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हाय मेरा नाम शिवानी है. मेरी उम्र Sex Stories 18 साल है। मैं लखनऊ के पास के गाँव की रहने वाली हूँ। मैंने अन्तर्वासना पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी और सोचा कि मुझे भी अपनी बात सबको बतानी चाहिए। इसलिए आज मैं आपको एक व्यक्तिगत अनुभव सुनाने वाली हूँ।
हमारे गाँव में बहुत से कच्चे मकानों के बीच हमारा मकान पक्का है जिसमें मेरा, मेरे भाई का, मम्मी पापा का सबका अलग अलग कमरा है।
एक रात की बात है, मैं लगभग 11 बजे बाथरूम जाने के लिए उठी। बाथरूम मम्मी के कमरे को पार करने के बाद पड़ता है। जब मैं उस कमरे के सामने से गुज़री तो मुझे मम्मी के कराहने और ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने जैसी आवाज़ें सुनाई पड़ी।
मैं एक बार को तो डर गई, पर मैंने हिम्मत रखते हुए चाबी के छेद से झांका तो मैं दंग रह गई। कमरे में पापा मम्मी बिल्कुल नंगे खड़े थे। पापा मम्मी की चूचियाँ दबा रहे थे और बार बार उनके चूतड़ों पर जोर से चपत सी मारते जा रहे थे।
पहले तो मेरी समझ में कुछ भी नहीं आया पर फ़िर मैंने ध्यान से देखा कि पापा मम्मी से चिपटे हुए हिल भी रहे थे। तभी वे थोड़ा सा घूमे तो मेरी बुद्धि घूम गई। पापा ने अपना लण्ड शायद मम्मी की चूत में डाल रखा था और वहीं धक्के मार रहे थे।
मेरी समझ में कुछ कुछ आने लगा था। मेरी कोलेज़ की सहेली ने एक बार मुझे अपनी चुदाई की कहानी सुनाई थी। आज़ अचानक वही चुदाई मुझे अपने घर में होती दिखाई दी।
पता नहीं क्यों, पर वो नज़ारा देख कर मेरी चूत में खुज़ली सी होने लगी और मुझे अपनी सांसें कुछ भारी सी लगने लगी। मैं वहाँ पर पूरा कार्यक्रम देखकर बाथरूम जाकर अपने कमरे में तो आ गई पर मुझे फ़िर नींद नहीं आई।
वो दृष्य मेरी आंखों के सामने नाचने लगा। मैंने अपनी सलवार और कच्छी उतार दी और एक हाथ से अपनी चूचियाँ दबाते हुए अपने पैन को चूत में डाल कर चलाया। फ़िर पैन के बज़ाए दूसरे हाथ की उँगली डाली। थोड़ी देर बाद मेरी चूत में से कुछ सफ़ेद सा निकला और मुझे पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई।
सुबह मम्मी की आवाज़ ‘ कोलेज़ नहीं जाना है क्या! जल्दी उठ!’ से मेरी आँख खुली, तो जल्दी से कपड़े पहन कर बाहर आई।
मुझे रात की बात अभी भी याद आ रही थी, पर मैं कोलेज़ जाने के लिए तैयार होने लगी। मैं कच्छी और ब्रा पहन कर ही नहाती हूँ पर उस समय मेरी उत्तेज़ना बढ़ गई और मैं पूरी नंगी होकर नहाई और उँगली, साबुन की सहायता से अपनी चूत का पानी निकाला।
तरोताज़ा होकर, नाश्ता कर मैं कोलेज़ के लिए घर से निकल गई। थोड़ी सी दूर सड़क से बस मिल जाती है, वहीं से मैंने बस पकड़ी जो रोज़ की तरह ठसाठस भरी थी। जैसे तैसे गेट से ऊपर चढ़ कर थोड़ा बीच में आ गई। तो वो रोज़ की कहानी चालू। आप तो जानते ही होंगे, जवान लड़की अगर भीड़ में हो तो लोग कैसे फ़ायदा उठाते हैं, और आप उन्हें कुछ कह भी नहीं सकते।
वही मेरे साथ होता है। मेरे पीछे से कोई मेरे चूतड़ दबाने सा लगा, तो एक अन्कल मेरे कन्धे पर बार बार हाथ रख कर खुश होने लगे। एक महाशय सीट पर बैठे थे, भीड़ की वज़ह से मेरी साईड उनके सिर से दबी थी, जो उन्हें भी मज़ा दे रही होगी।
इतने में मेरी ही क्लास का एक लड़का जो बहुत दिन से मेरे पीछे पड़ा था और केवल मेरे लिए ही इस बस से आता-जाता था, अपने गाँव से बस में चढ़ा। लन्बा तगड़ा तो खैर वो है ही, हैण्डसम भी है। पर मैं उसे ज्यादा भाव नहीं देती थी। आज़ तो वो सबको हटाता हुआ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने उसे देखा पर मैं कोई आपत्ति करने की स्थिति में नहीं थी। कुछ कहा तो बोला- बस में भीड़ ही इतनी है।
मुझे चुप हो जाना पड़ा। मुश्किल से पाँच मिनट बीते होंगे कि अचानक ड्राईवर ने बड़े जोर से ब्रेक लगाए और पता नहीं क्यों ड्राईवर मादरचोद, बहनचोद जैसी माँ बहन की गालियाँ किसी को बकने लगा। शायद कोई बस के आगे आ गया होगा।
लेकिन उसके अचानक ब्रेक मारने से थोड़ सा बैलैंस तो सबका बिगड़ ही गया था। राहुल, मेरा क्लासमेट गिरते गिरते बचा। उसके हाथ में मेरी दाईं चूची आ गई थी, या वो जानबूझ कर उसे पकड़ कर लटका। पर इतना जरूर हुआ कि उसने उसे कायदे से दबा मसल जरूर दिया। मुझे गुस्सा आया, पर मैं कुछ कहती, उससे पहले ही वो वैरी सोरी कहने लगा। तो मुझे भी लगा कि शायद अनायास ही यह हो गया होगा।
वो फ़िर मेरे से सट कर खड़ा हो गया। बस चलने लगी। इतने में मैंने अपने चूतड़ों के बीच अपनी गाण्ड में कुछ चुभता सा दबाव महसूस किया। पहले तो मैंने इस पर खास ध्यान नहीं दिया अप्र मैं समझ गई कि राहुल का लण्ड मेरे चूतड़ों की गरमी खा कर खड़ा हो गया है और वो ही मुझे चुभ रहा है।
यह सोच कर मुझे रात वाला नज़ारा फ़िर याद आ गया और मेरे बदन में झुरझुरी सी दौड़ गई। अब मैं बिल्कुल बिना हिले कपड़ों के ऊपर से ही अपनी गाण्ड का तिया-पाँचा कराने लगी।
कुछ देर बाद ही कोलेज़ जाने वली सड़क पर बस रुकी और कोलेज़ जाने वाले सभी लोग उतरने लगे। मैं और राहुल साथ साथ ही उतरे। उतरने के बाद भी आज़ तो वो मेरे साथ ही चलने लगा। कुछ मिनटों बाद मैंने उससे मुस्कुरा कर कह ही दिया कि आप जो बस में कर रहे थे, वो अच्छी बात नहीं है। इस पर वो नाटक करते हुए बोला कि मैंने तो कुछ नहीं किया और कहते कहते ही मेरे चूतड़ों को भी दबाने लगा। मुझे भी अच्छा सा लगा पर मैंने उससे कुछ नहीं कहा।
अचानक ही हम कोलेज़ जाने वाले मोड़ से कोलेज़ की बजाए जंगल वाली सड़क पर मुड़ गए। शुरू में तो मुझे मज़े मज़े में पता ही नहीं चला पर थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा तो बोला- कोलेज़ में तो रोज़ ही जाते हैं, चलो आज एक नया नज़ारा दिखाता हूँ।
उसकी बात का मतलब समझते हुए भी मैं उसके साथ चलने लगी, सच में तो मुझे रात से लग रहा था कि कोई मेरी चूत को चोद डाले, जैसे पापा मम्मी को चोद कर मज़ा दे रहे थे।
एक जगह बिल्कुल सुनसान थी। दूर दूर तक कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था। तभी हमें गन्ने के खेत के बीच में कुछ खाली हिस्सा नज़र आया। वो मुझे वहीं ले गया और मुझसे लिपट कर जगह जगह मुझे चूमने चाटने लगा। इससे मेरी उत्तेज़ना और बढ़ गई। इसके बाद जब उसने मेरी चूचियों को दबाना-मसलना शुरू किया तो मुझे जैसे ज़न्नत दिखाई देने लगी। वो एक हाथ से मेरी चूचियाँ और दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ों को बारी बारी दबा रहा था।
अचानक उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैं मना करने की स्थिति में नहीं थी, सो मैंने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो मेरा कुर्ता आराम से उतार सके। उसने मेरी सलवार का नाड़ा भी खींच दिया। सलवार बिना लगाम के घोड़े की तरह झट से नीचे गिर गई। अब मैं उसके सामने केवल ब्रा और पैन्टी में रह गई थी।
मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन उत्तेज़ना शर्म पर हावी हो गई थी। सो मैं चुपचाप तमाशा देखती रही। उसने पहले तो मेरे सीने को फ़िर नाभि को ऐसे चूसना शुरू कर दिया मानो कुछ मीठा उस पर गिरा हो और वो उसे चाट कर साफ़ कर रहा हो।
मैं बुरी तरह उत्तेज़ित हो रही थी कि उसने मेरी कच्छी के ऊपर से एक उँगली मेरी चूत में घुसेड़नी शुरू कर दी। मुझे दर्द का भी अहसास हुआ पर मैं उसे मना ना कर सकी। पता नहीं मुझे क्या हो गया था लेकिन मैं बेशर्म हो कर अपनी चूचियाँ अपने आप दबाने लगी थी।
उसने धीरे धीरे मेरी पैन्टी और ब्रा को भी मेरे शरीर से अलग कर दिया और मुझे मादरजात नंगी कर दिया। मैं तड़प रही थी और उसे मज़ा आ रहा था।
वो अभी तक पूरे कपड़ो में खड़ा था। मुझे गुस्सा आया और मैंने उसे गाली दे देकर कहना शुरू कर दिया कि अपने कपड़े भी तो उतार। वो झटके से मुझसे अलग हुआ और बिजली की रफ्तार से उसने अपने कपड़े उतार दिये। कच्छा उतारते के साथ मेरी हालत खराब हो गयी। उसका लण्ड मेरे पापा के लण्ड से कम से कम दुगुना लग रहा था। उसकी लम्बाई कम से कम 8 इंच और गोलाई कम से कम 3 इंच से तो किसी भी तरह कम नहीं थी।
उसने अपना हथियार मेरे हाथ में देकर मुझसे सहलाने को कहा। मैं उसे हाथ में लेकर आगे पीछे करने लगी तो उससे डर कुछ कम लगने लगा। फिर उसने मुझे नीचे बैठाया और अपना लण्ड मेरे मुँह में देने लगा। मुझे बहुत घिन्न आ रही थी कि इसी से ये मूतता होगा और अपना पेशाब मुझे पिलाने की तैयारी में है और सच में उसने मेरे मुँह में डालते डालते पेशाब की तेज धार मेरे मुँह और सारे चेहरे पर डाल दी और हंसने लगा।
पहले तो मुझे बहुत घिन्न आयी पर पता नहीं क्यों कैसे मुझे अपने ऊपर पड़ती गर्म पेशाब से अचानक नहाने में बड़ी उत्तेजना का अनुभव होने लगा। मैं उसके पेशाब को चाटने भी लगी और अपनी चुचियों पर भी मला। मुझे सच इसमें बहुत मजा आया। इसके बाद लण्ड में बची बूंदो को खराब न जाने देने के इरादे से मैंने उसका मोटा लण्ड अपने मुँह में बिना उसके कहे डाल लिया और चूसने लगी।
मुझे तो खैर उसमें बहुत मजा आ ही रहा था, मैंने महसूस किया कि उसे भी इसमें बहुत मजा आया होगा क्योंकि उसका लण्ड पहले से अधिक सख्त और गर्म महसूस हो रहा था। वो मेरा सिर पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। अब मेरी चूत में उत्तेजना बढती जा रही थी। यह बात मैंने पूरी बेशर्मी से उसको बतायी तो वो अपना लण्ड मेरी चूत में डालने को तैयार हो गया। वो मुझे जमीन पर लिटाकर मेरे उपर आ गया।
उसके लण्ड का अगला भाग जिसे शायद सुपाड़ा कहते हैं जैसे ही मेरी चूत से टकराया लगा कि जैसे गर्म सरिया या रॉड सी मेरी चूत पर छुआ दी हो। सच अगर चूत में लण्ड डलवाने की इतनी खुजली न मची होती तो मैं तुरन्त उसे वहाँ से हटा देती, लेकिन मैं अपनी चूत के हाथो मजबूर थी। अब उसने चूत पर लण्ड का दबाब बढ़ाना शुरू किया। मुझे दर्द का एहसास हुआ तो मैंने थूक लगाकर डालने की सलाह दी जिसे उसने तुरन्त मान लिया।
उसने सुपाड़े पर थूक लगाकर जोर का झटका मेरी चूत के छेद पर मारा, पर निशाना मिस हो गया और लण्ड मेरे पेट के निचले हिस्से की खाल को जैसे चीरता हुआ उपर आया। मैंने उसे अपने पर्स में निकालकर अपनी कोल्ड क्रीम की ट्यूब उसे दी और उसके लण्ड पर लगाने को कहा, अबके उसने लण्ड के साथ साथ मेरी चूत को भी क्रीम से भर दिया, उँगली डाल डाल कर क्रीम अन्दर पहुँचा दी। मेरी हालत प्रति क्षण खराब होती जा रही थी।
मैंने उससे कहा कि मैं रास्ता दिखाती हूँ तुम जोर का धक्का मारो।
फिर मैंने उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर रखा और दबाया। इशारा समझकर उसने शायद पूरी ताकत से धक्का मार दिया। उस समय ऐसा लगा कि उसने धक्का नहीं मुझे मार दिया। एक झटके में उसका आधे से ज्यादा महालण्ड मेरी चूत में समा गया था। मेरी चूत निश्चित ही फट गयी थी और वह दर्द का अहसास हुआ जो आज तक कभी भी जिन्दगी में नहीं हुआ। मैं सिर पटकने लगी।
सारी उत्तेजना जाने कहाँ हवा हो गयी थी, मैं उससे लण्ड निकालने की रो-रोकर विनती करने लगी, लेकिन उसे तरस न आया, वो तो उल्टा मेरी चुचियों को चूसने और काटने लगा। पर उसने लण्ड को वहीं रोक दिया। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम सा महसूस होने लगा तो मैंने उसे बताया। अब उसने लण्ड को धीरे धीरे गति देनी चालू की। उसने धक्के अब भी मेरी चूत को फाड़े दे रहे थे। भंयकर दर्द हो रहा था लेकिन ये उस जानलेवा दर्द के आसपास भी नहीं था जो पहले झटके में शायद क्रीम के कारण हो गया था।
थोड़ी ही देर में मुझको भी मजा सा आने लगा। उसके धक्के अभी भी दर्द पैदा कर रहे थे पर उस दर्द में भी एक अलग आनन्द की अनुभूति हो रही थी। मेरी चूत में से पता नहीं क्या कुछ निकल कर रिस रहा था। पर उसका चूमना चाटना और बीच बीच में काटना अलग ही था। मैंनें इतना आनन्द अनुभव किया जो जिन्दगी में पहले नहीं किया था। पर बात उससे आगे की भी थी। करीब 20 मिनट बाद उसने अचानक धक्कों की स्पीड बढा दी। मैंने भी सहयोग करने का निश्चय करके नीचे से चूतड़ उछालने लगी।
दोनों अपने वेग में थे कि अचानक मेरी चूत में कुछ संकुचन सा हुआ और मैंनें उसको कस के चिपटा लिया, अपने नाखून उसकी कमर में गाड़ दिये। तभी मैंनें अपनी चूत में कुछ गर्म गर्म लावा सा गिरता हुआ महसूस किया।
कुछ ही मिनटों में हम दोनों शान्त हो गये थे। पर आखिर के वो एक-दो मिनट में जो आनन्द आया उसके सामने शायद जन्नत का सुख भी फीका हो। मैं उसकी मुरीद हो गयी। उसने उसके बाद लण्ड निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया, मैंने उसे बड़े प्यार से चाट-चाट कर साफ किया।
फिर जब मैंनें बैठकर अपनी चूत रानी को देखा तो मेरे मुँह से चीख सी निकल गयी। चूत का भोसड़ा तो बन ही गया था साथ ही उसमें से खून भी रिस रहा था। मैं यह देखकर डर गयी थी। पर उसने हिम्मत बंधायी। पता नहीं उसने मुझे वापस लिटाकर मेरी चूत में कपड़े से और क्रीम से क्या क्या किया पर सुकून था कि खून रूक गया था। अब थकान बहुत महसूस हो रही थी। सो थोड़ी देर लेटी रही।
फिर उसके सहारे से उठी और बदन झाड कर कपड़े पहने। कपड़े पहनकर उसकी तरफ मुस्कुराकर देखा तो उसने फिर एक बार मेरे निचले होंठ को चूसना शुरू कर दिया और चुचियों को दबाने लगा। मुझे बहुत आनन्द आया और सच में अगर घर वापिस लौटने में टाइम का ख्याल नहीं होता तो मैं उसे हटने को कभी नहीं कहती।
उसके बाद हमने उस जंगल वाले कालेज की कई क्लासेज अटेण्ड की। पर अब गन्ना कट जाने से हमें बड़ी दिक्कत हो गई है। खैर, भगवान ने चाहा तो उसका इन्तजाम भी हो जायेगा। अच्छा मैं अपनी कहानी यहीं पर बन्द करती हूँ।
सम्पादक महोदय से गुजारिश है कि मेरा नाम भले ही छाप दें पर मेरे गाँव और जिले का नाम साइट पर न दें नहीं तो मेरी पूरे कालेज में बदनामी हो सकती है। मैं जानती हूँ मेरे कालेज कई लड़के लड़कियाँ अर्न्तवासना पर कहानियाँ पढने के शौकीन हैं। Sex Stories
उस दिन जब हम बिग Sex Stories बाज़ार में थे तो अचानक मेरी पत्नी की नज़र एक सुंदर सी औरत पर पड़ी और उसने आवाज़ लगाई- रागिनी!
