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सबसे पहले मैं Antarvasna हिमांशु, हेल्लो कहूँगा लड़कियों, आंटियों, भाभियों को जो अपना समय निकाल कर अन्तर्वासना डॉट कॉम पर कहानियाँ पढ़ती हैं !
अब मैं शुरू करूँगा अपनी कहानी जिसने मुझे दिल्ली का एक मशहूर मालिश बॉय बना दिया।
बात पिछले साल की है जब मैं अपने मित्र सुरेश के यहाँ उसकी माँ से पढ़ने जाया करता था। सुरेश( नाम बदला हुआ है) ग्रेटर कैलाश में एक पोश सोसाइटी में रहता है! मैं और मेरा परिवार कालका जी में रहते हैं। सुरेश और मेरी दोस्ती स्कूल में हुई और अब हम कॉलेज में एक साथ पढ़ते हैं। सुरेश की माँ सुदेशना( नाम बदला हुआ है) की उम्र लगभग 40 साल की होगी। वह बहुत सुन्दर है और उसकी काया सिक्खनी औरत की तरह है भरी हुई ! जब भी मैं उनसे पढ़ने जाता था तो अपने आप को कभी उनकी तरफ ललचाई नज़रों से देखने को रोक नहीं पाता था। मैं अपने दोस्त की वजह से कुछ भी नहीं कह पाता था। पर मुझे ऐसा लगता था कि जैसे आंटी ने मुझे उन्हें देखते हुए देख लिया था।
बात उस दिन की है जब मैं घर में किसी काम के कारण कॉलेज नहीं जा पाया और उस दिन मैंने आंटी को उनके मोबाइल पर फ़ोन करके पूछा कि आज मैं छुट्टी पर हूँ, क्या मैं अभी पढ़ने आ सकता हूँ ?
आंटी ने मुझे बताया की वो बाज़ार में हैं और अभी शॉपिंग कर रही हैं। मैंने फ़ोन रख दिया। पाँच मिनट बाद मुझे मेरे मोबाइल पर फ़ोन आया कि मैं 30 मिनट में उनके घर पहुंचूँ ! मुझे कुछ अजीब लगा, आंटी ने कहा कि वो अभी अभी मार्केट पहुँची हैं और शॉपिंग कर रही हैं, और उन्होंने अपनी खरीदारी रद्द करके मुझे पढ़ना जरूरी समझा।
यह सब कुछ सोचता हुआ मैं उनके घर पहुंचा तो देखा कि आंटी दरवाज़े पर खड़ी हैं।
हेल्लो आंटी !
हेल्लो बेटा ! क्या बात है आज कॉलेज नहीं गए क्या ? सुरेश तो गया हुआ है।
आज घर पर कुछ काम था। क्या आप अभी मुझे पढ़ा पाएंगी?
हाँ हाँ ! अन्दर आओ !
आंटी ने पीले रंग की पारभासक साड़ी पहन रखी थी और उनका बदन चमक रहा था। यह सब देख कर मेरा मन कह उठा कि किसी तरह आज आंटी को छूने का मौका मिल जाए ! लेकिन मुझे क्या पता था कि छूना तो एक शुरुआत होगी एक बड़े काम की !
मुझे अन्दर बैठा कर आंटी रसोई में चाय और खाने का सामान लाने गई ! थोड़ी देर में रसोई से किसी के ज़मीन पर गिरने की आवाज़ आई तो मैं रसोई में पहुंचा तो देखा कि आंटी फर्श पर गिरी हुई हैं। आंटी दर्द से कराह रही थी और कह रही थी- कुछ करो बेटा ! मुझे दर्द हो रहा है !
मैं भाग कर डॉक्टर को फ़ोन करने लगा तो आंटी ने आवाज़ लगाई- मुझे उठा तो लो ज़मीन से !
फिर मैं आंटी को उठा कर उनके बेडरूम में ले गया और फिर डॉक्टर को फोन करने जाने लगा तो आंटी बोली- डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है ! मैं दवाई ले लूंगी, तुम स्टोर से ला दो !
मैं स्टोर से दवाई ले कर आया तो आंटी दर्द से कराह रही थी और कह रही थी- बेटा मेरे पैर दबा दो ! दर्द हो रहा है !
मैंने पैर दबाने शुरू किये तो कहने लगी- दर्द इससे नहीं जायेगा, तुम एक काम करो, तेल ले आओ और लगा दो !
मैं स्टोर से तेल ले कर आया तो देखा कि आंटी ने अपना पेटीकाट और साड़ी ऊपर कर रखी है और दर्द से आ ऽऽऽ ह !!!! कराह रही हैं।
वो बोली- ले आए हो तो लगा भी दो अब तेल !
मैंने पैर पर तेल लगाना शुरू किया तो आंटी अहाहहा करने लगी। धीरे धीरे मैंने देखा कि आंटी गरम हो रही हैं मैंने अपना हाथ पैरों से उनकी जांघ पर लगा दिया तो वो एक दम से कराही- आआह्ह्ह्ह!!
उनकी इस कराहट में दर्द नहीं ख़ुशी थी। मैं अपना काम करता रहा। धीरे-धीरे मैं मौका देख कर उनकी पैंटी को छू लेता। उनकी तरफ से कुछ आपत्ति न होने पर मैंने लगातार उनकी पैन्टी पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। उनका चेहरा लाल हो गया, उनकी आंखें बंद और मेरा लण्ड मेरी पैंट फाड़ कर बाहर आना चाहता था। मैं जानता था कि बस थोड़ा और इंतज़ार करना होगा मुझे और मंजिल करीब है !
अब मैंने उनकी पैन्टी के अन्दर हाथ डालना शुरू ही किया कि वो पलट गई और बोली- उतार दे इसे ! फ़ाड़ डाल ! बहुत दिनों की प्यासी हूँ मैं ! मसल डाल मुझे !
यह सुन कर मैं पहले तो थोड़ा घबरा गया फिर अपने आप तो सँभालते हुआ उनकी पैन्टी उतार कर उनकी योनि की मालिश करने लगा ! वो कराह रही थी- आआह्ह्ह्ह!!! उंहऽऽ आ !
उनका ब्लाऊज़ निकाल कर उनके वक्ष पर मालिश करना शुरू किया तो वो पागल हो गई कहने लगी- तेरी उँगलियों में तो जादू है रे !
मेरा एक हाथ उनका चुचूक मसल रहा था और दूसरा उनकी चूत में !
अब मैंने अपना लण्ड उनके हाथ में दिया और उससे देख वो पागल सी हो गई, बार-बार उसे जोर जोर से आगे पीछे करने लगी। उसका आकार देखकर कहने लगी- ऐसा तो मैंने फिल्मों में या पत्रिका में ही देखा है !
और यह कह कर लण्ड को अपने मुँह में ले लिया !
मेरे लण्ड की मालिश कर वो बोली- अब इस लौड़े से मेरी चूत फ़ाड़ दो !
मैं लण्ड डालने लगा तो चिल्लाई- रुको, पहले कण्डोम पहन लो !
मुझे कण्डोम पहनकर डालने के लिए जोर देने लगी !
अब मैं कंडोम पहन कर खड़ा हो गया और वो कुतिया की अवस्था में हो गई और बोली- डालो ! फ़ाड़ डालो आज इसे !
मैंने जैसे ही पहली बार अन्दर डाला तो वो चिल्ला पड़ी और बोली- थोड़ी धीरे धीरे ! इतना बड़ा और भारी लण्ड मैंने कभी अन्दर नहीं लिया !
आगे पीछे और ऊपर-नीचे होकर मैंने उन्हें मैंने दो बार चोदा। फिर सुरेश के आने का समय हो गया और मैं कपड़े पहन कर जाने की तैयारी करने ही लगा था कि वोह मेरे हाथ में दो हज़ार रुपए पकड़ा कर बोली- ये लो ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया !
तो मैंने कहा- आंटी, नहीं ! ये पैसे में नहीं ले सकता क्योंकि मैंने भी उतना ही आनन्द लिया जितना आपने !
उनके बहुत जोर देने पर मुझे पैसे रखने पड़ गए। आंटी ने मुझे होटों पर चूमा, मेरे लण्ड को बाहर से चूमते हुए मुझे गुड-बाय कहा !
एक वह दिन था और आज का दिन है। उस दिन के बाद मैंने आंटी तो कई बार चोदा, और यही नहीं उन्होंने मुझे अपनी कई सहेलियों से मिलवाया किटी पार्टी में और कभी होटल में !
