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Massage Girl in Dhenkanal: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Dhenkanal who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Dhenkanal that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Dhenkanal massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Dhenkanal who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Dhenkanal massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Dhenkanal massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Dhenkanal who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Dhenkanal employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Dhenkanal helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Dhenkanal

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Dhenkanal at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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आज मेरी भाभी कंचन वापस घर आ गई। Hindi Porn Stories

यहां से पचास किलोमीटर Hindi Porn Stories दूर शहर में भैया काम करते थे। मेरे से कोई चार साल बड़े थे। शादी हुये साल भर होने को आया था।

भैया शहर में शराब पीने लग गये थे। इसी कारण घर में झगड़े भी होने लगे थे। भाभी की आये दिन पिटाई भी होने लगी थी।

एक बार भाभी ने मोबाईल पर मुझे रात को दस बजे रिंग किया।
मैंने मोबाईल उठाया, पर फ़ोन पर चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दी तो मैंने पापा को बुला लिया।

पापा ने फोन को ध्यान से सुना फिर उन्होंने मुझे आदेश दिया कि सवेरे होते ही कार ले कर जाओ और बहू को यहाँ ले आओ।

गांव में पापा की एक छोटी सी दुकान है पर आमदनी अच्छी है। वो सवेरे नौ बजे दुकान पर चले जाते हैं।

मैं भाभी को लेकर घर पर आ गया। भाभी मुझे अपना दोस्त समझती हैं। हम दोनों एक ही उम्र के हैं।

शाम तक मेरे पास बैठ कर भाभी अपना दुखड़ा सुनाती रही, उसने अपनी पीठ, हाथ व पैर पर चोट के कई निशान दिखाये।

ये सब देख कर मुझे भैया से नफ़रत सी होने लगी।
मैंने भाभी को जैसे तैसे मना कर उनके चोटों पर एण्टी सेप्टिक क्रीम लगा दी।

अब मेरा रोज का काम हो गया था कि पापा के जाने के बाद उनकी चोटों पर दवाई लगाता था।

भाभी का शरीर सांवला जरूर था पर चमकीला और चिकना था। कसावट थी उनके बदन में। जब वो अपनी पीठ पर से ब्लाउज हटा कर दवाई लगवाती थी उनकी छोटी छोटी चूंचियां सीधी तनी हुई कभी कभी दिखाई दे जाती थी। तभी मैंने भाभी की चूंचियों पर भी चोट के निशान देखे।

“भाभी, आपके तो सामने भी चोटें हैं!” मैंने हैरत से कहा।
“देख भैया, तुझसे क्या छिपाना … ये देख ले … ”

कंचन ने झिझकते हुये सामने से अपनी छाती दिखाई … चूंचियों और चुचूकों पर खरोंच के निशान थे।

“भाभी प्लीज ऐसे मत करो!” मैंने तुरन्त पास पड़ा तौलिया उनकी छाती पर डाल दिया। उसकी आंखों से आंसू टपक पड़े। पर भाभी के चोटों के निशान मेरे मन में एक नफ़रत भरा बीज बो गये।

“नहीं देखा जाता है ना … वो आपकी तरह नहीं हैं … आप तो मेरा कितना ख्याल रखते हैं, दवाई लगाते हैं … अभी तो आपने मेरी पिछाड़ी नहीं देखी है … कितना मारते थे

वो यहाँ पर!”

“बस भाभी बस … अब बस करो …”

भाभी ने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। अनायास ही मेरे हाथ उसके बालों पर चले गये और उन्हें सहलाने लगे। मेरा प्यार पा कर वो मुझसे लिपटने सी लगी। मैंने एक हल्का सा चुम्मा उसके गालों पर ले लिया … वो अपनी आंखें जैसे बन्द करके प्यार का आनन्द लेने लगी।

“भैया मेरी छाती पर दवाई लगा दो …!”

“क्या छाती पर ?… न … न … नहीं … यहाँ नहीं …!”

“तो क्या हुआ … दर्द है ना मुझे … प्लीज!”

मैंने उसे घूर कर देखा … पर उसकी आंखों में केवल प्यार था। मैंने उसे लेटा दिया और तौलिया हटा कर उसकी चूंचियों की तरफ़ झिझकते हुये हाथ बढ़ाया … और दवाई लगा दी।

मुझे अहसास हुआ कि उसके चुचूक कड़े हो गये थे। छोटी छोटी चूंचियां कुछ फ़ूल गई थी।

मेरा मन भी डोल सा उठा, पर मैंने फिर से उस पर तौलिया डाल दिया।

भाभी ने मुझे प्यार से बिस्तर पर लेटा लिया और मेरी कमर पर में एक पांव लपेट कर जाने कब सो गई।

मुझे नहीं पता था कि यह उसके दिल की पुकार है कि मुझे बाहों में लेकर खूब प्यार करो। वो प्यार की भूखी थी।

मैंने धीरे से उसका हाथ हटाया और बिस्तर से हट गया।
तभी अनायास मुझे ध्यान आया कि उसके चूतड़ों पर भी शायद चोट है, जैसा कि उसने अपनी पिछाड़ी के बारे में कहा था।
मैंने धीरे से उसका पेटीकोट ऊपर हटा दिया।

उसके गोल गोल चूतड़ों पर नील पड़ी हुई थी। मैंने तुरन्त दवाई उठाई और लगाने लगा। पर आश्चर्य हुआ कि दरारों के बीच गाण्ड के छेद पर भी चोट जैसा सूजा हुआ था।

मैंने चूतड़ों को खोल कर वहां भी दवाई लगा दी।

मैं पास ही बैठ कर भैया के बारे में सोचने लगा कि भैया उसकी गाण्ड में चोट कैसे लगा देते हैं? यह तो बहुत नाजुक स्थान है … इतना बुरा व्यवहार … मुझे बहुत ही खराब लगने लगा।

कंचन भाभी को यह पता चल गया था कि मैंने उनके बदन में दवाई कहां कहां लगाई थी।

अब वो मुझसे रोज ही जिद करके दवाई लगवाने लगी थी। कंचन को अपने गुप्त अंगों पर दवाई लगाने से या मेरे द्वारा छूने पर शायद आनन्द आता था।

पर इसके ठीक विपरीत मेरे दिल में कंचन भाभी के लिये प्यार बढ़ता जा रहा था।

पापा के दुकान पर जाने के बाद मैं दवाई लगाता था, फिर वो मेरे साथ लेटे लेटे खूब बातें करती थी।
मैं उसके बालों को सहलाता रहता था। वो प्यार में मुझे जाने कितनी ही बार चूम लेती थी।

पर आज जाने मुझे क्या हुआ, मुझे जाने क्यूँ उत्तेजना होने लगी। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मेरे दिल में एक बैचेनी सी होने लगी।

इन दस बारह दिन में भाभी की चोटें ठीक हो चुकी थी।
आज मैंने उनकी चूचियों पर दवाई लगाते हुये कहा भी था कि अब उसे दवाई की आवश्यकता नहीं है .. लेकिन उसका कहना था कि आप रोज ही लगायें … और मेरा हाथ अपनी चूंचियों पर दबा लिया था।

“आप बहुत शरारती है कांची … ”
बस … उसने एक कसक भरी हंसी वतावरण में बिखेर दी।

मेरे विचारों में अचानक ही परिवर्तन होने लगा, मुझे अपनी भाभी ही सेक्सी लगने लगी।
उनका सांवला रूप मुझे भाने लगा। वो तो निश्चिन्तता से मेरी कमर पर पांव लपेटे आंखें बंद करके कुछ कह रही थी। पर मेरा दिल कहीं और ही था।

मैंने अचानक ही कांची के होठों पर एक चुम्बन ले लिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया।
मैंने साहस करके दुबारा चुम्मा लिया।

उसने मुझे देखा और अपने होंठ मेरी तरफ़ बढ़ा दिये। भाभी के दोनों हाथ मेरे गले से लिपट गये।

मैंने गहराई से कांची को चूम लिया … उसने भी प्रत्युत्तर में मुझे प्यार से खूब चूमा।

मैंने जाने कब एक करवट लेकर भाभी को अपने नीचे दबोच लिया और उनके ऊपर चढ़ गया।

मेरा कसा हुआ तन्नाया हुआ लण्ड उसकी चूत से टकराने लगा।
भाभी के मुख से वासना भरी सिसकारी निकल पड़ी।

“भैया … आह मुझे जोर से प्यार करो … मुझे आज प्यार से, आनन्द से भर दो।”

“कंची मुझे जाने क्या हो रहा है… शरीर में जाने कैसी कसावट सी हो रही है …!”

और मेरे चूतड़ों ने मेरा लण्ड जोर से उसकी चूत पर दबा दिया।

मुझे लगा कि भाभी ने भी उत्तर में अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर बढ़ा दिया है।

तभी मेरा वीर्य निकल पड़ा … मैं हैरत में रह गया … मेरा सारा नशा काफ़ूर हो गया।

मेरे लण्ड में से वीर्य का गीलापन देख कर कांची ने मुझे प्यार से उतार दिया।

“सॉरी … ये … ये … सब क्या हो गया …!!” मुझे अत्यन्त शर्मिन्दगी महसूस हुई।

“क्या पहली बार हुआ है ये?”
मैंने धीमे से हां में सर हिला दिया।

“अरे छोड़ ना यार … होता है ये … तुझे कुछ नहीं हुआ है … … शर्माना कैसा …”

“भाभी … मै तो आपको मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रहा … ”

उसने धीरे से खिसक कर मेरी छाती पर अपना सर रख लिया।

हम फिर से बातें करने लगे … पर फिर से मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी। मेरा लण्ड फिर खड़ा होने लगा।

इस बार कांची ने कोई मौका मुझे नहीं दिया। मेरे खड़े लण्ड पर उसकी नजर पड़ गई। उसने धीरे से हाथ बढा कर उसे हल्का सा पकड़ लिया।

“भाभी, यह क्या कर रही हो … छोड़ो तो …!” मुझे शरम सी लगी, पर शरीर में कंपकपी सी आने लगी।

“मेरे काम की तो यही एक चीज़ है तुम्हारे पास! है ना भैया … ? और मेरे पास तो आपके काम की कई चीज़ें हैं, जैसे सामने ये उठे हुये गोल गोल, नीचे … वहीं जहाँ अभी तुम जोर लगा रहे थे … और पीछे जहां तुम अन्दर तक दवाई लगाते हो …”

मैं यह सब सुन कर उत्तेजना से हांफ़ उठा। उसकी बातें मेरी उत्तेजना भड़का रही थी।

“तुमने दवाई लगा लगा कर मेरे सभी चीज़ों को फिर से तैयार कर दिया है ना … अब उसके मजे भी तो लो!”

भाभी मेरे लण्ड को अब मसलने और मुठ मारने लगी थी। मेरा लण्ड उफ़न पड़ा था। सुपाड़ा फ़ूल कर लाल हो चुका था। जाने कब कांची ने मेरी एलास्टिक वाला पजामा नीचे खींच दिया था।

“हाय भैया … ये तो बड़े मजे का है … बड़ा तो तुम्हारे भैया जितना ही है … पर मोटा बहुत है …!” कहते हुए वो उठ कर मेरे लण्ड के पास पेटीकोट उठा कर बैठ गई।
उसके नंगे चूतड़ मेरी जांघ पर बड़ा मोहक स्पर्श दे रहे थे।

अपने मुख में से थूक निकाल कर उसने अपनी गाण्ड पर लगा लिया और मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड का छेद रख दिया। फिर जोर लगा कर उसके सुपाड़ा अन्दर घुसा लिया।

मेरे लण्ड में जलन होने लगी। मेरे मुख से आह निकल पड़ी.

“भैया … बिल्कुल फ़्रेश हो क्या?” उसने चुटकी लेते हुये कहा।

“फ़्रेश क्या … दर्द हो रहा है ना … जैसे आग लग गई है …” मैंने कराहते हुये कहा।

“भैया … तू तो बहुत प्यारा है … लव यू … कभी किसी को चोदा नहीं क्या … ?”

उसके मुख से चोदा शब्द सुन कर मेरे मन में गुदगुदी सी हुई।

“भाभी … आप पहली हैं … जिसे चोद …ऽऽ ” मैं बोलता हुआ झिझक गया।

“हां … हां … बोल … बोल दे ना प्लीज …!”

“जी … पहली बार आप ही चुद रही है … ”

“हाय रे मेरे भैया …!” चुदाई की बातें उसे बहुत ही रस पूर्ण लग रही थी।

उसने मुस्कराते हुये अपनी गाण्ड पर और जोर लगाया।
मेरा लण्ड भीतर सरकता गया और जलन बढ़ गई।
पर मौका था और इस मौके को मैं छोड़ना नहीं चहता था। मस्ती भी बहुत आ रही थी।

भाभी ने मुझ पर झुकते हुये मेरे अधरों को अपने अधरों से भींच लिया और कहने लगी- आप शर्माते बहुत है ना … देखो आपके भैया ने मेरी क्या हालत कर दी थी, मुझे पीट पीट कर मेरा तो पूरा शरीर तोड़ फ़ोड़ कर रख दिया, और आप हैं कि मेरे एक एक अंग को फिर से ठीक कर दिया, मेरे प्यारे भैया, आप बहुत अच्छे हैं।

“कांची तू बोलती बहुत है … अब जो हो रहा है उसकी मस्ती तो लेने दे!”

