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इस धरती पर शायद Hindi Porn Stories ही ऐसा कोई पुरुष होगा जिसे अपना लंड चुसवाना अच्छा नहीं लगता होगा। ज़्यादातर लोग इसकी कामना ही करके रह जाते हैं क्योंकि उनकी पत्नी या प्रेमिका इस क्रिया में दिलचस्पी नहीं रखतीं। कुछ लड़कियाँ इसे गन्दा समझती हैं और कई ऐसी हैं जिन्हें पता नहीं कि क्या करना होता है।
सबसे ज़रूरी जानने योग्य बात तो यह है कि लंड चूसना एक सुरक्षित क्रिया है जिससे लड़की को कोई भय नहीं होना चाहिए। लंड चूसने से वह गर्भ धारण नहीं कर सकती और अगर वह कुंवारी है तो अपने कुंवारेपन को कायम रखते हुए अपने प्रेमी को अद्भुत आनन्द प्रदान कर सकती है।
पुरुष के लिए यह सम्भोग के समान आनन्द-दायक क्रिया होती है। अगर उसकी प्रेमिका प्यार से उसका लंड चूसती रहे तो उसे सम्भोग की कमी महसूस नहीं होगी। उधर लड़की को भी इसक्रिया में बहुत आनन्द आ सकता है बशर्ते उसे सही तरीका आता हो और उसके मन में इस क्रिया के प्रति कोई गलत धारणाएँ ना हों।
इस लेख के द्वारा मैं लड़कियों के लिए लंड चूसने और लड़कों के लिए लंड चुसवाने की सही विधि बताऊँगा जिससे आप इस अति-सुखदायक क्रिया का पूरा आनन्द उठा सकेंगे।
इस क्रिया में ज्यादा सक्रिय भूमिका लड़की की होती है और लड़के को आनन्द उठाने के अलावा कुछ ज्यादा नहीं करना होता। ठीक इसी प्रकार चूत चुसवाने की क्रिया भी होती है जिसमे लड़का क्रियाशील होता है और लड़की सिर्फ आनन्द उठाती है। चूत चुसवाने और चूसने की विधि अगले लेख में प्रस्तुत करूंगा।
तैयारी- पुरुष की
लंड चुसवाने के लिए यह अत्यंत ज़रूरी है कि लंड और उसके आस-पास का इलाका एकदम साफ़-सुथरा होना चाहिए। यह हर पुरुष की ज़िम्मेदारी है कि अपने लिंग को हर समय साफ़ रखे, ख़ास तौर से यौन-संसर्ग के समय। यह उस समय और भी ज़रूरी हो जाता है जब अपने लिंग को किसी के मुँह में डालने की उम्मीद रखते हों। लंड सफाई को एक मजेदार रूप दिया जा सकता है अगर आप के पास बाथरूम की सहूलियत है या तो अपने लिंग को आप खुद पानी से धो कर साफ़ कर सकते हो या आपकी प्रेमिका यह कर सकती है। वैसे भी मैथुन से पहले साथ-साथ स्नान करना बहुत अच्छा रहता है। स्नान के दौरान एक दूसरे के शरीर के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं और सम्भोग के लिए उत्तेजना पैदा कर सकते हैं। साथ-साथ स्नान एक बहुत ही मज़ेदार रति-क्रिया हो सकती है।
लिंग साफ़ करते वक़्त लंड के सुपारे की ऊपरी परत को अच्छे से खोल कर साफ़ करें और नाभि से नीचे तथा जाँघों से ऊपर के सभी हिस्से साफ़ कर लें। ख़ास तौर से चूतड़ और गांड के छेद को भी धो लें। लड़की को लंड चूसते वक़्त तुम्हारी निम्न शरीर की कोई दुर्गंध नहीं आनी चाहिए। अगर पहली बार में दुर्गंध आएगी तो वह दुबारा कभी लंड चूसने के लिए राज़ी नहीं होगी।
बेहतर होगा अगर लड़के अपने जघन के बालों (अंडकोष के आस-पास के बाल) को क़तर के थोड़ा छोटा कर लें। यह ज़रूरी नहीं है लेकिन ऐसा करने से लड़की को सहूलियत होगी। ध्यान रखें कि बाल ज्यादा छोटे नहीं काटें नहीं तो लड़की के मुँह में चुभेंगे।
तैयारी- लड़की की
पहली बार लंड चूसने के लिए सबसे महत्वपूर्ण तैयारी मानसिक होती है जिसमें लंड के प्रति गलत धारणाओं को मन से निकालना होगा। लंड अगर साफ़ सुथरा हो तो एक अत्यंत प्यारा और रोचक अंग होता है। किसी भी आदमी के लंड के कई रूप होते हैं और यह अलग अलग अवस्थाओं में अपना रूप, आकार और माप बदलता रहता है। यह छोटा और बड़ा हो सकता है, सख्त या मुलायम हो सकता है और लचीला या कठोर हो सकता है। लंड अपना रूप अपने आप बदलता है और इसमें पुरुष की मर्ज़ी नहीं चलती। अच्छा ही है क्योंकि अगर पुरुष अपनी मर्ज़ी से अपने लंड को खडा कर पाता तो लड़कियों के लिए जीवन दूभर हो जाता।
साफ़ सुथरे लंड में कोई दुर्गंध नहीं होती और चूत के मुक़ाबले इसमें से कोई द्रव्य नहीं रिसता जब तक वह वीर्य नहीं उगलता।
लड़कियों को यह भी पता होना चाहिए कि जब एक लंड उत्तेजित हो जाता है (यानि खड़ा हो जाता है) तो उसकी पेशाब की नली बंद हो जाती है और वह मूत्र नहीं कर सकता। कहने का मतलब कि वह तुम्हारे मुँह में पेशाब नहीं कर सकता। उत्तेजना के बाद जब लंड शिथिल पड़ जाता है तो भी पेशाब करने के लिए कुछ समय लगता है। तो यह डर भी लड़कियों को नहीं होना चाहिए।
मानसिक तौर से लड़कियों को लंड से प्यार करना चाहिए क्योंकि शरीर के दूसरे अंगों की माफ़िक़ इसको भी चूमा और चूसा जा सकता है। बहुत सी लड़कियाँ तो लंड चूसने में बहुत मजा लेती हैं। मानसिक तैयारी के अलावा कोई ख़ास तैयारी लड़कियों को नहीं करनी होती। अगर तुम चाहो तो एक अभ्यास कर सकती हो जिससे उत्तेजित लंड को पूरा चूसने में कठिनाई नहीं होगी।
मुँह का अभ्यास
इस अभ्यास का उद्देश्य धीरे धीरे अपने मुँह के आकार को बड़ा करना है जिससे एक पूरा मर्दाना लंड तुम्हारे मुँह में समा जाये और तुम्हें दम घुटने या सांस रुकने की समस्या ना हो। इसके लिए तुम्हें कुछ समय तक अभ्यास करना होगा क्योंकि यह योग्यता अचानक नहीं आ सकती। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम अभी से लंड नहीं चूस सकती हो। लंड तो चूस सकती हो लेकिन इसमें महारत हासिल करने के लिए मुँह और गले को इस काबिल बनाना होगा कि 5-7 इंच का तना हुआ लंड मुँह में निगल सको। यह लंड चूसने की उन्नत स्थिति है और हर लड़की को इसे पाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इस कला को पाने के बाद तुम किसी भी मर्द को अपने वश में आसानी से कर सकती हो।
