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Massage Girl in Khammam: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Khammam who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Khammam that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Khammam massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Khammam who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Khammam massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Khammam massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Khammam who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Khammam employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Khammam helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Khammam

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Khammam at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

यह घटना इसी होली Antarvasna की है। 6 साल के बाद मैं होली में अपने घर पर था। मेरी उम्र 19 साल की है। मैं अपने शहर से बहुत दूर एक कॉलेज में तकनीकी की पढ़ाई कर रहा हूँ। हड़ताल होने के कारण कॉलेज एक महीने के लिए बन्द हो गया था।

सारे त्योहारों में मुझे यह होली का उत्सव बिल्कुल पसन्द नहीं है। मैंने पहले कभी भी होली नहीं खेली। पिछले 6 साल मैंने होस्टल में ही बिताया। मेरे अलावा घर में मेरे बाबूजी और माँ है। मेरी छोटी बहन का विवाह पिछले साल हो गया था। कुछ कारण बस मेरी बहन रेनू होली में घर नहीं आ पाई। लेकिन उसके जगह पर हमांरे दादाजी होली से कुछ दिन पहले हमांरे पास हमसे मिलने आ गये थे। दादाजी की उम्र करीब 61-62 साल है, लेकिन इस उम्र में भी वे खूब हट्टे कट्टे दिखते हैं। उनके बाल सफेद होने लगे थे लेकिन सर पर पूरे घने बाल थे। दादाजी चश्मा भी नहीं पहनते थे। मेरे बाबूजी की उम्र करीब 40-41 साल की होगी और माँ की उम्र 34-35 साल की। माँ कहती है कि उसकी शादी 14 वे साल में ही हो गई थी और साल बीतते बीतते मैं पैदा हो गया था। मेरे जन्म के 2 साल बाद रेनू पैदा हुई।

अब जरा माँ के बारे में बताउँ। वो गाँव में पैदा हुई और पली बढ़ी। पांच भाई बहनों में वो सबसे छोटी थी। खूब गोरा दमकता हुआ रंग, 5’5″ लम्बी, चौडे कन्धे, खूब उभरी हुई छाती, उठे हुए स्तन और मस्त, गोल गोल भरे हुए नितम्ब। जब मैं 14 साल का हुआ और मर्द और औरत के रिश्ते के बारे में समझने लगा तो जिसके बारे में सोचते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता था, वो मेरी माँ मालती ही है। मैंने कई बार मालती के बारे में सोच सोच कर हत्तु मारा होगा लेकिन ना तो कभी मालती का चुची दबाने का मौका मिला, ना ही कभी उसको अपना लौड़ा ही दिखा पाया। इस डर से क़ि अगर घर में रहा तो जरुर एक दिन मुझसे पाप हो जायेगा, 8वीं क्लास के बाद मैं जिद कर होस्टल में चला गया।

माँ को पता नहीं चल पाया कि उसके इकलौते बेटे का लौड़ा माँ की बुर के लिए तड़पता है। छुट्टियों में आता था तो चोरी छिपे मालती की जवानी का मज़ा लेता था और करीब करीब रोज रात को हत्तु मारता था। मैं हमेशा यह ध्यान रखता था कि माँ को कभी भी मेरे ऊपर शक ना हो। और माँ को शक नहीं हुआ। वो कभी कभी प्यार से गालों पर थपकी लगाती थी तो बहुत अच्छा लगता था। मुझे याद नहीं कि पिछले 4-5 सालों में उसने कभी मुझे गले लगाया हो।

अब इस होली कि बात करें। माँ सुबह से नाश्ता, खाना बनाने में व्यस्त थी। करीब 9 बजे हम सब यानि मैं, बाबूजी और दादाजी ने नाश्ता किया और फिर माँ ने भी हम लोगों के साथ चाय पी। 10 – 10.30 बजे बाबूजी के दोस्तो का ग्रुप आया। मैं छत के ऊपर चला गया। मैंने देखा कि कुछ लोगों ने माँ को भी रंग लगाया। दो लोगों ने तो माँ की चूतड़ों को दबाया, कुछ देर तो माँ ने मजा लिया और फिर माँ छिटक कर वहाँ से हट गई। सब लोग बाबूजी को लेकर बाहर चले गये । दादाजी अपने कमरे में जाकर बैठ गये।

फिर आधे घंटे के बाद औरतों का हुजूम आया। करीब 30 औरतें थी, हर उम्र की। सभी एक दूसरे के साथ खूब जमकर होली खेलने लगे। मुझे बहुत अच्छा लगा। जब मैंने देखा कि औरतें एक दूसरे की चुची मसल मसल कर मजा ले रही हैं, कुछ औरतें तो साया उठा उठा कर रंग लगा रही थी। एक ने तो हद ही कर दी। उसने अपना हाथ दूसरी औरत के साया के अन्दर डाल कर बुर को मसला। कुछ औरतों ने मेरी माँ मालती को भी खूब मसला और उनकी चुची दबाई। फिर सब कुछ खा पीकर बाहर चली गई। उन औरतो ने माँ को भी अपने साथ बाहर ले जाना चाहा लेकिन माँ उनके साथ नहीं गई।

उनके जाने के बाद माँ ने दरवाजा बन्द किया। वो पूरी तरह से भीग गई थी। माँ ने बाहर खड़े खड़े ही अपना साड़ी उतार दी। गीला होने के कारण साया और ब्लाऊज दोनों माँ के बदन से चिपक गए थे। कसी कसी जांघें, खूब उभरी हुई छाती और गोरे रंग पर लाल और हरा रंग माँ को बहुत ही मस्त बना रहा था। ऐसी मस्तानी हालत में माँ को देख कर मेरा लौड़ा टाइट हो गया। मैंने सोचा, आज अच्छा मौका है। होली के बहाने आज माँ को बाहों में लेकर मसलने का। मैंने सोचा कि रंग लगाते लगाते आज चुची भी मसल दूंगा। यही सोचते सोचते मैं नीचे आने लगा। जब मैं आधी सीढी तक आया तो मुझे आवाज सुनाई पड़ी!

दादाजी माँ से पूछ रहे थे,” विनोद कहाँ गया?”
“मालूम नहीं, लगता है अपने बाबूजी के साथ बाहर चला गया है।” माँ ने जवाब दिया।

माँ को नहीं मालूम था कि मैं छत पर हूँ और अब उनकी बातें सुन भी रहा हूँ और देख भी रहा हूँ। मैंने देखा मालती अपने ससुर के सामने गरदन झुकाये खड़ी है। दादाजी माँ के बदन को घूर रहे थे।

तभी दादाजी ने माँ के गालो को सहलाते हुये कहा,”मेरे साथ होली नहीं खेलोगी?”

