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इस घटना ने शिल्पा को Antarvasna भी हम लोगों के प्रति बोल्ड कर दिया था. शिल्पा शाम को चली गई, मेरा भाई भी तीन दिन बाद चला गया, कोई दस दिन बाद मेरे पति टूअर से लौटे. इस बार भी वे तरह तरह के प्रसाधन लाये थे, शाम के वक्त घर में घुसे तो घुसते ही मुझ पर टूट पड़े, उन्होंने कपडे भी नहीं बदले और मुझसे लिपट गये. मैंने दरवाजे को जब तक लोंक किया तब तक वे मेरे गाउन को हटा चुके थे और देखते ही देखते मेरी ब्रा को हटा स्तनों से सरका कर मेरे स्तनों को चूसने लगे.
“ओफ्फो… तुम सारे भाई बहन एक जैसे हो! घर में आकर पानी वानी पीने के स्थान पर मेरे स्तनों पर टूट पड़ते हो!” मैंने उनके सिर पर हाथ फ़ेर कर कहा.
वह चौंके और स्तन के निप्पल को मुंह से निकाल कर बोले- क्या मतलब है तुम्हारे कहने का? तुमने मेरे साथ मेरी बहन का जिकर क्यों किया?
“इसलिये किया क्योंकि आपके यहाँ से उस दिन जाते ही आपकी बहन शिल्पा आई थी, वो भी दरवाजा खुलते ही मेरे ब्लाउज को खोलने लग पड़ी थी!” मैंने हंसते हुए कहा.
“क्या!? क्या शिल्पा को भी यह सब पसंद है?” उन्हें आश्चर्य हुआ.
“फिर क्या हुआ?” उन्होंने मुझे अपनी बाजूओं में उठा कर बैडरूम की ओर चलते हुए पूछा.
मैं उनकी टाई की नॉट ढीली करती हुई बोली- जब वह यहाँ पहुंची थी तब मैं अपने भाई के साथ बाथरूम में थी, हम दोनों नहा रहे थे.
“साथ साथ नहा रहे थे… तब तो बड़ा मजा आ रहा होगा! चलो, अपन भी साथ साथ नहाते हैं, नहाते नहाते सुनेंगे पूरा किस्सा! उन्होंने बैडरूम में प्रवेश होते होते अपने कदम बाथरूम की और मोड़ कर कहा.
मजा तो आना ही था…! मेरा भाई मुझे साबुन लगा कर मुझे बुरी तरह गर्म चुका था, वह मेरी योनि को चाट ही रहा था कि तुम्हारी बहन ने कॉल बेल बजा दी, हम दोनों का मूड ऑफ़ हो गया. मैं उसे प्यासा छोड़ बाथरूम से निकली और जल्दी जल्दी साड़ी ब्लाउज पहन कर दरवाजे पर पहुंची. दरवाजा खोला तो पाया कि सामने गहरे गले के टॉप और घुटनों तक की चुस्त स्कर्ट में अपनी उफनती जवानी लिये शिल्पा खड़ी थी.
मेरे इतना कहते कहते मेरे पति ने मुझे बाथरूम में ले जाकर मुझे फर्श पर उतार दिया और मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. फिर मेरे होंठों को चूमने के बाद मेरे स्तनों को चूम कर बोले- फिर… फिर क्या हुआ… कहती रहो और मुझे इन झरनों से अपनी प्यास बुझाने दो!
इतना कह कर उन्होंने फिर मेरे स्तन पर मुंह लगा दिया. मेरे शरीर में आग भरती जा रही थी, मेरे हाथों ने उनकी टाई निकालने के बाद उनके कोट को भी उतार दिया था, अब शर्ट के बटन खुल रहे थे.
शर्ट के बटन खोलते खोलते मैं बोली- उफ… उफ… शिल्पा ने भीतर आते ही रंगीन मजाक आरंभ कर दिये, मेरे महकते रूप की तारीफ़ करने लगी, मैं समझ गई कि लड़की प्यासी है, मेरी बातों को… उफ… उफ… आहिस्ता आहिस्ता चूसिये इन्हें… आप तो पागल हुए जा रहे हैं… उफ… मेरे पति पागलों की भांति ही मेरे स्तनों का दोहन सा कर रहे थे, मेरे होंठों से सिसकारियाँ फूटने लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे नाभि में कोई तूफ़ान अंगडाई लेने लगा है.
मैंने उत्तेजना से उत्पन्न होने वाली सिसकारियों को अपने दांतों तले दबा कर एक लंबी सांस छोड़ी फिर कहना शुरू किया- शिल्पा को मैं चाय बनाने के लिए अपने साथ रसोई में ले गई तो उसने… उफ… ऑफ… ओफ्फो… क्या कर रहे हैं आप…? क्या कोई ट्रेनिंग लेकर आये हैं कहीं से स्तनों के साथ इस तरह पेश आने की… आज तो आप मेरे स्तनों को झिंझोडे डाल रहे हैं आज…
मेरे इस तरह कहने से उन्होंने स्तन से मुँह हटा कर मेरे होंठ चूम कर मनमोहक ढंग से कहा- क्या तुम्हें मजा नहीं आ रहा? अगर मजा नहीं आ रहा है तो मैं इन्हें आहिस्ता आहिस्ता चूसता हूँ.
“मजा तो बहुत आ रहा है, इतना आ रहा है कि ऐसा लगता है जैसे मैं आज कण कण होकर बिखर रही हूँ. ठीक है तुम ऐसे ही चूसो!” मैंने उनकी शर्ट को उनकी बाजुओं से निकाल कर कहा.
“तुम शिल्पा वाली बात तो बताओ…” उन्होंने यह कह कर स्तन के निप्पल को फिर मुंह में ले लिया और अपने हाथों को मेरे नितंबों पर ले जाकर नितंबों की मालिश सी करने लगे.
मैं उनकी बेल्ट खोलते हुए बोली- फिर एक ओह्ह.. उफ… ऊई… फिर हाँ मैं..उफ… मैं कह रही थी कि शिल्पा को मैं रसोई में ले गई तो उसने वहाँ पहुँचते पहुँचते ही मेरे ब्लाउज में हाथ डाल दिया और मेरे स्तनों को चूसने की इच्छा जाहिर की और यह भी बताया कि अपनी सहेली के साथ लेस्बियन लव का आनन्द लेती है. मेरी… उफ… ओह… अपने पति के द्वारा अपनी योनि में मौजूद भंगाकुर को मसले जाने से मेरे कंठ से कराह निकल गई- उफ… ये शावर तो खोल लो… नहाना भी साथ साथ हो जायेगा!
मैं इतना कह कर पुनः विषय पर आई- मेरे शरीर में मेरे भाई ने पहले ही कामाग्नि भड़का डाली थी, शिल्पा द्वारा स्तनों को पकड़ने मसलने और उसकी स्तन पान की इच्छा ने मुझे और उत्तेजित कर डाला था. उसे तब तक पता नहीं था… उफ… ओह… ओफ…
मेरे पति अब मेरे स्तनों को छोड़ कर नीचे पहुँच गए थे, उन्होंने मेरी योनि पर मुख लगा दिया था, अब वो मेरे भंगाकुर को चूसने लगे थे.
मैं उनके बालों में अंगुलियाँ फंसा कर मुट्ठियाँ भींचने लगी, उनकी इस क्रिया ने मेरी नस नस में बहते रक्त को उबाल सा दिया था, मुझे अपनी उत्तेजना ज्वालामुखी का सा रूप लेती महसूस हुई, मुझे रोम रोम में फूटते कामानन्द के कई घूंट भरने पड़े.
“सुनाओ न आगे क्या हुआ…?” मेरे पति ने अपना मुख मेरी योनि से पल भर के लिए हटा कर कहा.
“तुम शावर खोलो, मैं आगे बताती हूँ…” अपनी साँसों को संयत करने का असफल प्रयास करती हुई बोली.
