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मेरा नाम अजय है मैं Antarvasna Stories दिल्ली का रहने वाला हूँ, उम्र 24 साल है और दिखने में भी अच्छा हूँ। लंबाई 5 फुट 8 इंच है, मेरा लंड 6 इंच लम्बा है और 2.5 इंच मोटा है, कसरती बदन है, रंग साफ और इंजीनियरिंग का छात्र हूँ।
मैं आज आपके सामने अपनी पहली कहानी पेश करने जा रहा हूँ।
बात उस समय की है जब मेरे बड़े भाई की नई-नई शादी हुई थी। जब मैंने भाभी को पहली बार देखा तो देखता ही रह गया। मेरी भाभी का फिगर 34-30-36 है। वो बहुत अधिक सेक्सी लगती हैं। मगर कभी कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई.
सभी मेहमान शादी के एक दो दिन बाद तक जा चुके थे लेकिन मेरी चचेरी बहन नहीं गई थी। भाभी और मैं आपस में बात करने लगे।
ऐसे ही एक महीना निकल गया। मुझे नहीं पता था कि भाभी भी मुझे पहले दिन से ही पसंद करती हैं। उन्होंने बाद में मुझे बताई।
सर्दी का मौसम था, उन दिनों काफ़ी ठंड थी। एक दिन वो बीमार पड़ गईं। करीब एक हफ्ते तक मैं ही उन्हें दवाई दिलाने ले जाता रहा और एक दिन घर पर कुछ मेहमान आ गए। जगह कम होने की वजह से मैं, मेरा छोटा भाई और भाभी एक साथ सो गए।
रात को एक बजे मेरी आँख खुली तो देखा भाभी को ठंड लग रही है, तो मैंने भाभी से पूछा- भाभी क्या हुआ?
उन्होंने कहा- ठंड लग रही है।
तो मैंने अपनी रज़ाई भी उन्हें ही ओढ़ा दी और खुद भी उनके साथ सो गया।
अचानक उन्होंने अपना सिर मेरे बाजू पर रख दिया, तो मुझे तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई हो, लेकिन कुछ नहीं कर पाया ऐसे ही दो हफ्ते निकल गए। अब मेरी चचेरी बहन भी चली गई और हम घर पर अकेले रह गए।
एक दिन घर पर कोई नहीं था। मैं और मेरी भाभी बात कर रहे थे, मैंने भाभी से पूछा- भाभी शादी से पहले आपकी कोई फ्रेंडशिप थी..?
तो उन्होंने कहा- नहीं..!
तभी भाभी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है?
तो मैंने कहा- है तो भाभी!
तो उन्होंने पूछा- तुम उससे मिले भी हो या सिर्फ़ फोन पर ही बात करते हो?
तो मैंने कहा- भाभी मिल ही नहीं चुका, उसके साथ कर भी चुका हूँ.
तभी भाभी बोली- क्या कर चुके हो?
मैं थोड़ा शरमा गया, तो भाभी बोली- बोलिए ना..!
तो मैंने कहा- भाभी मैं सेक्स की बात कर रहा हूँ.
‘तुम तो बहुत शैतान हो.. मैं तो तुम्हें बहुत शरीफ समझती थी!’
भाभी के ऐसा कहने से मुझे बहुत शरम महसूस हुई और भाभी नहाने चली गई.
तो कुछ देर बाद मुझे भाभी की चीख सुनाई दी, मैंने बाथरूम के दरवाजे के पास जाकर पूछा- क्या हुआ भाभी?
तो भाभी ने कहा- मैं गिर गई हूँ… मुझसे तो हिला भी नहीं जा रहा है।
तब मैंने कहा- मैं अन्दर आता हूँ.
जब मैं अन्दर गया तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। भाभी उस समय सिर्फ़ पैन्टी और ब्रा में ही थीं और ज़मीन पर पड़ी हुई थीं।
मैं भाभी के पास गया और उन्हें सहारा देकर उठाने लगा, तो उनसे तो उठा भी नहीं जा रहा था। मैंने उन्हें अपनी गोद में उठा कर उनके बेडरूम में ले गया।
मेरे शरीर से चिपकने के कारण उन्हें मेरे शरीर की तपिश भड़काने लगी थी। वासना के कारण उनकी आँखें लाल होने लगी थीं, यह मैंने देख लिया था, तो मैंने मौके को समझते हुए बिना देर करे हुए उनसे कहा- मैं तेल लेकर आता हूँ और आपके पूरे शरीर की मालिश कर देता हूँ..!
भाभी ने कहा- मैं खुद कर लूँगी।
मैंने कहा- मैं एक बार कर देता हूँ, फिर खुद कर लेना।
तो भाभी ने कहा- ठीक है।
मैं भी तेल ले आया और उनकी टाँग पर तेल लगा कर मालिश करने लगा। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं।
मैं उनकी जांघों तक उन्हें मसलने लगा। उनकी आँखें अब बंद हो गई थीं.. कुछ देर में मैं भी उत्तेजित होने लगा था और मेरा लंड भी अब पजामे में खड़ा हुआ साफ दिखने लगा था।
मैं अपने काम में लगा हुआ था कि मुझे अपने लंड पर कुछ महसूस हुआ। मैंने देखा भाभी मेरे लंड को पजामे के ऊपर से ही सहला रही थीं। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मुझे लगा मेरे हाथों के अपने जाँघों पर घर्षण की वजह से गरम हो गई हैं।
मैंने भी मौका न गँवाते हुए उनके ऊपर चढ़ गया और फ्रेंच किस करने लगा.. और इसमें वो भी मेरा साथ देने लगीं।
इसी बीच उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए और मैंने उनकी पैन्टी और ब्रा उतार दी और मैं उनके चूचों को बड़ी ही बेरहमी से चूस और दबा रहा था।
भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रहीं। फिर मैंने बिना कुछ कहे अपना लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने भी झट से मुँह में ले लिया और मुझे मुँह से चोदने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने अपना लंड उनके मुँह से निकाला और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर उनकी योनि के मुँह पर अपना लंड रख दिया। उनकी चूत ऐसे दहक रही थी जैसे कि आग की भट्टी हो।
मैंने पहला झटका मारा तो 4 इंच अन्दर चला गया। मीना भाभी को बहुत दर्द हो रहा था क्यूंकि वो एक महीने से चुदी नहीं थी। मैं कुछ देर ऐसे ही रहा और उनके होंठों को अपने होठों से लगा कर चूसता रहा।
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जब लगा कि उनका दर्द कम हो गया है और उन्होंने नीचे से कूल्हे उठाना शुरू कर दिए थे..मतलब वो भी चुदाई का मज़ा लेने लगी थीं।
तो मैंने भी एक बार में पूरा लंड बाहर खींच कर वापस एक ही झटके मे पूरा ठोक दिया।
30 मिनट की ज़ोरदार चुदाई में भाभी 4 बार झड़ीं।
अब जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने भाभी से कहा- भाभी मैं झड़ने वाला हूँ.. बाहर निकालूं…?
