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मेरी पिछली कहानी ‘ अंजलि की इच्छा ‘ को Indian Sex Stories काफी अच्छा समर्थन मिला पाठकों से, इसलिए अब मैं आपको आगे की कहानी सुनाता हूँ।
अंजलि के घर मैं, जब भी उसके पति बाहर गए होते, तभी चला जाता था। एक दिन जब मैं अंजलि के घर गया तो उसने मुझसे कहा- मेरी एक सहेली है, उसकी शादी को २ साल हो गए हैं पर उनका कोई बच्चा नहीं हुआ। अब उसके पति का कहीं और चक्कर चल रहा है इसलिए उसका पति उसकी बिलकुल भी परवाह नहीं करता। क्या तुम उसकी थोडी मदद कर सकते हो?
मैं समझ गया कि मुझे एक और चूत मिलने वाली है, मैं तो ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गया। मैंने अंजलि से उसका पता लिया और अगले दिन दोपहर को ११ बजे उनके घर पहुँच गया।
जब मैं उनके घर पहुंचा तो एक सुन्दर सी २५-२६ साल की लड़की ने दरवाज़ा खोला। अंजलि ने मुझे उसका नाम गीता बताया था, तो मैंने पूछा- क्या तुम गीता हो?
उसने कहा- हाँ !
मैंने कहा- मैं राहुल हूँ !
तो उसने कहा- आइये ना ! अन्दर आइये।
शायद अंजलि ने उसको पहले ही बता दिया था कि मैं कल आऊंगा, इसलिए घर में उसके अलावा कोई और नहीं था। फिर भी मैंने ऐसे ही पूछ लिया कि नौकर नहीं है घर पे?
तो उसने कहा- आज सबको छुट्टी दे रखी है।
मैंने कहा- शायद अंजलि ने आपको पहले ही सब कुछ बता दिया था?
गीता ने कहा- हाँ !
गीता ने लाल रंग का सूट डाला हुआ था जो कि एकदम पतला झीना था, जिसमें से उसकी ब्रा साफ़ नजर आ रही थी। उसके स्तन भी ३४ साइज़ के होंगे। मैं तो उनको देखता ही रह गया। अचानक गीता ने पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- जो चीज़ देखने की है, वही देख रहा हूँ !
तो वो कहने लगी- ऐसे ही देखनी है या फिर छू कर भी देखनी है?
मैंने कहा- यही नहीं सब कुछ छू कर देखना है !
तो उसने कहा- उसके लिए तो तुम्हें अन्दर बेडरूम तक आना पड़ेगा !
मैंने कहा- चलो फिर देर किस बात की है?
हम दोनों उठ कर अन्दर उसके बेडरूम में चले गए।
अन्दर जा कर मैंने उसे कस के पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। गीता भी मुझे किस करने लगी। फिर मैंने धीरे धीरे उसके स्तन सहलाने शुरू कर दिए। वो इतनी गरम हो गई कि उसने अपने आप ही अपने कपड़े उतार दिए। शायद वो काफी दिनों से सेक्स के लिए प्यासी थी।
तभी अचानक मुझे कुछ सूझा और मैंने उसे कहा- पहले मैं तुम्हारी मालिश करता हूँ तेल से, फिर हम प्यार करेंगे !
फिर मैंने एक हाथ में तेल लिया और उसको पेट के बल लेटा दिया।
पहले मैंने उसकी पीठ पर मालिश करनी शुरू की। फिर धीरे धीरे मैं उसके चूतड़ों पर मालिश करने लगा और उसकी चूत पर भी हाथ फेरने लगा। फिर मैंने उसे सीधे होने को कहा।
अब उसके स्तन सीधे मेरे सामने थे। मैं धीरे धीरे उसके स्तनों पर गोल गोल हाथ फेरने लगा, वो सिसकियाँ भरने लगी। उसके बाद मैंने धीरे धीरे उसकी टाँगे चौड़ी करी और उसकी चूत पर मालिश करने लगा।
वो इतनी गरम हो चुकी थी कि उस से रहा नहीं गया और मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया, कहने लगी- अब मुझसे और नहीं रहा जाता !
फिर उसने जल्दी जल्दी करके मेरी पैंट उतार दी और मेरा लण्ड लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मैंने अपनी शर्ट भी उतार दी और मैंने उस से 69 पोजिशन में आने के लिए कहा। फिर मैं उसकी चूत को चाटने लगा, वो मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।
अचानक उसकी चूत से काफी सारा पानी निकलने लगा, वो स्खलित हो गई। फिर मैंने उसे उठाया और नीचे बेड पर लेटा दिया पर आज मेरा मन उसकी गांड मारने का कर रहा था। मैंने उसे कहा- कि तुमने कभी गांड मरवाई है?
वो कहने लगी- नहीं !
मैंने कहा- आओ ! आज तुम्हें उसका मजा देता हूँ !
तो वो बोली- बहुत दर्द होगा !
मैंने कहा- पहले पहले होगा, फिर मजा आएगा !
तो वो मान गई फिर मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और अपने लण्ड पर भी, और उसकी गांड के मुंह पर अपना लण्ड रख के धक्का मारा। मेरा लण्ड थोड़ा सा अन्दर चला गया पर वो चिल्लाने लगी, कहने लगी- इसमें तो बहुत दर्द होता है, इसे बाहर निकालो !
पर मैंने कहा- डरो मत ! बस एक बार ही दर्द होगा, फिर नहीं !
फिर मैंने एक जोर से झटका मारा और मेरा लण्ड उसकी गांड में चला गया। फिर मैंने उसको धक्के मारने शुरू किया, धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ तो उसको भी मजा आने लगा।
अब वो भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में से निकाल के उसकी चूत में डाल दिया और झटके मारने लगा।
१० मिनट बाद वो और मैं दोनों इक्कठे झड़ गए।
इसके बाद हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे, फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और मैं चलने लगा तो उसने मुझसे कहा- कल आओगे?
मैंने कहा- तुम बुलाओ और मैं न आऊं ! यह तो हो ही नहीं सकता !
फिर वो कहने लगी- यह बात गुप्त रहेगी न ?
मैंने कहा- भरोसा रखो, कोई भी बात गुप्त रखना तो मेरा पहला धर्म है !
उसने पूछा- तुम्हारी फीस कितनी है?
मैंने कहा- मैं फीस के लिए यह नहीं करता ! मुझे यह पसंद है !
फिर भी उसने मुझे ४००० रुपए दिए और दुबारा अगले दिन आने के लिए कहा।
कहानी पर अपनी राय मुझे अवश्य भेजिएगा ! Indian Sex Stories
यह मेरी पहली कहानी है। मैं Sex Stories अपने जीवन की उस घटना के बारे में बता रही हूँ जिसे मैंने आज तक किसी को नहीं बताया। आज मैं एक शादीशुदा स्त्री हूँ और अपने पति के साथ रहती हूँ। लेकिन अपनी पहली चुदाई को आज तक नहीं भुला पाई हूँ जो कि मेरे भाई के साथ थी।
बात उस समय की है जब मैं बी.ए. प्रथम वर्ष में पढ़ती थी। मेरी उम्र 18 साल थी। मुझे चुदाई के बारे में ज्यादा नहीं पता था, बस इतना जानती थी कि लड़का और लड़की कुछ करते हैं जिसमे बहुत मज़ा आता है। यहाँ तक कि मैंने किसी लड़के का लंड भी नहीं देखा था।
इस उम्र में चुदाई के लिए तड़पना एक सामान्य बात थी तो मैं भी तड़पती थी लेकिन घर की बंदिशों के कारण कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं था इसलिए मैं अभी तक कुँवारी थी। मैंने यह कभी भी नहीं सोचा था, मेरी पहली चुदाई मेरे बड़े भाई (बुआजी के लड़के) के साथ होगी। मेरे घर में मेरे अलावा मेरी माँ, मेरा एक छोटा भाई है।
अब मैं सीधे अपनी कहानी पर आती हूँ, हुआ यूँ कि मेरी नानी की तबियत अचानक ख़राब हो गई जो कि शहर से लगभग पचास किलोमीटर दूर एक गाँव में रहती थीं।
शाम के 7 बज रहे थे मम्मी को वहाँ जाना था लेकिन मम्मी को मेरी चिन्ता हो रही थी कि मुझे घर में अकेला कैसे छोड़े, क्योंकि सुबह मेरी एक विषय की परीक्षा थी। मम्मी सोचने लगी किसको मेरे साथ छोड़ कर जाए?
