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रेखा ने अब आशु से खुशामद की कि अब पहले अंदर आ जाओ।
आशु ने उसकी आग को और भड़काया और नीचे होकर रेखा की टांगें पूरी फेला कर खोल दीं और एक बार दोबारा अपनी जीभ घुसा दी।
रेखा तड़फ उठी।
अब वो मचलते हुए आशु से बोली- अब और न तड़फाओ, पहले मेरी चूत की प्यास बुझा दो, अपना औज़ार अंदर करो।
आशु ने भी अब बिना समय गँवाए अपना मूसल एक ही झटके में पूरा पेल दिया।
हालांकि रेखा की चूत चुदी-चुदाई थी और खूब गीली हो गयी थी, फिर भी नये लंड का झटका उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और वो चीख उठी।
अब आशु ने पेलमपाल शुरू कर दी। रेखा भी उसका पूरा साथ दे रही थी।
आशु ने रेखा को हर पोज़ में चोदने का मन बनाया था।
उसने अब रेखा की चूत से लंड निकाल कर रेखा को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुस गया।
आशु ने कोशिश तो की थी गांड में घुसने की, पर रेखा ने साफ मना कर दिया।
अब पीछे से चिपट कर आशु ने अपने हाथों से रेखा के मम्मे दबोच लिए थे।
रेखा भी मदमस्त हो गयी थी; उसने गर्दन घुमा-घुमाकर आशु को चूमना जारी रखा।
नौकर मालकिन की चुदाई अपने चरमोत्कर्ष पर थी।
रेखा ने अप आशु को नीचे लिटाया और चढ़ गयी उसके ऊपर!
उसने अपनी चूत को लंड के ऊपर सेट किया और लगी जोर ज़ोर से उछलने!
पता नहीं लंड चूत चोद रहा था या चूत लंड को चोद रही थी।
रेखा हाँफ रही थी, अब उसके बोल निकल रहे थे- आशु, मज़ा आ गया यार आज तो! आज तूने अपनी मेमसाब को खुश कर दिया। आज दिन भर सिर्फ और सिर्फ चुदाई ही होगी.
आशु भी बोला- हाँ मेमसाब, आज आपको वो मज़ा दूँगा कि आप भी क्या याद रखोगी।
कुछ पल बाद आशु ने रेखा को वापिस नीचे लिटा दिया और अबकी बार पूरे ज़ोर शोर से चुदाई शुरू की।
अब आशु कह रहा था- कि आया मज़ा मेमसाब या अभी और अंदर करूँ?
रेखा भी बोली- मेरे राजा, आज तो फाड़ ही दो मेरी मुनिया को … मैं भी तेरा लंड खा जाऊँगी।
पूरे कमरे में सीत्कारें और फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी।
आशु का अब होने वाला था, रेखा को तो पहले ही हो चुका था।
रेखा से आशु ने पूछा- मेरा होने वाला है, कहाँ निकालूँ?
और रेखा तो बिना कंडोम के चुदाई करवाती ही नहीं थी, पर वो आज लंड को बाहर निकालने को तयार नहीं थी।
उसने आशु को भींच लिया और बोली- अंदर ही निकाल दो। मैं बाद में दवाई ले लूँगी।
रेखा की चूत आशु के गाढ़े माल से भर गयी।
आज इतने सालों बाद रेखा की चूत को माल मिला था।
दोनों निढाल होकर बेड पर पड़े रहे।
तभी डोरबेल बजी।
शायद लंच की डिलीवरी थी।
आशु ने फटाफट अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल कर लंच लिया।
सामने से 115 नंबर वाली मोनिका मेम आ रही थीं।
आशु को इस समय देख कर वो मुस्कुराई।
इसपर आशु बोला- दीवाली की सफाई करवा रहा हूँ।
वो कुछ और पूछतीं, इससे पहले आशु ने दरवाजा बंद कर दिया और रेखा को सारी बात बता दीं।
रेखा ने बुरा सा मुंह बना कर मोनिका को बहन की भद्दी गाली दी और उठकर अपने लिए सिगरेट सुलगा ली।
आशु ने जल्दी से कमरा ठीक किया।
रेखा के मोबाइल पर मोनिका का फोन बज रहा था, वो दोबारा बोली कि बहन की लौड़ी को चैन नहीं है।
लेकिन रेखा बड़ी मीठी आवाज़ में मोनिका से बात करते हुए अलमारी से अपने कपड़े निकाल कर बाथरूम में चली गयी।
आशु ने इस अंदेशे से कि कहीं मोनिका न आ जाये, पूरे घर के माहौल पर निगाह दौड़ाई और ठीक ठाक किया।
उसने रेखा की प्लेट मेज़ पर लगा कर लंच खोल दिया।
तभी रेखा कपड़े पहन कर आ गयी और बोली- फटाफट लंच कर लो. वो कुतिया सूंघते सूंघते यहाँ आएगी जरूर!
दोनों ने लंच किया और मेज़ साफ करी।
आशु ने अपने पहने कपड़ों में ही रही सही सफाई निबटानी शुरू की।
अब उसने वैक्युम क्लीनर चला लिया था ताकि आवाज़ बाहर तक जाये।
रेखा का मन अब सफाई में कहा था, वो इधर उधर से आते जाते आशु को चूम रही थी।
तभी डोरबेल बजी.
मोनिका थी।
रेखा मोनिका को लेकर सोफ़े पर पसर गयी।
आशु ने मौका देख कर रेखा से कहा- आप लोग बात कीजिये, मैं लंच करके आता हूँ, एक घंटे में आ जाऊंगा।
अब रेखा क्या कहती … उसने हाँ कह दी.
आशु चला गया।
एक घंटे बाद रेखा का फोन आया कि मोनिका चली गयी है, काफी कुरेद-कुरेद कर पूछ रही थी आशु के बारे में, तो वो जरूर उसे भी फोन करेगी।
रेखा ने आशु को कहा कि वो उसे ठीक 3 बजे बाहर चौराहे पर मिल जाये, शॉपिंग पर चलना है।
आशु क्या कहता, उसे तो पूरे दिन के लिए बूक कर ही लिया था रेखा ने … और फिर जो आज उनके बीच हुआ है उससे तो अब आशु रेखा का और भी दीवाना हो गया है।
तभी मोनिका का फोन आया आशु के पास!
उसने पूछा- कहाँ हो?
तो आशु ने कह दिया- अपने रूम पर हूँ।
मोनिका बोली कि कल उसके फ्लैट की भी सफाई में हेल्प कर दे।
अब आशु मना भी कैसे करता … उसने कहा- ठीक है, मैं फ्री होने पर आपको बताता हूँ।
मोनिका पीछे पड़ी- नहीं कल ही आ जाओ।
आशु ने काफी कहा कि ये उसका पेशा नहीं है, वो तो रेखा मेमसाब ने कहा तो उसने उनकी मदद कर दी।
पर मोनिका पीछे ही पड़ गयी।
आखिर आशु को कहना पड़ा कि रात को बता दूँगा।
तीन बजे आशु कपड़े चेंज करके चौराहे पर इंतज़ार कर रही रेखा की गाड़ी में स्टीयरिंग सीट पर बैठ चल पड़ा।
उसने रेखा से मुस्कुराकर मोनिका के फोन के बारे में बताया।
रेखा ने मुस्कुरा कर उसे चूम लिया और बोली- चले जाना … पर खबरदार जो किसी को भी लिफ्ट दी तो!
