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यह बात तब की है जब मैं 12वीं में Sex Stories पढ़़ती थी. मैं एक को-एड स्कूल में पढ़़ती थी जिस में लड़के और लड़कियाँ दोनों साथ में पढ़़ते हैं और हमारे स्कूल में लड़के पैंट शर्ट और लड़कियाँस्कर्ट शर्ट पहनते हैं टाई के साथ. वो मेरे स्कूल के सबसे सुनहरे दिन थे. मैं अपनी क्लास में सबसे सुंदर थी, ऐसा मुझे कई लड़के कह चुके थे पर मैं ये बात किसी और के मुंह से सुनना चाहती थी.
हाँ ! आईने के सामने खड़े हो के ख़ुद को निहारती भी थी कभी बालों को समेटती कभी बिखेरती कभी अपनी माँ का बलोउस और पेटीकोट पहन के साड़ी पहनने की कोशिश करती तो कभी फव्व्वारे के नीचे अपनी नाईटी पहन के नहाती !!
उन दिनों मैं अपने यौवन के शिखर पे थी मेरे उभरते हुए स्तन और खूबसूरत जांघें सबको लुभाती थी.. मेरी क्लास के सभी लड़के मुझ पे जान छिड़कते थे..पर मैं 12वीं में पढ़ने वाले एक लड़के को बेहद पसंद करती थी उसका नाम वरुण था वो बेहद स्मार्ट और हैंडसम था. उसकी हाईट करीबन 6 फीट रही होगी और मैं 5.6 फीट की थी पर हील्स पहन के उसके कंधे तक पहुँच ही जाती थी।
उन्ही दिनों टीचर्स डे आने वाला था.. दो दिन पहले नाम अनोउंस हुए चूंकि उसकी क्लास में कम लड़कियाँथी तो हमारे क्लास से लड़कियों को टीचर्स बनने का प्रस्ताव आया. मेरे गैर मौजूदगी में मेरे क्लास के कुछ शरारती लड़कों ने मुझे साड़ी में देखने के लिए लिस्ट में मेरा नाम लिखवा दिया और उस दिन 5 सितम्बर को टीचर बनी…
मैंने व्हाइट कलर की साड़ी पहनी थी जिसमें गुलाबी और हलके जामुनी रंग के खूबसूरत फूल थे और व्हाइट ब्लाउज जिसका गला बेहद डीप था चूँकि वो माँ का था इसीलिए मुझे उसे थोड़ा टाइट करना पड़ा था. पर गला तो बदला नहीं जा सकता था इसीलिए मुझे ऐसे ही पहन ना पड़ा. उस ब्लाउज का गला V आकार का था और बेक लेस था जिस वजह से मैं ब्रा भी नहीं पहन पाई. पेटीकोट बहुत बड़े घेरे होने की वजह से मैंने अंदर एक टाइट जींस पहनी थी और फ़िर साड़ी बंधवाई माँ से, ताकि मैं पतली और लम्बी लगूँ..
फ़िर मैंने अपने जांघो को चूमते लंबे बाल खोले और आधे बांधे, हलकी सी न्यूड लिपस्टिक और मस्कारा, लाइनर लगाया और पहुँच गई स्कूल सुबह 8 बजे. क्लास्सें 9 बजे शुरू होनी थी.. और असेम्बली में टीचर्स मीट होनी थी असली और नकली दोनों की, ताकि हम अपनी टीचर को थंक्स कह सकें।
मैं अपनी टीचर के लिए एक रेड रोज़ लायी थी और एक कार्ड. मैंने घोषणा के वक्त सुना वरुण मेरे साथ ही था यानि वरुण और मैं एक ही टीचर बने थे चूंकि हमारे स्कूल मैं एक क्लास में 50 बच्चे पढ़ते थे और एक बन्दे का 50 बच्चों को संभालना काफी मुश्किल होता तो टीचर्स ने एक क्लास के लिए दो टीचर बनाये।
मैं काफी उत्साहित थी और नर्वस भी कि आज मैं सारा दिन वरुण के साथ रहूंगी. जब मैं अपनी टीचर से मिलने गई, उन्हें थंक्स कहने के लिए तो वो भी मेरे साथ था. मैंने वो गुलाब जो मैं अपनी टीचर के लिए लायी थी उन्हें देने की बजाये वरुण को दे दिया गलती से नर्वसनेस में.. और वो जोर जोर से हँसने लगा. फ़िर कहने लगा थंक्स वैसे ये तुम्हारे बालों पे ज्यादा खिलेगा.. और मेरे बालों में फूल लगते हुए वो बोला.. नाऊ यू आर लूकिंग गोर्जियस..!!
मैं बेहद खुश थी उसने मुझे गोर्जिअस कहा.. फ़िर हम लोगों को अपना टाइम टेबल दिया गया उस दिन के लिए और हम अपनी फर्स्ट क्लास लेने के लिए 11वीं क्लास में पहुँच गए मैंने जैसे ही क्लास में कदम रखा, मैं ठोकर खाकर गिरने लगी थी क्यूंकि मेरा सारा ध्यान तो वरुण पे था.. क्यूंकि वो एक दम मेरे सपनों के राजकुमार जैसा लग रहा था काला कोट, काली टाई, हलकी जामुनी फोर्मल शर्ट में, सच, मैं अपने होश में नहीं थी।
अचानक से वरुण ने मुझे थामा और गिरने से बचाया.. अपने पैरों पे खड़े होते हुए मैंने उसे थंक्स कहा और वो मुस्कुराते हुए बोला माय प्लेजर ! तभी पीछे से क्लास के एक लड़के ने कमेन्ट किया अरे वाह क्या जोड़ी है जामुन और जामुनी की और वरुण ने उस लड़के को ये कहते हुए देख लिया और उसे क्लास के बाहर खड़ा कर दिया… और बच्चों को पढ़ाने लगा.
तब मुझे पता चला कि वो देखने में ही नहीं पढ़़ाई में भी बेहद होशियार था। मैं सच मुच उसकी दीवानी होती जा रही थी. कई बार उसने मुझे उसे निहारते हुए देखा पर देख कर अनदेखा कर दिया. इसी तरह 2 पीरियड गुजर गए, तीसरा पीरियड खाली था।
तो हम दोनों स्टाफ रूम में चले गए वहां कोई नहीं था हम दोनों के सिवा, वहां मैं सर झुकाए बैठी थी. और एक नोवेल पढ़ रही थी. कि अचानक से वरुण ने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? मैंने कहा आपको मेरा नाम भी नहीं मालूम और हम इकठे काम कर रहे हैं तो कहने लगा- बताओगी नहीं तो पता कैसे चलेगा…
तो मैंने कहा पूछोगे नहीं तो क्या मुझे सपना आया कि तुम्हें मेरा मतलब आपको मेरा नाम नहीं मालूम.
तो उसने मुझे बीच में टोकते हुए कहा- ठीक है तुम मुझे तुम कह कर बुला सकती हो, मैं काफ़ी खुले विचारों का हूं।
मैंने कहा.. अच्छा.. कितना खुला है तुम्हारा मन..
तो वो हसने लगा
मैंने कहा मैंने कोई जोक नहीं मारा है तो कहने लगा- रहने दो तुम अभी नादाँ हो..
और मैं चुप हो गई और नोवेल पढ़ने लगी.
उसने फ़िर कहा- ये साड़ी तुम्हारी अपनी है?
मैंने कहा- नहीं माँ की है.
और फ़िर उसे टोकते हुए कहा कि मुझे नोवेल पढ़ने दो मुझे पसंद नहीं कि कोई मुझे पढ़़ते हुए डिस्टर्ब करे. तो वो नाराज़ हो के वहां से उठ के चला गया. मुझे बहुत ग्लानि महसूस हुई कि मैंने उस से ऐसा कहा. इतनी मुश्किल से तो मैं उसका साथ पा सकी हूँ वो भी एक दिन के लिए उसमें भी मैंने उसे नाराज़ कर दिया. तो मैंने अपनी नोवेल वहीँ छोड़ी और उसके पीछे भागते हुए गई और उसे दूर से कहा- एक्सक्यूज़ मी ! आई एम् सॉरी फॉर बीइंग रयुड टू यू । आप मुझसे नाराज़ हो?