और आज उस एक मालिश ने मुझे दिल्ली का एक मशहूर मालिश वाला बना दिया है। सबका यही कहना है कि तुम्हारी उँगलियों में तो जादू है, हाथ लगते ही ये किसी और दुनिया में ले जाती हैं ! Antarvasna
जीजाजी मेरे गांड़ पर अपना लंड रख Antarvasna लिया। अपने लंड में थोडा सरसों का तेल लगाया और मेरे बुर में भी थोड़ा डाला। वे गांड़ को एकदम लूज छोड़ देने को बोले। ऐसा लग रहा था कि वे बड़े चुदक्कड हैं। मैं तो आज सब कुछ सहने को तैयार थी। वे कहने लगे कि मैं धीरे से अंदर करूँगा, अधिक दुखे तो बोल देना। मैंने भी हाँ कह दी। दीदी फिर रूम में आ गई। वे मेरे गांड़ के उपर कुछ उनको देख कर कहने लगी, अरे तुम बहुत शैतान हो। उनको पहले गांड़ ही चाहिए। ये मेरे साथ भी ऐसा ही करते हैं। पहली बार तो थोडा दुखा था मगर उसके बाद तो मजा आने लगा है। आज तो तुम्हें सब कुछ सहना पड़ेगा। दीदी कह रही थी कि प्यार में तो सब कुछ चलता है। दीदी जीजाजी को कुछ इशारा करके रूम से फिर बाहर निकल गई। इस बार वह दरवाज़ा बाहर से बंद कर दी।
मैं तो थोडा डर गई। जीजाजी ने दीदी के जाते ही एकदम ज़ोर से धक्का लगा दिया। मैंने एक हाथ से उनका लंड पकड़ना चाहा मगर वे तो अपना पूरा लंड डाल चुके थे। मैं ज़ोर से चिल्लाई, दीदी बचा। जीजाजी ने मुझे मार दिया । मुझे अब नहीं चाहिए। मैं चिल्लाती रही मगर उन्होंने एक भी नही सुनी। वे और ज़ोर से ठेलते गाये। मेरी आँख से आँसू आते देख उन्होंने अपना लंड निकाल लिया तब जाकर मुझे राहत हुई। अब उन्होंने मुझे चित कर दिया। अपने लंड के सुपाड़ा उघार कर मेरे बुर पर रख दिया। मेरी दोनो चूचियां पकड़ कर चूसने लगे। अपने लंड के सुपाड़े से मेरे टिट को रगड़ रहे थे।
वे पक्के खिलाड़ी लग रहे थे मैंने उनकी कमर पकड़ ली। मुझे उनका पूरा लंड चाहिए था। मैं जीजाजी को अंदर ठेलने का ज़िद करने लगी मगर उन्हें अब कोई जल्दी नहीं लग रही थी। वे उठ कर फिर बाथरूम में चले गए, इस बार मुझे भी लेते गए। जीजाजी मेरी बुर में साबुन लगा कर अपने से धो दिए। तब मैंने भी उनका लंड धो दिया। अब हम दोनो फिर बेड पर आ गए। इस बार वे मेरे दोनो टांगो के बीच में बैठ गये। मेरे दोनो टाँगो को उठाकर अपने कंधो पर रखे। मुझे से अपना लड पकड़वाया ऑर अपने बुर के छेद पर रखने को बोले। मैंने भी वैसे ही किया। जीजाजी कह रहे थे कि अब मत रोना गांड़ इतना नहीं दुखेगा।
तब भी मुझे डर लग रहा था। उन्होंने पहले आधा ही अंदर किया और कुछ देर तक उतना डाल कर ही बाहर भीतर करते रहे। जीजाजी पुछने लगे बोलो मजा आ रहा है कि नहीं। मैं कुछ नहीं बोली और जीजाजी की कमर पकड़ कर अपने तरफ़ दबाने लगी। जीजाजी कहने लगे अच्छा तो अब लो मेरा पूरा लंड का मजा इतना कहकर जीजाजी ने कसकर धकका मारा और उनका पूरा लंड मेरे अंदर चला गया। ऐसा लगा कि उनका लंड छाती तक आ गया है। मैं ज़ोर से चिल्ला उठी। मैं जीजाजी को गाली देने लगी। कहने लगी तुम बहुत शैतान हो तुमने तो आज मुझे फाड़ ही डाला। मेरी गांड़ और बुर एक ही दिन में बरबाद करके रख दी। जीजा जी मुस्क़ुरा रहे थे।/
अब वे मेरे चूची को दबाने लगे और धक्के लगा कर चोदने लगे। अब मेरी टाँगो को नीचे रख दिया और एक चूची को मुख में डाल कर चूसने लगे। ज्यों ज्यों धक्का मार रहे थे मुझे अपना स्तन चुसवाने में और मजा आ रहा था। अब मेरे सब दर्द ग़ायब हो चुके थे। मैं बोल रही थी और ज़ोर से धक्के मारो मेरे अच्छे जीजाजी। आप सचमुच में मर्द हो। आज पहली बार ज़िंदगी का मजा आ रहा है फिर दीदी आ गई। उस समए हम दोनो मस्ती में थे। दीदी कहने लगी, अरे मुझे भूल गये क्या उसे अब थोड़ी जलन होने लगी थी। दीदी कहने लगी अब तो मुझे भी नहीं रहा जाता।
इतना सुनते ही जीजा जी मुझ पर से उतर गये और दीदी को मेरे साथ में ही पेट के बल लेटा दिए। जीजाजी दीदी को नंगे कर दिए। जीजाजी ने दीदी के गांड़ में थोड़ा थूक लगाया । दीदी ने अपने दोनो हाथों से अपनी गांड़ फैलाई। जीजाजी ने एक ही बार में अपना समूचा लंड दीदी के गांड़ में डाल दिया। दीदी को कोई दर्द होते नहीं दिखा। वह नीचे से कमर चला रही थी। जीजाजी कहने लगे देखो तुम्हारी दीदी कैसे चुदवा रही है मगर तुम चिंता मत करो, कुछ ही दिनों में तुम भी पक्की हो जाओगी। उसके बाद जीजाजी हम दोनो बहनो को बारी बारी से चोदने लगे। अंत में जीजाजी मेरे उपर चढ़ गये और कहने लगे कि आज अपना माल तुम्हारे ही अंदर डालुंगा। वे मेरे स्तन को फिर चूसने लगे और कच से पूरा लंड अंदर कर के ज़ोर से धक्का लगाने लगे।
मैं अब गिरने लगी थी। वे समझ गए और अपने दोनो हाथों से मेरी कमर कस कर पकड़ ली। मेरा चूची कस कर चूसने लगे। मैंने भी अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। मैं कह रही थी अरे मेरे राजा और ज़ोर से धक्के मारो और अंदर धकेलो, मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो। बीच बीच में दीदी जीजाजी को और धक्का मरने को उकसा रही थी। दीदी जीजाजी से कह रही थी आज मेरी बहन की प्यास बुझा दो। आज अपनी साली के जवानी को मसल दो। जीजाजी लास्ट बार धक्का मारे और मैं चिल्ला उठी। अरे बाप रे अब छोड़ दो। कुछ देर तक हम बिस्तर पर ही पड़े रहे। मैं दीदी और जीजाजी का शुक्रिया अदा कर रही थी। बेड पर देखा तो काफ़ी ख़ून के धब्बे थे। मेरे स्तन पर दाँतों के निशान बन गये थे।
दीदी जीजा जी के तरफ़ देख कर मुस्कुराने लगी। दीदी कह रही थी तुम्हारा सील भी आज तुम्हारे जीजाजी ने ही तोड़ी। मैं अपने जीजाजी का लंड पकड़ कर कहने लगी दीदी ये बहुत मजे का है। पहले दर्द देता है और फिर मजा। जीजाजी कह रहे थे साली तो आधी घर वाली होती है, इसलिए इसमें तुम्हारा अब बराबर का हक है। जब चाहो आ जाना, मेरा लंड तुम्हारी गांड और बुर के लिए हमेशा तैयार रहेगा। वे दीदी से कह रहे थे कि तुम्हारी बहन तो कमाल की चीज़ है। आज तो मुझे मजा आ गया। क्या मस्त जवानी है। सील तोड़ने में तो बहुत ज़ोर लगाना पड़ा। साली का माल तो बहुत ही टाईट है इसको लूज करने में बहुत दिन लगेगा। अभी मेरे दो बच्चे हैं। बच्चे पाकर मेरे पति भी काफ़ी ख़ुश रहते है। मैं अब उनको कोई शिकायत नहीं करती। मेरे पास काफ़ी संपत्ति है। मेरे दीदी के पास एक अच्छा मर्द। हम दोनो बहने एक दूसरे का ज़रूरत पूरा करते है और आनंद से रहते है। Antarvasna
हॉट कॉलेज गर्ल्स से कहानी में पढ़ें कि कैसे चूत चुदाई की प्यासी तीन सगी बहनों ने एक एक करके एक ही दिन में अपने टीचर से अपनी सीलबंद चूतें फटवा ली.
हैलो फ्रेंड्स … तीन सगी बहनों की एक लंड से चुदाई की कहानी में आपका स्वागत है.
हॉट कॉलेज गर्ल्स सेक्स कहानी के दूसरे भाग
प्रोफेसर ने कुंवारी लड़कियों की चूत फाड़ दी
में आपने अब तक पढ़ा था कि मीनाक्षी की चुत में आलोक का लंड घुसा हुआ था और मीनाक्षी दर्द से छटपटा रही थी.
अब आगे हॉट कॉलेज गर्ल्स सेक्स कहानी:
कुछ देर बाद मीनाक्षी का दर्द जाता रहा और वो लंड के मजे लेने लगी.
आलोक अभी भी सावधानी बरत रहा था कि कहीं मीनाक्षी को ज्यादा दर्द न हो इसलिए वो धीरे धीरे ही लंड चुत में आगे पीछे कर रहा था.
थोड़ी देर के बाद मीनाक्षी बेकरारी से बोली- क्या कर रहे हो? धीरे धीरे क्यों कर रहे हो … और जोर से चोदो मुझे, आने दो तुम्हारा पूरा लंड मेरी चूत में … मेरी चूत में अपना लंड जड़ तक पेल दो … और जोर जोर से धक्का मारो.
यह सुनते ही आलोक ने चुदाई फुल स्पीड से शुरू कर दिया और बोलने लगा- आह मेरी मीनाक्षी रानी, चुदाई कैसी लग रही है … चूत की आग बुझ रही है या नहीं?
मीनाक्षी नीचे से अपनी कमर उछालती हुई बोली- अभी बात मत करो … और मन लगा कर मेरी चूत चोदो. चुदाई के बाद जितनी चाहे बात कर लेना, अभी तुम मुझे अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत को खिलाओ. इस समय मेरी चूत बहुत भूखी है और उसको बस लंड की खुराक चाहिए.
आलोक और मीनाक्षी इस समय एक दूसरे को जोर से अपने हाथ और पैर से जकड़े हुए थे और दोनों फुल स्पीड से एक दूसरे को अपने अपने लंड और चूत से धक्का मार रहे थे.
पूरे कमरे में उनकी सिसकारियां और चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं.
मीनाक्षी की चूत बहुत पानी छोड़ रही थी और इसलिए उसकी चूत से आलोक के हर धक्के के साथ बहुत आवाज निकाल रही थी.
अचानक से मीनाक्षी बहुत जोरों से अपनी कमर उछालने लगी और वो एकदम से निढाल होकर बिस्तर पर अपने हाथ पैर फ़ैला कर ढीली पड़ गयी.
मीनाक्षी अब झड़ चुकी थी और उसमें और चुदने की हिम्मत नहीं बची थी.
