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Massage Girl in Raipur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Raipur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Raipur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Raipur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Raipur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Raipur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Raipur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Raipur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Raipur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Raipur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Raipur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Raipur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Hindi sex stories

कहानी का पिछला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-2 Hindi sex stories कुछ देर बाद होश आया तो मैंने उनके रसीले होंठों के चुम्बन लेकर उन्हें जगाया.

माँ ने करवट लेकर मुझे अपने ऊपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फुस-फुसा कर बोली- बेटा तुमने और तुम्हारे मोटे, लम्बे लण्ड ने तो कमाल कर दिया!

क्या गजब की ताकत है तुम्हारे मोटे लण्ड मे!

मैंने उत्तर दिया- कमाल तो आपने कर दिया है! आज तक तो मुझे मालूम ही नहीं था कि अपने लण्ड को कैसे काम में लिया जाता है?

यह तो आपकी मेहरबानी है! जो कि आज मेरे लण्ड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.

अब तक मेरा लण्ड उनकी चूत के बाहर झांटो के जंगल मे रगड़ मार रहा था. माँ ने अपनी मुलायम हथेलियों मे मेरा लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरु किया.

माँ खड़े लण्ड देख दुबारा चुदवाई

उनकी उंगली मेरे आण्ड से खेल रही थीं. उनकी नाजुक उंगलियाँ के स्पर्श की पकड़ से मेरा लण्ड भी जाग गया और एक अंगड़ाई लेकर माँ की चूत पर ठोकर मारने लगा.

माँ ने कस कर मेरे लण्ड को कैद कर लिया और बोली- बहुत जान है! तुम्हारे लण्ड में, देखो फिर से साला कैसा फ़ड़क रहा है अब मैं इसको नहीं छोड़ने वाली.

हम दोनों अगल बगल लेटे हुए थें. माँ ने मुझको चित लेटा दिया और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा चढ़ा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगीं.

साथ ही साथ अपनी गाण्ड हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगड़ने लगी.

उनकी चूत पिछली चुदाई से अभी तक गीली थीं और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाये हुए था. अब मुझसे रहा नहीं गया और करवट लेकर माँ की तरफ़ मुँह करके लेट गया.

उनकी चूची को मुंह मे दबा कर चूसते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा.

उन्होंने एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर लिपट गईं, और जोर जोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुदवाने लगीं. अपने हाथ से मेरे लण्ड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रही थीं.

मेरा लण्ड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सख्त हो गया था. अब माँ की बेताबी हद से ज्यादा बढ गई थीं और, खुद ही चित हो कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोलीं- आओ मेरे राजा! दूसरा राउंड हो जाए.

मैंने झट कमर उठा कर धक्का दिया और, मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.

माँ चिल्ला उठी और बोलीं- जियो मेरे राजा! क्या शॉट मारा? अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फ़ाड़ दो मेरी चूत को.

माँ का आदेश पाकर मैं दोगुने जोश मे आ गया और, उनकी चूची को पकड़ कर हुमच हुमच कर माँ की चूत में लण्ड पेलने लगा.

उंगली की चुदाई से उनकी चूत गीली हो गई थीं और, मेरा लण्ड सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था. वो भी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब मेरा पूरा लौड़ा लेकर जोश के साथ दे रही थीं.

माँ ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी चूत मे लण्ड घुसवा रही थीं.

वो मुझे बस इतना उठाती थीं कि बस लण्ड का सुपाड़ा अन्दर रहता और, फिर नीचे से जोर लगा कर घप से लण्ड चूत मे घुसवा लेती थीं.

पूरे कमरे में हमारी साँस और घपा-घप!फचा-फच! की आवाज गूंज रही थीं.

माँ ने चुदाई का नया तरीका बताया

जब हम दोनों की ताल से ताल मिल गईं, तब माँ ने अपने हाथ नीचे लकर मेरे चूतड़ को पकड़ लिया और कस कस कर दबोच कर चुदाई का मज़ा लेने लगीं.

कुछ देर बाद माँ ने कहा- आओ एक नया आसन सिखाती हूँ! और मुझे अपने ऊपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लण्ड पक्क! की आवाज साथ बाहर निकल आया.

मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लण्ड पूरे जोश के साथ सीधा खड़ा था. माँ उठ कर घुटनों और हथेलियों पर मेरे बगल मे बैठ गईं.

मैं लण्ड को हाथ मे पकड़ कर उनकी हरकत देखता रहा.

माँ ने मेरे लण्ड पर से हाथ हटा कर मुझे खींचते हुए कहा- ऐसे पड़े पड़े क्या देख रहे हो?

चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपना लण्ड को घुसाओ!

मैं भी उठ कर उनके पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लण्ड को हाथ से पकड़ कर उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

क्या मस्त गोल गोल गद्देदार गाण्ड थीं?

माँ ने नए तरीके में दमदार चुदाई

माँ ने जाँघ को फैला कर अपने चूतड़ ऊपर को उठा दिए, जिससे कि उनकी रसीली चूत साफ़ नज़र आने लगी.

उनका इशारा समझ कर, मैंने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया.

माँ ने एक सिसकारी भर कर अपनी गाण्ड पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दीं. मैं भी माँ की पीठ से लिपट कर लेट गया, और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनों चुची को पकड़ कर मसलने लगा.

वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतड़ को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगीं.

उनके मुलायम चूतड़ मेरी मस्ती को दोगुना कर रही थी. मेरा लण्ड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था.

कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद माँ बोलीं- चलो रज्जा! अब लण्ड आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नहीं जाता.

मैं उठ कर सीधा हो गया, और माँ के चूतड़ को दोनों हाथों से कस कर पकड़ कर, चूत मे हमला शुरु कर दिया.

जैसा कि माँ ने सिखाया था, मैं पूरा लण्ड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अन्दर कर देता.

शुरु में तो मैंने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ़ गया और धक्को की रफ़्तार भी बढती गई.

धक्का लगाते समय मैं माँ के चूतड़ को कस के अपनी ओर खींच लेता, ताकि शॉट करारा पड़े. माँ भी उसी रफ़्तार से अपने चूतड़ को आगे-पीछे कर रही थीं.

हम दोनों की साँसें तेज हो गई थीं. माँ की मस्ती पूरे परवान पर थी. नंगे जिस्म जब आपस में टकराते तो घप-घप की आवाज आती.

काफ़ी देर तक मैं उन्हीं की कमर पकड़ कर धक्का लगाता रहा. जब हालात बेकाबू होने लगा, तब माँ को फिर से चित लेटा कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा.

हम दोनों ही पसीने से लथपथ हो गए थे पर, कोई भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.

तभी माँ ने मुझे कस कर जकड़ लिया और अपनी टांगे मेरे चूतड़ पर रख दिया और कस कर जोर जोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झड़ गईं.

उनके झड़ने के बाद मैं भी माँ की चूची को मसलते हुए झड़ गया और हाँफ़ते हुए उनके ऊपर लेट गया.

हम दोनों की साँसें जोर जोर से चल रही थीं और हम दोनों काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर पड़े रहे.

कुछ देर बाद माँ बोलीं- क्यों बेटा, कैसी लगी हमारी चूत की चुदाई?

मैं बोला- हाय मेरा मन करता है कि, जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत में लण्ड डाले पड़ा रहूँ.

माँ को दूसरी बार चुदने को बोला

माँ बोलीं- जब तक तुम यहाँ हो, यह चूत तुम्हारी है! जैसे मर्जी हो, मज़े लो! अब थोड़ी देर आराम करते हैं.

नहीं माँ, कम से कम एक बार और हो जाए!

देखो! मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है.

माँ ने मेरे लण्ड को पकड़ कर कहा- यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुशबू जो मिल गई है.

पर देखो, रात के तीन बज गए है! अगर सुबह समय से नहीं उठे तो तुम्हारी बुआ जी को शक जाएगा.

अभी तो सारा दीनू सामने है, और आगे के इतने दीनू हमारे पास है. जी भर कर मस्ती लेना!

मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाऊँगी! माँ का कहना मान कर, मैंने भी जिद्द छोड़ दी और माँ भी करवट ले कर लेट गईं और मुझे अपने से सटा लिया.

मैंने भी उनकी गाण्ड की दरार में लण्ड फंसा कर चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और माँ के कंधे को चूमता हुआ लेट गया.

नींद कब आई? इसका पता ही नहीं चला.

सुबह जब अलार्म बजा तो, मैंने समय देखा, सुबह के सात बज रही थी!

माँ ने मुझे मुस्कुरा कर देखा, और एक गर्मा-गर्म चुम्बन मेरे होंठों पर जड़ दिया.

मैंने भी माँ को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार का जवाब दिया. फिर, माँ उठ कर अपने रोज के काम काज में लग गईं. वो बहुत खुश थीं!

मैं उठ कर नहा, धोकर फ़्रेश होकर आँगन में बैठ कर नाशता करने लगा.

तभी बुआ जी आ गईं और बोलीं, बेटा खेत चलोगे?

मैंने कहा- क्यों नहीं! और रात वाला उनका ककड़ी से चोदने का सीन मेरे आँखों के सामने नाचने लगा.

इतने में सुमन (दोस्त की बहन) बोलीं, मैं भी तुम्हारे साथ खेत मैं चलूँगी और हम तीनों खेत की ओर चल पड़े.

रास्ते में जब हम एक खेत के पास से गुजर रहे थें, तो देखा की उस खेत में ककड़ियाँ उगी हुई थी.

मैंने ककड़ियों को दिखाते हुए बुआ जी से कहा, बुआ जी देखो! इस खेत वाले ने तो ककड़ियाँ उगाई है. ककड़ियों में काफ़ी गुण होते हैं.

बुआ जी लम्बी साँस भरती हुई बोलीं, हाँ बेटा ककड़ियों से काफ़ी फ़ायदा होता है और कई कामों में इसका उपयोग किया जाता है. जैसे सलाद में, सब्जियों में, कच्ची ककड़ी खाने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है!

मैं बोला- हाँ! बुआ जी इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है. इस तरह की बातें करते करते हम लोग अपने खेत में पहुँच गए.

