Our site can help you find a professional massage girl in Kandhamal who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Kandhamal that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Kandhamal massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Kandhamal who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Kandhamal massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Kandhamal massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Kandhamal who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Kandhamal employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Kandhamal helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Kandhamal
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Kandhamal at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
बात उन दिनों की है जब मैं Antarvasna पढ़ता था। मैं हमेशा लड़कों से ज्यादा लड़कियों में रहता था ! मैं पढ़ने में भी तेज था ! मुझे गाँव में दोस्तों से सेक्स के बारे में पता चला तो मैंने बहुत बार स्कूल में लड़कियो से छेड़खानी करनी शुरू की।
एक लड़की थी जिसके बूब्स बहुत बड़े थे। मैं उसको कई बार मजाक में दबा चुका था। मेरे अन्दर सेक्स जगने लगा।
मेरे परिवार में मैं, मेरा भाई और दो बहनें हैं !
मेरे पड़ोस में मेरे अंकल रहते हैं, मेरी आंटी गोरी, चिकनी और बहुत ही मस्त थी। मेरा मन उन्हें चोदने को हुआ। बहुत बार मैं उनके पास जाता था, छेड़ता था पर वो मुझसे दूर हो जाती थी ! मेरी आंटी बहुत बदमाश भी थी। मेरे और उनके परिवार में बनती नहीं थी।
आंटी का गांव के एक आदमी से चक्कर चल रहा था इसीलिए मैं उन पर ट्राई मारना चाह रहा था पर वो हाथ ही नहीं रखने देती थी।
एक दिन उनकी दाढ़ में दर्द हुआ और वो शहर गई तो वापस नहीं आई। उनके मरने की ख़बर आई।
कुछ दिनों बाद मेरे अंकल ने दूसरी शादी कर ली। मेरे अंकल के दो बेटे और दो बेटियाँ थी।
नई आंटी दिखने में सुंदर थी पर रँग थोड़ा साँवला था ! उसके बूब्स बड़े बड़े थे !
कहानी की शुरुआत शादी से ही हो गई। शादी के बाद मेरा उनसे बोलना-मिलना बढ़ गया।
एक दिन उनके यहाँ कोई नहीं था, आंटी सफाई कर रही थी। मैंने भी उनकी मदद की। ऊपर से कुछ निकालना था तो मैं मेज पर चढ़कर निकालने लगा। आंटी ने मुझे पकड़ कर रखा था, उनके स्तन मुझे पीछे से टकराने लगे जिससे मुझे मजा आने लगा। फिर अलमारी हटाते हुए उनके बूब्स को छुआ, मुझे बहुत मजा आ रहा था।
बहुत देर तक ऐसा चलता रहा। फिर कील ठोकते हुए मैं उनके बूब को छू रहा था। अचानक मेरी कमीज कील में अटक गई। आंटी निकालने लगी तो मैं सीधे खड़ा था, आंटी मेरे सामने से मुझसे चिपककर पीछे हाथ डालकर कमीज निकल रही थी।
उनके स्तन मेरे सीने से चिपक गए, मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं स्वर्ग में हूँ। मैं आगे की तरफ़ दबाव डाल रहा था, कमीज निकल नहीं रही थी।
आंटी ने जोर से निकालने की कोशिश की तो मुझसे और चिपक गई। अचानक मेरा हाथ उनके चूतड़ पर चला गय। मेरा लंड भी खड़ा हो गया।
मैं वासना की आग में जल रहा था। मैंने हिम्मत करके आंटी के चूतड़ों को दोनों हाथों से दबाया और अपनी तरफ़ खींचा, मेरा लंड उनकी चूत से टकरा रहा था। इतने में आंटी ने झटका मारा तो कमीज फट गई।
आंटी हटी और कहा कि तुम कमीज निकाल दो, मैं सिल देती हूँ !
मैंने कहा- रहने दो !
तो आंटी ने जबरदस्ती मेरी कमीज़ निकाल दी। मैंने कमीज के अन्दर कुछ नहीं पहना था। मैंने कहा- मुझे शर्म आ रही है !
तो आंटी बोली- मुझसे क्या शरमाना ! मैं तो तुम्हारी माँ जैसी हूँ !मैंने कहा- ठीक है !
मेरा लंड अभी भी खड़ा ही था तो पूछने लगी कि तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेन्ड है?
मैंने कहा- नहीं है।
तो कहने लगी कि तुम्हारा लंड क्यों खड़ा हो गया?
मैंने हिम्मत कर के कहा- आप के पकड़ने से हुआ है !
कहने लगी- मैं तुम्हें बच्चा समझ रही थी, तुम तो बड़े हो गए हो ! और आंटी ने मेरा लंड पकड़ लिया।
फिर क्या था ! मैंने भी आंटी के बूब्स पकड़ लिए और दबाने लगा तो कहने लगी कि कोई देख लेगा।
मेरा लंड दर्द कर रहा था। मैंने आँटी को बताया कि मेरा लण्ड दर्द कर रहा है। आँटी ने मुझे पकड़ा और मेरा लंड पैंट से बाहर निकाला और हिलाने लगी।
मैंने कहा- मजा आ रहा है ! करो ! करती रहो !
आंटी बोली- मुझसे मुठ मरवा रहा है? चल कोई बात नहीं ! आज तुझे सिखाती हूँ। तूने कभी किसी को चोदा है?
मैंने कहा- नहीं !
आँटी बोली- चल मैं सिखा दूंगी और लंड हिलाने लगी।
मैं बेकाबू हो रहा था और वो हिलाए जा रही थी। फिर आँटी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और पूछा कि इसे रोज धोता है?
मैंने कहा- हाँ !
आँटी दो मिनट तक मेरा लौड़ा मुँह में चूसती रही। अचानक मेरा पानी निकल गया तो बोली- साले ! ये क्या किया? इतनी जल्दी छुट गया?
फ़िर मेरी बारी थी। मैंने उनके स्तनों को पकड़ के दबाया और ब्लाउज निकाल दिया। फ़िर मैं उनके नंगे स्तन जोर जोर से दबाने लगा। आंटी गरम हो गई, उन्होंने खुद ही अपनी साड़ी भी निकाल दी, पेटीकोट भी निकाल दिया, मैं दबाये जा रहा था। वो मुँह से आवाजें निकाल रही थी-आ आआ आअ चूस साले चूस आआअ ऊ ऊऊऊऊऊ ऊवो और जोर से आआया ऊऊऊऊ ऊऊ माँ मर गई !
फ़िर मैंने उनकी भी चड्डी निकाल दी। आंटी की चूत बड़ी ही मजेदार थी, एक दम फूली हुई चूत थी, मैं हाथ फेर रहा था। आंटी को मैंने मेज़ पर ही लिटा दिया। मैंने दो उंगलियाँ आँटी की चूत में डाल दी और जोर से दबा दी। आँटी मेरा हाथ पकड़ के वो ख़ुद ही अन्दर बाहर करने लगी।
मेरा लंड खड़ा था और दर्द कर रहा था। मैंने कहा- मेरा लंड दर्द कर रहा है !