“ओफ़्फ़… फिर शिल्पा के सामने मेरा भाई आ गया, वह रसोई के बाहर खड़ा होकर पहले से हम दोनों को देख भी रहा था और हमारी बातें भी सुन रहा था, मेरा भाई सिर्फ अंडरवीयर में था, वह भी पहले से उत्तेजित था इसलिए उसका बृहद आकार में फैला लिंग अंडरवीयर में से भी उभरा उभरा दिखाई दे रहा था. शिल्पा की दृष्टि उसके अंडरवीयर पर टिक गई, मैं समझ गई कि उसने अभी तक लिंग के दर्शन नहीं किए हैं, ओह… उफ आउच… ओह…
इतनी कहानी सुनते सुनते ही मेरे पति ने अपने लिंग का मुंड मेरी योनि में प्रविष्ट करा दिया, वे शावर वह खोल चुके थे.
मैं उनके द्वारा हुए लिंग प्रवेश से आवेशित होने लगी थी, मेरे हाथ उनके कन्धों से पीठ तक बारी बारी से कस रहे थे, मेरी साँसें तीब्र हो रही थी, मादक सिसकियों की अस्फुट ध्वनियाँ रह रह कर मेरे कंठ से उभर रही थी.
मेरे पति ने लिंग का योनि में घर्षण करते हुए कहा- स्टोरी का क्या बना…! आगे क्या तुमने अपने भाई से शिल्पा की प्यास बुझवा दी?… ओह… कितना मजा आ रहा है!
शावर के नीचे मैथुन करने में… उफ… वह लिंग को आगे तक ठोक कर बोले. उनके हाथों में मेरी पतली कमर थी, उनकी जांघें मेरी जाँघों से टकरा कर विचित्र सी आवाज पैदा कर रही थी.
“हाँ… उफ… ओह… ऊई मां… तुम क्या मोटा कर लाये हो अपने लिंग को… इससे आज ज्यादा ही आनन्द मिल रहा है…” मुझे वाकई पहले से ज्यादा मजा आ रहा था, मैं फिर स्टोरी पर आई- बड़ा मजा आया था… शिल्पा को मेरे भाई ने पूरा मजा दिया था… खूब जोर जोर के धक्के मारे थे… मैंने बताया और लिंग प्रहार से उत्त्पन्न आनन्दित कर देने वाली पीड़ा से मेरे शरीर के रोयें रोयें में पुलकन थी, कंठ खुश्क हो गया था, मेरी जीभ बार बार मेरे होठों पर फिर रही थी.
थोड़ी देर में मेरे पति ने मेरी मुद्रा बदलवाई, अब मेरी पीठ उनकी ओर हो गई, मैंने जरा झुक कर दीवार में लगी नल को पकड़ लिया, वह मेरी योनि से लिंग निकाल चुके थे और अब मेरी गुदा(गांड) में प्रवेश करा रहे थे. गुदा में लिंग पहले ही प्रहार में प्रवेश हो गया, उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर खूब शक्ति के साथ धक्के मारे और गुदा में ही स्खलित हो गए, मैं भी स्खलित हो चुकी थी.
फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर देर तक नहाते रहे.
कहानी जारी है. Antarvasna
मेरा नाम राहुल है Sex Stories और मेरी उम्र 24 साल की है।मैं मुम्बई में नौकरी करता हूँ और रहने वाला इन्दौर का हूँ।
मैंने अन्तर्वासना पर काफी कहानियाँ पढ़ीं, और मुझे भी लगा कि मुझे भी अपनी कहानी अन्तर्वासना को भेजनी चाहिए। अब मैं आपको अपनी कहानी सुनाता हूँ।
आज से तीन साल पहले मैं मुम्बई नौकरी करने आया था।
तब मुम्बई मेरे लिए अजनबी शहर था, इसलिए मुझे मेरा अकेलापन खलता था, मुझे भी एक अच्छी दोस्त की ज़रूरत थी ताकि मेरा समय भी कट सके और मेरी काम-इच्छा भी पूरी हो सके।
मैंने बहुत प्रयास किया पर किसी भी अमीर और ख़ूबसूरत लड़की को पटा नहीं सका क्योंकि यहाँ की लड़कियों को पैसे वाले लंड पसन्द आते हैं।
तो मैंने आख़िर में एक मध्यम-वर्गीय लड़की जो दूसरों के घरों में काम करने जाती थी, उसको अपनी नौकरी और पैसे की झलक दिखलाकर पटा लिया।
मेरी उससे फोन पर बातचीत भी शुरु हो गई।
एक दिन शाम को मैंने उसे अपने घर बुलाया यह कह कर कि मेरी तबीयत ख़राब है और मेरे सभी दोस्त घर गए हैं। तुम मेरे लिए खाना बना दो, वरना मुझे भूखा ही सोना पड़ेगा।
मेरी तबीयत ख़राब है, यह सोचकर वो मेरे लिए खाना बनाने मेरे फ्लैट में आ गई।
मैं कई दिनों से इसी ताक में था कि कब मेरे दोस्त लोग फ्लैट पर ना हों और मैं उस कामवाली को चोद दूँ।
उस दिन जब वो मेरे फ्लैट में आई तो मैं खुश हो गया।
मैंने उसे किचन दिखा दिया, जब वो खाना बनाने की तैयारी कर रही थी, तो मैंने धीरे से उसके पीछे जाकर थोड़ा सा चिपक कर खड़ा हो गया।
वह अचानक मुझे पीछे देखकर घबरा सी गई और बोली, “आपकी तबीयत ख़राब है, आप जाकर आराम कीजिए … मैं खाना बना दूँगी.”
मैं उसकी बात सुनकर उससे थोड़ा और चिपक गया।
इससे पहले कि वो कुछ कहती मैं उसकी दोनों चूचियों को एक बार ज़ोर से दबा दिया और फिर सहलाने लगा।
पहले तो उसे बहुत डर लगा, लेकिन बाद में धीरे-धीरे सहलाने से उसे मज़ा आने लगा और वो आँखें बन्द कर मज़े लेने लगी।
मैंने लोहा गरम होते देख उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया और उससे पहले कि वह कुछ विरोध करे, मैंने उसकी चूत में उँगली डाल दी, और ज़ोर-ज़ोर से आगे-पीछे करने लगा।
वो अब सब कुछ भूल कर मदहोश होने लगी।
मैं उसे किचन में ही नंगा करने लगा और वो कुछ नहीं बोली।
थोड़ी ही देर में वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसके शरीर पर एक भी तिनका कपड़ा का नहीं बचा था।
उसे इस तरह देखकर मेरा लण्ड तुरन्त खड़ा हो गया।
अब वो भी जोश में आकर मेरे कपड़े उतारने लगी और मैं भी उसकी मदद करते हुए जल्दी से पूरा नंगा हो गया।
मैंने अब अपना लंड उसके मुँह में डालना चाहा तो शर्म के मारे उसने मना कर दिया।
फिर मैंने दूसरा तरीका अपनाया।
मैंने अब उसे ज़मीन पर सुला कर उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसकी चूत को ज़ोरों से चाटने लगा।
अब उसने मस्ती और मदहोशी में चूर होकर अपनी आँखें बन्द कर लीं।
मैंने इसी बात का फ़ायदा उठा कर उसकी चूत चाटते-चाटते ही 69 की मुद्रा में आ गया और मेरा लण्ड उसके होंठों पर रख दिया।
पर इस बार भी उसने मना कर दिया।
मैं नाराज़ होने का नाटक करने लगा और कपड़े पहनने लगा।
अब तक तो वह इतनी गरम हो चुकी थी कि मुझसे चुदवाने के लिए कुछ भी करना पड़े तो वो कर सकती थी।
उसने तुरन्त मेरे लण्ड को मुँह में भर लिया और उसे आईसक्रीम की तरह चूसने लगी।
मेरी योजना सफल हो गई, मैं बहुत खुश हुआ। आज तो जैसे लकी ड्रा ही निकल आया था मेरे लिए!
