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आज स्कूल में Antarvasna अचानक जल्दी छुट्टी हो गई तो मैं घर आ गया। जैसे ही दरवाजे के पास पहुँचा कि मैंने सुना:
आई … ई … मान जाओ न … यह दीदी की आवाज थी।
मैं चौंक पड़ा … मैंने दरवाजा खटखटाने का इरादा त्याग दिया और दबे पाँव दरवाजे तक पहुँच गया और सुनने लगा।
अन्दर दीदी और किसी मर्द की आवाज आ रही थी- उचक क्यों रही है … कोई पहली बार दबा रहा हूँ क्या … पुच्च पुच्च पुच्च!
“इतना जोर से क्यों दबाते हो? मुझे दर्द नहीं होता क्या?”
“इतने समय के बाद मिलेगी तो सब्र कैसे होगा!”
“आप ही तो एक साल के बाद आये हो!”
“आह्ह्ह … मेरी जान् … याद है … पिछली बार कैसे छत पर तेरी चूत चोदी थी! पुच्च पुच्च!”
“सब याद है … कुछ बिछाया भी नहीं था … पूरी छिल गई थी पीछे से!”
“सच … पुच्च् पुच्च … पर बहुत मजा आया था! सच पूछे तो तुझे चोदने बाद तेरी बहन को चोदने में बिल्कुल भी मजा नहीं आता! तुझे भी तो मजा आता है न?”
“हाँ … पर थोड़ा धीरे दबाओ … आईइ … लगती है!”
“चुदते समय तो नहीं होता दर्द तुझे?”
“उस समय तो मैं दूसरी दुनिया में होती हूँ!”
फ़िर कुछ देर शान्ति रही.
“चल अब बैडरूम में चलें!”
“अभी नहीं … भाई आने वाला होगा.”
“अभी तो दो ही बजे हैं … वो तो चार बजे आयेगा.”
“जल्दी भी आ सकता है … रात को सबके सोने के बाद आऊंगी.”
“ज्यादा नखरे मत कर!”
“मान जाओ … पूरी रात चोदना फिर!”
“तो एक जल्दी वाला राउंड कर लेते हैं … लंड भरा हुआ है … आह्ह आह्ह!”
“बीच में मत छोड़ देना मुझे!”
“आज तक छोड़ा है क्या … बहन की लौड़ी … हमेशा तेरी चूत खाली करके झड़ा है.”
फ़िर उनके जाने की आवाज आई तो मैं दौड़कर घर के पीछे पहुँच गया जहाँ की खिड़की से बैडरूम के अन्दर सब दिखता था।
दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डाले कमरे में आये।
ओह … ये तो समीर जीजाजी हैं … मामा की बेटी के पति … तो दीदी इनसे भी?
हे भगवान … इस लड़की ने कोई लंड छोड़ा भी है क्या!
और आते ही जीजाजी ने उसे बाँहों में भींच लिया और फ़िर उनके होठ चिपक गये।
वे हाथों से उसकी चूची, कमर व गांड को जोर जोर से भींच रहे थे।
वह बिलबिला रही थी- आह्ह्ह … ऐसे क्यों अकुला रहे हो … मैं कहीं भागी जा रही हूँ क्या?
दीदी हाँफ़ते हुए बोली।
और फ़िर जब जीजाजी ने उसे नंगी करना शुरू किया तो दीदी बोली- पूरे कपड़े नहीं … अभी तो ऐसे ही चोद लो … रात में चाहे जैसे चोदना!
“ज्यादा नखरे मत कर बहनचोद … अभी काफ़ी वक्त है!”
और फ़िर आनन फ़ानन दोनों नंगे हुए और कस कर फ़िर लिपट गये।
लिपटे लिपटे जीजू ने उसे पलंग पर पटक लिया और उसके ऊपर आ गये!
फ़िर रगड़ना शुरू कर दिया।
मेरी बहन भी बराबर सहयोग कर रही थी।
सात इंच का लंड चूत की गहराई नापने के लिये बेताब था तो चूत भी उसका घमंड तोड़ने के लिये आतुर थी।
“कैसे चुदवायेगी मेरी जान?”
“शुरूआत तो सीधे ही करो!”
और दीदी ने टांगें फ़ैला दी.
तो जीजू ने लंड चूत पर टिका दिया और फ़िर होठों पर होंठ जमाकर चूसना शुरू किया तो सीमा ने भी हाथ से लंड को पकड़ कर चूत पर सैट किया और चूतड़ उचकाए.
चूत ने लंड को अपने भीतर समा लिया.
फिर सीमा ने अपनी टांगों में जीजू को लपेट लिया … लंड जड़ तक समा गया।
थोड़ी देर प्यार करने के बाद जीजू ने पोजीशन ली और दनादन ठोकना शुरू कर दिया।
वह आह्ह्ह आह्ह्ह करती रही और चूत ठुकती रही.
बीच बीच में जीजू उसे चूम भी रहे थे।
दीदी भी अब गर्म हो चुकी थी।
फ़िर वे अलग हुए और उन्होंने दीदी को हाथ पकड़ कर खड़ा किया और पलंग की ओर मुँह करके झुका दिया।
दीदी ने हाथ पलंग पर जमा दिये।
उसकी चूत मेरी तरफ़ थी।
जीजाजी उसकी पैंटी से पहले चूत पौंछी और फ़िर अपने सात इंच के लंड को पीछे से चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया।
दीदी बिस्तर पर गिर गई.
“थोड़ा आराम से डालो ना जीजू राजा!”
उन्होंने उसे फ़िर उठाया और इस बार थोड़ा आराम से लंड चूत में घुसेड़ा और फ़िर चोदने लगे।
वह भी चूतड़ हिला हिला कर धक्के मार रही थी- आह्ह मेरे प्यारे जीजू … और जोर से!
“ले मेरी जान! तेरी मस्त चूत को फ़ाड डालूँगा आज!”
और इस तरह उसने पहले उसकी चूत पीछे से खूब ठोकी और फ़िर उसे सीधे लिटा कर खूब पटक पटक के चोदा।
काफ़ी देर बाद वे झड़े और फ़िर लंड डाले ही उसके ऊपर लेट गये।
मैं वापस लौट गया और फ़िर काफ़ी देर बाद आया। Antarvasna
मेरा नाम राम है। अब Antarvasna मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। मैं गुजरात के एक शहर में रहता हूँ।
मेरा घर एक सरकारी कॉलोनी के पास है। मैं क़रीब २२ साल का था। तब मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और अभी कोई नौकरी पर नहीं लगा था। तब मैं और मेरे दोस्तों ने मिलकर एक धंधा शुरु किया। जिसमें हम पास की सरकारी कॉलोनी, जहाँ पर सभी लोग बाहर से रहने आते थे, उनको यह पता नहीं होता था कि इस शहर में कौन सी चीज़ कहाँ मिलती थी, उन्हें हम उनके काम का सामान घर तक पहुँचवाने का काम करते थे, और इससे अच्छी कमाई होती थी।
अब मैं कहानी पर आता हूँ।
वैसे तो मैं और मेरे दोस्त बड़े ही रोमांटिक थे और वहाँ की औरतें भी काफ़ी सेक्सी होतीं थीं। मीना जो कि एक क्लास टू ऑफिसर की बीवी थी, उनकी शादी को अभी कुछ ही महीने हुए थे। वह देखने में बहुत ही सेक्सी थी। उसकी फिगर ३४-२८-३८ होगी। ऊँचाई क़रीब ५.८ होगी। मेरी नज़र पहले दिन से ही उस पर थी। ख़ास कर उसके चूतड़ों को देखकर मैं पागल ही हो जाता था। दिन में एक बार तो किसी न किसी बहाने से उसके घर चला ही जाता था। बहाना न हो तो भी मैं ‘कुछ चाहिए’, यह पूछने के बहाने चला जाता था। अक्सर उसका पति जो कि ऊँची पोस्ट के कारण सुबह ९:३० को चला जाता था और राम को देर से आता था। तब से मैं यह ख़्वाब देखता था कब जा कर मैं इस को चोदूँ और हर रोज़ उस के ख्याल से मैं मुठ मारता था।
एक दिन की बात थी जब मैं कुछ सामान देने के बहाने उनके घर राम को गया तब घर का दरवाज़ा खुला था। और मैं बिना थोक किए बिना ही घुस गया। मैंने देखा तो मीना सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी और आईने के सामने बैठकर तैयार हो रही थी। मुझे देख उसने कोई हरक़त नहीं की, ना ही अपने आप को ढँकने की, न ही घबराई। और मैंने जैसे शर्म आ रही है, ऐसा नाटक करते हुए सॉरी कह कर घर से बाहर जाने का उपक्रम किया।
उसने कहा- अरे तुम कहाँ जा रहे हो? तुम तो बड़े शर्मीले हो। क्या इससे पहले तुम ने कभी किसी औरत को इस तरह नहीं देखा है?
मैंने कहा- नहीं !
क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने कहा- है ! लेकिन मैंने अभी तक उसके साथ कुछ भी नहीं किया।
तो उसने पूछा- क्यों नहीं किया।
अब धीरे-धीरे वह मेरे बहुत ही क़रीब आ गई। मैं समझ गया इसके इरादे कुछ ठीक नहीं लगते। फिर मैंने भी मौक़े की नज़ाकत को जान के अपने एक हाथ को उसकी जाँघ पर और दूसरे को उसके कंधे पर रख दिया। वो तो जैसे इसी के लिए तैयार थी।
मैंने हिम्मत करके धीरे-धीरे उसकी चूचियों पर ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैंने पूछा कि आईने के सामने बैठी थी, कहीं बाहर जाने वाली हो क्या?
तो वह बोली- मुझे पता था कि तुम इसी समय आते हो तो मैं तुम्हार ही इन्तज़ार कर रही थी।
तो मैंने पूछा- तुमको कैसे यह पता चला कि मेरी नज़र तुम पर है?