तो बोली- इसमें डाल दे।
मैंने कहा- किस में?
तो बोली- झील में डाल दे, ठंडा हो जाएगा। और मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत में डालने लगी, बोली- तेरा लंड बहुत बड़ा है ! मुझे तकलीफ हो रही है।
फ़िर आँटी तेल लाई और मेरे लंड पे लगाया, चूत पे भी लगाया और लंड चूत के मुँह पर रखा, बोली- झटका मार !
मैंने झटका मारा तो मेरा लंड आधे से ज्यादा अन्दर चला गया। वो चीख पड़ी- ओए ममा ममामा माआआआ आआआ ऊऊऊवो निकाल !
मैं डर गया। मैं फ़िर भी झटके मारता रहा। थोड़ी देर बाद उसे मजा आने लगा और वो अपने चूतड़ जोर जोर से उछालने लगी।
मैं झटके मारता गया, वो कहती रही- चोद चोद बेटा चोद उईईईए ऊऊऊऊवो म्ह्हहह्ह्छ बहुत मजा आ रहा है और जोर से आआ आआआ ऊऊऊ ऊऊऊऊ हीईई ईईईईए कहते हुए बोली- मैं झड़ने वाली हूँ !
मैंने कहा- पर मैं नहीं ! मेरा अभी बाकी है। और मैं मारता गया आंटी झड़ गई।
पर मेरा लंड खड़ा ही था तो आँटी बोली- मैं इसे मुँह में ले लेती हूँ और चूसके झड़ा दूंगी ! और मुँह में लेके चूसने लगी।
मैंने कहा- चूसो ! मजा आ रहा है !उम्म्मम्म्म आऊऊऊ बस थोडी देर और उमम्मम् आऊऊऊवो !
फ़िर मैं भी झड़ गया और सारा पानी उनके स्तनों पर छोड़ दिया। हम दोनों शान्त हो गए।
जब मेरी नज़र उनकी चूत पर पड़ी तो देखा कि चूत में से खून निकल रहा है। मैंने पूछा- यह खून क्यों निकला?
तो बोली- तेरे अंकल ने मुझे अभी तक चोदा ही नहीं है। शादी को पूरे दस दिन हो गए। रात में सिर्फ़ लंड मुँह में लेने को बोलते हैं। मैं चूसती हूँ और वो झड़ जाते है और सो जाते हैं। तुम्हारे साथ यह मेरा पहला सेक्स था मुझे चुदने से डर भी लगता था, मेरी भाभी ने बताया था कि बहुत दर्द होता है, पर आज मजा आ गया। फिर कभी समय मिलेगा तो फ़िर चुदाई करेंगे। ठीक है?
यह कहकर मेरा लंड अपनी चड्डी से साफ किया और हम दोनों कपड़े पहन कर काम में लग गए। काम करते करते मैं उनके बूब दबाता था तो वो लंड पकड़ लेती थी।
आंटी को मैंने तीन बार चोदा। कैसे चोदा?अगली कहानी में बताऊंगा।
यह मेरी हकीकत थी आप को कैसी लगी? बताना ! Antarvasna
मेरी Antarvasna कहानी बरसात की रात आप लोगों को कैसे लगी? क्योंकि अभी तक मुझे कोई मेल नहीं मिला है खैर जल्दी से पढ़ कर मुझे मेल करें.
और जिन लोगों ने बरसात की रात के दोनों भाग पढ़े हैं वो लोग जानते ही होनगे कि जिस आंटी को मैंने चोदा था उसकी एक लड़की भी थी जिसका नाम संगीता था.
अब मैं अपनी कहानी शुरु करता हूं जब करीब हफ़्ता भर मैंने आंटी को कायदे से चोद लिया तब मेरा मन उनसे भी उकता गया और जैसा कि मैं पहले कह चुका हूं कि उनकी 18 साल की बेटी संगीता पर मेरे लंड का दिल आ गया था लिहाजा अब किसी भी तरह से उसकी सील तोड़ना चाहता था मैं, पर आंटी को बुरा न लगे ये भी ख्याल था.
तब एक दिन मैं दिन में दो बजे आंटी के घर गया. इत्तेफ़ाक से आंटी घर में नहीं थी, सिर्फ संगीता ही थी और अब तो वो भी मुझसे अच्छी तरह परिचित हो चुकी थी. हेलो हाय होने के बाद जब मैंने उससे पूछा कि आंटी कहां है?
तब उसने कहा कि वो मार्केट गई है और शाम तक आयेंगी.
यह कह कर वो मेरे लिये चाय बनाने चली गई क्योंकि राजू भी नहीं था.
आज वो बहुत ही छोटी सी फ़्रोक पहने थी उसे देख कर मेरी तमन्नायें जाग उठी थी उसकी गोरी गोरी टांगें मुझे बहकाने के लिये काफ़ी थी.
जब वो चाय बना कर लाई तब वहीं सामने सोफ़े पर बैठ गई और हम दोनो चाय पीने लगे.
अभी वो बहुत नादान थी, उसे फ़्रोक पहन कर किस तरह बैठा जाता है, ये भी शायद नहीं पता था, जब वो सोफ़े पर बैठी तब उसकी पिंक पैंटी मेरी आंखों में गड़ गई और मैं उसकी पैंटी के अंदर कुंवारी टाइट बुर के बारे में सोच कर ही टन्ना गया.
वो बहुत आराम से चाय पी रही थी और मैं उसकी चड्डी का नज़ारा देखते हुए उसको चोदने की प्लानिंग कर रहा था.
तब मैंने कहा- संगीता, चलो कोई सी डी ही देखी जाए?
वो बोली- मुझे कोई ऐतराज़ नहीं, आपका घर है, जो जी में आये करिये!
उसकी बात सुन कर मैंने तुरंत टी.वी. ओन किया और एक गर्म सेक्सी मूवी लगा दी.
उसमें जब रोमांटिक सीन आया तब मैंने देखा कि संगीता कुछ सकपका रही है और नज़रें नीचे किये हुए ज़मीन की तरफ़ देख रही थी जब कि टी.वी. पर बहुत ही उत्तेजक शोट चल रहा था.
तब मैंने उससे कहा- जब तुमको पिक्चर नहीं देखनी थी तब किस लिये लगवाई है पिक्चर?
वो बोली- राज, ऐसी बात नहीं है, ये सीन बहुत गंदा है, मुझे शरम आ रही है, प्लीज, इसे फ़ोरवर्ड कर दो.
तब मैंने कहा- अरे पगली, इसमें शरम किस लिये… ये सब तो देखा ही जाता है. और अगर देखा न जाता होता तो ये मूवी बनती ही क्यों?
तब वो बोली- राज, ये अडल्ट मूवी है जब कि मैं अभी छोटी ही हूं, अभी मैं सिर्फ़ 18 साल की ही हूं, अगर मम्मी को पता लगा तो बहुत डाटेंगी प्लीज़!
