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दोस्तो, मैं अन्तर्वासना Antarvasna का पुराना पाठक हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और चूत या मुठ मारकर पानी निकला है।
आज मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ, प्रकाशित हो जाएगी तो आप सब भी मेरी सेक्स कथा के साथी बन जायेंगे।
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके जॉब की तलाश में दिल्ली की तरफ निकला। मेरे एक चचेरे भाई गाजियाबाद में रहते हैं, जिनके पास मुझे कुछ दिनों तक रहना था। वो बहुत ही शरीफ और ईमानदार आदमी हैं। उनकी पत्नी उतनी ही तेज़ और सेक्सी है।
एक दिन जब भैया अपने काम के सिलसिले में बाहर गए थे, तब घर पर केवल मैं और भाभी ही बचे थे। भाभी एक तो हैं ही बला क़ी खूबसूरत! उस दिन काली साड़ी में और भी मस्त लग रही थी, उनके मस्त गोरे स्तन ब्लाउज़ से बाहर कूदने को तैयार थे।
मैं कामुक प्रवृति का आदमी हूँ पर शुरू में खुल नहीं पाता, इसलिए भाभी को चोर निगाहों से ही देखता था। मैंने मज़ाक में गाना शुरू किया- काले लिबास में बदन गोरा यूँ लगे ईमान से, जैसे हीरा निकल रहा हो कोयले की खान से!
बस इतना सुनना था कि भाभी फट से मेरे पास आ गई और मुझसे चिपक गई, बोली- राजेश, मैंने जब से तुम्हें देखा है, तबसे बस तुम्हारे ही बारे में सोचती हूँ, हर समय बस तुम्हारा ही ख्याल दिल में रहता है, जब से तुम यहाँ आये हो तब से मैं सोच रही हूँ कि कब हम अकेले मिलेंगे! आज मौका मिला है इसे खो मत!
यह सब सुनकर मैं तो बस पागल ही हो गया था, मैं कब से ख्यालों में उसको चोद रहा था, कब से उसके बारे में सोचकर मुठ मार रहा था, विश्वास नहीं हो रहा था कि आज वो चूत सचमुच मेरे लंड को नसीब होगी।
आखिर सारा दिन इंतज़ार करने के बाद रात आ ही गई। भाभी तैयार थी पर मेरा किसी की चुदाई करने का यह पहला अनुभव था इसलिए डर लग रहा था।
मुझे किसी ने बताया था कि चूत मारने से पहले मुठ मार लो तो देर से झड़ता है, इसलिए मैंने सोने से पहले मुठ मार ली थी और अब चूत मारने के लिए तैयार था।
भाभी पुरानी खिलाडी थी, वो समझ गई थी कि मैं मुठ मारकर आया हूँ। जाने से पहले उसने मेरा खड़ा लंड देख लिया था। रात को सारे कामों से निबट कर हम लोग बिस्तर पर आये।
मैंने भाभी को बोला- मेरा पहला अनुभव है, मुझे नहीं पता कि कैसे करते हैं।
वो बोली- तुम बस वो करो जो मैं कहती हूँ!
गर्मी की रात थी, हम लोग छत पर थे, चांदनी रात में भाभी गुलाबी नाइटी में और भी खूबसूरत लग रही थी, वो मुझसे प्यार की बातें कर रही थी और मैं सोच रहा था कि कब इसको चोदूंगा।
खैर मेरा समय भी आया और भाभी ने कहा- राज, आज मैं तुम्हारी हूँ, मेरे साथ जो करना चाहते हो कर लो।
मैंने कहा- आज आप करो, मैं कल करूँगा!
फिर क्या था, भाभी खुश और मुझे तो खुश होना ही था।
भाभी मेरे बिल्कुल करीब आकर लेट गई, मेरा लंड उनके पेट को छू रहा था फिर उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी और मुझे चूमने लगी।
मेरा तो बुरा हाल था और मेरे लंड का तो पूछो मत, वो मुझे चूमे जा रही थी और मेरा लंड बढ़ता जा रहा था।
उसने लोअर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और बोली- बताओ कैसे चोदोगे मुझे?
मैंने कहा- कपड़े उतारो!
