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दोस्तो, मैंने पिछले दिनों अन्तर्वासना की Antarvasna कहानियाँ पढ़ीं तो मेरा भी मन हुआ कि मैं भी अपने अनुभव आपके साथ बाटूँ। मैं आपको अपने बारे में बताती हूँ.
मेरा नाम मंजू है. मैं 34 साल की शादीशुदा औरत हूँ. मेरे पति बिज़नस के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते हैं.
कुछ दिन पहले की बात है मेरे पति दो दिन के लिए घर से बाहर गए हुए थे और मैं घर में अकेली टीवी पर ब्लू फ़िल्म देख रही थी. ब्लू फ़िल्म देख देख कर मेरी चूत में से पानी आने लगा था. मेरा मन कर रहा था कि कोई मज़ेदार लंड मिल जाए तो जी भर के चुदाई करवाऊं.
वो कहते हैं ना कि सच्चे दिल से मांगो तो सब कुछ मिलता है. घर की कॉल बेल बजी तो मुझे लगा कि भगवान् ने मेरी सुन ली. मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि मेरे पति के ख़ास दोस्तों वर्मा और गुप्ता बाहर खड़े थे.
अचानक उनको देख कर मैं चौंक गई. मैंने उनसे कहा कि ‘ये’ तो बाहर गए हैं दो दिन बाद आयेंगे. यह बात सुन कर वो दोनों भी उदास हो गए और बाहर से ही वापस जाने लगे.
मैंने सोचा कि अगर इन लोगों को अन्दर नहीं बुलाऊंगी तो ये लोग बुरा मान जायेंगे, मैंने उनसे कहा कि आप लोग अन्दर आ जाईये.
ये सुन कर मेरे पति के खास दोस्त वर्मा ने कहा कि नहीं भाभी हम लोग चलते हैं. हम लोग तो ये सोच कर आए थे कि पाटिल घर में होगा तो बैठ कर दो दो पैग लगायेंगे.
मैं आप लोगों को बता दूँ कि पाटिल मेरे पति का नाम है और ये सारे दोस्त हमारे घर में अक्सर दारू पार्टी करते हैं. क्योंकि इन लोगों के घरों मैं दारू पीना मना है.
मेने एक अच्छे मेजबान का फ़र्ज़ निभाते हुए कहा कि कोई बात नहीं आप लोग अन्दर बैठ कर पैग लगा लीजिये मुझे कोई परेशानी नहीं है. मेरी बात सुन कर दोनों खुश होते हुए बोले ‘क्या सचमुच हम लोग अन्दर बैठ कर पी सकते हैं.’
मैंने कहा- क्यों नहीं आप का ही घर है आप लोग अन्दर आ जाईए, मैं आप लोगों के लिए पानी और सोडा का इंतजाम कर देती हूँ.
ये सुन कर गुप्ता ने कहा कि एक शर्त है ‘आपको भी हमारा साथ देना होगा !’
मैं पहले भी कई बार अपने पति के सामने इन लोगों के साथ दारू पी चुकी थी इसलिए इन लोगों को पता था कि मैं भी दारू पीती हूँ. मैंने तुंरत हाँ भर दी और वो दोनों अन्दर आ गए.
अन्दर आते ही उनकी निगाह टीवी पर चल रही ब्लू फ़िल्म पर गई जिसे मैं बंद करना भूल गई थी. मैंने जल्दी से शरमा कर टीवी बंद कर दिया. लेकिन वो दोनों ये सब देख कर मुस्करा रहे थे. मैं किचेन मैं पानी और सोडा लेने चली गई.
किचन में जाकर मैंने सोचा कि मैं तो एक लंड के इंतज़ार मैं थी और भगवान् ने मुझे दो दो लंड गिफ्ट में भेज दिए. क्यों ना इस मौके का फायदा उठाया जाए और ये सोच कर मैंने सोडा और पानी की बोतल फ्रीज़ में से निकली और तीन गिलास साथ में ले कर वापस कमरे में आ गई.
वर्मा ने अपनी जेब से व्हिस्की कि बोतल निकाल कर मुझे दी और मैं तीन पैग बनाने लगी. वो लोग साथ मैं खाने के लिए स्नेक्स भी लाये थे. हम लोग बातें करते हुए पैग लगा रहे थे. कुछ ही देर में हम सभी पर थोड़ा थोड़ा सुरूर छाने लगा.
