था !”
“अच्छा….मजाक कर रहे थे…. चलो मजाक में ही किस कर लो….” मैंने तिरछी नजरों से वार किया।
“क्….क्….क्या……..सच….” उसे विश्वास ही नहीं हुआ।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाल दिया। और आंखे बन्द करके होंठ उसकी ओर बढ़ा दिये। मेरे शरीर का स्पर्श पा कर वो कांप गया। उसने धीरे से अपना होंठ मेरे होंठो से लगा कर किस करने लगा।
उसका लण्ड खड़ा होने लगा था…. मैंने उसके लण्ड पर थोड़ा दबाव और बढ़ा दिया। उसके शरीर का अहसास मुझे हो रहा था….उसके हाथ मेरी पीठ पर से फ़िसलते हुये मेरे चूतड़ों की तरफ़ जा रहे थे। मैंने भी अपने हाथ उसकी चूतड़ों की तरफ़ बढ़ा दिये। उसने अब मेरे दोनो चूतड़ों की गोलाईयों को दबा कर चूमना चालू कर दिया। मैंने भी वही किया और उसके चूतड़ों को दबाने लगी। मैंने धीरे से चूतड़ से एक हाथ हटाया और उसका लण्ड उपर से ही दबा दिया।
“आह……..काजल…. जोर से दबा दो….” मैंने और दबा कर ऊपर से ही लण्ड मसल दिया…. पर उसी समय मुझे कुछ अजीब सा लगा। उसने मुझे जोर से जकड़ लिया…. और मुझे उसके पैंट के ऊपर से ही गीलापन लगने लगा…. वो झड़ चुका था। उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया था।
” विजय…. ये क्या…. निकल गया क्या….” मैंने मजाक में हंसते हुये छेड़ा।
“सोरी काजल…. सह नहीं पाया….” उसका सर झुक गया।
मैंने उसकी हिम्मत बढ़ाते हुए कहा,” पहली बार तो ऐसा हो जाता है……..सुनो…. कल दिन को मुझे यहां ले आना…. कल मजे करेंगे”
विजय खुश हो उठा। इसने कपड़े बदले और मुझे घर छोड़ने के लिये चल पड़ा।
मैं खुश थी कि विजय जैसा जानदार लड़का मिल गया। अब जी भर कर चुदवाने का मजा लूंगी। अगले दिन वो दिन को २ बजे मुझे लेने आ गया।
हम दोनो सीधे उसके घर आ गये…. घर पर उसने पहले ही सारी तैयारी कर रखी थी। मैंने घर में आते ही दरवाजा बन्द कर दिया। और विजय से लिपट पड़ी। विजय भी जोश में लिपट पड़ा।
“विजय….मेरे कपड़े उतार दो…. बड़े तंग हो रहे है….” वो तो पहले ही पागल हो रहा था। उसने मेरा टॉप उतार दिया। मैंने जान कर ब्रा नहीं पहनी थी….मेरे दोनो कबूतर बाहर निकल कर फ़ड़्फ़ड़ा उठे…. विजय बैचेन हो उठा…. उसके हाथ मेरे स्तनों की ओर बढ़ने लगे….
“अजी ठहरो तो……..अभी मेरी जींस कौन उतारेगा….” उसके हाथ बढ़ते बढ़ते रुक गये और जींस की तरफ़ आ गये। मेरी जींस की ज़िप खोलते ही मेरी चूत के दर्शन हो गये। जींस नीचे सरकाते ही उसने अपना मुख मेरी चूत की पंखुड़ियों पर लगा दिये…. और जीभ ने दोनों पट खोल दिये…. और मेरी चूत में घुसने लगी। मुझे तेज सिरहन दौड़ गयी। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली।
“विजय अभी रुको जरा…. अपने कपड़े तो उतारो….” मुझे तो उसके शरीर को निहारना था। उसकी ताकत से भरी मसल्स को छूना था। उसके कड़े, मोटे और बलिष्ठ लण्ड को पकड़ना था। उसने अपने कपड़े भी तुरन्त उतार दिये और नंगा हो गया। वो मेरे जिस्म को देख कर आहें भर रहा था और मैं उसके तराशी हुई मसल्स को देख कर आहें भर रही थी। मैं उसके जिस्म से खेलना चाहती थी। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया।
उसका लण्ड सच में बहुत बड़ा था। यानी लम्बा और मोटा था…. उसका लण्ड देखने से ही मस्कुलर और ताकतवर लग रहा था। मुझे उसका लण्ड देख कर नशा सा आने लगा कि हाय्…….. इतने सोलिड लण्ड से गहराई तक चुदने का मजा आयेगा।
“आहऽऽ …. कितना प्यारा लण्ड है तुम्हारा….तुमने कितनो को चोदा है….”
