Our site can help you find a professional massage girl in Noida who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Noida that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Noida massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Noida who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Noida massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Noida massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Noida who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Noida employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Noida helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Noida
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Noida at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
यह उन दिनों की बात है sex Stories जब मैं स्थानान्तरण पर ग्वालियर आया था। घर पर हमने एक काम काज के लिये एक लड़की को रख लिया था। उसका नाम सोनिया था। वो दुबली पतली और लम्बी लड़की थी। काम में माहिर थी। धीरे धीरे वो मुझे अच्छी लगने लगी थी। घर को ठीक से सेट करने के बाद मेरी पत्नी वापस भोपाल चली गई थी।
दिसम्बर का महीना था और उसका स्कूल 15 मई तक था। सोनिया यूँ तो एक साधारण लड़की थी, सेक्सी भी नहीं लगती थी, पर उसकी छोटी छोटी चूंचियां और उसके चूतड़ मुझे बहुत भाते थे। वो नजरें चुरा कर मेरी इस हरकत को देखती थी पर कुछ नहीं कहती थी।
धीरे धीरे अब हम दोनों बातें भी करने लगे थे। वो मुझे अधिकतर अपनी बड़ी बहन राधा के बारे में बताती रहती थी। उसकी बड़ी बहन की शादी होने वाली थी। उसकी बड़ी बहन 21 वर्ष की थी, यानी सोनिया से 2 साल बड़ी थी। अपने जीजू को लेकर सोनिया बहुत बातें करती थी, उसे लड़कों के बारे में बाते करना अच्छा लगता था। मैं उसे अब अपने पास बैठा कर चाय और कुछ खाने को देता था जिसे वो बड़े शौक से खाती थी।
एक दिन मैंने उससे हिम्मत करके पूछ ही लिया,’सोनिया, तेरा कोई लड़का दोस्त है?’
पहले तो वो शरमा गई, फिर कुछ गुस्से में बोली- अंकल, राधा है ना, उसने मेरा सारा काम बिगाड़ दिया, उसने हम दोनों को एक साथ देख लिया था !
‘अच्छा, तुम दोनों क्या कर रहे थे।’ मैंने उत्सुकतावश पूछ लिया, वो गुस्से और जोश में बताती चली गई, यह भी भूल गई कि क्या बता रही है।
‘रमेश मुझे अकेला पा कर मुझे चूमने लगा और मेरे शरीर को भी छूने लगा, तो दीदी अचानक आ गई और हमें देख लिया।’
‘अरे प्यार में तो शरीर को छुआ जाता है, इधर उधर हाथ भी लगाते हैं, तो दीदी को तुमसे क्या लेना था?’
‘हां यही तो, वो मेरी छातियों को दबा रहा था, मुझे चूम रहा था, तो वो जल गई !’
‘कैसे, यहाँ छाती पर… ऐसे…?’ मैंने उसकी छोटी सी एक चूची को दबाते हुए कहा।
‘अंकल, अब आप भी… हटो मैं नहीं बताती।’ मेरी इस हरकत पर उसने नाराजगी जाहिर की।
‘क्यों, अच्छा नहीं लगा? रमेश ने किया था तो कैसा लगा था। फिर हाथ लगाने से कुछ होता थोड़े ही है’ मैंने स्थिति को सम्हालने की कोशिश की।
‘अंकल, गुदगुदी होती है ना, मन में भी कुछ होता है, आपका हाथ लगाने से अभी तो हुआ ना !’ उसने शरमाते हुए कहा।
‘तो और लगाऊँ क्या? गुदगुदी में तो मजा आता है ना !’
‘अंकल, अच्छा एक बार सिर्फ़, फिर नहीं… ठीक है ना !’ उसने शरमाते हुए कहा। मेरा मन खिल उठा, यानि इसे मजा आया था और मैंने उसकी भावनाओं को जगा दिया था। मैंने धीरे से उसकी छोटी छोटी चूंचियों को सहलाना चालू कर दिया। कभी कभी उसके निपल भी उमेठ देता था। वो सिसकारी भरने लगी।
‘कैसा लग रहा है सोनिया, मजा आ रहा है ना?’
‘अंकल, हाय और करो, यहाँ दीदी थोड़े ही है, कौन मना करेगा, हाय अंकल!!!’ वो अब मस्ती में आ गई थी। मेरा लण्ड पजामें में से जोर मारने लगा था।
‘सोनिया, मुझे चुम्मा दोगी?’ मैंने उससे किस करने को कहा। पर इतना कहने पर तो मेरे से लिपट ही गई और मेरे होंठो को अपने होंठो से दबा लिया।
वह उत्तेजना में बह निकली थी। मेरे शरीर को कसती जा रही थी।
मैंने उसकी वासना को बढ़ने दिया और उसे लेटा दिया। उसे दबाता हुआ उसके ऊपर चढ़ गया।
वो मेरे शरीर के नीचे दब गई और आहें भरने लगी- अंकल आप कितने अच्छे हैं, आह, मेरी इच्छा पूरी कर दो अंकल, मुझे चोद दो…हाय !
उसके मुँह से उसकी इच्छा प्रकट हो गई।
‘सोनिया, तुम भी बहुत प्यारी हो, आह मेरा लण्ड पकड़ ले रे, मुठ मार दे !’
‘अंकल, मेरे बोबे दबा दो, हाय राम रे ! मैं तो आज मर जाऊंगी !’ सोनिया सिसकते हुए बोली। उसे मसलने और चूमने के बाद मैं उससे अलग हो गया।
‘सोनिया, अपना सलवार कुर्ता उतार दो, मैं भी उतार देता हू, मजा करेंगे।’ मैंने अपनी वासना को रोका नहीं, उसे चुदाने के लिये निमन्त्रण दे दिया।
‘हाँ अंकल, बहुत मजा आ रहा था, और करें, अरे ये तो देखो, तुम्हारा गंगाराम कैसा हो रहा है।’ हंसते हुए उसने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा किया।
‘गंगाराम? मतलब?’
‘अरे ये डण्डाराम, रमेश का भी ऐसा ही था।’
‘सोनिया, फिर चुदाया था तुमने…?’
‘अंकल, नहीं, दीदी ने काम बिगाड़ दिया था ना !’
‘पहले कभी चुदाया था क्या?’