इसके लिए तुम्हें क्रमशः बढ़ते हुए आकार के ऐसे फल या सब्जियाँ चाहिएँ जिन्हें तुम मुँह में ले सकती हो। इनमें केला, खीरा, ककड़ी, लम्बे बैंगन इत्यादि उचित हैं। शुरू में छोटे आकार के फल इस्तेमाल करें और धीरे धीरे एक विकसित लंड के आकार से थोड़े बड़े आकार के फल के साथ अभ्यास करें।
अभ्यास करने के लिए जीभ को बाहर रखते हुए फल को मुँह के जितना अन्दर डाल सकती हो डाल कर अन्दर-बाहर करो। जब एक आकार के फल के साथ मुँह की क्षमता हासिल हो जाए तो उससे थोड़े बड़े आकार के फल के साथ अभ्यास करो। शुरू में मुश्किल होगी लेकिन धीरे-धीरे मुँह आदि हो जायेगा और 6-7 इंच लम्बे और 2-3 इंच चौड़े आकार के केले या खीरे अपने मुँह में ले पाओगी। जब ऐसा हो जाये तो तुम्हारा अभ्यास पूरा हो गया है और तुम अपने आदमी को अपने अधीन करने के लिए तैयार हो। ध्यान में रखने वाली बात यह है कि हमारी जीभ हमारे मुँह में काफी जगह ले लेती है।इसे जितना बाहर रखा जाये तो मुँह में लंड के लिए उतनी ज्यादा जगह बनेगी और लंड उतना ज्यादा अन्दर लिया जा सकता है।
लंड चूसने के लिए आसन
लण्ड चूसने के लिए कुछ सामान्य आसन इस प्रकार हैं। जब थोड़ा सामर्थ्य आ जाये तो अपनी मर्ज़ी से नए नए आसन बना सकते हो।
1- लड़का खड़ा हो और लड़की घुटने के बल बैठ कर लंड मुँह में ले।
2- लड़का बिस्तर पर लेटा हो और लड़की उसके पाँव की तरफ बैठी हो और आगे झुक कर लंड मुँह में ले।
3- लड़का बिस्तर पर लेटा हो और लड़की उसके सीने पर उसकी तरफ पीठ करके बैठी हो।
4- लड़की बिस्तर पर लेटी हो और लड़का ऊपर से आ कर उसके मुँह को लंड से चोदने की स्थिति में हो।
5- लड़का लड़की दोनों लेटे हों और दोनों के गुप्तांग परस्पर एक-दूसरे के मुँह के पास हों। (69 अवस्था)
पहली पहली बार लंड चूसने के लिए बताया गया दूसरा या तीसरा आसन बेहतर रहेगा क्योंकि इसमें लड़की अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ कार्यवाही कर सकती है। पहले और चौथे आसनों में लड़का आक्रामक हो सकता है। अतः इसे थोड़े अभ्यास के बाद और भरोसे वाले लड़के के साथ ही करना चाहिए। पाँचवा आसन तब ग्रहण करना चाहिए जब दोनों परस्पर एक-दूसरे के गुप्तांग चूसना चाहते हों।
लंड से जान-पहचान
अगर तुम लंड को पहली बार इतना नज़दीक से देख रही हो या पहली बार छू रही हो तो इसे बेझिझक हाथ में लेकर इसका निरीक्षण करो। उसको हर तरफ से उठा कर और घुमा कर देखो। अगर लंड खता हुआ नहीं है (कई पुरुषों की शिश्न-मुण्ड के ऊपर की त्वचा कटी होती है, इसे ही खता हुआ कहते हैं) तो उसके सुपारे के ऊपर की चमड़ी पीछे खींच कर सुपारे को उघाड़ कर देखो। सुपारे के शीर्ष पर एक छेद होगा जिसमें से वीर्य और पेशाब दोनों निकलते हैं पर एक समय पर सिर्फ एक ही निकल सकता है। जब लंड खड़ा होता है तो पेशाब नहीं निकल सकता और जब शिथिल होता है तो आम तौर पर वीर्य नहीं निकलता।
लंड का सुपारा सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है ख़ास तौर से अगर वह खता हुआ नहीं है तो। खते हुए लंड तुलना में कम संवेदनशील होते हैं। लंड के छड़ की त्वचा मुलायम होती है और सुपारे के मुक़ाबले में कम नाज़ुक होती है।
लंड की जड़ के पास दो अंडकोष होते हैं जिनकी त्वचा खुरदुरी होती है और वे पूरी तरह बालों से ढके होते हैं। अंडकोष में वीर्य रहता है और वे ठण्ड में सिकुड़ कर और गर्मी में फैल कर वीर्य को सही तापमान पर रखते हैं। अंडकोष भी बहुत संवेदनशील होते हैं। हालाँकि लंड के मुक़ाबले इनमें स्पर्श-बोध कम होता है लेकिन ज़ोर से दबाने से या चोट लगने से इनमें बहुत दर्द होता है।
लंड चूसते समय अंडकोष को भी चूसा जा सकता है लेकिन इनको मुँह में लेते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए।
शेष दूसरे भाग में! Hindi Porn Stories
रात के साढ़े ग्यारह बज रहे Sex stories थे, होस्टल सुनसान सा हो गया था, मैं बैठ के कुछ पढ़ रही थी तो पड़ोस के रूम में रहनेवाली सोनू आयी।सुनीता भी सोयी नहीं थी। सोनू सुन्दर थी और बातें बहुत अच्छी अच्छी करती थी। मैने उसे देखके चोंक गयी क्योंकि वो सिर्फ़ एक हाफ़ पैंट और ब्रा में थी। मैने कहा, “क्या हुआ सोनू, कपड़े कहां गये?” तो वो हंसी और सुनीता बोली ये तो उसकी नाइट ड्रेस है। वो सीधी गयी औरसुनीता के साथ बैठके बातें करने लगी और मैने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया। वो दोनो हंस रही थीं, थोड़ी देर बाद सोनू बोली, “क्या यार हमेशा पढ़ती रहती है? क्या कलेक्टर बनने का इरादा है?” मैने अपनी किताब को बंद करके बोली “नहीं अभी सोने जा रही हूं, सुबह स्कूल में बच्चों के एक्ज़ाम जो लेने है?” वो फिर हंसती हुई बोली, “तू तो ऐसे पढ़ रही थी मानो बच्चों का नहीं तेरा एक्ज़ाम हो।”
मैं रूम से बाहर आ गयी थी गरमी थी इसीलिये नहाने का सोचा, तो सुनीता बोली, तबियत खराब हो जायेगी, पर सोनू बोली नहाले, मैं नहाने चली गयी। मैं जरा देर तक नहाती हूं। तो शायद आधे घंटे में मैने नहाना खत्म करके रूम में आयी तो सोनू थी। मैने कहा, “कल ओफ़िस नहीं है तुम्हारा? इतनी देर हो गयी अभी तक सोने नहीं गयी।” वो मुझे देखके बोली, “तुम नहाके और भी सुन्दर लगती हो। हाय ये कपड़े उतार दो और यहां आ जाओ ऐश करते है। कल की किसको पड़ी है, जो भी है आज ही है।” मैने हंस दी और बोली “आप लोगों को और कोई काम धंधा है के नहीं?