उसने कहा- जो करना है, तुम करो सब मुझसे ही करवाओगे क्या?
मैंने भी अपना रंग दिखाना शुरू किया। उसकी नाइटी खोल दी, उसका गुलाबी बदन चांदनी रात में और भी खूबसूरत लग रहा था। बड़े-बड़े स्तन ब्रा से बाहर आने को मचल रहे थे, गोरी गोरी चूत भी पैंटी के अंदर से झाँक रही थी।
मैंने भी समय न गंवाते हुए उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। मैं वक्ष को मसलने लगा तो उसने कहा- जोर से मत करो, दर्द होता है, धीरे धीरे करोगे तो तुम्हें भी मज़ा आएगा और मुझे भी!
मैंने भी उसकी बात मानी और चूचियों को धीरे धीरे सहलाने लगा। मैं एक हाथ से चुचूक रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से पैंटी के अंदर चूत में ऊँगली डाल रहा था, वो मुझे चूमे जा रही थी।
मैंने उसकी पैंटी उतारी और चूत में ऊँगली डालकर अंदर बाहर करने लगा, उसको मज़ा आने लगा था।
उसने मेरा लंड पकड़ लिया और चूत की तरफ इशारा करने लगी।
मैं भी समझ गया था कि लोहा गरम है, मैंने सीधा उसके ऊपर आकर अपना लंड उसकी चूत पर लगाया लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था।
उसने मुझे ऊपर आने को कहा, मैं थोड़ा ऊपर आया तो उसने मेरा लंड अपने मुँह में डाला और चाटने लगी मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था।
फिर जब उसने मुझे छोड़ा तो मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगाया, पर चूत में जा नहीं रहा था।
मैंने कहा- ये जा क्यों नहीं रहा है? तुम्हारी चूत तो पहले से चुद रही है, आज क्या हुआ?
वो बोली- चूत तो चुद रही है पर इतना मोटा लंड अभी इसमें नहीं गया। अब तुम डालो अपना लंड इसमें, ज्यादा तड़पाओ मत!
मैंने भी पूरा जोर लगाकर लंड को चूत पर रखा और जोर का धक्का दिया, आधा लंड चूत के अन्दर समां गया।
वो बोली- पूरा डालो, आज फाड़ दो मेरी चूत को!
मैंने दूसरा धक्का दिया और पूरा लंड चूत में समां गया। मेरा लंड उसकी चूत में था, दोनों हाथ स्तनों पर और होंठ उसके होंठों से चिपके थे।
मैं धीरे धीरे धक्के मार रहा था, वो सिसकी लिए जा रही थी। उसकी सिसकी से मज़ा बढ़ता जा रहा था, फिर अचानक उसने मुझे कसके पकड़ लिया, वो झड़ चुकी थी। मेरे लंड पर कुछ गीला गीला महसूस हो रहा था।
पर मैं तो चुदाई से पहले मुठ मार चुका था इसलिए झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
इसी बीच मेरी उत्तेजना भी अपने चरम पर पहुंची और मेरे लंड से गरमा गरम तेल की फुहार उसकी चूत में छूट पड़ी। इस बीच वो भी दोबारा झड़ चुकी थी।
वो बोली- राज आज मेरा सपना पूरा हो गया, तुम्हारे भाई जब मुझे चोदते हैं तो मैं आँख बाद करके तुम्हारे बारे में ही सोचती हूँ तब कही मेरी चूत का पानी निकलता है, आज भी विश्वास नहीं होता कि मेरी चूत में सचमुच तुम्हारा लंड गया है और मैं तुम्हारे लंड से चुदी हूँ।
मैंने कहा- मैं भी कब से तुम्हें सोच कर मुठ मारता रहा हूँ, आज तुम्हारी चूत चोदकर मेरा सपना पूरा हो गया है।
इसी तरह बातें करते करते काफी समय बीत गया, चूत पास में पड़ी हो तो लंड कब तक चुप रह सकता है?
थोड़ी ही देर में लंड ने फिर से फुफकारना शुरू कर दिया, उसने मेरे लंड को महसूस किया तो चौंक गई, बोली- यह क्या है?
मैंने कहा- लंड है! भूल गई क्या? अभी अभी इसी ने फाड़ा है तुम्हारी चूत को!