ख्यालों में सुमन की मदमस्त चुदाई

वहाँ जाकर, मैं मकान में गया और लुंगी और बनियान पहन कर वापस बुआ जी के पास आ गया. बुआ जी खेत में काम कर रही थीं और सुमन (दोस्त की बहन) उनके काम में मदद कर रही थीं.

मैंने देखा! बुआ जी ने साड़ी घुटनों के ऊपर कर रखी थीं और सुमन स्कर्ट और ब्लाऊज़ पहने हुए थीं. मैं भी लुंगी ऊँची करके (मद्रासी स्टाईल में) उनके साथ काम में मदद करने लगा.

जब सुमन झुककर काम करती तो मुझे उसकी चड्डी दिखाई देती थी!

हम लोग करीब 1 या 1:30 घण्टे काम करते रहे.

फिर मैं बुआ जी से कहा, बुआ जी मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ!

तो बुआ बोलीं, ठीक है! और मैं खेत के मकान में आकर आराम करने लगा.

कुछ देर बाद कमरे में सुमन आई और कहने लगी, दीनू भैया आप वहाँ बैठ जाए क्योंकि, कमरे में झाड़ू मारनी है और मैं कमरे के एक कोने में बैठ गया. वो कमरे में झाड़ू मारने लगी.

झाड़ू मारते समय जब सुमन झुकी तो, मुझे उसकी चड्डी दिखाई देने लगी और मैं उसकी चुदाई के ख्यालों में खो गया.

थोड़ी देर बाद फिर वो बोली- भैया, जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है.
मैं चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आ गया! देखा सुमन कमर पर हाथ रखी मेरे पास खड़ी है.

मैं खड़ा हो गया और वो फिर झुक कर झाड़ू लगाने लगी. मुझे फिर उसकी चड्डी दिखाई देने लगी. आज से पहले मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया था.. पर आज की बात ही कुछ और थी.

रात माँ से चुदाई की ट्रैनिंग लेकर, एक ही रात में मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़रिए से देखना चाहता था.

सुमन की चूचियों के दर्शन

जब वो झाड़ू लगा रही थी तो मैं उसके सामने आकर खड़ा हो गया. अब मुझे उसके ब्लाऊज़ से उसकी चूची साफ़ दिखाई दे रही थी. मेरा लण्ड फन-फना गया.

रात वाली! माँ जैसी चूची मेरे दिमाग के सामने घूमने लगी कि, तभी सुमन की नज़र मुझ पर पड़ी. मुझे एकटक घूरता देख पकड़ लिया.

उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना ब्लाऊज़ ठीक कर, अपनी चूचियों को ब्लाऊज़ के अन्दर छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ़ पीठ कर के झाड़ू लगा रही थी.

उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे. मैं मन ही मन सोचने लगा कि, इसकी गाण्ड में लण्ड घुसा कर चूची को मसलते हुए चोदने में कितना मज़ा आएगा!

बेख्याली में मेरा हाथ मेरे तन्नाए हुए लण्ड पर पहुँच गया और, मैं लुंगी के ऊपर से ही सुपाड़े को मसलने लगा.

तभी सुमन अपना काम पूरा कर के पलटी और, मेरी हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गई.

थोड़ी देर बाद बुआ जी और सुमन हाथ पैर धोकर आए और मुझे कहा कि, चलो दीनू बेटे खाना खालो. अब हम तीनों खाना खाने बैठ गए.

बुआ जी मेरे सामने बैठी थीं और सुमन मेरे बाईं साईड की ओर बैठी थी. सुमन पालथी मारके बैठी थी और बुआ जी पैर पसारे बैठी थीं.

खाना खाते समय मैंने कहा, बुआ जी आज खाना तो जायकेदार बना है.

बुआ जी ने कहा, मैंने तुम्हारे लिए खास बनाया है. तुम यहाँ जितने दीनू रहोगे गाँव का खाना खा खा कर और मोटे हो जाओगे!

मैं हँस पड़ा और कहा, अगर ज्यादा मोटा हो जाऊँगा तो मुश्किल हो जाएगी. बुआ जी और सुमन हँस पड़ीं!

थोड़ी देर बाद बुआ जी ने कहा, सुमन तुम खाना खा कर खेत में खाद डाल आना. मैं थोड़ा आराम करूँगी. हम सबने खाना खाया.

सुमन बरतन धोकर खेत में खाद डालने लगी. मैं और बुआ जी चटाई बिछा कर आराम करने लगे. मुझे नींद नहीं आ रही थी.

आज मैं बुआ जी या सुमन को चोदने का विचार बना रहा था. विचार करते करते कब नींद आ गई! पता ही नहीं चला.

कहानी जारी रहेगी.

कहानी का अगला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-4

Hindi sex stories

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हाय मेरा नाम विक्की है, मैं 26 साल Hindi Porn Stories का हूँ और मैं दिल्ली में रहता हूँ।
मैंने इस साईट की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं। मैं भी अपना एक अनुभव आपसे बताना चाहता हूँ।

यह बात आज से लगभग दो-ढाई साल पहले की है, हमारे घर में एक किरायेदार रहने आए। उनमें तीन लोग ही थे पति पत्नी और उनका छोटा भाई। मैं उनको भाई भाभी बोलता था। दोनों भाई ऑटो चलाते थे, दिन में बड़ा भाई और रात को छोटा भाई ऑटो चलाते थे।

एक रविवार, मेरी ऑफिस की छुट्टी थी तो मैं अपने दोस्तों से मिलने निकल गया। शाम को जब में घर आया तो देखा कि एक लड़की मेरे घर के आँगन में मेरी मम्मी और बहन के साथ बैठ कर बात कर रही है।
मैंने सोचा कि बहन की कोई फ्रेंड होगी तो मैं सीधा बाथरूम में जाकर अपने हाथ मुँह धोकर आया। मैंने महसूस किया कि वो लड़की मुझे घूर घूर कर देख रही थी। मैं मम्मी की वजह से उसको नहीं देख रहा था। फ़िर वो उठ कर चली गई तो मैंने मम्मी से पूछा कि यह लड़की कौन है?

मम्मी ने बताया कि यह उन भइया की बहन संजू है।

यारों क्या मस्त माल थी वो ! लम्बाई 5.4′ भरा भरा बदन सांवला रंग एक दम ब्लैक ब्यूटी थी वो ! 2-3 दिन ऐसे ही निकल गए मैं कही भी जाता थो वोह मुझे घूर घूर कर देखती। उसकी आँखों में मुझे वासना दिखाई दी।

ऐसे ही एक हफ्ता निकल गया और फ़िर से रविवार आ गया। उस दिन मेरी बहन कुछ चादर पर कुछ फूल पत्ती बना रही थी। मम्मी भी उसका साथ दे रही थी और वो लड़की संजू, वो चारपाई पर बैठी थी और मेरी बहन नीचे जमीन पर, मम्मी भी उसके साथ चारपाई पर ही बैठी थी।

मैं बाहर से घूम कर आया तो देखा कि सब बैठे हैं, मैं भी बैठ गया कुर्सी पर और मैंने अपने पांव चारपाई पर फैला दिए। तो चादर मेरे पांव के नीचे दब गई। मेरी बहन गुस्सा हो कर बोली कि चादर पांव के ऊपर कर ले नहीं तो गन्दी हो जायेगी।

मैंने ऐसा ही किया तो मेरा पाँव अचानक संजू के हाथ पर लगा। मैंने अपना पांव हटा लिया तो वो मेरी तरफ़ देखने लगी जैसे कह रही हो कि क्योँ हटा लिया। मैं मुस्करा दिया और दूसरी तरफ़ देखने लगा कि कहीं किसी का ध्यान मेरी तरफ़ तो नहीं, पर किसी ने नहीं देखा।

मुझे मजा आने लगा, मै धीरे से उसके कमर की साइड में अपनी पांव से सहलाने लगा। चादर पांव के ऊपर होने से किसी को कुछ पता नहीं चला और उसने भी कुछ नहीं कहा। मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं पांव की उँगलियों से उसकी बाजू पर और पेट पर चिकोटी काटने लगा उसने कुछ नहीं कहा।

तभी मेरे पापा आ गए और सब लोग उठ गए। फ़िर तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं जब उसको अकेले देखता तो कभी उसकी चूची दबा देता कभी उसकी गांड में ऊँगली करता और वोह कुछ नहीं कहती।

एक दिन मैं घर पर ही था और वो भी अकेली थी। मेरी मम्मी मार्केट गई थी। मुझे मौका मिल गया। मैं उसके कमरे में गया और उसको पकड़ लिया और जल्दी से उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी। वो कुछ नहीं बोली। फ़िर मैंने उसको किस करना चालू कर दिया। वो भी साथ देने लगी, मुझे मजा आने लगा। मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा था, मैं तो पागल ही हो गया।

उसकी कठोर चूचियों को देख कर मैंने उनको खूब चूसा और दबाया।

वो बोली- जल्दी करो अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता।

मैं उसकी चूत में ऊँगली डालकर चोदने लगा। उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, उसको बहुत मजा आ रहा था। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी और मजा ले रही थी अपनी कमर को उठा उठा कर। तभी जोर से चिल्लाई और झड़ गई। मैंने उसका सारा रस चाट कर साफ़ किया और फ़िर अपना 6′ लंबा और 3.5′ मोटा लंड उसकी चूत में डालने लगा तो वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा। फ़िर उसको मजा आने लगा और वो अपनी कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी।

मैं समझ गया कि अब उसको मजा आने लगा है। मैंने अपनी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उसको तेज तेज चोदने लगा। 10 मिनट बाद वो मुझसे लिपट गई और मुझे नोचने लगी। मैं समझ गया कि इसका पानी निकलने वाला है। मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी और 5 मिनट बाद ही हम दोनों ने अपना रस छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया, उसकी आंखे बंद थी, उसके चहरे से पता लग रहा था कि वो पूरी तरह संतुष्ट हो चुकी है।