“सिर्फ़ एक को…….. पर थोड़ा सा ही…. ” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया…. हाय रे…. ऊपर से नरम मसल्स थी…. लण्ड में बहुत कड़कपन था। मैंने उसके सुपाड़े पर से चमड़ी ऊपर सरका दी और उसके लाल चमकदार सुपाड़े को मलने लगी…. थोड़ा सा थूक लगा कर चिकना किया और हाथ में कस लिया। एक बार और थूक कर उसके लण्ड को मुठ मारने लगी…. उसका लण्ड जोर से फ़ड़फ़ड़ाया और पिचकारी छूट पड़ी…. मैं स्तब्ध रह गयी। मेरा हाथ थूक से पहले ही गीला था….अब वीर्य से नहा गया था।
“विजय…. ये तो माल निकल गया….” विजय अति उत्तेजना से हांफ़ रहा था।
मैंने सोचा इसे फिर से तैयार करते हैं…. चुदवाना तो था ही….
मैंने उसी के रूमाल से सब कुछ साफ़ किया और कहा,” अच्छा जी ! मुझे कितना तड़पाओगे…. अभी फिर से तैयार करती हूं….थोड़ी देर कोल्ड ड्रिंक पीते है….”
उसे प्यार से कह कर मैंने फ़्रिज से ड्रिंक्स निकाल ली और नंगी ही उसकी गोदी में बैठ कर पीने लगे…. मेरी गाण्ड के स्पर्श से उसका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। मैंने धीरे धीरे उसके लण्ड पर अपनी गाण्ड सहलाने लगी…. ड्रिंक्स समाप्त करके मैंने उसे फिर से सीधा लेटा दिया। उसका लण्ड सीधा तन्नाया हुआ खड़ा था।
मैंने जोश में आते हुये उसके ऊपर लेट कर लण्ड चूत में घुसेड़ लिया और जोर लगा कर पूरा घुसा लिया। उसने भी मुझे जकड़ लिया और अपने लण्ड का पूरा जोर नीचे से लगा दिया…. और मुझे लगा कि उसका जोर बढ़ता ही जा रहा है…. और मेरी चूत में उसका लण्ड फ़ूलता – पिचकता सा लगा…. मुझे अपनी चूत में उसका वीर्य का अहसास हो गया…….. विजय झड़ चुका था। मेरा सारा जोश ठण्डा पड़ गया। मैं उस पर निराशा से निढाल हो कर लेट गई….
मैं समझ चुकी थी कि विजय मात्र ऊपर से ही शानदार दिखता है…. पर अन्दर से खोखला है। मैं उस पर से धीरे से उठी और बाथ रूम में जाकर सारी सफ़ाई कर ली और कपड़े पहन लिये।
विजय शर्मिंदा लग रहा था…. पर मैंने उसे हिम्मत बढ़ाते हुये कहा,” विजय…. ये कोई समस्या नहीं है…. बस अति उत्तेजना का असर है…. चाहो तो होस्पिटल में किसी स्पेशलिस्ट से बात करो….किसी नीम हकीम से या न्यूज पेपर के विज्ञापन से दूर रहना….” मैंने उसे समझाया।
“काजल …. हां मैं आज ही मिलता हूं….” वो पहले से खुद की कमजोरी जानता था। मुझे उस पर मन में दया भी आई…. पर मैं …….. प्यासी ही रह गई…. उसका शरीर और रूप देख कर धोखा खा गई….