तो इस पर वह हँस कर बोली- एक दिन तुम्हें मेरे बदन घूर कर देखते हुए देख लिया था ! तुम्हारे साहब रात को क़ाफी देर से आते हैं, हफ्ते में चार दिन वह शराब पी कर आते हैं और बाकी उनको नौकरी की टेंशन रहती है तो हमारे बीच में महीने में एक-दो बार ही सम्बन्ध बन पाते हैं। मैं कॉलेज के समय से ही खूब चुदक्कड़ रही हूँ, मेरी चूत प्यासी रहे यह तो मुझसे सहन नहीं होता। पहले दो महीने सामने वाले पटेल साहब का लड़का उसके साथ सेटिंग हुई, लेकिन फिर वह विदेश पढ़ने चला गया। इतने में तुम आए और मेरी नज़र तुम पर पड़ी, तब मैंने तुमसे चुदवाने का मन बना लिया था। लेकिन तुम मुझे कुछ इशारा ही नहीं देते थे, इसीलिए आज मैंने तुम्हें खुला इशारा देने का मन बना लिया था।
यह कह कर वह मुझसे लिपट गई। मैं भी जैसे तैयार था। पहले मैंने उसकी ब्रा को खोला और मेरे सामने थीं दो हरी-भरीं नारंगी। उसकी चूचियों की घुण्डियों का रंग हल्का गुलाबी था और मैं बस उसपर टूट पड़ा। फिर उसने मेरे कपड़े उतारना शुरु किया। अब हम दोनों पैन्टी-अन्डरवीयर में थे। हम दरवाज़ा बन्द करना भूल गए थे।
उसने कहा- तुम अन्दर बेडरूम में जाओ, मैं दरवाज़ा बन्द कर आती हूँ।
मैं अन्दर रूम में पहुँचा, तब मैंने देखा कि रूम अच्छी तरह से सजाया था और कोने की टेबल पर सेक्सी तस्वीरों वाली पत्रिकाएँ थीं।
मैंने कहा- ये तुम पढ़ती हो?
“मैं अपनी दोस्त से पढ़ने के लिए लेती हूँ।”
“कौन सी दोस्त? वो मिसेज़ पटेल?”
तो उसने कहा “हाँ।”
“वह भी तुम्हारी तरह मस्त और सेक्सी है।”
“पहले मेरी प्यास बुझाओ फिर मैं उसके साथ तुम्हारी सेटिंग करवा दूँगी।”
अब उसने कमरे का ए.सी. चालू किया। फिर वह मेरे क़रीब आई और मेरे लंड को जो कब से उसे देखकर बाहर आने को बेक़रार था को अन्डरवीयर के ऊपर से ही सहलाना शुरु कर दिया। इसके बाद उसने उसे उतार दिया।
मेरा लंड जो कि ८” लम्बा और ३” मोटा था, उसे देखकर बोली “आज तक मैंने इतना तगड़ा और लम्बा नहीं देखा है। आज तो बहुत मज़ा आने वाला है। आज मैं तुम्हें वह सुख दूँगी जो तुम्हें सपनों में ही मिलता होगा।”
यह कह कर वो मेरा लंड अपने हाथ में लेकर उससे खेलने लगी, फिर उसे अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, साथ ही मेरे अंडकोष भी चाटने लगी।
मैंने कहा,”अब मुझसे रहा नहीं जाता, क्योंकि यह मेरा पहली बार है।”
“डार्लिंग यह तो शुरुआत है, आगे-आगे देखो होता है क्या!”
और वह घोड़ी बन गई और बोली,”बहुत दिन हो गए, मेरी किसी ने गाँड नहीं मारी। तुम मेरी यह तमन्ना आज पूरी करो।”
और सच में उसको जो पीछे से करने में जो मज़ा था वह अलग ही था। क़रीब १५ मिनट तक मैंने उसको पीछे से ही शॉट्स मारे। फिर वह सीधी हुई और मेरा मुँह अपनी चूत के पास ले गई, और मैं उसे चाटने लगा। मेरा एक हाथ उसकी दाईं चूची को दबा रहा था। अब हम 69 की मुद्रा में आ गए। वह काफी उत्तेजित हो चुकी थी और मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूम रही थी। मैं भी बहुत जोश में आ गया था।
अब उसने कहा कि अब मुझसे रहा नहीं जाता, चोदो मुझे।
फिर मैंने अपना लंड जो कि बहुत ही तड़प रहा था, उसकी चूत पर रख दिया और धक्का दिया। मेरा ४” उसकी चूत में जा चुका था और वह सिसकियाँ लेने लगी। फिर मैंने दूसरे धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे उसकी चूत की गरमी का अहसास पागल बना रहा था।
अब मैंने थोड़ी रफ्तार बढ़ाई, तो उसने भी कहा- और ज़ोर से, और तेज़। बस मुझे चोद दो।
और मैं साथ-साथ उसके पूरे गोरे बदन का मज़ा ले रहा था। कभी उसके होंठ, तो कभी-कभी उसकी चूची चूस कर। बस फिर क्या था, वह झड़ गई और मैंने भी कहा – मैं भी झड़ने वाला हूँ !
उसने कहा- तुम अन्दर मत झड़ना, मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूँ। तब मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और उसके मुँह पर पिचकारी मारी, उसने सारा पानी पी लिया।
ऐसा बहुत दिनों तक हुआ। मिसेज़ पटेल को कैसे चोदा, वो अगली कहानी में बताऊँगा।
मुझे मेल करके बताएँ कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी। Antarvasna
यह कहानी मेरी एक सहेली की है, Hindi Porn Stories आपको बता रही हूँ उसी के शब्दों में :
मैं अभी २८ की हूँ। मेरे पति का स्वर्गवास हुए १ साल हो गया था। वो एक दुर्घटना में चल बसे थे। मैं एम ए पास हूँ। एक प्राईवेट स्कूल में टीचर थी लेकिन वेतन बहुत ही कम था।
उन्हीं दिनो मेरे एक सहयोगी ने बताया कि सेठ राहुल के यहाँ एक घर की देखभाल के लिये एक महिला की जरूरत है। मैं उनसे जा कर मिल लूं, वो अच्छी तनख्वाह देंगे। बस उन्हें यह मत बताना कि ज्यादा पढ़ी लिखी हो।
मैं सेठ राहुल के यहां ७.३० बजे ही पहुंच गई। वो उस समय घर पर ही थे। मैंने घंटी बजाई तो उन्होने मुझे अन्दर बुला लिया। मैंने उन्हें बताया कि उनके यहाँ नौकरी के लिए आई हूं।
उन्होने मुझे मुझे गौर से देखा और कुछ प्रश्न पूछे … फिर बोले,”कितना वेतन लोगी?”
“जी … जहां मैं काम करती थी वहां मुझे २५०० रुपये मिलते थे !”
“अभी ३००० दूंगा … फिर काम देख कर बढ़ा दूंगा … तुम्हें खाना और रहना फ़्री है … जाओ पीछे सर्वेन्ट क्वार्टर है।” उन्होने चाबी देते हुए कहा “सफ़ाई कर लेना … आज से ही काम पर आ जाओ !”
मेरी तो जैसे किस्मत ही जाग गई। किराये के मकान का खर्चा बच गया और खाना मुफ़्त ! फिर ३००० रुपये तनख्वाह। मैं तुरन्त चाबी ले कर पीछे गई, ताला खोला तो शानदार दो कमरे का मकान, सभी सुविधायें मौजूद थी। मैंने जल्दी से सफ़ाई की और घर आकर जो थोड़ा सा सामान था, दिन को शिफ़्ट कर लिया। मेरा ५ साल का एक लड़का और मैं … और इतना बड़ा घर !
सेठ जी काम पर जा चुके थे। पर घर में ताला था। शाम को जब सेठ जी आये तो मैं उनके पास गई। उन्होंने सारा काम बता दिया। राहुल सेठ कोई ३५ साल के थे। और मधुर स्वभाव के थे।
मैंने झटपट शाम का खाना बनाया … मेरा खाना क्वार्टर में ही अलग बनता था। उसने हिदायत दी कि मुझे हमेशा नहा धो कर साफ़ रहना है … साफ़ कपड़े … बाल बंधे हुए … एक दम साफ़ सुथरे …… वगैरह। उन्होंने पहले से तैयार नये कपड़े मुझे दे दिये।
राहुल बहुत मोटे इन्सान थे। कहते हैं कि उनकी बीवी उनके मोटापे के कारण छोड़ कर भाग गई थी। राहुल का एक दोस्त जो उससे अमीर था और दिखता भी हीरो की तरह था … उसकी रखैल बन कर अलग मकान में रहती थी। राहुल सेट एकदम अकेले थे।
राहुल सेठ को अब मैं राहुल कह पर ही सम्बोधित करूंगी। राहुल को जिम जाते हुए २ महीने हो चुके थे। उनका मोटापा अब काफ़ी कम हो चुका था। शरीर गठ गया था। मैं भी अब अब उनकी ओर आकर्षित होने लगी थी। औरत मर्द की जरूरत है, ये मैं जानती थी। मेरा ज्यादातर समय खाली रहने में ही गुजरता था। खाली दिमाग शैतान का घर होता है।
मैं भी भरपूर जवान थी। मेरे स्तन भी पुष्ट थे और पूरा उभार लिये हुए थे। मेरा जिस्म भी अब कसमसाता था। रह रह कर मेरे उरोज़ कसक जाते थे। रह रह कर अंगड़ाइयां आने लगती थी, कपड़े तंग से लगते थे। मेरे आगे और पीछे के निचले भाग भी अब शान्त होने के लिये कुछ मांगने लगे थे।
एक बार रात को लगभग १० बजे मुझे ख्याल आया कि मुख्य गेट खुला ही रह गया है। सोने से पहले मैं जब बाहर निकली तो मैंने देखा कि राहुल की खिड़की थोड़ी सी खुली रह गई थी। मैंने यूं ही अन्दर झांका तो मेरे बदन में जैसे चींटियां रेंगने लगी।
राहुल बिलकुल नंगा खड़ा था और कुछ देख कर मुठ मार रहा था। मैं वहीं खड़ी रह गई। मेरा दिल धक धक करने लगा था। शायद वो कोई ब्ल्यू फ़िल्म देख रहा था और मुठ मार रहा था। मेरा हाथ बरबस ही चूत पर चला गया और दबाने लगी। मेरी चूत गीली होने लगी … जहाँ मैं चूत दबा रही थी वहाँ पेटीकोट गीला हो गया था।