आलोक ने भी मीनाक्षी के झड़ जाने के बाद जोरदार धक्के लगाए और मीनाक्षी की चूत के अपना पूरा लंड घुसेड़ कर उसके ऊपर ही गिर गया.
आलोक भी झड़ चुका था. अब वो मीनाक्षी के ऊपर आंख बंद करके लेटा था और हांफ रहा था.
थोड़ी देर के बाद आलोक ने अपना लंड मीनाक्षी की चूत से बाहर निकाला और लंड के बाहर निकलते ही मीनाक्षी की चूत से ढेर सारा सफ़ेद गाढ़ा गाढ़ा पानी निकलने लगा.
मीनाक्षी ने यह देख कर चूत में अपनी पैंटी खौंस दी और उठ कर बथरूम की तरफ़ चली गई.
अब तक प्रोफेसर आलोक काफी थक चुका था.
वो आज लगातार दो कुंवारी लड़कियों के साथ चुदाई कर चुका था.
उसने मन में कुछ सोचा कि अभी तो तीसरा माल भी बाकी है. एक बार इसकी सील और फाड़ दूँ … फिर ये तीनों बार बार चोदने के लिए मिलती रहेंगी.
अब आलोक ने अपना मुँह घुमा कर देखा कि सोनम और डिंपल आपस में व्यस्त थीं. सोनम डिंपल के चूचे उसकी ब्रा के ऊपर से ही दबा रही थी.
सोनम ने डिंपल की जींस और टी-शर्ट को उतार दिया था और अब डिंपल सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में थी.
डिंपल की चूचियां बहुत ही सेक्सी थीं. उसकी चूचियां बहुत बड़ी तो नहीं थीं … पर बहुत गठीली और गोल गोल थीं.
उसकी चूचियों के निप्पल इस समय बिल्कुल तन कर खड़े थे और कड़क हो गए थे.
डिंपल की एक निप्पल को सोनम ने अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
वो अपने एक हाथ को डिंपल की जांघों के बीच में घुमाने लगी.
कुछ ही देर में सोनम ने डिंपल की पैंटी भी उतार दी और लिटा कर अपना मुँह डिंपल की चूत पर रख दिया.
सोनम ने अपनी जीभ निकाल कर डिंपल की चूत के अन्दर कर दिया और किसी कुतिया की तरह अपनी बहन की चुत चाटने लगी.
इससे डिंपल इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि वो अपने हाथों से अपने दोनों निप्पलों को मसल रही थी.
यह सब देख कर आलोक के अन्दर वासना का ज्वर फिर से भरने लगा और चुदाई के लिए उसका लंड फिर से गर्म होने लगा.
वो उठ कर सोनम और डिंपल के पास पहुंच गया और दोनों बहनों की कामलीला को ध्यान से देखने लगा.
दोनों बहनों को मस्ती करते देखते हुए ही उसने अपना हाथ डिंपल की एक चूची पर रख दिया और निप्पल को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगा.
फिर उसने अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच निप्पल को मसलने लगा.
डिंपल आलोक की तरफ़ देखने लगी कि आलोक सर उसके बगल में नंगे खड़े हैं और उनका लंड अब गर्म होकर खड़ा होने लगा है.
उसने आलोक का लंड अपने हाथों में ले कर पूछा- क्या सर अब मुझको भी चोदेंगे?
आलोक ने पूछा- क्यों तुमको नहीं चुदवाना है?
शीरीन- हां सर, मैं भी अपनी बहनों की तरह अपनी चूत आपसे चुदवाना चाहती हूँ. प्लीज आप मुझे भी अपने लंड से चोदिए. लेकिन आपके लंड को क्या हो गया है … ये तो ढीला पड़ा है … क्या अब यह मेरी चूत में घुसने के काबिल नहीं रहा?
आलोक लड़कियों की चुदाई का पुराना खिलाड़ी था. उसने अपने लंड को हिलाते हुए कहा- घबराओ मत, अभी तुम्हें अपना लंड का कमाल दिखाता हूँ.
यह कह कर आलोक ने अपना लंड डिंपल के मुँह में दे दिया और बोला- लो मेरी जान … मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसो.
डिंपल भी उनके लंड को अपने मुँह में लेकर उस पर अपनी जीभ चलाने लगी और कभी उस पर अपने दांत गड़ाने लगी.
आलोक को डिंपल की लंड चुसाई से बहुत मज़ा आया और उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा.
उधर सोनम अपनी एक हाथ से डिंपल की चूत सहला रही थी और दूसरे हाथ से आलोक के गांड में अपनी उंगली पेल रही थी.
थोड़ी देर के बाद लंड चुसाई और गांड में सोनम की उंगली होने से आलोक का लंड पूरे जोश के साथ खड़ा हो गया और वो फिर से चुत चुदाई शुरू करने के लिए तैयार था.
आलोक ने अपना लंड डिंपल के मुँह से निकाला और उसके पैरों के बीच में बैठ गया.
उसने अपने दोनों हाथों से डिंपल की चूत को फ़ैलाया और उसके अन्दर अपनी जीभ डाल दी.
आलोक अपनी जीभ डिंपल की चूत के अन्दर-बाहर करने लगा और अपनी जीभ से चूत की अंदरूनी दीवारों के साथ खेलने लगा.
कभी कभी आलोक अपनी जीभ डिंपल की भगनासा को भी खींच कर चुभला रहा था और कभी कभी उस दाने को अपने दांतों के बीच पकड़ कर जोर जोर से खींचते हुए चूस रहा था.
डिंपल अब काफी बेचैन हो गई थी और अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत को आलोक के मुँह पर आगे पीछे कर रही थी.
आलोक समझ गया कि डिंपल की कुंवारी चूत अब लंड खने की लिए तैयार है.
अब आलोक का लंड भी पहले जैसा तगड़ा हो गया था और डिंपल की चूत में घुसने के लिए उतावला था.
आलोक ने अपनी जीभ को डिंपल की चूत से से बाहर निकाल लिया और पोजीशन बना कर उसकी चुत पर लंड टिका कर तैयार हो गया.
उसने पहले अपना सुपारा डिंपल की चूत पर रख कर एक हल्का सा धक्का दिया लेकिन डिंपल की चुत काफी कसी थी. वो इस जरा से धक्के से ही जोर से चिल्ला पड़ी.
आलोक का लंड डिंपल की छोटी चूत के हिसब से बहुत मोटा था और डिंपल की यह पहली चुत चुदाई थी.
डिंपल अपने हाथों से आलोक को रोक रही थी जिससे आलोक अपना लंड डिंपल की चूत में पेल नहीं पा रहा था.
उसने सोनम और मीनाक्षी से डिंपल के चूचों और चूत से खेलने को कहा जिससे डिंपल दर्द भूल जाए और आलोक के लंड को अपनी चूत में घुस जाने दे.
वो दोनों डिंपल की चूची और चुत से खेलने लगीं.
तब तक आलोक उठ कर नारियल के तेल का शीशी उठा लाया और उसने अपने लंड पर तेल को अच्छी तरह से मल लिया.
फिर उसने सोनम को हटा कर डिंपल की चूत पर भी तेल को अपनी उंगली में लेकर मल मल कर लगा दिया.
उसने चूत के अन्दर तक अपनी उंगली से घुमा घुमा कर तेल लगाया.
तेल लग जाने के बाद आलोक अपनी दो उंगलियों को डिंपल की चूत के अन्दर-बाहर करने लगा.
कभी कभी वो अपनी उंगली से उसकी चूत की घुंडी भी रगड़ देता था.
डिंपल की चूत अब पानी छोड़ रही थी और इससे उसकी चूत चुदाई के तैयार हो गयी.
आलोक फिर से डिंपल के पैरों को फ़ैला कर उनके बीच घुटनों के बल बैठ गया और डिंपल को समझाया कि अब कोई डरने की बात नहीं है. उसको तेल से कोई दर्द नहीं होगा.
उधर सोनम और मीनाक्षी डिंपल की एक एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं.
आलोक ने डिंपल के दोनों पैर हवा में उठा दिए और उसकी कमर को कस कर पकड़ लिया, जिससे कि फिर से वो छूटने की कोशिश ना कर सके.
अब आलोक ने फिर से डिंपल की चूत पर अपना लंड रखा और डिंपल को कुछ समझ आने के पहले ही एक जोरदार झटका लगा दिया.
डिंपल की चूत तेल और चूत से निकले पानी की वजह से काफी चिकनी हो गई थी जिससे आलोक का लंड एक ही झटके से पूरा का पूरा चुत के अन्दर घुसता चला गया.
इस अचानक हमले से तो डिंपल पहले चीखी और उसने आलोक को अपने ऊपर से हटाने के लिए धक्का मारा लेकिन इस बार आलोक की पकड़ बहुत ही मजबूत थी.
डिंपल कसमसा कर रह गई.
आलोक ने तभी अपनी कमर आगे पीछे करके अपना लंड डिंपल की चूत में पेलते हुए एडजस्ट करने लगा.
थोड़ी देर के दर्द और तकलीफ के बाद डिंपल को भी चुत चुदवाने में मज़ा आने लगा और अब वो अपनी कमर उठा उठा कर आलोक को चुदाई में सहयोग करने लगी.
आलोक और डिंपल दोनों एक दूसरे को ऊपर और नीचे से दनादन धक्के मार रहे थे और डिंपल की चूत में आलोक का लंड तेज़ी से आ-जा रहा था.
सोनम और मीनाक्षी अब डिंपल के पास से हट कर उन दोनों की ताबड़तोड़ होती चुदाई को देख रही थीं और एक दूसरे की चूत में उंगली कर रही थीं.
डिंपल और आलोक दोनों एक दूसरे से चूत और लंड के साथ जुड़े हुए थे.
बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद डिंपल की चूत से मलाई निकलने लगी तो आलोक ने अपनी चुदाई की स्पीड और तेज़ कर दी क्योंकि आलोक भी अब झड़ने वाला हो चला था.
