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डर्टी Xxx फॅमिली स्टोरी मेरी मम्मी की है. मैं दीदी की चुदाई करता था पर मम्मी को शक हुआ तो उसने दीदी की शादी करवा दी। मैंने अपनी वासना का हल कैसे किया?
नमस्कार दोस्तो, मैं एक बार फिर से आपके सामने अपनी नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं।
मेरी पिछली कहानी
बड़ी सगी दीदी की फुद्दी और गांड का मजा
में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैंने अपनी दीदी की चूत चुदाई की और उसकी गांड मारी थी।
आज मैं आपको अपनी मम्मी की डर्टी Xxx फॅमिली स्टोरी बताने जा रहा हूं।
आपको बता दूं कि मेरी मम्मी विधवा है और उसे हम भाई-बहन की चुदाई के बारे में शक हो गया था।
जल्दी ही मम्मी ने दीदी की शादी करवा दी।
अब मुझे चूत और गांड चुदाई के लिए तरसना पड़ रहा था।
जब कभी साल-छह महीने में दीदी घर आती थी तो तभी चूत मिल पाती थी।
उसमें भी मम्मी हम दोनों पर नजर रखती थी इसलिए मजा तो जैसे खत्म ही हो गया था।
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे और मेरे अंदर सेक्स की जो आग दबी थी उसमें रोज इंतजार का पेट्रोल गिरता जा रहा था जिससे वो रोज ज्यादा भड़कती जा रही थी।
जब मुझसे रहा न गया तो मैंने सोचा कि मम्मी पर ही ट्राई किया जाए। मेरा डर्टी Xxx विचार था पर मैं वासना से अँधा हो गया था.
मैं अपनी मम्मी के फिगर के बारे में बताऊं तो उसका साइज 36-32-38 का है।
आप सोच सकते हैं कि मेरी मम्मी देखने में कैसी सेक्स माल लगती होगी।
वो अक्सर घर में सूट सलवार और कुर्ता-पजामी या पजामा पहनती है। जिसमें उसकी बाहर को निकली हुई गांड मुझमें बहुत हवस जगाती थी।
एक दिन ऐसा हुआ कि मम्मी किचन में खाना बना रही थी।
मैं बाहर मार्केट से जब वापस आया तो पानी पीने के लिए किचन में गया और जानबूझ कर मम्मी के पीछे खड़ा होकर पूछने लगा- मम्मी क्या बना रही हो तुम?
उस समय वो कुर्ता पजामा पहने खड़ी थी।
मैं थोड़ा आगे को खिसका तो मेरा लंड मम्मी की गान्ड से टच हो गया।
इससे एकदम से लन्ड तनाव में आ गया और मम्मी को भी महसूस हुआ।
वो एकदम से वह वहां से दूर होकर चली गई लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बोला।
उस दिन के बाद से मेरा भी हौंसला बढ़ने लगा और मैं अक्सर उनकी बॉडी को टच करने का मौका देखता रहता।
ऐसे करते करते दो महीने निकल गए और मेरी हवस बढ़ती जा रही थी।
एक दिन मम्मी को बाहर थोड़ा काम था तो मैं मम्मी को बाइक पर ले गया।
आते समय बहुत तेजी से बारिश शुरू हो गई और मैं और मम्मी बारिश से भीग गए।
जब हम घर पहुंचे तो दोनों भीग चुके थे।
मम्मी ने उस समय लाल रंग का प्लाजो और ब्लू कुर्ता पहना हुआ था और गीला होने से उनके कपड़े एकदम उनके शरीर से चिपक गए थे।
इससे उनकी व्हाइट ब्रा पूरी साफ दिखाई दे रही थी।
मम्मी की गांड की शेप देखकर मेरा कंट्रोल छूट गया और मैंने मम्मी को पीछे से जाकर पकड़ लिया और उनकी गान्ड पर अपना लन्ड का दबाव बनाते हुए धक्के लगाने लगा जैसे मैं मम्मी की गांड चोद रहा हूं।
वो बोली- क्या कर रहे हो ये?
मुझ पर हवस सवार थी और मैं कुछ भी नहीं सोच पा रहा था।
मैं सीधे बोला- उस दिन जो किचन में जो अधूरा काम रह गया था, वो पूरा करना है। मैं बहुत प्यासा हूं। मैं रोक नहीं सकता अपने आपको।
ये कहते हुए मैंने मैंने सीधे एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और आराम आराम से कुर्ते के ऊपर से दबाने लगा।
मम्मी पहले तो थोड़ी छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन बाद में वो गर्म होने लगी।
इसी मौके का फायदा उठाते हुए मैंने उनका कुर्ता ऊपर किया और प्लाजो के ऊपर से फुदी को मसलने लगा।
अब वो आह … अह … करके थोड़ी थोड़ी सिसकारियां लेने लगी।
यह देखकर मेरा जोश और ज्यादा बढ़ने लगा।
मैंने उनके प्लाजो का नाड़ा खोल दिया। प्लाजो मैंने नीचे किया और निकलवा दिया।
अब वो ऊपर से कुर्ते में रह गई थी और नीचे से केवल पैंटी में।
फिर मैंने कुर्ता हटाकर पैंटी भी नीचे कर दी।
मम्मी की मोटी गांड देखकर मेरा लंड तो फटने को हो गया।
जल्दी से मैंने भी अपने कपड़े उतार फेंके और मम्मी की नंगी गांड पर लंड को रगड़ने लगा।
अब मम्मी ने मेरे हाथों को अपने कुर्ते के ऊपर से अपने बूब्स पर रखवाया और अपने हाथों से दबवाने लगी।
नीचे मेरा लंड कभी मम्मी की चूत तो कभी गांड पर रगड़ खा रहा था।
मजे में मम्मी की आंखें बंद हो चुकी थीं; वो मेरे लंड की पूरी फीलिंग ले रही थी।
उसके मुंह से उम्म … आह्ह … करके सिसकारियां निकल रही थीं।
फिर धीरे धीरे मम्मी का मूड पूरा चुदाई के लिए बन गया और उसने पीछे हाथ लाकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया।
अभी भी मेरा लंड उनकी गांड से टकरा रहा था।
मैंने पूछा- कैसा लग रहा है मम्मी?