उसके मुँह से वासना भरी गालियाँ निकल रही थी। चोद साली को और चोद … मां चोद दे इसकी … हाय। … भोसड़ी के क्या लण्ड है … ऐसा ही मुँह से अस्पष्ट शब्द बोले जा रहा था। फिर उसके मुँह से आह निकल गई और उसके लण्ड से लम्बी पिचकारी निकल पड़ी। वीर्य लण्ड से झटके खा खा कर निकल रहा था।
मेरा दिल डोलने लगा। मेरी छाती धड़कने लगी। पसीने की बून्दें छलक आई। मैं वहां से हट कर मुख्य द्वार को बन्द कर आई।
उस रात मुझे नीन्द नहीं आई। बस करवट बदलती रही। चुदने के विचार आते रहे। राहुल का लण्ड चूत में घुसता नजर आने लगा था। जाने कब आंख लग गई। सुबह उठी तो मन में कसक बाकी थी।
खड़ी हो कर मैंने अंगड़ाई ली और अपने बोबे को देखा और धीरे से उसे मसलने लगी, मुझे मेरी चोली तंग लगने लगी थी और फिर ब्लाऊज के बटन बन्द करने लगी। सामने जाली वाली खिड़की से राहुल मुझे ये सब करते हुए देख रहा था। मेरा दिल धक से रह गया। मैंने यूँ दर्शाया कि जैसे मैंने राहुल को देखा ही नहीं। पर मुझे पता चल गया कि राहुल मेरे अंगों का रस लेता है।
मैं भी अब छिप छिप के खिड़की से उसकी सेक्सी हरकतें देखने लगी। और फिर घर में आ कर खूब तड़पने लगती थी। कपड़े उतार फ़ेंकती थी, जिस्म को दबा डालती थी। राहुल अब भी खिड़की पर छुप छुप कर मुझे देखता था। सिर्फ़ उसे बहकाने के लिये अब मैं भी दरवाजे पर कभी अपने बोबे दबाती और कभी चूत दबाती थी ताकि वो भी मेरी तरह तड़पे और वासना में आकर मुझे चोद दे।
पर वो मेरे सामने नोर्मल रहता था। मेरी चोली अब छोटी पड़ने लग गई थी। उरोज मसलते मसलते फ़ूलने और बड़े होने लग गये थे। एक बार तो जब वो खिड़की से देख रहा था मैंने एक मोमबत्ती ले कर उसके सामने अपनी चूत पर रगड़ ली थी।
इसी तरह छ: माह बीत गये। इसी बीच राहुल ने मेरी तनख्वाह ५००० रुपये कर दी थी। ये सब मेरी सेक्सी अदाओं का इनाम था।
मुझे भी अब चुदने की इच्छा तेज़ होने लगी थी। इन दिनों राहुल के जाने के बाद मैं अक्सर उनके बेडरूम में जाकर टीवी देखती थी। आज मैंने कुछ सीडी टीवी के पास देखी। मैंने यूं ही उसे उठा ली और देखने लगी। एक सीडी मुझे लगा कि ये शायद ब्ल्यू फ़िल्म है। मैंने उनमें से एक सीडी प्लेयर में लगाई और देखने लगी।
उसे देखते ही मैं तो एकदम उछल पड़ी। मेरा अनुमान सही निकला, वो ब्ल्यू फ़िल्म ही थी। मैं जिंदगी में पहली बार ब्ल्यू फ़िल्म देख रही थी। मेरे दिल की एक बड़ी हसरत पूरी हो गई … बहुत इच्छा थी देखने की।
सीन आते गये मैं पसीने में तर हो गई। मेरे कपड़े फिर से तंग लगने लगे, लगता था सारे कपड़े उतार फ़ेंको। मेरा हाथ अपने आप चूत पर चला गया और अपना दाना मसलने लगी। कभी कभी अंगुली अन्दर डाल कर चूत घिस लेती थी … । मेरी सांसें और धडकन तेज हो चली थी।
अचानक मैंने समय देखा तो राहुल का लंच पर आने का समय हो गया था। मैंने टीवी बन्द कर दिया। अपने आप को संयत किया और अपने कपड़े ठीक कर लिये और डायनिंग टेबल ठीक करने लगी।
मेरी नजरें अब बदल गई थी। मर्द के नाम पर बस राहुल ही था जिसे मैं रोज देखती थी। मैंने उसे नंगा भी देखा … मुठ मारते भी देखा … पेंसिल को खुद की गांड में घुसाते हुए भी देखा … । मेरे दिल पर ये सब देख कर मेरे दिल पर छुरियाँ चल जाती थी।
मैं अपने कमरे में जाकर कपड़े बदल आई और हल्की सी ड्रेस पहन ली, जिससे मेरे उरोज और जिस्म सेक्सी लगे। मैं वापस आ कर राहुल का इन्तज़ार करने लगी। राहुल ठीक समय पर आ गया।
आते ही उसने मुझे देखा और देखते ही रह गया। वो डायनिंग टेबल पर बैठ गया। मैं झुक झुक कर अपने बोबे हिला कर खाना परोसने लगी। वो मेरे ब्लाऊज में बराबर झांक रहा था। मेरे बदन में कंपकंपी छूटने लगी थी। अब मैं उसे जवान और सेक्सी नजर आने लगी थी।
मैंने उसके पीछे जा कर अपने बोबे भी उससे टकरा भी दिये, फिर मैं भी सिहर उठी थी। उसने अपना खाना समाप्त किया और अपने कमरे में चला गया। मैं उसे झांक कर देखती रही। अचानक उसकी नजर सीडी पर पड़ी और वो पलक झपकते ही समझ गया।
राहुल अपने बिस्तर पर लेट गया और आंखें बन्द कर ली। राहुल के मन में खलबली मची हुई थी। मुझे लगा कि राहुल काफ़ी कुछ तो समझ ही गया है।
मैं उसके बेडरूम में आ गई। कही से तो शुरु तो करना ही था,”सर मोजे उतार दूँ?”
“ह … हां … उतार दो … और सुनो क्या तुम मेरी कमर दबा सकती हो … ?” उसने मुझे पटाने की एक कोशिश की। मेरा दिल उछल पड़ा। मुझे इसी का तो इन्तज़ार था।
मैंने शरमा कर कहा,”जी … दबा दूंगी … !”
मुझे कोशिश करके आज ही उसे जाल में फांस लेना था और अपनी चूत की प्यास बुझा लेनी थी। आखिर मैं कब तक तड़पती, जब कि राहुल भी उसी आग में तड़प रहा था। राहुल ने अपनी कमीज उतार दी।
इतने में बाहर होर्न की आवाज आई। मुझे गुस्सा आने लगा। मेरा बेटा सचिन स्कूल से आ गया था। कही गड़बड़ ना हो जाये, या मूड बदल ना जाये।
“सर … मैं अभी आई … !” कह कर मैं जल्दी से बाहर आई और सचिन को कहा कि वो खाना खा ले और फिर आराम कर ले। मैं सेठ जी को लन्च करा कर आती हूँ। उसे सब समझा कर वापस आ गई।
राहुल ने अपना ढीला सा पजामा पहन लिया था और उल्टा लेटा हुआ था। मैंने तेल की शीशी उठाई और बिस्तर पर बैठ गई। मैंने तेल उसकी कमर में लगाया और उसे दबाने लगी। उसे मजा आने लगा। मैं उसे उत्तेजित करने के लिये उसकी चूतड़ों की जो थोड़ी सी दरार नजर आ रही थी उस पर भी तेल लगा कर बार बार छू रही थी।
“रानी … तेरे हाथों में जादू है … जरा नीचे भी लगा दे … ” मैं समझ गई कि वो रंग में आने लगा है। गर्म लोहे पर चोट करनी जरूरी थी, वरना मौका हाथ से निकल जाता।
मैंने कमर से थोड़ा नीचे दरार के पास ज्यादा मलना शुरू कर दिया, और अपना हाथ उसके चूतड़ के उभारों को भी लगा देती थी। मुझे लगा कि उसका लण्ड अब बिस्तर से दब कर जोर मार रहा है। उसके जिस्म की सिहरन मुझे महसूस हो रही थी। मौका पा कर इस स्थिति का मैंने फ़ायदा उठाया।
मैंने कहा,”सर अब सीधे हो जाओ … आगे भी लगा देती हूं … !” जैसे ही वो पलटा, उसका तन्नाया हुआ लण्ड सामने खड़ा हुआ आ गया।
मैं सिहर उठी,”हाय राम … ! ये क्या … !” मैंने अपना चेहरा छिपा लिया।
राहुल ने कहा,”सॉरी रानी … ! मेरे जिस्म पर सात-आठ महीने बाद किसी औरत का हाथ लगा था … इसलिये भावनायें जाग उठी !” उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“सर जीऽऽऽ … शरम आती है … मैंने भी किसी मर्द को बहुत समय से छुआ ही नहीं है … !” मैंने आंखों पर से हाथ हटा लिया … और जैसे हामी भरते हुये राहुल का साथ दिया।
“फ़िल्म कैसी लगी थी … मजा आया … ?”
“ज् … जी … क्या कह रहे है आप … ?” मैं सब समझ चुकी थी … मैं जानबूझ कर शरमा गई। बस राहुल की पहल का इन्तज़ार था, सो उसने पहल कर दी। मेरी चूत फ़ड़क उठी थी। मैंने अपना हाथ नहीं छुड़ाया … वह मेरा हाथ खींच कर अपने और समीप ले आया।
मेरा बदन थरथरा उठा। चेहरे पर पसीना आ गया। मेरी आंखें उसकी आंखों से मिल गई … मैं होश खोने लगी … अचानक मेरी चूंचियो पर उसके हाथ का दबाव महसूस हुआ … वो दब चुकी थी … मैं सिमट गई,”सर प्लीज …! नहीं … मैं मर जाऊंगी …! “
राहुल ने तकिये के नीचे से एक पांच सौ का एक पत्ता मेरी चोली में घुसा दिया। पांच सौ रुपये मेरे लिये बड़ी रकम थी … मैं पिघल उठी। मेरा कांपता जिस्म उसने भींच लिया। मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया।
“पसीना पोंछ लो !” उसने चादर के एक कोने से मेरा चेहरा पोंछ दिया और मेरे नरम कांपते होंठ को उसने अपने होंठों से दबा लिये। मेरी इच्छा पूरी हो रही थी। पैसे भी मिल रहे रहे थे और अब मैं चुदने वाली थी। मेरा शरीर वासना की आग में सुलग उठा। चूत पानी छोड़ने लगी, शरीर कसमसाने लगा। उसके बलिष्ठ बाहें मुझे घेरने लगी। मेरा हाथ नीचे फ़िसलता हुआ उसके लण्ड तक पहुंच गया।
मैंने इज़ाज़त मांगी … “सर … छोटे साहब को … ?”
