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Massage Girl in Rayagada: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Rayagada who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Rayagada that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Rayagada massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Rayagada who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Rayagada massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Rayagada massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Rayagada who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Rayagada employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Rayagada helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Rayagada

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Rayagada at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

लेखक : सुरेश Antarvasna

मेरी एक एक कहानी Antarvasna को दिल से पसंद करके मुझे अपना अपना प्यार खुले दिल से दिया, और दोगे हर कोई मुझे कह रहा है कि गांडू अपनी चुदाई ज़रा जल्दी जल्दी भेजा कर !

अब कब भेजेगा ?

अब आगे बढ़ते हुए गुरु जी और सभी पाठकों को बहुत बहुत प्यार ! आज यह सनी एक और चुदाई के बारे में लिखने जा रहा है, पढ़ना और मुझे याहू पर मेरी गाण्ड का वेबकैम पर लुत्फ उठाएँ।

हाल के ही दिनों की बात करने जा रहा हूँ, प्रेस वाले से मैने चुदवाया सो चुदवाया, हमारे घर में ऊपर की बिलडिंग डबल स्टोरी में पत्थर लग रहा है। दो बन्दे रगड़ाई करने आते हैं, दो बन्दे पत्थर लगाने !

एक दिन में याहू पर बैठ कर चेट का लुत्फ उठा रहा था कि मेरी चेट विनोद नाम के बन्दे से जो दिल्ली से है, देश की राजधानी में बैठ मुझे चोदने की योजना बना रहा था। तभी वो बोला- सनी यार ! अपना वेबकैम चला ! मुझे तेरी चिकनी गांड देख कर मुठ मारनी है। अपने गुलाबी होंठ दिखा, उनमें होंठ डालने हैं।

लेकिन मेरे लिंक्ड बाथरूम में ही रगड़ाई चल रही थी, मैंने उसको अपनी स्थिति बताई कि मैं नंगा नहीं हो पाउँगा। उसको वजह बताई तो वो बोला- साले गांडू ! मौका है उससे गांड मरवा ले ! पटा ले साले को ! तेरा दिल तो ज़रूर करता होगा ?

मैंने कहा- मेरा उनमें बिलकुल ध्यान नहीं था, मैं तो उनको अपनी आजादी में बाधा समझ रहा था।

उसकी यह बात मेरे दिमाग में घर कर गई, बस फिर क्या था, मैंने सोच लिया कि अब इसको पटाना ही है।

मैंने अपना पजामा उतार दिया और फ्रेंची में मेरे गोलमोल चिकने चूतड़ किसी का भी लौड़ा खड़ा कर सकते थे। मैंने सामने ब्लू फिल्म चला ली और बेड पर उल्टा लेट गया तकिये को बाँहों में लेकर उल्टा लेट गया जिससे मेरे चूतड़ साफ़ दिखने लगे और सामने शीशे में मेरी एक नज़र उस पर थी। वो अपने ध्यान लगा हुआ था। मैंने सोचा अब क्या करूँ यार? कैसे इसका धयान अपने पर लेकर आऊँ?

पास के मेज से मैंने एक ग्लास उठाया और उसको फर्श पर फेंक दिया, जैसे ग्लास गिरा उसने मुड़ कर देखा। मेरी साँसे तेज़ होने लगी कि अब वो क्या करेगा। चोरी-चोरी से मैं शीशे में देखता। अब उसका ध्यान मेरी तरफ था, वो ब्लू फिल्म देखता तो कभी मेरी गांड देखता।

वो अपना लंड पकड़ कर मसल रहा था, मैंने जानबूझ कर गांड थोड़ी ऊपर उठाई। उसकी मशीन बंद हो गई थी, मैंने खुद ही चूतड़ हिलाए उसको यह शो कर दिया कि मैं खुद सब कुछ कर रहा हूँ।

उसने मुझे उसकी रर शीशे में देखते हुए देख लिया। वो कमरे में आया और बाथरूम के दरवाज़े की कुण्डी चढ़ा दी। बिस्तर के करीब आते ही उसने अपना हाथ मेरे चूतड़ पर रखते हुए सहला दिया। मेरा बदन कांप उठा। वो मेरे दोनों चूतड़ मसलने लगा, मैंने आखें मूँद ली।

वो मेरी बगल में लेट गया और मेरी फ्रेंची को गांड के चीर में घुसा छेद पर ऊँगली फेरते हुए मेरे गाल को चूम लिया, अपना दूसरा हाथ मेरी कमर से लपेटते हुए शर्ट में डाल मेरे मम्मे दबाने लगा। मैं गर्म होकर अपने को रोक नहीं पाया और उसकी ओर चेहरा करके उसके साथ चिपक गया और झट से उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और मसलने लगा उसके विकराल लिंग को ! क्या लिंग था साले का ! जो मैंने पजामे के ऊपर से सोचा था उस से भी बड़ा था उसका लिंग ! हाँ, मोटा कम था ! मतलब गांड के लिए बना था समझो !

उसने मुझे नंगा कर दिया, तभी दरवाजा खटका।

कौन? उसने कह दिया।

मैं राजू ! काम क्यों रोक दिया रे?

उसने बिना पूछे दरवाज़ा खोल दिया, मैंने चादर लपेट ली।

क्या कर रहे हो दोनों दरवाज़ा बंद करके?

बोला- आजा, मजे कर रहे हैं दोनों ! फिल्म देख रहे हैं और इसकी गांड से खेल रहा हूँ, साला गांडू निकला !

वो बोला- फिर तो आज पाँचों उंगलियाँ आज घी में हैं !

मैं तो था ही बेशर्म, मैंने कहा- साले देख क्या रहा है? सभी घर आ जायेंगे ! मादरचोदो, पकड़ लो मुझे !

उसने अपनी लुंगी उतार दी। उसका बम्बू घाट तम्बू की तरह तन चुका था। मैंने उसको ऊँगली के इशारे से पास बुलाया और उसके अंडरवियर में हाथ डालते हुए उसके खड़े लिंग को सहलाने लगा। उसका अंडरवियर उतार दिया, उसका लिंग इतना मस्त निकला, काले नाग जैसा लिंग देख मैं बेकाबू होने लगा। मेरे मुँह में लेते ही वो अपने उफान पर आ चुका था। वो सांस खींचता तो मेरे मुंह में ही हिलने लगता, दूसरे को पास बुलाया और उसका लण्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। फिर कभी उसका कभी उसका !

चूस चूस कर, चाट चाट कर दोनों को इतना पागल कर दिया कि दोनों ने मुझे नंगा कर दिया।

चल लेट ! चल !

राजू ने अपना लिंग आगे से आकर मेरे मुँह में दिया और दूसरे ने थूक लगाते हुए गांड पर टिका दिया।

मैंने कहा- पहले उंगलियाँ डाल कर खोल ले इसको ! चाट !

वो मेरी गांड चाटने लगा। मेरा इशारा पाते ही उसने लिंग अन्दर डाल दिया। थोड़ी सी चुभन के बाद वो आराम से चोदने लगा। मेरा कौन सा पहला मौका था ! मुझे चुदवाने का पूरा तजुर्बा था। वो मेरी गांड की दीवारों की गर्मी सह नहीं पाया और उसने मुझे जोर से भींच लिया और अपने गर्म-गर्म लावा से मेरी खुजली ख़त्म कर दी।

राजू जल्दी से पीछे आया, टाँगें खुलवा अपने कन्धों पर टिकाते हुए अपना लिंग को प्रवेश करवा दिया और उसके झटके मुझे मजा देने लगे। तेजी से करते हुए उसने भी अपना माल निकाल दिया और मेरे ऊपर गिर गया।

दूसरे वाले का मन नहीं भरा था तो उसने फिर से मुँह में डाल दिया उसका नमकीन लिंग चूसना मुझे भी अच्छा लगा। वो तैयार हो गया और उसने मुझे बीस-पच्चीस मिनट चोदा।

और फिर जब तक पत्थर का काम पूरा नहीं हुआ, हर दोपहर उनका लंच मेरी गांड होती !