अब हम दोनों 69 की स्थिति में थे। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वह मेरा लंड चूस रही थी।
क़रीब आधे घंटे तक मैंने उसके मुँह की चुदाई की, इसी दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी और मेरे लंड ने भी उसके मुँह में एक बार उल्टी कर दी थी।
वो उस सफेद गाढ़े द्रव को पूरा पी गई।
अब तक आग दोनों ओर भड़क चुकी थी।
मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाला और अब उसकी चूत में डालने लगा लेकिन उसकी चूत काफी तंग थी, अतः मैं असफल हो गया।
उसकी सील शायद अभी तक नहीं तोड़ी गई थी।
मैंने किचन से तेल लेकर अपने लंड पर और थोड़ा तेल उसकी चूत पर भी लगा दिया और फिर से चूत में लंड डालने लगा।
इस बार मैंने उसकी चूत में एक ज़ोर का झटका दिया और लंड दो इंच तक अन्दर घुसा दिया।
इस झटके से वो तड़प उठी और ज़ोर से चिल्लाई। मैंने उसका मुँह तुरन्त बन्द कर दिया और साथ ही एक और झटका दिया तो उसकी आँखों से आँसू निकल आए।
मैं डर गया तो मैंने उसके मुँह से हाथ हटा लिया।
वो बहुत रोई, अब उसकी चूत से खून निकल रहा था।
मैंने उससे धीरे-धीरे चोदने का वादा करके फिर से राजी किया।
अब मैं अपनी कमर धीरे-धीरे चला रहा था और ऐसे ही धीरे-धीरे अपना ८ इंच लम्बा लंड उसकी चूत के अन्दर गाड़ ही दिया।
थोड़ी देर में दर्द कम होने की वज़ह से उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ अपनी चूत हिला-हिला कर देने लगी।
अब उसे मज़ा आने लगा था और वो ख़ुद बोल रही थी- ज़ोर से चोदो मुझे, और ज़ोर से, फाड़ दे आज मेरी चूत, बुझा दे आज इसकी प्यास … फाड़ दे साली चूत को और ज़ोर से!
मैं भी उसकी बात सुनकर जोश में आकर ज़ोरों के झटके मारने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे कुतिया बना कर उसकी चुदाई की। लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और उसके 2 मिनट बाद मुझे भी लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में चुदाई करनी शुरु कर दी।
और अन्त में मैं भी उसके मुँह में झड़ गया।
उसने फिर मेरे लण्ड का सारा पानी पी लिया और मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ कर दिया।
उसके बाद हम दोनों किचन से निकल करक साथ में नहाने चले गए।
नहाने के बाद मैंने उसे अपना मोबाईल देकर कहा कि अपने घर फोन करके कह दो कि आज तुम मैडम (जिसके घर वह काम करती थी) के यहाँ रुकोगी, क्योंकि उनके पति घर पर नहीं हैं, तो उन्होंने मुझे आज रात यहीं रुकने को कहा है।
उसने घर पर यही बता दिया।
उसके घर वालों को कोई आपत्ति नहीं थी।
हमने होटल से खाना मँगवा कर खाया।
उसके बाद फिर दोनों नंगे ही बिस्तर पर सो गए।
रात में मैंने उसकी चार बार चुदाई की और एक बार गाँड भी मारी।
पर सबसे ज़्यादा मज़ा मुझे उसकी गाँड मारने में आया था.
उस रात की चुदाई के बाद वो जब भी मुझसे बात करती तो यही कहती- अब आपकी तबीयत कब ख़राब होगी?
और मैं जब भी अपने फ्लैट पर अकेला होता तो उसे किसी ना किसी बहाने बुलाकर चुदाई का खेल खेलता।
दोस्तो, यह थी मेरी कहानी।
बाद में मैंने इन्दौर में भी एक शादीशुदा आन्टी की चुदाई की थी जिसका किस्सा मैं अगली कहानी में सुनाऊंगा।
यह कहानी आपको कैसी लगी।
लेखक की अगली कहानी: मेरी पहली ग्राहक Sex Stories
री यानि Antarvasna ॠचा सिंह की तरफ से सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को प्यार भरी नमस्ते !
मैं भी सबकी तरह ही अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ और हर दिन इसमें छपने वाली एक एक कहानी का लुत्फ उठाती हूँ।
आज आप सबके सामने अपनी एक मस्त चुदाई लेकर हाज़िर हूँ उम्मीद है कि सबके लौड़ों पर खरी उतरूंगी।
मेरी उम्र इस वक़्त पच्चीस साल की है। मेरा अपना एक बहुत बड़ा इलेक्ट्रोनिक्स शोरूम है और अब में अपने खड़ूस पति से अलग हो चुकी हूँ क्यूँकि मैं अपनी अब तक की जिंदगी में माशूका से लेकर पत्नी के तौर पर बेवफ़ा ही साबित हुईं हूँ।
लेकिन यह मेरे बस की बात नहीं है, मैं जवानी शुरु होने से पहले से ही गलत माहौल में बड़ी हुई थी।
खैर उसको छोड़ो ! मुझे एक मर्द के साथ संतुष्टि नहीं हो पाती !
पैसे के पीछे भागते हुए मैं शादी तो अपने से बड़ी उम्र के बड़े से कर बैठी, बहुत पैसा था उसके पास और शादी से पहले ही उसने मुझे अमृतसर के सबसे पोश एरिया में मेरे नाम पर बहुत बड़ा घर मेरे जन्मदिन पर उपहार में दिया। महंगे महंगे नेकलेस और बहुत कुछ अपने मदहोश कर देने वाले जिस्म से पाया था मैंने ! मेरा रूप देख हर मर्द मेरा रस पीना चाहेगा। एक साधारण से घर से उठ एक आलिशान घर में चली गई, नौकर-चाकर, पोश कारें घूमने के लिए ! सिर्फ इसलिए कि मैं तब बीस की थी और वो पैंतीस का ! जानती थी कि यह उसकी दूसरी शादी थी।
स्कूल से कॉलेज से आई ही थी कि वो मेरा पीछा करने लगा। ऊपर से मैं गर्भवती हो गई डेट नहीं आई।
अगले दिन में हाँ कह दी और माँ को मालूम हो गया, उसके सामने ही मुझे उलटी हुई, माँ ने मुझे कहा कि जल्दी से उसके साथ संबंध बना ले !
दो दिन बाद ही मैंने उसको कहा- आज अकेली हूँ, घर से निकला नहीं जाएगा, खाली नहीं छोड़ सकती ! यहीं आ जाओ, कार पीछे पार्क करना !
मैं अकेली थी, उसने मुझे बाँहों में लिया। मैंने थोड़ा सा विरोध किया लेकिन फिर ढीली पड़ने लगी। उस दिन उसने मुझे चोद दिया। मेरा प्यार परवान चढ़ा, एक महीने में कई बार चुदी। महीना पूरा होते मैंने उसको कहा- तुमने मुझे पेट से कर दिया है !
उसने मुझे कहा- पढ़ाई की ज़रुरत नहीं ! रानी बनाऊंगा ! अपना बिज़नस खोल के दूंगा !
बाप का साया तो सर पर नहीं था लेकिन न जाने कितने सौतेले बापों का साया था। माँ ने हां करने में एक मिनट नहीं लगाया और उसने मेरे साथ सादी शादी कर ली और बाद में अपने तरफ से बहुत बड़ी रिसेप्शन दी।
मैं छोटी उम्र में उसकी दुल्हन बन गई और डोली में बैठ उसके आलीशान घर पहुँच गई।
बेडरूम में गुलाबों की महक, रेशमी चादर पर रात के ग्यारह बजे मैं उसके नीचे थी। उसके लौड़े में नहीं, पैसे में दम था ! उसका मैं कई बार चूत में ले चुकी थी। उसने मुझे बहुत बड़ा शोरूम तोहफ़े में दिया, बहुत बैंक बैलेंस था अब मेरा क्यूंकि उसे था कि मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।
डर यही था कि डिलिवरी एक महीने पहले होनी थी। मैंने अपनी पसंद की गायनी-डॉक्टर को अपना केस दिया, पैसे चढ़ा कर मैंने उसको समय-पूर्व डिलीवरी कहने को मना लिया।
मैंने एक लड़के को जन्म दिया।
लेकिन अब उसका लौड़ा ढीला पड़ने लगा और मेरा बदन जिस्म अभी खिलने लगा, कसने लगा।
अपने ही शोरूम के मैंनेजर और फिर अकाउंटेंट के साथ नाजायज़ संबंध बने। मैं सुबह जाती, लंच करने घर आती, बच्चे के लिए आया रख ली। फिर शाम को जाती और शटर गिरा कर रात को चुदाई करवाती।
उसके बाद मेरी ननद भी अमृतसर शिफ्ट कर गई। उनका संयुक्त परिवार था। काफी मेल जोल बढ़ गया, उसका जेठ बहुत खूबसूरत था ! क्या मर्द था ! कड़की मूछें, दमदार शरीर, चौड़ी छाती, घने बाल, लाल आंखें ! देख किसी भी औरत की चूत गीली हो जाए। उसकी नज़र मुझ पर थी, मेरी उस पर ! लेकिन उसकी बीवी हमारे बीच में थी, हाउस वाइफ थी !
