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हाय दोस्तों, Indian Sex Stories कैसे हैं आप सब, मैं आज अपनी पहली और सच्ची कहानी लिख रही हूं, शायद आप को पसंद आये। मैं एक शादी शुदा ४६ साल, ३६ ३२ ३६ लेडी हूं
मेरी शादी को २५ साल होने आ रहे हैं। मेरी शादी शुदा जिंदगी बड़े मजे से गुजर रही थी, मैने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसा भी एक दिन आयेगा। एक महीने पहले की बात है मेरे पति एक दिन बाहर जा रहे थे उन्होंने मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के जिसकी उमर १९ साल है, को कहा कि तुम घर पर रुक जाना मैं २ दिन में वापस आ जाउंगा, आंटी को अकेले में डर लगता है। उसने कहा ठीक है, पहले भी वो कई बार मेरे यहाँ पर रुक चुका था, पर कभी भी मैने उसको गलत नजरिये से नहीं देखा था वो मुझे आंटी कहता था और मैं भी उसको बेटे के जैसा ही मानती थी।
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, हम दोनो हमारे डबलबेड पर ही लेटे थे और अलग अलग कम्बल से अपने शरीर को ढके हुए थे। रात में मैं जब पेशाब करने के लिये उठी तो देखा कि वो लड़का एकदम सिकुड़ कर पड़ा है और जोर जोर से काँप रहा है, मैं जब बाथरूम से वापस आई तो मैने उससे कहा कि बेटा ज्यादा ठंड लग रही है तो एक कम्बल और निकाल देती हूं, उसने कहा नही आंटी ऐसे ही ठीक है। पर मेरी नींद उड़ गई थी मैं बार बार उसको देख रही थी वो ठंड से काँप रहा था, फ़िर मैने उससे कहा कि वो मेरे कम्बल में आ जाये दोनो कम्बल से कुछ ठंड कम हो जायेगी। उसने संकोच करते हुए मेरे कम्बल के नीचे अपना आधा शरीर कर लिया, फ़िर मैने उसको पकड़ कर पूरा शरीर अपने कम्बल में खींच लिया। एक कम्बल के अन्दर दो लोग दूर दूर नहीं सो सकते थे इसलिये उसकी बोडी मुझसे टच होने लगी, मैने देखा वो अब भी काँप रहा है, मैं उसको खींच कर अपने पास कर लिया। अब उसने एक हाथ से मुझको जोर से पकड़ लिया और मैने देखा कि उसका कँपन बढ़ता ही जा रहा है तो मैं उसको अपने सीने से चिपटा लिया। थोड़ी देर में उसने काँपना बंद कर दिया।
उसके शरीर से चिपकने के कारण मुझमें सेक्स भड़क गया। मैने धीरे से उसका मुंह अपनी चूची के सामने कर दिया उसके होंठों के पास और अपना एक हाथ नीचे करके उसके लंड के पास कर दिया। थोड़ी देर के बाद मैने देखा कि वो मेरी चूचियों पर मुंह से दबाव दे रहा है और नीचे अपने लंड को मेरे हाथ से टच करने की कोशिश कर रहा है। मुझे भी मजा आने लगा था। मैने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलकर और ब्रा को ऊपर उठकर चूची बाहर निकाल कर उसके मुंह में दे दी, वो मेरी चूची को चुभलाने लगा, फ़िर मैने धीरे से उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगी, अभी उसके लंड का साइज़ बहुत बड़ा नहीं था पर मेरे ऊपर तो नशा छाया हुआ था।
फ़िर मैने उससे पूछा अच्छा लग रहा है तो उसने सिर हिलाकर हां कहा, मैने अपने ब्लाउज़ और ब्रा को निकालकर अपने कबूतरों को आज़ाद कर दिया, अब वो मेरे एक चूची को मुंह से और दूसरी को अपने हाथ से सहलाने लगा। मैं उसके लंड को जोर से पकड़कर हिलाने लगी, फ़िर मैने उसको कहा कि अपने मुंह को मेरी चूत की तरफ़ करो मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेना चाहती हूं। वो तुरंत ही ६९ पोजिशन में आ गया मैने उसके लंड को मुंह में ले लिया और वो मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था छोटा सा लंड मुंह में लेने में, वो तो जैसे पागल सा हो गया था, मैने उसका सिर पकड़ कर जोर से अपनी चूत पर दबाया, थोड़ी देर में वो कहने लगा आंटी मेरी पेशाब निकल रही है मैने कहा ठीक है कर दो मेरे मुंह में (मुझे पता था वो डिस्चार्ज हो रहा है) उसका शरीर एकदम से अकड़ सा गया और मेरे मुंह में झड़ गया। कुछ देर के बाद मैं भी उसके मुंह में अपना सारा पानी निकाल दी और उससे बोली चाट चाट कर साफ़ कर दो। उसे भी बड़ा मजा आ रहा था, फ़िर मैने कहा अब तुम अपने पूरे कपड़े निकाल दो और मैने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिये और दोनो नंगे ही चिपक कर एक दूसरे के अंगों सहलाते हुए सो गये।
दूसरे दिन न तो वो और न ही मैं एक दूसरे से आंख मिला पा रहे थे। वो दोपहर में स्कूल से बहाना बनाकर छुट्टी लेकर आ गया। मैं उसके घर पर ही उसकी माँ के साथ बैठी थी मैने पूछा आज जल्दी क्यों आ गये तो वो बोला मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था इसलिये। फ़िर मैं वहाँ से उठकर अपने घर पर आ गई आते समय मैने उससे कहा बेटा जब तुम्हारी तबियत ठीक लगे तो आना थोड़ा सा बाज़ार का काम है। करीब आधे घंटे के बाद वो आया, मुझसे पूछा क्या काम है आंटी, मैने कहा कुछ नहीं मुझे ये जानना था कि तुमको क्या हो गया, तुमने किसी को ये सब बताया तो नहीं, वो बोला आप पागल है क्या ऐसी बात भी किसी को बताते हैं, फ़िर मैने पूछा कल रात में मजा आया कि नहीं, वो बहुत खुश दिख रहा था मैने उसको एक किस दी और हाथ से उसके पैंट के ऊपर से उसके लंड को हिलाते हुए पूछा जनाब के क्या हाल हैं वो शरमाते हुए बोला आंटी मेरे अंडो में बहुत मीठा मीठा दर्द हो रहा है मैने कहा रात में सब ठीक हो जायेगा। आज की रात जब वो आया तो मैने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी और पतली झिन्नी सी गाउन पहनी हुई थी, वो भी बहुत उतावला दिख रहा था, आते ही मुझसे लिपट गया, मैने कहा जल्दी मत करो तुम चलो बेड पर मैं आती हूं, और फ़िर ……………………।। Indian Sex Stories
Antarvasna पाठकों को मेरी प्यारी सी चूत की तरफ से बहुत सारा प्यार ! काफी सारी कहानियाँ पढ़ने के बाद मैं चाहती हूँ कि अपनी आप-बीती भी मैं आपको सुनाऊँ।
मेरा नाम बेला है, मैं मुज़फ्फरनगर से हूँ। मेरी शादी एक सीधे साधे चूतिया टाइप के इंसान से हुई है। शादी के बाद हम अपनी मधु चन्द्रिका मनाने मनाली गए पाँच दिनों के लिए। उन पाँच दिनों में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे मुझे मज़ा आया हो ! आप शायद समझ गए ! प्रदीप (मेरे पति) ने मुझे ढंग से नहीं चोदा- मैं अनचुदी रह गई।
मैं वापस दिल्ली आ गई और ऑफिस के काम में लग गई।
एक रोज़ बॉस ने कहा- शनिवार को आना है !