आशु हंस पड़ा।
दोनों ने तय किया कि कल आशु को मोनिका के पास चले ही जाना चाहिए वर्ना वो फिर रेखा के फ्लैट पर चक्कर लगाएगी।
रेखा ने आशु से गुरुग्राम चलने को कहा। उसे डर था कि मोनिका उन्हें कहीं ट्रेस न करे।
रास्ते भर रेखा आशु से चुहलबाजी करती रही।
एक बार तो उसने उसकी ज़िप खोल कर उसका लंड निकाल लिया और चूस दिया।
आशु को कहना पड़ा कि ऐसे तो ड्राइविंग नहीं हो पाएगी।
गुरुग्राम दोनों मूवी देखने चले गए।
मूवी में आशु ने भी रेखा के मम्मे जम कर दबाये और दोनों ने चूमचाटी में तो टीन्स को भी पीछे छोड़ दिया।
रेखा चुदासी हो रही थी।
मूवी के बाद डिनर खाते समय रेखा ने उतावलेपन में आशु से कहा कि आज रात वो उसके बिना नहीं रह पाएगी।
अब डर यह भी था कि गेट पर गार्ड्स की जानकारी में न आ जाये कि आशु रात को अंदर रहा है और रात को मोनिका को कैसे भी पता न चल पाये।
लौटते में मेडिकल स्टोर से रेखा ने गर्भ से बचने के लिए दवाई ले ली।
गार्ड्स की निगाहों से बचने के लिए आशु अपने सुबह पहनने वाला ट्रेक सूट अपने रूम से लेकर सोसाइटी से पहले ही गाड़ी की डिग्गी में बैठ गया।
रात के दस बज रहे थे।
रेखा ने सहज स्वभाव गाड़ी सोसाइटी के गेट में घुसाई।
गार्ड ने उसे नमस्ते की और बताया कि मोनिका मेम उसे पूछ रही थीं, और पूछ रही थीं कि अकेले गयी हैं या कोई और साथ था क्या!
रेखा मुस्कुरा दी।
उसने गाड़ी पार्किंग में न ले जाकर अपने टावर की ओर ले ली।
एक कोने में जहां अंधेरा था, वहाँ उसने आशु को बाहर निकाला।
आशु के हाथ में दो बड़े शॉपिंग बेग्स थे।
उन लोगों ने ये तय कर लिया था कि अगर मोनिका या कोई और मेमसाब पूछती हैं तो कह देंगे शॉपिंग को गए थे।
पर गनीमत रही कि रेखा के फ्लैट तक कोई नहीं मिला।
रेखा भी गाड़ी पार्क कर के आ गयी।
दोनों फ्लैट में घुस गए और घुसते ही बेल की तरह लिपट गए।
अब रेखा कोई भी मिनट नहीं खोना चाहती थी।
पर मोनिका को चैन कहाँ … उसका फोन आया आशु के फोन पर!
आशु ने उठाते ही कहा- मेम सो रहा हूँ. और हाँ कल मैं 10 बजे तक आ जाऊंगा।
मोनिका बोली- बच्चे स्कूल 8 बजे तक चले जाएंगे, तुम जल्दी ही आ जाना फिर दोपहर तक काम निबट जाएगा। नाश्ता तुम मेरे घर ही कर लेना।
आशु ने हाँ कह दी पर उससे कह दिया- आप अब सो जाओ, सुबह आपको मेरे साथ मदद करनी होगी।
रेखा आशु को लेकर वाशरूम में घुस गयी।
दोनों के कपड़े प्याज़ के छिलके जैसे उतर गए। दोनों शावर के नीचे चिपट कर खड़े हो गए।
ऊपर से गुनगुना पानी … नीचे आग लगाती चूत और तम्बू बना लंड!
आज तो रात मस्तानी होनी ही थी।
आशु ने शावर के नीचे ही रेखा के मम्मे मसल मसल कर चूसे।
रेखा भी नीचे बैठ गयी और उसका लंड लालीपोप बना कर चूसती रही।
आशु ने रेखा को खड़ा किया और उसकी एक टांग उठाकर सहारा देकर टोंटी पर रख दी रेखा उसे थाम कर खड़ी थी।
आशु ने अपना मूसल पेल दिया उसकी चूत में!
धकापेल शुरू हो गयी।
रेखा ज्यादा हिल नहीं पा रही थी … उसने तो आशु का सहारा लिया हुआ था।
आशु उसके होंठों से होंठ भिड़ा कर चुदाई कर रहा था।
चुदाई तो हो रही थी, पर मज़ेदार नहीं थी।
रेखा ने अपने को अलग किया और तौलिया लपेट कर बाहर आ गयी।
आशु भी पीछे पीछे बाहर आ गया।
रेखा ने दो छोटे ड्रिंक्स बनाए।
आशु ने कहा भी कि वो नहीं पीता!
पर रेखा ने उसे जबर्दस्ती पिला ही दी।
दोनों फिर बेड पर आ गए।
फिर चुदाई का जो घमासान शुरू हुआ तो देर रात तक ही थमा।
इस बीच आशु ने रेखा को हर पोज़ में चोदा।
रेखा में भी गजब का माद्दा था चुदाई का … उसने पूरा साथ दिया आशु का!
जितना आशु ने उसे दबा कर पेला उतना ही पलट कर उसने भी आशु के ऊपर चढ़ कर घुड़सवारी की।
आशु ने रेखा के मुंह से इतनी अश्लील भाषा पहली बार सुनी।
वो सोचता रह गया की आखिर पढ़े लिखे घर की महिलाएं भी इतना गंदा बोल सकती हैं।
रेखा ने उसे खूब गालियां देते हुए चोदने को उकसाया।
वो कहती रही- अरे, तेरे लोंडे का तो दम निकल गया, तू दिन में तो बड़ा चुदक्कड़ बन रहा था गांडू … अब तेरी मर्दानगी कहाँ माँ चुदाने चली गयी? आजा मेरे राजा … आज फाड़ दे मेरी चूत को! प्यास बुझा दे मेरी!
जब आशु ज्यादा बेरहमी से चोदता तो बोलती- बहनचोद … हराम का माल समझकर चोद रहा है? मेरी चूत फट गयी तो तेरा बाप जवाब देगा मेरे आदमी को?
इसी तरह अब आशु भी खुलकर बोल रहा था- हाँ आज तो आपकी फाड़ ही दूँगा. ऐसा मज़ा दूँगा कि हर रोज चुदवाने को मुझे ही बुलाएँगी। कुतिया बना कर चोदूँगा रोज़!
आशु ने आखिर में वेसलीन लगा कर रेखा की गांड भी मार ही ली।
रेखा बहुत उछली पर आशु गांड फाड़ कर ही रहा।
उसके आँसू निकल आए।
वो बहुत बिफरी- मना किया था तुम्हें, अब मैं पूरे दिन हिल भी नहीं पाऊँगी।
आशु ने भी पलट कर जवाब दिया- पूरे दिन मैंने वो किया जो तुमने चाहा. अब अगर एक काम मैंने अपनी मर्जी से कर दिया तो हल्ला क्यों मचा रही हो?
पर जो भी हो चुदाई का पूरा लुत्फ लिया दोनों ने!
पूरा बेड रूम ऐसा लग रहा था जैसे कोई तूफान आया हो।
पूरी बेडशीट वीर्य से जगह जगह चिपचिपी हो रही थी.
रेखा को यही पसंद था कि उसके साथ जंगलीपना हो।
पूरे रूम में जगह जगह सिगरेट के टुकड़े पड़े दे।
रेखा ने आज दसियों सिगरेट फूँक दी थीं।
थक कर रेखा आशु से चिपट कर नंगी ही सो गयी।
आशु की आँख सुबह चार बजे खुल गयी।
उसे सोसाइटी से बाहर निकलना था तो उसने रेखा को उठाया।
वो खुद तैयार हुआ और धीरे से खिसकता हुआ सोसाइटी के गेट तक आया।
उसे मालूम था कि इस समय दोनों गार्ड उनींदे हो रहे होते हैं और गेट भी अधखुला सा होता है।
उसने साधारण तरीके से गार्डों को उठते हुए कहा- आज मैं जल्दी आ गया हूँ, पहले गाड़ी सफाई कर देता हूँ, फिर दूध लेने जाऊंगा।
गार्ड भी सोचते रह गए कि आखिर उनको ऐसी झपकी कैसे आ गयी कि वो बाहर से आ गया और उन्हें मालूम भी न पड़ा।
पर आशु रोज जल्दी ही आता था, तो उन्हें भी चिंता नहीं हुई।
आशु ने एक घंटे में गाड़ियाँ साफ करीं और दूध लाकर सभी को देता हुआ अपने फ्लैट पर 7 बजे तक आ गया।
रेखा के फ्लैट कि जब उसने घंटी बजाई तो रेखा ने गेट खोला और उसे अंदर खींच लिया।
उसने अपने होंठ चिपटा दिये आशु से!
वो सेक्स के मूड में थी.