गर्मी के दिन थे। एक दिन सुबह सुबह अपने बच्चे को ननद के पास छोड़ने गई क्यूंकि उस दिन आया छुट्टी पर थी। वो शेव कर रहा था सिर्फ अंडरवीयर में बाथरूम के बाहर !
उसका मोटा लौड़ा साफ़ दिख रहा था। मैं मुस्कुरा दी, उसने भी मुझे देख कर खुजलाने के बहाने अपना लौड़ा सहला कर मुझे उकसाया। मेरा दिल अब उसकी मजबूत बाँहों में जाने बेताब था। अभी मैं ऑफिस पहुंची ही थी कि उसने मुझे कॉल करके कहा- कैसा लगा मेरा लौड़ा?
उस दिन पहली बार उसने मुझे कॉल किया था।
मैं बोली- बहुत मस्त है !
बोला- कब खाओगी इसको?
मैंने कहा- तेरी बीवी बीच में बैठी है ! तुम ऑफिस आ जाओ !
मेरा केबिन बेसमेंट में था। उसने कुछ पल ही बैठने के बाद मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं उठकर उसकी गोदी में बैठ गई।
खूब चूमा, मेरे मम्मे दबाये उसने ! फ़िर जिप खोल दी। मैंने दरवाज़ा लॉक किया और नीचे मैट पर बैठ उसकी टाँगे खोल उसका लौड़ा पकड़ लिया। वाह, क्या लौड़ा था !
अभी मुँह में लिया ही था कि पति का फ़ोन आ गया कि वो मुझे लेने आ रहा है, किसी दोस्त की पार्टी में जाना है।
मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये, उसको वहाँ से भेज दिया। उसने वादा किया कि जल्दी ही जगह ढूंढ लेगा।
उसके बाद उसने अपने किसी दोस्त के घर मिलने का प्रोग्राम बनाया और फिर मुझे वहाँ लेकर गया और बिस्तर देख हम दोनों रुक ना पाए और दोस्त के सामने ही उसने मुझे नंगी कर दिया। जैसे जैसे वो मुझे नंगी करने लगा, तैसे तैसे उसका जोश बढ़ने लगा और हम दोनों ने एक दूसरे को निर्वस्त्र कर दिया तेज़ साँसों से पागलों की तरह !
उसका लौड़ा किसी हब्शी से कम नहीं था। आज पूरी तरह से आज़ाद देखा था। मैं घोड़ी बन उसका लौड़ा चूस रही थी कि उसके दोस्त ने पीछे से मेरी चूत चाटनी शुरु कर दी। मैंने पलट के देखा तो उसका लौड़ा भी कम नहीं था।
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मेरी भाभी बहुत ही ख़ूबसूरत व Antarvasna सेक्सी है। उसका नाम रिया है। वह एक पंजाबी है और उसकी उम्र 24 साल है। उसकी फ़िगर तो मस्त है ही साथ में गांड भी लाजबाव है। उसके मम्मे बिल्कुल बड़े-बड़े और भरे-भरे हैं और वे पहाड़ की तरह कसे और खड़े रहते हैं। एक तरह से अब वह मेरी पत्नी है। यह घटना सात महीने पहले घटी थी।
मेरे भैया काम पर हमेशा लम्बे समय के लिए जाते थे, क्योंकि वह एक बड़ी कम्पनी के सेल्स मैनेजर थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी यात्रा करनी पड़ती थी। मैं भाभी के साथ बहुत सारा समय अकेले बिताता था। पहले तो मैंने उसे कभी भी सेक्स के नज़रिये से नहीं देखा।
एक बार मेरे दोस्त रोहित, हमारे एक अन्य दोस्त मनीष से कह रहा था- रिया ज़बरदस्त माल है यार। क्या गांड है उसकी। उसका पति साला छक्का है।
मनीष ने कहा- उसे तो देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। समझ में नहीं आता सुनील ख़ुद को कैसे रोक पाता है। ऐसी गांड के लिए तो मैं उसकी पाद भी सूँघने को तैयार हूँ।
उनकी ये अश्लील बातें सुनकर मैं थोड़ा बौखला भी गया, और थोड़ा उत्तेजित भी हो गया। हाँलाकि मैं इस बात से सहमत था कि रिया काफी सेक्सी औरत है। उस दिन के बाद से मैं उसे चोदने के नज़रिये से देखना लगा।
जब भी वह झाड़ू लगा रही होती तो मैं साड़ी के अन्दर उसकी मस्त गांड देखता रहता और उसके साथ चुम्बन करते हुए नहाने की कल्पना कर रहा होता। जब वह नीचे झुकती तो, मुझे उसकी चूचियों और उसके बीच की घाटी को भी देखने का मौक़ा मिलता था। वे शानदार थे, और जब वह झाड़ू लगाती, या फर्श पर से कुछ चीजें जमा कर रही होती तो वे हिलते और उछलते थे। ऐसा करते हुए जब वह मुझे देखती तो मैं झेंप जाता…
धीरे-धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे। वह मेरी गर्लफ्रेण्ड वगैरह के बारे में पूछती। फिर मैं उसे सेक्सी चुटकुलों वाले एस. एम. एस. सुनाता तो वह दिल खोल कर हँसती। मैंने भी उससे कहा कि मुझे कुछ अश्लील चुटकुले सुनाओ, तो उसने भी थोड़े चुटकुले सुनाए।
मैं अपनी भाभी के प्रति आकर्षित होता जा रहा था, उसके प्रति मेरी दीवानगी बढ़ती जा रही थी और मैं उसके नाम से रात को मुट्ठ भी मारता था। पर वह अलग कमरे में सोती थी।
एक दिन ऐसा हुआ कि मैं एक दोपहर उसके साथ लिविंग-रूम में बैठकर टीवी देख रहा था। भैया शहर से बाहर गए हुए थे। अचानक एक सेक्सी और ज़ोरदार पादने की आवाज़ ने शांति भंग कर दी। इसमें एक धमाके जैसी आवाज थी और गैस खत्म होने के साथ ही आवाज़ भी धीरे-धीरे बन्द होती गई।
जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह शरमा गई। उसके बाद एक अजीब सी बू आई। पर मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि किसी ख़ूबसूरत औरत के हवा छोड़ने का अनुभव असामान्य बात थी।
मैंने मज़ाक में कहा- आपकी तो पाद भी सेक्सी है!
उसने मुँह बनाकर कहा- तो फिर सूँघो।
वह मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, फिर मैंने बात को सँभालने के लिए उससे कहा- कोई बात नहीं। क्यों तुम भैया के सामने कभी नहीं पादती?
उसने कहा- वह घर पर रहते ही कब हैं!
मैंने मुँह बनाते हुए कहा- भाभी, जब भी आपको भैया की ज़रूरत होती है, वह घर पर ही नहीं होते हैं, क्या आपको बुरा नहीं लगता?
वह मुस्कुराई और कहा- तुम हो ना यहाँ पर, फिर मुझे क्या समस्या है?
मैंने उत्तर दिया- या तो अशोक भैया चूतिया है, या फिर उसके पास लण्ड ही नहीं हैं!
