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Massage Girl in Almora: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Almora who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Almora that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Almora massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Almora who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Almora massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Almora massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Almora who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Almora employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Almora helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Almora

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Almora at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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सुनीता रॉय Indian Sex Stories

मैं अपने पाठकों से देरी के लिए माफ़ी Indian Sex Stories चाहती हूँ !और शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ र्वासना की पूरी टीम का कि उन्होंने मेरी कहानी अधूरी होने के बावजूद प्रकाशित की।

मैं अपनी पिछली कहानी टीचर्स डे में एक जगह ऐसी छोड़ी थी जहाँ पे में चाहती थी कि मेरे पाठक मुझसे सवाल करें…पर वो सवाल केवल मुझे एक ही इन्सान ने पूछा था .. जिसका जवाब मैं उन्हें दे चुकी हूँ .!!

साथ ही मेरी मेरे पाठकों से गुजारिश है कि मेरी कहानी पढ़के ये ना सोचें कि मैं एक अदद पार्टनर की तलाश मैं हूँ मैं जैसी हूँ सम्पूर्ण हूँ .. मुझे किसी की जरूरत नहीं इसलिए मुझे भद्दे और अश्लीलता भरे मेसेज ना करें, मेरी मेरे पाठको से इल्तिजा है की वो अगर ईमेल करके अपने विचार प्रस्तुत करेंगे तो अच्छा रहेगा.

अब कहानी पे आते हैं ..

टीचर्स डे के अगले दिन रविवार था यानि छुट्टी .. मैं सारा दिन उसके बारे मैं सोचती रही कि वो ऐसा क्यूँ है… जब मैं उस से बात नहीं करती तो मुझे दूर से निहारता है और जब मैं उसे अपनी और आकर्षित करती हूँ तो मुझे डांट देता है…

रात होते होते मैंने ये तय किया कि मैं उस से कल जाके बात करुँगी…

मैं अपने स्कूल की हेड गर्ल थी और सुबह पहले पीरियड से पहले और प्रार्थना के बाद मैं और मेरा एक सीनियर जो हैड बॉय था स्कूल का राउंड लगाते थे ये देखने के लिए की किसी क्लास में कोई दिक्कत तो नहीं है या कोई अध्यापक अगर अनुपस्थित है तो किस टीचर को उस क्लास में भेजना है.

मैं सीनियर हेड गर्ल थी तो मुझे 8 वीं क्लास से लेकर 12 वीं क्लास तक का राउंड लगना होता था .. और जूनियर हेड बॉय और हेड गर्ल जो 7वीं क्लास के थे वो पहली से लेकर 7 वीं क्लास का राउंड लगाते थे.

इसी तरह हर क्लास से होते हुए मैं अंत में 12 वीं क्लास के कामर्स सेक्शन में पहुँची… अटेंडेंस चेक करने के बाद बच्चों को काउंट किया और डायरी में नोट किया उसके बाद क्लास के मॉनिटर को बुलाके क्लास की कन्डीशन के बारे में पूछा (ऐसा हम हर रोज़ करते थे क्यूंकि 12 वीं में सब सीनियर होते हैं और सेनियर स्कूल अथॉरिटी की चीजों का नुकसान भी बहुत करते हैं जैसे कि ट्यूब लाईट तोड़ना या फ़िर खिड़कियों के शीशे तोड़ना ) उसके बाद .. मैंने सभी हौसेस के कैप्टेन्स को बुलाया ये बताने के लिए कि अगले महीने एन्नुअल फंक्शन है और इस बार मॉनीटरिंग कमिटी कि मीटिंग में डिस्कशन होगा और सब लोग अपने अपने हॉउस की तैयारी करके आएंगे.

(आपको बता दूँ हमरे स्कूल में 5 हॉउस थे पृथ्वी-भूरा, अग्नि-पीला, जल-नीला, आकाश-लाल, मोक्ष-गुलाबी..जिनके अपने अपने कलर की टी -शर्ट थी .. जोकि बच्चे बुधवार और शनिवार को सफ़ेद पैन्ट/ स्कर्ट के साथ पहनते थे। हर विद्यार्थी किसी ना किसी हाऊस से जुड़ा था। वरुण्जल हाऊस का कैप्टन था और मैं मोक्ष हाऊस की। गुलाबी मेरा पसन्दीदा रंग है। )

हमें ऊपर से सभी हाऊस के कैप्टन्स से सम्पर्क करने के आदेश थे। जब सभी कैप्टन्स अपनी अपनी सूचनाएं ले कर वापिस जाने लगे तो मैंने वरुण को रोका और कहा कि रिसैस में आकर मुझसे मिले अतिरिक्त सूचना के लिए, क्योंकि बार बार उसकी कक्षा में जाने से सबके मन में शक़ पैदा होता, इसलिए मैंने उसे इस तरह बुलाया था।

वो रिसैस में मेरी कक्षा में आया। इससे पहले कि मैं उससे कुछ कहती, उसने मुझे कहा कि मुझे पता है कि तुम्हें क्या कहना है। मैंने उस से पूछा कि क्या कहना है मैं भी तो जानू?

तो उसने कहा तुम मुझे थंक्स करना चाहती हो न कि उस दिन मैंने तुम्हें बारिश में तुम्हारे घर तक ड्राप किया .. एक बार तो में सकपका गई कि जो मैं कहना चाहती थी वो भी नहीं कहने दिया और जाने क्या राग अलापे जा रहा है ..

और हडबडाहट में मैंने कहा हाँ मैं यही कहना चाहती थी. बस मेरी मुंह से ये सुन के वो चला गया… मुझे बहुत गुस्सा आया ..

अगले हफ्ते मॉनीटरिंग कमेटी कि मीटिंग थी .. एक बड़ी लम्बी मेज़ थी जिसके एक तरफ़ सभी कक्षाओ के मोनिटर्स बैठे और एक तरफ़ हाउस के कैप्टेन्स और वाइस कैप्टेन्स। एक तरफ़ मैं थी और मैं ठीक उलटी साइड पर मेरा साथी था मीटिंग में ये तय हुआ कि ऑडिटोरियम, लाईट्स, साउंड, म्युझिकल इंस्ट्रुमेंट्स का प्रबंध स्कूल की तरफ़ से होगा और परफॉर्मेंस के आधार पर अंत में ग्रुप और सोलो ईनाम बांटे जायेंगे. ईनाम में एक घड़ी दी जायेगी सोलो पेरफोरमेर्स को और ग्रुप परफॉर्मेंस के सभी प्रतिभागियों को एक एक पारकर का पेन दिया जाएगा और कोई भी ग्रुप 5 लोगों से ज्यादा का नहीं होगा।

ज्यूरी में हमारी स्कूल की प्रधानाचार्या, मुख्य अतिथि, ड्रा से नाम निकाले हुए 2 अभिभावक और 2 अध्यापक होंगे. साथ ही होस्ट और होस्टेस का नाम भी हम ही निश्चित करेंगे उनके लिए नोटिस बोर्ड पे वोलंटियर्स को आगे आने का मौका दिया जाएगा.

कुछ दिनों बाद अलग अलग परफॉर्मेंस के ऑडिशन शुरू हुए उनमें से हमने 6 ग्रुप फाइनल किए जिनमें से 4 प्ले फाइनल में जाने के लिए चुने गए.

सोलो में हमने 4 सिंगेर्स और 4 डांसर्स को चुना. 2 लड़के दो लड़कियाँइन दोनों ही भागों में. उसके बाद पिछले साल के सबसे अच्छे शैक्षणिक प्रदर्शन के लिए इनाम में स्वर्ण रजत और कांस्य पदक देने पर विचार हुआ और खेल में भी इसी तरह करने की योजना तय हुई. जो कि प्रधानाचार्या और हमारे मुख्य अतिथि बच्चों को उनके माता पिता के साथ प्रदान करेंगे. उसके बाद अंत में एक जोरदार प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम रखने का प्रस्ताव आया ताकि सभी लोग मुस्कराते हुए साल को अलविदा करें. साथ ही वार्षिकोत्सव के निमंत्रण पत्र ठीक एक सप्ताह पहले सभी बच्चों के माता पिता के पहुँचा दिए जायें ताकि वो उस दिन का कोई अन्य कार्यक्रम न रखें.

होस्टेस के लिए कोई उपयुक्त लड़की न मिलने पर सभी ने सर्व सम्मति से ये मन कि होस्टेस के लिए मुझे ही आगे जन होगा. और जो प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम था वो वरुण के जिम्मे लगाया गया.

धीरे धीरे वक्त गुज़रा और वार्षिकोत्सव का दिन आ ही गया हम लोग सभागार के मंच के एक दम पीछे थे सभी बच्चों को धीरज बंधा रहे थे कि मंच पे जाके घबराएँ नहीं.

