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सवेरे मैं सुस्ती में उठी… अलसाई Antarvasna सी बाहर बरामदे में आ गई और कसमसाते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए अपने बोबे को पूरा बाहर उभारते हुए अंगड़ाई ली… कि पीछे से एक सिसकारी सुनाई दी- रोशन जी… ऐसी अंगड़ाई से तो मेरे दिल के टांके टूट जायेंगे…! गुड मॉर्निंग…!’ साहिल मुसकराता हुआ बोला.
‘हाय रे… आप यहाँ…?’ मैं शरमा गई… दोनों हाथों से अपनी चूचियों को छिपाने लगी… पर रात की बातें मुझे याद आ रही थी। अब मैं भी कुछ करना चाहती थी… साहिल का सामना करना चाहती थी… शायद आज वो मेरे साथ जोर जबरदस्ती करे… पर इसके विपरीत मैं उसे रिझाना चाहती थी… पर मुझमें इतना साहस नहीं था… पर साहिल बेशरम था… एक के बाद एक मुझ पर तीर मारता गया… मुझे काम भी बनता नजर आने लगा… मैं मन मजबूत करके वहीं खड़ी रही.
‘ज़रा हाथ नीचे करो ना… आपके वक्ष बहुत सुन्दर हैं… और सुन्दरता दिखाई जाती है… छुपाई नहीं जाती…!’ मेरी चूचियों को निहारते हुए उसने कहा।
‘हाय साहिल जी… ऐसे ना कहो… मुझे शरम लगती है…’ मैंने अपने सीने से हाथ हटा कर चेहरा छुपा लिया।
वो मेरे पास आ गया और मेरे चेहरे को ऊपर उठा दिया…
‘इस खूबसूरत चेहरे पर पर्दा न करो… ये बड़ी बड़ी आंखें… गोरा रंग… गुलाबी गाल… ये इकहरा बलखाता बदन… गजब की सुन्दरता… खुदा ने सारी खूबियाँ आप में डाल दी हैं…’
‘हाय मैं मर जाऊँगी…’ मैं सिमटती हुई बोली। उसकी बातें मुझे शहद से ज्यादा मीठी और सुहानी लग रही थी। मैं इस बात से बेखबर थी कि कमला अपने कमरे के बाहर खड़ी सुन कर मुस्करा रही थी.
‘हाय… कश्मीर की वादियाँ भी इतनी सुन्दर नहीं होंगी जितनी सुडौल ये पहाड़ियाँ है… ये तराशा हुआ बदन… ये कमर… कही कोई अप्सरा उतर आई हो जैसे…’ मैंने अपनी आखें बन्द किये ही अपने हाथ नीचे कर लिये… मेरे उभार अब उसके सामने थे। साहिल मेरे बहुत नज़दीक आ गया था… अब मुझसे सहन नहीं हो रहा था… मैं घबरा उठी।
‘हाय राम जी…!’ मैं कहती हुई मुड़ी और भागने के ज्यों ही कदम बढ़ाया मैं कमला से टकरा गई।
‘हाय राम… मां जी… आप…?’
‘जरा सम्हल कर रोशन… गिर जायेगी…! सुन मैं ज़रा काम से बाज़ार जा रही हूँ… साहिल को चाय नाश्ता और खाना खिला देना… देखना कुछ कमी न हो… एक बजे तक आ जाऊँगी…’ मुस्कुराती हुई आगे बढ़ गई।
साहिल ने फिर एक तीर छोड़ा- भरी जवानी… जवान जिस्म… तड़पती अदायें… किसके लिये हैं…’
मैंने देखा कमला जा चुकी थी। अब हम दोनों घर में अकेले थे… और कमला ने जब साहिल को छूट दे दी थी तो मुझे भी उसका फ़ायदा उठा लेना था।
‘कहाँ से सीखा… ये सब…’
‘जब से आप जैसी सुन्दरी देखी… दिल की बात जबान पर आ गई…’ मैं अब चलती हुई अपने कमरे में आ गई… साहिल भी अन्दर आ गया… मैंने चुन्नी उठाई और सीने पर डालने ही वाली थी कि उसने चुन्नी खींच ली… इसे अभी दूर ही रहने दो… और दो कदम आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ लिया…
‘ये क्या कर रहे है आप… छोड़ दीजिये ना…’ मैं सिमटने लगी… हाथ छुड़ाने की असफ़ल कोशिश करने लगी।
‘रोशन… प्लीज… आप बहुत अच्छी हैं… बस एक बार मुझे किस करने दो… फिर चला जाऊँगा…’ उसने अब मेरी कमर में हाथ डाल दिया। नीचे से उसका पजामा तम्बू बन चुका था… मेरी चूत भी गीली होने लगी थी। मैं बल खा गई और कसमसाने लगी… शर्म से मैं लाल हो उठी थी। मेरा बदन भी आग हो रहा था।
‘साहिल… देख… ना कर… मैं मर जाऊँगी…’ मैंने नखरे दिखाते हुए, बल खा कर उसके बदन से अपना बदन सहलाने लगी… और उसे धकेलने लगी
‘रोशन… देख तेरे सूखे हुए होंठ… तड़पता हुआ बदन… आजा मेरे पास आजा… तेरे जिस्म में तरावट आ जायेगी…’
‘साहिल… मैं पराई हूँ… मैं शादीशुदा हूँ… ये पाप है…’ उसे नखरे दिखाते हुए मैं शरम से दोहरी होने लगी…
‘रोशन तेरे सारे पाप मेरे ऊपर… तुझे पराई से अपना ही तो बना रहा हूँ…’ उसने अपना लण्ड मेरे चूतड़ो पर गड़ा दिया…
