Our site can help you find a professional massage girl in Shrawasti who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Shrawasti that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Shrawasti massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Shrawasti who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Shrawasti massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Shrawasti massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Shrawasti who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Shrawasti employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Shrawasti helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Shrawasti
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Shrawasti at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
मेरा नाम गौरी सिंह है। मैं एक Antarvasna शादी शुदा औरत हूँ। गुजरात में सूरत के पास एक टेक्सटाइल इंडस्ट्री में मेरे पति अशोक सिंह इंजीनियर की पोस्ट पे काम करते हैं। उनके टेक्सटाइल मिल में हमेशा लेबर का मसला रहता है ।
मजदूरों का नेता भोगी भाई बहुत ही काइयाँ किस्म का आदमी है। ऑफिसर लोगों को उस आदमी को हमेशा पटा कर रखना पड़ता है। मेरे पति की उससे बहुत पटती थी। मुझे उनकी दोस्ती फूटी आँख भी नहीं सुहाती थी।
शादी के बाद मैं जब नई-नई आई थी, वह पति के साथ अक्सर आने लगा। उसकी आँखें मेरे जिस्म पर फिरती रहती थी। मेरा जिस्म वैसे भी काफी सैक्सी था। वो पूरे जिस्म पर नजरें फ़ेरता रहता था। ऐसा लगता था मानो वो ख्यालों में मुझे नंगा कर रहा हो। निकाह के बाद मुझे किसी को यह बताने में बहुत शर्म आती थी। फिर भी मैंने बृज को समझाया कि ऐसे आदमियों से दोस्ती छोड़ दे मगर वो कहता था कि प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने पर थोड़ा बहुत ऐसे लोगों से बना कर रखना पड़ता ही है।
उनकी इस बात के आगे मैं चुप हो जाती थी। मैंने कहा भी कि वह आदमी मुझे बुरी नज़रों से घूरता रहता है। मगर वो मेरी बात पर कोई ध्यान नहीं देते थे। भोगी भाई कोई 45 साल का भैंसे की तरह काला आदमी था। उसका काम हर वक्त कोई ना कोई खुराफ़ात करना रहता था, उसकी पहुँच ऊपर तक थी, उसका दबदबा आस पास की कईं कंपनियों में चलता था।
बाज़ार के नुक्कड़ पर उसकी कोठी थी जिसमें वो अकेला ही रहता था। कोई परिवार नहीं था मगर लोग बताते थे कि वो बहुत ही रंगीला एय्याश आदमी था और अक्सर उसके घर में लड़कियाँ भेजी जाती थी। हर वक्त कईं चमचों से घिरा रहता था। वो सब देखने में गुंडे से लगते थे। सूरत और इसके आसपास काफी टेक्सटाइल की छोटी मोटी फैक्ट्रियाँ हैं। इन सब में भोगी भाई की आज्ञा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था। उसकी पहुँच यहाँ के मंत्री से भी ज्यादा थी।
बृज के सामने ही कईं बार मेरे साथ गंदे मजाक भी करता था। मैं गुस्से से लाल हो जाती थी मगर बृज हंस कर टाल देता था।
बाद में मेरे शिकायत करने पर मुझे बांहों में लेकर मेरे होंठों को चूम कर कहता- गौरी तुम हो ही ऐसी कि किसी का भी मन डोल जाये तुम पर। अगर कोई तुम्हें देख कर ही खुश हो जाता हो तो हमें क्या फर्क पड़ता है।
होली से दो दिन पहले एक दिन किसी काम से भोगी भाई हमारे घर पहुँचा। दिन का वक्त था। मैं उस समय बाथरूम में नहा रही थी। बाहर से काफी आवाज लगाने पर भी मुझे सुनाई नहीं दिया था। शायद उसने घंटी भी बजाई होगी मगर अंदर पानी की आवाज में मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया।
मैं अपनी धुन में गुनगुनाती हुई नहा रही थी। घर के मुख्य दरवाज़े की चिटकनी में कोई नुक्स था। दरवाजे को जोर से धक्का देने पर चिटकनी अपने आप गिर जाती थी। उसने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो दरवाजे की चिटकनी गिर गई और दरवाजा खुल गया।
भोगी भाई ने बाहर से आवाज लगाई मगर कोई जवाब ना पाकर दरवाजा खोल कर झाँका, कमरा खाली पाकर वो अंदर दाखिल हो गया। उसे शायद बाथरूम से पानी गिरने कि और मेरे गुनगुनाने की आवाज आई तो पहले तो वो वापस जाने के लिये मुड़ा मगर फ़िर कुछ सोच कर धीरे से दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और मुड़ कर बेडरूम में दाखिल हो गया।
मैंने घर में अकेले होने के कारण कपड़े बाहर बेड पर ही रख रखे थे। उन पर उसकी नजर पड़ते ही आँखों में चमक आ गई। उसने सारे कपड़े समेट कर अपने पास रख लिये। मैं इन सब से अन्जान गुनगुनाती हुई नहा रही थी।
नहाना खत्म कर के जिस्म तौलिये से पोंछ कर पूरी तरह नंगी बाहर निकली। वो दरवाजे के पीछे छुपा हुआ था इसलिए उस पर नजर नहीं पड़ी। मैंने पहले ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहारा। फिर जिस्म पर पाऊडर छिड़क कर कपड़ों की तरफ हाथ बढ़ाये। मगर कपड़ों को बिस्तर पर ना पाकर चौंक गई। तभी दरवाजे के पीछे से भोगी भाई लपक कर मेरे पीछे आया और मेरे नंगे जिस्म को अपनी बांहों की गिरफ़्त में ले लिया।
मैं एकदम घबरा गई, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। उसके हाथ मेरे जिस्म पर फ़िर रहे थे। मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथों से मसल रहा था। एक हाथ मेरी चूत पर फ़िर रहा था।
अचानक उसकी दो अँगुलियाँ मेरी चूत में घुस गई। मैं एकदम से चिहुँक उठी और उसे एक जोर से झटका दिया और उसकी बांहों से निकल गई। मैं चीखते हुए दरवाजे की तरफ़ दौड़ी मगर कुंडी खोलने से पहले फ़िर उसकी गिरफ़्त में आ गई। वो मेरे मम्मों को बुरी तरह मसल रहा था।
‘छोड़ कमीने नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी.’ मैंने चीखते हुए कहा। तभी हाथ चिटकनी तक पहुँच गये और दरवाजा खोल दिया। मेरी इस हर्कत की उसे शायद उम्मीद नहीं थी। मैंने एक जोरदार झापड़ उसके गाल पर लगाया और अपनी नंगी हालत की परवाह ना करते हुए मैंने दरवाजे को खोल दिया।
मैं शेरनी की तरह चीखी- निकल जा मेरे घर से…
और उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया।
उसकी हालत चोट खाये शेर की तरह हो रही थी, चेहरा गुस्से से लाल सुर्ख हो रहा था, उसने फुफकारते हुए कहा- साली बड़ी सती सावित्री बन रही है… अगर तुझे अपने नीचे ना लिटाया तो मेरा नाम भी भोगी भाई नहीं। देखना एक दिन तू आयेगी मेरे पास मेरे लंड को लेने। उस समय अगर तुझे अपने इस लंड पर ना कुदवाया तो देखना।
मैंने भड़ाक से उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया, मैं वहीं दरवाजे से लग कर रोने लगी।
शाम को जब बृज आया तो उस पर भी फ़ट पड़ी। मैंने उसे सारी बात बताई और ऐसे दोस्त रखने के लिये उसे भी खूब खरी खोटी सुनाई। पहले तो बृज ने मुझे मनाने की काफी कोशिश की, कहा कि ऐसे बुरे आदमी से क्या मुँह लगना।
मगर मैं तो आज उसकी बातों में आने वाली नहीं थी, आखिर वो उस से भिड़ने निकला।
भोगी भाई से झगड़ा करने पर भोगी भाई ने भी खूब गालियाँ दी, उसने कहा- तेरी बीवी नंगी होकर दरवाजा खोल कर नहाये तो इसमें सामने वाले की क्या गलती है। अगर इतनी ही सती सावित्री है तो बोला कर कि बुर्के में रहे।
उसके आदमियों ने धक्के देकर बृज को बाहर निकाल दिया। पुलिस में कंपलेंट लिखाने गये मगर पुलिस ने कंपलेंट लिखने से मना कर दिया, सब उससे घबराते थे।
खैर खून का घूँट पीकर चुप हो जाना पड़ा। बदनामी का भी डर था और बृज की नौकरी का भी सवाल था।
धीरे-धीरे समय गुजरने लगा। चौराहे पर अक्सर भोगी भाई अपने चेले चपाटों के साथ बैठा रहता था। मैं कभी वहाँ से गुजरती तो मुझे देख कर अपने साथियों से कहता- बृज की बीवी बड़ी कंटीली चीज है… उसकी चूचियों को मसल-मसल कर मैंने लाल कर दिया था। चूत में भी अँगुली डाली थी। नहीं मानते हो तो पूछ लो।
‘क्यों गौरी जान याद है ना मेरे हाथों का स्पर्श’
‘कब आ रही है मेरे बिस्तर पर?’
मैं ये सब सुन कर चुपचाप सिर झुकाये वहाँ से गुजर जाती थी।
दो महीने बाद की बात है। बृज के साथ शाम को बाहर घुमने जाने का प्रोग्राम था और मैं उसका ऑफिस से वापिस आने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने एक कीमती साड़ी पहनी और अच्छे से बन-सँवर के अपने गोरे पैरों में नई सैंडल पहनी। अचानक बृज की फैक्ट्री से फोने आया- मैडम, आप मिसेज सिंह बोल रही हैं?
‘हाँ बोलिये’ मैंने कहा।
‘मैडम पुलिस फैक्ट्री आई थी और सिंह साहब को गिरफतार कर ले गई।’
‘क्या? क्यों?’ मेरी समझ में ही नहीं आया कि सामने वाला क्या बोल रहा है।
‘मैडम कुछ ठीक से समझ में नहीं आ रहा है। आप तुरंत यहाँ आ जाइये।’
मैं जैसी थी वैसी ही दौड़ी गई बृज के ऑफिस।
वहाँ के मालिक कामदार साहब से मिली तो उन्होंने बताया कि दो दिन पहले उनकी फैक्ट्री में कोई एक्सीडेंट हुआ था जिसे पुलिस ने मर्डर का केस बना कर बृज के खिलाफ़ चार्जशीट दायर कर दी थी।
मैं एकदम हैरान रह गई, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।
‘लेकिन आप तो जानते हैं कि बृज ऐसा आदमी नहीं है। वो आपके के पास पिछले कईं सालों से काम कर रहा है। कभी आपको उनके खिलाफ़ कोई भी शिकायत मिली है क्या?’ मैंने मिस्टर कामदार से पूछा।
‘देखिये मिसेज सिंह! मैं भी जानता हूँ कि इसमें बृज का कोई भी हाथ नहीं है मगर मैं कुछ भी कहने में असमर्थ हूँ।’
‘आखिर क्यों?’