तभी डोरबेल बज उठी। मैं जल्दी से उठा और अपना लोअर पहन कर दरवाजा खोला, तो मम्मी थी। उस दिन तो बच गए। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चली गई। फ़िर उसके बाद उसके भाई ने भी घर खाली कर दिया और मेरा उसके साथ कोई लिंक नहीं रहा।

तो दोस्तो, यह था मेरा पहला सेक्स अनुभव. मैं आजकल अकेला हूँ, Hindi Porn Stories

Hindi Sex Stories

 अधिकांश में पाठकों ने मुझे Hindi Sex Stories लड़की मानकर चोदने की इच्छा तक जाहिर कर दी। यहाँ मैं यह बता दूँ कि “मैं लड़की नहीं हूँ !” और मैंने वे कहानियाँ सीमा की तरफ़ से उसी के शब्दों में पेश की थी। आज मैं उसी कहानी को आगे बढ़ा रहा हूँ।

गुरू के घर पे उस दिन सीमा की जो कमर-तोड़ चुदाई हुई, उससे उसका रोम-रोम दर्द करने लगा। दूसरे राउंड में जब उन्होंने अपने लौड़े उसके मुँह में खाली किये तो वह निढाल हो चुकी थी और काफ़ी देर तक तो वह उठ ही नहीं पाई, ऐसे ही नंगी पड़ी रही। उनका वीर्य उसके मुँह से नीचे टपक रहा था और उसकी चूत भी रिस रही थी।
उन्होंने उसे उठाया और बाथरूम में ले जाकर कुल्ला कराया और अपने लौड़े भी धोकर उसे अपने बीच में लिटा लिया। फ़िर कुछ देर अच्छी तरह से सहलाया तो वह कुछ होश में आई। तीन बजे के करीब उसे घर छोड़ गये। जब वह घर पहुँची तो लड़खड़ा रही थी। उसने जैसे तैसे कपड़े बदले और नाइटी में अपने बिस्तर पे जा पड़ी। मैं भी पहुँच गया।

क्या हुआ … ?

राजन और रमेश ने मुझे पूरी तरह से खोल कर बता तो दिया ही था और मुझसे कुछ भी छुपा नहीं था।

कुछ नहीं … बहुत थक गई हूँ … उसने आँखें बन्द कर लीं। मैं उसके सर पर हाथ फ़ेरने लगा।

ज्यादा हो गया क्या …

हाँ यार ! गुरुबचन और अकील अंकल ने दो-दो बार चोदा … …

तू इतनी कमजोर हो गई क्या … राजन व रमेश ने भी तो एक साथ ही चोदा था … … मैंने सर दबाते हुए कहा।

अरे वे तो इनके सामने बच्चे हैं … ये दोनों तो … हे भगवान! मार ही डाला …

इस उमर में भी … …

यार पैरों में दर्द हो रहा है … मालिश कर देगा क्या …

हाँ अभी लाया … और जब मैं तेल लेकर आया तो … उसने नाइटी ऊपर कर ली। वह पैंटी भी नहीं पहने थी। अभी अभी चुदी हुई चिकनी चूत मेरे सामने थी। मैं पूरे पैरों पर मालिश करने लगा। थोड़ी देर बाद वह बोली- तेल का हाथ जरा चूत पर भी फ़ेर दे … बेचारी बहुत पिटी है आज …

मैंने चूत पर भी थोड़ा तेल लगा दिया …

उल्टी लेट जाओ तो पीछे भी लगा दूँ !

तो एक मिनट रुक … उसने नाईटी उतार दी और औंधी लेट गई। मैंने भी पजामा उतार दिया ताकि चिकना न हो जाये।

वाह ! क्या बदन है … मेरा लंड कच्छे से बाहर आने लगा। टांगो पर तो पहले लगा ही चुका था सो मैं उसकी जांघों पर, गांड के पास दोनों ओर पैर करके, बैठ गया और फ़िर दोनों हाथों से उसकी गर्दन से चूतड़ों तक मालिश करने लगा। उसे कुछ आराम मिला।

मालिश करते हुए मैंने कहा- दीदी कई दिनों से एक बात मेरे मन में आ रही है?

क्या?

डरता हूँ कि तू नाराज न हो जाये …

बोल ना … तुझसे क्या छिपा है मेरा …

इतना सैक्सी बदन है तेरा … तो इसे क्यों ऐसे ही लुटा रही है …

क्या करूँ … सिंह अंकल ने ऐसी आग लगाई कि अब रहा नहीं जाता। वरना सोच पापा के दोस्तों से … वो भी एक बार में पटती क्या …

मालिश करते समय जब में झुकता तो मेरा लंड उसकी गांड की दरार से रगड़ खा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था …

पर तू कुछ और कहना चाह रहा है …

हाँ और तू चाहे तो …

उसने चेहरा उठाया और मुस्कराकर बोली- अपना अन्डरवियर भी उतार ले … ।

मैं शरमा गया फ़िर बोला- दरअसल दीदी !!

बोल ना यार शरमा मत … तू भी चोदना चाहता है मुझे …

नहीं वो बात नहीं है … पर डर लगता है कि तू नाराज न हो जाये …

नहीं आराम से कह …

मैंने कुछ सोचा फ़िर बोला- राजन भैया की एक मौसी है, जिसका अपना पेईंग-गैस्ट हाऊस है।

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राजन की दीदी भी जाती है। दीदी ने मुझे उठाया और सीधी हो गई और मेरी ओर देखने लगी।

उसकी मौसी को लड़कियों की जरूरत पड़ती है …

अपनी बहन को रंडी बनाना चाहता है ?

नहीं मेरा वो मतलब नहीं है पर …

साफ़ साफ़ बोल ना यार … … उसने मुझे खींचकर अपने बगल में लिटा लिया तो मैं उसके हाथ पर सर रखकर लेट गया और बोला- इतना सुन्दर और सैक्सी बदन है तेरा तो इसे ऐसे ही क्यों लुटा रही है …

इसमें रिस्क बहुत होता है … वह मेरी ओर घूमी और गाल पर चूमते हुए बोली।

राजन की दीदी तो कई साल से कर रही है … राजन कह रहा था कि उसकी मौसी बिलकुल सेफ़ गेम रखती है …

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वो सिर्फ़ चुनिन्दा लोगों से ही सम्पर्क रखती है जिसमें शहर के कुछ बड़े लोग और विदेशी मेहमान होते हैं। मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर कहा।

आइडिया बुरा तो नहीं है … ये लोग भी कौन सा मेरा लिहाज करते हैं … साले रन्डी की तरह ही तो चोदते हैं …

चोदेंगे तो वे भी रन्डी की तरह ही …

चल सोचूंगी … और फ़िर उसने अपना एक हाथ मेरी कच्छी के उपर रखा और लंड पकड़ लिया।

यह बड़ी देर से खड़ा है …

इतनी सुन्दर लड़की को नंगी देखकर भी खड़ा नहीं होगा क्या …

तो खाली कर ले ना … और उसने मेरा अन्डरवियर खिसका दिया और लण्ड को बाहर निकाल लिया …

छोड़ ना तू बहुत थकी हुई है … वैसे भी अभी तेरे लायक हुआ भी नहीं है …

कोई बात नहीं … ला मुँह से खाली कर देती हूँ … मैं रोमांचित हो गया … घुटनों के बल बैठ गया। उसने दो तकिये लगाये तो उसका मुँह लंड तक आ गया। मैंने उसकी एक चूची पकड़ी तो उसने मुँह खोल दिया। मैंने लंड मुँह में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा। उसने भी मुँह चलाना शुरू कर दिया।

आह्ह्ह दीदी … बहुत मजा आ रहा है … वो जोर जोर से लपालप चूसने लगी। मैं काफ़ी देर से भरा तो था ही सो 10 मिनट में ही झड़ गया।

मजा आया?

हाँ … बहुत …

चल हट अब कुल्ला करके आऊँ … फ़िर हम ऐसे ही साथ ही सो गये। Hindi Sex Stories

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मेरा नाम राज Hindi Porn Stories घई है, मैं लुधियाना में रहता हूँ। आज मैं आप लोगो को अपना एक व्यक्तिगत अनुभव बताने जा रहा हूँ जो पिछले साल जुलाई के महीने में मेरे साथ हुआ। मैंने तब तक सेक्स नहीं किया था पर इस बार एकदम से किस्मत मेरे ऊपर मेहरबान होगी मैंने कभी सोचा भी नहीं था। किस्मत जब मेहरबान होती है तो बस क्या कहने ! अभी तक मैंने तीन बार अलग अलग लड़कियों के साथ सेक्स किया है। सोचिये तब तक मैंने एक बार भी सेक्स नहीं किया था और अब तक तीन लड़कियों को संतुष्ट कर चुका हूँ। मैं आप लोगों को ज्यादा बोर नहीं करता हूँ।

मैंने पहली बार जिस लड़की से सेक्स किया उसका नाम शीना (बदला हुआ नाम) लुधियाना में ही रहती थी।

मैं कॉलेज़ का विद्यार्थी हूँ और मेरे कॉलेज में नया बैच आया था। उन्हीं में एक लड़की थी शीना ! दिखने में अच्छी थी पर कभी मैंने उसके बार में गलत नहीं सोचा था क्यूँकि एक तो मैं सीनियर और दूसरा उस लड़की की आवाज़ इतनी मधुर है कि कोई भी उससे बात करके ही खुश हो जाये। वो मेरे से काफी घुल मिल गई थी, धीरे-धीरे एक दूसरे के घर भी आना-जाना चालू हो गया। वो मेरे घर के पास में ही रहती थी।

परीक्षा का समय करीब आने लगा था। एक दिन उसने मुझे कॉल किया और बोली- सर, मुझे एक विषय में दिक्कत आ रही है, कल मेरा प्रैक्टिकल है, मुझे पढ़ा दीजिये !

मैंने कहा- इतनी रात में?वो बोली- सर, प्लीज़ !

मैं अपने घर वालों से आज्ञा लेकर उसके घर चला गया। उस दिन मैंने उसे पहली बार नाइटी में देखा था वो भी गुलाबी रंग की ! क्या गज़ब लग रही थी !