उन्होंने सबसे पहले चाचाजी को फ़ोन लगाया लेकिन चाचाजी उस समय शहर से बाहर थे और सुबह से पहले वापस नहीं आ सकते थे तब उन्होंने मेरे भैया (बुआ जी के लड़के) को फ़ोन लगाया जो कि शहर में ही दुकान करते थे।
मम्मी ने उनको सारी बात बताई तो वो आने के लिए तैयार हो गए। मेरी चिन्ता समाप्त होने के बाद मम्मी मुझे जरुरी हिदायत देकर मेरे छोटे भाई के साथ चली गई।
रात के 9 बज गए, मैं भैया का इंतज़ार कर रही थी। सर्दियों का समय होने के कारण रात जल्दी गहरा गई। चारो तरफ़ एकांत महसूस कर मुझे डर लगने लगा। मैंने भैया को फ़ोन लगाया और कहा- जल्दी आओ !
मुझे डर लग रहा है। भैया ने मुझे 10 मिनट का कहकर फ़ोन रख दिया। मैं उनका इंतज़ार कर ही रही थी कि अचानक लाइट चली गई। अब मुझे और डर लगने लगा। मैं भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि भैया जल्दी आएँ, २० मिनट और गुजर गए लेकिन भैया नहीं आए। अब मैं रोने लगी। तभी दरवाजे से भैया की आवाज़ आई मैं जल्दी से उठी और दरवाजा खोलते ही भैया से लिपट के रोने लगी।
भैया ने कहा- क्या बात है क्यों रो रही हो?
मैंने कहा- सुनील भैया आपने आने में देर क्यों कर दी मेरा तो डर के मारे बुरा हाल था।
उन्होंने कहा दुकान पर थोड़ा काम था इसलिए देर हो गई। अब मैं आ गया हूँ अब डरने की कोई ज़रूरत नहीं।
सुनील भैया मुझसे उम्र में 5 साल बड़े थे लेकिन बचपन से ही साथ-साथ रहे थे इसलिए काफी हद तक दोस्त थे। उनके आने के बाद मैंने उनको खाना खिलाया और खाना खाने के बाद भैया हॉल में जाकर टी.वी. देखने लगे। मैं अपना काम निपटाकर उनके पास आकर पढ़ने लगी। उस समय तक मेरे मन बिल्कुल ख्याल नहीं था कि मैं भैया से चुदवाऊँ।
रात के 11:30 बज चुके थे। भैया अभी तक टी.वी. देख रहे थे। मुझे नींद आने लगी थी इसलिए मैं कपड़े बदलने के लिए दूसरे कमरे में चली गई। कमरे का बल्ब फ्यूज़ होने के कारण कमरे में अँधेरा था। मोमबत्ती की रोशनी में मैंने अपनी नाईटी उठाई और कपड़े बदलने लगी।
मैंने सबसे पहले अपनी कमीज़ उतारी और उसके बाद ब्रा क्योंकि मुझे रात में ब्रा पहनकर सोने की आदत नहीं थी। मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोला ही था कि अचानक एक चूहा कहीं से फुदकता हुआ मेरे ऊपर आ गया और मेरी चीख निकल गई।
मेरी चीख सुनकर भैया तुरन्त मेरे कमरे में आए। मुझे कुछ नहीं सूझा और डर के मारे चूहा-चूहा कहते हुए उनसे चिपक गई।
मुझे इतना भी होश नहीं रहा कि इस समय मैं सिर्फ़ पैंटी में थी।
मेरे नंगे जिस्म का एहसास जब भैया को हुआ तो उनका लंड खड़ा हो गया जिसका एहसास मुझे मेरी कमर पर होने लगा। मैं एकदम उनसे अलग हुई और उनसे जाने को कहा। लेकिन भैया एकटक होकर देखते रहे। मोमबत्ती की मद्धिम रोशनी में उनको मेरे जिस्म के स्पष्ट दर्शन हो रहे थे। उनकी आँखों में वासना उतरती नज़र आने लगी।
उनके इस तरह देखने से मेरा जिस्म भी गरम होने लगा और मैं मन ही मन अपनी चुदाई के सपने देखने लगी। मैं नज़रें नीची कर ख्यालों में उनके लंड को अपनी चूत में महसूस करने लगी। इतना सोचने से ही मुझे महसूस हुआ कि मेरी पैंटी गीली हो चुकी है। मैंने नज़र उठाकर भइया कि तरफ़ देखा तो चौंक गई। वो जा चुके थे और मेरी चुदाई के सपने पल भर में टूट चुके थे।
रात के 12:00 बज चुके थे। मैं अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी लेकिन अब मुझे नींद नहीं आ रही थी। भइया अभी भी हॉल में टी.वी. देख रहे थे। मेरा जिस्म अभी भी गरम था और चुदाई के पहले एहसास ने मेरे रोम-रोम में सेक्स भर दिया था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?
यही सोचते-सोचते कब मेरा हाथ मेरी पैंटी में चला गया पता ही नहीं चला। अब मेरी उँगलियाँ मेरी चूत के साथ खेल रहीं थीं।
मैं अपनी उँगलियों से चुदाई करके अपने आपको संतुष्ट करने लगी। लेकिन उँगलियों से मुझे कुछ खास मज़ा नहीं आ रहा था इसलिए मैं किसी मोटी चीज़ की तलाश में अपने बिस्तर से उठी। मैंने मोमबत्ती के पैकेट में से एक नई मोमबत्ती ली और अपने रूम में आ गई। रूम में अभी भी मोमबत्ती जल रही थी।
मैंने अपनी पैंटी उतार कर फेंक दी, अब मैं सिर्फ़ नाईटी पहने थी उसके नीचे ना तो ब्रा थी ना ही पैंटी। मैंने अपनी एक टांग टेबल पर रखी और दीवार के सहारे स्थिति बनाकर अपनी नाईटी ऊपर कर मोमबत्ती को अपनी चूत में डालने लगी।
मोमबत्ती काफी मोटी थी और मेरी चूत बिल्कुल कुंवारी थी इसलिए मोमबत्ती अन्दर नहीं जा रही थी। लेकिन मेरे ऊपर तो चुदाई का भूत सवार था सो मोमबत्ती को जबरदस्ती अपनी चूत में पेल दिया।
मोमबत्ती के अन्दर जाने से मुझे काफी दर्द हुआ और मेरे ना चाहते हुए भी एक घुटी सी चीख मेरे मुंह से निकल गई। दो मिनट तक मोमबत्ती को अपनी चूत में डाले मैं वैसे ही खड़ी रही। फिर मैंने मोमबत्ती को अन्दर-बाहर करना शुरू किया। अह्ह्ह … उह्ह्ह… मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, मुझे मोमबत्ती से चुदाई करने में मज़ा आने लगा।
मैं कल्पनाओं में खोई हुई मोमबत्ती को सुनील भइया का लंड समझने लगी और बड़बड़ाने लगी ‘हाँ… सुनील भइया, जोर से डालो अपना लंड, आज मेरी प्यास बुझा दो, जाने कितने दिनों से प्यासी है मेरी चूत आज इसको जी भर के चोदो और अपने लंड की ताकत से इसके दो टुकड़े कर दो, फाड़ दो, हाँ… फाड़ दो… मेरी चूत को … अह्ह्ह … उम्म्ह्ह्ह… मेरी सिसकारियाँ तेज़ होती जा रही थीं।
अब मुझे मोमबत्ती से चुदाई करने में अत्यन्त मज़ा आ रहा था। मेरा हाथ तेज़ गति से मोमबत्ती को मेरी चूत में पेल रहा था। मैं मदमस्त होकर पूरा आनंद ले रही थी। मैं अपने चरम पर पहुँच चुकी थी। मेरे शरीर से पसीना आने लगा था और मेरी टाँगे काँपने लगी थीं। मेरा इस स्थिति में खड़ा होना मुश्किल हो रहा था लेकिन मुझे इस स्थिति में बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए मैं अपनी स्थिति बदलना नहीं चाह रही थी।
मेरा हाथ मुझे पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए बहुत तेज़ गति से चलने लगा। आह्ह्ह…. उह्ह्हह … उम्महह…. और आखिरकार वो पल आ ही गया, मेरा शरीर पूरी तरह जकड़ने लगा, अब मैं फर्श पर गिर पड़ी, अपनी दोनों टाँगे फैलाकर मोमबत्ती को फिर से डालने लगी और एक तेज़ आह्ह्ह के साथ मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया जो फर्श पर फैल गया। अब मैं शांत हो चुकी थी, मेरी चूत की प्यास काफी हद तक बुझ चुकी थी। लेकिन मेरी असली चुदाई तो अभी बाकी थी।
सुनील भइया दरवाज़े पर खड़े थे। उनको देखकर मेरे होश उड़ गए।
मैं फर्श से उठकर खड़ी हो गई और भइया को देखने लगी। भइया रूम में अन्दर आ गए और उन्होंने अपनी टी-शर्ट व हाफ-पैंट उतार दिया, अब वो सिर्फ़ अपनी फ्रेंची चड्डी में मेरे सामने थे जिसमे उनका तना हुआ लंड साफ़ दिखाई दे रहा था। वो पास आए और अपनी चड्डी में से अपना लंड निकालकर मेरे हाथ में रखकर बोले, “आयुषी, जरा चेक करो ये मोमबत्ती से मोटा है या नहीं?”
