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Massage Girl in Kurnool: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Kurnool who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Kurnool that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Kurnool massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Kurnool who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Kurnool massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Kurnool massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Kurnool who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Kurnool employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Kurnool helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Kurnool

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Kurnool at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रेषक : नवीन Hindi Sex Stories

मैं नवीन हूँ। मेरे परिवार में हम चार Hindi Sex Stories लोग हैं, मैं, मेरी दो बहनें बड़ी पूनम और छोटी राखी और मेरी माँ गीता। मेरे पापा की मौत आज से दो साल पहले हो चुकी थी। मेरी छोटी बहन मुझसे दस माह छोटी और बड़ी बहन एक साल बड़ी है। हम लोगों के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। पिछले साल हमने सफारी गाड़ी ली थी जो हमारे गैराज में खड़ी रहती थी। गैराज का एक गेट मेन-गेट की तरफ और दूसरा घर के अन्दर खुलता है। हमारा घर चारों ओर से बंद है जिसकी वजह से कोई हमारे घर में नहीं देख सकता।

एक दिन माँ और बड़ी बहन को एक शादी में जाना था सो वो दोनों सुबह तैयार होकर शाम तक आने का कह कर चली गई। हमारे कॉलेज में भी खेल चल रहे थे इसलिए मैं भी शाम तक आने का कह कर अपने स्पोर्ट्स जूते पहन कर चला गया। कॉलेज में आते ही सबसे पहले हमारा ही मैच था और २ घंटे में ही हमारा मैच ख़त्म हो गया और मैं जूते बदलने के लिए घर आ गया।

जब मैं घर पहुंचा तो जैसे ही मैं घण्टी बजाने को था कि मुझे एक आह की आवाज़ सुनी जो गैराज में से आ रही थी। मैं बिना घण्टी बजाये अन्दर आ गया और गैराज की तरफ देखा तो अन्दर वाला गेट खुला था और गाड़ी खड़ी थी। जैसे ही मैं और आगे गया, मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। राखी अपनी सलवार कमीज उतारे सिर्फ ब्रा और पेंटी में ही हैंड ब्रे़क के सिरे पर बैठी थी जो उसकी चूत के अन्दर था। मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगी देखा था और वो भी राखी, अपनी बहन को !

मेरा लंड खड़ा हो गया। राखी उसके ऊपर नीचे हो रही थी जिससे कभी वो उसकी चूत में जाता और कभी बाहर निकलता। तभी घण्टी बजी और मैं अपने कमरे की तरफ चला गया। राखी गाड़ी में से बाहर आई, पूछने लगी- कौन है?

तभी बाहर से आवाज आई- मैं पूनम हूँ।

राखी वैसे ही ब्रा पेंटी में ही गेट खोलने चली गई। जैसे ही पूनम अन्दर आई, राखी उससे लिपट गई और उसके होठो को चूमना शुरू कर दिया तो पूनम बोली- यह क्या कर रही है तू ?

तो राखी ने कहा- वही जो रोज रात को करते हैं नवीन के सोने के बाद।

पूनम कहने लगी- वो तो रात को करते हैं दिन में तो नहीं।

राखी- क्यों दिन में क्या होता है, आज तो घर पर कोई नहीं है, माँ भी शाम को आएगी और नवीन भी अभी नहीं आएगा, आज तो अभी करेंगे।

और वो पूनम के स्तन दबाने लगी, जिससे उसे भी मस्ती चढ़ गई और वो भी उसे चूमने लगी। मुझे पता नहीं था कि वो दोनों रात एक दूसरी की प्यास बुझाती हैं मेरे सोने के बाद ! क्यूंकि हम तीनों एक ही कमरे में सोते हैं।

पूनम- यार ! काश कोई लड़का हमारे साथ होता तो कितना मजा आता !

राखी- अरे कोई लड़का क्यों ? हमारा नवीन ही क्यों नहीं?

पूनम- अरे वो तो हमारा भाई है ! वो हमें थोड़े ही चोदेगा !

राखी- क्यों नहीं चोदेगा ? क्या उसका लंड नहीं है ? मैंने कई बार देखा है उसका बाथरूम में से ! बहुत बड़ा है !

मैं उनकी बातें सुन कर धीरे से बाथरूम की तरफ चल पड़ा क्योंकि मुझ से अब रहा नहीं जा रहा था जैसे ही मैं बाथरूम में पंहुचा, राखी पूनम से बोली- चल बाथरूम में चलते हैं, साथ नहायेंगे !

यह सुनते ही मैं बाथरूम में परदे के पीछे छुप गया और वो दोनों वहाँ आ गई, दोनों नंगी थी और एकदम गोरी चिकनी !

वो दोनों टब में बैठ गई और एक दूसरे की चूत को मसलने लग गई, कभी स्तन मसलती कभी चूत में ऊँगली करती !

राखी- अगर नवीन भी हमारे साथ मिल जाये तो हमें न तो देर रात तक जागना पड़ेगा और हमारे लंड लेने की भी जरुरत पूरी हो जायेगी। मैं तो उसे पटाने के लिए आज रात से ही कोशिश शुरू कर दूंगी। कभी नींद के बहाने उसके ऊपर हाथ रखूंगी कभी टांग, कभी उसके लंड पर हाथ रखूंगी।

पूनम- तो फिर मैं भी उसे पटाने की पूरी कोशिश करुँगी पूरी रात और दिन में भी, पर ध्यान रखना कहीं माँ को पता न चल जाये। अरे यह क्या कर रही है तू? जरा जोर से उंगली डाल चूत के अन्दर पूरी डाल दे ! आह ! बहुत मजा आ रहा है ! ओ नवीन ! मैं झड़ने वाली हूँ ! आह ! जल्दी कर !

राखी- और कैसे करूँ? पूरी तो दे दी है ! अब तो नवीन ही दे सकता है आगे ! मेरी चूत में भी पूरी डाल दे ! आह मेरा भी निकलने वाला है ! आह ! आह ! ऊउऊ डाल दे पूरी ! दो डाल दे !

मेरा भी अपने आप ही निकलने वाला हो गया था उनकी मस्त चूत देख कर और बातें सुन कर !

कुछ देर में वो दोनों चली गई और टीवी देखने लग गई। मैं भी अपना माल निकाल कर अपने कमरे में आ गया और सो गया। मुझे सपने में भी उनकी बातें सुन रही थी। मैं कुछ देर बाद बाहर चला आया और उन दोनों के बीच में बैठ गया। मेरी टाँगें उन दोनों की टांगो के साथ लग गई और मैंने पूनम से रिमोट माँगा तो उसने पूछा- नवीन तुम कब आये?

मैंने उससे कहा- मुझे आये हुए एक घंटा हो गया !

तो उन दोनों का चेहरा शर्म से लाल हो गया।

पूनम- तो अब तक कहाँ थे?

मैंने कहा- अपने कमरे में सो रहा था !

मैंने उससे दुबारा रिमोट माँगा तो वो बोली- मेरा सीरियल आ रहा है !

तो मैंने उसे छूने के लिए उसके हाथ से रिमोट छीनना चाहा पर वो थोड़ा पीछे हट गई और मेरे हाथ उसके वक्ष पर लग गए। उसने मेरी तरफ तिरछी नजर से देखा तो मैंने अपने हाथ हटा लिए और ऐसे दिखाया कि जैसे मुझे कुछ पता ही न हो।और दोबारा उठ कर उसकी तरफ बढ़ा तो वो और पीछे सरक गई। जब मैंने उस पर झपटी मारी तो उसने रिमोट राखी की तरफ फ़ेंक दिया। जैसे ही में उसके ऊपर गिरा तो उसने हटने की कोई कोशिश नहीं की और मैं उसके ऊपर गिर गया। मुझे समझ में आ गया कि वो मुझे पटाना चाहती है इसलिए मैं भी उसके ऊपर से हटा नहीं तो उसने मुझे थोड़ा सा धक्का दिया जिससे मैं उसे पकड़े हुए उसके साथ ही गिर गया। वो मेरे ऊपर थी जिससे उसके स्तन मेरे सीने से टकरा रहे थे। उसने अब भी उठने की कोई कोशिश नहीं की। मैंने उसे उठाने के बहाने उसके दोनों स्तन पकड़ लिए और उसे अपने ऊपर से उठा दिया।

वाह क्या नरम गरम स्तन थे !

और खुद भी उठ कर बैठ गया।

राखी ने रिमोट अपने टॉप के नीचे ब्रा में छुपा रखा था। मैंने जब राखी से रिमोट माँगा तो उसने कहा- मेरे पास रिमोट नहीं है !