मुझसे वैसे भी शनिवार काटे नहीं कटता था क्यूंकि प्रदीप का शनिवार को भी ऑफिस होता है। मैं तकरीबन ग्यारह बजे ऑफिस पहुँच गई। बॉस आ चुके थे। हम दोनों ने दो बजे तक डटकर काम किया। ऑफिस में सिर्फ मेरा बॉस, मैं और ऑफिस बॉय राजू था।
मैं अपने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थी कि बॉस पीछे से आकर देखने लगे और समझाने लगे कि कैसे क्या करना है। मैं उनका निर्देश लेकर काम करती रही। चूंकि बॉस बहुत पास आकर देख रहे थे, मेरा एक गाल उनके बहुत ही नज़दीक हो गया था। उनको पता नहीं क्या सूझी, उन्होंने मेरे गाल पर एक पप्पी दे दी। मैं चौंक गई।
बॉस ने कहा- बेला, तुम बहुत सुन्दर हो और मुझे तुम अच्छी लगती हो।
मैं बस उनको देखती रह गई। फिर उन्होंने मेरी बाहों पर हाथ फेरना शुरु किया। हाथ फेरते फेरते उनके हाथ मेरे गले तक पहुंचे और वे मुझे प्यार करने लगे। इतने में राजू अन्दर आया। मैंने बॉस से कहा- सर, राजू को बाहर भेजिए पहले।
बॉस खुश। इसमें मेरी हाँ जो थी।
वे बाहर गए यह कहते हुए कि तैयार रहना। मैं समझ गई कि बॉस मुझे आज चोदेगा और मैं खुश हो गई। मैंने अपनी चूत से कहा- देख निगोड़ी ! सब्र का फल मीठा होता है। आज उछल कर चुदना।
मैं सीधे बाथरूम गई, खूब मूता और अपनी चूत को खूब साफ़ किया। हल्का सा स्प्रे लगाकर मैं बाहर आ गई। इतने में बॉस अन्दर आये। और उन्होंने मुझे दीवार से टिकाकर मुझे खूब चूमा। चूमते चूमते उन्होंने मेरा ब्लाऊज उतार दिया। अब मैं ब्रा और स्कर्ट में थी। मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरे होटों को चूसने लगे। मैं भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। मैं भी मस्त हो कर उनसे झूल गई। क्यों ना झूलती ! मेरी चूत में भी तो कुछ कुछ हो रहा था।
उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट उतार दी। मैं अब सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी। बॉस मुझे निहार रहे थे, मैंने इनकी टी-शर्ट उतार दी और फिर उनकी जींस। बॉस का लंड तो बाहर आने के लिए कुलांचे भर रहा था। मैंने उनका लंड पकड़ लिया। बॉस ने एक आह भरी और मुझे मेरी ब्रा से अलग किया। दोनों मम्मों को दबाने लगे और फिर मुझे गोद में उठाकर मेरी चड्डी अलग कर दी। इस वक़्त मैं बॉस की बाहों में पूरी की पूरी नंगी थी। बॉस मुझे इसी अवस्था में बोर्ड रूम ले गए और मुझे मेज़ पर लिटा दिया। मेरे दोनों हाथ ऊपर और दोनों टाँगे अलग अलग करके वे मेरी झांटों से खेलने लगे। मेरे होंठों पर उनके होंठ, उनका एक हाथ मेरी एक बांहों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से वे मेरी चूत से खेल रहे थे। ऐसा सुख मुझे प्रदीप ने कभी नहीं दिया था। बॉस मुझे चूमते हुए मेरी नाभि तक पहुंचे और फिर मेरी चूत पर। चूत को चौड़ा कर उन्होने अपनी जीभ मेरे रति-छिद्र में डाल दी जिससे में दो फ़ुट ऊपर उछल गई।
इतने में मेरा मोबाईल बजा, अब मैं कैसे उठाती। बजते बजते बंद हो गया। फिर बजा। और उसके बाद फिर। मैं समझ गई प्रदीप ही होंगे। इतने में ऑफिस का फ़ोन बजा और चूंकि एक फ़ोन उस मेज़ पर ही था, मैंने अनायास उठा लिया।
प्रदीप ही थे, पूछ रहे थे- क्या कर रही हो डार्लिंग?
अब मैं क्या कहती – अपनी चूत चुसवा रही हूँ?
मैंने कहा- काम कर रही हूँ।
इतने में राज के चूसने से मैं झड़ने वाली थी। मेरे मुँह से एक लम्बी आह निकली।
प्रदीप ने पूछा क्या हुआ?