उनके लंड को देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। लंड वाकई में बहुत मोटा था और उसका सुपाड़ा तो कुछ ज्यादा ही मोटा था।
मैंने भइया से पूछा, “भइया, लंड इतना मोटा होता है?”
भइया ने कहा, “नहीं, आयुषी हर किसी का इतना मोटा नहीं होता है।”
मैंने फिर भइया से पूछा, “इसका, सुपाड़ा इतना मोटा है, ये चूत में अन्दर कैसे जाता होगा?”
भइया ने कहा, “अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा, ये अन्दर कैसे जाता है।”
और भइया ने इतना कहकर अपनी चड्डी उतार दी अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगे थे। उनका लंड किसी लोहे की रोड की तरह तना हुआ खड़ा था। मेरी नज़र उससे हट ही नहीं रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई अजूबा देख रही हूँ और क्यूँ ना लगे, लंड पहली बार जो देख रही थी। खामोशी को तोड़ते हुए भइया ने मुझे घुटनों पर बैठने को कहा और मैं बैठ गई।
फ़िर भइया मेरे पास आए और अपने लंड को मेरे होठों से लगाते हुए बोले, “इसे अपने मुंह में डालो।”
मैंने कहा, “नहीं, भइया ये बहुत मोटा है मेरे मुँह में नहीं जाएगा।”
भइया को अब थोड़ा गुस्सा आ गया और गुस्से में बोले, “मुँह में लेती है या सीधा तेरी चूत में डालूँ?”
मैंने कहा, “नहीं भइया चूत में नहीं, वो फट जायेगी, मैं मुँह में लेती हूँ।”
ऐसा कहकर मैंने उनका लंड अपने मुँह में लिया। लंड का सुपाडा बड़ा होने के कारण मुँह में फँस रहा था और मैं लंड को मुँह में लिए उसे चूस नहीं पा रही थी लेकिन भइया के इरादे कुछ और थे उन्होंने मेरे बाल पकड़े और मेरे मुँह में धक्के देने लगे।
मैं कुछ नहीं बोल पा रही थी और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे थे। भइया पूरी तरह से वहशी हो गए थे और मेरे बालों को खीचते हुए मेरी मुँह को चूत समझकर चोदने लगे थे।
मेरी हालत बहुत ख़राब हो रही थी और आँसू भी लगातार बह रहे थे लेकिन भइया के धक्के लगातार तेज़ हो रहे थे। वो मेरे बालों को इस तरह खींच रहे थे जैसे मैं उनकी बहन नहीं कोई रण्डी हूँ। भइया का मुँह लाल पड़ गया था और उनके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैं अपनी हालत से सचमुच में रोने लगी थी लेकिन उनको मेरे ऊपर जरा भी तरस नहीं आ रहा था। वो तो किसी जानवर की तरह मेरे मुंह को चोदते जा रहे थे, कभी वो मेरे बाल खींचते तो कभी मेरे गाल पर चपत लगाते, वो इतने वहशी हो गए थे कि मुझे उनसे डर लगने लगा था।
मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी, मुझे बचा लो। और भगवान ने मेरी सुन ली, भइया शायद झड़ने वाले थे इसीलिए उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। मैंने एक गहरी साँस ली और सिर पकड़कर बैठ गई। भइया बोले, “आयुषी ज़रा अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटकर इसका पानी निकाल दो।”
मैंने भइया के लंड की तरफ़ देखा वो अब भी तना हुआ खड़ा था, उनके लंड को देखकर मेरा शरीर गरमा गया, मैं घुटनों पर चलती हुई भइया के लंड के पास पहुँची और उसे हाथ में लेकर जीभ से चाटने लगी। मेरे चाटने से भइया की सिसकारियाँ निकलने लगीं और वो बोलने लगे, “शाबाश, मेरी प्यारी बहना ! चाट और चाट, अभी रसमलाई निकलेगी उसे भी चाटना।”
इतना कहकर भइया ने एक जोर की अह्ह्ह्ह… के साथ वीर्य मेरे मुंह पर छोड़ना शुरू कर दिया, मेरा मुंह पूरी तरह से उनके वीर्य से नहा गया, कुछ मेरे होठों पर भी रह गया जिसे मैंने जीभ से चाट लिया और उसके बाद भइया के लंड को भी चाटकर साफ़ कर दिया।
भइया ने मुझे खड़ा किया और तौलिए से मेरा मुंह साफ़ कर होठों से होंठ मिलाकर चूमना शुरू कर दिया। पांच मिनट के उस किस ने मेरे सेक्स को चरम पर पंहुचा दिया और मेरी चूत लंड खाने के लिए बेकरार होने लगी। भइया शायद इस बात को समझ गए थे इसलिए उन्होंने किस करते हुए ही मेरी नाईटी उठाकर अपना एक हाथ मेरी चूत पर ले गए और उसे सहलाने लगे।
मेरी बेकरारी भइया का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर और बढ़ गई और मैं भइया से कहने लगी, “भइया, अब और सहन नहीं होता है, मेरी चूत में अपना लंड डालो प्लीज़ मुझे चोदो और बताओ चुदाई क्या है?”
भइया बोले, “आयुषी, चिंता मत करो पूरी रात अपनी है आज मैं तुझे वो मज़ा दूँगा जिसे तू जिंदगी भर याद रखेगी।”
ऐसा कहकर भइया ने अपनी एक उँगली मेरी चूत में डाल दी। मैं उनकी उँगली को चूत में पाकर कसमसा गई और सिसकारियाँ लेने लगी। भइया अपनी उँगली को मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगे उन्हें शायद मेरी नाईटी से दिक्कत हो रही थी इसलिए उन्होंने चूत में उँगली डालते हुए ही मुझसे नाईटी को उतारने के लिए कहा और मैंने किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उनकी बात मानकर अपनी नाईटी को सिर के ऊपर से उतारकर फ़ेंक दिया।
भइया की उँगली मुझे पूरा आनंद दे रही थी और मैं सिसकारियाँ लेकर मज़ा ले रही थी। मुझे मज़ा लेते देख भइया ने अपनी दूसरी ऊँगली भी मेरी चूत में डाल दी। और स्पीड से अन्दर बाहर करने लगे साथ ही अपने अंगूठे से मेरी चूत के ऊपरी हिस्से को रगड़ने लगे।
उनकी उँगलियाँ भी मुझे इतना मज़ा दे रही थी कि मुझे जन्नत का अनुभव हो रहा था, मुझे लग रहा था कि मैं आसमान में कहीं उड़ रही हूँ। भइया की उँगली-चुदाई ने मुझे एक बार फिर झड़ने के लिए मजबूर कर दिया, मेरी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और मैं एक बार फिर निढाल होकर फर्श पर गिरने लगी लेकिन इस बार भइया ने मुझे अपनी बाँहों में थाम लिया।
भइया ने मुझे उठाकर बेड पर लिटा दिया और मुझे चूमने लगे, भइया का एक हाथ अभी भी मेरी चूत को सहला रहा था। उनका ध्यान पहली बार मेरे वक्षस्थल पर गया उन्होंने अपना मुँह मेरे 34 साइज़ की चूचियों पर रख दिया और बुरी तरह से मेरी घुंडियों को चूसने लगे, उनका हाथ बराबर मेरी चूत को सहला रहा था।
भइया काफी एक्सपर्ट थे वो अच्छी तरह जानते थे कि लड़की को कैसे गरम किया जाता है वो ये सब मुझे फिर से गरम करने के लिए कर रहे थे और वो इसमे सफल भी हो रहे थे क्योंकि धीरे-धीरे मेरे अन्दर सेक्स फिर से जागने लगा था।
वो मेरी चूचियों को छोड़कर मेरी कमर पर आ गए, नाभि के आस-पास चुम्बन देते हुए वो सीधे मेरी चूत पर पहुँच गए और उन्होंने अपने होंठ मेरी चूत के होंठो पर रख दिए। उनके होठों का एहसास पाकर मेरे मुंह से सिसकारी निकल पड़ी, भइया ने मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया।
हाय… मैं क्या बताऊँ आपको उस समय मुझे ऐसा लगा मानो स्वयं कामदेवता मेरी चूत को चाट रहे थे और मेरी नस-नस में सुधा भर रहे थे, मेरी चूत के होंठ सेक्स की प्रबलता से हिलने लगे थे, मैं भइया से लगभग भीख माँगते हुए बोली,” प्लीज़ भइया अपना लंड डालो नहीं तो मैं मर जाउँगी।”
भइया ने मुझसे कहा, “बस मेरी जान अब तुझे और इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।”
ऐसा कहकर उन्होंने मेरी दोनों टाँगे उठाकर अपने कंधे पर रखा और अपने लंड का सुपाडा मेरी चूत पर रगड़ने लगे, लंड को अपनी चूत पर पाकर मैं तड़प उठी और भइया से गाली देती हुई बोली,” बहनचोद क्यों तड़पा रहा है, डालता क्यों नहीं?”