‘साहिल सम्हालो अपने आप को… दूर रखो अपने को…’ अब तो वस्तव में मुझे पसीना लगा था। मेरा बदन सिहर उठा था। कमला की रात वाली चुदाई मेरी आंखो के सामने घूमने लगती थी। मुझे लगा कि ये अपना लण्ड मेरी चूत में अब तो घुसेड़ ही देगा। मेरी चूतड़ो की दरार में उसका लण्ड फ़ंसता सा लगा। लण्ड का साईज़ तक मुझे महसूस होने लगी थी। मैंने घूम कर साहिल के चेहरे की तरफ़ देखा। उसके चेहरे पर मधुरता थी… मिठास थी… मुस्कुराहट थी… लगता था कि वो मुझ पर किस कदर मर चुका था।
मैं शरम के मारे मरी जा रही थी। मुझे उसने प्यार से चूम लिया। मैंने उसकी बाहों में अपने आप को ढीला छोड़ दिया… चूतड़ो को भी ढीला कर दिया। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया… मेरे साथ उसका पजामा भी नीचे आ गिरा… उसने मेरा ब्लाऊज धीरे से खोल कर उतार दिया… मेरी छोटी छोटी पर कड़ी चूंचिया कठोर हो गई… उसने मेरे दोनों कबूतर पकड़ लिये… हम दोनों अब पूरे नंगे थे।
मैं उसकी बाहों में कसमसा उठी। मैं सामने बिस्तर पर हाथ रख कर दोहरी होती गई और सिमटती गई… पर झुकने से मेरी गांड खुल गई और उसका लण्ड मेरी दरारो में समाता चला गया… यहाँ तक कि अन्दर के फूल को भी गुदगुदा दिया।
मुझे एकाएक फूल पर ठंडा सा लगा… साहिल ने अपने थूक को मेरे गाण्ड के फ़ूल पर भर दिया था। लगा कि चिकना सुपाड़ा फ़ूल के अन्दर घुस चुका था। मेरे मुख से आह निकल गई… मेरी दुबली पतली काया… गोरी गोरी सुन्दर सी गोल गोल गाण्ड… मेरी प्यासी जवानी अब चुदने वाली थी।
‘हाय रे रोशन… कितनी चिकनी है रे… ये गया…’ लण्ड मेरी गाण्ड के अन्दर सरकता चला गया… मेरे दिल में चैन आ गया… चुदाई के साथ सथ ही मेरे शरीर में चुदाई की झुरझुरी भी आने लगी थी कि आखिर चुदाई शुरू हो ही गई।
उसके हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुये बोबे तक पहुंच गये थे… और अब… हाय रे… उसने मेरी छाती मसल डाली… मैं शरम से सिकुड़ सी गई… मैं धीरे धीरे बिस्तर पर पसर गई… मैंने अब हिम्मत करके शरम छोड़ दी।
अब मैंने मेरी दोनों टांगे खोल दी… पूरी चौड़ा दी… उसे मेरी गाण्ड मारने में पूरी सहूलियत दे दी… अब मेरे चूतड़ो को मसलता… थपथपाता… नोचता… खींचता हुआ गाण्ड चोद रहा था… मुझे मस्ती चढती जा रही थी। अपनी मुठ्ठियो में तकिये को भींच रही थी। दांतो से अपने होंठो को काट रही थी… और पलंग़ धक्को के साथ हिल रहा था।
अब वो मेरे पर लेट गया था… उसका पूरा भार मेरी पीठ पर था… और कमर हिला हिला कर धक्के मार रहा था। मेरी गाण्ड चुदी जा रही थी। मेरे मुख से बार बार आहें निकल पड़ती थी।
‘मेरी जानू… अब बस… अब तेरी चूत की बारी है…’ और अपना लण्ड गाण्ड से धीरे से निकाला और चूत का निशाना साध लिया। मुझे एकाएक अपनी चूत पर चिकने सुपाड़े की गुदगुदी हुई और मेरी चूत ने लण्ड के स्वागत में अपने दोनों पट खोल दिये… और लण्ड अकड़ता हुआ तीर की तरह अन्दर बढ चला।
‘मां रीऽऽऽऽ आऽऽऽह… चल… घुस जा… राम जी रे…’ मेरा मन और आत्मा तक को शांति मिलने लगी… लण्ड चूत की गहराई तक घुसता चला गया… और जड़ तक को छू लिया। दर्द उठने लगा… पर मजा बहुत आ रहा था। चूत को फ़ाड़ता हुआ दूसरे धक्के ने मेरे मुख से जबरदस्त चीख निकाल दी… मेरी चूत से खून बह निकला…
‘हाय… साहिल देख बहुत दर्द हो रहा है… धीरे कर ना…’
‘हाय रे मेरी बच्ची को मार देगा क्या…’ कमला की पीछे से आवाज आई… मैं घबरा उठी… ये कहाँ से आ गई…
‘नहीं वो धक्का जोर से लग गया गया था… बस…’
‘रोशन… मेरी बच्ची… मैं हूँ यहाँ… आराम से चुदवा ले…’ कमला ने हम दोनों को ठीक से लेटाया और तौलिए से खून साफ़ किया और मेरी चूत पर क्रीम लगाई…
‘अरे… गाण्ड भी मार दी क्या…’ मेरे पांव उपर करके गान्ड में भी चिकनाई लगा दी।
‘अब ठीक है… चलो शुरु हो जाओ…’ अब साहिल मेरे दोनों पांवो के बीच में आ गया और लण्ड को चूत में उतार दिया… चिकनी चूत में लण्ड मानो फ़िसलता हुआ… आराम से पूरा बैठ गया। मुझे बड़ा सुकून मिला। अब चुदाई बहुत प्यारी लग रही थी।
कमला भी अब मेरे बोबे सहला रही थी। रह रह कर वो साहिल की गाण्ड भी सहला देती थी थी और अपना थूक लगा कर अंगुलि को उसकी गाण्ड में डाल देती थी। इस प्रक्रिया से साहिल बहुत उत्तेजित हो जाता था।