तब आशु ने समझाया कि मोनिका इंतज़ार कर रही होगी, क्या फायदा वो इधर आ जाये।
घर आकर आशु सो गया।
मेरी एक एक कहानी Antarvasna को दिल से पसंद करके मुझे अपना अपना प्यार खुले दिल से दिया, और दोगे हर कोई मुझे कह रहा है कि गांडू अपनी चुदाई ज़रा जल्दी जल्दी भेजा कर !
अब कब भेजेगा ?
अब आगे बढ़ते हुए गुरु जी और सभी पाठकों को बहुत बहुत प्यार ! आज यह सनी एक और चुदाई के बारे में लिखने जा रहा है, पढ़ना और मुझे याहू पर मेरी गाण्ड का वेबकैम पर लुत्फ उठाएँ।
हाल के ही दिनों की बात करने जा रहा हूँ, प्रेस वाले से मैने चुदवाया सो चुदवाया, हमारे घर में ऊपर की बिलडिंग डबल स्टोरी में पत्थर लग रहा है। दो बन्दे रगड़ाई करने आते हैं, दो बन्दे पत्थर लगाने !
एक दिन में याहू पर बैठ कर चेट का लुत्फ उठा रहा था कि मेरी चेट विनोद नाम के बन्दे से जो दिल्ली से है, देश की राजधानी में बैठ मुझे चोदने की योजना बना रहा था। तभी वो बोला- सनी यार ! अपना वेबकैम चला ! मुझे तेरी चिकनी गांड देख कर मुठ मारनी है। अपने गुलाबी होंठ दिखा, उनमें होंठ डालने हैं।
लेकिन मेरे लिंक्ड बाथरूम में ही रगड़ाई चल रही थी, मैंने उसको अपनी स्थिति बताई कि मैं नंगा नहीं हो पाउँगा। उसको वजह बताई तो वो बोला- साले गांडू ! मौका है उससे गांड मरवा ले ! पटा ले साले को ! तेरा दिल तो ज़रूर करता होगा ?
मैंने कहा- मेरा उनमें बिलकुल ध्यान नहीं था, मैं तो उनको अपनी आजादी में बाधा समझ रहा था।
उसकी यह बात मेरे दिमाग में घर कर गई, बस फिर क्या था, मैंने सोच लिया कि अब इसको पटाना ही है।
मैंने अपना पजामा उतार दिया और फ्रेंची में मेरे गोलमोल चिकने चूतड़ किसी का भी लौड़ा खड़ा कर सकते थे। मैंने सामने ब्लू फिल्म चला ली और बेड पर उल्टा लेट गया तकिये को बाँहों में लेकर उल्टा लेट गया जिससे मेरे चूतड़ साफ़ दिखने लगे और सामने शीशे में मेरी एक नज़र उस पर थी। वो अपने ध्यान लगा हुआ था। मैंने सोचा अब क्या करूँ यार? कैसे इसका धयान अपने पर लेकर आऊँ?
पास के मेज से मैंने एक ग्लास उठाया और उसको फर्श पर फेंक दिया, जैसे ग्लास गिरा उसने मुड़ कर देखा। मेरी साँसे तेज़ होने लगी कि अब वो क्या करेगा। चोरी-चोरी से मैं शीशे में देखता। अब उसका ध्यान मेरी तरफ था, वो ब्लू फिल्म देखता तो कभी मेरी गांड देखता।
वो अपना लंड पकड़ कर मसल रहा था, मैंने जानबूझ कर गांड थोड़ी ऊपर उठाई। उसकी मशीन बंद हो गई थी, मैंने खुद ही चूतड़ हिलाए उसको यह शो कर दिया कि मैं खुद सब कुछ कर रहा हूँ।
उसने मुझे उसकी रर शीशे में देखते हुए देख लिया। वो कमरे में आया और बाथरूम के दरवाज़े की कुण्डी चढ़ा दी। बिस्तर के करीब आते ही उसने अपना हाथ मेरे चूतड़ पर रखते हुए सहला दिया। मेरा बदन कांप उठा। वो मेरे दोनों चूतड़ मसलने लगा, मैंने आखें मूँद ली।
वो मेरी बगल में लेट गया और मेरी फ्रेंची को गांड के चीर में घुसा छेद पर ऊँगली फेरते हुए मेरे गाल को चूम लिया, अपना दूसरा हाथ मेरी कमर से लपेटते हुए शर्ट में डाल मेरे मम्मे दबाने लगा। मैं गर्म होकर अपने को रोक नहीं पाया और उसकी ओर चेहरा करके उसके साथ चिपक गया और झट से उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और मसलने लगा उसके विकराल लिंग को ! क्या लिंग था साले का ! जो मैंने पजामे के ऊपर से सोचा था उस से भी बड़ा था उसका लिंग ! हाँ, मोटा कम था ! मतलब गांड के लिए बना था समझो !
उसने मुझे नंगा कर दिया, तभी दरवाजा खटका।
कौन? उसने कह दिया।
मैं राजू ! काम क्यों रोक दिया रे?
उसने बिना पूछे दरवाज़ा खोल दिया, मैंने चादर लपेट ली।
क्या कर रहे हो दोनों दरवाज़ा बंद करके?
बोला- आजा, मजे कर रहे हैं दोनों ! फिल्म देख रहे हैं और इसकी गांड से खेल रहा हूँ, साला गांडू निकला !
वो बोला- फिर तो आज पाँचों उंगलियाँ आज घी में हैं !
मैं तो था ही बेशर्म, मैंने कहा- साले देख क्या रहा है? सभी घर आ जायेंगे ! मादरचोदो, पकड़ लो मुझे !
उसने अपनी लुंगी उतार दी। उसका बम्बू घाट तम्बू की तरह तन चुका था। मैंने उसको ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और उसके अंडरवियर में हाथ डालते हुए उसके खड़े लिंग को सहलाने लगा। उसका अंडरवियर उतार दिया, उसका लिंग इतना मस्त निकला, काले नाग जैसा लिंग देख मैं बेकाबू होने लगा। मेरे मुँह में लेते ही वो अपने उफान पर आ चुका था। वो सांस खींचता तो मेरे मुंह में ही हिलने लगता, दूसरे को पास बुलाया और उसका लण्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। फिर कभी उसका कभी उसका !
चूस चूस कर, चाट चाट कर दोनों को इतना पागल कर दिया कि दोनों ने मुझे नंगा कर दिया।
चल लेट ! चल !
राजू ने अपना लिंग आगे से आकर मेरे मुँह में दिया और दूसरे ने थूक लगाते हुए गांड पर टिका दिया।
मैंने कहा- पहले उंगलियाँ डाल कर खोल ले इसको ! चाट !
वो मेरी गांड चाटने लगा। मेरा इशारा पाते ही उसने लिंग अन्दर डाल दिया। थोड़ी सी चुभन के बाद वो आराम से चोदने लगा। मेरा कौन सा पहला मौका था ! मुझे चुदवाने का पूरा तजुर्बा था। वो मेरी गांड की दीवारों की गर्मी सह नहीं पाया और उसने मुझे जोर से भींच लिया और अपने गर्म-गर्म लावा से मेरी खुजली ख़त्म कर दी।
राजू जल्दी से पीछे आया, टाँगें खुलवा अपने कन्धों पर टिकाते हुए अपना लिंग को प्रवेश करवा दिया और उसके झटके मुझे मजा देने लगे। तेजी से करते हुए उसने भी अपना माल निकाल दिया और मेरे ऊपर गिर गया।
दूसरे वाले का मन नहीं भरा था तो उसने फिर से मुँह में डाल दिया उसका नमकीन लिंग चूसना मुझे भी अच्छा लगा। वो तैयार हो गया और उसने मुझे बीस-पच्चीस मिनट चोदा।
और फिर जब तक पत्थर का काम पूरा नहीं हुआ, हर दोपहर उनका लंच मेरी गांड होती !