सुन कर उस औरत ने पीछे मुड़ कर देखा और मेरी बीवी को देख कर जोर से चिल्लाई- हाय संगीता.. कितने दिनों के बाद मिली तू!
दोनों सहेलियाँ एक दूसरे से बात करती रही और मैं रागिनी को देख रहा था.. मैं तो अपनी पलक झपकाना ही भूल गया था.. इतनी खूबसूरत.. क्या फिगर है..
ऐसा लगा जैसे सब कुछ एकदम सांचे में तराश कर लगाया हो! उसकी नोकदार चूचियाँ.. पतली कमर और उभरे हुए नितम्ब.. उफ़ एक तो मैं वैसे ही बहुत सेक्सी हूँ और ऐसे फिगर वाली सुंदर औरतें मेरी कमजोरी है।
उसने काले रंग का सलवार सूट पहना था, जिसमें से उसके बदन का हर कटाव एक दम साफ़ नज़र आ रहा था। उसके गोरे रंग पर काला ड्रेस मानो उसके बदन की रेखाओं को उजागर कर रहा था, उसकी गोलाई और उभार से मेरी नज़र हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।
तभी मेरी बीवी ने पलट कर मेरी तरफ़ देखा और कहा- यह रागिनी है मेरी कॉलेज की दोस्त!
मैंने हेलो कहा, उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया।
अब मैंने उसने होंठो को देखा.. एकदम रस भरे गुलाबी होंठ. मानो कह रहे हो- आओ मेरा रस चूस लो!
इस पहली मुलाकात में ही रागिनी ने मेरे लंड को मानो चोदने की दावत दे दी थी। यह सोच मुझे परेशान करने लगी कि इसे कैसे चोदा जाए! एक तरफ़ मैं सोच रहा था कि ये मेरी बीवी की ख़ास सहेली है.. कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए इसे चोदने के चक्कर में।
सच तो यह था कि मेरी बीवी भी काफी सेक्सी है लेकिन रागिनी उससे भी ज्यादा सेक्सी और सुंदर थी। उसे मेरे बिस्तर में ले कर नंगी करके चोदना ही मेरा सपना बन गया उस पहली मुलाकात के बाद।
उस दिन तो दोनों ने मिलकर ही शौपिंग की लेकिन उसके बाद भी अक्सर दोनों साथ साथ ही घूमने जाती।
रागिनी को नंगी करके चोदने का सपना सपना ही रहेगा, ऐसा मुझे लगने लगा था क्योंकि वो बहुत ही नपे तुले स्टाइल में बात करती थी, कभी कोई वाहियात बात या कोई गन्दा मजाक नहीं करती थी। उसकी बातों से पता चलता था कि वो अपने पति को भी बहुत प्यार करती है और उसके साथ खुश भी है।
कभी कभी रात में अपनी बीवी को चोदते हुए मैं कल्पना करता था कि मेरी बांहों में रागिनी है और मैं उसे चोद रहा हूँ। रागिनी की बातों से लगता था कि वो थोड़ी पुराने ख्यालात की है और बहुत ही शर्मीली भारतीय गृहिणी है।
उसके बाल बहुत लंबे थे जो मुझे ज्यादा पसंद हैं। शरीर मानो अजंता की कोई मूर्ति हो। उसकी चूचियाँ, उसके चूतड़ और उसकी गदराई जांघें जो उसकी सलवार से महसूस होती थी। उसका चेहरा अंडाकृति था, गोरा और भरा हुआ।
सबसे बड़ी बात जो मुझे बाद में पता चली कि उसके दो बच्चे हैं। उसके शरीर की बनावट से वो 25 साल की युवती लगती थी जबकि उसकी उमर थी 35 साल। मुझे उसके पतली कमर के साथ डोलते हुए चूतड़ बहुत विचलित करते थे, मैं सोचता था कि उसे नंगी करने के बाद उसके गोरे गदराये चूतड़ कितने प्यारे लगेंगे.. उन्हें सहलाने में और दबाने में कितना मजा आएगा!
और कमर से ऊपर नज़र जाते ही.. उफ़ उसकी भरी हुई छातियाँ.. उसके स्तन एकदम कसे हुए थे.. दो बच्चों की माँ लेकिन स्तन जैसे बीस साल की कुंवारी लड़की के.. 36 साइज़ होगा उनका.. दोनों उसके ब्लाऊज़ या कुरते के अन्दर एक दूसरे से चिपके हुए रहते थे.. जिसके कारण उसके बीच की घाटी बहुत ही उत्तेजक दिखाई देती थी। सब कुछ मिला कर मेरे जैसे कामी पुरूष के लिए वो एक विस्फोटक औरत थी…
ऐसे ही दिन गुजर रहे थे। अचानक मेरी बीवी के पिताजी की तबियत ख़राब होने का समाचार आया, उसने मेरे बेटे को साथ लिया और दूसरे दिन सुबह की बस से चली गई।
इस बात को करीब एक हफ्ता हो गया। मैं घर में अकेला ही था। मेरे ऑफिस में भी मार्च के महीने के लिए बहुत काम था, मुझे छुट्टी भी नहीं मिली थी इसलिए सुबह जल्दी ही ऑफिस जाना पड़ता था।
एक दिन सुबह प्रात: कालीन विधि व स्नान करने के बाद मैं काफी की चुस्की ले रहा था कि दरवाजे की घण्टी बजी। मैंने हाथ में लिया हुआ पेपर रखा, मैं सोच रहा था कि इतने सुबह कौन आ गया। दरवाजे पर जाकर पहले खिड़की से बाहर देखा.. वहाँ और कोई नहीं, मेरे सपनों की मलिका रागिनी खड़ी थी।
मैंने दरवाजा खोला, मैं सोच रहा था कि इतनी सुबह वो मेरी बीवी से मिलने क्यों आई है जबकि उसे मालूम था कि मेरी बीवी पिछले हफ्ते अपने पिता के यहाँ गई हुई है और अभी वहीं रहेगी।
मैंने दरवाजा खोला और कहा- गुड मोर्निंग रागिनी!’
वो वहीं चुपचाप खड़ी रही..
मैंने कहा- वहीं खड़ी रहोगी क्या? हेल्लो भी नहीं कहोगी?’
‘हाय’ उसने कहा।
वो मुस्कुराई- संगीता कहाँ है? रागिनी ने पूछा।
‘तुम्हें संगीता ने पिछले हफ्ते फोन करके बताया था ना कि वो अपने पिता के यहाँ जा रही है, उसके पिताजी की तबियत ठीक नहीं थी। खैर तुम इतनी सुबह सुबह कैसे आई?’ उससे बात करते हुए मेरी नज़रें उसकी उभरी हुई चूचियों पर बार बार जा रही थी और नीचे मेरे लंड में तनाव आ रहा था। वो मेरे शोर्ट में टेंट न बना ले इसलिए मैं एक हाथ से उसे दबाने की कोशिश में लगा था और हल्के से मसल भी रहा था।
वो अन्दर आई, मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा। फ़िर अन्दर जाकर उसके लिए एक कप काफ़ी ले कर आया और उसे दिया। फ़िर उसके सामने बैठते हुए मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए कहा- इतनी सुबह सुबह भी तुम काफी खूबसूरत लग रही हो! और मजाक में कहा- शायद मुझे कुछ हो जाए तुम्हें देख कर!’
रागिनी मेरे इस दुस्साहस पर कुछ बोली नहीं, इसलिए मुझे भी आश्चर्य हुआ। मेरी हिम्मत और बढ़ी, उसने काफ़ी ख़त्म की और कहा- मैं चलती हूँ।’
मैंने कहा- तो आप यहाँ सिर्फ़ अपनी सहेली से मिलने आई थी? वो नहीं है तो एक बुढ्ढे को अकेला छोड़ कर जा रही हो?’