मैंने एक गुलाबी रंग का पटियाला सलवार कमीज़ पहनी थी और बाल खुले थे कानों में प्लेटिनम टोप्स और चेहरे पे सिर्फ़ काजल और लिप गार्ड थी। वरुण ने सफ़ेद कुरता और ब्लू जींस पहनी थी. परदा खुला और मैंने शुरुआत की और सभी का स्वागत करते हुए सबको शान्ति पूर्वक बैठ जाने को कहा और सरस्वती वंदना से वार्षिकोत्सव का शुभ आरंभ किया.

सभी कार्यक्रमों के मंचन के बाद वरुण की बारी थी उसके स्टेज पे आते ही पूरा सभागार ठहाकों से गूँज उठा पहले मैंने उसे नहीं देखा पर दर्शकों के हँसने की आवाज सुनते ही मैंने गर्दन घुमा के जब उसकी तरफ़ देखा तो नाक पे चेरी जैसा कुछ था आंखें लाइनर से जबरदस्ती बड़ी बना राखी थी गलों पे जोकर जैसा गुलाबी रंग था और कपड़े… लाल रंग की निकर और पीले रंग की पोल्का डोट्स की शर्ट पहनी जिस पे फ्लेयर्स लगे थे वो पूरा एन्टीक पीस लग रहा था, और ऐसे चल रहा था जैसे सच मुच के जोकर चलते हैं.

फ़िर उसने मेरी तरफ़ देखा और गिर गया जान बूझ कर और मेरे पास आ के बोला जी क्या मैं ले सकता हूँ… मैंने कहा क्या .. उस वक्त माइक ओन था. सब लोग सुनते ही हंस पड़े .. फ़िर कहने लगा जी मैं तो माइक की बात कर रहा हूँ.

उसे माइक सौंप के मैं परदे के पीछे चली गई और फ़िर जो उसने अपने चुटकुलों से समां बंधा कि मैं परदे के पीछे होते हुए भी अपनी हँसी नहीं रोक पा रही थी। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि हमारे कार्यक्रम का ये भाग इतना सफल होगा उसने कई सवाल किए जैसे कि

दुनिया मैं ऐसा कौन सा गेट है जिसमें कोई घुस नहीं सकता >> कोलगेट
ऐसी कौन सी कली है जो कभी नहीं खिलती >>> छिपकली

उसका कार्यक्रम ख़त्म होने ही वाला था कि अचानक फायर अलार्म बजने लगा. जल्दी जल्दी मैं सभी को सभागार से निकाल कर पास के ही एक मैदान मैं ले जाया गया.

मैं और मेरे साथ के समिति के सदस्य सभी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे .. और सभी अभिभावकों को अपने बच्चे घर ले जाने की इजाज़त दे दी गई. सब घर चले गए. अगले दिन क्लास में ये अफवाह सुन ने को मिली कि सभागार की किचेन के पास जो फायर अलार्म था वो बजा था और शायद गैस के धुंए की वजह से फायर अलार्म बज उठा हो.

पर बाद में जब प्रधानाचार्य ने आके असेम्बली में खेद प्रकट किया और हमें सूचित किया कि हमारे स्कूल का हेड बॉय शौचालय में धुम्रपान कर रहा था जिस वजह से फायर अलार्म बजा चूँकि किचेन और शौचालय दोनों पास ही थे इसीलिए इस बात का पता नहीं लग पा रहा था कि वजह क्या थी.

उसके बाद CCTV से देखा गया कि अलार्म की आवाज़ आते ही हेड बॉय शौचालय से निकला उसके हाथ में अधजली सिगरेट थी उसने जमीन पे फेंकी और बुझा दी और बाहर की तरफ़ चला गया. इस मामले में हेड बॉय को 10 दिन के लिए स्कूल से निकाल दिया गया. और सबसे खुशी की बात तो ये थी हेड बॉय के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार वरुण ही था उसके बाद.
तो जाहिर सी बात है उसे हेड बॉय बना दिया गया. और हम रोज़ साथ में स्कूल के चक्कर लगते और धीरे धीरे हम दोस्त से अच्छे दोस्त बन गए. दोस्त होने के बावजूद हम में एक दम दुश्मनों की तरह लडाई होती थी.

हालांकि हम एक दूसरे के विचारों से सहमति जताते थे पर फ़िर भी हममें लड़ाई कुछ ऐसी बातों पर होती थी जिन्हें कोई सोच भी नहीं सकता था। ऐसा ही एक मुद्दा था मेरी स्कूल ड्रेस की स्कर्ट का साईज़… बढती हाईट के साथ मेरी स्कर्ट छोटी हो चुकी थी और अब वो मेरे घुटने से ऊपर आने लगी थी।
जब मैंने मां से नई स्कर्ट लाने की बात की तो उन्होंने यह कह कर टाल दिया कि अगले साल तो तुम्हारा स्कूल खत्म ही हो जाएगा तो सिर्फ़ एक साल के लिए मैं तुम्हें नई स्कर्ट लेके दूं? और मामला वहीँ दब गया.

फ़िर एक दिन मैं गेम्स पीरियड में ग्राउंड में बास्केट बाल खेल रही थी अब बास्केट में बाल डालने के लिए उछलना तो पड़ता है, तो जब बाल मेरे हाथ में आती और मैं बास्केट में डालती तो सब लड़के टक टकी लगाये मेरी जांघों को निहारने लगते ..

मुझे भी अजीब सा महसूस होता था कि बार बार मुझे ही क्यूँ मोका मिल जाता है बाल को बास्केट में डालने का .. वहीँ कुछ दूरी पर से वरुण स्टाफ रूम की तरफ़ जा रहा था उसके हाथ में नोटबुक्स थी नोटबुक्स स्टाफ रूम में रख के आने के बाद वो थोड़ी देर के लिए मेरा गेम देखने के लिए रुक गया और ये बात उसने नोटिस कर ली आख़िर लड़का है लड़कों की आदत नहीं जानेगा तो और किसकी जानेगा।

उस वक्त उसने मुझे पास बुलाके सिर्फ़ छुट्टी के समय रुकने को कहा कि उसे कोई बात करनी है। मैं आखिरी पीरियड टक यही सोचती रही कि आखिर उसे ऐसी क्या खास बात करनी है जो वो तब नहीं कर सकता था।

मैं छुट्टी के बाद गेट पे उसका वेट कर रही थी वो अपने फ्रेंड्स के साथ था .. मुझे देख उसने अपने फ़्रेन्ड्स को जाने के लिए कहा और कहा कि वो शाम को उन्हें कॉल करेगा.

मेरे पास आते ही उसने सीधे बोला ..’ मेरे पास दाल नहीं गली तो अपने क्लास के लड़कों को रिझाने मैं लगी हो ..’ मैंने उसे अजीब तरह से देखते हुए कहा,’ क्या बोल रहे हो दिमाग तो ठीक है .. पहले सोचो तोलो और फ़िर बोलो कि बोल क्या रहे हो…’

तो फ़िर कहने लगा तुमरे पास स्कर्ट लेने के पैसे नहीं है तो मेरे डैड की गारमेंट फैक्ट्री है मैं बनवा देता हूँ .. .बस ये सुनने की देर थी मेरा हाथ उस पे उठ गया पर उसने मेरा हाथ रोक लिया और मैंने कहा कि .. तब से देख रही हूँ बेसिर पैर कि बातें किए जा रहे हो .. अपनी हद मैं रहके बात किया करो .. जो कहना है साफ साफ कहो .. मुझे जलेबी कि तरह सीधी बातें समझ नहीं आती।

कहने लगा- तुम्हें नहीं लगता तुम्हारी स्कर्ट कुछ ज्यादा ही छोटी है? तो मैंने कहा इसमें लगने वाली क्या बात है वो तो छोटी ही है .. तो मुस्कुराते करते हुए कहता- तुम्हें ज़रा भी शर्म है के नहीं तुम्हारी क्लास के लड़के जाने तुम्हें कैसे देखते हैं जैसे तुम कोई नुमाइश की चीज़ हो !