भाभी ने कहा- नहीं अन्दर ही निकाल दो…
तो फिर 2-4 जोरदार धक्कों के बाद मैं और भाभी फिर से साथ में झड़ने लगे… और मैं उनके अन्दर ही झड़ गया, उनकी योनि को पूरा भर दिया..
इसके चुदाई के बाद मैं मौका देख कर रोज़ भाभी की चुदाई करता हूँ और हम दोनों बहुत खुश हैं.. भाई को अभी भी कुछ नहीं पता है।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी आपबीती। मैंने पहली बार लिखने की कोशिश की है। अगर मुझसे कुछ भूल हो जाए तो प्लीज माफ़ कर देना.. मुझे आपकी ई-मेल का इंतज़ार रहेगा… Antarvasna Stories
मेरा नाम सोनू है, मेरी शादी Hindi Sex Stories हुए २ साल हो गए हैं, शादी भी २१ साल में हुई थी. लेकिन मेरी शादी में कभी भी शारिरिख सुख का आनन्द नहीं रहा है। शादी के बाद से ही मेरे पति पता नहीं क्यों मुझसे दूर-२ रहा करते थे। पूछने पर कहते कि काम बहुत ज्यादा होता है। इसी कारण हमारा झगड़ा होता रहता। एक तो नई नई शादी, उस पर सावन का महीना ! हमेशा जिस्म में आग भड़की हुई रहती !
मैं आप सबको बता दूँ कि मेरा परिवार बहुत बड़ा है, मेरे दो जेठ-जेठानी हैं और एक कुवांरा, जवान, आकर्षक शरीर का मालिक मेरा देवर जो मुझसे उमर में बड़ा है। दिखने में मैं भी कुछ कम नहीं हूँ, कोई भी देखे तो बस देखता रह जाए ! मैं ३४ २८ ३६, उसपर चमकता गोरा रंग, काले लंबे बाल लेकिन कोई काम की नहीं थी मेरी जवानी जब तक …
एक दिन की बात है, घर पर कोई नहीं था, देवर कॉलेज गए थे, जेठ और मेरे पति काम पर और मेरी जेठानियाँ शौपिंग पर !
मेरे जिस्म में हमेशा की तरह आग लगी हुई थी जिसको मिटाने के लिए अपने कमरे में आकर मैंने साड़ी उतार के फेंक दी और ब्लाऊज़ के आधे बटन खोलकर अपनी चुचियों को जोर-२ से मसलने लगी और दूसरे हाथ से अपनी चिकनी चूत रगड़ने लगी। जिससे मेरे मुँह से ह्म्म्म्म आ आआ आआआह्ह्ह की जोर-२ से आवाज़ निकलने लगी। मैं अपने में ही मस्त थी, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे देवर घर आ गये और मेरी आवाज़ सुनकर मेरे खुले दरवाजे से मुझे देखने लगे। जल्दी से उन्होंने अपने सारे कपड़े उतारे और धीरे से एक दम मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगे। मैं कुछ समझ पाती, तब तक अपने होठों को मेरे होटों पर रखकर चूमने लगे और फ़िर एक जोर के झटके के साथ मेरा ब्लाऊज़ और मेरी ब्रा फाड़ दी और मुझे चूमते हुए मेरी नंगी चूचियों को दबाने लगे।
उनकी इतनी हिम्मत देखकर मैं घबरा गई और बोली- यह क्या कर रहे हो?
तो वो बोले- मेरी जान तेरी जिस्म की आग बुझा रहा हूँ, तू बहुत प्यासी है ! और फ़िर मेरी नंगी चूचियों को जोर-२ से मसलने लगे और सब जगह अपने चुम्बन जड़ दिए। मेरी तो और आग भड़क चुकी थी लेकिन रिश्ते का ख्याल करते हुए मैं मना करने लगी। उतने में उन्होंने एक हाथ मेरी चूत पर रख दिया, मेरी चूत एक नदी की तरह बहने लगी थी, मैं काबू से बाहर होने लगी थी, मैं मना कर रही थी लेकिन उसमे भी मेरी हाँ थी जो उन्हें समझ आ गई।
फ़िर बस वो मेरी चूत को अपनी जबान से चाटने लगे, चूसने लगे, मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई थी ! मेरे मुँह से जोर-२ की आवाजें आने लगी, मैं पूरी तरह गरम हो चुकी थी. सब भूल कर मैं भी लुटने के लिए तैयार हो गई और अपने देवर का साथ देने लगी। फ़िर हम ६९ की पोसिशन में आ गये। मैं उनका ६ १/२ इंच का लण्ड अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी तो कभी जोर-२ से पूरा लण्ड मुँह में लेकर अंदर बाहर करने लगी और वो भी मुझे चाटता रहा जिससे मैं एक बार झड़ गई और वो मेरा सारा रस पी गया।
मुझसे रहा नहीं जाता ! चोद दे ! कमीने मुझे जोर जोर से चोद ! जल्दी कर साले !