मेरी बात सुनकर भइया ने जोश में एक जोरदार धक्का दिया और उनका आधा लंड मेरी चूत चला गया। मैं दर्द के मारे छटपटाते हुए भइया से लंड को बाहर निकालने के लिए बोलने लगी तो भइया ने जोरदार चांटा मेरे गाल पर रसीद कर दिया और बोले, “साली, घंटे भर से चिल्ला रही थी डालो-२ ! अब डाल दिया तो चूत फट गई।”
एक और जोरदार धक्के के साथ भइया ने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया। मैं बुरी तरह से हाथ-पैर पटक कर भइया की कैद से छूटने की कोशिश करने लगी और चिल्लाने लगी, “भइया, प्लीज़ मैं मर जाउँगी, मेरी चूत फट जाएगी अपना लंड बाहर निकालो।”
लेकिन भइया ने मेरी अनसुनी करते हुए एक और तेज़ धक्का दिया तो मेरे मुंह से चीख निकल गई। मेरी चीख सुनकर भइया ने मेरा मुँह अपने एक हाथ से बंद कर दिया और धक्के देने शुरू कर दिए।
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अब मैं भइया को अपनी कमर उचका कर सहयोग करने लगी, भइया के धक्के लगातार तेज़ होते जा रहे थे और मेरी सिसकारियाँ और कामुक होती जा रहीं थीं। दस मिनट के बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया लेकिन भइया अभी भी नहीं झड़े थे और धक्के मार-मार कर मेरी चूत का पूरा आनंद ले रहे थे।
चुदाई क्या होती है, चुदते समय मुझे मालूम हो गया, जितना मज़ा चुदाई में है उतना किसी और चीज़ में नहीं। भइया के धक्कों की रफ़्तार शताब्दी एक्सप्रेस को भी मात कर रही थी और मैं कामुक अंदाज़ में भइया के लंड की तारीफ़ कर रही थी। “भइया, तुम्हारे लंड में बहुत दम है, मोमबत्ती का मज़ा इसके सामने कुछ नहीं, प्लीज़ भइया आज मुझे जी भर चोदो, मेरी चूत की प्यास को ठंडा कर दो।”
भइया ने मेरी बात का जवाब मुंह से ना देते हुए अपने लंड से दिया, धक्कों की गति को दोगुना करते हुए भइया ने मेरी रेल बना दी, कुछ देर के बाद मुझे महसूस हुआ की मेरी चूत में कुछ गरम-गरम गिर रहा है, मैं समझ गई कि यह भइया का वीर्य है और उनके साथ मेरी चूत ने भी एक बार फिर पानी छोड़ दिया और इस तरह मेरी पहली चुदाई पूरी हुई।
भइया मेरी चूत में ही लंड डाले हुए मेरे ऊपर लेट गए। कुछ देर आराम करने के बाद मैंने किचन में जाकर चाय बनाई और हम दोनों बैठकर चाय पी, इस दौरान हम दोनों पूरी तरह से नंगे ही रहे। रात के ३ बजने के बाद मैंने भइया से सोने के लिए कहा तो भइया ने एक बार फिर चुदाई करने की इच्छा ज़ाहिर की। मैं भी राजी हो गई और भइया ने इस बार मुझे फर्श पर कुतिया बनाकर चोदा उसके बाद हम दोनों नंगे ही सो गए।
सुबह 6 बजे उठकर मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुई और पौने सात बजे भइया को उठाया तो मुझे काली टॉप और काली लॉन्ग स्कर्ट में देखकर भइया का लंड एक बार फिर खड़ा हो गया और उन्होंने केवल मेरी पैंटी उतारकर किचन में दीवार के सहारे ही चोद डाला।
भइया ने मुझे परीक्षा-केन्द्र पर छोड़ा और परीक्षा देकर जब मैं लौटी तो मम्मी आ चुकी थी। इसके बाद आज तक मुझे कभी मौका नहीं मिला कि मैं भइया से चुदाऊँ हालाँकि आज मेरी शादी हो चुकी है तो मेरी चुदाई हर रात होती है लेकिन भइया के लंड के लिए मैं आज भी बेकरार हूँ। Sex Stories
आजकल की बीवियां बड़ी पढ़ी लिखी, स्मार्ट, ओपन-माइंडेड और बोल्ड होती हैं।
वो अपना रास्ता खुद निकालतीं हैं और किसी के सहारे नहीं रहतीं।
बीवियां हर वो काम कर लेती हैं जो उनके मर्द करते हैं।
वैसे मर्दों का काम है चोदना और औरतों का काम है चुदवाना!
लेकिन आजकल बीवियां भी चोदने का काम करती हैं और मर्द चुदने का काम!
मर्द अगर बुर चोदता है तो औरत लण्ड चोदती है।
औरत अगर अपनी बुर चुदवाती है तो मर्द अपना लण्ड चुदवाता है.
पहले मियां अपनी बीवी को वाइफ स्वैपिंग के लिए मनाता था और बीवियां बड़े नखरे दिखा दिखा कर मानतीं थी पर आज ज़माना बिल्कुल बदल गया है।
अब तो अदल बदल कर चुदाई के खेल में बीवियां ही पहल करती हैं और एक दूसरे के पति से बिंदास चुदवाती हैं।
वे खुद अपने अपने मियाँ को तैयार करती हैं और हसबैंड स्वैपिंग करती हैं।
एक ऐसी ही सच्ची हस्बैंड स्वैपिंग सेक्स कहानी मैं मिसेज राधिका सिन्हा आपको सुनाने जा रही हूँ!
मेरा नाम मिसेज राधिका है यह तो आप जान ही गए हैं मेरे प्यारे दोस्तो!
मेरी शादी के 2 साल हो चुके थे और मैं अपना वैवाहिक ज़िन्दगी अच्छी तरह जी रही थी.
लेकिन एक बात जरूर थी कि रोज़ रोज़ वही लण्ड पकड़ते पकड़ते, वही लण्ड चाटते चूसते, वही लण्ड चूत में पेलवाते पेलवाते बहुत बोर हो चुकी थी।
मुझे लगा कि अब कोई नया लण्ड मिले तो अच्छा हो।
मैं बस नए लण्ड की तलाश करने लगी।
एक दिन अचानक मेरी मौसी की बेटी ललिता का फोन आ गया।
वह बोली- दीदी, हम दोनों मुंबई आ रहे हैं।
मैंने बड़ी गर्म जोशी से कहा- हां हां बिल्कुल आ जाओ। कौन सी फ्लाइट से आ रही हो?
उसने डिटेल बताया तो मैंने नोट कर लिया।
शाम को मैंने इसका ज़िकर अपने पति राघव से किया तो वह बड़ा खुश हुआ।
अगले सवेरे हम दोनों उसे रिसीब करने एयरपोर्ट पहुँच गए।
जब वह आई तो मुझसे लिपट गयी।
मैं उसके पति हरीश से मिली। वह भी बड़ा स्मार्ट और हैंडसम था।
मेरा पति ललिता को देख कर ललचा गया ऐसा मुझे उसके हाव भाव से मालूम हो गया।
हम लोग घर आ गए.
नाश्ता तैयार था ही!
वो लोग भी फ्रेश होकर आ गए और हम सब नाश्ता करके बाहर निकल पड़े।
दिन में थोड़ा घूमे दोपहर में एक पिक्चर देखी और शाम को बगीचे में घूमने लगे।
तब तक हम दोनों कपल एक दूसरे के काफी करीब आ चुके थे।
मैं ललिता से बातें करने लगी और वो दोनों अलग!
अब तक हमारी बातें और तरह की थी पर अब मैं और तरह की बातें करनी शुरू कर दी।
मैंने कहा- अच्छा ललिता, ये बताओ कि तुम एक ही मरद के साथ सेक्स करते करते बोर नहीं हो जाती हो?