उसकी बात सुन कर मुझे हंसी आ गई और मैंने उसकी ठोड़ी पर हाथ लगा कर कहा- देखो, ये लड़की जो मूवी में है वो भी कितनी छोटी है करीब तुम्हारी ही उमर की होगी, ध्यान से देखो!
और वो गौर से टी.वी. पर देखने लगी जिसमें एक बहुत ही छोटी लड़की को एक हट्टा कट्टा आदमी अपनी बाहों में भरे हुए था और उसकी छोटी छोटी चूचियों को उसकी फ़्रोक के उपर से ही मसल रहा था.
संगीता ने मुझसे पूछा- राज, ये आदमी क्या कर रहा है?
मैंने कहा- इस लड़की की चूची दबा रहा है.
तब उसने कहा- क्या लड़की को दर्द नहीं हो रहा होगा? देखो ये कैसे सिसिया रही है?
मैंने कहा- धत्त, दर्द नहीं बल्कि लड़की को बहुत मज़ा आ रहा होगा.
और तब ही उस आदमी ने उसकी फ़्रोक की ज़िप खोल कर झट से उस लड़की को नंगी कर दिया. अब वो लड़की पूरी तरह से नंगी थी, सिरफ एक छोटी सी पैंटी पहने थे.
ये शोट देख कर संगीता ने सर झुका लिया उसका चेहरा लाल हो गया था.
मैंने उससे कहा- अभी आगे देखो, यही लड़की जो अभी सिसिया रही है कैसे मादक सिसकियां निकालेगी.
और फ़िर उस आदमी ने अपने सारे कपड़े उतार दिये.
तब संगीता ने कहा- हाय राज, कितनी गंदी पिक्चर है अब तो आदमी भी पूरा नंगा हो गया है.
तब मैंने कहा- अभी पूरा नंगा कहां हुआ है अभी तो ये अपनी अंडरवीयर भी उतारेगा, देखो उसकी निक्कर कितनी तनी हुई है.
तब संगीता ने कहा- हां राज, इसकी निक्कर इतनी तनी हुई क्यों है?
मैंने कहा- अभी देखती जाओ, सब समझ में आ जायेगा.
और तभी उस आदमी ने अपनी निक्कर भी उतार दी जिससे उसका लंड पूरी तरह फ़न्नाया हुआ था.
उसे देखते ही संगीता ने अपना चेहरा झुका लिया और अपनी आंखों पर हाथ रख लिया.
तब मैंने उसका हाथ हटाते हुए कहा- देखो, आज सब सीख लो कि कैसे लड़कियां जवानी के मज़े लेती हैं आज मौका भी अच्छा है मम्मी भी नहीं है तुम्हारी, इस लड़की की उमर भी तुम्हारी ही तरह है ऐसे शरमाओगी तो कुछ भी नहीं सीख पाओगी क्योंकि तुम्हारी मम्मी तुमको अभी बच्ची समझती है और 5-6 साल बाद ही तुम्हारी शादी करवायेंगी क्योंकि उनको तो अभी अभी खुद ही ये सब करने से फ़ुरसत नहीं मिलती.
तब संगीता बोली- हां, मैं जानती हूं कि मम्मी अकसर तुम्हारे साथ सोती हैं.
तब मैंने कहा- सिर्फ़ सोती ही नहीं रानी, वो जम कर चुदवाती है.
जब मैंने ये कहा तो संगीता बोली- धत्त, कितनी गंदी बातें करते हो तुम? राज तुम तो ज़रा भी नहीं शरमाते!
तब मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी ने मुझे बिल्कुल चुदक्कड़ बना डाला है. अरे यार ये तो कुछ भी नहीं, जब रात को वो मुझसे चुदवाती है तब उसकी बातें अगर तुम सुन लो तो जान जाओगी कि तुम्हारी मम्मी कितनी चुदक्कड़ हैं।
और फ़िर हम लोग मूवी देखने लगे. उसमें उस आदमी ने अपनी निक्कर उतारने के बाद लड़की की कच्छी भी उतार दी और उसकी चिकनी चूत पर हाथ फ़ेरने लगा और उसकी चूची के निप्पलों को मुंह में डाल कर चुबलाने लगा.
ये सब देख कर जहां मेरा लौड़ा पैंट में अकड़ रहा था, वहीं संगीता का चेहरा भी शर्म से लाल हुआ जा रहा था मगर अब वो बहुत गौर से मूवी देख रही थी.
मैं भी सोच रहा था कि आज अगर इस पर हाथ भी फ़ेर दिया तो लड़की झट से चूत चुदवाने को राज़ी हो जायेगी मगर एक दिक्कत ये थी कि मैं चूत के चक्कर में उसकी माँ की बम भोसड़ा चूत नहीं कुर्बान कर सकता था.
तो मैंने सोच लिया था कि आज रात को आंटी को चोदते वक्त संगीता को चोदने की बात कर ही लेता हूं क्योंकि बता कर चोदना सही रहता है और मेरा तजुर्बा भी कहता था कि बुढ़िया फ़ौरन चुदवा देगी अपनी लड़की को क्योंकि उसको अपनी प्यास भी तो बुझवानी थी.
तब ही एक जोरदार आवाज़ ने मेरा ध्यान अपनी तरफ़ खींच लिया, आवाज़ टीवी से लड़की के चीखने की आई थी जिसकी छोटी सी चूत को उस आदमी ने अपना लम्बा सा औजार एक ही बार में डाल दिया था.
लड़की ‘आआययईई आआहह्ह आआअहह ऊऊओहह गोड’ कर रही थी, बहुत ही दर्द भरी चीखें निकाल रही थी, उसकी आंख से भी आंसू बह रहे थे मगर वो पहलवान बिना किसी बात की परवाह करे बगैर उसकी कुंवारी टाइट चूत में पूरा पूरा लंड घुसाए हुए दना दन धक्के लगा रहा था और थोड़ी ही देर में उस लड़की की दर्द भरी कराह की जगह आनन्द भरी आवाज़ निकलने लगी.
तब संगीता ने कहा- राज, अभी तो ये लड़की नो नो कर रही थी, रो भी रही थी, और अब तो मोर मोर कर रही है ये क्या चक्कर है?
मैंने कहा- संगीता, ये चुदाई का चक्कर ऐसा ही होता है, पहले तो लड़की चुदवाती नहीं और जब चुदवाती है, तब एक लंड भी कम पड़ जाता है.
और फ़िर थोड़ी ही देर बाद वो आदमी अपने लंड का रस उस लड़की की चूत में उड़ेलने के बाद अपने रस से भरे लंड को उस लड़की के मुंह में डालने लगा.
तब संगीता ने कहा- हाय राम राज, ये लड़की तो इसका लंड मुंह में ले रही है छी, कितनी गंदी लड़की है.
मैंने कहा- यार, रात को आज तुम अपनी मम्मी की करतूत देख ही लेना, जब अपनी आंख से देखोगी तब यकीन मानोगी कि तुम्हारी मां भी ऐसे ही मेरा लंड चूसती है.
और फ़िर मैंने धीरे से उसकी फ़्रोक के उपर से उसकी चूची पर हाथ रख कर सहला दिया.