काम के बाद मैंने दोनों को मुँह लगाना छोड़ दिया।

यह मेरी एक और सच्ची कहानी है।

अन्तर्वासना के ज़रिये मैं आप लोगों को ऐसे ही मजे देता रहूँगा ! Antarvasna

नमस्कार मेरा नाम रीना माली है। मैं राजस्थान के उदयपुर शहर में रहती हूं। मेरे पति नगर निगम में कार्यरत हैं और मेरे दो बच्चे हैं। मेरी उमर 32 साल है, लंबाई 5.6 ft. ये मेरी होली के दिन की सच्ची घटना है जिसे में पेश कर रही हु। मेरे पति पिछले दो सालों से मुझे टाइम नही देते थे जिसके कारण मेरे पड़ोस में एक बीकॉम थर्ड ईयर के स्टूडेंट अमित जो कि भरतपुर से है उससे मेरी गहरी दोस्ती हो गई थी। अमित के साथ मेरा अफेयर दो सालों से चल रहा है। अमित का एक दोस्त है निलेश जिसे हमारे बारे में पता है. और वह अमित से काफी बार मुझसे रिलेशन बनाने की बात कर चुका है परन्तु मेरी और से साफ मना है। होली के दिन मेरे पति बाहर गए हुए थे। घर में होली 11 बजे तक खत्म हो गई थी, तभी अमित का कॉल आया। बोला ” रीना भाभी मुझे भी आपके साथ होली खेलनी है।” मेने उसे एक बार मना कर दिया की घर पे सब हैं और यहां होली खेलना संभव नहीं है। परंतु बार बार बोलने पे मेने बोला की में कोशिश करती हूं। मेने सासूजी से कहा की मेरी सहेलियां मुझे होली खेलने उनके फार्म हाउस पे बुला रही हैं। पहले तो सासु जी ने आनाकानी की फिर बोली ” ठीक ही जाओ और 3 बजे तक आजाना”। बच्चे की जिम्मेदारी भी लेली। मेने अमित को फोन करके बताया तो उसने मुझे ऐश्वर्या रिसोर्ट में आने को बोला। मैं स्कूटी लेके व्हाइट कलर की फाग साड़ी और रेड कलर के ब्लाउज पेटीकोट में निकल गई। वहा पहुंची तो अमित और निलेश दोनो थे। निलेश को देख के मेने अमित से पूछा ” इसे क्यों लेके आए, तुमको पता है ना ये मेरे बारे में क्या सोचता है”। अमित ने मुझे समझाया कि वो उसके साथ सुबह से था होली खेलने। और उसकी और से कोई परेशानी नहीं होगी। रिसोर्ट में अमित ने पूल में होली खेलने की व्यवस्था रखी थी। अमित ने पहले गुलाल से मुझे गालों पे रंगा फिर मेने भी उसे रंग लगाया। निलेश भी पास आया और मुझे गालों पे रंग लगाया और मेने भी उसे गालों पे रंग लगा कर होली की शुभकामनाएं दी। फिर अमित ने निलेश को कही भेज दिया और अमित ने मेरे पास आकर मुझे कस के गले लगा लिया। जवाब में मेने भी उसे कस के गले लगाया। फिर वो मेरे गले , हाथ, और पेट पर रंग लगाने लगा। मैं भी आंखे बंद करके उससे रंग लगवा रही थी। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है. फिर उसने मुझे बाहों में उठा लिया और पूल में गिरा दिया। और खुद भी कूद गया। होली की पूरी मस्ती में मुझे होली खेल रहा था और मेरे हर अंग को छू रहा था और कलर से रगड़ रहा था। पूल में ही उसके होठ मेरे होठों का चुम्बन ले रहे थे। होली का कार्यक्रम करीब 30 मिनट तक चला। फिर हम दोनो पूल से बाहर आए। मेरी साड़ी शरीर से पूरी चिपकी हुई थी। अमित बोला ” भाभी आग लगा रहे हो आप”। मैं शर्मा गई ये सुनकर। फिर अमित बोला की उसने चेंज करने के लिए एक रूम बुक किया है। हम दोनों रूम में चले गए। वहा जाते ही अमित ने मुझे फिर बाहों में भर लिया और मुझे चूमने लगा। गालों पे, होठों पे, गले में, पर पे सब जगह पागलों की तरह चूमने लगा। में बोली ” अमित आज नहीं प्लीज”। पर वो रुका नहीं। उसने मेरी साड़ी मुझे गोल गोल गुमाकर निकल ली। मैं अब लाल रंग के गीले चिपके हुए गहरे गले के ब्लाउज और पेटीकोट में थी और गले में लंबा मंगलसूत्र था। मुझे शर्म आ रही थी। फिर वो मुझे बाहों में उठाकर बाथरूम में ले गया और वहा हम दोनो ने एक दूसरे से चिपक कर स्नान किया। जितने में डोर बेल बाजी। अमित मुझे बाथरूम में छोड़ कर डोर खोलने गया फिर डोर बंद भी कर दिया। मेने अंदर से आवाज लगाई “अमित कोन है”। अमित बोला ” रूम सर्विस वाला था”। में पेटीकोट ब्लाउज में ही बाहर आ गई और अमित के साथ निलेश को खड़े देखकर चौंक गई। “तुम यहां क्या कर रहे हो”। ऐसा बोलकर में बाथरूम की और भागी. परंतु निलेश ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला ” भाभी आज तो आपके साथ होली खेलने आया हु ऐसे केसे माना कर सकती हो।” ऐसा कहकर उसने मुझे बाहों में जकड़ लिया और मुझे चूमने लगा। मैं उसे हटाने लगी लेकिन उसकी झकड के आगे खुद को छुड़ा न पाई। मेने अमित से कहा “अमित बोलो इसे यहां से जाने को.” अमित बोला “अरे भाभी मेरा अच्छा दोस्त है, इसकी भी इच्छा है खेलने की पूरी करने दो।” मैं समझ गई आज मेरे साथ कुछ अनर्थ होने जा रहा है। मेने निलेश को धक्का दिया और अपनी साड़ी उठाकर भागने लगी। दरवाजे पर अमित ने मुझे पकड़ लिया और बोला ” भाभी आज तो आपको हम देवर बिना खेले जाने नही देंगे” और ऐसा कहकर अमित ने मुझे गोद में उठा लिया और बेड पर गिरा दिया। मैं उनसे हाथ जोड़कर विनती करने लगी लेकिन उन दोनो पे भांग और हवस का नशा चढ़ चुका था। निलेश बोला “उफ्फ भाभी, लाल गीले पेटीकोट ब्लाउज में आपने मेरे अंदर तक आग लगा दी हे। आप साक्षात काम देवी रति लग रही हो।” ऐसा बोलकर उसने मेरे पैर पकड़ लिए। और अमित ने मेरे दोनो हाथ पकड़कर उपर कर दिए। निलेश मेरे ऊपर आगया और मेरे गले में चूमने और काटने लगा। मेने अमित से कहा ” अमित निलेश को बोलो मेरे गले में बाइट्स के निशान हो जाएंगे और घर में पता चल जाएगा.” अमित का इशारा पाके निलेश ने काटना बंद किया और गले में चूमने और चाटने लगा। मैं परेशान थी। निलेश मेरे कानो में जीभ से चाटने लगा। मुझे करंट सा आने लगा। उधर अमित मेरा पेटीकोट घुटनों तक ले आया और पैरों पे चूमने और चाटने लगा। धीरे धीरे में उनके काबू में आ रही थी। मुझे लग गया था विरोध से ये दोनो मेरा बलात्कार कर सकते है। सही यही होगा अपने आप को इन्हे सौंप दिया जाए। मेने अपना शरीर ढीला कर दिया। निलेश अब मेरे पेट को चाटने लगा और नाभि में जीभ से हरकत कर रहा था। मुझे भी मजा आने लगा। अमित मेरी पैरो की उंगलियां चूस रहा था। मैं मदहोश हुए जा रही थी। निलेश मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगा और खीच कर ब्लाउज उतार दिया। अंदर मेने काली ब्रा पहनी थी। निलेश बोला ” उफ्फ भाभी आप कमाल हो” ऐसा कहकर उसने मेरी ब्रा का हुक पीछे हाथ डालकर खोल दिया और एक झटके में मेरे उरोज आजाद कर दिया। 34 के स्तन देखकर वो काबू न कर सका और मेरे निपल्स चूसने लगा। ऐसा लग रहा था उसने पहले बार किसी का स्तनपान किया हो। इधर अमित ने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और और खीच कर पेटीकोट निकला दिया। अब मैं केवल ब्लैक कच्छी में थी। अमित मेरी जांघो को चूम रहा था और अंदर जांघो को चूस रहा था। मैं मादक सिसकारियां ले रही थी। निलेश ने मुझे उल्टा लिटाया और मेरी पीठ को जीभ से चाटने लगा। मै पागल हो रही थी। मुझे पीठ पर निलेश काटे जा रहा था और मैं एक मछली की तरह मचल रही थी। अब दोनो अपने कपड़े निकाल कर नग्न हो चुके थे। निलेश का 7 इंच का मोटा लिंग देखकर मैं डर गई थी। अमित उपर आया मुझे सीधा करके उपर से लिंग मेरे मुंह में डाल दिया जिसे बड़े मजे से मैं चूसने लगी। उसका लिंग गले तक जा रहा था। नीचे निलेश अपनी जीभ से मेरी योनि का भेदन कर रहा था। मेने जांघो से निलेश का सिर दबा रखा था और योनि को चटवा रही थी। फिर हमने पोजिशन बदली और निलेश ने अपना लिंग मुझे चूसने दे दिया और अमित अपनी जीभ से जोर जोर से मेरी योनि का दाना चाट रहा था। इसी बीच में एक बार अमित के मुंह में झर गई। मैं एक वैश्या जैसे निलेश का लिंग चूस रही थी और खो खो की आवाजे निकाल रही थी। अमित ने मुझे गोड़ी बनाने के लिए कहा। मेने कहा “अमित कंडोम लगा लो”। अमित बोला ” भाभी आज तो आपको हम बिना कंडोम के सुख देंगे।” मेने माल बाहर गिराने का आश्वासन लेकर अनुमति दे दी। अमित ने एक जोरदार झटके से अपना लिंग मेरी योनि में डाल दिया और फुल स्पीड से मुझे चोदने लगा। कमरे में पच पच की आवाज आ रही़ थी और मुंह से मै निलेश का लिंग चोद रही थीं। इस बीच में 1 बार और झड़ गई। 15 मिनट बाद अमित बोला “भाभी में आने वाला हु”| मेने बोला ” अमित प्लीज बाहर निकालो”। लेकिन उसने नही माना और एकजोरदार झटके से मेरी योनि को अपने वीर्य से भर दिया। उसके गरम पिचकारी मुझे अपनी कोख तक महसूस हुई और मुझे आनंदित कर गई। अब निलेश आया और मुझे लिटाकर मेरे उपर आगया और अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी योनि पर रघड़ने लगा। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है. यह क्रिया उसने 3 मिनट करी। मैं फिर से गरम हो गई और मेरे होठ को होठों से बंद करके एक जोरदार झटके में उसने अपना पूरा लिंग मेरी योनि में उतार दिया। मेरी आंखों में दर्द से आंसू आ गये। अंदर डाल कर वो थोड़ी देर लेटा रहा। मेरा दर्द कम होने पर उसने अंदर बाहर धक्के चालू किए। अब मुझे मजा आने लगा और उछल उछल कर निलेश का साथ देने लगी। “ओह निलेश चोदो अपनी भाभी को, और जोर से आह आह… आओह्ह्ह्ह… मार डाला आआआह” निलेश और स्पीड में मेरा चोदन करने लगा। मैं उसके लिंग से हवा में उड़ने लगी और उछल उछल कर मजा लेने लगी। 20 में की चूदाई के बाद वो बोला “भाभी में अपना माल कहा निकालू.” मैं बोली “अंदर ही निलेश.” और फिर हम दोनो एक साथ अकड़ के साथ प्रेम जूस की पिचकारी छोड़ कर शांत हुए। निलेश के वीर्य की गर्मी मेरे अंदर तक समा गई। फिर हम तीनो ने सामूहिक स्नान किया और में गीले कपड़े पहनकर घर आ गई।