अब कमला ने साहिल की गाण्ड को अंगुली से चोदना चालू कर दिया था। उसके धक्के भी बढ़ गये थे… मेरी चुदाई मन माफ़िक हो रही थी मेरा जिस्म बिजली से भर उठा था… बदन कसावट में आ चुका था, सारी दुनिया मुझे चूत में सिमटती नजर आ रही थी। लगा कि सारी तेजी… सारी बिजलियाँ… सारा खून मेरी चूत के रास्ते बाहर आ जायेगा… और… और…
‘मां री ऽऽऽऽऽ… हाऽऽऽऽय रे… मर गई…’
‘बस… बस… बेटी… हो गया… निकाल दे… झड़ जा…’ कमला प्यार से मेरे उरोजो को सहलाते हुए झड़ने में मदद करने लगी…
‘मम्मी… मैं गई… ईईऽऽऽऽऽऽऽ… आईईईइऽऽऽऽ… मेरे राम जी…’ और मैं जोर से झड़ गई…
‘अरे धीरे चोद ना… देख वो झड़ रही है…’ उसकी चुदाई धीमी हो गई… ऐसे में झड़ना बहुत सुहाना लग रहा था… पर साहिल जोर लगाने की कोशिश कर रहा था।
कमला ने उसकी कमर थाम रखी थी कही वो झटका ना मार दे। मैंने साहिल का लण्ड बाहर निकाल दिया और करवट ले कर लेट गई। कमला ने उसका लण्ड हाथ में भरा और जोर से रगड़ कर मुठ मारा और ‘ओ मां की चुदी… मैं मर गया… हाय निकाल दिया रे भोसड़ी की…’ और पिचकारी छोड़ दी…
‘देख इस मां के लौड़े को… पिचकारी देख…’ मैंने अपना मुख दोनों हाथो से छुपा लिया। वो झड़ता रहा… और एक तरफ़ बैठ गया।
मैंने जल्दी से पेटीकोट उठाया… पर कमला ने छीन लिया…
‘अभी और चुद ले… अपने पिया तो परदेस में है… सैंया से ठुकवा ले… अभी उनके आने में बहुत महीने हैं…’
‘मांऽऽऽ… तुम बहुत… बहुत… बहुत अच्छी हो’… प्यार से मैं मां के गले लग गई।
मन में आया कि पिया भले ही परदेस में हो… हम माँ बेटी तो साहिल के जिस्म से अपनी चूत की आग तो शांत ही कर सकती है ना…
साहिल एक बार और मेरे पर चढ़ गया… मैंने भी अपने पांव चौड़ा दिये… उसका कठोर लण्ड एक बार फिर से मेरी नरम नरम चूत को चोदने लग गया, लगा मेरी महीनों की प्यास बुझा देगा।
‘बेटी मैं तो जवानी से ही ऐसे काम चला रही हूँ… खाड़ी के देश गये हैं… इस खड्डे को तो फिर पड़ोसी ही चोदेंगे ना…’
‘मां अब चुप हो जा… चुदने दे ना…’ मुझे उनका बोलना अच्छा नहीं लग रहा था… रफ़्तार तेज हो उठी थी… सिसकियों से कमरा गूंज उठा… Antarvasna
मेरा नाम विकास है, Antarvasna Sex Stories प्यार से लोग मुझे वीरू बुलाते है।
पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ, मैं हरियाणा में रहता हूँ, यहाँ मेरा पूरा परिवार रहता है। मेरी लम्बाई सवा पांच फ़ुट है, भरा हुआ शरीर है, लंड की लम्बाई साढ़े पाँच इंच है और मोटाई 2.5 इंच है।
मैंने इससे पहले कभी सेक्स नहीं किया था जो आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ वो मेरी पहले सेक्स की कहानी है। उसके बाद मैंने कईयों बार सेक्स किया। सेक्स में मजा ही ऐसा होता है, जितना करो उतना और ज्यादा करने का मन करता है।
तो अब अपनी कहानी सुनाता हूँ!
बात दो साल पहले की है जब मैं 18 साल का था, अब 20 साल का हूँ। हमारे घर के आगे एक छोटा सा गार्डन है।
तो एक बार मैं घर पर अकेला था, ब्लू फिल्म देख रहा था। मैंने उस समय निक्कर पहन रखी थी। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने निक्कर और अंडरवियर उतार दिया और मुट्ठ मारने लगा कि अचानक दरवाज़े पर घण्टी बज़ी।
मैं जल्दी-जल्दी में सिर्फ निक्कर ही पहन कर चला गया, दरवाजा खोला तो एक 20-21 साल की लड़की खड़ी थी, रंग एकदम गोरा, पतली कमर, लम्बे बाल, जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी, एकदम मॉडल लग रही थी।
वो एक सेल्स-गर्ल थी, लेडीज सामान बेच रही थी, ब्रा और पैंटी की नई कोलेक्शन। मेरा लंड पहले से ही आधा खड़ा था, उसे देख और भी खड़ा हो गया। उसे शायद मालूम हो चुका था कि मेरा लंड खडा है क्योंकि साफ़ दिख रहा था।
वो पहले बोली- क्या यहाँ कोई लेडीज है?
मैंने कहा- है तो सही पर अभी बाहर गई है, अभी 5 मिनट में आ रही है।
तो वो प्रतीक्षा करने लगी। उसे क्या मालूम कि घर शाम के पाँच बजे तक खाली है।
थोड़ी देर बाद वो बोली- एक ग्लास पानी मिलेगा?
मैंने कहा- जरूर मिलेगा!
मैं उसके लिए पानी लेने गया और सोचने लगा कि इसको कैसे फंसाया जाये?