वो बोली- बहुत अच्छा लग रहा है, बरसों की प्यास है, आज बुझवाने का मन कर रहा है; मेरी प्यास मिटा दो।
ये सुनते ही मैं भी मम्मी की चुदाई करने के लिए तैयार हो गया।
मुझे भी बहुत दिनों से चूत नहीं मिली थी इसलिए चुदाई के अलावा मन में कोई दूसरा ख्याल नहीं आ रहा था।
मैंने उनकी गांड पर हाथ टिका दिए और जोर जोर से दबाने लगा।
उस वक्त इतना मजा आ रहा था कि बस बता नहीं सकता।
मम्मी की 36 साइज की चूचियों को दबाते हुए मैं जोर जोर से उनकी चूत के होंठों पर लंड को रगड़ रहा था।
इससे मम्मी की चूत से पानी निकलने लगा था और वो चिकनी हो गई थी।
मम्मी की चूत का गीलापन मैं अपने लौड़े पर लगता हुआ महसूस कर सकता था।
अब मैंने मम्मी को अपनी साइड घुमाया और स्मूच करने लगा।
साथ में नीचे से मैं हाथ से उनकी चूत को भी रगड़ रहा था।
मम्मी की चूत की आग अब हर पल बढ़ती जा रही थी।
मॉम ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी मुठ मारने लगी।
कभी उसको अपनी चूत पर लगाकर मेरे कूल्हे पर टांग चढ़ा लेती थी ताकि मैं उनकी चूत में लंड घुसेड़ने पर मजबूर हो जाऊं।
मगर मैंने लंड की बजाय उनकी चूत में उंगली दे दी।
मैं एक उंगली देकर तेजी से अंदर बाहर करने लगा जिससे मॉम और ज्यादा तड़पने लगी।
मम्मी की पूरी बॉडी कांप रही थी।
मैंने और तेजी से उंगली करना शुरू कर दिया।
कुछ देर के बाद मॉम की चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ते हुए मेरे हाथ को भिगो दिया।
उनकी चूत पूरी पानी में गीली हो गई।
मैंने उनको बेड के किनारे पर बैठाया और उनकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा।
उनको गुदगुदी हो रही थी लेकिन मजा भी आ रहा था।
मैं अंदर तक जीभ घुसाकर उनकी चूत को चाट रहा था।
उनकी चूत के नमकीन पानी का स्वाद मेरे मुंह में आ रहा था।
मॉम दोबारा से गर्म होने लगी और मेरे मुंह को चूत में दबाने लगी।
मैंने उनको बेड के किनारे पर ही घोड़ी बना दिया और लंड को चूत पर सेट कर दिया। मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और चूत के मुख पर लंड को ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा।
इससे मम्मी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।
मॉम की चूत में मैंने पीछे से लौड़ा पेल दिया।
उनकी चीख निकल गई और आईई … उईई … आह्ह … मर गई … करके वो चिल्लाने लगी।
शायद बहुत समय से मम्मी ने चूत में कुछ नहीं लिया था।
मैंने पूरा लंड अंदर पेलकर उनकी चूत को चोदना शुरू कर दिया।
कुछ देर तक तो मॉम ऐसे ही दर्द में छटपटाती रही।
वो बार बार छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उनको साइड से पकड़ा हुआ था।
मेरे दोनों हाथ मॉम की गांड पर दोनों तरफ कसे हुए थे।
मैंने फिर गांड को ऐसे ही पकड़े हुए मॉम की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मेरा लंड मॉम की चूत में अब स्पीड से अंदर बाहर होने लगा।
पांच मिनट के बाद मॉम को चुदाई में मजा आने लगा।
वो आराम से आह्ह … आह्ह … करते हुए चुदने लगी।
फिर मॉम ने मुझे रुकने का इशारा किया।
मैंने लंड के धक्के लगाने बंद किए और मॉम ने आगे सरक कर लंड को अपनी खुल चुकी चूत से पक् … से बाहर निकलवा लिया।
मैं समझ नहीं पाया मॉम ने ऐसा क्यों किया।
वो पलट गई और फिर मेरे सामने टांगें खोलकर लेट गई।
मुझे समझ आया कि मॉम आगे से चुदवाना चाहती है।
फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैंने फिर से उनकी टांगें फैलाते हुए लंड को चूत में पेल दिया।
अब मैं मम्मी के जिस्म के ऊपर लेट गया और चोदने लगा।
उनकी टांगों ने मेरी गांड को जकड़ लिया और मुझे नीचे खींचकर मेरे होंठों को चूसने लगी।
नीचे से मेरा लंड पूरी तेजी से मॉम की चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
अब मॉम की चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी।
काफी देर तक मैं इसी पोज में उनकी चुदाई करता रहा।
फिर उन्होंने मुझे नीचे लिटाया और खुद मेरे ऊपर बैठकर मेरे लंड की सवारी करने लगी।
वो बहुत चुदासी लग रही थी, उनकी चूचियों के निप्पल एकदम से तनकर खड़े हो चुके थे।
नीचे से धक्के लगाते हुए मैंने उनकी चूचियों को भी भींच रहा था।
अगले पांच मिनट तक मॉम मेरे लंड पर उछलती रही।
फिर मेरा माल निकलने को हो गया।
मैंने कहा- मॉम, मेरा होने वाला है।
वो बोली- तुम देख लो, कहां निकालना चाहते हो!
मैंने उनको उठने के लिए कहा और बेड पर घुटनों के बल कर लिया।
कुतिया वाली पोजीशन में मैंने मम्मी के मुंह में अपना लंड दे दिया और चुसवाने लगा।
वो भी भूखी रंडी की तरह मेरे लंड को चूसने लगी।
मॉम मेरी बहन से भी ज्यादा अच्छी तरह से लंड चूस रही थी।
मुझे लंड चुसवाने में बहुत मजा रहा था लेकिन ये मजा देर तक टिक नहीं पाया।
2-3 मिनट की चुसाई के बाद मेरे लंड ने माल मॉम के मुंह में गिराना शुरू कर दिया।
मैंने सारा माल उनके मुंह में उड़ेल दिया जिसे मॉम पूरा अंदर निगल गई।
कुछ देर तक हम दोनों वहीं बेड पर पड़े रहे।
हमें सामान्य होने में 10 मिनट का समय लग गया।
उसके बाद मॉम उठकर वॉशरूम में गई और मैं भी मॉम के पीछे वॉशरूम में चला गया।
अंदर जाकर मैंने मॉम को फिर से बांहों में भर लिया।
मैं उनकी चूचियों को चूसने लगा और चूत को रगड़ने लगा।
हम दोनों फिर से गर्म हो गए।
उसके बाद मैंने मॉम को वहीं सीट पर बिठा लिया और उनकी चूत को चूसने लगा।
मम्मी की चूत फिर से गर्म हो गई और उनकी चूत से नमकीन रस का स्वाद आने लगा।
अब मैंने उनको खड़ी किया और दीवार के साथ सटा दिया।
उनका मुंह दीवार की तरफ था और गांड मेरी तरफ।
मैंने पीछे से टांगों को फैलाते हुए उनकी चूत में लंड को पेल दिया और दीवार की तरफ धक्के लगाते हुए चूत को चोदने लगा।
मैं जोर जोर से झटके देने लगा।
वो भी मेरा पूरा साथ देते हुए गांड को लंड की तरफ उछाल रही थी।
लगभग 5 मिनट तक मैंने मॉम की चुदाई दीवार से सटाकर ही की।
फिर मैंने उनको नीचे फर्श पर लिटा लिया और खुद ऊपर आकर चोदने लगा।
अब मॉम को चुदते हुए मजा भी आ रहा था और दर्द भी हो रहा था।
वो मेरी पीठ को नोंचते हुए चुद रही थी।
उनकी आंखों में संतुष्टि आती साफ दिख रही थी।
इस तरह मैंने वॉशरूम में मम्मी को बहुत देर तक अलग अलग आसनों में बहुत चोदा और पूरा माल उनके बूब्स पर डाल दिया।
मम्मी भी उस चुदाई में 2 बार झड़ गई।
फिर हम दोनों नहाकर बाहर आ गए और उस दिन के बाद हमारे बीच चुदाई का रिश्ता भी बन गया।
दोस्तो, आपने अन्तर्वासना डॉट Antarvasna कॉंम पर मेरी पिछली कहानी पापा के साथ समलैंगिक सम्बन्ध में पढ़ा कि कैसे मैंने अपने पापा को उत्तेजित किया। अब आगे की कहानी पढ़िए..