वह ज़ोरों से हँस पड़ी फिर गम्भीर चेहरा बना लिया- उसके पास वो चीज़ तो ज़रूर है, पर उनके पास इसे इस्तेमाल करने का समय नहीं है।
मुझे उसके मज़ाक का तरीका पसन्द आया, मैंने उससे कहा- तुम्हारे जैसी सुन्दर बीवी अगर किसी की हो तो वह तो घर छोड़कर ही न निकले। उसकी जगह अगर मैं होता तो फिर तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। मेरा मतलब काम तो महत्वपूर्ण है, पर फिर भी मैं तु्म्हारे साथ समय बिताता।
उसने प्यार भरी नज़रों से मेरी ओर देखा और कहा- काश! तुम्हारे भैया भी तुम्हारी तरह होते।
मैं उसके पास गया, उसके बालों और चेहरे को सहलाया और पूछा- सप्ताह में कितनी बार भैया तुम्हारे साथ सेक्स करते हैं?
उसने उत्तर दिया- पता नहीं। कभी एक बार तो कभी वह भी नहीं।
मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन से लेकर कंधे तक फिराया। मैंने कहा- मैं तो तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता।
फिर मैंने उसकी जाँघ को प्यार से सहलाया। उसकी जाँघें काफी बड़ी और मुलायम थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मुझे पता था कि मैं इसे चोदना चाहता हूँ, और वह भी सेक्सी मूड में थी। उसने मुझे नहीं रोका। मुझे पता था कि उसकी शादीशुदा चूत में किसी बड़े लंड के लिए खुजली थी।
मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को प्यार से दबाया, जैसे ही मैंने दबाया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसके साड़ी की पल्लू गिर गई और मैंने देखा कि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी कसी हुई ब्लाऊज़ से बाहर आने के लिए बेताब़ हो रहीं हैं। मेरी आँखों की तृप्ति मिल रही थी, और मैं उसकी चूचियों को भूखी नज़रों से देख रहा था।
मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी, और उसने मेरे अन्डरवियर के अन्दर ही मेरा फन खड़ा किया हुआ नाग देखा जिसका सिर मेरी नीली अन्डरिवयर से बाहर आ रहा था। उसने देखते हुए कहा- तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है।
उसके कहते ही मैंने अपनी शर्ट, पैंट, और अन्डरवियार उतार दी और मैंने उसे अपना हथियार दिखाया। वह उसे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ मुआयना कर रही हो। उसने मेरे लंड पर मुट्ठ मारी और प्यार से बोली- यह वाकई में बहुत बड़ा है- तेरा केला तो बहुत मोटा है रे।
मैंने पूछा- तेरी चूचियाँ भी बहुत स्वादिष्ट लग रहीं हैं, रिया!
मैं उसके पास गया और उसके होठों पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबा रहा था और हम साथ ही चुम्बन में भी लिप्त थे।
तभी वह थोड़ा किनारे हटी, और अपनी ब्लाऊज उतार दी, और मैंने उसकी सफेद ब्रा देखी। उसकी चूचियों के बीच की घाटी मानो ज़न्नत थी, और ब्रा को फाड़े दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, और उसकी चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई, जैसे उन्हें मेरा ही इन्तज़ार हो। उसकी चूचियाँ वाकई में बहुत सुन्दर थी, जैसे दो शानदार आम हों।
मैंने उन नरम चूचियों को दबाना शुरू किया, और साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी गर्दन पर फिरा रहा था। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और हल्की आहें भरने लगी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दाईं चूची को दबाने लगा, और बाईं चूची को चूसने लगा। फिर मैंने बारी-बारी से बाईं और दाईं चूचियाँ बदल-बदल कर दबाईं और चूसीं।
रिया आहें भर रही थी- हम्म्म्म्म… ऊम्म्म्म्म!
फिर मैंने उसकी बाईं चूची दबाई और दाहिनी को हल्के से टटोलते हुए दबाया। वह अपना हाथ मेरे लंड पर रखकर उसकी कठोरता का आभास कर रही थी। जैसे ही उसने यह हरक़त की, मैंने उसकी दाईं चूची को पूरे ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया, मानों उसमें से दूध निकाल कर ही छोड़ूँगा। मेरे उत्तेजित होकर चूसने से वह चिल्ला पड़ी।
मैं उसकी चूचियाँ करीब 15 मिनटों तक दबाता और चूसता रहा। जब मैंने चूचियों को छोड़ा तो वह मेरे थूक से चमक रहीं थीं। उनकी घुँडियाँ मेरे मुख-प्रहार से सूज गईं थीं।
वह मुस्कुरा कर बोली- ये मेरी चूचियाँ हैं, आटा नहीं… जो गूँथते जा रहे हो।
मेरा चेहरा लटक गया। वह उठी, और मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा- अरे क्या हुआ?
मैंने कहा- हो सकता है, मुझे नहीं पता कि तुम्हें कैसे खुश करूँ।
उसने उत्तर दिया- अभी तक किसी ने मेरी चूचियों को इस तरह चूसा और दबाया नहीं… ले और मजा ले इनके साथ!
उसने फिर से अपनी चूचियाँ मुझे पेश कीं।
मैंने उन्हें फिर से सहलाना शुरू कर दिया और बारी-बारी से चूसने लगा।
वह उत्तेजना में सिसकारियाँ लेते हुए बोली- उईईईईईई, माँ… और दबा ना।
मैं अभी तक अपना लंड उसके क़रीब नहीं ले गया था, ताकि उसे मैं सारा मजा दे सकूँ। फिर मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा दिया, और उसकी काँख की गंध लेने लगा। मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी काँखों को चाटना शुरू कर दिया। उस वक्त उसकी चूचियाँ ऊपर उठी हुईं थीं। मैं औरतों के शरीर के हर भाग से उनको मजा देना जानता हूँ।
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा। वह मेरे होंठ चबाने के प्रयास में दिखी। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को बड़े ही मादक अंदाज में सहलाया, उसने मेरे होठों को एक लम्बे चुम्बन में कैद कर लिया। हम एक दूसरे को होंठों को चबाते हुए अपने लार का आदान-प्रदान भी कर रहे थे…
उसके बाद मैं थोड़ा नीचे जाते हुए, उसके पेट पर चूमने लगा, फिर उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी। उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर थी, उसकी गोलाई अच्छी थी, और सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी नाभि को जी भरकर चाटा।
फिर मैंने उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। रिया ने अपनी गांड थोड़ी ऊपर उठाई और पेटकोट सरका दिया। उसकी जाँघें किसी को भी मदहोश बनाने के लिए काफी थीं, गोरी-गोरी और चमकदार.. रिया ने अपने बालों से क्लिप निकाल दी थी, और वह और भी काफी सेक्सी लग रही थी खुले बालों में।
मैंने उसकी ब्लैक पेंटी भी नीचे खींच दी और उसकी चूत के दर्शन किए।
रिया ने मुझे उसकी चूत को ध्यान से देखते हुए पाया तो पूछा- बहुत बाल हैं ना।
मैंने हल्के से उसकी चूत को सहलाया और अपनी ऊँगलियाँ उसकी झाँटों में फिराईं, और उत्तर दिया- भाभी, चूत में तो बाल रहना ही चाहिए… वरना वो औरत की चूत थोड़ी ही लगती है।’
उसने मेरा कान पकड़ कर खींचा- मुझे नंगी करके भाभी बुलाता है।
मैंने कहा- अभी आप भाभी हो… चोदने के बाद तुम मेरी रिया बन जाओगी।
वह कामोत्तेजक तरीके से मुस्कुराई- ठीक है देवरजी।
मैंने अपनी उंगली उसकी उलझी हुई झाँटों में फिरानी शुरू की। मैं ज्यों ही ऐसा कर रहा था, वह अपनी चूतड़ सेक्सी तरीके से ऊपर ऊठाकर मुझे और भी बढ़ावा दे रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं और उसकी शानदार चूत में अपना मुँह लगा दिया। मैंने उसकी झाँटों को परे हटाया ताकि उसकी चूत देख सकूँ।