रात के बारह बजा चुके है और नींद नही है?”
पर जैसे ही मैं मुड़ी और अपने कपबोर्ड से नाइटी निकालने गयी तो सोनू पीछे से आके मुझे जकड़ लिया और राजकुमार स्टाइल में बोली, “जानेमन आज तो हम ऐश करेंगे ही करेंगे।” मैं थोड़ी देर उसे देखी और शरमाती सी बोली, “हाय मैं मर जाउंगी जी।” सब हंस पड़े।
मोना आके दरवाज़े की कुंडी लगा दी और अपने कपड़े खोल दिये, वैसे भी सुनीता बहुत ही सुन्दर थी, इसलिये मुझे बहुत पसंद थी। सोनू बिस्तर के नीचे से एक किताब उठाके लायी, जिसमें लेस्बियन के फोटो थे। और मैने कुछ कहना नहीं था, हम तीनो एक साथ गले मिलने लगे। और एक दूसरे को कस के पकड़ लिया।सुनीता सोनू को किस करने लगी तो सोनू के हाथ मेरे स्तनों पे आ गये और जैसे कि मैने पहले भी कहा था मेरे स्तन काफी सेंसिटिव हैं, इसलिये मैं सिकुड़ सी गयी, तोसुनीता मेरी छाती को चाटने लगी और सोनू मेरे बायें स्तन को अपने मुंह में लेके चूसने लग गयी। और मुझे बिस्तर पे लिटा के दोनो मेरे छाती से सिमट गयी थी।
दोनो मुझे चूस रही थी। तो मैने अपने एक हाथ सेसुनीता की ब्रा का हुक को खोल दिया और उसका स्तनो को हाथों में लेके मसलने लगी। सोनू बहुत तेज़ थी, जैसे हीसुनीता मेरे स्तनो को जोर जोर से चाटने चूसने लगी सोनू नीचे गयी और मेरी चूत पे अपने जीभ रख दिया और मैं जल गयी। वो इतनी अच्छी चूसेगी मैने कल्पना नहीं की थी, वो मेरी चूत को चूसती रही चूसती रही औरसुनीता उठके गयी और सोनू की हाफ़ पैंट तो नीचे खींच ली और उसकी चूत से लिपट गयी। ये मेरे साथ पहली बार हो रहा था के हम तीन थे और तीनो चूस रहे थे चुसवा भी रहे थे। मैनेसुनीता की चूत पे मुंह डाला और चूसने लगी।सुनीता एक बार बोली के चूत के ऊपर जो छोटी सी एक उंगली जैसी चीज़ होती है उसको क्लाइटोरिस कहते हैं और उसको चूसने में मज़ा आता है, तो मैं कहां रुकने वाली थी, मैने अपनी जीभ से ही उसकी स्लिट को चाटने लगी तो वो जोर जोर से सिसकियां लेने लगी। सोनू बोली, “क्या सारा मज़ा तु ही लेगी क्या? अब पोजिशन बदल देते हैं, कहके वोसुनीता की चूत पे चली गयी और पानी चूत को मेरे सामने दे दी।
मोना की चूत बहुत चिकनी है क्योंकि वो हमेशा उसके बाल साफ़ कर देती थी, सोनू के चूत में छोटे छोटे बाल थे पर उस समय जो मज़ा हमें आ रहा था उसमें जो भी करे अच्छा लगता था। सोनू की क्लाइटोरिस बहुत बड़ी थी और मेरे मुंह में जैसे ही मैने उसे अपने जीभ और दांत से काटा तो वो करांह उठी और बोली, “हाय, ये क्या कर दिया तूने मेरी तो जान ही निकाल दी।” पर मैने चूसना जारी रखा।सुनीता मेरी चूत को चाट रही थी और मेरी स्लिट को ढूंढ रही थी शायद पर नहीं मिल रही थी। तो वो अपनी उंगली मेरी चूत में घुसेड़ने लगी। मरे बदन में कम्पन हुआ, मैने पूरी थरथरा गयी। और सोनू को जोर जोर से चूसने लगी। आधे घंटे के बाद, निचली मंजिल से उषा दीदी पुकारी, “मोना। सो गयी क्या?” तोसुनीता ने चूसना छोड़ के उठ गयी और सोनू भी। बाहर जाकेसुनीता नीचे खड़ी उषा दीदी से बातें करने लगी थी के सोनू बोली, “उसे जाने दे, हम करते हैं, बस और थोड़ी देर फिर में चली जाउंगी”।
हम दोनो ६९ में हो गये और एक दूसरे को चूसने लगे। मैने एक उंगली सोनू की चूत में डालना चाहा लेकिन उसने मना कर दिया। मैने पूछा क्या हुआ तो बोली, “नहीं, इसके अन्दर कुछ मत डाल, ये मेरे पति के लिये है, सिर्फ़ वो इसमें अपना लौड़ा डालेगा।” मैं हंस दी और जोर जोर से चूसने लगी। लेकिन सोनू के चूसने में जो मज़ा मुझे आ रहा था, मुझे यूं लग रहा था मानो मेरे अन्दर से कुछ निकल जायेगा, उषा दीदी बोली थी कि सेक्स करने के बाद चूत से पानी निकलेगा, पर मेरे साथ ऐसा कभी नही हुआ था। इसलिये पता नहीं था, पर उस रात, सोनू की जीभ ने वो कमाल कर दिया और मुझे लगा जैसे मेरी चूत में से पानी निकल रहा है।
मैं दीवानी सी हो गयी और सोनू को चूसने लगी तो वो भी थरथरा गयी और थोड़ी देर बाद शायद उसका भी पानी निकल गया। हम दोनो उठे और बाथरूम जाने लगे। वहां अपने आप को साफ़ करते हुए बोली, “सोनू, तूने ये ठीक नहीं किया मेरे साथ, अगर ये सब करना था तो पहले बता देती तो मुझे दो बार नहाना नही पड़ता न?” वो हंसी और बोली, “तो नहाने में तुझे थकान लगती है क्या, तो चल मैं तुझे नहला देती हूं।” और उस रात उन्होने मुझे नहला दिया। रात को रूम में आते आते नीचे सेसुनीता बुला रही थी, “आभा आभा, नीचे आ उषा दीदी बुला रही हैं।”