सोचा- बोल दूं कि झड़ने वाली हूँ, लेकिन कहा- एक जगह बैठे बैठे पांव सुन्न हो गया। हिल नहीं पा रही हूँ।
इतने में राज ने मेरी चूत से पानी निकाल दिया। मैंने फ़ोन रख दिया और जोर से हूँ-हाँ करने लगी। बॉस ने अब ऊँगली करनी शुरू कर दी और मैं फिर से झड़ गई। बॉस मुझे खूब चूमा और कहा- उठो।
मैं मेज़ से उठ नहीं पा रही थी। बॉस समझ गए। मेरे बदन को निहारते रहे।
पांच मिनट के बाद में उठी और बॉस के सामने खड़ी हो गई। अब बॉस मेज़ पर लेट गए। मैंने उनकी चड्डी उतार दी। उनका लंड तो एक भयानक किस्म का जीव लग रहा था। आठ इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा। उनका सुपारा एकदम गुलाबी रंग का था और मैंने उस सुपारे को अपने नाख़ून से थोड़ा पिंच किया। मेरे बॉस के मुँह से एक दर्दनाक आह निकली। मैंने अपने दोनों हाथों से उनका लंड लिया। मेरे दोनों हाथों में नहीं समा पा रहा था वो। खैर मैंने एक हाथ से उसको हिलाना शुरू किया।
फिर बॉस ने अपनी टांगें चौड़ी की और कहा- टेबल पर आ जाओ !
मैं मेज़ पर चढ़ गई और उनका लंड चूसने लगी। मैंने खूब चूसा और खूब हिलाया। उनके टट्टे अपने मुँह में लेकर उनके लंड को ऊपर नीचे करने लगी। बॉस शायद झड़ने वाले थे। एक लम्बी आह भरी और बोले- बेला मेरा मट्ठा निकल रहा है ! चूस रानी चूस।
मैने भी उनके लंड को चूसकर सारा का सारा मट्ठा निकाला और पी गई। बॉस का लंड एक ओर लुढ़क गया। मैने उसे चूमा और बॉस के पास आकर लेट गई।
दस मिनट के बाद बॉस ने पूछा- तैयार हो?
मैं तो कब से तैयार थी, मैं बोली- हाँ ! और इनका लंड फिर से तैयार करने लगी।
बॉस मेरी चूत में ऊँगली करने लगे। मैं तो गीली हो गई थी। बॉस ने मुझे गोद में उठाया और सोफे की ओर ले गए। मुझे औंधा लिटा कर उन्होंने मेरे चूतड़ उठाये और फिर मेरी फुद्दी में अपनी एक ऊँगली डाल दी। मैं तैयार थी। इतने में बॉस ने अपना सुपारा मेरी चूत में डाला और एक जोर का झटका दिया। मैं चीख पड़ी। बॉस को कोई फर्क नहीं पड़ा। वे मेरी कमरिया को पकड़कर कभी मुझे अपनी ओर खींचते या फिर मुझे स्थिर रखकर अपने आप को धक्का देते। दोनों ही सूरत में मेरी फाड़ रहे थे। मैं तो बस चीखती रही। ये तो सहवाग की तरह बल्लेबाजी कर रहे थे। पता नहीं इनको क्या जल्दी थी। ऐसा उन्होने मेरे साथ तकरीबन पंद्रह मिनट तक किया और नीचे से मेरे मम्मों को भी दबा रहे थे।
मैं चिल्ला रही थी- बस करो बस करो, आह, ऊह, मर गई, मम्मीईई, मम्मीईईई !
मगर बॉस को कोई रहम नहीं आया। बॉस मुझे चोदते रहे और मैं चुदती रही। मेरी चूत का तो उन्होंने भोसड़ा बन दिया था। मन ही मन चाह रही थी कि प्रदीप देखें और सीखें कि किस तरह से एक चूत को चोदा जाता है। थोड़ी देर में बॉस झड़ने वाले थे। उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरी गोरी पीठ पर रख दिया। एक गर्म एहसास हुआ पीठ पर और बॉस ने अपना सारा माल मेरी पीठ पर उड़ेल दिया और फिर मेरे बगल में बैठ गए। मैं बॉस की गोद में लुढ़क गई। मैं बहुत थक गई थी। मैंने शादी से पहले ऐसी चुदने की कल्पना भर की थी। प्रदीप ने यह सुख कभी ना दिया और ना ही कभी देगा। और बॉस ने तो मेरी ले ली।
उस रोज़ बॉस ने मुझे दो बार मेरी चूत को और चोदा और एक बार गांड भी मारी। शाम होते होते मैं बहुत पिद चुकी थी। इतनी चुदाई के बाद तो मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। बॉस ने मुझे उस रात घर तक छोड़ा। उसके बाद तो मैं बॉस से खूब खुलकर चुदने लगी। मैं हफ्ते में तीन चार बार तो बॉस से चुदती ही हूँ। अच्छा एक बात तो बताना ही भूल गई। मेरा प्रोमोशन हो गया है।
वैसे Antarvasna प्रदीप भी कभी कभी अपनी लुल्ली मेरे अन्दर डाल देता है। अब बर्फी खाकर गुड़ में मजा कहाँ रहता है?
एक दिन ई-मेल देखते Sex Stories समय मैंने देखा कि किसी प्रिया नाम की लड़की का मेल आया है। मैंने वह मेल खोला और पढ़ने लगा। वह मेल किसी प्रिया नाम की लड़की का था और वह मुम्बई में रहती थी। उसने लिखा था- मैंने आपकी कहानी पढ़ी और मुझे बहुत अच्छी लगी, आप बस ऐसे ही कहानियाँ लिखते रहो और कृपया मुझे मेरी ई-मेल पर भेजो। मुझे ऐसी कहानियाँ बहुत पसन्द हैं।
मैंने उत्तर में उससे पूछा- आप कहाँ की रहनेवाली हैं, और आप की उम्र कितनी है?