‘ओह, आप बुढ्ढे हो?’ और वो मुस्कुराई।
मैंने उसे मुस्कुराते देखा, उसकी यह मुस्कराहट कुछ अलग थी।
‘क्या यही मौका है.. जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था.. क्या मेरा सपना सच होने वाला है?’ मैंने सोचा।
वो उठी और कमरे में घूम कर देखा. मैंने अब बाहर का दरवाजा बंद कर दिया। यह पहला मौका था कि हम दोनों एक बंद कमरे में अकेले थे। मैं सोफे पर उसके साथ बैठ गया। हम अपनी घर की बातें करने लगे।
कुछ इधर उधर की बात करने के बाद बात मेरी बीवी के बारे में होने लगी। हमारी शादी को 15 साल हो चुके थे। मैंने बताया कि अब वो अपने बच्चे में ज्यादा ख्याल देती है, मेरी जरुरत को इनता महत्व नहीं देती और सेक्स के प्रति भी बहुत उदासीन हो चुकी है। अब हमारे बीच में कुछ नया नहीं है जिसके लिए हम ज्यादा परेशान हों या व्याकुल रहें।
रागिनी ने कहा- फ़िर भी आप अपनी बीवी और बच्चे का बहुत ख्याल रखते हो और संगीता भी खुश है।
मैं उसकी इस बात पर खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया। फ़िर मैंने उससे पूछा- रागिनी अब तुम अपने परिवार के बारे में बताओ, तुम्हारे पति भी तुम लोगों का बहुत ख्याल रखते हैं, तुम्हें खुश रखते हैं! है ना?’ मैंने कहा।
मैंने रागिनी के चेहरे पर उदासी देखी।
एक गहरी साँस लेकर उसने कहा- सभी यही सोचते हैं कि हम लोग खुश हैं।
‘रागिनी क्या बात है? तुम दुःखी लग रही हो, तुम्हारे चेहरे से लग रहा है कि तुम खुश नहीं हो?’
‘नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. सब कुछ ठीक ही है।’ उसने कहा।
‘नहीं रागिनी.. तुम कुछ छुपा रही हो! क्या तुम मुझे बताना नहीं चाहोगी?’
‘मेरी समस्या यह है कि मेरी बीवी अब मुझमें रुचि नहीं लेती। तुम समझ रही हो न कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? उसे मेरी फिकर करनी चाहिए लेकिन फ़िर भी हम दोनों के बीच कोई तनाव नहीं है, हालाँकि हमारे बीच प्यार और सेक्स वाली बात अब इतनी ज्यादा नहीं है, मैं उससे दूर जाना चाहता हूँ, लेकिन जा नहीं पाता। मुझे लगता है कि शायद वो फ़िर से मुझे समझ ले!’
रागिनी मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी, उसने कहा- मैं सब समझ रही हूँ!
कुछ देर में हमारी बातें बहुत गंभीर होने लगी, भावुकता आने लगी बातचीत में! मैं थोड़ा भावुक होने लगा। तब रागिनी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और मुझे समझाने की कोशिश करने लगी। उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में गर्मी सी आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा।
अब मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा- रागिनी, मैं यह कहना नहीं चाहता था लेकिन अब बिना कहे रहा नहीं जाता, जिस दिन पहली बार मैंने तुम्हें देखा था, उसी दिन से मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ, और यही सच है!’
यह सुनते ही उसने मेरी तरफ़ देखा उसकी नज़रों में थोड़ा आश्चर्य था, उसने कहा- तुम बहुत बदमाश हो! अच्छा हुआ कि यहाँ तुम्हारी बीवी नहीं है और उसने यह सुना नहीं! अगर वो यह सुन लेती तो मुझसे बात करना बंद कर देती और मुझे ग़लत समझती!’
‘क्या तुम उसे यह बताने वाली हो?’ मैंने उससे मजाक में पूछा।
‘मैं नहीं कहूँगी लेकिन…’ उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया।
‘रागिनी क्या मैं तुमसे कुछ रिक्वेस्ट कर सकता हूँ? तुम उसे मानोगी?’
‘यह तो आपके रिक्वेस्ट पर निर्भर करता है!’
‘अगर मैं तुमसे कुछ मांगू तो?’
‘क्या?’
‘क्या तुम मुझे एक चुम्बन दोगी? अगर मैं मांगू तो?’
‘यह आप क्या कह रहे हैं? मैंने आपके लिए ऐसा कभी सोचा भी नहीं!’ उसने गुस्से से नहीं लेकिन बहुत धीमे से और मेरी बात पर चौंकते हुए कहा।
‘प्लीज़ रागिनी सिर्फ़ एक.. तुम्हारे इन रस भरे होंठो का एक चुम्बन ही तो मांग रहा हूँ मैं! समझो मैं भीख मांग रहा हूँ।’
‘भीख मांगने से कोई फायदा नहीं है, मैं इसके लिए आपको मना करने वाली नहीं!’ और वो मुस्कुरा दी।
उसके सफ़ेद दांत उसके सुंदर चेहरे पर और चार चाँद लगते हुए दिखे- ठीक है! लेकिन सिर्फ़ एक ही दूंगी.. और इस बात का पता न तो आपकी बीवी को और ना मेरे पति को चले! आप वादा करो कि किसी से यह बात नहीं कहोगे!’ उसने कहा।
मेरी हिम्मत बढ़ी मैं उठा और उसके बाजू में जा कर बैठ गया, उसके एकदम करीब। मैंने देखा मेरी इस हरकत से वो थोड़ी सी सिमट गई। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसने नज़रें झुका ली और अपने दोनों हाथ मसलने लगी।
मैंने अपना चेहरा बढ़ाया और उसके गालों पर से बालों को एक ऊँगली से हटाया, वो सिहर उठी।
मैंने तभी अपने होंठ उसके फूले हुए गालों पर रख दिए और ‘पुच्च’ से एक चुम्बन लिया।
वो कसमसाई और तिरछी नज़र से सिर्फ़ मेरी तरफ़ देखा उसने किसी प्रकार का विरोध या सहमति नहीं दिखाई। मैं जब उसके और करीब खिसका तो उसने कहा- बस!’
मैंने कहा- यह चुम्बन नहीं था, यह तो सिर्फ़ तुम्हें छू कर देखा मैंने होंठों से!
अब मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा, मैं उसके दाहिने तरफ़ बैठा था, मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा। वो शायद इसके लिए तैयार नहीं थी, वो मेरी गोद में गिरने लगी। मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। अब वो मुझे आगे बढ़ने से रोकने का हल्का प्रयास कर रही थी।
मैंने कहा- तुम्हें तो मालूम है कि असली चुम्बन कैसे और कहाँ लिया जाता है.. और तुम ख़ुद यह करने के लिए तैयार हुई हो..
कहते हुए मैं उसकी बांहों को अपनी ऊँगली से हल्के हल्के नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाने लगा। उसके कंधे पर दबाव बढ़ाते हुए फ़िर से उसके गालों पर कान के ठीक पास में चूमा और जीभ से उसके कान को सहलाया..
उसकी सांसे बिखरने लगी, वो मेरी तरफ़ शरमाई नज़र से देख रही थी..
उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला। अब मैंने उसके चेहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर अपने होंठ रख दिए। मैंने बहुत हल्के से उसके होंठों पर ‘चु..ऊ..क.- करके चुम्बन कर दिया।
मैं उसकी बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया। उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे इसलिए वो अपना आँचल संवार नहीं पाई और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए! वैसे मैं उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चूचियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था.
मैंने उसके गालों को हल्के हल्के ‘पुच्च.. पुच्च.. ‘ करते हुए चूमना जारी रखा था… फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फ़ुसफुसाकर कहा.. ‘रागिनी तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हें पाने के लिए मैं बहुत बेताब हूँ!’
कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए.. उसके मुँह से सी.आह्ह.. की आवाज़ निकली। मैं उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था। वो थोड़ा सा कसमसाई।
अब मैंने उसकी साड़ी को उसके वक्ष से पूरी तरह हटा दिया। वो हल्का विरोध कर रही थी.. ‘नहीं..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो!’
मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांई चूची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया.. मैंने पंजे में चूची पकड़ी और हल्के से दबाया तो उसके मुँह से आ…आ..आह.. निकल पड़ी…
मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा- बस संजय.. इसके आगे नहीं..! इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते हैं…!’
मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे। उसका हाथ मेरे हाथ पर था। लेकिन कोई हरकत नहीं थी..
ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है, मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की… आह्ह..
उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूचियों पर काले रंग का ब्रा..
मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया, वो सोफे पर पीछे झुक गई जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर आए थे। मैंने उसकी चूची पर चूमा और उसके मुँह सेसी. .सी.. स्..स्.. स्. आह.. ऐसी कराहें निकलने लगी..
उसकी लाजवाब चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके मैं सपने देखा करता था..
मैंने उसके गालों पर फ़िर से चूमते हुए उसके कान में कहा- रागिनी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़!’