उसने कहा हाँ.. मैंने फ़िर कहा सॉरी तो कहने लगा कि मैं तुमसे उस बात पे नाराज नहीं हूँ इस बात पे नाराज हूँ कि तुमने मुझे आप कहके बुलाया और. हलके से मुस्कुराते हुए शरारत भरे लफ़्ज़ों में बोला- मैं खूबसूरत लड़कियों से न तो नाराज़ होता हूँ न ही उन्हें नाराज़ करता हूँ.
मेरे मन में लड्डू फ़ूट रहे थे कि उसने मुझे खूबसूरत कहा और मेरे चेहरे पे खुशी झलकने लगी जो उसने भी नोटिस की. फ़िर कहने लगा इतनी खुश मत हो मैंने तुम्हे खूबसूरत नहीं कहा और मेरा सारा मूड ऑफ़ कर दिया.
मैं मुड़ के वापिस स्टाफ रूम में जाने लगी कि पीछे से उसने मुझे आवाज़ लगायी… कृति !!! तुम्हारा नाम क्या है..!!!
मैंने कहा तुम्हे मेरा नाम मालूम है तो पूछा क्यूँ था.. कहने लगा मुझे मालूम है कि तुम थोडी सी शोर्ट टेम्पेरेड हो इसीलिए तुम्हे तंग कर रहा था.
मैंने कहा.. मैं शोर्ट टेम्पेरेड ही नहीं कराटे चैम्प भी हूँ. इसीलिए बचके रहना. फ़िर बोला कि तुम कराटे चैम्प होगी पर मैं प्रेम पुजारी हूँ फ़िर मैं शरमा के स्टाफ रूम में चली गई थोड़ी देर में हमारा चौथा पीरियड लगने वाला था।
जैसे ही वरुण स्टाफ रूम में आया मैं उठ के जाने लगी और मेरी साड़ी का पल्लू उसके कोट के बटन में अड़ गया. अच्छा हुआ मैंने उसे पिन अप कर रखा था. उसने पल्लू छुड़वाया और मैं भागते हुए क्लास में चली गई पर पल्लू छुडाते वक्त मैंने उसके होंठो पे आती मुस्कराहट साफ देखी और 5 मिनट बाद वो भी क्लास में आया.
मैं क्लास में खड़ी थी अंदर आते हुए उसने कहा- बच्चों आज पढ़़ाई का मूड है.. सब ने जोर से चिल्लाते हुए कहा- नहीं ! और क्लास को दो हिस्सों में बाँट दिया एक तरफ़ लड़के और वो और दूसरी तरफ़ लड़कियाँऔर मैं और हम अन्ताक्षरी खेलने लगे.!!!
खेलते खेलते उनकी बारी आई अक्षर था प तो उन्होंने मेरी तरफ़ देखते हुए गाना शुरू किया प्यार के लिए चार पल कम नहीं थे कभी तुम नहीं थे कभी हम नहीं थे…
मैंने शरमा के नज़रें झुका ली थोड़ी देर बाद मेरी बारी आई गाने की मेरा अक्षर था डी तो मैंने गया दिल दे दिया है जान तुम्हे देंगे, दगा नहीं करेंगे सनम, इसी तरह से खेल चलता रहा और हम दोनों अपने दिल के एहसासों को गानों में बयाँकरते रहे. इसी तरह वक्त गुज़र गया और रिसेस की घंटी बजी. सभी बच्चे शोर करते हुए बाहर चले गए और मैं अपनी साड़ी समेटते हुए खड़ी हुई. वरुण मुझे ही देख रहा था और मैंने जान बूझ कर ध्यान नहीं दिया.
मैं क्लास से निकलने लगी तो कहने लगा- तुम कहाँ स्टाफ रूम में खाना खाओगी क्या. मैंने कहा- हाँ ! तो कहने लगा कि इस टाइम पूरा स्टाफ रूम फुल होगा मैंने कहा तो क्या हुआ और जाने लगी तो कहने लगा कि मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूँ. तो मैंने कहा कि करो तो कहता कि वो मैं तुमसे कहना चाहता हूँ कि आई.. आई… आई लव… आई लव…
मैंने कहा- आगे भी कुछ बोलोगे अब..
तो कहने लगा कि… आई लव बुक्स !!!
मैंने कहा- यूऽऽऽ..!!!! मैं जा रही हूं और स्टाफ़ रूम की तरफ़ जाने लगी तो कहने लगा- अरे रुको मैं भी आता हूँ ना तुम्हारे साथ…!!
मैंने कहा- अपने आप आ जाना, मैं जा रही हूँ.
और स्टाफ रूम में आ गई .. वहां कुछ और ही माहौल था, लड़कियाँ साड़ी ठीक कर रही थी और मेक अप कर रही थी और अपनी साडियाँ लड़कों से ठीक करा रही थी .. ये सब देख के मुझे और गुस्सा आ गया और मैं वरुण के पास वापिस चली गई.
मेरे पहुँचने पे वो कहने लगा देख लिया तमाशा इसीलिए मैं मना कर रहा था .. पर मेरी तो ना मानने की ठान रखी है तुमने .. तो मैंने कहा अच्छा ना सॉरी ! .. कहता सॉरी बोल के एहसान कर रही हो… और मेरा हाथ पकड़ के उसने मुझे दीवार की तरफ़ धक्का दिया और कहने लगा- मैं तुमसे उमर में भी बड़ा हूँ और सोच में भी, दुनिया तुमसे ज्यादा देखी है,…तुम्हें क्या लगता है तुम कोई हूर की परी हो जिसके लिए लड़के मरते हैं?
तो मैंने कहा मेरा हाथ छोड़ो मुझे दर्द हो रहा है। छोड़ते हुए उसने मुझे सॉरी कहा और फ़िर सारा दिन मैंने उस से बात नहीं की.
स्कूल टाइमिंग्स के बाद टीचर्स के लिए स्कूल में लंच था लंच कराने के बाद जब में स्कूल से निकलने लगी तो जोर जोर से बारिश शुरू हो गई।
मैं पूरी तरह से भीग गई और मेरे ब्लाउज़ व्हाइट होने की वजह से अंदर के मेरे स्तन साफ दिखने लगे. मुझे भीगते हुए रिक्शा का इंतज़ार करते देख वरुण ने मुझे बाईक पे घर छोड़ने की ऑफर दी और मैंने कोई और रास्ता ना दीखते हुए उसे हाँ कर दी.
मेरी साड़ी भीगने की वजह से जींस के साथ एक दम चिपक गई थी और जींस दिखने लगी थी तो मुझे वरुण ने कहा तुम साड़ी उतार दो ..और जींस में बैठ जाओ .. मैं तुम्हे अपने घर ले चलता हूँ वहां ब्लाउज चेंज़ करके मेरी टी शर्ट पहन के घर चली जाना तब तक बारिश भी कम हो जायेगी . इसीलिए वो मुझे अपने घर ले गया मेरे भीगे बाल मेरे बदन से चिपके हुए थे जैसे पेड़ से कोई लट चिपकी होती है और मेरी जींस पूरी तरह भीग चुकी थी .. मेरे व्हाइट ब्लाउउज़ में से मेरे स्तन साफ नजर आ रहे थे.
उसने मुझे घर के अन्दर बुलाया और एक टॉवेल दिया .. और पूछा कि तुम्हारे पास और कपड़े नहीं हैं क्या.
मैंने कहा- नहीं !
तो उसने मुझे अपनी टी शर्ट दी। वो बेहद खुली थी, उसके अंदर से मुझे उसके बदन की खुशबू भी आ रही थ। मैं अपनी टांगे पोंछ रही थी तो वरुण मेरे पास आकर खड़ा हो गया और मेरे चेहरे पे फिसलते मेरे बालों को ऊपर करने लगा ताकि मैं अच्छे से अपना बदन पोंछ सकूँ। मेरे ब्लाउज में से मेरे स्तन ऊपर की ओर झांक रहे थे।
फ़िर मैं खड़ी हुई और बाथ रूम में चली गई चेंज करने के लिए पर मेरे ब्लाउज की डोरियों तक मेरे हाथ नहीं पहुँच रहे थे कि मैं उन्हें खोल सकूँ. और घर में वरुण के सिवा कोई और नहीं था, तो मैंने उसे मदद के लिए बुलाया। उसने कहा क्या हुआ .. मैंने कहा कि मेरे ब्लाउज कि डोरी नहीं खुल रही, तो उसने डोरी पकड़ के खींची और खोल के बाहर चला गया..