मेरे मुँह से यह सुनकर मेरे देवर और जोश में आ गये और मुझे रंडी ! साली ले अब ! यह कहते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और एक बहुत जोर का धक्का मारा जिससे एक बार में ही पूरा लण्ड मेरे अंदर चला गया, साढ़े छः इंच लम्बा और साढ़े तीन इंच का मोटा लण्ड मेरी झिल्ली को चीरता हुआ अंदर चला गया और मेरी चीख से कमरा भर गया, मेरी सांस अटक गई और खून की पतली धार मुझे महसूस हुई। मेरे दर्द को समझते हुऐ मेरे देवर थोड़ा रुक गए और जैसे मुझे थोड़ा आराम आया कि फ़िर धीरे -२ अंदर बाहर करने लगे।
मुझे भी मजा आने लगा, मैं तो जैसे जन्नत मैं थी ! फ़िर मैं भी उछल -२ कर मजे लेने लगी, करीब ५ मिनट बाद मैं झड़ गई और मेरे देवर भी !फ़िर भी सिलसिला चलता रहा और कमरा फुच फ्हाक की आवाज़ से गूंजने लगा, इसके बाद मैंने और तीन बार चुदवाया. और फ़िर …
पर बात यहाँ ख़त्म नहीं होती, आगे की कहानी अगली बार !
आप बताईयेगा कि आप सबको मेरी कहानी कैसी लगी ! इन्तजार में ! Hindi Sex Stories
मैं आज अपने मायके आ Hindi Sex Stories गई, सोचा कि कुछ समय अपने भाई और माता पिता के साथ गुजार लूँ। मेरी माँ और पिता एक सरकरी विभाग में काम करते हैं, भैया कॉलेज में पढ़ता है। आप जानते हैं ना चुदाई एक ऐसी चीज़ है जिसके बिना हम लड़कियाँ तो बिल्कुल नहीं रह पाती। यहां मायके में भी यही हाल हुआ। ये चूत है कि लण्ड मांगे मोर…। बोबे भी फ़ड़क उठते हैं… गांड भी लण्ड दिखते ही लचकदार होकर अदाएँ दिखाने लगती है… चाल ही बदल जाती है। देखने वाला भी समझ जाता है कि अब ये लण्ड की भूखी है। बाहर से हम चाहे जितनी भी गम्भीर लगें, सोबर लगें पर हमारी नजरें तो पैन्ट के अन्दर लण्ड तक उतर जाती हैं। लड़कों का खड़ा लण्ड नजर आने लगता है।
मैं खिड़की पर खड़ी सब्जी काट रही थी की भैया आया और बिना इधर उधर देखे बाहर ही दीवार पर अपना लण्ड निकाल कर पेशाब करने लगा। मेरा दिल धक से रह गया। इतना बड़ा और मोटा लण्ड… भैया ने पेशाब किया और लण्ड को झटका और पेण्ट में घुसा लिया। मैं तुरन्त एक तरफ़ हो गयी। भैया अन्दर आ गया और मुझे रसोई में देख कर थोड़ा विचलित हो गया … उसे लगा को शायद मैने उसे पेशाब करते हुये देख लिया है।
“ये खिड़की क्या खुली हुई थी…”
“हां क्यो, क्या बात है…”
“नहीं यू ही बस …।”
“हां… तुम वहा पेशाब कर रहे थे न…” मैं मुस्कराई और उसकी पेन्ट की तरफ़ देखा
भैया शर्मा गया।
“धत्त , तुझे शरम नही मुझे देखते हुये”
“शरम कैसी… ये तो सबके होता है ना, बस तेरा थोड़ा सा बड़ा है…”
“दीदी…” वो शरमा कर बाहर चला गया। मुझे हंसी आ गयी। हां, मेरा दिल जरूर मचल गया हा। पर भैया भी चालू निकला, वो जब भी खिड़की खुली देखता तो वहा पेशाब करने खड़ा हो जाता था… और मुझे अब वो जान करके अपना लण्ड दिखाता था। मेरा मन विचलित होता गया। एक बार मैने उससे कह ही दिया…
“बबलू… तू रोज़ ही वहा पेशाब क्यो करता है रे…”
“मुझे अच्छा लगता है वहां”
“… या मुझे दिखाता है…अपना वो…”
“दीदी, आप भी तो देखती हो ना… फिर ये तो सबका एक सा होता है ना…”
” जा रे… तू दिखायेगा तो मैं देखूंगी ही ना… फिर…” मैं शर्मा सी उठी
“दीदी… तेरी तो शादी हो गई है…तुझे क्या…”
“अच्छा छोड़, मैं स्टूल पर चढ कर वो समान उतारती हू, तू मेरा ध्यान रखना…मैं कही गिर ना जाऊ”
मैं स्टूल पर चढी, और कहा “बबलू… मेरी कमर थाम ले…और ध्यान रखना…”
समान उतार कर मैं ज्योही स्टूल पर से उतरी बबलू ने मुझे उतरते हुये अपनी तरफ़ खींच लिया।