उसने आखिरी के चार पांच धक्के जोरदार तरीके से डिंपल की चूत में लंड से मारे और वो डिंपल की चूत के अन्दर पूरा लंड पेल कर झड़ गया.
डिंपल भी अब तक झड़ चुकी थी.
आलोक का सारा पानी डिंपल की चूत में समा गया. दोनों हांफ़ रहे थे और एक दूसरे से चिपके पड़े थे.
कुछ पल बाद आलोक ने अपना लंड को डिंपल की चूत से निकाला तो चुत में से ढेर सारा पानी निकलने लगा.
सोनम और मीनाक्षी ने जल्दी से अपने अपने मुँह डिंपल की चूत पर लगा दिए और उससे निकल रहा आलोक और अपनी बहन की चूत के मिश्रित पानी को जीभ से चाट चाट कर पीने लगीं.
थोड़ी देर के बाद डिंपल ने अपनी आंखें खोलीं और मुस्कुरा कर आलोक से बोली- सर, आपके लंड से चुदवा कर बहुत मज़ा आया. आज हम तीनों बहनों ने आपसे अपनी अपनी चूत की सील तुड़वा कर ओपनिंग करवा ली. आपको किसकी चूत सबसे मस्त लगी और कौन सी बहन की चुत चोदने में आपको ज्यादा मज़ा आया … सच सच बताना.
आलोक ने डिंपल की चूची को मसलते हुए कहा- अरे ताजी ताजी चुदी हुई लड़कियो, मुझे तो तुम तीनों बहनों की चूत की बहुत मस्त लगी. हां तुम्हारी चूत बहुत टाईट थी और इसे खोलने में मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी, तेल भी लगाना पड़ा. लेकिन तुम तीनों बहनों ने आज दिल खोल कर अपनी अपनी चूत चुदवाई हैं. मुझे तो तुम सभी बहनों की चूत को चोदने में मज़ा आया.
इतना सुन कर तीनों बहनें मुस्कुरा दी और एक साथ बोलीं- अब फिर से हमारी चूत को आपके लंड का भोग कब मिलेगा? जल्दी से कोई दिन निकालिए और हमारे पिछवाड़े की ओपनिंग कर कर दीजिए. हम तीनों बहनें आपके लंड के धक्के अपनी अपनी चूत में खाने के लिए हाज़िर हो जाएंगी.
आलोक ने कुछ देर सोच कर कहा- ऐसा करो कि मैं रविवार को नई दिल्ली एक सेमीनार में चार-पांच दिन के लिए जा रहा हूँ. तुम तीनों बहनें अपने घर से परमीशन लेकर हमारे साथ दिल्ली चलो. मैं तुम सबको वहां रोज सुबह शाम और रात को वियाग्रा की गोली खा खाकर चोदूंगा और तुम्हारी चूतों को चोद चोद कर भोसड़ा बना डालूंगा. हां, वहां और भी लोग आएंगे … तुम लोग अगर चाहोगी तो तुम्हें और भी लंड अपनी चूतों में पिलवाने को मिल जाएंगे … और तुम तीनों बहनें मज़े से अपनी अपनी चूत को लम्बे और मोटे लंड से चुदवा सकती हो.
यह सुन कर तीनों बहनों ने आलोक के साथ दिल्ली जाने का प्रोगाम बना लिया.
चुदने के बाद तीनों बहनों ने अपने अपने कपड़े पहन लिए और आलोक ने सिर्फ एक लुंगी अपनी कमर पर बांध ली.
चुदाई के बाद आलोक ने उनको अपने हाथ से कॉफ़ी बनाई और नाश्ते के साथ दी.
फिर आलोक तीनों बहनों को बाहर छोड़ने गया.
बाहर जाने के पहले दरवाजे के पास आलोक ने उन तीनों को फिर से एक एक करके अपनी बांहों में लेकर उनको चुम्मा दिया और इन तीन बहनों की चूचियों को उनके कपड़ों के ऊपर से दबा दीं.
सोनम का मन नहीं भरा था तो उसने फिर से आलोक को अपनी बांहों में लेकर चूमा और फिर अपनी साड़ी उठा कर आलोक से अपनी चूत पर चुम्मा देने को कहा.
आलोक ने सोनम की चूत पर एक जोरदार चुम्मा दिया और उसको चूत की घुंडी को जीभ से चाट दिया.
मीनाक्षी और डिंपल अपनी चूत पर आलोक का चुम्मा नहीं ले सकीं क्योंकि वो सलवार और जींस पहनी हुई थीं. वो अपनी चूत चुसवाने के लिए नहीं खोल सकीं.
सोनम ने आलोक की लुंगी हटा कर उसके मोटे लंड का सुपारा खोल कर चूमा. सोनम की देखा देखी मीनाक्षी और डिंपल ने भी आलोक के लौड़े को चूमा और उसके सुपारे को मुँह में लेकर चूसा.
अब वो तीनों हॉट कॉलेज गर्ल्स अपनी अपनी चुदी हुई चूत में आलोक के लंड से निकला हुआ रस भरवाए हुए अपने घर चली गईं.
उनके जाते ही आलोक अपने कमरे में आकर सो गया.
वो बहुत थक चुका था.
उसको अब दिल्ली में इन तीनों बहनों की चुत चुदाई का अवसर मिलने वाला था.
आपको हॉट कॉलेज गर्ल्स चुदाई की कहानी कैसी लगी, प्लीज़ कमेंट्स के माध्यम से जरूर बताएं.
दुनिया की लगभग सभी जातियों में, सभी Hindi Porn Stories समाज में जब लड़के, लड़की सेक्स करने लायक हो जाते हैं तो उनकी शादी कर दी जाती है और ये शादी बहुत ही खुशी, गाजे बाजे और उत्साह से एवं धूमधाम से की जाती है।
यह तो निर्विवाद रूप से मान लेना चाहिए कि सेक्स का मनुष्य जीवन में बहुत महत्व है। इस कारण इस सेक्स की शुरुआत इतनी भव्यता से की जाती है।
मनुष्य जीवन क्या, अपितु इस संसार के सभी जीवों के लिए यह जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भगवान् ने इसको बनाया भी बहुत ही आनंद दायक है।
इसलिए सेक्स को हमेशा बहुत ही आरामदायक स्थिति में, प्रसन्न रहते हुए और मन व शरीर को सम्पूर्ण रूप से समर्पित करते हुए एवं पूर्ण समय देते हुए करना चाहिए।
यह सामर्थ्यवान है इसलिए सर पर चढ़ कर बोलता है, दिल और दिमाग को अति शीघ्र काबू में कर लेता है और सारे शरीर को तरंगित कर देता है।
यह शक्तिवान है इसलिए यदि यह अपूर्ण रह जाए तो मन को विक्षोभ से भर देता है और मन सारी वर्जनाएं तोड़ने को उतारू हो जाता है।
यह हर बार नयेपन का अहसास देता है, इसलिए इसको करने का बार बार मन करता है।
क्योंकि यह अति आनंद दायक है इसलिए सारी वर्जनायें टूट गई हैं, अब शादी के बाद ही सेक्स करना है – यह वर्जना टूटती जा रही है।
जिस किसी को सेक्स का अनुभव मिल सकता है वो कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता है।
यह इतना विस्तृत है कि सेक्स को करने के इतने तरीके है कि कोई पूरा नहीं कर सकता।
और इतना गूढ़ कि कोई यह नहीं कह सकता कि मैं इसका पूर्ण रूप से एक्सपर्ट हूँ।
इस कारण से ही सेक्स ने दुनिया में तहलका मचा रखा है।
इस दो इंच के खड्डे में पूरी दुनिया है।
इसको नमन, आख़िर ये ही हमारी जन्मस्थली भी तो है।
इस सेक्स पर कितने ही ग्रन्थ लिखे जा चुके हैं। जो इस के बारे में जानते हैं वो भी और जो नहीं जानते है वो भी, जो कुछ इस के बारे में लिखा जाए सब कुछ पढ़ने को तैयार रहते हैं।
तो लीजिये प्रकृति की इस महान कृति पर एक और रचना। आशा है आपको यह पसंद आएगी।
बात आज से लगभग २५ साल पुरानी है जब मेरी उम्र अट्ठारह साल रही होगी और मैं उस समय १२ वीं में पढ़ता था। मेरे पास साइंस थी इसलिए शरीर विज्ञान में रूचि भी बहुत थी, ख़ास तौर से लड़कियों के बारे मैं जानने की उत्सुकता बहुत ही ज्यादा थी।
पता नहीं क्यों लेकिन मुझको बचपन से लड़कियों से बात तक करने में बहुत डर लगता था। आज भी किसी लड़की से सीधे सीधे सेक्स के बारे में बात करनी हो तो मेरी गांड लुप लुप करने लगती है। जबरदस्ती करना तो बहुत दूर की बात है।
हमारे मकान की पहली मंजिल को किराये पर दिया हुआ था। और आंटी जी की उम्र लगभग ३३ साल की होगी। वो मेरे कंधे तक आती थी लेकिन शारीरिक गठन के कारण से मुझको बहुत आकर्षण महसूस होता था और इच्छा होती थी कि उनके साथ मैं सेक्स करू। लेकिन हिम्मत नहीं होती थी। हमारे मकान में सड़क वाली साइड में चारदीवारी के अन्दर बगीचा था।
एक दिन उन दोनों पति पत्नी को कहीं जाना था, सुबह लगभग १० बजे तैयार होकर वो अंकल से पहले नीचे आ गई। उन्होंने नहाने के बाद तैयार होते समय गर्दन से बोबों तक पाउडर लगा रखा था। जो दिख भी बहुत गहरा रहा था। तो मैंने आंटी जी को कह दिया कि आंटी जी इतना पाउडर लगा रखा है। तो उन्होंने मुझसे कहा कि तू ठीक कर दे। अब मेरे होश गुम होने की बारी थी और डर ये लग रहा था कि मेरे घर से किसी ने देख लिया तो मेरी खैर नहीं। सो मैं चुप हो गया।