“रानी … मेरी रानी … जरा जोर से थामना … कहीं छूट ना जाये …!” उसने अपने लण्ड को और ऊपर उभार लिया। मेरा हाथ उसके लण्ड कर कस गया। उसने मुझे एक ही झटके में बिस्तर पर खींच कर पटक दिया। और सीधे मेरी चूत पर वार किया। मेरी चूत को हाथ अन्दर डाल कर दबा दी। मैं तड़प उठी। वो चूत मसलता ही गया। मैं छटपटाती ही रही। पर उसका हाथ अलग नहीं हटाया।
“हाऽऽऽय … रे … सर जी … मर गई … क्या कर रहे हो … आऽऽह … माई रे … ” मेरी खुशी भरी तड़पन उसे अच्छी लगने लगने लगी।
“कहां थी तू अब तक रे … क्या मस्त हो रही है … ” राहुल नशे में बोला। मेरी चूत दबा कर कर मसलता रहा … पर ये ५०० रुपये का नशा भी साथ था … उसकी इच्छा मुझे पूरी जो करनी थी। मेरे सारे कपड़े एक एक कर उतरते जा रहे थे। हर बार मैं जानकर नाकाम विरोध करती …!
अन्तत: मैं वस्त्रहीन हो गई। मेरी चूंचियाँ बाहर छलक पड़ी … मेरा नंगा जिस्म चमक उठा। मैंने नशे में अपनी आंखे खोली तो राहुल का बलिष्ठ शरीर नजर आया … जिसे मैं छुप छुप कर कितनी बार देख चुकी थी। उसका चेहरा मुझे अपनी चूत की तरफ़ झुकता नजर आया। मेरी क्लीन शेव चूत की पंखुड़ियों के बीच रिसता पानी उसे मदहोश करने लगा।
उसकी जीभ का स्पर्श मुझे कंपकपाने लगा।
मैंने सिसकारी भरते हुए कहा,”सर … नहीं प्लीज … मत करिये … ” पर उसने मेरी टांगों को चीर कर चूत और खोल दी और उसके होंठ मेरी चूत से चिपक गये … मैंने अपनी चूत मस्ती में और उभार दी।
“रानी … ना ना करते पूरी चुद जाओगी … ” कह कर उसने चूत पर जीभ गहरी घुसा कर निकाल ली … मैं उत्तेजना से कसमसा उठी। अब मेरा दाना और चूत दोनों ही जीभ से चाट रहा था। बहुत साल बाद मुझे फिर से एक बार ये सुख मिल रहा था।
उसने मुझे घुमा कर उल्टी कर दिया और चूतड़ों को थपथपाने लगा। यानि अब मेरी गांड की बारी थी … ! मेरा दिल खुशी के मारे उछल पड़ा। गाण्ड चुदवाना मेरा पहला शौक रहा है उसके बाद फिर चूत की चुदाई का आनन्द … !”
“सर नहीं ये नहीं … प्लीज … मेरी फ़ट जायेगी !” मैंने अपने नखरे दिखाए … पर ये क्या … राहुल ने एक ५०० का नोट और लहरा दिया …
“ये इस प्यारी गाण्ड चुदाई के मेरी रानी … !” मैं और पिघल उठी … मेरे मन चाहे काम के अब मुझे १००० रुपये मिल चुके थे, इससे ज्यादा और खुशी क्या हो सकती थी। राहुल ने थूक का एक बड़ा लौंदा मेरे चूतड़ो को चीर के छेद पर टपका दिया। और उछल कर मेरी पीठ पर चढ़ गया … कुछ ही देर में उसका लण्ड मेरी गांड के छेद में घुस चुका था। दर्द झेलना तो मेरी आदत बन चुकी थी।
“आह रे … घुस गया सर … !”
” रानी तू कितनी अच्छी है … पहले कहां थी रे … !”
“आप ही ने मुझ गरीबन पर ध्यान नहीं दिया … हाय गाण्ड चुद गई रे … !”
” रानी … मैं तुझे रानी ही बना कर रखूंगा … तूने तो मुझे खुश कर दिया है आज … !”
धचक धचक लण्ड घुसता रहा … मेरी गाण्ड चुदती रही … आज मेरी गाण्ड को लण्ड का प्यारा प्यारा मजा मिल गया था। मैं राहुल की अहसानमन्द हो चुकी थी। मैंने भी अब थोडी सी मन की करने की सोची … और कहा,”सर … आप कहे तो मैं अब आपको चोद दूँ …?”
“कैसे … आदमी कैसे चुद सकता है … ?”
“आप बिस्तर पर सीधे लेट जाईए … मैं आपके खड़े लण्ड पर बैठ कर आपको चोदूँगी … ” राहुल हंस पड़ा।
“छुरी तरबूज पर पड़े या तरबूज छुरी पर … चुदेगी तो चूत ही ना … ” मैं शरमा गई।
“हटो जी … आ जाओ ना … !”
राहुल नीचे लेट गया … उसका खड़ा लण्ड मेरी चूत को चुनौती दे रहा था। मैं धीरे से उसके लण्ड पर निशाना लगा कर बैठ गई। पर राहुल को कहाँ चैन था। उसने नीचे से ही अपने चूतड़ उछाल कर मेरी चूत को लपेटे में ले लिया और चूत को चीरता हुआ लण्ड अन्दर घुस पड़ा।
मेरा बेलेन्स गड़बड़ा गया और धच्च में लण्ड पर पूरी बैठ गई। मेरे मुख से चीख निकल पड़ी। लण्ड चूत की पूरी गहराई पर जाकर गड़ चुका था। मेरी चूत से थोडा सा खून निकल पड़ा। मैंने अंगुली से देखा तो लाल रंग … पर ये तो लड़कियों के साथ चुदाई में साधारण सी बात होती है। पर राहुल घबरा उठा,”अरे … ये क्या … खून … सॉरी … !”
मैंने उसके होंठो पर अंगुलि रख दी … “चुप रहो न … करते रहो … !”
पर इसका मुझे तुरन्त मुआवजा मिल गया … एक ५०० रुपये का नोट और लहरा उठा। ये राहुल क्या कर रहा है? १५०० रुपये मेरे लिये बहुत बड़ी रकम थी।
“नहीं चाहिये मुझे …” पर उसने मुझे दिये हुए नोटो के पास उसे रख दिया। हमारा कार्यक्रम आगे बढ़ चला … अब मुझे पूरी जी जान से उसे सन्तुष्ट करना ही था। मैंने अपनी चूत अन्दर ही अन्दर सिकोड़ ली और टाईट कर ली … फिर उसके लण्ड को रगड़ना शुरू कर दिया। टाईट चूत करने से मेरी चूत को चोट भी लग रही थी … पर राहुल को तंग चूत का मजा आने लगा था।
पर नतीजा … मैं चरमसीमा पर पहुंच गई … साथ ही राहुल भी अपना शरीर लहराने लगा।
“मेरी जानु …मेरी जान … मैं तो गया … निकला जा रहा है अब … रानीऽऽऽ हाय … ऊईईईऽऽऽऽ ” राहुल के साथ साथ मेरा भी रस निकलने लगा … उसका लण्ड भी मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ने लगा। हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मैं तो पूरी झड़ चुकी थी … उसका वीर्य को मेरी चूत में लिपट कर निकालने का मौका दे रही थी … कुछ ही देर में हम दोनो निढाल पड़े थे।
राहुल उठा और पास में पड़ा तौलिया लपेट कर बाथरूम में चला गया। मुझे भी कुछ नहीं सूझा तो मैं भी उसी के साथ बाथरूम में घुस गई और पानी से अपनी चूत और लगा हुआ वीर्य साफ़ करने लगी।
“आज तो रानी … तुमने मेरी आत्मा को प्रसन्न कर दिया … अब एक काम करो … सामने ब्यूटी पार्लर में जाओ और उससे कहना कि मैंने भेजा है … “
मैं सर झुकाये बाहर आकर कपड़े पहनने लगी। और नोट गिन कर अपने ब्लाऊज में सम्हाल कर रखने लगी। पर ये क्या … राहुल ने झटके मेरे हाथों से सारे नोट ले लिये …
“क्या करोगी इनका … ये तो कागज के टुकड़े हैं … ” मेर दिल धक से रह गया … मेरे होश उड़ गये, रुपये छिनने से मुझे ग्लानि होने लगी।
पर दूसरे ही क्षण मेरे चेहरे पर दुगनी खुशी झलक उठी। राहुल ने अलमारी खोल कर गहने मेरी ओर उछाल दिये,”सजो मेरी रानी … आज से तुम मेरी नौकरानी नहीं … घरवाली की तरह रहोगी … और रहे रुपये ! तो ये सब तुम्हारे है …!”
मेरी आंखे फ़टी पड़ रही थी … ये सब क्या हो गया … मैंने सिर्फ़ अपनी वासना की प्यास बुझाई थी … मेरी आंखों से खुशी के आंसू निकल पड़े। मेरे हाथ बरबस ही भगवान के सजदे में उठ गये।
शाम को जब मैं ब्यूटी पार्लर से बाहर आई तो एक सेक्सी सुन्दर बाला दिख रही थी … मेरे रूप को पार्लर में निखार दे दिया था … राहुल सच में हीरे की पहचान रखता था।
घर पर मेरा पुत्र सचिन भी मुझे पहचान नहीं सका … बोला,”मैडम … मां घर पर नहीं है … … ” मैंने उसे गोदी में उठा कर चूम लिया … वो हैरानी से देखता रह गया। रात होते ही अपनी चमचमाती काली कार में सचिन के साथ हम एक फ़ाईव स्टार होटल में डिनर कर रहे थे।
वहाँ मुझे राहुल ने ईंगलिश में बात करते पहली बार देखा, मेरी स्टाईल भी देखी,”तुम तो कह रही कि तुम अधिक पढी लिखी नहीं हो … और ये स्टाईल …? “
“ राहुल … मैं एम ए हूँ और ईंगलिश स्कूल में टीचर थी। पर मुझे ज्यादा वेतन वाली नौकरी की जरूरत थी तो आपको जैसी चाहिये थी वैसी मैं बन गई।”
राहुल को मुझ पर नाज हो उठा … कुछ ही दिनों में फ़ाईव स्टार होटल में लोग मेरे दीवाने हो उठे …
मैंने कहा,” राहुल … मैं घर पर खाना बना लूंगी … अब यहां खाना खाने नहीं आया करेंगे !” राहुल सब समझ चुका था।
अगले दिन अखबार में विज्ञापन देख कर मेरे घर के आगे लड़कियों और महिलाओं की लाईन लगी थी नौकरी के लिए … … और मुझे अपने परिवार यानि राहुल, सचिन और अपने लिए नौकरानी चुननी थी ! Hindi Porn Stories
आजकल की बीवियां बड़ी पढ़ी लिखी, स्मार्ट, ओपन-माइंडेड और बोल्ड होती हैं।
वो अपना रास्ता खुद निकालतीं हैं और किसी के सहारे नहीं रहतीं।
बीवियां हर वो काम कर लेती हैं जो उनके मर्द करते हैं।
वैसे मर्दों का काम है चोदना और औरतों का काम है चुदवाना!