अब तक मुझे साड़ी पहनना ढंग से नहीं आता था। एक दिन मैंने पापा को अकेले में पकड़ा, घर के लोग बाहर गए हुए थे, पापा बिस्तर पर लेट कर आराम कर रहे थे। मैंने जाते ही पापा का लिंग पकड़ लिया। पापा अचानक से उठे, इतनी देर में मैंने पापा का पजामा और चड्डी उतार कर लिंग हाथ में ले लिया। वो अभी बैठा हुआ था, मैंने उसे चूसना शुरू कर दिया। पापा मुस्कुराने लगे। थोड़ी देर में पापा का लिंग खड़ा हो गया।
पापा ने पूछा- बेटे आज कोई खास बात है क्या?
मैंने कहा- पापा, आप मुझे आज बेटे से बेटी बना दो !
पापा ने कहा- वो तो तुम हो ही !
मैंने कहा- नहीं ! आपकी बेटी को अभी तक साड़ी पहनना नहीं आया है, साड़ी के बिना तो भारतीय नारी अधूरी है। आज मुझे सच में साड़ी पहनना सीखना है। अब यह तो उसकी माँ ही सिखाती है। आज आप मेरी माँ बन कर अपनी बेटी को ज्ञान प्रदान कीजिये।
पापा कहने लगे- बेटी, रात तक का तो इंतज़ार कर लो !
मैंने कहा- रात में सब आ जायेंगे ! कमरे में खटपट सुन कर कोई ऊपर आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।
पापा ने कहा- तुम ठीक कहती हो ! चलो, आज तुम्हें अपना तजुर्बा अभी देता हूँ।
पापा ने भी मेरा लिंग मेरी पैंट से निकाला और चूसने लगे। थोड़ी देर तक चूसने के बाद पापा ने अपने और मेरे लिए साड़ी, साया, ब्रा और ब्लाउज निकाला।
पापा ने मुझे उनके और अपने कपड़े उतारने के लिए कहा। मैंने उनका पजामा और फिर बनियान उतारी। उनकी चड्डी उतारी और उनके लिंग को थोड़ी देर तक चूसा और मैं एक झटके में नंगा हो गया। हम दोनों का लौड़ा खड़ा था. पहले पापा मेरी मम्मी बनने के लिए तैयार हो रहे थे। उन्होंने पहले औरतों वाली चड्डी पहनी, उसके बाद साए को सर के ऊपर से डाला। इसके बाद पापा ब्रा की बारी आई. मैंने पापा की ब्रा के हुक पीछे से लगाए। पापा के स्तन इतने सही थे कि उन्हें कुछ भरने की जरूरत नहीं थी। फिर एक ब्लाउज पहनी, इसके बाद इतनी सफाई से उन्होंने साड़ी पहनी कि कोई कहे नहीं कि ये मेरी मम्मी नहीं मेरे पापा हैं।
इसके बाद पापा ने मुझे पैंटी पहनाई। एक बहुत ही छोटी साइज़ की ब्रा निकली और कस कर पहना दी। मैं बहुत पतला दुबला हूँ. तो मेरे लिए उन्होंने टेनिस वाली गेंद ब्रा के अन्दर लगाई, एक नीले रंग की ब्लाउज पहनाई और उसके बाद मेरे सर के ऊपर से बिलकुल औरतों की तरह साया पहनाया। फिर साड़ी का एक कोना मेरे साए के अंदर डाला और डालते वक़्त भी मेरा लौड़ा पकड़ कर हिलाया। फिर एक लपेटा देकर चुन्नट डाल कर वापस खोंस दिया। इसके बाद आँचल का सिरा ढंग से बना कर मेरे कंधे पर डाला पर मुझसे साड़ी संभल नहीं रही थी तो साड़ी को पिन लगा कर सम्भाला।
मेरी पतली कमर पर साड़ी देख कर पापा का लिंग मचलने लगा। पापा ने फिर भी कण्ट्रोल किया और फिर पूरा श्रृंगार किया, लिप ग्लॉस, चूड़ी, हार, नथुनी, टॉप्स और फिर नाख़ून-पोलिश लगाई। मैंने भी पापा का श्रृंगार किया। हम दोनों अति सुन्दर महिलायें लग रहे थे। बस हमारी साड़ी में से कुछ खड़ा दिख रहा था।
इसके बाद हम दोनों हमबिस्तर हो गए। पापा ने मेरे होंठों पर चूमा। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। ऐसा थोड़ी देर तक करने के बाद हमने एक दूसरे को चाटना शुरू कर दिया।
चाटते चाटते मेरे पापा, जिसे अब मैं अपनी मम्मी कह कर संबोधित करूंगा, ने मेरा साया उठाया और मेरा लिंग चूसने लगे। इसके बाद हम दोनों 69 स्थिति में आ गए। मैं मम्मी का लिंग और मम्मी मेरा लिंग चूस रही थी। मम्मी चूसते चूसते अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी। उनका लिंग मेरे गले में भर आया। ऐसा करने से मैं झरने ही वाली थी कि मेरे मुँह में उनका वीर्य भर गया। मैं भी तब तक झर गई। मम्मी ने मेरा और मैंने मम्मी का पूरा वीर्य गटक लिया। हम दोनों थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहीं।
मम्मी ने कहा कि अब किसी और को भी हमारे इस खेल में लाना चाहती हैं।
मैं चौंक गई। मैं समझ नहीं पाई कि वो क्या कहना चाह रही हैं? उनका मतलब थोड़ी देर में ही समझ में आया जब मेरे चाचा भी साड़ी में आकर खड़े हो गए और मेरी गांड चाटने लगे।
पापा ने तब बताया कि यह उनके घर की परंपरा है कि लोग रात में अपना लिंग बदल कर अपने साथी को मजा देते हैं। तुम्हारे दादा जी भी ऐसे ही हैं। तुम्हारे सब चाचा साड़ी पहनना जानते हैं। मैं सोच रहा था कि तुम्हें कैसे बताऊँ? तुम्हें कैसा लगेगा.. पर तुमने मेरा काम खुद आसान कर दिया। यह बात मैंने तुम्हारे चाचा को बताई, उन्हें बहुत पसंद आई। तुम्हारे दादा भी तुम्हारी गांड के पीछे हैं। कहो तो तुम्हारी गांड मारने के लिए उन्हें भी बुलाऊँ?