उसने कुछ कहा नहीं.. वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी होगा, यह मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना..
अब मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को ढकना चाहा लेकिन मैंने उसके हाथ पकड़ लिए।
मैं उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था.. उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है .. यह सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे।
मैंने कहा- रागिनी, मुझे इन्हें जी भर के देखने और प्यार करने दो..
कहते हुए मैंने उसके गुलाबी चुचूक को हाथ लगाया, मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुँह से आउच.. की आवाज़ निकली..
मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी… मेरे हाथ की उँगलियाँ उसकी चूचियों पर भ्रमण कर रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साड़ी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था।
‘संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा? बोलो!
‘फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नहीं आयेगा! और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा।’ कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर एक लंबा चुम्बन लिया..
उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा..
आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी चुचूक…
मैंने अपनी बनियान निकाल दी। मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी स्तनाग्र रगड़ने खाने लगे…
उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा- तुम बहुत बदमाश हो! एक दम गंदे!’ और फ़िर मेरे सीने से लग गई..
वो अपनी चूचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी, मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना चेहरा उसकी चूचियों पर रखा और उसके निपल मुँह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था..
उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया.. और ‘आह्ह.. बस.. उफ़.. संजय..’ करने लगी..
लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मैं अब जोर से चूसने लगा.. मैंने हल्के से उसके बाएँ निपल में काट लिया ..ऊईई… उफ्फ्फ्फ़… बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नहीं..’ कहते हुए वो उठने लगी।
मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा- नहीं रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जी भर कर प्यार करने दो!’
और मैं फ़िर से उसके निपल मुँह में लेकर एक एक कर चूसने लगा।
‘आआआ आआह्ह्ह.. हाँ.. संजय.. जोर से… उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है..’ कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी।
मैंने अब उसकी साड़ी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साड़ी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी… कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा… वो मचल उठी..
मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरी.. वो उछल पड़ी.. मैं चाहता था कि उसके उछलने से उसकी चूचियाँ भी उछलें .. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुई थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो! एकदम सख्त..!
दोस्तो, आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी उसके इस रूप को देख कर…
उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे… मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगा…
‘आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश.. इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी.. संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाओ.. चूसो..’
और उसने एक हाथ से अपनी चूची पकड़ी और मेरे मुँह में डालने लगी… उसके पैर उसी तरह हिल रहे थे.. वो अपने चूतड़ ऊपर कर रही थी.. और अचानक उसने मुझे जोर से भींच लिया.. और आह्ह..आह्ह.. आह… करते हुए अपने पैरों को पूरा लंबा कर दिया..
मैं समझ गया कि वो झड़ गई है..
अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और अपना मुँह उसकी बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वो मादक खुशबू.. पसीने और पाऊडर की मिली-जुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर जीभ फेरते हुए चाटने लगा।
उसे गुदगुदी होने लगी..
मैंने दोनों बगलों को करीब दस मिनट तक चाटा.. वो मचलती रही..
फ़िर मैं दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मैं पूरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुँह में ले सकता, उतना मुँह में लेता और चूसता.. दोनों चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी, दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये, वहाँ पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे…
रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मैं उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मैं नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर चूमा.. वो थोड़ी उछल पड़ी..
मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ के नीचे डाल दिए। उसके चूतड़ किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था… मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नहीं.. बस.. मैं.. मर जाऊँगी. इ.इ.इ.इ.’ और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई..
मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगा.. मुझे मालूम था कि अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से..
मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसकी चूचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर चिपका दिए.. और जोरों से चूसने लगा.. उसके मुँह से उम् ऽऽ उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे.. मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था..
इस पोज़ में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मैं नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई। मैंने दोनों चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसके निपल मुँह में लिए.. कभी कभी मैं उसकी कमर को भी सहला देता था..
मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैं अपना मुँह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभि का चुम्बन लेते हुए उसकी जांघों को हाथों से फैलाया.. पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया।
मेरे होंठ उसकी जांघों पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही.. पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुई चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और ‘पुच्च..पुच्च.’ किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी।
अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया- नहीं संजय.. ये मत करो.. प्लीज़, अपनी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. यह ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे हैं .. रुक जाओ संजय!’
उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया और उठ कर खड़ी होने लगी।
‘रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है!’ कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया..
पेटीकोट नीचे खिसका..
शेष कहानी अगले भाग में! Sex Stories
मैं तीस साल का हूँ और पंजाब में Hindi Porn Stories रहता हूँ। जैसे कि पंजाबी होते हैं अच्छे स्मार्ट, वैसा ही हूँ मैं ! अच्छे खाते-पीते घर का हूँ और मेरा कद 5’7″ और मेरे लंड का आकार 7″ और मोटाई 2.5″ है। मैं शादीशुदा हूँ। जैसे कि अक्सर होता है, शादी के बाद जब बच्चे हो जाते है तो पत्नी की पति में रूचि कम हो जाती है और बच्चों में ज्यादा ! ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ तो मैं ऑफिस से चैट करने लगा।
मुझे एक लड़की मेरे ही शहर की मिली, वो भी शादीशुदा थी, उसका कद 5’2″ और उसका फिगर 36 डी/30/36 था, जो मुझे बाद में पता चला। उसका घरवाला विदेश गया हुआ था और साल में दस बारह दिन के लिए आता था। हम दोनों में बातें होने लगी, धीरे-धीरे सेक्स की बातें होने लगी तो मुझे पता चला कि वो भी बहुत प्यासी है। पर हम दोनों डरते थे कि किसी को कहीं पता न चल जाये क्योंकि हम दोनों बदनामी से बहुत डरते थे।
फिर एक दिन मुझे एक आईडिया आया। उस दिन वो घर में अकेली थी। मैंने उससे उसके घर का पता लिया और दोपहर को उसके घर चला गया। उस समय आसपास में सब सो रहे होते हैं। मैंने अपने साथ एक बैग ले लिया जिससे लगे कि मैं उसके घर कुछ काम से आया हूँ।
वो मुझे देखकर बहुत खुश थी पर कुछ डर रही थी कि कहीं कोई आ ना आ जाये, तो मैंने उसको अपने पास बिठाया और प्यार से समझाया कि अगर कोई आ जाये तो कह देना कंप्यूटर ठीक करने आया है।
उसने घर में पजामा और खुली सी टी-शर्ट पहनी थी जिसमें से उसके मम्मे बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे। उसको ऐसे देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा था। उसको बड़ी मुश्किल से पैंट में ठीक किया तो उसने देख लिया और वो चली गई। वो मेरे लिए पानी लेकर आई और मेरे पास ही बैठ गई। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे, पर मेरा ध्यान तो उसके मम्मों की तरफ ही था।
उसने कहा- क्या देख रहे हो?
तो मैंने कहा- तुम्हारे मम्मे !
तो वो बोली- क्या टी-शर्ट में से दिख रहे हैं?
तो मैंने कहा- अन्दाज़ लगा रहा हूँ कि कैसे होंगे !
तो बोली- क्या सिर्फ अन्दाज़ा ही करोगे? सच में नहीं देखने?
तो मैंने झट से उसको अपनी बाहों में भींच लिया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल मेरी जीभ उसके मुँह के अंदर थी और हम एक दूसरे की लार को चख रहे थे। उसकी साँसें गरम हो रही थी और मैंने चूमते-चूमते उसकी टी-शर्ट में हाथ डालकर उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी पराई औरत को छू रहा था।
उसकी साँसे तेज हो रही थी और मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया था। मैं पागलों की तरह उसको चूम रहा था और आगे से उसके मम्मों को हाथ से उसकी शर्ट के ऊपर से ही सहला रहा था। वो सिसकने लगी और बोलने लगी- आआह्ह्ह राह्ह्ह्हहुल्ल्ल इतने दिन क्यों लगा दिए आने में ? ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह !
वो खुद पर अपना कण्ट्रोल खो रही थी, लगता उसको काफी दिन हो गए थे सेक्स किये ! इसलिए वो पूर्व-क्रीड़ा और चूमने आदि में ही एक बार झड़ गई।
मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया, अपने कपड़े उतारने लगा। वो बड़ी गौर से मेरी चौड़ी छाती देख रही थी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। जिसमें दूर से ही मेरा खड़ा लंड नज़र आ रहा था।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसको चूमना शुरू किया। वो हर चुम्बन पर सिसकियाँ ले रही थी और फ़िर मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी चूचियां जो काफी बड़ी थी उनको चूसना शुरू दिया तो वो पागल सी होने लगी। उसकी चूचियों को कभी होठों से चूसता तो कभी काटता, तो वो सिसक पड़ती और अब वो पागलों की तरह मेरा सर अपने मम्मों में दबा रही थी और कह रही थी- हाँ ऐसे ही आह्ह्ह्ह ऊऊउफ़ ! ऊऊईईईईईईइ !