तो मैंने कहा तुम्हें क्यूँ इत्ती जलन हो रही है अगर वो मुझे देखते हैं तो .. कुछ देर सोचने के बाद हडबडाते हुए बोला ‘तुम मेरी दोस्त हो तुम्हें हो न हो मुझे अपने दोस्तों की बहुत फिकर है और हाँ कल से अगर ये स्कर्ट पहन के आना हो तो प्लीज़ नीचे स्टाकिंग्स पहन के आना ..अब घर जाओ तुम्हें देर हो रही होगी और मैं रिक्शा से घर चली गई।

कुछ दिन बाद टेनिस टूर्नामेंट था जयपुर में हमारे ही स्कूल की जयपुर वाली ब्रांच में ..हमारे शहर में हमारा स्कूल टॉप पे था और इसीलिये हमें टूर्नामेंट के लिए बुलाया गया था .. वरुण का नाम सेलेक्ट हुआ था और उसके साथ कोई वंशिका नाम की लड़की थी जिसे मिक्स्ड डबल्स मैं उसके साथ खेलना था .. (ये बात वरुण ने ही मुझे बताई थी )

वंशिका !!! बेहद खूबसूरत चार्मिंग और फ़ैशनेबल लड़की थी उसके बाल करली थे और कमर से झूलते रहते थे, रंग सांवला, आँखों में मोटा मोटा काजल, नाक में सानिया मिर्जा टाइप नथ और कानों में बड़े बड़े बाले होते थे टाई हमेशा कालर से नीचे लटकती हुई शर्ट के ऊपर के दो बटन खुले हुए स्कर्ट इतनी छोटी कि किसी को नीचे झुक के देखने की जरूरत न पड़े पैरो में व्हाइट स्पोर्ट्स शूज़ टखने तक की जुराबें, कलाई पर अदीदास और नाइकी के बैंड्स. इसमें कोई शक नहीं कि वंशिका पूरे स्कूल में सबसे अच्छा टेनिस खेलती है। हालांकि कई और लड़कियां, जिनमें मैं भी हूं, अच्छा टेनिस खेल लेती हैं।

मैंने उसे वरुण के साथ प्रक्टिस करते हुए देखा था कई बार शाम को वरुण और वंशिका साथ में स्कूल ग्राउंड में प्रक्टिस के लिए जाया करते थे और मैं कभी कभी अपनी ट्युशन गोल करके उसे देखने जाया करती थी कि कहीं वंशिका मेरी जान पे डोरे तो नहीं डाल रही !

वरुण किसी लड़की के हाथ में आने वालों में से नहीं था। तब तक मैं उसकी बेस्ट फ्रेंड बन चुकी थ। हम दोनों बहुत झगड़ते थे पर बात किए बगैर रह भी नहीं सकते थे. 6 नवम्बर को वरुण और वंशिका को जयपुर के लिए निकलना था प्रशांत सर के साथ. 4 नवम्बर को मुझे 7 वें पीरियड में गेम्स रूम से बुलावा आया. वहां पे प्रधानाचार्या भी थी.

सर ने मुझसे पूछा कि क्या तुम टूर्नामेंट के लिए जाना चाहती हो. मैं कुछ समझ नहीं पाई और मैंने कहा कि सर वंशिका ने बहुत प्रक्टिस की है इस टूर्नामेंट के लिए, इसीलिए प्लीज़ उसे जाने का मौका दिया जाए।

पर उन्होंने मुझे बताया कि वंशिका के पैर में कल दोपहर को खेलते समय मोच आ गई थी शाम को एक्स-रे के बाद पता चला है कि उसका पैर भागते वक्त मुड़ने कि वजह से फ्रक्चर हो गया है और सेकंड बेस्ट प्लेयर रुपाली का मैच दूसरे स्कूल के साथ है इसीलिए वो भी नहीं चल सकती .. तो बची सिर्फ़ तुम क्या चल सकती हो तुम ..पहले मैंने बहाना बनाया सर मेरी ज्यादा प्रक्टिस भी नहीं है तो सर ने मुझे यह कहकर आश्वस्त किया वरुण अच्छा खेलता है तुम्हें उसके साथ खेल के कुछ न कुछ सीखने को ही मिलेगा.

मैंने हालात सुन के हाँ कर दी मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था .. और फ़िर अपने स्कूल का नाम रोशन करने का इस से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है और सोने पे सुहागा तो ये था कि वरुण का साथ मिलेगा पूरे तीन दिन ..!!

शायद भगवान् भी यही चाहते थे कि हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझें इसीलिए उन्होंने हमें आपस में घुलने मिलने का एक स्वर्णिम अवसर दिया था। सुबह 8 बजे हमने जयपुर जाने वाली बस ली। बस में काफी भीड़ थी इसीलिए बैठने कि सीट नहीं मिली। सर हमसे कुछ ही दूरी पर खड़े थ… वरुण और मैं दोनों साथ में खड़े थे मैंने पय्जामी और कमीज़ पहनी थी और उसने जींस और टी शर्ट। वो क्यूट लग रहा था। भीड़ हर स्टैंड के गुजरने के साथ बढती जा रही थी।

जैसे ही बस में ब्रेक लगती मेरा कन्धा उसके बाजू से टकराता था और में तुंरत पीछे हो जाती थी। उसे भी पीछे से धक्के लग रहे थे और मुझे भी. हम दोनों इतने करीब थे कि उसकी सांसें मेरे माथे को छूकर गुज़र रही थी। उसके सांसों की खुशबू लेते ही कुछ पल के लिए मुझे स्वर्ग में होने का एहसास होता।

फ़िर हमारे पास वाली एक सीट से एक अंकल उठे, उनका स्टाप आ गया था वरुण झट से बैठ गया (वो बहुत ही फुर्तीला है ) दो सीट आगे एक बूढी आंटी खड़ी थी, उसने उन्हें पास बुलाया और उन्हें सीट दी. ये देख कर में दंग रह गई कि उसके माँ बाप ने उसे कितने अच्छे संस्कार दिए हैं. वो जानता है कि बडो बूढों का आदर सम्मान कैसे किया जाता है। अब मेरे दिल में उसके लिए प्रेम ही नहीं इज्ज़त भी बढ़ गई थी। इसी बीच मैंने देखा कि हमारे अध्यापक को भी बैठने की जगह मिल गई थी।

जैसे कैसे कुछ स्टैंड के बाद हम दोनों को सीट मिल गई और हम बैठ गए। वो खिड़की की तरफ़ बैठा था. हवा का झोंका आते ही मैं उसके बदन की खुशबू को साफ महसूस कर सकती थ॥ मैं खिड़की से बाहर देखने के बहाने से उसे निहार रही थी कि वो कैसे हवा से गिरते अपने लंबे बालो को गालों पर से किस तरह से समेट रहा है।

फ़िर जब थोड़ी देर बाद उसे लगता कि मैं उसे देख रही हूँ तो मैं इस तरह खिड़की से बाहर देखती जैसे मैंने कुछ देखा ही न हो. फ़िर अचनक रास्ते में मौसम बेहद खुशगवार होने लगा आसमान में बदल छा गए मधुर मधुर हवा चलने लगी।

मैंने उस से कहा कि प्लीज़ मुझे बैठने दो .खिड़की पे ..
बहुत बार कहने के बाद उसने मुझे बैठने दिया. मैंने अपने बाल खोल लिए। अब मेरी लम्बी लम्बी जुल्फें हवा में लहराने लगी जो कभी उसके गालों को चूमती तो कभी उसके बदन से लिपट जाती.
वो मेरे बालों को हटाने की नाकाम कोशिश करता रहा. पर हवा काफी तेज़ थी. फ़िर मैंने आसमान से हलकी हलकी रिम झिम फुहारें गिरती देखी. और थोड़ा सा सूरज भी निकला था तब.
मुझे सिर्फ़ इन्द्रधनुष का इंतज़ार था। रेनबो तो नहीं पर एक मोर नाचता हुआ जरूर दिखा जिसे देखने की इच्छा में उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर अनजाने में रख दिया . जिसके लिए उसने मुझसे बाद में माफ़ी भी मांगी. हमारे सर जो आगे कहीं बस में खर्राटे भर रहे थे.

वरुण के साथ वक्त बहुत अच्छा गुज़र रहा था. उसने मुझे हंसा हंसा के मेरे गालो में दर्द करवा दिया. इसी बीच उसने मुझसे पूछा कि तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड नहीं है.

मैंने कहा- नहीं.
उसने कहा तुम बहुत प्यारी हो तुमसे कभी किसी लड़के ने उलटी सीधी कोई बात नहीं की.
मैंने कहा- कही है मेरी क्लास के लड़कों ने भी कही है और मेरे कालोनी के लड़कों ने भी. जब भी कोई ऐसी बात करता है तो मेरा एक ही सवाल उनसे होता है कि क्या वो मुझसे शादी करेंगे. अगर वो कहते हैं- हाँ तो में कहती हूँ की ये सब तो फ़िर शादी के बाद भी हो सकता है इतनी जल्दी किस बात की है. और अगर वो कहते हैं न तो मैं कहती हूँ कि जिसे ख़ुद पे ही इतना भरोसा नहीं कि वो मेरे साथ जिंदगी बिता भी पायेगा के नहीं ऐसे इन्सान को में अपना सब कुछ कैसे सोंप दूँ…!! और बात यही ख़तम हो जाती है.