“धीरे धीरे दीदी…”और उसने मुझे ऐसे उतारना चालू किया कि मेरे बोबे तक दबा डाले धीरे धीरे सरकते हुए वो मुझे नीचे उतारने लगा और मेरे चूतड़ उससे चिपकते हुए उसके लण्ड तक पहुंच गये। अब हाल ये था की मेरे दोनो बोबे उसके कब्जे में थे और उसका लण्ड मेरे पटीकोट को दबाते हुए गाण्ड में घुस गया था। उसके मोटे लण्ड का स्पर्श मैं अपने दोनो चुतड़ो के बीच महसूस कर रही थी। मैने उसे देखा तो उसकी आंखे बंद थी… और मुझे वो कस कर जकड़ा था। शायद उसे मजा आ रहा था। मुझे बहुत ही मजा आने लगा था। पर शराफ़त का तकाजा था कि एक बार तो कह ही दू…”अरे छोड़ ना…क्या कर रहा है…”
“ओह दीदी… मुझे ना क्या हो गया था… सॉरी…”
“बड़े प्यार से सॉरी कह दिया… “मैने उसकी हिम्मत बढाई।
“दीदी क्या करू बस आपको देख कर प्यार उमड़ पड़ता है…”
“और वो जो खड़ा हो जाता है… उसका क्या”
“दीदी… वो तो पता नही , बस हो गया था” और मुस्कराता हुआ बाहर चला गया।
रात को सब सो गये तब मन में वासना जाग उठी। भैया के अन्दर का शैतान जाग उठा और मेरी अन्तर्वासना जाग उठी। जवान जिस्मो को अब खेल चाहिये था। दोनो के तन बदन में आग लगी हुई थी। कैसे शैतान ने काम किया कि हम दोनो को एक दूसरे की जरुरत महसूस होने लगी । हम दोनो लेटे हुये एक दूसरे को देख रहे थे… आंखो ही आंखो में वासना भरे इशारे हो रहे थे। भैया ने तो अपना लण्ड ही दबाना शुरू कर दिया, मैने भी उसे देख कर अपने होंठ दांतो से काट लिये। मैने उसे अपने बोबे अपना ब्लाऊज नीचे खींच कर दिखा दिये और दबा भी दिये। अब मैने चादर के अन्दर ही अपनी पेण्टी उतार दी और ब्रा खींच कर खोल दी। पेटीकोट को ऊपर उठा लिया… और अपनी चूत सहलाने लगी। ऊपर साफ़ दिख रहा था मेरा चूत का मसलना…
“दीदी, आप यही क्यो नही आ जाती , अपन बाते करेंगे”
“क्या बात करेंगे… मुझे पता है… तुझे भी पता है…आजा मेरे भैया…”
हम दोनो बिस्तर से उतर कर खड़े हो गये। धीरे धीरे एक दूसरे के समीप आ गये और फिर हम दोनो आपस में लिपट पड़े। मेरा अस्त व्यस्त ब्लाऊज और पेटीकोट धीले हो कर जाने कब नीचे खिसक गये, उसका पजामा भी नीचे उतर गया। हम नंगे खड़े थे। हम दोनो अब एक दूसरे को चूमने लगे। उसका लण्ड मेरी नगी चूत पर ठोकरे मारने लगा।
मैं भी निशाना लगा कर लण्ड को लपकने की कोशिश करने लगी कि उसे अन्दर ले लूं। हम दोनो के नगे और चिकने जिस्म रगड़ खाने लगे। जाने हम दोनो के होंठ कब एक दूसरे से चिपक गये। बबलू ने खुद को नीचे करते हुए मेरी गीली चूत में लण्ड घुसाने कोशिश करने लगा। उसका लण्ड मुझे यहा वहा रगड़ खा कर मस्ती दे रहा था। मेरी चूत अब लप लप करने लगी थी। तभी लगा की लण्ड ने चूत में प्रवेश कर लिया है। मैने अपनी एक टांग कुर्सी पर रख ली और चूत का द्वार और खोल दिया। लण्ड अन्दर घुस पड़ा। मीठा मीठा सा मजा आने लगा … मैने भी अपनी चूत उसके लण्ड पर दबा दी , उसका लण्ड पूरा अन्दर तक उतर गया।
अब मैने अपनी टांग नीचे कर ली। और भैया को जकड़ लिया। हम एक दूसरे से चिपके हुये कमर को हौले हौले चलाने लग गये। गीली और चिकनी चूत में लण्ड अन्दर बाहर फ़िसलने लगा। मुझे चुदाई का नशा सा आने लगा। बबलू का मोटा लण्ड मुझे भरपूर मजा दे रहा था। हम काफ़ी देर तक यू ही वासना की कसक भरी मस्ती लेते रहे। वो धीरे धीरे मुझे चोदता रहा… अब मुझे लगा कि कही मैं झड़ ना जाऊ… पर देर हो चुकी थी…मेरी चूत में पानी उतरने लगा था, सब्र टूट रहा था… मेरी सांसे जोर से चलने लगी और मेरा पानी छूट पड़ा। पर मैं उससे चिपकी रही। भैया मुझे हौले हौले चोदता ही रहा। धीरे धीरे मुझे फिर से चुदने का मजा आने लगा। मैं फिर से उसे पकड़ कर चिपट गयी। वो मेरे बोबे दबाता रहा और चोदता रहा, उसमें दम था…
“दीदी … अब उल्टी हो जाओ दूसरा मजा भी लू क्या ?”