मुझे एक तरकीब सूझी।
मैं जैसे ही उसके पास पानी लेकर पंहुचा, जानबूझ कर उसके कपड़ों पर पानी गिरा दिया। वो पूरी गीली हो गई। क्या मस्त चूची लग रही थी उसकी गीले टी-शर्ट में!
वो कहने लगी- मैं तो गीली हो गई!
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं! मैं आपको दूसरे कपड़े दे देता हूँ!
मैंने उसे हाफ शर्ट और मिनी स्कर्ट दे दी। वो बाथरूम से पहन कर आ गई। क्या गोरी-गोरी जांघें थी उसकी! शर्ट में चूची तो उसकी पूरी कस ही गई थी। तब मेरा लण्ड और सख्त हो गया पर मैं चाहता था कि पहल वो करे।
मैंने उसे कहा- आप इन्तज़ार करो, मैं आपके लिए चाय बना कर लाता हूँ! तब तक आप टीवी देख लो!
मैं चला गया, उसने टीवी ऑन किया, उस पर ब्लू फिल्म अभी चल ही रही थी। वो मजे से वो सब देख रही थी, एकदम लाल हो गई थी वो! उसने अपना हाथ अपनी पैंटी में डाल दिया और मसलने लगी।
मैं ये सब देख रहा था। मैं चाय की जगह बियर ले आया। वो मेरे आने की आहट सुन कर सीधी बैठ गई और टीवी ऑफ कर दिया।
मैंने उसके सामने बियर रख दी। वो कहने लगी आप तो चाय लेने गए थे पर ये क्या ले आये?
मैंने कहा- जैसा माहौल है वैसी चीज भी तो होनी चाहिए!
वो हैरान होकर पूछने लगी- मतलब?
मैंने टीवी ऑन करके कहा- मतलब ये!
तो शरमाई और कहने लगी- ये तो पहले से ही चल रहा था! आप ही देख रहे थे जिसके कारण आपका वो खड़ा था!
मैंने उससे पूछा- वो क्या?
वो कहने लगी- आप बहुत बदतमीज है!
मैंने कहा- आप कैसी हो? आपको यह सब अच्छा नहीं लगा तो टीवी ऑफ कर देना था! आप तो उल्टा ही देख कर पैंटी में अपनी चूत सहला रही थी।
ये सुनकर वो चुप हो गई। ये देख मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपने गोद में बैठा लिया। फिर उसे चूमने लगा।
पहले वो थोड़ा कसमसाई, थोड़ी देर बाद वो मेरा साथ देने लगी। मैंने उसकी शर्ट और स्कर्ट खोल दी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी चूची चूसने लगा।
मैंने अपनी निक्कर और शर्ट भी उतार दी। उसने मेरा लंड देखा और कहा- यह तो बहुत बड़ा है!
शायद उसने पहले कभी किसी का लंड नहीं देखा था। मैंने उसे अपना लंड पकड़ा दिया।
वो मेरे लंड से खेलने लगी और चूसने लगी।
मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो पूरी नंगी थी। मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी लड़की को नंगी देखा था। मैं भी उसकी चूत चूसने लगा। अब हम एक दूसरे को चूस और चूम रहे थे। अब मैं और वो पूरी तरह से तैयार थे।
मैंने उसकी चूत पे अपना लंड रखा और एक धक्का दिया, मेरा 2 इंच लंड अंदर चला गया। वो थोड़ा कसमसाई,न उसकी सील अभी खुली नहीं थी, वो अक्षत-यौवना थी। मैंने एक और धक्का दिया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
15 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा। हम दोनों एक साथ झड़ गए। फिर मैंने उसकी गांड भी मारी। उसकी गांड मैंने 25 मिनट तक मारी और उसकी गांड में ही पानी छोड़ दिया।
अब हम दोनों थक चुके थे। हम जाकर पहले नहाए, नहाने के बाद हमारी थकान दूर हो गई, हमने बियर पी और वो जाने लगी। मैंने उसका नंबर माँगा तो वो कहने लगी कि आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे।
जाते जाते उसने मुझे चूमा और कहा- यू आर सो स्वीट एंड हार्ड!
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया और दो महीने बाद उसका फ़ोन आया।
अब आगे की मैं अगली कहानी में सुनाऊँगा। तब तक इसे ही पढ़ कर मुट्ठ मारिये।
आपको यह कहानी कैसी लगी, मेल जरूर करें! Antarvasna Sex Stories
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में घूमने के काफी Sex Stories मजे हैं। उनमें से एक बड़ा लाभ यह भी है कि लड़कियों से बात करने का काफी मौका रहता है। मैं तो अक्सर किसी भी गोरी, अफ्रीकन या लातिनो लड़कियों से जान बूझकर यह सवाल करता हूँ, पर वह 24-25 साल की लड़की वाकई भारतीय थी। यूँ थी वो गोरी चिट्टी और नीली जींस और गुलाबी टीशर्ट में किसी गोरी से कम नहीं लग रही थी पर भारतीय साफ पहचान में आ जाते हैं।
“येस ! बट व्हाय?” उसने मुझे परेशान नज़रों से देखा।
“काम ऑन मैडम, आई ऍम अल्सो फ्रॉम इंडिया !” फ़िर मैं जान बूझकर हिन्दी मैं उतर आया ताकि आस पड़ोस के लोगों को पता न चले हम क्या बातें कर रहे हैं। “हिन्दी बोलती हैं आप?”
“हाँ” वो बोली।
“नहीं, मैंने आपको शहर का नक्शा पकड़कर खोजते हुए देखा तो सोचा कि आप शहर में नई हैं। घर वगैरह का इंतजाम हो गया?”
