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प्रीती की कहानी सुनने के बाद मुझे सही Hindi Sex Stories में लगा कि जो कुछ मैंने किया वो गलत किया था। खैर जो होना था सो हो गया, अब वो बदला नहीं जा सकता था। मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! मैंने कुछ दिन बाद ही तुमसे माफ़ी माँग ली थी, उसके बाद भी मैं कई बार तुमसे माफ़ी माँग चुका हूँ, पर तुमने मेरी एक नहीं सुनी। आज फिर मैं दिल से तुमसे माफ़ी माँग रहा हूँ, मुझे माफ़ कर दो।”
“हाँ मुझे मालूम है, और मैं तुम्हें उस दिन भी माफ़ कर सकती थी, पर मैं तुम्हें एक सबक सिखाना चाहती थी। आज वो पूरा हो गया”, प्रीती ने जवाब देते हुए कहा, “सुनील मैं एक शर्त पर ही तुम्हें माफ़ करूँगी! अगर तुम मुझे एम-डी और महेश से बदला लेने में मेरी मदद करोगे?”
“मेरा वादा है तुमसे! मैं तुम्हारी पूरी मदद करूँगा।” मैंने जवाब दिया। “अब अंजू और मंजू के बारे में क्या करना है? अगर ये दोनों प्रेगनेंट हो गयी तो?”
“इसके बारे में मैंने सोच लिया है, सुबह मैं दोनों को डॉक्टर के पास ले गयी थी, इतनी जल्दी तो कुछ पता नहीं चलेगा किंतु भविष्य के लिये उसने बर्थ कंट्रोल पिल्स दे दी हैं”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन अब इन दोनों का यहाँ क्या काम है, क्या तुम्हारा इनसे मक्सद पूरा नहीं हुआ?” मैंने पूछा।
“भाभी का हो गया होगा पर हमारा नहीं! अभी हम कुछ दिन और यहाँ रुकना चाहते हैं और खूब चुदाई करना चाहते है, क्यों भाभी ठीक है ना?” अंजू ने प्रीती से पूछा।
“क्या तुम लोग भी यहाँ रहकर वेश्या बनना चाहती हो? तुम लोगों का दिमाग खराब हो गया है?” मैंने थोड़ा झल्लाते हुए कहा।
“हाँ भैया! हम लोग पागल हो गये हैं, और एम-डी और उसके दोस्तों से चुदवा कर उनको पागल कर देंगे, जिन्होंने भाभी को उन सबसे चुदवाने पर मजबूर कर दिया था, और साथ ही साथ पैसा भी कमाना चाहते हैं,” मंजू ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“पर मैंने तो प्रीती से नहीं कहा था उन लोगों से चुदवाने को!” मैं थोड़ा गुस्से में बोला।
“नहीं भैया! आप गलत हो, जिस दिन आपने एम-डी और महेश को भाभी को चोदने दिया उसी दिन आपने भाभी को दूसरों से चुदवाने के लिये मजबूर कर दिया था”, अंजू ने कहा।
“हाँ भैया और हमारी शादी से पहले चुदाई भी आपके कारण ही हुई है”, मंजू ने कहा।
“पर ये मैंने नहीं, तुम्हारी भाभी ने किया है”, मैंने रोते हुए कहा।
“अगर आपने प्रीती भाभी के साथ ये सब ना किया होता तो ये हमारे साथ इस तरह ना करती”, अंजू बोली।
“प्रीती! तुम ही इन्हें समझाओ ना कि तुम्हारा बदला पूरा हो चुका है”, मैंने मिन्नत करते हुए कहा।
“करने दो इन दोनों को, इन्हें कोई तकलीफ़ नहीं होगी… मैं हमेशा साथ रहुँगी। आओ पहले मैं तुम्हें इन दोनों की कुँवारी चूत के फटने की कुछ तसवीरें दिखाती हूँ”, प्रीती ने पर्स में से तसवीरें निकालते हुए कहा।
“भाभी! आप ने हम लोगों की तसवीरें कब निकाली?” अंजू ने पूछा।
“भाभी आप बड़ी बदमाश हो, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था”, मंजू बोली।
उनकी अलग-अलग रूप में चुदाई की तसवीरें देख कर मैं पागल सा हो गया, “बस अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं होता”, कहकर मैंने वो तसवीरें फेंक दीं।
“चलो लड़कियों! अब नहा धो कर तैयार हो जाओ, तब तक मैं फोन करके पास के होटल से खाना मंगवा लेती हूँ, आज मैंने बहुत पी ली है… खाना बनाने की हिम्मत नहीं है मुझमें”, प्रीती ने उन दोनों से कहा।
खाना खाते समय हम लोग बातें कर रहे थे कि प्रीती बोली, “चलो अब तुम लोग भी सोने जाओ और मैं भी सोने जा रही हूँ।”
“इतनी जल्दी भाभी? अभी तो बहुत वक्त पड़ा है,” अंजू बोली। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाँ इतनी जल्दी! क्योंकि आज मैं तुम्हारे भैया के लंड की एक-एक बूँद अपनी चूत में ले लूँगी। कई दिन हो गये हैं तुम्हारे भैया के मोटे लंड से नहीं चुदवाया है…” कहकर प्रीती मुझे घसीट कर बेडरूम में ले आयी।
रात भर हम जमकर चुदाई करते रहे। प्रीती ने मुझे एक पल भी साँस नहीं लेने दी।
अगले दिन मैं जब ऑफिस पहुँचा तो महेश मुझे एक नये केबिन की और ले गया। दरवाजे पर नेम प्लेट लगी थी, सुनील अग्रवाल {फायनेंस और अकाऊँट्स मैनेजर}। “थैंक यू सर”, मैंने खुश होते हुए कहा।
“मुझे नहीं! अपने एम-डी साहिब को थैंक यू बोलो, उन्होंने रातों रात इसे तैयार करवाया है, जाओ अब मजे लो… स्पेशियली इस नये सोफ़े का। तुम्हारी तीनों एसिस्टेंट्स इंतज़ार कर रही हैं…” महेश हँसते हुए बोला।
नया केबिन पहले केबिन से बड़ा था और उसकी खासियत यह थी कि उसमें सोफ़ा-कम-बेड भी था। अपनी तीनों एसिस्टेंट्स को बुला कर मैंने नये सोफ़े पर चुदाई का आनंद लिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
शनिवार को महेश ने मुझे होटल शेराटन के सूईट में पहुँचने को कहा। शाम को मैंने प्रीती को बताया, तो उसने कहा, “तुम्हारा सही इनाम मिलने का वक्त आ गया है, शायद कोई बिना चुदी चूत हो…”
“मेरा दिल नहीं कर रहा जाने के लिये”, मैंने कहा।
“नहीं सुनील तुम्हें जाना चाहिये! जाओ और चुदाई का मजा लो, मैं बुरा नहीं मानूँगी, कसम से, वैसे भी हम तीनों बिज़ी हैं…” प्रीती ने कहा।
जब मैं होटल के सूईट में पहुँचा तो एम-डी और महेश को मेरा इंतज़ार करते पाया, “आओ सुनील बैठो और अपने लिये ड्रिंक बना लो।”
मैं अपने लिये ड्रिंक बना कर सोफ़े पर बैठ गया और शक की निगाहों से उन्हें देखने लगा।
“डरो मत सुनील! आज हमने तुमसे कुछ लेने नहीं, बल्कि तुम्हें तुम्हारे काम का इनाम देने के लिये बुलाया है, इसलिये निश्चिंत हो जाओ”, एम-डी ने अपने ग्लास में से घूँट भरते हुए कहा।
“सुनील तुमने सुना तो होगा कि मैंने अपनी ऑफिस की हर औरत को चोदा है?” एम-डी ने मुझसे पूछा।
“हाँ सर! कुछ ऐसी अफ़वाह सुनी तो है…” मैंने जवाब दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ये अफ़वाह नहीं, हकीकत है सुनील! मैंने और महेश ने ऑफिस में काम करने वाली हर लड़की या औरत को खूब चोदा है। नयी-नयी लड़कियों को चोदने के बाद यहाँ काम पर लगाया है। आज हम दोनों तुम्हें अपना राज़दार और हिस्सेदार बनाना चाहते हैं”, एम-डी ने गर्व से कहा, मगर मैंने ये नहीं सोच था।
“इसका मतलब है कि तुम ऑफिस की किसी भी औरत को अपने नये केबिन में बुला कर उसे चोद सकते हो, तुम्हें मेरी परमिशन है इस काम के लिये।”
“थैंक यू सर”, मैंने जवाब दिया।
मेरे ऑफिस में कई लड़कियाँ थीं जिन्हें मैं चोदना चाहता था। इस बात ने मेरा काम और आसान कर दिया था। ये सोच मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी।
महेश ने ताली बजाते हुए कहा, “सुनील… कल का क्यों इंतज़ार करें! आओ आज से ही शुरू करते हैं।”
महेश के ताली बजते ही बेडरूम से दो निहायत ही सुंदर लड़कियाँ बाहर निकल कर आयी। दोनों के हाथों में शराब के ग्लास और सिगरेट थीं। “ये रेहाना है, हमारे डिसपैच डिपार्टमेंट से और ये नसरीन है हमारी ब्राँच ऑफिस से”, महेश ने मेरा उनसे परिचय कराते हुए कहा।
“पहले कभी इन्हें देखा है? मैंने आज की रात सबसे बेहतरीन लड़कियों को अपनी ऑफिस और ब्रन्च ऑफिस से चुना है…” एम-डी ने कहा।
“सर रेहाना को मैंने देखा है, और इसे चोदना भी चाहता था पर नसरीन मेरे लिये नयी है…” मैंने जवाब दिया।
“चिंता मत करो! थोड़े दिनों में सबको जान जाओगे…, लड़कियों! ये सुनील है और आज से इसे मेरी परमिशन है कि ये तुम सबको जब जी चाहे चोद सकता है, ये बात औरों को भी बता देना, समझ गयी तुम दोनों?” एम-डी ने उनसे कहा।
“हाँ सर! हम समझ गये”, रेहाना ने अपनी गर्दन हिलाते हुए सिगरेट का धुँआ बाहर छोड़ते हुए कहा।
“चलो फिर शुरू हो जाओ और अपना छुपा हुआ खज़ाना सुनील को दिखाओ”, महेश ने हुक्म दिया।
दोनों अपने कपड़े उतारने लगी। दोनों ही काफी सुंदर थी, भरी-भरी छातियाँ, पतली-पतली कमर, बिना बालों की चूत काफी शानदार लग रही थी, तरबूज जैसी गाँड, लंबी-लंबी सुडौल टाँगें और अंत में गोरे- गोरे पैरों में बहुत ही सैक्सी और ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल। उन्हें नंगा देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
“चलो महेश यहाँ से! और सुनील को चुदाई का पूरा आनंद लेने दो”, एम-डी ने कहा।
“रुकिये सर, आपने कहा कि मैं आज से आपका पार्टनर और राज़दार हूँ तो क्यों ना हम लोग मिलकर इन्हें चोदें?” मैंने एम-डी से कहा।
“देखा महेश! मैं नहीं कहता था कि अपना सुनील मतलबी नहीं है, ये सब कुछ शेयर करना चाहता है”, एम-डी खुश होते हुए बोला, “लेकिन सुनील ये दो हैं और हम तीन…”
“सर औरत के पास तीन छेद होते हैं, मर्द को मज़ा देने के लिये, चूत गाँड और मुँह… और इसके लिये हम तीन हैं।”
“मेरे लिये ये नयी बात होगी”, एम-डी ने कहा, “चलो महेश… कपड़े उतारते हैं और ट्राई करते हैं।”
“सर हम लोग एक-एक कर के तीनों छेदों का मज़ा लेंगे”, मैंने एम-डी को समझाया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ओह गॉड!!!” हम तीनों को नंगा देखते हुए एक ही झटके में अपना पैग गटकते हुए रेहाना बोली।
एम-डी की नज़र जब मेरे लंड पर पड़ी तो उसने हँसते हुए कहा, “महेश! देखो सुनील का लंड तुमसे बड़ा और मोटा है, अब तुम्हारे मोटे लंड के किस्से ही रह जायेंगे।”
रेहाना ने मेरे लंबे लंड को देखते हुए कहा, “सर!!! मैं ये लंबा लंड अपनी गाँड में नहीं लूँगी।”
“रेहाना! तुम्हें पता है मुझे ’ना’ सुनने की आदत नहीं है, इसलिये सुनील तुम्हारी गाँड में अपना लंड डालेगा।” फिर रेहाना ने विरोध नहीं किया। रेहाना वैसे भी काफी नशे की हालत में थी।
एम-डी बिस्तर पर लेट गया और रेहाना ने एम-डी के ऊपर आकर उसका लंड अपनी चूत में ले लिया और उछलने लगी। एम-डी का लंड जड़ तक उसकी चूत में समा चुका था। रेहाना की गाँड उभरी हुई थी। अपने लंड को सहलाते हुए मैं अपने थूक से उसकी गाँड को चिकना कर रहा था।
“सुनील ये कोई तरीका नहीं है इतनी सुंदर गाँड मारने का, मैं होता तो एक ही धक्के में पूरा लंड डाल देता…” महेश ने कहा।
“क्या उसे दर्द नहीं होगा?” मैंने कहा।
“हाँ… उसे दर्द तो होगा, पर जब वो दर्द से चींखेगी तो उसके दर्द की आवाज़ मुझे अपने कानों में संगीत की तरह लगती है…” महेश बोला।
“तुम्हें जैसे करना है, वैसे करना, मुझे अपने तरीके से करने दो”, मैंने जवाब दिया। रेहाना मेरी और देख कर मुस्कुरा दी। उसकी आँखें नशे में बोझल थीं। मैंने अपने लंड और उसकी गाँड को चिकना कर अपने लंड को गाँड के छेद पर रख कर थोड़ा अंदर घुसाया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईई प्लीज़ सर!!! रुक जाइये, बहुत दर्द हो रहा है, मैं मर जाऊँगी”, रेहाना दर्द से चिल्लायी।
“सुनील रुकना नहीं! और जोर से डालो”, एम-डी ने कहा। मैंने अपने लंड को और अंदर घुसाया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईईईईईईई……. अल्लाहहहहह मर गयीईईईई…” रेहाना जोर से चींखी।
मैंने रेहाना की गाँड में धक्के लगाते हुए महेश से कहा, “अब तुम अपना लंड रेहाना के मुँह में दे दो।”
मैं ऊपर से गाँड मर रहा था और एम-डी नीचे से धक्के लगा कर उसकी चूत को चोद रहा था। रेहाना जोर-जोर से महेश के लंड को चूस रही थी। करीब पाँच मिनट के बाद हमारे तीनों के लंड ने रेहाना के तीनों छेद मैं पानी छोड़ दिया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“नसरीन!! अब तुम्हारी बारी है”, महेश ने कहा।
“ठीक है सर! सुनील सर का लंड अपनी गाँड में लेकर मुझे खुशी होगी”, नसरीन ने जवाब दिया, “लेकिन सर इजाज़त हो तो पहले मैं अपनी डोज़ ले लूँ?”