वो सिहर गई और पीछे हट गई.
मैं जानता था कि साली चुदासी तो हो ही चुकी है अगर अभी पटक कर चढ़ जाऊँ तो कुछ ज्यादा बोलेगी नहीं मगर मैं अभी इसको सिर्फ़ ऊपरी मज़ा देकर छोड़ देना चाहता था क्योंकि काफ़ी वक्त हो चुका था और आंटी के आने का भी वक्त हो चुका था.
तब मैंने संगीता को गोद में खींच लिया और उसकी छोटी छोटी चूची को बहुत प्यार से सहलाने लगा, वो मेरी बाहों में कसमसा रही थी और हल्का सा विरोध भी कर रही थी.
तभी मैंने अपना एक हाथ उसकी चिकनी चिकनी जांघों से फ़िराते हुए नीचे उसकी चड्डी के पास ले गया.
अब तो उसने अपनी दोनों टांगें एकदम भींच ली और मेरी तरफ़ बहुत दयनीय नज़रों से देखने लगी. मगर मैं तो आज उसको पूरा जवानी का पाठ पढ़ा ही देना चाहता था, मैंने उसकी चड्डी के ऊपर से उसकी बुर कुरेदनी शुरु कर दी.
अब संगीता को थोड़ी मस्ती चढ़नी शुरु हो गई, उसने धीरे से अपनी टांगें खोल दी और मैंने उसकी चड्डी उतार दी. अब वो सिर्फ़ ऊपर से फ़्रोक पहने हुए थी और मैं फ़्रोक के ऊपर से ही उसके निप्पलों को होंठ में भर कर दूसरे हाथ से उसकी बुर को कुरेदने लगा और फ़िर अपनी एक उंगली गैप से उसकी कोरी कोरी बुर में घुसा दी.
वो आआह्ह से चिल्ला उठी और मैं धीरे धीरे उसकी कुंवारी बुर में अपनी उंगली आगे पीछे करने लगा.
संगीता के चेहरे पर दर्द की लकीर साफ़ नज़र आ रही थी और वो अपने होंठों को दांतों से दबा रही थी. तभी मैंने उसकी बुर के और अंदर तक अपनी उंगली घुसा दी अब तो वो बकायदा रोने ही लगी थी ‘आआहह आआईईई प्लीज़्ज़ राआज्ज… आअईई बहुत दर्द कर रही है… निकाल लो प्लीज़ आआहह ऊऊफ़्फ़्फ़ प्लीज़्ज़ राज निकाल लो अपनी उंगली… बहुत दर्द कर रही है आआह्हह देखो अगर तुम नहीं मानोगे तो मैं मम्मी से कह दूंगी प्लीज़ राज!’
अब तो मेरी हवा खराब हो गई, मैंने सोचा कहीं बना बनाया खेल ना बिगड़ जाये और ये बुढ़िया से न कह दे, तब मैंने अपनी थोड़ी सी उंगली उसकी बुर के बाहर निकाल ली और उसके बूब्स को फ़्रोक के ऊपर से बहुत आराम से दबाने लगा.
अब उसे कुछ राहत मिल रही थी और थोड़ी ही देर बाद वो अपने चूतड़ को नीचे से उचकाने लगी.
जब मैंने देखा कि अब इसको थोड़ा मज़ा आने लगा है तो मैंने अपनी उंगली उसकी बुर से निकाल ली अब वो मेरी शक्ल देखने लगी और जब उससे रहा नहीं गया तो खुद ही कहने लगी- अब जब मुझे मज़ा आने लगा तो तुमने उंगली बाहर निकाल ली? प्लीज़ डालो न उंगली इसमें… बहुत अच्छा लग रहा था.
तब मैंने कहा- अभी तो नखरे कर रही थी?
संगीता ने कहा- नहीं नखरे वाली कोई बात नहीं, जब तकलीफ़ हो रही थी तब ही तुमसे निकालने को कह रही थी, अब डालने को भी तो कह रही हूं प्लीज़ डाल दो न उंगली!
तब मैंने कहा- आज बहुत देर हो गई है, अभी तुम्हारी मम्मी आने ही वाली है, तुम ऐसा करना आज रात को पहले खूब अच्छी तरह से अपनी मम्मी की चुदाई देख कर सीख लेना कि कैसे चुदवाया जाता है, तब कल मैं तुम्हें चोदूँगा!
ओ के!
मगर संगीता तो पूरी तरह चुदासी हो चुकी थी, फ़िर मैंने उस वक्त अपनी उंगली से ही उसका एक पानी झाड़ा और फ़िर उसको चड्डी पहनने को बोला और बताया कि आज रात को मैं जब तुम्हारी मम्मी की चुदाई करुंगा तब एक खिड़की खोल दूंगा ताकि तुम आसानी से सब नज़ारा देख सको.
और उसके बाद मैंने उस रात आंटी की दो बार गांड मारी और एक बार चूत!
और उसके बाद संगीता की कोरी कोरी बुर कैसे फ़ैलाई, इसका जिक्र अगली कहानी में करुंगा.
तो दोस्तो, आप सबकी दुआ आखिर रंग ले ही आई और संगीता को मैंने कैसे जवान और बालिग किया..
Antarvasna
दोस्तो, मैं अजय 32 साल का हूं Antarvasna और यह कहानी तब की है जब मैं 25 साल का था।
मैं दसवीं के विद्यार्थियों को ट्यूशन पढ़ाया करता था। मेरे पड़ोस में एक परिवार रहता था, पति-पत्नी, उनकी 5 लड़कियाँ, एक लड़का और बच्चों के दादा। बड़ी लड़की दसवीं में पढ़ती थी। आदमी दिल्ली में नौकरी करता था।
मुझे ट्यूशन पढ़ाते देख सीता भाभी ने मुझे अपने घर बुलाया और कहा -मेरी बेटी की दसवीं की परीक्षा है, घर की हालत ठीक नहीं है, क्या आप उसको कभी कभार दस-बीस मिनट कभी भी शाम को या रात में थोड़ा पढ़ा देंगे?
मैंने कहा- हाँ! क्यों नहीं! कल से ही आ जाऊँगा।
दूसरे दिन फ़िर उसने मुझे कहा तो रात को मैं उनके घर चला गया, थोड़ी देर पढ़ाया और चला आया। फ़िर मैं रोज़ जाने लगा। पढ़ाई के समय सीता भाभी हमारे पास ही बैठती थी।
एक रात जब मैं पढ़ा रहा था तो सीता ने अपनी बेटी के सामने ही कहा- आप बहुत थक जाते होंगे, लाईये मैं आपके पैर दबा दूं!