“हाय रे, तेरा लाण्डा पुरजोर है … ”

“ये लाण्डा क्या है … ”

“जिसका लण्ड बहुत मोटा होता है उसे हम लड़कियां लाण्डा कहती हैं … ही ही … ”

वह मुँह से मेरा होंठ चाटते हुये हंसी।

मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में फ़ंसा हुआ था। वह हौले हौले ऊपर नीचे हो कर आनन्द ले रही थी। मेरा लण्ड तरावट में मीठी मीठी लहरों का मजा ले रहा था।

मैं भी अपने चूतड़ों को धीरे धीरे हिला कर चुदाई जैसी अनुभूति ले रहा था। जैसे ही उसके धक्के थोड़े तेज हुये, मेरा बांध टूटने लगा। बदन में कसक भरी मिठास उफ़नने लगी और अचानक ही मैंने उसे अपनी बाहों में भींच लिया।

“कांची मेरा तो निकला … हाय … आह … ” और उसकी गाण्ड की गहराईयों में लण्ड वीर्य उगलने लगा।

“मेरे प्यारे भैया, निकाल दे … सारा भर दे मेरे अन्दर … पूरा निकाल दे …!” उसने मुझे चूम लिया और प्यार भरी नजरों से मुझे निहारने लगी।

वीर्य निकलने के बाद मेरा लण्ड सिकुड़ कर बाहर आ गया। उसकी गाण्ड की छेद से वीर्य टप टप करके बाहर टपकने लगा।

“पता है इतना मजा तो मुझे कभी नहीं आया … हां जोरदार चोदन जैसा अनुभव तो मुझे बहुत है … आपके भैया तो जानवर बन जाते हैं … ” वह मेरी छाती पर लेटे-लेटे ही बोली।

“भाभी, अब भूख लगी है … कुछ खिलाओ ना …!”

“रुक जा … अभी तो मेरी सू सू बाकी है … उसे खिलाऊंगी तुझे …!”

उसकी भाषा पर मैं शरमा गया … फिर भी कहा,”भाभी … खाना खाना है … सू सू नहीं …!”

कांची खिलखिला कर हंस पड़ी … वह उठी अपना पेटीकोट ठीक किया और दूध का एक गिलास भर कर ले आई।
मैंने एक ही सांस में पूरा गटक लिया।

“हां सू सू खिलाओगी … या पिलाओगी …?”

“धत्त … पागल हो क्या!” अपना पेटीकोट उतारते हुई हंसने लगी।

“इसकी बात कर रही हूँ … ” उसने चूत की तरफ़ इशारा किया।

मैं अनजाना था … कहा,”हां, हां … यही तो है सू सू … ”

“चल हट, बुद्धू बालम जी … ” हंसती हुई उसने अपना ब्लाऊज उतार दिया.
“माल तो यहाँ है बालमा … थोड़ा सा स्वाद तो लो …” कांची ने अपने ओर इशारा करते हुए कहा।

मैं अब नंगा हो कर बिस्तर पर बैठ गया था- कांची … रे … इसमें तो छोटा सा मुत्ती का छेद है … फिर तुम्हारा ये लाण्डा …कैसे डलवाओगी?

“तुम क्या सच में इतने बुद्धू हो … सच है जिसका माल ही आज पहली बार निकला हो, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है?” उसकी खिलखिलाती हंसी से मैं झेंप सा गया।

तभी कांची के छोटे छोटे मम्मे मेरे अधरों से टकराये।
उसके मम्मे की नरम सी रगड़ से मेरे रोंगटे खड़े हो गये।

सेक्स का इतना मधुर अनुभव होता है, यह मुझे आज ही मालूम हुआ।

पता नहीं भैया को इन सबका अनुभव है या नहीं। …फिर इतनी बेदर्दी क्यूँ … जंगलीपना … वहशीपना … अब यह तो मेरी पत्नी नहीं है ना … अगर यह सुखों का भण्डार है तो जब स्वयं की पत्नी आयेगी तो वो मुझे निहाल कर देगी।

मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। मेरे जैसे बुद्धू को चोदना तक नहीं आता था …। वो फिर से एक बार मेरे ऊपर चढ़ गई … मेरे खड़े उफ़नते लण्ड पर वो अपनी सू सू घिसने लगी … उसकी सिसकी निकल पड़ी … फिर मेरा सुपाड़ा फ़क से चूत में उतर गया।

“आह रे कांची … ये सू सू इतनी चिकनी होती है … इसे ही चूत कहते हैं क्या?”

“आह्ह्ह्ह … बस चुप हो जा … बुद्धू … ये चूत ही है … सू सू नहीं …!” मेरे अधरों से अपने अधरों को रगड़ती हुई बोली।
उसकी आवाज में कसक भरी हुई थी।

वो अपने ही होठों को काटते हुये बड़ी सेक्सी लग रही थी। उसके सांवले रूप का जबरदस्त लावण्य किसी को भी पिघला सकता था।

उसका कोमल गुंदाज़ जिस्म मेरे बदन में जैसे आग लगा रहा था। उसकी कमर ने एक प्यार भरा हटका दे दिया और उसका बदन जैसे शोलों में घिर गया।

उसने एक लचीली लड़की की तरह अपना बदन ऊपर उठा लिया और चूत को मेरे लण्ड पर एक सुर में अन्दर बाहर करने लगी।

उसके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी। मेरी सीत्कारें भी कुछ कम नहीं थी।

फिर से एक बार मेरी तड़प बढ़ने लगी। मेरे चूतड़ नीचे से उछल उछल कर उसके धक्के लगाने में सहायता कर रहे थे।

कांची की कमर तेजी से चलने लगी थी जैसे जन्मों की चुदासी हो … उसके होंठ फ़ड़क रहे थे … पसीने की बूंदें छलक आई थी चेहरे पर …

उसका चेहरा लाल हो गया था।
उसकी चूचियाँ दबाने से और मसलने से लाल हो गई थी … उसकी जुल्फ़ें जैसे मेरे चेहरे से उलझ रही थी … आंखें भींच कर बन्द कर रखी थी।

वो अपूर्व आनन्द के सागर में डूबी हुई थी।

अचानक जैसे वो चीख सी उठी- हाय मेरे भैया … मुझे समेट ले … कस ले बाहों में … मैं तो गई … माई रे … मेरे राजा … मेरे बालमा … मुझे जोर से प्यार कर ले … उईईई … ईईई इह्ह्ह!

मुझे यह सब समझ में नहीं आया पर उसके कहे अनुसार मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
वो सीत्कार भरती हुई मेरे लण्ड पर दबाव डालने लगी और फिर उसकी चूत में लहरें सी चलने लगी … जैसे मेरे लण्ड को कोई नरम सी चीज़ लिपट रही थी।

उसका पानी निकल चुका था।
तभी मेरा लण्ड भी नरम सी गुदगुदी नहीं सह पाया और एक बार और मेरा वीर्य छूट पड़ा।
मुझे लगा कि इस बार वीर्य कम ही निकला।

नीचे दबे हुये मैंने एक दीर्घ श्वास ली … और अपने ऊपर कांची के तड़पने आनन्द लेता रहा।

थकी हुई सी, उखड़ी हुई तेज सांसें, भारी सी अखियाँ, उलझी हुई जुल्फ़ें, चेहरे पर पसीने की बूंदें … चेहरे पर अजीब सी शान्ति भरी मुस्कान … लग रहा था कि बरसों बाद उसे दिली संतुष्टि मिली थी.

उसने अपनी नशे से भारी पलकें मेरी तरफ़ उठाई और अपने होंठों को मेरे होठों से रगड़ती हुई बोली- मेरे बालमा … साजना … तुम मुझे ही अपनी पत्नी बना लो, देखो अपनी उम्र भी बराबर है … हाय रे, मैं तो तुम्हारे बिना मर जाऊंगी!

“भाभी मजाक तो खूब कर लेती हो … पर यह तो बताओ अभी यह सू सू थी या चूत?”

“उह्ह्ह … तुम तो … अब मारुंगी … इस उम्र में मुझे बताना पड़ेगा कि सू सू और चूत में क्या फ़र्क है …? जाओ हम नहीं बोलते।”

“पर घुसा तो मुत्ती में ही था ना … ?”

“ओ हो … अब ये कुर्सी तुम्हारे सर पर दे मारूंगी … बुद्धू, बेवकूफ़, हाय रे मोरा नादान बालमा …!!” उसकी खिलखिलाती, ठसके भरी जोर की हंसी मुझे सोचने पर नमजबूर कर रही थी कि मैंने ऐसा क्या कह दिया है … ?

मेरी प्यारी और अनुभवी पाठिकाओ, यदि आपको ऐसा बालमा मिल जाये तो आपको कैसा लगेगा? Hindi Porn Stories

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स्वीटी भाटिया ने पन्जाब Hindi Sex Stories से मुझे अपनी पहली चुदाई की वास्तविक कहानी भेजी है। उसे मैं अपने शब्दो में ढाल कर आपको पेश कर रही हूँ।

मैंने सीनियर सेकन्डरी परीक्षा 74 प्रतिशत अंकों से पास कर ली थी, अब कॉलेज में फ़र्स्ट ईयर साईन्स में प्रवेश ले लिया था। मेरा एडमिशन घर से बाहर जहां मैं चाहती थी, पन्जिम, गोआ में मिला था। मैंने वहां एक किराये का कमरा ले लिया। पापा ने एक काम वाली लगा दी और वापस भटिंडा चले गये।

मेरे मकान मालिक का लड़का माइकल था जो मुझ पर शुरु से ही लाईन मारता था। मुझे भी वो अच्छा लगता था, पर वो अधिकतर अपने धन्धे ही लगा रहता था। कभी कभी लाईन मारने के इरादे से वो दुकान पर जाने के पहले मुझे मिलने आता था। पर मेरा मन उससे बहुत जल्दी उचट गया था, क्योंकि वह ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था, बारहवीं के बाद वो अपने घरेलू बिजनेस में लग गया था।

मैं यहाँ बहुत ही खुश थी, बचपन से मैंने गोआ की सुन्दरता का नाम सुना था और अब मैं अपने मनपसन्द की जगह पर आ चुकी थी। अब तक तो मैं गर्ल्स स्कूल में थी, पर यहाँ को-एजुकेशन है। कक्षा में हम 8 लड़कियाँ थी। पंजाबी होने से उनमें सबसे सुन्दर, लम्बी हूँ और अच्छा फ़िगर मेरा ही है।

कुछ ही दिनों में लड़के मुझ पर लाईन मारने लगे थे। मेरे सुन्दर होने से ये मेरी इच्छा थी कि मैं सबसे अच्छा ही चुनूं। एक लड़का जिसका नाम मैंने बदल कर सन्दीप रखा है, मुझे बहुत प्यारा लगता था। वो मेरे अनुसार ही लम्बा था, हंसमुख था, जिस्म से बलशाली लगता था, मैं उसे रितिक रोशन कहती थी।

मेरे बोबे छोटे थे, पर ब्रा पहनने पर गोल गोल और भले लगते थे। मेरा दुबला पतला और लम्बा बदन, चूतड़ों के उभार, उनकी गोलाइयाँ सामान्य थी। जब कभी सन्दीप मुझसे बात करता था तो मैं उसे बातों में उलझा लेती थी और देर तक बातें करती थी। सन्दीप अन्दर ही अन्दर दिल में मुझे चाहता था। फ़्री पीरियड में हम दोनों अक्सर केन्टीन में आ जाते थे। संदीप भी मेरी ही तरह 19 वर्ष का था।
एक बार…

“स्वीटी, तुम्हारा कोई दोस्त है लड़कों में?” सन्दीप ने पूछा।
“नहीं अब तक तो नहीं, मैं तो गर्ल्स स्कूल में थी, बस लड़कियाँ ही मेरी दोस्त रही हैं !”
“मुझसे दोस्ती करोगी?”
“तुम्हारी तो कई लड़कियाँ दोस्त हैं, कितनी से तो तुम बातें करते हो !”
“नहीं मुझे तो बस तुम अच्छी लगती हो।” कहते ही वो झेंप गया,”सॉरी स्वीटी… मेरा मतलब था कि…”

मेरी आंखें झुक गई। मैं शरमा गई, सन्दीप ने यह क्या कह दिया। दिल धड़क उठा।
“स्वीटी, मेरा मतलब यह नहीं था… मैं तो दोस्ती की बात कर रहा था !” सन्दीप हड़बड़ा गया। मैंने अपना चेहरा दोनो हाथों से छिपा लिया। मेरा चेहरा लाल हो उठा। किसी के दिल की बात सामने आ रही थी। मैंने साहस जुटाया और मन की बात कह डाली।

“सन्दीप, मैं तो तुम्हारी ही दोस्त हूँ, मुझे तुम भी बहुत अच्छे लगते हो !” लड़खड़ाती जुबान से मैंने कह ही डाला। मैंने चेहरे से हाथ हटाते हुए कहा, मेरी आंखें शर्म से लाल हो गई थी। उसे मैंने एकटक निहारते हुए कहा,”सच कहूँ सन्दीप, क्लास में तुम जैसा कोई नहीं !”