लेकिन आजकल बीवियां भी चोदने का काम करती हैं और मर्द चुदने का काम!
मर्द अगर बुर चोदता है तो औरत लण्ड चोदती है।
औरत अगर अपनी बुर चुदवाती है तो मर्द अपना लण्ड चुदवाता है.
पहले मियां अपनी बीवी को वाइफ स्वैपिंग के लिए मनाता था और बीवियां बड़े नखरे दिखा दिखा कर मानतीं थी पर आज ज़माना बिल्कुल बदल गया है।
अब तो अदल बदल कर चुदाई के खेल में बीवियां ही पहल करती हैं और एक दूसरे के पति से बिंदास चुदवाती हैं।
वे खुद अपने अपने मियाँ को तैयार करती हैं और हसबैंड स्वैपिंग करती हैं।
एक ऐसी ही सच्ची हस्बैंड स्वैपिंग सेक्स कहानी मैं मिसेज राधिका सिन्हा आपको सुनाने जा रही हूँ!
मेरा नाम मिसेज राधिका है यह तो आप जान ही गए हैं मेरे प्यारे दोस्तो!
मेरी शादी के 2 साल हो चुके थे और मैं अपना वैवाहिक ज़िन्दगी अच्छी तरह जी रही थी.
लेकिन एक बात जरूर थी कि रोज़ रोज़ वही लण्ड पकड़ते पकड़ते, वही लण्ड चाटते चूसते, वही लण्ड चूत में पेलवाते पेलवाते बहुत बोर हो चुकी थी।
मुझे लगा कि अब कोई नया लण्ड मिले तो अच्छा हो।
मैं बस नए लण्ड की तलाश करने लगी।
एक दिन अचानक मेरी मौसी की बेटी ललिता का फोन आ गया।
वह बोली- दीदी, हम दोनों मुंबई आ रहे हैं।
मैंने बड़ी गर्म जोशी से कहा- हां हां बिल्कुल आ जाओ। कौन सी फ्लाइट से आ रही हो?
उसने डिटेल बताया तो मैंने नोट कर लिया।
शाम को मैंने इसका ज़िकर अपने पति राघव से किया तो वह बड़ा खुश हुआ।
अगले सवेरे हम दोनों उसे रिसीब करने एयरपोर्ट पहुँच गए।
जब वह आई तो मुझसे लिपट गयी।
मैं उसके पति हरीश से मिली। वह भी बड़ा स्मार्ट और हैंडसम था।
मेरा पति ललिता को देख कर ललचा गया ऐसा मुझे उसके हाव भाव से मालूम हो गया।
हम लोग घर आ गए.
नाश्ता तैयार था ही!
वो लोग भी फ्रेश होकर आ गए और हम सब नाश्ता करके बाहर निकल पड़े।
दिन में थोड़ा घूमे दोपहर में एक पिक्चर देखी और शाम को बगीचे में घूमने लगे।
तब तक हम दोनों कपल एक दूसरे के काफी करीब आ चुके थे।
मैं ललिता से बातें करने लगी और वो दोनों अलग!
अब तक हमारी बातें और तरह की थी पर अब मैं और तरह की बातें करनी शुरू कर दी।
मैंने कहा- अच्छा ललिता, ये बताओ कि तुम एक ही मरद के साथ सेक्स करते करते बोर नहीं हो जाती हो?
वह बोली- अरे दीदी, आपने कहाँ दुखती रग पर हाथ रख दिया। सच बताऊँ यार मैं तो बहुत बोर हो जाती हूँ पर करूं क्या? मन मार कर रह जाती हूँ।
“तो फिर कोई ज़रिया कभी तलाशने की कोशिश की?”
“ज़रिया हो भी क्या सकता है? एक पराये मरद के अलावा और क्या हो सकता है पर कोई भरोसे वाला मिलता भी तो नहीं है.”
“अच्छा अगर मिल जाए तो?”
“मिल जाए तो मैं उसे नंगा करके सबसे पहले उसका लण्ड देखूंगी।”
“ऐसा क्यों कि तुम सबसे पहले लण्ड देखोगी?”
“इसके दो कारण हैं दीदी … एक तो लण्ड सबके अलग अलग होते हैं तो एक नया लौड़ा देखने को मिलेगा। और दूसरा कि चुदवाने के लिए सिर्फ लण्ड की जरूरत है बाकी का मुझसे क्या लेना देना?”
“अच्छा अगर कोई तेरे मरद का लण्ड ले ले तो?”
“मैं अपने मरद का लण्ड उसी को दूँगी जो खुद अपने मरद का लण्ड मुझे देगी।”
“इसका मतलब है कि तू लण्ड की अदला बदली करने को तैयार है?”
“हां कर लूंगी। मैं बिंदास हूँ, बोल्ड हूँ, पढ़ी लिखी हूँ, यह तो Lund Swapping है, कर लूंगी।”
“तेरा हसबैंड क्या मान जाएगा इसके लिए? वह नाराज़ तो नहीं होगा? उसे बुरा नहीं लगेगा?”
“मेरा हसबैंड भोसड़ी का मेरी मुठ्ठी में रहता है दीदी। जैसे मैं उसके लण्ड को मुठ्ठी में रखती हूँ वैसे ही मैं उसको भी मुठ्ठी में रखती हूँ।”
“अगर मैं तेरे मरद के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में ले लूँ तो?”
“तो फिर मैं तेरे मरद के लण्ड को मुठ्ठी में ले लूंगी दीदी।”
“यही तो मैं चाहती हूँ।”
वह बड़ी जोर से हंस पड़ी और बोली- वाह दीदी वाह … तुमने तो मेरे मुंह से सब कुछ उगलवा लिया। अब मैं हसबैंड स्वैपिंग के लिए तैयार हूँ और मैं आज ही जीजू का लण्ड पकड़ कर देखूंगी।
मैंने कहा- अब तुम अभी से अपने जीजू को रिझाने में जुट जाओ, उसके लण्ड में आग लगा दो। मैं तेरे पति को रिझाऊंगी और उसके लण्ड में आग लगा दूँगी।
“चलो अब हम एक दूसरे के पति से खूब मस्ती वाली बातें करें और उनके लण्ड में आग लगा दें।”
फिर मैं उसके पति से खुल कर बातें करने लगी और वह मेरे पति से!
जैसे ही हम लोग घर वापस आये वैसे ही एक दूसरे के पति के आस पास घूमने लगीं।
हम दोनों ने कपड़े बदले, भड़कीले और छोटे कपड़े पहन कर सोफा पर बैठ गयीं।
न मैंने ब्रा पहनी और न उसने!
हम दोनों अपनी अपनी बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियों की झलक एक दूसरी के पति को दिखाने लगीं, अदायें भी दिखाने लगी और थोड़ा गन्दी गन्दी मजाक भी करने लगी।
मेरा पति उसका जीजू और उसका पति मेरा बहनोई तो मजाक का रिश्ता भी था हमारा।
फिर हम सब ड्रिंक्स पर बैठ गए।
पीती मैं भी हूँ और ललिता भी!
वो दोनों भी एक दूसरे की बीवी की तरफ आकर्षित होने लगे।
मैंने अपने पति से कहा- क्या बात है, ललिता की तरफ बहुत देख रहे हो तुम?
ललिता बोली- तो क्या हुआ दीदी … वह मेरा जीजू है मैं उसकी साली हूँ। अब अपनी साली को नहीं देखेगा तो किसको देखेगा? तुम्हारा मन हो तो तुम भी अपने बहनोई को देखो न दीदी, मना किसने किया है?
मैंने आँख मार कर बड़ी सेक्सी अदा से कहा- मैं तेरे पति को भी देखूंगी और तेरे पति का भी देखूंगी.
ललिता बोली- हाय दईया, तो फिर मैं भी तेरे पति का देखूंगी दीदी! मैं किसी से कम नहीं हूँ।
हमारी बातों का मतलब वो दोनों अच्छी तरह समझ रहे थे।
थोड़ा नशा और चढ़ा तो मस्ती भी और बढ़ गयी।
ललिता ने अपनी बांहें मेरे पति के गले में डाल दीं और उसके गाल चूम कर बोली- जीजू आज तुम मुझे बड़े अच्छे लग रहे हो।
मैं भी हरीश से चिपक कर बैठ गयी और उसकी जांघ पर हाथ रख कर सहलाने लगी।
उसका भी हाथ मेरे बदन पर आ गया और वह भी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा, फिर धीरे धीरे मेरी चूचियों पर आ ही गया.
उसने मेरी चूचियाँ दबायीं तो मैंने भी उसका लण्ड ऊपर से ही दबा दिया।
न उसने मना किया और न मैंने!
हम दोनों एक दूसरे को समझ गए कि अब क्या करना है.
उधर ललिता तो मेरे पति का लण्ड ऊपर से ही बड़ी जोर जोर से दबा रही थी।
वह भी ललिता के बूब्स दबाने लगा।
हमारे इस हाव भाव से मामला बिल्कुल साफ़ हो गया था कि हम दोनों एक दूसरे के पति से चुदवाना चाहती हैं और वो दोनों एक दूसरे की बीवी चोदना चाहते हैं।
हम लोग कुछ भी नहीं बोल रहे थे लेकिन हाथ हम सबके चल रहे थे।
हमारे हाथ ही बोल रहे थे कि अब आगे क्या होने वाला है.