तो दूसरे ही दिन उसका प्रत्युत्तर आया “मैं भी मुम्बई में रहती हूँ और मेरी उम्र २२ साल है।
फिर मैंने उससे पूछा- कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
तो उसने उत्तर दिया- नहीं।
मैंने पूछा- क्यों? कभी मन नहीं करता सेक्स करने का?
उसने कहा- मन तो बहुत करता है पर मुझे डर लगता है, कहीं सेक्स करने के बाद घर पर पता ना चल जाए।
मैंने उसे प्रस्ताव दिया- इस मामले में मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ, अगर तुम मान जाओ तो।
उसने पूछा- कैसे?
तो मैंने बताया- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को तैयार हूँ और मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा, ये मेरा वादा है।
उसने कहा- लेकिन यह कैसे सम्भव होगा? तुम मुझे कहाँ मिलोगे और हम लोगों को ऐसी जगह कहाँ मिलेगी जहाँ हम दोनों के सिवा तीसरा कोई ना हो।
मैंने लिखा- हम लोग किसी रिसॉर्ट में जाएँगे, वहाँ एक कमरा लेंगे और पूरा दिन मज़ा करेंगे।
उसने लिखा- नहीं मुझे डर लगता है, कहीं उल्टा-सीधा हो गया तो! सेक्स के बाद अगर मुझे गर्भ रह गया तो?
मैंने लिखा- ऐसा कुछ भी नहीं होगा, मैं कॉण्डोम चढ़ा लूँगा अपने लण्ड पर, फिर तो कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी। तुम मुझे शुक्रवार को विरार स्टेशन पर मिलो, सुबह 9 बजे।
उसने कहा- ठीक है।
और वह शुक्रवार को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने अभी तक उसको देखा भी नहीं था, ना ही उसका आवाज़ ही सुनने का मौक़ा मिला था। मैं बहुत ही रोमांचित था कि मुझे शुक्रवार को एक अनछुई चूत मिलने वाली है, जिसकी सील मुझे तोड़ने को मिलेगी।
वह दिन भी आ गया। मैं पौने नौ बजे ही वहाँ पहुँच गया और मेडिकल से कोहिनूर कॉण्डोम ख़रीद लिए। मैं उसका इन्तज़ार करने लगा। उसने बताया था कि वह गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहनकर आएगी और मैंने भी उसे बता दिया था कि मैं काली टी-शर्ट और नीली जीन्स-पैन्ट में रहूँगा। इससे हम एक-दूसरे को पहचान सकते थे।
क़रीब बीस मिनट के बाद एक लड़की मेरे सामने आई और पूछा- अमित?
मैंने कहा- तुम प्रिया हो?
उसने हाँ कहते हुए अपनी गर्दन नीची कर दी।
वह बेहद ख़ूबसूरत थी। क़द 5’4″ और फ़िगर 34-26-34. दिखने में एकदम सेक्सी थी। उसने गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहन रखी थी। कमीज़ के ऊपर से उसके वो दो उभार साफ दिखाई दे रहे थे, वे पूरे मौसम्मी के आकार के थे। उसकी चूचियों के आकार देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं उसे लेकर एक रिसॉर्ट में गया और वहाँ एक कमरा लेकर हम उसमें चले गए। कमरे में जाते ही देखा कि वहाँ एक बिस्तर था और शौचालय व स्नानघर भी था। मैंने दरवाज़ा बन्द करके कुण्डी लगा दी। वह बिस्तर पर बैठी थी। मैं बाथरूम जाकर थोड़ा तरोताज़ा होकर आ गया, फिर उसे भी फ्रेश हो जाने को कहा। वह उठकर बाथरूम चली गई।
थोड़ी देर बाद वह जैसे ही बाथरूम से बाहर आई, मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे धीरे-धीरे चूमने लगा। वह शरमाकर ख़ुद को छुड़ाने की नकली कोशिश करने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- हम लोग यहाँ मौज़ करने ही आए हैं और अगर तू ऐसे ही शरमाएगी तो ना तू मज़ा ले पाएगी और ना ही मुझे मज़ा आएगा। सो प्लीज़ डोन्ट अपोज़ मी।
और मैंने उसकी गर्दन और होठों पर चूमना शुरु कर दिया। बीच-बीच में मैं उसके कान को भी चूमता।
इन सब से वो भी उत्तेजित हो गई और मुझे उत्तर भी देने लगी। मैंने अपना एक हाथ आगे की ओर लाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और उंगलियों को ऊपर से ही धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाकर सहलाने लगा। वह रह-रहकर सिहर उठती थी, उसने मुझसे कहा- प्लीज़ ऐसा मत करो, और ज़ोर से दबाओ।
मैं फिर उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर गया वह वहाँ से मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।
मैंने उससे कहा- प्लीज़!
और वह मान गई और दोनों हाथों से उसने मुझे जकड़ लिया। मैं कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने कमीज़ के अन्दर हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा। उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगीं- आहहहह … उउफ्फ … ज़ोर से …
फिर मैंने अपना वही हाथ ऊपर ले जाकर कमीज़ के नीचे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसने अन्दर ब्रा पहन रथी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ एक-एक कर दबानी शुरु कर दी। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे हाथ से उसकी कमीज़ की चेन खोल दी और उसकी कमीज़ ऊपर करके निकाल दी। अब वह मेरे सामने सफ़ेद ब्रा में थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा अलग कर दी।
वाह! क्या दूध थे उसके। पूरे गोल-गोल। ना ही अधिक छोटे ना ही बहुत बड़े, बिल्कुल उपयुक्त आकार के। चूचियों के ऊपर दो गुलाबी रंग के दाने थे। क्या ख़ूबसूरत नज़ारा था, मैंने मेरी ज़िन्दगी में पहली बार इतनी अच्छी चूचियाँ देखीं थीं। ऐसी चूचियाँ तो शायद ही किसी की होंगी। मैं तो पागल ही हो गया था, मैं उसकी दोनों मौसम्मियाँ हाथ में लेकर दबाने लगा, क्या कसाव थे उसमें। थोड़े नरम और थोड़े कसे हुए। मैं तो बस उसे दबाता ही रह गया। ऐसा लग रहा था इन्हें छोड़ कहीं न जाऊँ।
10-15 मिनट के बाद मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। और फिर धीरे से जैसे ही उसके सलवार का नाड़ा खींचा, सलवार नीचे गिर गई। तभी मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी सलवार को पैरों से आज़ाद कर दिया। उसने पीली रंग की पैन्टी पहन रखी थी। वह शरमा कर दूसरी ओर देख रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी, बनियान निकाली और पैन्ट भी उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ अण्डरवियर में था, और वह भी मेरे सामने सिर्फ छोटी सी चड्डी में थी।
मेरा लंड तो एकदम खड़ा हुआ था. मैं बिस्तर पर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मैंने उसे कहा- मेरा लंड चखोगी?