वह बोली- अरे दीदी, आपने कहाँ दुखती रग पर हाथ रख दिया। सच बताऊँ यार मैं तो बहुत बोर हो जाती हूँ पर करूं क्या? मन मार कर रह जाती हूँ।
“तो फिर कोई ज़रिया कभी तलाशने की कोशिश की?”
“ज़रिया हो भी क्या सकता है? एक पराये मरद के अलावा और क्या हो सकता है पर कोई भरोसे वाला मिलता भी तो नहीं है.”
“अच्छा अगर मिल जाए तो?”
“मिल जाए तो मैं उसे नंगा करके सबसे पहले उसका लण्ड देखूंगी।”
“ऐसा क्यों कि तुम सबसे पहले लण्ड देखोगी?”
“इसके दो कारण हैं दीदी … एक तो लण्ड सबके अलग अलग होते हैं तो एक नया लौड़ा देखने को मिलेगा। और दूसरा कि चुदवाने के लिए सिर्फ लण्ड की जरूरत है बाकी का मुझसे क्या लेना देना?”
“अच्छा अगर कोई तेरे मरद का लण्ड ले ले तो?”
“मैं अपने मरद का लण्ड उसी को दूँगी जो खुद अपने मरद का लण्ड मुझे देगी।”
“इसका मतलब है कि तू लण्ड की अदला बदली करने को तैयार है?”
“हां कर लूंगी। मैं बिंदास हूँ, बोल्ड हूँ, पढ़ी लिखी हूँ, यह तो Lund Swapping है, कर लूंगी।”
“तेरा हसबैंड क्या मान जाएगा इसके लिए? वह नाराज़ तो नहीं होगा? उसे बुरा नहीं लगेगा?”
“मेरा हसबैंड भोसड़ी का मेरी मुठ्ठी में रहता है दीदी। जैसे मैं उसके लण्ड को मुठ्ठी में रखती हूँ वैसे ही मैं उसको भी मुठ्ठी में रखती हूँ।”
“अगर मैं तेरे मरद के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में ले लूँ तो?”
“तो फिर मैं तेरे मरद के लण्ड को मुठ्ठी में ले लूंगी दीदी।”
“यही तो मैं चाहती हूँ।”
वह बड़ी जोर से हंस पड़ी और बोली- वाह दीदी वाह … तुमने तो मेरे मुंह से सब कुछ उगलवा लिया। अब मैं हसबैंड स्वैपिंग के लिए तैयार हूँ और मैं आज ही जीजू का लण्ड पकड़ कर देखूंगी।
मैंने कहा- अब तुम अभी से अपने जीजू को रिझाने में जुट जाओ, उसके लण्ड में आग लगा दो। मैं तेरे पति को रिझाऊंगी और उसके लण्ड में आग लगा दूँगी।
“चलो अब हम एक दूसरे के पति से खूब मस्ती वाली बातें करें और उनके लण्ड में आग लगा दें।”
फिर मैं उसके पति से खुल कर बातें करने लगी और वह मेरे पति से!
जैसे ही हम लोग घर वापस आये वैसे ही एक दूसरे के पति के आस पास घूमने लगीं।
हम दोनों ने कपड़े बदले, भड़कीले और छोटे कपड़े पहन कर सोफा पर बैठ गयीं।
न मैंने ब्रा पहनी और न उसने!
हम दोनों अपनी अपनी बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियों की झलक एक दूसरी के पति को दिखाने लगीं, अदायें भी दिखाने लगी और थोड़ा गन्दी गन्दी मजाक भी करने लगी।
मेरा पति उसका जीजू और उसका पति मेरा बहनोई तो मजाक का रिश्ता भी था हमारा।
फिर हम सब ड्रिंक्स पर बैठ गए।
पीती मैं भी हूँ और ललिता भी!
वो दोनों भी एक दूसरे की बीवी की तरफ आकर्षित होने लगे।
मैंने अपने पति से कहा- क्या बात है, ललिता की तरफ बहुत देख रहे हो तुम?
ललिता बोली- तो क्या हुआ दीदी … वह मेरा जीजू है मैं उसकी साली हूँ। अब अपनी साली को नहीं देखेगा तो किसको देखेगा? तुम्हारा मन हो तो तुम भी अपने बहनोई को देखो न दीदी, मना किसने किया है?
मैंने आँख मार कर बड़ी सेक्सी अदा से कहा- मैं तेरे पति को भी देखूंगी और तेरे पति का भी देखूंगी.
ललिता बोली- हाय दईया, तो फिर मैं भी तेरे पति का देखूंगी दीदी! मैं किसी से कम नहीं हूँ।
हमारी बातों का मतलब वो दोनों अच्छी तरह समझ रहे थे।
थोड़ा नशा और चढ़ा तो मस्ती भी और बढ़ गयी।
ललिता ने अपनी बांहें मेरे पति के गले में डाल दीं और उसके गाल चूम कर बोली- जीजू आज तुम मुझे बड़े अच्छे लग रहे हो।
मैं भी हरीश से चिपक कर बैठ गयी और उसकी जांघ पर हाथ रख कर सहलाने लगी।
उसका भी हाथ मेरे बदन पर आ गया और वह भी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा, फिर धीरे धीरे मेरी चूचियों पर आ ही गया.
उसने मेरी चूचियाँ दबायीं तो मैंने भी उसका लण्ड ऊपर से ही दबा दिया।
न उसने मना किया और न मैंने!
हम दोनों एक दूसरे को समझ गए कि अब क्या करना है.
उधर ललिता तो मेरे पति का लण्ड ऊपर से ही बड़ी जोर जोर से दबा रही थी।
वह भी ललिता के बूब्स दबाने लगा।
हमारे इस हाव भाव से मामला बिल्कुल साफ़ हो गया था कि हम दोनों एक दूसरे के पति से चुदवाना चाहती हैं और वो दोनों एक दूसरे की बीवी चोदना चाहते हैं।
हम लोग कुछ भी नहीं बोल रहे थे लेकिन हाथ हम सबके चल रहे थे।
हमारे हाथ ही बोल रहे थे कि अब आगे क्या होने वाला है.
मेरे पति ने ललिता के बूब्स खींच कर बाहर निकाल लिया।
इधर उसका पति भी मेरी ब्रा खोल कर मेरे दोनों बूब्स निकाल कर चाटने लगा और बोला- वाह वाह दीदी, क्या मस्त चूचियाँ हैं आपकी! कितनी बड़ी बड़ी और मस्त सुडौल हैं बूब्स आपके! बड़ा मज़ा आ रहा है इन्हें चाटने में चूसने में!
उधर मेरा पति बोला- वाह साली साहिबा, क्या मस्त और खूबसूरत हैं तेरी चूचियाँ! साली की चूची और साली की चूत बहुत नसीब वालों को मिलती है। आज मैं वाकई बड़ा नसीब वाला हूँ।
ललिता बोली- हाय दईया जीजू, आपने अभी मेरी चूत तो देखी ही नहीं!
उसने हाथ ललिता के पेटीकोट में घुसेड़ दिया और कहा- मेरा हाथ तो देख रहा है न? अभी मेरी आँखें भी देखेंगीं तेरी मस्तानी चूत!
इधर उसका पति मुझे एकदम नंगी करने पर तुला था, जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतार कर फेंक रहा था।
वैसे कपड़े कोई ख़ास थे भी नहीं!
पहले मैं मादर चोद नंगी हो गयी और फिर मेरे सामने बुर चोदी ललिता भी बिल्कुल नंगी हो गयी।
संयोग तो देखिये कि छोटी छोटी झांटें उसकी चूत पर भी थीं और छोटी छोटी झांटें मेरी चूत पर भी थीं।
कुछ भी हो लेकिन दोनों की चूत बड़ी सेक्सी लग रही थी।
इतने में मैंने हरीश को एकदम नंगा कर दिया।
उसका लौड़ा खड़ा हुआ था।
लण्ड देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। आज शादी के बाद मैं पहली बार किसी पराये मरद का लण्ड देख रही थी।
वैसे शादी के पहले मैं कई लण्ड पकड़ चुकी थी। मतलब यह कि मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी। कई लड़कों से चुदी थी।
इसीलिए मुझे शादी के बाद पराये मरद के लण्ड की जरूरत बहुत महसूस हो रही थी।
बात करने पर ललिता ने बताया- दीदी, मैं भी शादी के पहले खूब चुद चुकी थी। एक अंकल ने मुझे कई बार चोदा था और कॉलेज के दो लड़कों से मैं खुद बड़े मजे से चुदवाती थी। शादी के बाद मुझे भी कोई लौड़ा नहीं मिला तो मैं भी तरस रही थी। आज मेरी तमन्ना पूरी होगी।
फिर हमने प्लान बनाया कि आज हम दोनों एक दूसरे के पति से चुदवायेंगी जरूर और अब वही होने जा रहा है।
मैं उसके पति का लण्ड हिलाने लगी और वह मेरे पति का लण्ड!