‘क्योंकि उसका एक चश्मदीद गवाह है… भोगी भाई’ मेरे सिर पर जैसे बम फ़ट पड़ा। मेरी आँखों के सामने सारी बातें साफ़ होती चली गई।
‘वो कहता है कि उसने बृज को जान बूझ कर उस आदमी को मशीन में धक्का देते देखा था।’
‘ये सब सरासर झूठ है… वो कमीना जान बूझ कर बृज को फँसा रहा है’ मैंने लगभग रोते हुए कहा।
‘देखिये मुझे आपसे हमदर्दी है मगर मैं आपकी कोई भी मदद नहीं कर पा रहा हूँ… इंसपेक्टर गावलेकर की भी भोगी भाई से अच्छी दोस्ती है। सारे वर्कर बृज के खिलाफ़ हो रहे हैं… मेरी मानो तो आप भोगी भाई से मिल लो… वो अगर अपना बयान बदल ले तो ही बृज बच सकता है।’
‘थूकती हूँ मैं उस कमीने पर’ कहकर मैं वहाँ से पैर पटकती हुई निकल गई। मगर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मैं पुलिस स्टेशन पहुँची।
वहाँ काफ़ी देर बाद बृज से मिलने दिया गया। उसकी हालत देख कर तो मुझे रोना आ गया। बाल बिखरे हुए थे। आँखों के नीचे कुछ सूजन थी। शायद पुलिस वालों ने मारपीट भी की होगी।
मैंने उससे बात करने की कोशिश की मगर वो कुछ ज्यादा नहीं बोल पाया। उसने बस इतना ही कहा- अब कुछ नहीं हो सकता। अब तो भोगी भाई ही कुछ कर सकता है।’
मुझे किसी ओर से उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी, आखिरकार मैंने भोगी भाई से मिलने का फैसला किया।
शायद उसे मुझ पर रहम आ जाये। शाम के लगभग आठ बज गये थे। मैं भोगी भाई के घर पहुँची।
गेट पर दर्बान ने रोका तो मैंने कहा- साहब को कहना मिसेज सिंह आई हैं।’
गार्ड अंदर चला गया। कुछ देर बाद बाहर अकर कहा- अभी साहब बिज़ी हैं, कुछ देर इंतज़ार कीजिये।
पंद्रह मिनट बाद मुझे अंदर जाने दिया। मकान काफी बड़ा था। अंदर ड्राईंग रूम में भोगी भाई दिवान पर आधा लेटा हुआ था। उसके तीन चमचे कुर्सियों पर बैठे हुए थे। सबके हाथों में शराब के ग्लास थे। सामने टेबल पर एक बोतल खुली हुई थी। मैं कमरे की हालत देखते हुए झिझकते हुए अंदर घुसी।
‘आ बैठ’ भोगी भाई ने अपने सामने एक खाली कुर्सी की तरफ़ इशारा किया।
‘वो… वो मैं आपसे बृज के बारे में बात करना चाहती थी।’ मैं जल्दी वहाँ से भागना चाहती थी।
‘ये अपने सुदर्शन कपड़ा मिल के इंजीनियर की बीवी है… बड़ी सैक्सी चीज है।’ उसने अपने ग्लास से एक घूँट लेते हुए कहा।
सारे मुझे वासना भरी नज़रों से देखने लगे। उनकी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे।
‘हाँ बोल क्या चाहिये?’
‘बृज ने कुछ भी नहीं किया’ मैंने उससे मिन्नत की।
‘मुझे मालूम है..’
‘पुलिस कहती है कि आप अपना बयान बदल लेंगे तो वो छूट जायेंगे’
‘क्यों? क्यों बदलूँ मैं अपना बयान?’
‘प्लीज़, हम पर…?’
‘सड़ने दो साले को बीस साल जेल में… आया था मुझसे लड़ने।’
‘प्लीज़, आप ही एक आखिरी उम्मीद हो।’
‘लेकिन क्यों? क्यों बदलूँ मैं अपना बयान? मुझे क्या मिलेगा’ भोगी भाई ने अपने होंठों पर मोटी जीभ फ़ेरते हुए कहा।
‘आप कहिये आपको क्या चाहिए… अगर बस में हुआ तो हम जरूर देंगे।’ कहते हुए मैंने अपनी आँखें झुका ली। मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है। भोगी भाई अपनी जगह से उठा। अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आ गया।
मैं सख्ती से आँखें बंद कर उसके पैरों की पदचाप सुन रही थी। मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गई थी जो अपना सिर झाड़ियों में डाल कर सोचता है कि भेड़िये से वो बच जायेगा। उसने मेरे पीछे आकर साड़ी के आँचल को पकड़ा और उसे छातियों पर से हटा दिया। फिर उसके हाथ आगे आये और सख्ती से मेरी चूचियों को मसलने लगे।
‘मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक दिन के लिये’ उसने मेरे कानों के पास धीरे से कहा। मैंने रज़ामंदी में अपना सिर झुका लिया।
‘ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल’ वो मेरे ब्लाऊज़ के अंदर अपने हाथ डाल कर सख्ती से चूचियों को निचोड़ने लगा। इतने लोगों के सामने मैं शरम से गड़ी जा रही थी। मैंने सिर हिलाया।
‘मुँह से बो…’
‘हाँ’ मैं धीरे से बुदबुदाई।
‘जोर से बोल… कुछ सुनाई नहीं दिया! तुझे सुनाई दिया रे चपलू?’ उसने एक से पूछा।
‘नहीं’ जवाब आया।
‘मुझे मंजूर है!’ मैंने इस बार कुछ जोर से कहा।
‘क्यों फूलनदेवी जी, मैंने कहा था ना कि तू खुद आयेगी मेरे घर और कहेगी कि प्लीज़ मुझे चोदो। कहाँ गई तेरी अकड़? तू पूरे 24 घंटों के लिये मेरे कब्जे में रहेगी। मैं जैसा चाहूँगा, तुझे वैसा ही करना होगा। तुझे अगले 24 घंटे बस अपनी चूत खोल कर रंडियों की तरह चुदवाना है। उसके बाद तू और तेरा मर्द दोनो आज़ाद हो जाओगे।
उसने कहा- और नहीं तो तेरा मर्द तो 20 साल के लिये अंदर होगा ही तुझे भी रंडीबाज़ी के लिये अंदर करवा दूँगा। फिर तो तू वैसे ही वहाँ से पूरी रंडी बन कर ही बाहर निकलेगी।
‘मुझे मंजूर है।’ मैंने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा।
वो जाकर वापस अपनी जगह बैठ गया।
‘चल शुरू हो जा… आपने सारे कपड़े उतार… मुझे औरतों के जिस्म पर कपड़े अच्छे नहीं लगते!’ उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया। ‘अब ये कपड़े कल शाम के दस बजे के बाद ही मिलेंगे। चल इनको भी दिखा तो सही कि तुझे अपने किस हुस्न पर इतना गरूर है। वैसे आई तो तू काफी सज-धज कर है!’
मैंने कांपते हाथों से ब्लाऊज़ के बटन खोलना शुरू कर दिया। सारे बटन खोलकर ब्लाऊज़ के दोनों हिस्सों को अपनी चूचियों के ऊपर से हटाया तो ब्रा में कसे हुए मेरे दोनों मम्मे उन भूखी आँखों के सामने आ गये।
मैंने ब्लाऊज़ को अपने जिस्म से अलग कर दिया। चारों की आँखें चमक उठी। मैंने जिस्म से साड़ी हटा दी। फिर मैंने झिझकते हुए पेटीकोट की डोरी खींच दी। पेटीकोट सरसराता हुआ पैरों पर ढेर हो गया।
चारों की आँखों में वासना के सुर्ख डोरे तैर रहे थे।
मैं उनके सामने ब्रा, पैंटी और हाई हील के सैंडल में खड़ी हो गई।
‘मैंने कहा था सारे कपड़े उतारने को !’ भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा।
‘प्लीज़ मुझे और जलील मत करो।’ मैंने उससे मिन्नतें की।
‘अबे राजे फोन लगा गोवलेकर को। बोल साले बृज को रात भर हवाई जहाज बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे।’
‘नहीं नहीं, ऐसा मत करना। आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी।’ कहते हुए मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को आहिस्ता से जिस्म से अलग कर दिया।
अब मैंने पूरी तरह से तसलीम का फ़ैसला कर लिया। ब्रा के हटते ही मेरी दूधिया चूचियाँ रोशनी में चमक उठी। चारों अपनी-अपनी जगह पर कसमसाने लगे। वो लोग गर्म हो चुके थे और बाकी तीनों की पैंट पर उभार साफ़ नजर आ रहा था।
भोगी भाई लूँगी के ऊपर से ही अपने लंड पर हाथ फ़ेर रहा था। लूँगी के ऊपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था कि अब मेरी खैर नहीं।
मैंने अपनी अंगुलियाँ पैंटी की इलास्टिक में फंसाईं तो भोगी भाई बोल उठा- ठहर जा… यहाँ आ मेरे पास।
मैं उसके पास आकर खड़ी हो गई। उसने अपने हाथों से मेरी चूत को कुछ देर तक मसला और फ़िर पैंटी को नीचे करता चला गया।
अब मैं पूरी तरह नंगी हो कर सिर्फ सैंडल पहने उसके सामने खड़ी थी।
‘राजे! जा और मेरा कैमरा उठा ला।’
मैं घबरा गई- आपने जो चाहा, मैं दे रही हूँ फ़िर ये सब क्यों?
‘तुझे मुँह खोलने के लिये मना किया था ना?’