“मेरे प्यारे भैया … हाय रे गान्ड चोदेगा क्या…” उसने हां में सर हिलाया। मैं उसकी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गयी। उसने मुझे घोड़ी जैसा झुकाया और झुक कर देखा, पास में पड़ी शीशी से क्रीम निकाली और गाण्ड में भर दी।
“क्रीम मत लगा, मेरी गाण्ड तो वैसे ही खुली हुई है… खूब लण्ड खा लेती है…” मैने उसे बताया पर तब तक उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में घुस चुका था। लण्ड गाण्ड में कसता हुआ जा रहा था पर दर्द नही हुआ। बस एक मीठी सी सुरसुरी होने लगी। उसका लौड़ा मेरी गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया था।
मैने फ़्री स्टाईल में कमर हिलानी शुरू कर दी पर भैया को मजा चाहिये था, सो उसने मुझे सीधा खड़ा कर दिया और और मेरी पीठ अपने से चिपका ली । मेरे बड़े बड़े बोबे थाम कर उसे मसलना चालू कर दिया और लण्ड को हौले हौले गाण्ड में चलाने लगा। लण्ड का पूरा मजा आ रहा था। उसका साईज़ मेरे चूतड़ो तक को महसूस हो रहा था मुझे अब थोड़ी सी इस पोज में तकलीफ़ होने लगी थी सो मैं अब झुकने लगी और घोड़ी बनने लगी चुदते चुदते ही मैने अपने अपने हाथ कुर्सी पर टिका दिये और अपने पांव खोल दिये। उसका लण्ड अब अच्छी तरह से तेज चलने लगा। मैने भी चूतड़ो कि ताल में हिला कर गाण्ड मरवाने लगी। अब मुझे भी मस्ती आने लगी थी। भैया गाण्ड मारने में माहिर था। अब तो मेरी चूत भी फिर से तैयार थी, भैया ने मेरा इशारा समझा और लण्ड को गाण्ड में से निकाल कर फिर से चूत में पिरो दिया। मेरी चूत में मजे की तरावट आ गयी। खूब गुदगुदी भरी मिठास उठने लगी।
मैने भी चूत को गाण्ड के साथ नचाना शुरू कर दिया और मजा तेजआने लगा। चूत के पानी का चिकनापन से चोदते समय फ़च फ़च की आवाज आने लगी थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमट कर रह गई थी। मस्ती सर पर चढ चुकी थी। चुदाई जोरो पर थी। भैया तूफ़ानी गति से कस कर धक्के मार रहा था। मेरी चूत बेहाल हो उठी थी। अब लग रहा था कि मेरा माल निकलने वाला है… उत्तेजना चरम दौर पर थी… चूत पर लण्ड की चोट मुझे मस्त किये दे रही थी। अचानक भैया ने लण्ड मेरी चूत में दबा दिया और मेरी कमर कस कर भींच दी ।
“दीदी… दीदी… हाय… आह्ह्ह … मेरा लण्ड गया… दीदी… मेरा निकला…ऊईईईईई…ऐह्ह्ह्ह्ह्ह्…”
तभी मेरी भी सारी नसे जैसे खिंच उठी और मैं तड़प उठी। मेरा भी पानी जैसे अन्दर से उबल पड़ा और मैं झड़ने लगी। तभी भैया के लण्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी। लण्ड बाहर निकाल कर सारा वीर्य छोड़ दिया। उसका लण्ड रह रह कर रस बरसा रहा था। मेरी गाण्ड पूरी वीर्य से तर हो चुकी थी। वो लगता था थक गया था। उसने पास पड़े कपड़े से मेरे चूतड़ साफ़ कर दिये और अपना लण्ड भी पोंछ डाला। हम दोनो फिर से आपस में लिपट गये और प्यार करने लगे।
अब हम एक ही बिस्तर में लेटे थे और एक दूसरे के साथ खेल खेलने लगे थे। मुझे तो उसे फिर से उत्तेजित करना था। मेरा तो रात भर का कार्यक्रम था… कुछ देर में भैया फिर से तैयार था … उसका लण्ड कड़क हो चुका था… मैं भी चुदने को तैयार थी… उसने मेरे ऊपर चढ कर मुझे दबा डाला… और उसका लण्ड एक बार फिर से मेरी चूत में घुसता चला गया… मेरी सिसकारिया मुख से फ़ूट उठी… लण्ड और चूत का घमासान युद्ध होने लगा… Hindi Sex Stories
हाय मेरा नाम विक्की है, मैं 26 साल Hindi Porn Stories का हूँ और मैं दिल्ली में रहता हूँ।
मैंने इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। मैं भी अपना एक अनुभव आपसे बताना चाहता हूँ।
यह बात आज से लगभग दो-ढाई साल पहले की है, हमारे घर में एक किरायेदार रहने आए। उनमें तीन लोग ही थे पति पत्नी और उनका छोटा भाई। मैं उनको भाई भाभी बोलता था। दोनों भाई ऑटो चलाते थे, दिन में बड़ा भाई और रात को छोटा भाई ऑटो चलाते थे।
एक रविवार, मेरी ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं अपने दोस्तों से मिलने निकल गया। शाम को जब में घर आया तो देखा कि एक लड़की मेरे घर के आँगन में मेरी मम्मी और बहन के साथ बैठ कर बात कर रही है।
मैंने सोचा कि बहन की कोई फ्रेंड होगी तो मैं सीधा बाथरूम में जाकर अपने हाथ मुँह धोकर आया। मैंने महसूस किया कि वो लड़की मुझे घूर घूर कर देख रही थी। मैं मम्मी की वजह से उसको नहीं देख रहा था। फ़िर वो उठ कर चली गई तो मैंने मम्मी से पूछा कि यह लड़की कौन है?