मैं तो ये सुन कर दंग रह गया। एक ससुर अपनी बहू से होली खेलने को बेताब था। मैंने सोचा, माँ ददाजी को धक्का देकर वहाँ से हट जायेगी लेकिन साली ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मुस्कुरा कर कहा,” मैंने कब मना किया है, और अभी तो घर में कोई है भी नहीं!”

कहकर माँ वहां से हट गई। दादाजी भी कमरे के अन्दर गये और फिर दोनों अपने अपने हाथों में रंग लेकर वापस वहीं पर आ गये। दादाजी ने पहले दोनों हाथों से माँ की दोनों गालों पर खूब मसल मसल कर रंग लगाया और उसी समय माँ भी उनके गालों और छाती पर रंग रगड़ने लगी। दादाजी ने दुबारा हाथ में रंग लिया और इस बार माँ की गोल गोल बड़ी बड़ी चुचियों पर रंग लगाते हुए चुचियों को दबाने लगे। माँ भी सिसकारती मारती हुई दादाजी के शरीर पर रंग लगा रही थी।

कुछ देर तक चुचियों को मसलने के बाद दादाजी ने माँ को अपनी बाहों में कस लिया और चूमने लगे। मुझे लगा कि माँ गुस्सा करेगी और दादाजी को डांटेगी। लेकिन मैंने देखा क़ि माँ भी दादाजी के पांव पर पांव चढ़ा कर चूमने में मदद कर रही है। चुम्मा लेते लेते दादाजी का हाथ माँ की पीठ को सहला रहा था और हाथ धीरे धीरे माँ के सुडौल नितम्बों की ओर बढ़ रहा था । वे दोनों एक दूसरे को जम कर चूम रहे थे जैसे पति-पत्नि हों।

अब दादाजी माँ के चूतड़ों को दोनों हाथों से खूब कस कस कर मसल रहे थे और यह देख कर मेर लौड़ा पैंट से बाहर आने को तड़प रहा था। क़हां तो मैं यह सोच कर नीचे आ रहा था कि मैं माँ के मस्त गुदाज बदन का मजा लूंगा और कहां मुझसे पहले इस हरामी दादाजी ने रंडी का मजा लेना शुरु कर दिया।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। मन तो कर रहा था कि मैं दोनों के सामने जाकर खड़ा हो जाऊँ। लेकिन तभी मुझे दादाजी कि आवाज सुनाई पड़ी,” रानी, पिचकारी से रंग डालूँ?”

दादाजी ने माँ को अपने से चिपका लिया था। माँ का पिछवाड़ा दादाजी से सटा था और मुझे माँ का सामने का माल दिख रहा था। दादाजी का एक हाथ चुची को मसल रहा था और दूसरा हाथ माँ के पेड़ू को सहला रहा था।

“अब भी कुछ पूछने की जरूरत है क्या?”

माँ का इतना कहना था कि दादाजी ने एक झटके में साया के नाड़े को खोल डाला और हाथ से धकेल कर साया को नीचे जांघो से नीचे गिरा दिया। मैं अवाक था माँ की बुर को देखकर। माँ ने पैरों से ठेल कर साया को अलग कर दिया और दादाजी का हाथ लेकर अपनी बुर पर सहलाने लगी। बुर पर बाल थे जो बुर को ढक रखा था। दादाजी की अंगुली बुर को कुरेद रही थी और माँ अपनी हाथो से ब्लाउज का बटन खोल रही थी। दादाजी ने माँ के हाथ को अलग हटाया और फटा फट सारे बटन खोल दिए और ब्लाउज को निकाल दिया।

अब माँ पूरी तरह से नंगी थी। मैंने जैसा सोचा था, चूची उससे भी बड़ी बड़ी और सुडौल थी। दादाजी आराम से नंगी जवानी का मजा ले रहे थे। माँ ने 2-3 मिनट दादाजी को चुची और चूत मसलने दिया फिर वो अलग हुई और वहीं फर्श पर मेरी तरफ पाँव रखकर लेट गई। मेरा मन कर रहा था कि जाकर चूत में लौड़ा पेल दूँ। तभी दादाजी ने अपना धोती और कुर्ता उतारा और माँ के चेहरे के पास बैठ गये। माँ ने लन्ड को हाथ में लेकर मसला और कहा,”पिचकारी तो अच्छा दिखता है लेकिन देखें इसमें रंग कितना है! अब देर मत करो, वे आ जायेंगे तो फिर रंग नहीं डाल पाओगे।”

और फिर, दादाजी ने माँ पाँव के बीच बैठ कर लन्ड को चूत पर दबाया और तीसरे धक्के में पूरा लौड़ा बुर के अन्दर चला गया। क़रीब 10 मिनटों तक माँ को खूब जोर जोर से धक्का लगा कद चोदा। उस रन्डी को भी चुदाई का खूब मजा आ रहा था, तभी तो साली जोर जोर से सिसकारी मार मार कर और चूतड़ उछाल उछाल कर दादाजी के लंड के धक्के का बराबर जबाब दे रही थी। उन दोनों की चुदाई देखकर मुझे विश्वास हो गया था कि माँ और दादाजी पहले भी कई बार चुदाई कर चुके हैं.

“क्या राजा, इस बहू का बुर कैसा है? मजा आया या नहीं?” माँ ने कमर उछालते हुये पूछा।

“मेरी प्यारी बहू! बहुत प्यारी चूत है और चूची तो बस, इतनी मस्त चुची पहले कभी नहीं दबाई।”दादाजी ने चुची को मसलते हुये पेलना जारी रखा और कहा।

“रानी, तुम नहीं जानती, तुम जबसे घर में दुल्हन बन कर आई, मैं हजारों बार तुम्हारे चूत और चुची का सोच सोच कर लंड को हिला हिला कर तुम्हारा नाम ले ले कर पानी गिराता हूँ।”

दादाजी ने चोदना रोक कर माँ की चुची को मसला और रस से भरे ओंठों को कुछ देर तक चूसा। फिर चुदाई शुरू की और कहा,”मुझे नहीं मालूम था कि एक बार बोलने पर ही तुम अपनी चूत दे दोगी, नहीं तो मैं तुम्हें पहले ही सैकडों बार चोद चुका होता!”

मुझे विश्वास नहीं हुआ कि माँ दादाजी से पहली बार चुद रही है। दादाजी ने एक बार कहा और हरामजादी बिना कोई नखरा किये चुदाने के लिये नंगी हो गई और दादाजी कह रहे है कि आज पहली बार ही माँ को चोद रहे हैं।

लेकिन तब माँ ने जो कहा वो सुनकर मुझे विश्वास हो गया कि माँ पहली बार ही दादाजी से मरवा रही है।

माँ ने कहा,” राजा, मैं कोई रंडी नहीं हूँ। आज होली है, तुमने मुझे रंग लगाना चाहा, मैंने लगाने दिया, तुमने चुची और चूत मसला, मैंने मना नहीं किया, तुमने मुझे चूमा और मैंने भी तुमको चूमा और तुम चोदना चाह्ते थे, पिचकारी डालना चाहते थे तो मेरी चूत ने पिचकारी अन्दर ले ली। तुम्हारी जगह कोई और भी ये चाहता तो मैं उस से भी चुदवाती। चाहे वो राजा हो या नौकर! होली के दिन मेरा माल, मेरी चूत, मेरी जवानी सब के लिये खुली है…!”