मैं राहुल पहली बार अपने साथ हुई एक सच्ची घटना आपके सामने रखना चाहता हूँ! Antarvasna

बात आज से करीब दो साल Antarvasna पहले की है, मैं अपने चाचा के यहाँ पर पढ़ाई करने के लिए गया हुआ था! तब मैं सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। मुझे यह तो पता था कि सेक्स करते हैं पर कैसे करते हैं, मैं नहीं जानता था!

मेरे चाची की एक भतीजी थी जो देखने में बहुत ही सुंदर थी। वो इतनी सुंदर थी कि मानो कोई परी हो! मैं जब भी उसे देखता तो सोचता कि काश यह मेरी गर्ल-फ्रेंड होती तो कितना अच्छा होता!

देखते ही देखते वो और बड़ी हो गई और मैं भी बड़ा हो गया और अब मैं सब समझने लग गया था क्योंकि मेरी उम्र 21 साल की हो गई थी और वो मुझसे बड़ी थी इसलिए उसकी उम्र 23 साल हो गई थी।

समय के साथ-साथ उसका फीगर और भी ज्यादा सेक्सी हो गया था, उसकी चूची इतनी बड़ी हो गई थी कि जैसे दो मोसम्म्बी हों रस से भरी हुई! और उसकी गांड तो इतनी सुन्दर लग रही थी कि जो भी देखे बस यही सोचने लगे कि बस एक बार इसे मसल दूँ! उसे देखकर कोई भी उसे मन में ही चोद दे इतनी सुन्दर थी वो!

समय बीतता चला गया। फ़िर एक बार हुआ यूँ कि हमारे घर पर एक कार्यक्रम था जिसमें सभी को बुलाया था, सो वह भी आई थी। उसे देखकर मैं तो जैसे ख़ुशी के मारे पागल ही हो गया था। मैंने बिना कुछ सोचे समझे बस उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे में ले गया! हम दोनों बचपन से ही खूब बाते करते थे इसलिए किसी ने कुछ नहीं कहा!

फ़िर मैंने उससे उसके हाल चाल पूछे और इधर की ढेर सारी बात करी लेकिन मेरे मन में तो कुछ और ही चल रहा था सो मैंने उससे पूछ लिया कि इतनी बड़ी हो गई हो, कोई दोस्त बनाया या नहीं?

तो उसने नहीं में जवाब दिया। मुझे यह सुनकर और भी ख़ुशी हुई और मैंने उसे एक आँख मार दी तो उसने कहा- तेरा इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा है?

फिर मैंने उसे कहा- मैं तुझे बहुत चाहता हूँ और बहुत पसंद करता हूँ। लेकिन तुझे मैं कैसा लगता हूँ? क्या तू मुझे पसंद करती है?

तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया और बस मेरी तरफ आँख मार के चली गई! फ़िर मैंने उससे थोड़ी देर बाद यही पूछा तो कहने लगी- तू यह सब क्यों पूछ रहा है? तू मुझे अच्छा लगता है और इसीलिये ही मैं तुझसे बात करती हूँ।

तो फिर मैंने उसे ‘आई लव यू’ कह दिया और उसके गाल पर एक चुम्मा जड़ दिया। जवाब में उसने भी चुम्मा दे दिया। फ़िर हम दोनों कमरे से बाहर आ गए और वो अन्य लोगों से बातें करने लग गई और मैं घर के काम में लग गया।

फ़िर जब शाम हुई तो मैंने उसको अपने कमरे में आने का इशारा किया। जब वो कमरे में आई तो मैंने उसे जोर से पकड़ लिया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिये और उसके होठों का रस पीने लगा।

क्या होंठ थे! उसके एकदम शहद से भरे!

मैंने उसके अधर इतनी जोर से चूसे कि वो गुलाबी से लाल हो गए।

और फ़िर वो भाग गई बाहर!

उसके बाद अगले दिन वो जब भी मुझे देखती अपने होठों को काटने लगती। फ़िर शाम हो गई और घर पर कार्यक्रम चालू हो गया। सभी लोग बाहर थे, मैं भी बाहर था लेकिन घर का सारा काम मुझे ही करना था इसलिए मैं घर के अंदर गया और उसे भी इशारा कर दिया।

फ़िर हम दोनों घर में अकेले ही रह गए और हमने खूब चूमा-चाटी की। फ़िर मैंने अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया, जिससे वो सिहर गई और मेरा हाथ हटाने लगी। तब मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी दूसरी चूची पर भी हाथ रख दिया।

वो उत्तेजित हो गई और अपने होठों को काटने लगी और मुझसे कहने लगी- मैं पागल हो जाऊँगी, मुझसे अब रहा नहीं जाता! तू मुझे बस मसल दे यार! ऐसे से ही करता रह!

मैं भी उसकी चूचियों को मसल रहा था प्यार से!

फ़िर मैंने देखा कि वो अब गरम हो गई है तो मैंने उसकी कमीज को ऊपर करके अंदर से हाथ डाल दिया और उसके स्तन मसलने लगा। फ़िर मैंने उसके होठों से अपने मुँह को हटाया और उसकी चूची पर लगा दिया और जोर से चूसने लगा।

इतने में मेरी चाची भी घर में आ गई और हम दोनों अलग हो गए। मैं कुछ सामान लेने का नाटक करने लगा और हम दोनों बाहर आ गए।

जब रात हुई तो मैंने उसे कहा कि वो मेरे कमरे में ही सो जाये तो इस पर वो नहीं मानी और मैं रात भर सो नहीं सका और उसके ही बारे में सोचता रहा, सुबह होने का इंतजार करने लगा।

जब वो सुबह दिखी तो मैं तो उसे देखता ही रह गया, उसने काले रंग का सूट पहना था और उसमें वो एक दम माल लग रही थी। उसने मुझे देखा और एक आंख मार के चली गई रसोई में।

मैंने उसे अपने पास आने का इशारा किया और वो जल्दी से आ गई। उसके आते ही मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा।

फ़िर वो वापस चली गई और जब हम दोपहर को मिले तब मैंने फ़िर से उसके स्तन दबाये और खूब मसला, चूसा और उसके चुचूकों को सुर्ख लाल कर दिया। वो भी सेक्सी आवाज़ें निकालने लगी- आहह ह ह ह उ उ उह उह हा हा हाहा जोर से और और पी लो… बस स स छोड़ दो ओ.ओ. जाने दो.. फ़िर मैंने उसे छोड़ दिया और रात को मिलने की योजना बनाई।

रात हुई तो वो अपनी नाइटी पहन कर रात के करीब दो बजे मेरे कमरे में आई, मुझे जगाया। मैंने अपने कमरे के दरवाजे को अटका दिया और उसे अपनी बाहों के आगोश में ले लिया वो भी बिना कुछ बोले मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी।

थोड़ी देर रुक कर वो रोने लगी और कहने लगी- अब हम नहीं मिल सकेंगे क्योंकि मैं कल जा रही हूँ अपने घर! और कहने लगी कि आज की रात ही है हमारे पास! बस जो भी करना है कर लो जी भर कर!

तो मैंने भी उसे कहा- जानू, ऐसा मत कहो! तुम तो हमेशा मेरे साथ ही रहोगी मेरे दिल में बसकर!

वो फ़िर से हंसने लगी और मुझसे लिपट गई, मुझे चूमने लगी और कहने लगी- ओह मेरे राहुल! मैं तुम्हें कभी भुला नहीं पाऊँगी, मैं जब तक जीयूँगी तुम्हारी ही रहूंगी! मेरे तन-मन-धन पर अब सिर्फ तुम्हारा ही अधिकार होगा! मैं किसी और की नहीं हो सकती हूँ!

फ़िर से उसकी आँखों से मोती बहने लगे। मैंने भी उन मोतियों को अपनी जबान से पी लिया और हम फ़िर चूमा-चाटी करने लग गए। उसने मेरी जबान को पूरा चूस लिया और मैंने भी! फ़िर मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा वो सीहरने और कराहने लगी- मसल दो आज इन्हें! चूस लो! सारा रस निकाल दो इनका!