मम्मी ने बताया कि यह उन भइया की बहन संजू है।
यारों क्या मस्त माल थी वो ! लम्बाई 5.4′ भरा भरा बदन सांवला रंग एक दम ब्लैक ब्यूटी थी वो ! 2-3 दिन ऐसे ही निकल गए मैं कही भी जाता थो वोह मुझे घूर घूर कर देखती। उसकी आँखों में मुझे वासना दिखाई दी।
ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया और फ़िर से रविवार आ गया। उस दिन मेरी बहन कुछ चादर पर कुछ फूल पत्ती बना रही थी। मम्मी भी उसका साथ दे रही थी और वो लड़की संजू, वो चारपाई पर बैठी थी और मेरी बहन नीचे जमीन पर, मम्मी भी उसके साथ चारपाई पर ही बैठी थी।
मैं बाहर से घूम कर आया तो देखा कि सब बैठे हैं, मैं भी बैठ गया कुर्सी पर और मैंने अपने पांव चारपाई पर फैला दिए। तो चादर मेरे पांव के नीचे दब गई। मेरी बहन गुस्सा हो कर बोली कि चादर पांव के ऊपर कर ले नहीं तो गन्दी हो जायेगी।
मैंने ऐसा ही किया तो मेरा पाँव अचानक संजू के हाथ पर लगा। मैंने अपना पांव हटा लिया तो वो मेरी तरफ़ देखने लगी जैसे कह रही हो कि क्योँ हटा लिया। मैं मुस्करा दिया और दूसरी तरफ़ देखने लगा कि कहीं किसी का ध्यान मेरी तरफ़ तो नहीं, पर किसी ने नहीं देखा।
मुझे मजा आने लगा, मै धीरे से उसके कमर की साइड में अपनी पांव से सहलाने लगा। चादर पांव के ऊपर होने से किसी को कुछ पता नहीं चला और उसने भी कुछ नहीं कहा। मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं पांव की उँगलियों से उसकी बाजू पर और पेट पर चिकोटी काटने लगा उसने कुछ नहीं कहा।
तभी मेरे पापा आ गए और सब लोग उठ गए। फ़िर तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं जब उसको अकेले देखता तो कभी उसकी चूची दबा देता कभी उसकी गांड में ऊँगली करता और वोह कुछ नहीं कहती।
एक दिन मैं घर पर ही था और वो भी अकेली थी। मेरी मम्मी मार्केट गई थी। मुझे मौका मिल गया। मैं उसके कमरे में गया और उसको पकड़ लिया और जल्दी से उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी। वो कुछ नहीं बोली। फ़िर मैंने उसको किस करना चालू कर दिया। वो भी साथ देने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, मैं तो पागल ही हो गया।
उसकी कठोर चूचियों को देख कर मैंने उनको खूब चूसा और दबाया।
वो बोली- जल्दी करो अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।
मैं उसकी चूत में ऊँगली डालकर चोदने लगा। उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी और मजा ले रही थी अपनी कमर को उठा उठा कर। तभी जोर से चिल्लाई और झड़ गई। मैंने उसका सारा रस चाट कर साफ़ किया और फ़िर अपना 6′ लंबा और 3.5′ मोटा लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा। फ़िर उसको मजा आने लगा और वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी।
मैं समझ गया कि अब उसको मजा आने लगा है। मैंने अपनी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसको तेज तेज चोदने लगा। 10 मिनट बाद वो मुझसे लिपट गई और मुझे नोचने लगी। मैं समझ गया कि इसका पानी निकलने वाला है। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और 5 मिनट बाद ही हम दोनों ने अपना रस छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया, उसकी आंखे बंद थी, उसके चहरे से पता लग रहा था कि वो पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी है।
तभी डोरबेल बज उठी। मैं जल्दी से उठा और अपना लोअर पहन कर दरवाजा खोला, तो मम्मी थी। उस दिन तो बच गए। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चली गई। फ़िर उसके बाद उसके भाई ने भी घर खाली कर दिया और मेरा उसके साथ कोई लिंक नहीं रहा।
तो दोस्तो, यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव. मैं आजकल अकेला हूँ, Hindi Porn Stories
मैं मडगाँव, गोआ स्टेशन पर उतरी। ‘जो’ लपक Hindi Sex Stories कर मेरी बोगी के आगे आ गया और मेरा सामान सामने वाले रेस्टोरेन्ट पर रख दिया। फिर वहां से लपक कर दूसरी बोगी में गया और वहां से एक जोड़े को और ले कर आ गया।
मैं उन्हें जानती थी, अमन जो का पुराना मित्र है और गीता अमन की पत्नी। जो ने बताया कि उन्हें भी मैंने गोआ घूमने के लिये बुला लिया था
हम चारों स्टेशन से बाहर आ कर कार में बैठ गए। जो वहाँ से अपने घर ले गया। सुबह का समय था हमने चाय-नाश्ता किया। फिर घूमने का कार्यक्रम बनाया। गोआ अपने आप में कोई बड़ी जगह नहीं है। यहाँ से मात्र ३५ किलोमीटर दूर पंजिम है और यहाँ कुछ ही दूर पर वास्कोडिगामा है। चूँकि आज हमारे पास घूमने के अलावा कोई काम नहीं था, सो हमने पंजिम घूमने का कार्यक्रम बना लिया। जो ने वहाँ पर किसी को फ़ोन किया और रवाना हो गये।