तो मैंने उससे कहा- मुझे पता है कि रिमोट कहाँ है, तू मुझे अपने आप दे दे, वरना मैं छीन लूँगा।

उसने कहा- मेरे पास नहीं है ! अगर है तो तुम छीन लो !

और अपने दोनों हाथ हवा में उठा दिए, जिससे मुझे रिमोट उसके टॉप में साफ दिख गया। मैंने भी उसके स्तन छूने थे इसलिए उससे दोबारा रिमोट नहीं माँगा और सीधा उसके पास आकर उसके टॉप में हाथ डाल दिया। राखी ने मेरी तरफ देखा पर कहा कुछ नहीं ! बस थोड़ा सी पीछे हट गई। मैंने अपना हाथ उसके टॉप के और अन्दर तक डाल दिया और मेरे हाथ उसके स्तनों पर लगे। जैसे ही मेरे हाथ उसके बूब्स पर लगे, पूनम ने पीछे से मुझे धक्का दे दिया और मेरे ऊपर गिर गई जिससे राखी मेरे नीचे और पूनम मेरे ऊपर और मेरा हाथ राखी के टॉप के अन्दर था, जिसे पूनम ने रिमोट पकड़ने के बहाने ऊपर से पकड़ लिया और मेरा हाथ राखी के बूब्स पर दब गया।

पूनम ने मेरा हाथ ढीला छोड़ कर दोबारा उसके बूब्स पर दबा दिया जिससे राखी के मुँह से सिसकारी निकल गई। जब मैंने दोबारा रिमोट पकड़ कर हाथ बाहर निकलना चाहा तो पूनम ने एकदम मेरा हाथ राखी के बूब्स पर दबा कर और साथ ही उसके टॉप को पकड़ कर बाहर खींचा तो राखी का टॉप ऊपर से फट गया और उसके बूब्स बाहर आ गए।

वो तो आँखें बंद करके लेटी थी इसलिए उसे पता नहीं चला और न ही पूनम ने उसे बताया उसके बूब्स मेरे सामने थे।

और मैंने उन्हें देखते हुए पूनम की तरफ देखा तो उसने आँखों के इशारे से पूछा- क्या देख रहे हो?

तो मैंने राखी के बूब्स की तरफ हाथ कर दिया तो पूनम ने राखी के एक बोबे को पकड़ कर मसल दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गई। पूनम ने राखी के टॉप को पकड़ कर पूरा फाड़ दिया तो उसने आँखे खोली और उठ कर खड़ी हो गई जिससे उसका फटा टॉप नीचे गिर गया और बूब्स बाहर निकल आये।

उसने हमसे पूछा- टॉप किसने फाड़ा?

पूनम ने मेरा नाम ले लिया। राखी अपने नंगे बूब्स में ही मेरे पीछे भागी।

मैंने उससे कहा- मैंने नहीं, पूनम ने यह सब किया है।

राखी- बूब्स तो तुम ही मसल रहे थे, तो पूनम ने कैसे किया है? सीधे क्यों नहीं कहते कि तुम्हें मजा आने लगा था और तुमने मेरे बूब्स देखने और चूसने के लिए मेरा टॉप फाड़ दिया। मुझसे कह देते तो मैं उतार देती, पर फाड़ क्यों दिया ? मेरा नया टॉप था !

पूनम- हाँ राखी ! नवीन ने ही तुम्हारे बूब्स मसलने के लिए तुम्हारा टॉप फाड़ दिया। तुम मुझ से कह देते तो मैं अपना टॉप उतार देती ! तुम्हारे लिए क्या हम अपने कपड़े भी नहीं उतार सकते ! क्या तुमसे अपने बूब्स नहीं मसलवा सकते ! जिन्हें आज नहीं तो कल कोई और मसलेगा !

और यह कहते हुए पूनम ने भी अपना टॉप उतार दिया और अपने बूब्स मेरी तरफ कर के खड़ी हो कर बोली- लो तुम्हें मसलना है तो मसलो ! चूसना है तो चूसो ! पर मैं अपना टॉप नहीं फड़वाना चाहती !

राखी मेरे पास आकर बोली- डरो नहीं ! माँ शाम से पहले नहीं आएगी ! और अपना एक बूब मेरे हाथ से लगा दिया।

उन दोनों के बूब्स देख कर मैंने अपने लंड पर हाथ लगाया जो अब पैन्ट फाड़ने के लिए तैयार था।

पूनम- नहीं उसे हाथ मत लगाओ उसे हम हाथ लगायेंगे।

मैंने राखी के बूब्स मसलते हुए कहा- हाथ लगाना है तो लगाओ ! मुझे भी अपनी पैन्ट नहीं फ़ाड़नी !

और फिर वो दोनों हंस पड़ी। राखी ने आकर मेरी पैन्ट का हुक खोल दिया और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और चूसने लगी। मैं भी अपना लंड आगे निकल के राखी के बूब्स चूस रहा था। राखी ने मेरी शर्ट उतार दी, मेरे होंठों से अपने होंठ लगा के चूसने लगी। मैंने भी उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। पूनम मेरा लंड छोड़ कर मुझे सोफे की तरफ खींचने लगी और हम तीनों सोफे पर आ गए। मैं राखी के होंठों और बूब्स को चूस रहा था और पूनम मेरे लण्ड को थोड़ी देर चूसने के बाद मेरे लंड के ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी। पर लंड उसकी नई चूत होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था।

मैंने राखी को हटा कर पूनम की चूत पर अपना हाथ रख के उसे सीधे लेटने के लिए कहा तो वो सीधी लेट गई। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगा कर जोर से धक्का मारा तो लंड की टोपी उसकी चूत में चली गई और उसकी जोर से चीख निकल गई। पूनम पीछे हटने लगी तो मैंने आगे से उसे पकड़ते हुए राखी से पूनम को पकड़ने के लिए कहा तो उसने पीछे आकर उसे पकड़ लिया और उसके बूब्स मसलने लगी। कुछ देर बाद मैंने जब दूसरा धक्का मारा तो लंड आधा चूत में चला गया। पर इस बार पूनम की चूत में से खून निकल आया और उसके आंसू भी निकल गए।

पूनम के आंसू और खून देख कर राखी भी घबरा गई पर मैंने उसे समझाया- पहली बार ऐसा होता है !

और मैंने एक दो धक्कों में अपने पूरा लंड पूनम की चूत में डाल दिया और थोड़ी देर रुक कर धक्के लगाने लगा तो पूनम भी मस्त हो गई और मेरा साथ देने के लिए नीचे से अपनी गांड उछालने लगी। जब मैंने जोर जोर से पूनम की चूत में धक्के लगाये तो वो अपने परम आनन्द पर पहुंच गई और निढाल हो गई।

फिर राखी ने मुझ से कहा- अब इसे छोड़ दो और मेरी चूत में डालो !

तो मैंने लंड पूनम की चूत में से निकल लिया और राखी को सीधा सोफे पर लिटा कर अपने खून से भरे लंड को उसकी चूत पर रख कर धक्का लगाया तो फ़च की आवाज के साथ उसकी चीख निकल गई। मैंने तभी दूसरा धक्का भी लगा दिया और उसकी चूत से खून की धार निकल के सोफे पर पड़ने लगी। कुछ देर मैं ऐसे रुक उसके बूब्स मसलने लगा तो थोड़ी देर में ही उसका दर्द ठीक हो गया और मैं धक्के लगाने लगा। वो भी जोर जोर से मेरा साथ देने लगी। उसके निप्प्ल भी बुरी तरह से कड़े हो गए थे। मुझे लगा कि अब मेरा पानी निकलने वाला है।

तभी राखी जोर जोर से धक्के लगाने लगी और फिर कांपती हुई शांत हो गई।

मैं भी जोर जोर से धक्के मारता हुआ राखी की चूत में शांत हो गया।

फिर हम आधे घंटे तक वहीं सोफे पर पड़े रहे और जब मैं उठ कर बाथरूम की तरफ चला तो मैंने देखा कि उन दोनों से उठा भी नहीं जा रहा था। Hindi Sex Stories

(Padosan Ladki Ki Chut Chudai) Antarvasna stories

मेरा नाम करण है। Antarvasna और मैं दिल्ली का रहने वाला हूं। मेरी उमर १९ साल है। मैं पढ़ता हूं और मुझे लड़कियों को पटाने में बहुत मजा आता है। मैने लड़कियों को पटाना 18 साल की उमर से शुरु किया था और मुझे लड़कियों के साथ सेक्स करने में बहुत मजा आता है। ये मेरी पहली कहानी है।