जुलाई के महीने में काफ़ी गर्मी हो जाती है, मुझे भी गर्मी लग रही थी तो मैंने उससे बोला और उसने एसी चला दिया। मैं उसके बैठ गया, पढ़ाते-पढ़ाते मुझे नींद की झपकी आने लगी और मैं सो गया। जब उसने मुझे देखा तो मुझे आवाज़ दी पर मैं जागा ही नहीं। तब उसने मुझे हिलाया। उस दिन पहली बार मुझे उसने मुझे छुआ था, क्या नाज़ुक स्पर्श था उसका !

खैर मैं उठा और अपना चेहरा धोया ताकि नींद न आए। मैं आकर उसे दोबारा पढ़ाने लगा और उसका सब काम ख़त्म करवाकर अपने घर वापिस आकर सो गया। उस दिन से वो मेरे सपनों में आने लगी। मुझे लगा यह सब गलत है तो मैंने उससे बात करना बंद कर दिया लेकिन उसे अच्छा नहीं लगा कि मैं उसे नज़रंदाज़ करूँ ! क्यूंकि जब भी वो मेरे सामने आती थी, मैं उस जगह से ही हट जाता था।

लेकिन एक दिन वो मेरे घर ही आ गई, मेरी मम्मी से पूछा कि मैं कहाँ हूँ तो मम्मी ने बोला- अपने कमरे में !

वो अंदर आ गई और मैं एकदम से उसे यहाँ देखकर फंस गया, मैंने सोचा- बेटा अब कहां जाओगे !

उसने मुझसे पूछा- क्या बात है आप मुझे नज़रंअदाज़ क्यूँ कर रहे हो?

तो मैंने उससे बोला- मैं नज़रंदाज़ नहीं कर रहा हूँ ! बस थोड़ा व्यस्त था !

तो बोलने लगी- नज़रअंदाज़ करने में और व्यस्त होने में बहुत फर्क है ! मैं सब समझती हूँ, आप मुझसे बात ही नहीं करना चाहते हो !

और रोने सा चेहरा बना लिया !

अब दोस्तो, मैं भी तो इन्सान ही हूँ न ! क्या करता ! फिसल गया !

मैं उससे बोला- चलो ! कहीं घूम कर आते हैं !

और हम घूमने के लिए निकल गए। तब उसने मुझसे दोबारा से पूछा- आप मुझे से बात क्यूँ नहीं कर रहे थे?

मैं फिर से टालने की कोशिश करने लगा, वो मुझसे जिद्द करने लगी- सही सही बताओ कि क्या बात है?

तब मैंने उसे बता दिया कि ऐसी-ऐसी बात है ! इसलिए मैं तुम्हें नज़रंअदाज़ कर रहा था !

तो वो शरमा गई और मुझसे बोलने लगी- आप मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो !

खैर कुछ दिन बीत गए, एक दिन दोपहर में उसका कॉल आया- आप क्या कर रहे हो?

मैं बोला- कुछ नहीं ! मूवी देख रहा हूँ !

वो बोली- मैं घर पर अकेली हूँ और बोर हो रही हूँ ! आप आ जाओ, यहीं बैठ कर देखते हैं ना मूवी !

तो मैंने बोला- ठीक है !

और मैं डीवीडी लेकर उसके घर चला गया। डीवीडी प्लेयर मैं डीवीडी लगा कर हम दोनों मूवी देखने लगे। मूवी में ऐक्टर इमरान हाश्मी था तो उसका एक सीन आ गया और वो इतना जबरदस्त सीन था कि मेरी तो हालत ही ख़राब हो गई। मैंने शीना की तरफ देखा तो उसकी भी हालत ख़राब हो चुकी थी।

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?

तो उसने मुझसे बोला- राज, आई लव यू !

मैं उससे ऐसी बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया। मेरा तो उस पर उसी दिन दिल आ गया था। खैर मैंने उसको गले लगा लिया और उसे चूमने लगा इमरान हाश्मी स्टाइल में !

और पता नहीं क्या हुआ कि मेरे हाथ अपना आप उसके वक्ष पर पहुँच गए, उसके नरम स्तनों का अनुभव क्या गज़ब था कि बयान नहीं कर सकता !

दोस्तो, एक बात बता दूँ- सेक्स ऐसी चीज़ है जिसे आप जिसे आराम से करोगे उतना ही ज्यादा मज़ा आएगा। मतलब हर एक शॉट की गर्मी का अनुभव करो। कभी भी आपने शादीशुदा लोगों को फटाफट सेक्स करते नहीं देखा होगा और ना ही कभी सुना होगा। वास्तव में जब तक एक दूसरे की भावना को नहीं समझते, मज़ा नहीं आता ! ये तेज़-तेज़ शॉट्स साला सब ब्लू फिल्मों से देख-देख कर लोग करने लगते हैं, इसमें कोई सेक्स का मज़ा नहीं आता है। दोस्तो, बल्कि आप जल्दी थक भी जाते हो सेक्स का मज़ा ही आराम से एकदम चाय की चुस्की के जैसे जितने आराम से करोगे उतना ज्यादा मज़ा बढ़ता है।

खैर जब मैंने उसके स्तन दबाये तो उसे इतने मज़ा आने लगा कि उसने मुझे जोर से अपने बाँहों में जकड़ लिया और हम एक दूसरे को चूमते हुए ही बेड पर लेट गए और काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे। अब अचानक मेरा सेल बजा और मेरा ध्यान टूटा, और किसी जरुरी काम की वजह से जाना पड़ गया।

मैं वहाँ से चला आया।

कहते हैं ना जो होता है अच्छे के लिए होता है !

मेरा काम हो जाने के बाद मैंने उसे काल करके पूछा- क्या कर रही हो?

तो उसने मुझे बोला- आज रात को मम्मी-पापा कोई नहीं है, आप आ जाओ ! यहाँ आओ प्लीज़ !

मैंने बोला- ठीक है !

मैंने अपने घर जाकर खाना खाया और अपनी किताबें और एक कंडोम का पैकेट लेकर उसके घर चल दिया। जब उसके घर पहुंचा तो वो खाना बना रही थी। वो मुझसे खाना खाने का बोलने लगी।

मैंने बोला- नहीं, मैं खाकर आया हूँ !

तो बोलने लगी- नहीं थोड़ा तो खाना पड़ेगा ! मैं आपके लिए बना रही हूँ !

फिर उसके इतना कहने पर मैंने बोला- ठीक है, थोड़ा खा लूँगा !

जब खाना बन गया तो उसने बोला- मैं नहा कर आती हूँ !

तो मैंने सोचा- चलो, मैं भी साथ मैं ही नहा लेता हूँ !

और उसके साथ बाथरूम में चला गया और पहले तो कपड़े उतारे फिर शॉवर चालू किया। हम दोनों ने साथ में शॉवर लिया। नहाने के बाद मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर ले जाकर लेटा दिया। उसका पूरा शरीर तौलिए से पौंछ दिया। फिर रसोई में जाकर फ़्रिज से एक बर्फ़ का टुकड़ा ले आया और उसके टॉप पर बर्फ फेरने लगा और उसका पानी चूसने लगा और धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा- स्तन, फिर नाभि ! सबसे ज्यादा मज़ा यहीं आता है दोस्तो ! नाभि में पानी भर के पिया। जब नीचे उतरा तो उसकी चूत की गर्मी से बर्फ १० सेकंड में ही पानी हो गई। मैं उसकी चूत को चाटने लगा। क्या टेस्ट था दोस्तो ! आप सोच भी नहीं सकते हो ! उस समय निकलने वाली आवाजें इतना मज़ा देती हैं कि पूछो मत ! जोश चार गुना बढ़ जाता है। सेक्स ऐसी चीज़ है जिसे आप जब तक खुद सही ढंग से करोगे नहीं तो मज़ा नहीं आएगा।

मैंने उसे इतना ज्यादा चाट चाट कर बेहाल कर दिया था कि वो बस आऽऽआ अह करती रह गई, लेटे-लेटे आहें ही भरती रही और मेरे सर के बालों को नोचने लगी। कुछ ही देर में वो स्खलित हो गई। मैंने उसके पूरे रतिरस को चूस लिया और उसके बगल से जाकर लेट गया।

फिर वो उठी, मेरे लंड को हाथ में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी और उसके बाद उसे लॉलीपोप के जैसे चूसने लगी। धीरे धीरे लंड महाराज अपनी असली औकात में आ गए और फनफनाने लगे खड़े होकर !

वो एकदम से डर गई- ये क्या हो गया ?

मैंने उसे प्यार से समझाया कि कुछ नहीं, यही तो मज़ा है इसका असली ! पगली ! और उसे चूसने के लिए कहता रहा। जब बहुत देर हो गई तो मैंने उसको बगल से लिटाया और उसके पैरों को अपने कंधे पर रखने के बाद अपने लंड पर एक कंडोम चढ़ाया। फिर उसकी चूत पर थोड़ी देर तक धीरे धीरे ऊपर ही रगड़ता रहा तो वो कराहने लगी- आह्ह्ह प्ल्ज्ज्ज़ अब डाल दो ! रहा नहीं जाता है मुझसे ! मैंने कहा- सब्र करो जानू ! सब्र का फल मीठा होता है !

और एकदम से एक तगड़ा शॉट लगा दिया। वो इसके लिए अभी तैयार नहीं थी और एकदम से दर्द के मारे बहुत जोर से चीख पड़ी- आआह्छ !

मैंने जल्दी से उसके होटों को अपने होठों से दबा लिया और थोड़ी देर आराम से पड़ा रहा। थोड़ी देर के बाद उसने जब सांस ली तो मैंने एक और तगड़ा झटका लगा दिया और उसकी चीख निकल गई- आआआअह्ह्ह्ह माआआआ !

उसकी हालत ऐसी हो गई थी कि उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे।

मैंने कहा- यदि कोई तकलीफ़ है तो रहने दो !

तो बोली- नहीं, आराम से करो बस !

मैंने धीरे-धीरे करके अपना ७″ का लंड पूरा अंदर कर दिया और हर एक शॉट के मज़े लेने लग गया- अ आया !