और मैंने अपना हाथ धीरे धीरे नीचे सरकाना चालू किया। मैंने उसकी नाभि पर जैसे ही अपनी जबान लगाई, वो सिमटने लगी और उसकी साँसें चढ़ने लगी। वो जोर जोर से साँस लेने लगी, वो इतनी गरम हो गई थी कि अपना हाथ खुद ही योनि पर फेरने लगी।

मैंने भी अब देर न करते हुए उसकी कुर्ती को ऊपर उठाया और अब उसे पूरा ही निकाल दिया। फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सलवार को उतारने लगा। लेकिन जैसे ही सलवार उतारने लगा, मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैंने बाहर देखा तो मेरे चाचा बाथरूम करने के लिए उठे थे।

इतने में जानू भी डर गई और जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगी। फिर जब चाचा चले गए तो मैंने वापस उसके कपड़े निकाले और उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा। वो थोड़ा नार्मल हुई और हम फिर हमारे काम में जुट गए।

मैंने उसकी पैंटी जो गुलाबी रंग की थी, वो उसके ऊपर इतनी अच्छी लग रही थी कि क्या बताऊँ! उसको जैसे ही मैंने उतारा, मेरे सामने जन्नत का द्वार खुल गया था। क्या चूत थी उसकी! एकदम गुलाबी! जैसे गुलाब की पंखुड़ियों को शहद के रस में भिगोया हो!

वो इतनी गरम हो चुकी थी कि उसकी योनि से रस टपक रहा था और जांघे गीली हो गई थी। मैंने भी जबान से उस अमृत को पूरा चाट कर साफ़ कर दिया। वो इतने में ही पहली बार स्खलित हो गई।
मैंने उसके योनि-अमृत को पूरा पी लिया फिर उसकी योनि के अंदर एक ऊँगली धीरे धीरे घुमाना चालू किया। वो आवाजें निकालने लगी तो मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने मेरे होठों को काट लिया।

मैंने उसे अपना लोअर उतारने को कहा तो वो शरमाने लगी। मैंने भी उसका हाथ पकड़ा और उसी के हाथों से अपना लोअर निकलवाया। फिर उससे ही चड्डी भी उतरवाई और उसने जैसे ही मेरे लण्ड को छुआ मेरे तो जैसे रोंगटे ही खड़े हो गए। मेरे पूरे जिस्म में एक आग लग गई और मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा।

फिर मैंने उसके योनि-द्वार को चूसकर थोड़ा नरम किया और फिर उस पर अपने लण्ड का शीर्ष-भाग रखा और जोर लगाने लगा। लेकिन जानू की चूत इतनी टाइट थी कि उसमें घुसने की बजाए लण्ड फिसल जाता।

फिर मैंने थोड़ा तेल लिया और उसकी योनि में लगाने लगा। वो भी आहें भरने लगी। फिर मैंने एक बार और कोशिश की तो इस बार तेल के कारण मेरे लण्ड जो छः इंच का है, करीब दो इंच तक अंदर चला गया और उसकी चीख निकल गई। लेकिन किसी के सुन लेने के डर से उसने अपनी चीख को दबा लिया।

मैंने अपने लण्ड पर कुछ तरल पदार्थ महसूस किया, हाथ लगाकर देखा तो वो खून था जो उसकी योनि से निकल रहा था। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे। मैंने फिर उसे चोदना रोककर उसके स्तन सहलाए और उसे चूमने लगा।

वो जब थोड़ी नार्मल हुई तब मैंने फिर से एक झटका लगाया और करीब चार इन्च तक लण्ड अन्दर चला गया। वो फिर से चीख पड़ी। मैंने भी थोड़ा रुक कर फिर एक धक्का लगाया और पूरा लण्ड पेल दिया उसकी चूत में!

अब वो थोड़ा नार्मल हो चुकी थी और फिर मैंने धक्के तेज करना चालू कर दिया जिससे उसके मुँह से चीखें निकलने लगी और वो आवाजें करनेलगी- आ.. अ.सी.. आ .सी..स. सी.. हा.. हा. हहह . नि.. नी.. अह.. आह… आह..

मुझे भी मज़ा आने लगा और हम दोनों चरम सीमा पर पहुँचने लगे। वो अब तक एक बार झड़ चुकी थी और अब फिर स्खलित होने वाली थी। वो कहने लगी- मैं जाने वाली हूँ!

मैंने भी कहा- मैं भी जाने वाला हूँ!

और हम दोनों ही एक साथ झड़ गए और मैंने अपना सारा रस उसकी चूत की गहराइयों में डाल दिया। हम दोनों का रस उसकी चूत से निकलने लगा, मैंने उसे साफ किया और उससे कहा- क्या एक बार और हो जाए?

तो उसने भी शरमाते हुए हामी भरी और हमने एक बार फिर चुदाई की। इस बार उसे पहले ज्यादा मज़ा आया और करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद हम फिर से झड़ गए। इतने में सुबह के पाँच बज गए और अगली सुबह वो उसके घर वालों के साथ उसके घर रतलाम चली गई। मैं उसकी प्यास में तड़पता रह गया। लेकिन हम दोनों फ़ोन पर खूब बातें करते और मज़ा लेते।

छः महीनों के बाद उसने कहा कि उसके घरवालों ने उसकी शादी कहीं राजस्थान में तय कर दी है, कुछ ही दिनों में उसकी शादी होने वाली है। और वो जोर जोर से रोने लगी, कहने लगी- राहुल मैं तुम्हारे अलावा और किसी की नहीं हो सकती हूँ, मेरे शरीर और आत्मा पर सिर्फ तुम्हारा ही अधिकार है।

उसकी इस बात से मेरी भी पलकें नम हो गई और फिर खबर आई कि उसकी शादी होने वाली है, उसमें मुझे भी जाना है।

फिर देखते ही देखते उसकी शादी हो गई और आज उसकी शादी को तीन साल हो गए हैं लेकिन मैंने कभी उसके बारे में तलाश नहीं की और मैं एक बार फिर प्यासा ही अपनी जिंदगी बिता रहा हूँ!

दोस्तो, कैसी लगी मेरी यह सच्ची कहानी?
मुझे मेल करके जरुर बताना!
मेरी अगली कहानी में आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने मेरी दूसरी गर्ल फ्रेंड सोनू को कैसे चोदा! Antarvasna

मेरी चुदाई की अन्तर्वासना कहानी पढ़ें...

मेरी उम्र जब जवानी की अठखेलियाँ लेने लगी तब पहली बार मैंने अपने पापा को मम्मी की चुदाई करते देखा तब मेरे मन में अपने ही पापा से चुदवाने की इच्छा जाग उठी.

दोस्तो, मेरा नाम शिवानी है और मैं पूरी 20 साल की हो चुकी हूँ और मैं औरत मर्द के रिश्ते को समझती थी.

मैं मेरे घर में सबके साथ चुदाई कर चुकी हूँ.


मैं मेरे घर में और ससुराल में भी सबसे बहुत चुद चुकी हूँ.

एक बार मैंने पापा को मम्मी को चोदते देखा तो इतना मज़ा आया कि रोज़ देखने लगी.

मैं पापा की चुदाई देख इतनी मस्त हुई थी कि अपने पापा को फंसाने का जाल बुनने लगी और आख़िर एक दिन कामयाबी मिल ही गई.

पापा को मैंने फंसा ही लिया. अब जब भी मौक़ा मिलता, पापा की गोद में बैठ उनसे चूचियाँ दबवा दबवा मज़ा लेती.
पर अभी तक केवल चूचियों को ही दबवा पाई थी, पूरा मज़ा नही लिया था.

मेरे मामा की शादी थी इसलिए मम्मी अपने मायके जा रही थी. रात में पापा ने मुझे अपनी गोद में खड़े लण्ड पे बिठाकर कहा था- बेटी कल तेरी मम्मी चली जाएगी फिर तुझे कल पूरा मज़ा देकर जवान होने का मतलब बताएँगे.

मैं पापा की बात सुन ख़ुश हो गई थी.
पापा अब अपने बेडरूम की कोई ना कोई विंडो खुली रखते थे जिससे मैं पापा को मम्मी को चोदते देख सकूँ. ऐसा मैंने ही कहा था.

फिर उस रात पापा ने मम्मी को एक कुर्सी पर बिठाकर उनकी चूत को चाटकर दो बार झाड़ा और फिर 3 बार हचक कर चोदा फिर दोनो सो गए.

अगले दिन मम्मी को जाना था. आज मम्मी जा रही थी. पापा ने मेरे कमरे में आ मेरी चूचियों को पकड़कर दो तीन बार मेरे होंठ चूमे और लण्ड से चूत दबा कर कहा- तुम्हारी मम्मी को स्टेशन छोड़कर आता हूँ, फिर आज रात तुमको पूरा मज़ा दूंगा.
मैं बड़ी ख़ुश थी.

पापा चले गए तो मैं घर में अकेली रह गई.
मैं अपनी चड्डी उतार पापा की वापसी का इंतज़ार कर रही थी.

मैंने सोचा कि जब तक पापा नही आते अपनी चूत को पापा के लण्ड के लिए उँगली से फैला लूँ.

तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया.
मैंने चूत में उँगली पेलते हुए पूछा- कौन है?

‘मैं हूँ रमेश.’ रमेश का नाम सुन मैं गुदगुदी से भर गई.