पता नहीं क्यों मैं भी इन्कार ना कर सका और वो मेरे पैर दबाने लगी। मेरे शरीर में कुछ हलचल सी होने लगी। थोड़ी देर में मैं वहाँ से चला आया पर रात भर नींद नहीं आई क्योंकि पहली बार किसी औरत ने मेरे बदन को छुआ था।
अगले दिन से वो रोज़ मेरे पाँव दबाने लगी, पर उसका हाथ धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगा। एक दिन वो जिद करके तेल लगाने लगी। उस समय मैं उसकी बेटी को बायोलोज़ी पढ़ा रहा था। अचानक वो मेरे लण्ड पर तेल लगाने लगी। मेरा लण्ड खड़ा हो गया। जब मैंने उसकी ओर देखा तो वो मुस्कुराने लगी। जब मैंने आने लगा तो उसने कहा कि पेट दर्द की कोई दवाई हो तो देना।
करीब 9 बजे मैं दवाई देने गया तो दरवाज़ा खुला था, सीता के ससुर सोए हुए थे, मेर हाथ पकड़ कर वो मुझे अपने कमरे में ले गई। बच्चे दूसरे कमरे में सोए हुए थे। उसने भीतर से दरवाज़ बन्द किया और तेल लेकर आई और बोली- उस समय ठीक से लगा नहीं पाई थी। वो तेल लगाने लगी पर कुछ देर बाद तेल के बहाने वो मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मेरा लण्ड तो पूरा खड़ा हो गया। मेरी सहनशक्ति समाप्त हो गई। मैंने उसे बाहों में कस कर जकड़ लिया और धीरे धीरे उसे बिछावन पर ले गया।
बिछावन पर जाते ही उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं भी कुछ नहीं बोला। वो साली मेरा लण्ड खाने को बेताब थी ही। उसने सहलाते सहलाते मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। लण्ड चूसते हुए वो अपनी कमर भी ऊपर नीचे कर रही थी। मैं तो जैसे ज़न्नत में था। मेरे मुंह से ओह! भाभी और जोर से! ओह सीता ओह! मेरी रानी और तेज़! जैसे शब्द निकल रहे थे। उसकी कमर ऊपर नीचे होती देख मैंने पूछा- भाभी! यह क्या कर रही हो, तो उसने झट मेरा हाथ पकड़ कर अपनी बुर पर रख दिया। उससे पानी निकल रहा था।
अब उसने मेरी उंगली अपनी बुर में जोर से ठेल दी। उंगली घुसते ही उसने ज़ोर से ओह! कहा और बोला- देवर जी, एक उंगली और घुसा दो मेरी चूत में… और तेजी से अन्दर बाहर करो और मेरी बुर को चोदो।
मैंने पूछा- भाभी, क्या इसे ही चुदाई कहते हैं?
तब उसने कहा- देवर जी! तुम पढ़ाई में तो काफ़ी तेज़ हो पर चुदाई में निरे बुद्धू हो। यह तो तुम उंगली से चोद रहे हो, पर जब तुम अपना यह मोटा हथियार मेरी बुर में घुसाओगे तब होगी असली चुदाई। पर वो सब बाद में। अभी तो तुम 69 की अवस्था में हो कर उंगली ही अन्दर बाहर करो।
मैं वैसा ही करने लगा जैसा भाभी ने बताया। वो सेक्स के जोश में गंदी गंदी बातें कहने लगी।
मैं पेल रहा था और वो कहती जा रही थी- जोर से और जोर से मेरे राज़ा! मेरे पति ने तो कभी ऐसे प्यार ही नहीं किया, साला सिर्फ़ लण्ड पर तेल मालिश करवाता है। जब लण्ड खड़ा होता तो मेरे गर्म ना होते हुए भी लण्ड मेरी बुर में घुसा देता है और अपना धात जल्दी ही गिरा कर सो जाता है। इस भौंसड़ी बुर ने भी छः कैलेण्डर निकाल दिए पर इसकी आग शान्त नहीं हुई। पर मेरे राज़ा तुम नादान हो, जैसा मैं कहती हूँ तुम वैसा करो, तुम चुदाई जल्दी ही सीख जाओगे। मैं तुम्हारा लण्ड चूस कर इस पर तेल लगा कर घोड़े जैसा बना दूंगी, फ़िर उस घुड़लण्ड से रोज़ चुदवाऊँगी।
इतना कह कर सीता भाभी ने फ़िर मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। मैं भी अपनी उत्तेज़ना में उसकी बुर में अपनी तीन उंगली तेजी से घुसा निकाल रहा था, पर छः बच्चों के जन्म ने उसकी बुर का भौन्सड़ा बना दिया था। अतः उंगली कहाँ जाती, पता ही नहीं चलता। वो वाह रे मेरे राज़ा! तेजी से करो, जैसे शब्द कह कर शान्त पड़ गई, वो झड़ गई।
इतने में मैंने कहा- भाभी! मेरे भीतर से कुछ निकलने वाला है!
इतना सुन कर उसने मेरे लण्ड को मुंह से निकाला और हाथ से मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। कुछ ही देर में मेरे लण्ड से फ़व्वारा निकला और उस की साड़ी पर गिरा। उसने हंसते हुए कहा कि देवर जी, सारी साड़ी खराब कर दी ना! अब अपनी भाभी को नई साड़ी ला कर देना। पर कोई बात नहीं, अब तो मेरी साड़ी रोज़ खराब होनी है, क्योंकि जब तक तेरे भैया नहीं आ जाते, मैं तो तुमसे रोज़ चुदवाऊँगी, तुझे चुदाई में एक दम होशियार कर दूंगी। पर उनके आने के बाद भी मुझे छोड़ना नहीं, उनका लण्ड तो पुराना हो गया है पर तेरा तो जवान है। मैं समय निकाल कर तुमसे जरूर चुदवाऊँगी।
इतना कह कर वो बाहर गई, पानी लाई और मेरा लण्ड साफ़ किया और फ़िर से मेरा लंड चूसने लगी। तो मैंने कहा- अभी जाने दो, कल आऊँगा।
उसने कहा- ठीक है! कल तुम्हें असली चुदाई सिखाऊँगी और मजा दूंगी। Antarvasna
मेरा नाम सूर्यप्रभा है, मैं Sex Stories अट्ठारह साल की हूँ और मैं असम के तिनसुकिया जिले के एक छोटे गाँव से हूँ। मेरी बड़ी बहन मानसी और मैं पिछले ५ सालों से दिल्ली में रहती हैं। हमें पापा ने वहाँ के आतंकवाद से दूर पढ़ने भेज दिया था। मैं अभी स्कूल में हूँ और दीदी कॉलेज में आ चुकी हैं। दीदी बहुत खूबसूरत है। गोरी चिट्टी, स्वस्थ शरीर, तेज़ दिमाग वाली हैं मेरी दीदी। मैं पढ़ने में ज़रा कमज़ोर हूँ पर दीदी मेरी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देती हैं और किसी तरह मुझे हर बार पास करवा देती हैं। दीदी मुझे प्यार से छुटकी कहती हैं। मैं और दीदी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। हम घर ज्यादा नहीं जा पाते। मैं बहुत भावुक हूँ, बात-बात पे रो देती हूँ जबकि दीदी काफ़ी कड़े दिल की हैं। जब भी ऐसा होता है दीदी मुझे गले से लगा लेती हैं और मुझे प्यार से समझाती हैं। फिर जब मैं हँसती हूँ तो दीदी कहती हैं कि मैं दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची हूँ। पर दीदी ने एक दिन मुझे बड़ा बनते हुए भी देखा।