उन दोनों ने आंखों ही आंखों में इशारा किया और फ़िर गुप्ता ने मुझसे पूछा ‘भाभी आप टीवी पर ब्लू फ़िल्म देख रहीं थीं तो फिर आपने टीवी बंद क्यों कर दिया. टीवी चलाओ ना हम लोग भी फ़िल्म देखना चाहते हैं. ‘
अब तक मुझ पर भी शराब नशा चढ़ने लगा था. मैंने सोचा कि यही मौका है चुदाई का माहौल बनाने का. ये सोच कर मैं उठी और टीवी चालू करने लगी.
टीवी चालू करते हुए मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया जिसे मैंने जानबूझ कर ठीक नहीं किया. मेरे कसे हुए ब्लाउज में से बड़े बड़े बूब्स आधे बाहर निकल आए थे.
मैंने तिरछी नज़र से देखा कि वो दोनों मेरे बूब्स पर निगाह गड़ाये हुए मुस्करा रहे हैं.
मैंने टीवी पर ब्लू फ़िल्म चालू कर दी और उसी सोफे पर जा कर बैठ गई जिस पर वो दोनों बैठे हुए थे. अब मैं उन दोनों के बीच में बैठी थी. टीवी पर चल रही फ़िल्म मैं भी एक औरत को दो आदमी चोद रहे थे.
ये सीन देख कर हम तीनो ही गर्म हो गए. मैंने जान बूझ कर अपना पल्लू नीचे सरका दिया और सोफे पर आधी लेट गई. मेरे बगल में बैठे वर्मा ने पहल की और धीरे से मेरे बूब्स के ऊपर हाथ फिराने लगा.
मैंने कोई विरोध नहीं किया और आँखे बंद कर लीं. थोडी ही देर में उन दोनों ने मिल कर मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और मेरे बड़े बड़े फलों का रस चूसने लगे.
अब हम लोग खुल चुके थे इसलिए मैंने भी हाथ बढ़ा कर पैंट के ऊपर से ही उनके लंड को टटोलना शुरू कर दिया था. वर्मा मेरे होटों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और गुप्ता मेरी एक चूची को मुंह में भर कर पीने लगा.
अभी हमारा खेल चालू हुआ ही था कि अचानक घर कि कॉल बेल फ़िर से बज गई. हम तीनो चौंक गए. मैंने कहा कि अब कौन हो सकता है.
तभी गुप्ता ने कहा- अरे यार में समझ गया, शर्मा और ठाकर होंगे हमने उन लोगों को भी बुलाया था.
मैंने जल्दी से टीवी बंद कर दिया और अपने कपडे ठीक करने लगी तो वर्मा ने मेरे हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया और कहा- रहने दो भाभी ये लोग भी अपने ही दोस्त हैं इनसे क्या शरमाना?
जब तक मैं कुछ कहती तब तक गुप्ता ने दरवाजा खोल दिया था और मेरे सामने तीन नए लोग खड़े थे. जिनका नाम शर्मा, ठाकर और नारंग था.
अब घर में पॉँच मर्द थे और मैं अकेली औरत. शराब का दौर चल रहा था सब लोग नशे में थे. मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे. मेरी बरसों की इच्छा आज पूरी होने जा रही थी. मेरी इच्छा थी की मैं एक साथ पॉँच मर्दों के साथ चुदाई का खेल खेलूं और आज ये सपना सच होने वाला था.
किसी ने मेरे बदन से ब्लाऊज़ उतार दिया था.
वर्मा और गुप्ता मेरी एक एक चूची को मुंह में लेकर चूस रहे थे.
ठाकर जो बाद में आया था उसने अपना लंड निकाल कर मेरे मुंह में डाल दिया और नारंग और शर्मा मेरे नीचे के कपडे हटाने की कोशिश कर रहे थे.
मैंने उन सब को रोक कर कहा कि चलो अन्दर बेड रूम मैं चलते हैं. ये सुन कर उन पांचों ने मुझे गोदी में उठा लिया और ले जा कर बेड पर डाल दिया. अब मेरे बदन पर कोई कपडा नहीं था.