“जरूर….” लेकिन जल्दी एम-डी ने कहा।
मुझे कनफ्यूज़्ड देख कर महेश ने बाताया कि नसरीन चुदाई के समय ड्रग्स लेती है और फिर बहुत मस्त हो कर चुदवाती है। मैंने देखा कि नसरीन ने अपने पर्स में से एक पैकेट निकाला और एक सफ़ेद से पाऊडर की मेज पर धारी सी बना दी और फिर एक सौ रुपये के नोट को रोल करके उसके द्वारा वो पाऊडर अपनी नाक में खींचने लगी।
“चलिये सर… अब मैं तैयार हुँ, चुदाई के लिये…” नसरीन अपना बाकी का पैग गटकते हुए बोली। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी और उसकी आँखों की पुतलियाँ फैली हुई थीं।
इस बार महेश बिस्तर पर लेट गया और नसरीन उसके लंड को अपनी चूत में लेकर उस पर लेट गयी। एम-डी ने अपना लंड उसके मुँह में दिया। मैंने ऊपर आकर उसकी गाँड में एक ही धक्के में पूरा लंड पेल दिया।
हम तीनों जोर-जोर के धक्के लगाते हुए उसे चोद रहे थे। नसरीन की गाँड रेहाना की गाँड से कसी थी इसलिये मुझे और मज़ा आ रहा था। नसरीन की सिसकरियाँ भी तेज थी।
हम तीनों ने जम-जम कर धक्के मारते हुए अपना अपना पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर बाद एम-डी ने कहा, “सुनील तुम मज़े लो, हम लोग जाते हैं, देर हो रही है।”
उनके जाने के बाद मैंने एक-एक बार और उन दोनों की चुदाई की और रात के दो बजे घर पहुँचा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
मैं दूसरे दिन ऑफिस पहुँचा तो मुझे सभी महिला एम्पलोयिज़ की लिस्ट मिल गयी। उनका नाम, उम्र, किस डिपार्टमेंट में काम करती है और कितने साल से। उस दिन के बाद मैं एक-एक करके उनको अपने केबिन में बुला कर उन्हें चोदने लगा।
थोड़े ही दिन में ये बात आग की तरह फ़ैल गयी कि मेरा लंड महेश के लंड से मोटा है।
थोड़े दिन बाद पिताजी की चिट्ठी आयी कि मैं अंजू और मंजू को वापस भेज दूँ। मैंने उन दोनों की टिकट करा दी। जिस दिन वो जा रही थीं, मैंने उनसे कहा, “तुम दोनों वादा करो कि यहाँ से जाने के बाद ये सब छोड़ दोगी?”
“भैया! हम आपसे वादा करते हैं कि अब शादी से पहले किसी से नहीं चुदवायेंगे”, मंजू ने कहा।
उन दोनों को ट्रेन में बिठा कर मैं घर पहुँचा तो प्रीती ने कहा, “सुनील अब अंजू और मंजू यहाँ से जा चुकी हैं तो क्यों ना हम एम-डी और महेश से अपना बदला लेने का प्लैन बनायें।”
“तुम क्या करना चाहती हो?” मैंने पूछा।
“सबसे पहले मैं उनके बारे में सब कुछ जानना चाहुँगी”, प्रीती ने कहा।
“तुम उन दोनों से इतनी बार चुदवा चुकी हो, और क्या जानना चहोगी?” मैंने कहा।
“मजाक मत करो, मैं उनकी हर बात जानना चाहती हूँ, जिससे उनकी कमजोरियों का पता चल सके, सुनील! तुम जितना भी जानते हो मुझे बताओ”, प्रीती बोली।
“महेश के बारे में इतना नहीं जानता। पर हाँ एम-डी, मिसेज योगिता के साथ उनके ही बंगले पर रहते हैं, उनकी बीवी का नाम मिली है और उनकी दो बेटियाँ हैं”, मैंने जवाब दिया।
“दो बेटियाँ!” प्रीती के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
“मैं जानता हूँ तुम क्या सोच रही हो पर अभी वो छोटी हैं”, मैंने कहा।
“सुनील! तुम मिस्टर रजनीश, तुम्हारे एक्स एम-डी के परिवार के बारे में क्या जानते हो?” प्रीती ने पूछा।
“यही कि उनकी विधवा मिसेज योगिता, और उनकी लड़की रजनी साथ में रहती हैं। एम-डी रजनी को अपनी बेटियों से भी ज्यादा प्यार करता है”, मैंने जवाब दिया।
“तुम्हें ये कैसे मालूम?” उसने पूछा।
“मुझे रजनी ने बताया था, उसने छुट्टियों में कुछ दिन कंपनी में काम किया था।” मैंने जवाब दिया।
“क्या तुमने रजनी को चोदा है? मुझे सच- सच बताना”, उसने पूछा।
कुछ देर सोचते रहने के बाद मैंने सच बताते हुए कहा, “हाँ! मैंने उसे चोदा है पर वो हमारी शादी के पहले की बात है।”
“उस समय वो कुँवारी थी! है ना? क्या उसके बाद तुमने उसे चोदा है?” प्रीती ने फिर पूछा।
“नहीं प्रीती! कसम ले लो, मैंने उसके बाद उसे एक बार ही मिला हूँ, वो भी पार्टी में तुम्हारे साथ”, मैंने जवाब दिया।
“सुनील मैं जानती हूँ तुम सच बोल रहे हो! जब तुम झूठ बोलते हो तो तुम्हारे चेहरे से पता चल जाता है। रजनी तुम्हें प्यार करती है, मैंने उसकी आँखों में तुम्हारे लिये प्यार देखा है, क्या तुम जानते हो?” प्रीती ने कहा।
“मुझे भी ऐसा कई बार लगा है”, मैंने जवाब दिया।
“क्या पता तुम्हें फिर रजनी को चोदना पड़े”, प्रीती ने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, “फिलहाल तो रजनी को भूल जाओ, वो यहाँ नहीं है! पर मैं तो हूँ, सुनील! मुझे चोदो और इतना चोदो कि मेरी चूत माफी माँगने लगे।”
मैं उसे बाँहों में भर कर बेडरूम में ले गया और पूरी रात उसे कस-कस कर चोदता रहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दूसरे दिन से प्रीती एम-डी और महेश के घर जाने लगी। वो बराबर उनसे और उनके परिवार से मिलने लगी। अब वो उनके परिवार की एक सदस्या जैसे हो गयी थी। एक दिन मैंने उससे पूछा, “क्या पता लगाया तुमने इतने दिनों में?”
“कुछ खास नहीं, महेश के दो बच्चे हैं! एक लड़की मीना २२ साल की… जो अपना ग्रैजुयेशन कर रही है और एक लड़का अमित १६ का। लगता है महेश घर से ज्यादा बाहर चुदाई करता है, प्रीती ने हँसते हुए कहा, मीना और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं।”
“एम-डी के बारे में क्या पता लगा?” मैंने पूछा।
“वहाँ भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। मिसेज योगिता और मिसेज मिली, अच्छी सहेलियाँ हैं, और हाँ तुमने सच कहा था! उनकी बेटियाँ छोटी हैं। हाँ! रजनी और मैं अच्छे दोस्त बन गये हैं। मैंने हार नहीं मानी है, एक दिन भगवान हमारी मदद जरूर करेगा।”
करीब तीन महीने बाद मुझे पिताजी की चिट्ठी मिली कि अंजू और मंजू की शादी पक्की हो गयी। करीब के गाँव के जमीनदार के लड़कों के साथ। हम दोनों को शादी में बुलाया था।
मैं और प्रीती हमारे घर शादी अटेंड करने पहुँचे। देखा अंजू और मंजू बहुत खुश थीं। शादी के दिन जब हम अकेले में मिले तो प्रीती ने उनसे पूछा, “तुम दोनों को कोई शिकायत तो नहीं है?”
अंजू ने मंजू की तरफ देख कर कहा, “सिर्फ़ एक!”
“और वो क्या है?” प्रीती ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हम इतने दिन वहाँ रहे पर भैया को हम इतने सुंदर नहीं दिखे कि वो हमें चोद सके”, अंजू ने कहा।
“अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, तुम भी यहीं हो और तुम्हारे भैया भी! जाओ और चुदवा लो उनसे, मैं बुरा नहीं मानुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“प्रीती! अपनी सीमा में रहो”, मैंने अपनी बहनों को बाँहों में भरते हुए कहा, “ऐसी बात नहीं है पगली, जब तुम दोनों का नंगा बदन देखा तो मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था, अगर तुम दोनों मेरी बहनें ना होती तो उसी समय तुम दोनों को चोद देता।”
“मैं भी इस चीज़ को मानती हूँ, रिश्तों की कदर करनी चाहिये”, प्रीती बीच में बोली, “अब तुम दोनों को अपनी सुहागरात का इंतज़ार होगा?”
“हाँ भाभी, तीन महीने हो गये चुदवाये, अँगुली से अपनी चूत चोद-चोद कर देखो हमारी अँगुली भी घिस कर एक इंच छोटी हो गयी है”, मंजू ने अपनी अँगुली दिखाते हुए कहा।
“मैं तो यही प्रार्थना करती हूँ कि सब अच्छी तरह से हो जाये, हमारे पतियों को ये ना पता चले कि हमारी चूत कुँवारी नहीं है”, अंजू थोड़ा सिरियस होते हुए बोली।
“घबराओ मत! सब ठीक होगा”, प्रीती ने उन्हें सांतवना दी।
शादी के बाद हम लोग वापस लौट आये। प्रीती बराबर एम-डी और महेश के घर जाती रही। हमारी चुदाई वैसे ही चल रही थी। मैं ऑफिस में लड़कियों को चोदता और प्रीती को घर पर। प्रीती भी घर पर मुझसे चुदवाती और क्लब में दूसरों से। वो चाहे एम-डी और महेश से कितनी भी गुस्सा हो पर मुझे लगने लगा था कि प्रीती को यह शबाब-शराब से भरपूर ऐय्याश लाइफ स्टाईल रास आ गया था। उसकी चुदाई की आग पहले से बहुत बढ़ गयी थी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
एक दिन मैं ऑफिस से घर लौटा तो देखा प्रीती एक खत फढ़ रही थी, और जोर-जोर से हँस रही थी।
“किसका खत है?” मैंने पूछा।
“लो तुम ही पढ़ के देख लो”, प्रीती ने मेरे हाथ में खत पकड़ा दिया।
मैंने खत लेके पढ़ा………………………..
“हमारी प्यारी भाभी,
सॉरी हम दोनों आप को खत नहीं लिख पाये।
हम दोनों बहुत मज़े में हैं। हमारे पति बहुत ही अच्छे इनसान है। हर रात को हमारी जमकर चुदाई करते हैं। मैं शुरू से बताती हूँ।
हाँ हमारी सुहागरात की रात से! हमारे पतियों ने पहले किसी लड़की को चोदा नहीं था, इसलिये जल्दबाज़ी में उन्हें हमारे कुँवारे ना होने का पता नहीं चला। फिर भी हम उन्हें कहते रहे, जरा धीरे-धीरे करो, दर्द हो रहा है।
कुछ महीनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर हमें चुदाई में इतना मज़ा नहीं आता था, क्योंकि हमारे पति बहुत ही सीधे हैं। ना तो वो हमारी चूत चाटते हैं, ना ही हमे अपना लौड़ा चूसने देते हैं। गाँड मारने की बात तो जाने दो।
फिर हम दोनों ने मिलकर इसका उपाय निकाला। हम दोनों ने एक दूसरे के पति को पटाया और उनसे चुदवा लिया। फिर एक बार हमने नाटक करके एक दूसरे को दूसरे के पति के साथ पकड़ लिया। हमारे पति इतने सीधे हैं कि हमसे माफी माँगने लगे। हमने उन्हें माफ़ किया पर एक शर्त पर कि वो हमें साथ-साथ चोदेंगे।
अब हम चारों साथ में ही सोते हैं, जैसे राम और श्याम के साथ सोते थे। हमने उन्हें चूत चाटना भी सिखा दिया है और हम उनका लंड भी मज़े से चूसते हैं। हम चारों का आपके पास आने को बहुत मन कर रहा है।
और आपका क्या हल है? भैया को हमारा प्यार देना।
बाय-बाय!