दीदी का एक दोस्त था- राजीव, जो उनके साथ स्कूल में भी था और कॉलेज में भी एक साल तक साथ था। अच्छा लड़का था। पढ़ने में दीदी से भी तेज़, दिखने में स्मार्ट। वो उदयपुर का रहने वाला है और हमारी ही तरह दिल्ली में पढ़ने आया हुआ था। कॉलेज में आते ही उसने दीदी को प्रोपोज़ भी किया था और दीदी मान भी गई थी पर तब हमारे और उसके घर वालों के डर और दबाव के कारण दीदी ने वो रिश्ता आगे नहीं बढ़ाया। बाद में राजीव ने कॉलेज बीच में छोड़ कर अपने शहर में शादी कर ली। पर जिस दौरान राजीव हमारे साथ था, तब एक घटना ने हम तीनों की ज़िन्दगी बदल दी।
दीदी और राजीव का रोमांस शुरू हुए एक हफ्ता बीता था, अक्टूबर का महीना था। दीदी एक बार रात को उसके साथ मूवी देखने गई, मैं घर पर ही पढ़ाई कर रही थी। वो लोग दस बजे वापस आये। तब तक मुझे कच्ची सी नींद आ गई थी। मेरे कमरे तक उनके बातें करने की आवाज़ आ रही थी। हमेशा तो राजीव दीदी को छोड़ कर घर लौट जाता था पर उस दिन बहुत देर तक बातों की आवाज़ आती रही, फिर उनकी आवाज़ बंद सी हो गई और मेरी नींद गहराने लगी। कुछ देर बाद दीदी की सिसकियों की आवाज़ से मेरी नींद टूट गई।
मैं जल्दी से दीदी के कमरे में गई तो देखा की बिस्तर पर राजीव गर्दन झुकाए बैठा है और दीदी पास खड़ी रो रही है। मानसी दीदी का मासूम चेहरा आंसूओं से भरा हुआ था।
मैंने पूछा- दीदी, क्या हुआ?
तो उसने आंसू पौंछे और मुझे कहा- छुटकी, तू सो जा !
मैं कमरे से बाहर निकल गई लेकिन गई नहीं और कान लगा कर सुनने लगी। राजीव कह रहा था,”मनु, तुम ज़रा सी बात पर क्यूं रो रही हो?”
दीदी ने कहा,”तुमसे मैं बहुत प्यार करती हूँ, पर शादी से पहले मैं कुछ नहीं कर सकती !”
राजीव कहने लगा,”जान, ऐसा कुछ नहीं है, तुमको भी खुश रहने का पूरा हक है।”
मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन तभी दीदी ने कहा,”मुझसे गलती हो गई राजीव, मुझे तुमको चूमना नहीं चाहिए था।”
राजीव बोला,”नहीं मनु, गलती मेरी है !”
दीदी बोली,”तुम्हारी कोई गलती नहीं है, चुम्बन तो मैंने शुरू किया था।”
और इतना कह कर दीदी सुबक सुबक कर रोने लगी। तब मुझे कुछ समझ में आने लगा था, आखिर मैं इतनी भी छोटी नहीं थी। पर दीदी का रोना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।
तब दीदी के रोने की आवाज़ ज़रा कम हो गई और राजीव धीरे धीरे बोलने लगा,”मनु, तुम मुझे बहुत प्यारी हो, मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता।”
फिर ऐसी आवाज़ आई जैसे किसी को किसी ने चूमा हो। फिर अचानक दीदी के रोने आवाज़ फिर से आने लगी। उनके रोने को सुन कर मुझे भी रोना आ गया। अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं वापस उनके कमरे में चली गई और रोते रोते बोली,”दीदी, आप रोइए मत न प्लीज़ !”
और इतना कह कर मेरा रोना और तेज़ हो गया, और मैं छोटे बच्चे की तरह रोने लगी। दीदी मेरे पास आई, दीदी ने मेरे आंसू पौंछे और मुझे गले लगा कर मेरे गालों पर चूमने लगी। मैं चुप हो गई और दीदी ने कहा,”मेरी छुटकी बेटा, अब दीदी नहीं रोएगी !”
“देखो न राजीव हमारी छुटकी कितनी प्यारी है और अब मैं समझ गई हूँ कि खुश रहना सबसे ज्यादा ज़रूरी है।”
इतना कह कर दीदी ने राजीव को देखा और दोनों के होटों पर मीठी सी मुस्कान तैर गई। तब दीदी ने मुझे सो जाने को कहा। मैंने उनको फिर पूछा कि वो अब रोएगी तो नहीं?
दीदी ने कहा- मेरी जान, मैं अब नहीं रोऊंगी।
दीदी ने मुझे चूमा और मैं अपने कमरे में जा कर सो गई। सुबह देखा कि दीदी ने राजीव का शर्ट पहना हुआ है, और राजीव जो शायद नंगा था, बिस्तर में सो रहा था।
मैंने दीदी से पूछा- राजीव रात को घर नहीं गया?
दीदी ने कहा- नहीं !
और रसोई में जा कर काफ़ी बनाने लगी। मुझे पता चल गया कि रात को क्या हुआ होगा पर अब जो हुआ उसके लिए मैं तैयार नहीं थी।
राजीव उठ चुका था और मुझे देख रहा था। उसने मुझे बुला लिया और कुछ इधर उधर की बात करने लगा। बातों बातों में उसने मेरे पैर पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे से सहलाने लगा। मुझे ज्यादा अजीब नहीं लगा, लेकिन मन में कुछ अजीब सा लगा। दीदी तब तक कमरे में आ चुकी थी और राजीव को घूर के देख रही थी। राजीव ने हाथ हटा लिया।
मैंने कहा- मैं स्कूल के लिए तैयार होती हूँ !
और बाथरूम में चली गई। वहां मुझे उनकी धीमी धीमी आवाज़ आ रही थी। लग रहा था जैसे राजीव दीदी को कुछ सलाह दे रहा है और दीदी पहले गुस्सा कर रही हैं, और बाद में मान गई हों।
मैं स्कूल ड्रेस का स्कर्ट-टॉप पहन कर बाहर की तरफ जा रही थी, तभी दीदी ने आवाज़ दी। मैं गई तो मुझे कहा- आज स्कूल मत जा, यहीं बैठ कर हमसे बातें कर !
मैंने कहा- ओके !
राजीव ने पूछा,” छुटकी ! तू अपनी दीदी से कितना प्यार करती है?”
मैंने कहा,”ढेर सारा”
उसने कहा कि वो भी उनसे बहुत प्यार करता है और उनसे शादी भी करेगा।
फिर दीदी ने पूछा,”तुझे पता है कि हम लोग रात में क्या कर रहे थे?”
मैं समझ नहीं पाई कि क्या बोलूं, बस गर्दन झुकाए बैठी रही।
दीदी बोली- शरमा मत !