ठाकर जिसका लंड काला और ज्यादा ही लंबा था उसने मेरे मुंह में अपना पूरा लंड डाल दिया. मैं उसके लंड को लेमनचूस की तरह चूसने लगी.
नारंग और वर्मा ने मेरे बोबे मसलने और चूसने चालू कर दिए.
वर्मा ने मेरी दायीं तरफ़ आ कर मेरे हाथ में अपना मोटा लंड पकड़ा दिया. जिसे मैंने आगे पीछे करना चालू कर दिया.
गुप्ता पलंग के नीचे बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा. मुझे जन्नत का मज़ा मिल रहा था.
मेरे चारों तरफ़ अलग अलग तरह के लंड थे. मैं किसी भी लंड को हाथ में लेकर खेलने लगती. मेरे मुंह में भी अलग अलग साइज़ के लंड डाले जा रहे थे और मैं सभी लंड बड़े प्यार से चाट और चूस रही थी. तभी उनमे में से किसी ने मेरी चूत में अपनी जीभ डाल दी. खुशी के मारे मेरे मुंह से चीख निकल गई.
मैं जोर से चिल्लाई ‘वैरी गुड… ऐसे ही चूसो मादरचोदों चाटो मेरी चूत को…’. मैं पूरे नशे में थी और उछाल उछाल कर चूत चुसवा रही थी.
ठाकर ने मेरे मुंह में लंड डालकर मुंह की ही चुदाई शुरू कर दी. दो लोग मेरे हाथ में लंड पकड़ा कर मुठ मरवा रहे थे. एक जन अभी खाली था इसलिए मैंने कहा- मेरे यारो… अभी तो एक छेद बाकी है उसमे भी तो कुछ डालो!
मेरी बात सुनते ही वर्मा ने सब को रोक कर कहा कि रुको पहले आसन लगा लेते हैं. सब ने अपनी अपनी पोसिशन ले ली.
नीचे वर्मा सीधा लेट गया और मुझसे कहा- आओ भाभीजान मेरे ऊपर आओ मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड डाल कर मज़ा देता हूँ.
मैं तुंरत अपनी गांड चौड़ी करके उसके लंड पर बैठ गई. वर्मा का लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा मोटा नहीं था इसलिए आराम से मेरी गांड में चला गया.
दोस्तों मैं आपको बता दूँ कि मेरे पति भी काफी माहिर चुद्दकड़ हैं और मुझे बहुत मज़ेदार ढंग से चोदते हैं लेकिन मेरी प्यास उतनी ही बढ़ जाती है जितना मैं चुदवाती हूँ. यही कारण है कि आज मैं अपने पति के पाँच दोस्तों से एक साथ चुदवाने को तैयार हूँ.
हाँ तो दोस्तों वर्मा का लंड मैंने अपनी गांड में डाल लिया और सीधी होकर अपनी चूत ऊपर की तरफ करते हुए बोली ‘ चलो कौन मेरी चूत का बाजा बजाना चाहता है वो आगे आ जाए.’
नारंग जिसका लंड थोडी देर मैंने मुंह में डाल कर चूसा था वो मेरे ऊपर आ गया और निशाना लगाते हुए बोला ‘मेरी जान सबसे पहले मेरा स्वाद चखो.’
गुप्ता भी मेरे सर कि तरफ़ आते हुए बोला ‘मेरी प्यारी भाभी मुझे अपने मुंह में डालने दो प्लीज़.’
अब शर्मा और ठाकर बच गए थे, मैंने उनसे कहा कि आओ मेरे यारो, अभी तो मेरे दोनों हाथ खाली हैं.
इस तरह पोसिशन लेने के बाद घमासान चुदाई चालू हो गई. मेरी गांड और चूत में एक साथ लंड अन्दर बाहर हो रहे थे. मुझे जम कर मज़ा आ रहा था.
मैं बीच बीच में अपने मुंह से लंड निकाल कर सिस्कारियाँ लेने लगी ‘आआ… और जोर से… चोद… ओऊऊ… फाड़ डालोऊऊओ… मेरी चूत… बहनचोदों एक भी छेद मत छोड़ना… सब जगह डाल दोऊऊओ… फाड़ डाल मेरी गांड… वर्मा…के बच्चे… और जोर से नारंग… अन्दर तक डाल अपना हथियार…यार… आर आर अअअ आ आ आ…मज़ा आ गया.’