‘अब छोड़ो ना, अब कर लेते हैं, अंकल आपने तो आण्टी को खूब चोदा होगा, कैसा लगता है?’ सोनिया का शरीर चुदासा हो रहा था। मेरा लण्ड भी चोदने को फ़डक रहा था,’खुद चुदवा के देख लो, तो पता चल जायेगा।’
मैंने अपना पजामा उतार दिया। मेरा तन्नाया हुआ लौड़ा देख कर वो शरमा गई। मैंने उसका सलवार और कुर्ता उतार दिया और उसके नंगे बदन को प्यार करने लगा। वो नंगी ही शरमाती और बदन को छुपाती रही। पर जब मैंने उसकी चूत को खोल कर अपने होंठ उस पर रखे तो वह चिहुंक उठी।
‘अंकल यहाँ नहीं करो… शर्म आती है !’ वो सिमटती हुई बोली।
पर किया उल्टा ही, उसने अपने दोनों पांव चौड़े कर के चूत को खोल दिया और झुकते हुए मेरे बाल पकड़ कर चूत का पूरा जोर मेरे मुख पर लगा दिया। मैंने भी उत्तर में अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी।
‘अंकल, मर जाऊंगी, हाय रे !’ वो नीचे हाथ बढ़ा कर मेरे लण्ड को पकड़ने की कोशिश करने लगी। मैं अब बिस्तर में एक तरफ़ आ गया।
‘अंकल, मैं आपके लौड़े से खेल लूँ, मजा आयेगा !’ अपनी इच्छा जाहिर की।
मैं सीधा हो गया और उसने मेर खड़ा लण्ड पकड़ लिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे करके मुठ सा मारने लगी।
‘आपका लौड़ा मस्त है, लाल टोपी कितनी सुन्दर है !’
‘लौड़ा नहीं, लण्ड बोलो, लण्ड शब्द अच्छा है !’
‘मैं तो लौड़ा ही कहूंगी, मेरी माँ को भी मैंने यही कहते सुना है !’ मैं हँस पड़ा। उसने मेरे लण्ड के सुपाड़े को चाटना शुरू कर दिया। उत्तेजना बहुत बढ़ चुकी थी। मैंने सोनिया के शरीर को दबा कर नीचे कर लिया और और उस पर चढ़ बैठा।
‘सोनिया, तैयार हो जाओ चुदने के लिये !’
‘हाय रे, तैयार हूँ, हाय घुसेड दो लौड़ा… मेरे राजा !’ वह उत्तेजना से मचल उठी। उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा ली। लण्ड गीली चूत को चूमता हुआ फ़क से अन्दर उतर आया। मैंने धीरे से लण्ड दबाया। चूत टाईट थी। पर मैंने धीरज रखा। धीरे धीरे अन्दर उतारने लगा।
‘अंकल थोड़ा सा दर्द हो रहा है और धीरे करो।’ मुझे पता चल गया कि फूल अभी खिला नहीं है, सील टूटी नहीं है। मैंने उसे प्यार से चूमा और कहा,’थोड़ा सा दर्द शुरू में होगा, फिर तो बाद में मजे ही मजे हैं !’
‘चलो ना, चोद दो ना अब !’ मैंने उसे आश्चर्य से देखा और उसकी चूत में जोर लगा कर पूरा जड़ तक घुसा डाला। वो चीख उठी।
‘अरे, हाय रे… मर गई मैं तो, निकालो वापस !’ उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उसका चेहरा विकृत हो उठा, दांत भींच लिये। मैं चुप से उस पर लेट गया और उसे प्यार करने लगा।
‘बस बस सोनिया, शान्त हो जाओ, बस हो गया जो होना था, अब स्वर्ग में चलें?’ आंसू भरे चेहरे में भी वो हंस पड़ी।
‘इतना तेज दर्द होगा, यह मुझे नहीं मालूम था। अब और तो नहीं होगा ना?’
‘बस दो तीन धक्कों में होगा, फिर चूत की मिठास में सब दर्द घुल जायेगा।’ मैं हल्के से और प्यार करते हुये धक्के मारने लगे।
उसे दर्द होता रहा पर वो सहती रही। फिर उसकी रफ़्तार भी बढ़ने लगी, मुझे पता चल गया कि दर्द की जगह मिठास ने ले ली है।
मेरे लण्ड में भी भीनी भीनी मिठास का मजा आ रहा था। उसकी टाईट चूत का मजा अभूतपूर्व था।
शरीर उसका दुबला था पर बहुत ही लचीला था। वो भी अपनी चूत को घुमा घुमा कर लण्ड का मजा ले रही थी। उसकी कमर मशीन की तरह बल खाकर धक्के मार रही थी।
चूत में लाल खून उसकी चिकनाई को बढ़ा रहा था। फ़च फ़च की मधुर आवाजें आने लगी थी। मेर सुपाड़ा भी और लाल हो गया था।
चूत की रगड़ से लण्ड मस्त हुआ जा रहा था। मेरे शरीर में वासना की चिन्गारियाँ निकलने लगी थी। मेरा तन अगन से तड़प उठा था। लग रहा था कि अभी कुछ लण्ड के रास्ते सब कुछ बाहर आ जायेगा।
अचानक सोनिया की वासनायुक्त खुशी की चीख निकल पड़ी,’अंकल जीऽऽऽ, ये मुझे क्या हो रहा है, हाय रे… मेरा पेशाब निकला जा रहा है… !!’
‘निकाल दे मेरी रानी, कर दे पेशाब यहीं पर, कर दे…रोक मत !’ मैं भी उसके पेशाब का मजा लेना चहता था, पर वो पेशाब नहीं था, उसकी चूत की लहरें बता रही थी कि वो झड़ रही थी। शायद झड़ने का उसका पहला अनुभव था या इस तरह से वो पहली बार झड़ी थी।
मेरा लण्ड भी फूल कर कुप्पा हो रहा था। उसकी चूत के ढीले पड़ते ही मैंने अपना लण्ड उसकी चूत की जड़ में दबा दिया और अपना पूरा जोर लगा दिया। अन्दर का लावा फूट पड़ा। मैंने अब लण्ड बाहर खींच लिया और फ़ुहार निकल पड़ी।
रुक रुक के वीर्य बाहर आ रहा था। उसका पूरा पेट भीग गया। ढेर सारा वीर्य बाहर जमा हो गया। मैंने हाथ से उसे उसके पेट पर मल दिया।
‘छी: ! ये क्या कर दिया। सारा गन्दा कर दिया अंकल आपने तो !’ वह मुझ पर झुंझला उठी। फिर उसने वहीं पेट पर से वीर्य हाथ में लेकर मेरे मुँह पर मल दिया और हंस पड़ी। मैंने पहली बार अपने ही वीर्य का स्वाद चखा, फ़ीका फ़ीका सा, लसलसा, चिकना।
मैं बिस्तर से उठ खडा हुआ और बटुए में से उसे पचास रुपए निकाल कर कहा- सोनिया यह तेरा इनाम है, तू जब भी चुदवायेगी मैं तुझे पचास रुपए दूंगा।
सोनिया खुश हो गई उसने झट से रुपये रख लिये। बाथ रूम में जा कर हमने अपने लण्ड और चूत साफ़ कर लिये। सोनिया पचास रुपए पा कर बहुत खुश थी,’अंकल, आप बहुत अच्छे हैं, अब मैं अपने लिये झुमके खरीदूँगी।’
‘कल भी चुदवायेगी क्या…?’