जब मैं 12वीं में था तो हमारे क्लास में एक लड़की पढ़ती थी उसका नाम कणिका था हाल फ़िलहाल वो कनाडा में है लेकिन जब वो यहां पर थी तब मैं और मेरे क्लास मेट सब उस पर लाइन मारते थे लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी लेकिन हम फिर भी उसको कन्विंस करने की कोशिश करते थे। लेकिन मुझे एक फायदा था कि वो मेरी पड़ोसी थी जिससे मैं उसके घर जा कर कभी-कभी उससे बात करने की कोशिश करता था किसी ना किसी बहाने से

एक दिन वो कंप्यूटर पर गेम खेल रही थी शायद पूल गेम खेल रही थी अचानक मैं उसके रूम में पहुंचा था और उसे पीछे से डरा दिया। वो घबरा गई और चीख पड़ी उसके बाद उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मैं बेड पर गिर गया अब उसने पूछा कि क्यों डराया मुझे, मैं हंसने लगा उसके बाद उसने पूछा क्या हुआ मैने जवाब नहीं दिया।

अगले दिन मैने उसे हिम्मत करके फोन किया आज मैने मन बना लिया था कि आज उसे परपोज करना है फिर मैने उसे फोन किया २-३ बार फोन करने के बाद में उसे कह नहीं पाया। फिर मैने पूरा दम लगाकर उसे फोन किया और उसे मैने बोल दिया कणिका आई लाइक यु फिर उसके बाद उसने कुछ जवाब नहीं दिया उसके बाद वो मैने उससे पूछा क्या हुआ उसने जवाब नहीं दिया फोन रख दिया.

उसके बाद अगले दिन स्कूल में आई मैं उसके सामने नहीं जा पाया उसके बाद फ्री पीरियड में सब बाहर चले गये थे फिर वो क्लास रूम में आई और उसने अपनी एक दोस्त जिसका नाम सोनल है उसने उससे बोला उसे क्लास रूम में बुलाओ तब मुझे डर लग रहा था फिर भी में गया फिर उसने पूछा क्या हुआ कल शाम को मुझे परपोज किया था तुमने।

मैने कहा किया तो था लेकिन लगता है तुम्हे अच्छा नहीं लगा इसलिये मैने तुमसे पूछा नहीं दुबारा फिर उसने बोला ओके मैं तुम्हारे परपोज को स्वीकार करती हूं

फिर तो मैं खुश हो गया उसके बाद उस शाम को उसके घर पर गया और उसके रूम में गया और उससे पूछा में आई किस यु? उसने कहा नो ! लेकिन उसके बातों से लग रहा था वो यस बोल रही है।

उसके बाद मैने उससे बोला -आई वांट अ किस नाउ उसने कहा ओके तब मैं उसे किस किया और उसके बूब्स प्रेस करने लगा वो बोली अभी नहीं मैं बोला बस एक बार तो वो बोली बस एक बार. तब मैने उसके बूब्स को ज़ोर से दबाया मुझे उसके निप्पल फ़ील हो रहे थे उसके बूब्स प्रेस करने में मुझे मजा आ रहा था उसके बाद उसे बेड पर बैठा दिया लेकिन उसके परेंट्स घर पर थे सो मैने कुछ किया नहीं

उसके बाद अगले दिन संडे था हमने मूवी देखने का प्लान बनाया फिर मूवी देखने हम गये वहां पर मैं उसके बूब्स को छू रहा था।फिर शाम को गार्डन गये रात होने लगी थी गार्डन में बहुत से जोड़े थे हम भी एक जगह पर बैठ गये और उसे किस किया फिर अंधेरा होने के कारण कोई देख नहीं रहा था.

मैने उसका टोप खोल दिया और किस किया और जीन्स का ज़िप खोल कर अंदर उंगली कर रहा था फिर वो सिसकी ले रही थी मैने जींस खोला और उसकी पैंटी को उतार दिया उसके बाद मैने अपना जींस खोला मैने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया शायद उसे दर्द होने लगा था इसलिये बोलने लगी अभी नहीं लेकिन मैं नहीं माना और उसके चूत में उंगली डाली और किस कर रहा था और फिर उसकी चूत में मैने अपना लंड डाल दिया उसके आंसू आ गये।

फिर क्या था बस मैने उसे उसके घर तक छोड़ दिया और मैं अपने घर पर चला गया और नहा धो कर बस मैं उसके सपने देखने लगा और मैने उसे फिर फोन में बात करके उसे फिर से बुलाया इस बार और कहीं नहीं मेरे घर में मैने बुलाया था क्योंकि मेरे घर में कोई भी नहीं था सब लोग बाहर घूमने जाने वाले थे। अब दोस्तो मुझे दीजिये इजाजत। मैं ये कणिका की अधूरी कहानी आप को अगले भाग में सुनाउंगा। ANtarvasna

Antarvasna

मेरा भाई पांच दिन के Antarvasna लिए आया था, मेरे पति को दो दिन के बाद फिर टूअर पर जाना पड़ा था.
हम तीनों अब काफी बोल्ड हो गए थे, घर के अन्दर किसी भी तरह के कपड़े पहनना या न पहनना या यूँ कहिये कपड़े का तो कोई महत्त्व ही नहीं गया था.

मेरे पति जब दो दिन के बाद घर से विदा होने लगे तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- डार्लिंग अब तुम तो हमारे बिना प्यासी नहीं रहोगी, लेकिन हम प्यासे मर जायेंगे.
रास्ते में तलाश कर लेना कोई…! मैंने अपनी बाईं आँख दबाते हुए हंस कर कहा.
चलो इस बार यह भी कोशिश करते हैं! यह कह कर उन्होंने मेरे ब्रा में कैद स्तनों पर दो चुंबन और एक चुंबन मेरे अधरों पर रख कर मेरे भाई को गुड लक कह कर विदा ली.

जब वे गए थे तब सुबह के नौ बजे थे. मैं नहाई भी नहीं थी और न ही मेरा भाई नहाया था, क्योंकि सुबह जल्दी उठ कर ही हम लोगों को मेरे पति के सफ़र के लिये आवश्यक पैकिंग व रास्ते के लिये कुछ खाना बनाना था.
भई मैं तो नहाने जा रही हूँ! तुम्हें नहाना है तो साथ ही चलो…! मैंने दरवाजे को लाक करके अपने भाई से कहा था.
ठीक है मैं भी चल रहा हूँ…! वह बोला और मेरे साथ ही बाथरूम की तरफ चल पड़ा.

हम दोनों बाथरूम में पहुँच गए, बाथरूम का द्वार खुले रहने से या बंद रहने से कोई फर्क नहीं पड़ना था अतः मैंने द्वार की ओर ध्यान दिए बिना ही शावर के नीचे खडे हो कर शावर खोल दिया. मैंने ब्रा और पेटीकोट पहना हुआ था.

जरा हुक खोलना ब्रा का! मैंने अपने सिर पर हाथों से पानी फेरते हुए कहा.
उसने मेरे पीछे खड़े होकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को मेरे शरीर से निकाल दिया. मेरे गुलाबी सुपुष्ट स्तन नग्न हो गए, वह मेरे पीछे सट कर अपने हाथों को बगलों से निकाल कर मेरे स्तनों पर नाभि पर और गले आदि पर साबुन लगाने लगा. मैंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी, मैं उसके स्पर्श का आनन्द ले रही थी.

उसने आहिस्ते से मेरी पेटीकोट को भी खोल कर नीचे सरका दिया था, वह अब नीचे बैठ कर मेरी जाँघों और नितंबों पर भी साबुन मलने लगा.
मैं सुलगने लगी थी!
कैसी प्यास होती है यौवन की जो कभी बुझती ही नहीं!
मैं उत्तेजना में कामुक सिसकारियाँ छोड़ने लगी थी.

वह अब मेरे आगे की ओर आ गया था. उसनें मेरे नितंबों से मेरी पेंटी पहले ही नीचे सरका कर उसे मेरी टांगों से भी अलग कर दिया था. मेरी नर्म रोयों वाली योनि पर उसने पहले साबुन लगाया फिर हेंड शावर की धार योनि पर मारने लगा.
मैंने उत्तेजना के वशीभूत होकर अपनी अँगुलियों से योनि को जरा खोल दिया तो गुनगुने पानी की तेज़ धार मेरी योनि के मुहाने पर पड़ने लगी.
मैं सिसक उठी- बस… बस…
यह कह कर मैंने अपने दोनों हाथों से उसका सिर पकड़ कर योनि पर झुका दिया तो वह योनि को चाटने लगा.