ओह! बड़ी रिया चूत थी रिया की। मुझे लगा कि मैं उसे पलटकर ज़रा उसकी गांड भी देखूँ, पर मैंने सोचा पहले चूत तो मार लूँ, बाद में गांड भी मार लूँगा।
रिया शरमा रही थी, क्योंकि कोई उसके गुप्तांगों का मुआयना जो कर रहा था वो भी उसका देवर, सो उसने अपना चेहरा एक ओर घुमा लिया। मैंने उसकी चूत को सूँघा। उसके काफी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत और वहाँ से निकले द्रव और पसीने को मिलाकर एक ऐसी खुशबू आ रही थी कि मेरा लंड और भी कड़क होता जा रहा था, और मैं उसे सूँघने ही लग गया, उसकी चूत की सौगंध।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाईट तरीके से बन्द थी। सामान्यतः एक नियमित रूप से चुदने वाली चूत के फ़लक खुले रहते हैं और ये थोड़ा बाहर की ओर निकले होते हैं। पर रिया के साथ ऐसा नहीं था, शादीशुदा होने के बावजूद उसकी चूत एक अनछुई लड़की की तरह थी… उसकी चूत की पंखुड़ियाँ गीले होने के बाद भी पतली दिख रही थीं।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दीं… उसने सिसकारी ली… उसकी चूत टाईट थी। मुझे पता था कि अपना लंड अन्दर डालने के लिए पहले मुझे इसकी चूत खानी होगी, और उसके छेद को बड़ा करना होगा। मेरे चूतिये भाई ने उसकी चूत कभी चूसी ही नहीं थी, ऐसा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठ फैलाए और उसकी गुलाबी झलक ली।
फिर मैंने अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ दी और अच्छी तरह चलाते हुए चाटने लगा, मैं उससे निकले द्रव को भी चाटता जा रहा था। वह मादक आहें भर रही थी… हमम्म्म्म्मम… मैंने उसकी चूत के होठों को थपथपाना शुरू किया, और फिर चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को चूमा। मैंने उसकी चूत को फैलाया और छेद में जीभ घुसेड़ कर चूसने लगा।
मैंने इधर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई, और साथ ही उधर अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसेड़ दी… मैंने देखा उसकी चूत की झिल्ली सूज गईं थीं।
मैंने उसकी चूत की झिल्ली को हटाकर अन्दर तक, और उसकी भग्नासा को भी चूसना शुरू किया। इसी के साथ मैंने ज़बर्दस्ती अपनी दो उँगलियाँ उसकी गांड में डाल दीं। मैं उसे अपनी उंगली से चोदता रहा और चूत को बीच-बीच में थपथपता रहा। रिया ने मेरा सिर उसकी चूत में दबा दिया, और मैं उसकी चूत में डूब गया।
मैं उसकी चूत को तबतक चूसता-चाटता रहा, जबतक कि वह अपनी गांड उचकाते हुए मेरे चेहरे पर झड़ न गई। झड़ते हुए वह आवाजें कर रही थी- ओहह्ह्ह! हम्म्म्म! आआआआ!
मैंने तुरन्त अपना चेहरा वहाँ से हटा लिया और उसकी ओर देखा। मैंने उसकी चूत को चाट-चाट कर सुजा दिया था। उसने मेरे चेहरे की और देखा और अपने रस को मेरे चेहरे से चाटने लगी।
वह पूर्णतः सन्तुष्ट लग रही थी। मैंने उसके चेहरे को सहलाया तो उसने कहा- आज तक उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।
मैं नंगा ही चलता हुआ किचन में गया और अपनी प्यारी सी भाभी के लिए पानी लेकर आया।
मुझे पता था कि पानी लाते वक्त वह मेरे लंड पर नज़रे गड़ा कर देख रही थी… रिया ने कहा- ऐसा लग रहा है… लंड नहीं, कोई काला नाग है।
उसने कहा- रूक जा… आज मैं तुझे बताती हूँ… तेरी भाभी कैसी औरत है।
उसने मेरा कड़ा लंड पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी, वह मेरे लंड की पूजा कर रही थी- बहुत मोटा है तेरा काला केला। तू चलता कैसे है इसे लेकर?
‘आपके नाम पर हिला-हिलाकर सूज गया है।’
उसने प्यार से इसे सहलाया और कहा- बेचारा! ये अब मेरा हो गया… अब इसको जब भी भूख लगेगी, प्यास लगेगी मेरे पास लाना। वह मेरे लंड से बातें कर रही थी- आज से इसे परेशान मत करना। मैं हूँ ना।
रिया ने फिर से मेरे लंड को सहलाया और बड़े प्यार से चूसने लगी। जैसे ही उसने चूसना शुरू किया, मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ। फिर उसने धीरे से मेरे लंड के आगे की चमड़ी हटाकर गुलाबी टोप देखी। फिर उसने प्यार से टोप को हल्के-हल्के थपथपाने लगी। मेरी आहें निकलने लगीं।
‘ओह यस…’ उसके नर्म-नर्म हाथों का गर्म-गर्म थपथपाने का अहसास मेरे लंड के सुपाड़े पर बड़ा आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था। मेरे लंड से हल्का सा वीर्य निकला, जिसे उसने चाट लिया। फिर उसने मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया, और साथ में वह मेरे अंडकोषों को भी सहला रही थी।
इधर मैं उसकी अद्भुत चूचियों को सहला-दबा रहा था। उसने पूरे जोश से मेरे लंड को चूसा, मैं झड़ने ही वाला था। उसे भी यह पता चल गया था और उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया। मेरा लंड उसकी थूक में नहाया हुआ था… मैंने एक मादक आह भरी…
तभी फोन बजा और उसने फोन उठाया। फोन पर उसकी सहेली रूपाली थी। उसने बिस्तर पर से ही फोन उठाया और बात करनी शुरू की। जब वह फोन पर बात कर रही थी तो उसकी गांड मेरे सामने थी।
मैं उत्तेजना से भर उठा। मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके चूतड़ों को चूमने लगा। मैंने हौले से उस पर चपत लगाई, और उसने फोन पर ही मादक आवाज़ निकाली… फिर मैंने उसकी चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ को उसकी गांड की छेद में घुसा कर मुआयना करने लगा…
वह स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी और उसने अपनी सहेली से कहा कि उसे फोन रखना होगा और उसे फोन रख दिया, इधर मैं उसकी गांड को अच्छी तरह से चाट रहा था। उसने मेरी ओर देखा और कहा- गन्दे लड़के हो तुम।’ फिर उसने मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए अपने चूतड़ किसी रण्डी की तरह फैला दिए ताकि मैं उसकी गांड और ठीक तरीके से चाट सकूँ।
मेरे द्वारा उसकी गांड चाटने से मेरी भाभी रिया उत्तेजना की चरमसीमा पर थी। मैं 15 मिनट तक उसकी गांड चाट रहा था, उसी दौरान वह अपने चूत से खिलवाड़ कर रही थी, और हस्तमैथुन कर रही थी।
फिर मैंने रिया से कुतिया की तरह होने को कहा।
उसने पूछा- क्यों..?
‘मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ… मुझे तुम्हारी गांड पसन्द है।’
पर उसने कहा- पर कृपा करके मेरी गांड मत मारना!
मैं राजी हो गया। जैसे ही वह आगे झुकी, मैं उसकी गांड देखकर दीवाना हो गया। मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसाया। जैसे ही मैंने अपना मोटा लंड उसकी चूत में डाला, वह चिल्लाई- आआआ आजजज्ज आहहह हहहह…
मैंने उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और उसके निप्पलों से खेलने लगा ताकि उसे मजा आए।
उसने सिसकारी भरते हुए कहा- और घुसा!
मैं गन्दी बातें करने लगा- ले राँड.. मेरा केला कैसा लग रहा है?
उसने उत्तर दिया- हम्म्… हम्म्म्म!
मैंने अपने झटके लगाने जारी रखे और कई कोणों से चोदा। उसकी चूत वाक़ई में टाईट थी पर गीली थी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी चूत से मेरे लण्ड को जकड़ रखा हो। जल्दी ही मैं चीत्कार करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया।
हमने दो घंटे आराम किया, और कुछ समय के लिए सो भी गए। रिया ने मुझे उठाया और मेरे मुरझाए हुए लंड को देखा। उसने मुझे चूमा और कहा- उठ राजा, चाय पीओगे?