‘आप मुझे पचास रुपए दें तो मैं अभी और चुदवा लूँ !’ कह कर वो मेरी तरफ़ बढ़ गई।
‘तो फिर आ जाओ मेरी बाहों में !’
‘अंकल, एक बात पूछूँ?’
‘हां जरूर, मेरी जान !’
‘राधा को भी पचास रुपए दोगे?’ मैं सुनते ही चौंक गया।
‘वो भी क्या चुदवायेगी?’
‘उसकी शादी होने वाली है ना, उसे चुदाना ही नहीं आता है, वो सीख भी लेगी और उसके पास कुछ पैसे भी आ जायेंगे।’
‘उसने तुम्हारे साथ ऐसा किया फिर भी तुम उसके लिये ऐसा सोचती हो, तुम हो ही प्यारी !’
‘प्यारे अंकल जी, मान जाओ ना !’
‘उसे कल ले आना, मजा तो रहेगा ही और वो चुदना सीख भी जायेगी!’
मैं बिस्तर पर सीधा लेट गया और सोनिया मेरे ऊपर चढ़ गई। मेरा लण्ड उसकी चूत में सरसराता हुआ अन्दर जाने लगा और सिसकियों का बाज़ार गर्म हो गया।
सोनिया अगले ही दिन राधा को मेरे पास लेकर आई!
राधा के साथ क्या हुआ? यह अगले भाग में! sex Stories
मेरी कहानी का Sex Stories अगला भाग : मैडम के साथ आखिरी बार जो हुआ वो मुझे बड़ा अजीब लगा, मुझे देखने की उनकी नज़र बदलने लगी थी, शायद वो मुझे सही में चाहने लगी थी।
यह शायद मेरा वहम था मगर अगर यह सच होता तो मेरे लिए बहुत बड़ी परेशानी हो सकती थी क्योंकि वो एक शादीशुदा औरत थी और समाज में इस रिश्ते को बड़ी ही गन्दी नज़र से देखा जाता और मेरी बदनामी होती सो अलग।
कुछ लोगों ने बातें बनानी चालू तो कर भी दी थी, इसीलिए मैंने उनसे किनारा करने का सोच लिया, मगर वो शायद मुझे भुला नहीं पा रही थी, रोज़ उनके फ़ोन मेरे पास आते थे, और जैसे ही उनके पति चले जाते थे वो मुझे बुला लेती थी, मेरे लाख मना करने पर भी नहीं मानती थी।
मुझे घर बुला के मेरी गोद में बैठ कर मुझे उन्हें प्यार करने को कहती थी, शरीर की ऐसी भूख मैंने अभी तक मैंने किसी लड़की या औरत में नहीं देखी थी, मैंने हर कोशिश की कि मैं उन्हें नाराज़ किये बिना उनसे किनारा कर लूँ मगर ऐसा होने में वक़्त लगना लाज़मी था, तो मुझे थोड़ा इंतज़ार करना पड़ा और मुझे उसका मौका जल्दी ही मिल गया।
कुछ समय बाद एक दिन उन्होंने मुझसे कहा- मैं और मेरे पति लखनऊ जा रहे हैं चार दिन के लिए, तुम मुझे वहाँ मिलो!
पहले तो मैंने मना कर दिया, आखिर इन्सान हूँ, मेरा भी मन करता है। मगर वो नहीं मानी और मैंने उनसे कहा- बस यह आखिरी बार बार होगा!
वो बोली- ठीक है!
पाँच दिन बाद मैं और वो लोग अलग अलग लखनऊ पहुँच गए। वो अपने बच्चे को किसी रिश्तेदार के घर छोड़ आये थे क्योंकि उनके पति का मूड भी काम के बाद कुछ और करने का ही था।
मैंने उनके होटल के पास ही एक होटल ले लिया। उनके पति को उसी दिन सुबह अपने काम से जाकर अगले दिन दोपहर में वापस आना था, तो हमारे पास पूरा दिन और पूरी रात थी।
उनके पति के निकलने के बाद मेरे पास उनका फ़ोन आया और मैं उनके होटल में उनके कमरे में चला गया। चूंकि वो एक पंच-तारा होटल था तो इसीलिए कोई किसी से मतलब नहीं रखता था, हमने कमरा अन्दर से लॉक कर लिया।
वो मुझे बिस्तर पर बैठने के लिए बोलकर बाथरूम चली गई और अन्दर शावर में नहाने लगी।
दस मिनट के बाद वो नाईटी में बाहर आई और मेरे पास आकर बैठ गई।
उस वक़्त वो औरत क़यामत लग रही थी, गीले बाल, होठों पे लाली, रंग ऐसा लग रहा था कि एकदम दूध जैसा! उनकी नाईटी गीली थी और उसमें से उनके शरीर के उभार एक दम साफ झलक रहे थे।
उसके बाद उन्होंने मेरा एक हाथ अपनी टांग के नीचे दबा लिया और दूसरा हाथ अपने होठों पर फिराने लगी। और फिर धीरे धीरे मेरा हाथ वो अपनी छाती के पास ले जाने लगी, मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे, मेरा लंड तन गया था।
उन्होंने मेरे हाथों से अपने मम्मे सहलाये और फिर अपना हाथ अपनी चूत के छेद में दे दिया, उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी और उन्होंने अपनी चूत शेव कर रखी थी। उनकी चूत पूरी तरह से गीली थी।
उसके बाद उन्होंने मेरा हाथ अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। उस वक़्त वो मुझसे अपने मन की करवाना चाहती थी।
और मैं उनकी हरकतें देख के यह भी जान चुका था कि उन्होंने अभी अभी कोई इंग्लिश ब्लू फिल्म देखी है और उनका मन उसे कॉपी करने का है।