माँ ने दादाजी को अपनी बांहों और जांघों में कस कर बांधा और फिर कहा,”आज जितना चोदना है, चोद लो, फिर अगली होली का इंतजार करना पड़ेगा मेरी नंगी जवानी का दर्शन करने के लिये!”

माँ की बात सुनकर मैं आश्चर्य-चकित था कि होली के दिन कोई भी उसे चोद सकता था.

लेकिन यह जान कर मैं भी खुश हो गया। कोई भी में तो मैं भी आता हूँ। आज जैसे भी हो, माँ को चोदूँगा ही। यह सोच कर मैं खुश था और उधर दादाजी ने माँ की चूत में पिचकारी मार दी। बुर से मलाई जैसा गाढ़ा दादाजी का रस बाहर निकल रहा था और दादाजी खूब प्यार से माँ को चूम रहे थे।

क़ुछ देर बाद दोनों उठ गये।
“कैसी रही होली?” माँ ने पूछा,” आप पहले होली पर हमारे साथ क्यों नहीं रहे। मैंने 12 साल पहले होली के दिन सबके लिये अपना खजाना खोल दिया था।”

माँ ने दादाजी के लौड़ा को सहलाया और कहा,” अभी भी लौड़े में बहुत दम है, किसी कुमारी छोकरी की भी चूत एक धक्के में फाड़ सकता है।”

माँ ने झुक कर लौड़े को चूमा और फिर कहा,”अब आप बाहर जाईये और एक घंटे के बाद आईयेगा। मैं नहीं चाहती कि विनोद या उसके बाप को पता चले कि मैंने आप से चुदाई है।”

माँ वहीं नंगी खड़ी रही और दादाजी को कपडे पहनते देखती रही। धोती और कुर्ता पहनने के बाद दादाजी ने फिर माँ को बांहो में कसकर दबाया और गालों और होंठों को चूमा। कुछ चुम्मा चाटी के बाद माँ ने दादाजी को अलग किया और कहा,”अभी बाहर जाओ, बाद में मौका मिलेगा तो फिर से चोद लेना लेकिन आज ही, कल से मैं आपकी वही पुरानी बहू रहूंगी।”

दादाजी ने चुची दबाते हुये माँ को दुबारा चूमा और बाहर चले गये।

मैं सोचने लगा कि क्या करूँ?

मैं छत पर चला गया और वहाँ से देखा- दादाजी घर से दूर जा रहे थे और आस पास मेरे पिताजी का कोई नामो निशान नहीं था। मैंने लौड़े को पैंट के अन्दर किया और धीरे धीरे नीचे आया। माँ बरामदे में नहीं थी। मैं बिना कोई आवाज किये अपने कमरे में चला गया और वहाँ से झांका। इधर उधर देखने के बाद मुझे लगा कि माँ किचन में हैं। मैंने हाथ में रंग लिया और चुपके से किचन में घुसा। माँ को देखकर दिल बाग बाग हो गया। वो अभी भी नंग धड़ंग खड़ी थी। वो मेरी तरफ पीठ करके पुआ बेल रही थी। माँ के सुडौल और भरे भरे मांसल चूतड़ों को देख कर मेरा लौड़ा पैंट फाड़ कर बाहर निकलना चाहता था।

कोई मौका दिये बिना मैंने दोनों हाथों को माँ की बांहो से नीचे आगे बढ़ा कर उनके गालों पर खूब जोर जोर से रंग लगाते हुये कहा,”माँ, होली है!”

और फिर दोनों हाथों को एक साथ नीचे लाकर माँ की गुदाज और बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगा।

“ओह … तू कब आया? दरवाजा तो बन्द है! छोड़ ना बेटा … क्या कर रहा है? माँ के साथ ऐसे होली नहीं खेलते … ओह्ह्ह्ह … इतना जोर जोर से मत मसल … अह्ह्ह्ह्ह … छोड़ दे! … अब हो गया…!”

लेकिन मैं ऐसा मौका कहां छोड़ने वाला था। मैं माँ के चूतड़ों को अपने पेरु से खूब दबा कर और चूची को मसलता रहा। माँ बार बार मुझे हटने के लिये बोल रही थी और बीच बीच में सिसकारी भी भर रही थी.. खास कर जब मैं घुंडी को जोर से मसलता था। मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था। मैं लंड को पैंट से बाहर निकालना चाहता था। मैं कस कर एक हाथ से चुची को दबाये रखा और दूसरा हाथ पीछे लाकर पैंट का बटन खोला और नीचे गिरा दिया। मेरा लौड़ा पूरा टन टना गया था। मैंने एक हाथ से लंड को माँ के चूतड़ों के बीच दबाया और दूसरा हाथ बढ़ा कर चूत को मसलने लगा।

“नहीं बेटा, बुर को मत छुओ … यह पाप है!”

लौड़े को चूतड़ों के बीच में दबाये रखा और आगे से बुर में बीच वाली अंगुली घुसेड़ दी। करीब 15-20 मिनट पहले दादाजी चोद कर गये थे और चूत गीली थी। मेरा मन झनझना गया था, माँ की नंगी जवानी को छू कर। मुझे लगा कि इसी तरह अगर मैं माँ को रगड़ता रहा तो बिना चोदे ही झड जाउंगा और फिर माँ मुझे कभी चोदने नहीं देगी। यही सोच कर मैंने चूत से अंगुली बाहर निकाली और पीछे से ही कमर से पकड़ कर माँ को उठा लिया।

“ओह … क्या मस्त माल है … चल रंडी, अब तुझे जम कर चोदूंगा … बहुत मजा आयेगा मेरी रानी तुझे चोदने में!”

ये कहते हुये मैंने माँ को दोनों हाथों से उठा कर बेड पर पटक दिया और उसकी दोनों पैरों को फैला कर मैंने लौड़ा बुर के छेद पर रखा और खूब जोर से धक्का मारा।

“आउच..जरा धीरे! ” माँ ने हौले से कहा।

मैंने जोर का धक्का लगाया और कहा,”ओह्ह्ह्ह … माँ, तू नहीं जानती, आज मैं कितना खुश हूँ!” मैं धक्का लगाता रहा और खूब प्यार से माँ के रस से भरे होंठों को चूमा।

“मां, जब से मेरा लौड़ा खड़ा होना शुरु हुआ, चार साल पहले, तो तबसे बस सिर्फ तुम्हें ही चोदने का मन करता है। हजारों बार तेरी चूत और चुची का ध्यान कर मैंने लौड़ा हिलाया है और पानी गिराया है.. हर रात सपने में तुम्हें चोदता हूँ। ले रानी आज पूरा मजा मारने दे!”