मुझे उसकी ये बात बहुत अच्छी लगी कि उसने अकेलेपन का कोई ग़लत फायदा नहीं उठाया. मैंने उसकी दी हुई टी शर्ट पहनी और घर चली गई. उसकी बाईक पे बैठ के।
उसके बाद से हम दोनों के बीच अच्छी खासी दोस्ती हो गई.
और अब तक हम दोनों खूब मस्ती करते हैं.
ये हम दोनों की प्रेम कहानी की सिर्फ़ शुरुआत थी. बाकी के किस्से में आप सभी को इस कहानी के दूसरे अंको में बताउंगी. हमारी प्रेम कहानी में भी वो सब कुछ हुआ जो हर प्रेम कहानी में होता है लेकिन कुछ अलग अंदाज़ से. तो आप लोगों को कैसी लगी मेरी कहानी ये मुझे ई मेल करके जरूर बताइयेगा, मुझे आपके फीडबैक का इंतज़ार रहेगा .. अगर आपको ये शुरुआत पसंद आई तभी मैं इस सच्ची कहानी को आगे बढाउंगी. पढ़ने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. Sex Stories
मैं एक बार फिर आप लोगों के Sex Stories सामने आया हूँ अपनी नई कहानी के साथ। मेरी पहले की कहानी कुंवारी छोकरी
और
विदेशी माल
को आप लोगों ने बहुत पसंद किया, उससे मुझे बहुत ख़ुशी हुई। आशा है आप लोग मेरी यह कहानी भी पसंद करेंगे। तो सभी लड़कियों और लड़कों से कहना है कि अपने-अपने औजार संभाल लें क्योंकि मैं कहानी शुरू करता हूँ।
दो महीने पहले की बात है जब मेरे इलाके में कोई सरकारी टीचर अपने परिवार के साथ रहने आये। सब उन्हें मिश्रा जी कहते थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी और उनकी एक बेटी थी।
हम सब दोस्त अपने घर के बाहर बाते कर रहे थे कि अचानक मिश्राजी ने हम सभी को सामान घर के अन्दर रखने के लिए मदद मांगी। हम सबने जाकर उनकी मदद की।
जब वापस आ रहे थे तो उनकी बेटी ने मुझे कुछ अलग नजरों से देखा तो मैं समझ गया कि वह मुझ पर फिदा हो गई है। पर मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया। अब जब भी मैं घर के बाहर रहता तो वह मुझे देखकर मुस्कुराती रहती, मैं अनदेखा कर देता। आप सभी लोग सोच रहे होंगे कि मैं ऐसा क्यों करता था। उसकी वजह थी उसका रंग। वह बिल्कुल काली थी। उसका नाम सोनी था। ( बदला हुआ नाम )
अब मैं उसके बारे में बताता हूँ की वह कैसी थी। वह बिल्कुल काली थी पर उसकी फिगर बहुत ही सेक्सी थी। उसकी उम्र 18 साल की होगी। उसकी चूची ज्यादा बड़ी नहीं थी। यह सब कुछ दिनों तक चला तो दोस्तों ने मुझे चिड़ाना शुरू कर दिया था। मैंने उन्हें बताया कि ऐसा कुछ नहीं है तो दोस्तों ने कहा कि उससे तुझे क्या लेना है, अगर वह आती है तो आने दो! काम होने पर चलता करना!
मुझे उनकी बातें शुरू में अच्छी नहीं लगी फिर मैंने सोचा कि इसमें हर्ज़ ही क्या है। मैंने भी दाना डालना शुरू कर दिया। यह सब देख कर उसे बहुत अच्छा लग रहा था। यह सब कुछ दिनों तक चला तो मेरे दोस्तों ने मुझसे पूछना शुरू कर दिया कि कुछ किया भी या ऐसे ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ कर यार।
बातों ही बातों में एक बार सोनी ने बताया कि मैं दो बार चुदवा चुकी हूँ।
मैंने कहा- तब मुझे कब खिला रही हो?
उसने कहा- चार दिन बाद मेरी माँ अपनी किसी रिश्तेदार के यहाँ शादी में जा रही है, मुझे भी साथ ले जा रही थी पर मैं पढाई का बहाना बनाकर नहीं जा रही हूँ। पापा भी स्कूल चले जाते हैं। तुम मेरे घर आना, मैं तुम्हारे लिए तुम्हारी पसंद का खाना बनूंगी(बनाऊँगी)।
मैं उसका मतलब समझ चुका था। उस दिन जैसे ही उसके पापा घर से बाहर गए, वो घर से बाहर आकर मुझे घर के अन्दर आने के लिए इशारा कर गई। मैं भी मौका देख कर उसके घर के अन्दर चला गया।
घर के अन्दर जाते ही उसने मुझे बिठाया और किचन में चली गई वहाँ से उसने मुझे खीर लाकर दी। वो मुझे अपने हाथों से खीर खिलाने लगी, मैं भी खीर खा रहा था और बस उसे ही देखे जा रहा था। वह भी मेरे आँखों में देखती जा रही थी।
मैंने कहा- अब मैं तुम्हें खिलाऊंगा!
उससे चम्मच लेकर मैं उसे खिलाने लगा। खिलाते-खिलाते उसके मुंह के बजाय उसके कपड़ों के अन्दर खीर डाल दी। वह उठकर दूसरे कमरे में चली गई।
मैं समझ गया कि वह कपड़े बदलने गई है, मैं भी उसके पीछे जाकर उसे देखने लगा। मैंने देखा कि वह केवल सफेद ब्रा में ही है। मैंने कुछ हिम्मत करके उसे पीछे से पकड़ लिया। वह कुछ घबराई और कहने लगी- आज नहीं फिर कभी!
मैंने कहा- आज नहीं तो कभी नहीं।
कहते हुए मैं उसके गले पर चूमने लगा। वह नहीं-नहीं कहे जा रही थी। पर मैं कुछ और इरादा कर के आया था। मैं बस लगा रहा। मैं उसे पीछे से ही पागलों की तरह चूमने लगा। धीरे-धीरे उसकी ब्रा क हुक भी खोल दिया और पीछे से ही उसके दोनों चुचियों को पहले धीरे-धीरे फिर बाद में उसे कस-कस कर मसलने लगा। उसकी मुंह से सी… सी … की आवाजें निकलने लगी।
मैं समझ गया कि वह भी गरम हो चुकी है। मैं बस चुम्बन लिये जा रहा था और उसकी चुचियों को मसले जा रहा था।
अचानक उसने मेरे खड़े लण्ड को हाथ पीछे करके पकड़ लिया। मुझे अजीब सा लगा। मैंने उसका मुंह अपनी ओर किया और उसे किस करने लगा। उसके होंठों को अपने होंठों से जोरदार किस किये जा रहा था।
वह बिल्कुल पागल सी हो गई थी। वह अपने घुटनों पर बैठ कर मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी। मैंने उसे अपने मुंह में लेने के लिए कहा तो उसने मुंह में ले लिया और चाटने लगी। जब वो अपने फ़ूल से कोमल होंठो मेरे लण्ड को चाट रही थी तो मेरे तन बदन में मानो आग सी लग रही थी।
मैंने कहा- अब मेरी बारी है!
मैंने फट से उसे नंगा कर दिया और उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी बुर को देखा तो एक दम चौंक गया, पूरा बदन काला था मगर उसकी बुर लाल नज़र आ रही थी। बुर पर एक भी बाल नहीं था। शायद उसे पता था कि मैं जब आऊंगा तो उसे जरुर ही चोदूंगा, इसलिए वह पूरी तरह से तैयार थी। जैसे ही उसकी बुर को करीब से देख रहा था तो मानो उसकी बुर काँप रही हो। जब मैंने उसकी बुर पर अपनी जीभ लगाई तो उसके बदन में हलचल से हो गई।
अब मैं उसकी कोमल बुर को धीरे-धीरे चाट रहा था। उसकी आवाज़ में एक कम्पन्न सी हो रही थी। बुर-रस और मेरे थूक से उसकी बुर एक दम गीली हो गई थी। मेरा लण्ड भी कब तक इंतज़ार करता, वह कह रहा था कि मुझे भी जन्नत की सैर करनी है।
जब मैंने अपना लण्ड को उसकी बुर पर रखा और अन्दर डालना चाहा तो अन्दर नहीं जा रहा था। यह देखकर मैं चौंक गया कि उसकी बुर एकदम टाइट थी। मैंने कहा- अरे तुम्हारी बुर तो एक दम टाइट है?