उससे पूछा- क्यूँ तुम्हें भी मज़ा आ रहा है ना?

तो बोली- जान ! हाँ ऐसा मज़ा कभी नहीं आया आआअह्ह्ह्ह्ह ! ऐसा सुख किसी चीज़ में नहीं है, जानू, तुम बहुत ही बढ़िया कर रहे हो !

और धीरे धीरे करके मैंने स्पीड बढ़ा दी और करीब 15 मिनट के बाद मैं स्खलित हो गया। इतनी देर में वो भी दो बार डिस्चार्ज हो चुकी थी। फिर मैं उसे अपनी बाँहों में जकड़ कर बगल में लेट गया और थोड़ी खामोशी का मज़ा लेने लग गया। फिर मैंने उसे जोर से चूम लिया गालों पर ! उसने भी लेटे-लेटे मेरी छाती के बालों में ऊँगली घुमाना चालू कर दी।

दोस्तो, ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं जन्नत में घूम रहा हूँ।

जब हम बिस्तर से उठे तो बिस्तर पर खून के लाल-लाल निशान बन गए थे। वो देख कर डर गई।

उसके बाद हम एक साथ नहाये, खाना खाया और फिर लेट गए। उस रात मैंने उसे 3-4 बार चोदा। सुबह जब मैं जाने लगा तो उसने मुझे किस दिया और बोलने लगी- आगे जब भी मौका मिलेगा हम यह करेंगे !

अब मेरी पढ़ाई ख़त्म हो चुकी है, मैंने उसके साथ कई बार सेक्स किया और किस्मत कि उसके बाद मुझे दो और लड़कियों से सेक्स करने का मौका मिला, कभी किसी और दिन सुनाऊंगा उनकी बातें।

दोस्तों कैसी लगी यह कहानी? जरूर बताना ! Hindi Porn Stories

Antarvasna Sex Stories

दोस्तों ! सबसे पहले मैं Antarvasna Sex Stories आप सभी का धन्यवाद करना चाहूँगा कि आपने मेरी पिछली कहानी “इब तो बाड़ दे” का पहला भाग बहुत पसंद किया । मैंने उस कहानी में आपको बताया था कि कैसे मैंने अपने साथ ट्यूशन पढ़ने वाली मोना को चोदा था। उसकी चुदाई करने के बाद जब हम घर से बाहर निकले थे तो हमें ट्यूशन पढ़ाने वाली मास्टरनी अनीता सांगवान सामने से आती मिली थी। जिस तरह से वो हमें घूर रही थी मुझे लगा उसे पूरा शक हो गया है कि हमने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया है।

मैंने मोना को मज़ाक में कह तो दिया था कि साली मास्टरनी को भी पटक कर रगड़ दूंगा पर वास्तव में मैं अन्दर से बहुत डरा हुआ था। सच पूछो तो मेरी गांड तो इस डर से फटी जा रही थी कि अगर मास्टरनी ने वो गीली चद्दर देख ली तो मैं तो मारा ही जाऊँगा। अब तो बस गोपी किशन का ही सहारा बचा था। अगले 2 दिन मैं ट्यूशन पर ही नहीं गया।

तीसरे दिन जब मैं शाम को उसके घर गया तो मास्टरनी ड्राइंग रूम में ही बैठी जैसे हमारा इंतज़ार कर रही थी। काँता आंटी भी पास बैठी थी। जिस तरीके से वो दोनों खुसर फुसर करती मुझे घूर रही थी मुझे लगा जैसे उनकी नज़रें नहीं कोई एक्स-रे मशीन से मेरी स्क्रीनिंग कर रही हैं। काँता आंटी उठ खड़ी हुई और मेरी और रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराते हुए अपने घर चली गई। अब मास्टरनी मेरी ओर मुखातिब हुई।

“हम्म … तुम कल नहीं आये जीत ?”

“वो … वो …” मेरे गले से तो कोई आवाज ही नहीं निकल रही थी।

“हम्म …?”

“वो … दरअसल मेरी तबियत खराब थी “

“क्यों तुम्हें क्या हुआ था ?”

“ब…. ब … बुखार था ?”

“वाइरल तो नहीं था ?”

“हाँ हाँ वही था !”

“तो एक दिन में ठीक कैसे हो गया ?”

“वो…. वो …” मैं क्या बोलता। मैंने अपनी मुंडी नीचे कर ली।

“उस छोरी न के हुआ ?”

“कौन … ?”

“हाय मैं मर जावां ? मैं उस छमक छल्लो मोना की बात कर रही हूँ ?”

“ओह … वो… वो … ओह … मुझे क्या पता ?” मैंने सर झुकाए ही कहा। मैं सोच रहा था अगर मैंने नज़रें मिलाई तो मास्टरनी पहचान लेगी।

“तन्नै ते नी कुछ कर दीया था उसतै ?”

“न … नहीं … नहीं मैंने कुछ नहीं किया !”

मुझे लगा मेरा गला सूख गया है। मेरे चेहरे से तो हवाइयां ही उड़ रही थी। लगता है हमारी चुदाई की पोल खुल गई है।

“तन्नै किस बात का डर मार रया फ़ेर ? (तो तुम इतना डर क्यों रहे हो ?)” मास्टरनी ने फिर पूछा।

“न… नहीं तो … मैं भला क… क्यों … डरूंगा… ?” मैंने थोड़ी हिम्मत करके जवाब दिया। मैंने देखा मास्टरनी मेरी पतली हालत देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही है।

“एक बात बता तू मन्नै !”

“क्या ?”

“यो चद्दर गील्ली कीकर होई ?”

“वो… वो …?”

अब शक की गुन्जाइश नहीं रह गई थी। मास्टरनी को पता चल गया है। मैं मुंडी नीचे किये खड़ा रहा।

“कहीं पानी का गिलास तो नहीं गिरा दिया था ?”

मैं चुप रहा। थोड़ी देर बाद मास्टरनी ने फिर पूछा “पानी ढंग से पिया या केवल चद्दर पर ही गिराया ?”

“वो … वो … ?

“केवल तुमने ही पिया था या उस कमेड़ी ने भी पिया था ?”

“हाँ उसने भी पिया था “

“हम्म… उसको भी पानी अच्छा लगा ?”

पता नहीं मास्टरनी क्या पूछे जा रही थी। मुझे लगाने लगा कि मैं थोड़ा बच सकता हूँ। मेरी जान छूट सकती है। एक बार अगर बच गया तो हे गोपी किशन फिर कभी उस कमेड़ी की ओर देखूंगा ही नहीं पक्की बात है। मैं अपने खयालों में खोया हुआ था।

मास्टरनी ने फिर बोली “या छोरी तो घनी चुदक्कड़ निकली रै? ….. इसके तो बड़े पर निकल आये साली अभी से लण्ड खाने लगी है आगे जाकर पता नहीं क्या गुल खिलाएगी ?”

मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि मास्टरनी इस तरह के शब्द प्रयोग कर रही है। वो अपनी चूत को पाजामे के ऊपर से मसल और खुजला रही थी। आज उसने पतला सा कुरता और पाजामा डाल रखा था। उसकी साँसें तेज हो रही थी और आँखों में लाल डोरे से तैर रहे थे।

“उस कमेड़ी को ठीक से रगड़ा या नहीं ?” वह मेरी और देख कर हंसने लगी फिर बोली “मैं जानती थी जिस तरीके से वो अपनी गांड मटका कर चलती थी जरुर लण्डखोर बनेगी”

अब मेरी जान में जान आई। इतना तो पक्का है की मास्टरनी यह सब घर वालों को तो कम से कम नहीं बताएगी। मैं चुप उसे देखता ही रहा।

उसने फिर पूछा “उसे खून निकला या नहीं ?””वो … वो … हाँ आया था चद्दर पर भी लग गया था इसीलिए … वो… गीली …”

“हम्म … तेरे तो मज़े हो गए रे जीत … मैं तो तने बड़ा भोला समझ रई थी तू तो गज़ब का गोला निकला रे ?”

“वो दरअसल मैं आपका ही तो चेला हूँ ना ?” मैंने कह दिया।

“रै बावले चेला इस तरह थोड़े ही बना जावे सै?”

“तो कैसे बना जावे है ?”

“पहले गुरुदक्षिणा देनी पड़ी सै ?’

“आप जो मांगो दे दूंगा ?”

“हम … लागे सै इब तू बावली बूच नई रिया बड़ा सयाना हो गया ?”

मेरा दिल तो जोर जोर से धड़कने लगा था। लगता है मास्टरनी के मन में भी जरुर कुछ चल रहा है। हे गोपी किशन अगर मास्टरनी पट जाए तो बस मज़ा ही आ जाए। फिर तो बस दोनों हाथों में लड्डू क्या पूरी कन्हैया लाल हलवाई की दूकान ही हाथों में होगी।

उसने इशारे से मुझे अपनी और बुलाया। मैं उसके पास सोफे पर बैठ गया। उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और बोली “अच्छा चल सारी बात शुरू से बता कुछ छुपाने की जरुरत ना है। कैसे उस कमेड़ी के साथ खाट-कब्बडी खेली ? मैंने तो तुम्हें पूरे ढाई तीन घंटे दिए थे मज़े करने को ?” और कहते हुए उसने मेरी और आँख मार दी। मेरा राम लाल तो उछलने ही लगा था। और उसका उभार पैन्ट के अन्दर साफ़ दिखने लगा था। मास्टरनी ने अपनी जांघें आपस में कस रखी थी और एक हाथ से अपनी चूत को जोर जोर से मसल रही थी।

मैंने पूरी बात बता दी। इस दौरान मास्टरनी ने मेरा लण्ड पैन्ट के ऊपर से ही मसलने लगी। मेरा लण्ड तो खूंटे की तरह हो चला था अब। मास्टरनी की साँसें तेज होने लगी थी और मेरा शेर तो जैसे पैन्ट फाड़ने को तैयार था। अचानक मास्टरनी ने मेरी पैन्ट की जिप खोल दी और नीचे फर्श पर उकड़ू होकर बैठ गई। मुझे बड़ी शर्म भी आ रही थी और मेरी उत्तेजना भी बढती जा रही थी। मास्टरनी ने फिर पैन्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरे खूंटे जैसे खड़े लण्ड को बाहर निकाल लिया। उसकी तो आँखें फटी की फटी रह गई। मेरा लण्ड 7’ लम्बा मोटा ताज़ा लण्ड देख कर वो तो मस्त ही हो गई। आप तो जानते ही हैं कि मेरे लण्ड में एक ख़ास बात है उसका टोपा (क्राउन) बहुत बड़ा है। बिलकुल मशरूम की तरह है। मेरी भी उतेजना बढती जा रही थी और राम लाल तो मास्टरनी के हाथों में ऐसे उछल रहा था जैसे कोई चूहा किसी बिल्ली के पंजों में फसा अपनी जान बचाने को तड़फ रहा हो।

“वाह जीत तेरा राम लाल तो बहुत बड़ा और शानदार है ?” इतना कहकर मास्टरनी ने उसका एक चुम्मा ले लिए। राम लाल ने एक ठुमका लगाया। मास्टरनी ने उसे कस कर अपनी मुट्ठी में जकड़े रखा। “साली वो कबूतरी कैसे झेल गई इस मर्दाने लण्ड को ?”