और जैसा कि मैं पहले भी बता चुका कि किसी औरत की तरफ मैं सिर्फ उसके होंठ और मम्मे देख कर ही आकर्षित होता हूँ, मुझे उकसाने के लिए किसी भी औरत के पास ये दोनों चीज़ें बड़ी और सुन्दर होनी बहुत ज़रूरी है। फिर चाहे उसकी शकल ठीक ठाक ही हो।
मैंने तुरंत उनकी नाईटी का एक भाग उतार दिया, उनके कंधे पर चूम किया और फिर धीरे उनकी गर्दन पर चूमना चालू किया और उसका कान काट लिया।
उन्होंने मुझे अपने से लपेट लिया और मैं उन्हें लिटा के उनके ऊपर लेट गया। धीरे हम दोनों एक दूसरे के आगोश में जाते चले गए। फिर थोड़ी देर उन्हें चूमने के बाद मैंने उनकी नाईटी कमर तक उतारी और उनके मम्मे चूसने चालू किये जो कि मेरी कमजोरी हैं।
मैं उनके मम्मे चूस रहा था और वो मेरा सर और जोर से अपने मम्मों में दबा रही थी। मुझे जन्नत का एहसास हो रहा था मगर उस समय तक मैंने कई बार नीचे जाने की कोशिश की मगर वो मुझे जाने ही नहीं दे रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं उठा और मुझे ध्यान आया कि मैं अपना कैमरा लाया था। मैंने उनसे पूछा कि मैं अपने इन हसीं पलों की कुछ यादगार अपने साथ रख लूँ क्योंकि यह हमारा आखिरी बार था। थोड़ी न-नुकुर के बाद वो मान गई और मैंने उनकी कई नग्न तस्वीरें निकाली।
तस्वीरें लेने के बाद मैंने अपनी पैन्ट और फ्रेंची उतारी, फिर मैंने उन्हें पकड़ के मेज पर टिका दिया और उनकी गांड मारने की तैयारी करने लगा क्योंकि वो अभी आगे का काम नहीं करवाना चाह रही थी।
मैंने थोड़ा तेल लगाया अपने लंड पर और उनकी गांड के छेद पर टिकाया, धीरे धीरे अपना लंड उनकी गांड में घुसाया। वो दर्द से कराहने लगी और मुझे इसी चीज़ को देख के मज़ा आने लगा। 2-3 झटकों बाद वो ज्यादा चिल्लाने लगी तो मैंने उनके मुँह अपनी में अपनी फ्रेंची ठूस दी ताकि शोर बाहर न जा सके।
फिर बहुत सारे धक्के मारने के बाद जब मुझे लगा कि कहीं अब यह बिदक न जाये, मैंने उन्हें थोड़ा विराम दिया और उनकी गांड से लंड बाहर निकाल लिया। उनका मुँह एकदम लाल हो गया था।
मैं बाथरूम गया और अपना पसीना साफ़ करने के लिए शावर लेने लगा। जब मैं बाहर निकला तो देखा की मैडम बिस्तर पर पड़ी हैं अपनी चूत में खुजली कर रही थी बड़े जोर से। उस औरत की अन्तर्वासना उस समय एकदम चरम पर थी।
मैंने तुरंत उनके पास जाकर उनके हाथ हटा के अपनी ज़बान उनकी चूत पर लगा दी और उसे चूसने लगा। उस समय उनकी चूत का स्वाद किसी गर्म आइस क्रीम से कम नहीं लग रहा था, मैं अपनी जीभ उनकी चूत में फिराता रहा और वो सिसकियाँ लेती रही।
मैं हैरान था कि अब तक उनके मुँह से सिसकियों के अलावा एक भी शब्द नहीं निकला था, मगर तभी वो बोली- बस अब नहीं रुक सकती मैं! फक मी नाओ!
मैं तो इसी पल का इंतज़ार कर रहा था, एकदम उनके ऊपर चढ़ गया, उनकी टाँगें अपने कंधे पर रखी और सुपारा चूत पर लगाकर एक बार में पूरा अन्दर दे दिया।
(मैंने कंडोम पहना था, इसमें शर्म नहीं करनी चाहिए)
वो आहें भरने लगी और मैं अपनी गति बढ़ाता चला गया, कई धक्के मारने के बाद मैं थोड़ा रुका, और फिर उनकी टांगे नीचे छोड़ के उनके ऊपर से उनकी चूत में लंड डाला और उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए। मैडम ने मुझे जकड़ लिया और मेरे कंधे पर जोर के काट लिया।
मैंने उनके जिस्म का भरपूर आनंद लिया और उस औरत के साथ हर वो चीज़ की जिसके बारे में मैं अपने सपने में सोचता था। मैंने उसको हर तरीके से चोदा, हर चीज़ करवाई उससे, अपने अंड चुसवाए, अपनी गांड चटवाई, कम से एक बार तो सब कर ही लिया उसके साथ।
रात होने वाली थी और हम काफी थक चुके थे तो मैंने थोड़ा ब्रेक लेने का सोचा, मैंने उससे कहा- चलो कहीं घूम आते हैं!
मगर उसने मना कर दिया और फिर रंजना मैडम बोली- जानू, एक काम करते हैं, एक ब्लू फिल्म देखते हैं तुम्हारी पसंद की!
मैंने कहा- यह भी ठीक है!
मैंने अपना लैपटॉप खोला और उसमें एक ब्लू फिल्म चला दी। उसमें लड़के ने लड़की की गज़ब तरीके से ली है। उसमें हिंसा बहुत थी, लड़की के हाथ बांध कर उस लड़की को खूब मारा और उसकी चूत लगभग फाड़ ही दी।
मैंने वो दृश्य रंजना को दिखाया और उससे ऐसा करने में मेरा साथ देने को कहा।
वो डर गई और मना करना लगी।
मगर मैंने उससे कहा- तुम्हारा पति तो कुछ करेगा नहीं, खाली लोटे में डंडी घुमाता रहेगा! मेरे साथ ही कुछ नया कर लो!