रमेश मेरा 20 साल का पड़ोसी था.
वो मुझे बड़े दिनों से फांसना चाह रहा था पर मैं उसे लाइन नही दे रही थी.

वह रोज़ मुझे गंदे गंदे इशारे करता था और पास आ कभी कभी चूची दबा देता और कभी गांड पर हाथ फेर कहता- रानी, बस एक बार चखा दो.

आज अपनी चूत में उँगली पेल मैं बेताब हो गई थी. आज उसके आने पर इतनी मस्ती छाई कि बिना चड्डी पहने ही दरवाज़ा खोल दिया.

मुझे उसके इशारों से पता चल चुका था कि वो मुझे चोदना चाहता है.
आज मैं उससे चुदवाने को तैयार थी.

रमेश के आने पर सोचा कि जब तक पापा नहीं आते तब तक क्यों ना इसी से एक बार चुदवाकर मजा लिया जाए.
यही सोचकर दरवाजा खोल दिया.

मैंने जैसे ही दरवाजा खोला रमेश फ़ौरन अन्दर आया और मुझे देखकर खुश हो मेरी चूचियों को पकड़कर बोला- हाय रानी बड़ा अच्छा मौका है.

मैं उसकी हरकत पर सनसना गई.

उसने मेरी चूचियों को छोड़कर पलटकर दरवाजा बंद कर दिया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मेरी चूचियों को मसलते हुए मेरे होंठों को चूसने लगा और बोला- हाय रानी, तुम्हारी चूचियाँ तो बहुत टाइट हैं. हाय बहुत तड़पाया है तुमने, आज जरूर चोदूंगा.

‘हाय भगवान, छोड़ो पापा आ जाएंगे.’
‘डरो नहीं मेरी जान, बहुत जल्दी से चोद लूँगा. मेरा लण्ड मोटा नहीं है दर्द नहीं होगा.’
वो मेरी गांड सहला बोला- हाय, चड्डी नहीं पहनी है, यह तो बहुत अच्छा है.

मैं तो अपने पापा से चुदवाने के जुगाड़ में ही नंगी बैठी थी पर यह तो एक सुनहरा मौका मिला गया था.

मैं पापा से चुदवाने के लिए पहले से ही गर्म थी.

जब रमेश मेरी चूचियों और गालों को मसलने लगा तो मैं पापा से पहले रमेश से मजा लेने को तैयार हो गई.
उसकी छेड़छाड़ में मजा आ रहा था. मेरी चूत लण्ड खाने को बेताब हो गई थी.

अपनी कमर लचकाती मैं बोली- हाय रमेश, जो करना हो जल्दी से कर लो, कहीं पापा ना आ जाएँ!
मैं पागल होती बोली.

तो रमेश मेरा इशारा पा कर मुझे बेड पर लिटा अपना पैंट उतारने लगा, नंगा हो बोला- रानी बड़ा मजा आएगा.

‘तुम एकदम तैयार माल हो. देखो मेरा लण्ड छोटा है ना!’

उसने मेरा हाथ अपने लण्ड पर रखा तो मैं उसके 4 इंच के खड़े लण्ड को पकड़ मस्त हो गई.
इसका तो पापा से आधा था.

मैं उसका लण्ड सहलाती बोली- हाय राम, जो करना है जल्दी से कर लो.

रमेश के लण्ड पकड़ते ही मेरा बदन तड़पने लगा.
पहले मैं डर रही थी पर लण्ड पकड़ मचल उठी.

मेरे कहने पर वो मेरी टांगों के बीच आया और मेरी कसी कुंवारी चूत पर अपना छोटा लण्ड रख धक्का मारा, सुपारा कुछ अन्दर गया. फिर 3-4 धक्के मारकर पूरा अन्दर पेल दिया.

कुछ देर बाद उसने धीरे धीरे चोदते हुए पूछा- मेरी जान दर्द तो नहीं हो रहा है. मजा आ रहा है ना?
‘हाय, मारो धक्के, मजा आ रहा है.’

मेरी बात सुन वो तेज़ी से धक्के मारने लगा.

मैं उससे चुदवाते हुए मस्त हो रही थी, उसकी चुदाई मुझे जन्नत की सैर करा रही थी.

नीचे से गांड उचकाती मैं सिसयाते हुए बोली- हाय रमेश, जोर जोर से चोदो, तुम्हारा लण्ड छोटा है. जरा ताक़त से चोदो राजा.

मेरी बात सुन रमेश जोर जोर से चोदने लगा.
उसका छोटा लण्ड सटासट मेरी चूत में आ जा रहा था.

मैं पहली बार चुद रही थी इसलिए रमेश के छोटे लण्ड से भी बहुत मजा आ रहा था.

वो इसी तरह चोदते हुए मुझे जन्नत का मजा देने लगा.

15 मिनट के बाद वो मेरी चूचियों पर लुढ़क गया और कुत्ते की तरह हांफने लगा.
उसके लण्ड से गरम-गरम पानी मेरी चूत में गिरने लगा.

मैं पहली बार चुदी थी और पहली बार चूत में लण्ड की मलाई गिरी थी इसलिए मजे से भर मैं उससे चिपक गई.
मेरी चूत भी टपकने लगी.

कुछ देर हम लोग अलग हुए.
वो कपड़े पहन कर चला गया.

मेरी चूत चिपचिपा गई थी.

रमेश मुझे चोद कर चला गया पर उसकी इस हिम्मत भरी हरकत से मैं मस्त थी.
उसने चोदकर बता दिया कि चुदवाने में बहुत मजा है.

रमेश ठीक से चोद नहीं पाया था, बस ऊपर से चूत को रगड़ कर चला गया था पर मैं जान गई थी कि चुदाई में अनोखा मजा है.

उसके जाने पर मैंने चड्डी पहन ली थी.
मैं सोच रही थी कि जब रमेश के छोटे लण्ड से इतना मज़ा आया है तो पापा अपना मोटा तगड़ा लण्ड पेलेंगे तो कितना मजा आएगा.

रमेश के जाने के 6-7 मिनट बाद ही पापा स्टेशन से वापस आ गए.

अन्दर आते ही वे मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ते हुए बोले- आओ बेटी, अब हम तुमको जवान होने का मतलब बताएँगे.

‘ओह पापा आपने तो कहा था कि रात को बताएँगे.’
‘अरे अब तो मम्मी चली गई हैं अब हर समय रात ही है. मम्मी के कमरे में ही आओ. क्रीम लेती आना.’ पापा मेरी चूचियों को मसलते हुए बोले.

मैं रमेश से चुदकर जान ही चुकी थी. मैं जान गई कि क्रीम का क्या होगा पर अंजान बन बोली- पापा क्रीम क्यों?
‘अरे लेकर आओ तो बताएँगे.’ पापा मेरी चूचियों को इतनी कसकर मसल रहे थे जैसे उखाड़ ही लेंगे.

मैं क्रीम और तौलिया ले मम्मी के बैडरूम में पहुँची. मैं बहुत खुश थी, जानती थी कि क्रीम क्यों मंगाई है. रमेश से चुदने के बाद क्रीम का मतलब समझ गई थी. पापा मुझे लड़की से औरत बनाने के लिए बेकरार थे. मैं भी पापा का मोटा केला खाने को तड़प रही थी.

कमरे में पहुँची तो पापा बोले- बेटी, क्रीम टेबल पर रखकर बैठ जाओ.
मैं गुदगुदाते मन से कुर्सी पर बैठ गई तो पापा मेरे पीछे आये और अपने दोनों हाथ मेरी कड़ी चूचियों पर लाये और दोनों को प्यार से दबाने लगे.

पापा के हाथ से चूचियों को दबवाने में बड़ा मजा आ रहा था.

तभी पापा ने अपने हाथ को गले की ऊपर से फ्रॉक के अन्दर डाल दिया और नंगी चूचियों को दबाने लगे.
मैं फ्रॉक के नीचे कुछ नहीं पहनी थी.
पापा मेरी कड़ी कड़ी चूचियों को मुट्ठी में भरकर दबा रहे थे साथ ही दोनों घुन्डियाँ को भी मसल रहे थे.
मैं मस्ती से भरी मजे ले रही थी.

तभी पापा ने पूछा- क्यों बेटी तुमको अच्छा लग रहा है?
‘हाय पापा, बहुत मजा आ रहा है.’

‘इसी तरह कुछ देर बैठो, आज तुमको शादी वाला मजा देंगे. अब तुम जवान हो गई हो.’
‘हाय तुम लेने लायक हो गई हो. आज तुमको खूब मजा देंगे.’

‘आहह्ह् ऊऊह्ह् पापाआआ.’
‘जब मैं इस तरह से तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो तुमको कैसा लगता है?’

पापा मेरी कड़ी चूचियों को निचोड़कर बोले तो मैं उतावली हो बोली- हाय पापा, उह्ह ससीए इस तरह तो मुझे और भी अच्छा लगता है.
‘जब तुम कपड़े उतारकर नंगी होकर मजा लोगी तो और ज्यादा मजा आएगा. हाय तुम्हारी चूचियाँ छोटी हैं.’

‘पापा मेरी चूचियाँ छोटी क्यों हैं. मम्मी की तो बड़ी हैं.’
‘घबराओ मत बेटी. तुम्हारी चूचियाँ को भी मम्मी की तरह बड़ी कर दूंगा.’