वो बोली- फिर से चोदना है क्या?
मैंने कहा- जब चूत साथ में है तो क्यों नहीं?
उसने कहा- मेरा मन करता है कि मैं ऊपर आकर चोदूँ, पर मेरी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी।
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी है, अगर तुम्हें ऐसे ही मज़ा आता है तो ऐसे ही कर लो!
अबकी बार वो मेरे ऊपर आ गई, मेरा लंड अपनी चूत में डाला और मुझको चोदने लगी। वो मुझे चोद रही थी जैसे थोड़ी देर पहले मैंने उसे चोदा था।
मैं भी नीचे से चालू था, मैं उसके स्तन दबा रहा था और वो गांड उठा उठा कर चोद रही थी, उसके धक्के धीरे धीरे तेज़ होने लगे और 10-12 जोर के धक्कों के साथ वो झड़ गई।
फिर मैंने उसे नीचे लिया और अपनी स्पीड बढ़ा दी, पर मेरा लंड अब झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
वो भी परेशान थी, उसने मेरा लंड चूत से निकाला और मुँह में डालकर जोर से चूसने लगी। करीब 15 मिनट के बाद मेरे लंड ने उसके मुँह में पिचकारी छोड़ दी और वो पूरा माल पी गई। उस रात मैंने तीन बार उसको चोदा, वो इतने में 5 बार झड़ी होगी।
फिर हम दोनों बाथरूम में गए, एक दूसरे के चूत, लंड, गांड और वक्ष को रगड़ रगड़ कर साफ किये और फिर ऊपर आकर नंगे ही चिपक कर सो गए।
उसके बाद हम लोगो को जब भी मौका मिलता हम चोदम-चुदाई का खेल खेलते।
अब मेरी शादी हो गई है और मैं सैटल हो चुका हूँ। शादी के बाद मैंने कभी किसी दूसरी को नहीं चोदा। मन करता है किसी की सील तोड़ूँ पर कोई चूत मिले तो बात बने।
आशा करता हूँ कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी और आप मुझे मेल करेंगे। Antarvasna
antarvasna sotries दोस्तो, मैं जयपुर से 18 वर्षीय एक नई जवानी से झूमता हुआ मस्त लौंडा हूँ. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट का एक नियमित पाठक हूँ और मुझे हिंदी में देसी चुदाई की कहानी पढ़ना बहुत पसंद हैं.
यह घटना मेरे पड़ोस में रहने वाली एक आंटी और मेरे बीच की चुदाई की है. शुरूआत मैं मुझे उनको देखना भी पसंद नहीं था, पर जब से लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू की, लड़कियों भाभियों और आंटियों के उठे हुए मम्मे और गांड ने मुझे आकर्षित करना शुरू कर दिया. तभी से मुझे आंटी कयामत दिखने लगीं, उनका मदमस्त फिगर मेरी समझ में आने लगा.
आंटी का लड़का मेरे छोटे भाई का दोस्त था, जिसको पढ़ाने के लिए आंटी ने मुझसे कहा और इसी के चलते मेरा उनके घर आना जाना शुरू हो गया.
धीरे धीरे आंटी और मैं आपस में खुलते चले गए. वयस्कों जैसे हंसी मजाक होने लगा और अंगों को छेड़ने की मस्ती भी शुरू हो गई.
कभी कभी मैं आंटी के पीछे भी हाथ रख देता था. उनके सामने अपना लंड खुजा लेता था. धीरे धीरे सेक्स की बात भी होनी शुरू हो गई. मैं मौका देख कर उनके मम्मों में हाथ डाल देता था या फिर कभी गांड पर हाथ फेर देता था.
फिर एक मौका ऐसा आया, जब मैंने आंटी को झूठ बोल दिया कि मेरी 4 गर्ल फ्रेंड्स हैं जो कि मेरे साथ सेक्स करती हैं.
वो मेरी बात को सच मान गईं.
फिर मुझको पता चला कि उनकी शादी के इतने साल हो गए हैं और उनके पति उनके साथ कभी कभार ही सम्भोग किया है. पिछले काफी समय से तो उन्होंने चुदाई की ही नहीं!