दिन के ११ बज रहे थे हम लोग बीच पर पहुँच गए थे। समुद्र का किनारा बहुत ही सुहाना लग रहा था… लहरें बार-बार किनारे से टकरा कर लौट रहीं थीं। हम सभी लगभग १२ बजे तक वहाँ रहे तभी जो को एक आदमी ने कुछ कहा और लौट गया।
“चलो…! लँच तैयार है…! “
सभी ने अपना सामान एकत्र किया और एक होटल की तरफ़ चल दिये। होटल पहुँच कर वहाँ लँच लिया और फिर जो हमें ऊपर वाले भाग में ले गया… ऊपर कुछ कमरे थे उसने खोल दिये और सभी से थोड़ा आराम करने को कहा। यात्रा की थकान तो थी ही, सभी आराम करने क्या गये कि गहरी नींद में सो गये।
शाम को जो ने सभी को जगाया और कॉफी पिलायी। समय देखा तो ५ बज रहे थे। हम सभी फ्रेश हो गये थे सो अब बीच पर दुबारा पहुँच गये। सभी ने स्वीमिंग सूट पहन लिए थे। मैं और गीता कम कपडों में थी उसका फ़ायदा जो और अमन दोनों ही उठा रहे थे। जो तो पहले से ही मुझ पर मरता था। पर दिखाता ऐसे था कि जैसे सिर्फ़ दोस्त ही हो। वो मेरे शरीर के एक-एक अंग का भरपूर जायज़ा लेता था। मैं भी कपड़े ऐसे ही पहनती थी जिसमें जो मेरे उभार, कटाव और गहराईयों को नाप सके। आज फिर उसे मौका मिल गया। अमन और गीता तो लहरों में खेलने लगे और मेरा पार्टनर जो बन गया। आज हम कुछ ज्यादा ही मस्ती कर रहे थे। एक दूसरे को छेड़ भी रहे थे। कुँवारेपन का मजा बहुत ही रोमांटिक होता है।
लहरें बढ़ने लगी थी… पानी का उछाल भी बढ़ रहा था। आकाश भी बादलों से ढक गया था। सुरक्षा गार्ड ने आगाह कर दिया कि अब बीच छोड़ दो… शाम ढलने लगी थी। हमने वापस लौटने का विचार किया। बादल चढ़ आए थे, किसी भी वक्त पानी बरस सकता था। हम लोग जल्दी से सामने वाले होटल में पहुँचने की कोशिश करने लगे। बूँदा-बाँदी शुरू हो चुकी थी… होटल में पहुँचते ही बरसात तेज़ होने लगी। जो ने कहा कि बरसात बन्द हो तब तक सभी लोग खाना खा लेते हैं। हमें जो का सुझाव पसन्द आया। डिनर करके जो ने बाहर का जायज़ा लिया तो बरसात तेज़ हो रही थी। होटल के मालिक ने जो को चाबी ला कर दे दी और कुछ समझाया।
जो ने कहा,”आज तो यहीं सोना पड़ेगा। रास्ता भी बन्द हो गया है… चलो सभी ऊपर उन्हीं कमरों में चलो…”
मजबूरी थी रुकने की, पर हमें उससे कोई मतलब नहीं था… हम तो आये ही घूमने के लिए थे। अमन और गीता किनारे वाले कमरे में चले गये… मैंने बीच वाला कमरा ले लिया… और जो ने दूसरी तरफ़ वाला कमरा ले लिया पर जो मेरे कमरे में आ गया। उसकी फ़ेवरेट जिंजर वाईन ले कर बैठ गया। दो पेग मैंने भी लिये। लगभग ११ बजे मैंने जो को गुडनाईट कह कर बिस्तर में सो गयी।
अचानक मेरी नींद खुल गयी। कोई मेरे शरीर को सहला रहा था। मुझे अच्छा तो लगा… पर कौन था, ये… शायद जो था। मैंने अंधेरे में देखने की कोशिश की पर एकदम अंधेरा था। मैं ज्योंही हिली सहलाना बन्द हो गया।
मैंने धीरे से आवाज दी,”जो ! जो !”
पर कोई उत्तर नहीं। मैंने साईड-लैम्प जलाया तो वहां कोई नहीं था। शायद मेरा सपना था। मैं फिर से पसर कर सो गयी। मेरी नींद फिर खुल गयी। मेरे चूतड़ों को किसी ने दबाया था। और अब वो चूतड़ों की दरार में हाथ घुसा रहा था।
“हाँ जी… जो ! पकड़ा गये ना…” जैसे ही मैंने लाईट जलाई वहाँ कोई नहीं था। पर जो के कमरे का परदा हिल रहा था। बरसात बन्द हो चुकी थी।
मैं उठ कर दरवाजे तक गई और झाँक कर देखा तो जो तो आराम से सो रहा था… मैने सोचा- साला ! जो ! नाटक कर रहा है…! रुकता तो क्या हो जाता… घूमने का और चुदाई का दोनों का ही मजा ले लेते। मैं वापस आ गयी और सोचा कि इस बार तो पकड़ ही लूँगी। मैंने लाईट बन्द कर दी… पर अब नींद कहाँ… थोड़ी ही देर में किसी ने मेरे बोबे सहलाये… मैंने तुरन्त ही उसके हाथ पकड़ लिये।
“अब तो… जो पकड़े ही गये ना…!”
“श्श्श्श्श्शीऽऽऽऽऽऽऽ चुप रहो… और अपनी आँखें बन्द कर लो… प्लीज़… मुझे शरम आती है !” उसने फ़ुसफ़ुसाते हुए कहा। उसने एक रूमाल मेरे चेहरे पर डाल दिया।
मैंने कहा,”जो… तुम कुछ भी करो ना… मजा तो आएगा… लाईट जला लेते हैं…!”
उसकी ऊँगली मेरे होंठों पर आ गई यानि चुप रहूँ…। उसने हल्के-हल्के मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं। मैं बहुत दिनों से चुदी नहीं थी। इसलिये मुझे बहुत ही उत्तेजनापूर्ण लगने लगा था। उसने मेरा टॉप ऊपर उठा दिया और मेरे चूचुक चूसने लगा। मेरे मुँह से हाय निकल पड़ी। उसने मेरी पैन्ट उतार दी… और मेरी चूत को सहलाने लगा। मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो रहा था। मैंने अपनी दोनो टाँगें फ़ैला दीं। मुझे लगा कि अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गया है। उसके लण्ड का अहसास मुझे चूत पर होने लगा, उसका सुपाड़ा मेरी चूत पर टिक ही गया। मेरी तो बरदाश्त से बाहर हो रहा था। मैने अपनी चूत उछाल दी… नतीजा ये हुआ कि उसका गीला सुपाड़ा मेरी चिकनी और गीली चूत में फ़क्क से घुस गया। मुझे लगा कि उसका लण्ड साधारण लण्डों से मोटा था और शायद लम्बा भी था। बेहद गरम और कठोर लोहे जैसा। मेरी चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ गहराई में बैठ गया। मैं इतना तगड़ा लण्ड पा कर निहाल हो गयी।