दोनों ही लण्ड बड़े मस्त और तगड़े तंदुरुस्त थे; दोनों लण्ड के टोपा चमक रहे थे।
दो सोफे आमने सामने पड़े थे।
एक में मैं नंगी और उसका पति नंगा दूसरे में वह नंगी और मेरा पति नंगा।
ललिता मेरे पति का लण्ड चूसने और मैं उसके पति का लण्ड।
मैं हरीश का लण्ड उसकी आँखों में आंखें डाल कर चूस रही भी मेरे मियां का लण्ड उसकी आँखों में आँखें डाल कर चूस रही थी।
इससे अब न मुझे कोई शरम थी और न उसे!
मैंने कहा- यार ललिता, तेरे पति का लण्ड बड़ा खूबसूरत और मोटा तगड़ा है। बहनचोद देखो न … मेरे हाथ में आकर कितनी मस्ती से उछल रहा है।
उसने कहा- ये लण्ड भोसड़ी का … परायी बीवी के हाथ में जाकर ज्यादा ही उछलने लगता है। अब देखो न तेरे पति का लण्ड मेरे हाथ में कैसे फुफकार रहा है?
मजे की बात यह थी कि झांटें दोनों लण्ड की बिल्कुल साफ़ थीं। पेल्हड़ भी दोनों के एकदम चिकने थे।
मुझे तो ऐसे ही लण्ड पसंद हैं। ऐसे लण्ड चाटने में बड़े अच्छे लगते हैं।
ललिता भी बड़ी मस्ती से मेरे पति का लण्ड चाटने में जुटी थी।
वह बोली- अरे दीदी, जीजू का लण्ड इतना जबरदस्त है … अगर तूने पहले पकड़ाया होता तो अब तक जाने कितनी बार इससे चुदवा चुकी होती!
इतने में सबको जोश आ गया और हरीश ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
मेरे मुंह से निकला- उफ़ … बड़ा मोटा लण्ड है तेरा यार! मेरी तो बुर फट जाएगी बहनचोद, इतना मोटा लण्ड पहले कभी नहीं घुसा मेरी चूत में! हाय रे … आज मेरी चूत में छक्के छूट जायेंगे।
तब तक मेरे पति ने भी लौड़ा ललिता की बुर में ठोक चुका था।
वह बोली- उई माँ … मर गयी मैं! इस भोसड़ी वाले जीजू ने फाड़ दी मेरी बुर! हाय अब मैं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही। जीजू बड़ा बेशरम है तेरा ये मादरचोद लण्ड? धीरे धीरे चोदो न जीजू? मैं कहीं भाग नहीं जाऊँगी। चुदवा कर ही जाऊँगी तुमसे!
कुछ देर बाद वह बोली- क्या यार जीजू … पूरा लौड़ा पेल पेल के चोदो न? धीरे धीरे नहीं … तेज तेज चोदो, मर्दों की तरह चोदो मेरी बुर! बड़ा मज़ा आ रहा है। वाह वाह क्या मस्त लौड़ा है तेरा? फाड़ डालो मेरी बुर … चीर डालो मेरी बुर!
वह मस्ती मे कुछ भी बोलती जा रही थी।
इधर मैं भी बोल रही थी- हाय मेरे हरीश राजा, मुझे खूब चोदो, अपनी बीवी की तरह चोदो मुझे, मैं तेरी ही हूँ मुझे गपागप चोदो! हाय रे बड़ा गज़ब का है तेरा लण्ड … मुझे ऐसा ही लण्ड पसंद आता है. मेरी चूत ऐसे ही लण्ड खाती है. हाय राम हो ही ओहो हो बड़ा मज़ा आ रहा है आओ हूँ ओ हा ऊँ हूँ ओ ह्हो … क्या मस्त चुदाई है यार!
हम दोनों इसी तरह सिसियाती जा रही थी और मजे से चुदवाती भी जा रही थी।
हरीश बोला- यार राघव, मुझे अपनी बीवी के सामने तेरी बीवी चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है।
मेरे पति राघव ने कहा- हां यार हरीश, मुझे भी अपनी बीवी के सामने तेरी बीवी चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है. ऐसा मज़ा बहनचोद पहले कभी नहीं आया। एक बात और है मुझे अपनी बीवी चुदवाने में भी मज़ा आ रहा है।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गयी। मैं चाहती थी कि मेरा पति अपनी बीवी चुदवाना शुरू कर दे तो सब काम बन जाए।
तब तक ललिता बोली- अरे जीजू, जो अपनी बीवी चुदवाता है वही दूसरे की बीवी चोद पाता है। मैं तो कहती हूँ कि तुम लोग रोज़ ही चुदवाओ अपनी बीवी और चोदो दूसरों की बीवियां! जाने कितनी बीवियां तुम्हारे जैस लोगों से चुदवाने के लिए तैयार हैं.
ललिता ने भी वही कहा जो मैं चाहती थी।
बस दोनों को और जोश आया तो वो हमें पीछे से चोदने लगे और फिर लण्ड पे बैठा बैठा के भी चोदने लगे।
आखिर में जब हम दोनों ने एक दूसरे के पति के झड़ते हुए लण्ड चाटे तो उसका आनंद कुछ और ही था जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता.
हमने महसूस किया कि चुदाई में रोज ऐसा ही मज़ा आये तो अच्छा हो!
फिर हम सबने नंगे नंगे ही खाना खाया, खूब गन्दी बातें की और थोड़ा इधर उधर घर में ही घूमे।
उसके बाद फिर इन लोगों ने हमें दो दो बार चोदा; तब हम लोग थोड़ा सोये।
ललिता जब तक रही, तब तक वह हर रोज़ रात को मेरे पति से चुदवाती रही और मैं उसके पति से चुदवाती रही।
उसके जान के करीब एक हफ्ते बाद उसका फोन आया।
उसने कहा- दीदी, अभी कल ही मेरी एक दोस्त कला अपने हसबैंड के साथ मुंबई गयी है। मैं उसके साथ चोदा चोदी कर चुकी हूँ। मैंने उसे तेरा फोन नंबर दे दिया है। उसके हसबैंड लौड़ा बड़ा मस्त है, ज्यादा बताऊंगी तो तेरा मज़ा किरकिरा हो जायेगा। अब तुम खुद पकड़ कर देख लेना उसका लण्ड! और जीजू से कहना कि कला की बुर खूब अच्छी तरह चोदे क्योंकि वह भोसड़ी वाली बड़ी मस्त है चुदवाने में। लण्ड का पूरा मज़ा लेती हैं और पराये मर्दों से जम कर चुदवाती है।
उसकी बातों ने मेरी चूत में आग लगा दी।
बस 2 मिनट में ही फोन फिर बजने लगा।
मैंने जैसे ही हेलो कहा वैसे ही वह बोली- दीदी, मैं कला बोल रही हूँ मुझे आपके बारे में ललिता ने बताया है।
तो मैंने कहा- मेरी बात ललिता से हो गयी है। तुम लोग आज शाम को 8 बजे मेरे घर पर डिनर के लिए आ जाओ।
तब तक मेरा पति भी आ गया।
मैंने उसको यह खबर सुनाई तो वह बड़ा खुश हुआ और बोला- यार राधिका, मेरा एक दोस्त देवा भी आज शाम को अपनी बीवी दिव्या के साथ आ रहा है। मैंने उन्हें डिनर पर बुला लिया। वह हमारे साथ वाइफ स्वैपिंग करने आ रहा है।
मैं तो यह सुन कर दुगुना खुश हो गयी कि अब आएगा असली मज़ा … तीन तीन कपल जब अदला बदली करेंगें तो मज़ा भी तिगुना हो जायेगा।
मैंने फिर फटाफट सारा इंतज़ाम कर लिया।
शाम को जब सब लोग इकट्ठे हो गए और एक दूसरे से परिचय हुआ तो सब बड़ी मस्ती में आ गए।
मेरे पति ने देवा को बता दिया कि कला और रोहित भी वाइफ स्वैपिंग के लिए ही आए हैं तो वो दोनों बहुत ही खुश हुए।
इधर कला को जब मालूम हुआ कि आज सेक्स पार्टी में 3 कपल होंगे तो वह ख़ुशी से उछल पड़ी।
मैंने हॉल में गद्दा वगैरह बिछा कर पूरी तैयारी कर ली थी और फिर हम सब बैठ कर मदिरापान करने लगे।
दिव्या बोली- अरे राधिका, बहुत अच्छा किया। ग्रुप सेक्स करने के पहले थोड़ा सरूर आना जरूरी होता है।
कला भी बोली- हां यार, चुदाई के पहले थोड़ा नशा ज्यादा मज़ा आता है।
मैं समझ गयी कि ये दोनों बीवियां शराब की उतनी ही शौकीन हैं जितनी की मैं!