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा- हाँ मेरी जान।
वह नंगी ही उठकर किचन में चली गई। वह ब्रेड, मक्खन, और दो कप चाय के साथ आई। हमने साथ बैठकर चाय पी। मैं चाय पीने के दौरान भी उसकी चूत में उंगली कर रहा था, और वह मेरे लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मार रही थी, हम दोनों ही सिसकारियाँ ले रहे थे।
मैंने कहा- रिया तेरी गांड इतनी सेक्सी है, मुझे चोदने दे ना।
वह मुस्कुराई और कहा- लेकिन तू मेरी कसम खा कि हमने जो किया, तुम किसी को बताओगे नहीं।
मैंने उससे वादा कि यह हमारे बीच का राज़ रहेगा। पर मैं सबको बताऊँगा कि तुमने आज पादा।
वह शरमा गई और कहा- शटअप, प्लीज़।
मैंने कहा- ठीक है, तो फिर मेरा मुँह तुम्हारे होठों से सिल दो।
हमने एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिया जो पाँच मिनट तक चला। फिर उसने मेरी बेताबी को समझते हुए कुतिया की तरह झुक गई, और अपनी गांड मुझे प्रस्तुत कर दी।
जब उसकी गांड मेरी ओर थी, मैंने उसकी गोलाई का अच्छे से मुआयना किया… फिर अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को फैला कर उसके छेद की जाँच भी की। उसकी गांड की छेद एक खुलती-बन्द होती आँख की तरह लग रही थी। मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी और अपनी रिया की गांड का स्वाद चखा।… रिया मुझे अचरज भरी नज़रों से देख रही थी कि मैं उसकी गांड के साथ क्या-क्या कर रहा हूँ।
मैंने उससे कहा- रिया, मैं तुम्हें आज ऐसा मजा दूँगा, जैसे तुम्हें कभी नहीं मिला होगा।
मैंने थोड़ा सा मक्खन लिया और उसकी गांड की छेद पर लगाया, फिर थोड़ा सा चूतड़ों पर भी लगाया। उसकी गांड काफी चिकनी और चमकदार हो गई।
मैंने अधिक से अधिक मक्खन उसके गांड की छेद में घुसाया। अब मैं रिया का ‘गांड मसका’ खा रहा था जो एक विशेष व्यंजन था। उसकी चूतड़ों पर पिघला हुआ मक्खन मैंने चाट लिया, फिर मक्खन भरे गांड की छेद को भी चूसने लगा…
मैंने उसके गांड के छेद में उंगली की और काफी चाटा, जिससे उसकी छेद थोड़ी बड़ी और गहरी दिखने लगी थी। उसकी छेद छोटी थी, पर मक्खन लगाने से मेरे लंड लेने के लिए तैयार दिख रही थी।
उसे भी इशारा मिल चुका था, तो उसने अपनी गांड थोड़ी और फैलाई, ताकि वह मेरे लंड के लिए जगह बना सके… मैंने उसके गांड में अपना लंड पेलते हुए कहा- इसको कहते हैं, मसका मारना।
वह मेरी तरफ मुड़ी, मुझे चूमा और कहा- ऐसे नहीं, तेरा लंड तो सूखा है, मुझे थोड़ा मक्खन इस पर भी लगाने दो।
मैं खड़ा हो गया और उनसे मेरे खड़े लंड को देखा। उसने थोड़ा मक्खन लिया और मेरे लंड पर लगाया। मैं खुशी से काँप उठा जब वह अपने हाथों से उस पर मक्खन लगा रही थी। अब मेरा लंड मक्खन से वाकई में चिकना हो गया था। मैंने उससे पूछा- हॉट-डॉग खाएगी, मसका मार के?’
उसने मेरे लंड को चूसा और कहा- आज मैं तेरे हॉट-डॉग को गांड से खाऊँगी।
जिस तरीके से उसने ये बात कही वह काफी उत्तेजित करने वाली थी। आप ही कल्पना कीजिए कि कोई स्त्री आपसे बिल्कुल अकेले में ऐसी बात करे तो कैसा हो!
अब मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गांड की ओर दबाया। उसकी छेद में लगाया फिर दबाया। मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा अन्दर जाते ही वह थोड़ा सा सिसकी। जैसे ही मेरा लौड़ा थोड़ा और अन्दर गया, उसने तकिये को दबोच कर पकड़ लिया। उसकी गांड बहुत गरम और बहुत टाईट थी… क्या बताऊँ कितना मजा आया। वह आहें भर रही थी- धीरे से आआआहहहहह!
मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और फिर से एक धक्का मारा। रिया ने अपनी गांड पीछे करके मेरा लंड और भी अन्दर लेने की कोशिश की। यह मेरे लिए भी थोड़ा दर्द भरा था, पर अब हम मज़े कर रहे थे…
चिकनाई होने के कारण मेरा लंड कभी-कभी उसकी गांड से फिसल भी जाता था। मैं फिर से प्रयास करता और गांड में दुबारा धकेल देता। जब मैं फिर से लंड उसकी गांड में पेलता तो रिया आहें भरती और हँसती। इस तरह मेरा लौड़ा पूरा का पूरा उसकी गांड की छेद में समा चुका था।
हम धीरे-धीरे आराम से मज़े ले रहे थे। मैं भी धक्का मारता, तो वो भी मेरे लंड की जड़ तक पहुँचने के लिए पीछे की ओर धक्का मारती। मैंने धक्कों की रफ़्तार में तेज़ी लाई और वह हर धक्के के साथ चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी, रिया भाभी साथ में कराहती भी जा रही थी.. हम्म्म् आआआहह्ह्ह ह्हह ओह्ह्ह!
उसके चूतड़ भी मेरे लौड़े पर संवेदना भरे कसाव डाल रहे थे, तो ऐसा लगता था जैसे वह मेरे लंड का दूध निचोड़ लेना चाहते हैं। कमरे में हमारी मक्खन भरी गांड-चुदाई के कारण फच्च-फच्च की आवाजें गूँज रहीं थीं।
मैंने उसकी गांड करीब 20 मिनट तक मारनी जारी रखी, फिर मुझे महसूस हुआ कि मैं झड़ने के नज़दीक पहुँच चुका हूँ… मैंने उसे धीरे से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे अंडकोषों को दबाया। मैं चिल्लाया- ओह रियाल’ और फिर मेरी वीर्य की बौछार उसकी गांड में होने लगी जो करीब 20 सेकेण्ड तक चली जब तक कि मेरा सारा उबलता हुआ लावा मेरी पसन्दीदा गांड में जा गिरा।
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी कल्पना एक दिन वास्तविकता में बदल जाएगी और मुझे रिया की गांड-चुदाई का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता दूँ कि उसकी गांड वास्तव में कैसी दिखती है। यह चर्चित अभिनेत्री रानी मुखर्जी या माधुरी की गांड की तरह है बिल्कुल, मोटी, गोल-मटोल और सेक्सी।
फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में समा गए और अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने का प्रयास करने लगे। हम पसीने से तर हो चुके थे… उसकी गांड और मेरा लंड मक्खन व वीर्य से लथपथ थे।
रिया ने मेरे लंड की ओर देखकर कहा- ला मैं इसे साफ कर देती हूँ।
उसने फिर चाट-चाटकर उसे साफ किया, अन्त में रूमाल से पोंछ दिया।
फिर हमारे बीच बातें होने लगीं।
मैं: कल बाज़ार से मक्खन नया लाना पड़ेगा। भैया कहेंगे कि कल वाला मक्खन जो लाया था वह कहाँ गया?
रिया: मैं कह दूँगी कि मैंने गांड में डाल ली, और अनिल के लंड पर मल दिया (खिलखिलाती है, फिर मेरी ओर देखती हुई कहती है:) नहीं रे, मैं कह दूँगी कि तुम्हारे दोस्तों की पार्टी थी, तो सैंडविच में खत्म हो गया। तू टेन्शन मत ले।
मैं: आई लव यू रिया, क्या तू मेरी गुप्त-पत्नी बनेगी?