मैं बोला- ये तो बड़ा गम्भीर मामला है आंटी.
उन्होंने बोला- हाँ मैं तो सारी कोशिश करती थी, उनका लंड जब घुसता था.. तो अच्छा लगता था मगर क्या करूँ वो अब चुदाई का मजा ही नहीं लेना चाहते हैं.
मैंने उनको लंड और चुदाई की बात बोलते सुना तो मैं समझ गया कि आंटी की चुत चुदाई के लिए फड़क रही है.
मैं आंटी से बोला- मैं आपकी बिस्तर में कुछ हेल्प करूँ?
वो हंस पड़ीं और मेरी बात को टाल गई.
फिर मुझे पता लगा कि आंटी का कोई बॉयफ्रेंड है, उससे आंटी फोन पर बात करती हैं. शायद आंटी उस से चुदती होंगी या चुदवाना चाहती होंगी, इस लिए मुझे कुछ कम भाव दे रही थी.
लेकिन इसके बाद से मुझे आंटी को चोदने की और इच्छा होने लगी. अब जब भी मैं उनके घर जाता, उनके बेटे को कह देता था कि मेरे भाई के साथ खेलने जा ताकि हम दोनों को एकांत मिले और मुझे मौक़ा मिले.
वो जब चला जाता तो मैं कपड़ों के ऊपर से ही उनकी गांड पर लंड फेर देता था. वे भी कुछ नहीं कहती थीं. ये सब मुझको बड़ा अच्छा लगता था.
फिर मेरी मम्मी ने सुबह सुबह 10 बजे से 1.30 दोपहर तक के बाहर जाना शुरू किया. इस दौरान आंटी हमारे घर जानबूझ कर आ जाती थीं, कभी फोन करने का बहाना लेकर आती तो कभी यूं ही मुझसे बात करने की कह कर आ जाती थीं.
यह घटना तब की है जब मोबाइल फोन नए नए आये थे और आम आदमी की पहुँच से बाहर थे. लैंड लाइन फोन भी हर घर में नहीं होते थे.
एक बार जब वो आईं, तो मम्मी बाहर गई थीं. उनको मेरे घर के फोन से अपने फोन की कम्प्लेंट करनी थी. मैंने जान बूझ कर दूसरा खराब वाला फोन लगा दिया था.
फिर उन्होंने बोला- मुझ से नहीं लग रहा, तुम मिला के दो.
फोन मिलाने के बहाने से मैं उनसे चिपट गया.
उन्होंने बोला कि ये इधर अच्छा नहीं लग रहा है, तेरी मम्मी आ सकती हैं.. तू मेरे घर आ जा.
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा आंटी थोड़ा करते हैं न!
मगर फिर वो मुझे अपने घर आने की कह कर मेरे घर से चली गईं.
कुछ देर बाद मैं उनके घर गया तो उसके घर पर कोई नहीं था और वो चादर सही कर रही थीं. इस वक्त आंटी डॉगी स्टाइल में थीं, मैं पीछे से उनकी गांड से लग गया.
उन्होंने बोला- जल्दी कर ले, कोई मेहमान आने वाला है.
तो मैंने बोला कि बस आज मुझे एक बूंद टपका लेने दो.
फिर उन्होंने कुछ नहीं कहा.
कपड़ों को ऊपर से करके ही मैं उनके साथ सेक्स कर रहा था. कुछ देर चुत चोदने के कल्पना में मेरी बूंदें टपक गई.
उन्होंने बोला- हो गया तेरा काम? अब खुश हो गया?
मैं कुछ नहीं बोला और चला आया.
फिर वो एक बार फोन करने आईं. मैंने उनको गर्म करते हुए बोला कि आप कैजुअल पजामा में अच्छी लगती हो.
वो ब्लैक कलर का पजामा पहन कर आई थीं. उन्होंने मुझे आँख मार कर कुछ करने का इशारा करते हुए फोन उठा लिया.
मैंने आंटी के पजामा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी गांड पर हाथ लगाया और चूतड़ों को सहलाने लगा. आंटी ने अपने पैर और खोल दिए तो मैंने आंटी की चूत में उंगली फेर दी.