मेरी बात सुनके हँसते हुए उसने कहा तुम बहुत चालू लड़की हो सही ग़लत खूब समझती हो. पर मैं तुमसे पहली और आखिरी बार कह रहा हूँ- तुम मुझे इस तरह से मत देखा करो, हम सिर्फ़ अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं. अगर एक दोस्त की तरह रहोगी तो मुझमें एक सच्चा दोस्त पाओगी और अगर तुम दोस्त बन के नहीं रहना चाहती तो मुझसे दूर रहो. मुझ पे काफी जिम्मेदारियाँहै और अभी ये उमर भी नहीं है हमारी ये सब करने की, न ही ये कोई खेल है. ऐसे जल्दी में लिए फैसलों से जिंदगी बर्बाद भी हो सकती है. मुझे अब तक समझ नहीं आया कि वो मेरे मन की बात कैसे जान लेता है.

आज का अंक यही समाप्त हुआ अगला भाग आपको जल्दी ही मिल जाएगा…!!!!

मैं अपने पाठकों को अपनी कहानी के हर एक छोटे से छोटे पहलू से अवगत कराना चाहती हूं, इसलिए प्यारे पाठको! मैं जानती हूं कि आप कुछ और ही पढ़ना चाह रहे होंगे इस कहानी में, पर अभी उसमें बहुत देर है। इसलिए संयम बनाए रखें और पढ़ते रहें। Indian Sex Stories

नमस्कार मेरा नाम रीना माली है। मैं राजस्थान के उदयपुर शहर में रहती हूं। मेरे पति नगर निगम में कार्यरत हैं और मेरे दो बच्चे हैं। मेरी उमर 32 साल है, लंबाई 5.6 ft. ये मेरी होली के दिन की सच्ची घटना है जिसे में पेश कर रही हु। मेरे पति पिछले दो सालों से मुझे टाइम नही देते थे जिसके कारण मेरे पड़ोस में एक बीकॉम थर्ड ईयर के स्टूडेंट अमित जो कि भरतपुर से है उससे मेरी गहरी दोस्ती हो गई थी। अमित के साथ मेरा अफेयर दो सालों से चल रहा है। अमित का एक दोस्त है निलेश जिसे हमारे बारे में पता है. और वह अमित से काफी बार मुझसे रिलेशन बनाने की बात कर चुका है परन्तु मेरी और से साफ मना है। होली के दिन मेरे पति बाहर गए हुए थे। घर में होली 11 बजे तक खत्म हो गई थी, तभी अमित का कॉल आया। बोला ” रीना भाभी मुझे भी आपके साथ होली खेलनी है।” मेने उसे एक बार मना कर दिया की घर पे सब हैं और यहां होली खेलना संभव नहीं है। परंतु बार बार बोलने पे मेने बोला की में कोशिश करती हूं। मेने सासूजी से कहा की मेरी सहेलियां मुझे होली खेलने उनके फार्म हाउस पे बुला रही हैं। पहले तो सासु जी ने आनाकानी की फिर बोली ” ठीक ही जाओ और 3 बजे तक आजाना”। बच्चे की जिम्मेदारी भी लेली। मेने अमित को फोन करके बताया तो उसने मुझे ऐश्वर्या रिसोर्ट में आने को बोला। मैं स्कूटी लेके व्हाइट कलर की फाग साड़ी और रेड कलर के ब्लाउज पेटीकोट में निकल गई। वहा पहुंची तो अमित और निलेश दोनो थे। निलेश को देख के मेने अमित से पूछा ” इसे क्यों लेके आए, तुमको पता है ना ये मेरे बारे में क्या सोचता है”। अमित ने मुझे समझाया कि वो उसके साथ सुबह से था होली खेलने। और उसकी और से कोई परेशानी नहीं होगी। रिसोर्ट में अमित ने पूल में होली खेलने की व्यवस्था रखी थी। अमित ने पहले गुलाल से मुझे गालों पे रंगा फिर मेने भी उसे रंग लगाया। निलेश भी पास आया और मुझे गालों पे रंग लगाया और मेने भी उसे गालों पे रंग लगा कर होली की शुभकामनाएं दी। फिर अमित ने निलेश को कही भेज दिया और अमित ने मेरे पास आकर मुझे कस के गले लगा लिया। जवाब में मेने भी उसे कस के गले लगाया। फिर वो मेरे गले , हाथ, और पेट पर रंग लगाने लगा। मैं भी आंखे बंद करके उससे रंग लगवा रही थी। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है. फिर उसने मुझे बाहों में उठा लिया और पूल में गिरा दिया। और खुद भी कूद गया। होली की पूरी मस्ती में मुझे होली खेल रहा था और मेरे हर अंग को छू रहा था और कलर से रगड़ रहा था। पूल में ही उसके होठ मेरे होठों का चुम्बन ले रहे थे। होली का कार्यक्रम करीब 30 मिनट तक चला। फिर हम दोनो पूल से बाहर आए। मेरी साड़ी शरीर से पूरी चिपकी हुई थी। अमित बोला ” भाभी आग लगा रहे हो आप”। मैं शर्मा गई ये सुनकर। फिर अमित बोला की उसने चेंज करने के लिए एक रूम बुक किया है। हम दोनों रूम में चले गए। वहा जाते ही अमित ने मुझे फिर बाहों में भर लिया और मुझे चूमने लगा। गालों पे, होठों पे, गले में, पर पे सब जगह पागलों की तरह चूमने लगा। में बोली ” अमित आज नहीं प्लीज”। पर वो रुका नहीं। उसने मेरी साड़ी मुझे गोल गोल गुमाकर निकल ली। मैं अब लाल रंग के गीले चिपके हुए गहरे गले के ब्लाउज और पेटीकोट में थी और गले में लंबा मंगलसूत्र था। मुझे शर्म आ रही थी। फिर वो मुझे बाहों में उठाकर बाथरूम में ले गया और वहा हम दोनो ने एक दूसरे से चिपक कर स्नान किया। जितने में डोर बेल बाजी। अमित मुझे बाथरूम में छोड़ कर डोर खोलने गया फिर डोर बंद भी कर दिया। मेने अंदर से आवाज लगाई “अमित कोन है”। अमित बोला ” रूम सर्विस वाला था”। में पेटीकोट ब्लाउज में ही बाहर आ गई और अमित के साथ निलेश को खड़े देखकर चौंक गई। “तुम यहां क्या कर रहे हो”। ऐसा बोलकर में बाथरूम की और भागी. परंतु निलेश ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला ” भाभी आज तो आपके साथ होली खेलने आया हु ऐसे केसे माना कर सकती हो।” ऐसा कहकर उसने मुझे बाहों में जकड़ लिया और मुझे चूमने लगा। मैं उसे हटाने लगी लेकिन उसकी झकड के आगे खुद को छुड़ा न पाई। मेने अमित से कहा “अमित बोलो इसे यहां से जाने को.” अमित बोला “अरे भाभी मेरा अच्छा दोस्त है, इसकी भी इच्छा है खेलने की पूरी करने दो।” मैं समझ गई आज मेरे साथ कुछ अनर्थ होने जा रहा है। मेने निलेश को धक्का दिया और अपनी साड़ी उठाकर भागने लगी। दरवाजे पर अमित ने मुझे पकड़ लिया और बोला ” भाभी आज तो आपको हम देवर बिना खेले जाने नही देंगे” और ऐसा कहकर अमित ने मुझे गोद में उठा लिया और बेड पर गिरा दिया। मैं उनसे हाथ जोड़कर विनती करने लगी लेकिन उन दोनो पे भांग और हवस का नशा चढ़ चुका था। निलेश बोला “उफ्फ भाभी, लाल गीले पेटीकोट ब्लाउज में आपने मेरे अंदर तक आग लगा दी हे। आप साक्षात काम देवी रति लग रही हो।” ऐसा बोलकर उसने मेरे पैर पकड़ लिए। और अमित ने मेरे दोनो हाथ पकड़कर उपर कर दिए। निलेश मेरे ऊपर आगया और मेरे गले में चूमने और काटने लगा। मेने अमित से कहा ” अमित निलेश को बोलो मेरे गले में बाइट्स के निशान हो जाएंगे और घर में पता चल जाएगा.” अमित का इशारा पाके निलेश ने काटना बंद किया और गले में चूमने और चाटने लगा। मैं परेशान थी। निलेश मेरे कानो में जीभ से चाटने लगा। मुझे करंट सा आने लगा। उधर अमित मेरा पेटीकोट घुटनों तक ले आया और पैरों पे चूमने और चाटने लगा। धीरे धीरे में उनके काबू में आ रही थी। मुझे लग गया था विरोध से ये दोनो मेरा बलात्कार कर सकते है। सही यही होगा अपने आप को इन्हे सौंप दिया जाए। मेने अपना शरीर ढीला कर दिया। निलेश अब मेरे पेट को चाटने लगा और नाभि में जीभ से हरकत कर रहा था। मुझे भी मजा आने लगा। अमित मेरी पैरो की उंगलियां चूस रहा था। मैं मदहोश हुए जा रही थी। निलेश मेरे ब्लाउज के हुक खोलने लगा और खीच कर ब्लाउज उतार दिया। अंदर मेने काली ब्रा पहनी थी। निलेश बोला ” उफ्फ भाभी आप कमाल हो” ऐसा कहकर उसने मेरी ब्रा का हुक पीछे हाथ डालकर खोल दिया और एक झटके में मेरे उरोज आजाद कर दिया। 34 के स्तन देखकर वो काबू न कर सका और मेरे निपल्स चूसने लगा। ऐसा लग रहा था उसने पहले बार किसी का स्तनपान किया हो। इधर अमित ने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और और खीच कर पेटीकोट निकला दिया। अब मैं केवल ब्लैक कच्छी में थी। अमित मेरी जांघो को चूम रहा था और अंदर जांघो को चूस रहा था। मैं मादक सिसकारियां ले रही थी। निलेश ने मुझे उल्टा लिटाया और मेरी पीठ को जीभ से चाटने लगा। मै पागल हो रही थी। मुझे पीठ पर निलेश काटे जा रहा था और मैं एक मछली की तरह मचल रही थी। अब दोनो अपने कपड़े निकाल कर नग्न हो चुके थे। निलेश का 7 इंच का मोटा लिंग देखकर मैं डर गई थी। अमित उपर आया मुझे सीधा करके उपर से लिंग मेरे मुंह में डाल दिया जिसे बड़े मजे से मैं चूसने लगी। उसका लिंग गले तक जा रहा था। नीचे निलेश अपनी जीभ से मेरी योनि का भेदन कर रहा था। मेने जांघो से निलेश का सिर दबा रखा था और योनि को चटवा रही थी। फिर हमने पोजिशन बदली और निलेश ने अपना लिंग मुझे चूसने दे दिया और अमित अपनी जीभ से जोर जोर से मेरी योनि का दाना चाट रहा था। इसी बीच में एक बार अमित के मुंह में झर गई। मैं एक वैश्या जैसे निलेश का लिंग चूस रही थी और खो खो की आवाजे निकाल रही थी। अमित ने मुझे गोड़ी बनाने के लिए कहा। मेने कहा “अमित कंडोम लगा लो”। अमित बोला ” भाभी आज तो आपको हम बिना कंडोम के सुख देंगे।” मेने माल बाहर गिराने का आश्वासन लेकर अनुमति दे दी। अमित ने एक जोरदार झटके से अपना लिंग मेरी योनि में डाल दिया और फुल स्पीड से मुझे चोदने लगा। कमरे में पच पच की आवाज आ रही़ थी और मुंह से मै निलेश का लिंग चोद रही थीं। इस बीच में 1 बार और झड़ गई। 15 मिनट बाद अमित बोला “भाभी में आने वाला हु”| मेने बोला ” अमित प्लीज बाहर निकालो”। लेकिन उसने नही माना और एकजोरदार झटके से मेरी योनि को अपने वीर्य से भर दिया। उसके गरम पिचकारी मुझे अपनी कोख तक महसूस हुई और मुझे आनंदित कर गई। अब निलेश आया और मुझे लिटाकर मेरे उपर आगया और अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी योनि पर रघड़ने लगा। ये कहानी आप क्रेजी सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है. यह क्रिया उसने 3 मिनट करी। मैं फिर से गरम हो गई और मेरे होठ को होठों से बंद करके एक जोरदार झटके में उसने अपना पूरा लिंग मेरी योनि में उतार दिया। मेरी आंखों में दर्द से आंसू आ गये। अंदर डाल कर वो थोड़ी देर लेटा रहा। मेरा दर्द कम होने पर उसने अंदर बाहर धक्के चालू किए। अब मुझे मजा आने लगा और उछल उछल कर निलेश का साथ देने लगी। “ओह निलेश चोदो अपनी भाभी को, और जोर से आह आह… आओह्ह्ह्ह… मार डाला आआआह” निलेश और स्पीड में मेरा चोदन करने लगा। मैं उसके लिंग से हवा में उड़ने लगी और उछल उछल कर मजा लेने लगी। 20 में की चूदाई के बाद वो बोला “भाभी में अपना माल कहा निकालू.” मैं बोली “अंदर ही निलेश.” और फिर हम दोनो एक साथ अकड़ के साथ प्रेम जूस की पिचकारी छोड़ कर शांत हुए। निलेश के वीर्य की गर्मी मेरे अंदर तक समा गई। फिर हम तीनो ने सामूहिक स्नान किया और में गीले कपड़े पहनकर घर आ गई।