हमारे मकान के दाईं साइड वाला मकान बना नहीं था। खाली जमीन ही पड़ी थी और मालिक कभी आकर देखता ही नहीं था। हम ही लगभग १० साल से तो उसको खाली ही देख रहे थे। उसमें हम हमारे घर का कचरा भी डाल देते थे। और बरसात में झाड़ झंखाड़ भी बहुत उग आए थे। एक दिन देखा कि उस जमीन में एक मियां बीवी झाडों की सफाई कर रहे हैं और एक घोड़ा-ठेली उनके गेट के पास खड़ी है। पता चला कि वो दूध वाले हैं और उन्होंने किराए पर लिया है। किराए पर लेने से पहले इन लोगों ने मालिक से कह कर बिजली पानी के कनेक्शन चालू करवा लिए थे। उस जमीन के बाद में जो अगला मकान था, उसकी बगल में २ छोटे छोटे झोपड़ी नुमा कमरे इस जमीन पर बने हुए थे और एक हौज जमीन पर बाहर की चारदीवारी के पास उन कमरों के बाद बना हुआ था। उसमे उन लोगों ने पानी भरा और दो दिन लगा कर सारी जमीन साफ़ कर दी। एक कमरे में रसोई बना ली और दूसरे को सोने के काम लेने लगे। फ़िर दो चार दिन बाद २ भैंसे और एक भैंसा ले आए। दूध वाले की औरत का नाम राधा था और वो सुंदर भी खूब थी। कमर लगभग २५ इंच। छरहरी और मेहनती। अब उसके पास आकर रहने से मन उस पर भी डोलने लगा।
जब भी जोर से सेक्स करने की इच्छा होती तो टॉयलेट में जाकर आंटी जी या राधा के सपने देखकर मुठ मारता।
अब एक और मुश्किल हो गई कि राधा के यहाँ जो भैंसा रखा गया था, अकसर आसपास से डेरी वाले अपनी भैंसे ला ला कर उनके भैंसे से चुदवा कर ले जाते थे। अनेकों बार जब स्कूल की। छुट्टी के बाद मैं घर पर होता तो जब भी ऐसा होता तो मैं कोमन बाउंड्री के पास, गैरेज के बाहर खड़े होकर देखा करता और भैंसे की किस्मत से इर्ष्या करता के मुझसे तो यही अच्छा, रोज रोज नई भैंस चोदने को मिल जाती है। भैंसे का लंड दूधवाला अपने हाथों से पकड़ कर भैंस की चूत में डालता था। और कभी जब दूधवाला नहीं होता तो राधा ये काम करती थी और फ़िर मुझको टॉयलेट में लंड को शांत करना पड़ता।
दूधवाला अक्सर चारे और कुछ और काम से अपने गाँव भी जाता रहता था तब राधा घर में अकेली होती थी।
ये गैरेज ही उन दिनों मैंने खुद के रहने और पढने के लिए चुन रखा था।
एक दिन आंटी जी ने मुझको आवाज देकर ऊपर आने को कहा, मैं उनके पास गया तो मुझसे बोली कि तू पड़ोस में क्या देखता रहता है। मुझसे कोई जवाब नहीं बन पडा। मैं बोला कुछ नहीं यूँ ही खड़ा रहता हूँ।
कुछ दिन निकल गए। मार्च की बात है। मैं अकेला सुबह १० बजे मेरे बगीचे में खड़ा था। अचानक ही नजर राधा के टैंक की तरफ़ गई तो धड़कन मेरे गले में बजने लगी, राधा ऊपर से बिना ब्लाउज बिना ब्रा के सिर्फ़ घाघरे में टैंक से लोटे से पानी ले कर नहा रही थी। मेरी नजरों ने आज तक ऐसा नजारा नहीं देखा था। मैंने चोर नजरों से फ़टाफ़ट मेरे घर और आसपास देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है ओर मेरी नजरें राधा के चिपक गई, राधा ने बिना मेरी ओर देखे नहाना जारी रखा। उसके जैसे बोबे तो मैंने आज तक कभी नहीं देखे। क्रिकेट की बॉल से जरा ही बड़े बिल्कुल गुम्बद की तरह गोल और तने हुए खड़े। दोनों पहाडों के बीच में तीन इंच के लगभग घाटी। मुझको मेरी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था। राधा ने बिल्कुल आराम से अपना काम निबटाया और ऊपर चोली पहनी और सूखा घाघरा गले से डालते हुए नीचे का गीला घाघरा खोल के गले से डाला हुआ घाघरा नीचे कर के बाँध लिया और अपने कमरे में चली गई।
मेरी हालत – लंड अकड़ कर सात इंच के डंडे में बदल चुका था। मुझको इस घटना के तुंरत बाद टॉयलेट जाना पड़ा और बहुत मुश्किल से उसकी अकड़न शांत हो पाई।
फ़िर दो चार दिन बाद ही मेरी दीदी की चिट्ठी आई थी उस को पढ़ रहा था कि आंटी जी भी आ गई और मेरी दांई बाजू की ओर खड़े होकर चिट्ठी देखने लगी फ़िर उन्होंने अपना हाथ मेरी बांह में दे कर मेरी कोहनी अपने बोबे से सटा ली। बोबों की नरमी और गर्मी से मेरे शरीर में झुरझुरी छूट गई और जो करेंट लगा तो लंड ने एक ही उछाल में ओलिम्पिक के सारे रिकोर्ड तोड़ दिए। मुझको लगा कि मैं भट्टी पर बैठ गया हूँ।
चिट्ठी के ख़त्म होने पर माँ ने आवाज लगाई तो आंटी जी मुझसे दूर हुई। आँटीजी के अलग होने पर मुझे तुंरत टॉयलेट जाना पड़ा, मेरे छोटे मुन्ने को शांत करने के लिए। माँ का बताया काम करके मैं ऊपर आंटी जी के पास गया भी और उनके पास खड़े होकर कुछ देर बात भी की। लेकिन उनको हाथ लगाने कि हिम्मत फ़िर भी नहीं हुई।
मैं बहुत चाहता था कि इन दोनों से या किसी एक से मेरे शारीरिक सम्बन्ध बन जाएँ तो मजे ही मजे हो जाएँ। लेकिन बहुत हिम्मत करने पर भी उनको ऊँगली तक लगाने की हिम्मत नहीं होती थी। ये जानते हुए भी कि वो राजी हो जाएँगी मेरी हिम्मत फिर भी नहीं होती थी।
फिर एक बार आँटीजी के पास खड़ा था कि उन्होंने मुझको कहा- आ ! तेरे को एक चीज दिखाऊं !
फिर उन्होंने मुझे अपने पापा की बनाई हुई दही मथने की मथनी दिखाई, और उसको चला कर दिखाते हुए उनका पल्लू नीचे सरक गया जिसको उन्होंने ठीक नहीं किया, अब उनके ब्लाउज में से उनके भरे हुए बोबे अपना जलवा दिखा रहे थे लेकिन फिर बात वो ही हुई कि मैंने अपने आपको जाने कैसे कंट्रोल किया, मेरी हिम्मत एक ऊँगली तक लगाने की नहीं हुई। अब वो खुद तो अपने कपड़े खोल कर मुझसे बोलने से रही कि आ मुझे चोद दे। इस दुनिया की साधारण रीत तो ये ही है कि लड़का पहल करे सेक्स के लिए। और अक्सर देखने में ये आता है, कि एक बार हिम्मत कर लो तो कामयाबी मिल ही जाती है। लेकिन हिम्मत ही तो नहीं होती है।
इस बात को लगभग दो हफ्ते बीत गए, आंटीजी और राधा अक्सर आपस में बातें किया करते थे, जैसा कि आमतौर पर औरतों में होता है।
एक दिन राधा ने अचानक से मां को बोला कि आज लालाजी (राजस्थान में देवर को लालाजी से संबोधित किया जाता है) को शाम को खाना मैं खिलाउंगी क्योंकि ये (उसके पति) तो बाहर गया, और मैंने आज मनौती मानी है (मुझे बाद में पता चला कि उसके बच्चे नहीं हुए तो मनौती मानी थी) । मां ने साधारण तौर से हाँ कर दी। तो राधा ने शाम को मुझे खेलते देख बोला कि लालाजी आज खाना मेरे यहाँ खा लेना, मैं मां को बोल चुकी हूं, बोलो, क्या सब्जी बनाऊं। मुझे आलू की सूखी सब्जी और दाल अच्छी लगती है सो मैंने बता दिया तो राधा ने बोला कि ठीक है, तुम आठ बजे खाना खाने आ जाना। वो समय था जब हमारी कालोनी निर्माण के दौर से गुजर रही थी। इसलिए ज्यादा आबादी नहीं थी। कई मकान बिना बने ही जमीन के रूप में पड़े थे।
रात को आठ बजे मैंने राधा को आवाज लगाईं – भाभी………
तो राधा ने मुझको कहा- लालाजी, रसोई में आ जाओ।
मैं रसोई में चला गया, वो चुनरी पहने हुई थी। जैसा कि राजस्थान में रिवाज है कि पूजा के टाइम चुनरी ओढ़ते हैं। मुझको आसन पर बिठाया, और बहुत ही मनोयोग से थाली सजा कर मेरे सामने रखी।