वो मान गई मगर मुझे सावधान रहने को कहा। मगर वो जानती नहीं थी कि मैं उसका क्या हाल करने वाला था।
मैंने उसके हाथ बिस्तर से बांध दिए और उसके मुँह में अपनी फ़्रेन्ची ठूंस दी। फ़िर फिर मैंने फ्रिज से बर्फ के कुछ टुकड़े निकाले और एक उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया ताकि वो थोड़ा तड़पे और उसकी चूत कस जाये।
वही हुआ, वो छटपटा गई। मगर मैंने उसे पहले ही बोला था कि यह आसान नहीं होगा।
फिर मैंने बर्फ का एक टुकड़ा उसके मम्मों पर फिराया जिससे उसके चुचूक एक दम सख्त हो गए और फिर मैंने उसके मुँह पर 3-4 थप्पड़ रसीद कर दिए जिससे उसका मुँह एक दम लाल हो गया।
यही हाल मैंने उसके चूचों का भी किया। मैं उसे बेहाल और बेबस कर देना चाहता था। उसकी आँखों में डर दिखने लगा था कि अब उसके साथ पता नहीं क्या होने वाला है।
मैंने फिर उसके चूचे चूसने चालू किये और उन पर जोर से काट लिया और फिर उसके मम्मों पर मैंने अपने दांतों के निशान बनाये जिससे वो तड़प सी गई।
बीच बीच में मैं उसको थोड़ा सहलाता भी जा रहा था ताकि वो शांत रहे।
मैंने फिर उसकी चूत में अपना हाथ देना चालू किया। मेरा हाथ बहुत बड़ा था उसके छेद के सामने। वो तड़पने लगी मगर मैंने अपना पूरा हाथ धीरे-धीरे रंजना की चूत के अन्दर दे दिया। वो मचलती रही और मैं उसकी चूत में अपना हाथ हिलाता रहा।
मैंने अचानक देखा कि उसकी चूत के टाँके टूट गए थे मेरे हाथ के ज्यादा अन्दर जाने से! मैंने एकदम घबरा कर अपना हाथ उसकी चूत से बाहर निकाल लिया।
मैंने सोचा- अब बस!
मैंने पहले उसके हाथ खोले तो वो एकदम से तड़प के अपनी चूत को देखने लगी और सहलाने लगी। मैंने उससे सॉरी बोला और उसे बताया कि ऐसा तो होना ही था।
उसने अपने मुँह से कपड़ा निकाला और कराहने लगी।
मैंने उसका मुँह पकड़ा और उसके होठों पर अपने होंठ लगा दिए और बीच में 2-3 बार सॉरी कह दिया।
थोड़ी देर में वो भी मान गई। फिर मैंने उसे सोने को कहा और मैं उसे सुला के होटल से निकल गया।
मगर जो भी हुआ, एक बात तो पक्की थी कि अगली बार वो मुझे बुलाने से पहले सौ बार सोचेगी। मैं जो चाहता था अनजाने में वही हो गया और उस मैडम से मेरा पीछा छूट गया। अभी तक तो उन मैडम का फ़ोन आया नहीं है, आएगा तो ज़रूर बताऊँगा आपको अगली कहानी में! Sex Stories
दोस्तो, मैं अन्तर्वासना hindi Porn Stories का नियमित पाठक हूँ। सोचा आप लोगों को अपनी भी एक सच्ची कहानी बताऊँ।
मेरी शादी हुए 12 साल हो चुके है। शादी के समय मेरी उमर 25 साल की थी और मेरी पत्नी की 19 साल, लेकिन घर में वह सबसे बड़ी थी। मेरी दो सालियाँ हैं। बड़ी की उमर उस समय 16 की थी और छोटी की 12 साल। बड़ी साली का नाम पिंटी है। कद-काठी 5 फुट 2 इंच, रंग हल्का सांवला। फिगर 33-25-28। यह कहानी पिंटी की चुदाई की है।
10+2 पास करने के बाद जब पिंटी कालेज़ पहुँची तो उसे खुला माहौल मिलने के कारण उसके रंग-ढंग काफी बदलने लगे थे। हालांकि पहनती तो सूट-सलवार ही थी मगर कमीज़ की लम्बाई और फिटिंग दिन पर दिन टाईट होते जा रही थी। साथ ही साथ मेरे साथ अकेले में शरारत का कोई मौका वह हाथ से जाने नहीं देती थी। उसका सबसे पसंदीदा था गुदगुदी करना। शुरू में तो मैंने कोई जबाब नहीं दिया। लेकिन धीरे-2 मैं भी बराबरी करने लग पड़ा। पैरों के नीचे, पेट पर, बांहों के नीचे, गर्दन पर, मम्मों के आसपास या फिर जहाँ भी हाथ पड़ जाए। पर यह सब होता था जब आसपास कोई नहीं होता था, चाहे मैं ससुराल में होता या वो मेरे यहाँ आई होती।
एक बार कुछ काम से मैं अपने ससुराल गया था। शाम को वो रसोई में खाना बना रही थी तो मैं पानी पीने के बहाने रसोई में चला गया और पीछे से अपने दोनों हाथों से उसके मम्में बड़े आराम से पकड़ कर खड़ा हो गया। उसने मना नहीं किया और बड़े आराम से खड़ी रह कर अपना काम करती रही। धीरे-2 मैंने उन पर दबाब बढ़ाना शुरू किया और उसे गाल पर चूमना शुरू कर दिया, फिर गर्दन पर और मैंने उसका कान अपने मुँह में ले लिया तो वह कसमसा कर रह गई और कहा- क्या कर रहे हो जीजू! कोई आ जाएगा।
पर इस सबके कारण मेरा लण्ड खड़ा हो कर उसके चूतड़ों की दरार में लगने लग पड़ा था। तभी मेरी सास रसोई में आ गई और हम अलग खड़े हो बातें करने लग पड़े।
अगले दिन मैं अपने काम से बाहर गया। वापिस दोपहर को घर आया तो मेरी सास एक कमरे में तथा पिंटी और मेरा साला दूसरे कमरे डबल-बैड पर सोए हुए थे। मैंने पिंटी को उठाया तो वह ऊँ… कर के करवट बदल कर सो गई। मैंने फिर से उसे हिलाया मगर वो नहीं उठी और एक बार फिर से करवट बदल कर सो गई। लेकिन इस बार उसका मुँह मेरी तरफ हो गया। पिंटी बैड के किनारे की तरफ थी। बार-2 उठाने पर भी जब वो नहीं उठी तो लगा कि शायद वो सोने का नाटक कर रही है। मैंने धीरे से गले के ऊपर से उसकी कमीज़ में हाथ डाला लेकिन वह जरा भी नहीं हिली। कमीज़ टाईट होने के कारण मेरा हाथ ज्यादा अन्दर तक नहीं जा पाया। मैंने उसके मम्मों को सिर्फ ऊपर से ही छुआ और हाथ बाहर निकाल लिया। और फिर उसके पास बैठ कर उसके होंठ अपने मुँह में ले कर करीब 10 मिनट तक चूसता रहा। वो नींद से तो जग गई पर आराम से लेटी रही और इस सबके मज़े लेती रही। पर इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सका क्योंकि साला साथ ही सोया था और अगले दिन मैं वापिस आ गया। चलते वक्त वो बड़े प्यार से व जोर से जफ्फी डाल कर मिली और बोली- आई लव यू जीजू!