काम के बाद मैंने दोनों को मुँह लगाना छोड़ दिया।
यह मेरी एक और सच्ची कहानी है।
अन्तर्वासना के ज़रिये मैं आप लोगों को ऐसे ही मजे देता रहूँगा ! Antarvasna
एक बार मैं फिर Antarvasna Stories आपके सामने अपनी नई कहानी के साथ हाजिर हूँ।
मेरी यह कहानी एकदम सच्ची है जो आप लोगों को एकदम अपने करीब लगेगी। मेरी शादी को आज लगभग 15 साल हो गए। मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्सपिरियन्स मेरी साली कोमल के साथ था। मेरी पत्नी घर में सबसे बड़ी है। उसके बाद उसकी दो साल छोटी बहन कोमल तथा लगभग चार साल छोटा भाई है। घर में सब कोमल को प्यार के नाम से “बेबो” कहते हैं।
मेरी पत्नी को पहला बेटा हुआ। जब मैं अपनी पत्नी को अपनी ससुराल से लेने गया तो मेरी साली जो बी.ए.- द्वीतीय में पढ रही थी, की गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और लगभग एक महीने की छुट्टियाँ बाकी थी। मेरी पत्नी ने घरवालों से जिद करके, छोटे बच्चे की वजह से बेबो को भी साथ ले लिया। हम सब गुड़गाँव वापस आ गये। मेरी पत्नी और बेबो सारा दिन छोटे बच्चे की देखभाल में लगी रहती। मैंने 10 दिन की छुट्टियाँ ले ली। दिन में मैं और बेबो जब भी खाली होते तो लूडो या कैरम खेलते।
शाम को हम सब पार्क में जाते और अकसर रात का खाना बाहर खाते। मैं बेबो से पूछता कि खाने में क्या लेना है। फिर बेबो की ही पसंदीदा खाना आर्डर करता। हम सब जब भी मार्केट जाते तो मैं बेबो को जरूर से कुछ ना कुछ दिलवाता। बेबो मना करती मगर मैं जबरदस्ती उसे कभी गौगल, कभी पर्स वगैरा कुछ ना कुछ जरुर दिलवाता। चार दिनों में ही बेबो और मैं एक दूसरे से बहुत खुल गये थे। रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते। खैर…
एक दिन मेरी पत्नी दोपहर में बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो गई और बेबो नहाने के लिये चली गई। मैं गैरेज में गाड़ी साफ करने लगा। बाथरुम की छोटी सी खिड़की गैरेज में खुलती थी। खिड़की कुछ उँचाई पर थी। इसलिये आसानी से कुछ देख नहीं सकते थे। मैं जब गाड़ी के टायर पर चढ़ कर गाड़ी की छत साफ कर रहा था तभी मेरी नजर बाथरुम की खिड़की पर पड़ी। बाथरुम में बेबो बिलकुल नंगी शावर के नीचे नहा रही थी। उसका जवान नंगा जिस्म शावर में मेरी तरफ पीठ किये था। उसके नंगे और गोरे बदन पर शावर से पानी की बूंदें गिरकर चमक रही थी।
उसके चूतड़ों की गोलाईयां और गहराइयाँ मेरे नजरों के सामने थी। उस समय मेरे बदन में सनसनी फ़ैल रही थी। फिर वो पलटी और उसने अपना बदन अब मेरे सामने कर दिया। अब मुझे उसके बड़े-बड़े स्तनों पर पानी की बूँदें चमक रही थी, छोटे-छोटे भूरे चुचूक मुझे और उत्तेजित कर रहे थे। उसकी चूत के घने बाल पानी की वजह से चिपके हुऐ थे और लटक रहे थे। शावर का ठंडा- ठंडा पानी उसके शरीर पर पड़ कर बह रहा था। वो कभी अपनी चुंचियाँ मलती, तो कभी अपनी चूत साफ़ करती। मैं उसे देख-देख कर और उत्तेजित होने लगा था।
जब वो नहा चुकी तो अपना बदन तौलिये से पौंछने लगी। वो तौलिये से अपनी चुचियाँ मल-मल कर पौंछने लगी। उसकी चुंचियाँ कड़ी होने लगी थी। फिर वो तौलिये से अपनी चूत साफ़ करने लगी। उसकी चूत के काले घने बाल तौलिये से पोंछते ही घुँघराले हो गये और उनमें एक चमक नजर आने लगी। उसने अपना बदन तौलिये से पोछ कर कपड़े पहनने शुरू किए। सबसे पहले उसने अपने वक्ष को सफेद ब्रा में कैद किया। फिर अपनी चूत को गुलाबी कच्छी से ढका। फिर उसने सफेद मगर रंगबिरंगा लोअर पहना। फिर वो जैसे ही अपना टॉप पहनने लगी तभी उसकी नजर खिड़की की तरफ पड़ी और उसने मुझे देख लिया। मैं फौरन नीचे हो गया।
वो बाथरूम से बाहर आई और तौलिया सुखाने के बहाने गैराज में आई और अनजान बनते हुए बोली,”अरे… जीजू, आप अभी तक गाड़ी ही साफ कर रहे हैं?”
उसकी नजरें मेरी हाफ पैंट के ऊपर थी। जहां मेरा लण्ड हाफ पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था और एक टैंट सा बना रहा था।
मैंने कहा,”बस गाड़ी साफ हो गई। चलो चलें।”
और गाड़ी साफ करने का कपड़ा अपनी हाफ पैंट के ऊपर से उफनते हुऐ लण्ड के आगे कर लिया। हम दोनों अन्दर आ गये। मैं आते ही टॉयलेट में घुस गया और अपने उफनते हुए लण्ड को मुठ मार कर शांत किया।
उस दिन से मेरा रोजाना का नियम बन गया, बेबो को खिड़की से झाक कर बाथरुम में नहाते देखने का। जब भी बेबो बाथरुम में नहाने जाती मैं गैराज में किसी ना किसी बहाने चला जाता। बेबो को पता होता था कि मैं उसे छुप-छुप कर देख रहा हूँ। मगर अब वो ओर दिखा-दिखा कर देर तक नहाती। चोरी से खिड़की की तरफ देख कर मुझे अपने को देखते हुए देखती। अब वो जिस समय बाथरूम में नहाने घुसती तो जोर से चिल्ला कर कहती,”दीदी, मैं नहाने जा रही हूँ।”
फिर जब मैं बाथरूम की खिड़की के छेद में से झांक कर देखने लगता तो वो बाथरूम में अपने कपड़े उतारने लगती।
अगर मुझे किसी वजह से गैरेज में आने में देर हो जाती तो वो बाथरुम ऐसे ही टाईम पास करती रहती। जब वो गैरेज के गेट खुलने की आवाज सुन लेती तभी वो बाथरुम में अपने कपड़े उतारना शुरु करती। मुझे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए वो अनजान बनते हुए सबसे पहले अपना टॉप उतारती। फिर खिड़की की तरफ मुँह करके अपनी ब्रा उतारती। ब्रा उतरते ही जब उसके स्तन उछल कर बाहर आ जाते तो वो उन स्तनों को धीरे-धीरे से सहलाती और अपने चुचुकों को मसलती।
फिर अपनी पीठ करते हुए अपना लोअर उतार देती। फिर खिड़की की तरफ पलट कर अपनी पेंटी भी उतार देती। फिर अपनी चूत को रगड़ती और चूत के बालों में हाथ फिराती और फिर उन बालों को पकड़ कर ऊपर खींचती। फिर पलट कर अपने चूतड़ों की गोलाईयां और गहराइयाँ मेरी नजरों के सामने करती। ऐसा मुझे लगा। खैर…
उसके ऐसा करने से मेरे बदन में सनसनी फ़ैल जाती और मेरा लण्ड तन कर खडा होकर हाफ पैंट के अन्दर उफन जाता और एक टैंट सा बना देता। फिर जब वो शावर खोल कर पानी अपने बदन पर डालने लगती तो मैं हाफ पैंट के अन्दर से अपना लण्ड बाहर निकाल लेता और बेबो को नहाते देखते हुऐ अपने उफनते हुए लण्ड को मुठ मार कर शांत किया करता। फिर जब वो शांत हो जाता और बेबो अपना बदन तौलिये से पोंछ कर कपड़े पहनने शुरू करती तो मैं खिड़की से अलग़ हो जाता।
कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। मेरी छुट्टियाँ खत्म होने वाली थी। बस दो छुट्टियाँ बची थी।
एक दिन मेरी पत्नी पड़ोस की अपनी सहेली के साथ बच्चे के लिये कुछ कपड़े लेने मार्केट चली गई। जाते-जाते वो मुझ से कहने लगी कि आप यहीं रहो। मैं अपनी फ्रैंड के साथ जा रही हूँ। बेबो सो रही है। रात को छोटे ने काफी परेशान किया। वो बेचारी सारी रात छोटे को खिलाती रही। उसे सोने दो। जब वो उठ जाये तो उसे खाना गर्म करके दे देना।