तभी काल बेल बजी!
हम दोनों ही चौंक पड़े!
दोनों की कामुकता भंग हो गई, मैंने उसकी आँखों में देखा उसने मेरी आँखों में देखा.
तुम नहाओ… मैं जाकर देखती हूँ कौन है! मैंने टावल अपने शरीर पर लपेटते हुए कहा.
वह प्यासे भंवरे की भांति मुझे बाथरूम से निकलते देखता रह गया.

मैंने जल्दी जल्दी अंतर्वस्त्र पहने, पेटीकोट और ब्लाउज पहने और साड़ी को लपेटते हुए दरवाजे की ओर चली गई.
दरवाजा खोला तो सामने अपनी ननद को मुस्कुराते पाया- क्या भाभी…? कितनी देर से खड़ी हूँ!
उसने अन्दर आते हुए कहा.
मैंने दरवाजा फिर बन्द कर दिया.

“मैं नहा कर कपड़े बदल रही थी, इसलिए देर हो गई!” मैंने साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर कहा.
“तभी मैं कहूँ कि इतनी सुहानी खुशबू कहाँ से आ रही है! अब पता चला भाभी के गीले बाल खुले हुए हैं, वैसे यह बात तो पक्की है न भाभी कि भईया इस समय यहाँ नहीं हैं!” मेरी ननद सोफे पर पसर कर बोली.
हाँ! लेकिन इस बात से तुम्हारा क्या मतलब है? मैं उसके पास बैठ कर बोली.

“मतलब यह है कि अगर वे यहाँ होते तो मुझे दरवाजे पर आधे घंटे तक खड़े रहना पड़ता! कोई दरवाजा खोलने नहीं आता!” मेरी ननद ने अपने स्वर में संशय का पुट देते हुए कहा.
वो क्यों? मैंने उलझन पूर्ण स्वर में पूछा.
“वो इसलिए कि तुम्हारे धुले धुले यौवन से उठती महक भईया को पागल बना डालती और वे तुम्हारे साथ किसी और काम में आधे एक घंटे के लिए व्यस्त हो जाते!” मेरी ननद ने अपनी बाईं आँख दबा कर कहा, मेरी जांघ में शरारत पूर्ण ढंग से चिकोटी काटी.

“अच्छा! कुछ ज्यादा ही हवा लग गई है तुम्हें जवानी की!””
“क्यों…? जवानी में जवानी की हवा नहीं लगनी चाहिए? अब तो अठारहवीं सीढ़ी पर पहुँचने का समय आ गया है…” मेरी ननद ने गर्व पूर्ण स्वर में कहा.
“वो तो देख ही रही हूँ! ये गहरे गले के टाप में कसमसाते दो गुंबज जिनकी गोलाई सहज ही दिख रही है और घुटनों तक की स्कर्ट की चुस्ती से बाहर को उभरते नितंब और पतली कमर! जरूर दो चार को बेहोश करके आ रही हो! अच्छा यह बताओ कि क्या पियोगी?” मैंने विषय बदलते हुए कहा.

“अब वह तो मुझे पीने को मिल नहीं सकता जो आप पीती हो! इसलिए कुछ और ही पिया जा सकता है!” उसने फिर एक अशलील मजाक किया.
“मैं क्या पीती हूँ?” मैंने नादान बनते हुए पूछा.
“तुम मेरे ही मुँह से सुनना चाहती हो! समझ तो गई हो! फिर भी मैं बताती हूँ! तुम पीती हो लिंग रस!” उसने इतना कहा और हंस पड़ी.
“हटो बदमाश… कितनी मुंह फट हो गई हो! चलो रसोई में चलते हैं!” मैंने उठते हुए कहा.

वह मेरे साथ खड़ी हो गई, उसने अपना हैंड बैग सोफे पर ही छोड़ दिया, वह मुझे आज पूरे रंगीन मूड में लग रही थी, इससे पूर्व भी मैंने उसके मजाक तो सुने थे लेकिन ऐसे हाव-भाव नहीं देखे थे.

रसोई में पहुंचते पहुंचते उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे कपोलों को चूम कर बोली- काश भाभी… मैं आपकी ननद नहीं बल्कि देवर होती… तुम्हारे यौवन की कसम! इन दोनों कठोर
पहाड़ों को पीस डालती और तुम्हारी जाँघों के भीतर अपने लिंग को तुम्हारी पसलियों तक पहुंचा कर ही दम लेती! मेरी ननद के इन शब्दों को सुन कर मेरे दिमाग ने एक योजना को जन्म दे डाला.

मैंने गैस पर चाय का पानी चढ़ाते हुए कहा- इन पहाड़ों को तो तुम अब भी पीस रही हो! वैसे एक बात बताओ! क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रैंड नहीं है?

मेरी ननद अपने भाई की ही भांति ही जरूरत से ज्यादा कामुक हो रही थी इस समय, शायद इसलिए और ज्यादा क्योंकि उसे ये भ्रम था कि सिर्फ मैं और वो ही हैं,
“नहीं… कई लड़के कोशिश करते हैं लेकिन मैं ही उन्हें लिफ्ट नहीं देती हूँ…” मेरी ननद ने मेरी ब्लाउज के दो तीन बटन खोल कर कहा.
“यह क्या कर रही हो तुम?” मैंने उसकी क्रिया को देख कर प्रश्न किया.
“करने दो ना भाभी…! मुझे बहुत मजा आता है स्तन पान में..! मैं एक सहेली के साथ ऐसा करती हूँ… हम दोनों लेस्बियन लवर हैं…! अब आपके ऐसे भरे भरे यौवन को देख कर मेरा जी मचल उठा है… यह ही सोच लो कि भैया हैं मेरी जगह…!” उसने कुनकुनाते स्वर में कहा और मेरे ब्लाउज में हाथ डाल कर मेरी ब्रा को सहलाने लगी, उसका दूसरा हाथ मेरे सपाट पेट पर रेंग रहा था.
क्या तुमने अभी तक किसी लिंग को नहीं देखा… मैंने उसकी क्रिया से आनन्दित हो कर पूछा.

मैंने चाय छानने के लिए तीन कप उतार लिये थे, मुझे बाथरूम के दरवाजे के बंद होने की हल्की सी आवाज सुनाई दे गई थी, मैं समझ चुकी थी कि मेरा छोटा भाई नहा चुका है और अब इधर ही आयेगा क्योंकि उसे भी जिज्ञासा होगी यह जानने की कि कौन आया है.
“कहाँ देखा है भाभी… कभी कभी इत्तेफाक से उस पहलवान की एक आध झलक देखने को मिलती है लेकिन उस झलक का क्या फायदा…” वह मेरे ब्लाउज का एक बटन और खोल कर बोली.
मैंने तीन कपों में चाय डाल दी.
“चलो आज दिखा देंगे…” मैंने कहा.
“तुम दिखा दोगी…? वो कैसे…?” उसने चौंक कर मेरी आँखों में देखा.
उसकी दृष्टि उन तीन कपों पर पड़ी जिनमें मैं चाय डाल चुकी थी.
“हैं!!!… यह तीसरा कप किसके लिए है…?” उसने हैरत जताई.

“यह तीसरा कप मेरे लिए है…” मेरे भाई ने रसोई में प्रवेश करते हुए कहा.
मेरी ननद उसे देखते ही मुझसे दूर छिटक गई, उसकी आँखों में असमंजस के भाव आ गये.
“यह मेरा छोटा भाई है…” मैंने अपनी ननद से कहा, फिर अपने भाई से बोली- यह मेरी ननद है… यह ही आई थी… जब हम बाथरूम में थे!
मेरे भाई ने मेरे ब्लाउज के खुले तीन चार बटन देखे तो मुस्कुरा कर बोला- यह भी अपने भाई की तरह आपके स्तनों की प्यासी हैं?
“जी?” मेरी ननद सकपकाई.

मेरी ननद का नाम शिल्पा है, मैंने स्थिति संभाली- डोंट वरी शिल्पा… आज तुम्हारी हसरत पूरी हो जायेगी… मेरे भाई से मैं ही कोई पर्दा नहीं करती… तुम्हारे भईया भी पर्दा नहीं करवाते हैं. बल्कि उन्होंने हम दोनों के साथ मिल कर काम सुख प्राप्त किया है… ना मैं इस चीज को बुरा मानती हूँ और ना तुम्हारे भईया! क्योंकि हैं तो हम स्त्री-पुरुष ही बाकी रिश्ते-विश्ते तो लोगों ने अपने फायदे के लिए बनाये हुए हैं… मुझे तो इतना आनन्द आया है अपने भाई के साथ कि मत पूछो, जब तुम आई थी तो हम दोनों साथ ही तो नहा रहे थे.