वह मुस्कुराई,” मैं यहाँ घर बसाने नहीं आई। मेरी एक कांफ्रेंस है- तीन दिन की !”
“ओह, तो आप एल ऐ की मेहमान हैं, फ़िर तो मेरी भी मेहमान हुई। तो आपकी मदद करना मेरा फ़र्ज़ है, कहिये कहाँ जाना है?”
उसे सांता मोनिका के किसी होटल में जाना और मुझे वेस्ट वुड ! पर मैंने सोचा कि आज ऑफिस में भले देर हो जाए, इससे जितनी बातें हो जाए अच्छा है। बातों बातों में उसने अपना नाम बताया- मालती जोशी !
“यह तो एक बड़ी लेखिका का नाम है !” मैंने कहा।
वह खिलखिला कर हंस दी। वह भारत सरकार के पर्यटन विभाग में थी और सरकार ने उसे इस कांफ्रेंस के लिए भेजा था।
मैंने उसे टटोलने की कोशिश की,”फ़िर तो चुन्नू मुन्नू आपको मिस कर रहे होंगे?”
“कौन चुन्नु मुन्नू ?” उसने थोड़ा अनजान सा बनकर पूछा।
“आपके चुन्नू मुन्नू और उनके पापा !” मैंने कहा।
इस बार वह ऐसे हँसी कि उसके मोती जैसे दांत दिखने लगे। फ़िर उसने जवाब दिया,” हाँ हाँ ! चुन्नू मुन्नू तो नहीं, उनके चुन्नू मुन्नू जरुर दादी को मिस कर रहे होंगे। क्या …. अरे नाम भी नहीं बताया आपने !”
“ओहऽऽ हो विशाल ! तो क्या मैं यह मतलब निकालूं कि अभी तक आपके जीवन में कोई नहीं आया है?”
बातों बातों में पता चला कि वह मुझसे दो साल छोटी है। जब उसे यह पता चला कि मेरे जीवन में भी कोई नहीं है, तो उसके ओंठों पर मुस्कान आ गई।
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे। वैसे तो उसका होटल एयरपोर्ट के पास था, पर किसी लातिनो टैक्सी वाले ने पता ठीक नहीं समझा और उसे वेनिस-बीच के आस पास उतार दिया। शायद मेरी किस्मत ने……
मैंने उसे फ़ोन नम्बर दिया और ले भी लिया। मैंने कहा कि कोई भी मुश्किल हो, मुझे फ़ोन कर ले।
शाम को आठ बजे के आसपास जब उसका कोई फ़ोन नहीं आया तो मैंने निश्चय किया कि मैं ही फ़ोन कर लूँ। भले वह कुछ भी समझे। तभी फ़ोन की घन्टी बजी। नम्बर कुछ अटपटा सा था, पर यह उसकी ही आवाज़ थी।
“अरे आप ! किस नम्बर से फ़ोन कर रही हैं?” मैंने पूछा।
“कमरे से !”
“कमरे में पहुँच गई आप? इस बार टैक्सी ने परेशान तो नहीं किया?” मैंने पूछा,”कहिये, एक प्यारी सी मेहमान की क्या खिदमत करे यह बन्दा?” मैंने पूछा।
“इतवार को मेरी छुट्टी है, यहाँ से डिज्नीलैंड कितनी दूर है? मैं जाना चाहती हूँ, कैसे जा सकती हूँ? टैक्सी से मैं जाना नहीं चाहती, काफी महंगा पड़ेगा ना?”
“यह बन्दा किस लिए है? मेरी खटारा है ना?” मैंने कहा।
“नहीं, आपको तकलीफ होगी !”
“तकलीफ कैसी? सप्ताह मैं एक बार उसे वैसे ही हवाखोरी के लिए ले जाता हूँ !” मैंने कहा।
उसकी खनकती हुई हंसी फ़ोन मैं गूंजी, फ़िर उसने कहा,”नहीं, मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ही जाऊँगी।”
यार बड़ी खच्चर लड़की है, बात ही नहीं समझती।
मैंने कहा,” ठीक है फ़िर.तुम परेशान हो जाओगी ! मैं तुम्हारे साथ चलूँगा !”
थोड़ी सी न-नुकर के बाद वह मान गई। इतवार को मैंने बैग पैक किया, पहले सोचा कार से चलते हैं, उसे मना लूँगा, फ़िर सोचा कहीं उसने मना कर दिया और पार्किंग नहीं मिली तो लेने के देने पड़ जायेंगे, वैसे भी बड़ी जिद्दी लड़की है। मैंने उससे कहा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाना है तो मुंह अंधेरे ही जाना पड़ेगा।
वह होटल के बाहर खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी। आज उसने काली स्कर्ट और नीली कॉलर वाली हलकी पीली टी शर्ट पहनी थी।
ग्रीन लाइन के स्टेशन पर पहले ट्रेन का इंतज़ार करना था। ट्रेन आने में थोड़ी देर थी। हम इधर उधर की बातें करते रहे। मैंने उसे भरपूर नज़र से देखा। बला की खूबसूरत लड़की थी, कद होगा करीब ५’ २”,मुझसे चार इंच कम, लंबे बाल, फूले फूले गाल, उन्नत उरोज पतली कमर और चौड़े नितम्ब, बड़ी-बड़ी आँखें, पतले ओंठ। मुझे इस तरह देखते वह झेंप भी गई।
अचानक मैंने देखा उसने एक बड़ा बैग उठा रखा है,”क्या है इसमें?” मैंने पूछा,”माना कि लड़कियों का बैग नहीं देखते, पर यह क्या भर कर रखा है ?”
“खाने पीने का सामान !” उसने कहा,”पूरा दिन लग जाएगा, मैंने सोचा कि…”
मैंने सर पीट लिया,”डिज्नी लैंड में मेरे ताऊ बैठे हैं न जो इसे अन्दर ले जाने देंगे ! फेंको इसे !”