Antarvasna stories

प्रेषिका : कार्तिक Antarvasna, हस्तमैथुन करना एक साधारण आदत है जिसे हर पुरुष पसंद करता है। छोटी अवस्था में ही उसे अपने लिंग की पहचान हो जाती है।

ऐसा कहा जाता है कि घर की नौकरानी बालक को चुप करने के लिए उसके लिंग की मालिश कर देती है। बालक भी थोडा बड़ा होने पर अपने लिंग से खेलना सीख जाता है और आनंद उठाने के लिए अक्सर अपने लिंग को पकड़ कर सहलाता है। थोड़ा और बड़ा होने पर उसे चरम सीमा का आनन्द आने लगता है। कुछ लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं परन्तु जो लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं वे स्वयं भी इस का आनन्द लेते हैं। हाँ, किसी भी बात को अधिकता में करने से हानि होती है यह बात हस्तमैथुन के लिए भी लागू होती है।

वास्तव में हस्तमैथुन शारीरक और मानसिक तनाव को दूर करने का एक अनूठा साधन है। जो राहत हस्तमैथुन से प्राप्त होती है वह सम्भोग से भी प्राप्त नहीं होती। हस्तमैथुन कल्पनाओं की उड़ान पर आधारित होता है और आप कल्पनाओं में किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। आप की कल्पना में संसार के सबसे सुन्दर स्त्री या पुरुष आ सकते हैं, आप अपनी इच्छा से उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप का तीव्रता और धीमी गति पर नियंत्रण होता है। हस्तमैथुन में आपको अपने लिंग की क्षमता प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता नहीं होती। आप और आपका हस्तमैथुन करने का तरीका ही आपके आनन्द की सीमा को तय करते हैं।

हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।

हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।

कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

हस्तमैथुन का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने हाथ और लिंग पर तेल या कोई चिकना पदार्थ लगा लें, फिर हल्के हाथ से लिंग की मालिश करें जब तक लिंग पूरी तरह से सख्त न हो जाये। लिंग-मुण्ड पर चिकनाई अच्छी तरह लगा कर उसे अपनी उंगली और अंगूठे के बीच प्रवेश कराएँ जैसे किसी योनि या गुदा में प्रवेश करा रहें हों या फिर चारों उँगलियों और अंगूठे को मिला कर गोलाई का रूप दें और उसमें अपने चिकने लिंग को ऐसे प्रवेश कराएँ जैसे किसी के मुख में प्रवेश करा रहें हों, मुखमैथुन मुद्रा में !

सख्त लिंग को कभी भी कस कर न पकड़ें ! चिकनाई के कारण घर्षण ऐसे करें जैसे सम्भोग किया जाता है। कल्पना करें कि आपका हाथ नहीं बल्कि वह आपकी प्रियतमा की योनि, मुख या गुदा है। यदि आप हस्तमैथुन को अधिक देर तक करना चाहते हैं तो बीच बीच में घर्षण क्रिया रोक कर अपने लिंग को सहलाएं या अपने अंडकोषों से खेलें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि दूसरे हाथ की एक उंगली में थोड़ा सा तेल कर उससे अपनी गुदा के चारों ओर और बीच में सहलाएँ। ध्यान रहे कि उंगली गुदा में प्रवेश न करे। ऐसे केवल स्लखित होते समय ही करें। स्लखित होते समय गुदा में उंगली के प्रवेश से आपका चरमसीमा का आनन्द दोगुना हो जायेगा, साथ ही साथ वीर्य निकलने की तीव्रता भी बढ़ जाएगी।

अब जब आपको लगने लगे कि वीर्य स्लखित होने वाला है तो घर्षण की तीव्रता की बढ़ा दें परन्तु हल्के हाथ से ! जोश और तनाव में सम्भव है कि आपकी पकड़ मजबूत हो जाये जिसके कारण नसों पर दवाब भी बढ़ जायेगा जो आगे चल कर हानिकारक हो सकता है।इस समय आपके लिंग में खून का प्रवाह तेज़ी से हो रहा होता है, कस कर पकड़ने से खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है।स्लखित होने से पहले लिंग की स्थिति को निर्धारित करें अर्थात ऊपर की ओर, नीचे की ओर, दायें या बाएं ! एक बार स्थिति बन गई तो फिर आप अपने वीर्य को निकलने दें।

