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किस करते करते मुझे ऐसा फील हुआ कि शायद मेरा लंड हल्का हल्का गीला हो रहा है.. मैं समझा कि शायद मैं फारिघ् हो गया हूँ…
मगर मेरा लंड अभी भी टाइट था ऑर खाला की लेग्स आहिस्ता आहिस्ता ओपन होने लगी ऑर खाला की साँसे तेज होने लगी.
अब आगे…
अब खाला का हाथ मेरे उपर था. ऑर खाला ने मेरी तरफ करवट ली हुई थी. मैने खाला का हाथ अपने उपर पड़े रहने दिया ऑर खाला के उपर हाथ रख दिया ऑर उनको हग कर लिया.
जब मैने खाला को हग किया तो उनके बूब्स मेरे साथ टच हो रहे थे. मैं थोड़ा सा पीछे हुआ ऑर उनके बूब्स को देखने लगा..
उनके 36 साइज़ के बूब्स ब्लॅक ब्रा मे क़ैद बहुत खूबसूरत लग रहे थे.. मैने खाला की आँखो की तरफ देखा तो वो तो गहरी नींद मे थी ऑर सो रही थी..
मैं थोड़ा सा उपर हुआ ऑर खाला के लिप पर हल्की सी किस की.. जब कोई रेस्पॉन्स ना मिला तो मैं आहिस्ता आहिस्ता खाला के लिप्स पर किस करने लगा… मेरी ये किस ज़्यादा से ज़्यादा 3 सेकेंड की होती थी…. क्योंकि मुझे डर भी था कि कहीं खाला उठा ना जाएँ.. जब मैने कोई 10 बार किस कर ली तो मैने अपनी ज़ुबान निकाल कर खाला के लिप्स से टच की…
मुझे अब ज़ुबान टच करते हुए मज़ा आ रहा था. ऑर उधर मेरा लंड खड़ा हो गया था….
मैने लेग्स पर खाला का दुपट्टा लपेटा हुआ था.. जिस से मेरा खड़ा लंड साफ तोर पर नज़र आ रहा था…
मैं अब लंड को सुलाने की फिकर मे लग गया ऑर अब मेरा मूठ मारने का कोई इरादा भी नही था. क्योंकि मैं सुबह से 2 बार मूठ मार चुका था……
मैं खाला के साथ लेट गया ऑर अपना सिर उनके सीने पर रख दिया.. खाला की हार्ट बीट मुझे सुनाई दे रही थी…. मैने खाला को टाइट हग किया ऑर उनके जिस्म की खुश्बू को सूंघने लगा.. मुझे उनकी खुश्बू से कुछ कुछ होने लगा..
मैं एक बार फिर थोड़ा सा पीछे हुआ… ऑर खाला के बूब्स को देखने लगा… मैने हिम्मत कर के खाला के बूब्स के उपर हाथ रख ही दिया ऑर अपनी आँखे क्लोज़ कर ली..
मैं ये ज़ाहिर कर रहा था कि मैं सो रहा हूँ.. मगर दूसरी तरफ से कोई हरकत ना हुई….. मैने हिम्मत कर के खाला के एक बूब को हल्का सा दबाया. मेरे दबाने से खाला के जिस्म मे हल्की सी हरकत हुई तो मैने अपनी आँखे बंद कर दी… खाला ने अपनी आँखे खोल कर मुझे देखा ऑर मेरी बंद आँखो को देख कर खाला समझी कि मैं सो रहा हूँ. तो खाला ने मुझे हग कर लिया ऑर मेरा सिर अपने सीने पर रख दिया…मेरा फेस उनकी कमीज़ के गले के उपर नंगे सीने पर था…
मैं उनके जिस्म को स्मेल करने लगा….. उनके जिस्म को स्मेल करते करते मुझ पर भी नींद छाने लगी ऑर मैं भी खाला को हग कर के नींद की आगोश मे चला गया
मैं जब खाला के साथ चिपक कर सोया हुआ था तो उस टाइम 1 बज रहा था.. मैं तक़रीबन 2 घंटे सोया था तो मेरी आँख खुल गई थी…. मैने खाला की तरफ देखा तो वो अभी तक सो रही थी.. शायद वो बहुत ज़्यादा थक गई थी……
मैने वॉल क्लॉक पर टाइम देखा तो 3:30 हो रहे थे.. मगर मुझे रूम मे कुछ अंधेरा अंधेरा सा लगा.. दोपहेर का टाइम था ऑर रूम की लाइट तो ऑफ थी.. मगर दिन के टाइम धूप की वजह से रूम मे रोशनी होती है.. मुझे वो रोशनी कम लग रही थी..
मैं रूम से बाहर निकला ऑर सहन मे आ कर देखा तो आसमान पर बादल छाए हुए थे ऑर ठंडी हवा चल रही थी.. मौसम बहुत प्यारा हो गया था ओर बारिश होने के आसार थे… मैं सहन मे ही चारपाई पर बैठ कर हवा को एंजाय करने लगा..
मैं कुछ देर वहाँ बैठा रहा तो माइंड मे ख़याल आया कि क्यू ना खाला को भी उठा दिया जाए ता कि वो भी मोसम एंजाय कर सके….. ये सोचते ही मैं रूम की तरफ गया, खाला अभी भी सो रही थी.. मुझे उन पर बहुत प्यार आया ऑर मैने झुक कर खाला के गाल पर एक किस की.. ऑर उनको हल्का सा हिलाया..
खाला ने नींद मे एक करवट ली ऑर आहिस्ता आहिस्ता अपनी आँखे खोल दी.. पहले तो वो कुछ देर नींद की खुमारी मे रही.. मैने एक बार फिर से आवाज़ दी तो खाला नींद की खुमारी से बाहर निकली ओर मुझे अपने सामने खड़ा हुआ पाया.. उन्होने मुझे देख कर एक स्माइल पास की ऑर मेरी तरफ देख कर बोली:
खाला: क्या हुआ जान, मुझे क्यू जगा दिया..
मैं: खाला, देखो बाहर इतना प्यारा मोसम हो रहा है.. चलो बाहर चल कर एंजाय करते हैं
खाला: नही यार मुझे नींद आ रही है..
मैं: ओहो खाला अब उठ तो गई हो.. चलो ना बाहर जा कर बैठ ते हैं…
ये बोल कर मैने खाला का हाथ पकड़ा ऑर उनको बाहर ले आया.. खाला बाहर निकली तो उनको भी मोसम बहुत अच्छा लगा…
खाला: अयान, रियली यार मोसम तो बहुत अच्छा हो रहा है..
मैं: हाँ जी इसी लिए तो आप को जगाया है मैं ने..
खाला: अयान क्यो ना आज आइस क्रीम खाने चलें…
मैं: हाँ, हाँ चलो… क्यू नही..
खाला ने कहा ओके मैं तैयार हो कर आती हूँ. ऑर ये बोल कर वो कपबोर्ड से कपड़े निकालने चली गई ऑर कपड़े ले कर निकली तो नहाने के लिए चली गई..
जब खाला नहा कर निकली तो मैने खाला से कहा कि आप हल्का सा मेकप भी कर लो.. खाला ने स्माइल पास की ऑर बोली…. क्यू जी, मैं मेकप क्यू कर लूँ…
मैने कहा कि मेकप मे अच्छी लगो गी..
खाला: तो क्या मैं मेकप के बिना अच्छी नही लगती..
मैं: खाला जान, ये बात नही है.. आप मेकप करो या ना करो.. आप तो मुझे दुनिया की सब से हसीन लड़की लगती हो.. आप बहुत अच्छी लगती हो मुझे.. आइ लव यू खाला
खाला: अच्छााआअ,,, ऐसी क्या बात है मुझ मे..
मैं: ज़रूरी तो नही है कि अच्छा लगने के लिए कोई वजह हो.. बिना किसी वजह के ही आप मुझे अच्छी लगती हो..
खाला: अच्छा ये बताओ, तुम्हे मुझ मे क्या अच्छा लगता है,???????
मैं खाला की बात सुन कर थोड़ा सा सटपटा गया कि अब क्या जवाब दूं खाला को…
मैने एक मिंट के लिए सोचा ऑर बोला: मुझे आप का सब कुछ बहुत अच्छा लगता है…
खाला: सब कुछ मे क्या क्या?????
वो शायद मुझे टीज़ करने का प्रोग्राम बनाए बैठी थी..
मैं: सब कुछ मे तो सब कुछ आ जाता है ना.. आप के बालों, आँखे, चीक्स एट्सेटरा एट्सेटरा
खाला: ऑर क्या क्या????
मैं: शरमाते हुए.. सब कुछ ना
ओर मैं उठ कर वॉशरूम जाने लगा तो खाला ने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर मुझसे बोली…
खाला: तुम ऐसे नही जा सकते,,,, पहले मेरी बात का जवाब दो….
मैं: अंजान बनते हुए,, कौनसी बात का…??????
खाला: यही कि तुम्हे मुझ मे क्या क्या अच्छा लगता है..????
मैं: बताया तो है कि मुझे आप का सब कुछ अच्छा लगता है.. बल्कि आप मुझे पूरी की पूरी अच्छी लगती हो…
खाला: यही तो मैं पूछ रही हूँ कि क्या क्या अच्छा लगता है….
खाला ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था.. ऑर वो मेरी तरफ देखते हुए हल्के गुस्से से बोली..