तो उसने कहा- हाँ, मैं पहली बार करवा रही हूँ। मैंने तुमसे झूठ इसलिए कहा क्योंकि मैं तुमसे सेक्स करना चाहती थी। अगर मैं तुमसे नहीं कहती कि मैं दो बार चुदवा चुकी हूँ तो तुम डर जाते, क्योंकि मैं जानती हूँ कि तुम मुझसे शादी नहीं करोगे। कहाँ मैं और कहाँ तुम। इसलिए तुम्हें एहसास हो जाये कि मैं एक चुदासी लड़की हूँ। जिससे तुम जल्द ही तुम मेरे साथ सेक्स करने के लिए राजी हो जाओ।
यह सब सुनकर मुझे लगा कि अब मैं उसे नहीं चोदूंगा पर मैं अपने आपको नहीं रोक सका।
तभी उसने कहा- क्या सोच रहे हो? जल्दी चोदो ना!
मैंने भी एक बार फिर अपना लण्ड बुर पर रखा और धीरे-धीरे करके उसे बुर के अन्दर डालने लगा। वह अपनी जीभ को दांतों तले दबाये थी। फिर एकाएक मैंने जोरदार धक्का दिया जिससे मेरा पूरा लण्ड बुर में चला गया। उसकी चीख जोरदार होने के कारण मुझे उसका मुंह बंद करना पड़ा। दिन का समय था कोई भी घर में आ सकता था।
कुछ मिनट बाद मैंने असली चुदाई शुरू की। मैं धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था। फच -फच की आवाजे चारों ओर गूंजने लगी थी। उसे भी मस्ती आ रही थी। वह भी खूब मजे लेकर चुदाई का आनंद उठा रही थी। उसके दूसरी बार झड़ने के बाद मैं भी उसकी बुर में झड़ गया और उसके बगल में लेट गया।
कुछ समय बाद वह उठी और लड़खड़ाते हुए बाथरूम की ओर जाने लगी। मैंने बिस्तर पर देख तो खून ही खून था। कुछ खून उसके जाँघों पर लगा था। जब वह बाथरूम से आई तो मुस्कुरा रही थी।
मैंने पूछा- यह तुम पहली बार कर रही थी, पर तुम्हारे अंदाज़ से तो मुझे कभी भी नहीं लगा कि यह पहली बार थी?
उसने कहा- क्योंकि मैं ब्लू फिल्म कई बार देख चुकी हूँ। जिससे बहुत कुछ सीख गई थी। लेकिन यार काली लड़कियों की बुर एकदम कमाल की होती है। कभी कोशिश करके देखो। एकदम मक्खन जैसा बुर। मज़ा आ जायेगा। अगर लड़कियां पढ़ रही होगी तो माफ करना, लेकिन क्या यह झूठ है।
मैंने जाते-जाते उससे पूछ लिया- तो अगली बार कब?
वह मुस्कुराते हुए बोली- जब तुम चाहो।
पर अफसोस, दूसरी बार यह मौका नहीं मिला अब तक। दुआ करो कि यह मौका जल्द ही मिल जाये।
तो मेरी कहानी आपको कैसी लगी आप लोग जरुर मेल करें, आपके मेल से ही हम सभी लेखकों को हौंसला मिलता है।
अगली कहानी के लिए आप प्रतीक्षा कीजिये। Sex Stories
दोस्तो, मेरा नाम राजेश Antarvasna कुमार है, मैं आप सब प्यासी चूत वालियों का अपने 7′ के खड़े लंड से स्वागत करता हूँ। मैं अन्तर्वासना डॉट कॉम साईट का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैं 24 साल का लड़का हूँ, मेरी ऊँचाई 175 सेमी और मेरा वजन 65 किलो है। मैंने बहुत साहस करके अपनी सच्ची कहानी लिखने की कोशिश की है। मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं एक नंबर का चूत का चुस्सू हूँ, मुझे चूत चूसने, चाटने और चूत का रस पीने में बड़ा मजा आता है, वैसे मैं एक कॉल बॉय बनना चाहता हूँ।
मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ और आजकल गांधीनगर (गुजरात) में रह रहा हूँ। गांधीनगर में एक सुरक्षा प्रदान करने वाली कम्पनी में काम करता हूँ और हर 3-4 महीने बाद घर जाता हूँ।
एक बार मैंनेट चैट कर रहा था तो मुझे अहमदाबाद रूम में एक आदमी मिला। मैं उससे बात करने लगा। उसका नाम केतन, उम्र 32 साल और उसकी पत्नी ललिता 30 साल की थी। केतन ने चैट के दौरान उसने बताया कि वो अपनी पत्नी को किसी और से चुदते देखना चाहता है और ललिता भी चाहती है कि दो मोटे लंड उसकी चूत और गांड में एक साथ घुसें।
तो मैंने कहा- यार, मेरे से ही चुदवा लो!
तो वो राजी हो गया।
मैंने केतन को बताया कि मैं एक कॉल-बॉय हूँ और दो घंटे के 10000 लेता हूँ। तो उसने कहा- तू पहले अपना लंड वेब कैमरे पर दिखा! यदि अच्छा लगा तो 12000 दूंगा।
मैंने उसे अपना लंड दिखाया, उसने कहा- तेरा तो बहुत मोटा है। तुझे मैं 15000 दूंगा।
और उसने कहा- यह सब संभव कैसे होगा?
तो मैंने कहा- मैं शनिवार को तेरे घर आता हूँ, तू अपनी पत्नी को बोलना कि यह मेरा दोस्त है और 1-2 दिन रुकेगा।
उसने कहा- ठीक है।
मैं शनिवार को दोपहर दो बजे उसके बताये पते पर गया। वो भावनगर का रहने वाला था। फिर मैंने उसको अपनी योजना समझाई, मैंने कहा- मैं तुझे शाम को एक गोली दूंगा जो तुम अपनी पत्नी को दे देना।
उसने कहा- ठीक है!
मैंने उसे पूरी योजना बता दी।
उसने शाम को वो गोली पीस कर मिठाई में मिला कर ललिता को दे दी। फिर ललिता ने खाना बनाया। फिर केतन और ललिता हॉल में आकर बैठ गए तो केतन मुझसे बोला- यार कौन सी मूवी देखोगे?
तो मैंने कहा- यार, आज तो कोई चुदाई वाली दिखा दो!
तो उसने कहा- यार, एक हिंदी की पोर्न मूवी है चला दूँ क्या?
मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ!
अब मैं आगे की कहानी सबकी जुबानी सुनाता हूँ।
अब केतन ने हिंदी पोर्न मूवी चला दी। मूवी में एक लड़की दो लड़कों के लंडों को चूस रही थी, दोनों के लंड बहुत मोटे थे। वो बारी-बारी से दोनों लंडों को चूस रही थी। कभी दोनों को एक साथ चूस रही थी।
राजेश : यार केतन यह देख! मूवी में लड़की क्या माल है बड़े मजे से चूस रही है दो -दो लंडों को!
केतन : हाँ यार बड़ी मस्त माल है!
यह कहते हुए केतन ललिता की चूचियों को जोर से मसलने लगा तो ललिता सिसकी लेने लगी और थोड़ी देर में वो भी केतन के लंड को पैन्ट के ऊपर से सहलाने लगी। कमरे में सिसकारियों का माहौल हो गया।
केतन : यार बड़े मजेदार मूवी है! राजेश तुझे पता है ललिता भी दो लंडों से चुदवाने का सपना रोज देखती है।
ललिता : आःह्ह…केतन क्या बोल रहे हो तुम? मैंने तुमसे ऐसा कब कहा?
केतन : ललिता जब तुम और में परसों रात यही मूवी देखते हुए चुदाई कर रहे थे तो तुम कह तो रही थी कि काश मैं भी ऐसे ही दो लंडों को चूसती और दोनों लंडों से एक साथ चुदवाती!