रिया: मैं तेरी सब कुछ बनूँगी… मैं तेरी रख़ैल हूँ, और तेरी सेक्स-टीचर… वैसे तू चेला काफी अच्छा है… तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया… और एक औरत को क्या चाहिए?
हम अब इतने थके हुए थे कि और चुदाई नहीं कर सकते थे, अतः हमने साथ में नहाया और एक-दूसरे को भली-भाँति स्वच्छ किया। मैंने उसकी चूत के बालों पर सनसिल्क लगा कर सफाई की। तो मित्रों, इस तरह हमने सारा दिन सम्भोग व आनन्द में बिताया। अन्त में हम सो गए।
अगले दिन उसने मेरा लंड चूसते हुए मुझे जगाया, पर बात यहीं समाप्त न हुई। हमने उस दिन भी पूरा आनन्द उठाया।
जब भी भैया जाते तो हम सारा काम साथ-साथ करते थे जैसे खाना, नहाना, टीवी देखना यहाँ तक कि शौच भी। जब भैया होते, तो भी हम एक दूसरे के अंगों को दबा देते, मैं उसकी चूचियाँ और गांड दबाता और मज़े लेता। भैया जब दूसरी ओर देख रहे होते तो वह मेरे लंड को मसल देती… जब वह नहीं होते फिर तो पूरी तरह से मज़े ही मज़े होते। मैं कॉलेज भी न जाकर उसे चोदता रहता।
हर स्त्री उस आदमी से खुल जाती है और उसके सामने बेशर्म हो जाती है जो आदमी उसे संतुष्ट करता है… आपको पता है, मैं तो उसकी चूत में मक्खन, पनीर, क्रीम, दही, आईसक्रीम, दाल या साँभर कुछ भी डालकर उसे खाता या पीता हूँ। उसके चूत से निकलने वाली रस से स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।
उसी प्रकार वह मेरे लंड पर लिपस्टिक लगाती, या टमाटर की चटनी, खीरा, या डबल सैंडविच में लंड डालकर उसे खाती। और मैं उसके इन व्यंजनों पर अपने सफ़ेद क्रीम इनाम के तौर पर डालता जिसे वह चटखारे लेकर खाती। उसे यह बहुत अच्छा लगता कि मैं उसकी इन छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ। Antarvasna
सबसे पहले तो मैं गुरूजी का Hindi Porn Stories आभार मानता हूँ कि उन्होंने मेरी सही अनुभव वाली दो कहानियाँ ‘स्वर्ग का अनुभव-१’ और ‘स्वर्ग का अनुभव-२’ प्रस्तुत की ! इस कहानी में मेरी कोई कल्पना नहीं है इसलिए जिसको काल्पनिक कहानी में ही मजा आता हो वो यह कहानी नहीं पढ़े ! मेरी पहली दो कहानी के बाद मुझे बहुत सारे मेल मिले ! इसलिए आज मैं मेरी तीसरी सही अनुभव वाली कहानी आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ!
मैं अहमदाबाद में रहने वाला ३६ साल का लड़का हूँ! मैं एक लिमिटेड कंपनी में अकाउंट मेनेजर की जॉब करता हूँ! आज मैं जो कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ वो उन्हीं में से एक लड़की की है जिसने मुझे मेल किया था ! उसका नाम कविता हे ! उसी की इच्छा थी कि मैं हम दोनों की कहानी लिखूँ ! उसी की इच्छा को मान देते हुए मैं यह कहानी लिख रहा हूँ ! वो भी अहमदाबाद में रहती है! उसने मेरी कहानी पढ़कर मुझसे मिलने का प्रस्ताव रखा था ! तो लीजिये अब आप सुनिए उसी की कहानी !
मेरी एक फ़ैन थी कविता ! मुझे भी उसमे बहुत दिलचस्पी होने लगी थी ! मैं भी उसको मिलने के लिए बेकरार था ! उसका मेल आते ही मैंने अपना सेल नंबर उसको भेजा था ! और एक दिन उसका फ़ोन मेरे मोबाइल पर आया ! पहले उसने मेरे बारे में जानकारी ली और फिर उसने मुझसे मिलने के लिए बोला !
मैं भी एक दिन ऑफिस में से आधी छुट्टी लेकर उसको मिलने के लिए चला गया ! हम रास्ते में कहीं मिले फिर हमने होटल में जाने का तय किया ! हम दोनों होटल में चले गए ! मैंने पहले स्नान कर लिया ! फिर मैं कमरे में आ गया ! तो अचानक उसने बोला कि मैं तुमसे नहीं मिल पाऊँगी ! वो कुछ घबराई हुई मुझे लगी ! क्योंकि पहली ही मुलाकात में हम होटल में पहुँच गए थे ! मेरी इच्छा उसे मिलने की बहुत थी ! मैं सोचता था कि काश वो मेरी लाइफ में होती तो मजा आ जाता ! वो दिखने में भी काफी खूबसूरत थी ! उसने बोला कि मैं तुमको छू भी नहीं पाऊँगी !
हमने थोड़ी देर बातें की फिर मैंने उसकी इच्छा को मानते हुए उसे जाने दिया ! मैं उस दिन तड़पता ही रह गया !
उसकी याद मेरे दिल से नहीं गई थी ! इस लिए मैंने उसे एक दिन मेल कर दिया ! तो उसका भी साथ ही फ़ोन आया कि हम युगल-कमरे में मिलते हैं! मुझे लगा कि युगल-कमरे में भी वो मुझे छूने नहीं देगी !
उस दिन हम दोनों युगल-कमरे में पहुँच गए ! मैं सोच रहा था कि उसको छू लूं या नहीं !
उसने अचानक मेरे हाथ को अपने चूचियों पर रख दिए ! मुझे तो लग रहा था कि मैं कोई सपना देख रहा हूँ ! पर यह हकीकत थी ! फिर मैंने उसके चूचियाँ उसके शर्ट से बाहर निकाल दी ! उसकी चूचियाँ क़यामत थीं ! बिल्कुल तनी हुईं। उसके निप्पल बहुत ही ख़ूबसूरत थे।। मैंने उसकी चूचियों को हाथों से मसलना शुरु कर दिया और फिर दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लगा। हम दोनों को काफी मज़ा आ रहा था ! फिर मैंने उसकी पैंटी में अपना हाथ डाल दिया ! उसने अपनी पैंटी नीचे कर दी !
फिर मैं अपनी ऊँगली से उसकी चूत को सहलाने लगा ! उसके चूत में एक अजीब सी महक थी ! वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी ! फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में मेरी पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया और मसलने लगी ! मैंने अपना ७’’ के लंड को बाहर निकाल कर उसके हाथ में दे दिया ! उसको मेरा लंड बहुत पसंद आया ! फिर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया ! मैं अब आपे में नहीं रह पाया ! फिर वो मेज़ पर आ गई ! मैंने उसकी चूत को चाटना शुरु कर दिया ! मैं काफी अन्दर तक अपनी जीभ ले जा कर उसकी चूत को चाटता था ! वो अब मदहोश होने लगी थी ! उसे बहुत मजा आने लगा ! मैं उसकी चूत का सारा पानी निगल गया ! वो अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थी ! फिर मैंने खड़े हो कर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया ! फिर मैं उसकी चुदाई करने लगा ! मैं बहुत जोर से धक्का देकर चुदाई करने लगा ! उसको भी उसमें बहुत मजा आने लगा ! ऐसा करने से आवाज भी बाहर जाने लगी थी ! पर हम तो अपने में ही मस्त हो चुके थे ! हम दोनों उस वक्त सेक्स में पूरे खो चुके थे ! फिर मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया ! वो भी झड़ चुकी थी ! उस दिन स्वर्ग का अनुभव क्या होता है वो हमने महसूस कर लिया !
उस दिन के बाद हम दो बार और कमरे में मिले थे !
अगर आपको मेरी सही अनुभव वाली कहानी पसंद आई हो तो मुझे मेल करे ! Hindi Porn Stories
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