मैंने माँ की चुचियों को दोनों हाथों में कस कर दबा कर रखा और दना दन चुदाई करने लगा। माँ आंख़ बन्द कर चुदाई का मजा ले रही थी। वो कमर और चूतड़ हिला हिला कर लंड को चुदाई में मदद दे रही थी।

“साली, आंख खोल और देख, तेरा बेटा कैसा चुदाई कर रहा है … रंडी, खोलना आंख!”

माँ ने आंखें खोली। उसकी आंखो में कोई ‘भाव’ नहीं था। ऐसा भी नहीं लग रहा था कि वो मुझसे नाराज है…ना ही यह पता चल रहा था कि वो बेटे के लंड का मजा ले रही है.. लेकिन मैं पूरा मजा लेकर चोद रहा था…

“साली, तू नहीं जानती … तेरे बुर के चक्कर में मैं रन्डियों के पास जाने लगा और ऐसी ऐसी रंडी की तलाश करता था जो तुम्हारी जैसी लगती हो… लेकिन अब तक जितनी भी बुर चोदी सब की सब ढीली ढाली थी … लेकिन आज मस्त, कसी हुई बुर चोदने को मिली है … ले रंडी तू भी मजा ले!”

और उसके बाद बिना कोई बात किये मैं माँ को चोदता रहा और वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवाती रही। कुछ देर के बाद माँ ने सिसकारी मारनी शुरु की और मुझे उसकी सिसकारी सुनकर और भी मजा आने लगा। मैंने धक्के की स्पीड और दम बढ़ा दिया और खूब दम लगा कर चोदने लगा.

माँ जोर जोर से सिसकारी मारने लगी।

“रंडी, कुतिया जैसे क्यों चिल्ला रही है, कोई सुन लेगा तो?”

“तो सुनने दो…लोगों को पता तो चले कि एक कुतिया कैसे अपने बेटे से मरवाती है…मार दे , फाड़ दे इस बुर को…मादरचोद , माँ की बुर इतनी ही प्यारी है तो हरामी पहले क्यों नहीं पटक कर चोद डाला… अगर तू हर पिछली होली में यहाँ रहता और मुझे चोदने के लिये बोलता तो मैं ऐसे ही बुर चिरवा कर तेरा लौड़ा अन्दर ले लेती…चोद बेटा ..चोद ले…लेकिन देख तेरा बाप और दादाजी कभी भी आ सकते हैं..! जल्दी से बुर में पानी भर दे!”

“ले मां, तू भी क्या याद रखेगी कि किसी रन्डीबाज ने तुझे चोदा था… ले कुतिया, बन्द कर ले मेरा लौड़ा अपनी बुर में!” मैं अब चुची को मसल मसल कर, कभी माँ की मस्त जांघों को सहला सहला कर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था।

“आह्ह्ह्ह्ह … बेटा, ओह्ह्ह्ह्ह … बेटा… अह्ह्ह्ह्ह … मार राजा … चोद … चोद!”

और माँ ने दोनों पाँव उपर उठाए और मुझे जोर से अपनी ओर दबाया और माँ पस्त हो गई और हांफने लगी।

“बस बेटा, हो गया … निकाल ले … तूने खुश कर दिया!”

“माँ बोलती रही और मैं कुछ देर और धक्का लगाता रहा और फिर मैं भी झर गया। मैंने दोनों हाथों से चुची को मसलते हुये बहुत देर तक माँ के गालों और ओंठो को चूमता रहा। माँ भी मेरे बदन को सहलाती रही और मेरे चुम्बन का पूरा जबाब दिया। फिर उसने मुझे अपने बदन से उतारा और कहा,”बेटा, कपड़े पहन ले … सब आने बाले होंगे!”

“फिर कब चोदने दोगी?” मैंने चूत को मसलते हुये पूछा।
“अगले साल, अगर होली पर घर में मेरे साथ रहोगे!” माँ ने हंस कर जवाब दिया.
मैंने चूत को जोर से मसलते हुये कहा,”चुप रंडी, नखरे मत कर, मैं तो रोज तुझे चोदूँगा!”

“ये रंडी चालू माल नहीं है… तू कालेज जा कर उन चालू रंडियों को चोदना…” माँ कहते कहते नंगी ही किचन में चली गई।

मैंने पीछे से पकड़ कर चूतड़ों को मसला और कहा,”मां, तू बहुत मस्त माल है … तुझे लोग बहुत रुपया देंगे, चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाऊँगा।” मैंने माँ की गांड में अंगुली पेली और वो चिहुंक गई.
मैंने कहा,”रंडी बाद में बनना, चल साली अभी तो कपड़े पहन ले.”

“कमरे से ला दे … जो तेरा मन करे!” वो बोली और पुआ तलने लगी।

मैंने तुरंत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर माँ को पहनाया।
“साड़ी नहीं पहनाओगे?” माँ ने मेरे गालों को चूमते हुये कहा।
“नहीं रानी, आज से घर में तुम ऐसी ही रहोगी, बिना साड़ी के…”
“तेरे दादाजी के सामने भी?” उसने पूछा।
“ठीक है सिर्फ आज भर … कल से फिर साड़ी भी पहनूंगी।”
माँ खाना बनाती रही और मैं उसके साथ मस्ती करता रहा। Antarvasna