देखो अयान तंग ना करो ऑर सच सच बोलो कि तुम्हे मुझ मे क्या क्या अच्छा लगता है.. वरना मैं नाराज़ हो जाउन्गी…
मैं: देखो खाला…. मुझे आप के बाल बहुत अच्छे लगते हैं.. आप के सिल्की सिल्की बाल मुझे बहुत अच्छे लगते हैं ऑर जब आप नहा कर बाहर निकलती हो तो मुझे आपके बालों की स्मेल बहुत अच्छी लगती है..
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खाला शायद अपनी पूरी तारीफ सुन,ने के मूड मे थी.. वो मुस्कुराते हुए..
खाला: ऑर….????
मैं: मुझे आप की आँखे भी बहुत अच्छी लगती है.. जब आप नहा कर निकलती हो तो आप की आँखे लाल होती हैं.. बिल्कुल ऐसा लगता है कि आप नशे मे हो.. ऑर इन नशीली आँखों मे डूब जाने को दिल करता है..
मैं एक फिल्मी हीरो की तरफ फिल्म के डाइयलोग मार रहा था ऑर खाला मेरा डाइयलोग सुन कर हँसने लगी… ऑर पूछा..
खाला: अच्छा ऑर भी बताओ ना..
मैं: अगर ऑर बताया तो आप नाराज़ हो जाओगी …
खाला: अरे नही नाराज़ होती..
मैं: प्रॉमिस…?????
खाला: अरे य्ाआआरररर,,, चलो प्रॉमिस बाबा…
ये बोल कर खाला ने मेरी तरफ दूसरा भी हाथ बढ़ाया ऑर मैने उनका हाथ पकड़ लिया..
मैं: खाला मुझे आप के ये पतले पतले होन्ट (लिप्स) बहुत अच्छे लगते हैं..
खाला के फेस एक मासूम मुस्कुराहट आई..
खाला: क्यू ऐसा क्या है मेरा होंठो मे..
मैं: खाला पता नही बस मुझे आप के ये होन्ट बहुत अच्छे लगते हैं… दिल करता है कि इनको भी एक बार किस करूँ….
खाला ने मेरी बात सुनी तो बहुत हैरान हुई.. ऑर फिर प्यार भरे अंदाज़ मे बोली:
खाला: तो क्या हुआ अगर तुम चाहते हो तो तुम किस भी कर सकती हो.. तुम तो मेरी जान हो..
मैं: शरमाते हुए.. नही खाला बस छोड़ो , मैं तो ऐसे ही बोल रहा था..
खाला: नही…… अब तो तुम मुझे मेरे लिप्स पर किस करो गे….
ऑर ये बोल कर खाला ने अपना फेस मेरे फेस के बिल्कुल क़रीब कर लिया ऑर बोली: लो,,,, किस करो इनको…
मैने आज से पहले कभी किसी लड़की को किस नही की थी.. ये मेरी फर्स्ट किस थी जो मैं अभी करने वाला था..
मेरा गला खुश्क हो गया था.. मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे के सेहरा ( रेगिस्तान ) मे भागता रहा हूँ ऑर बहुत प्यास लगी है.. मैं अपने लिप्स पर ज़ुबान फेरने लगा..
दिल तो कर रहा था कि अभी खाला के होंठो का सारा रस चूस लूँ मगर पता नही क्यू,, मुझ मे हिम्मत नही हो रही थी…..
मैं तो खुद भी यही चाहता था कि खाला के लिप्स को चूसू मगर अब जब खाला खुद मुझे बोल रही थी तो मुझ से नही हो पा रहा था.. मैने बहुत हिम्मत पैदा करने की कोशिश की मगर नही कर पाया…
खाला मेरी तरफ देखते हुए बोली: अरे क्या देख रहे हो.. अभी तो बोल रहे थे कि किस करना चाहते हो.. ऑर अब, जब कि मैं खुद तुम्हे बोल रही हूँ तो तुम नही कर रहे हो…
खाला: चलो मैं अपनी आँखे बंद कर लेती हूँ फिर तुम मुझे किस करो..
ये बोल कर खाला ने अपनी आँखे बंद कर ली… मैने हिम्मत की ऑर खाला के लिप्स के क़रीब अपने लिप्स ले कर गया.. ऑर खाला के लिप्स पर अपने लिप्स रख कर एक दम से हटा दिए.. कोई 2 सेकेंड तक के लिए मैने लिप्स रखे थे..
खाला ने झट से अपनी आँखें खोली ऑर मुझे कहा: ये क्या????????
मैने कुछ नही कहा क्योंकि मेरी तो आवाज़ ही नही निकल रही थी..
खाला ने मेरी हालत को नोट किया ऑर मेरा हाथ पकड़ कर रूम मे ले आई, ऑर मुझे बेड पर बिठा दिया ऑर खुद मेरे साथ ही बैठ गई…. खाला ने बहुत प्यार भरे अंदाज़ मेरे बालों मे उंगलियाँ मूव की ऑर बोली…
खाला: तुम्हे तो किस करना भी नही आती.. क्या पहले कभी किसी को किस नही की…
मैं: मैने अपना सिर नही मे हिला कर इनकार किया..
खाला: तो पहले नही की तो क्या हुआ.. आगे तो कोई ना कोई गर्ल फ्रेंड तुम्हे मिल जाए गी तो उसको तो करोगे ना…
मैने सिर उठा कर खाला की तरफ देखा मगर मुँह से कुछ नही बोला..
खाला: चलो मैं तुम्हे किस करना सिखाती हूँ..
मैं: नही खाला अभी नही… फिर कभी.. क्योंकि सोचने ऑर रियल मे करने मे बहुत फ़र्क़ होता है.. ऑर जब कि आप का फर्स्ट टाइम हो तो फिर आप कुछ कर ही नही सकते….
खाला: नही अभी ही…
मैने थोड़ी बहुत बहस की मगर फिर खामोश हो गया.. खाला मेरी खामोशी को समझ गई ऑर मेरा हाथ पकड़ के अपने क़रीब किया…
खाला ने मेरे दोनो हाथ पकड़ के अपनी कमर पर रखे ऑर अपने दोनो हाथ मेरी कमर पर रखे…
वो अपने फेस को मेरे क़रीब लाती गई ऑर मुझे पसीना आ रहा था.. खाला मेरी आँखे मे देखती देखती अपने फेस को स्लोली स्लोली मेरे फेस के क़रीब ला रही थी..
खाला की साँसे मुझे फील होने लगी थी ऑर मेरे बॉडी टेंपॅरेचर हाइ होने लगा था.. नीचे शलवार मे हल्की हल्की सी हरकत होने लगी थी..
खाला अपने लिप्स को मेरे लिप्स के क़रीब लाई…
ऑर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए.
खाला ने जैसे ही मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रखे. मैने अपनी आँखे क्लोज़ कर लीं.
खाला को भी शायद ठीक तरह से किस्सिंग नही आती थी. वो अपने लिप्स को मेरे लिप्स पर स्लोली स्लोली रगड रही थी.. हम दोनो की आँखे बंद थी. वो कभी मेरे अपर लिप को अपने लिप्स मे ले कर चूस्ति ऑर कभी मेरे लोवर लीप को.. मैने अपनी आँखे एक लम्हे के लिए खोली तो देखा कि खाला की आँखे क्लोज़ थी… मुझ पर अब सेक्स का नशा चढ़ने लगा था.
नीचे शलवार मे मेरे लंड साहिब पूरी तरह खड़े हो गये थे. ऑर मेरा लंड खाला की थाइस को टच कर रहा था.. ये पहली बार ऐसा हुआ था क्य जागते हुए मेरा लंड खाला से टच हो रहा था.. उन्होने भी मेरे खड़े लंड को महसूस कर लिया ऑर थोड़ा क़रीब हो गई.
मैं खाला की थाइस से अपने लंड को रगड़ने लगा जिसकी वजह से मुझ पर मुकम्मल तौर् पर सेक्स का नशा छा गया.
मुझे किस्सिंग करनी तो नही आती थी मगर जो कुछ पॉर्न मूवीस मे देखा वोही अप्लाइ करने का सोचा..
मैं भी खाला के लिप्स पर अपने लिप्स रगड़ने लगा उधर वो भी मुकम्मल तौर पर मेरा साथ दे रही थी…. मैने खाला के अपर लिप्स को अपने लिप्स मे लिया ऑर चूसने लगा… मेरी इस हरकत पर खाला ने भी मुझे जल्दी जल्दी किस्सिंग स्टार्ट कर दी..
मेरा लंड मुकम्मल तौर पे खड़ा हो गया था ऑर मैं खाला की थाइस से अपना लंड मुसलसल रगड़ रहा था..
कहानी जारी रहेगी………….
मैं एक बार लिफ्ट लेने के Antarvasna लिए खड़ा था, मैंने कई लोगों से लिफ्ट माँगी, पर मिली नहीं। तो मैं एक गाना गुनगुनाते हुए आगे बढ़ चला, तभी थोड़ी देर में एक स्कूटी से एक बेहद स्मार्ट लड़के ने मुझे लिफ्ट दी। मैं बैठ गया, दोनों में बातें होने लगीं।
उसने पूछा कहाँ जाना है, मैंने कहा कि मुझे किसी शराब की दुकान तक जाना है, उसने पूछा कि आप कौन सी ब्राँड पीते हैं? और फिर ब्राँड को लेकर हमारे बीच बातें होने लगीं। तभी मैंने देखा कि वो एक हाथ से स्कूटी चला रहा है, मैंने सोचा, कि उसका एक हाथ किधर है?
कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि उसका दूसरा हाथ मेरे लण्ड को पकड़ने की कोशिश कर रहा था, जब वो छू नहीं पाया तो वो बोला- ठंड लग रही है, थोड़ा और आगे हो जाओ। मैं उसके इरादे समझ चुका था, मैं उसके बेहद नज़दीक सटकर बैठ गया, तभी वो मेरे पैन्ट की चेन खोलने की कोशिश करने लगा, थोड़ी ही देर में वह कामयाब भी हो गया। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और उत्तेजित करने वाली बातें करने लगा।
उसने पूछा- तुमने कभी किसी को चोदा है या नहीं।
मैंने उत्तर दिया- अभी तक तो नहीं किया।
‘क्या तुम चोदना चाहोगे?’
‘क्यों नहीं!’
‘मेरी गाण्ड मारना पसन्द करोगे?’ उसने प्रश्न किया।
‘आज तक तो नहीं मारी!’ मैंने उत्तर दिया।
‘कोई बात नहीं!’ कहकर उसने मेरा लौड़ा पकड़ लिया
मैंने कहा- यहाँ बहुत से लोग आ-जा रहे हैं, कहीं दूर चलते हैं!
तो उसने एक सुनसान इलाके में ले जाकर गाड़ी रोकी, मैंने कहा- मैं पेशाब करूँगा!
और मैं गाड़ी से उतरकर ज्यों ही पेशाब करने लगा, तब तक वो भी आ गया और मेरा लौड़ा देखकर वो बोला- कितना लम्बा है!
मैं आपको बताना भूल गया कि मेरा लण्ड 9 इन्च लंबा और 3 इन्च मोटा है।
तभी उसने पूछा- क्या तुम अकेले रहते हो?
मैंने उत्तर दिया- हाँ!
‘अगर तुम चाहो तो हम वहीं चलें?’ उसने योजना बताई।
‘अच्छा विचार है!’ मैंने भी हामी भर दी.
हम दोनों दारू लेकर कमरे में चले आए, और दारू पीने लगे। उसने दारू पीते-पीते ही मेरी पैन्ट की ज़िप खोल दी और लण्ड पकड़ लिया और दारू पीना छोड़कर मेरा लौड़ा चूसने लगा।
थोड़ी देर में मैं भी जोश में आ गया। मेरे मन की बात समझते हुए उसने अपनी पैन्ट उतार दी।
उसकी गाण्ड देखकर मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में जाने के लिए बेक़रार हो गया।
मैं उसे किस करते हुए, उसकी गाण्ड में ऊँगली करने लगा। उसके बाद मैं उसकी गाण्ड मारने लगा। मैंने 20-25 मिनट तक उसकी गाण्ड मारी।
जब मैं उसकी गाण्ड मार रहा था तो वह बहुत आवाज़ें कर रहा था और आआहहहह सीसीसस्स्स्सी की आवाज़ें उसके मुँह से आ रहीं थीं। उस दिन बहुत मज़ा आया।
मैंने पूछा कि ‘चूत का इन्तज़ाम नहीं कर सकते हो?’ तो उसने कहा कि ‘इन्तज़ाम हो सकता है। मेरी बीवी है जो मुझसे खुश नहीं रहती है, मैं उसे खुश नहीं रख सकता हूँ। तुम दोनों का काम कर सकते हो। मेरी गाण्ड और बीवी की चूत चोदते रहना।’
उस दिन के बाद कई बार उसके घर गया, पहले उसे खुश करता था, तब वो मुझे उसकी बीवी के पास जाने देता था। मैंने उसकी बीवी को कई बार चोदा, उसका भी दिल खुश हो गया। तो बाद में वह भी बहुतों बार मेरे कमरे पर आई और मैंने उसकी जमकर ठुकाई की।
कुछ महीनों के बाद मैं भोपाल चला गया, वो दोनों भी कहीं चले गए, वैसे मैं कई बार पहले सेक्स कर चुका हूँ, पर गाण्ड मारने में मुझे बहुत मज़ा आता है। Antarvasna
मेरा नाम राहुल है और मैं 18 साल का हूं. मैं अपने Hindi Porn Stories मम्मी पापा के साथ मुंबई में रहता हूँ. बात उन दिनों की है जब मेरे चाचा जी की तबीयत खराब हो गयी थी और वो मुंबई के हॉस्पिटल में भरती थे. इधर मेरी चाची जी को गाँव से लाने का काम मुझे करना था इसलिए मैं गाँव (उत्तर प्रदेश) चला गया. चाचा की शादी अभी २ बरस पहले ही हुई थी और शादी के कुछ ही महीने बाद से वो मुंबई में काम करने लगे थे. दो तीन महीने में एक दो दिन के लिए वो गाँव जाते थे. इधर बीमारी के वजह से वो तीन महीने से गाँव नहीं जा सके थे.
गाँव में पहुँचा तो मेरे दादा दादी जो कि चाचा जी के साथ रहते थे, अपने किसी रिश्तेदार से मिलने ४-५ दिन के लिए चले गये और घर में सिर्फ़ मैं और चाची अकेले रह गये.वैसे तो दादाजी और मैं घर के बाहर बरामदे में सोते थे और चाची जी और दादीजी घर के अंदर, पर अब चाची जी ने कहा कि तुम भी अंदर ही सो जाओ. रात में खाना खाने के बाद मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के दादीजी के कमरे में सोने चला गया. चाची बोली कि “लल्लाजी तुम मेरे ही कमरे में आ जाओ, बात करते करते सोएंगे” मैंने कहा कि ठीक है और उनके कमरे में चला गया.
चाची जी के कमरे में एक ही पलंग था और मैंने पूछा कि आप कहाँ सोएंगी.
वो बोली- मैं नीचे ज़मीन पर सो जाऊँगी.
मैंने कहा- नहीं, आप पलंग पर सो जाओ मैं नीचे सो जाता हूँ.
वो बोली- नहीं तुम पलंग पर सो जाओ.
मैं नहीं माना और मज़ाक में बोला कि आप इसी पलंग पर सो जाओ, काफ़ी बड़ा तो है, दिक्कत नहीं होगी. पहले तो वो हँसी पर फिर बोली कि ठीक है, तुम दीवार के तरफ सरको मैं ऊपर ही आती हूँ. मैं दीवार के तरफ सरक गया और चाचीजी ने लालटेन बिल्कुल धीमा करके मेरे बगल में आकर लेट गयी. लगभग आधा घंटा हम लोग बात करते करते सो गये.
अब तक मैं सिर्फ़ चाचीजी को अपनी चाची के तरह ही देखता था. वो जबकि काफ़ी जवान थी, लगभग २२-२३ साल की, पर मेरे मन में ऐसी कोई ग़लत भावना नहीं थी. पर वहाँ चाचीजी को अकेले में एक ही बिस्तर पर पाकर मेरे मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी. मेरा लंड एक खड़ा था और दिमाग़ में सिर्फ़ चाची की जवानी ही दिख रही थी. किसी तरह मैंने इन सब गंदी बातों से ध्यान हटाकर सो गया.
लगभग आधी रात में मेरी नींद खुली और मुझे ज़ोर से पेशाब लगी थी. मैं तो दीवार के तरफ था और उतरने के लिए चाची के उपर से लाँघना पड़ता था. लालटेन भी बहुत धीमी जल रही थी और अंधेरे में कुछ साफ दिख नहीं रहा था. अंदाज़ से मैं उठा और चाचीजी को लाँघने के लिए उनके पांव पर हाथ रखा. हाथ रखा तो जैसे करेंट लग गया. चाची जी की साडी उनके घुटनों के उपर सरक गयी थी और मेरा हाथ उनके नंगी जांघों पर पड़ा था. चाचीजी को कोई आहट नहीं हुई और मैं झट से उठकर रूम के बाहर पेशाब करने चला गया. पेशाब करने के बाद मेरा मन फिर चाचीजी के तरफ चला गया और लंड फिर से टाइट हो गया.
मैंने सोचा कि चाची तो सो रही है, अगर मैं भी थोड़ा हाथ फेर लूं तो उनको मालूम नहीं पड़ेगा. और अगर वो जाग गयी तो सोचेगी कि मैं नींद में हूँ और कुछ नहीं कहेंगी. दोबारा पलंग पर आने के बाद मैं चाची के बगल में लेट गया. चाचीजी अब भी निश्चिंत भाव से सो रही थी. मैंने लालटेन बिल्कुल बुझा दी जिससे कि कमरे में घुप अंधेरा हो गया. लेटने के बाद मैं चाची के पास सरक कर अपना एक हाथ चाचीजी के पेट पर रख दिया. थोड़े इंतजार के बाद जब देखा कि वो अब भी सो रही थी मैंने अपना हाथ थोडा उपर सरकाया और उनके ब्लाउस के उपर तक ले गया. उनकी एक चुची की आधी गोलाई मेरे उंगलियों के नीचे आ गयी थी. धीरे धीरे मैंने उनकी चुची दबाना शुरू किया और कुछ ही देर में उनकी वो पूरी चुची मेरे हांथों में थी. मुझे ब्लाउस के उपर से उनकी ब्रा फील हो रही थी पर निपल कुछ मालूम नहीं पड़ रहा था.