एक आदमी एक मूवी कैमरा ले आया। उन्होंने बीच की टेबल से सारा सामान हटा दिया। भोगी भाई मेरी चिकनी चूत पर हाथ फ़िरा रहा था।
‘चल बैठ यहाँ…’ उसने बीच की टेबल की ओर इशारा किया।
मैं उस टेबल पर बैठ गई, उसने मेरी टाँगों को जमीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा।
मैं अपने सैंडल खोलने लगी तो उसने मना कर दिया- इन ऊँची ऐड़ी की सैंडलों में अच्छी लग रही है तू।’
मैंने वैसा ही पैर टेबल पर रख लिये।
‘अब टाँगें चौड़ी कर…’
मैं शर्म से दोहरी हो गई मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा फ़ैलाया।
‘और फ़ैला…’
मैंने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फ़ैला दिया। मेरी चूत उनकी आँखों के सामने बेपर्दा थी। चूत के दोनों लब खुल गये थे। मैं चारों के सामने चूत फ़ैला कर बैठी हुई थी, उनमें से एक मेरी चूत की तस्वीरें ले रहा था।
‘अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसको चौड़ा कर !’ भोगी भाई ने कहा।
वो अब अपनी तहमद खोल कर अपने काले मूसल जैसे लंड पर हाथ फ़ेर रहा था, मैं तो उसके लंड को देख कर ही सिहर गई, गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लंड मैंने पहली बार देखा था। लंड भी पूरा काला था।
मैंने अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसे सबके सामने फ़ैल दिया। चारों हंसने लगे।
‘देखा, मुझसे पंगा लेने का अंजाम? बड़ा गरूर था इसको अपने रूप पर। देख आज मेरे सामने कैसे नंगी अपनी चूत फ़ैला कर बैठी हुई है।’ भोगी भाई ने अपनी दो मोटी-मोटी अंगुलियाँ मेरी चूत में घुसा दी।
मैं एकदम से सिहर उठी, मैं भी अब गर्म होने लगी थी, मेरा दिल तो नहीं चाह रहा था मगर जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था। उसकी अंगुलियाँ कुछ देर तक अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो चूत रस से चुपड़ी हुई थी। उसने अपनी अंगुलियों को अपनी नाक तक ले जाकर सूंघा और फ़िर सब को दिखा कर कहा- अब यह भी गर्म होने लगी है।
फिर मेरे होंठों पर अपनी अंगुलियाँ छुआ कर कहा- ले चाट इसे।
मैंने अपनी जीभ निकाल कर अपने चूत-रस को पहली बार चखा।
सब एकदम से मेरे जिस्म पर टूट पड़े। कोई मेरी चूचियों को मसल रहा था तो कोई मेरी चूत में अँगुली डाल रहा था। मैं उनके बीच में छटपटा रही थी। भोगी भाई ने सबको रुकने का इशारा किया। मैंने देखा उसकी कमर से तहमद हटी हुई है और काला भुजंग सा लंड तना हुआ खड़ा है। उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लंड पर दाब दिया।
‘इसे ले अपने मुँह में !’ उसने कहा- मुँह खोल।
मैंने झिझकते हुए अपना मुँह खोला तो उसका लंड अंदर घुसता चला गया।
बड़ी मुश्किल से ही उसके लंड के ऊपर के हिस्से को मुँह में ले पा रही थी। वो मेरे सिर को अपने लंड पर दाब रहा था। उसका लंड गले के दर पर जाकर फ़ंस गया।
मेरा दम घुटने लगा और मैं छटपटा रही थी, उसने अपने हाथों का जोर मेरे सिर से हटाया, कुछ पलों के लिये कुछ राहत मिली तो मैंने अपना सिर ऊपर खींचा।
लंड के कुछ इंच बाहर निकलते ही उसने वापस मेरा सिर दबा दिया।
इस तरह वो मेरे मुँह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। मैंने कभी लंड-चुसाई नहीं की थी इसलिए मुझे शुरू-शुरू में काफी दिक्कत हुई, उबकाई सी आ रही थी। धीरे-धीरे मैं उसके लंड की आदी हो गई।
अब मेरा जिस्म भी गर्म हो गया था। मेरी चूत गीली होने लगी।
बाकी तीनों मेरे जिस्म को मसल रहे थे। मुख मैथुन करते-कर मुँह दर्द करने लगा था मगर वो था कि छोड़ ही नहीं रहा था। कोई बीस मिनट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद उसका लंड झटके खाने लगा। उसने अपना लंड बाहर निकाला।
‘मुँह खोल कर रख !’ उसने कहा।
मैंने मुँह खोल दिया। ढेर सारा वीर्य उसके लंड से तेज धार सा निकल कर मेरे मुँह में जा रहा था। एक आदमी मूवी कैमरे में सब कुछ कैद कर रहा था।
जब मुँह में और आ नहीं पाया तो काफी सारा वीर्य मुँह से चूचियों पर टपकने लगा। उसने कुछ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया।
‘बॉस का एक बूंद वीर्य भी बेकार नहीं जाये…’ एक चमचे ने कहा।
उसने अपनी अंगुलियों से मेरी चूचियों और मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे मन मार कर भी सारा गटकना पड़ा।
‘इस रंडी को बेडरूम में ले चल…’ भोगी भाई ने कहा।
दो आदमी मुझे उठाकर लगभग खींचते हुए बेडरूम में ले गये। बेडरूम में एक बड़ा सा पलंग बिछा था। मुझे पलंग पर पटक दिया गया। भोगी भाई अपने हाथों में ग्लास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया।
‘चलो शुरू हो जाओ !’ उसने अपने चमचों से कहा।
तीनों मुझ पर टूट पड़े। मेरी टाँगें फ़ैला कर एक ने अपना मुँह मेरी चूत पर चिपका दिया। अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत को चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे अंदर गर्मी फ़ैला रही थी। मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर जोर से दबा रख था।
मैं छटपटाने लगी, मुँह से ‘आहह ऊऊहहह ओफफ आहहह उईईई’ जैसी आवाजें निकल रही थी। अपने ऊपर काबू रखने के लिये मैं अपना सिर झटक रही थी मगर मेरा जिस्म था कि बेकाबू होता जा रहा था।
बाकी दोनों में से एक मेरे निप्पलों पर दाँत गड़ा रहा था तो एक ने मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। ग्रुप में चुदाई का नज़ारा था और भोगी भाई पास बैठ मुझे नुचते हुए देख रहा था।
भोगी भाई का लंड लेने के बाद इस आदमी का लंड तो बच्चे जैसा लग रहा था, वो बहुत जल्दी झड़ गया।
अब जो आदमी मेरी चूत चूस रहा था वो मेरी चूत से अलग हो गया। मैंने अपनी चूत को जितना हो सकता था ऊँचा किया कि वो वापस अपनी जीभ अंदर डाल दे। मगर उसका इरादा कुछ और ही था।
उसने मेरी टाँगों को मोड़ कर अपने कंधे पर रख दिया और एक झटके में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। इस अचानक हुए हमले से मैं छटपटा गई।
अब वो मेरी चूत में तेज-तेज झटके मारने लगा। दूसरा जो मेरी चूचियों को मसल रहा था, मेरी छाती पर सवार हो गया और मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। फिर मेरे मुँह को चूत कि तरह चोदने लगा। उसके टट्टे मेरी ठुड्डी से रगड़ खा रहे थे।
दोनों जोर-जोर से धक्के लगा रहे थे। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी। मैं चीखना चाह रही थी मगर मुँह से सिर्फ़ ‘उम्म्म्म उम्फ’ जैसी आवाज ही निकल रही थी। दोनों एक साथ वीर्य निकाल कर मेरे जिस्म पर लुढ़क गये।
मैं जोर जोर से सांसें ले रही थी। बुरी तरह थक गई थी मगर आज मेरे नसीब में आराम नहीं लिखा था। उनके हटते ही भोगी भाई उठा और मेरे पास अकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया। फिर उसने बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लंड मेरी टपकती चूत पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया।
चूत गीली होने की वजह से उसका मूसल जैसा लंड लेते हुए भी कोई दर्द नहीं महसूस हुआ। मगर ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे जिस्म को चीरता हुआ मुँह से निकल जायेगा।
फिर वो धक्के देने लगा, मजबूत पलंग भी उसके धक्कों से चरमराने लगा। फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसका तो सिर्फ अंदज़ा ही लगाया जा सकता है!
मैं चीख रही थी- आहहह ओओओहहह प्लीज़ज़। प्लीज़ज़ मुझे छोड़ दो। आआआह आआआह नहींईंईंईं प्लीज़ज़ज़।’ मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था।
पूरे कमरे में ‘फच फच’ की आवाजें गूँज रही थी। बाकी तीनों उठ कर मेरे करीब आ गये थे और मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे।
मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लंड जल्दी पानी छोड़ दे। मगर पता नहीं वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आ रही थी। कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया। मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गई। मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह टूट रहा था और गला सूख रहा था।
‘पानी…’ मैंने पानी माँगा तो एक ने पानी का ग्लास मेरे होंठों से लगा दिया। मेरे होंठ वीर्य से लिसड़े हुए थे। उन्हें पोंछ कर मैंने गटागट पूरा पानी पी लिया।
पानी पीने के बाद जिस्म में कुछ जान आई। तीनों वापस मेरे जिस्म से चिपक गये। अब मैं बिस्तर के किनारे पैर लटका के बैठ गई। एक का लंड मैंने अपनी दोनो चूचियों के बीच ले रखा था और बाकी दोनों के लंड को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूस रही थी। वो मेरी चूचियों को चोद रहा था।
मैं अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को उसके लंड पर दोनों तरफ से दबा रखा था। उसने मेरी चूचियों पर वीर्य गिरा दिया। फिर बाकी दोनों ने मुझे बारी-बारी से कुत्तिया बना कर चोदा। उनके वीर्य पट हो जाने के बाद वो चले गये।
मैं बिस्तर पर चित्त पड़ी हुई थी। दोनों पैर फ़ैले हुए थे और अभी भी मेरे पैरों में ऊँची हील के सैंडल कसे थे। मेरी चूत से वीर्य चूकर बिस्तर पर गिर रहा था। मेरे बाल, चेहरा, चूचियाँ, सब पर वीर्य फ़ैला हुआ था। चूचियों पर दाँतों के लाल-नीले निशान नजर आ रहे थे।
भोगी भाई पास खड़ा मेरे जिस्म की तस्वीरें खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति में नहीं थी। गला भी दर्द कर रहा था। भोगी भाई ने बिस्तर के पास आकर मेरे निप्पलों को पकड़ कर उन्हें उमेठते हुए अपनी ओर खींचा। मैं दर्द के मारे उठती चली गई और उसके जिस्म से सट गई।
‘जा किचन में… भीमा ने खाना बना लिया होगा। टेबल पर खाना लगा… और हाँ तू इसी तरह रहेगी।’ मुझे कमरे के दरवाजे की तरफ़ ढकेल कर मेरे नंगे नितंब पर एक चपत लगाई।
मैं अपने जिस्म को सिकोड़ते हुए और एक हाथ से अपने मम्मों को और एक हाथ से अपनी टाँगों को जोड़ कर ढकने की असफ़ल कोशिश करती हुई रसोई में पहुँची।
अंदर 45 साल का एक रसोइया था। उसने मुझे देख कर एक सीटी बजाई और मेरे पास आकर मुझे सीधा खड़ा कर दिया। मैं झुकी जा रही थी मगर उसने मेरी नहीं चलने दी, जबरदस्ती मेरे सीने पर से हाथ हटा दिया।
‘शानदार’ उसने कहा। मैं शर्म से दोहरी हो रही थी। एक निचले स्तर के गंवार के सामने मैं अपनी इज्जत बचाने में नाकाबिल थी।
उसने फ़िर खींच कर चूत पर से दूसरा हाथ हटाया, मैंने टाँगें सिकोड़ ली।
यह देख कर उसने मेरी चूचियों को मसल दिया। चूचियों को उससे बचाने के लिये नीचे की ओर झुकी तो उसने अपनी दो अंगुलियाँ मेरी चूत में पीछे की तरफ़ से डाल दी। मेरी चूत वीर्य से गीली हो रही थी।
‘खुब चुदी हो… लगता है।’ उसने कहा।
‘शेर खुद खाने के बाद कुछ बोटियाँ गीदड़ों के लिये भी छोड़ देता है। एक-आध मौका साहब मुझे भी देंगे। तब तेरी खबर लुँगा’ कहकर उसने मुझे अपने जिस्म से लपेट लिया।
‘भोगी भाई जी ने खाना लगाने के लिये कहा है।’ मैंने उसे धक्का देते हुए कहा। उसने मुझसे अलग होने से पहले मेरे होंठों को एक बार कस कर चूम लिया।
‘चल तुझे तो तसल्ली से चोदेंगे… पहले साहब को जी भर के मसल लेने दो।’ उसने कहा, फिर मुझे खाने का सामान पकड़ाने लगा।
मैंने टेबल पर खाना लगाया। फिर डिनर भोगी भाई की गोद में बैठ कर लेना पड़ा।
वो भी नंगा ही बैठा था। उसका लंड सिकुड़ा हुआ था, मेरी चूत उसके नरम पड़े लंड को चूम रही थी। खाते हुए कभी मुझे मसलता, कभी चूमता जा रहा था।
उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी। वो जब भी मुझे चूमता, मुझे उस पर गुस्सा आ जाता। खाते-खाते ही उसने मोबाइल पर कहीं रिंग किया।
‘हलो, कौन… गावलेकर?’
‘क्या कर रहा है?’