Hello , mera naam vishal hai ,mei kolkata ka rahne wala hoon , ye meri khani hai. Too baat hai jab mei kolkata mei college mei tha , 1 st year mei taab mei college bike se jata tha. Mei Kolkata mei akele rahta tha kyu ki humara ghar siliguri thi but mei studies ke leye kolkata mei ek flat mei rent pe rahta tha . Too jaab mei college ke 2 nd year mei paucha , taab humare flat mei ek family shift howi uss mei ek husband tha ek wife thi aur ek unkka chota ladka tha 5-6 saal ka . Jaab woo log shift howe , taab humhari pheli baar mulakat howi , woo husband ka naam yha Rahul , aur wife ka naam tha sheetal , too mei kada taar college mei classes subha taak karke dopeher taak flat laut aata tha , aur fir din bhar flat pe game kehlta tha , ek din jaab mei flat pe tha taab , door beel baji jaise mene khola , wahi bhabhi thi . 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Ye baat suun ke woo sharma gai aur muje poocha kya mei tumhe acchi lagti hio Mene haan mei saar hilaya fir woo boli kya tum mere saath aaj beer peyo gee , mene haan bola aur phat se beer order kardi , humne 3-4 bottle beer pii , bhabhi ko thoda nasha ho gaya tha taab mene unhhe acche se unkke flat taak chor aaya , aur mei apne flat pe aa gaya , Fir jaab raat ke 10 baje mei soone jane wala tha taab bhabhi ne fir se doorbell bajai , mene khola too unhone bola unke husband gusse mei ghar chorke unke bete ko leke gaon chale gae hai. Bola hai 2-3 din baad aao ga , aur woo rone lagi aur bolne lagi mei 2-3 din akele kaise rahogi muje daar lage ga raat koo. Too mene keeh deya aap mere saath sojana , too woo mere tarf dekhne lagi aur kaha saach mei mene haan bola aur unhhe appne room mei leke gaya aur appne bed pe sula dey fir mei jaab hall mei sofe pe soone jane laga taab bhabhi ne muje rooka aur bola tum bhi issi bed pe soo jao , mene mana keya but unho ne mera haat pakad ke bed pe appne bagal mei leta leya , fir woo muje bolne lagi mene too saare pehni hai iss mei muje neend nhi aaye gi kya tum muje appni koi tshir aur shorts de skate hoo mene unhe apni ek shorts aur t-shirt dedo change karne ke leye jaab mei bhar jane laga taab unho ne muje rook leya aur bola maat jao kahi yahi rakho , thoda sa dkeh bhi loge too kuch nhi hoga muje bura nhi lage ga aur ye bolke unko ne apni saare utyar di aab woo sirf bra aur panty mei thi ye dkeh ke mera khada ho agay aur mene appna lund pant ke uppar se hii masalne laga ye baat bhabhi ne bhi notice ki , aur mere pass aake boli kya tum meri ek fantasy poori karne mei help karo ge , mene khaa kya fantasy hau bhabhi aapki , too woo boli mei chati hoo tumeri armpit ko lick aur snif karo. Ye sunke mei aur jada horny ho gaya tha aur mene kaha iske badle muje kya mile ga , too woo boli mera poora body tera hai tuje joo karna hai karlena , ye bolke woo bed pe let gai , mei unkke uppar kud gaya aur unkke armpit koo snif karne laga muje bohot accha lag raha hai tha aur unke lick bhi kar raha tha fir delhere dhrer karke mene unkki poori body ko lick keya aur unki bra ko nikal deya , fir mene unsse poochaa muje pyas lag rahi hai kya mei pani pelo , taab unho ne mera saat pakad leya aur appne thighs ke beech mei pasha leya aur kaha Pelo mera pani aur appni pyas bhuja loo mene panty ke uppar se unki vagina lick karna start kar deya aur unki poori panti ko hii gali karde ya appne saliva se fir unkke poore body ko lick keya ek baar aur fir unkke poore body ko sniff keya , humne Ac 16 pe chali thi taab bhi humr pasina aa raha tha aur mei uskka sara pasina lick kar le raha tha fir unhone appni panti uttar di aur kaha pls , insert inside me , mene appna pant khula aur aapna dick unke vagina ke pass lake usse uppar rub karne laga , woo moan kane lagi aur muje kas ke palkad leya aur mere back pe strach karne lagi aur mere kaan mei kaha , pls fuck me insert it mene unkka slaiva aapne haat mei leya aur appne dick pe massage keya aur unkke vagina mei insert kardeya bohot maja aa raha tha unhhe pound karne mei 5-10 min baad mei jhadne wala tha too mene unhe bola taab bhabhi mei appne dard hi dal dene ko bola too mene unhi ke anadar aapna maal dal deya aur side mei let gaya , fir woo uthi aur boli mei apni bhi satisfied nhi hoo aur ye bole woo mere face pe baith gai aur bolne lagi eat me , aur muje amjbooranbunka vagina mei appna tounge dalna pada aur unhe neeche se khana pada mera maal bhi thoda saere muu mei chala , but koi nhi kyu kii unkii vagina ki khusbu mast thi mene usnhhe 10-15 minkahaya aur fir woo mere moo mei hii jahad gai aur mere bagal mei let gai , aur bolne lagi ur so good aur fir muje pakad ke soo gai .

प्रेषक :विनोद यादव Sex Stories

हाय मेरा नाम करण है. मैं कोटा राजस्थान Sex Stories का निवासी हूँ.
मैं आपके लिए एक नयी स्टोरी लेकर आया हूँ तो चलिए ज्यादा समय न ख़राब करते हुए कहानी पर आ जाते हैं.
यह मेरी सच्ची कहानी है.

कुछ दिनों पहले में एक महिला से मिला. उसका नाम जानवी था.
वह हमारे ऑफिस की की नयी बॉस थी और मैं उस ऑफिस में छोटा सा क्लर्क था.

जानवी काफी सुंदर नारी थी उसकी उम्र यही कोई 26 साल के लगभग होगी. उसका रंग दूध की तरह सफ़ेद था सही मायने में वह एक सुंदर हुस्न की मालकिन थी.

शुरू से ही वह मेरे काम से काफी इम्प्रेस थी और सारे ऑफिस के सामने मेरी काफी तारीफ की.
तो मैं मन ही मन सोचने लगा कि वह मुझे चाहने लगी है.

और मैं घर लौटा तो मेरी माँ की तबियत बेहद ख़राब थी.
तो मैंने ऑफिस से चार दिन की छुट्टी करने की सोच ली.

पर मैंने ऑफिस में छुट्टी की भी सूचना नहीं दी यह सोचा की जानवी मुझे कुछ नहीं बोलेगी और मुझ पर हमदर्दी जताएगी.
पर चार दिन बाद जब मैं ऑफिस पंहुचा तो मैं बस छूट जाने के कारण लेट हो गया था.

जब मैं ऑफिस पंहुचा तो ऑफिस का चपरासी मुझसे बोला- मैडम ने आपको उनके रूम में बुलाया है.

मैं टाई ठीक करता हुआ पंहुचा.
तो वह मुझे देख कर चिल्लाने लगी- रूल्स भी कुछ चीज होती है न!

मैंने माँ की तबियत ख़राब होने का एक्स्क्युज दिया तो वह बोली- तुम्हें एक ऍप्लिकेशन तो देनी चाहिए थी.
और वह मुझसे बोली कि अगली बार ऐसा नहीं होना चाहिए.
तो मैं सॉरी मैडम कह कर यह बोला- मैडम, अगली बार ऐसा नहीं होगा.

जब शाम को मैं घर जाने के लिए जब बस में बैठा और उससे बोला भी नहीं.
तभी मेरा ध्यान गया कि वह आज अपने स्टाप पर उतरी नहीं.

वह आज मेरे स्टाप पर उतरी और मुझसे आज ऑफिस में जो हुआ उसके लिए माफ़ी मांगने लगी.
और कहने लगी- अगर मैं तुम्हें नहीं डांटती तो ऑफिस के सभी लोगों को मुझ पर शक हो जाता.
तो यह सुनकर मैंने उसे माफ़ कर दिया.

फिर वो मेरे साथ चल पड़ी.