काफी देर तक पोसिशन बदल बदल कर ये चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा. कभी किसी ने मेरे मुंह में लंड डाला कभी किसी ने. अलग अलग लंडों का स्वाद मेरे मुंह में आता रहा. करीब एक घंटे तक चले इस खेल में मैं पॉँच बार झड़ चुकी थी. अब मेरी चुदाई की आग शांत होने लगी थी.
मैंने उन सबसे कहा- मेरे यारों… एक बात ध्यान रखना कोई भी अपना पानी इधर उधर नहीं डालेगा…सबको मेरे मुंह में ही अपना पानी डालना है… मैं बहुत प्यासी हूँ…मेरी प्यास तुम्हारे पानी से ही बुझेगी. कम से कम पचास ग्राम पानी पिलाना मुझे.’
वो सब लोग भी अब अपनी मंजिल पर पहुँच चुके थे.
गुप्ता ने कहा- चल भोसड़ी की अब नीचे लेट जा और पानी पी… आज नहला देंगे तुझे मेरी जान.
मैं पलंग पर सीधी लेट गई और उन पांचों ने मेरे मुंह के चारों तरफ़ घेरा डाल लिया. मैंने एक एक करके सबके लंड को मुंह में ले कर पानी निगलना चालू कर दिया.
मेरा पूरा मुंह और गला लिसलिसे वीर्य से भर गया. सबका मिलाजुला स्वाद मुझे कॉकटेल का मज़ा दे रहा था और मैं स्वाद ले ले कर उन सबका पानी पीती चली गई और सबके लंडों को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.
मेरी बरसों की तम्न्ना आज पूरी हो गई थी.
दोस्तों मेरी चुदाई के और भी मज़ेदार किस्से मैं आप को बताऊंगी पहले आप मुझे जरूर बताएं कि ये किस्सा आप को कैसा लगा.Antarvasna
बात उस समय की Indian Sex Stories है जब मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर रहा था। मैं उसी समय एक स्कूल में टीचर के रूप में भी काम करता था। मैं दसवीं तक के बच्चों को पढ़ाता था। उसमें लड़के और लड़कियाँ दोनों ही थी। दसवीं क्लास की लड़कियों को मैं हमेशा पटाने की कोशिश में रहता था। उनकी चूचियों को देख कर मेरे मुँह में पानी आ जाता था।
उसी समय दसवीं की एक लड़की मेरे से पट गई। वो बहुत ही सुंदर थी, उसकी चूची देख कर तो मैं पागल ही ही जाता था। वो उस समय ब्रा नहीं पहनती थी, केवल टॉप पहनती थी और ऊपर से शर्ट ! जब वो चलती थी तो उसकी चूचियाँ इस तरह से उछलती थी जैसे कि दो गेंदें उछल रही हों।
एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था तो मैंने स्कूल से छुट्टी ले ली और उसको भी बहाने से घर पर ही बुला लिया। वो सलवार कमीज़ पहन कर आई थी। उसके आते ही मैंने सारे दरवाजे बंद कर दिए और उसको अपनी गोद में उठा लिया। मैं उसको होठों को चूसने लगा और वो मुझसे लिपटने लगी।
मैंने उसके टॉप को उतार दिया और उसकी शमीज भी उतार दी और अब मेरे सामने उसके दो बड़े बड़े संतरे जैसी चूचियाँ थी। मैंने एक को अपने हाथ में लिया और एक को अपने मुँह में !हाथ वाली को मैं बेदर्दी से मसलने लगा और मुँह वाली को मैं जोर से दांत से काट रहा था। वो बुरी तरह से तड़प रही थी पर मैं तो पागल हो गया था और उसकी कोई बात नहीं सुन रहा था।
फिर मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और उसके सलवार को भी उतार दिया। अब वो सिर्फ पैंटी में थी। मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया और उसकी बुर को देखने लगा। बुर पर पूरा पानी पानी हो रहा था और झांटों से भरी थी। उसकी बुर पर एक छोटा सा दाना था।
मैंने उसकी बुर में सीधे एक ऊँगली पेल दी।
बाप रे !