“हाय जो…… क्या लन्ड है यार… इतना मोटा… हाय इतना लम्बा… तुने तो आज मुझे मस्त कर दिया…”
उसका लण्ड फिर से बाहर निकला और फिर से सरसराता हुआ अन्दर बैठ गया… मैंने जोश में रुमाल हटाने की कोशिश की पर उसने तुरन्त ही फिर से मेरे मुँह को ढाँक दिया। मेरा शरीर उसके नीचे दबा हुआ था। मेरे शरीर को दबने से पूरी संतुष्टि मिल रही थी। उसका लण्ड अब एक ही स्पीड से अन्दर बाहर चल रहा था। मेरी चूत भी उसके मोटे लण्ड की वजह से टाईट थी… चूत की दीवारों पर घर्षण बड़ा ही मीठी-मीठी गुदगुदी दे रहा था। उसके हाथ मेरी चूचियों को मसक रहे थे… मसल रहे थे… चूचकों को खींच रहे थे।
“हाय जो… मर गयी, राम रे… कितना मज़ा आ रहा है… कैसा घुस रहा है चूत में…”
“श्शशऽऽऽ मत बोलो कुछ भी……” वो फ़ुसफ़ुसाया। उसकी फ़ुसफ़ुसाहट वाली आवाज़ मुझे अनजानी सी लगी… फिर लगा कि जो ने ज्यादा पी ली होगी। उसका लण्ड मेरी चूत में अन्दर-बाहर आता जाता बहुत ही आनन्द दे रहा था। उसके चूतड़ गज़ब की तेज़ी से चल रहे थे… मैं भी उछल-उछल कर बराबर का साथ दे रही थी। सच मानों तो ऐसी चुदाई बहुत दिनों बाद हुई थी। मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी और लण्ड भी मोटा होने से चूत में टाईट चल रहा था। फ़च-फ़च की आवाज़ें भी आ रहीं थीं। मैं आनन्द से सरोबार हो रही थी… लग रहा कि अब गयी…… अब गयी… निहाल हो रही थी…
“आ आऽऽऽ आऽऽऽऽ जोऽऽऽऽ हाय रे… मैं तो गयी ऊह्ह्ह ऊऽऽऽऽऽऽ मर गयी रे… निकला मेरा पानी… जोऽऽऽऽ” मुझे लगा कि अब खुद को झड़ने से रोक पाना मेरे बस में नहीं है…
“हाऽऽऽऽऽय जो मुझे दबा लो… मैं हो गयी हूँ… हाय… निकल गया रे… मुझे दबा लो जो…” अब मैं रुक नहीं पाई… और झड़ने लग गई… उसके धक्के धीरे-धीरे कम होते गये… जिससे मैं आराम से झड़ गयी… झड़ते हुए असीम संतुष्टि मिल रही थी।
“हाय जो… पहले क्यों नही मिले तुम… कितनी शानदार चुदाई करते हो…”
“नेहा… नींद में क्या बोले जा रही हो… सच में चुदने की इच्छा है…?”
मैंने रुमाल चेहरे से हटा लिया। जो वहाँ खड़ा मुस्करा रहा था। कमरे में अंधेरा ही था पर चूँकि जो के कमरे की लाईट जल रही थी इसलिये अच्छी रोशनी आ रही थी।
“अब नहीं… अब तो मैं पूरी तरह से झड़ गयी हूँ…”
“क्याऽऽऽ…… बिना किए ही… क्या सपने में चुदाई की थी।” जो हैरानी से पूछ रहा था।
मैं बिस्तर से उठ बैठी और जो को प्यार से मुक्का मारा…” इतना तो चोदा… और कह रहे हो सपने मे… ये पकडो तुम्हारा रूमाल…”
“ये मेरा नहीं है… पर तुम्हारी बात समझ में नहीं आई…”
“हाय मेरे जो… समझ गयी… चलो हो जाये एक दौर और… तुमने कपड़े कब पहन लिए… जानते हो इन १५ मिनट में तो तुमने मुझे निहाल कर दिया।”
“अरे मैं तो जो जो सुन कर यहाँ आया था… तुम तो यहाँ ऐसे कर रही थी जैसे तुम्हारी चुदाई हो रही हो… यानि जैसे कोई सपना…”
“क्या… यहाँ कोई नहीं था… यानि मेरे साथ… तुम नहीं थे…”
“नहीं तो… तुम मुझे लगा बुला रही हो… मेरी नींद खुल गयी… मैं यहाँ आया तो तुम मेरा नाम ले कर ऐसे कर रही थी कि…”
“बस-बस जो… मैं लपक कर अमन के कमरे में गई… वो दोनों भी बिस्तर पर नंगे गहरी नींद में सो रहे थे…”
क्या मैं सपना देख रही थी… तो फिर वो रूमाल… मैंने चूत में हाथ डाल कर देखा… हल्का सा दर्द अब भी था…
सवेरा हो चुका था… मन में उलझन बढ़ रही थी… जो बार-बार कह रहा था कि उसे एक मौका दे दो… फिर रात को इतनी शानदार चुदाई कौन कर गया।
अगले दिन-
“उस बीच वाले कमरे में कल कौन सोया था…” हम चारों की नज़रें रूम-ब्वॉय की तरफ़ उठ गई…
“क्यों… क्या हुआ…?”
“उन कमरों में कोई नहीं ठहरता है… आप में बहुत हिम्मत है साब…”
“मतलब… तो बताना था ना… हमें बताया क्यों नहीं…”
“वो नये आये हैं… उन्हे नहीं पता हैं… वहाँ पर एक जोड़े को हनीमून मनाते समय लड़के की हत्या कर दी थी… लड़की की तो किसी तरह बच गयी थी… वो हत्यारे उनका सारा सामान लूट कर ले गये थे…”
“तो… उससे क्या…”
लड़का बहादुर था… बराबरी से लड़ा… पर अन्त बुरा हआ… कहते हैं कि उसकी आत्मा अब भी प्यासी है… हनीमून को तरसती है…”
मुझे चक्कर आने लगे… जो सब समझ चुका था… उसने मुझे सँभाल लिया। जो और मैं एक-दूसरे को देखने लगे…
“चलो अब घर चलते हैं… अगला कार्यक्रम तय करते हैं…” मैं अब जो का हाथ ही नहीं छोड़ रही थी डर के मारे…Hindi Sex Stories
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