चाचीजी अब भी बेख़बर सो रही थी और मेरा लंड एकदम फड़फड़ा रहा था. सिर्फ़ ब्लाउस के उपर से चुची दबाकर मज़ा नहीं आ रहा था. मुंबई के बस और ट्रेन में ना जाने कितने ही लड़कियों की चुची दबाई है मैने. मैंने सोचा कि अब असली माल टटोला जाए और अपना हाथ उठा कर चाचीजी की जाँघ पर रख दिया. मेरा हाथ चाची की साडी पर पड़ा पर मुझे मालूम था की थोडा नीचे हाथ सरकाउं तो जाँघ खुली मिलेगी. मैंने हाथ नीचे सरकाया चाची की नंगी जांघ मेरे स्पर्श में आ गयी क्या नरम गरम जाँघ थी चाची की। तभी मेरा स्पर्श पाकर चाचीजी ने थोड़ी हलचल की और फिर शांत हो गयी.
मैं भी थोड़ा देर रुक कर फिर अपना हाथ उपर सरकाने लगा. साथ में साडी भी उपर होते जा रही थी. चाचीजी फिर से कुछ हिली पर फिर शांत हो गयी. मेरा मन अब मेरे बस में नहीं था और मैंने अपना हाथ चाची के दोनो जांघों के बीच में ले जाने की सोची. पर मैंने पाया कि चाची की दोनो जाँघ आपस में उपर सटे हुए थे और उनकी बुर तक मेरी उंगलियाँ नहीं पहुँच सकती थी. फिर भी मैंने अपना हाथ उपर सरकाया और साथ में मेरी उंगली दोनो जांघों के बीच में घुसाने की कोशिश की. चाची फिर से हिली और नींद में ही उन्होने अपना एक पैर घुटनों से मोड़ लिया जिससे उनकी जांघें फैल गयी.
मौके का फ़ायदा उठाकर मैंने भी अपना हाथ उनके जांघों तक ले गया और जब की मेरा अंगूठा अब मेरे चाची के बुर के उपरी उभार पर था, मेरी पहली उंगली चाची के जांघों के बीच उनकी पैंटी के थ्रू बुर के असली पार्ट पर थी. चाची की बुर की गर्माहट मेरी उंगली पर महसूस हो रही थी और कुछ कुछ गीलापन भी था. मेरा दिल अब ज़ोरो से धड़क रहा था. मेरा हाथ चाची के बुर पर था और कमरे में बिल्कुल अंधेरा था. मैंने सोचा कि अब क्या करूँ. चाची की बुर तो उनकी पैंटी से ढकी है और पैंटी में हाथ तो डाला तो वो ज़रूर जाग जाएँगी.
फिर भी मैं नहीं माना और मैंने सोचा कि धीरे से अपनी एक उंगली उनकी पैंटी के साइड में से अंदर डालूं. मैंने धीरे से अपनी उंगली मोडी और उनकी जांघों के बीच में पैंटी को थोडा खीच कर एक उंगली अंदर डाल दी. मेरी उंगली उनकी बुर के फोल्ड्स पर पहुँच गयी और मैंने पाया कि उनकी बुर एकदम गीली थी जिससे मेरी उंगली का टिप उनके बुर के मुहाने के अंदर आसानी से घुस गया. मैंने अपनी उंगली धीरे धीरे से चाची के बुर में हिलाने लगा और तीन चार बार हिलाने पर ही चाची जी एक झटके से जाग गयी. मैं तो एकदम से सन्न रह गया और सोचा कि अब तो मरा.
पर चाची ने अपना हाथ से अपने बुर को टटोला और मेरा हाथ वहाँ पाकर थोड़ी देर उनका हाथ वहीं रुक गया. शायद वो भी सन्न रह गयी थी. मैं चुप चाप सोने का नाटक कर रहा था और सोचा कि अब चाची मेरा हाथ वहाँ से निकाल कर मुझे दूर धकेल देंगी. पर चाची जी ने वो किया जो मैं सोच भी नहीं सकता था. उन्होने मेरा हाथ ना हटाते हुए अपनी बुर खुजाने लगी और खुजाते खुजाते अपनी पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी जिससे कि उनका बुर आधा खुल गया और फिर सोने का नाटक करने लगी. मेरी उंगली अब भी उनकी पैंटी में थी पर अब जब उन्होने पैंटी थोड़ी नीचे सरका दी तब मैं भी समझ गया कि चाची जी चुप चाप मज़ा ले रही है.
फिर भी मैं थोड़ा रुका और फिर अपना हाथ बिल्कुल उनकी जाँघ पर से उठाकर सीधे उनके बुर पर रख दिया. चाची की पैंटी का एलास्टिक अब भी मेरी उँगलियों और उनके बुर के बीच आ रहा था तो मैंने हिम्मत करके धीरे से एलास्टिक उठा कर अपनी उंगलियों को उनकी पैंटी के अंदर घुसा दिया. मेरी बीच की उंगली चाची के बुर के स्लिट पर थी और जब मैंने धीरे से अंपनी उंगली मोडी तो वो उनकी गीली बुर में चली गयी चाची ने भी अब पैर और फैला दिए और अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया. लेकिन वो अब भी सोने का नाटक कर रही थी. मैंने भी अब अपनी दूसरी उंगली मोडी और वो भी चाची की बुर में पेल दी.
रूम में वैसे भी सन्नाटा था और अब चाचीजी की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी. अब तक तो सिर्फ़ मेरे हाथ चाची की जवानी को टटोल रहे थे पर अब मैं बिल्कुल चाची के करीब उनसे सट गया और अपना मूह उनके मूह के पास ले गया. हमारी गाल आपस में छू गये और चाची ने अपना चेहरा इतना घुमाया की उनके होंठ मेरे होंठों से बस धीरे से छू भर गये. उनकी साँस की गर्मी मेरे होंठों पर आ रही थी. मैं भी थोडा सा इस तरह एडजस्ट हो गया की मेरा होंठ बिल्कुल उनकी होंठों पर सट गया.
उधर मेरी उंगलियाँ चाची की बुर में अपना कमाल दिखा रही थी और चाची भी अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बुर पर दबा के रखा था. चाची की गरम गरम गीली बुर में अब मैं खुल्लम खुल्ला उंगली कर रहा था और चाची अब भी नींद में होने का नाटक कर रही थी. मैंने सोचा अब बहुत नाटक हो गया. अब तो असली जवानी का खेल हो जाए. मैंने चाची की बुर में अपनी तीन उंगली डाल कर ज़ोर से दबा दिया और साथ में चाची के होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए.
चाची के मुंह से आह निकल गयी और उनका मुंह थोड़ा सा खुल गया. तुरंत ही मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी और चाची की बुर से हाथ निकाल कर तुंरत उनको अपने बाहों में कस कर लिपट लिया. “उह्ह… राहुल यह क्या रहा है तू…छोड़ मुझे तू.. चाची ने मुझे यह कहते हुए धकेलना चाहा. पर मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और बोला कि मुझे मालूम है तुम पिछले आधे घंटे से जाग रही हो मेरी उंगली करने का मज़ा ले रही हो. तब चाची ने मचलना बंद कर दिया और मेरी बाहों में शांत हो कर पड़ी रही. चाची बोली” शैतान कहीं के, तुझे डर नहीं लगा मेरे
साथ यह करते हुए?”
मैंने कहा कि डर तो बहुत लगा था पर अब डर कैसा. अब तो तुम ना भी बोलोगी, तब भी तुम्हारा जबरन चोदन कर दूँगा इसी बिस्तर पर. कौन जानेगा कि इस घर के अंदर यह भतीजा अपनी चाची के साथ क्या कर रहा है. यह कहते हुए मैंने अपना हाथ चाची के पीठ पर से नीचे सरकते हुए उनके गांड के गोलाईयों पर ले गया और पीछे से उनकी पैंटी की एलास्टिक को पकड़कर पैंटी नीचे सरका दी.
वो बोली “लल्ला जोर आजमाइश करने की क्या ज़रूरत है. तूने तो वैसे ही मुझे गरम कर दिया है. अब तो मैं ही तेरा जबर चोदन कर दूँगी” बस अब क्या था. चाची जी ने अपना पैंटी पैर में से निकालकर साड़ी उतार दी. मैंने भी अपना लूँगी खोल कर अंडरवीयर निकाल फेंका. फिर चाची को बिस्तर पर पीठ के बल दबाकर उनके ब्लाउस के बटन खोलने लगा.
“आज तुम्हारी जवानी का स्वाद लूँगा मेरी जान” मैंने ब्लाउस खोलते हुए एकदम फिल्मी अंदाज़ में चाची से बोला. चाची ने भी उसी अंदाज़ में कहा, “भगवान के लिए मुझे छोड़ दो, मैं तुम्हारे पांव पड़ती हूँ”
सारे बटन खोलने पर मैंने ब्लाउज़ को पकड़ कर साइड में कर दिया और चाची के ब्रा से ढके हुए चुचियों पर अपना मुह रख दिया. चाची ने भी अब बेशरम हो कर मेरा सर को अपनी चूची पर दबा दिया और बोली, “लल्ला क्या यह पैकेट नहीं खॉलोगे”
उनका इशारा उनकी ब्रा के तरफ था. मैंने तुंरत उन्हे उठाया और पलंग के बगल में खड़ा करके उनकी ब्लाउज और ब्रा उनसे अलग कर दी. फिर पेटिकोट का नाडा भी खींच कर खोल दिया और वो भी उनके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गया. चाची को इस तरह नंगा कर उनको पलंग पर खींच लिया और सीधे उनके उपर लेट गया. अब में उनकी चुचियों को आराम से चूस रहा था और वो मेरा सर अपने हाथों से सहला रही थी.