उसकी बुर तो भट्टी की तरह गरम थी। उसने मस्ती में अपनी आँखें बंद कर ली। मैंने अपनी ऊँगली को अंदर-बाहर करना शुरु किया और वो सिसकियाँ भरने लगी। मैंने अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में दे दिया और वो उसको चूसने लगी। शुरु में तो कुछ नखरा दिखाया पर बाद में तो वो लंड को मुँह से छोड़ने को तैयार नहीं थी, मैंने किसी तरह से उसके मुँह से अपना लंड निकला और उसकी टांगों को फैला कर बुर के छेद पर अपने लौड़ा को टिकाया और उसके कमर के नीचे एक तकिया दिया जिससे कि उसकी बुर ऊंची उठ जाये और मुझे बुर पूरी खुली हुई मिले।
अब मुझे बुर का छेद पूरा खुला हुआ दिख रहा था और मैंने अपने लंड को छेद पर रख कर दबाना शुरु किया, वो तड़पने लगी। लेकिन मुझे पहले से पता था कि वो कुंवारी है इसी लिए मैंने उसको इस तरह से जकड़ लिया था कि वो मेरे चुंगल से निकल नहीं सके। मैंने अपने होठों से उसके होंठ दबा रखे थे जिससे कि वो चीख भी नहीं सकती थी।
अब मैंने एक बार पूरी ताकत लगा कर धक्का मारा और अपने लंड को उसकी बुर के जड़ तक पेल दिया। वो पूरी ताकत लगा कर चीखना चाहती थी पर ऐसा हो न सका। वो दर्द की अधिकता से अर्ध- बेहोशी के हाल में पहुच गई क्यूंकि उस समय उसकी उमर केवल 18 साल थी और वो पहली बार चुद रही थी। मैंने बिना रुके उसी हालत में धक्के लगाने शुरु किये और जब देखा कि कोई प्रतिरोध नहीं हो रहा है तो और जोर जोर से धक्के लगाने लगा और अपने लंड को बुर के अंत तक पहुँचाने लगा।
दस मिनट तक मैं उसको बेदर्दी से चोदता रहा और वो अर्ध बेहोशी की हालत में रही। फिर उसे होश आया और उसने लंड को अपनी बुर में महसूस किया। अब शायद उसे भी मजा आने लगा था। अचानक ही उसने अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछालना शुरु किया और अब वो मेरे लंड को अपने बुर की अंतिम गहराई तक लेने की कोशिश करने लगी। यह देख कर मैंने भी अपना स्पीड बढ़ा दी और पूरी ताकत से उसको चोदने लगा।
जल्दी ही मैंने महसूस किया कि उसके बुर से कुछ रिस रहा है और उसने अपने आंखें बंद कर ली हैं। अचानक ही उसने मुझे इस कदर जकड़ा कि मुझे अपनी हड्डियाँ टूटती हुई महसूस हुई और उसने जोर से मेरे कंधे पर अपने दाँत गड़ा दिए। उसकी बुर से पानी साफ़ निकलता हुआ महसूस होने लगा।
मैं भी रुका नहीं और धक्के लगाता रहा और मैंने भी अपना सारा माल उसकी बुर में ही डाल दिया और निढाल हो कर उसके ऊपर गिर पड़ा। थोड़ी देर के बाद हम दोनों को होश आया कि यह हमने क्या किया ! क्यूंकि हमने कंडोम का इस्तेमाल ही नहीं किया और मैंने सारा माल उसकी बुर में ही छोड़ दिया था।
वो रोने लगी- अब मै प्रेगनंट हो जाउंगी !
डर तो मै भी गया था पर मैंने शो नहीं किया और एक केमिस्ट की दुकान पर जाकर एक गोली लाकर उसको खिला दी।
उसके बाद हमारा एक महीना कैसे बीता, यह हम ही जानते हैं क्यूँकि उसकी अगली माहवारी तक हमारी फटी रही !