आपकी रंडी ननदें, अंजू और मंजू।”
“थैंक गॉड! ये दोनों अपने जीवन में सैटल हो गयी”, मैंने खत पढ़कर कहा।
समय गुजरने लगा और प्रीती की एम-डी और महेश से बदला लेने की ख्वाहिश और ज्यादा तेज होने लगी। मैंने उसे सांतवना देते हुए कहा, “प्रीती हिम्मत रखो! कोई रास्ता जरूर निकल आयेगा।” मुझे क्या मालूम था कि रास्ता भविष्य में हमारा इंतज़ार कर रहा है।
एक दिन मैंने ऑफिस से लौट कर प्रीती को बताया कि महेश बरबाद हो गया है। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“क्यों कैसे?”
“तुम्हें याद है? उसने बताया था कि वो अपना सारा पैसा शेयर मॉर्केट में लगाता है। मॉर्केट बहुत नीचे गिर गया है और उसे भारी नुकसान लगा है। बेचारा रो रहा था मेरे सामने, कि उसके पास अब कुछ भी नहीं बचा है।”
“भगवान ने अच्छा सबक सिखाया है हरामी को!”
“हाँ प्रीती, वो तो आत्महत्या तक करने की सोच रहा है।”
“नहीं सुनील! उसे आत्महत्या नहीं करने देना, पहले मेरा बदला पूरा हो जाये, फिर चाहे वो आत्महत्या कर ले। सुनील तुमने क्या बताया उसे पैसे की तकलीफ है? इससे मेरे दिमाग में एक ऑयडिया आया है”, प्रीती ने कहा।
मैंने प्रीती को बाँहों भरते हुआ पूछा, “जल्दी से बताओ क्या ऑयडिया है?”
“अभी नहीं पहले मुझे सोचने दो, चलो चल कर सैलिब्रेट करते हैं”, कहकर प्रीती ने मुझे बाँहों में भर लिया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर चूमने लगी।
उसने दो पैग बनाये और ड्रिंक पीने के बाद हम कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गये। “ओह सुनील! देखो तुम्हारा लंड कैसे तन कर खड़ा है”, प्रीती ने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ते हुए कहा।
“पर मैं तो समझा था कि तुम अपने प्लैन के बारे में बताओगी?”
“ओहहह सुनील! प्लैन तो वेट कर सकता पर इस समय इस खड़े लंड की ज्यादा चिंता है, आओ और मुझे कस कर चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें फैला कर कहा।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत में घुसाया, “ओहहहहहह सुनील!!!” उसके मुँह से सिसकरी निकली।
“सुनील! मैं आज कितनी खुश हूँ, मुझे महेश से बदला लेने का तरीका मिल गया।”
“प्रीती! अब महेश के बारे में सोचना छोड़ो और इस बात पे ध्यान दो कि मैं अब तुम्हारी चूत के साथ क्या करने वाला हूँ”, मैंने अपना लंड तेजी से उसकी चूत के अंदर बाहर करते हुए कहा।
“हाँ सुनील! मुझे चोदो, बहुत अच्छा लग रहा है”, वो कहने लगी और मैं उसे और तेजी चोद रहा था। मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था।
मेरे ध्क्कों की रफ़्तार बढ़ते देख उसने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ लीं और अपने कुल्हे उछाल कर थाप से थाप मिलाने लगी। उसके मुँह सिसकरियाँ निकल रही थी।
“हाँआंआंआं सुनील!!! और जोर से!!!!!, हाँआँआँ ऐसे ही करते जाओ, हाँ और अंदर तक घुसा दो….. ओहहहहह….. आआआआआआहहहहहह….. मैं तो अपनी मंज़िल के करीब हूँ। मेरा छुटाआआ!!!” कहकर वो निढाल पड़ गयी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
मेरा नहीं छूटा था, इसलिये मैं और तेजी से उसे चोदने लगा। “लगता है तुम्हारा नहीं छुटा”, उसने भी मेरा साथ देते हुए कहा।
“नहीं, पर जल्द ही छूटने वाला है”, और मैं जोर-जोर से अपने लंड को अंदर डालने लगा।
वो फिर मेरा साथ देने लगी, “सुनील, रुको मत! हाँआँ चोदते जाओ… हाँआंआं लगता है मेरा फिर छूटने वाला है….” उसकी साँसें उखड़ रही थी।
“ओहहहहहहह सुनील मेरा छूटाआआआ….” वो जोर से चिल्लायी और उसी वक्त मैंने भी अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में भरे चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। इससे मेरे लंड में फिर गर्मी आ गयी और वो खड़ा हो उसकी चूत पर झटके मारने लगा।
वो मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ कर बोली, “सुनील अब मेरी गाँड मारो।” मुझे भी गाँड मारने का शौक था, इसलिये उसके कहते ही मैं उसके पीछे आकर अपने थूक से उसकी गाँड को गीली करने लगा। “सुनील ये मत करो!!! आज मेरी गाँड में ऐसे ही अपना लौड़ा घुसा दो”, वो बोली।
“पागल हो गयी हो? तुम्हें बहुत दर्द होगा!”
“होने दो सुनील! महेश भी हमेशा मेरी गाँड ऐसे ही मारता आया है। और अब अगर मेरा ऑयडिया काम कर गया तो मैं समझूँगी कि जैसे मैंने महेश की कोरी गाँड मारी है। इसलिये मैं बोलती हूँ वैसा करो”, उसने कहा।
मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया।
“ऊऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईईई माँआंआंआं…. मर गयीईईईई”, उसके मुँह से चींख निकली। मैं उसकी गाँड मारने लगा और साथ ही उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल कर उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का काम हो गया और दोनों एक दूसरे को बाँहों में ले कर सो गये।
सुबह मैंने उसे फिर पूछा, “प्रीती! अब बताओ तुम्हारा प्लैन क्या है?”
“सुनील प्लैन सिंपल है, बस तुम्हारी मदद चाहिये। तुम्हारी मदद के बिना ये पूरा नहीं हो सकता”, प्रीती खुश होती हुई बोली।
“प्रीती! मैं तुम्हें पहले ही बोल चुका हूँ, तुम्हें मुझसे पूरी मदद मिलेगी जिससे तुम एम-डी और महेश से अपना बदला ले सको, अब बताओ।”
“ठीक है! सुनो मेरा प्लैन क्या है….” Hindi Sex Stories
मेरी चुदाई की कहानी... सबसे पहले मैं अपना परिचय देना चाहता हूँ आप सबको। मेरा नाम विनय अग्रवाल है और मैं हैदराबाद आंध्र प्रदेश का रहने वाला हूँ ।
मै एक गॉव में हूँ और मेरी अभी तक शादी नही हुई है। लंड का साईज 8 1/2 इंच है पक्का यक़ीन है जिसे भी मैने चोदा है वो पूरी संतुष्ट हुई है।
अब मेरी कहानी के बारे मे सुनिये।
मेरी भाभी जिनकी उमर 24 साल की है काफ़ी सेक्सी है। उनका नाम सरिता है, इतनी ख़ूबसूरत है कि जो भी एक बार उन्हे देख ले बस दीवाना हो जाए। उनका फ़िगर परफ़ेक्ट है याने की 36-26-36।
कहानी शुरू होती है अब। मेरी भैया की नयी नयी शादी हुई थी। भाभी को जब मैने पहली बार देखा तब से ही मैं ये सोचने लगा थी की मैं उन्हे एक बार ज़रूर चोदूंगा और उनके नाम से मुठ मारा करता था।
शादी के कुछ दिनो के बाद ही भैया को ऑफ़िस के काम से एक महीने क लिए अमेरिका जाना पड़ा। तब भैया ने भाभी को कहा की तू क्यूं परेशान होती है तेरी सभी ज़रूरतों को तेरा ये देवर पूरा करेगा। काश वो समझे होते कि सभी ज़रूरतों को मैं पूरा कर दूँगा याने कि भैया ने सोचा नही था कि मैं उनकी बीवी को भी चोद दूंगा। बस वो दिन आया और भैया चले गये।
अमेरिका जाने के बाद 4-5 दिन बीत गये अब भाभी को बर्दाश्त नही हो रहा था। उनकी अदाये बताने लगी थी कि उनकी चूत को अब लण्ड चाहिये। मैं तो उन्हे चोदने का बहुत दिनो से प्लान बना ही रहा था।
एक दिन मैं अपने रूम में सोया हुआ था कि भाभी मुझे उठाने के लिए आई। मैं सिर्फ़ अपने अन्डरवीयर में था। जब भाभी मुझे उठाने के लिए आई तब उनकी नज़र मेरे तने हुए लण्ड पर पड़ी। मैं भी जानबूझ कर वैसा ही लण्ड को ताने हुये पड़ा रहा। ख़ैर भाभी ने देखा और शरमाकर चली गयी
अगले दिन भी यही हुआ अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था। अगले दिन जब भाभी मुझे उठाने के लिए आई तब मैने उन्हे मेरे पास खींच लिया और उनके लिप्स पर एक क़िस कर दिया। मैने अपना तना हुआ उनके बदन पर यहा वहां गड़ाना शुरू कर दिया। वह भी 8-10 दिनो से भूखी थी। उन्होने भी सहयोग किया। फिर मैने धीरे धीरे उनके चेहरे पर से नीचे जाते हुए उनके गर्दन पर क़िस करना शुरू किया। भाभी और गरम होती गयी मैने धीरे धीरे उनके सख्त गोलाईयों को दबाया और फिर उनका ब्लाऊज उतार दिया।
फिर उनकी साड़ी खोल दी अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में रह गयी थी। मैं उनके लिप्स पर क़िस किए जा रहा था और उनके बूब्स को दबा रहा था। फिर मैने उनकी ब्रा भी खोल दी। अब उनके बड़े बड़े उभार मेरे सामने थे, मैं पागल हुए जा रहा था। उसने अपने होठ मेरे होठ पे रख दिए और चूसने लगी और मेरा कड़क लण्ड सहलाने लगी।
मुझे लगा मैं कोई सपना देख रहा हू। उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मैं भी नंगा हो गया फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुह मे लेकेर चूसना शुरू किया इससे पहले किसी औरत ने मेरा लंड नही चूसा था। मैने आह भरी आआआाहा भाभी माआज़ा आआराहा है। फिर वह मुझे चोदने के लिए कहा और मेरे नीचे आ गई। मैंने उसकी चूत पर लण्ड रख कर और धक्का मारा। भाभी की चूत बहुत ज्यादा चौड़ी थी, लण्ड एक बार मे पूरा चला गया उसके कहा आ-आ मज़ा आ गया ज़ोर से चोदो। मै अपना साढे आठ इंच का लण्ड पूरा बाहर निकालता, फिर जोर से घुसेड़ देता।
वो भी नीचे से धक्के मार रही थी और कह रही थी विज्जू ज़ोर से चोदो आआाहा आाआह माज़ाअ आआ रहा है।
फिर थोड़ी देर बाद हम दोनो झड़ गये उसने मुझे कमर से पकड़ लिया ओर कहा मेरे ऊपर लेटे रहो।
फिर क़रीब 30 मिनट तक हम मस्ती करते रहे फिर उसने मेरा लण्ड अपने मुह मे लिया और चूसने लगी मै उसकी चूत मे उंगली डाल कर मज़ा दे रहा था। मैं फिर तय्यार हो गया। अब की बार उसने मुझे कहा मुझे पीछे से चोदो।
मैने उससे कुत्ते की तरह से चोदा। इस बार वो जल्दी झड़ गयी। मेरा लण्ड अभी भी मस्त तन्ना रहा था । मैं उसे अभी भी चोद रहा था मेरा पानी नही निकल रहा था। वो कह रही थी बस विज्जू अब बस करो मेरी टांग दुख रही ह॥
मैने कहा, थोड़ी देर बस। मैं धक्के मार रहा था वो चिल्ला रही थी मेरी टांग गई। मैं चोदता रहा, उसका पानी निकल गया था इस लिए फ़ाच फ़ाच की आवाज़ आ रही थी। मैं उसे चोद रहा था। वो कह रही थी बाआास बस्स्स्स आआआहा मैं मर जांऊगी फिर मेरा पानी उसकी चूत मे निकल गया। फिर हम दोनो लेट गये।
उसने कहा, तुमने तो आज अपनी भाभी की चूत का भुरता बना दिया। तुम्हारे भाई ने मुझे तो कभी ऐसा नही चोदा। फिर मैं उसे रोज़ चोदने लगा उसे दिन में दो बार का चस्का लग गया था।
सरिता भाभी की चुदाई की कहानी
मैने गाण्ड मारने पर बहुत कहानियाँ पढ़ी Hindi Porn Stories हैं, कुछ अच्छी होती हैं लेकिन ज़्यादातर झूठ होती हैं। ऐसा लगता है यह कहानी नहीं बल्कि लेखक की कल्पना है। जिन लोगों को सेक्स नहीं मिलता या जो अपनी ख्वाहिश पूरी नहीं कर पाते वो कल्पना से कहानियाँ लिखते हैं।
अगर इन कहानियों को सच समझा जाए तो गाण्ड मारना बहुत आसान लगता है। बस, लंड के सुपारे को गाण्ड के मुँह पर रखो और ज़ोर से धक्का लगाओ- हो गया… लड़की ज़ोर से चिल्लाएगी…” ऊऊउउइ मर गयी…… मेरी गाण्ड फाड़ दी……”
और थोड़ी देर बाद उसे मज़ा आने लगेगा !! असलियत में ऐसा नहीं होता है।
आप लोगों ने भी ऐसी बहुत कहानियाँ पढ़ी होंगी।
मैने बहुत गाण्ड मारी है और मैं आपको यकीन दिलाना चाहता हूँ कि गाण्ड मारना इतना आसान नहीं है। मेरे अनुभव में तो चूत लेना भी इतना आसान नहीं होता जितना यह लोग गाण्ड मारना समझते हैं।
अगर आप सचमुच में गाण्ड मारना चाहते हो और आप चाहते हो कि लड़की को भी उतना ही मज़ा आए जितना आपको आता है और वो बार बार आपसे गाण्ड मरवाने की चाहत रखे तो आपको मैं सही विधि बताता हूँ। ध्यान से पढ़िए आपकी मनोकामना पूरी होगी…
इस विधि में लड़की की गाण्ड की बात की गई है लेकिन अगर आप लड़के की गाण्ड मारना चाहते हैं तो भी यही विधि लागू होगी क्योंकि गाण्ड दोनों की एक जैसी होती है।
गाण्ड मारने से पहले कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना होगा। अगर इन बातों का ध्यान रखा गया तो लड़की को भी उतना ही मज़ा आएगा जितना आपको और वो आपसे बार बार गाण्ड मरवाने की कोशिश करेगी। अगर इन ज़रूरी बातों को नज़रअंदाज़ कर दिया तो हो सकता है आप गाण्ड कभी मार ही नहीं पाएँगे !