तो मैंने हाँ में सर हिला दिया। तब दीदी बोली- देखा राजीव, मेरी छुटकी थोड़ी सयानी भी है !
राजीव बोला,”हाँ, और बहुत सुन्दर भी !”
मैं शर्म के मारे लाल होने लगी थी। तब दीदी ने पूछा कि क्या मैं भी कुछ मज़ा करना चाहती हूँ? तो मैंने हाँ में सर हिला दिया।
यह सुन कर राजीव मेरे पास आया और मेरे गालों को चूमने लगा। तब दीदी ने उसको रोका और कहा- राजीव ध्यान से ! मेरी बहन अभी इतनी बड़ी नहीं है !
राजीव ने कहा कि वो जानता है कि मैं दीदी से भी ज्यादा नाज़ुक हूँ । फिर उसने बिस्तर पर चादर के अन्दर बैठे बैठे ही मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे गाल, होटों और गले पर चुम्बनों की बौछार कर दी। मेरी आँखें बंद हो गई और मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। उसने मेरा शर्ट उतार दिया और मेरे वक्ष को ब्रा के ऊपर से चाटने लगा। मेरे मुँह से ऊम्म्म्ह्छ आःह्ह् की आवाजें निकलने लगी।
दीदी मेरे पास आ गई और मेरी ब्रा खोल दी। मेरे दो छोटे से संतरे नंगे हो गए। मुझे बहुत शर्म आई। राजीव ने मुझे शर्माते देख फिर से मुझे गालों और होटों पे चूम लिया, साथ में मेरे स्तन भी दबाने लगा। मुझे अब बहुत मज़ा आने लगा था। ऐसा मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था। तब तक दीदी मेरी पीठ और कमर को चूम रही थी। फिर दीदी ने मेरा स्कर्ट उतार दिया, मेरी पैंटी पे कुछ गीलापन आ गया था।
अब राजीव ने मेरी पैंटी पर हाथ से सहलाया और फिर हाथ अन्दर डाल दिया। मुझे तो जैसे झटका लग गया। मेरा मुँह खुल गया और आह निकल गई। अब दीदी ने मुझे होटों पर चूमा तो मैंने जोश जोश में उनके बाल पकड़ लिए। तब तक राजीव मेरे पेट पर चूम रहा था। मेरी हालत ख़राब हो गई थी। मैं अब बिस्तर पर चित्त लेटी थी और वो दोनों मुझसे खेल रहे थे।
तभी मेरी पैंटी राजीव ने अलग कर दी, वो मेरी चूत पे उगे छोटे बालों में गुदगुदी करने लगा। मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। उसने मेरे दाने पर हाथ रखा तो लगा जैसे मैं जन्नत में हूँ। फिर वो उसको रगड़ने लगा और मेरी ऊओह् आःह् की आवाजें शुरू हो गई। मेरे छोटे गुलाबी चुचूक पहले ही कड़क हो गए थे। दीदी उनको काट और चूम रही थी।
अब दीदी ने अपना शर्ट उतार दिया और एकदम नंगी हो गई। दीदी के बूब्स भी मेरी तरह थे, बस ज़रा से बड़े थे। तब तक मैं चीख चीख कर बिस्तर पर कूदने लगी थी, चादर को पकड़ कर पूरा शरीर मोड़-तोड़ रही थी। तभी मेरे अन्दर तूफ़ान सा आया और मैं पहली बार झड़ गई।
मैं ओह दीदी कह कर उनसे लिपट गई और दीदी ने मुझे प्यार से ढेर सारे चुम्मे दिए।
तब राजीव ने अपना ९ इंच का लिंग मुझे दिखाया और छूने को कहा। मैंने छुआ तो राजीव ने हलकी सी आह भरी। राजीव ने दीदी को देखा तो दीदी ने हाँ में सर हिलाया और मुझे फिर से चूम के कहा,”छुटकी, थोड़ा दर्द होगा, लेकिन फिर मज़ा आएगा !”
तब तक राजीव ने लंड को मेरी छोटी सी नाज़ुक चूत पे सहलाना शुरू कर दिया। मुझे सिरहन सी होने लगी और मैंने दीदी को पकड़ लिया।
राजीव ने लंड को थोड़ा चूत के अन्दर डाला तो इतना दर्द हुआ कि मेरा मुँह खुला रह गया, चीख भी नहीं निकली, बस गले से हलकी सी तीखी आवाज़ और आँखों से आंसू निकल आये। दीदी मेरे सर पे हाथ फेरने लगी। राजीव ने एक झटके से और भी अन्दर डाल दिया, तो मैं बिलखने लगी।
मुझे रोता देख दीदी के भी आंसू आ गए थे। दीदी मुझे चूमती जा रही थी और कह रही थी,”बस बेटा थोड़ा और !”
अब राजीव ने एक आखिरी झटके के साथ पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया। मेरा रोना जारी रहा और मैंने जब नीचे देखा तो चादर पर खून था, जिसे देख कर मेरी और हालत ख़राब हो गई। दीदी ने कहा- कोई बात नहीं ! ऐसा होता है पहली बार में !
अब राजीव झटके मार रहा था और लण्ड अन्दर बाहर कर रहा था। वो बीच बीच में मेरे स्तन भी चूस रहा था। मेरी थोड़ी देर तक दर्द से हालत ख़राब रही। तब मेरे मुँह से रोने और दीदी- दीदी के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था।
फिर दर्द ज़रा कम होने लगा और मैं मज़ा लेने लगी। अब मैं ऊऊउम्म्म्म्म, ऊऊह्ह्, आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जैसी आवाजें निकाल रही थी। दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी। राजीव की तरफ उन्होंने कामुक नज़रों से देखा और राजीव ने मुझे चोदते हुए ही उनको चूम लिया।
फिर राजीव बोला- चलो, अब अपनी छुटकी को ओरल सिखा दो !
तो दीदी ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी और कहा- चाट न छुटकी !
उनकी चूत पर बाल नहीं थे, मैंने चाटना शुरू कर दिया और दीदी अपने दाने को ऊँगली से रगड़ रही थी। ये काम मैंने दीदी से ले लिया और जीभ अन्दर बाहर करने के साथ उनका दाना भी रगड़ने लगी। दीदी ने कहा,”ऊह छुटकी, आई लव यू मेरी बच्ची !”