तो उसने इन्कार कर दिया और कहा- मुझे मुँह में लेना अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी।
फिर मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। उसकी चड्डी गीली हो गई थी। मैंने हाथ पिर उसकी चड्डी में डाल दिया, वह सिहर उठी। मेरे हाथ को उसकी झाँट के बाल लग गए।
मैंने उससे पूछा- कभी उसे साफ नहीं करती।
उसने गर्दन हिलाकर ना कहा।
मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद पर फिरानी शुरु कर दी। वह उफफ ओओओओ… आँआँआँआँ … आआआहहह… श्शसस्सीस्स आआहहह करती रही। मैं फिर वही उंगली उसकी चूत में घुसाने लगा। वह फिर से चिल्लाने लगी, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत में चली गई, उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी। मैं अपनी उंगली अन्दर ही गोल-गोल घुमाने लगा। वह सिर्फ आआहहह … उउफ्फ्फ ज़ोररर से कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी से निकाला और उठकर बैठ गया और उसकी चड्डी उतारने लगा, वह शरमा रही थी। मैंने उसकसी चड्डी उसके पैरों से अलग कर दी और उसकी चूत देखने लगा। तबी उसने अपने दोनों पैर एक-दूसरे पर रख दिए और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने उसके दोनों पैर अलग करके उसे फैला दिए।
अब मुझे उसकी चूत दिखने लगी। क्यी चूत थी वो!!! एकदम कोरी चूत। चूत पूरी तरह से सील पैक थी। मैंने फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी, और उंगली अन्दर-बाहर करने लगा. वह एकदम पागल हुई जा रही थी और मेरा हाथ पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उंगली अन्दर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया। मैंने सोच लिया, यही सही समय है इसे चोदने का, क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह से गीली और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने अपना अण्डरवियर उतारी और पैन्ट की पॉकेट में से कॉण्डोम का पैक निकाला। मैंने उससे कहा- यह कॉण्डोम है। कभी देखी है?” उसने गर्दन हिलाकर ना कहा। अब मैंने उसमें से एक कॉण्डोम बाहर निकाली और उससे कहा- देख लो, उसे लंड पर कैसे चढ़ाते हैं, अगली बार तुझे ही ऐसा वाला दूसरा कॉण्डोम मेरे लण्ड पर चढ़ाना होगा। वह गौर से देखने लगी। मैंने कॉण्डोम अपने लण्ड पर चढ़ा लिया। मैंने कल ही अपनी झाँट के बाल साफ किए थे। फिर मैंने उसकी दोनों टाँगें घुटनों से मोड़ दी, और जितनी सम्भव थी फैला दीं। अब उसकी चूत खुल चुकी थी। मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच घुस उसके ऊपर सो गया। मैंने अपना लण्ड एक हाथ से उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वह बुरी तरह से पागल हो रही थी, मुझसे कहने लगी- प्लीज़, जल्दी डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत को इस लंड से प्लीज़।
मैंने एक ज़ोर से धक्का मारा। वह तड़प उठी और चिल्लाने लगी, उईईमाँआआ… मररर गईईई आआआहह मेरीईईई चूउउतत फफ्फ्फट गईईईईई… निइइकाआआलो इसे, आह। फिर थोड़ी देर तक मैंने अपना लंड ऐसे ही रखकर एक और ज़ोर से धक्का मारा, उसकी सील टूट गई और वह रोने लगी। वह चिल्ला उठी आआहहहह प्लीज़ निकाल लो इसे, मैं मगर जाऊँगी… प्लीज़। मैंने कहा, कुच नहीं होगा, ऐसे ही पड़ी रहो, दर्द कम हो जाएगा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे। उस वक्त मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। ५-१० मिनटों के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वह मुझसे लिपट गई और उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
लेकिन मेरा लण्ड अभी भी जोश में था। क़रीब १५-२० मिनटों के बाद मैंने भी कॉण्डोम में ही पानी छोड़ दिया और फिर उसकी ऊपर ही उसकी चूत में लण्ड डाले हुए ही सो गया। १० मिनटों के बाद मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसके ऊपर से उठ गया। देखा कि उसकी चूत से थोड़ा-बहुत खून निकल रहा था। खून और उसकी चूत के पानी से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा और उसे अपनी बाँहों में उठाकर टॉयलेट ले गया। वहाँ उसे बैठाकर ठण्डे पानी से उसकी चूत साफ करने लगा। उसकी चूत में उंगली डाल कर साफ करने की वज़ह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसकी चूत साफ करके फिर से उसे अपनी बाँहों में उसे उठाया और बिस्तर पर लाकर रख दिया। अब मेरा लण्ड मेरे मनसपन्द शॉट मारने के लिए बेक़रार था। पैन्ट से मैंने एक कॉण्डोम निकाला और उसके हाथ में दे दिया और कहा- चढ़ा दो उसे मेरे लण्ड पर।
उसने उसमें से कॉण्डोम बाहर निकालकर मेरे लण्ड पर रखा और उसे चढ़ा दिया।
मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं, नीचे से मैंने मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरी तरह से घुसा दिया और उसकी बाँहों में से अपने हाथ डालकर उसे ऊपर उठाया। अब मैं खड़ा था, और उसकी दोनों टाँगें मेरे कंधे पर थी, और मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे थे। वह पूरी तरह से मुड़ी हुई थी, और मेरा लंड उसकी चूत में था। मैंने अपनी पीठ थोड़े से सहारे के लिए दीवार पर छुआ रखी थी, और फिर कमर आगे-पीछे करने लगा। इस मुद्रा में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में चला जा रहा था। जब मैं पूजा को इस तरह से चोदता था तो मुझे दीवार के सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ती थी, क्योंकि उसका व़जन बहुत ही कम था। लेकिन प्रिया 22 साल की थी और उससे काफी बड़ी और भारी थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था मैंने उससे पूछा- मज़ा आ रहा है ना?