‘अबे इधर आ जा। घर पर बोल देना कि रात में कहीं गश्त पर जाना है। यहीं रात गुजारेंगे… हमारे बृज साहब की जमानत यहीं है मेरी गोद में !’ कहकर उसने मेरे एक निप्पल को जोर से उमेठा।
दोनों निप्पल बुरी तरह दर्द कर रहे थे। नहीं चाहते हुए भी मैं चीख उठी।
‘सुना? अब झटाझट आ जा सारे काम छोड़ कर !’ रात भर अपन दोनों इसकी जाँच पड़ताल करेंगे।’
मैं समझ गई कि भोगी भाई ने इंसपैक्टर गावलेकर को रात में अपने घर बुलाया है और दोनों रात भर मुझे चोदेंगे। खाना खाने के बाद मुझे बांहों में समेटे हुए ड्राईंग रूम में आ गया। मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों पर अपने मोटे-मोटे भद्दे होंठ रख कर चूमने लगा। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे मुँह का अपनी जीभ से मोआयना करने लगा। फिर वो सोफ़े पर बैठ गया और मुझे जमीन पर अपने कदमों पर बिठाया। टाँगें खोल कर मुझे अपनी टाँगों के जोड़ पर खींच लिया।
मैं उसका इशारा समझ कर उसके लंड को चूमने लगी। वो मेरे बालों पर हाथ फ़िरा रहा था। फिर मैंने उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसके लंड को चूसने लगी और जीभ निकाल कर उसके लंड के ऊपर फ़िराने लगी। धीरे-धीरे उसका लंड हर्कत में आता जा रहा था। वो मेरे मुँह में फ़ूलने लगा। मैं और तेजी से उसके लंड पर अपना मुँह चलाने लगी।
कुछ ही देर में लंड फ़िर से पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था। वापस उसे चूत में लेने की सोच कर ही झुरझुरी सी आ रही थी। चूत का तो बुरा हाल था। ऐसा लग रहा था मानो अंदर से छिल गई हो। मैं इसलिए उसके लंड पर और तेजी से मुँह ऊपर नीचे करने लगी जिससे उसका मुँह में ही निकल जाये। मगर वो तो पूरा साँड कि तरह स्टैमिना रखता था। मेरी बहुत कोशिशों के बाद उसके लंड से हल्का सा रस निकलने लगा। मैं थक गई मगर उसके लंड से वीर्य निकला ही नहीं। तभी दरबान ने आकर गावलेकर के आने की इत्तला दी।
‘उसे यहीं भेज दे।’ मैं उठने लगी तो उसने कंधे पर जोर लगा कर कहा- तू कहाँ उठ रही है… चल अपना काम करती रह।’ कहकर उसने वापस मेरे मुँह से अपना लंड सटा दिया।
मैंने भी मुँह खोल कर उसके लंड को वापस अपने मुँह में ले लिया।
तभी गावलेकर अंदर आया। वो कोई छ: फ़ीट का लंबा कद्दावर जिस्म वाला आदमी था। मेरे ऊपर नजर पड़ते ही उसका मुँह खुला का खुला रह गया। मैंने कातर नज़रों से उसकी तरफ़ देखा।
‘आह भोगी भाई क्या नजारा है! इस हूर को कैसे वश में किया।’ गावलेकर ने हंसते हुए कहा।
‘आ बैठ… बड़ी शानदार चीज है… मक्खन की तरह मुलायम और भट्टी की तरह गरम।’ भोगी भाई ने मेरे सिर को पकड़ कर उसकी तरफ़ घुमाया- ये है गौरी सिंह! अपने बृज की बीवी! इसने कहा मेरे पति को छोड़ दो… मैंने कहा रात भर के लिए मेरे लंड पर बैठक लगा, फ़िर देखेंगे। समझदार औरत है… मान गई। अब ये रात भर तेरे पहलू को गर्म करेगी… जितनी चाहे ठोको।’
गावलेकर आकर पास में बैठ गया। भोगी भाई ने मुझे उसकी ओर ढकेल दिया। गावलेकर ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे तो अब अपने ऊपर घिन्न सी आने लगी थी। मगर इनकी बात तो माननी ही थी वरना ये तो मुर्दे को भी नोच लेते थे। मेरे जिस्म को भोगी भाई ने साफ़ करने नहीं दिया था। इसलिए जगह-जगह वीर्य सूख कर सफ़ेद पपड़ी की तरह दिख रहा था। दोनों चूचियों पर लाल-लाल दाग देख कर गावलेकर ने कहा- तू तो लगता है काफी जमानत वसूल कर चुका है।’
‘हँ सोचा पहले देखूँ तो सही कि अपने स्टैंडर्ड की है या नहीं’ भोगी भाई ने कहा।
‘प्लीज़ साहब मुझे छोड़ दीजिये… सुबह तक मैं मर जाऊँगी।’ मैंने गावलेकर से मिन्नतें की।
‘घबरा मत… सुबह तक तो तुझे वैसे ही छोड़ देंगे। ज़िंदगी भर तुझे अपने पास थोड़े ही रखना है।’ गावलेकर ने मेरे निप्प्लों को दो अंगुलियों के बीच मसलते हुए कहा।
‘तूने अगर अब और बकवास की ना तो तेरा टेंटुआ दबा दूँगा।’ भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा- तेरी अकड़ पूरी तरह गई नहीं है शायद’ कहकर उसने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ कर ऐसा उमेठा कि मेरी तो जान ही निकल गई।
‘ओओओऊऊऊईईईई माँआँआँ मर गईईई’ मैं पूरी ताकत से चीख उठी।
‘जा जाकर गावलेकर के लिये शराब का एक पैग बना ला और टेबल तक घुटनों के बल जायेगी समझी।’ भोगी भाई ने तेज आवाज में कहा। इतनी जलालत तो शायद किसी को नहीं मिली होगी। मैं हाथों और घुटनों के बल डायनिंग टेबल तक गई। मेरी चूचियाँ पके अनारों की तरह झूल रही थीं। मैं उसके लिये एक पैग बना कर लौट आई।
‘गुड अब कुछ पालतू होती लग रही है’ गावलेकर ने मेरे हाथ से ग्लास लेकर मुझे खींच कर वापस अपनी गोद में बिठा लिया। फिर मेरे होंठों से ग्लास को छुआते हुए बोला- ले एक सिप कर।’
मैंने अपना चेहरा मोड़ लिया, मैंने ज़िंदगी में कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाया था। हमारे घरों में ये सब चलता था मगर मेरे बृज ने भी कभी शराब को नहीं छुआ था।
उसने वापस ग्लास मेरे होंठों से लगाया। मैंने साँस रोक कर थोड़ा सा अपने मुँह में लिया। बदबू इतनी थी कि उबकाई आने लगी। वे नाराज़ हो जायेंगे, ये सोच कर जैसे तैसे उसे पी लिया।
‘और नहीं… प्लीज़, मैं आप लोगों को कुछ भी करने से नहीं रोक रही। ये काम मुझसे नहीं होगा’
पता नहीं दोनों को क्या सूझा कि फ़िर उन्होंने मुझे पीने के लिये जोर नहीं दिया।
गावलेकर मेरे जिस्म पर हाथ फ़ेर रहा था और मेरी चूचियों को चूमते हुए अपना ग्लास खाली कर रहा था। मुझे फ़िर अपनी गोद से उतार कर जमीन पर बिठा दिया। मैंने उसके पैंट की ज़िप खोली और उसके लंड को निकाल कर उसे मुँह में ले लिया। अपने एक हाथ से भोगी भाई के लंड को सहला रही थी। बारी-बारी से दोनों लंड को मुँह में भर कर कुछ देर तक चूसती और दूसरे के लंड को मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करती। फ़िर यही काम दूसरे के साथ करती।
काफ़ी देर तक दोनों शराब पीते रहे। फ़िर गावलेकर ने उठ कर मुझे एक झटके से गोद में उठा लिया और बेड रूम में ले गया। बेडरूम में आकर मुझे बिस्तर पर पटक दिया। भोगी भाई भी साथ-साथ आ गया था। वो तो पहले से ही नंगा था। गावलेकर भी अपने कपड़े उतारने लगा।
मैं बिस्तर पर लेटी उसको कपड़े उतारते देख रही थी। मैंने उनके अगले कदम के बारे में सोच कर अपने आप अपने पैर फ़ैला दिये। मेरी चूत बाहर दिखने लगी। गावलेकर का लंड भोगी भाई की तरह ही मोटा और काफी लंबा था। वो अपने कपड़े वहीं फ़ेंक कर बिस्तर पर चढ़ गया। मैंने उसके लंड को हाथ में लेकर अपनी चूत की ओर खींचा मगर वो आगे नहीं बढ़ा। उसने मुझे बांहों से पकड़ कर उल्टी कर दिया और मेरे चूतड़ों से चिपक गया। अपने हाथों से दोनों चूतड़ों को अलग करके छेद पर अँगुली फ़िराने लगा। मैं उसका इरादा समझ गई कि वो मेरे गाँड को फाड़ने का इरादा बनाये हुए था।
मैं डर से चिहुँक उठी क्योंकि इस गैर-कुदरती चुदाई से मैं अभी तक अन्जान थी। सुना था कि गाँड मरवाने में बहुत दर्द होता है और गावलेकर का इतना मोटा लंड कैसे जायेगा ये भी सोच रही थी।
भोगी भाई ने उसकी ओर क्रीम का एक डिब्बा बढ़ाया। उसने ढेर सारी क्रीम लेकर मेरे पिछले छेद पर लगा दी और फ़िर एक अँगुली से उसको छेद के अंदर तक लगा दिया। अँगुली के अंदर जाते ही मैं उछल पड़ी।
पता नहीं आज मेरी क्या हालत होने वाली थी। इन आदमखोरों से रहम की उम्मीद करना बेवकूफ़ी थी। भोगी भाई मेरे चेहरे के सामने आकर मेरा मुँह जोर से अपने लंड पर दाब दिया। मैं छटपटा रही थी तो उसने मुझे सख्ती से पकड़ रखा था। मुँह से गूँ- गूँ की आवाज ही निकल पा रही थी। गावलेकर ने मेरे नितम्बों को फ़ैला कर मेरी गाँड के छेद पर अपना लंड सटाया। फिर आगे कि ओर एक तेज धक्का लगाया। उसके लंड के आगे का हिस्सा मेरी गाँड में जगह बनाते हुए धंस गया। मेरी हालत खराब हो रही थी। आँखें बाहर की ओर उबल कर आ रही थी।
वो कुछ देर उसी पोज़िशन में रुका रहा। दर्द हल्का सा कम हुआ तो उसने दुगने जोश से एक और धक्का लगाया। मुझे लगा मानो कोई मोटा मूसल मेरे अंदर डाल दिया गया हो। वो इसी तरह कुछ देर तक रुका रहा। फिर उसने अपने लंड को हर्कत दे दी। मेरी जान निकली जा रही थी। वो दोनों आगे और पीछे से अपने-अपने डंडों से मेरी कुटाई किये जा रहे थे।
धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा। फिर तो दोनों तेज-तेज धक्के मारने लगे। दोनों में मानो होड़ हो रही थी कि कौन देर तक रुकता है। मगर मेरी हालत कि किसी को चिंता नहीं थी। भोगी भाई के स्टैमिना की तो मैं लोहा मानने लगी। करीब घंटे भर बाद दोनों ने अपने-अपने लंड से पिचकारी छोड़ दी। मेरे दोनों छेद टपकने लगे।
फिर तो रात भर ना तो खुद सोये और ना मुझे सोने दिया। सुबह तक तो मैं बेहोशी हालत में हो गई थी। सुबह दोनों मेरे जिस्म को जी भर कर नोचने के बाद चले गये। जाते-जाते भोगी भाई अपने नौकर से कह गया- इसे गर्म-गर्म दूध पिला। इसकी हालत थोड़ा ठीक हो तो घर पर छुड़वा देना और तू भी कुछ देर चाहे तो मुँह मार ले।’