‘हाय बेटी कपड़े उतारकर नंगी होकर बैठो तो बड़ा मजा आएगा.’
‘पापा चड्डी भी उतार दूँ.’ मैं अनजान बनी थी.
‘हाँ बेटी चड्डी भी उतार दो.’
‘लड़कियों का असली मजा तो चड्डी में ही होता है.’

‘आज तुमको सारी बात बताएँगे. जब तक तुम्हारी शादी नहीं होती तब मैं ही तुमको शादी का मजा दूंगा. तुम्हारे साथ में ही सुहागरात मनाऊँगा.’
‘तुम्हारी चूचियाँ बहुत टाइट हैं.’
‘बेटी नंगी हो जाओ.’ पापा फ्रॉक के अन्दर हाथ डाल दोनों को दबाते बोले.

जब पापा ने मेरी चूचियाँ को मसलते हुए कपड़े उतारने को कहा तो यकीन हो गया कि आज पापा के लण्ड का मजा मिलेगा.

मैं उनके लण्ड को खाने की सोच गुदगुदा गई थी. मैं मम्मी की रंगीन चुदाई को याद करती कुर्सी से नीचे उतरी और कपड़े उतारने लगी.
कपड़े उतार नंगी हो मम्मी की तरह ही पैर फैला कुर्सी पर बैठ गई.
मेरी छोटी छोटी चूचियाँ तनी थी और मुझे जरा भी शरम नहीं लग रही थी.

मेरी जाँघों के बीच रोएंदार चूत पापा को साफ़ दिख रहे थे.
पापा मेरी गदराई चूत को गौर से देख रहे थे.
चूत का गुलाबी छेद मस्त था.

पापा एक हाथ से मेरी गुलाबी कली को सहलाते बोले- हाय राम, बेटी तुम्हारी चूत तो जवान हो गई है.

‘अरे बेटी तुम्हारी चूत.’ पापा ने चूत को दबाया.
पापा के हाथ से चूत दबाये जाने पर मैं सनसना गई.
मैं मस्ती से भरी अपनी चूत को देख रही थी.

तभी पापा ने अपने अंगूठे को क्रीम से चुपड़ मेरी चूत में डाला.
वो मेरी चूत क्रीम से चिकनी कर रहे थे.

अंगूठा जाते ही मेरा बदन गनगना गया.

तभी पापा ने चूत से अंगूठा बाहर किया तो उस पर लगे चूत के रस को देख बोले- हाय बेटी यह क्या है, क्या किसी से चुदकर मजा लिया है?

मैं पापा के अनुभव से धक्क से रह गई.
मैं घबराकर अनजान बनती बोली- कैसा मजा पापा?
‘बेटी यहाँ कोई आया था?’
‘नहीं पापा यहाँ तो कोई नहीं आया था.’

‘तो फिर तुम्हारी चूत में यह गाढ़ा रस कैसा?’
‘मुझे क्या पता? पापा जब आप मेरी चूचियाँ मसल रहे थे तब कुछ गिरा था शायद.’ मैं बहाना बनाती बोली.

‘लगता है तुम्हारी चूत ने एक पानी छोड़ दिया है. लो तौलिया से साफ़ कर लो.’
पापा मुझे तौलिया दे चूचियों को मसलते हुए बोले.

पापा से तौलिया ले चूत को रगड़ रगड़कर साफ़ किया.
पापा को रमेश वाली बात पता नहीं चलने दी.

मैं चूचियाँ मसलवाते हुए पापा से खुलकर गन्दी बाते रही थी ताकि सभी कुछ जान सकूं.
‘बेटी जब तुम्हारी चूचियों को दबाता हूँ तो कैसा लगता है?’
‘हाय पापा, तब जन्नत जैसा मजा मिलता है.’

‘बेटी तुम्हारी चूत में भी कुछ होता है?’
‘हाँ पापा गुदगुदी हो रही है.’ मैं बेशर्म हो बोली.

‘जरा तुम्हारी चूचियाँ और दबा लूँ तो फिर तुम्हारी चूत को भी मजा दूँ.’
‘बेटी किसी को बताना नहीं.’
‘नहीं पापा बहुत मजा है, किसी को नहीं पता चलेगा.’

पापा मेरी चूचियों को मसलते रहे और मैं जन्नत का मजा लेती रही.

कुछ देर बाद मैं तड़प कर बोली- ऊओह्हछ पापा अब बंद करो चूचियाँ दबाना और अब अपनी बेटी की चूत का मजा लो.’

अब मैं भी पापा के साथ खुलकर बात कर रही थी. इस समय हम दोनों नहीं बाप-बेटी थे. पापा मेरी चूचियों को छोड़कर मेरे सामने आये. पापा का खड़ा लंड मोटा होकर मेरी आँखों के सामने फुदकने लगा.

लण्ड तो पापा का पहले भी देखा था पर इतनी पास से आज देख रही थी. मेरा मन उसे पकड़ने को ललचाया तो मैंने उसे पकड़ लिया और दबाने लगी. चूत पापा के मस्त लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी.

मैं पापा के केले को पकड़कर बोली- शश पापा आपका लण्ड बहुत मोटा है. इतना मोटा मेरी चूत में कैसे जाएगा?
‘अरे पगली मर्द का लण्ड ऐसा ही होता है. मोटे से ही तो मजा आता है.’

‘पर पापा मेरी चूत तो छोटी है.’
‘कोई बात नहीं बेटी. देखना पूरा जाएगा.’
‘पर पापा मेरी फ़ट जाएगी.’
‘अरे बेटी नहीं फटेगी. एक बार चुद जाओगी तो रोज चुदवाने के लिए तड़पोगी.’

‘अपने पैर फैलाकर चूत खोलो पहले अपनी बेटी की चूत चाट लूँ फिर चोदूँगा.’

मैं समझ गई कि पापा मम्मी की तरह मेरी चूत को चाटना चाहते हैं.
मैंने जब मम्मी को चूत चटवाते देखा था तभी से तरस रही थी कि काश पापा मेरी चूत भी चाटे.

अब जब पापा ने चूत फैलाने के लिए दोनों हाथ से चूत की दरार को छेड़कर खोल दिया.

पापा घुटने के बल नीचे बैठ गए और मेरी रोएंदार चूत पर अपने होंठ रख कर चूमने लगे.

पापा के चूमने पर मैं गनगना गई.

दो चार बार चूमने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी चूत के चारो ओर चलाते हुए चाटना शुरू किया. वो मेरे हलके हलके बाल भी चाट रहे थे. मुझे गज़ब का मजा आ रहा था.

पापा चूत चाटते हुए तीत (क्लिट) भी चाट रहे थे.
मैं मस्त थी.

रमेश तो बस जल्दी से चोदकर चला गया था, चूची भी नहीं दबाया था मजा नहीं आया था.
लेकिन पापा तो चालाक खिलाड़ी की तरह पूरा मजा दे रहे थे.
पापा ने चूत चाटकर गीला कर दिया था. अब पापा चूत की दरार में जीभ चला रहे थे.

कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद पापा ने अपनी जीभ मेरी गुलाबी चूत के लस लसाए छेद में पेल दिया.
जीभ छेद में गई तो मेरी हालत खराब हो गई. मैं मस्ती से तड़प उठी.
पहली बार चूत चाटी जा रही थी. इतना मज़ा आया कि मैं नीचे से चूतड़ उछालने लगी.

कुछ देर बाद पापा चाटकर अलग हुए और मेरी चूत पर लगे लण्ड से चूत रगड़ने लगे.

चूत की चटाई के बाद लण्ड की रगड़ाई ने मुझे पागल बना दिया और मैं उतावलेपन में पापा से बोली- पापा अब पेल भी दो मेरी चूत में … आह हहह ऊऊहह!

पापा ने मेरी तड़पती आवाज़ पर मेरी चूचियों को पकड़कर कमर को ऊठाकर धक्का मारा तो करारा शॉट लगने पर पापा का आधा लण्ड मेरी चूत में समा गया.

पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी छोटी चूत को ककड़ी की तरह चीरकर घुसा था.
आधा जाते ही मैं दर्द से तड़पकर बोली- आआ हहह ऊऊईई ममआ मररर!! गई पापा. धीरे धीरे पापा बहुत मोटा है पापा … चूत फट गई.

पापा का मोटा और लम्बा लण्ड मेरी चूत में कसा था. मेरे कराहने पर पापा ने धक्के मारना बंदकर मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया.
अब मजा आने लगा.
6-7 मिनट बाद दर्द ख़त्म हो गया.

अब पापा बिना रुके धक्के लगा रहे थे. धीरे धीरे पापा का पूरा लण्ड चूत की झिल्ली फाड़ता हुआ घुस गया.
मैं दर्द से छटपटाने लगी. ऐसा लगा जैसे चूत में चाकू धंसा है.

मैं कमर झटकती हुई बोली- हाय पापा मेरी चूत फ़टट गई. निकालो मुझे नहीं चुदवाना.

पापा अपना लण्ड पेलते हुए मेरे गाल चाट रहे थे. पापा मेरे गाल चाट बोले- बेटी रो मत अब तो पूरा चला गया. हर लड़की को पहली बार दर्द होता है फिर मजा आता है.

कुछ देर बाद मेरा कराहना बंद हुआ तो पापा धीरे धीरे चोदने लगे. पापा का कसा कसा लण्ड आ जा रहा था. अब सच ही मजा आ रहा था. अब जब पापा ऊपर से धक्का लगाते तो मैं नीचे से गांड उछालती. रमेश तो केवल ऊपर से रगड़ कर चोदकर चला गया था. असली चुदाई तो पापा कर रहे थे.