उसने हाँ कहा- ऐसे ही चोदते रहो मेरा राजा। मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ। शादी के बाद भी मैं तुम्हीं से चुदवाऊँगी। और ज़ोर से चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को… और कस के आआहहहह आआआहहहह।
8-10 मिनटों के बाद मैंने उसे बिस्तर पर रख दिया और कुतिया की तरह झुकने को कहा। उसने अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रख गिए और घुटनों के बल कुतिया बन गई। मैंने उसके पैर थोडे फैलाए और पीछे से मेरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कुत्ते की तरह चोदने लगा। 15 मिनट बाद मैंने पानी छोड़ दिया। इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा।
दोपहर के साढ़े बारह बज गए थे। मैंने उससे कहा, कपड़े पहन लो, खाना खाने चलते हैं।
वह उठकर बाथरूम चली गई, मैं भी उसके पीछ-पीछे बाथरूम में चला गया।
वह कहने लगी- तुम बाहर जाओ, मुझे पेशाब करनी है।
मैंने कहा- इसमें इतनी शरमाने वाली क्या बात है?
और मैं उसके सामने ही पेशाब करने लगा. वह गौर से देखने लगी।
जैसे ही मेरा पेशाब करना खत्म हुआ, वह नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी। बड़ी ज़ोर से धार मारी थी उसने। फिर वह खड़ी होकर पानी से पैर और चूत पर गिरा हुआ पानी साफ करने लगी।
हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए। मैंने अपने कपड़े पहन लिए। उसने पहले अपनी चड्डी पहनी, फिर ब्रा। मैंने उसकी ब्रा के हुक लगा दिए। फिर उसने अपनी सलवार पैरों में चढ़ाई और अन्त में कमीज़ पहन ली।
मैंने उससे कहा- प्रिया मैं अपनी यह कहानी अन्तर्वासना पर लिखना चाहता हूँ, लेकिन अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो, वर्ना नहीं।
“इसमें पूछने वाली क्या बात है! तुम कहानी लिख सकते हो, लेकिन मेरा नाम बदल देना।” उसने हामी भर दी।
“ठीक है।” मैंने उसे धन्यवाद कहा और हम खाना खाने के लिए चले गए।
खाना खाने के बाद क्या हुआ यह अगले भाग में।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ। Sex Stories
मेरी कहानी आज से तीन साल पहले Antarvasna की है, एक बार मैंने एक बस स्टैंड पर एक लड़की को देखा।
मैंने उससे पूछा- आप दिल्ली की हो?
उसने कहा- हाँ !
फिर हम उस बस से ऑफ़िस तक गये। ऐसे ही लगातार २ साल हो गये। एक दिन मैंने पूछा- कहीं घूमने चलते है।
उसने कहा- ठीक है, हम लोग ऊटी चल सकते हैं !
मैने झट से ट्रॅवेल एजेंट को फोन करके दो टिकेट बुक करा दिए।
बस में बैठते ही धीरे से उसका हाथ अपने हाथ में रख लिया और सहलाने लगा। मेरा हाथ सहलाना उसको भी अच्छा लग रहा था। अभी तक बस में बाकी लोग सो चुके थे, मैं हिम्मत करके अपना हाथ उसकी चूचियों तक ले गया। और धीरे धीरे मसलने लगा, वो मुस्कुरा रही थी। मैंने सोचा बस काम बन गया और सुबह तक हम लोग ऊटी पहुच गये।
फिर अपने होटल के कमरे मे जाके मैंने उसको गले से लगा लिया, वो गरम हो रही थी, धीरे से मैं उसे कम्बल के अंदर ले गया और धीरे धीरे उसके टॉप को उतार दिया, और जीन्स को भी अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी ही पहनी थी, उसकी गुलाबी रंग की पैन्टी मुझे पागल कर रही थी, मैने धीरे से अपना लण्ड निकाल के उसके हाथ पर रख दिया।
वो बोली- इतना बड़ा ! और इतना गरम !
मैने कहा- जान सिर्फ़ आपके लिए है !
मैं शहद घर से ले के गया था। मैं उसके चुचूकों पर शहद लगा कर चूसने लगा। फ़िर उसकी चूत में भी शहद भर दिया और अपने लण्ड पर भी शहद लगा लिया।
अब वो मेरा लौड़ा चूस रही थी और मैं उसकी फ़ुद्दी चाट रहा था।
अचानक उसने कहा- प्लीज़ ! अब मुझे चोद दो !
वो पागलों की तरह मेरा लण्ड चूस रही थी और अब उससे सहन नहीं हो रहा था। वो मेरा लण्ड ले के अपनी चूत में रगड़ने लगी।
मैंने कहा- ज़रा रुको जान !
मैंने अपने आप उसकी चूत के छेद में अपना लण्ड लगाया और एक झटके में ही अन्दर डाल दिया। मैंने पहले से टीवी की आवाज़ तेज कर रखी थी, वो दर्द से चिल्ला रही थी और मैं उसे पागलो की तरह उसे चोद रहा था, वो मुझे नोच रही थी।
यह सिलसिला लगातार ३ दिन तक चला।
तीन दिन में कम से कम मैंने २० बार चुदाई की और एक बार तो उसकी गाण्ड भी मारी।
तो कैसी लगी मेरी कहानी आप लोगों को Antarvasna
राज और साहिल मेरे अच्छे दोस्तों में थे। हम Hindi Sex Stories तीनों अक्सर शाम को झील के किनारे घूमने जाते थे. मुझे राज ज्यादा अच्छा लगता था. उसमे सेक्स अपील ज्यादा थी. उसमें मर्दों जैसी बात थी.