शिल्पा धीरे धीरे सामान्य होने लगी, मैंने एक चाय का कप उसकी ओर बढ़ा दिया, दूसरा कप अपने भाई की ओर बढ़ा दिया, उसने अपना कप ले लिया, मैंने अपना कप लिया फिर हम तीनों रसोई से बैडरूम में आ गये. मेरे भाई ने मात्र अंडरवीयर पहन रखा था, जिसमें से उसके सख्त होते लिंग का आभास सहज ही हो रहा था.

हम तीनों बेड पर बैठ गये, शिल्पा बार बार मेरे भाई के शरीर के आकर्षण में बंध रही थी, उसकी नजर बार बार मेरे भाई की पुष्ट जाँघों के जोड़ पर जाकर ठहरती थी.
मैं उसकी स्कर्ट को उसकी फैली टांगों से जरा ऊपर सरका कर उसकी जांघ पर चिकोटी काट कर बोली- तुम्हारे लिए आज का दिन बहुत अच्छा है… अगर यहाँ तुम्हारे भईया होते तब तो और भी ज्यादा मजा रहता, फिर भी मेरा भाई तुम्हें संतुष्ट करने में सक्षम है… .हमने इसे पूरी तरह ट्रेंड कर दिया है!

मैंने अपने भाई के अंडरवीयर की झिरी में से उसके लिंग को बाहर निकाल कर शिल्पा के हाथ में थमा कर कहा- इसे धीरे धीरे सहलाओ! तब देखना यह कैसा कठोर और लंबा हो जाता है!…भभकने लगेगा यह!
मैंने चाय का खाली कप बेड की पुश्त पर रखा और अपने हाथों से शिल्पा के टॉप की जिप खोलने लगी.
मेरे भाई ने भी चाय का खाली कप तिपाई पर रख कर मेरे ब्लाउज को मेरी बाजूओं से निकाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल कर उसके जालीदार कप को स्तनों से नीचे सरका कर मेरे स्तनों को सहलाना और चूसना शुरु कर दिया था, मैं उत्तेजित होने लगी थी, उत्तेजना में मेरा शरीर बेड पर फैलने लगा था.

“भाभी पहले मैं आपके स्तन को चूसूंगी.” शिल्पा ने मेरे भाई के लिंग को छोड़ कर मेरे स्तनों पर आते हुए कहा.
“ठीक है…” मैंने उससे कहा और फिर अपने भाई से कहा- तुम शिल्पा के स्तनों को चूसो… मगर आहिस्ता आहिस्ता… और इसकी स्कर्ट भी निकाल दो!
इतना कह कर मैं उसके लिंग को सहलाने लगी.

शिल्पा ने मेरे स्तनों को चूसना शुरू कर दिया, मेरे भाई ने शिल्पा के टॉप के नीचे की शमीज उसके गोरे गुदाज स्तनों से ऊपर कर उसके निप्पल चूसने शुरू कर दिये. हम तीनों ही की साँसें तीव्र हो उठी थी, बैडरूम का दृश्य उन्मुक्त यौवन के रस में डूबता जा रहा था.

शिल्पा द्बारा निरंतर होते स्तनपान ने मुझे उत्तेजित कर डाला था, अब मैं चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ चली थी, मुझे मालूम था कि मेरा भाई लगातार दो बार स्खलित हो सकता है, इसलिए मैंने पहले शिल्पा को उसके द्बारा आनन्द दिलवाना ठीक समझा और यही सोच कर अपने भाई से कहा- तुम शिल्पा की योनि में लिंग प्रवेश करो… .लेकिन पहले कुछ थूक या क्रीम लगा लेना… लो तेल ही लगा लो… मैंने बेड की पुश्त पर रखी तेल की कटोरी उसकी ओर बढ़ाई.

वह शिल्पा की स्कर्ट को खोल चुका था और उसके नितंबों को व चिकनी जाँघों को सहला रहा था. उसने अपने तपते लिंग के मोटे से मुंड पर तेल चुपड़ा फिर जरा सा तेल शिल्पा की अनछुई नर्म रोयों से सज्जित योनि पर लगाया और अपने लिंग को उसके टाइट मुख में फंसा कर उसकी जांघ को हाथ से ऊपर उठा कर जोर का धक्का मारा, लिंग मुंड शिल्पा की योनि में उतर गया.

शिल्पा जोरों से चीखी, उसका यह पहला अनुभव था, मैंने उसकी पीठ को सहलाया और उसके होंठ अपने होंठ से बंद कर दिये, उसकी गर्म साँसे मेरी गर्म साँसों से उलझने लगी थी, उसके हाथों को मैंने अपनी साड़ी के नीचे प्रवेश दे दिया था, वह उत्तेजना और दर्द के चक्रवात में फंसती जा रही थी, उसके हाथ मेरी चिकनी जाँघों को सहलाने मसलने लगे थे, मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी.

मेरे भाई ने शिल्पा की जाँघों को पकड़ कर एक और धक्का मारा तो शिल्पा तड़पते हुए कह उठी- तुम्हारे भाई तो मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रहे हैं… उफ… आह… कितना दर्द हो रहा है उफ… इनसे कहो जो करे आराम से करें उफ…

वह और कुछ कहती उससे पहले ही मैंने उसके मुँह में अपने एक स्तन का निप्पल दे दिया, वह उसे चूसने लगी, मेरे भाई ने थोड़ा पीछे होकर और जोर का धक्का मारा, इस बार उसका सात आठ इंच का लिंग जड़ तक शिल्पा की योनि में समां गया, शिल्पा की बड़ी तेज़ चीख निकली, मेरे भाई ने लिंग फ़ौरन बाहर खींचा तो शिल्पा ने ठंडी सांस ली और तड़पती हुई बोली- उफ… भाभी तुमने तो कुछ ज्यादा ही ट्रेंड कर दिया है इन्हें… उफ कैसे स्पेशल शॉट खेलते हैं उफ… आप रुक क्यों गए महाशय… इसे आगे पीछे करते रहो… अभी तो मजा आना शुरू हुआ है उफ…
शिल्पा ने मेरे भाई से इतना कहा और मेरे स्तन का निप्पल मुंह में ले लिया, वह निप्पल को किसी भूखे की भांति चूसने लगी.

मेरा भाई उसकी योनि में अपने लिंग से घर्षण करने लगा था और मैं अपने हाथों से शिल्पा के हाथों को पकड़ कर उनसे अपनी पेंटी का वह हिस्सा रगड़ने लगी थी जिसके नीचे मेरी योनि थी, मेरा भाई मुद्रा बदल बदल कर शिल्पा को आनन्द दे रहा था, शिल्पा का शरीर उत्तेजना से काँपने लगा था, वह कराह भी रही थी और मेरे भाई का सहयोग भी कर रही थी.
अंततः थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ चरम पर पहुँच कर स्खलित हो गये, फिर मेरे भाई ने मेरी भी प्यास बुझाई.

शिल्पा ने मेरे स्तनों को जिस तरह चूस चूस कर मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल कर दिया था वैसे ही मैंने भी उसके स्तनों को चूस चूस कर उसे कंपकंपा डाला था.
हम तीनों की काम-क्रीड़ा तब तक चलती रही जब तक हम थक न गये.

कहानी आगे भी है! Antarvasna

अन्तर्वासना कहानी

दोस्तो, हिंदी इंडियन सेक्स स्टोरीज में आपने अब तक पढ़ा था कि पण्डित जी रीना की जवानी को भोगने के चक्कर में उसको पूजा करवाने के लिए फंसा चुके थे. अब पण्डित जी ने उसके साथ आसन लगाने की विधि शुरू कर दे थी जिससे रीना की चुदास बढ़ने लगी थी.

अब आगे..

रीना का नंगा पेट पण्डित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था. रीना खुद ही अपना पेट पण्डित की पीठ पे रगड़ने लगी.

पण्डित- रीना.. तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे कि मैंने शनील कि रजाई ओढ़ ली हो.. और एक बात कहूँ.

रीना अब गर्म हो चली थी वो चुदास भरे स्वर में बोली- स्स.. कहिए ना पण्डित जी..