लेकिन जब सही समय पर उसकी माहवारी हुई तब जाकर मैंने चैन की सांस ली। इस बीच लगभग एक सप्ताह तक वो सही रूप से चल नहीं पाई क्यूँकि जब भी वो चलती थी, उसकी बुर में बहुत जोरों का दर्द होता था।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी? Indian Sex Stories
अन्तर्वासना के सभी Antarvasna पाठकों और गुरुजी को मेरी तरफ से यानि कि पम्मी की तरफ से प्रणाम ! यह अन्तर्वासना पर मेरी तीसरी कहानी है। लोगों की चुदाई की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर चूत गीली हो जाती है। पहली कहानी में जिस तरह मैंने बताया था कि मेरे पति एक फौजी हैं। और मेरे घर में काम करने वाले एक सीरी ने किस तरह दोपहर में मेरी प्यास बुझाई ! आज मैं वहीं से आगे शुरु करने जा रही हूँ।
मैंने बताया था कि जगह और मौका न मिलने से मैं और मेरा सीरी कितने परेशान और प्यासे थे, आने-बहाने हवेली में जाती थी लेकिन कम समय की वजह से चूमा-चाटी तक ही सीमित था, इससे ज्यादा कुछ सिर्फ इतना था कि मैंने दो बार उसका लंड खड़ा किया लेकिन मुँह में ही डालकर उसकी मुठ मारी और फिर कमरे में जा उसकी मुठ मारने वाले सीन को याद कर उंगली डालती और कभी मूली घुसा कर शांत होती।
तभी एक दिन उसने जुगाड़ लगाया और मुझे ट्यूबवेल पर दोपहर में बुलाया। बहुत गर्मी थी लेकिन चूत की प्यास ने मुझे खींच लिया। उस दिन जेठजी किसी काम से शहर गए हुए थे। उनके इलावा ससुर जी वहां जाते लेकिन उस दिन वो भी शहर से बाहर थे। सीरी अकेला था, मैं चली गई उसे मिलने और हम दोनों अकेले में मिलते ही पागल हो गए और एक दूसरे में समा गए। देखते ही देखते उसने मुझे वहीं निर्वस्त्र करके और खुद को निर्वस्त्र करके मुझ पर टूट पड़ा। कितने दिन के बाद दो प्यासे आशिक मिले, मैंने जी भर कर उसका लंड चूसा और उसने मेरे मम्मे दबा कर लाल कर दिए। दांतों के निशाँ साफ़ हवस की कहानी बता रहे थे। जैसे ही असली चीज़ घुसी मेरी आंखें खुद ही बंद होने लगी मेरी चूत में लंड डाल उसका भी वही हाल था।
हम चुदाई में इतने खोये हुए थे दीन-दुनिया से परे, यही सोचा कि इतनी गर्मी में वहाँ कौन आयेगा। चोदते चोदते उसने मुझे उठाया और ट्यूब वेल के आगे बने हुए चुबच्चे पर ले गया। (जिसको शहर में लोग बाथटब कहते हैं) नंगे जिस्म पर जब पानी डला तो साथ में एक मर्द की मजबूत बाँहों का साथ, उसने मुझे किनारे पर बिठा अपना लंड घुसा दिया और तूफ़ान आया जब दो प्यासे जिस्म शांत हुए तो मेरी नज़र जेठ जी पर पड़ी। मैंने पानी में छलांग लगा दी, पूरी नंगी थी मैं, करती भी क्या !
यह सब क्या हो रहा था? मादरचोद ! नमक हराम ! इतने सालों से तू यहाँ रह रहा है और अब यह सब कर रहा है?
इतने में मैं निकल कर ट्यूबवेल के कमरे में घुस गई, कपड़े पहने और वहाँ से निकल आई।
जेठ जी मुझे घूर रहे थे और उनकी इस घूर में हवस के साथ साथ प्यास थी। मैं थोड़ा डर गई लेकिन फिर ठीक सी हुई, उनकी आंखें पड़ने के बाद मुस्कुरा के वापस घर आई। घर पर लॉक लगा देख मैंने अपने पर्स से दूसरी चाभी निकाली और अदंर आई।
प्यास तो बुझ चुकी थी मगर मन बेचैन था, जेठ जी का वासना भरा चेहरा सामने आते ही शर्मा जाती। अब कुछ न कुछ तो होगा यह तो मुझे मालूम था।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी, मैंने दरवाजा खोला- सामने जेठ जी को देख बिना और देखे अपने कमरे में चली आई।
वो माँ को आवाज़ दे रहे थे, मैंने अदंर से ही कह दिया- वो घर में नहीं हैं !