मैं बिस्तर पर बिना किसी हलचल के पड़ी थी। टाँगें दोनों फ़ैली हुई थी और पैरों में अभी तक सैंडल पहने हुए थे। तीनों छेदों पर वीर्य के निशान थे। पूरे जिस्म पर अनगिनत दाँतों के और वीर्य के निशान पड़े हुए थे। चूचियाँ और निप्पल सुजे हुए थे। कुछ यही हालत मेरी चूत की भी हो रही थी। मैं फटी-फटी आँखों से दोनों को देख रही थी।
“तू घर जा… तेरे पति को दो एक घंटों में रिहा कर दूँगा” गावलेकर ने पैंट पहनते हुए कहा- भोगी भाई मजा आ गया। क्या पटाखा ढूँढा है। तबियत खुश हो गई। हम अपनी बातों से फ़िरने वाले नहीं हैं। तुझे कभी भी मेरी जरूरत पड़े तो जान हाजिर है।’
भोगी भाई मुस्कुरा दिया। फिर दोनों तैयार होकर निकल गये। मैं वैसी ही नंगी पड़ी रही बिस्तर पर।
तभी भीमा दूध का ग्लास लेकर आया और मुझे सहारा देकर उठाया। मैंने उसके हाथों से दूध का ग्लास ले लिया। उसने मुझे एक पेन-किलर भी दिया।
मैंने दूध का ग्लास खाली कर दिया। उसने खाली ग्लास हाथ से लेकर मेरे होंठों पर लगे दूध को अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया।
वो कुछ देर तक मेरे होंठों को चूमता रहा और मेरे जिस्म पर आहिस्ता से हाथ फ़ेरता रहा। फिर वो उठा और डिटॉल ला कर मेरे जख्मों पर लगा दिया। अब मैं जिस्म में कुछ जान महसूस कर रही थी। फिर कुछ देर बाद आकर उसने मुझे सहारा देकर उठाया और मेरे जिस्म को बांहों में भर कर मुझे उसी हालत में बाथरूम में ले गया।
वहाँ काफी देर तक उसने मुझे गर्म पानी से नहलाया। जिस्म पोंछ कर मुझे बिस्तर पर ले गया और मुझे मेरे कपड़े लाकर दिए। वो जैसे ही जाने लगा, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। मेरी आँखों में उसके लिये एहसानमंदी के भाव थे। मैं उसके करीब आकर उसके जिस्म से लिपट गई।
मैं तब बहुत हल्का महसूस कर रही थी। मैं खुद ही उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई। मैंने उससे लिपटते हुए ही उसकी पैंट की तरफ हाथ बढ़ाया। मैं उसके अहसान का बदला चुका देना चाहती थी। वो मेरे होंठों को, मेरी गर्दन को, मेरे गालों को चूमने लगा। फिर मेरी चूचियों पर हल्के से हाथ फ़िराने लगा।
‘प्लीज़ मुझे प्यार करो… इतना प्यार करो कि कल रात की घटनायें मेरे दिमाग से हमेशा के लिये उतर जायें।’ मैं बेहताशा रोने लगी।
वो मेरे एक-एक अंग को चूम रहा था। वो मेरे एक-एक अंग को सहलाता और प्यार करता। मैं उसके होंठ फ़ूलों की पंखुड़ियों की तरह पूरे जिस्म पर महसूस कर रही थी। अब मैं खुद ही गर्म होने लगी और मैं खुद ही उससे लिपटने और उसे चूमने लगी। उसका हाथ मैंने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर रख दिया।
वो मेरी चूत को सहलाने लगा। फिर उसने मुझे बिस्तर के कोने पर बिठा कर मेरे सामने घुटनों के बल मुड़ गया। मेरे दोनों पैरों को अपने कंधे पर चढ़ा कर मेरी चूत पर अपने होंठ चिपका दिए।
उसकी जीभ साँप की तरह सरसराती हुई उसकी मुँह से निकल कर मेरी चूत में घुस गई। मैंने उसके सिर को अपने हाथों में ले रखा था। उत्तेजना में मैं उसके बालों को सहला रही थी और उसके सिर को चूत पर दाब रही थी।
मेरे मुँह से सिस्करियाँ निकल रही थी। कुछ देर में मैं अपनी कमर उचकाने लगी और उसके मुँह पर ही ढेर हो गई। मेरे जिस्म से मेरा सारा विसाद मेरे रस के रूप में निकलने लगा। वो मेरे चूत-रस को अपने मुँह में खींचता जा रहा था। कल से इतनी बार मेरे साथ चुदाई हुई थी कि मैं गिनती ही भुल गई थी मगर आज भीमा की हरकतों से अब मेरा खुल कर मेरी चूत ने रस छोड़ा।
भीमा के साथ मैं पूरे दिल से चुदाई कर रही थी। इसलिए अच्छा भी लग रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर सवार हो गई। उसके जिस्म से मैंने कपड़ों को नोच कर हटा दिया। उसका मोटा ताज़ा लंड तना हुआ खड़ा था। काफी तगड़ा जिस्म था। मैं उसके जिस्म को चूमने लगी।
उसने उठने की कोशिश की तो मैंने गुर्राते हुए कहा, “चुप चाप पड़ा रह। मेरे जिस्म को भोगना चाहता था ना तो फ़िर भाग क्यों रहा है? ले भोग मेरे जिस्म को।
मैंने उसे चित्त लिटा दिया और उसके लंड के ऊपर अपनी चूत रखी। अपने हाथों से उसके लंड को सेट किया और उसके लंड पर बैठ गई। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को चूमता हुआ अंदर चला गया। फिर तो मैं उसके लंड पर उठने-बैठने लगी। मैंने सिर पीछे की ओर झटक दिया और अपने हाथों को उसके सीने पर फ़िराने लगी। वो मेरे मम्मों को सहला रहा था और मेरे निप्पलों को अंगुलियों से इधर-उधर घुमा रहा था। निप्पल भी उत्तेजना में खड़े हो गये थे।
काफी देर तक इस पोज़िशन में चुदाई करने के बाद मुझे वापस नीचे लिटा कर मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख दिया। इससे चूत ऊपर की ओर हो गई। अब लंड चूत में जाता हुआ साफ़ दिख रहा था। हम दोनों उत्तेजित हो कर एक साथ झड़ गये। वो मेरे जिस्म पर ही लुढ़क गया और तेज तेज साँसें लेने लगा। मैंने उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुंबन दिया। फिर नीचे उतर कर तैयार हो गई।
भीमा मुझे घर तक छोड़ आया। दोपहर तक मेरे पति रिहा होकर घर आ गये। भोगी भाई ने अपना बयान बदल लिया था। मैंने उन्हें उनकी जमानत की कीमत नहीं बताई मगर अगले दिन ही उस कंपनी को छोड़ कर वहाँ से वापस जाने का मैंने ऐलान कर दिया। बृज ने भले ही कुछ नहीं पूछा मगर शायद उसे भी उसकी रिहाई की कीमत की भनक पड़ गई थी। इसलिए उसने भी मुझे ना नहीं किया और हम कुछ ही दिनों में अपना थोड़ा बहुत सामान पैक करके वो शहर छोड़ कर वापस आगरा आ गये। Antarvasna
दोस्तो! मेरा नाम सुनील है, मैं Sex Stoires आपको अपनी मॉम की सेक्स स्टोरी बताता हूँ। मेरी मॉम की उम्र लगभग 45 साल होगी, वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी है। मेरे पिता बाहर रहते हैं घर में मैं और मॉम ही होते हैं।
एक दिन हमारे घर में कोई मेहमान आये हुए थे, मेरे रिश्ते की चाचा! उनकी अभी अभी शादी हुई थी।
हमने उनको एक कमरा सोने को दे दिया और मेरी मॉम और मैं साथ सो गए।
रात को उनके कमरे से आवाज़ आने लगी तो मेरी नींद खुल गई और मैं इधर उधर देखने लगा तो मैंने देखा कि मॉम अपने बेड पर नहीं थी। मैं मॉम को देखने बाहर आया तो मैंने देखा कि मॉम अपना पेटीकोट उतारकर दरवाज़े के छेद से अंदर देख रही हैं और अपनी चूत में उंगली कर रही हैं।
मैं चुपचाप देखता रहा, कुछ नहीं बोला। जब मॉम झड़ गई तो उठ कर कमरे में आई और मुझे देख कर घबरा गई, बोली- क्या देखा तूने?
मैं बोला- कुछ नहीं!
मॉम बोली- अच्छा चल सो जा!
और हम दोनों सो गए पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। अब मैं बार बार मॉम की तरफ देख रहा था। मुझे वो बड़ी सेक्सी लग रही थी।
सुबह चाचा लोग चले गए, फिर घर पर हम दोनों ही रह गये। मॉम ने नाश्ता बनाया और हम दोनों ने साथ बैठ कर खाया।
मॉम ने मैक्सी पहन रखी थी और अन्दर से कुछ नहीं पहना था। मुझे लगा कि उनको सेक्स करने का मन हो रहा है। नाश्ता करने के बाद वो बाथरूम में चली गई, बोली-मैं नहाने जा रही हूँ, तू कहीं जाना मत!
मैंने कहा- ठीक है!
फिर मॉम नहाने चली गई। हमारे बाथरूम के दरवाज़े में एक छेद है। जब मॉम को गए कुछ देर हो गई तो मैंने छेद पर जा कर देखा कि मॉम क्या कर रही हैं तो मैंने अन्दर देखा की मॉम बाथरूम में एक लम्बे बैंगन को अपनी चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर कर रही हैं।
मैं यह खेल देखने में मशगूल हो गया। तभी अचानक मॉम ने दरवाज़ा खोल दिया। मुझे भागने का भी समय नहीं मिला और मैं पकड़ा गया। वो बहुत गुस्से में थी और अंदर जाकर बोली- रुक जा! तेरी शिकायत तेरे पापा से अभी करती हूँ!
पूरे दिन वो मुझसे नहीं बोली और अलग अलग ही रही। अब रात को जब सोने का समय हुआ तो मुझसे बोली- तू आज मेरे साथ ही सोयेगा!
मैं बोला- क्यों?
बोली- आज कल तू बहुत गलत बातें सीख रहा है, इसलिए!
मेरा तो मन उनके साथ सोने को हो ही रहा था क्योंकि वो रात को सिर्फ पेटीकोट पहन कर सोती हैं और नीद में उनका पेटीकोट ऊपर खिसक जाता है तो सब कुछ दिखता है।
फ़िर रात को हम सोने चले गए। मैंने पैन्ट पहन रखी थी। वो बोली- चल इसे उतार दे! सोने में परेशानी होगी!
मैंने कहा- मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।
तो बोली- मुझे होगी! चल उतार!
अब हम दोनों सो गए। मॉम बोली- तू क्या देख रहा है?
मैं बोला- कुछ नहीं!
बोली- सच सच बता! नहीं तो पापा से बोल दूंगी!
मैं डर के मारे बोला कि रात को आप जब उंगली कर रही थी तो मैंने आप को देखा था। फ़िर सुबह आप सेक्सी लग रही थी तो मेरा मन आपको देखने का कर रहा था तो आपको देखा।
मॉम बोली- तुझे कुछ होता है?
मैं बोला- हाँ, बहुत कुछ होता है!
उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया मेरा तो लौड़ा बिल्कुल खड़ा हो गया।
वो बोली- अब समझी कि तू आजकल क्या कर रहा है।
वो बोली- अब जब तू सब कुछ जानता है तो चल मेरे साथ सब कुछ कर!
मैं बोला- नहीं!
तो बोली- पापा से बोलना है क्या!
मैं बोला- नहीं!