मैने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और नीचे गयी तो उषा दीदी के रूम में सीडी चल रही थी, और सिर्फ़ उषा दीदी औरसुनीता ही थी वहां। रात के एक बजने वाले थे और मुझे सुबह स्कूल भी जाना था इसलिये मैने ऊपर जाने को कहा तो उषा दीदी बोली, “यहीं सो जा मैं सुबह तुझे उठा दूंगी।” Sex stories
फिर उसके बाद क्या हुआ ये अगले हिस्से में लिखूंगी।
मुझे बड़ी उमर की औरतें Hindi Sex Stories बहुत पसंद हैं। अक्सर ऐसी औरतें आसानी से नही मिलतीं। काफ़ी मेहनत से मिलती हैं। यह एक सच्ची घटना है।
मैं पुणे मे पेईंग गेस्ट बनकर एक घर में रहता था। घर के मालिक काफ़ी अच्छे थे लेकिन उनकी पत्नी हमेशा अकेली और उदास रहती थी। उसका नाम राधा था। जैसा नाम वैसे ही रूप। भगवान ने फ़ुर्सत में उसको बनाया था। बला की ख़ूबसूरती थी उसमें। उमर कोई 40-45 होगी। लेकिन चेहरे से मदमस्त मदमाती नशीली लगती थी जो कि रस से भरी हुई हो और उनके अंग-अंग से रस छलकता था।
उसके पति को उनमें कोई रूचि नहीं थी, ऐसा मुझे अक्सर लगता था। एक दिन राधा ने मुझे रात के खाने के लिए आमंत्रित किया। मैंने अपने व्यस्त होने का नाटक किया लेकिन उसके आग्रह करने पर मैं मान गया। दूसरे दिन शाम को मैं जल्दी ही ऑफिस से आ गया और मौक़े का इंतज़ार करने लगा।
रात के करीब साढ़े आठ बजे राधा ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी। मैंने कहा कि 5 मिनट में आता हूँ।
मैंने राधा के लिए एक प्यारा सा फूलों का गुलद़स्ता खरीदा था जो मैं लेकर उसके पास चल दिया। वहाँ पहुँचते ही मैंने पूछा कि अंकल (मकान मलिक) किधर हैं। इस बात पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं समझ गया कि आज समय मुझ पर मेहरबान है। उन्होंने मुझे डिनर टेबल की तरफ इशारा कर बैठने को कहा और ख़ुद दूसरे कमरे में चली गईं।
डिनर टेबल कई तरह के पकवानों से सज़ा हुआ था। पर दोस्तों मुझे तो कोई और पकवान चाहिए था। थोड़ी देर मे वो एक पारदर्शी नाइट-गाउन पहन कर बाहर आई और मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ गई।
उनको देखकर मेरा पप्पू सलामी के लिए अचानक तैयार हो गया। अचानक लण्ड खड़ा होने से मुझे बैठने मे दिक्कत होने लगी। ऐसा देखकर राधा ने पूछा कि क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं !
और फिर वो मुस्कुराने लगी और मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई और मेरे सिर पर हाथ फेरने लगी, ऐसा करने पर मेरी साँसें तेज हो गईं।
सिर पर हाथ फेरते हुए उसने अचानक मेरे कानों को भी छू लिया। उसी समय मैंने उसके नाज़ुक हाथों को पकड़ लिया और उन हाथों को अपने होंठों से चूम लिया। ऐसा करते ही उसकी साँसें तेज़ हो गईं, बिना देरी किए मैं कुर्सी से उठा और उसको अपनी बाहों मे भर लिया।
वो भी मुझसे कस कर चिपक गई और फिर मैंने अपने होंठ उनके नर्म होंठों पर रख दिए। उसने मुझे और मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया। मेरे हाथ उनके कबूतरों की तरफ बढ़ गए जो कि सदियों से किसी चाहने वाले के लिए बेताब थे।
मैंने बिना देर किए, उनको आज़ाद किया और मेरे हाथ उनसे खेलने लगे। उसने भी अपने हाथ मेरे पप्पू की तरफ बढ़ाए। मैंने अपने पैंट की ज़िप खोल दी। ऐसा करते ही मेरा पप्पू उसको सलामी देने को तैयार हो गया क्योंकि मैंने अंडरवीयर नहीं पहन रखी थी।
उसने मेरे पप्पू की सलामी ली और उसको नीचे झुक कर अपने मुँह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे वो जन्मों की प्यासी हो। मैं भी उनके कबूतरों को दाना खिलाने लगा। थोड़ी ही देर में उन्होंने मेरी पैंट नीचे खींच दी और मेरे बदन से पैंट को अलग कर दिया।
अब पप्पू पूरी तरह से आज़ाद होकर उन होंठों का गुलाम हो गया। वह धीरे-धीरे मेरे पप्पू के चमड़े को ऊपर नीचे करने लगी। 5 मिनट में मुझे ऐसा लगा कि मैं किसी ज़न्नत में पहुँच गया हूँ।
मेरा पप्पू उसके मुख का स्वाद ले रहा था, अचानक उसने मुझसे कहा कि बेडरूम में चलो।
मुझे भी यही चाहिए था। वहाँ पहुँचते ही मैंने उसके गाउन को उतार दिया और उसके मख़मली ज़िस्म का दीदार करने लगा।
ऐसा करते देख कर उसने मुझसे कहा कि बुद्धू ऐसे ही देखते रहोगे या मुझे कुछ करोगे भी। आज की रात मैं तुम्हारी हूँ और मुझे प्यासमुक्त करो।
मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया और फिर दोनों 69 की पोज़ीशन मे आ कर एक दूसरे के जननांगों को चाटने लगे। मैंने मेरी पूरी जीभ उनकी प्यारी सी पप्पी मे घुसा दी जिससे उनक पूरा बद़न सिहर उठा और उसने मेरे पप्पू को अपने मुख से अलग कर दिया और अजीब क़िस्म की आवाज़ें निकालने लगी। इसके बाद मैं और तेज़ी से उसके पप्पी की पूजा करने लगा।
इसी दौरान वो दो बार झड़ गई और मैंने उसका सारा रस पी लिया। फिर भी रस रिस-रिस कर पप्पी से बाहर आ रहा था। वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से गालियाँ देने लगी और कहने लगी की मुझे तृप्त कर।
अब समय आ गया था कि मैं उसकी पप्पी का मिलन अपने पप्पू से करवा दूँ। पप्पू को मैंने पप्पी के मुख पर रखने से पहले राधा के मुख-चोदन का आनंद लिया और फिर पप्पी के मुख पर रख कर धीरे से एक हल्का धक्का दिया ऐसा करने से पप्पू थोड़ा अंदर गया लेकिन पप्पी टाइट थी, इस वजह से राधा दर्द से चिहुँक उठी।
उसी समय मैंने अपने हाथों से राधा के कबूतरों को धीरे-धीरे दबाना शुरू किया और पप्पू को भी धक्का देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे पप्पू पप्पी में समा गया। पूरी तरह से पप्पी में समाने के बाद राधा ने अपनी चिकनी चूतड़ उपर उठा-उठा कर पप्पी के पप्पू से मिलन की खुशियाँ मनाने लगी।
बीस मिनट तक ऐसा करते रहने के बाद मेरा पप्पू अपनी मलाई निकालने की तैयारी करने लगा तो मैंने राधा को पूछा की वो पप्पू की मलाई पप्पी को खिलाएगी या खुद खाएगी। उसने कहा कि उनको पप्पू की मलाई खानी है, फिर मैंने मेरे पप्पू को पप्पी से जुदा कर राधा के मुख में डाल दिया और सारी मलाई उनके मुख में आ गई और उसने सारी मलाई एक ही झटके मे चट कर ली।
काफ़ी देर तक मैं और राधा नंगे बदन बिस्तर पर लेटे रहे और आधे घंटे बाद बाथरूम में जाकर साथ मे नहाया और उस दौरान भी पप्पू-पप्पी एक बार फिर मिल गए। बाद मे साफ हो कर हमने साथ में खाना खाया और फिर साथ में बेडरूम मे चले गये।
उस रात हमने 5 बार रसपान किया और करवाया। जब तक मैं पुणे में रहा उसको अच्छी सेवा देता रहा। आज भी मैं उसे बहुत याद करता हूँ।
आपकी बेबाक टिप्पणी का स्वागत है। ग़लतियों के लिए माफ़ करेंगे। Hindi Sex Stories
यह उन दिनों की बात है sex Stories जब मैं स्थानान्तरण पर ग्वालियर आया था। घर पर हमने एक काम काज के लिये एक लड़की को रख लिया था। उसका नाम सोनिया था। वो दुबली पतली और लम्बी लड़की थी। काम में माहिर थी। धीरे धीरे वो मुझे अच्छी लगने लगी थी। घर को ठीक से सेट करने के बाद मेरी पत्नी वापस भोपाल चली गई थी।
दिसम्बर का महीना था और उसका स्कूल 15 मई तक था। सोनिया यूँ तो एक साधारण लड़की थी, सेक्सी भी नहीं लगती थी, पर उसकी छोटी छोटी चूंचियां और उसके चूतड़ मुझे बहुत भाते थे। वो नजरें चुरा कर मेरी इस हरकत को देखती थी पर कुछ नहीं कहती थी।
धीरे धीरे अब हम दोनों बातें भी करने लगे थे। वो मुझे अधिकतर अपनी बड़ी बहन राधा के बारे में बताती रहती थी। उसकी बड़ी बहन की शादी होने वाली थी। उसकी बड़ी बहन 21 वर्ष की थी, यानी सोनिया से 2 साल बड़ी थी। अपने जीजू को लेकर सोनिया बहुत बातें करती थी, उसे लड़कों के बारे में बाते करना अच्छा लगता था। मैं उसे अब अपने पास बैठा कर चाय और कुछ खाने को देता था जिसे वो बड़े शौक से खाती थी।
एक दिन मैंने उससे हिम्मत करके पूछ ही लिया,’सोनिया, तेरा कोई लड़का दोस्त है?’
पहले तो वो शरमा गई, फिर कुछ गुस्से में बोली- अंकल, राधा है ना, उसने मेरा सारा काम बिगाड़ दिया, उसने हम दोनों को एक साथ देख लिया था !
‘अच्छा, तुम दोनों क्या कर रहे थे।’ मैंने उत्सुकतावश पूछ लिया, वो गुस्से और जोश में बताती चली गई, यह भी भूल गई कि क्या बता रही है।
‘रमेश मुझे अकेला पा कर मुझे चूमने लगा और मेरे शरीर को भी छूने लगा, तो दीदी अचानक आ गई और हमें देख लिया।’
‘अरे प्यार में तो शरीर को छुआ जाता है, इधर उधर हाथ भी लगाते हैं, तो दीदी को तुमसे क्या लेना था?’
‘हां यही तो, वो मेरी छातियों को दबा रहा था, मुझे चूम रहा था, तो वो जल गई !’
‘कैसे, यहाँ छाती पर… ऐसे…?’ मैंने उसकी छोटी सी एक चूची को दबाते हुए कहा।
‘अंकल, अब आप भी… हटो मैं नहीं बताती।’ मेरी इस हरकत पर उसने नाराजगी जाहिर की।
‘क्यों, अच्छा नहीं लगा? रमेश ने किया था तो कैसा लगा था। फिर हाथ लगाने से कुछ होता थोड़े ही है’ मैंने स्थिति को सम्हालने की कोशिश की।
‘अंकल, गुदगुदी होती है ना, मन में भी कुछ होता है, आपका हाथ लगाने से अभी तो हुआ ना !’ उसने शरमाते हुए कहा।
‘तो और लगाऊँ क्या? गुदगुदी में तो मजा आता है ना !’