वो अपने कमरे में चले गए, मैं बिस्तर पर लेट गई और अपने कमरे का टी.वी ऑन कर बैठ गई। तभी जेठ जी मेरे कमरे में आये। मुझे हैरानी नहीं हुई, मैं कई बार अपने ही ख्यालों में उनसे चुदाई करवा चुकी थी। मैं सीधी होकर बैठ गई, चुन्नी का पल्लू करके !
तभी जेठ जी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया।
मैं चुप थी !
वहाँ क्या करवा रही थी? फिर बोले- तेरा भी क्या कसूर है रानी ! तुम हो ही आग !
वो अब बिस्तर पर चढ़ आये, मेरे पास बैठ मेरा चेहरा अपनी ओर घुमाया, मैं शरमा गई, अपने होंठ मेरे होंठों पर रखते हुए मेरी जांघों पर अपनी टांग चढ़ा ली, मेरे होंठ चूसने लगे और एक हाथ मेरी कमर में डाल अपने साथ चिपका लिया, पाँव के अंगूठे से मेरी सलवार को सरका मेरी गोरी टांगों का स्पर्श पाने लगे, हाथ से मेरी चुची दबा दी।
मैं भी आपा खोने लगी और खुद ही उनसे लिपट गई- क्या करती जेठ जी? आपका भाई तो फौजी है, इसमें मेरा क्या कसूर? मैं जवान हूँ ! भरी जवानी है, उसका कोई कसूर नहीं था, मैं खुद उसके पास गई थी।
बोले- मैं जानता हूँ रानी, मुझ से कह देती, मैं तुझे ठंडी कर देता !
उन्होंने मेरा कमीज़ उतार दिया फिर सलवार खोल दी। मैंने भी उनका कुरता उतार दिया और उनकी चौड़ी छाती के घने बालों पर हाथ फेरने लगी। पजामा उन्होंने खुद उतार दिया, खड़ा लंड उनका कच्छा फाड़ने को उछल रहा था। जेठ जी मेरी ब्रा की हुक खोल मेरे मम्मे मसलने लगे- क्या जवानी है तेरे पर ! बहुत देर से तुझे चोदना चाहता था, लेकिन कह नहीं पाता था !
मैं खुद आपकी दीवानी हूँ, मेरा भी आप जैसा हाल था !
जेठ जी मेरी कच्छी को उतारते ही बोले- लगता है आज ही सफाई की है ?
मैं शरमा सी गई, मैंने भी उनके कच्छे को उतार उनका लंड हाथ में पकड़ लिया- जेठ जी, इतना ज़बरदस्त लंड है आपका तो ?
मैंने लण्ड को जड़ तक सहलाया और मुँह में ले लिया।
वाह मेरी जान ! इस सुख से मैं वंचित रहा हूँ, आज जी भर कर चुसवाऊंगा अपना लंड !
फिकर मत करो, मैं खुद लंड चूसने की शौकीन हूँ ! मैंने कुतिया की तरह जुबान निकाल कर चाटा, वो आहें भर-भर मेरा मम्मा दबा रहे थे। उनहत्तर की हालत में लाते हुए मैं अपनी चूत उनके हाथों के पास ले आई वो मेरी चूत से खेल रहे थे दाने को मसल देते तो मैं सिकुड़ सी जाती।
तभी मेरी नज़र खिड़की पर गई, मेरा सीरी सब देख रहा था।
अब फाड़ दो मेरी ! जेठ जी ! रहा नहीं जा रहा अब !मैंने अपनी टाँगें खोल दी और उनको बीच में बिठा लिया और उनका तकड़ा लंड अपनी चूत के अदंर-बाहर करवाने लगी। एक एक रगड़ मेरी आंखें बंद कर देती। चुदवाते हुए मेरी नज़र फिर खिड़की पर गई। मैंने इशारा किया।
बोला- वाह चौधरी जी वाह ! मुझे कितने पाठ पढ़ा रहे थे ! और आते ही वही पाठ भूल कर चढ़ गए इस पर?
जेठ बोले- साले, कुछ तो कहना ही था ना ! तू साले ! हर माल एक साथ बांटते थे, इसको अकेला संभाल बैठा था? वो भी कयामत?