कुछ देर बाद चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर ले गयी और बोली” लल्ला नाश्ता हो गया. अब डिनर हो जाए?”
मैं भी तैयार था, पूछा- वेज या नॉन वेज?
वो बोली की वेज तो रोज़ ही लेते हो आज नॉन वेज चख लो” यह कहते हुए चाची ने मेरा लंड उनके बुर के मुहाने पर रखा और मैंने उनको फाइनली पेल दिया. पेलते पेलते चाची एकदम मस्त हो गयी और अपने दोनो पांव मेरे कमर के उपर लपेट दिया. मैं उनको पेलता रहा और साथ साथ चूमता रहा.
चाची ने तभी अपना हाथ मेरी गाण्ड की तरफ ले गयी और एक उंगली मेरी गांड में घुसा दी. मैंने भी अपना एक हाथ चाची के गांड के पीछे ले जाकर उनकी गांड में एक उंगली घुसा दी. तभी चाची एकदम ऐंठने लगी और कस कर मुझे पकड़ लिया. लल्ला और ज़ोर से चोदो…ऽउर छोड़ो …बोलते बोलते वो आख़िर वो झड़ गयी और फिर शांत हो गयी. पर मेरा पेलना अभी चालू था और लगभग १०-१५ झटकों के बाद मैं भी चाची के बुर में ही झड़ गया. हम दोनो पसीने पसीने हो गये थे और में चाची के उपर ही पड़ा हुआ था.
कुछ देर बाद चाची उठी और बाथरूम जाकर आई. मैं भी अब अंडरवीअर पहन चुका था. चाची ने सिर्फ़ पेटिकोट पहन रखा था. आकर बोली ” लल्ला, तुम्हारे साथ जो किया वो तो अभी हम आगे भी बहुत बार करेंगे. पर यह बात किसी और को मालूम नहीं होने पाए. सबके सामने मैं तुम्हारी चाची ही हूं” मैंने भी उनको अपने बाहों में लेते हुए बोला” सबके सामने क्यों चाची, यहाँ पलंग पर भी तुम मेरी चाची ही हो. और तुम्हारी यह जवानी की मिठाई तो मैं अकेले ही खाऊँगा. सब चाचाजी को ही मत खिला देना चाची हँसी और अपना हाथ फिर से मेरे अंडरवीअर में डाल दिया. Hindi Porn Stories
कहानी श्री विनोद शर्मा, ग्वालियर Antarvasna पर आधारित है, अपनी ये खूबसूरत आप बीती अपने ही शब्दों में उन्होंने भेजी थी, कहानी के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत है…
मेरी नई नौकरी थी और मेरा पहला पद स्थापन था. मुझे जोइन किये हुए तीन दिन हो चुके थे. मेरे ही पद का एक और साथी ऑफ़िस में अपनी पत्नी के साथ रुका हुआ था. मेरी पहचान के कारण मुझे वहाँ मकान मिल गया. मकान बड़ा था सो मैंने अपने साथी राजेश और उसकी पत्नी को एक हिस्सा दे दिया. हमने चौथे दिन ही मकान में शिफ़्ट कर लिया था. राजेश की पत्नी का नाम सोना था. वह आरम्भ से ही मुझे अच्छी लगने लगी थी. उसका व्यवहार मुझसे बहुत अच्छा था. मैं उसे दीदी कहता था और वो मुझे भैया कहती थी.
पर मेरे मन में तो पाप था, मेरी नजरें तो हमेशा उसके अंगों को निहारती रहती थी, शायद अन्दर तक देखने की कोशिश करती थी. धीरे धीरे वो भी मेरी नजरें भांप गई थी. इसलिये वो भी मुझे मौका देती थी कि मैं उससे छेड़खानी करूँ. वो अब मेरी उपस्थिति में भी पेटीकोट के नीचे पेंटी नहीं पहनती थी. ब्रा को भी तिलांजलि दे रखी थी.
उसके भरे हुए पुष्ट उरोज अब अधिक लचीले नजर आते थे. चूतड़ों की लचक भी मन को सुहाती थी. उसके चूतड़ों की दरार और उसके भरे हुए और कसे हुए कूल्हे का भी नक्शा बडा खूबसूरत नजर आता था. राजेश की अनुपस्थिति में हम खूब बातें करते थे. अपने ब्लाऊज को भी आगे झुका कर अपने स्तन के उभार दर्शाती थी. कभी कभी बात अश्लीलता की तरफ़ भी आ जाती थी. पर इसके आगे वो शरमा जाती थी और उसे पसीना भी आ जाता था. मुझे लगा कि अगर सोनू को थोड़ा और उकसाया जाये तो वो खुल सकती है, शायद चुदने को भी राजी हो जाये.
उसका शरमाना मुझे बहुत उत्तेजित कर देता था. लगता था कि उसके शरमाते ही मैं उसके बोबे दबा डालूँ और वो शरमाते हुए हाय राम कह उठे. पर यह मेरा भ्रम ही था कि ऐसा होगा.
आज शाम की गाड़ी से राजेश लखनऊ जा रहा था. मुझे मौका मिला कि मैं सोनू को बहका कर उसे थोड़ा और खोलूँ ताकि हमारे सम्बन्धों में और मधुरता आ जाये. शाम को सोनू हमेशा की तरह कुछ काजू वगैरह लेकर मेरे साथ छत पर टहलने लगी. जब बात कुछ अश्लीलता पर आ गई तो मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा कि शायद लग जाये.
‘सोनू, अच्छा राजेश रात को कितनी बार करता है… एक बार या अधिक…?’
‘वो जब मूड में आता है तो दो बार, नहीं तो एक बार!’ बड़े भोलेपन से उसने कहा.
‘क्या तुम रोज़ एंजोय करते हो…?’
‘अरे कहाँ विनोद… सप्ताह में एक बार या फिर दो सप्ताह में…’
‘इच्छा तो रोज होती होगी ना…’
‘बहुत होती है… हाय राम… तुम भी ना…’ अचानक वो शर्म से लाल हो उठी.
‘अरे ये तो नचुरल है, मर्द और औरत का तो मेल है… फिर तुम क्या करती हो?’
‘अरे चुप रहो ना!’ वो शरमाती जा रही थी.
‘मैं बताऊँ… हाथ से कर लेती हो… बोलो ना?’
उसने मेरी ओर शरमा कर देखा और धीरे से सिर हाँ में हिला दिया. धीरे धीरे वो खुल रही थी.
‘शरमाओ मत… मुझसे कहो दीदी… तुम्हारा भैया है ना… एकदम कुंवारा…!’
मैंने सोनू का हाथ धीरे से पकड़ लिया. वो थरथरा उठी. उसकी नजरें मेरी ओर उठी और उसने मेरे कंधे पर सर टिका दिया.
‘भैया, मुझे कुछ हो रहा है… ये तुम किस बारे में कह रहे हो…?’ उसकी आवाज में वासना का पुट आता जा रहा था.
‘सच कहू दीदी, मैं कुंवारा हूँ… आपको देख कर मेरे मन में भी कुछ कुछ होता है!’ मैंने फिर अंधेरे में तीर मारा.
‘हाय भैया… होता तो मुझे भी है…!’
मैं धीरे से सरक कर उसके पीछे आ गया और अपनी कमर उसके चूतड़ों से सटा दी. मेरा उठता हुआ लण्ड उसके चूतड़ों की दरार में सेट हो गया और उसके पेटिकोट के ऊपर से ही चूतड़ों के बीच में रगड़ मारने लगा. वह थोड़ा सा कसमसाई… उसे लण्ड का स्पर्श होने लगा था.
‘दीदी आप कितनी अच्छी हैं… लगता है कि बस आपको…’ मैंने लण्ड उसकी गाण्ड में और दबा दिया.
‘बस…!’ और हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और लहराती हुई भाग गई.
लोहा गरम था, मैं मौका नहीं चूकना चाहता था. मैं भी सोनू के पीछे तुरन्त लपका और नीचे उसके कमरे में आ गया. वो बिस्तर पर लेटी गहरी सांसें भर रही थी. उसके वक्ष धौंकनी की तरह चल रहे थे. मुझे वहाँ देख कर शरमा गई- भैया… अब देखो ना… मेरे सिर में दर्द होने लगा है… जरा दबा दो…’
मेरा लण्ड जोर मारने लगा था. मैंने सोचा सर सहलाते हुए उसकी चूचियाँ दबोच लूंगा. तब तो वो मान ही जायेगी.
‘अभी लो दीदी… प्यार से दबा दूंगा तो सर दर्द भाग जायेगा.’ मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके कोमल सर पर हाथ रख कर सहलाने लगा. बीच बीच में मैं उसके चिकने गाल भी सहला देता था. उसने अपनी आंखें बंद कर ली थी. मैंने उसके होंठों की तरफ़ अपने होंठ बढ़ा दिये. जैसे ही मेरे होंठों ने उसके होंठ छुए, उसकी बड़ी-बड़ी आंखें खुल गई और वो शरमा कर दूसरी तरफ़ देखने लगी.