मेरे पति ने ललिता के बूब्स खींच कर बाहर निकाल लिया।
इधर उसका पति भी मेरी ब्रा खोल कर मेरे दोनों बूब्स निकाल कर चाटने लगा और बोला- वाह वाह दीदी, क्या मस्त चूचियाँ हैं आपकी! कितनी बड़ी बड़ी और मस्त सुडौल हैं बूब्स आपके! बड़ा मज़ा आ रहा है इन्हें चाटने में चूसने में!
उधर मेरा पति बोला- वाह साली साहिबा, क्या मस्त और खूबसूरत हैं तेरी चूचियाँ! साली की चूची और साली की चूत बहुत नसीब वालों को मिलती है। आज मैं वाकई बड़ा नसीब वाला हूँ।
ललिता बोली- हाय दईया जीजू, आपने अभी मेरी चूत तो देखी ही नहीं!
उसने हाथ ललिता के पेटीकोट में घुसेड़ दिया और कहा- मेरा हाथ तो देख रहा है न? अभी मेरी आँखें भी देखेंगीं तेरी मस्तानी चूत!
इधर उसका पति मुझे एकदम नंगी करने पर तुला था, जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतार कर फेंक रहा था।
वैसे कपड़े कोई ख़ास थे भी नहीं!
पहले मैं मादर चोद नंगी हो गयी और फिर मेरे सामने बुर चोदी ललिता भी बिल्कुल नंगी हो गयी।
संयोग तो देखिये कि छोटी छोटी झांटें उसकी चूत पर भी थीं और छोटी छोटी झांटें मेरी चूत पर भी थीं।
कुछ भी हो लेकिन दोनों की चूत बड़ी सेक्सी लग रही थी।
इतने में मैंने हरीश को एकदम नंगा कर दिया।
उसका लौड़ा खड़ा हुआ था।
लण्ड देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। आज शादी के बाद मैं पहली बार किसी पराये मरद का लण्ड देख रही थी।
वैसे शादी के पहले मैं कई लण्ड पकड़ चुकी थी। मतलब यह कि मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी। कई लड़कों से चुदी थी।
इसीलिए मुझे शादी के बाद पराये मरद के लण्ड की जरूरत बहुत महसूस हो रही थी।
बात करने पर ललिता ने बताया- दीदी, मैं भी शादी के पहले खूब चुद चुकी थी। एक अंकल ने मुझे कई बार चोदा था और कॉलेज के दो लड़कों से मैं खुद बड़े मजे से चुदवाती थी। शादी के बाद मुझे भी कोई लौड़ा नहीं मिला तो मैं भी तरस रही थी। आज मेरी तमन्ना पूरी होगी।
फिर हमने प्लान बनाया कि आज हम दोनों एक दूसरे के पति से चुदवायेंगी जरूर और अब वही होने जा रहा है।
मैं उसके पति का लण्ड हिलाने लगी और वह मेरे पति का लण्ड!
दोनों ही लण्ड बड़े मस्त और तगड़े तंदुरुस्त थे; दोनों लण्ड के टोपा चमक रहे थे।
दो सोफे आमने सामने पड़े थे।
एक में मैं नंगी और उसका पति नंगा दूसरे में वह नंगी और मेरा पति नंगा।
ललिता मेरे पति का लण्ड चूसने और मैं उसके पति का लण्ड।
मैं हरीश का लण्ड उसकी आँखों में आंखें डाल कर चूस रही भी मेरे मियां का लण्ड उसकी आँखों में आँखें डाल कर चूस रही थी।
इससे अब न मुझे कोई शरम थी और न उसे!
मैंने कहा- यार ललिता, तेरे पति का लण्ड बड़ा खूबसूरत और मोटा तगड़ा है। बहनचोद देखो न … मेरे हाथ में आकर कितनी मस्ती से उछल रहा है।
उसने कहा- ये लण्ड भोसड़ी का … परायी बीवी के हाथ में जाकर ज्यादा ही उछलने लगता है। अब देखो न तेरे पति का लण्ड मेरे हाथ में कैसे फुफकार रहा है?
मजे की बात यह थी कि झांटें दोनों लण्ड की बिल्कुल साफ़ थीं। पेल्हड़ भी दोनों के एकदम चिकने थे।
मुझे तो ऐसे ही लण्ड पसंद हैं। ऐसे लण्ड चाटने में बड़े अच्छे लगते हैं।
ललिता भी बड़ी मस्ती से मेरे पति का लण्ड चाटने में जुटी थी।
वह बोली- अरे दीदी, जीजू का लण्ड इतना जबरदस्त है … अगर तूने पहले पकड़ाया होता तो अब तक जाने कितनी बार इससे चुदवा चुकी होती!
इतने में सबको जोश आ गया और हरीश ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
मेरे मुंह से निकला- उफ़ … बड़ा मोटा लण्ड है तेरा यार! मेरी तो बुर फट जाएगी बहनचोद, इतना मोटा लण्ड पहले कभी नहीं घुसा मेरी चूत में! हाय रे … आज मेरी चूत में छक्के छूट जायेंगे।
तब तक मेरे पति ने भी लौड़ा ललिता की बुर में ठोक चुका था।
वह बोली- उई माँ … मर गयी मैं! इस भोसड़ी वाले जीजू ने फाड़ दी मेरी बुर! हाय अब मैं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही। जीजू बड़ा बेशरम है तेरा ये मादरचोद लण्ड? धीरे धीरे चोदो न जीजू? मैं कहीं भाग नहीं जाऊँगी। चुदवा कर ही जाऊँगी तुमसे!
कुछ देर बाद वह बोली- क्या यार जीजू … पूरा लौड़ा पेल पेल के चोदो न? धीरे धीरे नहीं … तेज तेज चोदो, मर्दों की तरह चोदो मेरी बुर! बड़ा मज़ा आ रहा है। वाह वाह क्या मस्त लौड़ा है तेरा? फाड़ डालो मेरी बुर … चीर डालो मेरी बुर!
वह मस्ती मे कुछ भी बोलती जा रही थी।
इधर मैं भी बोल रही थी- हाय मेरे हरीश राजा, मुझे खूब चोदो, अपनी बीवी की तरह चोदो मुझे, मैं तेरी ही हूँ मुझे गपागप चोदो! हाय रे बड़ा गज़ब का है तेरा लण्ड … मुझे ऐसा ही लण्ड पसंद आता है. मेरी चूत ऐसे ही लण्ड खाती है. हाय राम हो ही ओहो हो बड़ा मज़ा आ रहा है आओ हूँ ओ हा ऊँ हूँ ओ ह्हो … क्या मस्त चुदाई है यार!
हम दोनों इसी तरह सिसियाती जा रही थी और मजे से चुदवाती भी जा रही थी।
हरीश बोला- यार राघव, मुझे अपनी बीवी के सामने तेरी बीवी चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है।
मेरे पति राघव ने कहा- हां यार हरीश, मुझे भी अपनी बीवी के सामने तेरी बीवी चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है. ऐसा मज़ा बहनचोद पहले कभी नहीं आया। एक बात और है मुझे अपनी बीवी चुदवाने में भी मज़ा आ रहा है।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गयी। मैं चाहती थी कि मेरा पति अपनी बीवी चुदवाना शुरू कर दे तो सब काम बन जाए।
तब तक ललिता बोली- अरे जीजू, जो अपनी बीवी चुदवाता है वही दूसरे की बीवी चोद पाता है। मैं तो कहती हूँ कि तुम लोग रोज़ ही चुदवाओ अपनी बीवी और चोदो दूसरों की बीवियां! जाने कितनी बीवियां तुम्हारे जैस लोगों से चुदवाने के लिए तैयार हैं.
ललिता ने भी वही कहा जो मैं चाहती थी।
बस दोनों को और जोश आया तो वो हमें पीछे से चोदने लगे और फिर लण्ड पे बैठा बैठा के भी चोदने लगे।
आखिर में जब हम दोनों ने एक दूसरे के पति के झड़ते हुए लण्ड चाटे तो उसका आनंद कुछ और ही था जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता.
हमने महसूस किया कि चुदाई में रोज ऐसा ही मज़ा आये तो अच्छा हो!
फिर हम सबने नंगे नंगे ही खाना खाया, खूब गन्दी बातें की और थोड़ा इधर उधर घर में ही घूमे।
उसके बाद फिर इन लोगों ने हमें दो दो बार चोदा; तब हम लोग थोड़ा सोये।
ललिता जब तक रही, तब तक वह हर रोज़ रात को मेरे पति से चुदवाती रही और मैं उसके पति से चुदवाती रही।
उसके जान के करीब एक हफ्ते बाद उसका फोन आया।
उसने कहा- दीदी, अभी कल ही मेरी एक दोस्त कला अपने हसबैंड के साथ मुंबई गयी है। मैं उसके साथ चोदा चोदी कर चुकी हूँ। मैंने उसे तेरा फोन नंबर दे दिया है। उसके हसबैंड लौड़ा बड़ा मस्त है, ज्यादा बताऊंगी तो तेरा मज़ा किरकिरा हो जायेगा। अब तुम खुद पकड़ कर देख लेना उसका लण्ड! और जीजू से कहना कि कला की बुर खूब अच्छी तरह चोदे क्योंकि वह भोसड़ी वाली बड़ी मस्त है चुदवाने में। लण्ड का पूरा मज़ा लेती हैं और पराये मर्दों से जम कर चुदवाती है।
उसकी बातों ने मेरी चूत में आग लगा दी।
बस 2 मिनट में ही फोन फिर बजने लगा।
मैंने जैसे ही हेलो कहा वैसे ही वह बोली- दीदी, मैं कला बोल रही हूँ मुझे आपके बारे में ललिता ने बताया है।
तो मैंने कहा- मेरी बात ललिता से हो गयी है। तुम लोग आज शाम को 8 बजे मेरे घर पर डिनर के लिए आ जाओ।
तब तक मेरा पति भी आ गया।
मैंने उसको यह खबर सुनाई तो वह बड़ा खुश हुआ और बोला- यार राधिका, मेरा एक दोस्त देवा भी आज शाम को अपनी बीवी दिव्या के साथ आ रहा है। मैंने उन्हें डिनर पर बुला लिया। वह हमारे साथ वाइफ स्वैपिंग करने आ रहा है।
मैं तो यह सुन कर दुगुना खुश हो गयी कि अब आएगा असली मज़ा … तीन तीन कपल जब अदला बदली करेंगें तो मज़ा भी तिगुना हो जायेगा।
मैंने फिर फटाफट सारा इंतज़ाम कर लिया।
शाम को जब सब लोग इकट्ठे हो गए और एक दूसरे से परिचय हुआ तो सब बड़ी मस्ती में आ गए।
मेरे पति ने देवा को बता दिया कि कला और रोहित भी वाइफ स्वैपिंग के लिए ही आए हैं तो वो दोनों बहुत ही खुश हुए।
इधर कला को जब मालूम हुआ कि आज सेक्स पार्टी में 3 कपल होंगे तो वह ख़ुशी से उछल पड़ी।
मैंने हॉल में गद्दा वगैरह बिछा कर पूरी तैयारी कर ली थी और फिर हम सब बैठ कर मदिरापान करने लगे।
दिव्या बोली- अरे राधिका, बहुत अच्छा किया। ग्रुप सेक्स करने के पहले थोड़ा सरूर आना जरूरी होता है।
कला भी बोली- हां यार, चुदाई के पहले थोड़ा नशा ज्यादा मज़ा आता है।
मैं समझ गयी कि ये दोनों बीवियां शराब की उतनी ही शौकीन हैं जितनी की मैं!