‘अंकल, अच्छा एक बार सिर्फ़, फिर नहीं… ठीक है ना !’ उसने शरमाते हुए कहा। मेरा मन खिल उठा, यानि इसे मजा आया था और मैंने उसकी भावनाओं को जगा दिया था। मैंने धीरे से उसकी छोटी छोटी चूंचियों को सहलाना चालू कर दिया। कभी कभी उसके निपल भी उमेठ देता था। वो सिसकारी भरने लगी।
‘कैसा लग रहा है सोनिया, मजा आ रहा है ना?’
‘अंकल, हाय और करो, यहाँ दीदी थोड़े ही है, कौन मना करेगा, हाय अंकल!!!’ वो अब मस्ती में आ गई थी। मेरा लण्ड पजामें में से जोर मारने लगा था।
‘सोनिया, मुझे चुम्मा दोगी?’ मैंने उससे किस करने को कहा। पर इतना कहने पर तो मेरे से लिपट ही गई और मेरे होंठो को अपने होंठो से दबा लिया।
वह उत्तेजना में बह निकली थी। मेरे शरीर को कसती जा रही थी।
मैंने उसकी वासना को बढ़ने दिया और उसे लेटा दिया। उसे दबाता हुआ उसके ऊपर चढ़ गया।
वो मेरे शरीर के नीचे दब गई और आहें भरने लगी- अंकल आप कितने अच्छे हैं, आह, मेरी इच्छा पूरी कर दो अंकल, मुझे चोद दो…हाय !
उसके मुँह से उसकी इच्छा प्रकट हो गई।
‘सोनिया, तुम भी बहुत प्यारी हो, आह मेरा लण्ड पकड़ ले रे, मुठ मार दे !’
‘अंकल, मेरे बोबे दबा दो, हाय राम रे ! मैं तो आज मर जाऊंगी !’ सोनिया सिसकते हुए बोली। उसे मसलने और चूमने के बाद मैं उससे अलग हो गया।
‘सोनिया, अपना सलवार कुर्ता उतार दो, मैं भी उतार देता हू, मजा करेंगे।’ मैंने अपनी वासना को रोका नहीं, उसे चुदाने के लिये निमन्त्रण दे दिया।
‘हाँ अंकल, बहुत मजा आ रहा था, और करें, अरे ये तो देखो, तुम्हारा गंगाराम कैसा हो रहा है।’ हंसते हुए उसने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा किया।
‘गंगाराम? मतलब?’
‘अरे ये डण्डाराम, रमेश का भी ऐसा ही था।’
‘सोनिया, फिर चुदाया था तुमने…?’
‘अंकल, नहीं, दीदी ने काम बिगाड़ दिया था ना !’
‘पहले कभी चुदाया था क्या?’
‘अब छोड़ो ना, अब कर लेते हैं, अंकल आपने तो आण्टी को खूब चोदा होगा, कैसा लगता है?’ सोनिया का शरीर चुदासा हो रहा था। मेरा लण्ड भी चोदने को फ़डक रहा था,’खुद चुदवा के देख लो, तो पता चल जायेगा।’
मैंने अपना पजामा उतार दिया। मेरा तन्नाया हुआ लौड़ा देख कर वो शरमा गई। मैंने उसका सलवार और कुर्ता उतार दिया और उसके नंगे बदन को प्यार करने लगा। वो नंगी ही शरमाती और बदन को छुपाती रही। पर जब मैंने उसकी चूत को खोल कर अपने होंठ उस पर रखे तो वह चिहुंक उठी।
‘अंकल यहाँ नहीं करो… शर्म आती है !’ वो सिमटती हुई बोली।
पर किया उल्टा ही, उसने अपने दोनों पांव चौड़े कर के चूत को खोल दिया और झुकते हुए मेरे बाल पकड़ कर चूत का पूरा जोर मेरे मुख पर लगा दिया। मैंने भी उत्तर में अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी।
‘अंकल, मर जाऊंगी, हाय रे !’ वो नीचे हाथ बढ़ा कर मेरे लण्ड को पकड़ने की कोशिश करने लगी। मैं अब बिस्तर में एक तरफ़ आ गया।
‘अंकल, मैं आपके लौड़े से खेल लूँ, मजा आयेगा !’ अपनी इच्छा जाहिर की।
मैं सीधा हो गया और उसने मेर खड़ा लण्ड पकड़ लिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे करके मुठ सा मारने लगी।
‘आपका लौड़ा मस्त है, लाल टोपी कितनी सुन्दर है !’
‘लौड़ा नहीं, लण्ड बोलो, लण्ड शब्द अच्छा है !’
‘मैं तो लौड़ा ही कहूंगी, मेरी माँ को भी मैंने यही कहते सुना है !’ मैं हँस पड़ा। उसने मेरे लण्ड के सुपाड़े को चाटना शुरू कर दिया। उत्तेजना बहुत बढ़ चुकी थी। मैंने सोनिया के शरीर को दबा कर नीचे कर लिया और और उस पर चढ़ बैठा।
‘सोनिया, तैयार हो जाओ चुदने के लिये !’
‘हाय रे, तैयार हूँ, हाय घुसेड दो लौड़ा… मेरे राजा !’ वह उत्तेजना से मचल उठी। उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा ली। लण्ड गीली चूत को चूमता हुआ फ़क से अन्दर उतर आया। मैंने धीरे से लण्ड दबाया। चूत टाईट थी। पर मैंने धीरज रखा। धीरे धीरे अन्दर उतारने लगा।
‘अंकल थोड़ा सा दर्द हो रहा है और धीरे करो।’ मुझे पता चल गया कि फूल अभी खिला नहीं है, सील टूटी नहीं है। मैंने उसे प्यार से चूमा और कहा,’थोड़ा सा दर्द शुरू में होगा, फिर तो बाद में मजे ही मजे हैं !’