“चलो मुझे अब घर छोड़ आओ…. ” वो मेरे साथ तैयार हो कर निकल पड़ा।
मैं रास्ते भर सोचती रह गई…. बेहद खूबसूरत, ६ फ़ुट लम्बा, गोरा, कसरती शरीर, उसके शरीर की मसल्स…. यानी शो पीस…. Sex Stories
भाभी अपने एक Antarvasna एक अंग को मेरे शरीर के ऊपर दबा रही थी, सिसक रही थी… चुम्बनों से मेरा मुख गीला कर दिया था। लण्ड मेरा फ़ूलता ही जा रहा था। लग रहा कि बस भाभी की चिकनी चूत को मार ही दूँ। भाभी के हाथ जैसे कुछ ढूंढ रहे थे… और … और यह क्या … ढूंढते हुए उनका हाथ मेरे तने हुए लण्ड पर आ गया। उन्होंने उसे छू लिया … मेरा दिल अन्दर तक हिल गया। दो अंगुलियों से मेरे लण्ड को पकड़ लिया और हिलाने लगी। मुझे कुछ बचैनी सी हुई… पर मैं हिल ना सका… भाभी ने मेरे होंठों में अपनी जीभ डाल दी और मुझे कस कर चिपका लिया। मुझे एक अजीब सी सिरहन दौड़ गई। मेरे हाथ अपने आप भाभी की कमर पर कस गये। मेरा बड़ा सा लण्ड अचानक भाभी ने जोर से दबा दिया। मेरे मन में एक मीठी सी वासनायुक्त चिंगारी भड़क सी उठी।
“भाभी, आह यह कैसा आनन्द आ रहा है … प्लीज और जोर से दबाओऽऽ !” मैं सिसक उठा।
“आह मेरे भैया … क्या मस्त है … ” भाभी भी अपनी सीमा लांघती जा रही थी।
“भैया, अपना पजामा उतार दो !”
मेरे दिल यह सुनते ही बाग बाग हो उठा… आखिर भाभी का मन डोल ही गया। अब भाभी को चोदने का मजा आयेगा।
“नंगा होना पड़ेगा… मुझे तो शरम आयेगी !”
“चल उतार ना … “
“भाभी… मुझसे भी नहीं रहा जाता है … मुझे भी कुछ करने दो !”
भाभी की हंसी छूट गई …
“किसने मना किया है … कोई ओर होता तो जाने अब तक क्या कर रहा होता !”
“मैं बताऊँ कि क्या कर रहा होता?”
“हूँ… अच्छा बताओ तो…”
“तुम्हें चोद रहा होता… तुम्हारी चूंचियों को मसल रहा होता !”
“हाय ये क्या कह दिया कमल … ” उन्होंने मुझे चूम लिया और अपना पेटीकोट ऊपर उठा लिया।
“ले मैं अपना पेटीकोट ऊपर उठा लेती हूँ, तू अपना पजामा नीचे सरका ले !”
“नहीं भाभी, अब तो अपने पूरे कपड़े ही उतार दो… मैं भी उतार देता हूँ”
मैंने बिस्तर से उतर कर अपने सारे कपड़े उतार दिये और बत्ती जला दी। भाभी भी पूरी नंगी हो चुकी थी। पर लाईट जलते ही वो अपने बदन को छिपाने लगी। मैं भाभी के बिलकुल सामने लण्ड तान कर खड़ा हो गया। एक बारगी तो भाभी ने तिरछी नजरों से मुझे देखा, फिर लण्ड को देखा और मुस्करा उठी। वो जैसे ही मुड़ी मैंने उन्हें पीछे से दबोच लिया। मेरा लण्ड उनके चूतड़ों की दरार में समाने लगा।
“क्या पिछाड़ी मारेगा …”
“भाभी, आपकी गाण्ड कितनी आकर्षक है … एक बार गाण्ड चोद दूंगा तो मुझे चैन आ जायेगा… हाय कितनी मस्त और चिकनी है !”
“तो तेल लगा दे पहले …”
मैंने तेल ले कर उसकी गाण्ड में लगा दिया और अपनी अंगुली भी गाण्ड में घुसा दी।
“ऐ … अंगुली नहीं, लण्ड घुसा…” फिर हंस दी।
भाभी पलंग पर हाथ रख कर घोड़ी सी बन गई। मैंने भाभी के चूतड़ को चीर कर तेल से भरे छेद पर अपना लण्ड रख दिया।
“अब धीरे से अन्दर धकेल दे … देख धीरे से…!”
मुझे गाण्ड मारने का कोई अनुभव नहीं था, पर भाभी के कहे अनुसार मैंने धीरे से दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया। मेरा सुपाड़ा फ़क से छेद में उतर गया।
“अब देख जोर से धक्का मारना … इतना जोर से कि मेरी गाण्ड फ़ट जाये !”
मैंने पोजिशन सेट की और जोर से लण्ड को अन्दर दबा कर पेल दिया। मेरे लण्ड में एक तेज जलन सी हुई। मैंने लण्ड को तुरन्त बाहर खींच लिया। मेरे लण्ड की सुपाड़े से चिपकी झिल्ली फ़ट गई थी और खून की एक लकीर सी नजर आई।
“क्या हुआ…? निकाला क्यूँ …? हाय कितना मजा आया था… !” भाभी तड़प कर बोली।
“यह तो देखो ना भाभी ! खून निकल आया है…!”