स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग को न छोड़ें, उसे सामान्य स्थिति में आने तक हल्के हाथ से सहलाते रहें। स्लखित होने के बाद लिंग को निचोड़ें नहीं, ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होता। स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग पर ठंडा पानी न डालें। यदि आपको तुरंत साफ़ करने की आवश्यकता है तो गुनगुने पानी का प्रयोग करें या किसी साफ़ कपड़े से लिंग को पोंछ लें अन्यथा 15 मिनट तक लिंग व शरीर को ठंडा होने दें फिर स्नान किया जा सकता है।प्रेषिका : कार्तिक

हस्तमैथुन करना एक साधारण आदत है जिसे हर पुरुष पसंद करता है। छोटी अवस्था में ही उसे अपने लिंग की पहचान हो जाती है। ऐसा कहा जाता है कि घर की नौकरानी बालक को चुप करने के लिए उसके लिंग की मालिश कर देती है। बालक भी थोडा बड़ा होने पर अपने लिंग से खेलना सीख जाता है और आनंद उठाने के लिए अक्सर अपने लिंग को पकड़ कर सहलाता है। थोड़ा और बड़ा होने पर उसे चरम सीमा का आनन्द आने लगता है। कुछ लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं परन्तु जो लोग इसे लिंग का दुरूपयोग या पाप कहते हैं वे स्वयं भी इस का आनन्द लेते हैं। हाँ, किसी भी बात को अधिकता में करने से हानि होती है यह बात हस्तमैथुन के लिए भी लागू होती है।

वास्तव में हस्तमैथुन शारीरक और मानसिक तनाव को दूर करने का एक अनूठा साधन है। जो राहत हस्तमैथुन से प्राप्त होती है वह सम्भोग से भी प्राप्त नहीं होती। हस्तमैथुन कल्पनाओं की उड़ान पर आधारित होता है और आप कल्पनाओं में किसी भी ऊंचाई तक जा सकते हैं। आप की कल्पना में संसार के सबसे सुन्दर स्त्री या पुरुष आ सकते हैं, आप अपनी इच्छा से उनके साथ व्यवहार कर सकते हैं, आप का तीव्रता और धीमी गति पर नियंत्रण होता है। हस्तमैथुन में आपको अपने लिंग की क्षमता प्रदर्शित करने की भी आवश्यकता नहीं होती। आप और आपका हस्तमैथुन करने का तरीका ही आपके आनन्द की सीमा को तय करते हैं।

हस्तमैथुन कई प्रकार से किया जाता है। सबसे साधारण तरीका है लिंग को अपने हाथ में लेकर सहलाना या तीव्रता से आगे पीछे करना, जब तक आप का वीर्य न निकल जाये। यह उन स्थानों के लिए बहुत उपयोगी है जहाँ जगह का अभाव या एकांत न हो। जैसे छोटे घर या संयुक्त परिवार में रहने वाले लोग ! जहाँ एकांत केवल शौचालय या अपने बिस्तर में ही मिलता हो। ऐसे स्थानों में हस्तमैथुन का आनन्द केवल वीर्य स्लखन तक ही सीमित होता है। समय का अभाव, स्थान का अभाव मजबूर कर देता है कि हम तीव्रता से अपने आनन्द तक पहुँचें। इसका दुष्परिनाम आने वाले समय में विवाह में पता चलता है क्यूंकि बचपन से ही जल्दी समाप्त हो जाने की आदत पड़ जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि मर्दानगी समाप्त हो चुकी है। आप मर्द थे, मर्द हैं, और मर्द ही रहेंगे बस केवल आप अपने साथी से पहले स्लखित हो जाते हैं। इसका उपाय एक दूसरा विषय है।

हस्तमैथुन अपनी आवश्यकता के अनुसार किया जाता है, दिन में एक बार, दो बार, या चार बार, जितनी आवश्यकता हो उतना हस्तमैथुन करें। हर बार वीर्य स्लखन होना भी आवश्यक नहीं है। दिन में एक बार वीर्य स्लखित हो जाना उचित है या जब भी आपका शरीर वीर्य को बाहर निकलने की आवश्यकता दर्शाए। यदि आप वीर्य को बाहर नहीं निकालेंगे तो वह अपने आप ही बाहर निकल जायेगा, जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है।

कृपया ध्यान दें, स्वप्नदोष कोई बीमारी नहीं है, झूठे डाक्टरों और नीम-हकीमों के बहकावे में न आयें। यह शरीर की प्राकृतिक क्रिया है। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

हस्तमैथुन का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने हाथ और लिंग पर तेल या कोई चिकना पदार्थ लगा लें, फिर हल्के हाथ से लिंग की मालिश करें जब तक लिंग पूरी तरह से सख्त न हो जाये। लिंग-मुण्ड पर चिकनाई अच्छी तरह लगा कर उसे अपनी उंगली और अंगूठे के बीच प्रवेश कराएँ जैसे किसी योनि या गुदा में प्रवेश करा रहें हों या फिर चारों उँगलियों और अंगूठे को मिला कर गोलाई का रूप दें और उसमें अपने चिकने लिंग को ऐसे प्रवेश कराएँ जैसे किसी के मुख में प्रवेश करा रहें हों, मुखमैथुन मुद्रा में !

सख्त लिंग को कभी भी कस कर न पकड़ें ! चिकनाई के कारण घर्षण ऐसे करें जैसे सम्भोग किया जाता है। कल्पना करें कि आपका हाथ नहीं बल्कि वह आपकी प्रियतमा की योनि, मुख या गुदा है। यदि आप हस्तमैथुन को अधिक देर तक करना चाहते हैं तो बीच बीच में घर्षण क्रिया रोक कर अपने लिंग को सहलाएं या अपने अंडकोषों से खेलें। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि दूसरे हाथ की एक उंगली में थोड़ा सा तेल कर उससे अपनी गुदा के चारों ओर और बीच में सहलाएँ। ध्यान रहे कि उंगली गुदा में प्रवेश न करे। ऐसे केवल स्लखित होते समय ही करें। स्लखित होते समय गुदा में उंगली के प्रवेश से आपका चरमसीमा का आनन्द दोगुना हो जायेगा, साथ ही साथ वीर्य निकलने की तीव्रता भी बढ़ जाएगी।

अब जब आपको लगने लगे कि वीर्य स्लखित होने वाला है तो घर्षण की तीव्रता की बढ़ा दें परन्तु हल्के हाथ से ! जोश और तनाव में सम्भव है कि आपकी पकड़ मजबूत हो जाये जिसके कारण नसों पर दवाब भी बढ़ जायेगा जो आगे चल कर हानिकारक हो सकता है।इस समय आपके लिंग में खून का प्रवाह तेज़ी से हो रहा होता है, कस कर पकड़ने से खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है।स्लखित होने से पहले लिंग की स्थिति को निर्धारित करें अर्थात ऊपर की ओर, नीचे की ओर, दायें या बाएं ! एक बार स्थिति बन गई तो फिर आप अपने वीर्य को निकलने दें।

स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग को न छोड़ें, उसे सामान्य स्थिति में आने तक हल्के हाथ से सहलाते रहें। स्लखित होने के बाद लिंग को निचोड़ें नहीं, ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होता। स्लखित होने के तुरंत बाद लिंग पर ठंडा पानी न डालें। यदि आपको तुरंत साफ़ करने की आवश्यकता है तो गुनगुने पानी का प्रयोग करें या किसी साफ़ कपड़े से लिंग को पोंछ लें अन्यथा 15 मिनट तक लिंग व शरीर को ठंडा होने दें फिर स्नान किया जा सकता है। Antarvasna

Antarvasna Hindi sex stories

इस बार उन्होने Antarvasna ने मेरी पैंट की ज़िप खुद खोली और मेरी बुर पर हाथ फिराया। बुर पर हाथ लगते ही मैं बेचैन हो गई। वो मेरी फूली हुई बुर को मुट्ठी में लेकर भींच रहे थे। मैने बेबसी से अपना सिर थोड़ा सा ऊपर उठा कर भैया का सुपाड़ा चूमा और उसे मुंह में लेने की कोशिश की परंतु उसकी मोटाई के कारण मैने उसे मुंह में लेना उचित न समझा और उसे जीभ निकालकर चाटने लगी।

मेरी गर्म और खुरदरी जीभ के स्पर्श से भैया बुरी तरह आवेशित हो गये। उन्होने आवेश में भरकर मेरी गीली बुर को टटोलते हुये एक झटके से बुर में उंगली घुसा दी। मैं सिसकी भरकर उनके लंड सहित कमर से लिपट गयी। मेरा दिल कर रहा था कि भैया फ़ौरन अपनी उंगली को निकाल कर मेरी बुर में अपना लंड ठूंस दें।