फिर वो आह ऊऊऊउम्म्म्म्ह जैसी आवाजें जोर जोर से निकालने लगी। उधर राजीव के ज़ोरदार झटकों की वजह से मैं दो बार झड़ चुकी थी।
अब राजीव का शरीर अकड़ने लगा और उसने लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मेरे स्तनों के बीच रख कर रगड़ने लगा। थोड़ी देर में वो झड़ गया और उसका वीर्य मेरी गर्दन और मुंह पे फैल गया। दीदी को भी काफी वीर्य लगा क्यूंकि वो मेरे मुँह पर थी। दीदी राजीव को चूमने लगी। उसके बाद उनकी आह चीखों में बदल गई और ऊऊम्म्म्म्म्ह्ह्ह की मीठी आवाज़ के साथ वो मेरे मुँह पर झड़ गई।
फिर वो नीचे उतर कर मुझ पर लगे वीर्य को चाटने लगी और मुझे साफ़ कर दिया। दीदी और राजीव ने मुझे कई बार चूमा, फिर उन्होंने आपस में चूमा चाटी की और एक दूसरे से लिपट गए। राजीव नीचे लेटा और दीदी ने उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया। फिर वो ऊपर नीचे होने लगी। राजीव कभी दीदी के स्तन दबाता था और कभी उनकी कमर सहलाता था।
मेरा शरीर टूट रहा था पर मैं फिर से गर्म हो गई उनको देख कर !
मैंने ऊँगली अपनी चूत में डाल ली। यह देख राजीव ने मुझे पास बुलाया और मुझे कहा कि मैं उसके मुँह पर आ जाऊं जैसे दीदी मेरे मुँह पर आई थी। मैंने ऐसा ही किया तो राजीव ने अपनी जीभ से मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं थोड़ी देर में जोश में आकर राजीव के मुँह पर कूदने लगी। दीदी और मैंने अपने हाथ मिला लिए और मिल कर कूद रहे थे। थोड़ी देर में दीदी झड़ गई, फिर राजीव झड़ गया। फिर उन दोनों ने मुझे चूमते हुए, चाटते हुए बहुत मज़े से चरम सीमा पर पहुँचाया।मैंने इतना मज़ा ज़िन्दगी में कभी नहीं किया था। मैंने राजीव को चूमा और बोली,”मज़ा आ गया जीजू !”
फिर मैं दीदी से लिपट गई, दीदी ने मुझे ढेर सारा प्यार किया और मैं उनकी बाहों में ही सो गई।
राजीव बाद में दीदी की और मेरी ज़िन्दगी से दूर चला गया, पर वो हसीं लम्हें, अक्टूबर की वो एक रात जब दीदी का और दिन जब मेरा कौमार्य भंग हुआ, मुझे कभी नहीं भूलता। मैं नहीं भूल सकती कि कैसे उस प्यारे ने हम कलियों को तोड़ दिया।
राजीव को गए ज्यादा समय नहीं हुआ है पर मेरी दीदी सम्भल गई हैं, बस एक अंतर आया है हमारे जीवन में, हम दोनों अब अन्य ज़रूरतों के साथ साथ एक दूसरे के शरीर की भूख भी शांत करती हैं। Sex Stories
हाय दोस्तों!
यह मेरी पहली कहानी है, मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ने बहुत मजा आता Sex Stories है मेरा नाम सुरेश है गोंडा में मेरा घर है एक बार मैं अकेले घर पर था उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था मैं सेक्सी बुक देख रहा था मेरा लंड खड़ा था मेरे घर का दरवाजा खुला था तभी पड़ोस में रहने वाली आंटी जी अन्दर आ गयीं और मुझे लगा कि कोई आ रहा है मैं ने शीशे में देख लिया कि आंटी खड़ी मुझे देख रही थी
मैने अपना मोटा लाल और चिकना लंड अपने हाथ में पकड़ रखा था मैने कुछ नहीं पहना था एक दम नंगा था आंटी बहुत ध्यान से देख रही थी मैं ने लंड को और ऊपर कर दिया अब आंटी को मेरा लम्बा लंड साफ़ दिख रहा था वो मस्त हो रही थी बहुत देर देखने के बाद वो आगे आकर पीछे से आकर पकड़ लिया मैं खड़ा हो गया तभी मेरा लंड आंटी के पेट में गड़ने लगा तभी वो देख कर बोली कि कितना सेक्सी है तुम्हारा और झट से पकड़ लिया वो बोले तुम भी प्यासे हो और मैं भी चलो दोनो की प्यास बुझ जायेगी
मैने कहा क्यों अंकल आप को नहीं करते है वो बोली कभी नहीं मैने कहा मैं तैयार हूं। आंटी बोली क्या करने के लिये, मैं शरमाया, तभी वो बोली चोदने के लिये। फिर मैं आंटी को गोद में ले जाकर बेड पर लिटा दिया और कपड़े उतारने लगा सच में उनकी चूची एक दम कड़ी थी मैने दबाना शुरु किया वो एक दम मदमस्त हो रही थी जब मैने उनकी चूत में उंगली डाली तो इतनी गरम थी कि मैं बता नहीं सकता आंटी बोली पहली बार तो जल्दी चोद दो दोबारा आराम से चोदना मैं भी ताव में था अपना लंड आंटी की चूत पर रख दिया धीरे धीरे चूत में डालने लगा आंटी को दर्द हुआ, आवाज़ निकाल रही थी आह आआहह अहह ओहो होहह्हूऊऊ मैने ५-६ धक्के में लंड को अन्दर कर दिया और धक्के मारने लगा, पहले धीरे धीरे फिर तेज़ और तेज़ और फिर खूब जोर जोर से धक्के मारने लगा आंटी एक दम नशे में थी बोली एतनी अच्छी चुदाई कैसे कर लेते हो मेरे पति तो कभी करते नहीं जब करते भी हैं तो उनका लंड इतना छोटा है कि मेरी चूत में जाता ही नहीं।
मैं धक्के मारता जा रहा था आंटी बोली पहली बार तो ऐसे ही जल्दी जल्दी चोद दिया है, अब भरपूर मजा दुंगी तुमको कि तुम मस्त हो जाओगे। मैं आंटी को चोदता रहा फिर लंड को चूत से बाहर निकाल कर चूत को देखने लगा और सहलाने लगा, आंटी बोली पहली बार चूत देख रहे हो, मैने कहा हाँ आज़ मैने चूत देखी पहले फोटो देखता था आज़ सामने है आप की चूत तो बहुत रसीली है बहुत रस निकल रहा है, वो बोली जब से तुम्हारा लंड देखा है तभी से पानी निकल रहा है और मेरा मन कर रहा था के झट से पकड़ कर मुँह में डाल लूं और सारा रस पी जाऊं। आंटी बोली कि इस बार चोद दो फिर तुम मेरी चूत चाटना। मैं तुम्हारा मोटा लंड पीउंगी।
मैने आंटी की चूत से थोड़ा सा रस निकाल कर अपनी लंड पर लगाया और फिर चूत में डाल दिया आंटी आआहह्ह ऊह्ह करती रही मैने स्पीड तेज़ कर दी और तेज़ कर खूब तेज़ कर दी आंटी के ऊपर लेटा रहा और आंटी को झड़ने लगी थी तभी आंटी बोली स्पीड और तेज़ करो मैं झड़ने वाली हूं, मेरी चूत का रस निकलने वाला है। मैने स्पीड और तेज़ कर दी तभी आंटी ने मुझे कस के पकड़ लिया। मैने भी आंटी को कस के पकड़ लिया दोनो झड़ गये थे। मेरे लंड का रस आंटी की चूत में गिर रहा था मुझे बहुत मजा आया। Sex Stories
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.