एक बार फिर से उसने उस पर पुच्च किया और फिर उसे गप से मुँह में ले लिया। मैं तो जैसे सातवें आसमान पर ही था। जिस तरीके से मास्टरनी उसे चूस और चूम रही थी मुझे लगता है ये मास्टरनी भी एक नंबर की चुदक्कड़ है। चलो मेरी तो पौ बारह है। मैंने अपनी पैन्ट को ढीला कर दिया और अपने कूल्हे थोड़े से उठा कर पैन्ट नीचे कर दी। इससे मास्टरनी को सुविधा हो गई। और वो जोर जोर से मेरा लण्ड चूसने लगी। कभी मेरे अण्डों को मसलती कभी उन्हें भींचती कभी पूरा लण्ड मुँह में ले लेती और कभी उसे मुँह से बाहर निकल कर ऊपर से नीचे तक चाटती। उसकी गर्म साँसें मेरे पेट और पेडू पर पड़ती तो मैं रोमांचित हो जाता और मेरा शेर ठुमके पर ठुमके लगाने लगता। मास्टरनी तो बिना रुके उसे चूसे ही जा रही थी पता नहीं कितने दिनों की भूखी थी।

“य़ा … ….” मेरी सीत्कार निकलने लगी और राम लाल झटके पर झटके खाने लगा। मुझे लगा कि मेरा तो मोम पिंघल ही जाएगा। मास्टरनी मेरी इस हालत को जानती थी। उसने मेरा लण्ड पूरा का पूरा मुँह में भर कर मेरे कूल्हे पकड़ लिए। मेरा तनाव अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था। मैंने कस कर उसका सर पकड़ लिया। मेरी बंद आँखों में तो सतरंगी तारे से जगमगाने लगे थे और फिर मेरी पिचकारी छूट गई। गर्म लावे से उसका मुँह भर गया। मास्टरनी गटागट उसे पीती चली गई। उसने तो जैसे मुझे पूरा का पूरा निचोड़ लेने की कसम खा रखी थी। उसने एक भी बूँद इधर उधर नहीं गिरने दी।

लण्ड अब सिकुड़ने लगा था। मास्टरनी ने एक आखिरी चुस्की लगाई और अपने होंठों पर जीभ फिराती हुई बोली,”वाह जीत, आज तो मज़ा ही आ गया एक कुंवारे लण्ड की गाढ़ी और ताज़ी मलाई तो बड़ी ही मजेदार थी। वाह … जियो मेरे सांड …?” कहकर मास्टरनी ने मुझे चूम लिया।

मुझे बड़ी हैरानी हुई कि इस नाम से तो मुझे मोना डार्लिंग पुकारा करती है इसे कैसे पता ?

“मैडम आपने तो मज़ा ले लिया पर मैं तो सूखा ही रह गया ना ?” मैंने उलाहना दिया।

“रे बावली बूच क्यूं चिंता कर रिया सै… अभी बड़ा टेम बाकी सै ? चिंता ना कर !” कहते हुए मास्टरनी बाथरूम में चली गई। मैंने अपनी पैन्ट पहन ली और उसका इंतज़ार करने लगा।

मास्टरनी कोई दस मिनट के बाद बाथरूम से बाहर आई। उफ़ … उसके बाल खुले थे। उसने अपने वक्ष पर लाल रंग का तौलिया लपेट रखा था जो उसकी चिकनी मोटी मोटी संग-ए-मरमर जैसी जाँघों और अमृत कलशों के अनमोल खजाने को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहा था। बस अगर तौलिया एक दो इंच छोटा होता तो उसकी रस भरी (चूत) का नज़ारा साफ़ दिख जाता। उसने तौलिये को नीचे से कस कर पकड़ रखा था। धीरे धीरे अपने नितम्बों को मटकाती और अपने दांतों में निचला होंठ दबाये मेरे पास आकर खड़ी हो गई। उसके होंठ काटने की कातिलाना अदा और चूतड़ों की थिरकन से तो मेरे राम लाल को जैसे फिर से जीवनदान मिल गया । वो तो फिर से सर उठाने लगा था। मैं तो उसके इस अंदाज़ को बस मुँह बाए देखते ही रह गया। उसका गदराया शरीर तो ऐसे लग रहा था जैसे कोई सांचे में ढली मूर्ति हो। वैसे तो मैं उसे रोज़ ही देखता था पर इस रूप में तो आज ही देखा था। उसके शरीर की गर्मी मैं अच्छी तरह महसूस कर रहा था। मुझे लगा जैसे मैं किसी आग की भट्टी के सामने खड़ा हूँ। मेरी तो जैसे साँसें ही जम गई मुझे लगा मेरा पप्पू फिर से घुड़सवारी के लिए तैयार होने लगा है।

“ओह … तन्नै फ़ेर या पैन्ट सी पऽऽन ली ? इब इसका के काम सै ? तार दे इसने !”

“आपने भी तो तौलिया लपेट रखा है ?”

“ओह …. रै मेरी बात और सै चल … सैड़ देसी अपणी पैन्ट और कमीज नै तार दे !”

मैंने थोड़ा शर्माते हुए पैन्ट कमीज उतार दी पर अपने राम लाल के ऊपर हाथ रख लिया। मैंने बनियान और कच्छा तो पहना ही नहीं था। मास्टरनी बोली “तुमने कभी सहस्त्रधारा का जल पिया है?”

सच पूछो तो मेरे कुछ समझ नहीं आया। मैंने गंगाजल और ब्रह्म सरोवर का जल तो सुना था पर यह नया जल पहली बार सुना था। जब कुछ समझ नहीं आया तो मैंने अपनी मुंडी ना में हिला दी।

मुझे लगा मास्टरनी मुझे फिर से मोटी बुद्धि का कहेगी या फिर ताऊ तो जरुर ही कहेगी पर मास्टरनी हंस पड़ी। मोती जैसे चमकते दांत और उसकी कातिलाना मुस्कान और होंठो को काटने की अदा ने तो मुझे अन्दर तक रोमांच से भिगो दिया था। मेरा मन कर रहा था कि उसे कस के अपनी बाहों में भर लूं और पटक कर अपना किल्ला गच्च से उसकी रसीली चूत में ठोक दूं पर मैं रुका रहा।

“हाय मैं मर जावां … मेरे बुद्धू बालम …” कह कर मास्टरनी ने मेरी और अपनी बाहें फैला दी। ऐसा करने से उसके चूंचियों पर अटका तौलिया खुल कर नीचे गिर गया और उसके मोटे मोटे कसे हुए गोल गोल चूचे अनावृत्त हो गए। उसकी घुन्डियाँ मूंगफली के दाने जितनी गुलाबी रंग की थी और एरोला कोई दो इंच का गहरे लाल रंग का। गोल गोल चूचे थोड़े से नीचे लटके से थे वर्ना तो वो मोना को भी पानी भरवा देती।

मैंने झट से उसे बाहों में भर लिया। उसकी साँसें तेज हो रही थी। उसने मेरा सर अपने हाथों में पकड़ लिया और मेरे होठों से अपने होंठ लगा दिए। मैं तो उन गुलाब की पंखुड़ियों को चूसने में मस्त ही हो गया। मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर था और एक हाथ से उसके नितम्ब सहला रहा था।

वो तो बेसाख्ता मेरे होंठों को चूसे ही जा रही थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी तो वो उसे कुल्फी की तरह चूसने लगी। यह तो अनोखा आनंद था। कभी वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देती कभी मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डाल देता।

मैं तो इस चूसा-चुसाई में इतना खो गया था कि मेरा ध्यान उसकी चूत की ओर गया ही नहीं। यह तो भला हो मेरे राम लाल का कि वो अपनी तंद्रा से जग कर उसे सलाम बजाने लगा था। अब मैंने अपना एक हाथ उसके चूत पर फिराया। छोटे छोटे बालों से ढकी उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने जैसे ही उसकी चूत में अपनी एक अंगुली डालने की कोशिश की वो थोड़ा सा चिहुंकी।

“ऊईइ … मां …”

“क्या हुआ ?”

“ओह…. ऐसे नहीं चलो, उस पलंग पर चलो !”