मैंने कुछ सोचे बिना ही हाँ कह दी। दादा जी का बड़ा लिंग किसे पसंद नहीं होगा। मेरे कहते ही मेरे दादा मेरी दादी की साड़ी में आ गये।
दादी कहने लगी कि मुझे पता था कि मेरी पोती मेरा नाम रोशन करेगी।
तब चाची ने मुझे बताया कि जिस लड़के ने मुझे यह सब सिखाया था वो सब उसने मेरी चाची से सीखा था… और यह चाची का ही कमाल था कि उसने मुझे सिखाया.. मेरी दादी और चाची ने बहुत कोशिश की थी कि मेरी मम्मी उन दोनों से गांड मरा ले पर मेरी मम्मी मानती नहीं थी। इस पर उन्होंने कसम दिलाई कि अगर मैं साड़ी में उनकी गांड मार लूं तो वो चाची या दादी से गांड मराएंगी.. मम्मी यह सुन कर मुस्कुराने लगी.. “मुझे पता था कि यह तुम लोगो का ही काम है। मैंने पिछली बार गांड मराई थी तब तुम्हारे चाची और दादी को बताया था.. उन्हें भी तुम्हारी गांड के किस्से पसंद आये तो मैंने उन्हें आज बुलाया था। घर में सब जा रहे थे तब ही मैंने उन्हें फ़ोन कर के बुला रखा था। मुझे पता था कि तुम शुरू करोगे, वरना मैं ही थोड़ी देर में शुरू कर देता।”
मुझे लगा कि मैं बड़ा बेवक़ूफ़ था, यहाँ पर सारे मेरे जैसे ही हैं और मैं बाहर जाने की सोच रहा था।
फिर हम सब एक बिस्तर पर लेट गए। मैं दादी का.. दादी मेरी मम्मी का … मम्मी मेरी चाची का और चाची मेरा लिंग चूसने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद सब एक दूसरे की गांड चाटने लगे।
थोड़ी देर बाद सबकी गांड नरम हो गई। दादी ने मुझे कुतिया बनाया और अपना लिंग मेरी गांड में डाला। डालते ही मुझे स्वर्गीय सुख का आनंद आने लगा।
उधर मैंने देखा कि मेरी चाची मेरी मम्मी पर अपना जौहर दिखा रही थी। मैं भी गांड उठा उठा कर दादी की मदद करने लगा.. दादी बड़ा खुश हो गई.. उन्हें सदियों बाद कोई कच्ची गांड मिली थी। दादी जल्दी ही झर गई।
अब मेरी बारी आई। दादी ने अपना साया, साड़ी खुद ही उठा दिया। मैं बिना रुके ही उनकी गांड में प्रवेश कर गया। दादी चिल्ला पड़ी। हालाँकि उनको बहुत ही तजुर्बा था लेकिन मेरा लिंग काफी मोटा था। मैं कोई परवाह किये बिना उनकी गांड मारता रहा। उनके ऊपर झुक कर उनके बूब्बे दबाने की कोशिश की, फिर अपनी रफ़्तार बहुत ही ज्यादा तेज कर दी। दादी की चिल्लाहट सुन कर मम्मी जो अब चाची की गांड मार रही थी रुक गई, बोली- बेटी, थोड़ा आराम कर ! वरना कोई आ जायेगा !
इतने में दरवाजे की घंटी बजी और सब सकते में आ गए। सब मर्दों ने साड़ी पहन रखी थी और कोई इतनी जल्दी साड़ी उतार कर अपने कपड़े नहीं पहनने वाला था। हिम्मत कर के मैं ऐसे ही दरवाजे के की-होल से देखा और मैं खुश हो गया। मैंने दरवाजा खोल दिया और मेरी दादी, चाची और मम्मी की जान आफत में आ गई।
सामने मेरे मामा थे जो एक पैकेट ले कर दरवाजे पर खड़े थे। मेरे मामा का मुझ से शारीरिक सम्बन्ध था जो मैंने अपनी परीक्षा के दौरान बनाया था। यह बात किसी और को नहीं मालूम थी कि मेरे मामा भी साड़ी पहनने में महारथी हैं।
सब मर्दों को साड़ी में पूर्ण श्रृंगार में देखते ही मेरे मामा का खड़ा होने लगा। मैं झट से दरवाजा बंद किया और उनकी पैंट उतार कर चूसने लगा। यह देख कर बाकी लोगों की जान में जान आई।
मैंने कहा- मैं भी किसी और को अपने खेल में शामिल करना चाहता था.. पर समझ नहीं आया कि आप मानेंगे या नहीं .. इसीलिए मामा को ही बुला लिया। अब तो हम सब गोला बना कर भी एक दूसरे की गांड मार सकते हैं..
पर मम्मी ने कहा- नहीं, यह नहीं हो सकता..
दादी और चाची के साथ मैं और मामा भी सन्न रह गए..
फिर मम्मी ने कहा- जब तक यह मर्दों के ड्रेस में है, ऐसा नहीं हो सकता… साली को साड़ी में चोद सकता हूँ मैं..
इतना सुनते ही मामा ने साथ लाया पैकेट फाड़ा और 10 जोड़ी साड़ी का सेट दिखाया। अब तो सबने अपने कपड़े बदले और नई साड़ी पहनी। नई साड़ी की बात ही कुछ और होती है, यह तो मुझे नई साड़ी पहन कर ही पता चली।
इसके बाद मैंने चाची का लिंग पकड़ लिया। उनका लिंग तो 7 इंच का था.. मेरे मुँह में पूरा नहीं आ रहा था.. थोड़ी देर चूसने के बाद देखा… मामी मेरी मम्मी की साड़ी के साथ खेल रही थी.. उनका सर मेरी मम्मी की साड़ी में था.. मेरी मम्मी मेरी दादी का चूस रही थी।
तभी मेरी साड़ी में हलचल हुई और मैंने देखा मेरी साड़ी, साया उठा कर मेरी पैंटी नीचे करने वाली मेरी मामी है। मामी मेरा लिंग चूसने लगी और दादी मामी का..