पर साहिल साधारण था…बातें भी कम करता था.
हम तीनो हम उमर थे. मैं राज के बदन को मन में नंगा करने की कोशिश करती थी और सोचती थी की उसका लंड कैसा होगा. जब खड़ा होता होगा तो कैसा लगता होगा. कैसी चुदाई करता होगा. कुछ दिनों से मैंने महसूस किया कि राज भी मुझ में खास दिलचस्पी लेने लगा है। साहिल की नज़रें तो मैं पहचान ही गई थी। साहिल तो मन ही मन में शायद मुझे प्यार करता था. पर बोलता कुछ नहीं था.
जब मेरे घर वाले ५ -६ दिनों के लिए दिल्ली गए तब एक दिन मैंने कुछ सोच कर दोनों को घर पर बुलाया. मैंने सोचा की दोस्ती तो बहुत हो गयी, अब दोस्ती को भुना लेना चाहिए. राज को जाल में फंसा लेना चाहिए. लगता था वो चक्कर में आ भी जाएगा.
साहिल और राज दोनों ही दिन को ११ बजे मेरे घर पर आ गए. राज और साहिल एक साथ ही कार में आए थे. मैंने उनके लिए अच्छा लंच तैयार किया था. मैंने उस दिन जान बूझ कर उत्तेजक कपड़े पहने थे. मेरा कसा हुआ तंग पजामा उन्हें अच्छा भी लग रहा था. उन दोनों की नजरें बार बार मेरे चूतडों पर जा रही थी. मेरी चुन्चियों के उभर भी उनकी नजरों में समां रहे थे. राज बार बार मेरे पास आकर मुझे छूने की कोशिश भी कर रहा था.
मुझे लगा कि ये तो आराम से काबू में आ जायेंगे. मेरा टॉप मेरी चूतडों से ऊपर था इसलिए मेरी दोनों गोलाइयां उन तंग पजामे में ऊपर से खूबसूरत लग रही थी. पजामा तंग था, इसलिए वो मेरी चूतड की दरारों में भी घुसा था. मेरे चलने पर, झुकने पर मेरे सरे कटाव उभर लंड को खड़ा करने के लिए काफी थे. उन दोनों का निहारना मुझे रोमांचित करने लगा. राज तो अब बार बार मेरे चूतडों को भी स्पर्श कर रहा था. मुझे लगा कि राज को कब्जे में कर लेना चाहिए. मैंने साहिल को हटाने के लिए उसे बाहर भेज दिया.
“साहिल…प्लीज़ मेरी मदद कर दो … पास की दुकान से ये समान लाना है …”
“हाँ ..हाँ … बताओ…” मैंने उसे एक लिस्ट बना कर दे दी. साहिल पैदल हे सामान लेन चला गया.
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया. राज मुझे देखने लगा. वो मुस्करा कर बोला …”नेहा. … दरवाजा क्यों बंद कर दिया …”
मैं मुस्कुराई… “बस यूँ ही …”
राज मेरे पास आया और उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने घबराने का नाटक किया.
“राज …ये क्या कर रहा है … छोड़ दे मेरा हाथ …” मैंने कुछ घबराते हुए और शरमाते हुए कहा. पर हाथ नहीं छुडाया.
राज ने कहा – “नेहा …प्लीज़ …एक रेकुएस्ट… सिर्फ़ एक किस …”
“अरे कोई देख लेगा …”
उसने कहा – ” अच्छा कौन देखेगा…” और उसने मुझे धीरे से अपनी तरफ़ खींच लिया.
“बस ..एक ही …प्रोमिस ना…” मुझे पता था कि खेल आरम्भ हो चुका है. राज मेरे ऊपर झुक गया.
मेरे नरम होंट उसके होटों से चिपक गए. उसने मेरे चूतड दबा कर पकड़ लिए. मैं सिसक उठी. उसके शरीर का स्पर्श मुझे बहुत ही सुकून दे रहा था. मैंने आँखें बंद कर ली. वो मुझे बेतहाशा चूमता रहा था. मैं चूमने में उसका पूरा साथ दे रही थी. अचानक लगा कि साहिल आ गया है. मैंने जोर से धक्का दे कर उसे दूर करने की कोशिश की पर तब तक देर हो चुकी थी. साहिल एकटक हमें देख रहा था. मैं वास्तव में घबरा गयी.
राज बोला- थैंक्स नेहा … साहिल ! मेरी फरमाइश तो नेहा पूरी कर दी…अब तुम भी फरमाइश कर दो …”
साहिल हडबडा गया -“ने … नेहा… मैं .. मतलब …मुझे भी … किस करोगी…”
मेरी सांसे शांत होने लगी. मैंने उसे तिरछी नजरों से देखा,”तो दूर क्यों खड़े हो … आ जाओ…”
वो शर्माता हुआ सा पास आ गया. मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंट से होंट मिला दिए. राज ने इतने में मेरे चूतडों को दबा दिया. और चूतडों को पकड़ कर मसलने लगा. मैं मस्त होने लगी.
मुझसे रहा नहीं गया. मैंने साहिल का लंड पकड़ लिया. उसका लंड खड़ा था. मैंने उसे मसल दिया. वो एकदम से सहम गया. राज मेरे पीछे चिपक गया. और उसका लंड मेरे चूतडों की दरार में जोर लगाने लगा. एक साथ दो दो लड़कों का लंड मुझे मिलेगा ये मैंने कल्पना भी नहीं की थी. मेरा मन तो दोनों से चुदने की बात सोच कर ही झूम उठा था. राज की तरफ़ मैंने मुड कर देखा. उसकी आंखों में सेक्स भरा था. मैंने अब मन को सँभालते हुए कहा -“राज… साहिल …मेरी बात सुनो …”
“हाँ .. हाँ … कहो …”
“तुम्हारे मन में क्या है… बताओ …तो …”
साहिल ने अपना सर झुका लिया. पर राज बोला -“तुम्हारी इच्छा हो तो … एक मौका मुझे दो… मुझसे अब रहा नहीं जाता है ..”