पापा ने लण्ड पूरा अन्दर तक पेल दिया था. पापा का लण्ड रमेश से बहुत मजेदार था. जब पापा शॉट लगाते तो सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी तक जाता. मुझे जन्नत के मजे से भी अधिक मजा मिल रहा था.

तभी पापा ने पूछा- बेटी, अब दर्द तो नहीं हो रही है.’
‘हाय पापा अब तो बहुत मजा आ रहा है. आहहहछ पापा और जोर जोर से चोदिये पापा.’

इसी तरह 30 मिनट बाद पापा के लण्ड से गरम गरम मलाईदार पानी मेरी चूत में गिरने लगा. जब पापा का पानी मेरी चूत में गिरा तो मैं पापा से चिपक गई और मेरी चूत भी फलफलाकर झड़ने लगी. हम दोनों साथ ही झड़ रहे थे.

पापा ने फिर मुझे रात भर चोदा.

सुबह 10 बजे सोकर उठे तो मैंने पापा से कहा- पापा आज फिर चोदेंगे?
‘अरे मेरी जान अब मैं बेटीचोद बन गया हूँ. अब तो रोज ही चोदूँगा.’
‘अब तू मेरी दूसरी बीवी है पर पापा जब मम्मी आ जाएंगी तो?’

‘मेरी जान उसे तो बस एक बार चोद दूंगा और वो ठंडी हो जाएगी फिर तेरे कमरे में आ जाया करूंगा.’
मैं फिर पापा के साथ रोज सुहागरात मनाने लगी.

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हॉट वाइफ की चुदाई का नजारा मैंने देखा जब मेरी पड़ोसन अपने पति से चुद रही थी और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी. मेरे पति आये तो मैं उनसे चुद कर कुछ शांत हुई.

कहानी के पहले भाग
जवान पड़ोसन की चुदाई देखी
में आपने पढ़ा कि मेरे पड़ोस में रहने वाला युगल अपनी शादी की अर्धवार्षिकी के अवसर पर जम कर चुदाई कर रहा था. मैंने खिड़की से छुप कर उनकी चुदाई देख रही थी.

अलका की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, उसका जिस्म मचल रहा था.
तभी सचिन ने दूसरी उंगली भी उसकी चूत में डाल दी.
अलका- अआआ … ह्ह्हह … अ..अ … ओय … दर्द हो रहा है … धीरे … कर … ना … अआआ … ह्ह्हह … अब बस कर … अआआ … ह्ह्हह … सचिन … अआआ आआ..ह्ह
तभी अलका एक तेज चीख के साथ थोड़ी ऊपर उठी और धड़ाम से बिस्तर पर गिर कर लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.

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अब आगे हॉट वाइफ की चुदाई:

अलका का हाल देख कर सचिन रूक गया और चूत से उंगली निकाल कर एक हाथ से अपना जॉकी उतार दिया.

उसका मोटा लण्ड उछल के बाहर आ गया.

‘ओह्ह्ह माई गॉड!’ कितना लम्बा था और कितना मोटा सुपारे की चमड़ी के बीच से गुलाबी सुपारा साफ चमक रहा था.

उसके दमदार लण्ड को देखते ही मेरी चूत से पानी टपकने लगा.
मेरा दिल किया कि अभी अंदर जा कर अलका के सामने ही चुद जाऊं.

तभी सचिन ने अलका को उठाया और बेड के साइड में बैठा दिया और खुद नीचे खड़ा होकर उसके होटों पर लण्ड फिराने लगा.

अलका के चेहरे से लग रहा था कि वह चूसने के मूड में नहीं है.
पर सचिन आज बिल्कुल मूड में था.
फिर भी अलका उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर उस दबा रही थी, उसे चूम रही थी.
सचिन का विकराल लण्ड ठुमक रहा था.

इधर मेरी चूत में खलबली मची थी, चूत का रस बह कर मेरी जांघ को गीला कर चुका था.

तभी सचिन ने उसके बाल पकड़ के जोर से खींचा तो दर्द से अलका का मुँह खुल गया और सचिन ने उसके मुँह में मोटा लण्ड ठूस दिया.
अलका की आंखें बाहर को आ गई- अँगुगुगु … गूऊ गूऊ गूऊऊ … गुं गुं गुं ऊऊ!
उसकी आँखों से पानी के कतरे बहने लगे.

फिर सचिन ने अपने लण्ड से अपनी पत्नी का मुखचोदन करने लगा.
‘गूऊगू ऊगूऊऊ गूऊगू ऊगू ऊऊ उम्म्म गु गुं गुं ऊऊ ऊ ऊ ऊ’ ऐसी आवाजें आ रही थी.

सचिन के चूतड़ रिदम में आगे पीछे हो रहे थे.
थोड़ी ही देर में उसके चूतड़ों की थिरकन बढ़ गई.
साफ समझ में आ रहा था कि वह झड़ने की कगार पे था.

अलका भी समझ गई … वह लण्ड को अपने मुख से निकालने की कोशिश करने लगी.
पर सचिन की पकड़ मजूबत थी, एक जोर से हुंकार लेते हुए सचित ने अपना लंड और जोर से उसके मुँह में ठूँस दिया और भरभरा कर झड़ने लगा.

अलका की आँख लाल हो गई थी, आँखों से पानी बह रहा था, पूरा चेहरा लाल था, होटों की दरार से वीर्य की सफ़ेद धार बहने लगी.
सचिन का लण्ड सिकुड़ के बाहर आ गया, सिकुड़ा हुआ लण्ड भी काफी बड़ा लग रहा था.

और तभी मेरी चूत का भी काम तमाम हो गया.

अलका सचिन की पकड़ से छूटते ही मुँह दबा कर बाथरूम की तरफ भागी.
यह देख कर सचिन लण्ड को सहलाते हुए मुस्कुराने लगा, फिर अपना पैग बनाने लगा.

अलका उसके पास आकर उससे उसकी बेहरमी के लिए गुस्सा कर रही थी.
पर सचिन ने उसको बाँहों में भर कर गिलास मुँह में लगा दिया.

अलका एक बड़ा सिप लेकर वैसे ही बिस्तर पर लेट गई.
सच में उसकी चिकनी चूत इतनी गोरी थी … मुझे भी शर्म आ गई क्योंकि मेरी चूत थो इतनी गोरी ना थी.

सचिन उसकी जांघों पर बैठ गया.
उसका विकराल लण्ड पेंडुलम की भांति झूल रहा था. झड़ा हुआ लण्ड भी काफी बड़ा लग रहा था.

सचिन ने उसके बदन पे व्हिस्की गिरा दी और झुक के चाटने लगा.
मोटी जीभ के स्पर्श और ठंडी व्हिस्की ने अलका के बदन में गर्मी ला दी, वासना भर दी, उसे कामातुर कर दिया.

अलका वासना में डूब कर सचिन का मोटा लण्ड पकड़ कर उसे फैंटने लगी.

कुछ ही पल में लड़ अपने विशाल रूप में आ गया.
अलका बोलने लगी- अब डाल भी दो, तुम बहुत तड़पाते हो!

सचिन भी कामातुर था तो उसने भी उसकी टांगों को अच्छे से फैला दिया और बीच में पोजीशन लेकर उसकी चूत पर लण्ड रगड़ने लगा.

उसने अलका के पैरों को अपने कंधे पे रखा और एक हाथ से लण्ड दूसरे से झुक के कन्धा पकड़ा फिर थोड़ा सा दबाव बनाया तो लण्ड ने चूत को फैलाते हुए प्रवेश कर लिया.

अलका का मुँह खुल सा गया.
तभी सचिन ने अपने चूतड़ पीछे किये और एक जोरदार झटके ने पूरा लण्ड अलका की चूत में डाल दिया.

अलका की एक घुटी घुटी सी चीख निकल गई- अहह्ह ऊईई ओह स्सीईई अआईई उईई माँ मर गई आईई ईई उफ्फ़! आह ह्ह्ह माँ आईई मार दिया तुमने मुझे … इतना मज़ा उफ … धीरे से करो सचिन!

और चीख निकले भी क्यों ना … सचिन का लण्ड था ही इतना मोटा!
अलका अभी भी कमसिन सी लड़की ही लगती थी और शादी को भी छह महीने ही हुए थे.
उसकी चूत सचिन के मोटे लण्ड के हिसाब से और रोज़ चुदने के बावजूद अभी भी छोटी ही थी.

सचिन के भारी चूतड़ रिदम में आगे पीछे होने लगे.

इधर मेरी उंगली लोअर के अंदर चूत में अंदर बाहर हो रही थी, उधर अलका की चूत में लण्ड अंदर बाहर हो रहा था.

अलका बस सिसकारी भर रही थी- आआ आहह आईईइ म्म्म्म म्मम अहहा उम्म … उम्म्ह … अहह … हय … याह … आऽऽह … उम्मम्म … ऊऊहह … अआआआ … अहहन्न न्न्न्न्ना … आआ … आह्ह्ह हईई … ऊओहन नाह्ह्ह्ह्ही ईईइ!

‘फ़च … फ़च … फ़च … फ़च …’ की मधुर और मंद आवाज़ के साथ सचिन लंड को चूत के भीतर-बाहर हो रहा था.

‘इईई … श्शस्शह … अअ … उम्म्ह … अहह … हय … याह … आआआ … ह्ह्ह् … हाहाहा आआआ …’ काम में डूबी अलका अलका की आवाज़ से साफ पता चल रहा था कि वह किस आनंद के सागर में गोते लगा रही थी.