फिर हम लोग एक गोला बना कर खड़े हो गए। इस बार मैं अपनी दादी का और दादी मेरी मम्मी की गांड मार रही थी। मेरी मम्मी अपनी साली की और उनकी साली यानी मेरी मामी मेरी चाची की गांड मारने के लिए तैयार थी।
क्या नजारा था.. पांच औरतें नई साड़ियों में एक दूसरे में समाने के लिए तत्पर हुए जा रही थी.. थोड़ी देर में सब झड़ गईं.. सबने कहा- बहुत मजा आया.. अब हर बार किसी नए लौंडे की गांड मारी जाये।
मैंने कहा- आप लोग चिंता न करें.. यह काम मुझ पर छोड़ दें.. बस कुछ दिन और इंतज़ार कीजिये। Antarvasna
उसने बलराम के सुपारे पर Antarvasna थोड़ी और जेली लगाई और एक-दो-तीन कह कर फिर से कोशिश की। इस बार बलराम करीब आधा इंच अन्दर चला गया। प्रगति के मुँह से एक हलकी सी आवाज़ निकली।
अमन ने एकदम बलराम को बाहर निकाल कर प्रगति से पूछा कि कैसा लगा? दर्द बहुत हुआ क्या?
प्रगति ने पलट कर उसके होटों पर एक ज़ोरदार चुम्मी की और कहा- तुम मेरा इतना ध्यान रख रहे हो तो मुझे दर्द कैसे हो सकता है !! अब मेरे बारे में सोचना बंद करो और बलरामजी को अन्दर डालो।
यह सुनकर अमन का डर थोड़ा कम हुआ और उसने कहा- ठीक है, चलो इस बार देखते हैं तुम में कितना दम है !!
एक बार फिर जेली गांड और बलराम पर लगा कर उसने एक-दो-तीन कह कर थोड़ा ज्यादा ज़ोर लगाया। इस बार बलराम अचानक करीब डेढ़ इंच अन्दर चला गया और प्रगति ने कोई आवाज़ नहीं निकाली। बस एक लम्बी सांस लेकर छोड़ दी। अमन ने बलराम को अन्दर ही रहने दिया और प्रगति की पीठ सहलाने लगा। उसने प्रगति को शाबाशी दी और कहा वह बहुत बहादुर है।
थोड़ी देर बाद अमन ने प्रगति को बताया कि अब वह बलराम को बाहर निकालेगा। और फिर धीरे धीरे बलराम को बाहर खींच लिया। उसने प्रगति से पूछा उसे अब तक कैसा लगा तो प्रगति ने कहा कि उसे दर्द नहीं हुआ और थोड़ा मज़ा भी आया।
अमन ने प्रगति को आगाह किया कि इस बार वह बलराम को और अन्दर करेगा और अगर प्रगति को तकलीफ नहीं हुई तो बलराम से उसकी गांड को चोदने की कोशिश करेगा। प्रगति ने कहा वह तैयार है।
पर अमन ने एक बार फिर सब जगह जेली का लेप किया और तीन की गिनती पर बलराम को घुमाते हुए उसकी गांड के अन्दर बढ़ा दिया। प्रगति थोड़ा कसमसाई क्योंकि बलरामजी इस बार करीब चार इंच अन्दर चले गए थे। अमन ने प्रगति को और शाबाशी दी और कहा कि अब वह तीन की गिनती नहीं करेगा बल्कि प्रगति को खुद अपनी गांड उस समय ढीली करनी होगी जब उसे लगता है कि बलराम अन्दर जा रहा है।
यह कह कर उसने बलराम को धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू किया। हर बार जब बलराम को वह अन्दर करता तो थोड़ा और ज़ोर लगाता जिससे बलराम धीरे धीरे अब करीब 6 इंच तक अन्दर पहुँच गया था। प्रगति को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। यह उसके हाव भाव से पता चल रहा था। अमन ने प्रगति की परीक्षा लेने के लिए अचानक बलराम को पूरा बाहर निकाल लिया और फिर से अन्दर डालने की कोशिश की। प्रगति चौकन्नी थी और उसने ठीक समय पर अपनी गांड को ढील दे कर बलराम को अपने अन्दर ले लिया। अमन प्रगति की इस बात से बहुत खुश हुआ और उसने प्रगति की जाँघों को प्यार से पुच्ची कर दी।
अब वह बलराम से उसकी गांड चोद रहा था और अपनी उँगलियों से उसकी चूत के मटर को सहला रहा था जिससे प्रगति उत्तेजित हो रही थी और अपने बदन को ऊपर नीचे कर रही थी। कुछ देर बाद अमन ने बलराम को धीरे से बाहर निकाला और प्रगति को पलटने को कहा। उसने प्रगति के पेट और मम्मों को पुच्चियाँ करते हुआ कहा कि उसके हिसाब से वह गांड मरवाने के लिए तैयार है।
प्रगति ने कहा- हाँ, मैं तैयार हूँ पर अमन के लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यह जनाब तो तैयार नहीं हैं, लाओ इन्हें मैं तैयार करूँ।
शाम के सात बज रहे थे। अभी एक घंटा और बचा था। प्रगति की उत्सुकता देख कर उसका मन भी गांड मारने के लिए डोल उठा। उसके लंड पर प्रगति की जीभ घूम रही थी और उसके हाथ अमन के अण्डों को टटोल रहे थे। साथ ही साथ गोली का असर भी हो रहा था।
थोड़ी ही देर में अमन का लंड ज़ंग के लिए तैयार हो गया। पहली बार गांड में घुसने की उम्मीद में वह कुछ ज़्यादा ही बड़ा हो गया था। प्रगति ने उसके सुपारे को चुम्बन दिया और अमन के इशारे पर पहले की तरह उलटी लेट गई। अमन ने उसके कूल्हे थोड़े और ऊपर की ओर उठाये और टांगें और खोल दी। प्रगति का सिर उसने तकिये पर रखने को कहा और छाती को बिस्तर पर सटा दिया।
अब उसने प्रगति की गांड की अन्दर बाहर जेली लगा दी और अपने लंड पर भी उसका लेप कर दिया। अमन ने पीछे से आ कर अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाया और प्रगति को पूछा कि क्या वह तैयार है ।
प्रगति तो तैयार ही थी। अमन ने धीरे धीरे लंड को अन्दर डालने के लिए ज़ोर लगाया पर कुछ नहीं हुआ। एक बार फिर सुपारे को छेद की सीध में रखते हुए ज़ोर लगाया तो लंड झक से फिसल गया और चूत की तरफ चला गया। अमन ने एक बार कोशिश की पर जब लंड फिर भी नहीं घुसा तो उसने फिर से बलराम का सहारा लिया। बलराम को जेली लगा कर फिर से कोशिश की तो बलराम आराम से अन्दर चला गया। बलराम से उसकी गांड को ढीला करने के बाद एक और बार अमन ने अपने लंड से कोशिश की।