तभी उसने एक केले वाले से केले लिए और मेरे साथ वापस चल पड़ी.
मैंने उससे पूछा- यहाँ पर तुम्हारा भी कोई मिलने वाला रहता है क्या?
वो बोली- हाँ एक पागल सा लेकिन बड़ा प्यारा लड़का है. उसकी माँ की तबियत खराब है.

मैं उससे बातें कर रहा था, तभी मेरा घर आ गया तो मैं बोला- यह मुझ गरीब की कुटिया है. तुम्हें आगे जाना है क्या? यह गली काफी लम्बी है. मैं तुम्हें उस घर तक छोड़ आता हूँ जहाँ तुम्हें जाना है.
वह बोली- अरे बुद्धू … इतना भी नहीं समझे कि मैं तुम्हारे घर ही आई हूँ तुम्हारी माँ की तबियत पूछने!

मेरी माँ और बहन ने उसे बड़े सत्कार के साथ घर में बुलाया और उसे चाय और बिस्किट खिलाये.
फिर वो मेरी माँ से बात करते हुए बोली- मां जी, आज करण को काम से बाहर जाना पड़ेगा.
तो मेरी आई बोली- ठीक है बेटी, इस काम के वजह से तो मेरा घर चलता है.

वो साथ ही यह भी बोली- करण की कल ऑफिस से छुट्टी रहेगी.
तभी मैं सोचने लगा कि ऐसा कौन सा काम है जिसका जिक्र मैडम ने ऑफिस में नहीं किया.

तभी वह मुझसे उसके साथ चलने को बोली.

वह अचानक मुझे अपने घर ले गयी- तुम्हें कहीं काम से बाहर नहीं जाना है तुम्हें केवल आज रात मुझे खुश करना है.

यह सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ और अंदर जाते ही मैं उसे चूमने लगा.
तो वह बोली- इतनी जल्दी भी क्या है कुछ देर रुको!
और वो दौड़ कर दूसरे कमरे में चली गयी.

तभी उसके कमरे में रखा मोबाइल बजा.

मैंने फ़ोन उठाया तो एक धीरे से आवाज आयीं- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- कुछ नहीं.
मैंने पूछा- आप कौन हैं?
तो वह बोली- मैं तुम्हारी मैडम जानवी हूँ. मैं अंदर के फ़ोन से बोल रही हूँ.

और वह कहने लगी- अब हम कुछ देर ऐसे ही बात करेंगे.
मैंने कह दिया- ठीक है.

तो वह अचानक मुझे बोली- तुम अपने कपड़े उतारो और मैं भी उतारती हूँ.

मैंने अपने कपड़े उतारे और बोला- अब बोलो? मैंने कपड़े उतार दिए हैं.
वह बोली- कि सामने ड्रोर में एक स्प्रे पड़ा है उसे अपने लंड पर लगा लो.

मैंने जैसे ही उसे अपने लंड पर लगाया, मुझे अपने लंड पर ठंडक का अहसास हुआ और मेरा लंड लोहे कि तरह कड़क हो गया.

फिर वह फ़ोन पर मुझसे बोली- अब उस अलमारी में जो तुम्हारे पीछे है उसमें एक पट्टा पड़ा है, उसे गले में बांध लो.
मैं बोला- क्यूँ?
तो वो बोली- सवाल मत करो. मैं जैसा बोलती हूँ वैसा करो.

और मैंने वह पट्टा अपने गले में बांध लिया.
वह बोली- अब तुम मेरे पास आओ और मेरे साथ सेक्स करो.

मैं जैसे ही उसके पास जाने के लिए उठा तो वह बोली- ऐसे नहीं … जैसे कि एक कुत्ता चलता है, वैसे अपने हाथ और पैरों पर चलकर आओ.

मैं जैसे ही कमरे में घुसा तो मैं देख कर दंग रह गया.
मैडम बिलकुल निर्वस्त्र थी और उनके साथ चार और आदमी थे … वो भी बिना कपड़ों के … और सबने मेरी तरह गले में पट्टे पहन रखे थे.

और मैडम ने भी एक पट्टा पहन रखा था.
मैडम के पट्टे में हीरे लगे हुए थे. मैंने पहुँचते ही देखा कि मैडम चार लोगों के साथ सेक्स का मजा ले रही थी. एक उन्हें लंड चुसा रहा था, दूसरा उनके स्तनों से स्तनपान कर रहा था. तीसरा उनकी गांड और चौथा उनकी चूत में लंड डाले हुए था.

मैं देखकर दंग रह गया.

वो मुझे देख कर मुख से लंड निकालते हुए बोली- आओ करण, ये मेरी कुत्ता गैंग है. मैं इस गैंग की प्रधान और सेक्सी कुतिया हूँ. आज से तुम भी इस गैंग के भी सदस्य हो. कल से तुम पांचो मुझे सेक्स का मजा एक साथ देना.

फिर वह उन चारों आदमियों से कु कु कु कु करके बाहर जाने को कहने लगी.
और वो भी इसका जवाब भों भों भों भों करके बाहर चले गए.

फिर वह मुझसे बोली- तुम भी कल से कुत्तों की तरह बात करना.
इतना कह कर उसने मेरा लंड मुह में डाला और चूसने लगी.

फिर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और मैं उसकी चूत चाट रहा था.
तो वह कूं कूं कूं कूं की आवाज के साथ मेरा साथ देने लगी.

उसके बाद मेरे सामने कुतिया की तरह खड़ी होकर बोली- जैसे एक कुत्ता कुतिया को चोदता है, वैसे ही तुम मुझे चोदो.
फिर मैंने कुत्ते की तरह ही उसे रात भर में चार बार चोदा.

अगले दिन से हम सब कुत्ता गैंग के सदस्य उस प्रधान कुतिया (मेरी बॉस) की रोज चुदाई करते हैं.
अब मुझे इस तरह की चुदाई में बहुत मजा आता है.

कुछ दिनों बाद मेरी शादी है और मैं मेरी पत्नी की भी एक कुतिया की तरह चुदाई करूँगा. Sex Stories

Sex Stories

मैं राकेश, राजस्थान से, एक Sex Stories अच्छे व्यक्तित्व वाला और अच्छा दिखने वाला लड़का हूँ। मैं आप को एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ।

मेरा एक दोस्त है राहुल। राहुल और मैं साथ साथ पढ़े लिखे, मगर राहुल की शादी मुझसे पहले हो गई। राहुल एक पायलट है। उसकी शादी शिमला की निधि नाम की लड़की से हुई थी। वो जब भी बाहर जाता मुझे हमेशा कह कर जाता कि निधि का ख्याल रखना। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

एक दिन मैं भाभी के घर गया, दरवाज़ा बन्द था, मैंने बेल बजाई मगर कुछ देर तक कोई नहीं आया। कुछ देर बाद राहुल की 3 साल की बेटी ने दरवाज़ा खोला।
मैंने उससे पूछा- मम्मी कहाँ है?
तो वो बोली- मम्मी अपने कमरे में काम कर रही हैं, मैं उसके कमरे की तरफ़ गया, मुझे वहाँ कोई नहीं दिखाई दिया। मैं वापिस आ रहा था कि इतने में मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ आई- आ ऽऽऽआआ आआआऽऽऽ ऊऊऊमम्म म्मम्म!