वह कई बार शिथिल सी हो जाती थी पर सचिन के शॉट रुकते नहीं थे.

तभी सचिन ने लण्ड निकाल कर उसको घोड़ी बनने का इशारा किया.
तो अलका तुरंत पलट गई.
सचिन ने झुक के उसके चूतड़ को चाटा और चूतड़ पर एक जोर से चांटा मारा.
अलका चीख पड़ी- आअह्ह उफ उईई ईई!

सचिन का लण्ड रोशनी में चूत के रस में भीगा हुआ चमक रहा था.
उसने अलका का कन्धा पकड़ा और एक बार फिर लण्ड को अलका की चूत में उतार दिया.
अलका फिर कराही- उईई माँ … मार डाला!

वह सही कहती थी, काफी देर सचिन उसको चोद रहा था पर अभी तक उसका वीर्य नहीं निकला था.

मेरे अंदर ताकत नहीं थी कि मैंने और खड़ी रह सकूं.
सचिन के चूतड़ हिल रहे थे तो बीच बीच में वो झुक के चूचियां भी मसलने लगता.

तभी सचिन ने एक जोर से हुंकार भरते हुए उसकी चूत में अंदर तक लण्ड घुसा दिया और अलका के जिस्म पर गिर गया.
अलका उसके नीचे दबी हुई थी.

मैं भी वही फर्श में बैठ गई और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.

फिर मैं किसी तरह उठ के अपने घर आ गई.

घड़ी में करीब 12 बजे थे.
मैं उन दोनों की लम्बी चुदाई का एक राउंड देखकर आई थी तो मेरी चूत को लण्ड की जरूरत थी.
पर अखिल अभी आया नहीं था, मुझे उसपर गुस्सा भी आ रहा था कि वह मेरी जगह अपने बॉस के साथ गांड मरा रहा था.

तभी अखिल का कॉल आ गया, बोला कि वह थोड़ी देर में घर आ जायेगा.

मैं तुरंत उठी और फटाफट शावर में जाकर अपनी चूत और गांड को को अच्छे से साफ किया.
मैंने एक ट्रांसपेरेंट मिनी मिडी पहनी और हल्का सा तैयार होकर अपनी चुदाई का इंतज़ार करने लगी.

तभी अखिल भी आ गया.
उसके चेहरे से लग रहा था कि साला बहुत थका है.

पर उसने जब देखा कि मैं बिना ब्रा पैंटी के मिडी में हूँ तो एक अच्छे पति की तरह वह समझ गया कि मैं चुदाई के लिए मचल रही हूँ.

तो वह फटाफट शावर ले बिस्तर पर आ गया.

मैं उसके आते ही उसका लण्ड चूसने लगी.
लण्ड भी तुरंत तैयार हो गया.

मेरी चूत तो सचिन का लण्ड सोच सोच के ही गीली थी.
तो हम दोनों ने एक राऊण्ड धमाकेदार चुदाई की.
मैंने अखिल के लण्ड को अपनी गांड उछाल उछाल के अपनी चूत में लिया.
इस बीच मैं दो बार झड़ भी गई जब अखिल का रस निकला.

हॉट वाइफ की चुदाई हो चुकी थी पर मेरा दिल नहीं भरा था तो अखिल का लण्ड फिर से चूसने लगी और कुछ ही देर में मैं उसके ऊपर आ के अपनी गांड उछाल उछाल कर लण्ड चूत में लेने लगी.
अखिल भी जोश में आ गया, वह दोनों हथेली से चूतड़ को पकड़ कर मुझे उछालने लगा.

कुछ समय में मेरा जोश ठंडा हो गया और मैं उसके सीने पर गिर सी गई.
पर उकसाया तो मैंने था अखिल को … तो उसने वैसी ही मुझे बिस्तर पे गिरा के साइड से चोदना शुरू कर दिया.

‘अआआ … इईई ईई … अआउऊचच … ओय्ययय … अआआ … ह्ह्हह … अ..आउच … अआआहह अआआ … ह्ह्हह!’
और एक बार फिर सचिन ने मेरी चूत में अपना सारा वीर्य उड़ेल दिया.

हम दोनों इतने थक चुके थे कि उसी तरह सो गए.

सुबह होने के साथ एक नए दिन की शुरुआत हुई.
अखिल काम पर चला गया क्योंकि उसके बॉस आये हुए थे.

मुझे अलका से बात करने की जल्दी थी तो मैंने अपना सारा काम फटाफट निपटाया.

मैं नहा कर निकली ही थी कि अलका आ गई.
मैंने हम दोनों के लिए कॉफ़ी बनाई और उससे दूसरी सुहागरात के बारे में पूछने लगी.

अलका ने थोड़ी शरमाते हुए बताया कि पूरी रात सचिन ने उसको चोदा. करीब 4 बजे वे दोनों सोये थे. उसकी चूत में दर्द हो रहा है. दो बार सिकाई कर चुकी है फिर भी दर्द है. निप्पल में जलन हो रही है.

मेरे दिलोदिमाग में सचिन का लण्ड छाया हुआ था … बस उसका लण्ड अपनी चूत में लेने का दिल कर रहा था.
मुझे पता था कि अखिल को अलका की चूत मिलेगी तो वह मुझे सचिन से चुदने के लिए मना नहीं करेगा.

पर कैसे?

एक बात मैंने पक्की कर ली कि पति को बता कर ही सचिन से चुदाई करवाऊंगी और अलका को भी किसी न किसी तरह, किसी भी बहाने से अखिल से चुदने के लिए राज़ी कर लूंगी.

इसलिए मैं अलका से सेक्स के बारे में ज्यादा बात करने लगी थी, पराये मर्द से चुदाई की कहानी, विडियो उसके साथ शेयर करने लगी.
साथ ही साथ मैं उसको यह भी बोलती कि अखिल उसको बहुत पसंद करते हैं.

मैंने उसे बताया- अखिल बोलते हैं कि अलका बहुत खूबसूरत है, उसका मांसल बदन बहुत अच्छा है. चूचियां भी भरी भरी हैं.

ये सब सुन कर अलका शुरू में तो शर्मा जाती थी, कहती- धत दीदी, आप भी ना!
पर धीरे धीरे वह भी उन सब बातों को पसंद करने लगी, उसको इन सब बातों में रस आने लगा.
वह अखिल से भी खुलने लगी, मज़ाक भी करने लगी थी.

अगर कभी मैं अखिल की बात नहीं करती तो वह खुद ही उसकी बात करने लगती.
तो मैं उसको बोलती कि रात को उसने दो बार चुदाई की. देर तक मेरी चूत चाटी.

ये सब सुन कर अलका कसमसाने लगती, उसका चेहरा लाल हो जाता.
मेरी भी समझ में आ जाता कि अलका की पैंटी गीली हो रही है.

फिर एक दिन अलका ने बोला- दीदी, अगर मैं अखिल को सचमुच पटा लूं तो आप क्या करेंगी?
मैं- करना क्या है … तू अखिल को पटायेगी तो मैं सचिन को पटा लूंगी. उसका लण्ड भी तो सख्त और मोटा है. जब तेरे पति मुझे चोदेंगे और मेरा पति तुझे चोदेगा तो हम दोनों की दोस्ती और पक्की हो जाएगी.
तो हंस कर अलका मेरे से लिपट गई.

इधर दूसरी तरफ मैं अखिल को बताती कि अलका उसको पसंद करती है बहुत!
मैं उसको बोलती- तुम सम्भोग में मेरी चूत जम के चूसते हो तो वह काफी उत्तेजित हो जाती है.

ये सब सुन के अखिल भी खुश हो जाते, बोलते- अलका काफी खूबसूरत है. किसी रोज़ लाओ उसको बैडरूम में … तो उसको भी अपनी मर्दानगी स्वाद चखा दूँ.

तो मैंने अखिल से झूठ बोल दिया- अलका तो कब से बेचैन है तुम्हारे से अपनी चूत चुसवाने को … पर मैंने ही हामी नहीं भरी. आखिर तुमसे पूछना भी तो जरूरी था!
अखिल- कमाल करती हो जान … ऐसे काम में पूछा नहीं जाता है. अलका जैसी मांसल और गठीली औरत को चोदने को तो मैं आधी रात को भी तैयार हूँ.

“तो ठीक है, फिर मैं अलका को आज ही ग्रीन सिग्नल देती हूँ. पर अगर तुम अलका को चोदोगे तो मैं भी सचिन से चुदवाऊंगी. फिर तुम मुझे मत टोकना!”
अखिल- कैसी बात करती हो जान, यह भी कोई टोकने की बात है. हम लोग पढ़े लिखे नए ज़माने के लोग हैं. मुझे तो अच्छा लगा कि तुमने अपनी दिली इच्छा खुल कर बताई. तुम भी सचिन के साथ खुल कर चुदाई का मज़ा लो. चार दिन की तो जवानी है, इसका खुल के मज़ा लेना चाहिए.

अब मैं बिल्कुल निश्चिन्त थी कि जल्द ही सचिन का लण्ड मेरी चूत में होगा.
और यह भी पता था कि अलका भी अखिल से अपनी चूत चटवाने के लिए मचल रही है.

पर मैं अलका को अखिल से चुदवाने पहले खुद सचिन से चुदना चाहती थी.
तो मैं इंतज़ार कर रही थी कि कब अलका अपने मायके जाये और मैं सचिन से चुदाई करवा लूं.

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