“नहीं स्वीटी, तुम सा कोई नहीं है, तुम मुझे परी जैसी सुन्दर लगती हो !”
“तुम मुझे, जानते हो, रितिक रोशन फ़िल्म स्टार जैसे लगते हो !”

जाने समय कैसे निकल गया। अगला पीरियड आ गया, हम दोनों उठे और क्लास की ओर जाने लगे,”सुनो स्वीटी, आज क्लास छोड़ो, चलो कहीं चलते हैं !”

मैंने उसकी ओर देखा, पर वहाँ सिर्फ़ प्यार था, मैं मना नहीं कर सकी, मैं उसका साथ अधिक से अधिक देर तक चाहती थी। उसने अपनी मोटर साईकल उठाई और मीरा-मार बीच की तरफ़ चल दिये। दिन का समय था, बीच खाली था, इक्के दुक्के लोग यहाँ वहाँ दिखाई दे रहे थे। पेड़ों की छांव में पार्क के पास कई जोड़े वहाँ पहले से ही जमे थे। यह यहाँ का आम दृश्य था।

हमने भी एक कोना पकड़ लिया और सीमेंट की बेंच पर बैठ गये। हमारे पास वाला जोड़ा चुम्बन में मग्न था, शायद वो लड़की के स्तनों से भी खेल रहा था।
सन्दीप ने मुझे इशारे से बताया,”वो देखो, कितना प्यार करते हैं एक दूसरे को !” मैंने भी उसे प्यासी नजरो से देखा।

सन्दीप समझ चुका था, प्यार की कोई भाषा नहीं होती। हमारे चेहरे नजदीक आने लगे, आंखें स्वत: ही एक दूसरे में खो गई। दोनों की आंखों में भरपूर प्यार था। मेरी आंखें बंद होने लगी। सन्दीप के होंठ मेरे गालों को चूमने लगे। मेरा जिस्म कंपकपाने लगा। होंठ कांपने लगे।

मैं एक असहाय सी लता की तरह उसकी बाहों में झूल गई। मेरे कांपते होंठों को उसके होंठों ने दबा लिया। दिल धड़क उठा, उसकी जीभ मेरे मुख में प्रवेश कर गई। मेरे वक्षस्थल पर उसके हाथों का दबाव आ गया। मैं अपना होश खो बैठी। मेरे होंठ ने भी अब उसकी जीभ को दबा लिया। अचानक हमारी तन्द्रा भन्ग हुई। हमारे सामने दो अंग्रेज महिलायें खड़ी थी,”एक्स्क्यूज मी, में आइ हेव योअर स्नेप्स?”

“वाई नोट, थेन्क्स” मैंने उन्हें लिपटे हुए ही कहा।

“नाउ प्लीज, किस अगेन !” उन्होंने वही सेक्सी पोज बनाने को कहा। हम दोनों फिर से उसी तरह से लिपट पड़े और चूमने लगे और सन्दीप मेरे स्तन दबाने लगा। मैं फिर से खोने लगी।

“ओके प्लीज, बी नोर्मल नाउ…जस्ट सी इट” वो मेरे पास बैठ गई, और वीडियो चला कर दिखाया।

“हाय राम, अपन ऐसे कर रहे थे क्या, और तुम इतने बेशर्म हो, देखो ये क्या कर रहे हो…प्लीज मेम, ट्रान्स्फ़र इट टू माय मोबाईल ऑलसो !”

“ओके, नो प्रोबलम” उन्होने मेरे मोबाईल में उसे कॉपी करके डाल दिया।

“ओके, प्लीज कन्टीन्यू… सॉरी फ़ोर डिस्टरबेन्स, एन्जोय लव !” कह कर वो दोनों आगे चली गई। अब मुझे शरम आने लगी थी कि मैंने ये क्या कर दिया। सन्दीप ने एक बार फिर से मुझे पास में खींच लिया। सामने वाला जोड़ा पर सेक्स एन्जोय कर रहा था। लड़की पैन्ट के ऊपर से ही लड़के का लण्ड दबा रही थी, और लड़का उसकी शर्ट में हाथ डाल कर चूचियाँ मसल रहा था। सन्दीप ने भी लिपटाये हुए मेरी चूत दबा दी। मैं उछल पड़ी।

“सन्दीप, ये नहीं करो, मुझे अच्छा नहीं लगता है !”

“सॉरी, स्वीटी, मुझसे रहा नहीं गया था, ये देखो तो, इसका क्या हाल है !” उसने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा किया। मैंने मौका पा कर तुरन्त ही उसका लण्ड पकड़ लिया और मसलते हुए अन्दर दबा दिया।

“इसे कन्ट्रोल में रखो, समझे !” पर उसके लण्ड का साईज़ और मोटापन का स्पर्श पा कर मेरा जिस्म कांप गया। सन्दीप के मुख से आह निकल गई। मैं खड़ी हो गई। सामने वाले जोड़े की नजर जैसे हम पर पड़ी वो अलग हो गये। मैं मुस्करा उठी और उनके पास आ गई।

“हाय, मजा आ रहा है ना?” लड़की शरमा गई, मुझे भी बहुत मजा आया, कल भी आप आयेंगे ना…हम भी आयेंगे” लड़का और लड़की दोनों मुस्करा उठे।

“आपने तो खूब मजे किये ना, हमने सब देखा, आप का जोड़ा मस्त है, थक्स फ़्रेन्ड्स”

रात को कमरे में अकेले लेटे लेटे मुझे बार बार सन्दीप का चुम्बन, वक्ष मर्दन और चूत को दबाना याद आने लगा था। उसके लण्ड का स्पर्श मेरी जान ले रहा था। मैंने मोबाइल पर वीडियो निकाल कर देखा। मेरी चूत में पानी उतर आया। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने मोबाईल पर उसे कॉल किया।

“सन्दीप, क्या कर रहे हो ?”
“पढ़ रहा हूँ और क्या?”
“मेरे पास आ जाओ, तुम्हारी बहुत याद आ रही है!”
“अभी आऊँ क्या, कोई क्या कहेगा कि रात को आठ बजे तुम्हारे पास लड़के आते हैं !”

“आ जाओ ना, अभी यहाँ कोई नहीं है, पास के घर में अंधेरा है।”
“अच्छा अभी आता हूँ” उसने फोन रख दिया। मैं उसका बेसब्री से इन्तज़ार करने लगी।

कुछ ही देर में सन्दीप आ पहुंचा। मैं उसका दरवाजे पर ही इन्तज़ार कर रही थी।

आते ही उसने पूछा,”क्या हुआ, सब ठीक तो है न?”
“नहीं कुछ भी ठीक नहीं है।”
“क्या हो गया, ऐसे क्यो बोल रही हो ?”
“अन्दर तो आ जाओ पहले, फिर बताती हूँ।”

अन्दर आते ही मैंने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया और चैन की सांस ली। उसके आते ही मेरी बैचेनी दूर हो गई और मैं जो कहने वाली थी, सब भूल गई।

“कुछ तो कहो अब…”
“बस तुम आ गये, मैं सब भूल गई।” मैंने शरमा कर अपनी बात कबूल कर ली।
” स्वीटी तुम भी ना, बस” कह कर वो बिस्तर पर बैठ गया। “अच्छा अब मेरे पास तो आ जाओ ना”
“बोलो अब, लो आ गई।” मुझे पता था वो मुझे चूमेगा, छूएगा और मस्ती करेगा।

“तुमने मुझे यहाँ बुलाया, और अब चुप हो, कही तुम्हारा मन डोल तो नहीं रहा है ना?” सन्दीप ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया। मैं फ़िर शरमा गई।

उसने मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया और धीरे से कमर में हाथ डाल दिया। मेरा चेहरा उसके चेहरे के बिलकुल पास आ गया। मेरे होंठ कांप उठे। मेरे होंठ खुल गये और नीचे का लब उसके दोनो होंठ के बीच में दब गया। मेर निचला होंठ वो चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरे वक्षस्थल पर आ गया। मेरे छोटे छोटे उरोज उसके हाथों में दब गये। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी।

“स्वीटी, तुमने ब्रा नहीं पहनी” सन्दीप का हाथ मेरे नंगे उरोज पर फ़िसल रहा था। मैंने उसके लबों को दबा कर चुप कर दिया। उसके लण्ड में उफ़ान आ रहा था। मेरा हाथ धीरे से उस पर आ गया और उसके लण्ड के साइज़ का नाप तौल करने लगा।

“सॉरी, स्वीटी, तुम्हारा रूप मुझसे सहा नहीं जा रहा है, ये गरम हो गया है।” मैंने फिर से उसके होंठ पर अंगुली रख दी।

“सन्दीप, तुम बहुत बोलते हो, चुप रहो, जो होना है वो तो होगा ही।” मेर बदन अब वासना से भर चुका था। कुंवारी कली खिलने को बेताब थी। भंवरा भी डंक मारने को बेताब था। उसने अब धीरे से मेरी चूत की तरफ़ हाथ बढ़ाया तो मैंने अपनी टांगें चौड़ी कर ली। उसका हाथ अब मेरी चूत पर था।

“तुमने पेन्टी भी नहीं पहनी है।”

“अंह्ह्ह, सन्दीप, मत बोलो ना, समझते हो तो कहते क्यो हो ?” मैंने उसे नाराजगी जताई। मैं अब सन्दीप के हाथों में खिलोने कि तरह खेल रही थी। मेरे अंग अंग को वो फ़्री स्टाईल से दबा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

“सन्दीप, अपनी जीन्स तो ढीली करो ना, इसको कब तक छुपाओगे”
“चल हट, ये बिगड़ गया तो फिर तुम नाराज नहीं होना।” सन्दीप ने शरारत से कहा। अपनी जीन्स उसने जल्दी से उतार दी।

“और ये अंडरवियर भी उतार दूँ क्या ?” उसने मेरे जवाब का इन्तज़ार नहीं किया औए पूरा नंगा हो गया। मैं उसका जिस्म देखती रह गई। चिकना, सुन्दर, तराशा हुआ, गोरा, कोई बाल नहीं… हाय मेरे तो पसीना छूटने लगा। उसे देख कर मेरे बदन में वासना की आग भड़क उठी। मैंने भी अपने रहे सहे कपड़े उतार फ़ेंके और नंगी हो गई। मैं उससे जा कर लिपट गई, दोनों जिस्म आपस में रगड़ उठे। नंगे जिस्म आपस में चिपक गये, नंगेपन का अह्सास होने लगा। मैंने सन्दीप का लण्ड हाथ में पकड़ लिया…

“हाय रे सन्दीप, इतना मोटा लण्ड, इतना बडा लण्ड, इसे मेरे जिस्म में समा दो अब।” मैं नशे में बहक उठी। उसके हाथ मेरी चूतड़ो की गोलाईयां मसल रहे थे। मैं उसके लण्ड को अपनी चूत से रगड़रही थी। उसका सुपाड़ा अब भी चमड़ी से ढका था। मेरे चूत का रस उसके लण्ड को गीला कर के तर कर रहा था।

सन्दीप मुझे दबा कर बिस्तर पर लेट गया और मेर ऊपर चढ़ गया। मेरे शरीर में मीठी मीठी वासनायुक्त जलन भरने लगी थी। चूत फ़ड़फ़ड़ा उठी थी। उसने अपने लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लगा दिया। पर वो इधर उधर फ़िसल जाता था। मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने लण्ड पकड़ कर चूत में घुसा डाला। लण्ड घुसते ही उसके मुँह से चीख निकल गई। लण्ड कच्चा था, पहली बार चूत का स्वाद चखा था। उसके सुपाड़े के रिन्ग की झिल्ली फ़ट गई थी।

“क्या हुआ सन्दीप, डर गये क्या मेरी चूत से” मैं उसकी चीख को समझ नहीं पाई थी।

“चुप हो जाओ, मुझे लगती है, ये क्या हो गया है ?