थाली में मेरी पसंद की दोनों सब्जी-दाल, अच्छे से छौंक कर बनाई हुई, एकदम गरम करारी फूली हुई चपाती – खूब घी से तर, और बर्फी थी। खाना खाया तो मजा आ गया, बहुत ही मन लगा कर बनाया हुआ खाना था। खाना खिला कर मेरी थाली उठा कर उसने खुद उसमें खाना खाया। मैं बहुत आश्चर्य से उसे देखने लगा, लेकिन वो इत्मीनान से खाना खा रही थी। खैर, खाना खा चुकी तो उठी, मुझे नमस्ते की और बोली – लालाजी अब तुम साढ़े नौ बजे दूध पीने आ जाना तो मेरी मनौती पूरी हो जायेगी।
मैंने सोचा कि मानी होगी कोई मनौती। तो मैंने हाँ कर दी। मैं रात को गैरेज में सोता था। इसलिए मुझको कोई ज्यादा परवाह भी नहीं थी कि रात को आने में कोई परेशानी होनी है। आबादी कम थी और टीवी उन दिनों होते नहीं थे, इसलिए अक्सर ही नौ-साढ़े नौ सोने का समय होता था।
रात को जब मुझे पढ़ते में ध्यान आया तो साढे नौ बज भी चुके थे, तो मैंने गैरेज से निकल कर कुण्डी लगाईं, और दीवार फांद कर उसके कमरे के बाहर हौले से आवाज लगाईं – भाभी… तो राधा ने कमरे का दरवाजा खोला और मुझे बोली आओ लालाजी, मैं अन्दर गया तो देखा उस आठ गुना दस के छोटे कमरे में एक और खाट लगा रखी थी। फिर बीच में दरवाजा और दूसरी और एक छोटी सी मेज थी। जिस पर कुछ सामान रखा था। खाट के पास तिपाई पर एक गिलास कटोरी से ढका हुआ रखा था। और दूसरी तिपाई पर टेबल फैन। ये ही थी उसकी छोटी सी लेकिन बहुत बड़ी दुनिया।
मेरे अन्दर आते ही राधा ने दरवाजा ढुका दिया मैंने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया और खाट की ओर इशारा करके बोली- बैठो लालाजी।
मैं खाट पर बैठ गया। राधा तिपाई की ओर गई तो मैंने सोचा दूध का गिलास उठाती होगी। फिर वो मेरी और घूमी और बोली- लो लालाजी आज तक ऐसा दूध कभी नहीं पिया होगा।
वो देखते ही मैं तो हक्का बक्का रह गया। राधा की चोली खुली हुई थी और उसमें से उसके शानदार बोबे निकले हुए थे जिसमें से एक के नीचे उसने एक हाथ लगा रखा था, सीधे मेरे मुँह के सामने वो बोबा कर के मेरा मुँह दूसरे हाथ से सीधा करके मेरे मुँह में दे दिया। मैं इतना हकबका गया था, कि कुछ देर तक तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है और मुझको अब क्या करना चाहिए। राधा ने अपना बैलेंस बनाने के लिए अपना एक पैर मेरे पैर से सटा हुआ जमीन पर और दूसरा पैर मेरे शरीर के बाजू में रख दिया। मैं उसके दोनों पैरों के बीच में आ गया।
राधा का दूसरा हाथ मेरे सर के पीछे आ गया और जो हाथ उसने अपने बोबे के नीचे लगा रखा था उस से मेरे गालों को बहुत प्यार से हौले हौले सहलाने लगी, और बोली, मेरे प्यारे लालाजी दूध पीना शुरू करो, देखो तो कितने प्यार से गरम किया है। खूब मलाई मारी है इसमें।
जिस के लिए मैं तरस रहा था वो सब मेरे साथ हो रहा था और मैं होश में नहीं था। मुझे गुमान भी नहीं था कि ये सब इस तरह से होगा और मेरी झोली में आ गिरेगा।
धीरे धीरे मैं संभला। राधा का जो पैर जमीन पर था। उस का घाघरा घुटनों तक चढ़ गया था, क्योंकि दूसरा पैर खाट पर था। मैंने अपना मुँह खोला और उसके बोबे की निप्पल मुँह में लेकर दूध पीने लगा। राधा के मुँह से सिसकारी निकलने लगी, वो बड़बड़ाने लगी- पीओ लालाजी पीओ ! जी भर के पीओ ! ये दूध बहुत दिनों से तुम्हारे लिए ही गरम कर के रखा है। ……………. आआआआआह….
आज मेरी आँखों के सामने उसके नहाने का सीन घूम रहा था, मैंने धीरे धीरे अपने हाथ उठाये और राधा का दूसरा बोबा अपने एक हाथ में पकड़ा जिसे छूने की हसरत बहुत दिनों से थी। और अपना दूसरा हाथ उसकी कमर में डाल दिया। मेरा पूरा शरीर उत्तेजना के मारे थरथरा रहा था। फिर मैं अपने को संभाल नहीं सका और मेरा धड़ धीरे धीरे खाट पर पसरने लगा और राधा को अपने ऊपर लिए दिए मैं खाट पर पसर गया।
मेरा मुँह राधा के बोबों में दब गया और मेरी सांस घुटने लगी तो मैंने अपना मुँह खोल के सांस ली, राधा अच्छी तरह से जान चुकी थी कि मैं सेक्स के मामले में निरा भोन्दू हूँ। इसलिए शर्म को उसने पूरी तरह से त्याग दिया वो अपने हाथो पर जोर डाल कर घुटने मोड़े मेरे लंड पर बैठ गई और खुद का घाघरा ऊँचा कर लिया फिर थोड़ा ऊँचा होकर, थोड़ा इधर उधर होकर मेरे पायजामे का नाडा खींच कर खोल दिया, फिर अंडरविअर में हाथ डाल कर लंड को पकड़ कर बाहर निकाल लिया, और मेरे कपडे थोड़ा सा नीचे सरका दिए। फिर अपने मुँह से थोड़ी सी लार निकाली और हाथ में लेकर मेरे लंड के सुपारे पर पोत दी। फिर लंड को खुद की चूत के मुँह पर रखकर मुझ पर पसरती चली गई।
मेरे लंड में मीठी मीठी टीस उठने लगी, जो इतने मजे में मैंने आराम से बर्दाश्त की। उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी। और उसकी जांघो तक से पानी टपक कर मेरे लंड के आसपास गिर रहा था, मैंने कहा- भाभी ! सु सु निकल रहा है शायद !
तो राधा बोली- मेरे भोले बालम, मेरे प्यारे देवर, यह चूत का रस है, इससे ही तुम्हारा छोटा मेरे अन्दर घुसा जा रहा है !
वो धीरे धीरे हिल कर पूरा लंड अन्दर ले गई, मेरा लंड अन्दर जाकर कहीं अड़ गया, तो उसके मुँह से जोर की सिसकारी निकली। मैं डर गया कि शायद दर्द हुआ होगा। तो राधा ने मेरा चेहरा देख कर बोला कि देवर जी डरो मत ना, तुम्हारा छोटा मेरे बच्चेदानी के मुँह पर लगा है, और मुझको बहुत आनंद मिला है। फिर उसने मेरे मुँह से खुद का मुँह जोड़ लिया और मेरे होंट और जीभ चूसने लगी।
अब मैं भी ताव में आने लगा था, मैंने अपनी बाहें उसके पीठ पर बाँध ली और उसको कस लिया उसके होंट ढीले पड़े और मुँह से आह निकली। मैंने आव देखा न ताव उसके मुँह पर जगह जगह से पप्पी ली, चूसा फिर उसके होंट अपने होंट में लेकर जोर जोर से चूसने लगा। वो मुझे देख कर मुस्कुराई और आँख मार कर अपने कूल्हे चलाने लगी, कोई २०-२५ बार में वो अकड़ी और फिर ढीली पड़ गई और मुझसे बोली- देवर जी अब ज़रा सा रुक जाओ।
मुझे पहली बार पता चला कि औरत को भी चुदने में आनंद मिलता है, वो भी झड़ती है।
फिर मुझसे रहा नहीं गया तो उसके तने हुए बोबे दबाता रहा। ज़रा सी देर में वो फिर गर्मी में आने लगी, और एक और को खिसक कर खाट पर मेरी करवट में आ गई और बोली- लाला अब तुम ऊपर आओ मेरा गीला छेद ढूंढो और अपना छोटा घुसा कर खुद का काम करो, और मेरा भी।
मुझे समझ नहीं आया कि उसका काम कैसे करना है, लेकिन मैं कुछ नहीं बोला, सोचा कि जरूरत पड़ी तो बाद में बोलूंगा और राधा पर चढ़ गया, उसका छेद ढूंढ कर लंड को लगाया और सोच ही रहा था कि इसको अन्दर डालने के लिए क्या करूँ तो राधा ने नीचे से खुद के कूल्हे ऊपर उठा लिए और लंड अपने रास्ते चला गया। गहरे अन्दर तक, वो फिर सी सी करने लगी, और मैं चालू हो गया, धक्के पर धक्के, जोर से फिर और भी जोर जोर से………… अचानक फिर राधा अकड़ी और ढीली पड़ गई, मैं चालू ही रहा फिर मेरे मुँह से आ आ, निकलने लगा तो राधा चौकन्नी हो गई, उसने अपनी टाँगे मेरी कमर पर लपेट ली और बोली- पूरा दम लगा कर धक्के मारो और जब माल निकले तो पूरी ताकत से दबा कर उसे मेरे अन्दर डाल दो।
मैंने ऐसा ही किया। हम दोनों पसीना पसीना हो चुके थे। फिर अचानक ही मुझे याद आया कि मैं कहाँ हूँ, पता नहीं तो किसी ने देखा होगा, या गैरेज में झांक ले, मुझे ना पाकर, मुझको ही कोई इधर उधर देखता हो…………..