मेरी ये इच्छा भी जल्द ही पूरी हो गयी। भैया मेरी टांगों में हाथ डालकर अपनी तरफ खींचने लगे थे। मैने उनकी इच्छा को समझ कर अपना सिर उनकी जांघों से उतारा और कम्बल के अंदर ही अंदर घूम गयी। अब मेरी टांगें भैया की तरफ थीं और मेरा सिर बर्थ के दूसरे तरफ था। भैया ने अब अपनी टांगों को मेरे बराबर में फैलाया फिर मेरे कूल्हों को उठा कर अपनी टांगों पर चढ़ा लिया और धीरे धीरे कर के पहले मेरी पैंट खींच कर उतार दी और उसके बाद मेरी पैंटी को भी खींच कर उतार दिया अब मैं कम्बल में पूरी तरह नीचे से नंगी थी। अब शायद मेरी बारी थी मैं ने भी भैया के पैंट और अंडर वियर को बहुत प्यार से उतार दिया। अब भैया ने थोड़ा आगे सरक कर मेरी टांगों को खींच कर अपनी कमर के इर्द गिर्द करके पीछे की ओर लिपटवा दिया।

इस समय मैं पूरी की पूरी उनकी टांगो पर बोझ बनी हुयी थी। मेरा सिर उनके पंजों पर रखा हुआ था। मैने ज़रा सा कम्बल हटा कर आसपास की सवारियों पर नज़र डाली सभी नींद में मस्त थे। किसी का भी ध्यान हमारी तरफ़ नहीं था। फिर मेरी नज़र भैया की तरफ पड़ी उनका चेहरा आवेश के कारण लाल भभूका हो रहा था वो मेरी ओर ही देख रहे थे न जाने क्यों उनकी नज़रों से मुझे बहुत शरम आयी और मैने वापस कम्बल के अंदर अपना मुंह छुपा लिया।

भैया ने फिर मेरी बुर को टटोला। मेरी बुर इस समय पूरी तरह रस से भरी हुई थी फिर भी भैया ने ढेर सारा थूक उस पर लगाया और अपने लंड को मेरी बुर पर रखा उनके गर्म सुपाड़े ने मेरे अंदर आग दहका दी फिर उन्होने टटोल कर मेरी बुर के मुहाने को देखा और अच्छी तरह सुपाड़ा बुर के मुंह पर रखने के बाद मेरी जांघें पकड़ कर हल्का सा धक्का दिया मगर लंड अंदर नहीं गया बल्कि ऊपर की ओर हो गया।

भैया ने इसी तरह एक दो बार और कोशिश किया वो आसपास की सवारियों की वजह से बहुत सावधानी बरत रहे थे। इस तरह जब वो लंड न डाल सके तो खीज कर अपने लंड को मेरी बुर के आस पास मसलने लगे। मैने अब शरम त्याग कर मुंह खोला और उन्हें सवालिया निगाहों से देखा। वो बड़ी बेबस निगाहों से मुझे देख रहे थे। मैने सिर और आंखों के इशारे से पूछा “कया हुआ?”

तब वो थोड़े से नीचे झुक कर धीरे से फुसफुसाये, “आस पास सवारियां मौजूद हैं इसलिये मैं आराम से काम करना चाहता था मगर इस तरह होगा ही नहीं, थोड़ी ताकत लगानी पड़ेगी।”

“तो लगाओ न ताकत भैया” मैं उखड़े स्वर में बोली।

“ताकत तो मैं लगा दूंगा परंतु तुम्हे कष्ट होगा क्या बरदाश्त कर लोगी?”

“आप फ़िक्र न करें कितना ही कष्ट क्यों न हो मैं एक उफ़ तक न करूंगी। आप लंड डालने में चाहे पूरी शक्ति ही क्यों न झोंक दें।”

“तब ठीक है मैं अभी अंदर करता हूं” भैया को इतमिनान हो गया।

और इस बार उन्होने दूसरी ही तरकीब से काम लिया। उन्होने उसी तरह बैठे हुये मुझे अपनी टांगों पर उठा कर बिठाया और दोनो को अच्छी तरह कम्बल से लपेटने के बाद मुझे अपने पेत से चिपका कर थोड़ा सा ऊपर किया और इस बार बिल्कुल छत की दिशा में लंड को रखकर और मेरी बुर को टटोलकर उसे अपने सुपाड़े पर टिका दिया। मैं उनके लंड पर बैठ गयी। अभी मैने अपना भार नीचे नहीं गिराया था। मैने सुविधा के लिये भैया के कंधों पर अपने हाथ रख लिये।
भैया ने मेरे कूल्हों को कस कर पकड़ा और मुझसे बोले, “अब एक दम से नीचे बैठ जाओ”

मैं मुस्कुराई और एक तेज़ झटका अपने बदन को देकर उनके लंड पर चपक से बैठ गयी। उधर भैया ने भी मेरे बदन को नीचे की ओर दबाया। अचानक मुझे लगा जैसे कोई तेज़ धार खंजर मेरी बुर में घुस गया हो। मैं तकलीफ़ से बिलबिला गयी। क्योंकि मेरी और भैया की मिली जुली ताकत के कारण उनका विशाल लंड मेरी बुर के बंड दरवाज़े को तोड़ता हुआ अंदर समा गया और मैं सरकती हुयी भैया की गोद में जाकर रुकी।

मैने तड़प कर उठना चाहा परंतु भैया की गिरफ़्त से मैं आज़ाद न हो सकी। अगर ट्रेन में बैठी सवारियों का ख्याल न होता तो मैं बुरी तरह चीख पड़ती। मैं मचलते हुये वापस भैया के पैरों पर पड़ी तो बुर में लंड तनने के कारण मुझे और पीड़ा का सामना करना पड़ा। मैं उनके पैरों पर पड़ी पड़ी बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी।

भैया मुझे हाथों से दिलासा देते हुये मेरी चूचियों को सहला रहे थे। करीब १० मिनट बाद मेरा दर्द कुछ हल्का हुआ तो भैया कूल्हों को हल्के हल्के हिला कर अंदर बाहर करने लगे।

फिर दर्द कम होते होते बिल्कुल ही समाप्त हो गया और मैं असीमित सुख के सागर में गोते लगाने लगी।

भैया धीरे से लंड खींच कर अंदर डाल देते थे। उनके लंड के अंदर बाहर करने से मेरी बुर से चपक चपक की अजीब अजीब सी आवाज़ें पैदा हो रही थीं। मैने अपनी कोहनियों को बर्थ पर टेक कर बदन को ऊपर उठा रखा था और खुद थोड़ा सा आगे सरक कर अपनी बुर को वापस उनके लंड पर ढकेल देती थी।

इस तरह से आधे घंटे तक धीरे धीरे से चोदा चादी का खेल चलता रहा और अंत में मैने जो सुख पाया उसे मैं बयान नहीं कर सकती।

भैया ने टोवल निकाल कर पहले मेरी बुर को पोंछा जो खून और हम दोनो के रज और बीज से सनी हुई थी उसके बाद मैने उनके लंड को पोंछा और फिर बारी बारी से बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुये और कपड़े पहने।

मेरे पूरे बदन में मीठा मीठा दर्द हो रहा था। यहींन से हम दोनो भाई बहन न होकर प्रेमी प्रेमिका बन गये। अब जब भी भैया घर आते मुझे बिना चोदे नहीं मानते हैं मुझे भी उनका इंतज़ार रहता है। मगर अभी तक किसी और को मैने अपना बदन नहीं सौंपा है और न कोई इरादा है Antarvasna

हेल्लो दोस्तो! Hindi Sex Stories

मेरा नाम सुरेश है और मैं बहादुरगढ़ Hindi Sex Stories में रहता हूँ। मैंने अब तक की अंतर्वासना की सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। आज मैं भी पहली बार आप सब को अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। हमारे सामने वाले घर में एक परिवार रहता है, पति पत्नी और उनके 3 बच्चे।
सॉरी दोस्तो! मैं अपने बारे में तो बताना भूल ही गया।

मैं 27 साल का 6 फ़ीट लंबा और ठीकठाक दिखने वाला लड़का हूं और मेरा लण्ड 9″ लंबा और 3″ मोटा है।

घर के सामने वाली आंटी का नाम रिया है। वैसे वो ज्यादा उमर की नहीं है, 37 या 38 की है। दिखने में वो थोड़ी मोटी है। उनका फिगर 38-38-40 है। मैं अक्सर उनके घर जाने के बहाने ढूंढता रहता हूं. क्योंकि मैं आंटी को बहुत पसंद करता हूँ।

उन के पति का प्रोपर्टी का काम करते हैं और वो ज्यादातर घर पे लेट आते हैं, हमेशा नशे में रहते हैं और कई बार तो आंटी की पिटाई भी करते हैं। जब वो आंटी को मारते हैं तो मेरा दिल करता है कि मैं उनकी जम के पिटाई करूँ।

एक दिन अंकल ने आंटी की जम के पिटाई की। अगले दिन जब अंकल घर से चले गए तो मैं उन के घर गया। आंटी लेटी हुई थी। वो हमेशा सलवार-कमीज़ पहनती हैं। जब मैं वह पहुँचा तो उनकी आँखे बंद थी और उन का कमीज़ उनके पेट के उपर तक उठा हुआ था। मैं वहाँ खड़ा थोड़ी देर तक उनको देखता रहा। थोड़ी देर बाद जब वो थोड़ा हिली तो मुझे उनकी कमर पर कुछ निशान दिखे। तब तक आंटी ने भी मुझे देख लिया था कि मैं उनको घूर रहा हूँ। उन्होंने झट से अपना कमीज़ नीचे कर लिया और पूछा- तुम कब आए?