“कुछ नहीं, लगाओ ना, घुसेड़ो ना लण्ड अन्दर तक, प्लीज !” उसने मेरी बेकरारी देखी और सम्भल कर उसने थोड़ा सा बाहर निकल कर हिम्मत करके पूरा जोर लगा कर लण्ड धक्का मार कर पूरा घुसेड़ दिया। इस बार उसके साथ मेरी भी चीख निकल गई। सन्दीप रुक गया।

“अब तुम्हें क्या हुआ?” चूत में से खून निकल पड़ा। पर उसकी नजर मेरे चेहरे पर थी, जहाँ से आंसू बह निकले थे।

“रो क्यों रही है, लगी तो मुझे है, तुम क्यों रो रही हो?”
“मेरी फ़ट गई है, हाय रे !” मैं रो पड़ी। मुझे पता था कि झिल्ली होती है, पर फ़टती कैसे है यह आज पता चला।
“पर मैंने गाण्ड थोड़ी मारी है, जो तुम्हारी फ़ट गई है?” सन्दीप ने हैरानी से कहा।

“अरे चूत की झिल्ली फ़ट गई है, गाण्ड नहीं फ़टी है, बस अब नहीं, उतरो मेरे ऊपर से !” उसे भी लण्ड में दर्द हो रहा था और मुझे भी चूत में दर्द हो रहा था।

उसने लण्ड चूत से बाहर निकाला तो खून भी निकल पड़ा। मैंने झट से पास में पड़ा कपड़ा उठाया और नीचे लगा दिया। खून देख कर सन्दीप घबरा गया। मैंने उसे अपनी जानकारी के अनुसार उसे बताया तो वो शान्त हुआ।

अब हमारे में चुदाई का जोश समाप्त हो गया था। हम दोनों ने बाथ रूम में जा कर सफ़ाई की। उसका लण्ड देखा तो सुपाड़े के रिन्ग से लगी स्किन अलग हो गई थी और थोड़ी सी लालिमा आ गई थी। मैंने भी सेनेटरी नेपकिन लगा लिया था।

“सन्दीप हमें कितना मजा आ रहा था, पर ये अब क्या है… मुझे तो डर लग गया है।”
“लगता है हमें सजा मिली है…” वो जाने के लिये तैयार था।

हम दोनों का कुंवारापन जाता रहा था, अब हम दोनों मर्द और औरत बन चुके थे। जो अब चुदाई के लिये तैयार थे। सन्दीप जा चुका था। मैं बिस्तर पर लेट गई। अपना दर्द किससे कहती। चूत में अब भी टीस उठ रही थी। रात देर तक जागती रही थी, फिर कब आंख लग गई पता ही नहीं चला। दूसरे दिन मेरे चूत का दर्द समाप्त हो चुका था। मुझमें फिर से वासना अंगड़ाईयां लेने लगी थी।

आज सवेरे सन्दीप का कोई फोन नहीं आया। मैंने किया तो फोन ओफ़ था। कॉलेज में भी वो नहीं दिखा। मैं परेशान हो उठी। शाम को माइकल घर आया और मुझे परेशान देख कर पूछा, तो मैंने उसे बताया कि सन्दीप मुझसे बात नहीं कर रहा है। उसने मुझे तसल्ली दी कि शायद वो यहाँ नहीं होगा, आ जायेगा, इन्तज़ार करो।

माइकल अब रोज मेरा दिल बहलाने लगा। मजाक करता, मुझे हंसाता, सेक्सी जोक्स करता। मैं धीरे धीरे माइकल की तरफ़ आकर्षित होने लगी। सन्दीप का ख्याल दिल में आता पर माइकल अपनी जिन्दादिली से उसे भुला देता था।

एक शाम को मैं अपना संयम तोड़ बैठी और माइकल से चुद गई। मैं कॉलेज से आने के बाद बिस्तर पर लेटी माइकल और सन्दीप के बारे में सोच रही थी। अचानक मुझे माइकल सेक्सी लगने लगा। उसके नंगे जिस्म की मैं कल्पना करने लगी। उससे चुदने का अनुभव मह्सूस करने लगी। मुझे माइकल की हर बात अब अच्छी लगने लगी। उसकी हंसी, उसकी बातें, उसका स्टाईल इत्यादि। मेरे मन में वासना करवटे लेने लगी। मुझे लगा कि अब माइकल से ही मैं सन्तुष्ट हो पाऊंगी।

माइकल हमेशा की तरह शाम को आया और एक आइस्क्रीम जो मुझे पसन्द थी, मुझे दी, ये उसका हमेशा का काम था। पर मेरी नजरें बदल चुकी थी। आते ही उसने एक सेक्सी मजाक किया जो मुझे अच्छा लगा। उसकी हर बात में मुझे सेक्स नजर आने लगा। आइस्क्रीम खाते खाते पिघल कर मेरी छाती पर गिर पड़ी।

“हाय माइकल, मेरा कुर्ता गंदा हो गया !” माइकल ने तुरन्त एक कपड़ा गीला किया और मेरी छाती पर लगा कर धीरे से घिस दिया। दाग तो मिट गया पर मेरी चूची जो दब गई थी, उसने मन में आग लगा दी। जोर की गुदगुदी उठी और मेरे मुख से आह निकल पड़ी।

“मजा आया ना?” उसने तुरन्त मजाक किया।
“तुझे तो मारना चाहिये, साला गड़बड़ी करता है।” मैंने यूँ ही नाराजगी जताई।
“देख मारना ही है तो पूरा मारना, पूरा दाग साफ़ कर दूँ क्या ?” उसने फिर से मजाक किया।
“माईकल, एक तो दबा दिया और अब मजाक कर रहा है !”

” ऐ स्वीटी, दबाने दे ना, तेरा क्या जायेगा, बस चमड़ी ही तो दबेगी, मुझे मजा आ जायेगा।”
“अब देख माइकल, पिटेगा तू !”
“अच्छा पिटना ही है तो दबा कर ही पिटूँ !” फिर उसने शरारत कर ही दी।

माइकल ने आगे बढ़ कर मेरे बोबे दबा दिये, मैं वासना की मारी, क्या कहती उसे, मेरी दिली इच्छा भी यही थी। मैंने उसका हाथ दूर करने की असफ़ल चेष्टा की, फिर मन किया कि मजा आ रहा है तो उसे करने दिया।

“छोटे हैं, पर कड़े हैं, स्वीटी हाय रे, देख तेरा कुछ नहीं बिगड़ा ना, मजा आया ना?” मेरी सांसें तेज हो गई।

“हाय, ना कर अब, वर्ना सब गड़बड़ हो जायेगा रे !” मेरी धड़कनें तेज हो गई। माइकल शायद यह जानता था कि वो शुरू कर देगा तो मैं मना नहीं करूंगी।

“फिर भी तेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा, ये तो सिर्फ़ चमड़ी का खेल है, बस हमें रगड़ना ही तो है।”

“माइकल, तू बड़ा खराब है, जिस्म को चमड़ी कह रहा है, ला तेरी नीचे की चमड़ी को मसल दूँ” मैंने उसका वार उसी पर किया। उसका लण्ड जोर मार रहा था। मैंने उसके जवाब का इन्तज़ार नहीं किया और उसका लण्ड पैन्ट के ऊपर से ही भींच लिया। उसके मुँह से आह निकल गई। उसने मुझे लिपटा कर चूमना शुरू कर दिया। उसके हाथ मेरे स्कर्ट के अन्दर घुस गए। मेरा नंगा बदन उसके कब्जे में आ गया, मेरे निपल को हौले से मसलने लगा।

“हाय माइकल बस कर अब, वर्ना सब गड़बड़ हो जायेगा।” मेर जिस्म पिघलने लगा। मन में खुशी की तरन्गें उछाल मारने लगी।
“सच मान यार तेरी चमड़ी को कुछ नहीं होगा, देखना वैसी की वैसी रहेगी।” मुझे वासना के साथ ये हंसी का खेल बहुत भा रहा था।

“माइकल, मत बोल ना, देख चमड़ी को छूने से मस्ती आ रही है।” मुझे हंसी भी आ रही थी और मस्ती का रन्ग भी चढ़ रहा था। लग रहा था कि वो बस मेरे अंग दबाता ही जाये।

“साली, मस्ती बढ़ती जा रही है, चल अपन चमड़ी की रगड़मपट्टी करें।”

“देख मुझे और ना हंसा !” मेरी हंसी रोके नहीं रुक रही थी। उसने मेरा स्कर्ट पूरा उतार दिया, मेरा ऊपर का शरीर नंगा हो गया।
“गोरी चमड़ी, चिकनी चमड़ी, क्या शेप है, यार तुम तो क्या फ़िगर वाली हो?” मैं फिर से हंस पड़ी।
“लगता है तुम चमड़ी का पीछा नहीं छोड़ने वाले, अब अपनी चमड़ी तो दिखाओ, उतारो अपने कपड़े !”

उसको तो जैसे मौका चाहिये था। झट से पूरा नंगा हो गया और पहलवान का पोज बना कर खड़ा हो गया।

“ये देखो मेरी सोलिड बॉडी, हूँ न मच्छर पहलवान?”
“हाय रे, माइकल तुम भी ना !” मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, “अब बस करो मेरा पेट दुखने लगा है।”
“क्यूँ, पसन्द नहीं आई ये बॉडी ?”

“बस ऐसे ही खड़े रहो, तुम्हारा ये सब बहुत सुन्दर है।” उसका खड़ा हुआ तन्नाया लण्ड मुझे सुन्दर लगने लगा था। मैंने आगे बढ़ कर उसका लण्ड थाम लिया।
“नरम चमड़ी का कड़क लन्ड… माइकल देखो ना कितना मस्त है।”

“नरम चमड़ी का कड़क लण्ड… क्या बात है, अब तुम्हारी नरम चमड़ी की प्यारी चूत की बारी है।” माइकल ने मुझे हंसते हंसाते बिस्तर पर लेटा दिया। और उसका लण्ड मेरी चूत पर दब गया। मन किया, साला मुझे चोद दे, लण्ड घुसेड़ दे, क्यूँ देर कर रहा है।

“बोलो स्वीटी, जय हो ऊपर वाले की, बोलो ना !”

“अब बस करो ना, कितना हंसाओगे, अच्छा जय ऊपर वाले की…बस” और उसी समय उसका लण्ड मेरी चूत में उतरता चला गया। मेरी चूत भी ऊपर जोर लगा कर लण्ड को निगलने लगी। तेज मीठी सी मस्ती वाली गुदगुदी उठी।

मुझे हैरानी हुई कि मुझे बिलकुल दर्द नहीं हुआ, बल्कि मजा आया। मेरे दिल में ख्याल आया कि दर्द और मजा तो सब अपने अन्दर ही निहित है। कल दर्द था यहीं पर, आज स्वर्ग सी मिठास है, मुझे सन्दीप या माइकल की क्या जरूरत है, मजा तो अन्दर ही है। बस चुदने के सॉलिड लण्ड चाहिये और एक भरोसे का मर्द। अपनी मस्ती खुद ही लूटो और मन करे उससे चुदाओ, क्यूँ किसी की लौंडी बन कर रहो। उसके धक्के बढ़ते गये, मैं मस्त होने लगी।

“तो फूल तो खिल चुका है, किसी ने चोदा है या खेल खेल में खिल गई?” मैं उसका इशारा समझ रही थी, पर मुझे ये समझ में आ गया था कि मजा तो लण्ड में है माईकल में नहीं।

“मजा तो खिले फूल में है ना, भरपूर मजा मिलेगा ना।” उसका लण्ड चूत में पूरा समेटते हुये बोली।

“मजा आ रहा है ना चमड़ी रगड़ने में, ये सारा खेल ही इसका है डार्लिन्ग” उसने लण्ड पेलते हुए कहा। मेरी चूत पानी पानी हुई जा रही थी। मिठास चरम सीमा पर आ चुकी थी। मेरा बदन अब ऐंठने लगा था। मुझे लगा कि चूत पानी छोड़ने वाली है, चूत लपलपा उठी, सारी नसें खिंचने लगी। मैं होश खोने लगी। और अन्जाने में मेरी चूत कसने लगी और पानी छोड़ दिया।

“आह्ह माईकल, मेरी तो निकल गई, हाय, पानी निकल रहा है।” मेरा शरीर कसने लगा और झड़ने लगा। धीरे धीरे स्वर्ग सा आनन्द लेते हुए मैं झड़ने के सुख का अह्सास अनुभव करने लगी। मेरा पानी निकल रहा था। पर माईकल के धक्के बन्द नहीं हुए। मेरा पूरा पानी निकलते ही उसने मुझे उल्टा लेटा दिया और और मेरे चूतड़ों की गोलाईयाँ हाथ से फ़ैला दी। और उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद से टकरा गया। मुझे गुदगुदी सी लगी। पर अगले ही पल मैं चीख उठी। उसका लण्ड गाण्ड में घुस चुका था।

“माइकल बस, निकाल लो, मर जाऊंगी !”