सबसे पहले यह बहुत ज़रूरी है कि लड़की गाण्ड मरवाने के लिए राज़ी हो। इसके लिए आपको उसे यह भरोसा दिलाना होगा कि आप ज़बरदस्ती नहीं करेंगे और अगर किसी भी वक़्त वो मना करती है तो आप रुक जएँगे। लड़की को ज़्यादा दर्द नहीं होना चाहिए। दर्द को कम करने का तरीक़ा इस विधि में आगे बताया गया है।
भगवान ने गाण्ड को संभोग के लिया नहीं बनाया इसलिए इसकी बनावट, पोज़िशन और प्रक्रिया ऐसी है कि आदमी का लिंग आसानी से उस में प्रवेश नहीं कर सकता (जैसा की चूत में कर सकता है)। इसके लिए आप को गाण्ड की बनावट के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
गाण्ड का काम शरीर से मल बाहर निकलना है। इसके मुँह की तरफ दो छल्लेदार मांसपेशियाँ (रिंग मसल्स) होते हैं जो कि अपनी इच्छा से खोले या बंद किए जा सकते हैं। एक छल्ला बिल्कुल मुँह पर होता है और दूसरा करीब पौन इंच अंदर की तरफ होता है। इन मांसपेशियों को आप अपनी गाण्ड में महसूस कर सकते हैं।
अपनी बीच की उंगली पर तेल या क्रीम लगा कर अपनी गाण्ड में डालने की कोशिश करें। जो बाहर की मांसपेशी है वो अपने आप सिमट कर सिकुड़ जाएगी क्योंकि उसका काम है बाहर की चीज़ को अंदर जाने से रोकना !
अपने आप को थोड़ा रिलॅक्स करो और गाण्ड की मांसपेशी को ढीला करो तो आपकी उंगली थोड़ा अंदर चली जाएगी। अब आप दूसरी मांसपेशी को महसूस कर सकेंगे जो कि आपकी उंगली को और अंदर नहीं जाने देगी। इस मांसपेशी को भी आप ढीला कर सकते हैं और थोड़ी कोशिश के बाद आपकी उंगली इसके भी पार हो जाएगी। जब दूसरी मांसपेशी पार कर ली तो फिर कोई और रुकावट नहीं होगी और आपकी उंगली आसानी से अंदर जा सकती है।
गाण्ड की ये मान्सपेशियाँ काफ़ी मज़बूत होती हैं और इनको आसानी से पार नहीं किया जा सकता। ख़ास तौर से अगर लड़की की मर्ज़ी ना हो तो। दूसरी बात यह भी है कि उंगली के मुक़ाबले में लंड का घेरा (साइज़) ज़्यादा होता है, इस कारण भी गाण्ड के अंदर डालना मुश्किल होता है।
गाण्ड की एक ख़ासियत है कि चूत की तरह इसमें कोई तरल (लिक्विड) चीज़ का प्रवाह नहीं होता। जब लड़की सेक्स की लिए उत्सुक होती है तो उसकी चूत में अपने आप गीलापन होता है जिससे लंड का प्रवेश आसान हो जाता है। यह प्रकृति का तरीक़ा है क्योंकि चूत को बनाया ही इस काम के लिए है। गाण्ड में कोई प्राकृतिक चिकनाहट नहीं होती इसलिए वो हमेशा सूखी सी रहती है। ऐसी हालत में लंड के प्रवेश से ना केवल लड़की को दर्द होगा बल्कि पुरुष को भी मज़ा नहीं आएगा। कुछ देर के बाद लंड में भी दर्द हो सकता है तो चुदाई का मज़ा किरकिरा हो सकता है।
गाण्ड की इन मांसपेशियों के इर्द गिर्द बहुत सी चेतना-नसें(नर्व-एंडिंग्स) होती हैं जिनमें रक्त संचार होता है। इस कारण गाण्ड मरवाने के दौरान लड़की को भी बहुत मज़ा आता है, शर्त यह है कि उसे दर्द ना हो।
गाण्ड ठीक से ना मारी जाए तो लड़की को बहुत दर्द होता है।
गाण्ड की बनावट से यह साफ हो गया है कि:
1) गाण्ड में कोई बाहर की चीज़ आसानी से अंदर नहीं जा सकती।
2) गाण्ड के अंदर कुछ भी डालने के लिए गाण्ड की मांसपेशियाँ को ढीला करना ज़रूरी है।
3) गाण्ड की मांसपेशियों को लड़की अपनी मर्ज़ी से ढीली या टाइट कर सकती है।
4) गाण्ड को बाहरी चिकनाहट की ज़रूरत होती है।
5) गाण्ड में नर्व एंडिंग्स होती हैं जिससे लड़की को गाण्ड मरवाने मैं मज़ा आता है। (यही कारण है कि दुनिया में इतने पुरुष समलिंगी होते हैं और खुशी खुशी गाण्ड मरवाते हैं)
क्योंकि भगवान ने गाण्ड को संभोग के लिए नहीं बनाया है तो यह आपकी ज़िम्मेदारी बनती है कि आप उसे इस काम के लिए तैयार करें। यह तैयारी तुरन्त नहीं हो सकती। इसमें 2-3 दिन से लेकर 6-7 दिन तक लग सकते हैं। जितनी आराम से तैयारी करेंगे, लड़की को आप पर उतना ही भरोसा बढ़ेगा और आपको भी उतना ही सुख गाण्ड मारने में मिलेगा। इसलिए जल्दबाज़ी मत करें।
अगर लड़की ने मंज़ूरी दे दी है और वो गाण्ड मरवाने का अनुभव करना चाहती है तो अपने आप वो अपनी गाण्ड को अच्छी तरह से साफ करके आएगी। गाण्ड अगर गंदी होगी तो सारा मज़ा खराब हो जाएगा। सबसे मज़ेदार तरीक़ा है जब आप दोनों एक साथ स्नान करो और इस दौरान एक दूसरे के गुप्तांगों को सहलाओ और साफ करो।
साफ बिस्तर
1-2 सख़्त तकिये
1-2 छोटे तौलिए
1 मोटी मोमबत्ती (1.5 – 2.0 इंच चौड़ी, 6-8 इंच लंबी)
1 ट्यूब के-वाइ जेली / नारियल तेल (तेल से जेली बेहतर है)
के वाइ जेली की ट्यूब रु 90/- किसी भी केमिस्ट की दुकान पर मिल जाएगी।
ध्यान रखो कि आपकी उंगली के नाख़ून बढ़े हुए नहीं हैं और ठीक तरह से कटे हुए हैं। नाख़ून के किनारे तेज़ नहीं होने चाहिए, उन्हें ठीक से फ़ाइल कर लो। अगर नाख़ून बढ़े होंगे तो जब उंगली लड़की की गाण्ड में डालोगे तो उसे लग सकता है।
लड़की को गाण्ड की बनावट के बारे में और रिंग मसल्स को किस तरह से ढीला या टाइट कर सकते हैं, के बारे में बताओ।
अब प्यार से लड़की के कपड़े उतारो और एक साफ बिस्तर पर पीठ के बाल लिटा दो। उसकी टाँगों को मोड़ दो और थोड़ा खोल दो। अब उसके चूतड़ों के नीचे 1-2 सख़्त तकिये रख कर उसके चूतड़ उपर की तरफ उठा दो जिससे उसकी चूत और गाण्ड साफ दिखाई दे। खुद भी पूरी तरह नंगे हो जाओ। अब उससे प्यार भारी बातें करो और पूरे शरीर को सहलाओ, खास तौर से उसके गाल, गर्दन, स्तन, चूचुक, पेट, जांघें और टाँगें !
कुछ देर तक उसकी चूत और गाण्ड को हाथ ना लगाएँ। थोड़ी देर में लड़की की चूची सख़्त हो जाएगी और वो अपनी टाँगें और खोल देगी। अब उसकी चूत को प्यार से सहलाना शुरू करो जिससे वो उत्तेजित हो जाए और चूत में से पानी का रिसाव होने लगे।
अब लड़की चुदाई के लिए तैयार है पर हमारा इरादा उसकी गाण्ड मारने का है। अपनी एक उंगली पर अच्छी तरह से के-वाइ जेली (या नारियल तेल) लगा कर लड़की की गाण्ड के मुँह पर सहलाओ। अभी उंगली अंदर डालने की कोशिश ना करो। उसे अपनी मांसपेशियाँ बारी बारी ढीली और टाइट करने को कहो। आप अपनी उंगली पर उसकी रिंग मसल्स को महसूस कर सकोगे। लड़की से प्यारी प्यारी बातें करो और उसको रिलॅक्स होने को कहो। थोड़ी देर में जब लड़की रिलॅक्स होने लगेगी तो उसकी गाण्ड भी थोड़ी ढीली हो जाएगी।
अब अपनी उंगली पर थोड़ी और जेली लगा कर धीरे धीरे उसकी गाण्ड के अंदर धकेलो। अगर लड़की गाण्ड को टाइट कर ले तो फिर उसे विश्वास दिलाओ कि उसे दर्द नहीं होने दोगे। ज़रूरत हो तो उंगली बाहर निकल लो और उसकी चूत, जांघें और बूब्स को प्यार से सहलाओ। जब लड़की दोबारा रिलॅक्स हो जाए तो उंगली पर जेली लगा कर एक बार और गाण्ड में डालने की कोशिश करो, जल्दबाज़ी नहीं करना। गाण्ड की बाहरी रिंग मसल को धीरे धीरे ढीला कर के उंगली को करीब आधा इंच अंदर डाल दो। अब धीरे धीरे उंगली को आधा इंच तक अंदर बाहर करो। देखो कि लड़की को दर्द नहीं हो रहा है। अगर लड़की खुश नहीं है तो उंगली अंदर रख कर रुक जाओ और थोड़ी देर बाद फिर शुरू करो।
अगर लड़की खुश है तो धीरे धीरे उंगली को और अंदर करो। कुछ दूर तक तो उंगली अंदर चली जाएगी पर फिर ऐसा लगेगा जैसे आगे कोई रुकावट है। यह उसकी गाण्ड की दूसरी रिंग मसल है। इसको पार करने की लिए एक बार फिर लड़की को रिंग मसल ढीला करने के लिए बोलो। (इस वक़्त लड़की को अपनी गाण्ड पर नीचे के तरफ ज़ोर लगाना चाहिए जैसा कि पॉटी करते वक़्त लगाते हैं, ऐसा करने से रिंग मसल खुल जाएगी और आप अपनी उंगली उसके पार ले जा सकते हैं). अगर लड़की रिलॅक्स नहीं करती है तो आपको धीरज रख कर धीरे धीरे उंगली से उसकी रिंग मसल को खोलने की कोशिश करनी होगी। याद रहे, कोई काम जल्दबाज़ी में ना करो। देखा जाए तो इस क्रिया में भी आप काफ़ी मज़ा ले सकते हो।
किसी भी वक़्त अगर लड़की को तकलीफ़ होने लगे तो उंगली तुरंत बाहर निकाल लो और उसको प्यार करो। उसे यह पूरा विश्वास होना चाहिए कि गाण्ड मारने के वक़्त आप उसे तकलीफ़ नहीं दोगे।
जब उंगली दूसरी रिंग मसल को पार कर जाए तो आपकी उंगली ने फ़तेह पा ली है। अब आप आराम से उंगली को जितना अंदर डालना चाहो डाल सकते हो। ध्यान रहे कि उंगली पर जेली या तेल अच्छी तरह लगा हो। अगर सूख गया है तो उंगली बाहर निकल कर दोबारा लगा लो और फिर से धीरे धीरे अंदर डालो। अगर एक बार उंगली अंदर चली गई है तो इसका मतलब यह नहीं है कि अब हमेशा आसानी से चली जाएगी। गाण्ड की मसल्स तो फिर से बंद हो गई होंगी, इसलिए हर बार गाण्ड में धीरे धीरे और प्यार के साथ ही प्रवेश करना है।
जब आपकी एक उंगली गाण्ड के अंदर बाहर जाने लगे और लड़की को तकलीफ़ नहीं हो रही हो तो आप यही प्रक्रिया दो उंगलियों पर जेली लगा कर कोशिश करो। इसमें शुरू में थोड़ी मुश्किल होगी क्योंकि गाण्ड का छेद छोटा होता है। एक उंगली तो चली जाती है पर दो उंगलियाँ मोटी होती हैं. लेकिन यह काम भी प्यार से और धीरज से हो जाएगा। आप महसूस करोगे कि जैसे जैसे लड़की को आप पर भरोसा बढ़ेगा वो इस काम में आपको सहयोग देगी और थोड़ा बहुत दर्द भी सहन करने लगेगी।
जब आपकी दो उंगलियाँ पूरी तरह अंदर चली जाएँ तो धीरे धीरे उंगलियों को दोनो तरफ घुमाना शुरू करो, इससे गाण्ड का पूरा छेद ढीला होगा। साथ ही साथ उंगलियों को अंदर बाहर भी करो।
हो सकता है इतना सब कुछ करने के बाद आप दोनों थक गये हों। अगर ऐसा है तो उंगलियाँ बाहर निकाल लो और आप दोनों कुछ और कार्यवाही कर सकते हो। अगर लड़की खुश है तो वो आपके लंड को मुँह में ले कर चूस सकती है जिससे आपके तने हुए लंड को आराम मिलेगा। यह मैं इस लिए कह रहा हूं क्योंकि उंगली करने के चक्कर में आप का लंड ज़रूर तैयार हो गया होगा। पर अभी मंज़िल बहुत दूर है और आप को धीरज से काम करना होगा। दूसरी बात यह है कि जो लड़की गाण्ड मरवाने के लिए तैयार होगी वो लंड तो चूस ही लेती होगी। अगर नहीं करती है तो उसे मेरी “लंड चूसने की विधि” पढ़नी चाहिए।
चलिए, आप दोनों ने आराम कर लिया। अब आगे बढ़ते हैं !