‘हाय… हट जाओ अब… बस दर्द नहीं है अब…’
‘यहाँ नहीं तो इधर सीने में तो है…!’
मैंने अब सीधे ही उसके सीने पर हाथ रख दिये… और उसकी चूचियाँ दबा दी. उसके मुख से हाय निकल पड़ी. उसने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश की, पर हटाया नहीं.
‘दीदी… प्लीज, बुरा मत मानना… मुझे करने दो!’
‘आह विनोद… यह क्या कर रहे हो… मुझे तुम दीदी कहते हो…?’
‘प्लीज़ दीदी… ये तो बाहर वालों के लिये है… आप मेरी दीदी तो नहीं हो ना.’ मैंने उसके अधखुले ब्लाऊज में हाथ अन्दर घुसा कर दोनों कबूतरों को कब्जे में लिया.
उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरे हाथों के ऊपर अपना हाथ रख कर और दबा लिया.
‘ओह्ह्ह्… मैं मर जाऊँगी विनोद…!’ वो तड़प उठी और सिमटने लगी. मैंने उसे जबरदस्ती सीधा किया और उसके होंठो पर अपने होंठ दबा दिये. वो निश्चल सी पड़ी रही. मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गया. मेरा लण्ड पजामे में से ही उसकी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था. मैंने अपना पजामे का नाड़ा ढीला कर लिया और नीचे सरका लिया. मेरा लण्ड बाहर आ गया. मैंने उसके पेटिकोट का नाड़ा भी खींच लिया और उसे नीचे सरकाने लगा. सोनू ने हाथ से उसे नाकाम रोकने की कोशिश की- भैया… ये मत करो… मुझे शरम आ रही है… मुझे बेवफ़ा मत बनाओ!’ सोनू ने ना में हाँ करते हुए कहा.
‘सोनू, शरम मत करो अब… तुम बेवफ़ा नहीं हो… अपनी प्यास बुझाने से बेवफ़ा नहीं हो जाते!’
‘ना रे… मत करो ना…!’
पर मैंने उसका पेटीकोट नीचे सरका ही दिया और लण्ड से चूत टकरा ही गई. लण्ड का स्पर्श जैसे ही चूत ने पाया उसमें उबाल आ गया. सोनू की चूत गीली हो चुकी थी. लण्ड चिकनी चूत के आस पास फ़िसलता हुआ ठिकाने पर पहुंच गया. चूत के दोनों पट खुल गये और चूत ने लण्ड का चुम्बन लेते हुए स्वागत किया. सोनू तड़प उठी और शरमाते हुए अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया. चूत ने लण्ड को अपने में समेट लिया और अन्दर निगलते हुए जड़ तक बैठा लिया.
‘आह भैया… आखिर नहीं माने ना… अपने मन की कर ली… हाय… उह्ह्ह्ह!’ सोनू ने मुस्करा कर मुझे जकड़ लिया.
‘दीदी सच कहो… आप को अच्छा नहीं लगा क्या…?’
‘भैया… अब चुप रहो ना… ‘ फिर धीरे से शरमाते हुए बोली…’चोद दो ना मुझे…हाय रे!’
‘आप गाली भी… हाय मर जाऊँ… देख तो अब मैं तेरी चूत को कैसी चोदता हूँ!’
‘ऊईईई… विनोद… चोद दे मेरे भैया… मेरी प्यास बुझा दे…’ उतावली सी होती हुई वो बोली.
‘मेरा लण्ड भी तो प्यासा है कब से… प्यारी सी सोनू मिली है, प्यारी सी चूत के साथ…आह्ह्हऽऽऽ!’
‘मैया री… लगा… और जोर से… हाय चोद डाल ना…मेरी चूची मरोड़ दे आह्ह्ह!’
मैं उससे लिपट पड़ा और कस लिया लण्ड तेजी से फ़चा फ़च चलने लगा. मेरा रोम रोम जल उठा. मेरी नसों में जोश भर गया. लण्ड फ़डफ़डा उठा. चूत का रस मेरे लण्ड को गीला करके उसे चिकना बना रहा था. उसका दाना मेरे लण्ड से धक्के मारते समय रगड़ खा रहा था. मैंने अपना लण्ड निकाल कर कई बार उसके दाने पर रखा और हल्के हल्के रगड़ाई की. वो वासना में पागल हुई जा रही थी. उसकी आँखें गुलाबी हो उठी थी.
‘मेरे राजा… मुझे रोज चोदा करो… हाय रे…मुझे अपनी रानी बना लो… मेरे भैया रे…’
उसकी कसक भरी आवाज मुझे उतावला कर रही थी.
‘भैया… माँ रे… चोद डाल… जोर से… हाय मैं गई… लगा तगड़ा झटका… ईईईई… अह्ह्ह्ह..’
‘अभी मत होना… सोनू… मैं भी आया… अरे हाय… ओह्ह्ह्ह’
हम दोनों के ही जिस्म तड़प उठे और जोर से खींच कर एक दूसरे को कस लिया. चूत और लण्ड ने साथ साथ जोर लगाया. लण्ड पूरा चूत में गड़ चुका था और आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह वीर्य छूट पडा… सोनू ने अपनी चूत जोर से पटकने लगी और उसका भी यौवन रस निकल पडा. हम आहें भरते रहे और झड़ते रहे. मेरा सारा वीर्य निकल चुका था. पर सोनू की चूत अब भी लपलपा रही थी और अन्दर लहरें चल रही थी. कुछ ही देर में दोनों निश्चल से शान्त पड़े थे.
‘अब उठो भी… आज उपवास थोड़े ही है… चलो कुछ खा लो!’
हम दोनों उठे और कपड़े पहन लिये. हम दोनों ने खाना खाया और सुस्ताने लगे.
फिर अचानक ही सोनू बोली- विनोद… तुम्हारा लण्ड मस्त है… एक बार और मजा दोगे?’
‘जी हाँ, सोनू कहो तो , कल ही लो…’
‘कल नहीं , अभी… सुनो, बुरा तो नहीं मानोगे ना… मैं कुछ कहूँ?’
‘दीदी, आप तो मेरी जान हो… कहो ना!’
‘मुझे गाण्ड मरवाने का बहुत शौक है… प्लीज!’
‘क्या बात है दीदी… गाण्ड और आपकी… सच में मजा आ जायेगा!’
‘मुझे गाण्ड मराने की लत पड़ गई है, आपको, देखना, भैया बहुत मजा आयेगा…’ मुझे दीदी ने प्रलोभन देते हुए कहा. पर मुझे तो एक मौका और मिल रहा था, मैं इस मौके को हाथ से क्यों जाने देता भला.
‘दीदी, तो एक बार फिर अपने कपड़े उतार दो.’ मैंने अपने कपड़े उतारते हुए कहा. कुछ ही पलों हम दोनों एक दूसरे से बिना शरमाये नंगे खड़े थे. सोनू ने पास में पड़ी क्रीम मुझे दी.
‘इसे अपने लण्ड और मेरी गाण्ड में लगा दो… फिर लण्ड घुसेड़ कर मजे में खो जाओ.’ सोनू इतरा कर बोली और हंस दी.
मैंने अपने लौड़े पर क्रीम लगाई और कहा- सोना, घोड़ी बन जाओ… क्रीम लगा दूँ!’ सोनू मुस्करा कर झुक गई.
उसने अपनी गोरी और चमकदार गाण्ड मेरी तरफ़ घोड़ी बन कर उभार दी. मैंने उसके चूतड़ों की फ़ांक चीर कर उसके गुलाबी छेद को देखा और क्रीम भर दी.
‘विनोद, देखो…बोबे दबा कर चोदना… तुम्हें खूब मजा आयेगा!’ सोनू ने वासना भरी आवाज में कहा.
मेरा लण्ड तो गाण्ड देख कर ही तन्नाने लगा था. मैंने लण्ड का सुपारा खोला और उसके छेद में लगा दिया. उसने अपनी गाण्ड उभार कर जोर लगाया और मैंने भी छेद में लण्ड दबा दिया… फ़च से गाण्ड में सुपारा घुस गया. मेरा लण्ड मिठास से भर उठा. उसकी गाण्ड सच में नरम और कोमल थी. लगा कि लण्ड जैसे चूत में उतर गया हो. मैं जोर लगा कर लण्ड को चिकनी गाण्ड में घुसेड़ने लगा. लण्ड बड़ी नरमाई से अन्दर तक उतर गया. ना उसे दर्द हुआ ना मुझे हुआ.
‘आह, भैया… ये बात हुई ना…अब लग जा धन्धे पर… लगा धक्के जोरदार…!’
‘मस्त हो दीदी… क्या चुदाती हो और क्या ही गाण्ड मराती हो…!’
‘चल लगा लौड़ा… चोद दे अब इसे मस्ती से…और हो जा निहाल…’
उसकी चिकनी गाण्ड में मेरा लण्ड अन्दर बाहर होने लगा. उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में कस गई और मसली जाने लगी. सारे बदन में मीठी मीठी सी कसक उठने लगी. मैंने हाथ चूत में सहलाते हुए उसका दाना मलना चालू कर दिया. सोनू भी कसमसाने लगी. लण्ड उसकी गाण्ड को भचक भचक करके चोदने लगा.