मैंने कहा- बस थोडी देर हुई है, आप सो रही थी तो मैंने आप को उठाया नहीं, क्योंकि मैंने कल रात भी आप के घर से झगड़े की आवाजें सुनी थी।

यह बात सुन कर आंटी ने अपना सर नीचे कर लिया। फ़िर मैंने कहा- मैंने अभी आप की पीठ पर कुछ निशान देखे हैं।
तो वो खड़ी हो गई और बोली- कुछ नहीं है, वो तो बचपन से ही हैं।
तो मैंने पूछा- कैसे लगे थे?

तो वो थोड़ा सोचने लगी।
तभी मैं बोला- ये बचपन के नहीं, कल रात के हैं।
उन्होंने फ़िर से कहा- नहीं बचपन के हैं!
मैंने कहा- दिखाओ, मैं देखना चाहता हूँ कि कब के हैं!

तो वो मना करने लगी, मैंने जबरदस्ती उनको पकड़ कर दूसरी तरफ़ घुमा दिया और उनका कमीज़ ऊपर उठाने लगा, वो मना करने लगी पर मैं कहा मानने वाला था बिना देखे!!

जब मैंने देखा तो अंकल ने उन्हें अपनी बैल्ट से मारा था।
मैंने पूछा- ये बैल्ट के हैं?

तो वो रोने लगी और मेरे गले लग गई। मुझे आंटी पर दया आ रही थी और अच्छा भी लग रहा था कि जिसे मैं इतने दिनों से अपनी बाहों में लेना चाहता था वो आज मेरी बाहों में थी चाहे किसी भी कारण से!

फ़िर मैंने आंटी को सोफे पर बिठाया और पूछा- यह क्यों हुआ?

तो वो और ज्यादा रोने लगी। मैं उनके पास बैठ गया और उनके चेहरे को पकड़ कर पूछने लगा तो वो बोली- क्या बताऊँ, यह तो रोज का काम है!
मैंने पूछा- बात क्या है?
तो वो बोली- मैं यह बात तुम्हें कैसे बताऊँ?
तो मैंने कहा- आप मेरे ऊपर विश्वास कर सकती हो!

तो वो बोली- मैं तुम पे विश्वास करती हूँ पर कैसे बताऊँ! मैंने ज्यादा जोर दिया तो वो बताने के लिए तैयार हो गई। वो कहने लगी- तेरे अंकल हर रोज रात को लेट आते हैं, नशे में होते है और वो रात में मेरी चुदाई करते हैं और जल्दी ही झड़ जाते है। जब मैं उन को यह कहती हूँ कि इतनी जल्दी हो गया तो मेरी पिटाई करते हैं। न तो वो मेरा पूरा करवाते हैं और ऊपर से पिटाई भी करते हैं। अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ?

और वो फ़िर से रोने लगी। मैंने उन को गले से लगा लिया और कहा- आंटी अगर आप गुस्सा न करें तो इस काम में मैं आप की मदद कर सकता हूँ!

वो मेरे सीने से लगी लगी पूछने लगी- किस काम में?
तो मैंने कहा- जो अंकल नहीं कर पाते! फ़िर आप की पिटाई भी नहीं होगी!
आंटी ने मेरे गले से लगे लगे ही कहा- तुम तो मेरे से बहुत छोटे हो!

मैंने कहा- तो क्या हुआ! मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ। आंटी की पकड़ धीरे धीरे टाइट होती जा रही थी। मैंने भी आंटी की कमर पे हाथ घुमाना शुरु कर दिया था, उनको भी मजा आने लगा था, मेरी लाइन साफ़ थी। मैंने आंटी के चेहरे को हाथों में पकड़ लिया, आंटी ने आँखे बंद कर ली थी, मैंने अपने होंठ उनके मुलायम होठों पर रख दिए। आंटी ने मुझे कस के पकड़ लिया और मेरी किस का पूरा जवाब देने लगी।

मैं आंटी के कूल्हों को पकड़ कर दबाने लगा। फ़िर आंटी को सोफे पे लिटा कर उनके ऊपर लेट गया और उनके दोनों स्तनों को दबाने लगा। आंटी पूरी तरह मस्त हो गई थी। मैं आंटी को 20 मिनिट तक किस करता रहा। उसके बाद आंटी ने कहा- मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ, कोई आ गया तो?

आंटी दरवाजा बंद कर के जैसे ही वापस आई, मैं एक बार फ़िर से उन पे टूट पड़ा और उनके सारे कपड़े निकाल दिए। उन्होंने भी मेरे सारे कपड़े निकाल दिए। आंटी मेरे लण्ड को देख कर एकदम बोली- इतना बड़ा लण्ड!!

मैंने कहा- आंटी! ज्यादा बड़ा थोड़े ही है! सारा का सारा तुम्हारी चूत में आ जाएगा!!
तो वो बोली- आराम से करना! नहीं तो मैं मर जांऊगी, बहुत दर्द होगा।

हम दोनों बेड पर लेट गए और फ़िर से किस करने लगे। आंटी मेरे हथियार से खेल रही थी ओर मैं अपनी ऊँगली से उनको चोद रहा था और एक हाथ से उनकी चूची दबा रहा था और किस कर रहा था। आंटी की चूत पूरी गीली हो चुकी थी। अब मैं उनकी चूची चूस रहा था और वो जोर जोर से मेरा लण्ड हिला रही थी। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

5 मिनट लण्ड चूसने के बाद वो बोली- बस अब नहीं रहा जाता, जल्दी से अंदर डाल दो!

तो मैं उन की टांगो के बीच में आ गया और उन के उपर लेट गया और किस करने लगा। तो आंटी ने अपने पैरों से मेरी कमर को जकड़ लिया और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया। मैंने एक जोर को धक्का दिया और आधे से ज्यादा लण्ड उनकी चूत में घुस गया और उन के मुँह से आह निकल गई।

वो बोली- थोड़ा धीरे!
पर मैं कहा सुनने वाला था, मैंने एक और धक्का मारा और पूरा लण्ड आंटी की चूत में चला गया। उन्होंने मुझे जोर से पकड़ लिया.और कहा कि थोड़ा रुक जाओ।

मैंने उनकी एक न सुनी और धक्के पे धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी चुदाई का पूरा आनंद लेने लगी।
थोड़ी देर बाद वो बोली- जल्दी जल्दी करो! मैं झड़ने वाली हूँ!

तो मैंने अपने स्पीड बढ़ा दी और आंटी झड़ गई। वो बहुत खुश लग रही थी। फ़िर मैंने अपना लण्ड निकाल लिया और आंटी को कुतिया वाले स्टाइल में आने को कहा, तो वो बेड के किनारे पे झुक गई कुतिया की तरह।

अब मैं आंटी के पीछे से डाल रहा था और वो भी आगे पीछे हो रही थी। मैंने अपनी ऊँगली उनकी गांड में डाल दी तो वो बोली- यहाँ कुछ नहीं करना!

लगभग 15 मिनट बाद मैंने आंटी की चूत में अंदर तक डाल कर अपना सारा माल उनकी चूत में डाल दिया। उस दौरान आंटी भी दो बार झड़ चुकी थी। मैं आंटी को वैसे ही उलटी लेटा कर उन के उपर लेट गया बिना अपना लण्ड निकाले। मैं 15 मिनट तक आंटी के ऊपर लेटा रहा। फ़िर मुझे लगा कि मेरा हथियार फ़िर से खड़ा हो रहा है।

मैं आंटी के उपर से उठा तो वो मेरे लण्ड को देख के बोली- यह तो फ़िर से तयार हो रहा है! आज के लिए इतना ही बस, बाकी कल!

मैंने कहा- बस एक बार और!

पहले तो आँटी मना करती रही फ़िर वो मान गई। फ़िर हमने मजे किए। मैंने आंटी की गांड भी मारी। बाद में हमने क्या क्या किया यह मैं अगली कहानी में बताऊंगा। आपको यह कहानी कैसी लगी, जरुर बताना!
मैं कॉल बॉय टाइप लड़का बनाना चाहता हूँ। Hindi Sex Stories

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