जब वो चली गई तो मैंने चुपके से देखा कि बेबो स्कर्ट और टी-शर्ट पहन कर सो रही है। मैं बाथरूम में नहाने चला गया। फिर नहा के आकर मैंने फिर बेबो की तरफ देखा तो मैं हैरान रह गया। बेबो सो रही थी। मगर उसकी टी-शर्ट अन्दर ब्रा तक अपर उठी हुई थी और उसकी सफेद ब्रा दिख रही थी। उसकी स्कर्ट उसकी जांघों के उपर तक उठी हुई थी और उसकी जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी दिख रही थी। उसकी लाल पैंटी के उपर उसकी फूली हुई चूत का उभार भी नजर आ रहा था।
मैंने उसे आवाज लगाई- बेबो ! बेबो ! ताकि वो अगर उठे या करवट ले तो उसकी स्कर्ट ठीक हो जाये। मगर वो ना तो उठी ना ही उसने करवट ली। मैं कुछ देर तक उसे निहारता रहा। उसका गोरा-गोरा पेट, चिकनी-चकनी टांगें, भरी-भरी जांघे और जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी के ऊपर उसकी फूली हुई चूत मुझे उत्तेजित कर रहे थे।
मैं कमरे से बाहर आकर सौफे पे बैठ गया। मेरा दिलो-दिमाग बेबो की ही तरफ था। मन उसको देखने और छूने को कर रहा था। मैं फिर से उठ कर कमरे की तरफ गया। मैंने फिर बेबो की तरफ देखा। बेबो सो रही थी। मैं दरवाज़े पर खडा उसे कुछ देर तक निहारता रहा। उसकी भरी-भरी चिकनी जांघे और जांघों के बीच में उसकी लाल पैंटी के उपर उसकी फूली हुई चूत मुझे बहुत उत्तेजित कर रहे थे।
मैं कमरे के अन्दर जा कर बेबो के पास बैठ गया। मैंने हल्के से उसे आवाज लगाई- बेबो-बेबो…
मगर वो ना तो उठी ना ही उसने करवट ली। मैं फिर कुछ देर तक उसे निहारता रहा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी चिकनी जांघ पर रख दिया। कुछ देर बाद मैं उसकी भरी-भरी मासंल जांघ पर हाथ फिराने लगा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी लाल पैंटी के ऊपर उसकी फूली हुई चूत पर रख दिया। उसकी फूली हुई चूत मेरी हथेली के गड्डे में सैट हो गई। फिर मैं अपनी हथेली से उसकी फूली हुई को चूत हल्के-हलके से दबाने लगा। बेबो उसी तरह से सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी। खैर…
मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। मैं उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगा। मगर उसकी स्कर्ट की वजह से पैन्टी के अन्दर हाथ घुस नहीं पा रहा था। मैंने सावधानी से उसकी स्कर्ट का हुक और साईड चेन खोल दी। फिर मैं उसकी पैन्टी के अन्दर से हाथ डाल कर उसकी चूत के बालों पर हाथ फिराने लगा। बेबो उसी तरह से सो रही थी या सोने का नाटक कर रही थी और मेरी हिम्मत लगातार बढ़ती जा रही थी।
फिर मैं बेबो की चूत के बालों में हाथ फिराते-फिराते अपनी उँगली बेबो की चूत के फाँक के ऊपर फेरने लगा। फिर उंगलियों से बेबो की चूत के फाँक को खोलने और बन्द करने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपनी एक उँगली बेबो की चूत के फाँक के अन्दर घुसा कर बेबो की चूत के जी पॉयंट को हल्के-हल्के रगड़ने लगा।
उसकी पैन्टी की वजह से मुझे अपनी उँगली बेबो की चूत के अन्दर डालने और बेबो की चूत के जी-पॉयंट को रगड़ने में दिक्कत हो रही थी। इसलिये मैंने उसकी पैन्टी को धीरे-धीरे से नीचे खींच कर उसके घुटनों पर कर दी। फिर मैंने अपनी एक उँगली बेबो की चूत के अन्दर घुसा उसकी चूत को हल्के-हल्के रगड़ने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी पैन्टी भी उसकी टांगों से जुदा कर दी और सावधानी से उसकी दोनों टांगों को अलग कर दिया। अब मैं उसकी बगल में लेट कर उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराने लगा।
फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और ऊपर से ही रगड़ने लगा। फिर मैं बेबो की चूत की फांक पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँबेबो की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों को बेबो की चूत के फाँको में डाल कर रगडने लगा और उसकी चूत के जी-पॉयंट को अपनी उंगलियों से दबाने और हल्के-हल्के रगड़ने लगा। लगभग 5-7 मिनट बाद बेबो की चूत से कुछ बहुत चिकना सा निकलने लगा।
अचानक बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और उसने अपनी आँखें खोल दी और अनजान बनते हुए बोली, “अरे… जीजू कब आए .. और ये क्या कर रहे हैं?”
मैंने कहा “बस अभी ही आया हूँ… और सोचा कि आज बेबो को कुछ मजा कराया जाये। सच बताओ, क्या मजा नहीं आ रहा हैं? मुझे पता है तुम जाग रही थी और मजे ले रही थी। वरना तुम्हारे नीचे से चिकना-चिकना सा नहीं निकलता।”
बेबो मुस्कुराईं और बोली,”नहीं, सच मैं तो सो रही थी। मुझे नहीं पता आप क्या कर रहे थे। और आपने मेरी चड्डी क्यो उतार रखी है।”
उसका झूठ पकड़ में आ रहा था। मैं बोला,”प्लीज़ ! बेबो मजाक मत करो। प्लीज़ ! मेरा साथ दो। हम दोनों मिलकर खूब मजा करेंगे।”
बेबो फिर मुस्कुराईं और बोली,”क्या आपका साथ दूँ और क्या दोनों मिलकर मजा करेंगे। बताईये ना। और मेरी चड्डी क्यो उतार रखी है। आप क्या मजा कर रहे थे। और मेरी चड्डी के अन्दर क्या मजा ढूंढ रहे थे।”
मैंने कहा,”बताऊँ कि मैं तुम्हारी चड्डी के अन्दर क्या मजा ढूंढ रहा था।” कह कर मैंने उसे अपने सीने से चिपका लिया और फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए।
फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो ने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। फिर मैं बेबो को किस करते-करते अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के उपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। फिर कुछ देर बाद मैं उसकी टी-शर्ट के गले के अन्दर से हाथ डाल कर उसके सख्त हो चुके वक्ष को दबाने लगा।
फिर मैं उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा तो बेबो बोली,”जीजू, क्या करते हो। दीदी आने वाली होंगी।”
मैंने कहा,”चिंता मत करो। वो मार्केट गई और दो-तीन घंटे तक नहीं आँएगी।”
यह कह कर मैं फिर उसकी टी-शर्ट को उतारने लगा। अब बेबो ने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार कर बैड पर फैंक दी। बेबो के बड़े-बड़े और गोरे-गोरे स्तन सफेद ब्रा में फँसे हुए थे। मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा। बेबो ने अपनी आंखे बंद कर ली।
कुछ देर बाद मैं उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा। फिर कुछ देर मैंने उसकी ब्रा भी उसके तन से जुदा कर दी और दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दिया और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा। मैं उसके गोरे-गोरे सख्त स्तनों को दबाने लगा और साथ-साथ उसके भूरे चुचूकों को हल्के-हल्के मसलने लगा। फिर मैं उसके नरम-नरम गोरे-गोरे स्तनों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। फिर मैंने उसकी खुली पड़ी स्कर्ट को भी उतार कर फैंक दिया। बेबो का नंगा, गोरा और चिकना बदन मेरे सामने था।
फिर मैंने बेबो से अलग हो कर अपने सारे कपड़े उतार दिये और पूरी नंगा होकर बेबो से लिपट गया और मैंने बेबो को अपने साथ सटा कर लिटा लिया। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा था। मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगा। उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। फिर कुछ देर तक उसकी चूत पर हाथ फेरने के बाद मैं अपनी हथेली से उसकी चूत को दबाने लगा।