अब तक मूवी में एक लड़का नीचे बैठ कर उसकी चूत चूस रहा था और दूसरा अपना लंड चुसवा रहा था। थोड़ी देर में एक लड़का सोफे पर बैठ गया और उसने उस लड़की की गांड में लंड डाल कर अपने ऊपर बिठा लिया और दूसरे ने उसकी चूत में लंड पेल दिया। इधर केतन ने ललिता को नंगा कर दिया और सोफे पर लेट कर उसकी चूत चूसने लगा और ललिता का मुँह मेरी तरफ था जहाँ में बैठा था वो केतन का लंड चूस रही थी इधर मैंने भी अपने कपड़े खोल दिए और अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मुठ मारने लगा।
राजेश : यार केतन देख तो कैसे चुदवा रही है साली एक लंड गांड में और एक चूत में!
केतन : हाँ यार बड़ी मस्त चुदवा रही है और ललिता तू क्या कह रही थी कि तूने कब कहा था दो लंडों से चुदवाने के लिए? तो जब हम कल चुदाई करते हुए यह दृश्य देख रहे थे तब तूने कहा था कि काश ऐसे दो लंडों से मेरी भी चुदाई होती!
ललिता : हाँ साले कहा था! और आज दो लंड भी हैं आज तो मैं दो लंडों से ही चुदवाऊँगी! राजेश तुम वहाँ बैठे हुए क्यों मुठ मार रहे हो? मैं हूँ ना तुम दोनों की रंडी! मैं चूसूंगी तेरे लंड को!
केतन (मेरी तरफ आँख मारते हुए) : हाँ यार यह है न अपनी रांड! इससे चुसवा अपना लंड! जब तक मैं इसकी चूत चूसता हूँ! फिर इसकी चूत और गांड दोनों एक साथ चोदेंगे।
राजेश (ललिता के पास आकर अपना लंड ललिता के मुँह में ठूंसता हुआ) : ले साली रंडी! अब चूस दोनों लंडों को उस रंडी की तरह! (टीवी की तरफ इशारा करते हुए)
ललिता : आजा मेरे लौड़े राजा आज तो मेरी चूत और गांड दोनों की आग बुझ जाएगी और आज मेरा बहुत पुराना सपना भी पूरा हो जायेगा दो लंडों से चुदवाने का सपना! आऽऽह्ह… जोर से चूस केतन मेरी चूत को आह्ह… ओऽऽहऽ…
केतन : ओऽऽहऽ… जोर से ही तो चूस रहा हूँ! तू भी अपनी जीभ घुमा दोनों लंडों पर! मेरा निकलने को आ रहा है ओऽऽहऽ…आऽऽह्ह…
राजेश : केतन, यार कैसा स्वाद है ललिता की चूत का?
केतन : यार, यदि तूने चख लिया तो जिन्दगी भर तुझे ललिता की चूत ही नजर आएगी स्वाद के मामले में!
ललिता : राजेश, मैं तुझसे बाद में चुसवाऊँगी, पहले दोनों से एक साथ चुदवाऊँगी! आऽऽह्ह… मैं गई… ओऽऽहऽ… जोर जोर से… आऽऽह्ह… ऊह्ह्हह.. गई मैं!
ललिता केतन के मुँह में झड़ गई और केतन ललिता के मुँह में! अब केतन नीचे बैठ गया और ललिता ने उसके लण्ड पर अपनी गांड रख कर केतन का लंड अपनी गांड में ले लिया। अब मैंने भी अपना लंड ललिता की चूत पर रख कर एक ही झटके में पेल दिया। फिर दोनों मिलकर ललिता को चोदने लगे।
ललिता : सालो, आज तुम दोनों अपने लंड का कमाल दिखा दो और मेरी गांड और चूत को फाड़ दो आऽऽह्ह… ओह्ह्ह्हह जोर से केतन ओऽऽहऽ… राजेश तुम भी जोर से आऽऽह्ह… रेल की तरह दौड़ा दो अपने लंड को मेरी गांड और चूत में!
राजेश : ले मेरी रानी! केतन, आज की रात तो इसे चोद चोद के इसका हाल बुरा कर देंगे आऽऽह्ह…क्या कसी चूत है तेरी जब चूत ही इतनी कसी है तो गांड तो और भी तंग होगी।
केतन : हाँ, सही बोल रहा है राजेश यार! इसकी चूत और गांड दोनों ही कसी हैं। मेरा लंड तो इसकी गांड में बुरी तरह फंसा हुआ है। ले मेरी रंडी, दबा के चुदवा ले, आज तो तेरा बहुत पुराना सपना पूरा करने के लिए ही मैंने राजेश को बुलाया है।
ललिता : ओह! मेरे राजा तुम कितने अच्छे हो केतन कि तुम मेरे लिए एक मोटा और अपने जैसा ही लम्बा लंड ढूंढ कर लाये! आज तो मैं पूरी रात दबा कर अपनी चूत और गांड फड़वाऊँगी। आह्ह्ह्हह ह्ह्ह्ह… जोर से लंड देवताओ, जोर से! फाड़ दो मेरी चूत को! आःह्ह्ह्ह…
राजेश : आज तो हम दोनों तेरी चूत और गांड का कीमा बना देंगे। अब तो मैं रोज तुझे चोदने आया करूँगा, क्यों केतन?
केतन : हाँ यार, अब तो रोज चोदा करेंगे स्साली को मिलकर!
ललिता : अब तो राजेश तुम यहीं रहोगे और मेरी गांड और चूत का रोज मजा लोगे! केतन, इसको तुम अपनी कंपनी में जॉब दे दो और मेरे पास छोड़ दो, मैं रोज दिन में भी इससे चुदवाया करुँगी।
हमारी चुदाई 30 मिनट तक चली। इस बीच ललिता तीन बार झड़ गई थी और केतन ने उसकी गांड में अपना पानी छोड़ा और मैंने अपना पानी उसके मुँह में भर दिया। इस प्रकार केतन ने अपनी पत्नी ललिता को मुझसे चुदवाया और अब तो हम हर दूसरे तीसरे दिन उसकी चुदाई करते और वो मेरा नियमित ग्राहक भी बन गया है और मुझे हर बार के सात हज़ार रूपए देता है।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? Antarvasna
aयह आज से 8 साल पहले की बात है Antarvasna जब मैं बी. कॉम फाइनल इयर में पढता था। हमारे कॉलेज में बहुत लड़कियाँ पढ़ती थी और हमारी क्लास में भी काफ़ी लड़कियाँ थी। लेकिन उनमें दो 2 लड़कियाँ ऐसी थी कि जिन को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं सिर्फ़ उनकी तरफ़ देखता रहता था। एक का नाम रितु था और दूसरी श्रुति।
रितु मेरे साथ ज़्यादा खुली थी जबकि श्रुति इतनी नहीं थी। मैं हमेशा उनको चोदने का सोचा करता था लेकिन कभी भी मोका नहीं मिल सका था। एक दिन हमारी क्लास ख़त्म हुई तो हम सब विद्यार्थी नीचे आ गए। कुछ देर बाद मैंने देखा कि रितु और श्रुति ऊपर जा रही हैं। मैंने उनका पीछा किया। वो दोनों क्लास में चली गई और दरवाज़ा बंद कर लिया। मैं दरवाज़े के साथ लग कर खड़ा हो गया और सोचा कि जैसे ही वो निकलेंगी तो मैं क्लास में अंदर जाने के बहाने किसी एक के बूब्स को हाथ लगा लूँगा।
लेकिन काफ़ी देर गुज़र जाने के बाद जब वो बाहर नहीं आई तो मैंने दरवाज़े से कान लगा लिया। अंदर से कुछ सेक्सी आवाजें आ रही थी- आ आह ह्ह्ह्ह्छ हह ओह हह ह्ह्ह्ह्छ हम मम् म्मम्म।
मैं समझ गया कि कुछ तो हो रहा है। मैं इधर उधर देखने लगा कि कहीं से कोई ऐसी जगह नज़र आए जहाँ से मैं उनको देख सकूं। अचानक मुझे खिड़की में एक छेद नज़र आया और मैं वहां से उनको देखने लगा।
वो दोनों बिल्कुल नंगी थी, उनके कपड़े साइड वाली कुर्सी पर रखे हुए थे और वो लेस्बियन एन्जॉय कर रही थी। रितु श्रुति की योनि चाट रही थी और श्रुति दर्द और सेक्स के मारे आवाजें कर रही थी। जब मैंने उनको ऐसा करते देखा तो मेरा लंड भी खड़ा हो गया और ऐसा लग रहा था कि अभी अंडरवियर फाड़ कर बाहर आ जाएगा।
श्रुति चीख रही थी- हाँ हाँ ! कर रितु कर ! और तेज़ कर ! फ़टाफ़ट जोर जोर से कर !