“यार चमड़ी है, कुछ नहीं होगा, कुछ देर में फ़ैल जायेगी, शान्त रहो।”
उसका दूसरा धक्का मुझे फिर से हिला गया। मेरी गाण्ड में जलन होने लगी। पर वो रुका नहीं। मैंने कस कर अपना मुँह बन्द कर लिया, वो जोर लगा कर गाण्ड चोद रहा था। वैसे तो मेरी गाण्ड का छेद बहुत नरम था पर उसमे कोई लण्ड पहली बार घुसा था।

कुछ देर धक्के मारने के बाद उसके लण्ड ने माल छोड़ दिया और मेरी गाण्ड में ही पूरा वीर्य भर दिया। जलन में वीर्य ने मरहम का काम किया। थोड़ा चिकनापन गाण्ड में लगा। उसका लण्ड बाहर आ गया। वह तुरंत उठा और कराह उठा। उसका लण्ड गाण्ड मारने से जगह जगह से छिल गया था, चमड़ी फ़ट गई थी। मेरी गाण्ड में भी जलन हो रही थी।

हम दोनों ने बाथ रूम में पानी से सब साफ़ कर लिया। मुझे ज्यादा नहीं लगी थी, बस हल्की सी सूजन आ गई थी। माइकल ने मुझसे बोरोप्लस ले कर मेरी गान्ड में लगा दी और अपने लण्ड में लगाने लगा।

“स्वीटी रुकना मैं अभी आया।” मैं बिस्तर पर लेट गई और आज की चुदाई के बारे में सोचने लगी। फिर मुझे हंसी भी आने लगी।

“क्यों हंसी तुम?” माईकल रात का खाना ले आया और मेज़ पर लगाने लगा।

“हंसी क्यों ना आये, यार तुम्हारे इस चमड़ी के खेल में अपनी तो सारी चमड़ी फ़ट गई।” मैं खिलखिला कर हंसी।
“हा यार, मेरे तो लण्ड की माँ चुद गई।” मैंने उसके होंठों पर अंगुली रख दी।

“गाली नहीं, समझे…” हम फिर से हंस पड़े । वो मेरे टोकने से शरमा गया और सॉरी कहा।

“सन्दीप के बारे में मैं कल पता करूंगा।” माईकल ने मुझे दिलासा दिया। पर अब सन्दीप किसे चाहिये था।

“रहने दो ना, अब तो तुम ही मुझे प्यारे लगने लगे हो।”

“नहीं, मुझे पता है, तुम्हें एक लण्ड और चाहिये… और शायद और भी ज्यादा…” माइकल कह कर हंस पड़ा। क्या इसे मेरे मन की बात मालूम हो गई है या ये ऐसे ही कह रहा है।

“अच्छा तुम्हें और चूत नहीं चाहिये क्या ? किसी को पटाऊँ क्या ?”

दोनों ने एक दूसरे को पहले तो गहरी नजरों से देखा, फिर ठहाको से कमरा गून्ज उठा। शायद हम जवानी का तकाजा समझ गये थे। Hindi Sex Stories

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यह घटना ५ साल पहले हुई थी जब Hindi Porn Stories मैं २० साल का था ! उस वक़्त मैं बी.एस.सी. कर रहा था ! मेरा पहला सेक्स अनुभव तो मेरी पड़ोस की लड़की फातिमा के साथ हुआ, जो बहुत ही सेक्सी थी ! जब भी मैं उसे देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था ! मैं उसके बारे में सोच कर न जाने कितनी बार मुट्ठ मार चुका हूँ !! उसका फिगर भी गज़ब का था ! वो १८ साल की होते हुए भी २२ साल की दिखती थी और उसकी हाईट ५.५” थी !

उसने अपनी पढ़ाई के दौरान कंप्यूटर क्लास ज्वाइन किया ! लेकिन उसके घर में कंप्यूटर नहीं था इसलिए वो हर शाम हमारे घर प्रैक्टिस करने के लिए आती थी ! हर बार की तरह वो प्रैक्टिस के लिए घर आई ! वो गुलाबी सलवार पहने हुए बहुत ही सेक्सी लग रही थी ! वो मुझे देख कर मुस्कुराती थी तभी मैं समझ गया कि लड़की हँसी तो फंसी !!!! यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा !

फिर एक दिन मेरे घर के लोग बाहर गए थे, सो मैं घर में अकेला था ! मैंने मन ही मन सोच लिया था कि आज चाहे कुछ भी हो जाये, मैं फातिमा के मम्मों को जरुर दबा दूंगा ! अगर वो इन्कार करेगी तो सॉरी बोल दूंगा, मगर मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया ! जब वो कंप्यूटर पे काम कर रही थी तब मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसकी कॉलेज लाइफ के बारे में पूछने लगा ! अंत में मैंने उससे सेक्स के बारे पूछा तो वो शरमा गई !

मैंने पूछा,”कभी तूने सेक्स मूवी देखी है ?”

उसने कहा,”नहीं !!”

मैंने उसके हाथ से माउस लिया और कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म चला दी ! मूवी में दो लड़कियों की एक लड़के द्वारा चुदाई का दृश्य चल रहा था ! उसने शर्म के मारे अपने चेहरे को हाथ से छुपा लिया ! मैंने उसके हाथ को हटाया और कहा,” देख लो, बाद में फिर मौका नहीं मिलेगा !!”

वो बोली,”तुम यह सब देखते हो क्या ?”

मैंने कहा,”हाँ ! और करना भी चाहता हूँ !!!”

अब वो बिंदास हो कर मूवी देख रही थी ! मैं समझ गया कि यही सही मौका है !! मैंने कुर्ते के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाने शुरू किये !!! पहले तो वो मना करती रही पर बाद में मान गई !! मैंने उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डाल कर उसके मम्मों को दबाना शुरू किया तो वो ऊऊह्ह्ह्हह्ह आआ ह्ह्ह्हह्ह करने लगी !! मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला तो मैं हैरान हो गया क्यूंकि उसकी पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी ! मैं अपनी ऊँगली उसकी चूत के अन्दर डाल कर आगे-पीछे करने लगा ! वो अब नियंत्रण से बाहर हो गई थी !

वो आआह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊओह्ह्ह करते हुए चिल्लाने लगी,”घुसाना है तो अपना लंड घुसा ! इस ऊँगली से किसे सहला रहा है ??”

उसकी बात सुनकर मैं हैरान हो गया ! मैंने तुरंत अपनी पैंट उतार दी और अपना ७.५” इंच का लौड़ा बाहर निकाल लिया ! मेरे लंड को देखते ही वो बोली,” इतना लम्बा और मोटा ??? मुझसे नहीं होगा ……..! “

मैंने अपना लौड़ा उसके मुंह में डाल दिया और वो ५ मिनट तक मेरे लौड़े को चूमती रही ! फिर उसके मुंह से लौड़ा निकाल कर उसकी चूत पर रख कर घुसाना शुरू किया तो वो बोली, ” आआह्ह्ह्ह ! बाहर निकाल दो ! मुझसे और दर्द…………………………. आह्ह्ह ………… .बर्दाश्त नहीं होता ………….!!!!”

अब मैंने अपना लौड़ा पूरी ताकत से उसकी चूत में घुसा दिया और जोर-जोर के झटके लगाने शुरू कर दिए ! थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई और मेरे लंड का पूरा मज़ा लेना शुरू कर दिया !! मैंने जम कर आधे घंटे तक उसकी चूत की धुलाई की ! इसी बीच वो २ बार झड़ चुकी थी ! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाल कर उसके मुंह में घुसा दिया और उसका सिर पकड़ के जोर-जोर से हिलाया ! तभी मैंने देखा की उसकी चूत के खून से मेरा लंड लाल हो गया था ! मैं एकदम से डर गया तो वो बोली,” डरो मत ! मैं ठीक हूँ !” तब जाकर कहीं मेरी जान में जान आई !!

मैंने अपना पूरा वीर्य उसके मुंह में ही झाड़ दिया ! वो जल्दी से बाथरूम में अपना मुंह धोकर आई और मुझसे पूछने लगी,” अगर झड़ना ही था तो मेरी कमर पर या मेरे मम्मों पर करते!! मुंह में क्यूँ किया ??”

मुझे उसके भोलेपन पर हंसी आने लगी ! मुझे बाद में पता चला कि मैं उसे जितनी भोली समझता था, वो उतनी भोली थी नहीं !!! मुझसे पहले वो अपने किसी आशिक से पूरे एक साल तक चुदवा चुकी थी !!

उसके बाद मैं फातिमा को कई बार चोद चुका हूँ किन्तु अब वो अपने पति के साथ न जाने कहाँ चली गई, मुझे पता नहीं !

अन्तर्वासना के सम्मानित पाठको, आपको यह कहानी कैसी लगी, अवश्य बताना !! Hindi Porn Stories

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मैं एक अच्छे खाते पीते परिवार की Hindi Sex Stories बहू हूँ, मेरा नाम कोमल है. मैं एक बाईस वर्षीय युवती हूँ, मेरी शादी को मात्र दो वर्ष बीते हैं।

अपने घर में मैं एकमात्र लड़की थी, मेरे दो बडे भाई थे, दोनों विदेश में रहते थे। मेरे पिता सरकारी अफसर थे, इतने बडे अफसर थे कि उन्हें बंगला मिला हुआ था।
मेरी मां एक पढ़ी-लिखी स्त्री थी जो अपना अधिकतर समय तरह तरह के सामाजिक कार्यों या क्लबों में बिताती थी।
मेरे बड़े भाइयों ने शादी भी विदेशी लड़कियों से की थी।

मैं स्कूल से ही आवारा हो गई थी, मैं कान्वेंट स्कूल में पढ़ती थी.
जब मैं अठारहवें वर्ष मैं पहुंची, उस समय मैं ग्यारहवीं कक्षा में थी, तब से मेरी बर्बादी की कहानी आरम्भ हुई, जो इस प्रकार है :

मैं विज्ञान के विषय में जरा कमजोर थी, विज्ञान के टीचर मिस्टर डबराल मुझे तथा एक अन्य लड़की श्वेता को हमेशा डांटा करते थे। श्वेता तो मुझसे भी ज्यादा कमज़ोर थी, वह भी एक सन्पन्न परिवार से थी, अच्छी खासी सुंदर थी।

परिक्षाएँ निकट आ रही थी, मुझे डबराल सर की वार्निंग रह रह कर सता रही थी।

उन्होंने कहा था- कोमल और श्वेता तुम दोनों ने अगर विज्ञान में ध्यान नहीं दिया तो तुम दोनों का रिजल्ट बहुत खराब आएगा!
मैं चिंताग्रस्त हो उठी थी।

लेकिन एक दिन जब मैं स्कूल पहुंची, तो मैंने श्वेता को बहुत ही प्रसन्न अवस्था में पाया।

मैंने श्वेता से पूछा,” क्या बात है श्वेता, तुम कैसे इतनी प्रसन्न हो, क्या तुम्हे डबराल सर की बात याद नहीं है?”

“अरे छोड़ो डबराल सर का खौफ और भूल जाओ विज्ञान में फेल होने का भय … !” श्वेता ने लापरवाही से कहा।

मुझे सख्त हैरानी हुई। मैंने गौर से उसके चेहरे को देखा, उसकी बड़ी-बड़ी कजरारी आँखों में चंचलता विराजमान थी और गुलाबी अधरों पर मुस्कराहट!

उसके ऐसे तेवर देख कर मैंने पूछा- क्या बात है, ऐसी बातें कैसे कर रही है तू … क्या अपने विज्ञान को सुधार लिया है या फिर विज्ञान में पास होने जाने की गारण्टी मिल गई है?

ऐसा ही समझ कोमल डार्लिंग! श्वेता ने मेरी कमर में चिकोटी काटी।
मैं तो हतप्रभ रह गई,
क्या मतलब … ? ..मैंने स्वाभाविक ढंग से पूछा।

मतलब जानना चाहती है तो एक वादा कर कि तू किसी को यह बात बताएगी नहीं! जो मैं तुझे बताने जा रही हूँ! श्वेता धीमे स्वर में बोली।
ठीक है नहीं बताउंगी! मैं बोली।

और हाँ … अगर तुझे भी विज्ञान में अच्छे नंबर लेने है तो तू भी वो तरकीब अपना सकती है जो मैंने आजमाई है! श्वेता बोली।
अच्छा … ऐसी क्या तरकीब है? मैंने पूछा।

सुन … ! डबराल सर ने ही मुझे बताया था और मैंने उन्होंने जैसा कहा था वैसा ही किया … बस मेरे विज्ञान में पास होने की गारण्टी हो गई … श्वेता बोली।

अच्छा … अगर तूने वह तरकीब आसानी से अपना ली है तो फिर मैं भी आजमा सकती हूँ, ज्यादा कठिन थोड़े ही होगी … ! मैं बोली।

कठिन … ? अरे कठिन तो बिलकुल भी नहीं है … बल्कि इतनी आसान है कि पूछ मत … लेकिन थोड़ी अजीब जरूर है … ! श्वेता बोली।
अच्छा … फिर बता … मेरी जिज्ञासा बढ़ गई थी।

अपने डबराल सर हैं न … उन्हें डांस देखने का बहुत शौक है … अकेले रहते हैं न अपने फ्लेट में … बस उनके सामने डांस करना होता है … श्वेता बोली।

क्या … डांस … कैसा डांस … ? और फिर डांस से विज्ञान में पास होने का क्या सम्बंध ? मैंने उलझते हुए कहा।

अरे … डांस तो डांस होता है … बस ये है कि थोड़ा थोड़ा कैबरे करना होता है … वो तो मैं तुझे करवा दूंगी, और इसका पास फेल से सीधा संम्बंध है, क्योंकि डबराल सर ने ही पिछले साल छः स्टूडेंट्स को उनके डांस से खुश होकर ही पास करवा दिया था, अब मैं भी पास हो जाउंगी क्योंकि वे मेरे डांस से भी खुश हो गए हैं … श्वेता बोली।

डांस कैसे करना होता है? मेरा मतलब है कि कपड़े पहन कर करना होता है या बिन कपड़ों के … ? मैंने सशंकित स्वर मैं पूछा, क्योंकि कैबरे तो लगभग नंगा ही होता है।

अरे पागल … कपड़े पहन कर … ये अपनी शर्ट और स्कर्ट की ड्रेस पहने हुए ही … बस कुछ इस तरह के स्टेप्स लेने पड़ते है कि स्कर्ट के ऊपर उठने से जांघों की झलक दिखाई दे और शर्ट के अन्दर स्तन हिलें … श्वेता ने कहा।

क्या … ? मैं चौंकी और फिर बोली … ऐसा क्यों … ?