वो बहुत गरम हो चुकी और जोर-जोर से सिस्कारियां ले रही थी और मेरे बालों पर हाथ फेर रही थी और अपने होंठ चूस रही थी। मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और उसकी बगल में लेट कर मैं बेबो की चूत के कट पर हाथ फिराने लगा। फिर हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ बेबो की चूत के अन्दर डाल दी। फिर उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगा। फिर मैं बेबो की चूत के जी पॉयंट को रगड़ने लगा। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। बेबो ने मस्त होकर अपनी आंखें बंद कर ली। कुछ देर बाद बेबो की चूत से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगा था।
मेरा लण्ड बेबो की जांघों से रगड़ खा रहा था। मैंने बेबो का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। बेबो ने बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लिया। वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगी। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो गया था। बेबो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगी। फिर वो मेरा लण्ड पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगी।
अब मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो रहा था। मैं बेबो के ऊपर आकर लेट गया। बेबो का नंगा जिस्म मेरे नंगे जिस्म के नीचे दब गया। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा था।
मैं उसके उपर लेट कर उसके चुचूक को चूसने लगा। वो बस सिस्करियां ले रही थी। फिर मैं एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा और फिर एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो मछली की तरह छटपटाने लगी और अपने हाथों से मेरा लण्ड को टटोलने लगी। मेरा लण्ड पूरे जोश में आ गया था और पूरा तरह खड़ा हो कर लोहे जैसा सख्त हो गया था।
बेबो मेरे कान के पास फुसफसा कर बोली,”ओह जीजू। प्लीज़ ! कुछ करो ना। मेरे तन-बदन में आग सी लग रही हैं।”
ये सुन कर अब मैंने उसकी टांगें थोड़ी ओर चौड़ी की और उसके ऊपर चढ़ गया।
फिर अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे लण्ड का सुपाड़ा बेबो की कुंवारी चूत के हुआ अन्दर चला गया। लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से चीख निकल गई और वो अपने हाथ पाँव बैड पर पटकने लगी और मुझे अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसे कस कर पकड़ा था।
वो मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगी, “प्लीज़ जीजू, मुझे छोड़ दीजिए, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा “बेबो तुम ही तो कह रही थी कि जीजू, प्लीज़ ! कुछ करो ना। मेरे तन-बदन में आग सी लग रही हैं। मैंने इसलिये ही तो तुम्हारे अन्दर डाला है। बेबो तुम चिन्ता मत करो, पहली बार में ऐसा होता है, एक बार पूरा अन्दर जाने के बाद तुम्हें मज़ा ही मज़ा आएगा। पहली बार तुम्हारी दीदी को भी ऐसा ही दर्द हुआ था और अब मैं और तुम्हारी दीदी रोज ये करते हैं और तुम्हारी दीदी अब खूब एनजाय करती है।”
फ़िर मैंने एक और धक्का लगा कर उसकी चूत में अपना आधा लण्ड घुसा दिया। बेबो तड़पने लगी। मैं उसके ऊपर लेट कर उसके उरोज़ों को दबाने लगा और उसके होठों को अपने होठों से रगड़ने लगा। इससे बेबो की तकलीफ़ कुछ कम हुई। अब मैंने एक जोरदार धक्के से अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर कर दिया। मेरा 8″ लम्बा और ३” मोटा लण्ड उसके कौमार्य को चीरता हुआ उसकी कुँवारी चूत में समा गया।
इस पर वो चिल्लाने लगी “आहह्ह, मर गई। ओह प्लीज़ जीजू इसे बाहर निकालिये, मैं मर जाउंगी।” उसकी चूत से खून टपकने लगा था।
मैं रुक गया और बेबो से बोला “प्लीज़ ! बेबो, मेरी जान, अब और दर्द नहीं होगा।”
बेबो का यह पहला सैक्सपिरियन्स था। इसलिऐ मैं वही रुक गया और उसे प्यार से सहलाने लगा और उसके माथे को और आँखो को चूमने लगा । उसकी आंख से आंसू निकल आये थे और वो सिस्कारियां भरने लगी थी। यह देख कर मैंने बेबो को अपनी बाँहो में भर लिया।
फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए और मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा, ताकि वो अपना सारा दर्द भूल जाये। कुछ देर बाद उसका दर्द भी कम हो गया और उसने मुझे अपनी बाँहों में से कस लिया। मैंने भी बेबो को अपनी बाँहों में भर लिया। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया हुआ था। फिर मैं अपने होंठों से उसके नरम-नरम होंठों को चूसने लगा। कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहे और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहे।
फिर मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगा। बेबो ने कोई विरोध नहीं किया। अब शायद उसका दर्द भी खत्म होने लगा था और वो जोश में आ रही थी और अपनी कमर को भी हिलाने लगी थी। उसकी चूत में से थोडा सा खून बाहर आ रहा था जो इस बात का सबूत था कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी थी और आज ही मैंने उसकी सील तोड़ी है।
उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा लण्ड बहुत मोटा था, इसलिए मुझे बेबो को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से बेबो की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। फिर कुछ देर बाद बेबो ने अपनी टांगें उपर की तरफ मोड़ ली और मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट ली। मैं अपने लण्ड को लगातार धीरे-धीरे बेबो की चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार बढ़ने लगी। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगा था।
थोड़ी देर में बेबो भी नीचे से अपनी कमर उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगी और मज़े में बोलने लगी ” सी … सी… और जोररर से जीजुजुजु… येसस्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स् जोर से करो। प्लीज़ ! जीजू तेज-तेज करो ना। आज मुझे बहुत मज़ा आ रहा है।”
बेबो को सचमुच में मजा आने लगा था। वो जोर जोर से अपने कूल्हे हिला रही थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत कर रही थी। उसने मेरे कूल्हों को अपने हाथों में थाम लिया। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने कूल्हे पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपनी जांघें उपर उठा देती। मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगा। फिर मैं बैड पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगा। अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी। वो मदहोश हो रही थी।
मैंने रुक कर बेबो से कहा, “बेबो अच्छा लग रहा है ?”