मुझे घबराहट होने लगी, राधा बोली- देवर जी घबराओ मत ना, मैं हूँ ना, मैं कुछ भी बोल दूँगी, सब संभाल लूंगी।
फिर आले में रखी प्लेट लेकर मेरे सामने की, ढेर सी मलाई थी, उस में मिश्री डाली हुई थी, मैं ने एक बार खाई, फिर राधा के न न करते हुए भी उसको भी खिलाई, और मैंने भी खाई, फिर उसने गिलास उठा कर मेरे मुँह से लगा दिया, फिर खड़ी होकर मुझे ठीक से बिठाया और पैर छूकर बोली, देवर जी मुझे वरदान दो कि मेरी मनौती पूरी हो, मुझे बहुत शर्म आई लेकिन मेरे मुँह से निकल पड़ा- ऐसा ही हो।
राधा ने मेरे होंटो का चुम्बन लिया और दरवाजा खोल कर बाहर झाँका फिर मुझसे बोली – अच्छा होता कि तुम आज यहाँ ही सोते, लेकिन ज्यादा अच्छा है कि तुम खुद के कमरे में ही सोवो। किसी को शक नहीं होगा।
मैं चोर कदमों से गैरेज में आकर दरवाजा बंद कर के पलंग पर लेट गया, नींद का दूर दूर तक नाम भी न था। राधा के शरीर की खुशबू, उसकी गर्मी, उसकी नरमी के अहसास, उसके बोबे और अंग प्रत्यंग मेरी आँखों के सामने घूमते रहे, मेरा लंड अकड़ा ही रहा, जाने उस रात मैंने कितनी बार मुठ मारी लेकिन लंड ने नहीं बैठना था और वो नहीं बैठा। मेरा मन भरा ही नहीं था, औरत के शरीर को नापने देखने की हसरत मन की मन में थी, बस चुदाई पूरी हो गई थी।
मेरी मां सुबह साढ़े चार बजे उठ जाती है, और पास की जमीन से भी पॉँच बजे खटर पटर होने लगी, भैंसों की सार संभाल शुरू हो चुकी थी, मेरी बाहर निकलने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी, फिर भी जैसे तैसे करके छः बजे मैं उठा, भारी हाथों से दरवाजा खोला कि सामने राधा नजर आई। मेरी तो हिम्मत नहीं थी उससे नजरें मिलाने की, राधा हौले से मुस्कुराई, फिर अपने काम में लग गई।
मुझमे थोड़ी हिम्मत आई, फिर मैं लैट्रीन, ब्रश आदि से फारिग होकर बाहर दालान में आया तो ऊपर आंटीजी नजर आई जो राधा की और देख रही थी, जैसे ही राधा और आंटीजी की नजरें मिली, आंटीजी ने “क्या हुआ?” के रूप में गर्दन और आँखों की भोएं उठाई, राधा ने गर्दन को “हाँ” के रूप में हिला दी। ये सब रोज का सा काम था। मैंने कोई ध्यान नहीं दिया। अब मुझमे आम रोज की तरह का अहसास होने लगा था। बस रात का अहसास मन को गुदगुदा रहा था।
१० से थोड़ा पहले पिताजी और ऊपर वाले अंकल जी ऑफिस चले गए, मैं मां से कह ही रहा था, कि टंकी का पानी गर्म आने लगा है, अब पानी बाल्टी में भरकर थोड़ी देर रखना पड़ेगा। कि ऊपर से आंटीजी की आवाज आई – मुन्ना, ऊपर आकर नहा ले, यहाँ बाल्टी गुसलखाने में रखी है। मैं कपड़े लेकर ऊपर नहाने चला गया, तो आंटीजी बोली- जल्दी से नहा, फिर अपन नाश्ता करें !
मैंने सोचा कि नेकी और पूछ पूछ। जल्दी से नहाया – ठंडे पानी से मजा आ गया।
सारी रात नहीं सोने के कारण भूख बहुत जोरों से लगी थी, इसलिए मुझे नाश्ते की जोरो से याद आ रही थी, फ़टाफ़ट कपड़े डाले और बाहर निकल कर आंटीजी से बोला तो उन्होंने नाश्ता प्लेट में लगाया और गोल छोटी मेज को पलंग के पास सरकाकर मुझको बैठने को कहा और खुद भी मेरे पास बैठ गई, हम दोनों नाश्ता करने लगे गर्म पोहे और जलेबी।
अचानक ही आंटीजी ने पूछा- दूध पिएगा?
मैं चौंक गया, तो आंटी जी बोली- राधा के जैसा तो नहीं है लेकिन फिर भी अच्छा है………….
मेरी आँखों के सामने इनके और राधा की गर्दन के इशारे घूम गए,
फिर तो एक और बार कमरे का दरवाजा बंद हुआ, और एक मिनट में ही हम दोनों नंगधडंग होकर एक दूसरे से लिपट गए। दूसरा ही नाश्ता शुरू हो गया, आंटीजी के भरे हुए नरम बोबों का स्वाद भी कोई कम तो नहीं था। लेकिन हाँ राधा के जवान शरीर की गर्मी और कसावट मुझे याद आने लगी। हम दोनों ही बेताब होकर एक दूसरे को चूमने लगे, चूसने लगे, होंटो से होंट मिले फिर जीभे चूसी, फिर मैं उनके बोबे पीने लगा, वो ऊपर आ गई, जो कुछ रात को मैं नहीं देख पाया था अब सब कुछ स्पष्ट दिख रहा था, एक स्त्री का पूरा शरीर कैसा होता है, पूरा अहसास मेरे मन को तरंगित किये हुए था। मैंने उनके पूरे शरीर को सहलाया, कौन सा हिस्सा क्या अहसास देता है ये जाना, उसकी गर्मी नरमी जानी, रात का भौचाक्कापन कहीं पीछे छूट गया, और मैं बेशर्म होकर आंटीजी के पूरे शरीर को निहार रहा था, परख रहा था।
मैंने उनकी टाँगे चौड़ी करके उनकी चूत भी ठीक से देखी, लंड की अकड़न तो बस…………….
आंटीजी मेरे लंड से खेलती रही, मुझे जगह जगह से चूमती रही, फिर उन्होंने मुझे पलंग पर सीधा कर दिया और मुझ पर चढ़ कर मेरा लंड अपने चूत पर अड़ा कर धीरे धीरे कूल्हे पर दबाव डाल कर अन्दर लेती चली गई, मैंने भी नीचे से धीरे धीरे धक्के लगाए, लंड में मीठा मीठा दर्द था, बेचारा सारी रात परेशान रहा था और अब भी उसकी परेशानी का अंत नहीं हो रहा था।
मुझे एक लोकोक्ति याद आ गई कि ज्यादा अकड़ेगा तो मार खायेगा।
आंटी जी ने मेरे हाथ अपने बोबों पर रखने को बोला, और खुद का मुँह मेरी गर्दन पर लगा कर मेरी गर्दन चूसने लगी, बहुत ऊंचे वोल्ट के झटके मुझे लगने लगे, मुझसे सब कुछ बर्दाश्त बाहर होता लगा। मेरे मुँह से आहें और सिसकारी निकलने लगी, मैंने आंटीजी के बोबे भींच लिए, आंटी जी भी मजे और बोबों में हो रहे थोड़े दर्द से आहें और सिसकारी भरने लगी। फिर वो अकड़ने लगी और निढाल मेरे ऊपर पसर गई।
थोड़ी देर तो मैं आंटीजी के बोबे दबाता रहा और फिर अपने हाथ उनके बदन पर फिराने लगा।
उनमे चेतना आने लगी, फिर वो सक्रिय हो गई एक बार फिर चूमा चाटी का दौर शुरू हो गया, मेरा लंड अब भी आंटीजी की चूत में घुसा हुआ फुफकार मार रहा था। अब मैंने नीचे से धक्के पे धक्के लगाने शुरू किये और ऊपर से आंटीजी ने, दोनों के बदन टकराने पर फच फच की आवाज होती थी। जब मेरे झड़ने की बारी आई तो मेरे हाथो की कसावट थोड़ा ढीले होने लगी तो आंटीजी बोली कि बस थोड़ा सा और सब्र कर ले १०-५ धक्कों में मैं भी आई……………….. और बस…………………
अगले ४-५ दिन तो न रात और न दिन, न मैं सो पा रहा था और ना ही लंड को बैठने की फुर्सत मिल रही थी। मेरी भूख बढ़ रही थी और मेरे खाने की परवाह दोनों करती थी, मेरा बदन गदराने लगा। एक महीने में ६ किलो वजन बढ़ गया, और मेरा चेहरा चमकने लग गया। लेकिन फिर दोपहर में एक घंटा दोनों हमारे ऊपर मकान में एक साथ होती और हम लोग १-२-३ बार जितना हो सकता मजे करते। अब बाकी समय हम लोग चुदाई नहीं करते थे…………. मैं भी अब बाकी समय में अपनी पढ़ाई में जबरदस्ती मन लगाने लगा।
अचानक एक शाम को फिर राधा ने मुझको कहा- देवर जी, आज रात को दूध पीने आना !