बस फिर क्या था, मैं तो चालू हो गया, उनके पूरे कपड़े उतार कर उनको चाटने लगा और चूत चाट चाट कर तो उनको झाड़ दिया।
मैं बोला- कैसा लगा?
बोली- अच्छा लगा! लगे रहो!
फ़िर मैंने उनकी चूत मारी! काफी देर तक मारने के बाद वो झड़ गई, फिर बोली- बेटा! मजा आ गया!
कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया। उस रात हमने चार बार चुदाई की।
अब तो रोज़ ही होता है!
एक दिन मेरे पापा को शक हो गया, लेकिन मॉम ने बात सम्भाल ली। अब मेरी मॉम और मैं रोज़ रात को साथ ही सोते हैं। मॉम और मैं बहुत ही खुश हैं।
आपको मेरी मॉम सेक्स स्टोरी कैसी लगी, मुझे मेल करना! Sex Stoires
मेरा नाम अजय है। मैं चण्डीगढ़ का Hindi Porn Stories रहने वाला हूँ, ५ फ़ुट ८ इंच, देखने में स्लिम और गोरा हूँ। मैंने कई कहानियाँ पढ़ी और सोचा मैं भी कुछ अपनी बातें आपको बताऊँ !
मैं अकसर चैटिंग करता रहता था और आँटी ढूँढा करता था, पर कभी कोई आंटी नहीं मिली।
एक दिन अचानक बातें करते हुए एक लड़की से चैट शुरू हुई … उस का नाम रानी था, पँजाब की रहने वाली थी .. बातें शुरू हुई फिर मेसेज से बातें होने लगी। यूँ ही कुछ महीने बाद उस का एक रात को फ़ोन आया, फिर वो धीरे धीरे प्यार की बातें करने लगी और बातों बातों में वो सेक्स चैट पे आ गई और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। फिर तो पूरी रात मैं उससे फ़ोन पे सेक्स करता रहा।
यूँही जब भी उसका मूड करता, वो रात को सेक्स-चैट करती और पानी निकल जाने पर ही फोन काट देती। अब मैं भी उससे मिलना चाहता था। कुछ महीने बाद वो चंडीगढ़ आई और मिलने के लिए फ़ोन किया।
जब उस से पहली बार मिला, या खुदा … ! क्या लड़की थी ! पतली पतली लम्बी ५-९ होगी, वैसे मुझे मोटे मोटे मोमे बहुत पसंद हैं पर उसके छोटे-छोटे तीखे स्तन देख केर मेरा उनको छूने का दिल करने लगा ! सच में एक हसीन रानी थी, हम लोग एक होटल में मिले, खाया पिया और बातें की, फिर चले गए, पर मेरे मन में उसको चोदने को कर रहा था।
कुछ महीने बाद वो फिर चंडीगढ़ आई, इस बार मेरे घर पर कोई नहीं था, मैंने उसको मिलने के लिए अपने घर पर ही बुलाया। जब वो कमरे में आई तो उस ने कसा सूट पहना हुआ था, मेरा मन उसका जूस पीने को हो रहा था, हम लोग बिस्तर पे बैठ कर बातें करने लगा।
फिर मैंने उसके हाथ को पकड़ लिया और बिस्तर पर लेट जाने को बोला वो मान गई। फिर मैंने उसकी आँखें बंद की और उसकी आँखों पर चूम लिया, फिर उसके गालों पे, फिर उसके होंटो को चूमा। उसके होंठ क्या गुलाबी थे !
कम से कम बीस मिनट तक मैं उसके होंठ चूसता रहा !
फ़िर मैंने उसके स्तनों को ऊपर से दबाना शुरू किया, वो सिसकारी भरने लगी। मैंने उसके स्तनों की नोकों को उंगलियों में पकड़ के जोर से मसल दिया, वो चीखी- क्या कर रहे हो? प्यार से करो !
फ़िर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए, पहले शर्ट, फ़िर ब्रा खोल कर दोनों बूब्स को अपने हाथों में ले लिया और उनके साथ खेलने लगा, उसके चूचुक को प्यार प्यार से रगड़ने के बाद उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया, वो एकदम गरम हो गई थी। फिर मैंने अपने प्यारे इलाके (नाभि) पेट को चूसना शुरू किया। वो तड़प रही थी और मेरे बालों में हाथ घुमा रही थी।
नाभि को चूसने के बाद मैंने उसके हिप्स को अपने हाथों में ले कर दबाना शुरू कर दिया और उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसकी सलवार खोल कर उसकी पैंटी उतार कर उसकी चूत देखी। क्या छोटी सी प्यारी चूत थी ! हल्के हल्के बाल थे ! मैंने एक ऊँगली उसकी चूत पर रखी तो वो पागल सी हो गई। मैंने धीरे से एक ऊँगली उसकी चूत के अंदर डाली, ऊँगली आराम से अंदर चली गई, शायद चूत गीली थी इसलिए, फिर मैंने दो उँगलियाँ डाली, फिर तीन ऊँगली एक साथ में डाल दी।
वो बोली- बस मत करो !
मैंने फिर दो ऊँगलियों से उसको चोदना शुरू किया, अब तक वो पूरी तरह तैयार हो गई थी।
फिर उसने बोला- अब डाल भी दो !
मैंने अपना लण्ड निकला और उस के। होंटों पे रखा, उस ने किस किया और एक बार में ही पूरा लण्ड मुंह के अंदर ले लिया, फिर निकाल के बोली- अब इसको डाल दो मेरी चूत में !
मैंने लौड़ा उसकी चूत पे रखा और धीरे से चूत को रगड़ने लगा, फिर एकदम एक ही झटके से उसकी चूत में डाल दिया अपना लौड़ा। उसकी गीली गर्म चूत में पहले थोड़ी सी परेशानी हुई फिर सारा का सारा लण्ड अंदर चला गया, उसने मुझे कस के पकड़ लिया।
मैंने भी धक्के मारना शुरू कर दिया, मैं धक्के मार रहा था और लण्ड अन्दर बाहर आ जा रहा था। कम से कम २० मिनट तक चोदने के बाद मेरा रस निकलने लगा। मैंने अपना लण्ड निकाल के उसके होंटों के बीच में घुसा दिया, वो चूसती रही और सारा रस पी गई।
दोस्तों यह थी मेरी कहानी !
अब सब भाई, आंटी, लड़की से प्रार्थना है कि आप अपने विचार मेल करें : Hindi Porn Stories
स्टेप मॉम सेक्स कहानी मेरे पापा की दूसरी बीवी की चुदाई की है. एक दिन मैंने उन्हें नंगी होकर किसी लड़के संग वीडियो सेक्स करते देखा. तो मैंने भी फ़ायदा उठाया.
दोस्तो, ये चुदाई कहानी मेरी और मेरी स्टेप मॉम रश्मि की है. अगर आपको ये रिश्ता ग़लत लगता हो तो प्लीज़ इस कहानी को आगे मत पढ़ें, इसे नजरअंदाज कर दीजिए.
अगर अपने लंड का पानी निकालना है और चूत में उंगली करनी है, तो पूरी कहानी पढ़ कर मजा लें.
इसस्टेप मॉम सेक्स कहानी में सब कुछ रियल है.
मेरा नाम आर्यन है. मैं यूपी से हूँ. मेरी सगी मॉम की डेथ के बाद डैड ने दूसरी शादी कर ली थी.
मेरे डैड का अपना बिजनेस है और वो हमेशा अपने काम में लगे रहते हैं, मॉम को ज़्यादा टाइम नहीं देते हैं.
डैड अपने व्यापार के लिए सुबह से ही निकल जाते हैं और वापस आने का कोई समय निश्चित नहीं रहता है.
मेरी मॉम का नाम रश्मि है, उनकी उम्र 44 साल की है और फिगर 36-32-38 का है.
मॉम के मस्त सेक्सी बूब्स और उठी हुई गांड एकदम हॉट लुक वाली लगती है. उनका रंग भी गोरा है.
मेरी मॉम इतनी ज्यादा कामुक दिखती हैं कि उनको देखकर किसी बुड्ढे का भी लंड खड़ा हो जाए.
यह चुदाई कहानी उस समय की है, जब मेरी उम्र 23 साल की थी.
एक बार की बात है, मैं घर पर था और अपने रूम में लैपटॉप पर पॉर्न देख रहा था.
उस वक्त मेरा लंड पूरे जोश में था और मैं मुठ मार रहा था.
कान में हेडफोन लगे होने की वजह से मुझे पता नहीं चला कि मॉम मेरे रूम में कब आ गईं.
मॉम ने मुझे पॉर्न देखने के साथ साथ मुठ मारते हुए भी देख लिया.
फिर जैसे ही मेरी नज़र मॉम पर पड़ी, मेरी तो गांड फट गई कि ये क्या हुआ.
मैं एकदम से डर गया था.
लेकिन अब तक जो होना था, वो तो हो ही चुका था.
मॉम ने गुस्से में मुझसे कहा- शर्म नहीं आती, ये सब करते हो!
मैंने सॉरी बोला लेकिन वो गुस्सा होकर रूम से चली गईं.
अब मुझे बहुत डर लग रहा था.
ये सोचकर मेरी फट रही थी कि मॉम इस बात को पक्का डैड को बोलेंगी और मेरी क्लास लगने वाली है.
ऐसे ही सारा दिन निकल गया … मैं अपनी फटी हुई गांड लिए मॉम से बचता रहा.
शाम को डैड आए, उन्होंने फ्रेश होकर खाना खाया और अपने रूम में सोने चले गए.
मैं देख रहा था कि डैड ने मुझसे कुछ नहीं कहा.
इससे मुझे समझ में आया कि मॉम ने अभी तक डैड को कुछ बताया नहीं होगा.
अगले दिन मैं दोस्त के घर चला गया और जब वापस आया तो आवाज से अंदाजा लगा कि मॉम अपने रूम में हैं और मोबाइल पर किसी से बात कर रही हैं.
मैं कान लगाकर ध्यान से सुनने लगा तो ऐसा लगा कि मॉम अपनी चूत में उंगली कर रही थीं क्योंकि उनकी आवाजों में कुछ कामुक स्वर शामिल थे.
मैं धीरे से रूम के अन्दर घुस गया क्योंकि रूम लॉक नहीं था.
मम्मी एकदम नंगी थीं.
मेरी खोपड़ी सनक गई कि ये क्या माजरा है.
मैं चुपचाप अन्दर आ गया. मॉम अपनी आंखें बंद करके चूत में उंगली करने में इतनी मगन थीं कि वो मुझे नहीं देख पाईं.
मैंने मोबाइल निकाला और उनका वीडियो बनाने लगा.
वो किसी सनी नाम के लड़के से बात कर रही थीं.
मैंने पूरी वीडियो ढंग से बना लीं और चुपचाप वहां से बाहर निकल कर अपने रूम में जाकर लेट गया.
अब मैं मॉम को सोचकर मुठ मारने लगा.
पहली बार मैंने मॉम को पूरी नंगी देखा था.
क्या मस्त गोरा बदन और बड़े बड़े मिल्की एकदम टाइट मम्मे थे. एकदम चिकनी चूत, जैसे आज ही शेव की हो
मेरा तो लंड फटा जा रहा था.
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मन कर रहा था कि अभी जाकर मॉम को चोद दूँ लेकिन इतनी हिम्मत नहीं थी.
आज के इस सीन से एक बात तो साफ़ हो गई थी कि डैड, मॉम की प्यास सही से नहीं बुझा पाते हैं.
अब मैं अपनी मॉम को चोदने के सपने देखने लगा.