मैं समझ गया कि कल दिन में जो कुछ भी हुआ उसके बाद यह चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। मैंने भी उसे आई लव यू ट्ठू कहा और चला आया।
बी ए के प्रथम वर्ष की परीक्षा के बाद छुट्टियों में वह मेरे पास आई। मैं बहुत ही खुश हुआ। उसका बड़ी गर्मजोशी से स्वागत किया। वो पूरे एक महीने के लिए आई थी। मेरी पत्नी ने उस समय एक स्कूल में नौकरी कर ली थी। सुबह 8:40 पर वह स्कूल चली जाती थी। मेरी बेटी भी उसी के साथ जाती थी। मैंने 9:45 पर दफ्तर के लिए जाना होता था। यानि कि पूरा एक घंटा मैं और पिंटी घर पर अकेले होते थे।
एक-दो दिन तो सामान्य निकल गए। तीसरे दिन सुबह अभी 6:15 मेरी पत्नी छत पर कपड़े सुखाने के लिए चली गई। दरवाजे की आवाज से मेरी नींद भी खुल गई। मैं उठा और दूसरे कमरे में देखा साली अभी सोई थी। उसने नाईट सूट पहन रखा था जिसका टॉप थोड़ा छोटा और उसके आधे पेट तक उठा था। टॉप के ऊपर से साफ दिख रहा था कि उसने ब्रा नहीं पहनी है। मैं चुपचाप उसके पास लेट गया और अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया। फिर धीरे-2 टॉप के अन्दर से ऊपर को ले जाने लगा। पहले अपना हाथ उसके दाएँ नंगे मम्मे पर रखा और चुचूक को अपनी ऊँगलियों से पकड़ लिया। लेकिन वो नहीं उठी तो मैंने उसके मम्मे को जोर से दबाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और धीरे-2 चूसने लगा। तो उसकी नींद खुली।
उसने पूछा- जीजू यह क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा।
मैंने कहा- तेरी दीदी अभी छत पर गई है और भांजी सोई है, सो कोई डर नहीं है। तेरी दीदी आएगी तो दरवाजे की आवाज होगी तो हम ठीक हो कर बैठ जाएँगें।
यह सुन कर उसने अपना टॉप ऊपर कर दिया।
मैंने पूछा- पहले भी चुसवाएं हैं किसी से क्या?
तो वह बोली- बस एक बार! वो मैं और मेरी एक सहेली आपस में, बस!
मैं मम्मा चूस रहा था, फिर मैंने पूछा- चुदाई कराई है?
तो वह बोली- अभी नहीं।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ कि एक ताज़ी चूत चोदने को मिलेगी।
‘चुदाई कराओगी मुझसे?’
तो उसने अपना मुंह अपने हाथों से ढक लिया। मैं उसका इशारा समझ गया।
मेरी पत्नी अपने समय पर, बेटी को ले स्कूल चली गई। मैंने अखबार ली और पढ़ने बैठ गया। वह चुपके से आई और उसने मुझे गुदगुदी की। मैंने उसे कहा- मुझे अखबार पढ़ने दे।
लेकिन उसने कहा- क्या जीजू! मैं इतनी दूर से आप के पास आई हूँ और आप हैं कि अखबार में ही डूबे हुए हैं।
मैंने अखबार बंद कर दी और उसे पकड़ कर अपनी गोद में ही लिटा लिया। क्योंकि अब वो और मैं घर पर अकेले थे और किसी का डर नहीं था। वो मेरी गोद में जैसे ही गिरी मैंने उसे पकड़ कर गुदगुदी करनी शुरू कर दी। लेकिर बीच-2 में उसके मम्में भी दबा रहा था। कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने उसे उठाया और अंदर बैड पर ला कर लिटा दिया। और फिर साथ लेट कर उसके होंठ पर चूमने लगा। धीरे-2 मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। वो बड़े आराम से इस सब का मजा ले रही थी।
मैंने उसका टॉप उतार दिया उसकी नंगी चूचियाँ अब बिल्कुल मेरे सामने थी। मैं पागलों की तरह उन्हें चूसने लगा और फिर सारे बदन पर चूमा-चाटी करने लगा। पिंटी भी मदहोश हो रही थी। मैंने अपना कुर्ता और बनियान उतार फैंकी और आधी नंगी पिंटी को नीचे लिटा कर खुद उसके ऊपर लेट कर उसके मम्मों को फिर से चूसने लग पड़ा।
वो बस आंखें बंद कर मजा ले रही थी और आह-ऊँह की आवाजें निकाल रही थी। ऊपर लेटे हुए ही मैंने अपना लण्ड उसकी फुद्दी पर रगड़ना शुरू कर दिया जिससे वह और भी ज्यादा पागल हो गई और अब अचानक ही वो एकदम से उठी और मुझे नीचे लिटा कर मेरे ऊपर आ गई। मेरे होंटों को चूसने लग पड़ी। लेकिन साथ ही साथ एक हाथ से मेरे लण्ड को भी मेरे पाजामे के ऊपर से ही सहला रही थी।
मैंने अपना नाड़ा खोला और पाजामा और कच्छा खोल दिया। मेरा लण्ड जो बुरी तरह से तन चुका था एक दम से बाहर निकल कर खड़ा हो सलामी देने लग पड़ा। पिंटी ने उसे अपने हाथों में सहलाना शुरू कर दिया और उसको सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। मैं तो बस स्वर्ग की सैर कर रहा था। धीरे-2 वो चाटना, चूसने में बदल गया। अब मेरा लण्ड उसके मुँह के अन्दर-बाहर हो रहा था और मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था। वो काफ़ी देर तक लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसती रही और चूस-2 कर उसने पहली ही बार मेरा लण्ड चूस कर सारा माल निकाल कर गटक लिया। यह देख कर मैं उत्तेजना से भर गया। मेरा लण्ड शांत हो चुका था। मैं कुछ देर यूँ ही लेटा रहा।
इस बीच उसने कब उठ कर अपनी सलवार खोल दी थी मुझे पता ही नहीं चला। वो सिर्फ पेंटी में ही मेरे सामने खड़ी थी। ये देख वासना एक बार फिर से सिर पर सवार होने लगी। मैंने उसे हाथ पकड़ कर अपने ऊपर गिरा लिया और बड़े प्यार से चूमने लगा। धीरे-2 मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी में डाला और उसकी फुद्दी को सहलाने लग पड़ा। उसकी फुद्दी बिल्कुल चिकनी थी।
मैंने पूछा- कब साफ करी थी?