तू तो बिलकुल अनाड़ी है … अरे डबराल सर को ऐसा अच्छा लगता है बस, इसलिए! अब ज्यादा ना सोच!अगर तुझे विज्ञान में पास होना हो तो मुझे कल बता देना … ! इतना कह कर श्वेता मेरे निकट से उठ गई।

मैं उसके बाद सारा दिन और रात को सोते समय तक सोचती रही। अगले दिन मैंने श्वेता से कह दिया कि मुझे मंजूर है, पर मेरे साथ तू भी डांस के लिए चलेगी डबराल सर के घर पर!वह तैयार हो गई।

बस फिर क्या था, हम दोनों उसी शाम डबराल सर के फ्लैट पर पहुँच गये। डबराल सर ने दरवाजा खोला, सामने हम दोनों लड़कियों को पाकर उनकी छोटी–छोटी आँखें चमक उठीं, मेरे मन में ख्याल आया कि मैं कहीं कुछ गलत तो नहीं करने जा रही ? लेकिन श्वेता के चेहरे पर छाये आत्मविश्वास ने मुझे भय मुक्त कर दिया। हम दोनों को अन्दर करके डबराल सर ने द्वार बन्द कर दिया।

डबराल सर ने कुर्ते के नीचे लुंगी बाँध रखी थी, आओ श्वेता … अन्दर चलो … वहाँ कालीन बिछा है, वहीं बठेंगे! डबराल सर ने कहा।

श्वेता मेरे हाथ को थामे एक दूसरे कमरे में घुस गई, मैंने उस कमरे का वातावरण देखा तो चिहुंक उठी, कमरे में ट्यूब लाइट की रौशनी बिखरी हुई थी, दीवारों पर हालीवुड की सेक्सी हिरोइनों के अत्ति उत्तेजक पोस्टर चिपके हुए थे। तीन पोस्टरों में से एक पर एक बहुत ही सेक्सी शरीर वाली हीरोईन ने मात्र निक्कर और छोटा सा टॉप पहना हुआ था, जिसके दोनों पल्ले उसने अपने हाथों से खोल कर पकड़े हुए थे, उसके बिलकुल गोलाई में तने स्तन अनावृत थे, दूसरे पोस्टर की हीरोईन ने अपने नितंब ताने हुए थे, वह आगे को झुकी हुई थी, उसके चिकने नितंबों के मध्य बिकनी की बारीक सी पट्टी जाकर खो गई थी, तीसरे पोस्टर में हीरोईन ने अपने कमनीय शरीर पर मात्र एक पारदर्शी गाउन पहना हुआ था, उसका शरीर उसमें से पूरी तरह झलक रहा था, उसने अजीब से ढंग से आँखें बंद करके एक खंबे को पकड़े हुआ था, फर्श पर दीवा एसे दीवार तक कालीन बिछा हुआ था, एक कोने में एक म्यूजिक सिस्टम रखा था।

इससे पहले कि मैं कमरे की डेकोरेशन पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करती, श्वेता ने मेरा हाथ छोड़ कर म्यूजिक सिस्टम पर एक तेज रफ़्तार के संगीत का अंग्रेजी गानों का कैसेट चढ़ा दिया, कमरे में स्वर लहरियां गूंजने लगी और श्वेता बिना किसी पूर्व सूचना के थिरकने लगी। मैंने गौर किया कि वह अश्लील ढंग से मटक रही थी और भांति-भांति का चेहरा बना रही थी।

अरे … तू खड़ी क्यूँ है ? … शुरू हो जा … ! श्वेता ने मटकते हुए कहा।

मैं चुप रही और उसके अंदाज देखने लगी। उसकी घुटनों से ऊँची स्कर्ट बार-बार ऊपर उड़ती थी और उसकी केले के तने जैसी चिकनी और गोरी जांघें बार-बार चमक रही थी, उसके चौड़े कूल्हे भी उत्तेजक ढंग से संचालित हो रहे थे, शर्ट में कैद अर्ध-विकसित स्तन जो कि अमरुद के आकार के थे, बार-बार हिल रहे थे। उसने शर्ट के तीन बटन भी खोल रखे थे, जहां से गोरे चिट्टे सीने का गुलाबी रंग स्पष्ट नजर आ रहा था।

उसी समय डबराल सर कमरे में आये, उनके हाथों में दो बीयर थी और तीन ग्लास थे।

वे श्वेता से बोले- श्वेता … ! पहले कुछ पी लो! फिर नाचना, कम..आन … बैठो कोमल तुम भी बैठो! डबराल सर ने कहा।

श्वेता ने नाचना बंद कर दिया और मेरा हाथ पकड़ कर बैठती हुई बोली- बैठ ना यार! कैसे अजनबी की तरह खड़ी है … भूल जा सब कुछ … इस समय डबराल सर हमारे टीचर नहीं बल्कि हमारे फ्रेन्ड हैं … कम … आन …

मैं उसके साथ बैठ गई।

श्वेता ने एक टांग पूरी फैला ली थी, दूसरी का घुटना ऊपर को मोड़ लिया था और एक हाथ को कालीन पर टिका दिया था, टांगों की विपरीत मुद्रा के कारण उसकी स्कर्ट उसकी चिकनी जाँघों से काफी ऊपर तक हट गई थी यहाँ तक कि उसकी आसमानी रंग की पेंटी की किनारी भी दिख रही थी, मगर उसे इस बात की खबर ही नहीं थी।

डबराल सर ने तीनों ग्लासों में बीयर डाली और हम दोनों से कहा- उठाओ भई अपने ग्लास!

उन्होंने खुद भी एक ग्लास उठा लिया था, श्वेता ने भी एक ग्लास उठाया तो मैंने भी ग्लास उठा लिया।

मैं पालथी मारकर बैठी थी इसलिए मेरी स्कर्ट में मेरी टाँगे छुपी हुई थी, मेरी शर्ट के भी सभी बटन लगे हुए थे, बीयर मेरे लिए नई चीज नहीं थी, मैं पहले कह चुकी हूँ कि मैं एक धनी परिवार से हूँ, इसलिए कई बार कई पार्टियों में मैं बीयर चख चुकी हूँ।

डबराल सर ने हमारे ग्लासों से अपना ग्लास टकराकर कहा- चियर्स … ! तुम दोनों के विज्ञान में पास हो जाने की गारंटी की ख़ुशी में … यह कह कर उन्होंने अपना ग्लास अपने मुख से ना लगाकर श्वेता के मुख से लगा दिया तो श्वेता ने उसमें से एक घूंट भर लिया। श्वेता ने अपना ग्लास मेरे होठों से लगा दिया, मैंने असमंजस की स्थिति में उसमे से एक घूंट भर लिया और यंत्रवत अपने ग्लास को डबराल सर के होंठों से लगा दिया, डबराल सर ने एक घूंट भर लिया और फिर हम अपने-अपने ग्लासों से बीयर पीने लगे।

डबराल सर पैंतीस छत्तीस साल के आकर्षक व्यक्ति थे। उनका कद साढ़े पांच फुट या उससे दो एक इंच ज्यादा था, शरीर गठीला था इसलिए हरेक ड्रेस में जंचते थे। इस समय उन्होंने कुर्ते के नीचे लुंगी पहनी हुई थी, कुर्ते के चांदी के बटन खुले हुए थे, जहां से उनके चौड़े सीने के काले-काले घुंघराले बाल दिख रहे थे। यूँ तो मैंने इससे पहले अपने पिता के सीने के बाल देखे थे पर जैसी फिलिंग मुझे इस समय हुई वैसी फिलिंग पहले कभी नहीं हुई थी। उन्होंने भी एक घुटने की पालथी मारी हुई थी और दूसरे को ऊपर उठाया हुआ था। ऊपर उठे घुटने से लुंगी नीचे ढलक गई थी, इस कारण उनकी जांघ भी अंतिम छोर तक दिख रही थी। यूँ तो पूरी टांग पर ही घुंघराले बाल थे पर जांघ पर कुछ ज्यादा ही थे। वयस्क पुरुष की जांघ इस हद तक नंगी मैं पहली बार देख रही थी।

कैसे चुप हो कोमल … क्या कुछ सोच रही हो? डबराल सर ने कहा।

जी … जी … नहीं तो … ! मैंने अपनी नजर उनकी जांघ से हटा कर कहा और ग्लास में से अंतिम घूंट भर कर ग्लास खाली किया।

हालांकि सीलिंग फेन चल रहा था फिर भी मुझे कुछ गर्मी महसूस हुई, बगलों में पसीना भी महसूस हो रहा था, ऐसी ही स्थिति शायद श्वेता ने भी महसूस की, तभी तो उसने अपनी शर्ट का एक बटन और खोल कर कहा- उफ! ज़रा से स्टेप्स में ही कितनी गर्मी लग रही है! एक और बटन के खुल जाने से उसकी शमीज का जरा सा हिस्सा प्रकट हो गया और स्तनों का ऊपरी भाग जहां शमीज नहीं थी उजागर हो गया।

अब नाचो भई! जब थोड़ा थक जाओ तो फिर बीयर का दौर चल जाएगा! … सर ने कहा।

श्वेता तुरंत खड़ी हो गई और उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे भी उठा लिया, मैं यंत्रवत सी उठ गई।

श्वेता ने म्यूजिक सिस्टम की आवाज जरा बढ़ा दी और फिर थिरकने लगी, वह मुझे भी अपने साथ नचाने लगी, मेरे भी पांव उठ गए, कमरे में गूंजती अंग्रेजी संगीत की स्वर लहरियां कामुकता के स्वर में डूबती जा रही थी और मेरे साथ थिरकती श्वेता की हरकतें शरारतों का रूप लेती जा रही थी। वह जब-तब मेरी कमर में हाथ डाल कर उसे मेरे सुडौल नितंबों तक ले जाती, वहाँ से स्कर्ट को उपर सरका कर अपने हाथ उपर ले आती, कभी स्कर्ट को कमर तक घसीट लाती और मेरी जांघें पूरी की पूरी नग्न हो जाती या फिर मेरे गालों पर चुम्बन ही जड़ देती या मेरी बगल में हाथ डाल कर मेरे उन्नत व कठोर स्तनों को ही दबा जाती।

मेरे युवा शरीर में उसकी इन छेड़खानियों से एक रस सा घुलता जा रहा था, उसी रस के नशे में डूब कर मैं उसकी किसी भी हरकत का विरोध नहीं कर रही थी बल्कि स्वयं भी कई बार उसकी हरकतों का अनुसरण करते हुए उसके घुटनों पर हाथ ले जाकर हाथ को उसकी स्कर्ट में डाल देती या फिर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके हिलते स्तनों को पुश कर देती, हम दोनों के इस डांस का डबराल सर आँख फाड़-फाड़ आनंद ले रहे थे।

पन्द्रह मिनट तक लगातार नाच कर श्वेता ने मेरा साथ छोड़ दिया और डबराल सर के पास जाकर बैठ गई, मैं भी रुक गई और उसके पास जाकर बैठ गई।

उफ … यार डबराल! … गर्मी बहुत है! … शर्ट उतारनी पड़ेगी! … तुम बीयर डालो … ! श्वेता ने लापरवाही से यह कहते हुए शर्ट के सारे बटन खोल कर उतार दिया और एक कोने में डाल दिया।

उसके तने हुए स्तनों पर एक मात्र पारदर्शी शमीज रह गई, शमीज में से स्तनों के गुलाबीपन का पूरा नजारा हो रहा था, स्तनों की कठोर घुन्डियाँ शमीज में उभरी हुई थी।

डबराल सर तीनों ग्लासों में बीयर डाल रहे थे, पसीना मुझे भी आ रहा था, मेरी कनपटियाँ बगलें और सीना पसीने से भीग रहे थे।

श्वेता ने अचानक ही मुझसे कहा- अरे पसीने में तो तू भी नहा रही है, उतार दे ये शर्ट! … थोड़ी हवा लगने दे बदन को! … यह कहते हुए उसने अपने हाथ बढ़ाये और फुर्ती से मेरी शर्ट के बटन खोलती चली गई।

मैं गुमसुन की स्थिति में उसे रोक न पाई और देखते ही देखते उसने मेरी शर्ट मेरे बाजुओं से निकाल कर अपनी शर्ट के पास फेंक दी, मेरे स्तन श्वेता से जरा भारी थे, उनका रंग भी शमीज से बाहर झाँक रहा था, दोनों स्तनों के अनछुए मगर कठोर निप्पल शमीज में अलग से ही उभर रहे थे, मुझे यह इतना बुरा नहीं लग रहा था कि मैं श्वेता और डबराल सर से विदा ले लेती, अब सवाल विज्ञान में पास या फेल होने का नहीं रह गया था बल्कि अब तो मेरा युवा शरीर अपनी सामयिक आवश्यकता के हाथों मुझे विवश कर चुका था और मैं श्वेता और डबराल सर का साथ ना चाह कर भी दे रही थी।

डबराल सर ने भी अपना कुर्ता उतार दिया, उनका चौड़ा सीना अनावृत हो गया, उनके सीने के दोनों छोटे-छोटे निप्पल अनायास ही मुझे आकर्षित कर गये थे, सीने से मेरी नजर फिसली तो फिसलती चली गई, उनके सपाट पेट के नीचे गहरी नाभि और फिर नाभि से काले-काले बालों का क्षेत्र आरंभ हुआ तो लुंगी के ढीले बंधन के नीचे जाकर ही लुप्त हो रहा था। मेरे मन में तीव्र उत्कंठा उत्पन्न हुई यह जानने की कि लुंगी के नीचे ये बालों का क्षेत्र कहाँ तक गया है! उन्होने लुंगी के नीचे कुछ पहना भी नहीं था अगर अंडर वीयर पहना होता तो उसका नेफा तो दिखाई देता ही!