भाभी ने मुझे चूम लिया… और मुझसे लिपट गई।
“आह कमल, प्योर माल हो …”
“क्या मतलब … प्योर माल ?”
“अरे कुछ नहीं… इसे तो ठीक होने में समय लगेगा… तो ऐसा करो कि मन की आग तो बुझा लें … कुछ करें…”
भाभी ने मेरे हाथ अपने सीने पर रख दिये… और इशारा किया कि उसे दबाये। मुझे इसका पूरा आईडिया था। भाभी की नंगी छातियों को मैं सहलाने लगा। भाभी ने अपनी आंखें बन्द कर ली। उनके उभारों को मैं दबा दबा कर सहलाने लगा था।
वासना से उनकी छाती कड़ी हो चुकी थी और चुचूक भी कड़क हो कर तन से गये थे। मैंने हौले हौले से चुचूकों और उरोजों को दबाना और मसलना आरम्भ कर दिया। भाभी के मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मेरी नजरें भाभी की रस भरी चूत पर पड़ी और मैं जैसे किसी अनजानी शक्ति से उसकी ओर झुक गया। मैंने अब उसकी चूचियाँ छोड़ दी थी और उनकी जांघों को दबा कर एक तरफ़ करने लगा। भाभी ने स्वतः ही अपनी टांगें चौड़ी कर ली। चूत की एक मदहोश करने वाली महक आई और मेरा चेहरा उस पर झुकता चला गया। मैंने उसकी पतली सी दरार में जीभ घुमाई, भाभी तड़प सी गई। मेरा लण्ड बेहद कड़क हो उठा था पर हल्का दर्द भी था। मैंने भाभी की गाण्ड के छेद में एक उंगली घुसा दी और चूत के दाने और लम्बी से फ़ांक को चाटने लगा। भाभी तीव्र वासना की पीड़ा में जोर से कांपने लगी थी। उनकी जांघें जैसे कंपकंपी से लहराने लगी थी। उनके मुख प्यारी सी सी… सी सी करती हुई सिसकारियाँ फ़ूट रही थी। तभी उन्होंने मेरा चेहरा अपनी टांगों से दबा लिया और झड़ने लगी। उनका रज छूट गया था। अब उन्होने अपनी टांगें पर बिस्तर पर पसार दी थी और गहरी गहरी सांसें ले रही थी।
इधर मेरा लण्ड फ़ूल कर कुछ कर गुजरने को तड़प रहा था। पर दर्द अभी था।
भाभी ने कहा,” कमल, तुम अब बिस्तर पर अपनी आंखें बन्द कर के लेट जाओ… बस आनन्द लो !”
मैं बिस्तर पर चित्त लेट गया। लण्ड कड़क हो कर लग रहा था कि फ़ट जायेगा। तभी मुझे अपने लण्ड पर कोमल सा स्पर्श महसूस हुआ। भाभी ने रक्त रंजित लण्ड अपने मुख में लिया था और हल्के से बहुत मनोहारी तरीके से चूस रही थी। मैं दर्द वगैरह सब भूल गया। भाभी ने अपने अंगूठे और एक अंगुली से मेरे लण्ड के डण्डे के पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगी। मेरे शरीर में वासना की आग जल उठी। भाभी की पकड़ बस डण्डे के निचले भाग पर ही थी। भाभी के होंठ मेरे जरा से निकले खून से लाल हो गये थे। उनकी आंखें बन्द थी और और उनकी अंगुलियाँ और मुख दोनों ही मेरे लण्ड को हिलाते और चूसते … मुझे आनन्द की दुनिया में घुमा रहे थे। मेरा दिल अब भाभी को चोदने को करने लगा था, पर भाभी समझदार थी, सो मेरे लण्ड को अब वो जरा दबा कर मल रही थी। शरीर में आग का शोला जैसे जल रहा था। मेरे सोचने की शक्ति समाप्त हो गई थी। बस भाभी और लण्ड ही नजर आ रहा था। अचानक जैसे शोला भभका और बुझ गया। मैंने तड़प कर अपना गाढ़ा वीर्य जोर से बाहर निकाल दिया। भाभी ने अपना अनुभव दिखाते हुये पूरे वीर्य को सफ़ाई के साथ निगल लिया। मैं अपना वीर्य पिचकारियों के रूप में निकालता रहा।
“अब कमल जी, आराम करो, बहुत हो गया…”
“पर भाभी, मेरा लण्ड बस एक बार अपनी चूत में घुसवा लो, बहुत दिनों से मैं तुम्हें चोदने के लिये तड़प रहा हूँ…”
“श्…श्… धीरे बोलो … अभी तीन चार दिनों तक इन्तज़ार करो… वर्ना ये चोट खराब ना हो जाये, दिन में कई बार इसे साफ़ करना…!”