अब एक मोटी मोमबत्ती लो जिसका घेरा आपके तने हुए लंड के बराबर हो। इसकी लंबाई 6 इंच से कम नहीं होनी चाहिए। मोमबत्ती को अच्छी तरह चिकना कर लो। मोमबत्ती का सिरा पैना (शार्प) नहीं होना चाहिए। उसे चाकू से छील करके लंड-नुमा शेप दे दो। अब आगे के 3-4 इंच पर अच्छी तरह से जेली लगा लो।
एक बार फिर लड़की को रिलॅक्स होने के लिए बोलो और उसकी गाण्ड के अंदर और बाहर भी अच्छी तरह से जेली लगा दो। कभी भी जेली लगाने में कंजूसी ना करो।
अब मोमबत्ती का सिरा गाण्ड के मुँह पर रख कर धीरे धीरे अंदर डालने की कोशिश करो। शुरू में मुश्किल होगी। अगर ज़रूरत हो तो गाण्ड में एक उंगली डाल कर उसकी दोनों रिंग मसल्स को ढीला कर लो। लड़की को भी गाण्ड ढीली करने को कहो। जब मोमबत्ती करीब आधा इंच अंदर चली जाए तो एक दो बार उतना ही अंदर बाहर करो। लड़की के इशारों का ध्यान रखो कि उसे कोई तकलीफ़ तो नहीं हो रही। उससे बातें करते रहो। जब लड़की आधा इंच तक अंदर बाहर को सहन करने लगे तो आप मोमबत्ती को घुमाते हुए और अंदर डालने की कोशिश करो। (यकीन करो कि जेली सूख ना गई हो. ज़रूरत हो तो और लगा लो).
मोमबत्ती थोड़ा और अंदर जाएगी और फिर रुक जाएगी। अब तो आपको मालूम है यह क्यों रुकी है, दूसरी रिंग मसल सामने है। लड़की के स्तनों को चूमो और उसकी चूत को सहलाओ। साथ ही उसे रिलॅक्स करने और गाण्ड को ढीला करने को कहो। जैसे ही वो गाण्ड को रिलॅक्स करेगी, मोमबत्ती आराम से अंदर चली जाएगी।
अब थोड़ा इंतज़ार करो जिससे लड़की मोमबत्ती की मोटाई को अपनी गाण्ड में महसूस कर सके और उसका शरीर इस नई फीलिंग को समझ सके। थोड़ी देर के बाद मोमबत्ती को धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू करो। बाहर करते वक़्त लड़की को कोई तकलीफ़ नहीं होगी पर अंदर करते वक़्त आप को ध्यान रखना होगा कि जल्दबाज़ी ना हो। अगर जेली कम हो गई हो या सूख गई हो तो और लगा लो। इस तरह मोमबत्ती से आप उसकी गाण्ड को चोदना शुरू करो।
धीरे धीरे लड़की की तकलीफ़ कम हो कर ख़तम हो जाएगी और वो आनंद महसूस करने लगेगी। अब आप ४-५ इंच तक मोमबत्ती अन्दर बाहर कर सकते हो। जब तक लड़की चाहे उसे मोमबत्ती से चोदते रहो और फिर धीरे धीरे मोमबत्ती को बाहर निकाल लो। यह काम भी धीरे धीरे ही करना चाहिए।
मेरी राय में आपको यह उंगली और मोमबत्ती वाली प्रक्रिया दो तीन दिन तक करनी चाहिए। वैसे भी अब तक आप दोनों थक गये होंगे और इंतज़ार का फल हमेशा मीठा होता है।
उम्मीद है आपने दो तीन दिन तक बताई हुई प्रक्रिया कर ली है और अब लड़की अपनी गाण्ड की मसल्स को ढीला और टाइट करना सीख गई है।
मुबारक हो !! अब आपकी साथी लड़की गाण्ड मरवाने के लिए पूरी तरह तैयार है। जिस दिन का इंतज़ार था वो आ गया है। आशा है आप भी तैयार होंगे। गाण्ड मारने के लिए ज़रूरी है कि आपका लंड मज़बूती से खड़ा हो। वैसे तो पहली बार गाण्ड मारने की कामना में आपका लंड अपने आप ही तना हुआ होगा लेकिन अगर ऐसा नहीं है (और आप हृदय या रक्त चाप के रोगी नहीं हो) तो आप फ़ोर्ज़ेस्ट 10 या 20 की एक गोली करीब 30 मिनट पहले ले सकते हो।
अगर लड़की भरोसे वाली नहीं है तो कॉन्डोम का इस्तेमाल ज़रूर करो क्योंकि एच आई वी का खतरा गाण्ड मारने में सबसे ज़्यादा होता है। लेकिन अगर आप एक दूसरे को जानते हो और एक दूसरे पर भरोसा है तो कॉन्डोम की ज़रूरत नहीं है।
एक ज़रूरी बात और है- कभी भी गाण्ड मारने के दौरान या उसके एकदम बाद, अपने लंड को लड़की की चूत में नहीं डालो। ऐसा करने से लड़की को चूत में इंफेक्शन हो सकता है। अगर चूत मारनी है तो पहले लंड को अच्छी तरह से धो लो।
गाण्ड मारने के दो आसन हैं। इन दो बेसिक आसनों के कई रूप हो सकते हैं जो आप अपने आप बना सकते हैं।
आसन 1
इसमें लड़की पीठ के बाल लेटी होती है जैसा इस विधि के शुरू में बताया गया है और उसके चूतड़ के नीचे तकिये रखे जाते हैं जिससे उसकी गाण्ड उपर उठ जाए। इसको मिशनरी पोज़िशन या मॅन सुपीरियर पोज़िशन भी कहते हैं।
आसन 2
इसमें लड़की अपने घुटने और हाथों पर होती है और उसकी गाण्ड की ऊँचाई आप अपने हिसाब से उपर नीचे कर सकते हो। कुछ लड़कियाँ अपना सर नीचे बिस्तर पर टिका देती हैं और गाण्ड उपर की तरफ उठा देती हैं। इसको रियर एंट्री या डॉगी स्टाइल भी कहते हैं।
दोनों ही आसान ठीक हैं और आपको जो अच्छा लगे उसे इस्तेमाल करो। पहले आसन में लड़की आराम से होती है और आप उसके स्तन और चूत को देख व सहला सकते हो। लड़की भी आप को देख सकती है। आप एक दूसरे को किस कर सकते हो लेकिन लंड पूरा अंदर नही जा पाता। दूसरे आसन में लड़की जल्दी थक जाती है और आपको देख नहीं सकती। आप भी उसकी चूत और बूब्स को नहीं देख सकते हो ना ही ठीक से सहला सकते हो। लेकिन इस आसन में लंड ज़्यादा अंदर जा सकता है। इसमें लड़की भी पीछे की तरफ धक्का देकर लंड को प्रवेश में मदद कर सकती है।
लड़की को पहले की तरह आरामदेह पोज़िशन में बिस्तर पर लिटा दो। उसके पूरे तन को अच्छी तरह से प्यार करो और उसे मीठी मीठी बातें बोलो। उसके पूरे शरीर को सहलाओ तथा चूमो। उसकी चूत जब गीली हो जाए तो उसे उंगली से थोड़ी देर तक चोदो और उसकी भग्नासा के इर्द गिर्द सहलाओ। कुछ देर में लड़की चुदाई के लिए तैयार हो जाएगी। अब पहले की तरह जेली लगा कर शुरू में एक और फिर दो उंगलियों से उसकी गाण्ड को तैयार करो। लड़की अब तैयार है, उम्मीद है आप का लंड भी तैयार होगा।
जब पहली बार गाण्ड मारनी हो तो मेरी राय में दूसरा वाला आसान इस्तेमाल करना चाहिए (डॉगी स्टाइल) जिससे लड़की आपकी मदद कर सके और लंड के प्रवेश को कंट्रोल कर सके।
तो लड़की को डॉगी स्टाइल में आने को कहो और उसके चूतड़ की ऊँचाई को अपने लंड की उँचाई के हिसाब से ऊपर नीचे करो। उसका सर आराम से बिस्तर पर रह सकता है। अपने पूरे लंड पर खूब अच्छी तरह से जेली लगा लो और लड़की की गाण्ड के अंदर बाहर भी जेली अच्छे से लगा लो। एक बार फिर दो उँगलियों से उसकी गाण्ड को ढीला कर लो।
अब अपने लंड के सुपारे को गाण्ड के छेद पर रखो और धीरे से अंदर के तरफ धकेलो। अगर आपका लंड मोमबत्ती से बड़ा है तो धीरज से काम लो। धीरे धीरे, प्यारी-प्यारी बातें करते हुए और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाते हुए अपने लंड को गाण्ड में धकेलते रहो। लड़की को अपनी गाण्ड ढीली करने के लिए याद दिलाते रहो।
एक बात और है, जब हम गाण्ड की मांसपेशी को ढीला करते हैं तो वो सिर्फ़ एक क्षण (सेकेंड) के लिए होती है और फिर टाइट हो जाती है। उसको अपनी मर्ज़ी से हम ज़्यादा देर तक ढीला नहीं रख सकते। आप इस बात को अपनी गाण्ड में खुद उंगली डाल कर महसूस कर सकते हो। इसलिए आप और लड़की के बीच ताल-मेल की ज़रूरत है। जब आप अंदर को धकेलो, तभी लड़की गाण्ड ढीली करे नहीं तो फ़ायदा नहीं होगा।
अगर गाण्ड का छेद ना खुले तो उंगली या मोमबत्ती का इस्तेमाल फिर करो और लड़की को रिलॅक्स करने को कहो। इस बात का ध्यान रखो कि लंड का घेरा काफ़ी ज़्यादा होता है और पहली बार आसानी से गाण्ड में नहीं जाता है। जेली लगी होने के कारण लण्ड फिसलता भी रहता है और गाण्ड में नहीं जा पाता।
थोड़ी कोशिश के बाद आपका लंड करीब 1/4 इंच अंदर चला जाएगा। यहाँ पर रुक जाओ और लड़की से पूछो उसे कैसा लग रहा है। अगर उसे दर्द हो रहा हो तो लंड बाहर निकाल लो, हो सकता है आपका लंड काफ़ी बड़ा है। यह तो आपके लिए खुश खबरी है !! या फिर लड़की को डर लग रहा है !
लड़की से दोबारा पूछो कि वो क्या करना चाहती है। ज़्यादातर लड़कियाँ आपको दोबारा कोशिश करने को कहेंगी। अगर ना भी कहे तो भी आप धीरज रखो और कुछ देर और मोमबत्ती वाली प्रक्रिया करो। मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि मेरी विधि से आप चलोगे तो कोई भी लड़की आपसे गाण्ड मरवाने के लिए मना नहीं करेगी। मेरे तज़ुर्बे में अच्छी तरह से मारी हुई गाण्ड में लड़कियों को चूत मरवाने से भी ज़्यादा मज़ा आता है। गाण्ड की बाहरी और अंदर की रिंग मसल्स के इर्द गिर्द बहुत नर्व-एंडिंग्स होती हैं जिसमें रक्त प्रवाह होता है जिस से गाण्ड मरवाने के दौरान लड़की को बहुत मज़ा आता है. आप धीरज से काम लो….