“ओह…. हाँ …”

मुझे फिर अपनी बुद्धि पर तरस आने लगा। हम दोनों अब पलंग पर आ गए। पलंग पर नई चद्दर बिछी थी। मास्टरनी पलंग पर लेट गई। पर पता नहीं क्यों उसने अपनी चूत पर दोनों हाथ रख लिए और अपनी जांघें कस कर बंद कर ली। मुझे बड़ा अटपटा लगा कि अब शर्माने की कहाँ गुन्जाइश रह गई है। पर सयाने ठीक कहते हैं औरत कितनी भी काम के वशीभूत हो अपनी स्त्री सुलभ लज्जा नहीं छोड़ती।

खैर अब उसे चुदना तो हर हाल में ही था, थोड़ी देर या नखरे और सही। मेरा राम लाल तो हिलोरें ही मारने लगा था। मैं उसकी बगल में लेट गया और उसके चूचों पर हाथ फिराने लगा। मैंने एक चूची के अग्र-भाग पर अपनी जीभ फिराई तो उसकी हल्की सीत्कार ही निकालने लगी। अब मैंने उसे चूसना चालू कर दिया। एक हाथ से उसकी एक चूची को दबाता और दूसरे को जोर जोर से चूसता।

वो तो मस्त ही हो गई। आंखें बंद किये सीत्कार पर सीत्कार करने लगी। मैंने एक एक करके दोनों आमों को चूसना चालू रखा। फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाया। मोटी मोटी फांकें सूजी हुई सी लग रही थी। मैंने थोड़ा नीचे खिसकते हुए अब अपनी जीभ उसके उरोजों की घाटियों से लेकर नीचे पेट और नाभि तक चाटना चालू कर दिया।

जैसे ही मेरी जीभ ने उसकी चूत को छुआ तो उसकी एक किलकारी ही निकल गई। उसकी बंद जांघें स्वतः ही खुलने लगी और रस भरी दो पंखुड़ियां मेरी आँखों के सामने फ़ैल गई। उसके अन्दर वाली पत्तियाँ जरुर काली सी थी पर बाहरी फांकें गोरी गोरी थी जिन्हें छोटे छोटे काले घने झांटों ने ढक रखा था। मैंने एक चुम्मा उस पर ले ही लिया। मेरे नथुनों में एक मादक गंध भर उठी। और मास्टरनी की एक मादक सीत्कार निकल गई।

मास्टरनी आँखें बंद किये लेटी आह उन्ह… करने लगी। अब मैंने दोनों हाथों से उसकी चूत की फांकों को चौड़ा किया। अन्दर से चूत एक दम गुलाबी रंग की थी और उसके अन्दर का गीलापन तो ऐसे लग रहा था जैसे इसमें से पानी की सैंकड़ों धाराएं निकल रही हों। ओह … अब मेरी मोटी बुद्धि में सहस्त्रधारा का अर्थ समझ आया था।

मैंने अपने जलते होंठ उसकी फांकों के बीच लगा दिए। आह … नमकीन और कसैला सा स्वाद तो ठीक वैसा ही था जैसा मोना की चूत का था बस थोड़ी सी गंध अलग थी। मैंने अपनी जीभ को नुकीला बनाया और उसकी चूत की दरार पर ऊपर से नीचे तक फिराया। उसका दाना तो चेरी की तरह बिलकुल लाल था। मैंने अपनी जीभ उस पर फिराई और फिर उसे हल्का सा दांतों से दबाया तो मास्टरनी की उत्तेजना में एक चींख सी निकलते निकलते बची।

“रे ताऊ … ओह … जीत … चूस….. और जोर से चूस….. आह … य़ाआअ ईईईईईईईईई………………”

मैंने झट से उसकी चूत को मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। मास्टरनी रोमांच में कांपने लगी थी। कभी वो अपने पैर उठाती और कभी नीचे पटकती। उसने मेरा सर कस कर अपने हाथों में पकड़ा था। और जोर जोर से अपनी चूत की ओर दबाने लगी। वह तो सीत्कार पर सीत्कार किये जा रही थी।

उसका शरीर एक बार थोड़ा सा अकड़ा और उसने मेरा सर इतने जोर से अपनी चूत पर दबाया कि मेरी तो साँसें ही कुछ क्षणों के लिए रुक सी गई। इसके साथ ही उसकी चूत ने 3-4 चम्मच गाढ़ा सा तरल द्रव्य छोड़ दिया। मैं तो उस सहस्त्रधारा के जल को पीकर निहाल ही हो गया।

मास्टरनी पता नहीं नशे जैसी हालत मन क्या क्या बड़बड़ा रही थी। पता नहीं उसे अचानक क्या सूझा वो मुझे परे धकेल कर उठ खड़ी हुई और इस से पहले कि मैं कुछ समझूं उसने मुझे धकेलते हुए चित लेटा कर अपने दोनों पैरों को मेरे कूल्हों के दोनों तरफ कर के एक हाथ में मेरा तना हुआ लण्ड पकड़ लिया और अपनी चूत पर घिसने लगी।

जैसे ही मेरे लण्ड का सुपड़ा उसकी चूत के छेद से टकराया मास्टरनी ने बिना देरी किये एक झटका सा लगाया और गच्च से मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई। पूरा का पूरा लण्ड जड़ तक एक ही झटके में उसकी चूत में समां गया। मास्टरनी की एक चीत्कार सी निकल गई।

“आईईईईईईईईईईईईईईई…………………………………………”

मास्टरनी ने लण्ड पूरा का पूरा अन्दर तो ले लिया पर मुझे लगा वो ज्यादा जोश में गलती कर बैठी है। उसे थोड़ा सा दर्द भी जरुर हुआ होगा पर वो मेरे सामने कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी। उसने अपनी आँखें बंद कर ली और चुपचाप ऊपर ही बैठी रही। कुछ समय बाद जब वो थोड़ी सामान्य हुई तब उसने नीचे झुक कर मेरे होंठों को चूमा और बोली,”रे जीत … तू तो पूरा सांड सै मेरी तो जान ही काड़ दी तन्नै !”

“क्यों … मास्टरजी का इतना बड़ा नहीं है क्या ?”

“अरै छोड़ …. वो तो पूरा नन्दलाल ही है। किसी काम का नहीं है। मैं तो इस चूत में अंगुली कर कर के कमली ही हो गई हूँ और वो देहरादून के जंगलों में फोरेस्ट अफसर बना अपनी गांड मरवा रहा है साला चूतिया कहीं का !”

मास्टरनी को ज्यादा जोश आ गया और फिर उसने जोर जोर से ठुमके लगाने शुरू कर दिए। उसके गोल गोल कसे हुए चूतड़ तो उसके झटकों के साथ थिरकने ही लगे थे। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ कर मसलना चालू कर दिया तो वो थोड़ा सा नीचे हो गई और अपने उरोज मेरे मुँह पर लगाने लगी। मैं इतना भी मोटी बुद्धि का नहीं था मैंने झट से उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मास्टरनी की फिर से सीत्कार निकालने लगी।

“आह … आज कितने दिनों बाद एक मस्त लण्ड मिला है … या … जीवो मेरे सांड तूने तो मुझे निहाल ही कर दिया उम्म्म्म …” और एक बार फिर मास्टरनी ने मेरा सर पकड़ कर होंठों को चूम लिया।

ऐसा नहीं था कि सिर्फ वो ही धक्के लगा रही थी। मैं भी नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर उसके धक्कों के साथ ताल मिलाने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपने हाथ उसके नितम्बों पर फिराने चालू कर दिए। मास्टरनी कभी ऊपर उठती कभी झटके के साथ नीचे आ जाती। कभी थोड़ी देर के लिए मेरे ऊपर लेट सी जाती। तब मुझे उसके नितम्ब सहलाने का मौका मिल जाता।

मेरी बड़ी इच्छा हो रही थी कि एक बार अगर मुझे ऊपर आ जाने दे तो मैं इसके इन नितम्बों और कमर को पकड़ कर ऐसे झटके मारूं कि इसकी तो बस टैं ही बोल जाए। अचानक मेरी एक अंगुली उसकी गांड के छेद से टकरा गई। मैंने मस्तराम और अन्तर्वासना की कई कहानियों में गांड मारने के बारे में भी पढ़ा था। मैंने मन में सोचा मास्टरनी अगर एक बार मुझे भी गांड मार लेने दे तो हे गोपी किशन मैं तो बस सीधा बैकुंठ ही पहुँच जाऊं।

पर मास्टरनी तो अपनी ही धुन में अपनी चूत को मेरे लण्ड पर घिसे जा रही थी। पता नहीं उसे मेरे हलके हलके नुकीले झांटों से अपनी फांकों को रगड़ने में क्या मज़ा आ रहा था। मैंने उसकी गांड में अपनी तर्जनी अंगुली डाल दी। शायद उसकी चूत का रस फ़ैल कर उसकी गांड को भी गीला कर चुका था। अंगुली गच्च से अन्दर चली गई और मास्टरनी की हलकी चीत्कार निकल गई,”रे… ओह….. रे ताऊ यो के कर रिया सै …?

“क्यों क्या हुआ ?” मैंने पूछा।

“न … ना इस छेद को इबी ना छेड़ … इसका नंबर बाद मैं ? तू चिंता ना कर मैं दोनों छेदों में एक साथ भी डलवाऊँगी?”