वो मुझे हिदायतें देकर चली गई।
अब रोज रात को हम दोनों का यही खेल चलने लगा। तीन चार दिन बाद मेरा लण्ड ठीक हो गया और मैंने आज तो सोच ही लिया था कि भाभी की गाण्ड और चूत दोनों बजाना है… पर मेरा सोचना जैसा उसका सोचना भी था। उसने भी यही सोचा था कि आज की रात सुहागरात की तरह मनाना है।
रात होते ही भाभी अपना मेकअप करके आई थी। बेहद कंटीली लग रही थी। कमरे में आते ही उन्होंने अपना पेटीकोट उतार फ़ेंका। उनके देखा देखी मैंने भी अपना पजामा उतार दिया और मेरे तने हुये लण्ड को उनकी ओर उभार दिया। हम दोनों ही वासना में चूर एक दूसरे से लिपट गये। भाभी के रंगे हुये लिपस्टिक से लाल होंठ मेरे अधरों से चिपक गये। उनके काजल से काले नयन नशे में गुलाबी हो उठे थे। भाभी के बाल को मैंने कस के पकड़ लिया और अपने जवान लण्ड की ठोकरें चूत पर मारने लगा।
“बहुत करारा है रे आज तो तेरा लण्ड … लगता है आज तो फ़ाड़ ही डालेगा मेरी…!”
“भाभी, खोल दे पूरी आज, अन्दर घुसा ले मेरा ये किंग लिंग… मेरी जान निकाल दे … आह्ह्ह … ले ले मेरा लण्ड !”
” बहुत जोर मार रहा है, कितना करारा है … तो घुसा दे मेरी पिच्छू में … देख कितनी सारी क्रीम गाण्ड में घुसा कर आई हूँ … यह देख !”
भाभी ने अपनी गोरी गोरी गाण्ड मेरी तरफ़ उभार दी … मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने अपना कड़कता हुआ लण्ड उनकी क्रीम भरी गाण्ड के छेद के ऊपर जमा दिया। मेरा सुपारा जोर लगाते ही आप से खुल पड़ा और छेद में समाता चला गया। मुझे तेज मिठास भरी गुदगुदी हुई। भाभी झुकी हुई थी पर उनके पास कोई हाथ टिकाने की कोई वस्तु नहीं थी। मैंने लण्ड को गाण्ड में फ़ंसाये हुये भाभी को कहा,”पलंग तक चल कर बताओ इस फ़ंसे हुये लण्ड के साथ तो मजा आ जाये !”
“कोशिश करूँ क्या …”
भाभी धीरे से खड़ी हो गई पर गाण्ड को लण्ड की तरफ़ उभार रखा था। मेरा लम्बा लण्ड आराम से उसमें फ़ंसा हुआ था। भाभी के चलते ही मेरे लण्ड में गाण्ड का घर्षण होने लगा, मेरा लण्ड दोनों गोलों के बीच दब गया। वो और मैं कदम से कदम मिला कर आगे बढ़े … और अंततः पलंग तक पहुँच ही गये। इस बीच गाण्ड में लण्ड फ़ंसे होने से मुझे लगा कि मेरा तो माल निकला… पर नहीं निकला… पलंग तक पहुंच कर भाभी हंसते हुये बोली,”मेरी गाण्ड में लण्ड फ़ंसा कर जाने क्या क्या करोगे … फिर चूत में घुसा कर मुझे ना चलाना !”
“नहीं भाभी मुझे लगा कि अब तुम झुकोगी कैसे, सो कहा था कि पलंग तक चलो।”
“चल शरीर कहीं के …” भाभी ने हंसते हुये कहा और अपनी टांगें फ़ैलाने लगी और आराम जैसी पोजीशन में आ गई। आधा बाहर निकला हुआ लण्ड मैंने धीरे से दबा कर पूरा अन्दर तक उतार दिया। इस बार मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द आ रहा था। कसी हुई गाण्ड का मजा ही कुछ और ही होता है। भाभी पीछे मुड़ कर मुझे देखने लगी। मैं तो धक्के मारने में लगा हुआ था। अचानक भाभी हंस दी।
“सूरत तो देखो… जैसे कोई खजाना मिल गया हो … चोदते समय तुम कितने प्यारे लगते हो !”