‘हाय रे सोनू… तेरी तो मां की… साली… क्या चीज़ है तू…’
‘हाय रे मस्ती चढ़ी ना… चोद जोर से…’
‘आह्ह्ह भेन की चूत… मेरा लौड़ा मस्त हो गया है रे तेरी गाण्ड में!’
‘मेरे राजा… तू खूब मस्त हो कर मुझे और गाली दे… मजे ले ले रे…’
‘सोनू साली कुतिया… तेरी मां को चोद डालूँ… हाय रे दीदी… तेरी गाण्ड की मां की चूत… कहा थी रे साली अब तक… तेरा भोसड़ा रोज़ चोदता रे…’
‘मेरे विनोद… मादरचोद मस्त हो गया है रे तू तो…मार दे साली गाण्ड को…’
‘अरे साली हरामी, तेरी तो… मैं तो गया… हाय रे… निकला मेरा माल… सोनू रे… मेरी तो चुद गई रे… साला लौड़ा गया काम से… एह्ह्ह्ह ये निकला… मां की भोसड़ी…हाय ऽऽऽ ‘
और लण्ड के गाण्ड से बाहर निकलते ही फ़ुहार निकल पडी. मैंने हाथ से लण्ड थाम लिया और मुठ मारते हुए बाकी का वीर्य भी निकालने लगा. पूरा वीर्य निकाल कर अब मैंने सोनू के दाने तरफ़ ध्यान दिया और उसे मसलने लगा. वो तड़प उठी और अपनी चूत को झटके देने लगी. दाना मसलते ही उसके यौवन में उबाल आने लगा. चूचियाँ फ़डक उठी, चूत कसने लगी, चूत से मस्ती का पानी चूने लगा.
‘हाय रे मेरे राजा… मेरा तो निकाला रे… मैं तो गई… आह्ह्ह्ह्ह्ह’ और सोनू की चूत ने पानी छोड़ दिया. मैंने दाने से हाथ हटा दिया और चूत को दबा कर सहलाने लगा. उसकी चूत हल्के हल्के अन्दर बाहर सिकुड़ रही थी और झड़ती जा रही थी.
कुछ ही देर में हम दोनों सामान्य हो चुके थे… और एक दूसरे को प्यार भरी नजरों से देख रहे थे… हम दो बार झड़ चुके थे…पर तरोताजा थे… थोड़ी देर के बाद हमने कपड़े पहने और फिर मैं अपने कमरे में आ गया. बिस्तर पर लेटते मुझे नींद ने आ घेरा…और गहरी नींद में सो गया. जाने कब रात को मेरे शरीर के ऊपर नंगा बदन लिये सोनू फिर चढ़ गई. दोनों के जिस्म एक बार फिर से एक होने लगे… कमरे में हलचल होने लगी… सिसकारियाँ गूंजने लगी…एक दूसरे में फिर से डूबने लगे… Antarvasna
एक बेहद खूबसूरत लड़की ….जिसे Hindi Porn Stories देख कर ही लण्ड पानी छोड़ दे, इतना कमसिन बदन था उसका !
मगर बहुत ही तेज मिजाज होने के कारण किसी की हिम्मत नहीं होती थी उस के नजदीक जाने की …..
कई लड़के उसके नाम से मुठ ही मार पाते थे, मैं भी उसी मुठ-मार दल का सदस्य था ….
रहती मेरे पड़ोस में थी, मगर दूर की खुशी थी …
एक दिन उसके पाँव में चोट आई ….अकेले चल फ़िर नहीं सकती थी, और उसी दौरान उसके परिवार को किसी नजदीकी रिश्तेदार की शादी में जाना था …तो दो दिन उसको मेरी मॉम की निगरानी में छोड़ के मजबूरन उनको जाना पड़ा ….
अनजाने में वो आग का गोला मेरे हाथ भी लग गया ….
मॉम ने कहा कि उस को कंपनी देना तुम्हारा काम है और ये भी ध्यान रहे कि उसका ख्याल रखने में कोई कमी नहीं आनी चाहिए क्यूंकि उसके परिवार ने हमारे भरोसे उसे अकेला छोड़ा है …
मॉम से इज़ाज़त मिलते ही में उसके घर चला गया ….
मैंने पूछा- कैसी हो मधु ?
वो बोली- ठीक हूँ पैर में दर्द है और बुखार भी है शायद !
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! जब मैं आ गया हूँ बुखार भी गायब हो जाएगा ….मैं उस से बात करते हुए बातों में खुल रहा था और उसे भी मेरी बातों से दर्द कम होता महसूस हो रहा था …इतनी बातों में वो भी तल्लीन हो गई थी …
अचानक उसने कहा- यार मुझे पता नहीं था तुम इतने अच्छे दिल वाले हो ! मैं तुम्हें भी आम लड़कों की तरह चालू समझती थी, मगर तुम तो बड़े प्रतिभाशाली और अच्छे दिल वाले इंसान हो !
मैंने कहा- शुक्रिया मधु ….!
हमारी बाते चल रही थी कि उसने कहा- मेरे सर में दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- अगर तू इजाजत दे तो तेरे सर का ही नहीं, तेरे पाँव का दर्द भी मैं गायब कर दूँ …
उसने कहा- कैसे ?
मैंने कहा- तू सिर्फ़ इजाजत दे, फ़िर बताता हूँ ….
उसने हामी भर दी और मैं शुरू हो गया अपनी किस्मत के दरवाजे खोलने की कोशिश में …
मैंने धीरे से उसके सर पर किस की और उसके बालों को सहलाने लगा धीरे धीरे …उसको किस कर रहा था। फ़िर भी उसके चेहरे पर नाराजगी नहीं दिख रही थी तो मैं हिम्मत करके आगे बढ़ा और उसकी आँखों को चूमा बड़े प्यार से उसकी ओर देखा और अब हिम्मत भी आ गई यह देख के कि वो प्यार से पिंघल रही है …..मैंने उसके नाक पर किस की …उसके गालों पर किस की …
इस समय भी उसके बालों को सहला रहा था मैं और किस करते हुए आगे बढ़ रहा था …
अपने गरम होठों से उसके पूरे बदन को चूमने का तय कर लिया था अब मैंने ….
अब मैं उसके गले पर किस कर रहा था और गले के आसपास भी बहुत ही प्यार से किस कर रहा था और वो भी शायद उस प्यार में डूब रही थी.. आँखें मूँद के मेरे अस्तित्व को महसूस कर रही थी …
मैंने हिम्मत करके उसके स्तन पर किस की और उसी दौरान उसने मेरे मुँह को दोनों हाथो से पकड़ कर अपने स्तनों पर दबा दिया ..
मैं उसके बदन की खुशबू लेता हुआ वहीं पड़ा रहा ….
उसने कहा- मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही है ! प्लीज़ कुछ करो …
फ़िर मैंने उसके टॉप को निकाल दिया। मैं बहुत ही प्यार से उसके कपड़े उतार रहा था और उसे चूमे जा रहा था ..
अब उसके बदन पर सिर्फ़ ब्रा पैंटी ही थी ….
मैंने उसके बदन पर मेरी निगाह डाली तो देखता ही रह गया ..गुलाबी बदन चमक रहा था ! इतनी सेक्सी लग रही थी वो कि मुझे ख़ुद पर कंट्रोल पाना मुश्किल था, लण्ड बेहद तन गया था और दर्द कर रहा था। मगर अभी कुछ करना, बना बनाया खेल बिगड़ना सा लगता था ….
तो मैं फ़िर से उसे चुम्बनों से नहलाने लगा। स्तनों से अब थोड़ा नीचे आया, उसके समतल पेट को चूमा और अब उसकी नाभि की ओर बढ़ा।
अपनी जीभ को घुमाया उसकी नाभि में और चाटना शुरू किया हौले हौले नाभि के आस पास जीभ को गोल गोल घुमाते हुए उसे चाट रहा था …उसके बदन में गर्मी बढ़ रही थी ….वो दबे मुँह सिसकियाँ ले रही थी और उसका गोरा सा बदन मचल रहा था। मगर अब भी वो चुपचाप मजे ले रही थी कोई हरकत नहीं कर रही थी ….
मैं चूमते हुए धीरे धीरे नाभि के नीचे पहुँचा और अब मेरा मुँह उसकी पैंटी के ऊपर था …पैंटी से ही उसकी चूत को चूमा और मुँह को दबाया उसकी चूत पर और तब मैंने देखा कि उसका बदन तेजी से मचल रहा है ….
मैंने धीरे से उसकी पैंटी को नीचे सरकाया …वाह क्या पिंकिश चूत थी उसकी …
बिल्कुल साफ़ सुथरी और थोड़ी सी नम ! ऐसा लगता था मानो गुलाब की पंखुड़ियों से बनी हुई है उसकी चूत जो उसकी गोरी सी चिकनी जांघों के बीच सोई पड़ी थी, आज जाग गई है …
मैंने चूत की ऊपर की किनारी से चूमना शुरू किया और गोल गोल मुँह को घुमाते हुए उसकी चूत को चूमने लगा …बहुत ही मीठी खुशबू उसकी चूत से आ रही थी और मैं पागल हुए जा रहा था …उसकी चूत के बीच के हिस्से में मैं चूम रहा था …चूत गीली हो गई थी और फ़ूल गई थी …बीच का रास्ता खुलता हुआ नजर आ रहा था और उसमें से चूत की गहराई झलक रही थी ….