और ऐसे ही उसको चूमते-चाटते उसके पजामे तक आया और उसका पजामा उतार दिया। तो उसकी पैंटी एक दम गीली हो चुकी थी, मैं उसकी पैंटी को धीरे-धीरे उतार रहा था पर शायद उसको बहुत जल्दी थी तो उसने झट से अपनी पैन्टी टांगों के बीच में से निकाल दी। उसकी चूत पर उसके पानी की कुछ बूंदें थी जिसके कारण उसकी चूत चमक रही थी। मैंने आज तक ऐसी चिकनी चूत नहीं देखी थी। ऐसे लग रही थी मानो किसी सोलह साल की लड़की की हो ! एक दम छोटा सा चीरा और उस पर गुलाबी पंखुरी जैसा रंग ! दिल कर रहा था ख़ी खा जाऊं ! लगता था उसका घरवाला मेरे लिए छोड़ गया था !
जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ तो एक दम से उछल पड़ी जैसे 440 वोल्ट का करंट लगा हो। मैंने उसकी चूत के पंखुरी जैसे नाज़ुक होठोँ को खोल कर अपने होठ वहां रख दिए। मानो जन्नत में आ गया हूँ ऐसे लग रहा था। मैंने उसकी चूत को खूब चाटा और इधर लंड जी महाराज अंडरवियर में खूब ठोकरेँ मार रहे थे। लगता था कि अगर बाहर नहीं निकाले तो अंडरवियर फाड़ के बाहर आ जायेंगे !
मैंने जैसे ही अंडरवीयर निकाला तो वो मेरा लंड देख कर हैरान रह गई, कहती- इतना बड़ा ? यह तो मेरी चूत को फाड़ देगा ! मेरे पति का तो इससे आधा ही है !
तो मैंने कहा- वो तो मैं तुम्हारी चूत की हालत देख कर ही समझ गया था कि अभी तक सिर्फ लुल्ली से चुदी है किसी मर्द का लौड़ा नहीं मिला इस को आज तक !
हम 69 पोज़िशन में आ गए, मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा नहीं आ रहा था और वो गों-गों कर रही थी। कोई 5-7 मिनट की चुसाई के बाद मुझे लगा कि अब इसकी चूत तैयार है चुदने के लिए !
तो मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और उसकी भग्नासा पर लंड का सुपाड़ा रगड़ना शुरू किया तो वह अपनी गांड को ऊपर उठाने लगी की लण्ड जल्दी से उसकी चूत में घुस जाये। पर मैं उसको तड़पाना चाहता था और उसके मुँह से सुनना चाहता था।
जब लंड को रगड़ा तो वह तड़प उठी और बोली- अब और मत तड़पाओ ! इसको मेरी चूत में डाल दो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! पिछले आठ महीनों से नहीं चुदी है, आज इसकी चुदने की सारी ख्वाहिश पूरी कर दो !
तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा। पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें!
लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया था। अब वह सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो !
थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वोह पूरा आनंद ले रही थी। उसकी साँसे तेज हो गई थी और आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करते करते वो फिर से झड़ गई। अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- कभी तेज शॉट और छोटे शॉट तो कभी तेज शॉट और लॉन्ग शॉट लगाता। जब छोटे शॉट लगाता तो उसको लगता उसकी जान निकल रही है, जब लॉन्ग शॉट लगाता तो उसको दर्द होता और ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और ऐसे ही उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनंद झलक रहा था।
हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके। मैंने उसको एक चादर औढ़ाई और अपने कपड़े पहन के वापिस आ गया क्योंकि डर था कहीं कोई आ ना जाये !
मुझे उसने बाद में बताया कि वो घण्टे घंटे तक ऐसे ही पड़ी रही और शाम को वो वापिस फ्रेश हुई, अब वह बहुत खुश है !
हमें जब भी मौका मिलता है तो हम एक दूसरे की जरुरत को पूरा करते हैं। मुझे नहीं लगता कि हम किसी को धोखा दे रहे हैं क्योंकि हम दोनों की एक ही जरुरत है सेक्स……….
मुझे अपने विचार भेजें क्योंकि यह कहानी नहीं मेरी हकीक़त है। Hindi Porn Stories
हैलो दोस्तों मेरे संबंध मेरी चाची के साथ Indian Sex Stories हैं जिनका नाम रोहिणी हैं। मैं अपनी चाची को खूब चौदता हूँ और जी भरकर गांड मारता हूँ। लेकिन मुझसे पहले भी उनका संबंध एक आदमी से रह चुका हैं उसी की कहानी आपको सुना रहा हूँ।
रोहिणी एक घरेलू महिला हैं जिसकी उम्र लगभग ४५ साल की और कद ५.२ इंच हैं। उसका वजन अधिक हैं जिससे वह मोटी ज्यादा दिखती हैं। इसके बावजूद वह एक गोरी चिट्टी सेक्सी महिला हैं जिसे देखकर हर दीवाने का लंड खड़ा हो जाये। उसकी तीन लड़कियाँ तथा एक लड़का हैं। दो लड़कियों की शादी हो गई हैं तथा एक लड़की रक्षा जिसकी उम्र १९ साल तथा लड़के राजू की उम्र १५ साल हैं।
इस उम्र में भी रोहिणी पर सेक्स का बुखार कम नहीं हुआ हैं उलटे और अधिक बढ गया हैं। रोहिणी के पति रमाकांत का वजन भी ज्यादा हैं और अब उनमें वो बात नहीं रही जो जवानी में होती हैं। इसलिये रोहिणी संतुष्ट नहीं होती हैं।
रोहिणी अपने नाम के अनुरूप ही सजती संवरती हैं और किसी महारानी से कम नहीं लगती। आज रोहिणी कुछ ज्यादा ही सज-संवर रही थी। पति ने पूछा तो बताया कि आज के दिन हम पहली बार मिले थे इसलिये सज-संवर रही हूँ। आज हम फिर हमारी सुहागरात की याद ताजा करेंगें।
रमाकांत मुस्कुराकर बोले- क्यों नहीं मेरी रानी। आज बहुत दिनों बाद हम सेक्स का मजा लेंगें।
ठीक हैं ठीक हैं ! पर जल्दबाजी मत करना। प्यार से रगड़ना मुझे ! वरना तुम पप्पी झप्पी लोगे और सो जाओगे। मेरी चूत प्यासी रह जायेगी।
अरे तुम चिंता मत करो ! आज मैं ताकत के कैप्सूल खा लूंगा और तुम्हें जी भर कर चौदूंगा।
दोनों हंसने लगे। रमाकांत ने आगे बढकर रोहिणी के रसीले होंठों को चूम लिया। शाम होते होते रोहिणी रमाकांत का इंतजार करने लगी। बच्चे रोहिणी से पूछने लगे कि आज क्या बात हैं जो आप इतना सज संवरकर बैठी हैं। किसी पार्टी में जाना हैं क्या?
अरे नहीं बच्चों ! बस आज मेरा मन बहुत खुश हैं इसलिये थोड़ा सज संवर लिया! रोहिणी बच्चो को समझाते हुए बोली।
पर रक्षा समझ गई कि आज कुछ गड़बड़ होने वाली हैं।
रात में सभी ने खाना खाया और अपने अपने कमरे में चले गये। रोहिणी ने आज अपने कमरे में गुलाब जल छिड़क रखा था। भीनी-भीनी खुश्बू पूरे कमरे में महक रही थी। रमाकांत और रोहिणी दोनों अपने बिस्तर पर बैठे बातें करने लगे।
रोहिणी के हाथ रमाकांत के हाथों में थे। रमाकांत ने एक हाथ रोहिणी के बालों में डाला और रोहिणी के भीगे होंठों को चूसने लगे। रमाकांत ने रोहिणी की साड़ी खोल दी। रोहिणी ने भी तेजी दिखाई और रमाकांत के कपड़े खोल दिये। अब रोहिणी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी तो रमाकांत सिर्फ अण्डरवियर पहने थे। उनका लंड अण्डरवियर में से अपनी झलक दिखला रहा था। रमाकांत ने ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया। रोहिणी पूरी तरह नंगी हो गई क्योंकि उसने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी थी। रमाकांत रोहिणी के प्रत्येक अंग को चूमने लगे। रोहिणी उत्तेजित होने लगी। रमाकांत ने रोहिणी के बडे -बडे बूब्स को खूब चूसा। एक एक अंग को चूमते चूमते रमाकांत के होंठ रोहिणी की चूत को चूसने लगे। रोहिणी बुरी तरह उत्तेजित हो गई। रोहिणी ने एक हाथ से रमाकांत की अण्डरवियर में हाथ डाला और उनका लंड पकड लिया।
रोहिणी ने रमाकांत को उठाया और उनका लंड अपने मुंह में भर लिया। रमाकांत तड़पने लगे पर रोहिणी और जोर-जोर से लंड चूसने लगी। रमाकांत को झड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी और सारा वीर्य रोहिणी के मुंह में भर दिया। रोहिणी एक-एक बूंद चाट गई।
रोहिणी ने रमाकांत के होंठों को अपने होंठो के बीच दबा लिये और जोर जोर से चूसने लगी। गर्दन से नीचे आने पर रोहिणी ने रमाकांत के छोटे-छोटे निप्पल को बुरी तरह से चूस लिया। रमाकांत की तड़प बढ़ गई। रोहिणी रमाकांत के शरीर को चूमते हुए फिर लंड तक पहुंच गई और ढीले लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी। बहुत देर चूसने के बाद रमाकांत का लंड फिर से खड़ा होने लगा। रमाकांत जोश में आ गये और रोहिणी को बिस्तर पर लिटाकर अपना लंड रोहिणी की चूत में डाल दिया। रमाकांत धक्के पर धक्के लगाने लगे।
रोहिणी को मजा आने लगा और वह कहने लगी- आज तो इस चूत की धज्जियां उड़ा दो मेरे सरकार ! फाड़ कर रख दो इसे !