तो वो बोली- परसों!
मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी पेंटी भी उतार दी। अब हम दोनों एकदम नंगे थे। मैं उसे पूरी तरह से नंगा देख बस देखता ही रह गया।
वो बोली – जीजू देखते ही रहोगे या…
यह सुन मेरी तंद्रा टूटी तो मैं बोला- पिंटी कद में तो तू कुछ छोटी ही है मगर सेक्सी तू बहुत है।
मैंने उसे सिर से पांव तक हर एक जगह पर चूमा और उसकी टांगें ऊपर उठा उसकी फुद्दी को अपने मुँह में ले लिया। उसकी सिसकारी निकल गई। फुद्दी मैंने जीभ से चाटनी शुरू कर दी। थोड़ी ही देर के बाद वो एक बार मेरे मुँह में ही झड़ गई। लेकिन मैंने चुसाई चालू रखी। इस बीच मेरी नज़र घड़ी पर पड़ी 10 बजने में सिर्फ 5 मिनट ही बचे थे। लेकिन उधर लोहा गर्म था। मैंने आफिस फोन किया कि मैं कुछ लेट आऊँगा थोड़ा काम है। यह सुन पिंटी बहुत ही खुश हुई। फिर मैंने उसकी फुद्दी में अपनी जीभ से चुदाई शुरू की।
वो पागलों की तरह कह रह थी- जीजू बस करो! अब चोद डालो अपनी साली को! पेल दो अपना लण्ड मेरी फुद्दी में! मुझे आज बस आधी से पूरी घरवाली बनालो! पूरी तरह से अपना बना लो!
लेकिन मैं कहाँ इतनी जल्दी निपटाने वाला था। उस दिन मैं लंच के बाद करीब 2 बजे दोपहर को आफिस गया। तब तक मैं उसे तीन बार चोद चुका था।
तो जीजाओ और प्यारी-2 सालियो, कैसा लगा अभी तक का किस्सा।
आगे की कहानी तभी, जब मुझे इस बारे में लिखेंगे और आगे की कहानी की मांग करेंगे। hindi Porn Stories
हाय दोस्तो, मैं आप लोगों को अपनी पहली Antarvasna चुदाई की सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उस समय मेरी उम्र 18 साल से तीन महीने ज्यादा थी और मैं इन्टरमीडिएट का छात्र था।
दशहरे के अगले दिन मैं अपने गाँव से वापस कस्बे आ गया, माँ गाँव में ही रह गयीं। उसी दिन मेरे चचेरे भाई साहब अपनी बीवी और डेढ़ साल की बेटी के साथ हमारे घर आये। वे लोग हमारे दूसरे गाँव में रहते थे। घर में मैं और मेरे पिताजी थे, उन्हें उस रात टूर पर जाना था।
भाई साहब मेरे साथ पास के शहर गये, वहाँ से वे अपनी बहन के घर चले गये और मैं वापस आ गया।
जब मैं शहर में था तभी मेरे मन में भाभी के साथ सम्भोग करने का पागलपन सवार हो गया क्योंकि रात के बारह बजे पिताजी के चले जाने के बाद घर में भाभी और मैं अकेले रहने वाले थे, बेटी उनकी काफ़ी छोटी थी।
दरअसल भाभी की शादी को चार साल हो चुके थे, वे बहुत तो नहीं पर सुन्दर हैं और शुरू से ही वे हम लोगों से काफ़ी मजाक, खासकर गन्दे मजाक किया करती थीं और वे काफ़ी खुली थीं हालाँकि मैं बहुत शर्मीला था।
पर अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था और दो तीन सालों से मैं हस्तमैथुन करके अपनी बेचैनी शान्त कर लेता था, चूत चोदने का बहुत मन करता था पर कोई जुगाड़ नहीं हो पाता था।
मैंने उस रात उनको अपने साथ चुदाई के लिये राजी करने का प्लान बनाने लगा।
आधी रात को पिताजी के घर से निकलते ही मैं बाथरूम गया तो खिड़की से देखा कि भाभी जगी हैं। मैंने उन्हें आवाज दी- भाभी, आप जगी हुई हैं क्या?
उन्होंने कहा- हाँ देवर जी, नींद उचट गयी है।
मैंने कहा- भाभी, अगर चाहें तो मेरे कमरे में आ जाइये।
भाभी झट से तैयार हो गयीं और अपनी बेटी को ले कर मेरे कमरे में आ गयीं। मेरी चौकी के बगल वाली चारपायी पर अपनी बेटी को दूसरी तरफ़ सुला कर खुद मेरी तरफ चारपायी लेट गयी।
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उन से कहा- भाभी, मैं एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नहीं होंगी?
उन्होंने कहा- देवर जी, ऐसी क्या बात है?
मैंने कहा- नहीं पहले वादा करो तब?
उन्होंने कहा- ठीक है बोलिये, मैं नाराज नहीं होऊँगी।
मैंने कहा- भाभी, आज मैंने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी 3-4 महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों में इतने परिवर्तन हो जाते हैं?
मैंने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था।
उन्होंने कहा- शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैंने कहा- भाभी, ज़रा खुल कर बताइये ना…
तो भाभी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों को मसल दिया।
ओह… ह… ह…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी, मैं समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।
मैं भी उनके बालों में उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं। अब तक भाभी अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर।
मैं भाभी के गालों को सहलाते हुए बोला- कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी।
वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया… जोर से भाभी को अपनी बाहों में भींच लिया… उन्होंने भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया… और दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों का चुम्बन लेने लगे… दोनों के जिस्म एक दूसरे में उलझ गये…वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…
मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।
हालाँकि मैंने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।
मैंने सोचा था कि उनकी चूत में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब… जिस चूत को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था…वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।
उफ़्फ़्फ़्फ़… अब एक पल भी रुकना असम्भव था।
उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज में थीं। मेरा मन चूची चूसने पर इस लिये नहीं गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं… वैसे में चूचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।
मैंने भाभी से कहा- भाभी… दोगी?