कोई 10 मिनट बाद मैंने देखा कि श्रुति की टाइट चूत से एकदम सफ़ेद रस बाहर निकला जो सीधा रितु के चेहरे पर गिरा और रितु उसे मजे से चाटने लगी और श्रुति से कहा कि तुम भी चाटो। श्रुति बिल्कुल मदहोश हो गयी थी।
इसके बाद रितु कुर्सी पर बैठी और श्रुति से कहा कि अब तुम मेरी योनि को चाटो। श्रुति ने जब उसकी टांगों को खोला तो यह देख कर मैं बहुत हो गया कि रितु की चूत खुली थी बिल्कुल ब्लू फिल्मों की लड़कियों की चूत की तरह।
मुझे बहुत हैरत हुई। श्रुति ने रितु से कहा कि तुम्हारी चूत इतनी खुली क्यूँ है, तो रितु ने कहा कि श्रुति ज़ान ! तुम ने आज यह पहली बार किया है, जब तुम रोज़ करोगी और अपनी ऊँगली चूत में अन्दर बाहर करोगी तो तुम्हारी चूत भी ऐसी हो जाएगी और मैं तो रोज़ चुदाई भी करवाती हूँ। अगर तुम हमारे घर आओ तो मैं तुम्हें भी चुदवाऊंगी अपने पड़ोसी से, बहुत मज़ा आता है और मेरी एक इच्छा है कि मेरी चूत इतनी खुल जाए कि मैं अपना पूरा हाथ इस में अंदर ले सकूं।
कोई 8-10 मिनट बाद रितु भी चरमसीमा पर पहुँच गई और वो दोनों अपने कपड़े पहनने लगी कि अचानक मेरे मुंह से आवाज़ निकली और मैं भी झड़ हो गया।
उन्होंने वो आवाज़ सुन ली तो श्रुति ने कहा कि शायद कोई हमें देख रहा था, तो रितु बोली कोई बात नहीं मैं देखती हूँ रितु ने दरवाज़ा थोड़ा सा खोला क्योंकि वो अभी भी नंगी थी और बोली कौन है?
मैंने हिम्मत कर के कहा कि मैं राणा !
तो वो बोली कि क्यूँ आए हो?
मैंने कहा कि अपनी पेन भूल गया था वो लेने आया हूँ।
उस ने कहा ठीक है अंदर आ जाओ !
मैं जैसे ही अंदर गया तो देखा कि वो दोनों अभी तक नंगी थी। श्रुति ने ब्रा और अंडरवियर पहना था जब कि रितु बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसने मुझसे कहा कि मुझे पता था कि तुम ज़रूर आओगे क्यूँकि मैं तुम्हे रोज़ क्लास में देखती थी कि तुम सिर्फ़ हमारी गांड और स्तन को देखते हो लेकिन तुम कुछ कर नहीं सकते थे। मुझसे ज़्यादा तुम इस ब्लैक ब्यूटी श्रुति को पसन्द करते हो, जब वो चलती है तो तुम्हारी नज़र उसके शरीर को घूरती है।
मैं भी तुमको देखती थी लेकिन कुछ कह नहीं सकती थी। आज तुम आए हो तो तुम मेरी और मैं तुम्हारी प्यास बुझाऊंगी। यह कह कर उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया और मैं भी उसे किस करने लगा श्रुति हम दोनों को देख रही थी वो बहुत डरी हुई लग रही थी।
मैंने उसको हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया और रितु से कहा कि प्लीज़ तुम मेरा लंड अपने मुंह में ले लो। रितु ने मेरे लंड को चूसना शुरू किया और मैं श्रुति को किस करने लगा। मैंने उसका ब्रा खोल दिया और उसके अनछुए सांवले मुम्मे चूसने लगा वो बेकरार हो रही थी तो मैंने कहा कि तुम भी मेरा लंड चूस कर मज़ा लो।
तो उस ने कहा कि नहीं यह बहुत गन्दा है !
तो मैंने उसको कहा कि देखो रितु कैसे मज़ा ले रही है तुम भी ले लो !
लेकिन वो नहीं मानी तो रितु और मैंने ज़बरदस्ती उस के मुंह में अपना लंड डाल दिया तो उस ने धीरे धीरे चूसना शुरू किया उससे मज़ा आने लगा और वो चूसती रही। 15 मिनट के बाद मैंने उसका मुंह अपनी क्रीम से भर दिया तो रितु जो श्रुति की चूत को चाट रही थी अचानक ऊपर उठी और क्रीम उसके मुंह से अपने मुंह में लेने लगी।
अब मैं उन दोनों को चोदना चाहता था तो मैंने रितु से कहा कि मैं पहले श्रुति को चोदना चाहता हूँ !
तो उसने कहा कि वो अभी कुँवारी है बहुत मुश्किल है यहाँ !
लेकिन मैंने कहा कि प्लीज़ !
तो उस ने कहा ठीक है लेकिन श्रुति के मुंह पर कोई कपड़ा बांधो तो मैंने उसका ब्रा उसके मुंह पर बाँध दिया और अपना 7.5′ इंच का लंड उसकी चूत पर रख दिया और आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने लगा, उसे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर आहिस्ता आहिस्ता मैंने ज़ोर लगाना शुरू कर दिया।
आहिस्ता आहिस्ता मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा था और वो अपने हाथों से मेरा लंड हटाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मैंने उस के हाथ पकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का लगाया और अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। वो एक दम ऊपर उठी और नीचे गिर गयी। वो बेहोश हो गयी थी, उसकी चूत से खून बहने लगा था।
अब हम दोनों भी परेशान हो गए कि इसको होश में कैसे लाएं। वहाँ पर पानी भी नहीं था। मैंने रितु से कहा कि अब क्या किया जाए तो रितु ने कहा- तुम मेरे मुँह में पेशाब करो, मैं तुम्हारा पेशाब श्रुति पर छिड़कती हूँ।
मैंने अपना लण्ड श्रुति की चूत से निकाल कर रितु के मुँह में डाल दिया और पेशाब कर दिया। अभी रितु ने थोड़ा ही पेशाब छिड़का था कि श्रुति होश में आ गई। रितु ने बाकी पेशाब पी लिया और बोली- वाह ! क्या स्वादिष्ट पेशाब है तुम्हारा !
श्रुति ने और चुदाई से मना कर दिया और कहा कि आज़ बहुत दर्द हो रहा है। लेकिन रितु ने उसे समझाया कि पहले दर्द होगा फ़िर मज़ा आएगा।
बड़ी मुश्किल से वो मानी तो मैंने फ़िर अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा। अब उसे मज़ा आ रहा था। कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि श्रुति की चूत से क्रीम बाहर निकल रही है तो मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और 25 मिनट बाद मेरी क्रीम श्रुति के मुँह में थी। मैं भी तीन बार झड़ चुकने के बाद काफ़ी कमजोरी महसूस कर रहा था इसलिए रितु से कहा कि तुम्हें कल करूंगा। तो वो बोली- नहीं एक बार तो आज ही करो !
मेरा लण्ड बिल्कुल ढीला हो गया था और उसने चूस कर उसको दोबारा तैयार किया तो मैंने रितु को भी चोदा और जब उसे चोद रहा था तो श्रुति बोली- प्लीज़ ! मुझे दोबारा करो !