इतना सुनते ही रमाकांत ने जोर जोर से धक्के लगाना शुरू किये और सारा माल एक ही झटके में रोहिणी की चूत में भर दिया ।
रोहिणी अभी तक झड़ी नहीं थी। लेकिन रमाकांत का लंड ढीला हो चुका था। रोहिणी फिर से चूदाने के मूड में थी इसलिये फिर से उसने लंड को अपने मुंह में भर लिया। बहुत देर तक लंड चूसने के बाद भी लंड खड़ा नहीं हुआ। रोहिणी फिर मन मारकर लेट गई। रमाकांत थक गये थे इसलिये उन्हें फटाफट नींद आ गई लेकिन रोहिणी अभी भी प्यासी थी। उसने अपनी उंगलियों को ही चूत में डाल-डालकर अपना पानी निकाल लिया।
सुबह रमाकांत बडे फ्रेश लग रहे थे लेकिन रोहिणी अनमनी सी लग रही थी। रोहिणी ने रमाकांत से ज्यादा बात नहीं की और उन्हें खाना खिलाकर काम पर भेज दिया। दोनों बच्चे स्कूल चले गये। वह घर पर अकेली बोर होने लगी। वह बार-बार यहीं सोच रही थी कि कैसे अपनी प्यास बुझाई जायें। इनका लंड तो अब डालते से ही झड़ जाता हैं। क्या किसी और से चूदवा लूं? लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था। आज पहली बार किसी पराये मर्द के लिये उसके मन में ख्याल आया था।
रोहिणी अभी इसी सोच में पड़ी हुई सोफे पर लेटी थी। तभी दरवाजे की घंटी बजी। रोहिणी ने दरवाजा खोला तो सामने एक आदमी खड़ा था, जिसकी उम्र लगभग ५० साल की होगी। उसकी सफेद दाढ़ी थी तथा सिर पर बाल बहुत कम थे। उसने बताया कि रमाकांत जी ने उसे टॉयलेट की सफाई के लिये भेजा हैं।
रोहिणी उस आदमी को टॉयलेट तक लेकर गई। रोहिणी ने उसका नाम पूछा तो उसने अपने नाम कालू बताया। कालू अपने काम में लग गया। कुछ ही देर में उसका सारा काम हो गया।
काम होने के बाद कालू के कपडे गीले हो चुके थे। वह बाथरूम में गया और अपने शर्ट और पेंट उतारकर शॉवर में नहाने लगा। उसने दरवाजा आधा ही बंद किया था। उसने अंदर कुछ नहीं पहना था। वह नंगा होकर शॉवर का आनंद लेने लगा।
काम हुआ या नहीं, यह देखने के लिये रोहिणी बाथरूम तक पहुंची। बाथरूम तक पहुंची तो उसके होश उड़ गये। कालू नंगा होकर नहा रहा था। उसका लंड देखकर उसकी सांसे तेज हो गई। कालू ने रोहिणी को देख लिया था पर वह यह जता रहा था कि उसने उसे देखा ही नहीं। रोहिणी से कुछ बोलते नहीं बनी। अभी भी उसकी सांसे तेज चल रही थी।
कुछ देर बाद रोहिणी संभली तो उसने कालू को बोला- यह तुम क्या कर रहे हो। तुम्हें सिर्फ सफाई के लिये बुलाया था, नहाने धोने के लिये नहीं।
कालू हकलाकर बोला- मुझे माफ कर दो मेमसाब ! मेरे कपड़े और बदन गंदे हो गये थे इसलिये सोचा कि दोनों को साफ कर लूं।
रोहिणी बोली- ठीक हैं, ठीक हैं। जल्दी करो। मैं अपने बेडरूम में जा रही हूं। काम हो जाये तो पैसे ले जाना।
कालू- जी मेमसाब।
कालू मन ही मन खुश हो रहा था कि मेमसाब उससे नाराज नहीं हुई। हो न हो उसे भी लंड की चाहत जरूर होगी वरना इतनी देर में तो कोई भी उसे खरी खोटी सुनाता और घर से निकाल देता।
इधर रोहिणी अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गई। उसके मन में कालू का नंगा शरीर ही दिख रहा था। वह अपने को काबू में नहीं रख पा रही थी। उसने अपने कपड़े खोले और गाउन पहन लिया ।
कालू नहाकर बाहर निकला। उसने कपड़े भी नहीं पहने और रोहिणी के कमरे की ओर चला आया। अंदर रोहिणी गाउन पहने अपने बिस्तर पर लेटी थी। वह आंखे बंद करके मन ही मन में कालू के बारे में सोच रही थी। कालू ने देखा कि दरवाजा हल्का सा खुला हैं। उसने अंदर झांका तो रोहिणी आंखे बंद करके लेटी थी।
इस अवस्था में देखकर उसके मन में भी सेक्स का बुखार चढ़ने लगा। उसका लंड तनतनाकर ७ इंच का हो गया। वह दबे पांव रोहिणी तक गया और उसके होंठों पर होंठ रख दिये।
रोहिणी बूरी तरह चौंक गई। वह सोच भी नहीं सकती थी कि कालू आकर उसके होंठों को चूम लेगा। उसने सोचा कि कालू को डांटकर भगा दे लेकिन अपनी हवस पर काबू नहीं रख पाई और कालू से चिपक गई। कालू ने भी उसे बाहों में भर लिया और उसकें होंठों का रस चूसने लगा। रोहिणी पर चूदवाने का नशा इस तरह चढ गया था कि वह एक भंगी के बदबूदार मुंह को अपने मुंह से लगाकर चूमाचाटी कर रही थी।
बहुत देर तक रोहिणी के होंठों की मां चोदने के बाद कालू ने रोहिणी का गाउन खोलकर उसे नंगा कर दिया। उसे रोहिणी की बड़ी लेकिन प्यारी सी चूत दिखाई दी जो पूरी तरह क्लीन शेव्ड थी। कालू ने चूत को अपने होंठों से लगाकर बूरी तरह चूसने लगा। रोहिणी पागल सी हो गई।
रोहिणी इतनी उत्तेजित हो गई थी कि वह एक भंगी से भी चूदवाने को तैयार थी। कालू का लंड देखकर रोहिणी खुश हो गई कि आज यह लंड उसकी प्यास बुझा देगा। कालू ने अपना लंड रोहिणी के मुँह में दे दिया। कालू भी तड़प उठा पर यह सोचकर उसे अपनी जिंदगी पर गर्व होने लगा कि एक भंगी भी किसी अप्सरा को, चाहे वह मोटी ही क्यों न हो, चौद सकता हैं।
आज हवस के नशे में एक मालदार महिला ने अपनी इज्जत एक भंगी के हाथों में दे दी। रोहिणी पूरी तरह गर्म हो गई थी। कालू उसे अब अपना सब कुछ नजर आ रहा था।
रोहिणी – आह कालू। अब देर मत करों। अपना लंड मेरी चूत में डालो और मेरी प्यास बुझा दे मेरे राजा ।
कालू ने रोहिणी की चूत का निशाना लगाया और एक ही झटके में पूरा लंड रोहिणी की चूत में डाल दिया। रोहिणी चीख पड़ी। आह कमीने धीरे से डाल ! मार डालेगा क्या !