मुझे आवाज़ अजीब सी लगी और मैं बाहर चला आया। कुछ देर बाद भाभी बाथरूम से बाहर निकली बिना कपड़ों के पूरी नंगी। उनको नंगा देख कर मेरा लण्ड जो कि 8 इन्च का है खड़ा हो गया। भाभी जल्दी से बाथरूम की तरफ़ भाग गई और तौलिया लपेट कर बाहर आई। मुझे काफ़ी डर लग रहा था कि भाभी मुझ पर चिल्लाएंगी। मगर भाभी मेरे पास आई और मुझसे कहने लगी- राकेश तुम कब आये?
मैं उनकी बातें समझ नहीं पा रहा था। मैंने भाभी से कहा- मैं चलता हूँ, फ़िर आऊँगा।

मैं घर पहुँचा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मुझे सारा दिन सारी रात भाभी का वही नंगा बदन याद आ रहा था। बार बार मेरा लौड़ा खड़ा हुए जा रहा था। मैंने उसे एक हसीन सपना समझकर भूलने की काफ़ी कोशिश की मगर भूल नहीं पा रहा था।

लेकिन एक दिन अचानक मेरे सेल पे भाभी का कॉल आया और उन्होंने मुझे घर आने को कहा। मुझे लगा कि शायद भाभी को कोई काम होगा इसलिये बुलाया है, मैं घर पहुँचा, मैंने दरवाज़े पर घण्टी बजाई, भाभी ने गेट खोला और मुझे अंदर आने को कहा। मैंने भाभी से पूछा कि श्वेता कहाँ है?
तो वो बोली- अपनी सहेली के घर गई है।
उन्होंने मुझे अपने कमरे में आने को कहा और मैं उनके पीछे चला गया।

मैंने वहाँ एक 18-19 साल की लड़की को देखा। मैंने भाभी से पूछा- यह कौन है?
तो भाभी बोली- ये मेरे मामा की लड़की है, कल ही शिमला से आई है। उसका नाम रानी है।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी! कुछ काम था जो आपने मुझे याद किया?
तो भाभी बोली- क्या काम होगा, तभी बुला सकती हूँ क्या?

मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि भाभी क्या चाहती हैं मुझसे। फिर मैं रानी से बातें करने लगा और धीरे धीरे वहो मेरे करीब आने लगी । उसने मेरे लण्ड पे हाथ रखा मेरा, लण्ड खड़ा हो गया। मैं बेकाबू हो गया, मैंने उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। मुझे कुछ ख्याल नहीं था कि मैं कहाँ और किसके घर में हूँ।

मुझमें और जोश आने लगा, मैं उसके स्तन जो कि काफ़ी छोटे और नरम थे ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा। वो मुझसे कहने लगी- धीरे करो राकेश!

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लण्ड बहुत तड़प रहा था। मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु किए और सारे कपड़े उतार दिये। उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिये, बस अण्डरवीयर उतरना बाकी था।

उसमें भी काफ़ी जोश आ चु्का था, उसने मेरा अण्डरवीयर फ़ाड़ दिया और कहने लगी- जल्दी डालो राकेश जल्दी डालो! मुझसे रहा नहीं जा रहा!

मैंने उसकी छोटी सी चूत में अपना लण्ड डाला, वो ज़ोर से चिल्लाई- राकेश! आऽऽऽऽ आआ आअह्ह ह्हह बाहर निकालो!

इतने मैं भाभी आ गई और उन्होंने हम दोनों को नंगा देखा तो उनमें भी जोश आ गया और वो भी अपने कपड़े उतारने लगी। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।

फिर उन्होंने मुझे अपने बेड पे धकेल दिया और मेरे ऊपर रानी को बैठाया और कहने लगी- अपना लण्ड इसकी चूत में डालो! मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। वो फिर ज़ोर से चिल्लाई- आआऽऽऽ ह्हह्ह ह्हह…! राकेश धीरे!

मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था, मैंने ज़ोर ज़ोर से चूत मारना शुरु कर दिया।

वो चिल्लाने लगी- आआआअ… ह्हह् ह्ह…ई… ऊउ… हाय रे…!
मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा। 10-12 शॉट के बाद मेरा माल निकल गया और उसकी चूत में से खून निकलने लगा, वो डर गई मगर भाभी ने कहा- कुछ नहीं पहली बार ऐसा ही होता है।

उसके बाद मैं अपने कपड़े पहन ही रहा था कि भाभी मुझसे कहने लगी- नहीं राकेश! रुको! अभी मैं बाकी हूँ!
मैं उस दिन काफ़ी जोश में था। अब भाभी मेरे ऊपर थी और मैं उनके होंठों पे किस कर रहा था। मुझमें काफ़ी जोश आ रहा था। वो मेरे लण्ड को चूसने लगी।

आआआआ… ह्हह्ह ह्हह… ओ… ह… ह्ह्हह्ह हह्हह्ह… प…पप्पप्पु… स्सस स्सस्स… ह्हह्ह ह्हह।
मुझे काफ़ी मजा आ रहा था। उन्होंने मुझमें और जोश ला दिया। फिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपना लण्ड भाभी की चूत में डाल दिया।
वो कहने लगी- राकेश तुम में काफ़ी जोश है! मेरी प्यास बुझा दो।

मेरे दिलो-दिमाग पे भाभी छा रही थी, मैं भी बेकाबू हो गया था। मैं शॉट मारने लगा।
भाभी आआआआ आआअ…न… इ…स…ए… जी…तु… कहने लगी।

मैं और ज़ोर ज़ोर से शॉट मारने लगा। उन्हें काफ़ी मजा आ रहा था। वो कम ओन राकेश…कम ओन राकेश…डू इट! कह रहि थी और मैं पूरे जोश से शॉट मार रहा था, लेकिन इस बार मेरा माल बाहर नहीं आ रहा था। मैं और ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा।
भाभी आआ…ह… ह्हह्ह… ऊऊऊओ… स…सओ… म…ए… राकेश! कहे जा रही थी।

15 बार शॉट मारने के बाद मेरा माल निकल गया और फिर कुछ देर के लिये मैं उनसे लिपट गया। उसके बाद मैंने कपड़े पहने और भाभी से कहा- मैं अब घर जा रहा हूँ!
भाभी कहने लगी- राकेश आते रहना!
और उसके बाद हमारा सिलसिला ऐसा ही चलता रहा।

लेकिन एक दिन राहुल का तबादला दिल्ली हो गया और हम दोनों जुदा हो गये।
मुझे आज भी भाभी की याद सताती रहती है और साथ साथ रानी कि भी जो शिमला वापिस चली गई।
मुझे आज भी किसी भाभी का या किसी रानी का इन्तज़ार है!