“क्या? फेंक दें? अन्न का अपमान?”
“तुम तो मेरी अम्मा जैसे बात कर रही हो ! फेंकना नहीं है तो खाओ !”
“अभी?”
“तो कब? ट्रेन में खाना मना है, फ़िर बस पकडेंगे, उसमें भी खाना मना है। चलो निकालो !”
वह घबरा गई,”यह तुम्हारे लिए भी है !”
हे भगवान ! प्लेटफोर्म में हम बैठे परांठे खा रहे थे जो उसने इंडियन शॉप से रात में आर्डर देकर मंगाया था। उसका छोटा सा पेट जल्दी भर गया और नखरे शुरू हो गए। मुझे इसी छीना-झपटी का इंतज़ार था, मैंने उसका हाथ पकड़ा और एक कौर जबरदस्ती मुंह में ठूंस दिया।
“विशाल, मेरा हाथ तो छोडो ! उई माँ !”
मैंने उसका हाथ छोड़ा नहीं, बल्कि मरोड़ के पीठ पर ले गया अब हम दोनों के जिस्म में छः इंच का फासला था और अगर मैं हाथ और थोड़ा मरोड़ता तो उसके उन्नत उरोज शायद मेरे सीने में दस्तक दे देते पर उसकी आंखों में आंसू आ गए।
“विशाल, सच्ची, उलटी हो जायेगी !”
तभी ट्रेन आ गई। मैंने पकड़ ढीली की पर उसका हाथ नहीं छोड़ा। डिब्बे में बैठकर भी नहीं छोड़ा। फ़िर जेब से एक टिशु निकाल कर उसका मुंह पोछा,”झूठे मुंह सफर नहीं करते !” उसे हँसी आ गई।
उसके बाद ट्रेन में और फ़िर बस में वह प्यारी बातें करती रही। उसकी बातों का पिटारा थमने का नाम ही नहीं लेता था। पर वह बोर नहीं कर रही थी। उसके चेहरे के हाव भाव, भाव भंगिमा, सब कुछ लुभा देने वाला था। हँसते हँसते मैंने उसकी पीठ पर एक दो बार धौल भी जमाया। कभी उसने मुझे छेड़ा तो मैंने बाल भी खींचे। अमेरिका में यह बात अच्छी है कि आस पास के लोग कोई परवाह नहीं करते।
कई बार मैं अपना चेहरा उसके गाल के काफी करीब ले गया पर चुम्बन की तीव्र इच्छा का किसी तरह दमन किया। कई बार उसके हथेली पर अंगूठा फेरा, उसकी कोहनी सहलाई, पाँव से उसके पाँव पर ठोकर मारी। एक बार हिम्मत कर के जांघ पर भी हाथ रख दिया। वह शरमाई जरुर, पर उसने हाथ हटाया नहीं !
डिज़नीलैंड देखकर वह हैरान रह गई और बच्चों की तरह उत्साह से भर गई। उसे काबू में करना मुश्किल हो गया। वह मेरा हाथ पकड़कर कभी इधर, कभी उधर ले जाने लगी। उसे मैंने प्यार से कई बार समझाया, कभी “माला” कभी “लती” कभी “लता” कभी “मति” कहकर पुकारा।
वह फ़िर इधर उधर जाने लगी। अब मैंने उसका हाथ पकड़कर खींचा, अब वह पास आई तो मैंने दोनों हाथ पकड़ लिए, मैंने समझाया,”मालती, तुम्हारा पहली बार डिजनी लैंड में आना हुआ है, सब चीज देखना मुश्किल है, फ़िर हमें कैलिफोर्निया एडवेंचर पार्क भी जाना है। लाइन तो तुम देख रही हो, ऐसा करते हैं, पहले जिसका फास्ट पास मिले वह ले लेते हैं, फ़िर मुख्य मुख्य जगह चलते हैं।
अब मैंने सोच लिया था कि यह ऐसे नहीं मानेगी, इसे थोड़ा पंचर किया जाए. उसे लेकर स्पेस माउन्टेन में ले गया. वह एक खतरनाक रोलर-कास्टर था। ऊपर से नीचे आते समय मैं जान बूझ कर उससे सट गया उसके हाथ हेंडल पर जमे थे, पर वो डरकर मुझसे चिपक गई।
उससे भी ज्यादा मज़ा तो थंडर माउन्टेन में आया, इस बार मै अपना एक हाथ उसकी पीठ के पीछे ले गया और खतरनाक मोड़ आने पर उसके एक उन्नत उरोज में हाथ का दबाव जमा कर उसे पास खींच लिया। ठोस टेनिस बाल की तरह के उरोज पर हाथ लगते ही मेरे लिंग में जबरदस्त तनाव आया।
वह सवारी खत्म होने के बाद मैंने देखा कि उसका चेहरा सुर्ख हो गया है.उसके सुडौल उरोज साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।
“ओह बाबा !” वह बोली,”कहाँ फंस गई मैं?”
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और धीरे से उंगलियाँ बालों में फेरकर बोला,”मैं हूँ ना ! चलो खाना खाते हैं।”
उसे मेक्सिकान रेस्टारेंट में ले गया। खाना खाते खाते उसे देखकर मुस्कुराया, वह भी मुस्कुराई। मैंने कहा,”मालती, एक बात कहूँ ! तुम काफी हसीन लग रही हो !”
खाने के बाद ‘इन्डियाना जोन्स’ के फास्ट पास का समय हो गया था। तेज रफ्तार और अंधेरे में वह फ़िर घबराई। इस बार मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर अपने पास खीँच लिया। डर के मारे उसने अपना सर मेरे सीने में छुपा लिया। मैं उसे और डराने लगा, “लती देखो, लटका हुआ आदमी.माला, देखो बिच्छुओं का झुंड !