तो मैंने उसको भी दूसरी कुर्सी पर बिठा कर उसकी टांगें ऊपर कर ली।
अब थोड़ी देर श्रुति और थोड़ी देर रितु को चोद रहा था और कोई 35 मिनट के बाद मैंने अपनी क्रीम रितु की चूत में ही निकाल दी।Antarvasna
घर पर खाना खाते खाते शाम के Sex Stories सात बज गये थे। मैने जो से कहा – “जल्दी करो वर्ना रात ज्यादा हो जायेगी…… फिर तुम्हारे पुराने वाले मकान को भी तो देखना है…”
अन्दर से मां बोली…- “उस पुराने मकान में मत जाना… सुबह जाना वहां पर…।”
“बस बस…ठीक है… हो गया…… ये बैग रख लो……”
जो जल्दी से उठा और कुछ सामान पेक किया और बोला,”चलो कामिनी ……”
हम दोनो ने अपना अपना सामान उठाया और नीचे आ गये। कार में सामान रखा और जो ने कार स्टार्ट कर दी।
“पहले समुन्दर के किनारे बीच पर चलते हैं……” मैं खुश थी कि आज बीच की सैर करने को मिलेगी। गाडी बीच की तरफ़ चल दी। मुझे लगा कि शायद बरसात होने वाली है। मैने मायूसी भरे शब्दों में कहा, “यार जो…… बरसात हो जायेगी तो फिर क्या मजा आयेगा………”
“नहीं होगी……यहां तो हमेशा ऐसा ही रहता है।”
लेकिन किस्मत खराब ही थी। बाहर वर्षा की फ़ुहारें पडने लगी थी। अचानक जो ने मुख्य सडक छोड दी। और एक सुनसान सी रोड पर आ गया।
“तुम ठीक कहती हो …… बारिश चढ रही है…… लगता है कुछ ही देर में तेज बरसात होने वाली है………”
एक बडे और सुन्दर मकान के सामने जो ने गाड़ी रोकी…… गेट कीपर अपना छाता लिये भाग कर आया …… करीब 65 साल का वो होगा…… कार में झान्कते हुए बोला…”साहब…किससे मिलना है……।”
“यहां एक पुराना बन्गला था……डा हन्टर का …कितनी दूर है……”
“यही है ………आप कौन है…?” जो ये सुन कर चकरा गया… मै जो को देख रही थी……वो कुछ परेशान सा दिखने लगा।
” मैं डा हण्टर का सबसे छोटा बेटा ……… जो हूं………”
“अरे…… जो बाबा ………आओ…आओ…उसने भाग कर मुख्य फ़ाटक खोल दिया …… बरसात तेज हो चुकी थी…। जो बडी असमन्जस की स्थिति में दिख रहा था। उसने गाड़ी मोड़ी और गेट के अन्दर कार लाकर सीधे पोर्च में छज्जे के नीचे खडी कर दी। बूढा गेट कीपर भी धीरे धीरे भागता हुआ आ गया … वो इतने में ही हांफ़ने लगा था।
“वो पुराना बन्गले का क्या हुआ……”
“वो तो डाक्टर साहब ने मरने से पहले ठीक करवाने को कहा था …… उसके लिये उन्होने जरूरत से ज्यादा पैसा दिया था………”
हम दोनो घर के अन्दर आ गये …… मेरी आंखे उसे देख कर फ़टी रह गयी………
“जो…… तुम यहां क्यों नहीं रहते हो…” गोवा की पुरानी इमारतें जिसे हेरीटेज प्रोपर्टीज कहते है… प्रसिद्ध हैं। पर जो भी उनमें से एक का मालिक है …मुझे नहीं पता था। इतने में मुझे उपर के कमरे में कुछ हलचल दिखाई दी…… बूढा भांप गया था।
“मेरा लड़का और बहू हैं………आपके कमरे की सफ़ाई कर रहे हैं…मैं आप के लिये कोफ़ी बना कर लाता हू…” बूढा बाहर चला गया।
जो उठा और ऊपर कमरे की ओर जाने लगा। मैं भी लपक कर जो दे साथ हो ली। सीढियां चढ कर जैसे ही हम खिडकी के पास पहुन्चे…… हमारी नजर खिडकी के अन्दर पडी। एकबारगी हम देखते रह गये। बूढे का लडका और बहू काम-क्रीड़ा में लिप्त थे। लडकी ने अपने दोनो हाथ सर पर रखे थे और अपने नन्गी चूंचियां आगे उभार कर आंखे बन्द करके खडी थी… और लडका उसके उरोजों को दबा रहा था…… मैने जो की बाहें कस कर पकड ली… लडके का लन्ड खडा था। वो लडका कुछ देर तक तो चूंचियों से खेलता रहा फिर उससे लिपट गया और अपने लन्ड को उसकी चूत पर मारने लगा।
नीचे कुछ आहट सुनाई दी… हम तुरन्त बिना किसी आवाज के नीचे आ गये। कोफ़ी आ गयी थी। ऊपर जो देखा था उससे मेरे दिल में वासना जागने लगी थी। बूढा कह रहा था –
“साहब… बाहर तो बरसात ……तेज हो गयी है … रात को यहीं रुक जाईये… कुछ चाहिये तो बेल हर रूम में है…बुला लीजियेगा…।” बूढा वहां से बाहर गेट पर अपने कमरे मे चला गया।
मैं थोडा रंग में आ रही थी… मैने जो का हाथ दबाया …जो ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। उसने अपने होन्ठ मेरे होन्ठों से लगा दिये। मेरे उरोजों को हल्के हल्के दबाने लगा। मुझे लगा कि कोई कमरे में है। मैने जो को अलग किया तो देखा वोही युगल जो कमरे में था मेरे सामने खडा था … मैं शरमा गयी। वो दोनो सामने खडे मुसकरा रहे थे।
“तुम यहां क्या कर रहे हो …… तुम कौन हो…”
” जी…मालिक मैं उनका दामाद हू ये उनकी लड़की है …” मैं समझ नहीं पाई…वो तो बहू और लडके की बात कर रहा था।
लडकी… ने इशारा किया तो वो बोला …
“मालिक… आप आये हैं है तो……ये आपकी सेवा करना चाहती है…और आपकी इच्छा हो हो तो मैं मालकिन कि सेवा कर दूं……” दोनो की मतलबी निगाहें कुछ इशारा कर रही थी।
“साफ़ साफ़ कहो …… हम किसी बात का बुरा नहीं मानते हैं…” मैं उनके इशारों को भांपते हुए बोली…
लडके ने जो के पास आ कर जो के कान मे कुछ कहा। जो ने लड़की को ऊपर से नीचे तक देखा … फिर मेरे से कहा …
“कामिनी ये कह रहा है कि ……ये रोज़ी को मेरे साथ मजे लेना है …… और तुम चाहो तो… सैम के साथ एन्जोय कर सकती हो…”
‘वोऊऽऽऽऽऽऽऽ …जो क्या बात है………पर तुम्हे कोई………”
” कामिनी जिन्दगी के मजे मिल रहे हैं तो ……भरपूर लो… आज की ही तो बात है………कुछ चेन्ज हो जाये…”
मेरे तो शरीर में सनसनी दौड़ गयी। नया माल……नया लन्ड… नई चुदाई…। जो से तो कितनी ही बार चुदा चुकी हूं … मजा आ जायेगा। मैने जो को आंख मार दी……
“तो फिर हो जाये …” इतने में एक आदमी और एक औरत साईड में से निकल कर बाहर चले गये। हमने उस ओर ध्यान नहीं दिया।
हम दोनो ऊपर के कमरे में चले आये। वहां दो शानदार गद्दे वाले बेड थे। हम चारो वहां का खुशनुमा माहौल देख कर फ़ूले नहीं समा रहे थे। मै बाथरूम में गयी और पानी से अपनी चूत और गान्ड साफ़ की और एक बडा तोलिया लपेट कर बाहर आ गयी। मैने देखा तो सैम और रोज़ी अपने पूरे कपडे उतार कर नन्गे खडे थे… सैम का शरीर कसा हुआ था उसका लन्ड भी मोटा और लम्बा था… रोज़ी भी मुझे बहुत सेक्सी लगी… रोज़ी का बदन गुआनी स्टाइल का था … उसके चूतड गोल गोल भरे हुए … पांव थोडे मोटे से छोटा कद ……उसे देख कर किसी भी मर्द का लन्ड खडा हो सकता था। मैं धीरे धीरे सैम के पास आ गयी… उसने मुझे प्यार से किस किया…… मेरा तोलिया उसने उतार कर एक तरफ़ रख दिया। मेरे शरीर फ़िगर देख कर सैम के मुख से आह निकल गयी।
“इतने प्यारे फ़िगर को चोदने को कितना मजा आयेगा…”