हम तीनों ने बीयर का एक-एक ग्लास और पिया, ठंडी बीयर मेरे सीने में ठंडक बिछाती चली गई।

तूने देखा कोमल … अपने डबराल सर का सीना कैसा फौलादी है और बाल कैसे घुंघराले हैं! किसी भी लड़की का ईमान डिगा देने वाली कठोर छातियाँ हैं इनकी! श्वेता ने उन्मुक्त शब्दों का प्रयोग किया।

मुझे तनिक अचरज हुआ, मैंने चौंकती नजर से डबराल सर के चेहरे को देखा कि शायद श्वेता के उन्मुक्त शब्दों पर कुछ कठोर प्रतिक्रया करें पर वहाँ तो प्रसन्नता के भाव थे, उल्टे डबराल सर ने श्वेता की नंगी जांघ पर हाथ की थपकी देकर रंगीन से स्वर में कहा- इन मरमरी जाँघों से तो हार्ड नहीं है मेरा सीना! उनके स्वर में मजाक का पुट था, श्वेता तुंरत उठ खड़ी हुई और संगीत की स्वर लहरियों पर थिरकने लगी।

अचानक उसने उस कैसेट को निकाल कर एक अन्य कैसेट लगा कर स्विच ऑन कर दिया, इस कैसेट मैं फिमेल सिंगरों की कामुक आवाजों में उत्तेजक गाने थे। मेरी अंग्रेजी अच्छी थी, गानों के बोल मेरी समझ में आ रहे थे, कुछ लड़कियां लड़कों के शारीरिक सौन्दर्य के बारे में अपनी बे-बाक राय को गीत की शक्ल में गा रही थी, मैं भी उस माहौल की गिरफ्त में आती जा रही थी।

श्वेता ने देखा कि मैंने अपना ग्लास खाली कर दिया है तो उसने मेरी और हाथ बढ़ाया, मैंने उसके हाथ को थाम लिया और उठ खड़ी हुई, हल्का-हल्का सुरूर मेरी नसों में घुलने लगा था, श्वेता की भांति मेरी आँखों में भी सुर्ख डोरे उभरने लगे थे, मैं भी नाचने में उसका सहयोग करने लगी थी, संगीत की स्वर लहरियां यौनोत्तेजना को बढ़ाती जा रही थी।

अचानक श्वेता ने अपनी स्कर्ट का हुक ओर जिप खोल कर उसे टांगों से निकाल दिया, उसकी चिकनी ओर गोरी जांघें ट्यूब लाइट के दूधिया प्रकाश में रौशन हो उठी, वह बड़े ही उत्तेजक ढंग से अंग संचालन हर रही थी, आसमानी रंग की पेंटी उसके नितंबों पर मढ़ी हुई सी प्रतीत हो रही थी, उसने मेरी बगल में हाथ डाल कर मेरी शमीज को जरा उपर सरका कर मेरा सपाट पेट अनावृत करके उसे आहिस्ता-आहिस्ता सहलाना शुरु कर दिया था। उसके स्पर्श ने मेरे शरीर में एक विशेष प्रकार की अग्नि भड़का डाली थी, जिसे मैंने पहली ही दफा महसूस किया था और मेरी दीवानगी यह थी कि मैं खुद उस अग्नि में जल जाने को बेताब हुई जा रही थी, मेरा हाथ स्वतः ही उसके चिकने नितंबों पर फिसल रहा था, मेरा हलक सूखने लगा था और बजाय रुकने के मेरे पांवों में और तेजी आती जा रही थी।

अचानक श्वेता मेरे साथ नाचना छोड़ कर डबराल सर के पास जाकर लहराई और डबराल सर को हाथों से पकड़ कर अपने साथ नाचने के लिए उठा लिया, डबराल सर जैसे ही खड़े हुए उनकी लुंगी नीचे गिर गई, वह बंधी हुई नहीं थी बस ऐसे ही उनकी जाँघों के जोड़ पर लिपटी हुई थी शायद और उनकी जाँघों के मध्य लटकते उनके काले रंग के काफी लंबे अंग को देख कर मैं ठिठक सी गई। मैं जानती थी कि यह उनका लिंग है मगर किसी पुरुष का लिंग इतना बड़ा हो सकता है, यह मेरे लिए आश्चर्य का विषय था।

श्वेता और डबराल सर एक दूसरे के शरीर पर हाथों से संवेदनशील स्पर्श देते हुए नाचने लगे, उनका नृत्य धीमा था लेकिन था अति-कामुक!

उनके स्टेप्स देख कर मेरे शरीर में चींटियाँ सी दौड़ने लगी, मैं नाचना भूल गई थी और चुपचाप आश्चर्य और अजीब से आकर्षण में बंधी उन दोनों के क्रियाकलाप देखने लगी।

डबराल सर ने देखते ही देखते श्वेता की शमीज की जिप खींच कर उसे उसके गोरे शरीर से अलग कर दिया, श्वेता के स्तन किसी फ़ूल की भाँति खिल उठे। डबराल सर ने उन्हें अपने हाथों में संभाल लिया, वे उन्हें बड़े प्रेम से सहलाने लगे, श्वेता उनके पुष्ट नितंबों पर हथेलियाँ टिका कर आँखें बंद किये धीरे-धीरे नाच रही थी, डबराल सर भी हल्के-हल्के थिरकते हुए उसके स्तनों को तो कभी गहरे गुलाबी रंग के निप्पलों को चुटकियों से मसल रहे थे, श्वेता के होंठ बार-बार खुल रहे थे और उसके कंठ से मादक सिसकारियां उभर रही थी।

अचानक ही डबराल सर ने अपना सर झुका कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके अधरों का रस पान करने लगे। श्वेता का शरीर हल्के-हल्के कंपन से भरने लगा था, उसका हाथ अभी भी डबराल सर के नितंबों पर गर्दिश कर रहे थे। सर का लगभग बारह इंच का लिंग अपने पूरे आकार में तन गया था, वह बार – बार झटके लेकर श्वेता की पेंटी के उस स्थान से टकरा रहा था जिसके नीचे उसकी योनि छिपी थी।

मैं भी उत्तेजना के भंवर में फंसती जा रही थी, मेरे हाथ अपनी शमीज में घुस गए थे और अपने कठोर स्तनों को मैं स्वयं ही मसलने लगी थी, इस क्रिया ने मेरे मस्तिस्क को झंकृत कर दिया था, मैं उन्मादित हुई जा रही थी, जाने कब मेरे हाथों ने मेरी शमीज को शरीर से निकाल दिया था, मैं अपने स्तनों को मसलते हुए बार-बार आनंद की हिलोरों में अपनी आँखें बंद कर लेती थी, मेरा हलक प्यास के कांटों से भर गया था, मैं कामोत्तेजना की तरंग के घूंट से पी रही थी, मेरी आँखें खुली तो देखा की अब डबराल सर ने अपने होंठ श्वेता के स्तनों पर लगा दिए थे, वे बारी-बारी से दोनों काम पुष्पों का मानो रस पी रहे थे, श्वेता उनके सर को सहला रही थी और मादक सिसकारियों से उसका कंठ भर गया था, अब उसके हाथों में सर का काफी लंबा और काफी मोटा लिंग मानो एक नई शक्ल पाने जा रहा था।

मैं अपने आप को रोक ना सकी और आगे बढ़ कर श्वेता से लिपट सी गई, मैंने भी उसके एक स्तन को थाम लिया और निप्पल को चूसने लगी, अब डबराल सर ने मेरे भारी स्तन थाम लिए और उन्हे मसलते हुए मेरे अधरों को चूसने लगे। श्वेता का एक हाथ मेरी स्कर्ट को नीचे खिसकाने की असफल कोशिश करने लगा तो मैंने स्वयं ही अपनी स्कर्ट उतार दी। अब वह मेरी गुलाबी रंग की पेंटी को नीचे खिसकाते हुए मेरे नितंबों में आग जैसी भरने लगी।

डबराल सर ने मुझे नीचे झुकाया तो झुकाते चले गए, मैं पेट के बल झुक गई, श्वेता मेरे बीच पीठ के बल लेट गई, मेरे हाथ कालीन पर टिक गए, मैंने अपने नितंब नीचे करने चाहे तो डबराल सर ने उन्हें उपर ही रोक दिया, मेरे घुटने कालीन में जम गए तो डबराल सर मेरे नितंबों को सहलाने लगे, उन्होंने पेंटी पहले ही नीचे कर दी थी जिसे मैंने टांगों से निकाल दिया, डबराल सर अपनी जीभ से मेरी योनि चाटने लगे थे, मेरे शरीर में बिजलियाँ दौड़ने लगी थी, श्वेता मेरे नीचे लेटी मेरे स्तनों को मसले जा रही थी, मैं कामुक सीत्कार कर रही थी।

मेरी योनि में मौजूद भंगाकुर को मानो चूस-चूस समाप्त कर देने की कसम ही खा ली थी डबराल सर ने! उनकी इस क्रिया ने मेरी नस-नस सुलगा दी थी।

अचानक उन्होंने मेरी योनि में ढेर सारा थूक लगाया और अपने चिकने लिंग मुंड को योनि द्वार पर टिका कर धक्का मारा, मुझे भारी दर्द महसूस हुआ, लेकिन लिंग-मुंड के फिसल जाने के कारण ज्यादा पीड़ा नहीं हुई।

डबराल सर ने अपने हांथों से मेरी जाँघों को चौड़ा किया और अपनी दो उंगुलियों से योनि को चौड़ा कर लिंग-मुंड को फिर से फंसा कर धक्का मारा तो मैं धम्म से श्वेता पर गिर पड़ी, श्वेता भी चीख पड़ी, लिंग मुंड फिर भी नहीं घुस पाया।

ओफ्फो … तुम जरा अपना वजन अपने हाथों पर नहीं रोक सकती ? … श्वेता इसकी हेल्प करो जरा! … डबराल सर ने मेरे नितंबों को पकड़ कर फिर से उठाते हुए कहा।

मैं भी परेशान सी हो गई थी, शरीर में आग लगी थी और अभी तक लिंग भी प्रवेश नहीं हुआ था।

जरा आराम से करो! … श्वेता मेरे कन्धों को थाम कर बोली।

डबराल सर ने इस बार फिर योनि के द्वार को चौड़ा कर लिंग मुंड फंसाया और मेरी पतली कमर पकड़ कर हल्का सा धक्का दिया, लिंग मुंड योनि को लगभग फाड़ते हुए उसमें उतर गया।

दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई … आ ई ई ई ऊई मां मर गई मैं तो! … लिंग है या जलता हुआ लोहा! … प्लीज … निकालो इसे! … मैं टूटे शब्दों में इतना ही कह पाई थी कि डबराल सर ने मेरी पतली कमर पकड़ कर थोड़ा पीछे हट कर एक धक्का और मारा, मैं बुरी तरह चीखी- उफ … आई … मां प्लीज … सर प्लीज ओह …

और दर्द के मारे मैं आगे कुछ नहीं कह पाई, और अपने सर को कालीन से सटा लिया, मेरी आँखों के आगे तारे से नाच गए थे।

श्वेता मेरे नीचे से निकल गई थी उसने मेरी पीठ को सहलाते हुए कहा- बस … यार … ! हो गया काम! … तू तो बड़ी हिम्मत वाली है! पूरा का पूरा अन्दर ले गई! इतनी हिम्मत तो मुझमें भी नहीं थी।

पूरा चला गया? मैं कराहती सी बोली।

हाँ बस एक दो इंच बचा है … ! श्वेता मेरे नितंबों को चूमते हुए बोली।

ओह्ह … उफ … अब इतना दर्द नहीं है … सर … एक दो इंच ही रह गया है तो … उसे भी अन्दर कर दीजिये … मैं झेल लूंगी … मैंने कहा।

अब मुझे क्या पता था कि श्वेता झूठ बोल रही है, लिंग अभी आधा बाहर ही है, मैंने इसलिए पूरे के लिए कह दिया था कि उसके द्बारा मिला दर्द अब अनोखी सी ठण्डक में बदल गया था।

गुड … तुम तो बहुत ताकतवर हो कोमल … आई लव यू … इतना कह कर डबराल सर ने मेरे नितंब थपथपाये और लिंग को दो तीन इंच पीछे खीच कर एक जोर का धक्का मारा.