पर उसका लंड बलराम से थोड़ा बड़ा था और वह प्रगति को दर्द नहीं पहुँचाना चाहता था शायद इसीलिए वह ठीक से ज़ोर नहीं लगा रहा था। प्रगति ने मुड़ कर अमन की तरफ देखा और कहा- मेरी चिंता मत करो। मुझे अभी तक दर्द नहीं हुआ है। तुम थोड़ा और ज़ोर लगाओ और मैं भी मदद करूंगी।
अमन को और हिम्मत मिली और इस बार उसने थोड़ा और ज़ोर लगाया। उधर प्रगति ने भी अपनी गांड को ढीला करते हुए पीछे की तरफ ज़ोर लगाया। अचानक अमन का लंड करीब एक इंच अन्दर चला गया। पर इस बार प्रगति की चीख निकल गई। इतनी तैयारी करने के बाद भी अमन के लंड के प्रवेश ने प्रगति को हिला दिया।
अमन को चिंता हुई तो प्रगति ने कहा- अब मत रुकना।
अमन ने लंड का जो हिस्सा बाहर था उस पर और जेली लगाई और लंड को थोड़ा सा बाहर खींच कर एक और ज़ोर लगाया।
प्रगति ने भी पीछे के तरफ ज़ोर लगाया और अमन का लंड लगभग पूरी तरह अन्दर चला गया। प्रगति थोड़ा सा हिली पर फिर संभल गई। अमन से ज़्यादा प्रगति के कारण उन्हें यह सफलता मिली थी।
अब अमन को अचानक अपनी सफलता का अहसास हुआ। उसका लंड इतनी टाइट सुरंग में होगा उसको अंदाजा नहीं था। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। ख़ुशी के कारण उसका लंड शायद और भी फूल रहा था जिस से उसकी टाइट गांड और भी टाइट लग रही थी।
थोड़ी देर इस तरह रुकने के बाद उसने अपने लंड को हरकत देनी शुरू की। उसका लंड तो चूत का आदि था जिसमें अन्दर बाहर करना आसान होता है। गांड की और बात है। इस टाइट गुफा में जब उसने लंड बाहर करने की कोशिश की तो ऐसा लगा मानो प्रगति की गांड लंड को अपने से बाहर जाने ही नहीं देना चाहती।
फिर भी अमन ने थोड़ा लंड बाहर निकाला और जितना बाहर निकला उस हिस्से पर जेली और लगा ली। अब धीरे धीरे उसने अन्दर बाहर करना शुरू किया। बाहर करते वक़्त थोड़ा तेज़ और अन्दर करते वक़्त धीरे-धीरे की रफ्तार रखने लगा।
उसने प्रगति से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो प्रगति ने बहुत ख़ुशी ज़ाहिर की। उसे वाकई बहुत मज़ा आ रहा था। उसने अमन को और ज़ोर से चोदने के लिए कहा। अमन ने अपनी गति बढ़ा दी और उसका लंड लगभग पूरा अन्दर बाहर होने लगा।
अमन की तेज़ गति के कारण एक बार उसका लंड पूरा ही बाहर आ गया। अब वह इतनी आसानी से अन्दर नहीं जा रहा था जितना चूत में चला जाता है। उसने फिर से गांड में और लंड पर जेली लगाई और फिर पूरी सावधानी से लंड को अन्दर डाला। एक बार फिर प्रगति की आह निकली पर लंड अन्दर जा चुका था। अमन ने फिर से चोदना शुरू किया। उसके लंड को गांड की कसावट बहुत अच्छी लग रही थी और उसे प्रगति के पिछले शरीर का नज़ारा भी बहुत अच्छा लग रहा था।
अब उसने प्रगति को आगे की ओर धक्का देते हुए बिस्तर पर सपाट लिटा दिया। वह भी उसके ऊपर सपाट लेट गया। प्रगति पूरी बिस्तर पर फैली हुई थी। उसकी टांगें और बाजू खुले हुए थे और उसके चूतड़ नीचे रखे तकिये के कारण ऊपर को उठे हुए थे। अमन का पूरा शरीर उसके पूरे शरीर को छू रहा था। सिर्फ चोदने के लिए वह अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करता था और उस वक़्त उनके इन हिस्सों का संपर्क टूटता था।
अमन ने अपने हाथ सरका कर प्रगति के बदन के नीचे करते हुए दोनों तरफ से उसके मम्मे पकड़ लिए। अमन का पूरा बदन कामाग्नि में लिप्त था और उसने इतना ज्यादा सुख कभी नहीं भोगा था। उधर प्रगति ने भी इतना आनंद कभी नहीं उठाया था। उसके नितम्ब रह-रह कर अमन के निचले प्रहार को मिलने के लिए ऊपर उठ जाते थे जिससे लंड का समावेश पूरी तरह उसकी गांड में हो रहा था। दोनों सातवें आसमान पर पहुँच गए थे।
अब अमन चरमोत्कर्ष पर पहुँचने वाला था। उसके मुंह से मादक आवाजें निकलने लगी थी। प्रगति भी अजीब आवाजें निकल रही थी। अमन ने गति तेज़ करते हुए एक बार लंड लगभग पूरा बाहर निकाल कर एक ही वार में पूरा अन्दर घुसेड़ दिया, प्रगति की ख़ुशी की चीख के साथ अमन की दहाड़ निकली और अमन का वीर्य फूट फूट कर उसकी गांड में निकल पड़ा।
प्रगति ने अपनी गांड ऊपर की तरफ दबा कर उसके लंड को जितनी देर अन्दर रख सकती थी रखा। थोड़ी देर में अमन का लंड स्वतः बाहर निकल गया और प्रगति की पीठ पर निढाल पड़ गया।
दोनों की साँसें तेज़ चल रही थी और दोनों पूर्ण तृप्त थे। अमन ने प्रगति को उठा कर अपने सीने से लगा लिया। उसके पूरे चेहरे पर चुम्बन की वर्षा कर दी और कृतज्ञ आँखों से उसे निहारने लगा।
प्रगति ने भी घुटनों के बल बैठ कर अमन के लिंग को पुचकारा और और धन्यवाद के रूप में उसको अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। उसकी आँखों में भी कृतज्ञता के आँसू थे। दोनों एक बार फिर आलिंगनबद्ध होते हुए बाथरूम की तरफ चले गए। Antarvasna
सुबह Antarvasna मम्मी ने हम लोगों को करीब नौ बजे जगाया।
हम लोग हड़बड़ा कर उठे और अपने अपने कपड़े को खोजने लगे। हम लोगों की हालत देख कर मम्मी बड़ी प्रसन्ता से बोली- मैं तुम लोगों के लिए चाय नाश्ता बना रही हूँ, फ्रेश हो कर डाइनिंग टेबल पर आ जाना।