थोड़ी देर रुकने के बाद एक बार फिर लंड को गाण्ड के छेद पर रख कर अंदर डालने की कोशिश करो। जेली लगाना नहीं भूलना और जल्दबाज़ी नहीं करना। (मुझे मालूम है आपके लंड का सब्र ख़तम हो रहा होगा। अगर आपसे और ना रुका जाए तो चूत में डाल के संभोग कर लो। चिंता मत करो आपका लंड फिर तैयार हो जाएगा।
जब लंड पहली रिंग मसल को पार कर ले तो थोड़ी देर रुक जाओ और लड़की को रिलॅक्स करने को कहो। उसको बताओ कि अब आप लंड को और अंदर नहीं करोगे। लड़की खुद पीछे की तरफ धक्का लगा के लंड को जितना चाहे अंदर करेगी। अब कंट्रोल लड़की के पास है और आपको उसे तकलीफ़ पहुँचने की चिंता नहीं करनी।
जब कंट्रोल लड़की के पास आ जाता है तो आपको आश्चर्य होगा कि कितनी आसानी से वो आपके लंड को अंदर ले लेती है। आपको भी लड़की की टाइट गाण्ड का पहली बार अनुभव होगा। आपका लंड बिल्कुल टाइट फिट में जकड़ा जाएगा और आपको स्वर्ग महसूस होगा। ज़्यादातर लोग इससे ज़्यादा रोक नहीं पाते और क्लाइमॅक्स कर जाते हैं। अगर आप टारजन हैं तो कुछ देर तक लंड को पूरी तरह अंदर होने का आनंद उठाने दो, फिर धीरे धीरे लंड को बाहर की तरफ निकालने की कोशिश करो। लड़की की गाण्ड आपके लंड को कस के पकड़ लेगी।
आपका लंड आसानी से बाहर नहीं आएगा। करीब आधा इंच बाहर निकाल कर फिर धीरे धीरे अंदर करो। यह प्रक्रिया 3-4 बार करो। हर बार अंदर धीरे धीरे ही करना है। लड़की को पूछो कि उसे कैसा लग रहा है। अगर वो ठीक है तो अब करीब एक इंच तक अंदर बाहर करना शुरू करो। अभी भी धीरे धीरे ही !! फिर लड़की से पूछो उसका हाल कैसा है… अगर वो खुश है तो और ज़्यादा अंदर बाहर करना शुरू करो।
कोशिश करो कि लंड अंदर की रिंग मसल के बाहर नहीं निकल जाए। अगर उसके बाहर निकल जाएगा तो आपको फिर से धीरे धीरे अंदर डालना पड़ेगा और लड़की को भी मदद करनी होगी. (पर इस में आपको मज़ा भी बहुत आएगा) इस तरह धीरे धीरे आप ३-४ इंच अन्दर बाहर कर पाओगे।
अगर अब तक भी आपका क्लाइमॅक्स नहीं हुआ है और लड़की को भी तकलीफ़ नहीं हो रही है तो धीरे धीरे अपना स्ट्रोक बड़ा करते रहो, ध्यान रखो कि जेली सूख ना गयी हो। ज़रूरत हो तो और लगा लो और फिर से शुरू हो जाओ। एक समय आएगा जब लड़की पूरी तरह से रिलॅक्स हो जाएगी और आपका लंड बिना मुश्किल के पूरा अंदर बाहर होने लगेगा। लड़की को दर्द नहीं होगा और वो आपके साथ मज़ा लेने लगेगी। वो अपने आप अपनी गाण्ड को आगे पीछे करने लगेगी और चाहेगी कि यह चुदाई ख़तम ना हो…
जब आपका क्लाइमॅक्स हो जाए तो आराम से लंड बाहर निकाल लो और लड़की को अच्छी तरह से प्यार करो। उसने दर्द सहकर भी आपको इतनी खुशी दी है। अगर लड़की का क्लाइमॅक्स नहीं हुआ है तो उसकी चूत और भग को सहला कर उसको चरम सीमा तक ले जाओ। फिर एक दूसरे की बाहों में जितनी देर तक लेट सकते हो लेते रहो।
जब अगली बार उसी लड़की की गाण्ड मारनी हो तो यह ना समझना कि अब तो उसकी गाण्ड हमेशा के लिए तैयार हो गई है। जब तक 7-8 बार उसकी गाण्ड नहीं मार लोगे, आपको धीरज से ही काम लेना पड़ेगा। यह ज़रूर है कि पहली बार गाण्ड मारने के मुक़ाबले बाद के मारने में थोड़ा फ़र्क़ तो आ जाता है, पर इतना नहीं आता कि लड़की को तकलीफ़ ना हो।
अगर आप कुछ अरसे (1-2 महीने) के बाद दोबारा गाण्ड मारने लगते हो तो आपको पूरी सावधानी फिर से बरतनी पड़ेगी जो इस विधि में बताई गई है।
और अधिक आनंद देने के लिए लड़की अपनी मांसपेशियों के ज़रिए आप के लंड को जकड़ सकती है और ढील दे सकती है। इससे आपका लंड ज़्यादा देर तक तना रह सकता है और आपको मज़ा भी ज़्यादा आएगा। जब आपका लंड पूरी तरह अंदर हो तो लड़की को गाण्ड की मान्सपेशियाँ कसने और ढीला करने को बोलो और स्वर्ग प्राप्त करो। यह क्रिया चूत से भी हो सकती है पर गाण्ड की बात ही और है !!
गाण्ड मारने के बहुत फायदे हैं:
1) दोनों को ज़्यादा मज़ा आता है क्योंकि गाण्ड चूत के मुक़ाबले ज़्यादा टाइट होती है और इसको ज़्यादातर लोग नहीं कर पाते हैं।
2) बच्चे होने का डर नहीं होता।
3) मासिक-धर्म के दौरान भी इसका मज़ा ले सकते हैं।
पता नहीं ज़्यादातर लड़कियाँ गाण्ड क्यों नहीं मरवाती ! ज़्यादातर लड़कियाँ इस सुख को भोग नहीं पाती हैं क्योंकि हम मर्द सही तरीका नहीं जानते और शुरू में ही उन्हें बहुत ज़्यादा दर्द का अहसास करा देते हैं। उन बेचारी लड़कियों को पता ही नहीं कि वो क्या खो रही हैं।
आशा है आपको मेरी विधि पसंद आई होगी। आप इस विधि का इस्तेमाल करो और बताओ कि आपको सफलता मिली या नहीं और लड़की को कैसा लगा। अगर कोई लड़की गाण्ड मरवाने को बिल्कुल राज़ी नहीं हो तो उसे यह विधि पढ़ने को बोलो। मुझे पूरा भरोसा है कि अगर वो तुमसे प्यार करती है तो ज़रूर राज़ी हो जाएगी।
अगर आपको कोई और क्रिया की विधि सीखनी हो तो भी मुझे लिखो। Hindi Porn Stories
हेल्लो फ्रेंड्स, मेरा नाम सुंदर है Hindi Sex Stories और मेरी पिछली कहानियों पर आपने जो मेल दिए उनके लिए आपका बेहद शुक्रिया !
तो अब सीधे सीधे पेश है एक और बिल्कुल सच्ची और ताज़ी कहानी !
वैसे अपने बारे में एक बार फ़िर से बता दूँ, मेरी उम्र २४ साल है और मैं दिल्ली में रहता हूँ अच्छी सुडौल शरीर है और सुंदर लड़कियां देखते ही मेरा मन उन पर फिसल जाता है।
दरअसल हुआ यूँ कि मैं एक दिन अपने कुछ दोस्तों के साथ शाम के वक्त क्रिकेट खेल रहा था। ग्राउंड के ठीक बाएँ हाथ पर कोने पर एक काफ़ी शॉप है। उसके सामने कुछ लड़कियाँ खड़ी लगातार मेरी ओर देखे जा रही थी और आपस में बात भी कर रही थी (शायद मेरे बारे में)
मेरे दोस्त बार बार मुझ पर ताने कस रहे थे। इसी बीच उनकी तरफ़ गेंद चली गई और मैं गेंद उठाने के लिए उनकी तरफ़ चला गया। लड़कियाँ इंजीनियरिंग की स्टूडेंट्स थी और शायद टयूशन पढ़ने के लिए यहाँ आई हुई थी। टयूशन सेंटर साथ में ही था और वो शायद किसी और सहेली का इंतज़ार कर रही थी।
उनमें से ठीक एक के पैरों में गेंद जा कर गिरी, उसके एक स्कर्ट और टॉप पहना था और स्लीव लेस जैकेट पहनी हुई थी। बला की खूबसूरत लग रही थी और रंग संगमरमर की तरह गोरा था। उसकी गोरी गोरी टांगों के पास गेंद जाते ही मेरा मन मचला मगर मैंने उससे कहा- मैडम क्या आप गेंद उठा कर दे देंगी प्लीज़?
वो झुकी और झुकते ही उसकी गोरी छाती दिखाई देने लगी। उसने गेंद मेरी तरफ़ फेंक दी पर मेरी निगाहें उस पर ही टिकी थी। तब तो वो चली गई लेकिन मैं उसके टयूशन से लौटने का इंतज़ार करने लगा। हुआ वही ! वो वापिस आई अपने सहेलियों के साथ। कुछ दूर मैंने उसका पीछा किया लेकिन उसके बाद उसके सहेलियां दूसरे रास्ते पर चली गई और वो अकेली आगे बढ़ कर रिक्शा को हाथ देने लगी।
मैंने बाईक तुंरत उसके सामने रोकी और सामने जाकर हल्की सी मुस्कान देकर मैंने कहा- कैन आई गिव यु अ लिफ्ट?
उसने मुझे पहचान लिया और वो भी थोड़ा मुस्कुरा दी लेकिन फ़िर भी मेरे साथ जाने से मना करने लगी। मैंने बार बार उससे आग्रह किया तो वो मान गई और मैंने उसके घर पर उसे छोड़ा। रास्ते में जब उसके बूब्स मेरी कमर पर लग रहे थे तो मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था उससे मैंने उसका नंबर भी रास्ते में ही ले लिया।
रात को मैंने उससे फ़ोन पर खूब बात की और अगले दिन फ़िर उसे छोड़ने के लिए चला गया। आज उसने मुझे चाय का न्योता दिया, मैंने भी हाँ कर दी। घर में अन्दर घुसा तो वहां केवल उसके एक सहेली ही थी। दरअसल वो पेईंग गैस्ट रहती थी। उसने अपने सहेली से मेरा परिचय करवाया और फ़िर उसके सहेली किसी काम से बाज़ार चली गई।
ओह ! मैं आपको मेरी अप्सरा का नाम बताना तो भूल ही गया, उसका नाम था मीनू !
मीना चाय बना कर ले आई और मेरे साथ बैठ गई। आज भी उसने स्कर्ट और टॉप ही पहने थे, लेकिन आज वाली स्कर्ट कुछ छोटी थी इसलिए जब वो बैठी तो मुझे उसके गोरी टांगों के साथ साथ उसकी जांघें भी दिखाई दे रही थी। हम कुछ बातें करने ही लगे थे कि मैंने सामने मेज पर रखा अखबार उठाने की कोशिश की और अनजाने में मेरा कोहनी उसके हाथ से टकरा गई और उसकी चाय उस पर गिर गई।
चाय कुछ टॉप पर और कुछ स्कर्ट पर गिरी थी। वो जलन के मारे उठ कर खड़ी हो गई और तड़पने लगी। मैं भी घबरा गया और मैंने तुंरत उसका टॉप को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया, उसने बिल्कुल मन नहीं किया क्योंकि उसको बहुत जलन हो रही थी। उधर जांघों की भी हालत ऐसी ही थी, इसलिए वो बार बार पैर पटक रही थी। तो मैंने स्कर्ट भी उठा दी और उसे बाथरूम में ले गया ताकि उस पर पानी डाल सकूँ।
मैं अपने हाथ में पानी लेकर पहले उसके पेट पर और पेट से कुछ ऊपर और फ़िर स्कर्ट को पूरी तरह से उठा कर उसकी टांगों पर और जाँघों पर पानी डाल रहा था। वो इस बीच केवल हल्के हल्के रो रही थी। यह सब कुछ ऐसे हो रहा था जैसे वो कोई छोटी बच्ची हो और मैं उसे बहला रहा हूँ और शर्म-हया जैसी कोई बात हमारे बीच में हो ही न।
अब मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हारे पास बर्नोल या कोई और क्रीम है?
तो उसने कहा- हाँ है !
मैंने क्रीम उससे ली और उससे कहा- अपनी टॉप उतार दो मैं क्रीम लगा देता हूँ।
मेरा मन अब बेईमान हो चुका था। पहले तो वो झिझकने लगी मगर फ़िर मान गई। मैंने उसे मसलना शुरू किया और धीरे धीरे हाथ ऊपर ला कर उसकी गुलाबी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुचियों को भी छेड़ देता। उसे भी शायद मज़ा आ रहा था।
कुछ देर में उसने कहा- सुंदर ! तुम करना क्या चाहते हो?