चलो ठीक है। मुझे तसल्ली हुई कि बाद में ही सही मौका तो जरुर मिलेगा। मास्टरनी ने अब जोर जोर से धक्के लगाने चालू कर दिए। वो अपनी चूत को इस तरह से सिकोड़ रही थी जैसे अन्दर से चूस रही हो। मैंने सेक्स स्टोरीज में पढ़ा था कि बहुत ही अनुभवी और चुद्दकड़ औरतें ऐसा करती है। इससे उनको और अपने साथी को दुगना आनंद आता है और ढीला लण्ड भी अन्दर ठुमके लगाने लगता है। और मास्टरनी तो पूरी उस्ताद थी इस मामले में।

हमें कोई 20-25 मिनट तो जरुर हो ही गए थे। मुझे लग रहा था अब मैं खलास होने वाला हूँ। मैं ऊपर आने की सोच रहा था पर मास्टरनी ने मुझे नीचे दबोच रखा था। अब मास्टरनी ने जोर जोर से सीत्कार करना चालू कर दिया था और मुझे लगा मेरा लण्ड उसकी चूत ने इतनी जोर से अन्दर भींच लिया है जैसे गन्ना पेरने वाली मशीन गन्ने का रस निचोड़ लेती है। उसने एक किलकारी मारी और मेरे ऊपर ढेर हो गई।

मैंने उसकी कमर पकड़ ली और एक पलटी मारी तो मास्टरनी नीचे और मैं ऊपर हो गया। अब मुझे थोड़ा सांस आया। मैंने दोनों हाथों से उसकी कमर पकड़ कर दनादन धक्के लगाने चालू कर दिए। मास्टरनी आँखें बंद किये लेटी रही। मैं भी अंतिम पड़ाव पर था कितनी देर रुकता। मेरा भी ज्वालामुखी फट पड़ा और वीर्य की फुहारें अन्दर निकलती चली गई। मास्टरनी की ठंडी आहें निकलने लगी और उसकी अकड़न मंद पड़ने लगी। पर उसने अपनी बाहों की जकड़न ढीली नहीं होने दी।

कोई 10 मिनट हम इसी अवस्था में पड़े रहे। अब मेरा लण्ड सिकुड़ गया था और बाहर फिसल आया। उसकी चूत से वीर्य और कामरज बाहर निकल कर चद्दर को भिगोने लगा था। मास्टरनी ने मुझे उठ जाने का इशारा किया तो मैं उठ बैठा। मेरे लण्ड के चारों और भी वीर्य और उसकी चूत से निकला कामरज लगा था। मैं उसे धोने बाथरूम में चला गया।

जब मैं अपने लण्ड को साफ़ करके और उस पर थोडा सा सरसों का तेल लगा कर वापस आया तब भी मास्टरनी उसी मुद्रा में लेटी थी। वो अपनी चूत धोने बाथरूम में नहीं गई। मैंने उसे बाथरूम जाने को पूछा तो उसने मना कर दिया और बोली,”एक बार और मज़ा लेना है अभी !”

मेरा राम लाल तो दो बार निचुड़ चुका था। पर मेरा भी मन अभी नहीं भरा था। सच पूछो तो मास्टरनी ने मुझे चोदा था। मज़े तो उसने लिए थे। मैं एक बार उसे घोड़ी या डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था। मैं उसके नजदीक जाकर पलंग पर बैठ गया तो वो सरक कर मेरी जाँघों पर सर रख कर लेट गई और मेरे राम लाल को हाथ में पकड़ कर एक चुम्मा ले लिया। राम लाल तो अलसाया सा था। मुझे डर लगाने लगा था कि यह दो बार निचुड़ चुका है कहीं धोखा ही ना दे जाए।

पर कहते हैं औरत के हाथ में जादू होता है। जो लण्ड तीन इंच का होता है खूबसूरत औरत के हाथों में आते उम्मीद से दुगना हो जाता है भला मेरा क्यों ना होता। मास्टरनी ने उसे मसलना चालू कर दिया और फिर से अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। राम लाल धीरे धीरे अपने रंग में आने लगा।

मेरे सारे शरीर में सनसनी सी होने लगी और लण्ड तनकर अपनी औकात में आ गया। मास्टरनी ने उसे मुँह से निकाल कर आज़ाद करते हुए कहा,”रे जीत, ले तेरा घोड़ा तो फेर तैयार हो गया सवारी करने को ?”

मुझे डर लगाने लगा कहीं मास्टरनी फिर से मुझे ना दबोच कर अपने नीचे ले ले। मैंने कहा,”तो आप घोड़ी बन जाओ ना मैं सवारी करता हूँ ?”

उसने मेरी और टेढ़ी आँखों से इस तरह देखा जैसे मैं मोटी बुद्धि का ना रह कर कालिदास बन गया हूँ। मास्टरनी झट से अपने घुटनों के बल हो गई और अपने गांड हवा में ऊपर उठा दी। उसने अपना सर तकिये पर रख लिया। अब मैं उसके पीछे आ गया। गोरी गोरी मुलायम जाँघों के बीच उसकी चूत की फांकें सूज कर मोटी मोटी हो गई थी। गांड का सुनहरा सा छेद कभी खुल और कभी बंद हो रहा था। उसकी दर दराई सिलवटें तो मुझे उसी में अपना लण्ड डाल देने का आमंत्रण दे रही थी।

मैंने अपने लण्ड को उसकी फांकों के बीच लगाया और उसकी कमर पकड़ कर जोर से एक धक्का लगा दिया। चूत पहले से ही गीली थी पूरा का पूरा लण्ड बिना किसी रुकावट के अन्दर चला गया।

मास्टरनी की चींख सी निकल गई। वो बोली “रे ताऊ थोड़ा सबर कर धीरे … के जल्दी सै ?”

मैं अब कहाँ रुकने वाला था। मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। धक्कों के साथ उसके भारी चूतड़ हिलते तो मेरा उत्साह दुगना हो जाता। मैंने उन पर जोर जोर से थप्पड़ लगाने चालू कर दिए। मास्टरनी तो सीत्कार पर सीत्कार करने लगी। मैं कहीं पढ़ा था कि जब कोई औरत उम्र में थोड़ी बड़ी हो तो उसे चोदते समय अगर उसके चूतड़ों पर हलकी चपत लगाई जाए या उसके होंठ या चूत की फांकों को दांतों से काटा जाए तो उसे दर्द के स्थान पर मीठी कसक के साथ और भी मज़ा आता है।

मैंने अपनी घुड़सवारी और एड लगानी चालू रखी। हर धक्के के साथ मेरा लण्ड उसकी बच्चे दानी तक चला जाता और मास्टरनी की आह … उन्ह … निकलने लगती।

“या … आह … उइईई ……मा … और जोर से … आज सारे कस बल निकाल दे इस चूत के … आह … बहोत तंग किया है इसने मुझे … आह …”

मेरा शेर तो इस समय खूंखार बना था। मैंने धक्कों की गति बढ़ा दी। 10-15 मिनट की इस दूसरी चुदाई में ही मास्टरनी के पसीने निकलने लगे। मेरा भी यही हाल था। पर राम लाल तो उसी तरह खड़ा था। सच कहूं तो चुदाई का असली मज़ा तो मुझे आज ही मिला था। उस कमेड़ी की चुदाई के समय तो हम दोनों ही डरे हुए थे और वो भी बस सारी चुदाई में आह…. उईइ…. हाई…. करती कसमसाती रही थी।

मास्टरनी की आँखें बंद थी। मास्टरनी जब निढाल हो गई तो उसने अपना जानामाना फ़ॉर्मूला आजमाया और अपनी चूत का संकोचन करने लगी। आप तो अनुभवी हैं जानते ही हैं कि जब चुदाई के दौरान औरत ऐसा करती है तो आदमी बहुत जल्दी अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाता है। हमें 15-20 मिनट तो इस बार भी हो ही गए थे। मैं मास्टरनी की हालत जानता था इसलिए अब मैंने भी जोर जोर से धक्के लगा कर अपना तनाव ख़तम करने का सोच लिया।

उसके चूतड़ों की खाई और गांड के छेद को देख कर मुझ से रुका नहीं गया और मैंने अपनी एक अंगुली उसकी गांड में डालने की फिर से कोशिश की तो मास्टरनी बोली,”रे ताऊ, इब खिलवाड़ बंद कर … बस निकाल दे अपना माल मैं तो गई … उईईईइ…… म़ा …?”

मुझे लगा मास्टरनी झड़ गई है। अब तो उसकी चूत बिलकुल ढीली पड़ गई थी। मैंने 4-5 धक्के बिना रुके लगा दिए और उसके साथ ही मेरे लण्ड ने भी मुक्ति की राह पकड़ ली। मास्टरनी धीरे धीरे नीचे होती गई और मैं उसके ऊपर ही पसर गया। हम दोनों ने ही ध्यान रखा कि लण्ड बाहर ना निकले। मैंने अपने हाथ नीचे करके उसके चुचों को पकड़ लिया और अपनी टांगें उसके चूतड़ों के गिर्द कस ली।

पता नहीं कितनी देर हम इसी तरह लेटे रहे। मेरा लण्ड धीरे धीरे बाहर निकल आया। उसकी चूत से वीर्य और कामरज का मिलाजुला मिश्रण बाहर निकल कर चद्दर पर फ़ैल गया। हम दोनों ही अब उठ खड़े हुए। हमने देखा 8-10 इंच के गोल घेरे में चद्दर पर वो मिश्रण फैला है।

मास्टरनी ने मेरी ओर मुस्कुराते हुए देखा और बोली,”रे हरियाने के सांड ! देख तूने चद्दर को फिर से खराब कर दिया। जा इब इसे बाथरूम में गेर दे !” “वो क्यों ?””रे ताऊ ! वो हरामजादी कान्ता कभी भी आ सकती है पूरे दो घंटे हो गए हैं ?””ओह … ?” मेरी भी हंसी निकल गई।

“वो कल का क्या प्रोग्राम है ?” मैंने पूछा।

“कल की कल देखेंगे !”

मास्टरनी चद्दर उठा कर बाथरूम में चली गई और मैं अपने कपड़े पहन कर घर की ओर भागा। मैं सोच रहा था कि मास्टरनी की दोनों छेदों में एक साथ लण्ड डलवाने वाली बात का क्या मतलब था ?

मै एक गाना एक गाना गुनगुनाता हुआ अपनी मस्ती और ख़ुशी में जा रहा था कि

आज मैं ऊपर आसमान नीचे

जल्दी से घर पहुंचा और नहाया और खाना खा कर पलंग पर लेट कर सोचने लगा आज जो हुआ और कल क्या होगा उसका इन्तजार करने लगा।

अगले दिन जब मैं मास्टरनी के घर पहुंचा तो किसी के बात करने की आवाज आ रही थी मास्टरनी किसी से बात कर रही थी मैं जब अन्दर पहुंचा तो वहां का नजारा देख कर तो मेरे पाँव के नीचे से जमीन ही निकल गई….

कहानी अभी बाकी है दोस्तो ! मैंने मास्टरनी के घर ऐसा क्या देखा यह आपको अगली कहानी मैं लिखूंगा. लेकिन तब जब आप लोग मुझे मेल करेंगे. लेकिन इतना बता देता हूँ कि जो भी देखा वो कम से कम मेरे लिए किसी 1000 वाट के कर्रेंट से कम नहीं था।

मेरी यह चुदाई आपको कैसी लगी ? मुझे यह तो जरुर बताना। Antarvasna Sex Stories

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