“भाभी, उधर देखो ना, मुझे शरम आती है…”
“अच्छा जरा अब जम कर चोद दे…” भाभी ने मुझे और उकसाया।
मेरे धक्के तेज हो गये थे। भाभी भी अपनी गाण्ड हिला कर आनन्द ले रही थी।
“अरे मर गई मां … ये क्या … मेरी चूत चोदने लगे…”
पता नहीं कब जोर जोर से चोदने के चक्कर में लण्ड पूरा बाहर निकल रहा था और पूरा अन्दर जा रहा था। इस बार ना जाने कैसे फ़िसल कर उनकी रस भरी चूत में चला गया।
“ओह भाभी सॉरी … ये जाने कहां कहां मुँह मारता रहता है !”
भाभी मेरी इस बात पर हंस दी,”चल चूत में अधिक मजा आ रहा है… साला भचाक से पूरा ही घुस गया।”
मैंने उनकी चूत को जोर जोर से चोदना आरम्भ कर दिया। इस बार भाभी की सिसकियाँ तेज थी।
“भाभी जरा धीरे से … मजा तो मुझे भी आ रहा है, पर पकड़े गये तो सारा मजा गाण्ड में घुस जायेगा !”
“क्या करूँ, बहुत मजा आ रहा है …” भाभी ने अपना मुख भींच लिया और सिसकारी के बदले जोर जोर से अपनी सांसें छोड़ने लगी।
“अरे मर गई साले … भेनचोद … फ़ाड़ दे मेरी … चोद दे इस भोसड़ी को … मां ऽऽऽऽऽ…”
“भाभी, खूब मजा आ रहा है ना … मुझे मालूम होता तो मैं आपको पहले ही चोद मारता…”
“बस चोद दे मेरे राजा … उफ़्फ़्फ़्फ़ … साला क्या लौड़ा है …अंह्ह्ह्ह्ह्…।”
भाभी का बदन मस्त चुदाई से मैं तो ऐंठने लगा था। उसने अपनी चूत और चौड़ा दी … मुझे चूत में फ़ंसा लण्ड साफ़ दिखने लगा था… मैंने शरारत की, उसके फ़ूल जैसे उभरे हुये गाण्ड के छेद में अपनी दो अंगुलियाँ प्रवेश करा दी। इसमें उसे बहुत मजा आया…”और जोर से गाण्ड में घुसा दे… साले तू तो मस्त लौण्डा है … जोर के कर !”
लण्ड चूत चोद रहा था और अंगुलियाँ गाण्ड में अन्दर बाहर होने लगी थी।
“भेन की चूत … मेरे राजा … मैं तो गई …”
“मैं भी आया… तेरी तो मां की चूत…”
“राजा और जमा के मार दे …”
“ले रानी … ले … लपक लपक कर ले … पूरा ले ले … साली चूत है या … ओह मैं गया…”
एक सीत्कार के साथ भाभी का रस चू पड़ा… और मेरा वीर्य भी… आह उसकी चूत में भरने लगा। वो और झुक गई, अपना सर बिस्तर से लगा लिया। हम दोनों पसीना पसीना हो चुके थे … उसके पांव अब थरथराने लग गये थे… शायद वो इस अवस्था में थक गई थी। मैंने भाभी को सहारा दे कर बिस्तर पर लेटा दिया। भाभी ने अपना हाथ बढ़ा कर मुझे खींच लिया। मैं कटे वृक्ष के समान उनके ऊपर गिर पड़ा। भाभी ने अपने बदन के साथ मुझे पूरा चिपका लिया और बहुत ही इत्मिनान से मुझे लपेटे में लेकर प्यार करने लगी। जाने कब तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे, प्यार करते रहे… तभी भाभी चिंहुक उठी। मेरा खड़ा लण्ड जाने कब उनकी चूत में जोर मार कर अन्दर घुस कर चूत को चूमने लगा था। लाल टोपा चूत की गुलाबी चमड़ी को सहलाता हुआ भीतर घुस कर ठोकर मार कर अपनी मर्दानगी दिखाना चाह रहा था …… रात फिर से गर्म हो उठी थी… दो जवान जिस्मों का वासना भरा खेल फिर से आरम्भ हो गया था … दिल की हसरतें काम रस के रूप में बाहर निकल आती और फिर से एक नया दौर शुरू हो जाता.. Antarvasna
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