बेबो बोली,”हाँ जीजू बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज़ ! रुको मत। तेज-तेज करते रहो। हाँ प्लीज़ ! तेज-तेज करो। मैं अन्दर से डिस्चार्ज होने वाली हूँ। प्लीज़ ! चलो करो। अब रुको मत। तेज-तेज करते रहो।”
बेबो के मुहँ से ये सुन कर मैंने फिर से बेबो को चोदने शुरु कर दिया और अपनी रफ्तार को और बढ़ा दिया। मैंने बेबो के बड़े-बड़े हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लिया और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगा। बेबो के मुँह से मस्ती में “ओह्ह्ह्ह्ह्हो होहोह सिस्स्स ह्ह्ह्ह हाह्ह्ह आआ आआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज़ ! जीजू तेज-तेज करो।”
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ने वाली थी तभी हम दोनों एक साथ अकड़ गये और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगे। फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लिया और बोली “जीजू मेरा काम होने वाला है। प्लीज़ ! जोर-जोर से करो येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस मैं हो गईईईईई…! इसके साथ ही बेबो की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया। उसने एक जोर से आह भरी और फिर वो ढीली पड़ गई।
मैं समझ गया कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। लेकिन मेरा काम अभी नहीं हुआ था इसलिए मैं जोर-जोर से अपने लण्ड से बेबो की चूत को पेलने लगा। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगा। बेबो रोने सी लगी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगी। लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना कर धक्के लगाना जारी रखा।
करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगा तो मैंने अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींच लिया और उसकी चूत के झांटों उपर डिस्चार्ज हो गया और उसके ऊपर गिर गया। फिर मैं उसके उपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता रहा। फिर मैं बेबो की बगल में लेट गया। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार कर रही थी।
बेबो की चूत के काले घने घुंघराले बालों में मेरे वीर्य की सफेद बून्दे चमक रही थी। मैंने अपने अन्डरवियर से बेबो की चूत के ऊपर पड़े अपने वीर्य को साफ कर दिया। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े पहनने लगे। बैड की चादर पर बेबो की चूत से निकला हल्का सा खून पडा था। बेबो ने तुरन्त डस्टिग़ वाला कपड़ा लेकर गीला करके चादर से खून साफ कर दिया और पंखा चला दिया ताकि चादर जल्दी से सूख जाए।
मैंने बेबो से पूछा कि कैसा लगा तो वो बोली “जीजू ! शुरु-शुरू में तो मुझे बहुत दर्द हुआ लेकिन बाद में बहुत मजा आया। इतना मज़ा तो मुझे कभी किसी चीज़ में नहीं आया। सचमुच आज से मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ। अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।”
ये सुन कर मैंने खीच कर उसे अपने सीने से चिपका लिया। फिर मैंने अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। बेबो भी मुझ से लिपट गई और उसने भी मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उस के बालों में हाथ फिराने लगा। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगा।
फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसकी टी-शर्ट के उपर से उसके स्तनों को दबाने लगा और बेबो से बोला “एक बार फिर हो जाए। तुम्हें कोई एतराज नहीं।”
वो एकदम छटक कर अलग हो गई और बोली,”क्या करते हो जीजू। बड़े गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी आने वाली होंगी।”
मैंने बेबो से कहा “अभी तो तुम कह रही थी कि मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ। अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा और अब तुम मना कर रही हो।”
बेबो बोली “जीजू। मैंने कहा है और एक बार फिर कह रही हूँ कि सचमुच मैं आपकी दीवानी बन गई हूँ और अब आप जब चाहें ये सब मेरे साथ कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा। लेकिन आज अब और नहीं। आपने इतना ज्यादा किया है ना कि मेरे नीचे दर्द हो रहा, शायद कट भी लग गया है। नीचे चीस सी मच रही है। इसलिये आज नहीं। अब कल करेंगे। कल तक मेरे नीचे का मामला भी ठीक हो जाएगा। अब मैं नहाने जा रही हूँ। गर्म-गर्म पानी से नहाऊगी और गर्म पानी से नीचे की थोड़ी सिकाई करुँगी तो कुछ ठीक हो जाऊँगी। वरना मेरी चाल देख कर दीदी को शक हो जाऐगा। अब कल तक के लिये सब्र रखिये। वैसे भी दीदी भी आने वाली होंगी।”
इतना कह कर उसने हाथ हिला कर शरारत से बाय किया और फिर वो तेजी से बाथरुम की ओर जाने लगी। मैं खड़ा-खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा। उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि बेबो को जम कर चोदने की मेरे मन की इच्छा पूरी हो गई थी।
इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में हमने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया। हर बार सैक्स करने का अन्दाज और मजा अलग ही था। अगर समय मिला तो अपने यहां सोफे पर और एक रात को अपनी पत्नी को नींद की गोली देकर स्टोर में बेबो के साथ सैक्सपिरियस के बारे में भी जरुर बताऊँगा। फिर एक बार शाम को बेबो के ही घर में छत पर बेबो के साथ सैक्सपिरियस के बारे में भी जरुर बताऊँगा। और एक पूरी रात बेबो के साथ होटल के कमरे में तीन बार सैक्स करना तो मैं भूल ही नहीं सकता। वो किस्सा भी अगर समय मिला तो जरुर बताऊँगा। खैर…
दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्सपिरियंस के बारे में बात नहीं करते हैं। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। खैर …
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी। Antarvasna Stories
दोस्तो, मुझे बहुत खुशी हुई कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई. बहुत सारे मेल मिले और आगे की कहानी लिखने के लिए कहा गया.
तो अब मैं आप को आगे की कहानी बताता हूँ.
बस से उतरने के बाद हम अपने अपने रास्ते निकल गए. लेकिन एक बात मेरे दिल में थी कि भले ही मैं आज कुछ नहीं कर पाया लेकिन जब भी पुनः मौका मिलेगा मैं भाभी को जरूर हासिल करूँगा.
स्कूल चालू हो गया और मेरा इंतजार भी चालू हो गया कि कब दिवाली की छुटियाँ आएगी और मुझे मेरे घर जाने का मौका मिलेगा.
जैसे तैसे दिन बीत गए और मैं दिवाली की छुटियों के लिए अपने घर आ गया. आते ही मैं भाभी के घर चला गया जो मेरे घर के बगल में ही था. घर पर कोई नहीं था, उनके बच्चे अपने मामा के गाँव गए थे और पति काम पर गए थे.
बहुत देर तक हम बातें करते रहे लेकिन कोई भी बात हमारे बस के कारनामे के पास भी नहीं भटक रही थी और भाभी तो एकदम मासूम बनी थी जैसे कुछ भी नहीं हुआ था. और डर के मारे मैं भी कोई बात नहीं कर पा रहा था.
ऐसे ही बहुत दिन बीत गए, मैं रोज़ भाभी के घर पर जाता था जब उनके पति काम पर चले जाते थे.
एक दिन मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो, भाभी से पता करवा के रहूँगा कि उसके दिल में क्या है और उसको पटा के रहूँगा. बहुत देर मैं चुप ही बैठा था और भाभी अपनी धुन में कोई गाना गुनगुना रही थी.
आखिर मैंने चुप्पी तोड़ी और भाभी से पूछा- भाभी सच बात बताना! क्या उस रात हम जब बस से जा रहे थे, उस वक्त आप सच में सोई थी?
“क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
“नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था! बताओ ना!”
“मैं तो सोई थी, लेकिन ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
मैं जान गया कि भाभी जानबूझ कर अंज़ान बन रही थी.
“ऐसा हो ही नहीं सकता! क्या कोई औरत इतना कुछ होने तक कैसे सो सकती है? ”
“क्या हुआ था उस रात?”
“भाभी जी, आपको सब पता है कि क्या हुआ था! आप सब जान कर अनजान बन रही हैं!”
“आशीष तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा है!”
“भाभी जी उस रात जो भी मैंने किया, आपको सब पता है और आप जानबूझ कर अंज़ान बन रही हैं!”
अब भाभी जान चुकी थी कि मना करने से कुछ फायदा नहीं, सो वो बोली- आशीष उस रात जो भी हुआ वो सब गलती से हुआ होगा, मेरा इरादा तो कुछ भी नहीं था. तो तुम जो भी हुआ, उसे भूल जाओ, तुम अभी बहुत छोटे हो!”
“भाभी जी मैं इतना भी छोटा नहीं हूँ! आप जानती हो इस बात को! आपने हाथ में पकड़कर देखा था!”
“और अगर आपका इरादा गलत नहीं था तो आपने मुझे तब ही रोकना था! तब मैं इतना कुछ कर रहा था, तब तो आप बड़े मजे ले रही थी?”
“और मुझे जब आप की जरूरत है तब मुझे याद दिला रही हो कि मैं अभी छोटा हूँ?”
“उस रात बस में जब आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और आखिर मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी, तब मैं छोटा नहीं था?”
“देखो आशीष ऐसी बात मत करो! मैं मानती हूँ कि मेरी गलती है! मुझे माफ़ करो!”
“भाभी बस एक बार मेरी खातिर! वो गलती एक बार फिर करो ना!”
“मैं बहुत सपने लेकर आया हूँ! दिन-रात बस आपका ही ख्याल था! जाने कितनी रातों को सोया नहीं हूँ! मुझे बस एक बार वही सब करने दो जो उस रात हुआ! मैं आज के बाद कभी भी फिर कुछ नहीं मांगूगा!”
“आशीष मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन की हालत कैसी होगी, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ, मेरे बच्चे भी हैं! अगर किसी को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!”
“भाभी अगर आप मुझे एक बार के लिए हाँ नहीं करोगी तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी! मैं पागल हो जाऊँगा!”
“आशीष , मेरी बात को समझो! मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ!”
“भाभी, बस एक बार! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा! मैं दोबारा आपसे कुछ नहीं मांगूंगा!”
“ठीक है आशीष !”
मैंने भाभी के पास कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा, हाँ बोलने के सिवा! लेकिन वो मन से तैयार नहीं थी, यह बात मैं जान गया था, लेकिन मेरे लंड में जो आग लगी थी उसे मैं ही जानता था.