दो दो पैग शराब ख़त्म हुई, सब लोग खुल कर बोलने लगे, अपने आपमें मन की बात बोलने लगे।
वाइफ स्वैपिंग करना सभी चाहते हैं पर बोलना कोई नहीं चाहता।
पहल कोई नहीं करना चाहता।
देवा बोला- यार, मैं बहुत दिनों से वाइफ स्वैपिंग के बारे में सोच रहा था पर कर नहीं पाया कभी! उस दिन जब राघव ने ज़िकर किया तो मज़ा आ गया। मैंने जब अपनी बीवी दिव्या को बताया तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और खाना पीना सब भूल गयी।
कला ने कहा- मुझे जब ललिता ने बताया तो मैं इस बात से खुश हुई कि चलो मुंबई में भी अपना कोई होगा जिसके साथ हसबैंड की अदला बदली का मौक़ा मिलेगा। मेरे पति का तो चेहरा ही खिल उठा।
दारू पीते हुए बहुत सी बातों का खुलासा हुआ जिससे हम सब एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए।
हमारे बीच शर्म और झिझक की दीवार टूट गयी।
हम बुर चोदी तीनों बीवियां एकदम बिंदास हो गयीं और शराबी बीवी की तरह व्यवहार करने लगी.
मैंने रोहित के गले में बाहें डाल दीं और उसके गाल चूमते हुए बोली- वाह कितना मस्त मरद है तू बहनचोद रोहित!
रोहित की बीवी कला देवा की तरफ मुड़ी और उससे चिपक गयी। उसका लौड़ा ऊपर से ही सहलाते हुए बोली- वाओ … लौड़ा भोसड़ी का बड़ा मस्त लग रहा है तेरा!
देवा की बीवी दिव्या ने मेरे पति के पास जाकर उसे उठाया और उसके गले लग गयी फिर वह हाथ नीचे करके उसका लौड़ा टटोलने लगी।
मेरा पति भी दिव्या की चूचियाँ ऊपर से दबा दबा कर मज़ा लेने लगा, बोला- वॉवो क्या मस्त चूचियाँ है तेरी दिव्या भाभी!
वह बोली- तेरा मस्त लौड़ा भी है मेरी जान राघव!
बस कुछ ही देर में एक एक करके हम सब नंगे हो गए।
तीनों बीवियां नंगी और तीनों मरद नंगे।
मैं रोहित का लण्ड हिलाने लगी, दिव्या राघव का लण्ड और कला देवा का लण्ड हिलाने लगी।
मैंने कहा- अब मैं आप सबको डबल मज़ा देना चाहती हूँ। बीवियों को पराये मरद का लण्ड चाटने का मज़ा और पराये मरद से बुर चटवाने का भी मज़ा। वह लण्ड चाटेगी किसी और मरद का … साथ ही साथ बुर चटवायेगी किसी और मरद से! मर्दों को डबल मज़ा कि … बुर चाटो किसी और की बीवी की और लण्ड चटवाओ किसी और की बीवी से!
यह सुनकर सब लोग हैरान हो गए कि यह कैसे होगा?
मैंने कहा- मैं बताती हूँ कि कैसे होगा.
मैंने सबको गोल गोल बैठा दिया।
एक बड़ा सा घेरा बन गया।
सब लोग नंगे थे ही!
पहले मैं बैठी, मेरी दाहिनी तरफ रोहित, फिर दिव्या, फिर राघव फिर कला फिर देवा।
अब हर मरद के अगल बगल परायी बीवी हो गयी और हर बीवी के अगल बगल पराया मरद हो गया।
मैंने कहा- अब सब बीवियां दाहिनी तरफ वाले का लण्ड चाटेंगी और सब मर्द दाहिनी तरफ वाली की बीवी की बुर चाटेंगे।
इसका असर यह हुआ कि मैं रोहित का लण्ड चाटने लगी और रोहित दिव्या की बुर!
दिव्या राघव का लण्ड चाटने लगी और राघव कला की बुर,
कला देवा का लण्ड चाटने लगी और देवा मेरी बुर चाटने लगा.
इस तरह सबको डबल मज़ा आने लगा।
बीवियों को लण्ड चाटने का और बुर चटवाने का मज़ा मिलने लगा।
मर्दों को बुर चाटने का मज़ा और लण्ड चटवाने का मज़ा मिलने लगा।
इस खेल से सबकी बुर में आग लग गयी और सबके लण्ड में भी.
बहुत देर तक ऐसा मस्ताना खेल ज़ारी रखना किसी के बस का नहीं था।
तो मैं रोहित का लण्ड अपनी बुर में पेल कर बिंदास चुदवाने लगी।
दिव्या बुर चोदी मेरे पति से झमाझम चुदवाने लगी और कला भोसड़ी वाली भकाभक देवा से चुदवाने लगी।
दूसरे सिरे से देखें तो मेरा पति देवा की बीवी चोदने लगा, देवा रोहित की बीवी चोदने लगा कर और रोहित राघव की बीवी यानि मुझे चोदने लगा।
परायी बीवी की बुर चोदने में सबको खूब मज़ा आने लगा और बीवियों को भी पराये मर्दों से चुदवाने में ज़न्नत का मज़ा आने लगा।
मैं मन ही मन बड़ी खुश हो रही थी कि मेरा प्लान कितना कामयाब हो गया।
हमने फिर एक हसबैंड स्वैपिंग क्लब बना लिया।
इस क्लब में आजकल 10 कपल हैं। हम सब हर शनिवार और रविवार को एक दूसरे के पति से खूब मस्ती से बिंदास खुले आम चुदवाती हैं.
हमारे हसबैंड भी खूब मन लगा कर दनादन एक दूसरे की बीवियां चोदते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं।
हालाँकि सारे कपल हर शनिवार को नहीं आ पाते लेकिन हां 6 – 7 कपल तो आ ही जातें हैं और फिर होता है परायी बीवियों को चोदने का और पराये मर्दों से चुदवाने का लगातार हंगामा।
दो दिन तक न कोई वाइफ कपड़े पहनती है और न कोई हसबैंड!
सभी पाठकों को मेरा प्रणाम, मेरा Antarvasna नाम मोहित है मैं रतलाम में रहता हूँ और अंतर्वासना का नियमित पाठक हूँ।
दोस्तो, यह बात फ़रवरी के महीने की हैं, रतलाम मे मेरी दूर के रिश्ते की मासी के लड़के की शादी थी उसमे मुझे एक भाभी मिली जिसका नाम सोनम था। बात करने पर पता चला कि वो दूर के किसी रिश्ते मे मेरी भाभी लगती है। उसका रंग सांवला था हाइट करीब 5’5′ होगी दिखने में एक दम सेक्सी थी उसका फिगर 34-28-32 का था।
मैंने गौर किया कि वो सुबह से ही मुझमें रुचि ले रही है। साथ में घूमना, खाना, इधर उधर की बातें करना।
दिन की बात है वो मुझे घूर रही थी, तभी अचानक मैंने उनसे कहा- भाभी देखते हैं कौन बाद में पलक झपकता है!
तो उन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली तो मैंने कहा- लो आप तो हार गयी लाओ मेरा इनाम!
तो उसने कहा- माँग लो आपको जो भी माँगना हो!
उसकी इस बात से मेरा नज़रिया थोड़ा बदल गया लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई, मैंने उनसे कहा- रहने दो आप नहीं दे पाओगी!
मेरा ऐसा कहने पर उसने कहा- मुझे पता है आपको क्या चाहिए!
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- आपको किस चाहिए ना!
उसके मुख से ऐसी बात सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर किस कर दिया। उसने मेरा पूरा साथ दिया लेकिन तभी कमरे का दरवाजा बजा और हम अलग हो गये, लेकिन अब हमारी तड़फ़ बढ़ने लगी थी । फिर शाम को रिसेपशन के समय उसने लाल रंग का लांचा पहना था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी।
उन्होंने मुझसे कहा- आज से मैं आपकी भाभी नहीं बीबी हूँ, आप मुझे जैसे चाहो खा सकते हो!
फिर हमने जल्दी जल्दी खाना खाया और मेरे दोस्त की गाड़ी लेकर हम घूमने चले गये और फिर एक होटेल में मैंने उसे 5 बार अलग अलग तरीके से चोदा।
फ़िर उस रात मेरे एक दोस्त की बाइक लेकर मैं और सोनम शादी में से निकल गए। उसने मुझे पीछे से पकड़ रखा था और जब हम थोडी सुनसान जगह पहुंचे तो उसने उसका हाथ मेरे शर्ट के अन्दर डाल दिया, उसके स्पर्श से मेरे तन में गर्मी आ गई और मैं उसे एक होटल में ले गया।
होटल में मैंने एक कमरा बुक करना चाहा तो मैनेजर ने कहा- सर, मेडम! नॉन एसी रूम चलेगा?