जब उसने आँख नहीं खोली तो मैंने एक कुच को हलके से दबाया, वह चिहुंक गई।
बाहर निकल कर मैंने देखा, उसके स्तनाग्र सिपाही की तरह तन गए थे। मैंने उसका हाथ थामा और जुल्फें संवारी। मैं चाहता था कि मदहोशी का यह खेल थोड़ा आगे बढ़ाया जाए।
अब हम पैरेट्स ऑफ़ कैरिबियन की सवारी की ओर बढ़े। जैसे ही हमारी नाव अंधेरे में बढ़ी, मैंने मालती के जाँघों पर हाथ रखकर हल्के से दबाव बढाया। वह कुछ प्रतिक्रिया करती, उसके पहले ही एक झटका लगा और अंधेरे में नाव नीचे चले गई। मेरा हाथ फिसलकर उसकी जांघों के बीच आ गया। मैंने हाथ धीरे धीरे आगे बढ़ाया और स्कर्ट के उपर उसकी योनि पर हाथ रख दिया, उसकी साँसे तेज चलने लगी।
सवारी आगे बढ़ ही नहीं रही थी पर मेरे हाथ आगे बढ़ रहे थे। उधर अंधेरे में मालती की भी हिम्मत बढ़ गई थी। वह मेरा बिल्कुल विरोध नहीं कर रही थी।
तभी एक उदघोषणा हुई कि सवारी के सिस्टम में कोई खराबी हो गई है और इंजिनियर ठीक कर रहे हैं।
मुझे मानो मन-मांगी मुराद मिल गई। इस बार मैंने हाथ पीछे किए और उसके स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया। उफ़ ! कितनी स्निग्ध थी उसकी जांघें। उसके मुंह से एक फुरफुरी निकली और मेरे हाथ फिसल कर उसकी पेंटी से टकराए। कामोत्तेजना से उसकी पैन्टी आर्द्र हो गई थी। मैंने पैन्टी के उपर उसकी झिर्री टटोली। उसने दांतों से अपने ओंठों को जोर से दबा लिया, साँसे तेजी से चल रही थी।
फ़िर मैंने पैंटी के साइड से उंगलियाँ अन्दर डाली और अंगूठा बालों के जंगल से होता हुआ गीली और फिसलन भरी गुफा तक जा पहुँचा। योनि की दरार को टटोलता अंगूठा उपर बढ़ा और उसकी भगनासा से जा टकराया। अब मालती के मुंह से सिसकी निकल पड़ी। उसने अपने को काबू में करके मेरा हाथ थाम लिया।
“विशाल, न न नहीं..!” वह किसी तरह बोली।
तभी उदघोषणा हुई कि सवारी में खराबी की वजह से यह यहीं स्थगित की जाती है। सबको समय ख़राब होने की वजह से एक एक टिकट दिया गया, जिसे वो किसी अन्य सवारी में बिन लाइन में लगे उपयोग में ला सकते थे।
“माला, ऐसा करते हैं, कैलिफोर्निया एडवेंचर पार्क चलते हैं। इसका उपयोग बाद में करेगे।” मैंने उसे समझाया।
“तुम ही मेरे मार्ग निर्देशक हो, जैसा तुम कहो !”
“ये हुई ना समझदार लड़कियों वाली बात !” मैंने उसे कहा।
उसे लेकर में सीधा ग्रिज्ली रिवर की सवारी में ले गया जिसमें एक घूमता हुआ बेडा खतरनाक लहरों और झरनों, जल प्रपात के नीचे से होता हुआ जाता है। जब वह पहले खतरनाक जल प्रपात के नीचे से गुजरा वह मुझसे चिपट गई। उपर से गिरते पानी की तेज धार ने हम दोनों को सराबोर कर दिया। मालती की पतली टी शर्ट उसके बदन से चिपक गई और उसकी दूधिया ब्रा साफ़ दिखने लगी। अभी वह कुछ सम्हालती कि पानी की एक और बौछार उस पर पड़ी अब मानो कपडों का कोई अस्तित्व ही नहीं रहा।
“तुम बड़े शैतान हो !” बाहर निकल कर वह शिकायत के लहजे में बोली,”देखो, मेरे सारे कपड़े गीले हो गए।”
“अन्दर के भी?” मैंने शरारत से पूछा।
“क्या मतलब है तुम्हारा?”
“मतलब यह कि इस सवारी को दोष मत दो ! अंदर के नीचे के कपड़े पहले पहले ही गीले हो हो गए थे, मैं जानता हूँ।”
पहले वह शरमाई, फ़िर उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया,”विशाल, तुम्हारी बेशरमी बढ़ती जा रही है !”
मैंने कान पकड़े और कहा,”एक बात कहूँ, तुम बारिश में भीगी फिल्मी हिरोइन की तरह दिख रही हो !”
“पर मुझे सर्दी हो जायेगी, आक छी.” उसे छींक आ गई।
मैंने कहा,”लती, एक बात बोलूं? अन्यथा मत लेना !”
“अब क्या बचा है?” वह झल्लाकर बोली।
मैं मन ही मन बोला,”सब कुछ !”
पर मुझे वाकई दया आ गई, मैंने कहा,”मालती, में एक एक्स्ट्रा टी शर्ट लाया हूँ, मुझे मालूम था, यहाँ ऐसा होगा, तुम पहन लो।”
वह गुस्से से बोली,”क्या?”