दो दो पैग शराब ख़त्म हुई, सब लोग खुल कर बोलने लगे, अपने आपमें मन की बात बोलने लगे।
वाइफ स्वैपिंग करना सभी चाहते हैं पर बोलना कोई नहीं चाहता।
पहल कोई नहीं करना चाहता।
देवा बोला- यार, मैं बहुत दिनों से वाइफ स्वैपिंग के बारे में सोच रहा था पर कर नहीं पाया कभी! उस दिन जब राघव ने ज़िकर किया तो मज़ा आ गया। मैंने जब अपनी बीवी दिव्या को बताया तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और खाना पीना सब भूल गयी।
कला ने कहा- मुझे जब ललिता ने बताया तो मैं इस बात से खुश हुई कि चलो मुंबई में भी अपना कोई होगा जिसके साथ हसबैंड की अदला बदली का मौक़ा मिलेगा। मेरे पति का तो चेहरा ही खिल उठा।
दारू पीते हुए बहुत सी बातों का खुलासा हुआ जिससे हम सब एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए।
हमारे बीच शर्म और झिझक की दीवार टूट गयी।
हम बुर चोदी तीनों बीवियां एकदम बिंदास हो गयीं और शराबी बीवी की तरह व्यवहार करने लगी.
मैंने रोहित के गले में बाहें डाल दीं और उसके गाल चूमते हुए बोली- वाह कितना मस्त मरद है तू बहनचोद रोहित!
रोहित की बीवी कला देवा की तरफ मुड़ी और उससे चिपक गयी। उसका लौड़ा ऊपर से ही सहलाते हुए बोली- वाओ … लौड़ा भोसड़ी का बड़ा मस्त लग रहा है तेरा!
देवा की बीवी दिव्या ने मेरे पति के पास जाकर उसे उठाया और उसके गले लग गयी फिर वह हाथ नीचे करके उसका लौड़ा टटोलने लगी।
मेरा पति भी दिव्या की चूचियाँ ऊपर से दबा दबा कर मज़ा लेने लगा, बोला- वॉवो क्या मस्त चूचियाँ है तेरी दिव्या भाभी!
वह बोली- तेरा मस्त लौड़ा भी है मेरी जान राघव!
बस कुछ ही देर में एक एक करके हम सब नंगे हो गए।
तीनों बीवियां नंगी और तीनों मरद नंगे।
मैं रोहित का लण्ड हिलाने लगी, दिव्या राघव का लण्ड और कला देवा का लण्ड हिलाने लगी।
मैंने कहा- अब मैं आप सबको डबल मज़ा देना चाहती हूँ। बीवियों को पराये मरद का लण्ड चाटने का मज़ा और पराये मरद से बुर चटवाने का भी मज़ा। वह लण्ड चाटेगी किसी और मरद का … साथ ही साथ बुर चटवायेगी किसी और मरद से! मर्दों को डबल मज़ा कि … बुर चाटो किसी और की बीवी की और लण्ड चटवाओ किसी और की बीवी से!
यह सुनकर सब लोग हैरान हो गए कि यह कैसे होगा?
मैंने कहा- मैं बताती हूँ कि कैसे होगा.
मैंने सबको गोल गोल बैठा दिया।
एक बड़ा सा घेरा बन गया।
सब लोग नंगे थे ही!
पहले मैं बैठी, मेरी दाहिनी तरफ रोहित, फिर दिव्या, फिर राघव फिर कला फिर देवा।
अब हर मरद के अगल बगल परायी बीवी हो गयी और हर बीवी के अगल बगल पराया मरद हो गया।
मैंने कहा- अब सब बीवियां दाहिनी तरफ वाले का लण्ड चाटेंगी और सब मर्द दाहिनी तरफ वाली की बीवी की बुर चाटेंगे।
इसका असर यह हुआ कि मैं रोहित का लण्ड चाटने लगी और रोहित दिव्या की बुर!
दिव्या राघव का लण्ड चाटने लगी और राघव कला की बुर,
कला देवा का लण्ड चाटने लगी और देवा मेरी बुर चाटने लगा.
इस तरह सबको डबल मज़ा आने लगा।
बीवियों को लण्ड चाटने का और बुर चटवाने का मज़ा मिलने लगा।
मर्दों को बुर चाटने का मज़ा और लण्ड चटवाने का मज़ा मिलने लगा।
इस खेल से सबकी बुर में आग लग गयी और सबके लण्ड में भी.
बहुत देर तक ऐसा मस्ताना खेल ज़ारी रखना किसी के बस का नहीं था।
तो मैं रोहित का लण्ड अपनी बुर में पेल कर बिंदास चुदवाने लगी।
दिव्या बुर चोदी मेरे पति से झमाझम चुदवाने लगी और कला भोसड़ी वाली भकाभक देवा से चुदवाने लगी।
दूसरे सिरे से देखें तो मेरा पति देवा की बीवी चोदने लगा, देवा रोहित की बीवी चोदने लगा कर और रोहित राघव की बीवी यानि मुझे चोदने लगा।
परायी बीवी की बुर चोदने में सबको खूब मज़ा आने लगा और बीवियों को भी पराये मर्दों से चुदवाने में ज़न्नत का मज़ा आने लगा।
मैं मन ही मन बड़ी खुश हो रही थी कि मेरा प्लान कितना कामयाब हो गया।
हमने फिर एक हसबैंड स्वैपिंग क्लब बना लिया।
इस क्लब में आजकल 10 कपल हैं। हम सब हर शनिवार और रविवार को एक दूसरे के पति से खूब मस्ती से बिंदास खुले आम चुदवाती हैं.
हमारे हसबैंड भी खूब मन लगा कर दनादन एक दूसरे की बीवियां चोदते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं।
हालाँकि सारे कपल हर शनिवार को नहीं आ पाते लेकिन हां 6 – 7 कपल तो आ ही जातें हैं और फिर होता है परायी बीवियों को चोदने का और पराये मर्दों से चुदवाने का लगातार हंगामा।
दो दिन तक न कोई वाइफ कपड़े पहनती है और न कोई हसबैंड!
आज मैं आपको अपनी एक सहेली की Sex stories सुनाने जा रही हूं। मेरी एक कहानी
सपनों की बारात के नाम से आ चुकी है
लेकिन उस पर किसी ने कोई रिएक्शन नहीं मिला तो बहुत दुख हुआ। प्लीज इस बार अपने रिएक्शन ज़रूर भेजें।
इस कहानी की शुरुआत हम दो दोस्तों से हुई है और आगे जाकर इसमे कई मोड़ आते हैं जिसे आप लोग पसंद करेंगे। मैं क्योंकि एक लड़की हूं इस लिये ये चाहूंगी कि लड़कियां अपनी रिएक्षन ज़रूर लिखें, क्योंकि शायद लड़कियां एक दूसरे को अच्छे से समझ पाती हैं।
मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है बरखा।
उसकी उमर मेरे बराबर कोई २८ साल, हाइट ५.६, फ़ीगर ३४ सी-२८-३६ , गुलाबी रंग, बड़ी-२ आंखें, गुलाबी होंथ, खूब फूले हुए बूब्स, भरे-२ चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो। हम दोनो कोलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कोलेज के ज़माने मैं ही हम दोनो के बीच एक रिश्ता और बन गया।
एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गयी तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनो मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि संडे को तुम अविनाश से मिली थी तुम दोनो ने क्या किया था बताओ न मुजे और वो शरमा रही थी। अविनाश उसका कजिन था और दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनो अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे।
मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि उस दिन अविनाश ने उसे किस किया था। मैं ने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया, हे बेईमान अब बता रही हो, तो वो शरमा कर हंस दी। हे शालु बता न और क्या किया था तुम दोनो ने।
बस न, सिर्फ़ किस किया था उसने, वो शरमा कर मुस्कराई। ऐ शालु बता न प्लीज कैसे किया था। हट बदतमीज़ वो प्यार से मुझे धक्का दे कर हंस दी। मैं उसकी भरी-२ जांघों पर सिर रख कर लेट गयी उसके गोल गोल दूध मेरे चेहरे के ऊपर थे, मैं ने धीरे से उसके राइट दूध पर उंगली फेरी, क्यों शालु ये नहीं दबाये अविनाश ने? तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली – हां, तो मैं ने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनो हाथों मैं लेकर गाल चूम लिये। कैसा लगा था शालु, है सुमन क्या बताउं मेरी तो जैसे जान निकल गयी थी जब उनकी गरम-२ ज़बान मेरे मुंह मैं आयी मैं मदहोश हो गयी उन्होंने मुझे अपनी बाहों मैं ले लिया और एक दम से अपना हाथ यहां रख दिया वो सुमन का हाथ अपने राइट दूध पर रख कर सिसकी। मैं तड़प उठी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे।
फिर शालु?