तो जैसे ही भाभी ने- ठीक है कहा, मैंने उनको बाहों में ले लिया.
“रुको आशीष , अभी नहीं! दोपहर में आ जाना! अभी कोई आ जायेगा तो मुसीबत होगी!”
मैं दोपहर में उनके घर पहुँच गया. घर पर कोई नहीं था, मेरे घर के अन्दर जाते ही भाभी घर के बाहर आ गई, थोड़ी देर बाहर ही रुक कर ‘कोई देख तो नहीं रहा’ इसका जायजा लिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद किया.
जैसे ही दरवाजा बंद किया मैंने लपक के उनको अपनी बाहों में लिया. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि मैंने अपने होंट उनके होंटों पर रख दिए और उनका मुँह बंद कर दिया.
“भाभी अब कुछ मत कहो! मैं जिस पल का इंतजार कर रहा था, वो अब आया है! इस पल को जीने दो मुझे!”
अब कमरे में मेरी गहरी सांसों के सिवा कोई आवाज नहीं थी. मैं पागलों की तरह भाभी को चूम रहा था और वो बस मेरा जोश देख कर हैरान होकर मुझे देख रही थी. भाभी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हो रही थी, वो तो बस पुतला बनकर खड़ी थी. लेकिन मैं जानता था कि यह ज्यादा देर नहीं चलेगा, वो भी मेरे साथ मजे लेंगी क्योंकि उस रात बस में वो भी तो गर्म हो गई थी.
तो मैं उनको चूमता ही जा रहा था और अब मेरे हाथों ने अपना काम चालू कर दिया था. मैं धीरे धीरे उनके मम्मे दबा रहा था.
क्या मम्मे थे उनके! आज दिन के उजाले में मुझे उनके दर्शन होने वाले थे.
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए.
अब वो बड़ी-बड़ी और गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके लिए मैं पागल हो गया था.
मैं एक हाथ से दबा रहा था और एक को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. मैं पूरे जोश में था क्योंकि मेरी पहली बार जो थी! मेरे जोश ने भाभी की वासना भी भड़कानी शुरु कर दी थी, उनकी सिसकारियाँ अब चालू हो गई थी और वो भी मुझे चूमने लगी थी.
मैं जोर जोर से उनकी चूची दबा रहा था और चूस रहा था. अब मेरा हाथ उनकी साड़ी खोलने लगा था और उनका हाथ मेरी ज़िप खोलने लगा था. अब मेरा लंड उनके हाथ में था और वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगी थी.
“भाभी धीरे कीजिये न! कहीं मेरा पानी न निकल जाये!”
इस दरमियान मैंने उनकी साड़ी खोल दी थी और पेंटी निकालकर उनको पूरा नंगी कर दिया था. अब ज्यादा देर खड़े रहकर कुछ नहीं किया जा सकता था सो हम उनके बेडरूम में आ गये.
मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और उनके पीछे बैठकर पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा. अब जो नशा उन पर चढ़ रहा था वो देखने लायक था.
वो मेरे बाल पकड़ कर नोच रही थी!
मैंने धीरे से एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा. वो पागल हो रही थी. धीरे से मैंने एक उंगली चूत के अंदर डाली और हिलाने लगा और एक हाथ से चूची दबाना चालू रखा.
धीरे से उनको लिटा कर मैं उनके ऊपर आ गया था और उनकी चूची को जोर से चूसने लगा था, वो पागल हो रही थी और मुझे जोरों से भींच रही थी.
“आशीष , वो करो ना! जो उस रात को किया था!”
वो चूत चाटने के लिए कह रही थी, पर शरमा कर बोल नहीं पा रही थी.
“क्यों भाभी भैया नहीं चाटते क्या?”
“अरे वो चाटते तो क्या कहना था! वो तो ठीक से मुझे दबाते भी नहीं! सिर्फ़ अपना लंड चुसवाते हैं और फिर खड़ा हो गया तो अन्दर घुसा के चोदना चालू कर देते हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं हूँ ना! आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा कि आप जिंदगी भर याद रखोगी!”
मैंने जैसे ही उनकी चूत चाटना चालू किया, वो तो मचलने लगी और सिसकने लगी. शायद उनको चूत चटवाने में बहुत ही मजा आ रहा था.
“भाभी क्या आप मेरा लंड मुँह में नहीं लोगी?”
“क्यों नहीं आशीष , जब उनका ले सकती हूँ तो तुम्हारा तो पूरा खा जाऊँगी! आखिर तुमने मुझे इतना सुख जो दिया है!”
मैं हैरान था, यह वही भाभी है जो थोड़ी देर पहले मुझसे चुदवाना नहीं चाह रही थी.
और फिर भाभी ने जो मेरा लंडा चूसना चालू किया! मैं आपको बता नहीं पाउँगा कि कितना मजा आ रहा था!
वो पूरी लगन से मुझे खुश करने में लगी थी.
अब 69 में आकर हम दोनों पूरा मजा उठा रहे थे.
“आशीष अब सहन नहीं हो रहा हैं! जल्दी कुछ करो!”
“ठीक है भाभी जी!”
मैं उनके दोनों पैरों के बीच बैठा गया और अपना लंड उनके हाथ में दिया. उन्होंने धीरे से मेरा लंड हिलाया और अपनी चूत पर रख दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था कि उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया.
“भाभी, बहुत जल्दी है क्या?”
“आशीष , तुम्हें क्या बताऊँ! तुमने तो मुझे पागल कर दिया है! बहुत माहिर हो गए हो! मुझे तो लगा था कि तुम अभी बच्चे हो.”
“भाभी इस बच्चे को आपने ही बड़ा बना दिया है, रोज़ रात को सपने में जो आपको चोदता था!”
और मैंने अपनी गाड़ी चालू कर दी. भाभी भी नीचे से कमर उठा उठा कर मजा ले रही थी.
“आशीष , जोर से करो ना! प्लीज!”
“हाँ भाभी जी, आप तो बहुत जल्दी में हो! पर मैं पूरा मजा लेना चाहता हूँ आपको तड़पाना चाहता हूँ!”
“आपने जो मुझे इतना तड़पाया है!”
मैं धीरे धीरे शॉट लगा रहा था और भाभी नीचे तड़प रही थी, मुझे कस के पकड़ रही थी और पागलों की तरह चूम रही थी.
“आशीष , तुम नीचे आ जाओ!”
अब मैं नीचे था और भाभी मेरे ऊपर थी. वो क्या जोरों से लंड को अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उनकी चूचियों को जोर से दबा रहा था और चूस रहा था.
“खा जाओ आशीष इनको! तुम्हारे भैया को इनकी जरूरत नहीं है शायद! वो तो शायद मुझसे उब गए हैं!”
“कोई बात नहीं भाभी! मैं इनका ख्याल रखूँगा!”
“आशीष …! मैं तो गई आशीष ! हऽऽस्सऽऽऽ!”
वो जल्दी से मेरे ऊपर से उठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उठकर उनकी चूत को सहलाने लगा था.
आशीष ! स्स्स्स ऽऽऽ!! हय! मैं गई आशीष आऽऽस्स!
और वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी थी.
“आशीष आज तुमने मुझे फिर अपनी नई नई शादी की याद दिला दी है!”
“भाभी आप तो खुश हो गई! लेकिन मेरा क्या? मैं तो अभी खाली नहीं हुआ हूँ!”
यह सुनते ही भाभी ने मेरा लंड चूसना चालू किया और ऐसा कमाल दिखाया कि…
“भाभी, मेरा निकलने वाला है! आप हट जाइये!”
“नहीं आशीष ! तुम आज मेरे मुँह में ही झड़ जाओ!”
“आऽऽअऽऽऽ! भाभी! मैं तो गया भाभी आऽऽस्स!”
भाभी ने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. भाभी मेरा पूरा वीर्य गटक गई थी और अभी भी मेरे लंड को चूसे जा रही थी…
“क्यों आशीष ? हो गए खाली?”
“हाँ भाभी! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया!”
“अरे यह क्या आशीष ? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है?”
“क्या मालूम भाभी! लेकिन मैं एक राऊँड और पूरा कर सकता हूँ!”
यह कह कर मैंने भाभी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा.
आगे की कहानी अगले भाग में!
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