पण्डित- तुम्हारे स्तनों का स्पर्श तो..

रीना अपने मम्मों को और भी मस्ती से पण्डित की पीठ पे रगड़ने लगी.

रीना- तो क्या पण्डित जी?
पण्डित- मदहोश कर देने वाला है.. तुम्हारे स्तनों को हाथों में लेने के लिए कोई भी ललचा जाये.
रीना- स्सह्ह..
पण्डित- अब मैं सीधा लेटूंगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाना.. लेकिन तुम्हारा मुँह मेरे चरणों की ओर और मेरा मुँह तुम्हारे चरणों की तरफ़ होना चाहिये.

पण्डित पीठ के बल लेट गया और रीना पण्डित के ऊपर पेट के बल लेट गई.

रीना की टांगें पण्डित के चेहरे की तरफ़ थीं. रीना की नाभि पण्डित के लंड पर थी.. वह उसके सख्त लंड को गड़ता सा महसूस कर रही थी.

पण्डित रीना की संगमरमरी टांगों पे हाथ फेरने लगा.

पण्डित- रीना.. तुम्हारी टांगें कितनी अच्छी हैं.

पण्डित ने रीना का पेटीकोट ऊपर चढ़ा दिया और उसकी जांघें मसलने लगा.

उसने रीना की टांगें और फैला दीं. अब रीना की पेंटी साफ़ दिख रही थी.

पण्डित रीना की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा.

पण्डित- रीना.. तुम्हारी जांघें कितनी गोरी और मुलायम हैं.

चूत के पास हाथ लगाने से रीना और भी गरम हो रही थी.

पण्डित- तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आसन कौन सा लगा..?
रीना- स्स.. वो.. घुटनों के बल.. पीठ से पीठ.. नीचे से नीचे वाला.
पण्डित- चलो.. अब मैं बैठता हूँ.. और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पर बैठना है.. मेरा सिर तुम्हारी टांगों के बीच में होना चाहिये.
रीना- जी..

रीना ने पण्डित का सिर अपनी टांगों के बीच लिया और उसके कंधों पर बैठ गई.

इस पोजीशन में रीना की नाभि पण्डित के होंठों पर आ रही थी.

पण्डित अपनी जीभ बाहर निकाल कर रीना की नाभि में घुमाने लगा. इससे रीना को बहुत मज़ा आ रहा था.

पण्डित- रीना.. आँखें बंद करके बोलो.. स्वाहा..
रीना- स्वाहा..
पण्डित- रीना.. तुम्हारी नाभि कितनी मीठी और गहरी है.. क्या तुम्हें ये वाला आसन अच्छा लग रहा है?
रीना- हाँ.. पण्डित जी.. ये आसन बहुत अच्छा है.. बहुत ही अच्छा अह..
पण्डित- क्या किसी ने तुम्हारी नाभि में जीभ डाली है?
रीना- आह्ह.. नहीं पण्डित जी.. आप पहले हैं.

पण्डित- अब तुम मेरे कंधों पर रह कर ही पीछे की तरफ़ लेट जाओ.. अपने हाथों से ज़मीन का सहारा ले लो.

रीना पण्डित के कंधों का सहारा लेकर लेट गई.

अब पण्डित के होंठों के सामने रीना की चूत थी.

पण्डित धीरे से अपने हाथ रीना के स्तन पे ले गया.. और ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.

रीना भी यही चाह रही थी.

पण्डित- रीना.. तुम्हारे स्तन कितने भरे भरे हैं बहुत ही अच्छे हैं.
रीना- आह्ह..

रीना ने एक हाथ से अपना पेटीकोट ऊपर चढ़ा दिया और अपनी चूत को पण्डित के होंठों पे लगा दिया.

पण्डित कच्छी के ऊपर से ही रीना की चूत पे जीभ मारने लगा.

पण्डित- रीना.. अब तुम मेरी झोली में आ जाओ.

रीना फ़ौरन पण्डित के लंड पे बैठ गई.. उससे लिपट गई.

पण्डित- अह्ह.. रीना.. ये आसन अच्छा है?
रीना- स्स..स..सबसे.अच्छा.. ऊओ पण्डित जी..
पण्डित- ऊह्ह.. रीना.. आज तुम बहुत कामुक लग रही हो.. क्या तुम मेरे साथ काम करना चाहती हो..?
रीना- हाँ पण्डित जी.. स्सस.. मेरी काम अग्नि को शांत कीजिये.. ह्हह्ह.. प्लीज़..पण्डित जी..

पण्डित रीना के मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.. रीना बार बार अपनी चूत पण्डित के लंड पे दबाने लगी.

पण्डित ने रीना का ब्लाउज उतार कर फेंक दिया और उसके निप्पलों को अपने मुँह में ले लिया.

रीना- आअह्ह.. पण्डित जी.. मेरा उद्धार करो.. मेरे साथ काम करो..
पण्डित- बहुत नहाई है मेरे दूध से.. सारा दूध पी जाऊंगा तेरी छातियों का..
रीना- आअह्ह.. पी जाओ.. मैं क्क..कब मना करती हूँ.. पी लो पण्डित जी.. पी लो..

कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनों से और नहीं सहा जा रहा था.

पण्डित ने बैठे बैठे ही अपनी लुंगी खोल के अपने कच्छे से अपना लंड निकाला.. रीना ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्छी थोड़ी नीचे कर दी.

पण्डित- चल जल्दी कर..

रीना पण्डित के सख्त लंड पर बैठ गई.. लंड पूरा उसकी चूत में चला गया.

रीना- आअह्हह्हह.. स्वाहा.. कर दो मेरा स्वाहा.. आ..

रीना पण्डित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी. चुदाई ज़ोरों पर शुरू हो गई थी.

पण्डित- आह्हह.. मेरी रानी.. मेरी पुजारन.. तेरी योनि कितनी अच्छी है.. कितनी सुखदायी.. मेरी बांसुरी को बहुत मज़ा आ रहा है.
रीना- पण्डित जी.. आपकी बांसुरी भी बड़ी सुखदायी है.. आपकी बांसुरी मेरी योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है.
पण्डित- देवलिंग को छोड़.. पहले मेरे लिंग की जय कर ले.. बहुत मज़ा देगा ये तेरे को..
रीना- ऊऊआअ.. प्प.. पण्डित जी.. रात को तो आपके देवलिंग ने न जाने कहां कहां घुसने की कोशिश की!
पण्डित- मेरी रानी.. आअ.. फिकर मत कर.. स्स.. तुझे जहाँ जहाँ घुसवाना है.. मैं घुसाऊंगा.
रीना- आअह्हह्ह.. पण्डित जी.. एक विधवा को.. दिलासा नहीं.. मर्द का बदन चाहिए.. असली सुख तो इसी में है. क्यों.. आआ.. बोलिए ना पण्डित जी.. आऐई..
पण्डित- हांन..आ..

अब रीना लेट गई और पण्डित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा.

साथ साथ वो रीना के मम्मों को भी दबा रहा था.

पण्डित- आअह्ह.. उस.. आज के लिए तेरा पति बन जाऊँ.. बोल..!
रीना- आऐए.. स्सस.. ई.. हाअन्न.. बन जाओ..
पण्डित- मेरा लिंग आज तेरी योनि को चीर देगा.. मेरी प्यारी रीना..
रीना- आअह्हह.. चीर दो.. आअह्ह.. आह्हह्ह.. चीर दो ना.. आआह्ह..
पण्डित- आअह्हह.. ऊऊऊऊ..

दोनों एक साथ झड़ गए और पण्डित ने सारा वीर्य रीना की चूत के ऊपर झाड़ दिया.

रीना- आह्ह..

अब रीना पण्डित से आँखें नहीं मिला पा रही थी.

पण्डित रीना के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा.

रीना- पण्डित जी.. क्या मैंने पाप कर दिया है?
पण्डित- नहीं रीना.. पण्डित के साथ काम करने से तुम्हारी शुद्धता बढ़ गई है.

कुछ देर दोनों मौन पड़े रहे और फिर रीना कपड़े पहन कर और मेकअप उतार कर घर चली आई.

आज पण्डित ने उसे देवलिंग बांधने को नहीं दिया था.

रात को सोते वक्त रीना देवलिंग को मिस कर रही थी.

उसे पण्डित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी. वो मन ही मन में सोचने लगी कि पण्डित जी.. आप बड़े वो हैं, कब मेरे साथ क्या क्या करते चले गए..पता ही नहीं चला.. पण्डित जी.. आपका बदन कितना अच्छा है.. अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैंने पहली बार सुनी है. आप यहाँ क्यों नहीं हैं.