अब यह सब मेरे लिए साधारण बात थी, सो जब रात को मैं दूध पीने गया तो कमरे में जाते ही राधा मेरे पैर छूकर मुझसे लिपट गई, आज फिर से मैं अकबकाया सा देख रहा था कि यह क्या हो रहा है, तो राधा बोली- मेरे प्यारे देवर, मेरी मन्नत पूरी हो गई, मेरे दिन चढ़ गए हैं और ये सब तुम्हारे वरदान के कारण हुआ है…………
मैंने सोचा- काहे का मेरा वरदान, भाभी यदि तूने ही आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं की होती तो मेरी मर्दानगी तो टॉयलेट में ही धरी रह जाती।
कुछ महीने बाद एक सुन्दर सा बेटा राधा के पास था। Hindi Porn Stories
रोशन और राम नये नये कॉलेज Antarvasna में आये थे और शहर में ही कॉलेज के पास उन्होंने एक कमरा किराये पर ले रखा था। जवानी का नया नया जोश भी था और वो जवानी का पूरा लुत्फ़ भी उठाना चाहते थे। उन्हें स्वतन्त्र माहौल मिल गया था। मां बाप का कोई डर नहीं, यहां कोई भी कुछ कहने वाला नहीं था। सबसे पहले उन्होंने लुत्फ़ शराब का उठाया। वे दोनों लगभग रोज शाम को एक आधी बोतल ले आते थे और पीते थे। कुछ दिनों के बाद उन्होंने एक सी डी की दुकान से ब्ल्यू फ़िल्म भी किराये पर लाना आरम्भ कर दिया था। एक दिन…
शाम के आठ बजे थे। नहा धो कर वे दोनों ही बोतल खोल कर पीने बैठ गये थे। टिफ़िन आ चुका था। राम ने टी वी खोल कर कर किराये पर लाई हुई सीडी प्लेयर पर लगा दी और दारू का दौर चलने लगा। ब्ल्यू फ़िल्म भी चल रही थी। एक के बाद एक चुदाई के सीन आने लगे थे। रोशन और राम पर भी रंग चढ़ने लगा।
‘भेनचोद अन्ग्रेज औरतें क्या मस्त होती हैं…’ गर्म होता हुआ बोला।
‘हाँ यार, साली की चूत तो देख… लगता है अभी चोद डालूं…!’ राम अपना लण्ड पजामे के ऊपर से मसलता हुआ बोला। रोशन ने राम को देखा, राम का लण्ड खड़ा हुआ था। उसे देख कर रोशन का लण्ड भी जोर मारने लगा। पहले तो वो शरमा कर लण्ड दबा रोशनरहा था, पर राम को देख कर वो भी अपना लण्ड को हल्के हाथों से उपर नीचे करने लगा।
– अन्ग्रेजों का लण्ड भी देख कितना मोटा और लम्बा होता है… अपना तो उनके सामने कुछ भी नहीं है। रोशन ने अपना लण्ड सहलाते हुए कहा।
‘तो क्या हुआ, लण्ड तो तेरा भी बहुत जोर मार रहा है ‘ राम ने उसके लण्ड को मसलता हुआ देख कर कहा।
‘अरे ! ये मादरचोद… लण्ड को कैसे चूस रही है… ! हाय मेरा लण्ड भी ये मां की लौड़ी चूस ले…! ‘ रोशन ने अपना लण्ड दबाते हुए कहा।
‘उसे मां चुदाने दे…तू कहे तो…तेरा मसल दूं?’ कहते हुए राम ने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया। रोशन एकबारगी सिहर गया। उसका हाथ हटाते हुए कहा- मत कर यार ! गुदगुदी होती है।
गुदगुदी तो होगी ही, पर मजा भी तो आता है, राम ने अपना हाथ लण्ड के पास रोशन के हाथ पर रख दिया और लण्ड पकड़ने की कोशिश करने लगा। पहले तो रोशन को अच्छा नहीं लगा, पर उसके हाथ की रगड़ से उसे मजा आने लगा। धीरे धीरे रोशन ने विरोध करना बंद कर दिया। अब लण्ड राम की गिरफ़्त में आ गया। पाजामे के ऊपर से ही वो लण्ड को सहलाने लगा। रोशन को मजा आने लगा। उसका लण्ड अब फ़ड़फ़डाने लगा।
राम, तेरा कैसा है?…लगता तो मस्त है! कैसे पजामे में से बाहर निकलने को बैचेन हो रहा है!’ रोशन ने अपना हाथ राम के लण्ड पर रख दिया और उसे दबा दिया। राम के मुख से आह निकल पड़ी। उसने कोई विरोध नहीं किया।
दोनो नशे में मदहोश थे। आंखें लाल हो चुकी थी। दोनों धीरे धीरे पास आने लगे और एक दूसरे को नशीली निगाहों से देखने लगे। रोशन के पाजामे का नाड़ा खुल चुका था। राम ने रोशन का लण्ड बाहर निकाल लिया। पास में देसी घी का डब्बा पड़ा था, राम ने उसमें से थोड़ा सा घी निकाल कर रोशन के लण्ड पर मल दिया और उसे चिकना कर दिया।
अब चिकने लण्ड पर मुठ मारने में राम को भी आनन्द आने लगा था। रोशन भी आहें भरने लगा था। अचानक राम ने रोशन को चूम लिया और चूमते हुए उसके होंठों तक आ गया। रोशन भी अपना आपा खो बैठा और और उसके होंठो से अपने होंठ मिला दिये और एक दूसरे को चूमने लगे।
– रोशन, आई लव यू…यार !
– राम, चूमते रह, मजा आ रहा है ! इतने दिन तक तू कहाँ था भोसड़ी के?
– मुठ मारने में कितना मजा रहा है, रस निकाल दे मेरे लौड़े का !
– हाँ रे ! बहुत मजा आ रहा है… और घिस दे यार…माँ चोद दे मेरे लण्ड की !’ दोनो के पजामे उतर चुके थे। लण्ड की घिसाई चल रही थी। दोनों के लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहे थे। मुठ अब जोर जोर से मार रहे थे। अचानक राम ने रोशन को जोर का धक्का दिया और वहीं चित लेटा दिया और उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से सुपाड़े को चूसने लगा। रोशन तड़प उठा और राम को खींचने लगा। राम ने इशारा समझा और 69 पोजिशन में आकर अपना लन्ड उसके मुँह में डाल दिया।
दोनो तरफ़ से कस कर लण्ड की चुसाई हो रही थी। इतने में रोशन का शरीर कसमसाया और उसके लण्ड ने लावा उगल दिया। राम ने तुरन्त मुँह हटा दिया और हाथ में वीर्य भर लिया। पर साथ में उसका लण्ड मसलता ही रहा। उसके लण्ड के आस पास उसका वीर्य फ़ैल गया था। इतने में राम भी छूट गया और रोशन का मुख वीर्य से भर उठा।
रोशन ने वीर्य को मुख से निकाल दिया और गले के पास से बहता हुआ नीचे बिस्तर पर गिरने लगा। दोनों ही झड़ चुके थे। ब्ल्यू फ़िल्म पर किसी का भी ध्यान नहीं था। पास में पड़ा तौलिया उठा कर दोनों ने अपने लण्ड और मुख साफ़ किये और नंगे ही बैठ गये। माहौल गर्म हो गया था। उन दोनों ने अब अपनी बनियान भी उतार कर मरजात नंगे हो गये थे। पंखे की हवा उनके शरीर को सहला रही थी। दोनों के जवान चिकने शरीर और उनकी कसी हुई मसल्स उभरी हुई दिख रही थी।
– मजा आ रहा है ना राम…
-हाँ यार, इसमें इतना मजा आता है मुझे तो पता ही नहीं था।
-देख घी लगा कर कितना चिकना लग रहा है तेरा लण्ड, रोशन।
– तू भी लगा ले यार…चल मैं लगा देता हूँ…
रोशन घी निकाल कर राम के लन्ड पर मलने लगा। राम का लण्ड फिर से तन्ना उठा। राम ने रोशन का लण्ड फिर से पकड़ लिया। दोनो फिर से झूम उठे। दोनों एक बार फिर एक दूसरे का मुठ मारने लगे।
अचानक राम बोला- रोशन मेरी गाण्ड में खुजली होने लगी है, शान्त कर दे यार ! राम ने अपनी गाण्ड रोशन की तरफ़ करते कहा।
रोशन ने घी के डब्बे में से घी निकाल कर उसकी गाण्ड के छेद पर लगाया और घिसने लगा। राम के मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
‘रोशन यार पेल दे लौड़ा गाण्ड में, मजा आ जायेगा !
– सच ! पेल दूँ क्या?
राम घोड़ा बन गया। रोशन ने अपना कड़कता लण्ड उसकी गाण्ड की छेद पर रख दिया। उसकी चिकनी मस्कुलर गाण्ड पर हाथ फ़ेरा और लण्ड गाण्ड के फ़ूल पर दबाने लगा। छेद चिकना था, लण्ड अन्दर घुस पड़ा।
-मजा आ गया रोशन, चोद डाल साली हरामी गाण्ड को। रोशन ने जोर लगाया और लन्ड घी की सहायता से अन्दर घुसने लगा।
राम दर्द से भरे स्वर में बोला- तेरी तो टाईट गाण्ड है… मेरे तो लण्ड की भी मां चुद जायेगी यार, कहीं छिल ना जाये?
-हाय रे, रोशन, दर्द होता है, पर पेल दे लण्ड, इस की तो मां दी फ़ुद्दी।
रोशन ने लण्ड बाहर निकाल कर फिर से अन्दर पेल दिया। और अब धक्के चल निकले। राम की गाण्ड चुदने लगी। रोशन का लौड़ा फूलने लगा और कड़कने लगा। राम को भी अब दर्द कम हो रहा था। पर उसे गाण्ड मराने में मजा आ रहा था। राम का लण्ड भी नीचे फ़ुफ़कारे भर रहा था, लन्ड नीचे लटकता हुआ फ़ड़क रहा था। कुछ ही देर में रोशन का वीर्य छूट पड़ा और राम की गान्ड में भरने लगा। रोशन झड़ चुका था।
अब दोनों ने अपना पोज बदला और राम का कड़कता लण्ड रोशन की गाण्ड में टिका था। रोशन की गाण्ड टाईट नहीं थी, फिर देसी घी का असर, लण्ड फ़क से रोशन गाण्ड में घुस गया, रोशन एक बार तो दर्द से कराह उठा पर सम्भल गया।
राम अपना लण्ड रोशन की गाण्ड में पेलने लगा। रोशन गान्ड चुदाई को एन्जोय कर रहा था। वो धीरे से नीचे पांव पसार कर पेट के बल लेट गया और अपनी आन्खे बंद कर ली और गाण्ड मराने क भरपूर आनन्द लेने लगा।
राम रोशन की पीठ पर लिपट कर लण्ड पेल रहा था। गाण्ड के फ़ूल की चमड़ी लण्ड के साथ साथ बाहर निकल रही थी और अन्दर जा रही थी। दोनों के चिकने शरीर एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे।
अचानक राम के लण्ड ने पिचकारी छोड दी और वीर्य निकल पड़ा। राम हाय कह कर रोशन की पीठ से चिपक गया और वीर्य रोशन की गान्ड में भरने लगा। राम अब पूरा झड़ चुका था। उसका लण्ड अपने आप बाहर आ गया था। अब राम और रोशन आराम से बैठ गये। उन्होंने शराब का अन्तिम जाम बनाया और आज के मजे के नाम पर चीअर्स करके पीने लगे।
आज दोनों जवानी का पूरा लुत्फ़ उठा कर सन्तुष्ट थे। जाम समाप्त हो चुका था और अब टिफ़िन की तैयारी हो रही थी।
वो दोनों इस बात से अन्जान थे कि उन्हें किसी जगह से मेरी दो आंखें उन्हें ये सब करते हुए देख रही थी। इस दौरान मैं दो बार अपनी भोसड़ी में अंगुली डाल कर रस निकाल चुकी थी।… हमेशा की तरह मैं उन दोनों से चुदने का कोई बढ़िया प्लान बना रही थी… उन्हें अपने चक्कर में लेकर दो दो लण्ड का मजा लेने का प्लान। Antarvasna
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