मैं तो उसकी ये बात सुनते ही आनन्द से भर गयी… “सेम … तुम भी कुछ कम नहीं हो……”
उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उसका शरीर बलिष्ठ था…उसके मसल्स कसे हुये थे… इतने में जो भी आ गया। जो ने अपना तोलिया एक तरफ़ रख कर रोज़ी को अपनि गोदी में बैठा लिया। सैम मुझे एक खिलोने की तरह उठा लिया। उसके ताकतवर शरीर का एक अलग ही मजा आ रहा था। मैने उसकी कमर में अपने पांव कस लिये। उसका लन्ड सीधे मेरी गान्ड पर लग रहा था। मैं उससे एक बेल की तरह लिपटी थी…… मेरे शरीर का बोझ उसे शायद बिल्कुल ही नही लग रहा था…वो मुझे उठाने के बाद भी लोहे की तरह तना हुआ था। मैने उसे तन्ग करने लगी……उसके गले में हाथ डाल कर मैने चूत को उसके लन्ड पर मारने लगी कि उसे बोझ लगे और मुझे उतार दे…पर उसके लोहे जैसे श्रीर पर कुछ असर नहीं हुआ। वो उतना ही आरम से खडा रहा और लन्ड को मेरे चूतडों कि दरारों में लगा दिया…… उसने एक हाथ मेरी चूतड पर रख कर मुझे थोडा सहारा दिया। मैं सोच में पड गयी कि इन्सान है या लोहे का पुतला। मेरे होंठ सैम के होंठो से से जुड गये…… उसके होंठ चूसने में गजब का मजा आ रहा था… उसका लोहे जैसा लन्ड मेरी गान्ड के छेद पर था। मुझे पता चल गया था कि वो मेरी गान्ड ही चोदेगा। मैने भी उसके लन्ड को गान्ड दे छेद पर सही तरीके से लगा दिया।
उसने मेरी चूंचियां बडे ही नरम तरीके से सहलायी। उसके हाथों में जादू था। उसके लन्ड का सुपाडा मेरी गान्ड में घुस गया… मेरी आह निकल गयी… पर तकलीफ़ जरा भी नहीं हुई…उसका लोहे जैसा लन्ड…कितना नरम था, गरम था … पर कड़ाई गजब की थी। मैने कहा- “सेम मुझे उतारो…… बिस्तर पर चोदना ना…”
सेम ने मुझे ऐसे ही लन्ड अन्दर डाले बिस्तर पर यूं रख दिया जैसे कोई खिलोना हो…… उसने तकिया ये कर मेरे चूतड के नीचे लगा दिया। मेरी गान्ड थोडी सी ऊंची हो गयी…… और सैम का काम बन गया। उसने हौले से लन्ड गान्ड में सरकाना चालू कर दिया। उसके मस्त लन्ड पर मैं मर मिटी थी। मीठी मीठी सी गुदगुदी करता हुआ अन्दर तक पूरा बैठ गया। उसने मेरी चूंचियां सहलाते हुए धीरे धीरे मसलना चालू कर कर दिया। मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। उसके धक्के बढ्ने लगे……… सैम में जादू था…… उसे चोदने की कला आती थी। उसके धक्के एक ही रफ़्तार से चल रहे थे…… मेरी चूत की हालत खराब हो रही थी…।
“सेम प्लीज़्…… अब मुझे चोद भी दो…।”
सेम मुस्कराया और उसने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया……… और चूत के द्वार पर रख दिया। मुझसे रहा नही जा रहा था……
“सेम … घुसेडो ना ………हाय्………जल्दी करो……”
उसने लन्ड अन्दर सरका दिया…… मेरी चूत निहाल हो गयी …… मेरी उत्तेजना बहुत बढ गयी थी …… मुझसे उसका भारी लन्ड नहीं सहा जा रहा था……… मुझे लगा कि मैं झडने वाली हूं ……… और मैं चरम सीमा पर थोडी सी चुदायी के बाद पहुन्च गयी थी……… मेरा पानी छूट पडा…… मै झडने लगी। मैने सुख के मारे अपने होंठ भींच लिया। उसका लन्ड अभी भी लोहे की रोड की तरह कडक था…… वो धीरे धीरे चोदता रहा …… उसे पता था कि मैं झड चुकी हूं। फिर भी उसका जादू भरा लन्ड बहुत धीरे धीरे चुदाई कर रहा था……… कुछ ही देर मैं फिर गर्माने लगी …… चूत फ़िर से फ़डफ़डाने लगी …… मुझ में फ़िर से उत्तेजना भरने लगी……… सैम सब समझ रहा था………कुछ ही देर में धक्को का जवाब धक्को से रही थी। दूसरी ओर ……… जो और रोज़ी का जोश देखते बनता था………।
सेम भी अब उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंचने वाला था……… उसका लन्ड कडकने लगा था……… मुझे साफ़ मह्सूस हो रहा था …… सैम की सारी पहलवानी मेरी चूत में झडने वाली थी। अचानक उसने मुझे जकड लिया और मेरे से लिपट गया……… मेरी चूत ने भी जोर लगाया…… और मैं एक बार फिर झडने लगी……… इतने में सैम क लन्ड फ़ुफ़कार उठा ……… मेरी चूत में उसकी पिचकारी छूट पडी………… उसका कडक लन्ड पिचकारी मारता रहा और ढीला पड गया…… जो और रोज़ी पहले ही झड चुके थे…… तभी बिजली चली गयी। सारे मकान मेइन अन्धेरा छा गया……… बाहर बरसात जम कर हो रही थी……… हमें वैसे भी लाईट का क्या करना था……… दो बार झडने के बाद मैं थक चुकी थी……… इतनी सुन्दर और मनमोहक चुदाई के बाद पूरी सन्तुष्टी के साथ मैं नीन्द दे आगोश में समाने लगी………
सवेरे मेरी आंख खुली…… मैं नन्गी ही सो गयी थी…… अलसायी सी मैने करवट बदली…… मैने जो देखा तो मैं चीख उठी …… मेरी बगल में और कोई नही बल्कि एक नरकंकाल पडा था। जो भी मेरी चीख सुन कर उठ गया…… वो भी दह्शत के मारे चीख उठा उसकी बगल में भी एक नरकंकाल पडा था। वो उछल कर खडा हो गया…… मै भी घबरा कर बिस्तर से नीचे आ गयी।
मैने कमरे को देखा…हम रात भर यहां थे ? … एक पुराना सा कमरा जगह जगह जाले…… धूल से भरा कमरा…… बिस्तर पर मिट्टी…… और… हमने जैसे तैसे कपडे पहने और बाहर भागे…… कमरे से बाहर निकलते ही …… हम सन्न रह गये ……… जो बोल उठा।-” हे भगवान ………ये क्या है…कबाडखाना……चमगादड़ की गन्दगी…… एक अजीब सी बदबू … हम दोनो के चेहरे पर हवाईयां उडने लगी। हम दोनो तेजी से बाहर भागे …… जो फ़ुर्तीला था … मैं पीछे रह गयी…… जो बाहर आते ही कार में बैठा और स्टार्ट कर दी…… उसने दूसरा कार का दरवाजा खोल दिया मैं भागते हुए आयी और कार में बैठ गयी। जो ने गाडी मोडी और बंगले से बाहर आ गया…… मैन रोड पर जो ने कार रोकी …हमने कार से उतर कर देखा …… वो चमचमाता हुआ बंगला कहां गया… उजाड वीराना…… काला…काई से भरा … टूटा फूटा घर ………बडे बडे जन्गली पेड्…झाडियां …… लगता था उसमे बरसों से कोई नही आया …… मैं डर के मारे सिहर उठी ……
“जो… चलो यहां से … मैं लगभग रो पडी…… मैने रात को किसके साथ चुदाई की थी और जो ने…… सैम और रोज़ी कौन थे……… जो स्तब्ध खडा था।
तभी पास से एक आदमी साईकल से निकला …
” भाई साब … ये डाक्टर साब का बंगला है ना……”
” हां… सही पहचाना ………डाक्टर साब ने यहा नौकर की लडकी और उसके हसबेन्ड को मरवा डाला था … उनका दिल नौकर की बेटी पर था…।”
” शट अप … साले कुछ भी बोलने लग जाते है…” पर जो अन्दर ही अन्दर सब समझ गया था…… अनमने मन से वो कार में बैठा और गाडी स्टार्ट कर दी…
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