मैंने कहा,”कॉमन सेंस से काम लो. मेरी टी शर्ट है तो क्या? थोड़ी ओवर साइज़ ही होगी।” फ़िर मैं पास आकर बोला,”और मेरी एक ब्रीफ भी है.तुम्हें थोड़ी ढीली होगी पर पहन लो।”
थोड़ी न-नुकर के बाद वह मान गई और बाथ रूम में जाकर चेंज कर लिया।
जब वह बाहर आई तो मैंने देखा कि उसके हाथ में गीले कपडों का बण्डल है.उसने मेरे बैग की जिप खोली और कपड़े उसमें डाल दिए।
मैंने देखा, उसने ओवर साइज़ टी शर्ट का फायदा उठाकर गीली ब्रा भी उतार दी है और उसके स्तन हर कदम के साथ उपर नीचे हो रहे हैं।
उसने मुझे उरोजों को देखते हुए देख लिया,बोली,”क्या है?”
मैंने अपना मुंह उसके कान के पास लाकर कहा,” मालती, तुम्हारा वो चूसने को मन कर रहा है !”
वह झल्लाए स्वर में बोली,”अगर तुम मेरा वो चूसोगे तो मैं भी तुम्हारा वो चूसूंगी !”
मैं हैरान रह गया। मेरा लिंग मानो अंडरवियर फाड़ कर बाहर आना चाहता था।
मैंने कहा,”मुझे खुशी है, तुम थोड़ी बेशरम तो हुई !”
वह कुछ समझी नहीं, बोली,” बेशर्मी की क्या बात है? तुमने कहा तुम मेरा खून चूसोगे। अगर तुम मेरा खून चूसोगे तो मैं तुम्हारा खून चूसूंगी।”
“पर खून तो मच्छर चूसते हैं।”
और दोनों खिलखिला कर हंस पड़े।
कहानी का अगला भाग: लॉस एंजेलेस(अमेरिका) में प्रणय का अंकुर-2 Sex Stories
मैं कोटा, राजस्थान का रहने वाला हूँ। मैं Hindi Porn Stories कोटा में अकेला रहता हूँ।मैं एक भाभी की चुदाई की हकीकत बात बता रहा हूँ।मेरा लंड ६ इन्च का है। मेरा चुदाई करने मन करता है।
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एक दिन मैंने पूछा- आपके पति आपसे कितना प्यार करते हैं?
तो वो रोने लगी और मेरे सीने से लिपट गई। मैं उसे शांत करने लगा। मेरा हाथ उसके बोबे पर चला गया। वो कुछ बोली नहीं !
मेरी हिम्मत बढ़ गई।
उस दिन मेरे दिल के अरमान पूरे होते लगे।
मैं धीरे-धीरे उसके बोबे दबाने लगा, वो एकदम मस्त हो गई और बोली- देखो, मैं तुम्हें अपना सब कुछ दूंगी लेकिन एक वादा करना पड़ेगा !
क्या?
जब तक यहाँ रहोगे, तब तक कम से कम दिन एक बार मेरी चुदाई करने पड़ेगी !
मैंने हामी भर दी !
फ़िर उसने मेरे लंड पे हाथ रख दिया, पैंट की जिप खोल दी और अन्दर हाथ डाल कर मेरे लंड को आजाद कर दिया।
मैं उसके बोबे चूसने लगा।
वो एकदम गर्म हो गई और बोली- यार आज अभी पहले तेरा मोटा लंड मेरी चूत डाल दे, फ़िर दुबारा आराम से चोदना !
हम दोनों पूरे नंगे हो कर बेड पर चले गए।
उसने अपनी टांगें फ़ैला दी, मैंने उसके ऊपर आकर उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया और जोर से धक्का दिया, मेरा पूरा लण्ड अंदर चला गया।
फ़िर मैं धक्के मारने लगा। तब भाभी ने एक आह सी भरी और बोली- आह ! क्या शान्ति मिली ! तुम्हारे लण्ड को अपनी चूत में डलवा कर। यह अच्छा हुआ, मुझे बहुत दिन से इच्छा थी कि किसी लम्बे लण्ड से चुदने की, आज वो पूरी हो गई। नहीं तो मेरी इच्छा पूरी नहीं होती।
अब मैं अपना लण्ड धीरे धीरे उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। उसने पहले कभी अपनी चूत में इतना मोटा लण्ड कभी नहीं घुसवाया था। शायद उसके पति का लण्ड छोटा होगा, उसे कुछ तकलीफ़ हो रही थी। मुझे भी उसकी चूत काफ़ी टाईट लग रही थी। मैं मस्त हो कर उनकी चूत चोदने लगा।
भाभी मेरी चुदाई से मस्त होकर बड़बड़ा रही थी,” हाय मेरे राजा ! मेरे राजा और पेलो, और पेलो अपनी भाभी की चूत में अपना मोटा लण्ड, तुम्हारी भाभी की चूत तुम्हारा लण्ड खाकर निहाल हो रही है। हाय ! लम्बे और मोटे लण्ड की चुदाई का मज़ा कुछ और ही होता है, बस मज़ा आ गया, हां ! हां ! तुम ऐसे ही अपनी कमर उछाल उछाल कर मेरी चूत में अपना लण्ड आने दो। मेरी चूत की चिन्ता मत करो, फ़ट जाने दो इसको आज ! इसको भी बहुत दिनों से शौक था मोटा और लम्बा लण्ड खाने का। इसको और जोर से खिलाओ अपना मोटा और लम्बा लण्ड।”
हम लोग चुदाई का मज़ा लेते रहे और मेरी चुदाई से भाभी दो बार झड़ चुकी थी। फ़िर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत के अन्दर तक डाल कर उसके अन्दर झड़ गया। फ़िर मैं उसके ऊपर ही सो गया। कुछ देर बाद भाभी ने बेड से उठ कर अपने कपड़े पहन लिए, मुझे गाल पे किस दिया और अपने चली गई।
दोस्तो आपको मेरी कहानी कैसे लगी प्लीज़ मुझे मेल करें मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैने दूसरी बार भाभी की चुदाई की। Hindi Porn Stories
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