उन्होंने पूछा- क्या?
मैंने कहा- अब तुम्हें भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ?
तो इस पर वो मुस्कराते हुए बोलीं- आपको रोका कौन है, जो इच्छा हो कर लीजिये।
अब तो मानो मेरे सपनों के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया.
फ़िर उन्होंने अपनी दोनों टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी पूरी चूत जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए थे, पर नाइट लैम्प की रोशनी में जितना दिख रहा था वही बहुत था।
मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी चूत में डाला… चूत एक दम गरम और गीली थी… ओह… मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी चूत में बिना किसी रुकावट के चला गया… क्योंकि भाभी का चूत तो भोसड़ा हो गया था.
खैर पहली बार एक छेद में डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा चुदाया भोसड़ा… मैं तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था… खैर उनकी गरम चूत में पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मैं तुरन्त ही झड़ गया… और सच बताऊँ मैं बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मैं शीघ्र पतन का शिकार हो गया।
मैं उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल में लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा- क्या हुआ देवर जी, बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त?
मैं अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैंने कहा कि दोपहर से ही तुम्हें चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।
उन्होंने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होंने कहा- पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।
फ़िर वो मुझ से चिपट कर लेट गयीं, मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे धीरे मैं भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे… उनके निप्पल को चुटकी में मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है… वो अपना निप्पल मेरे मुँह में डालने लगीं.
मेरी झिझक को भाँप कर बोली- घबराइये मत, जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नहीं निकलेगा… इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है… समझे लल्लू देवर जी!
और फ़िर उन्होंने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने उनके निप्पल को मुँह में लेकर हौले हौले चूसना शुरू कर दिया
ओह… ओह.. .ओ… ओह… उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को मेरे लण्ड से रगड़ने लगीं।
हम दोनों करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी. मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मैं उनकी घुण्डी को दाँटों से काट कर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले।
वो मस्त होकर मेरा हाथ अपनी चूत पर ले जा कर रगड़ने लगीं… उनकी चूत एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी… लग रहा था कि चूत को बुखार हो गया हो जैसे…
फ़िर उन्होंने करवट में ही लण्ड चूत के मुँह पे रख कर डालने को कहा.
मैंने कहा- जरा अपनी चूत तो पौंछ लो, एकदम कीचड़ कीचड़ हो रही है.
इस पर उन्होंने साया से अपनी चूत पौंछी और मुझे अपनी दोनों टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।
मैंने लण्ड को उनकी चूत में जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया… शायद करवट होने की वजह से इस बार चूत कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं… फ़िर होंठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह में डाली मुझे बड़ा मजा आया और मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा।
अब वो अपना चूतड़ आगे पीछे करने लगीं और मैं भी अपना लण्ड बाहर भीतर करने लगा फ़च… फ़च्… फ़च… फ़चाफ़च… सट्… सट्… सटासट्… सट… की आवाजें गूंजने लगी कमरे में…
हम दोनों देवर भाभी मस्ती के हिलोरें ले रहे थे.
दरअसल मेरी भाभी बहुत ही चुदक्कड़ हैं, वो मुझे अपनी बाहों में जकड़े हुए लण्ड घचाघच अपनी चूत में लिये जा रही थीं साथ ही साथ जोर जोर से साँसें लेते हुए बोलती जा रही थी- हाए रे मेरे बबुआ, आज तो आपने एक नये लण्ड का स्वाद चखा दिया… मैं तो कब से तरस रही थी स्वाद बदलने को… कब से आपके भैया का लण्ड ले ले कर बोर हो गयी हूँ।
मैंने पूछा- मेरा लण्ड तो छोटा है, भैया का कैसा है?
तो भाभी बोली- आपके भैया का आप से बड़ा और मोटा है पर समय आने पर आप का भी तगड़ा हो जायेगा।
और मुझे जोर से भींचते हुए बोली- मेरे राजा, मजा सिर्फ़ मोटे और बड़े लण्ड से ही नहीं आता, कौन चोद रहा है और कैसे चोद रहा है यह महत्वपूर्ण है, अब देखिये आप अपने भैया से हैण्ड्सम हैं तथा पढ़ने में भी तेज हैं, कोई भी लड़की आपसे चुदवाना चाहेगी.
ऐसा कह कर वह मेरे गाल सहलाने लगी और मैं भी मारे उत्तेजना के और जोर जोर से लण्ड को उन की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. हम दोनों ही मारे मस्ती के सटासट धक्का पे धक्का मारे जा रहे थे.
दोनों की साँसें तेज… तेज… तेज… होने लगी और उन्होंनें मुझे जोर से जकड़ते हुए कहा- हाय रे मैं तो गयी मेरे राजा… आज तो आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरे देवर जी… शादी के बाद पहली बार कोई नया लण्ड मिला है मैं तो निहाल हो गयी…
हम दोनों एक साथ ही झड़े और देर तक एक दूसरे से चिपके रहे।
उन्होंने पूछा- कैसा लगा भाभी को चोद कर?
मैंने हँसते हुए कहा- मैं तो कल्पना कर रहा था कि आप की चूत एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने में दिक्कत आयेगी… पर वैसा कुछ हुआ ही नहीं?
इस पर वह मुस्कराते हुए बोली- अगर कुँवारे में हम दोनों मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी चूत में से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है… आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है… चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।
उस के बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत… सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और भाभी चौकी पर लेट कर उस को अपनी चूची खोल कर दूध पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था.
अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैंने कहा- भाभी एक बार और चोद लेने दो.
तो उन्होंने कहा- बेटी जगी है, देखेगी तो किसी से कह सकती है.
मैंने कहा- डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी।
उन्होंने कहा- यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।
फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रख कर बेटी को अपनी छाती पर रख कर उसके मुँह में निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगों को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझ से बोली- लीजिये, जल्दी से चोद लीजिये, फ़िर पता नहीं कब मौका मिले ना मिले।
मैंने वहीं खड़े हो कर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े में डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नहीं कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे।
थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये में पौंछ कर अलग हो गया।
फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नहीं मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नहीं, और भाई साहब भी जल्दी ही आ गये। Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.