शायद वो अपने ब्वॉयफ्रेंड से बात कर रही थीं. उन्होंने चुत में उंगली पाकर भी कुछ नहीं बोला. लेकिन मेरी हरकतों से उन्हें कुछ होने लगा.
जब मैंने उंगली चूत के अन्दर घुसेड़ी और उंगली से आंटी की चुत को चोदा तो चुत ने पानी छोड़ दिया. फिर मैंने उंगली बाहर निकाल कर उनके सामने ही चाट लिया.
वो बोलीं- तुमने अपनी उंगली क्यों चाट ली?
मैंने बोला- कोई बात नहीं, आई लव यू आंटी.
वो मुस्कुरा दीं तो मैं उनको चूमने लगा. आंटी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया. कुछ देर बाद मैंने उनके कपड़े उतारे और ब्रा का हुक खोल दिया. मैंने उनको गोद में लेकर बेड पर पटक दिया मगर मेरी किस्मत ने साथ नहीं दिया, उनका छोटा बेटा आ गया, वो बाहर से दरवाजे खड़का रहा था. हम दोनों ने कपड़े पहन लिए, उन्होंने मुझसे सॉरी बोला.
मैंने उनके होंठ चूम लिए.
फिर कुछ दिन बाद मेरे पेरेंट्स को 5 दिन के लिए आउट ऑफ़ स्टेशन जा पड़ा. मैं उनके साथ नहीं गया था. तो मॉम मेरी देखभाल के लिए आंटी को बोल गई थीं कि ख्याल रखना.
मैं उनके घर नहीं जा सकता था क्योंकि उनकी विवाहिता ननद आई हुई थीं.
पता नहीं आंटी को क्या हुआ… आंटी ने एक रात को खुद से फोन करके कहा कि मैं उनके घर आ जाऊं. मैं घर गया तो उन्होंने ब्लैक कलर का गाउन पहना था. आंटी ने मुझे अपने कमरे में आने को कहा, मैं चला गया.
आंटी कमरे में आईं, मैंने दरवाजा बंद किया. बस हम दोनों लग गए. मैंने उनके कपड़े उतारे और हम दोनों नंगे हो गए थे.
मैंने पहले उनके मम्मों को चूसा, फिर उनको लंड चुसवाया. पूरे रूम में लंड के रस की महक फ़ैल गई. उनकी चूत में से टप टप करके रस निकल रहा था. मैंने उनकी चुत में अपना मुँह लगा दिया और चुत रस को चाटने लगा.
मैंने फिर चुत में लंड घुसाया, वो चीख पड़ीं और मुझ को कस के पकड़ लिया.
आंटी बोलीं- आज तुम सब कर दो..
मैंने आंटी की चुत में पूरा लंड घुसाना शुरू किया. चुत गीली हो गई थी और फच्च फच्च की आवाज आ रही थी. हम चुदाई करते हुए एक दूसरे को किस करने में लगे हुए थे.
आंटी की चुत चुदाई के बाद फिर मैंने जब गांड चोदने के लिए उनको घुमाया तो पता चला कि उसकी ननद खिड़की से हम दोनों को देख रही है और अपने मम्मों को दबा रही है.
एक बार तो मैं डर गया लेकिन फिर जब देखा कि खुद चुदासी हो रही है तो मैंने उसको भी अन्दर बुला लिया. वो अंदर आ गई, आंटी उसे देख कर हड़बड़ा गई. लेकिन जब देखा कि उनकी ननद भी चुदने को आतुर हो रही है तो आंटी ने पहले तो अपनी गांड को बुरी तरह से चुदवाया फिर हमने मिल कर आंटी की ननद की चुत का भी चोदन कर दिया.
मैंने आंटी की ननद की चुत चाटी, वो चिल्ला रही थी, फिर खूब जम के सेक्स किया और माल उसकी चुत में ही छोड़ दिया. आंटी को लगा कि वो कहीं प्रेग्नेंट ना हो जाए. उन्होंने ननद को सलाह दी कि तू अपने पति के साथ बिना कंडोम के सेक्स कर लेना ताकि उसको कोई शक न हो.
फिर अगली बार जब आंटी की ननद का बच्चा हुआ और वो अपने बच्चे को लेकर आंटी के घर आई तो मैंने उसका दूध पिया और उसे खूब चोदा.