सुमन बड़ी मुश्किल से उन्होंने मुझे छोड़ा। शालू की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे पूरे जिस्म मैं चीटियां दौड़ रही हों। मेरा ये हाल देख कर शालू मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली तुमको क्या हो गया सुमन? तो मैंने शरमा कर उसकी जांघों मैं मुं ह छुपा लिया। वो मेरी पीठ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गरम हो रही थी और महक रही थी।
मैंने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उठी आह आह आह सुमन उफ़ नहीं न प्लीज मत करो और मेरे चेहरा उठाया। हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे। शालु के थे। शालु के गुलाबी होंठ कांप रहे थे, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी सुमन, और मैं भी ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते होंठ चूम लिये।
एक आग सी लगी हुई थी हम दोनो के जिस्मों में। मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर सिसक उठी, शालू प्लीज मुझे बताओ न अविनाश ने कैसे चूमे थे ये प्यारे-२ होंठ। तो अपने नाज़ुक गुलाबी होंठ दातों में दबा कर मुस्कुराई, सुमन उसके लिये तो तुमको शालू बनना पड़ेगा। मैं हंस दी उसके गाल तोर कर, चलो ठीक है तुम अविनाश बन जाओ। शालू ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमे समा गयी और वो मेरे गाल, होंठ, आंखें, नाक और गर्दन पर प्यार करने लगी तो मैं तड़प उठी आह आआह शा शाआलु ऐए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊओम्म ऊऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे होंठों पर मचलने लगी। उसके एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया मेरी चीख निकल गयी नाआहि आअह अह शाअलु ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही हो, तो मेरे होंठ चूसतुइ हुई सिसकिउ वो ही जो अविनाश ने मेरे साथ किया था।
वो मुझ से जूम गयी और उसकी ज़बान मेरे होंठ खोल रही थी धेरे-२ और फिर अंदर घुस गयी तो मैं उसकी ज़बान की गरमी से पागल हो उठी और उस से लिपट गयी, शालू ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे दोनो दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गरम और इतनी लम्बी थी के मेरे पूरे मुंह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी। हम दोनो के चेहरे पूरे लाल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके होंठ और ज़बान चूस रही थी और सिसक रही थी आह अह शालु अह अह हां अह सुमन मेरी जान, ऊफ़ शालु कितनी मज़े की ज़बान है तेरी इतनी लम्बी ऊफ़ सच्ची अविनाश को मज़ा आ गया होगा, आअह ही धीरे सुमन अह आअह सच्ची सुमन बहुत मज़ा आया था क्या बताउं तुझे आह धीरे से मेरे होंठ।
आह सुमन उठो न प्लीज अब, तो हम दोनो उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुंह में सिसकी उतारो न सुमन प्लीज और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया, आअह शालु ये आह तो मेरे होंठ चूम कर सिसकी कुछ न बोलो सुमन सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है मैं उसके सामने टोपलेस बैठी थी शरम से मेरी बुरी हालत थी। मैं ने अपने दोनो हाथों से अपने भरे भरे दूध छुपा लिये और देखा तो शालु ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग कर दी और मैं देखती रह गयी। उफ़ कितने प्यारे दूध हैं शालु के खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंग, तनी हुई लम्बी चूचियं जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा उस ने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया और मेरी आंखें चूम लीं और मेरे दोनो हाथ मेरे दूधों पर से हताये और अपने दूधों पर रखे और होंठ चबा कर सिसकी ऊई मां आह आह और फिर मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गयी आऐए आआऐर अह्ह अह आआअह ऊओह ऊऊम आआआआअह नहीं शाल्लल्ललु और मैं ने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालु भी मुझे से लिपट कर सिसक उठी आईईए ऊऊउइ ऊऊउइ अह अह अह धीएरे आह निक्कक्ककि धीएरे आह मेरे दूधु और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनो की ज़बाने मुंह के अंदर घुस पड़ी।
उसकी लम्बी चिकनी और गरम ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गयी। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनो की चीखें निकल पड़ी और हम दोनो झूम गये और मेरी चूत रस से भर गयी। मैं ने उसे लिपटा लिया और उसकी पीठ और चिकनी कमर और नरम-२ चूतड़ सहलानी लगी तो वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी मैं ने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आंखें नहीं खुल पा रही थीं बहुत हसीन लग रही थी शालु मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी उसके गोल नरम नरम दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती मैं ने उसको थोड़ा उपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी वो मस्ती में चिल्ला पड़ी आईईई मा मर जाउंगी मैं आह अह ओह ऊओफ़ अह सुमन आह अह्ह हान ये ये ये भी किया था अश… अह अश्वनि ने।
और मैं ने उसका पूरा का पूरा दूध मुंह में ले लिया तो मज़ा आ गया और शालु ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी आआइए सुमन धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री मा धीर से न आअह बहुत अच्छा लग रहा है आह पूरा पूरा चूसो न ऊफ़ मेरा दूध आह सुमन सची ऐईए ऐसे नहीं न काटों मत प्लीज उफ़ तुम तो अह अविनाश से अच्छा चूसती हो आअह आराम से मेरी जान और वो मेरे दूध दबाने लगी है सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे सुमन मुझे दो न प्लीज सुमन तो मैं ने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकना हो रहा था तो मैं ने जैसे ही दूसरा दूध मुंह में लेना चाहा वो सिसक उठी आह सुमन प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी-२ चूचियां कितनी मुलायम हैं उइ सच्ची मैं और मेरी चूचियां मसलने लगी तो मैं ने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये अह आअह शालू आराम से मेरी जान आह और और क्या किया था अविनाश ने बताओ न तो मेरे दूध पर अपने चिकने गुलाबी गाल रख कर मुस्कुरायी और धीरे से बोली और कुछ नहीं करने दिया मैं ने। क्यों शालु दिल नहीं चाहा तुम्हारा।
वो मेरे उपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- सुमन सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका। क्योंकि डर लग रहा था। तो मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गयी मज़े में और मेरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम पेट पर आया और उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी। आह शाल्लु सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी और मैं क्या करूं आह मेरे दूध आऐए मा अह्ह धीरे न इतनि ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध आह आह ओह ऊओफ़ शालू प्लीज नहीं न। आअह हन हाअन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है। सुमन मेरी जान सच्ची कहां छुपा रखे थे येह प्यारे-२ दूधु। तो मैं शरम से लाल हो गयी उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हंस पड़ी ऊऊउइ मा सुमन। तो मैं ने उसके होंठ चूम लिये। शालु, हूं, तुम ने बताया नहीं अविनाश और क्या कर रहा था तो वो शरमा कर मुसकराई सुमन वो तो, हां बोलो ना शालु प्लीज तो शालू ने मेरा हाथ अपने शलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली वो तो ये खोलने के मूड में थे, फिर शालू, मैं ने रोक दिया उसे। क्यों शालू क्यों रोक दिया बेचारा अविनाश, तो मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी बड़ी आयी अविनाश वाली। मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी ऐ शालू बताओ ना क्यों रोक दिया तो वो मुसकराई, मैं ने कह दिया ये सब अभी नहीं, शादी के बाद।
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी- आह शालू आराम से मेरी जान
और मैं ने उसकी शलवार खोल दी तो वो चोंक गयी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये ये सुमन क्या कर रही हो?
तो मैं ने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये मेरी शालू जान शादी तो अविनाश से होगी मुझे तो दिखा दो तो वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी हाय मेरी सुमन कब से सोच रही थी मैं आह मेरी जान और एकदम से उसने मेरी शलवार भी खोल दी और उसक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था मैं मज़े में चिल्ला पड़ी ऊऊउइ शाआलु नाआहि
और वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी और मैं मचल रही थी नहीं शालु प्लीज मत करो आइए ऊऊओफ़ नाआहि न ओह मैं क्या करूं!
उसने एकदुम से मेरी जलती हुई चोर पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी, हाय रे आह ये ये क्या कर दिया शालु, मुझे कुछ होश न था उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुंह में हलचुल मचा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है.
मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गयी उसकी शलवार भी उतर चुकी थी अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे और बेड पर मचल रहे थे। आह सुमन ऊओफ़ सच्ची बहुत गरम चूत है उफ़ कितनी चिकनी है छोटी सी चूत सच्ची बहुत तरसी हूं इस प्यारी चूत के लिये मैं, दे दो न प्लीज सुमन ये हसीन छोटी सी चूत।
हाय शालू मैं ऐन निकल रही हूं प्लीज आह मैं क्या करूं मेरा पूरा जिस्म जल उठा और मैं ने शालु के नरम गरम चूतड़ दबाए और एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उठी ऊऊउइ नीईइकि और मैं तो जैसे निहाल हो गयी.
उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थी खूब फूली हुई मैं एकदम से उठी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गयी बिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था और शालु की चूत लाल हो रही थी, क्या देख रही हो सुमन ऐसे तो मैं अपने होंठों न पर ज़बान फेर कर सिसकी शालू और एक दम से मैं ने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बैठ गयी हम दोनो एक दूसरे की चूत सहला रहे थे। शालू, हूं, अविनाश को नहीं दी ये प्यारी सी चीज़, तो वो शरमा कर मुस्कुराई ऊन हूनह। क्यों? तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली तुम्हारे लिये जो बचा कर रखी है। तो मैं हंस दी हट बदतमीज़। सच्ची सुमन, वो मेरी चूत धीरे-२ दबा कर सिसकी हमेशा सोचती थी के तुम्हारी ये कैसी होगी। तो मैं अहरमा कर मुसकुराई मेरे बारे मैं क्यों सोचती थीं तुम। पता नहीं बस तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो दिल चाहता है कहां प्यार करूं। तो मैं मुस्कुरा कर उस के होंठ चूम लिये, तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया ये सब। तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली डर लगता था के तुमको खो न दूं कहीं।
मैंने उसे लिपटा कर उसके होंठ चूस लिये और आहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार किया तो वो मचल उठी आअह्ह आआह सुमन मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत मेरी जान मेरे प्यार और मैं ने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो मेरे नरम चूतहर पकड़ कर नीचे किये और चूत पर होंठ रखे तो मैं कांप गयी आह आह आह ऊऊऔइ शालु.
और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आयी मैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी। हम दोनो की चीखें निकल पड़ी. दोनो के चूतड़ उछल रहे थे.
शालु मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर आऐईए माअ मर जाआअओनगि नाआअहि शलु अर्रर्र आह ऊओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हह्हिअ आआइ मैं निकल रही हूऊऊओन शालु मेरे चूतड़ उछलने लगे और शालु के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी सुमन चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर रीईईए आआआअह ऊऊओमफ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह ह्हाआआअ!
मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झड़ना बह निकला हो रोकते-२ मेरे गले से नीचे उतर गया यही हाल शालू का भी था हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये। Sex stories
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