रीना ने अपनी सलवार का नाड़ा खोला और अपनी चूत को रगड़ने लगी.

‘पण्डित जी.. मुझे क्या हो रहा है’.. वो ये बुदबुदाते हुए सोचने लगी.

चूत से हाथ की उंगली गांड पे ले गई.. और गांड को रगड़ने लगी.

‘ये मुझे कैसा रोग लग गया है.. टांगों के बीच में भी चुभन.. हिप्स के बीच में भी चुभन.. ओह..’

अगले दिन रोज़ की तरह सुबह 5 बजे रीना मन्दिर आई.. इस वक्त मन्दिर में और कोई नहीं हुआ करता था.

पण्डित ने रीना को इशारे से मन्दिर के पीछे आने को कहा.

रीना मन्दिर के पीछे आ गई.. आते ही रीना पण्डित से लिपट गई.

रीना- ओह.. पण्डित जी..
पण्डित- ओह्ह.. रीना..

पण्डित रीना को होंठों को चूमने लगा.. रीना की गांड दबाने लगा.. रीना भी कसके पण्डित के होंठों को चूम रही थी. तभी मन्दिर का घंटा बजा.. और दोनों अलग हो गए.

मन्दिर में कोई पूजा करने आया था.. पण्डित अपनी चूमा-चाटी छोड़ कर मन्दिर में आ गया.

जब मन्दिर फिर खाली हो गया तो पण्डित रीना के पास आया.

पण्डित- रीना.. इस वक्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा.. तुम वही अपने पूजा के समय पर आ जाना.

रीना अपनी पूजा करके चली आई.. उसका पण्डित को छोड़ने का दिल नहीं कर रहा था.

खैर.. वो 12:45 बजे का इन्तजार करने लगी. ठीक 12:45 बजे वो पण्डित के घर पहुँची.. दरवाज़ा खुलते ही वो पण्डित से लिपट गई.

पण्डित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और रीना को लेकर ज़मीन पर बिछी चादर पे ले आया.

रीना ने पण्डित को कस के बांहों में ले लिया.. पण्डित के चेहरे पर किस पे किस किये जा रही थी. अब दोनों लेट गए थे और पण्डित रीना के ऊपर था. दोनों एक दूसरे के होंठों को कस कस के चूमने लगे.

पण्डित रीना के होंठों पे अपनी जीभ चलाने लगा.. रीना ने भी मुँह खोल दिया.. अपनी जीभ निकाल कर पण्डित की जीभ को चाटने लगी.

पण्डित ने अपनी पूरी जीभ रीना के मुँह में डाल दी.. रीना पण्डित के दांतों पर जीभ चलाने लगी.

पण्डित- ओह.. रीना.. मेरी रानी.. तेरी जीभ.. तेरा मुँह तो मिल्क शेक जैसा मीठा है.
रीना- पण्डित जी.. आअ.. आपके होंठ बड़े रसीले हैं, आपकी जीभ शरबत है.. आआह्ह..
पण्डित- ओह्हह.. रीना..

पण्डित रीना के गले को चूमने लगा..

आज रीना सफ़ेद साड़ी-ब्लाउज में आई थी.

पण्डित रीना का पल्लू हटा कर उसके स्तनों को दबाने लगा.. रीना ने खुद ही ब्लाउज और ब्रा को निकाल फेंका.

पण्डित उसके मम्मों पर टूट पड़ा.. उसके निप्पलों को कस कस के चूसने लगा.

रीना- अह्हह्ह.. पण्डित जी.. आराम से.. मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे हैं.. आऐईए..
पण्डित- हाँ.. तेरे स्तनों का जवाब नहीं रानी.. तेरा दूध कितनी मलाई वाला है.. और तेरे गुलाबी निप्पलों.. इन्हें तो मैं खा जाऊंगा.
रीना- आअह्हह्ह.. अह.. उई.. तो खा जाओ ना.. मना कौन करता है..

पण्डित रीना के निप्पलों को दाँतों के बीच में लेकर दबाने लगा.

रीना- आऐई.. इतना मत काटो.. आह्ह.. वरना अपनी इस भैंस का दूध नहीं पी पाओगे.
पण्डित- ऊओ.. मेरी भैंस.. मैं हमेशा तेरा दूदू पीता रहूँगा.

रीना- उई.. त..आआ.. तो..पी..अह्ह.. लो ना.. निकालो ना मेरा दूध.. खाली कर दो मेरे स्तनों को..

पण्डित कुछ देर तक रीना के स्तनों को चूसता, चबाता, दबाता और काटता रहा.

फिर पण्डित नीचे की तरफ़ आ गया.. उसने रीना की साड़ी और पेटीकोट उसके पेट तक चढ़ा दिए.. उसकी टांगें खोल दीं.

पण्डित- रीना.. आज कच्छी पहनने की क्या ज़रूरत थी!
रीना- पण्डित जी.. आगे से नहीं पहनूँगी.

पण्डित ने रीना की कच्छी निकाल दी.

पण्डित- मेरी रानी.. अपनी योनि द्वार का सेवन तो करा दे..

ये कह कर पण्डित रीना की चूत चाटने लगा.. रीना के बदन में करंट सा दौड़ गया. रीना पहली बार चूत चटवा रही थी.

रीना- आआह्हह्ह.. म.. म्म..म.. मेरी योनि का सेवन कर लो पण्डित जी.. तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं.. अपनी शुद्ध जीभ से मेरी योनि का भोग लगा लो.. मेरी योनि भी पवित्र हो जाएगी.. आआह्हह्हह..
पण्डित- आअह्ह.. मज़ा आ गया..
रीना- आअह.. हाँ.. हाँन.. ले लो मज़ा.. एक विधवा को तुमने गरम तो कर ही दिया है.. इसकी योनि चखने का मौका मत गंवाओ.. मेरे पण्डित जी.. आआईई..

पण्डित ने रीना को पेट के बल लिटा दिया.. उसकी साड़ी और पेटीकोट उसके हिप्स के ऊपर चढ़ा दिये. अब वो रीना के हिप्स पे किस करने लगा. रीना के हिप्स थोड़े बड़े थे.. लेकिन बहुत मुलायम थे.

पण्डित- रीना.. मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं.
रीना- पण्डित जी.. आह्ह.. मरना ही है तो मेरे चूतड़ों के असली द्वार पर मरो.. आपने जो देवलिंग दिया था, वो मेरे चूतड़ों के द्वार पे आकर ही फंसता था.

पण्डित- तू फिक्र मत कर.. तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊंगा.

यह कह कर पण्डित ने रीना को घोड़ी बनाया.. और उसकी गांड चाटने लगा.

रीना को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.. पण्डित रीना की गांड के छेद को चाटने के साथ साथ उसकी फुद्दी को रगड़ रहा था.

रीना- आअह्हह.. चलो.. पण्डित जी.. अब स्वाहा कर दो.. ऊस्सशह्ह ह्हह्ह..
पण्डित- चल.. अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैयार हो जा.
रीना- आह्हह.. पण्डित जी.. आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी.
पण्डित- चल मेरी रानी.. जैसे तेरी मर्जी.

पण्डित ने धीरे धीरे रीना की गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया.

रीना- आआअहह्ह..
पण्डित- आअह.. रीना प्यारी.. बस कुछ सब्र कर ले.. आह्ह..
रीना- आआह्हह्ह.. पण्डित जी.. मेरे पीछे.. आऐई.. के द्वार में.. आपका स्वागत है.. ऊई..
पण्डित- आअह्ह.. मेरे लंड को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा है.. कितना टाईट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार..
रीना- आअह्हह.. पण्डित जी.. अपने स्कूटर की स्पीड बढ़ा दो.. रेस दो ना.. आअह..

पण्डित ने गांड में धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.

फिर रीना की गांड से लंड निकाल कर उसकी फुद्दी में पेल दिया.

रीना- आई माँअ.. कोई द्वार मत छोड़ना.. आआह.. आपकी बांसुरी मेरे बीच के.. आह्ह.. द्वार में क्या धुन बजा रही है..
पण्डित- मेरी रीना.. मेरी रानी.. तेरे छेदों में मैं ही बांसुरी बजाऊंगा.
रीना- आअह्हह्हह.. पण्डित जी.. मुझे योनि में बहुत.. आअह.. खुजली हो रही है.. अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो.. मिटा दो मेरी खुजली.. मिटाओ ना..