ये सब दो साल से अब तक चल रहा है. इसके बाद आंटी ने अपनी बहन को भी मुझसे चुदवाया. उनके यहाँ एक नौकरानी आती थी, उसके साथ भी सेक्स करवाया और इसी तरह हम सेक्स करते रहे.
अब भी आंटी और मैं खूब मजा करते हैं.
मेरी antarvasna सेक्स कहानी कैसी लगी, मुझे comments से बतायें!
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को Hindi Sex Stories राहुल का प्यार भरा नमस्कार। बड़ी कोशिशों के बाद मैं अपनी पहली कहानी आपके सामने लाया हूँ। दोस्तों मेरा नाम राहुल है और मैं भरतपुर राजस्थान का रहने वाला हूँ।
मेरी उम्र इक्कीस साल है, कद 5’11” है। बात पिछले वर्ष की है जब मैं बी. टेक प्रथम वर्ष में था। काजल मेरे पड़ोस में रहती है, दिखने में वो बहुत ही सुन्दर है, हमेशा हँसता हुआ चेहरा, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, और 5 फुट 7 इंच कद है। उसकी फ़िगर 31-25-34 है और उम्र में मुझसे 2 साल छोटी है।
मेरी माँ उसे बहुत पसन्द करती है, इसलिए वो अक्सर हमारे घर आती रहती थी। हम छत पर भी मिलते थे। दिन गुज़रते रहे और कब हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई, वो मुझे मना नहीं कर पाई, क्योंकि वो पहले से ही चाहती थी। हम मज़बूरी में ज़्यादातर फोन पर बातें करते थे। साल का आख़िरी दिन आया। हम फोन पर बातें कर रहे थे, वो और उसके घरवाले कुछ देर पहले ही बाहर से आए थे, इसलिए जल्दी सो गए। मेरे घरवाले भी सो चुके थे।
बातों-बातों में मैंने पूछा “क्या, मुझे नए साल का उपहार मिलेगा?
पहले तो उसने मना कर दिया, फिर मान गई। रात को ठीक १२ बजते ही मैं उसके घर पहुँच गया, उसने दरवाज़ा खोल। वो मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, शायद शरमा रही थी… उस रात उसके चेहरे पर एक नई खुशी थी।
उसने दरवाज़ा लगाया और मेरे सीने से चिपक गई और बोली “हैप्पी न्यू ईयर मेरी जान…” पहले तो मैं थोड़ा डर गया, फिर उसने बिस्तर पर बिठा दिया। हम फोन पर कई बार सेक्स कर चुके थे, पर हकीक़त में कभी मौक़ा नहीं मिला था, सिर्फ चूमना छोड़कर।
अब भी हिम्मत नहीं हो रही थी कुछ करने की। बस दोनों बातें कर रहे थे प्यार भरी! एक-दूसरे को निहार रहे थे, एक-दूसरे के आगोश में, बिना कुछ किए ही दोनों तड़प रहे थे। मैं उसके पैरों पर सिर रख कर लेटा हुआ था, वो मेरे बालों और होंठों पर हाथ फेर रही थी।
आख़िरकार मेरे सब्र का बाँध टूट गया, और मैं उस पर टूट पड़ा। उसे चूमने लगा, वो भी यही चाहती थी, इसलिए मेरा साथ देने लगी। हम दोनों की हालत ख़राब हो रही थी… उस वक़्त दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया…।
सच में क्या होंठ थे…! एकदम गुलाबी और रसीले… मज़ा आ गया, फिर मैं उसे गर्दन पर चूमने लगा। वो मस्त होने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी… आह… उउह्ह ह्हह… शह्हहह… उसकी सिसकारियाँ मुझमें जोश भर रहीं थीं।
बोलने लगी “राहुल प्लीज़ हट जाओ…” वरना मैं पागल हो जाऊँगी, पर मैं कहाँ मानने वाला था।