आपको मेरी कहानी कैसी लगी?
आपका यह दोस्त राकेश फिर एक कहानी लेकर आपके सामने जल्द ही हाज़िर होगा! Sex Stories

Antarvasna Stories

यह उस समय की बात है Antarvasna Stories जब मैं पढ़ता था। गर्मियों के दिन थे, मैं अपनी एक कॉपी अपनी अंग्रेजी की टयूशन टीचर के घर पर भूल आया था। मैं दोपहर को दो बजे अपनी कॉपी लेने टीचर के घर गया।

पहले मैं यह बता दूँ कि मेरी टीचर की उमर 30-32 साल के आस पास होगी और वो शादीशुदा हैं। जब भी मैं टयूशन जाता था तो वो मुझे अजीब नज़रों से देखती थीं और जब भी मौका मिलता था तब मुझको अपने से चिपका लेती थीं।

जब मैं उनके घर पंहुचा तो दरवाज़ा खुला हुआ था। मैं दरवाज़ा खोल के अन्दर गया और मैडम के कमरे में घुस गया। मैंने देखा कि वो पारदर्शी सलवार और कुरते में लेटी हुई थीं। उन्हें देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उन्हें नमस्ते की और उनके पास जाकर बैठ गया। मैंने उन्हें बताया कि मेरी कॉपी रह गई थी और मैं उसी को लेने आया हूँ।

वो टीवी पर एक फिल्म देख रही थीं, तभी उसमें एक गरम दृश्य आ गया। उन्होंने कस कर मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे दबाने लगीं। मेरा तो वैसे ही हाल बुरा था और अब तो मेरी धड़कने और भी तेज़ हो गई।

उन्होंने उठ कर अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझसे बोलीं- हाय! मैं तो कबसे इस इंतज़ार में थी कि तुम मेरी प्यास बुझाओ। मेरे पति तो हमेशा बाहर रहते हैं और मैं तड़पती रहती हूँ मैं भी अपनी मैडम की एक बार लेना चाहता था और आज मुझे मौका मिल गया।

वो मेरे पास आकर बैठ गईं और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को मसलने लगीं। मैं भी अपने हाथों से उनकी चूचियाँ दबाने लगा और अपने होंठ उनके लाल-लाल होठों पर रख दिए। वो मेरे होंठ चूसने लगीं। मैंने इससे पहले कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया था।

करीब दस मिनट तक यही चलता रहा। फिर उन्होंने मेरी पैंट खोल दी और मेरे लंड को बाहर निकाला। हालाँकि मैं बहुत छोटा था पर मेरा लंड तब भी काफी बड़ा और मोटा था। वो मेरे लंड को देख कर चौंक गईं, बोलीं- तुम्हारा लंड तो मैंने जितना सोचा था उससे भी बड़ा है!

और यह कहते हुए उनहोंने मेरे लंड पर अपना मुँह लगा दिया। वो काफी देर उसे चूसती रहीं।

फिर मैंने उनसे कहा- बस यही करना है क्या?

और मैंने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। जैसे ही मैंने उनकी ब्रा खोली, उनकी चूचियाँ उछ्ल कर बाहर आ गईं, मैं तो दंग ही रह गया। इतनी बड़ी चूचियाँ मैंने पहली बार देखी थीं। मैंने झट से उन्हें मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मैंने उनकी पैंटी के अन्दर हाथ डाला और उनकी चूत को रगड़ने लगा।

वो मस्त हो कर आह ऊई ओह! चिल्लाने लगी।

फिर उन्होंने भी मेरे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों बिलकुल नंगे थे।
मैंने उनसे कहा- मुझे सेक्स करना नहीं आता!
तो उन्होंने कहा- मैं सिखा दूंगी।

फिर उन्होंने मुझे उनकी चूत चाटने को कहा।
पहले तो मैंने मना किया कि मुझे यह गन्दा लगता है, पर बाद में मैं मान गया। मैंने अपने नरम नरम होंठ उनकी चूत पर लगा दिए और कस-कस के चूसने लगा। वाह क्या खुशबू थी।

मैं अपनी जीभ उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। वो पलंग पर लेटी हुई सिसकियाँ भर रहीं थीं। मैं उनके ऊपर गया और उनके होंठ चूसने लगा, साथ ही साथ अपनी ऊँगली उनकी चूत में डाल कर हिला रहा था, तभी मेरे हाथ में कुछ पानी सा आने लगा। मैंने देखा कि मैडम झड़ चुकी थीं। मैंने उनकी चूत का पानी अमृत जल समझ कर चाट लिया।

फिर हम उठे और मैडम मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगीं। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त था। फिर वो अपनी टांग चौड़ा कर लेट गई। मैं समझ गया कि अब क्या करना है क्यूंकि मैं काफी ब्लू फिल्म देख चुका था।

मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया। वो आहह्ह्ह ऊहहह करने लगीं। क्यूंकि वो पहले चुद चुकी थीं इसलिए मेरा लंड आसानी से अन्दर चला गया। फिर मैं उन्हें झटके देने लगा। सारा कमरा फच-फच की आवाजों से गूंज उठा। मैडम भी मस्त होकर सिसकियाँ भरने लगीं। उसी में मैडम दो बार और झड़ गईं।

तभी मुझे लगा कि मेरा लंड फूल रहा है और बाहर नहीं आ पा रहा है।
मैंने मैडम को बताया तो उन्होंने कहा- तुम पानी छोड़ने वाले हो!
मैंने कहा कि उससे तो आप प्रेग्नेंट भी हो सकती हो!
तो वो मेरे भोलेपन पर हंसती हुई बोलीं- कोई बात नहीं! मैं तो एक हफ्ते पहले ही अपने पति से चुदी हूँ! किसी को शक नहीं होगा!

इसी बीच मैंने पानी छोड़ दिया और निढाल होकर एक ओर लुढ़क गया। पर अभी भी थोड़ा सा पानी मेरे लंड में बचा था। मेरी मैडम ने मेरा लंडा हिलाया तो एक ज़ोरदार धार निकली और मेरा अमृत रस उनके मुहँ में भर गया। फिर उन्होंने मेरा लण्ड और जांघ चाट कर साफ़ किये। फिर मुझे बाथरूम में ले जा कर नहलाया और नहाते समय भी मज़े लिए।

मैंने भी नहाते समय उन्हें खूब रगड़ा। फिर मैं अपनी कॉपी लेकर घर चला गया।

उसके बाद भी मैंने उन्हें कई बार चोदा पर बाकी कहानी अगले अंक में!

आपसे विदा लेता हूँ!!
धन्यवाद। Antarvasna Stories

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