“साहिल ..तुम भी कुछ कहो…”
“नेहा …तुम हमारी दोस्त हो… तुम्हारी मर्ज़ी है… मना भी कर सकती हो …पर दोस्ती नहीं तोड़ना …”
“अब तुम दोनों की यही इच्छा है तो … फिर मेरी सूरत क्या देख रहे हो .. अब हो जाओ शुरू…”
राज ने तुंरत मेरा तंग पजामा उतार दिया. साहिल ने मेरा टॉप खींच लिया. मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया. पहले तो मैं शर्म से झुक गयी. पर झुक के भी क्या करती. झुकते ही साहिल ने मेरे चूतड मसल दिए. सीधी हुयी तो राज ने मेरी चुंचियां दबा दी. मैंने बेशरम होते हुए अपनी दोनों टाँगें चौडी कर दी और हाथों को ऊपर उठा कर सर पर रख लिया. दोनों के मुंह से आह निकल गयी. मेरा रोम रोम काम की आग से सुलग उठा था. मैंने अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर दिया. दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए थे. राज बलिष्ठ दिख रहा था, जबकि साहिल का बदन साधारण था. साहिल नीचे बैठ कर मेरी चूत का रस चूसने लगा …और राज ने मेरे स्तनों को अपने कब्जे में कर के मसलना चालू कर दिया.
मेरा तो अंग अंग रोमांच से भर गया था. ऐसे मजे की बात तो मैंने सोची भी नहीं थी. मेरे मुंह से सिस्कारियां निकलने लगी थी. राज पीछे से बार बार अपना लंड मेरे चूतडों की दरार में घुसाने की कोशिश कर रहा था। साहिल और राज ने मुझे बाँहों में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया. राज ने मेरी चूत चाटनी चालू कर दी और साहिल मेरे मुंह के पास आ गया. उसने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा. मैं आनंद के मारे मदहोश हो रही थी. मैंने देखा साहिल की आँखें आनंद से बंद हो गयी थी.
तभी राज ने साहिल को इशारा किया. साहिल ने लंड मुंह से निकाल लिया और हट गया. साहिल अब बिस्तर पर लेट गया. मुझे पता चल गया की अब मुझे क्या करना है. मैं उसके खड़े लंड पर धीरे से बैठ गयी और चूत के लबों को खोल कर उसकी सुपारी पर रख दिया. थोड़े से जोर लगाने पर साहिल का लंड मेरी चूत में सरकता चला गया. मैं साहिल को चोदने लगी… पर हाँ … चुद तो मैं ही रही थी.
इतने में राज ने मेरी चूतडों की गोलाइयों को पकड़ कर खोल दिया और मेरी गांड पर अपना लंड रख दिया. मेरी गांड तो वैसे भी चिकनी थी. छेद भी नरम था. लन्ड की सुपारी छेद में उतर गयी. मेरी पोसिशन ऐसी हो गयी थी कि धक्के नहीं लगा पा रही थी और ना ही साहिल चोद पा रहा था. मैं बीच में दब सी गयी.
उन दोनों ने अपने आप को इधर उधर करके… आराम की पोसिशन में ले आए. अब मैं भी फ्री महसूस कर रही थी और साहिल भी. मैं अपने हाथों पर आ गयी अब दोनों ही ने धक्के मारने चालू कर दिए थे. मुझे लगा कि स्वर्ग है तो बस इन दोनों के बीच में है. मैं आनंद से सराबोर होने लगी. दोनों के धक्के चल रहे थे. राज का ताक़तवर लंड मेरी गांड को जम कर चोद रहा था. नीचे से साहिल के लंड झटके पर झटके मर कर चोद रहा था. मैं आनंद से निहाल हो रही थी. जोर जोर से सिस्कारियां भर रही थी. “हाय रे… मजा आ गया… चोदो …और चोदो…”
चूत में मीठी मीठी सी गुदगुदी तेज होने लगी. राज का लंड मेरी गांड की भूख मिटा रहा था… और साहिल मेरी चूत की खुजली मिटा रहा था. मुझे लग रहा था कि आज दोनों मिलकर मुझे चुदाई की भूख शांत कर देंगे.
“राज… हाय … मेरी गांड चुद गयी… सी …सी …”
साहिल … और तेज करो … और तेज… हाय ..डबल मजा … आगे से भी…और पीछे से भी… मैं दोनों को नहीं छोड़ना चाह रही थी. पर
अब मैं झड़ने वाली थी.
“राज मैं गयी… साहिल जरा जोर से …मेरा निकला… आ अह ह्ह्ह्छ… गयी…निकल गया पानी … हाय …झड़ गयी रे …”
मेरा पानी जोर से निकल गया.
राज और साहिल को पता चल गया की मैं झड़ गयी हूँ. दोनों ने अपने अपने लंड को जोर से अन्दर घुसा कर… झड़ने के लिए जोर लगाने लगे. ऐसा लगा कि दोनों के लन्ड अन्दर टकरा गए हो. और अब हाय. ..रे…मुझे ठंडक महसूस होने लगी. उन दोनों के लन्ड ने अपना रस छोड़ना चालू कर दिया था. मेरी चूत और गांड उनके गरम गरम लावा से भरने लगी.
उनके झड़ने के मीठे मीठे झटके मुझे महसूस हो रहे थे. राज थोड़ा रुका और अपना लन्ड निकाल लिया. साहिल ने भी मुझे एक तरफ़ लेटा दिया और बड़ी बड़ी सांसे भरने लगा. राज तुंरत तोलिया ले कर आ गया… और मेरी चूत और गांड को साफ़ करने लगा. अब वो दोनों मेरे दोनों तरफ़ लेट
गए और चिपक कर प्यार करने लगे. हमारे नंगे शरीर फिर से रगड़ खाने लगे. मुझे चुदाई की पूरी संतुष्टि मिल गयी थी. अब वो मुझे कभी भी चोद सकते थे … मुझे अब जल्दी नहीं थी ..
हाँ वो बात अलग है कि राज ने अब साहिल का लन्ड पकड़ रखा था और उसे मसलने लगा था…
मैं समझ चुकी थी अब इन दोनों का गांड मारने का प्रोग्राम होगा… Hindi Sex Stories
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