मैं समझ गया कि उसके कहने का मतलब क्या है, मैंने कहा- वही जो तुम समझ रही हो।
उसने कहा- तो फ़िर खुल के करो ना !
अब क्या था, मैंने काम शुरू कर दिया और सीधे उसके होठों पर किस कर दिया और उसके होठ चूसने शुरू कर दिए। उसका चेहरा लाल हो गया था। मेरे हाथ उसकी चूचियां मसल रहे था और अब मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया। क्या गज़ब का फिगर था उसका ! चुचियाँ एकदम गोल और संतरे जैसी एक दम टाइट !
मैंने उसकी चुचियों को पीना शुरू कर दिया और वो मज़े से आह उह करने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरे बालों में थी और वो बस गरम हो रही थी। मैंने तुंरत नीचे खिसक कर उसकी स्कर्ट बिल्कुल ऊपर कर दी और उसकी पैन्टी नीचे खींच दी। उसने मेरा मदद करते हुए अपनी पैंटी को टांगों से अलग करके फेंक दिया और अब वो बिल्कुल पूरी तरह से मेरे हवाले थी।
उसकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे जो बहुत खूबसूरत लग रहे थे। मैंने तुंरत उसकी चूत पर जीभ लगा दी और चूसना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल मचल उठी। मीनू ने झटके से मेरा सर ऊपर उठाया और मेरा टी-शर्ट उतारने की कोशिश करने लगी। मैंने देर न करते हुए तुंरत अपनी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी और अपना अंडरवियर भी उतार दिया।
मेरा लंड देखते ही वो मानो डर सी गई और कहने लगी- तुम इसे मत डालना प्लीज़ !
मेरे लंड का साइज़ ८ इंच है जो लगभग ३ इंच से ज़्यादा मोटा है। मैंने उसे थोड़ा सा प्यार किया उसके होठों पर दोबारा किस करना शुरू किया और इस बीच उसने मेरा लंड हाथ में ले लिया और उससे खेलने लगी। थोड़ी ही देर में वो मस्त हो चुकी थी और मैंने उसकी टांगें खोल कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर लगा दिया।
उसकी चूत एक दम फ्रेश थी इसलिए लंड आसानी से जा नहीं रहा था। मैंने बहुत सारा थूक लेकर लंड पर और उसकी चूत पर लगाया और लंड को एक ज़ोरदार धक्का दिया और लंड अन्दर घुस गया लेकिन अभी भी लंड पूरा अन्दर नहीं गया था। वो दर्द के मारे चिल्ला उठी और बस यही कह रही थी- सुंदर प्लीज़ ! ये मत करो सुंदर ! मैं मर जाउंगी सुंदर ! मेरा चूत फट जायेगी सुंदर ! प्लीज़ मत करो सुंदर !
लेकिन मैने लंड बाहर नहीं निकाला और थोड़ी देर रुका रहा। जब वो कुछ सामान्य हो गई तो मैंने धीरे धीरे लंड हिलाना शुरू किया और उसके बाद उसे भी कुछ मज़ा आने लगा। मैंने उसे लगभग १५ मिनट तक खूब चोदा और इस दौरान वो ३ बार झड़ चुकी थी और अब मेरा भी पानी निकलने वाला था।
मैंने तुंरत लंड बाहर निकाला और उसके मुंह के पास ले गया और उससे मुंह में लेने को कहा। वो मना करने लगी लेकिन फ़िर भी मैंने लंड उसके होठों पर लगा दिया तो वो मुंह में लेने लगी और फ़िर मेरा सारा पानी पी गई। उसके बाद उसने मेरा लंड खूब चूसा और मैंने उसे उसी दिन २ बार और भी चोदा।
अब भी हमारी कहानी जारी है और मैं उसे बाईक पर उसके घर छोड़ने के लिए जाता हूँ और जिस दिन भी मौका होता है उसे खूब चोदता हूँ ! अपने विचार लिखें ! Hindi Sex Stories
मैं कुछ कहूँ इससे पहले वो मेरी गोद से सरक कर ज़मीन Antarvasna पर आ गयी मेरे पाजामा के आर पार उसने लंड टटोला. मैंने नाड़ा खोल दिया. आठ इंच का कड़ा लंड निकर में से वो निकाल ना सकी. मैंने निकर भी उतार दी और लंड आज़ाद किया. फ़ौरन उसने लंड पकड़ लिया. मुठ मारने लगी लंड और ज़्यादा तन गया. टोपी हटाकर उसने लंड का मत्था खुला किया और तुरंत अपने मुँह में ले लिया. मत्थे को जीभ और तालु के बीच दबाए रखकर वो स्थिर हो गयी दो मिनट तक वो हिली नहीं. मुझे बहुत अच्छा लगता था. लंड में हलके हलके ठुमके होते थे. बाद में उसने लंड का मत्था चूसना शुरू किया, जैसे बच्चा लॉलिपोप चूसता है वैसे. चूसते चूसते जीभ से चाटा और मुट्ठी में पकड़े हुए लंड के हिस्से पर मुठ मारने लगी मेरे हिप्स हिलने लगे. लंड ने भरपूर कामरस बहाया.
मेरा मोटा लंड लेने के लिए सपना को अपना मुँह पूरा चौड़ा करना पड़ा था. लंड के पानी के साथ मुँह का थूक मिलकर सारे लंड को गीला कर दिया था. मैंने उसका सिर पकड़ कर धक्के देना शुरू किया. गीला मोटा लंड उसका मुँह को पूच्च पूच्च आवाज़ से चोदने लगा. मेरी उत्तेजना तेज़ी से बढ़ गयी लंड और कड़ा हो गया और ठुमके लगाने लगा. सपना ने जब जीभ से मत्थे के नीचे छुआ तब मुझे लगा कि मैं उसके मुँह में ही झड़ जाऊँगा. मैंने झट से लंड निकाल दिया. सपना को फिर गोद में बिठाकर मैं फ़्रेंच किस करने लगा. उसके थूक के साथ मेरे लंड का पानी भी मेरे मुँह में आ गया.
अभिनव और उषा अपनी मस्ती में खोए हुए थे. अभिनव चित लेटा था. उषा उस पर औंधी पड़ी थी. अभिनव का सिर उषा की चौड़ी की हुई जांघें बीच था और मेरे ख़याल से वो उषा की पीकी को चुस रहा था. दूसरी ओर उषा अभिनव का तना हुआ लंड अपने मुँह में लिए चुस रही थी.
सपना को बाहों में भरकर मैं पलंग पर ले गया. उसे चित लेटा कर मैं बगल में लेट गया. मैंने उसके सीने पर जगह जगह पर चुंबन किए. ऐसे करते करते मैंने दोनों स्तनों भी चूम लिए. अंत में मैंने निप्पल मुँह में ले लिये. मैंने जीभ से निप्पल टटोले, बाद में चूसा. मुँह खोल कर मैंने एरोला साथ थोड़ा सा स्तन मुँह में लिया और चूसने लगा. सपना के नितंब हिलने लगे. मेरा हाथ पेट पर फिसल रहा था, उसका हाथ मेरे बालों में रेंग रहा था.
निप्पल चूसते चूसते मैंने मेरा हाथ भोस की ओर बढ़ाया. मैंने घाघरे के नाड़े को छुआ तो सपना ने मेरी कलाई पकड़ ली. मैंने ज़ोर लगाया लेकिन वो मानी नहीं. उसने टाँगें सीधी रखी थी. एक ओर मैं स्तन छोड़कर उसके पेट पर किस करने लगा और दूसरी ओर घाघरे के आरपार भोस सहलाने लगा. भोस ने भरपूर काम रस बहाया था. जिस तरह घाघरा गीला हुआ था इससे मालूम होता था कि सपना ने पेंटी पहनी नहीं थी.
मैं पेट पर किस करते करते भोस की ओर चला. मैंने जब उसकी नाभि पर होंठ लगाए तब गुदगुदी से वो तड़प उठी. मैंने उसे छोड़ा नहीं. मैंने जीभ से उसकी नाभि टटोली. सपना खिल खिल कर हँस पड़ी और उसकी जांघें ऊपर उठ गयी
फिर क्या कहना था? रेशमी घाघरा सरक कर कमर तक चढ़ गया मेरे कुछ किए बिना सपना की भोस खुली हो गयी उसने टांगे लंबी करने का प्रयत्न किया लेकिन मेरा हाथ जाँघ के पीछे लगा हुआ था, मैंने जांघें उठी हुई पकड़ रखी थी.
सपना जांघें सिकोड़ दे इससे पहले मैंने अपने हाथ से भोस ढक दी. मैं अब बैठ गया. होले से उसकी जांघें चौड़ी कर दी. सपना ने आँखें बंद कर दी. दोनों हाथ से मैंने जांघें सहलाई और चौड़ी पकड़ रखी.
सपना की जांघें सुडोल चिकनी और भारी भारी थी. जब पाँव लंबा रखती थी तब घुटनों से भोस तक दोनों जांघें आपस में सटी हुई रहती थी. दो भारी जांघें और उँची मोन्स ये तीनो बीच खड्डा सा बन जाता था जिसके तल में थी सपना की भोस. अलबत्ता इस पोजिशन में भोस का थोड़ा सा हिस्सा ही दिखाई दे सकता था.
ऊपर उठी हुई जांघें जब चौड़ी की गयी तब सपना की भोस ठीक से दिखाई दी.
उसके स्तन की तरह उसकी भोस भी छोटी थी, बारह साल की लड़की की हो वैसी. फ़र्क इतना था कि सपना की भोस पर झांट निकल आए हुए थे. बड़े होंठ मोटे और भरावदार थे, उस वक़्त सूजकर गुलाबी हो गये थे. तीन इंच की दरार में से छोटे होंठ सूजकर बाहर निकल आए थे. एक इंच लंबी और मोटी क्लाइटोरिस लंड की तरह खड़ी हो कर बाहर झाँख रही थी. दरार के पिछले कोने में था चूत का मुँह. इस वक़्त मुँह बंद था. सारी पीकी अपने पानी से गीली गीली हो गयी थी.
मैं अब ऐसे औंधा लेट गया जिससे मेरा सिर उसकी जांघें बीच आ जाये. अब सपना ने ख़ुद जांघें चौड़ी कर दीं. भोस से मादक सुगंध आ रही थी जिसे सूंघकर मेरा लंड ज़्यादा तन गया. लंड मेरे पेट से दबा हुआ था और कामरस उगल रहा था.
पहले मैंने ऊँगलिओं से भोस सहलाई. आगे से पीछे और पीछे से आगे सब जगह ऊँगलियाँ फिराई. एक उंगली पर चूत का पानी लेकर क्लाइटोरिस पर लगाया और उसे मसली. दो अंगूठे से बड़े होंठ चौड़े कर जीभ से छोटे होंठ चाटे. क्लाइटोरिस को मेरे होठों बीच ले कर चूसा. उसी वक़्त मैंने दो ऊँगलियाँ चूत में डाली और जी स्पोट का मर्दन किया. क्लाइटोरिस चूसते चूससते मैंने ऊँगलियाँ अंदर बाहर करके चूत को चोदा. सपना के नितंब डोलने लगे. उस से सहा नहीं गया. उसे पहला ओर्गाज़्म हो गया.
सपना का सारा बदन अकड़ गया और आँखे मिंच गयी भोस ने कामरस का फ़व्वारा छोड़ दिया. सिकुड़ कर उसकी जांघों ने मेरा सर भोस से दबा रखा चूत में फटाके हुए और सारे बदन पर रोएँ खड़े हो गये जब उसका ओर्गाज़्म शांत हुआ तब में उठा और उसकी जांघों के बीच आ गया. उसने ख़ुद लंड पकड़ कर भोस की ओर खींच लिया. मुझ से रहा नहीं गया. लंड का मत्था क्लाइटोरिस से घिसा, चूत के मुँह पर धरा और एक ही धक्के से सारा लंड चूत में पेल दिया. सपना के मुँह से आह निकल गयी.
चूत में लंड दबा के मैं रुका. लंड झटके पे झटका देने लगा जिसका जवाब चूत ने संकोचन करके दिया. मैंने लंड निकाला तो सपना ने मेरे चूतड़ पर हाथ रख कर मुझे अपनी ओर खींच लिया. लंड फिर से चूत की गहराई में उतर गया. ऐसे धीरे धक्के से मैं सपना को चोदने लगा.
उधर अभिनव अब पलंग पर लेटा था. उषा उसकी जांघें पर बैठी थी. अभिनव का लंड उषा की चूत में फसा था. अपने चूतड़ उठा गिरा के उषा लंड को चूत से अंदर बाहर किए जाती थी. कभी कभी अभिनव भी धक्का दे कर उषा को चोदता था. अभिनव के दोनों हाथ उषा के स्तनों पर लगे हुए थे. अभिनव का पूरा लंड बाहर निकल कर फिर चूत में घुसता हम दोनों देख सकते थे
हमें देख कर अभिनव बोला :यश, डरना मत. सपना दिखती है इतनी नाज़ुक नहीं है ज़ोर से चोदना, वरना उसे संतोष नहीं होगा. क्यूं, सपना?
जवाब में सपना ने चूत सिकोड़ी और लंड दबाया. मैंने कहा : उषा भी लंड ले सकती है तू भी उसे ज़ोर से चोदना.
अभिनव के कहने पर भी मैंने धीरे धक्के से ही सपना को चोदना चालू रखा. मैंने सपना से कान में पूछा: अभिनव सच कहता है क्या? चुदवाना है तेज़ धक्के से?