यह कहते हुए मम्मी रसोई की तरफ चली गई। हम सभी लोग थोड़ी ही देर में डाइनिंग टेबल पर आ गए। चाय नाश्ता मेज़ पर लगा था।
मम्मी रसोई से आते हुए मुस्कराते हुए बोली- लगता है तुम लोगों ने रश्मि को रात भर कस कर चोदा है।
इस बात पर प्रदीप और विशाल बगैर कुछ बोले मुस्कराने लगे। नाश्ता करने के बाद प्रदीप और विशाल एक साथ कॉलेज के लिए निकल गए।
पाँच दिनों तक विशाल और प्रदीप मुझे सुबह और रात में दो दो बार चोदते रहे। उसके बाद विशाल दिल्ली चला गया और प्रदीप अपने घर चला गया। लेकिन रोज शाम को आकर मुझे चोदता था और वीर्य पिलाता था। कभी कभी प्रदीप के दोस्त भी मुझे चोदते और वीर्य पिलाते थे।
एक दिन प्रदीप के साथ उसका दोस्त मोहन त्रिपाठी आया। मैं समझ गई कि आज यह भी मुझे चोदेगा और वीर्य पिलाएगा।
खैर प्रदीप ने मोहन त्रिपाठी का परिचय मेरी मम्मी से कराया ये मेरे बड़े भाई के और मेरे भी दोस्त हैं ये ज्योतिष और हस्त रेखा के विशेषज्ञ है ये जो भी बात बताते हैं वो बिल्कुल सही निकलती है।
यह सुन कर मेरी मम्मी तुरन्त मेरे बारे में पूछने लगीं- मेरी बेटी रश्मि का बदन एक जवान लड़की की तरह होगा या नहीं और इसकी शादी कब होगी?
इस पर मोहन त्रिपाठी ने मेरी कुन्डली मांगी। मम्मी ने मोहन त्रिपाठी को कुन्डली ला कर दे दी। उन्होंने बड़े ध्यान से कुन्डली को पाँच मिनट तक देखा फिर मुझसे बोले- अपना बायाँ हाथ दिखाओ।
मेरा हाथ उलट पलट कर देखते रहे, फिर मम्मी से बोले- आपकी बेटी का हार्मोनल सिस्टम बिगड़ा है अगर एक चीज आपकी बेटी के शरीर में होगी तो वो बिलकुल ठीक हो जायेगी।
वोह क्या… मम्मी बोलीं।
इस पर पंडित जी ने प्रदीप के कान में कुछ कहा। फिर प्रदीप ने मम्मी को इशारे से अन्दर आने को कहा। प्रदीप और मम्मी अन्दर चले गए। प्रदीप ने मम्मी से कहा कि पंडित जी रश्मि की बुर का निरीक्षण करना चाहते हैं।
मम्मी ने अनुमति दे दी।
फिर प्रदीप ने आकर पंडित जी से कहा कि आप देख सकते हैं !
और मुझसे कहा कि सलवार उतार कर तुम अपनी बुर पंडित जी को दिखाओ।
मैंने वैसा ही किया जैसे प्रदीप ने कहा। मुझे अब किसी के सामने कपड़े उतारने में कोई संकोच नही होता था।
पंडित जी ने मेरी चूत को बारीकी से देखा और मुस्कराकर मम्मी से बोले- आपकी लड़की बिल्कुल सही हो जायेगी क्योंकि इसकी योनि पर काला तिल है, आपकी लड़की इतनी सेक्सी है कि कोई साधारण लड़का इसको संतुष्ट नहीं कर पायेगा, वही लड़का इसको संतुष्ट कर सकता है, जिसके लिंग पर काला तिल होगा। आप इसकी शादी उसी लड़के से करियेगा। और जहाँ तक इसकी शादी की बात है वह 28-29 वर्ष में हो जायेगी। आप की लड़की तो सुन्दरता का प्रयाय बनेगी। आप देखती जाइये। क्योंकि इसकी कुन्डली में पिछले तीन महीने से शुक्र की महादशा चल रही है आप बिलकुल निश्चिंत रहिए। फिर प्रदीप और पंडित बाहर चले गए। मैं और मम्मी, पंडित जी की भविष्यवाणी सुन कर बहुत प्रसन्न हुए।
इसके बाद यह थैरेपी करीब तीन महीने तक चली लेकिन कोई खास परिवर्तन मेरे बदन में नही दिखा। लेकिन मेरी मम्मी ने कहा- तुम लगातार वीर्य पान करती रहो।
चौथे महीने के एक दिन जब सुबह उठी, तो मुझे लगा कि मेरी बुर के पास की सलवार गीली है। मैंने हाथ लगा कर देखा कि मेरी बुर से खून रिस रहा था।
मैंने भाग कर मम्मी को बताया। मम्मी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और सलवार उतार कर मेरी बुर के होठों को फैला कर देखते ही बोली- चलो, तुम्हारे पीरियड शुरू हो गये हैं अब सब ठीक हो जायेगा। इसके बाद तो चुदाई में मुझे और मजा आने लगा। मेरी चुदाई से अब मेरे शरीर में परिवर्तन आने लगा था। पांचवे महीने मेरी चूचियाँ सन्तरे के बराबर हो चुकी थी और मेरा रंग भी पहले से ज्यादा साफ हो रहा था।
एक साल के बाद तो कोई मुझे पहचान ही नही सकता था। मैं एक सम्पूर्ण खूबसूरत लड़की हो चुकी थी। जहाँ भी जाती, लोग मुझे देखते ही रहते। अब तो मैं महफ़िलों की शान थी। जो भी लड़का मुझे देखता, वो चोदने के फिराक में आ जाता था। लेकिन मैं सबसे तो चुदवा नहीं सकती थी।
समय बीतता गया, बीच बीच में मेरे रिश्ते के मामा ने भी मेरी खूब चुदाई की। मुझे उनकी चुदाई में मजा भी आता था।
मम्मी अक्सर कहती थी कि तुम्हारी शादी इन्हीं से करवा दे ! लेकिन वो कभी भी मुझे पूर्ण संतिष्टि नहीं दे पाये। इसलिए मैंने उनसे शादी के लिए मना कर दिया। इसीलिए मैंने अपने कई ब्वाय फ्रेन्ड्स के साथ सेक्स किया लेकिन सर… ! मैंने किसी के लण्ड पर काला तिल नहीं देखा। मेरी उम्र बढ़ती जा रही थी। फिर मेरे पापा के जानने वाले ने मेरी शादी एक सी ए से तय करा दी। वो सी ए साधारण लड़का था। मैंने भी सोचा कि चलो इसी से कर लेते हैं। शादी हमारे समाज में आवश्यक है। जब कोई आदमी, जिसके लन्ड पर काला तिल होगा, मिलेगा, तो उससे अपनी चूत की आग बुझवा लिया करूगीं।
फिर कुछ दिनों के बाद मेरी शादी हो गई। दो महीने के बाद मैंने आप के यहाँ जॉब कर ली। और आज जब मैंने आप के लन्ड पर काला तिल देखा तो मुझसे रहा नहीं गया, मैंने तुरन्त आपके ऑफर को मान लिया। पंडित जी के अनुसार आप ही मुझे संतुष्ट कर सकते हैं !