पण्डित ने रीना को लिटा दिया.. और उसके ऊपर आकर अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. साथ साथ उसने अपनी एक उंगली रीना की गांड में डाल दी.

रीना- आअह्हह्हह.. पण्डित जी.. प्यार करो इस विधवा लड़की को.. अपनी बांसुरी से तेज़ तेज़ धुनें निकालो.. मिटा दो मेरी खुजली.. आहहह्हह्ह.. अ.आ..ए.ए..
पण्डित- आआह्हह्ह.. मेरी रानी..
रीना- ऊऊह्ह्ह.. मेरे राज्जाअ.. और तेज़.. औऊर्रर तेज.. आआह्हह.. अन्दर.. और अन्दर आज्जजाआ.. आअह्ह.. प्पप.. स.स..स..
पण्डित- आह्हह.. ओह्हह.. रीना.. प्यारी.. मैं छूटने वाला हूँ.
रीना- आअहह्ह.. मैं भी.. आआ.. ई.. ऊऊऊ.. अन्दर ही.. गिरा.. द.. दो अपना.. प्रसाद..
पण्डित- आह्हह..
रीना- आआह्हह्हह.. अ..अह.. अह.. अह.. अह..

स्वाहा.. चुद गई चुत और हो गया कल्याण.

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मैं उस समय लगभग hindi Sex Stories अट्ठारह साल की थी, तब का यह किस्सा है। मेरे माता-पिता किसी की शादी में बाहर गए हुए थे।

उस दिन मैं एक सेक्सी प्रोग्राम टीवी पर देख रही थी। उसमें एक लड़का लेटा था तथा एक लड़की उसके पास बैठ कर उसके बदन से मस्ती कर रही थी। फिर लड़की ने अपना कुरता खोल दिया, अब वो ब्रा में थी। फिर लड़के से उसने अपनी ब्रा का हुक खुलवा लिया। फिर लड़की ने लड़के के कमीज के सारे बटन खोल दिए। अब लड़का उसके स्तनों से खेलने लगा। लड़की को बड़ा मजा आ रहा था, लड़के का लंड भी उठ गया था तथा वो ऊपर को तन गया था। लड़के ने लड़की की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया। अब लड़की ने भी लड़के की पैंट के बटन खोल कर उसकी चड्डी में हाथ डाल दिया।

मैं यह सब देख रही थी तथा बहुत मजा आ रहा था। मेरी भी चूत अभी गीली हो रही थी। मैंने अपनी चूत में अंगुली डाली तो बड़ा मजा आया। मैंने सोचा कि बिस्तर पर लेट कर मजा लूँगी लेकिन इसी वक्त मुझे लगा कि मरे पीछे भी कोई टीवी देख रहा है। मैंने जल्दी से टीवी बंद किया और पीछे देखा। मेरे अंकल जो फौज में काम करते थे, वो भी देख रहे थे। मैं उनको देख कर मुस्करा दी और बिस्तर पर चली गई, मैं नींद का बहाना करने लगी।

आधे घंटे बाद मुझे लगा कि मेरे साथ कोई सोया हुआ है। मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह फौजी अंकल ही होंगे। उन्होंने अपने शरीर को मेरे शरीर से छुआ दिया। मैंने नींद का बहाना जारी रखा। धीरे धीरे उन्होंने अपना हाथ मेरे वक्ष पर रखा। फिर थोड़ी देर के बाद वो अपने हाथ को फिराने लगे। एक चूची से दूसरी चूची तक धीरे धीरे हाथ फिराते रहे।

मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।

धीरे धीरे वो अपने हाथ को मेरी कमर पर ले गए और फिर वो अपना हाथ मेरी टांगों के बीच में ले गए। उन्होंने मेरी चूत पर अपना हाथ फेरा।

मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन मैंने नींद का बहाना जारी रखा।

अब वो मेरी कुर्ती के अन्दर हाथ डालने की कोशिश करने लगे। वो अपने हाथ मेरी कमर के नीचे डाल कर मेरी कुर्ती की ज़िप तक पहुँचाना चाहते थे लेकिन कर नहीं पाए। मैं धीरे से टेढ़ी हो गई। इसका फायदा उन्होंने उठाया और जल्दी से मेरी कुर्ती की ज़िप खोल दी। इसके बाद उन्होंने मेरी कुर्ती को भी उतार दिया।

मैंने फिर भी नींद का बहाना जारी रखा।

अब मेरी कमर पे सिर्फ ब्रा थी। अंकल मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरी चूची को दबाने लगे। अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मेरे तन-बदन में आग लग रही थी।

इसी बीच मेरे हाथ के पास एक कड़क चीज थी, यह अंकल का लंड था। अंकल अपना हाथ मेरे नंगे बदन पर घुमाने लगे, मेरे बदन पर चूमने लगे। अब उनका हाथ मेरी सलवार तक पहुँच गया और वो मेरा नाड़ा खोलने की कोशिश करने लगे। उनसे नाड़ा खुला नहीं और उल्टा उलझ गया।

अब मैं सोचने लगी कि क्या किया जाए !

किस तरह नींद में रह कर नाड़े को खोला जाए?

मैंने नींद में ही कहा- दरवाजा खुला न रहे ! नहीं तो बिल्ली आकर सब दूध पी लेगी।अंकल जल्दी से उठ कर दरवाजा बंद करने चले गए. मैंने जल्दी से अपना नाड़ा खोल कर इस तरह थोड़ा सा बांध दिया कि आसानी से खुल सके।

अंकल दरवाज़ा बंद करके आये। थोड़ी देर बाद हाथ फिरा का मेरा नाड़ा भी खोल दिया। अभी सलवार उतारने के लिए मुझे फिर अंकल की मदद करनी जरुरी थी। अंकल ने मेरी सलवार को नीचे खिसकाना चालू किया तो मैं थोड़ा सा ऊपर हो गई ताकि मेरी सलवार आसानी से उतर सके। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। अंकल का लंड भी बहुत बड़ा और कड़ा हो गया था जो कि मेरे बदन, जांघ से तथा मेरे हाथ से छू रहा था। अंकल कभी मेरी ब्रा में हाथ डालते तो कभी मेरी पैंटी में !

मैं अब तरपने लगी थी। अब अंकल ने अपने होंट मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगे। अब मैंने भी अपनी आँखें खोल दी और उनको चूमने लगी।

अंकल ने पूछा- यह तुमको अच्छा लग रहा था?

मैंने कहा- बहुत अच्छा लग रहा था।

उन्होंने बोला- अब मैं जो करूँगा वो तुम्हें बहुत ज्यादा मजा देगा।

उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी। फिर अपनी लुंगी भी खोल दी। उनका लंड एक दम कड़ा और लम्बा था। फिर उन्होंने मुझे पूछा- वैसलीन या घी कहाँ रखा है?

मैंने उनको पूछा- यह क्यों चाहिए?

तब उन्होंने बताया- तुम पहली बार चुदवा रही हो, इसलिए जरुरी है। इससे मेरा लंड तुम्हारी चूत में आराम से घुस जायेगा।

मेरी चूत तथा अपने लंड पर वैसलीन लगा कर वो मेरा चुम्मा लेने लगे तथा जोर जोर से मेरे वक्ष की मालिश करने लगे।

उन्होंने कहा- अब तुम अपने दोनों पांव फ़ैला लो !

मैंने दोनों पांव फ़ैला लिए।

उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया, फिर धीरे धीरे उसे दबाने लगे। मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा था तथा दर्द भी हो रहा था। फिर उन्होंने थोड़ा सा लंड और दबा दिया।

अंकल बोले- घबराओ नहीं ! पहली बार दर्द होता हैं लेकिन इतना मजा आता है कि पूछो मत !

सही था, मैं तो पूरा लंड लेना चाहती थी। थोड़ी सी देर में उन्होंने पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मुझे भी दर्द हुआ तथा खून भी निकला लेकिन इतना मजा आया कि पूछो मत।

अब अंकल ऊपर-नीचे होने लगे और मैं भी अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। बहुत ज्यादा मजा आ रहां था…

कुछ मिनट तक ऊपर-नीचे करने के बाद अंकल एकदम अकड़ से गए और इसी बीच मेरे चूत के अन्दर भी जूस निकल गया।

इसके बाद तो अंकल मुझे एक जगह लेकर गए, वहाँ हमने चुदाई का बहुत मजा लिया। लेकिन यह सब अगली कहानी में लिखूंगी। hindi Sex Stories

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