मैं चाहता था कि मॉम खुद ही मुझसे चुदवाने को बोलें इसलिए मैं प्लान करने लगा.
शाम को डैड आ गए, फिर वही रूटीन, खाना खाकर सोने चले गए.
अगले दिन मॉम किचन में काम कर रही थीं.
मैं गया और पीछे से उनसे चिपक कर उस दिन के लिए सॉरी बोलने लगा क्योंकि उस दिन के बाद मॉम मुझसे बता नहीं कर रही थीं.
मॉम ने कुछ नहीं कहा.
उन्होंने मुझे नाश्ता दिया और मैं खाने के बाद दोस्त के पास चला गया.
अब मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया कि क्यों ना मॉम को वो वीडियो भेजूं, जो मेरे पास थी.
कुछ देर तक हर बिंदु पर सोचने के बाद मैंने ठान लिया कि कुछ भी हो जाए मॉम को अब चोद कर ही रहूँगा.
फिर मैं ज़रूरी काम से कुछ दिन के लिए अपनी मौसी के घर चला गया.
मैं मॉम को मिस कर रहा था.
रात को मैंने मॉम की वीडियो देखी और लंड हिलाते हुए मॉम के नंबर पर कॉल की.
मॉम ने हैलो बोला.
मैंने हालचाल पूछे और पूछा- डैड क्या कर रहे हैं?
मॉम बोलीं- डैड सो गए हैं.
मैंने कहा- मॉम नेट खोलो, मैंने आपको कुछ भेजा है.
उन्होंने कहा- क्या भेजा है?
मैंने कुछ नहीं कहा और कॉल कट कर दी.
फिर मैंने मॉम की न्यूड वाली वीडियो उन्हें भेज दी और थोड़ी देर के लिए अपना मोबाइल ऑफ कर दिया.
शायद मॉम का मूड खराब हुआ होगा इसलिए वो कॉलबैक कर रही होंगी.
लेकिन मेरा नंबर लगा ही नहीं.
इसलिए दस मिनट बाद मॉम ने मौसी के मोबाइल पर कॉल कर दी और उनसे बोलीं- आर्यन से बात करा दो.
मौसी का मोबाइल लेकर मैंने हैलो बोला.
मॉम बोलीं- ये कहां से मिली?
मैंने जानबूझ कर बोला- क्या?
मॉम बोलीं- पहले अपना मोबाइल ऑन करो और मुझसे बात करो. मैं उसी पर बात करूंगी.
मैंने तुरंत अपने मोबाइल से कॉल लगाई.
मॉम बोलीं- बेटा प्लीज़ बताओ, ये वीडियो कहां से मिला?
मैंने कहा- आप परेशान न हों.
तब मॉम मुझसे फोर्स करके पूछने लगीं.
मैंने कहा- डैड को भी भेज दूँ क्या?
वो रोने लगीं और बोलीं- नहीं, प्लीज़ ऐसा मत करना.
मैंने कहा- मैं तो आपको बहुत सती सावित्री समझता था और आप एक ब्वॉयफ्रेंड से बात करती हो!
मॉम बस सॉरी सॉरी बोल रही थीं.
मैंने कहा- मेरी बात सुनो और बताओ. सन्नी के साथ आप कितनी बार चुदी हो?
मॉम ने मेरे मुँह से ‘कितनी बार चुदी हो …’ शब्द सुने, तो मॉम हिल गईं और बोलीं- ये क्या बकवास कर रहे हो?
मैंने कहा- ठीक है, मत बताओ. फिर खुद ही समझना.
मॉम धीमे से बोलीं- बस अब तक 3 बार … उससे मिले ज़्यादा दिन नहीं हुए हैं.
मैंने कहा- डैड क्या अच्छे से चोदते नहीं हैं?
मॉम बोलीं- बहुत सालों से मेरे साथ तेरे डैड ने सेक्स नहीं किया इसलिए ग़लती हो गयी. अब आगे से किसी के साथ कभी नहीं करूंगी. लेकिन प्लीज़ वीडियो डिलीट कर दो.
मैंने कहा- एक ही शर्त पर. जब आप मुझे खुश करोगी.
तो मॉम गुस्सा हो गईं और उन्होंने फोन कट कर दिया.
मैंने मैसेज किया- अगर मुझे भी चोदने दोगी, तो डैड को नहीं बताऊंगा … और हां सोच लो आराम से. आपके पास अभी दो दिन का टाइम है.
अब अगले दिन सुबह 10 बजे मॉम ने कॉल किया.
शायद डैड के जाने के बाद फोन किया था.
मैंने पूछा- बोलो जान क्या सोचा!
मॉम बोलीं- लेकिन ये सब एक बार होगा … और वीडियो डिलीट करनी पड़ेगी.
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन मैं घर पर नहीं करूंगा, कहीं बाहर चलो.
मॉम फिर डरने लगीं और बोलीं- घर पर क्या दिक्कत है?
मैंने कहा- मैं अच्छे से एंजाय करूंगा.
वो बोलीं- ठीक है, सब कुछ खुद ही मैनेज करो.
अब मेरे अन्दर सेक्स की आग भड़क रही थी.
मैं उसी दिन मौसी के घर से वापस निकल आया और शाम को घर आ गया.
मॉम अभी भी मुझसे डर रही थीं.
हम दोनों ने बात नहीं की.
डैड के आने बाद मैं डैड से कहा- मैं मॉम के साथ 4 दिन के लिए मसूरी जा रहा हूँ.
मॉम एकदम से बोलीं- अरे 4 दिन क्यों?
मगर तब तक डैड ने हां कर दी- हां चार दिन से कम में मसूरी का क्या मजा आएगा.
मॉम कसमसा कर रह गईं और मैं उन्हें देख कर मुस्कुराने लगा.
फिर अगले दिन हम दोनों अपनी कार से मसूरी निकल गए.
सफ़र में हम दोनों ने कुछ ज्यादा बात नहीं की और वहां पहुंचकर होटल में चैकइन कर लिया.
मैं इस होटल में अपनी बुकिंग पहले से ही कर ली थी.
ये एक अच्छा होटल था और हिल्स पर था.
कमरे में आकर मैं फ्रेश होने चला गया.
मॉम को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे क्या होगा.
मेरे फ्रेश हो कर आने के बाद मॉम बाथरूम में चली गईं और थोड़ी देर बाद मॉम एक काले रंग के मस्त गाउन में बाहर आ गईं.
उनको देखकर मेरा लंड टाइट हो गया.
मैंने मॉम को ज़ोर से अपनी बांहों में भर लिया.
मैं उनकी गांड दबाने लगा. मॉम के गले पर किस करने लगा.
मॉम कुछ उदास थीं.
मैंने पूछा- क्या हुआ, आप घर से इतनी दूर आई हो, एंजाय करो न मेरी जानू मॉम!
मॉम बोलीं- वीडियो डिलीट करो, मुझसे ग़लती हो गयी.
लेकिन मैंने कहा- आप खुद को किसी दूसरे से संतुष्ट करवाओ, ये मुझे मंजूर नहीं है.
वो मेरी बात सुनकर चुप हो गईं.
मैं उन्हें चुप देखकर नहीं रुका और उनको किस करने लगा.
अब मैं मॉम के बूब्स भी दबा रहा था.
मॉम धीरे धीरे गर्म हो रही थीं और उनका विरोध भी ना के बराबर हो गया था.
अब मॉम ने धीरे से कहा- ये सब तो घर पर भी हो सकता था, यहां क्यों लाए हो. मेरी तुमसे रिक्वेस्ट है, प्लीज़ वीडियो डिलीट कर दो.
मैंने उनकी एक नहीं सुनी. मैं अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और किस करने लगा.
पहले तो काफ़ी देर तक मॉम ने होंठ नहीं खोले, लेकिन मेरे हाथ उनकी चूत में चलने की वजह से अब मॉम की चूत का रस निकलने लगा था.
मतलब उनका मूड बन चुका था.
तभी मॉम ने मेरे होंठों को चूसना स्टार्ट कर दिया और उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी.
अब मुझसे भी सब्र नहीं हुआ. मैंने मॉम को बेड पर पटक दिया और उनके गाउन को हटा दिया.
मॉम ने कुछ नहीं बोला.
मैं उनके बूब्स ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
कुछ ही देर में मॉम मस्ती में आ गई थीं और आहें भरने लगी थीं.
मैंने अपनी दो उंगलियां चूत में एकदम से घुसा दीं.
मॉम एकदम से उछल गईं ‘आह मर गई …. ऊऊह …’
कुछ देर में मॉम ने मेरी उंगलियों से अपनी में मजा लेना शुरू कर दिया.
फिर मॉम ने मेरा लंड ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भर लिया और दबाने लगीं.
अब मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारे और मॉम के नंगे जिस्म पर चढ़ गया.
मैंने मॉम की ब्रा को भी फाड़ डाला.
मॉम ने कुछ नहीं कहा. मॉम ने अपनी पैंटी पहले ही उतार दी थी इसलिए अब वो मेरे सामने पूरी नंगी लेटी थीं और मस्त माल लग रही थीं.
मैं मॉम के दूध चूसने लगा और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
मैंने मॉम के मम्मे इतने अधिक दबाए कि चूचे एकदम लाल हो गए.
मैं मॉम के दोनों मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा और उनके दूध चूसते हुए नीचे आ गया.
मैंने अपनी जीभ उनकी नाभि में घुसा दी और फिर सीधा चूत पर आ गया. मैंने अपना मुँह मॉम की चूत पर रख दिया और जीभ डालकर चूत का स्वाद लेने लगा.
एकदम रसदार नमकीन पानी बह रहा रहा था.
मेरी मॉम भी पूरे जोश में आ गई थीं. वो बोलीं- अब जल्दी से पेल दो.
मैंने दस मिनट तक मॉम की चूत को जीभ डालकर चूसा.
कुछ ही देर में मेरी मॉम ने अपनी चूत का पानी छोड़ दिया था.
कुछ देर तक और चूत चाटने के बाद मैं उठा और मॉम से लंड चूसने के लिए बोला.
पहले तो मॉम ने मना किया लेकिन फिर मुँह में लंड ले लिया.
मुझे मजा आने लगा और मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा लंड मॉम के मुँह में घुसेड़ दिया.
मेरा लंड उनके गले में जाकर फंस गया था.
मॉम बुरी तरह से छटपटा रही थीं लेकिन मैं जोरदार तरीके से लंड पेलता रहा.
कुछ ही पलों में मॉम का मुखड़ा एकदम लाल हो गया.
पूरा मुझे इतना जोश चढ़ गया था कि मैंने मॉम के मुँह में ही अपना सारा माल निकाल दिया.
लंड उनके गले में था तो लंड का सारा माल मॉम के मुँह के अन्दर चला गया.
मॉम हौ हौ करने लगीं और तुरंत उठ कर थूकने के लिए जाने लगीं.
उनके मुँह में बचा हुआ माल जो उन्हें थूकने के लिए मजबूर कर रहा था.
मैंने उनके बाल पकड़े और अपना मुँह मॉम के होंठों पर रख दिया, उन्हें किस करने लगा.
मैं पहली बार अपने लंड का माल अपने मॉम के मुँह से लेकर स्वाद ले रहा था. मैं मॉम के मुँह में जीभ डालकर उन्हें किस करने लगा.
मुझे इतना मज़ा आया कि मेरा लंड फिर से फनफ़ना गया.
कुछ देर किस करने के बाद मैंने मॉम को बेड पर लिटाया और मैंने नीचे खड़े होकर अपना मोटा लंड मॉम की टाइट चूत में लगा दिया.