‘चलो ना, चोद दो ना अब !’ मैंने उसे आश्चर्य से देखा और उसकी चूत में जोर लगा कर पूरा जड़ तक घुसा डाला। वो चीख उठी।
‘अरे, हाय रे… मर गई मैं तो, निकालो वापस !’ उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उसका चेहरा विकृत हो उठा, दांत भींच लिये। मैं चुप से उस पर लेट गया और उसे प्यार करने लगा।
‘बस बस सोनिया, शान्त हो जाओ, बस हो गया जो होना था, अब स्वर्ग में चलें?’ आंसू भरे चेहरे में भी वो हंस पड़ी।
‘इतना तेज दर्द होगा, यह मुझे नहीं मालूम था। अब और तो नहीं होगा ना?’
‘बस दो तीन धक्कों में होगा, फिर चूत की मिठास में सब दर्द घुल जायेगा।’ मैं हल्के से और प्यार करते हुये धक्के मारने लगे।
उसे दर्द होता रहा पर वो सहती रही। फिर उसकी रफ़्तार भी बढ़ने लगी, मुझे पता चल गया कि दर्द की जगह मिठास ने ले ली है।
मेरे लण्ड में भी भीनी भीनी मिठास का मजा आ रहा था। उसकी टाईट चूत का मजा अभूतपूर्व था।
शरीर उसका दुबला था पर बहुत ही लचीला था। वो भी अपनी चूत को घुमा घुमा कर लण्ड का मजा ले रही थी। उसकी कमर मशीन की तरह बल खाकर धक्के मार रही थी।
चूत में लाल खून उसकी चिकनाई को बढ़ा रहा था। फ़च फ़च की मधुर आवाजें आने लगी थी। मेर सुपाड़ा भी और लाल हो गया था।
चूत की रगड़ से लण्ड मस्त हुआ जा रहा था। मेरे शरीर में वासना की चिन्गारियाँ निकलने लगी थी। मेरा तन अगन से तड़प उठा था। लग रहा था कि अभी कुछ लण्ड के रास्ते सब कुछ बाहर आ जायेगा।
अचानक सोनिया की वासनायुक्त खुशी की चीख निकल पड़ी,’अंकल जीऽऽऽ, ये मुझे क्या हो रहा है, हाय रे… मेरा पेशाब निकला जा रहा है… !!’
‘निकाल दे मेरी रानी, कर दे पेशाब यहीं पर, कर दे…रोक मत !’ मैं भी उसके पेशाब का मजा लेना चहता था, पर वो पेशाब नहीं था, उसकी चूत की लहरें बता रही थी कि वो झड़ रही थी। शायद झड़ने का उसका पहला अनुभव था या इस तरह से वो पहली बार झड़ी थी।
मेरा लण्ड भी फूल कर कुप्पा हो रहा था। उसकी चूत के ढीले पड़ते ही मैंने अपना लण्ड उसकी चूत की जड़ में दबा दिया और अपना पूरा जोर लगा दिया। अन्दर का लावा फूट पड़ा। मैंने अब लण्ड बाहर खींच लिया और फ़ुहार निकल पड़ी।
रुक रुक के वीर्य बाहर आ रहा था। उसका पूरा पेट भीग गया। ढेर सारा वीर्य बाहर जमा हो गया। मैंने हाथ से उसे उसके पेट पर मल दिया।
‘छी: ! ये क्या कर दिया। सारा गन्दा कर दिया अंकल आपने तो !’ वह मुझ पर झुंझला उठी। फिर उसने वहीं पेट पर से वीर्य हाथ में लेकर मेरे मुँह पर मल दिया और हंस पड़ी। मैंने पहली बार अपने ही वीर्य का स्वाद चखा, फ़ीका फ़ीका सा, लसलसा, चिकना।
मैं बिस्तर से उठ खडा हुआ और बटुए में से उसे पचास रुपए निकाल कर कहा- सोनिया यह तेरा इनाम है, तू जब भी चुदवायेगी मैं तुझे पचास रुपए दूंगा।
सोनिया खुश हो गई उसने झट से रुपये रख लिये। बाथ रूम में जा कर हमने अपने लण्ड और चूत साफ़ कर लिये। सोनिया पचास रुपए पा कर बहुत खुश थी,’अंकल, आप बहुत अच्छे हैं, अब मैं अपने लिये झुमके खरीदूँगी।’
‘कल भी चुदवायेगी क्या…?’
‘आप मुझे पचास रुपए दें तो मैं अभी और चुदवा लूँ !’ कह कर वो मेरी तरफ़ बढ़ गई।
‘तो फिर आ जाओ मेरी बाहों में !’
‘अंकल, एक बात पूछूँ?’
‘हां जरूर, मेरी जान !’
‘राधा को भी पचास रुपए दोगे?’ मैं सुनते ही चौंक गया।
‘वो भी क्या चुदवायेगी?’
‘उसकी शादी होने वाली है ना, उसे चुदाना ही नहीं आता है, वो सीख भी लेगी और उसके पास कुछ पैसे भी आ जायेंगे।’
‘उसने तुम्हारे साथ ऐसा किया फिर भी तुम उसके लिये ऐसा सोचती हो, तुम हो ही प्यारी !’
‘प्यारे अंकल जी, मान जाओ ना !’
‘उसे कल ले आना, मजा तो रहेगा ही और वो चुदना सीख भी जायेगी!’
मैं बिस्तर पर सीधा लेट गया और सोनिया मेरे ऊपर चढ़ गई। मेरा लण्ड उसकी चूत में सरसराता हुआ अन्दर जाने लगा और सिसकियों का बाज़ार गर्म हो गया।
सोनिया अगले ही दिन राधा को मेरे पास लेकर आई!
राधा के साथ क्या हुआ? यह अगले भाग में! sex Stories
दोस्तो ! मैं सेक्सी कहानियाँ सात महीनों Antarvasna से पढ़ रहा हूँ। मैं २५ साल का शादीशुदा मिडल परिवार का राजस्थान के एक छोटे से कसबे का सेक्सी लडका हूँ। मैं कम्प्यूटर इन्जीनियर हूं। मैं मेरी शादी को दो साल हो गये है।
आपने मेरी कहानी “कुंवारी सलहज को प्रेगनेंट किया” पढ़ी और बस एक मेल ही आया। दोसतो ये कहानी आपको लगता है पसंद नही आई। दोस्तो ! मैने वो पहली बार कहानी लिखी थी।
अब एक बार फिर हाज़िर हूँ अपने दोस्तो के लिए एक मसाले से भरी कहानी लेकर !