मैंने कहा- ठीक है!
उसने होटल में 17 नम्बर का कमरा खुलवा दिया और हम दोनों कमरे में आ गए। मैंने कमरे में आते ही सोनम को कहा- सोनम आज मैं तुम्हें अपना बना के रहूँगा!
तो उसने कहा- आप की जो मर्जी हो वैसा करो लेकिन में आपसे बहुत प्यार करती हूँ इसलिए मुझे भी आप अपना पूरा प्यार देना!
उसकी इस बात ने मेरी वासना को और भड़का दिया, मैंने उसका लांचा खोल दिया और वो मुझसे लिपट गई।
मैंने भी कुरता पहना था, उसने उसे खोल दिया, फिर उसने मुझे बेड पर बिठा दिया और कहा- मोहित! आज हमारी सुहाग रात है!
मैंने कहा- जानेमन आ जाओ! तुम्हें अपने प्यार का स्वाद चखाता हूँ!
फ़िर हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे किस करने लगे। उसने अपना हाथ मेरे पजामे में डाल दिया, मेरा लंड जो खड़ा था, उसने उसे पकड़ लिया और मेरे सुपाड़े की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मेरी हालत ख़राब हो रही थी। लग रहा था मानो मेरा लंड फट जाएगा।
फ़िर मैंने उसके स्तन मसलने चालू कर दिए और कुछ ही समय में हम दोनों प्राकृतिक अवस्था में थे। सोनम ने कमरे की लाईट बंद कर दी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
2 या 3 मिनट ही हुए थे और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया.
उसने कहा- मोहित! आपका टेस्ट कितना अच्छा है! क्या आप मुझे नहीं चखोगे?
मैंने उसके बूब्स को मुँह में लेकर चूसना चालू किया और कुछ ही देर में मैं उसकी चूत पर था। उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल बड़े सेक्सी लग रहे थे।
मैंने उसकी चूत को चाटना चालू किया तो उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और वो मेरा सर पकड़ कर अपने चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत चटवा रही थी और अचानक उसने मेरा मुँह हटा दिया और कहा- अब आप मुझे खा जाओ!
उसके इन शब्दों ने मुझे पागल बना दिया और मैंने एक सेकंड में अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का लगाया..
वो इसके लिए तैयार नहीं थी और अचानक ऐसा होने से वो एक दम डर सी गई और अगले ही झटके में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था।
दोस्तों उसकी चूत इतनी टाइट नहीं थी जितनी मेरी गर्ल फ्रेंड की थी।
और इसी तरह मैंने उससे 2-3 अलग अलग आसनों में चोदा और हम दोनों झड़ गए…
ऐसे 3 दौर पूरी रात चले और फिर हम एक दूसरे को बाहों में जकड़ के सो गए..
सुबह वो उठी और रोने लगी।
मैंने पूछा- सोनम! क्या हुआ?
तो वो मेरे गले लग के बोली कि मोहित! शायद हमने अच्छा नही किया… मैं शादी शुदा हूँ और मैंने ये सब…बस वो ये बोल ही रही थी कि मैंने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और किस करने लगा..
और उससे कहा- सोनम! इस जन्म में ना सही पर अगले जन्म में मैं तुम्हारा ही रहूँगा .. मेरे मुँह से ऐसी बात सुन कर वो खुश हो गई और फिर हम दोनों होटल से शादी की धर्मशाला आ गए…
उसके बाद आज तक वो मुझे नहीं मिली.
लेकिन एक बात तो अभी कहना चाहता हूँ कि भाभी को चोदने में जितना मज़ा आता है उतना तो गर्ल फ्रेंड को चोदने में भी नहीं आता!
पर दोस्तो, आप के ईमेल तो मिलना चाहिए इसलिए मुझे मेल करें… Antarvasna
मैं सुरेश, मेरे प्रिय Antarvasna Sex Stories पाठकों और पाठिकाओं को मेरे लंड का नमस्कार।
मैं भी आपकी ही तरह अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मुझे इस साईट की कहानियों को पढ़कर लगा कि मैं भी आपके समक्ष अपनी सच्ची कहानी रखूं।
मैं जिस लड़की के बारे में बताने जा रहा हूँ, उसका नाम गौरी है। उसका कद करीब ५.३” है । रंग थोड़ा सांवला है और उसके मम्मे करीब ३४” के होंगे और उसके गांड करीब ३८” की होगी और उसकी पतली कमर अगर उसे कोई देख ले तो उसका लण्ड कड़क हो जाए।
बात उन दिनों की है जब मैं पटना(बिहार) के कोचिंग में पढ़ाया करता था, वो मेरे कोचिंग में पढ़ती थी। वो एक अमीर घराने की माडर्न ख्याल की लड़की थी, इसीलिए छोटे छोटे और पारदर्शक कपड़े पहन कर आती थी जिससे देख सभी लड़के उस पर फ़िदा रहते थे। गुरु होने के कारण मैंने वैसे तो कभी उसे उस नजरिये से कभी नहीं देखा था पर उस दिन बात ही कुछ ऐसी हो गई।
मैं आपको बताना भूल गया कि उसे बार-बार बेहोश होने की बीमारी थी। वो रविवार का दिन था और कोचिंग की छुट्टी थी पर उसे गणित में कुछ प्रोबलम होने के कारण उसने मुझसे अकेले में पढ़ाने को कहा था। वो ठीक १० बजे मेरे कोचिंग में आ गई, और हमने पढ़ाई शुरू कर दी। मैं उसे पढ़ा ही रहा था कि इतने में वो बेहोश हो गई। मैं उसके मुँह पे पानी के छींटे मार रहा था उसे होश में लाने के लिए। इस बीच मेरी नज़र उसके मम्मे पर चली गई। पानी और पारदर्शक कपड़े होने के कारण उसके मम्मे गीले हो गए जिस कारण वो पूरे साफ़ साफ़ दिख रहे थे। मैं न चाहते भी उसके मम्मे दबाने लगा। उसके बाद मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल दिया और उसे मसलने लगा और उसके होठों पे अपने होंठ रख कर चूसने लगा। इतने में वो होश में आ गई और हल्का सा मेरा विरोध करने लगी पर उसके बाद वो भी गरम हो गई।
मेरा भी लंड अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा और उसने अपने हाथों से मसलना शुरू कर दिया। करीब १० मिनट की चुम्मा-चट्टी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी। मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए और थोड़े ही समय में दोनों पूरे नंगे हो गए। वह घुटने के बल बैठ गई और मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके मम्मे दबा रहा था। फिर मैंने उसे मेज़ पर लेटा दिया और उसकी संगमरमरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी चूत एकदम कसी और वह अनचुदी कलि थी। वह सिस्कारियां भर रही थी और इतने में वह झड़ चुकी थी। मैंने उसके अमृत-रस को चाट कर साफ़ कर दिया।
थोड़ी देर में वो फिर से गरम हो गई और तड़पने लगी। फिर मैंने उसे ज्यादा न तड़पाते हुए उसकी टाँगे मेज़ पर फैलाई और अपना लंड उसकी बुर पे रख दिया। लंड अन्दर नहीं जा रहा था इसलिए मैंने वैसलिन लगाया और धीरे धीरे अन्दर डालने लगा। लंड धीरे धीरे अन्दर चला गया और वह दर्द से तड़पने लगी। मैंने और जोर लगाया तो उसकी बुर से थोड़ा खून निकला और दर्द के मारे तड़पने लगी …..आआआ… ऊउम्म्म्म्म्म्म्म…. येस्स्स्स…..ये सब आवाजें निकलने लगी।
मैं थोड़ा रुका और उसके होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और नीचे से वह गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी। मैंने भी तब फिर से उसे चोदना चालू कर दिया और करीब १५ मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एकसाथ झड़ गए।
उस दिन मैंने उसे दो बार और चोदा। अब हमें जब भी वक्त मिलता है तो हम पढ़ाई के बहाने चुदाई किया करते हैं।
मेरे प्रिय पाठको, यह मेरी पहली कहानी है इसलिए जो भी गलती हुई उसके लिए माफ़ करियेगा और आपको अगर कहानी अच्छी लगी तो मुझे मेल कीजिये। आपके इ मेल्स मेरे लिए प्रेरणा-स्रोत का काम करेंगे तो मेल करने में कंजूसी न करें। Antarvasna Sex Stories
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