एक बार मैंने मॉम की तरफ देखा और ज़ोर से धक्का दे दिया.
मॉम की चूत गीली होने की वजह से सट से पूरा लंड चूत के अन्दर घुस गया.
उनके मुँह से चीख निकल गई.
वो सीत्कार करने लगी- आआहह उआहह बेटा ऊऊओह आहह ऊऊउ अया बेटा आराम से कर ना … प्लीज़ दर्द हो रहा है.
तभी मैंने मॉम के होंठों को अपने मुँह में लॉक किया और ज़ोर के झटकों के साथ उनकी चूत चुदाई करने लगा.
दो मिनट बाद बाद मॉम को भी चूत चुदवाने में मज़ा आने लगा. वो अपनी गांड उठाकर लंड लेने लगीं.
अब मैंने मॉम से कहा- मजा आ रहा है.
मॉम मुस्कुरा दीं और बोलीं- मैं चुदाई के लिए कबसे तरस रही थी … इसी वजह से मुझे सनी से अपनी चूत चुदवानी पड़ी. मगर अब मैं खुश हूँ.
मैंने कहा- अब आप लंड की सवारी करो,
मैंने लंड चूत से खींचा और बेड पर लेट गया. मॉम को मैंने अपने लंड पर बैठा लिया. मॉम भी अपनी चूत फंसा कर लौड़े पर बैठ गईं और अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी थीं.
मॉम की चूचियां मस्त हिल रही थीं और उनकी मादक सिसकारियां मुझमें जोश भर रही थीं.
कुछ मिनट तक ऐसे ही चुदाई होने के बाद मॉम अकड़ने लगीं और मेरे ऊपर गिर गईं.
वो मेरे सीने पर गिर कर निढाल हो गईं.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और उनके चेहरे को चूमने लगा.
मेरा लंड अभी भी कड़क था और मॉम की चूत में घुसा हुआ था.
कुछ देर बाद मैंने मॉम को उल्टा किया और मॉम के ऊपर चढ़ गया.
एक बार फिर से मैं लंड पेल कर पूरे जोश के साथ मॉम की चूत को चोदने लगा.
मॉम बोलीं- आंह जल्दी जल्दी से चोद दे बेटा … आअह हहह बहुत मज़ा आ रहा है.
मैंने उनकी गर्दन को चूमते हुए कहा- मॉम, अब आपको लंड की कमी कभी महसूस नहीं होगी. मेरे लंड से आप जब चाहे मजा ले सकती हैं.
मॉम मुझसे चुदवा कर खुश थीं.
अब मॉम ने मुझे अपनी दोनों टांगों में दबा लिया और एकदम से मेरा सारा माल उनकी चूत में निकल गया.
मॉम ने जब तक मुझे दबाए रखा जब तक पूरा माल उनकी चूत में नहीं गिर गया.
उनकी गर्म चूत से निकल रहे लावा का अहसास भी मेरे लंड को हो रहा था.
अब मेरा लंड ढीला पड़ गया और मैं भी ऐसे ही मॉम के ऊपर लेटा रहा.
हम दोनों मां बेटा इस मधुर चुदाई से इतना थक गए थे कि पता ही नहीं चला, कब नींद आ गई.
देर शाम को करीब 9 बजे मेरी आंख खुली.
मैंने देखा मॉम नंगी ही सो रही थीं.
मेरे बगल में नंगी मॉम मुझे बहुत हॉट लग रही थीं.
तभी मैंने मोबाइल की रोशनी जलने लगी. मोबाइल साइलेंट मोड पर था. मैंने फोन उठाया और देखा कि डैड की कॉल आ रही है.
मैंने डैड से हैलो बोला.
डैड ने हालचाल पूछे और मॉम के बारे में पूछा.
मैंने मॉम को जगाया और उनके हाथ में मोबाइल थमा दिया.
मॉम अब भी शर्मा रही थीं.
वो उठ कर बाथरूम में जाने को हुईं लेकिन मैंने उन्हें उठने नहीं दिया.
मैं उनके बूब्स दबाने लगा.
मॉम डैड से फोन पर बता कर रही थीं और अपने बेटे के साथ नंगी पड़ी थी.
मेरे ज़ोर से बूब्स दबाने की वजह से मॉम की आह निकल गई.
पापा ने पूछा- क्या हुआ?
मॉम- कुछ नहीं.
फिर मॉम ने कॉल कट कर दी.
उसके बाद मैं उठकर फ्रेश होने चला गया.
मॉम भी अन्दर नंगी ही आ गईं.
मैंने मुस्कुरा कर उनकी तरफ देखा.
वो बोलीं- मुझे सुसु करना है.
मैंने कहा- हां कर लो.
तभी मुझे मस्ती सूझी. मैंने मॉम को दीवार के सहारे खड़ा किया और उनकी चूत में अपनी जीभ लगा दी.
मैंने इशारे कहा- अब मूतो.
मुझे मॉम ने बहुत रोका लेकिन मैं नहीं माना.
मॉम की चूत पानी टपकाने लगी. मॉम खुद से मेरे मुँह में झटके मारने लगीं और एकदम से बोलीं- अब हटो … सुसु आ रही है.
लेकिन मैंने पीछे से उनकी गांड को इतनी ज़ोर से पकड़ा हुआ था और जीभ अन्दर चूत में डालकर चूस रहा था कि मॉम कुछ कर ही ना सकीं और उनका मूत निकलने लगा.
मॉम की चूत से पूरी पेशाब मेरे मुँह में चली गई; कुछ बाहर भी टपक गई.
मुझे अपनी मॉम की पेशाब पीकर इतना मज़ा आया दोस्तो कि क्या बताऊं.
उधर मेरी मॉम शर्म से लाल हो गयी थीं और शरारती मुस्कान देती हुई बोलीं- पागल, ऐसे कौन करता है.
मैंने कहा- मॉम, तेरा बेटा करता है.
फिर मैं उठा और तभी मॉम ने शॉवर ऑन कर दिया.
हम दोनों पानी के नीचे नंगे खड़े थे पानी से नहाने लगे और मस्ती करने लगे.
हम दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाया और चुदास भड़क गई तो फिर से एक राउंड चुदाई की.
अब मॉम मुझसे खुलने लगी थीं.
मॉम ने मुझसे कहा- इतना मज़ा मुझे अपनी लाइफ में कभी नहीं आया.
मैंने मॉम को आई लव यू बोला.
मॉम ने भी मुझे लव यू टू आर्यन बोला.
ऐसे ही 4 दिन तक हम दोनों ने बहुत मस्ती की.
मैंने मॉम को बहुत सारी हॉट सेक्सी ड्रेस भी दिलाईं.
मॉम ने मुझसे एक प्रॉमिस लिया कि ये बात डैड को पता नहीं चलना चाहिए और अकेले में मैं मॉम को उनके नाम से बुलाऊं.
मेरी मॉम मुझसे बोली- अब से तू मुझे मॉम समझ कर नहीं, बीवी बनाकर चोदेगा.
इस तरह से मॉम ने अपने बेटे के लंड को चूत की मस्ती देना शुरू कर दी थी.
आज भी डैडी को स्टेप मॉम सेक्स की बात नहीं मालूम है कि मेरी मॉम मुझसे चुदवाती हैं.
दोस्तो, आपको अगली चुदाई कहानी में लिखूँगा कि घर वापस आने के बाद मॉम ने मुझे किस किस तरह से चूत और गांड चुदाई का मजा दिया और उनकी एक ख़ास सहेली को भी बिना अपनी चुदाई की जानकारी दिए मुझसे चुदवा दिया.
मेरा नाम राहुल राज है और Antarvasna मैं रेल गाड़ी से भोपाल से मुम्बई जा रहा था मेरे आरक्षित बर्थ के सामने वाले बर्थ पर एक खूबसूरत कमसिन लड़की बैठी हुई थी। उसके माता पिता शायद ऊपर वाली बर्थ पर थे.
रात को करीब 11 बजे जब ट्रेन के सभी यात्री सोने की तैयारी कर रहे थे, मैं भी अपने बर्थ पर सोने की तैयारी कर रहा था। तभी अचानक मेरी सामने वाली बर्थ से उस लड़की की आवाज आई- क्या आपको नींद आ रही है?
मैँने कहा- नहीं!
तो लड़की ने कहा- तो फिर कुछ बात करिये न! मुझे नींद नहीं आ रही.
लड़की के माँ बाप सो गये थे ऊपर वाली बर्थ पर। फिर मैंने लड़की से पूछा कि आप क्या कर रही हैं?
लड़की ने कहा- मैं ऐम बी बी ऐस की तैयारी कर रही हूँ।
फिर लड़की अपने बर्थ से उठ कर मेरे बर्थ पे आ गई। दिसम्बर माह होने के कारण सरदी अपने पूरे शवाब पर थी तो मैंने उसे अपना कम्बल ओढ़ने को कहा। लड़की मेरे साथ कम्बल में मेरे से सट के बैठ गई। उसके जवान शरीर की खुशबू मेरे जहन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी। फिर उसने मेरे घुटने पर हाथ रखा और धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर धीरे धीरे उसके हाथ की हरकत बढ़ने लगी।
मैं समझ गया कि ये लड़की क्या चाह रही है, फिर मैंने अपनी पैन्ट की जिप खोल कर अपना सात इंच का लन्ड बाहर निकाल कर उस के हाथ में पकड़ा दिया। लड़की काफी चुदासी लग रही थी । उसने झट से मेरे लन्ड को अपने हाथों में ले लिया और जोर जोर से सहलाने लगी। तब मैंने उसे अपने बर्थ पर लिटा लिया, मैँने उसके लिप पर लऽऽऽम्म्म्बा किस किया तो लड़की के सारे बदन में सिरहन सी दौड़ गई। उसने मुझे अपनी बांहों में कस लिया।
मैंने उसकी शर्ट की बटन को खोलना चालू कर दिया, वो कुछ नहीं बोली और इस तरह हो गई कि उसके मक्खन जैसे स्तन मेरे सामने आ गये। मैंने उसकी ब्रा सरका कर उसके स्तन चूसना चालू कर दिया।
कुछ देर बाद वो सीईई ईईई कर के मेरे लंड पर टूट पड़ी और मेरे लंड को जो तीन इंच मोटाई का है को लालीपाप की तरह चूसने लगी। मैंने उसकी पैंट के हुक ख़ोल कर उसकी पेंटी में हाथ डाल कर उसकी चूत में उंगली करना चालू कर दिया।
वो सीऽऽ ई कर के पैर फैला के लेट गई। मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ना चालू कर दिय। वो आह उह उई श श करने लगी। जब मैंने अपने लंड को उसकी चूत में ठेला तो चार ईन्च तक अंदर चला गया। उसके मुँह से अजीब अजीब सी आवाज़ें निकलने लगी और वो अपने चूतड़ हिलाने लगी।
मैंने एक धक्का और दिया तो आधे से ज्यादा लंड अंदर चला गया। उसकी आँखों से आँसू आ गये, फिर भी बोले जा रही थी- और अंदर तक डालो!
मैंने अपना पूरा लंड उस की चूत में डाल दिया और ट्रेन के इंजन की तरह धक्के मारना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद वो लड़की झड़ गई। मैंने अपने लंड को चूत से निकाल कर उसके मुंह में दे दिया। वो मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।
मैं धक्के मारने लगा फिर मैं उसके मुँह में झड़ गया। वो मेरी सारी क्रीम को पी गई और मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया।
इस तरह मैंने रात में उसको कई बार चोदा। फिर मेरा स्टेशन आ गया।
तो आपको ये कहानी कैसी लगी मेल जरूर करना! Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.