२००४ के दिसम्बर की छुट्टियों में मेरे मामा की लडकी हमारे घर १०-१५ दिन के लिए आई। वो २४ साल की थी. बहुत सुंदर है, उसका फिगर २८-२४-२८, ऊंचाई ५’३”, वो बहुत सेक्सी है. जब भी मैं उसके बारे मे सोचता तो उसको जमकर चोदने का मन करता लेकिन मैं कुछ नही कर पाता,वो मुझे तिरछी नजर से देखती थी।
बस तो सरदियों के दिन थे। सब लोग {परिवार वाले} रजाई ओढ़ के रात को बातें करते थे। वो मेरी वाली साईड में बैठ गयी। मैने धीरे से उसकी टांग पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। वो मेरी तरफ़ देख के मुस्करायी तो मुझे ग्रीन सिगनल मिल गया। मैने उसके बुबस दबाने शुरु किये वो मस्त हो रही थी। वो कहने लगी- मुझे कम्प्यूटर सिखाओ !
मैने कहा क्लास लगेगी, वो भी रात के ९ बजे के बाद !
वो कहने लगी ठीक है। मैं डिनर करके आपके कमरे में आ जाऊगी। वो रात को मेरे कमरे में आयी। गांव में सब ८:३० बजे तक सब सो जाते है। हमारा घर बहुत बड़ा था। मैने उसे कम्प्यूटर ओन करके दिया। उसको गाने चलाना, ओफ़ीस ,सीडी चलाना बताने लगा। मैं उसको बताते हुए छू रहा था। उसे अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी। उसका ध्यान मेरी ओर हो गया। धीरे से मैं सेक्सी फ़िल्म पर क्लिक करके सोने का नाटक करने लगा। उसने वो फ़िल्म एक दम डर के बंद कर दी और फ़िर कुछ देर तक वो कम्प्यूटर चलाने के बाद सोने को जाने लगी। लेकिन उसका मन उस फ़िल्म को देखने का था तो वो उठ कर मेरी ओर देखा तो मैं सोने का नाटक करने लगा। वो इत्मिनान से फ़िल्म देखने लगी।
फ़िल्म देखने के बाद वो गरम हो गई। वो अपने बूबस को मसलने लगी। मैने धीरे से उसको किस किया तो वो चोंक गयी। मैं उसे अपने बैड पर उठा लाया तो वो बोली- भैईया यह क्या कर रहे हो?
मैने कहा जो तुम्हें चाहिए वो दे रहा हूं। मैं उसके बूबस दबाने लगा वो मस्त होती जा रही थी। और मैं होठ किस भी करने लगा। वो बोली ये नीचे मेरे से एक डंडा सा क्या है इतने में उसने मेरे लंड पे हाथ फ़ेरना शुरु किया। मुझे भी मस्ती चढ़ रही थी। मैने धीरे से उसकी सलवार को खोल दिया अब मैं सलवार को पैर से उतारने लगा वो बोली किसी को पता चल गया तो?
मैने कहा तुम बताओगी?
वो बोली- नहीं। मैने उसके और अपने सारे कपड़े उतार दिये। हम दोनो एकदम नंगे थे। मैं उसे बेसबरी से चूम रहा था। वो भी मुझे ‘चूमते रहो’ कह रही थी, इतने दिन पहले क्यों नहीं मिले। मेरा ९” का लंड एकदम खडा था। वो बेसबरी से उसे देखने लगी ओर बोली- इतना बडा पहली बार देखा है।
वो एकदम नंगी मस्त दिख रही थी उसकी छोटी छोटी चूचियाँ पूरी कसी हुई थी। मैने पहली बार उसे नँगी देखा था। मैं उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो मस्त हो कर तडफ़ रही थी। मैं उसके पूरे शरीर को चूमता हुआ उसकी चूत को चूसने लगा। बाद में हम लोग ६९ पोजीसन में आ गये। वो मेरे लण्ड को चूस रही थी,मैं उसकी गोरी साफ़ चूत को जीभ से चूस रहा था।
‘चूसो मेरी चूत को……आ.आ..आआया.आआआआआअ..आआआ..उ.ऊउऊ.ऊ.ईई.ऊई..ऊई आह आआह्ह्छ’ वो मस्त हो रही थी। अब मैं झड़ने वाला था वो भी इस दौरान दो बार झड़ गई थी। मैं उसका नमकीन रस पीता रहा। मेरा रस उसके मुँह में झड़ गया। वो सारा रस मस्ती से पी गई।अब मैं फ़िर उसकी चूचियाँ चूसने लगा। वो बहुत खुश थी। मैने एक उँगली उसकी चूत में डाली। वो मेरे लँड को फ़िर चूसने लगी और मेरा ९” का लँड खडा हो गया।
अब वो बोली कि मुझे कुछ हो रहा है जल्दी करो, मेरी प्यास बुझाओ।
मैने कहा- इतनी भी जल्दी क्या है? मैने कहा दर्द बहुत होगा ! झेल लोगी?
वो बोली- चाहे मेरी चूत फ़ट जाये, मैं चाहे जितना भी चिल्लाऊँ, छोडना मत, बस अब जल्दी करो, चोद डालो, फ़ाड डालो मेरी चूत, जल्दी करो।
मैने ९” के लंड पर तेल लगाया और थोड़ा सा उसकी चूत पर लगा के, चूत पर लंड रखा और धक्का दिया तो लंड २” अंदर ही गया था कि वो चिल्लाने लगी- छोड दो, बस करो, मर जाऊगी।
मैं रुक गया और फिर वो शाँत हो गयी। मैने एक जोर से झटका मारा और चूत की सील तोड़ते हुए अँदर घुस गया। वो चिल्लाती रही, मैं रुक गया और उसके बूब्स चूसने लगा। वो मस्त हो रही थी। थोड़ी देर में मैंने झटके लगाने शुरु किये। वो भी मेरा साथ देने लगी थी। वो चूतड़ उठा उठा के चुद रही थी। २००-२५० झटके लगाने के बाद मैं झड़ गया, इस दौरान वो तीन बार झड़ चुकी थी।
वो रात ३१ दिसम्बर २००४ की रात थी, मैने उसे नये साल के जश्न में पूरी रात में लगभग १५ बार चोदा। वो अब पूरी तरह से टूट चुकी थी। उससे उठना ही मुश्किल हो गया था। सुबह के ६ बज चुके थे। वो उठ के अपने कमरे में चली गयी। ये सिलसिला १० दिन तक चलता रहा। वो पूरी पूरी रात मस्त होकर चुदवाती थी। १० दिन बाद वो अपने घर चली गयी। पर जब भी मौका मिलता था वो चुदने को तैयार रहती थी।
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