कालू तो पागल हो गया था। इस स्वर्गीय आनंद में वह जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। रोहिणी का पूरा शरीर हिलने लगा। इतना आनंद तो उसे रमाकांत से चुदाई कराने पर भी कभी नहीं आया। कालू ने पूरी तरह से रोहिणी की चूत को भौंसड़ा बना दिया। आज रोहिणी तीन बार झड़ चुकी थी। कालू ने तेज झटके मारे और सारा माल रोहिणी की चूत में डाल दिया। रोहिणी अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थी।
दोनों एक साथ चिपककर लेटे रहे। थोड़ी देर बाद कालू फिर चालू हो गया। उसका लंड फिर खड़ा हो गया। उसने रोहिणी को उलटा लिटाया और उसकी गांड के छेद पर लंड रखकर धक्का लगाया। रोहिणी दर्द से चीखने लगी। दो तीन झटको में कालू ने लंड रोहिणी की गांड में घुसा दिया।
रोहिणी दर्द से चीख रही थी। कुछ देर में उसे भी मजा आने लगा। कालू ने ५ मिनट तक रोहिणी की गांड मारी फिर तेज धक्कों के साथ अपने वीर्य से रोहिणी की गांड को भर दिया। कुछ देर तक कालू और रोहिणी चिपककर लेटे रहे। फिर कालू उठकर जाने लगा।
कालू ने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े पहन लिये। कालू जाने लगा तो रोहिणी ने कालू को होंठों पर लंबा चुम्मा दिया और ढेर सारे पैसे भी दिये। कालू खुशी-खुशी चला गया और रोहिणी पूरी तरह संतुष्ट होकर अपने कमरे में जाकर मीठी नींद में सो गई । Indian Sex Stories
दोस्तों मेरा नाम श्याम है। मैंने अन्तर्वासना Indian Sex Stories में पहले भी अपनी एक चुदाई के बारे में लिखा था।
मुझे बचपन से ही लड़कियों का साथ पसंद था, लड़को में कम बैठता था। मैं बहुत चिकना हूं और मेरे शरीर पर बाल नहीं हैं, मेरी गोल मोल गाण्ड है गुलाबी होंठ ! लड़की से ज्यादा मटक के चलता हूँ।
अब पिछ्ले भाग से आगे :
अगले दिन मम्मी पापा दिल्ली गए थे, घर मैं दादा-दादी और छोटी बहन थी।
मैंने कहा- आज मैं प्रीत के घर नोट्स बनाऊंगा, कल सुबह आ जाऊंगा।
मैं उसके बताये समय के मुताबिक जब मोची निकल गया तो मैं अंदर घुस गया तो अन्दर वो दूसरा बंदा था, उसने मुझे पकड़ कर खींच लिया, मैं डर सा गया।
वो बोला- डरता क्यूँ है? मैं ही हूँ !
उसने अपना पाजामा उतार फेंका और सिर्फ़ कच्छे और शर्ट में उसने झट से मेरी पैन्ट खोल कर घुटनों तक सरका दी और मेरा कच्छा भी उतार दिया और हाथ मेरी गोल गाण्ड पे फेरता हुआ बोला- क्या मस्त गाण्ड है ! क्या चिकनी जांघें हैं !
मैंने कहा- मुझे जाने दो !
वो बोला- साले एक बार मजा ले ! फ़िर तू ख़ुद मरवाने आया करेगा !
मैंने कहा- नहीं !
उसने मुझे नीचे पड़े कम्बल पिर पटक दिया मेरे पास आ कर मेरी शर्ट उतार कर मेरे मम्मों को दबाने लगा। मेरी छाती मर्द नहीं औरत जैसे कूली-फ़ूली है।
प्लीज़ छोड़ दो !
उसने अपना कच्छा उतार दिया, उसका काला लण्ड देख मेरी फट गई। उसका ख़ुद का रंग भी काला ही था, बिहारी था, पंजाब में काम करने आया था।
उसने सर से दबाते हुए मेरे मुहं में अपना लण्ड ठूंस दिया। मैं भी चूसने लगा। उसका लण्ड मोटा कम लंबा ज्यादा था इस लिए मुझे चूसने में आसानी लगी।
वो मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा और उसमें ऊँगलीबाज़ी करने लगा, थूक लगा के उसने मेरी गाण्ड खुली की।
तब मैंने सोचा- श्याम ! आज चुदा ही ले !
मैंने ख़ुद को डीला छोड़ विरोध करना छोड़ दिया।
उसके बाद उसने मुझे सीधा ही लिटा के बीच में बैठ तकिया मेरे कूल्हों के नीचे रख उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पे रख दिया और मेरे निपल चूसने लगा, कभी होंठ चूसता !
उसने एक धक्का मारा और लण्ड का सुपाड़ा मेरी गाण्ड में घुस गया। मेरी तो जान ही निकाल दी उसने !
मैं बोला- छोड़ !
वो बोला- कोई नहीं सुनेगा !
उसने मुझे पहले ही कस लिया था, दूसरे झटके में आधा लण्ड घुस गया, मैं रोने लगा उसको दया न आई और उसने २ धक्के और मार अन्दर तक पेल डाला। मेरी गाण्ड फट गई।
उसने एकदम सारा लण्ड निकाल लिया और कपड़े से खून साफ़ करके पास पड़ा सरसों का तेल लगा फ़िर घुसा दिया। अब उसने दो मिनट रुकते हुए धक्के मारने चालू किए। उसकी रगड़ से मुझे मस्ती मिलने लगी और ख़ुद उकसाने लगा। तेल की वजह से उसने अब मुझे जन्नत दिखा दी, उसकी हर रगड़ से मुझे लगता कि मैं हवा में उड़ रहा हूँ।
साथ मैं वो मेरे निपल चुटकी से मसल देता !
हाय ! चोद मुझे और चोद ! फाड़ दे बाकी बची गाण्ड !
हाय ! साला गाण्डू ! इतने दिन से तड़फा रहा था ! इतनी मस्त चीज़ निकलेगा, पता होता तो कब से चोद देता तु्झे ले खा लण्ड खा लण्ड !
हाय डालता जा !
वो बोला- रांड खाती जा !
फाड़ डाल हां !
बोला- घोड़ी बन जा, असली मुद्रा में डालता हूँ !
पीछे से डालते हुए वो सुपर फास्ट ट्रेन की तरह पेलने लगा।
अचानक से उसने स्पीड और तेज कर दी। स्पीड तेज करते ही वो ढीला सा पड़ गया, उसका माल- गरम माल मेरी गाण्ड में गिरता साफ़ पता चल रहा था। सारा दर्द-खुजली उसने मिटा डाली। हम एक दूसरे की बाँहों में लेट गए।
कुछ देर में मैंने ख़ुद उसका लण्ड मुँह में ले खड़ा कर दिया और खूब चूसने के बाद मैं घोड़ी बन गया। उसने डाल दिया और अब वो जल्दी झड़ने वाला कहाँ था मैं उसके ऊपर बैठ उछलने लगा, चुदने लगा।
पूरी रात अलग अलग तरीकों से चोदता गया। उसने ४ बार मेरी गाण्ड में पानी छोड़ा, गाण्ड का भुरता बना डाला लेकिन इतना मजा आया।
उसकी बात सच निकली कि एक बार गाण्ड मरवा ! ख़ुद कहेगा !
सुबह होने को थी, वो बोला- अब न सो गाण्डू ! आंख लग गई तो लेट हो जाएगा साले !
मैं रौशनी होने की इन्तज़ार करता हुआ उसके लण्ड को लुंगी से निकाल उसकी जांघों पे सर रख चूसने लगा।
उसका लण्ड फ़िर से ऐंठने लगा तो वो बोला- मत जगा इसको ! वरना तेरी सूजी गाण्ड मैं फ़िर डाल दूंगा !
मैं न रुका और चूसता रहा। उसके सुपाड़े को होंठों में अटका कर मजे लेने लगा। मस्ती में उसने थोड़ी गाण्ड नंगी कर छेद पे रखा, फ़िर पेल दिया। कपड़े पहने ही उसने मुझे १० मिनट की चुदाई दी। उसका झड़ा नहीं। मैं ख़ुद हट गया और चलने लगा।
उसने कहा- अब कब आयेगा?
मैंने कहा- शाम को !
वो बोला- आज शाम को उसका एक साथी भी होगा, उसकी शिफ्ट बदल रही है !
मैंने उसकी यह बात सुनी नहीं, निकल आया और किसी कारण शाम को मैं नहीं जा पाया।
उसके बाद एक हफ्ता मैं उस से नहीं मिला।
एक दिन मैं वापिस आते उसके कमरे में चला गया। मैं सीधा अन्दर गया। वहाँ उसका दोस्त भी था तो मैं वापिस चलने लगा।
तभी उसने दोस्त से कहा- यह गाण्डू है, मरवाता है, चूसता भी बहुत है !
दोनों ने मुझे रोक लिया और फ़िर क्या हुआ अगली बार लिखूंगा किस तरह मैं गाण्डू बन गया। अब तक मैं आठ मर्दों के लण्ड ले चुका हूँ।
अगर मेरी चुदाई अन्तर्वासना ने छाप दी तो मैं आपको अपने लिए हर लण्ड के बारे में लिखूंगा।
प्लीज़ ! मेरी विनती है कि मेरी चुदाई ज़रूर छाप देना। बड़ी मेहनत से टाइप करनी पड़ती है। Indian Sex Stories
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