थोड़ी ही देर में हम नंगे हो गए…। कसम से, क्या चूत थी… एकदम गुसाबी। मेरा एक हाथ उसकी चूचियों पर चल रहा था और दूसरा उसकी चूत पर। चूत भट्ठी हो रही थी और पूरी गीली हो चुकी थी… उसकी साँसें तेज़ और गरम थीं जो मुझे महसूस हो रही थीं। सपनों में तो उसे कितनी बार चोद चुका था, पर आज सपना सच लग रहा था।
हम पागलों की तरह एक-दूसरे को चूम रहे थे, जीभ से जीभ मिला कर एक-दूसरे का रस पी रहे थे और एक-दूसरे के अंगों को चूम रहे थे।
उसने अपने पैरों से मेरे लण्ड को सहलाना शुरु किया, और अपने चूतड़ों को ऊपर उठा रही थी। मैं समझ गया कि अब वो चुदने के लिए तैयार है। मैंने लण्ड उसकी चूत पर रख कर ज़ोर का धक्का लगाया। उसकी चीख निकल गई… “आह्ह्हह्हह राहुल लग गई” मैं बुरी तरह डर गया। मुझे लगा कि कोई जाग गया है। मैंने जल्दी से लाईट बन्द कर दी।
फिर हम दोनों चुप हो गए। काजल रो रही थी। मैंने पूछा क्या हुआ तो बोली “…प्लीज़ मैं अब नहीं कर सकती…. मेरे बहुत दर्द हो रहा है।”
फिर थोड़ी देर बाद जब बत्ती जलाई तो देखा, पूरी बेडशीट खून से सनी थी। वो बहुत रोई, बोली “सुबह अगर माँ ने देख लिया तो मुझे मार ही डालेगी! जान प्लीज़ अपने घर जाओ।” वो कराह रही थी।
मुझे उसकी हालत पर तरस आ रहा था, मैं बोला, “सेक्स नहीं कर सकती तो मेरा लण्ड तो चूस सकती हो…।” वो मान गई और मुझे फर्श पर लिटा दिया और हाथ में लेकर हिलाने लगी। कुछ देर देखती रही और चूसने लग गई… कसम से दोस्तों, मैं तो जन्नत में था, मेरा शरीर अकड़ने लगा।
वो बुरी तरह से काँप रही थी, थोड़ी देर में मैंने अपना वीर्य उसके मुँह में निकाल दिया… हम दोनों निढाल से पड़ गए।
फिर उसे भी जोश आने लगा, बोली “राहुल मेरी भी चूसो ना…। मैंने उसके पैर चौड़े किए और उसे जीभ से चोदने लग गया…। उसने अपने पैरों से मुझे जकड़ लिया। उसकी सिसकारियाँ तेज़ होने लगीं। तरह-तरह की आवाज़ें निकलना लगीं… आह… आह… उह्ह्ह… उह्ह्ह… उह्ह्ह्… उह्ह… शह ह्ह्हश ह्ह… ह्ह्हश… ह्ह्ह्ह… आहह ह्ह ह्ह्ह ह्ह हाय्… मै तो गई यार! और वो झड़ गई।
थोड़ी देर में हम दोनों फिर शुरु हो गए। वह बोली “थोड़ा धीरे करना… दर्द होता है… इस बार मैंने जल्दबाज़ी नहीं की और उसे चोदने लगा। वो भी सारा दर्द भूल कर मेरा साथ देने लगी… उसने मुझे कस कर पकड़ लिया… बोली “और ज़ोर से… जल्दी-जल्दी करो… आहह्ह् ह्ह्ह् ह्ह्ह… उह्ह्ह् ष्ह्ह्ह् ह्ह उह्ह्ह् पूरा अन्दर तक डाल दो।
पागलों की तरह चूमने लगी और वो फिर से झड़ गई। उसकी आँखों से खुशी झलक रही थी… साथ ही आँसूँ भी निकल पड़े। बोलने लगी “मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ।”
मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। उस रात मैंने उसे चार बार चोदा।
हमें जब भी अवसर मिलता है हम सम्भोग करते हैं। हमने छत, बाथरुम, गार्डन में ना जाने कितनी बार सम्भोग किया है… पर एक दिन वो यहाँ से चली गई।
मेरे पास उसकी यादों के सिवा कुछ नहीं बचा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी दोस्तों? अपने विचार मुझे ई-मेल पर ज़रूर भेजें। Hindi Sex Stories
प्रेषक : राहुल शर्मा Antarvasna
हाय दोस्तो !