यह सुनते ही मैंने कहा- ओह.. तो यह बात है… रश्मि। यही तो मैं सोच रहा था कि तुम्हारे जैसी बला की खूबसूरत लड़की इतनी आसानी से कैसे तैयार हो गई।
खैर मैंने रश्मि से कहा- चलो, आज मैं तुम्हारी अतृप्त वासना की इच्छा पूरी करता हूँ।
अगली कड़ी में समाप्य ! Antarvasna
दोस्तो ! मैं लक्ष्य ! एक Sex Stories कालबोय दिल्ली से !आपने मेरे पिछले अनुभव पढ़े होंगे।
अभी तीन दिन पहले मैं अपनी एक ग्राहक की सेवा करके घर आया और अपनी डाक देख रहा था कि मेरे मोबाईल पर मेरी ग्रेटर कैलाश वाली ग्राहक का फ़ोन आया और उसने बताया कि उसकी एक सहेली को मेरी सेवाएँ चाहिएँ, उसने मुझे अगले दिन अपने घर बुलाया।
अगले दिन मैं दोपहर तीन बजे उसके घर पहुँचा तो उसने ही दरवाज़ा खोला और मुझे अन्दर बुला लिया। मैंने देखा कि ड्राईंगरूम में एक और स्मार्ट औरत बैठी थी जिसकी उमर लगभग 35 साल होगी।
फ़िर मेरी ग्राहक ने उन्हें मुझसे मिलवाया तो उन्होंने कहा- देखने में तो हैंडसम हो।
तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा- काम में भी हैंडसम हूँ। तो उसने कहा अभी देखते हैं कितने हैंडसम हो।
फ़िर हम इधर -उधर की बातें करने लगे तभी मेरी ग्राहक बियर और ग्लास और स्नैक ले आई। फ़िर हमने बियर पीनी शुरू की तो वो लेडी सोफे पर मेरे पास आ कर बैठ गई मैं उसकी टांगों को सहलाता रहा। फ़िर बियर ख़तम होते ही उसने कहा- कि चलो तुम्हारी परीक्षा लेती हूँ !
और मुझे लेकर बेडरूम में आ गई और मेरी शर्ट उतारने लगी तो मैंने भी उसके ब्लाउज़ के हुक खोल कर उतार दिया और साड़ी भी उतार दी, तो मैंने देखा उसके शरीर की आकृति काफी शानदार थी 32 -38 -36। मैंने उसकी ब्रा उतार कर उसके भूरे चूचुक को जीभ से चाटा तो उसकी सांसे भारी होने लगी और मेरे बालों में हाथ फिराने लगी और फ़िर मैंने अपनी जींस भी उतार दी।
अब मैं भी केवल फ्रेंची में था। उसने फ्रेन्ची में हाथ डाल कर मेरे 7 इंच लंबे लंड को मुठी में भर लिया और सहलाने लगी और बोली काफी शानदार लौड़ा है तुम्हारा !
तो मैंने कहा- अभी इसका काम देखना फ़िर बताना।
वो नीचे झुकी और लिंग-मुंड पर अपनी जीभ से चाटने लगी। मैं उसकी चूत में दो उंगली डालकर हिलाने लगा तो उसके मुंह से आवाजें निकलने लगी आ आ अह ह्ह्ह्छ हा अहह आ आ आह हह ऊ ओ ऊह ह्ह्ह्ह्छ एस फास्ट आ आ आः ह्ह्ह ह्ह्छ !
फ़िर मैंने तेजी से हाथ चलने लगा तो वो डिस्चार्ज हो गई और बेड पर लेट गई। मैंने उसके चूचुक को चूसना और दबाना जारी रखा। वो फ़िर गरम हो गई और बोली- अब आ जाओ !
तो मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और उसकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया, जिससे उसकी चूत काफी टाइट होने लगी और मैंने कंडोम लगाकर अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया तो वो कहने लगी- धीरे डालो काफी दिन बाद चुदवा रही हूँ !
मैंने अपना लंड निकाला और उसकी चूत पर क्रीम लगाकर अन्दर डाला तो अब आराम से चला गया। वो सिसकियाँ भरने लगी- आ आया आः ह्ह्ह ओह हो ओ ऊ ओह !
फ़िर मैं उसकी शिशिनिका को मसलने लगा, स्तनों को चूसने लगा और धक्के लगाना शुरू किया तो वो 5 मिनट में ही फिर से डिस्चार्ज हो गई, पर मैं तेज़ी से धक्के लगाता रहा। करीब 20 मिनट के बाद वो फ़िर से डिस्चार्ज हो गई और कहने लगी- बस अब और मत करो !
तभी मेरी पुरानी वाली ग्राहक भी कमरे में आ गई और नजारा देख कर गरम हो गई और अपने कपड़े उतार कर बोली- अब मेरे साथ आ जाओ !
मैंने अपना लंड उस की चूत से निकला और कंडोम बदल कर के अपनी ग्राहक के पास आ गया और उसके स्तन चूसने लगा। जब वो गरम हो गई तो मैंने उसे कुतिया की तरह किया और चोदने लगा।
करीब 20 मिनट तक करने के बाद मैं डिस्चार्ज होने वाला था तो मैंने उसे बताया, तब तक वो भी 2 बार डिस्चार्ज हो चुकी थी तो उसने कहा करते रहो और मैं तेजी से शॉट्स लगाता रहा और उसे कमर से कस कर पकड़ कर डिस्चार्ज हो गया। फ़िर कंडोम निकाला तो उसकी सहेली आई और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी और चाटने के बाद बोली- आज कई महीनो के बाद मैं संतुष्ट हो सकी हूँ।
मैंने कहा यह तो मेरा काम है कि अपने ग्राहक को संतुष्ट करो !फ़िर मैंने अपने कपड़े पहने और मेरी ग्रेटर कैलाश वाली ग्राहक ने 6000 रुपये मेरी फीस दी और फ़िर मैंने उन दोनों को किस की और आ गया। Sex Stories
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