वो कुछ बोली नहीं, सिर हिलाकर न कही.
मैंने फिर पूछा: धीरे धक्के मीठे लगते हैं. हैं न?
बोले बिना ही फटाफट चूत से लंड दबा कर उसने जवाब दिया.
मैं: मोटा लगता है मेरा लंड? दर्द तो नहीं होता न?
वो बोली नहीं सिर हिला कर न कही.
मैं: कुछ तो बोल. जवाब दे, कैसा लगता है मेरा लंड? नहीं बोलोगी तो मैं उतर जाऊँगा.
उसने अपने पाँव मेरी कमर से लिपटाये और धीरे से बोली: बहुत मीठा लगता है.
प्यार से मैंने चार पाँच धक्के लगा कर सपना को चोदा. वो फिर बोली: आप ऐसा करते हें तब बहुत मीठी मीठी गुदगुदी होती है वहाँ
मैं: वहाँ मायने कहाँ?
सपना: आपका वो घुसा है वहाँ!
मैं: मेरा क्या कहाँ घुसा है? साफ़ साफ़ बोल तो.
सपना: मुझे शर्म आती है!
मैं: मुझ से शर्म? अब? एक बार बोल ज़रा, क्या कहाँ घुसा है तेरे मुँह से सुनना चाहता हूँ.
अपना मुँह मेरे कान से लगा कर वो बोली: आपका लंड घुसा है वहाँ से, मेरी चूत में गुदगुदी होती है.
सुन कर मेरा लंड और तन गया, मेरे कूल्हे हिल पड़े, कमर ने और धक्के लगा दिए.
धीरे चुदाई की वजह थी. एक तो ये कि सपना अभी उमर में कम थी और नयी नयी लंड ले रही थी. उसकी चूत बहुत सिकुड़ी थी. प्रमाण से मेरा लंड बहुत मोटा था. चूत में कहीं घाव न लग जाय इस लिए मैं सावधानी से लंड डालता था. चूत और लंड काफ़ी गीले थे फिर भी अंदर जाते समय लंड की टोपी उपर चढ़ जाती थी और नंगा मत्था चूत की दीवारों साथ घिस पाता था. जब लंड बाहर निकलता था तब टोपी उतर कर मत्थे को ढक देती थी. हाथ से मुठ मारते वक़्त ऐसा ही होता है न? मानो सपना की चूत मुठ मार रही थी मेरे लंड पर.
दूसरे, जब पूरा लंड अंदर घुस जाता था तब लंड का मूल जो ज़्यादा मोटा है वो चूत के मुँह में बैठ कर चूत को चौड़ा कर देता था. वैसे भी भोस की दरार लंड से चौड़ी होकर गोल बन गयी थी. लंड का मूल क्लाइटोरिस को छू लेता था. इसी वक़्त लंड का मत्था गर्भाशय का मुख धकेल देता था. बाहर निकलते वक़्त गर्भाशय वापस अपनी जगह पर आ जाता था. अब गर्भाशय की ये हलन चलन से आनन्द का फ़व्वारा छूट जाता था सपना की भोस में और पेडू में. वो अपने हिप्स हिलने से रोक नहीं पाती थी.
मुझे भी धीमी चुदाई से बहुत मजा आ रहा था. अंदर घुसे हुए लंड को जब सपना की योनी भींच लेती थी तब मेरे सारे लंड से रस झड़ता हो ऐसा महसूस होता था. योनी की करकरी दीवाल साथ घिसने से लंड में से इलेक्ट्रिक करंट निकल कर मेरे सारे बदन में फैल जाता था.
ऐसी मजेदार चुदाई को जल्दी से कौन ख़तम कर दे? लेकिन, अफ़सोस, सब चीज़ का अंत तो होता ही है चाहे वो चुदाई हो या और कुछ. क़रीबन दस मिनट तक आराम से मैंने सपना को चोदा होगा. हमारी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी थी. मेरा लंड इतना सेंसीटिव हो गया था कि अब वो चूत सहन नहीं कर पाता था अंदर घुसते ही ठुमक ठुमक करने लगता था. बार बार पूरा बाहर निकाल कर उसे हवा देनी पड़ती थी. सपना का बदन पसीने से छा गया था, चहेरा लाल लाल हो गया था, निप्पल्स खड़ी की खड़ी रहती थी. मेरा दिमाग़ सिर से निकल कर लंड के मत्थे में जा बैठा था और मेरी सुनता नहीं था.
मैंने लाख चाहा फिर भी धक्के की रफ़्तार अपने आप बढ़ने लगी सपना के कूल्हे भी ज़ोरों से हिलने लगे. मैंने सोचा कि पोजिशन बदलने से चुदाई लंबी चल सकेगी. मैंने कहा: तू ऊपर आ जा.
उसे बाहों में भरकर मैं पलटा और नीचे आ गया. तुरंत सपना धक्के लगाने लगी आगे पीछे सीधे गोल ऐसे सब तरह से उसने नितंब घुमा कर लंड से अपनी क्लाइटोरिस रगड़ दी. ओर्गाज़्म के क़रीब होने पर भी ओर्गाज़्म पा नहीं सकती थी. हमारे पेट बीच हाथ डाल कर जैसे मैंने क्लाइटोरिस को उंगली से छुआ कि तुरंत सपना को ओर्गाज़्म हो गया.
उसके धक्के बंद हो गये योनी फट फटा कर लंड को चुसने लगी सपना को बाहों में भर कर मैं फिर पलट गया और ऊपर आ गया. मैं स्थिर रहा, बड़ी मुश्किल से अपने आप को झड़ने से रोक सका. तीस सेकंड चले ओर्गाज़्म से सपना बेहोश सी हो गयी.
जब वो होश में आई तब बोली: ये क्या हो गया मुझे?
उसके सूजे हुए होंठों को चूम कर मैंने कहा: इसे ओर्गेज़्म कहते हें, प्यारी.
वो इतनी थक गयी थी कि मेरे गले में बाहें डालने सिवा और कुछ कर न सकी. उसकी आँख में आँसू आ गये और वो धीरे से बोली: मैंने सही सुना? आपने मुझे प्यारी कहा?
चुम्बन करते करते मैंने कहा: हाँ, प्यारी, तूने सही सुना. प्यारी प्यारी, हज़ार बार प्यारी.
ख़ुशी से वो रो पड़ी. मेरे चेहरे पर हाथ फिराकर बोली: मुझे आप कितने प्यारे लगते हें? आपको हुआ वो… वो ओर्गाज़्म?
मेरा लंड अभी उसकी योनी में था और कड़ा ही था. मैंने कहा: नहीं हुआ, अब होगा. तू थक गयी हो तो उतर जाऊँ, बाद में फिर चोदेंगे.
उसने मुझे हाथ पाँव से जकड़ लिया और बोली: न, अभी ही कर लीजिए जो चाहे सो, मेरी फिकर मत कीजिए.
अब आप ही कही ये मैं क्या करता? मैंने लंड निकाला. फिर डालने में ज़रा देर लगी क्योंकि वो थोड़ा सा नर्म पड़ गया था. नर्म लंड भी योनी के मुलायम स्पर्श से तन गया. ओर्गाज़्म से सपना की चूत काफ़ी खुल गयी थी. अब उसे लग जाने का डर नहीं था. थोड़ी देर में जब लंड पूरा अकड़ गया तब मैं घचा घच्छ, घचा घच्छ धक्के से चोदने लगा. सपना भी नितंब उछाल उछाल कर लंड लेने लगी दो पाँच मिनट की ऐसी घमासान चुदाई बाद मैं ज़ोर से झड़ा. सपना को मैंने बाहों में जकड़ लिया. लंड से वीर्य की न जाने कितनी पिचकारियाँ छूटी. छोटी सी चूत में जगह कहाँ थी, लंड जो भरा था? ढेर सारे वीर्य से चूत छलक गयी सपना भी मेरे साथ एक बार फिर झड़ी.
शाम ढल चुकी थी. उधर अभिनव और उषा ने अपनी चुदाई पूरी कर ली थी.
अभिनव बोला : चल घर चलें, वरना माताज़ी को शक पड़ेगा.
मैं: मुझे नहीं आना. नींद आ रही है कह देना सेहत अच्छी नहीं होने से सो गया हूँ
वो तीनो स्वस्थ हो कर चले गये मैं गहरी नींद में सो गया.
दूसरे दिन सुबह आँख खुली तब सपना मुझे जगा रही थी: उठिये न. साढ़े नौ बज गये हें. सब आपका इंतेज़ार कर रहे हैं चाय पर अभी माताज़ी मंदिर से लौटेगी और यहाँ आ जाएगी.
मैंने उसे बाहों में भर लिया और किस करने लगा. ज़ोर लगा कर वो छूट गयी और हँसने लगी तब मुझे पता चला कि मैं नंगा था.
फटाफट कपड़े पहन कर मैंने फिर सपना को पकड़ लिया. मैंने कहा: जाने से पहले एक बात बता. मुझसे शादी करोगी, प्यारी?
पल भर के लिए वो आश्चर्य से अवाक हो गयी फिर मुझसे लिपट गयी फिर रो पड़ी. मेरे चहेरे पर प्यार से हाथ फिरा कर बोली: एक बार नहीं, हज़ार बार करूंगी. आप मुझे इतने अच्छे क्यों लगते हैं?
किस करके मैंने कहा : चल चलें, उन लोगो को बता दें हमारा इरादा.
उषा और अभिनव चाय पर हमारा इंतज़ार कर रहे थे. सुमन भी आ गयी थी. अभिनव बोला : चलो, चलो, अभी माताज़ी आ जाएंगी तो उसे शक पड़ जाएगा.
मुझे हँसी आ गयी और सपना शरमा गयी देखकर उषा ने पूछा : कितनी बार चोदा कल रात?
मैं: पहले तू बता.
अभिनव : हमने कुछ बाक़ी रखा है सुहाग रात के लिए
मैं: ओह हो. क्या मैं शाहनाईयाँ सुन रहा हूँ शादी की?
अभिनव: हाँ, हमने शादी का फ़ैसला कर लिया है आशा है कि माताज़ी और पिताजी मंज़ूर दे देंगे. मैं माताज़ी से पूछ लूंगा.
इस वक़्त सपना धीरे से बोली: भैया, साथ साथ हमारी भी पूछ लेना.
दो मिनट के लिए सन्नाटा छा गया. बाद में सब ख़ुशी से झूम उठे. उषा और सपना लिपट गये मुझे गले लगाते हुए अभिनव ने कहा: वाह मेरे छुपे रुसतम आख़िर तूने मेरी गुड़िया ले ही ली. सपना, कैसा जादू चलाया है इस बेवकूफ़ के लंड ने जिससे तू अपना दिल दे चुकी हो?
अब देखी ये दोस्तो, प्यार से की गयी चुदाई कैसे शर्म के परदे तोड़ डालती है कल की शरमिली सपना आज अपने भैया से बिँदास कहने लगी: वो ही जादू भैया जो आपके लंड ने उषा भाभी की चूत पर चलाया है
सुनकर उषा बोली: अरे वाह रे मेरी सपना भाभी, देखो न, लंड की कुंजी लगती है चूत में और खुल जाता है ताला ज़ुबान का.
इतने में माताज़ी आ गयी अभिनव ने हमारा इरादा सुना दिया. पहले तो वो घबरा गयी उन्हें किसी तरह तसल्ली हो गयी कि हम चारों ने चुदाई कर ली थी. लेकिन अब शादी की मंज़ूरी सबसे उत्तम रास्ता था. ख़ुश हो के उसने हा कह दी. हम चारों ने उन के चरण छुए. तब उन्होंने धमाका किया.
वो बोली: मैं तेरे पिताजी से बात करूंगी. हम यश और उषा के माताज़ी पिताजी को बूलवा लेंगे बाद में ये रिश्ता जाहिर करेंगे अगले हफ़्ते. यश, उषा बेटा, तुम लोग रह सकोगे न इतने दिन?
मैं: हाँ जी
माताज़ी: तब तो अच्छा. और सपना, उषा को लेकर घर आ जा अभी. आज से तुम दोनों घर पर सोओगी हमारी साथ.
आगे की कुछ कहे इससे पहले माताज़ी चली गयी हम चारों एक दूजे के मुँह देखते रह गये उषा बोली: चल सपना, माताज़ी को मदद करें,
जाते जाते दोनों दरवाज़े में खड़ी हो गयी दोनों ने अपनी चोली खोल कर चुचियाँ दिखाई. सपना बोली: शाब, मुझे यहाँ बहुत दर्द होता है ज़रा मालिश कर देंगे आप?
हम दोनों उनको पकड़ने गये लेकिन ठेंगा दिखाकर वो भाग गयी उस रात के बाद चुदाई का फिर चांस न मिला, माताज़ी ने कड़ा पहरा जो लगाया था. इन दौरान दोनों लड़कियों ने हम पर जो सितम गुज़ारे. कभी चुचियाँ दिखाकर कभी जांघें नंगी करके, कभी दूर से फ़्लाइंग किस करके तो कभी अंगड़ाई ले कर वो हमें लुभाती रही लेकिन कभी पकड़ी गयी नहीं. हमें उन दिनों अपना हाथ जगन्नाथ करना पड़ा.
अब आप ये बताईये, दोस्तों, सुहागरात पर उन दोनों से कैसा व्यवहार किया जाय? Antarvasna
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