मेरा चेहरा कालीन पर घिसटता हुआ सा आगे सरक गया, मुझे लगा लिंग मुंड मेरी पसलियों से टकरा गया है, मेरे हलक से मर्माहत चीख निकली, मेरा हाथ मेरे पेडू पर पहुँच गया, सपाट पेट में एक राड सी चीज का सहज ही आभास हो रहा था, पसलियों से चार छः अंगुल ही दूर रह गया था शायद वह जलता हुआ मांस-दंड!

उफ … ओह्ह … सर मैं मर जाउंगी! … आपने झूठ कहा था … कि … उफ … ज़रा सा रह गया है … यह तो पूरा फुटा है … उफ … मेरी योनि में इतनी जगह कहाँ है! … उफ … निकालिए इसे … मैं रोती हुई कह रही थी.

मेरा हाथ मेरी दर्द से बिलबिलाती योनि पर चला गया, हाथ चिपचिपे से द्रव्य से सन गया।

मैंने हाथ को आँखों के सामने ला कर देखा तो और डर गई अंगुलियाँ रक्त से लाल थी, उफ … मेरी योनि तो जख्मी हो गई … अब क्या होगा … उफ!

अचानक डबराल सर के हाथ मेरे पेट पर होकर उरोज पर आये और उन्होंने मुझे उठा लिया, अब मैं उनकी गोद में बैठी थी।

उनका मीठा स्वर मेरे कानों में पड़ा- अब तो वाकई पूरा अन्दर चला गया है … ये तो थोड़ी सी ब्लीडिंग कुमारी छिद्र फटने से होती है … अब तुम्हें आनंद ही आनंद आएगा!

उनके हाथ मेरे पेट और उरोज को सहला रहे थे, उनकी बात सच ही थी- अब मेरा दर्द आनंद में बदलने लगा था।

मैंने अपने हाथ उनकी जाँघों पर टिका कर ऊपर नीचे उठना बैठना शुरू किया तो इसी क्रिया में इतना आनंद आया कि मेरे कंठ से ही नहीं बल्कि डबराल सर के होंठों से भी कामुक ध्वनियाँ फ़ूट रही थी, मैंने अपनी टांगों को पूरी तरह फैला लिया था।

श्वेता भी लगी पड़ी थी, वह पूरी तन्मयता से मेरे स्तनों को चूस रही थी, मैं तो हांफने लगी थी, डबराल सर भी हांफ रहे थे, बस श्वेता कुछ संयत थी।

कुछ देर बाद डबराल सर ने मुझे अपने आगे चित्त लिटा दिया और मेरी एक जांघ पर अपना घुटना रख कर दूसरी जांघ अपने कंधे पर रख ली और संगीतमय अंदाज में अपने लंबे लिंग को अन्दर-बाहर करने लगे।

मैं बुरी तरह कांपने लगी थी, मेरे मुख से कामुक आवजें फ़ूट रही थी, श्वेता ने मुद्रा बदल ली थी, उसने मेरे मुख के आगे अपनी योनि कर ली थी और मेरी योनि पर अपना मुख लगा लिया था, वह लंबे से लिंग को झेलती मेरी योनि को चूमने लगी थी, मैं भी पीछे नहीं रही मैंने उसकी जाँघों को कस कर पकड़ लिया और उसकी योनि को चूसने लगी।

श्वेता मचल उठी उसने एक टांग मेरी कनपटी पर रख ली, मैं उसके नितंबों की गहराई में छुपी उसकी गुदा (गांड) को भी चाटने लगी।

सर! ज़रा जोर-जोर से कीजिये! उफ … उफ … ! मैं टूटे शब्दों में बोली।

डबराल सर ने रफ़्तार बढ़ा दी, मेरी सिसकारियां और भी कामुक हो गई, वो जैसे निर्दयी हो गए थे, उनके नितंबों के मेरे नितंबों से टकराने पर एक अजीब सी थरथराहट होने लगी थी.

उत्तेजना में मैंने कालीन में मुट्ठी सी भरी, श्वेता ने पुनः अपनी मुद्रा बदली, उसने मेरे स्तनों को और मेरे अधरों को चूसना शुरु कर दिया, मैं हुच.. हुच. की आवाजों के साथ कालीन पर रगड़ खा रही थी, डबराल सर अपने पूरे जोश में थे, वह मेरे नितंबों को सहलाते तो कभी मेरे पेडू को सहलाते हुए आगे पीछे हो रहे थे।

श्वेता … किचन में गोले का तेल है जरा लाकर मेरे लिंग पर डाल दो! डबराल सर ने श्वेता से कहा।

श्वेता तुंरत रसोई में गई और गोले का तेल एक कटोरी में ले आई और उसने तेल की कुछ बूंदें डबराल सर के पिस्टन की तरह चलते लिंग पर डाल दी, अब उसकी गति में और तेजी आ गई, मैं दांतों तले होंठों को दबाये उनके लिंग द्वारा प्राप्त आनंद के सागर में हिलोरें ले रही थी।

डबराल सर चित लेट गए और मुझे अपने लिंग पर बिठा लिया मैं स्वयं उपर नीचे होने लगी, हम तीनों को ही पसीना आ गया था.

श्वेता ने अपनी योनि डबराल सर के मुख पर लगा दी थी और खुद उनके शरीर पर लेट कर मेरी योनि चाट रही थी, डबराल सर उसकी योनि को अपने हाथों से चौड़ा कर चाट रहे थे।

अचानक डबराल सर का तेवर बदला और उन्होंने बैठ कर मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और जोर जोर से धक्के मारने लगे, मैं अपने चरम पर आ चुकी थी, अचानक उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और श्वेता के मुख में देकर जोर जोर से धक्के मारे और फिर श्वेता के सर को थाम कर ढेर से होते चले गए, वह श्वेता के मुख में ही स्खलित हो गए,

मेरी योनि में अपार आनंद के साथ साथ एक कसक सी रह गई।

श्वेता ने उनके लिंग को छोड़ा नहीं बल्कि उसे चूस चूस कर दोबारा उत्तेजित करने लगी।

डबराल सर ने मेरे स्तनों से खेलना शुरू कर दिया और बोले- क्यों कोमल कैसा रहा?

बहुत मजा आया सर! … लेकिन मेरी जाँघों का जोड़ तो जैसे सुन्न हो गया है … मैंने उनके बालों को सहलाते हुए कहा।

यह सुन्नपन तो ख़त्म हो जायेगा थोड़ी देर में, पहली बार में तो थोड़ा कष्ट उठाना ही पड़ता है, अब तुम श्वेता को देखना इसके साथ इतनी परेशानी नहीं होगी और अगली बार से तुम्हें भी परेशानी नहीं होगी बल्कि सिर्फ मजा आएगा, डबराल सर ने मेरे स्तन को चूसते हुए कहा।

उफ सर … इन्हें आप चूसते हैं तो कैसी घंटियाँ सी बजती है मेरे शरीर में! … प्लीज सर चूसिये इन्हें! … मैं कामुक तरंग में खेलती हुई बोली।

अच्छा लो में जब तक तुम चाहो, तब तक चूसता हूँ … यह कह कर डबराल सर मेरे गहरे गुलाबी रंग के निप्पलों को बारी बारी चूसने लगे, मैं आनंदित होने लगी।

शेष अगले भाग में! Hindi Sex Stories

(Homosexual Ladke)- Indian sex stories

मेरा नाम है दिनेश, मैं आज आपको बताने जा रहा Indian sex stories हूँ वो मैं ओर मेरे दोस्त विकाश के साथ स्कूल में हुआ था। मैं गोरे गाँव का रहने वाला हूँ। जब मैं ग्यारवी कक्षा मैं यह की एक स्कूल मैं नया था। तब मैंने आश्विन के साथ दोस्ती हुई थी। थोड़े ही दीनो में हम एक दूसरे से साथ काफ़ी समय बिताने लगे। वो मुझसे एक साल बड़ा था, फिर भी हम हिलमिल गाये थे। हम एक साथ फ़िल्म देखने जाते थे, कभी कभी एक दूसरे के घर जा कर स्कूल का काम करते। आश्विन मुजसे एक साल बड़ा था, फिर भी उसका शरीर तेहरा साल का बच्चा जैसा था, थोड़ा साँवला भी।

एक दिन वो मुझे स्कूल के बाद साईबर कैफ़े मैं ले गया था, उसको एक परदेस में रहने वाले भाई के साथ इंटरनेट से बात करनी थी। थोड़ी देर बात करके उसने मुझे ये इंडियन सेक्स कहानी बताई। उसने कहा कि यह सब कहानियाँ सच हैं। फफिर हम दोनों ने होमोसेक्सुअल कहानियाँ पढ़़नी शुरू की। मेरे ख़याल से वह अपनी पेंट में ही झर गया।

दूसरे दिन स्कूल के बाद मैं उसके घर गया, स्कूल का काम बहुत था, और उसके पास पिछले साल की नोट्स भी थी। उसी बहाने मैं उसके घर गया था। जब मैं उसके कमरे में पहुँचा तो वह अपने लंड को सहला रहा था। मेरी आवाज़ से वह तुरंत ही कपड़े चढा लिए। थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा कि मैंने कभी किसी का लंड देखा है या नहीं?
मैंने तुरन्त ही ना कही।

बाद में उसने कहा की वह मुझे पिछले साल की नोट्स देगा जब मैं उसका लंड मुँह में लूं। मुझे सिर्फ़ नोट्स ही लेनी थी, मैंने अपनी मजबूरी बताई।
कुछ देर बाद उसने मेरा हाथ ले कर उसके लंड पर रखा ओर बोला कि डरने की ज़रूरत नहीं है। उसका लंड पहले से ही बड़ा हो चुका था। फिर उसने कपड़े उतारे, पूरा नंगा हो गया और मेरे सामने खड़ा हो गया। उसने फिर से मेरे हाथ पकड़ा और उसके लंड को मेरे हाथ में दिया। उसने मेरा चेहरा पीछे से पकड़ कर लंड के पास दबाने लगा। जब मैंने उसका लंड मुंह में लिया, इतनी घिन आई की क्या करे।
आश्विन अपना लंड मेरे मुँह में अंदर बाहर करने लगा। तभी ही उसने मेरे हाथों को उसकी गांड पे लगा दिए, मैंने हटा लिए फिर उसने मेरे बालो को खींच के अपना लंड ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा। और थोड़ी देर में वह मेरे मुँह में झर गया।

मैं बाथरूम में गया अपना मुँह साफ़ किया। जब मैं बाहर आया उसने कहाकी अगर मैं अपनी गांड मराऊँ तो वह मुझे पूरी नोट्स देगा।
घबराहट के मारे मैंने हाँ कर दी और मुझे कपड़े उतारने को कहा, मैंने वैसा ही किया। उसने अपने लंड पर तेल लगाया और मेरे शरीर पर सहलाने लगा। जब वह मेरी गांड के पास आया तब वह मेरे लंड को पकड़ कर खींचने लगा, बहुत दर्द हुआ।
फिर उसने मेरी गांड पे भी तेल लगाया। तेल की वजह से लंड आसानी से घुस गया फिर भी दर्द हो रहा था, क्यूँकि पहली बार ही मैंने अपनी गांड मरवाई। पीछे से वह मेरा लंड सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मुझे भी मजा आने रहा था। फिर उसने खड़े हो कर मेरे मुँह के पास आया और मेरे मुँह में लंड डाल दिया। जब मैं उसका लंड चूस रहा था, तब मुझे पता चला कि उसका लंड मेरी गांड में गया था। बहुत ही घिन आई पर थोड़ा मजा भी आ रहा था।

उसने मुझे लेट जाने को कहा और वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे लंड को अपने मुँह में लेने लगा और उसने अपना लंड मेरी ओर किया। वह कहते है ना 69 स्टाइल।
अब तो मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। पहल बार कोई मेरा लंड किसी और के मुँह में था। थोड़ी ही देर मैं भी उसके मुँह में झर गया।

फिर उसने कहा की उसको बहुत ही मजा आया। उसने मुझे अपनी नोट्स दी और मैं चल दिया।

कुछ दिनों के बाद उसके घर में उसने पार्टी रखी थी, मुझे भी बुलाया था। पार्टी के बाद उसने मुझे अकेले में कहा कि अगर मुझे सारी की सारी नोट्स चाहिए तो मुझे उससे एक महीने तक गांड मरवानी होगी, मुझे ये भी कहा था की लंड चूसने और गांड मरवाने का मुझे बहुत ही मजा आया था। उसकी बातों में आ कर मैंने फिर से हाँ कर दी। वैसे भी गांड मरवाने से जो मजा आया था वह एक महीने तक अब आएगा, और तो और मुझे पूरे साल की नोट्स भी मिल जाएगी।

फिर तो मैं उसके साथ ही पूरा समय बिताने लगा। स्कूल के बाद हम दोनों और घूमने लगे, हर हफ़्ते हम ब्लू फ़िल्म भी देखने लगे। हर रोज़ हम एक दूसरे की गांड मार रहे थे। अब तो मैं ख़ुद उसको सेक्स के लिए कह रहा था। ऐसा लगा था कि मुझे उससे प्यार हो गया था।

आपको मेरी होमोसेक्सुअल Indian sex stories कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे ज़रूर Comment कीजिएगा

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