तो दोस्तो मामला है एक सेक्स भरी रात का
किस्सा है ये चुदाई की रात का
उस रात मेरे मन में ना जाने क्या झमेला था
क्योंकि मैं घर पर एकदम अकेला था
अकेलेपन में मैं तन्हाई के गीत गुनगुना रहा था
और बीच बीच में अपने लण्ड को भी हिला रहा था
क्योंकि किसी कन्या का ख्याल आते ही ये दिल बड़ा हो जाता है
ये मासूम लण्ड भी इसकी तमन्ना समझते हुए खुद ही खड़ा हो जाता है
अब है तो खड़ा होगा ही
छोटा है तो बड़ा होगा ही
अचानक मुझे लगा कि कोई बुदबुदा रहा है
दिमाग गंदा हो तो लगता है कि कोइ चुदवा रहा है
मैने दरवाजा खोला तो वहां एक गोरी थी
उसके मम्में और गाण्ड देख कर लग रहा थी कि आज तक कोरी थी
मैने उसे अपने घर में अन्दर बुला लिया
ठंड बहुत थी सो मैंने कुन्डा लगा दिया
मैंने माज़रा पूछा तो पता चला वो रास्ता भूल गई
मेरी हिम्मत भी उसकी हालत देख के खुल गई
मैंने उसे बाहों में भर लिया था
क्योंकि उसे चोदने का पक्का इरादा कर लिया था
वो मेरी बांहों में आकर शरमा रही थी
और मेरी सांसों की गरमी से वो भी गरम हुई जा रही थी
मैंने धीरे से एक हाथ उसके मम्मों पर धर दिया
इन हाथों ने ही उसका सारा काम कर दिया
मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत पे था
और ध्यान उसके सूट पे था
आखिर उसकी जवानी को जो संवारना था
इसलिये उसका सूट भी उतारना था
मैंने उसकी कमीज़ उतार कर मम्म दबाने शुरू कर दिये
सलवार को अलग किया और शोट लगाने शुरू कर दिये
वो आहें भर कर मज़ा दे रही थी
या यूं कहें कि लड़की होने की सज़ा ले रही थी
मेरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर था
ये भी मज़े का एक मंजर था
वो कह रही थी कि चोदते रहो, चोदते रहो और चूत को फ़ाड़ डालो
आज अपने लण्ड से मेरी चूत में झण्डे गाड़ डालो
मैं भी पूरे दम से उसे चोदे जा रहा था
और चूत चुदाई के इस खेल में दोनों को मज़ा आ रहा था
मेरे लण्ड से पानी निकला तो वो संतुष्ट हो गई
नंगी ही वो मुझसे लिपट के सो गई
थोड़ी देर बाद उसने मेरे लण्ड को पकड़ लिया
मुझे कुछ समझ आता इससे पहले ही अपने होठों में जकड़ लिया
वो मेरे लण्ड को चूस रही थी इसलिये लण्ड खड़ा हो गया
एक बार फ़िर से ये लण्ड चुदाई के लिये खड़ा हो गया
अब उसे अपनी गाण्ड मुझसे मरवानी थी
उसकी चूत की तरह उसकी गाण्ड भी सुहानी थी
मैंने भी पूरी पावर से अपना लण्ड उसकी गाण्ड में डाला
और एक ही बार में उसकी गाण्ड को फ़ाड़ डाला
उसकी चीख ने मुझे झन्झोड़ दिया
साथ ही मेरे लण्ड ने एक बार फ़िर पानी छोड़ दिया
अब मुझे पता चला मैं कहां था
जिसमें मैं था वो एक दूसरा ही जहां था
मैंने गाण्ड और चूत दोनों ही मारी थी
लेकिन यारो सच जो ये है कि मैंने सपने में मुठ मारी थी
मेरा अन्डरवियर एकदम गीला हो गया था
मुठ इतनी जोर से मारी कि लण्ड भी नीला हो गया था
यारो सपना ही सही लेकिन मज़ा तो किया
अपने लण्ड को चूत के अन्दर तो किया
तो दोस्तो ! चोदो, चुदाओ और अपनी लाइफ़ को खुशहाल बनाओ Antarvasna
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