मैंने अपना कंट्रोल खोते हुए दोनों हाथों से चूत को फैला दी और चूत में जीभ घुसेड़ दी और चाटने लगा और चाटते हुए उसकी गांड को सहलाने लगा। उसी वक्त मैंने मेरे लण्ड पर उसके हाथ को महसूस किया और मैं जोर जोर से चूत चाटने लगा, जीभ को पूरा चूत में घुसेड़ दिया और हिलाने लगा। …मेरा लण्ड मेरी पैन्ट से बाहर आ चुका था और अब उसके हाथों में खेल रहा था। अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी, मेरी जान पूरी तरह बेताब और तैयार थी चुदाने को !
मैं अब धीरे से ६९ की पोसिशन में आ गया और अपने लण्ड को उसके मुँह के पास कर दिया … लण्ड को इतना करीब देख के उससे भी रहा नहीं गया और चूत को चटाती रही और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया …ऐसे चाट रही थी मानों जन्मों की प्यासी हो और खा जाने वाली हो लण्ड को ! ….अब मैं अपनी पूरी रवानी में था, मेरा लण्ड उसके मुँह में चुदाई कर रहा था और मैं उसकी चूत को जीभ से चाट रहा था ….मैंने जीभ के साथ अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में घुसेड़ दी और चुदाई करता रह। साथ साथ एक ऊँगली उसकी गांड में भी घुसेड़ दी।
मैं मस्ती से गांड मार रहा था, चूत चोद रहा था और लण्ड चुसवा रहा था …मानो में जन्नत की सैर कर रहा था ….उसको चोदने की मुझे कोई जल्दी नहीं थी क्यूंकि एक दो बार ऊँगली से चोद के उसकी कंवारी चूत को मस्त बना के फ़िर चोदना था मुझे …. बहुत तेज रफ्तार से गांड और चूत की चुदाई हो रही थी और वो भी लण्ड को टट्टों से टिप तक चाट रही थी। कभी एकदम से लण्ड को मुँह में ले के आगे पीछे कर देती थी ….ऐसे ही कुछ पल गुजरे और हम दोनों झड़ गए …..
अब मैं उसकी बगल में आ गया और उसके साथ ही लेट गया। चँद मिनटों में मैंने उसके हाथ को अपने बदन को सहलाता पाया और मैं भी उसके बदन को सहलाने लगा ..मैं बहुत ही प्यार से उसके बदन को सहला रहा था। अपने पाँव मैंने उसके पाँव पर जमा दिए थे …. हम प्यार में डूबे जा रहे थे !
तभी उसने कहा- अब मैं सिर्फ़ तेरी हूँ ! जी भर के मेरे साथ जितना प्यार करना है कर !! मैं तेरे हवाले हूँ ….!!!
मैंने उसके बदन को जोर से सहलाना शुरू किया और उसकी ब्रा को अब निकाल दिया उसके मशरूम से बदन पर उसके स्तन क़यामत ढा रहे थे। मैं धीरे धीरे उसे सहलाने लगा, गोल गोल मालिश करते हुए उसके स्तनों को मसल रहा था।
अब उसके अनछुए होठों पर अपने गरम होठों को रख दिया और चूमने लगा, स्तन मसल रहा था और होठों का रस पी रहा था, वो भी मस्ती से साथ निभा रही थी !
हम दोनों अब होठों से होठों का रस पी रहे थे और उसके स्तनों को निचोड़ रहा था मैं ! वो भी मेरी गाण्ड को सहला रही थी। मैं उसके बूब्स और होठों पर टूट पड़ा था। धीरे धीरे बूब्स पर जोर बढ़ता गया मेरा और अब मैंने उसके चूचुकों को भी चुसना शुरू किया- चूचुकों पर जीभ घुमा रहा था, उसके बूब्स मेरे हाथो में मचल रहे थे और मैं चूचुकों के आगे पीछे गोल गोल जीभ घुमाते हुए बूब्स चाट रहा था। ….उसी दौरान मेरा लण्ड उसकी चूत पर रगड़ रहा था …उसकी चूत का गीलापन मेरे लौड़े पर महसूस हो रहा था, लौड़ा मस्त हुए जा रहा था … बूब्स गोरे से लाल होने चले थे ….
अब लण्ड को चूत पर पटकते हुए मैंने उसके बाएँ स्तन को मुँह में ले लिया चूसने लगा और दूसरे हाथ से दायाँ स्तन मसलने लगा …बारी बारी ये क्रम चलाते हुए उसकी चूत को मस्त कर रहा था मैं ……
उससे रहा नहीं गया और पहली बार वो बोली- मेरी जान ! अब मैं सहन नहीं कर पा रही हूँ ! कुछ हो रहा है मेरी चूत में !! अपने लौड़े को उसमें डाल दो …. !!!
मेरे बहुत कहने पर भी वो चूत और लण्ड नहीं बोल रही थी। मैंने सोचा- कोई बात नहीं ! काम वही है प्यार से चोदने का ! चूत हो या पस्सी…..
उसके बूब्स को छोड़ के मैंने उसके पैरो को दोनों हाथो से फैला दिए ….उसकी चूत में उसकी शिश्निका मोती सी चमक रही थी जो इस वक्त सख्त हो गई थी …
चूत से पानी निकल रहा था, मैंने इस मस्त चूत पर अपने लौड़े को रख दिया और उसको गांड से ऊपर करके धक्का दे दिया, चूत में लण्ड थोड़ा सा घुसा और रुक गया। चूत इतनी कसी हुई और रसीली थी कि मेरा लण्ड चूत की गहराई नापने के लिए उतावला हो रहा था।
मगर मुझे पता था कि कुंवारी चूत को हौले से चोदना है …मैंने लण्ड को गहराई में ना ले जाते हुए धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया ….
लण्ड का मजा लेते हुए वो इतनी मस्त हो गई कि बोली- अब कोक को घुसेड़ ! दो मेरे दर्द की परवाह मत करो …… !!
मैंने तुंरत लण्ड को जोर का धक्का दिया और चूत में घुसेड़ दिया ….उसका योनि-पटल फट चुका था और खून निकल रहा था।
कुछ देर मैं उसकी चूत को लण्ड से सहलाता रहा और जब लगा कि अब कोई खतरा नहीं, मैंने लौड़े की रफ्तार तेज कर दी …
गांड से चूत को लण्ड पर दबाये रखे चूत चोदने लगा ….
बूब्स को मुँह में ले के चूसने लगा और चूत की चुदाई करता रहा …..
वो चिल्लाने लगी- फ़क मी फ़ास्ट !
और मेरा लण्ड बरस पड़ा उसकी चूत पर !
घमासान जंग शुरू हो गया ! चूत और लण्ड के बीच जैसे होड़ लगी थी कि कौन ज्यादा मस्ती देगा लण्ड या चूत …
पहली बार चुदाने के बावजूद इतनी मस्ती से चुदाई करा रही थी कि मजा दुगना हो रहा था … गांड को उछाल रही थी वो !
और लण्ड तेज रफ्तार से चूत फाड़ रहा था ….
हाथ अपना कमाल दिखाते हुए बूब्स को मसल रहे थे और मुँह उसके मशरूम से बदन को चाट रहा था …..
हम दोनों मंजिल की ओर बढ़ रहे थे तब मैंने लण्ड को चूत में से बाहर निकल दिया।
वो चिल्लाने लगी- चोऽऽऽऽदोऽऽऽ मुझे ! मैं मर जाउँगी बिना लण्ड के …. !!
जैसे ही उसने लण्ड बोला, मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख दिया और लोड़े को जोर का धक्का देते हुए उसकी चूत में घुसेड़ दिया ….
क्या चूत थी उसकी ! मेरा लोहे सा गरम लण्ड उसकी चूत की गर्मी को ठंडा करने को मचल पड़ा ….
लौड़े ने चूत की गहराई नाप ली थी और जोर जोर से चूत को फाड़े जा रहा था !
बूब्स हाथो में खेल रहे थे और चूत चुदाई हो रही थी ….
मंजिल करीब आ रही थी और लोड़े की रफ्तार तेज हो गई थी ….
वो उछल उछल के चुदाई करा रही थी … और लौड़ा पूरी रवानी से चूत चोद रहा था ….
आख़िर हम दोनों ने मंजिल पा ली …निढाल सा मैं उसके बदन पर पड़ा था और वो भी निढाल सी पड़ी हुई लम्बी साँसे ले रही थी …….
हमने एक ही दिन में प्यार के साथ चुदाई का मजा लिया ……
हम दोनों एक दूसरे को सहलाते हुए चुदाई के उस स्वर्गीय आनंद को महसूस कर रहे थे …..
दोस्तों यह मेरे पहला प्यार आज मेरे घर की रानी बनकर मेरे आँगन को महका रहा है और मेरे लौड़े का हर तरह की गालियों से स्वागत करते हुए उसकी चूत चुदवा रहा है …..
जो चूत तक नहीं बोलती थी वो मेरी रानी आज मादरचोद ! चोदो मेरी चूत को ! फाड़ दो ! तक बोलने लगी है ….शादी के बाद की चुदाई का किस्सा फ़िर कभी ….
आपको मेरी ये प्यार की कहानी कैसी लगी मुझे लिखियेगा जरूर …. Hindi Porn Stories
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