यह सुन मैं हंसने लगी और बोली- तू मुझे चुदवाने दे !
जेठ जी लगे झटके देने !
मैं भी आता हूँ !
मैं जेठ जी के साथ सब भूल मजा लेने लगी।
क्या स्टाइल था उनका चुदाई करने का ! मैं तो उनकी दीवानी होती जा रही थी, सीधा लेटते हुए मुझे अपने लंड पर बिठा उछालने लगे गेंद की तरह ! मैं उनके लंड पर ठप्पे खा रही थी मेरे हिलते मम्मो को देख वो भी जोश के साथ नीचे से मुझे उछालते।
इतने में वो भी खिड़की खोल घुस आया, तब जेठ जी मुझे घोड़ी बना कर चोद रहे थे, वो मेरे सामने आया और लंड निकाला, मुँह में दे दिया। वाह ! एक चूत में ! एक मुँह में ! दो-दो एक साथ !
जेठ जी तूफ़ान की तरह चोदने लगे। उतनी ही तेज़ मैं उसका लुल्ला चूस रही थी।
तभी जेठ जी ने कहा- गांड में डालने वाला हूँ !
मेरे ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम उठाई और अपने लंड पर लगाई और कुछ मेरी गांड पर !
जेठ जी सीधे लेट गए, मैंने उनके लण्ड पर अपनी ग़ाण्ड टिका कर बैठना शुरु किया। कुछ पल में मैं उनका पूरा लंड अंदर ले गई। वो भी मेरे मुँह में लगा हुआ था। फिर जेठ जी ने मुझे कहा- मेरी तरफ पीठ करके अदंर ले, ताकि यह भी तेरी चूत में घुसा दे !
मैंने कहा- फट जायेगी !
बोले- हम दोनों ने कई बार एक साथ दोनों छेदों में डाले हुए हैं ! कोई काम वाली हमसे नहीं बची !
तभी सीरी ने आगे से घुसा दिया और दोनों पागलों की तरह मुझे रौंदने लगे।
क्या अलग सा सुख था यह !
जैसे जेठ जी तेज़ हुए, सीरी ने निकाल लिया। जेठ जी औरत को अपने नीचे डाल कर झाड़ते थे, सारा माल मेरी चूत में भर दिया बाकी मुझ से चटवा कर साफ़ करवा लिया। सीरी ने अब मेरी गांड में घुसा दिया और दन-दना-दन चोदने लगा और जल्दी ही सारा माल मेरी कसी हुई गांड में उगल दिया। दोनों मेरे ऊपर लुढ़क गए। मैं नंगी दो मर्दों के सोये लंड पकड़ मजे ले रही थी।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, हम तीनों की फट गई।
जल्दी से उठकर कपड़े पहने, सीरी किवाड़ से भाग गया, जेठ जी कपड़े उठा अपने कमरे में भाग गए।
मैंने दरवाज़ा खोला- माँ थीं !
सो रही थी क्या बहू?
हांजी, माँ जी ! आंख लग गई थी !
उस रात दोनों ने दारू पी मुझे आधी रात को हवेली में चोदा। कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा, तभी मेरी छोटी बहन की शादी तय हो गई और मुझे वहां जाना पड़ रहा था, दिल मेरा भी नहीं था, सासू माँ ने मुझे कहा- छोटी दुल्हन ! चली जा ! बहन की शादी है !
मायके में उनके लंड याद आ रहे थे। एक रोज़ जेठ जी का फ़ोन आया कि वो काम से शहर आये हुए हैं ! मेरे मायके घर के करीब ! बोले- यहाँ मेरे दोस्त का घर है, उसकी बीवी कुछ दिन के लिए मायके गई हुई है, दोपहर में मिलने आ जा !
उसका घर सच में पास था, मैंने कहा- दोपहर में मुश्किल है, रात को बना लो प्रोग्राम !
मैंने इधर माँ से कहा- मुझे एक दिन के लिए सासू माँ के पास जाना है ! उनकी तबियत ठीक नहीं !
माँ बोली- हाँ ! ज़रूर जा ! वो दोनों अकेले होंगे !
मेरे छोटे भाई ने मुझे बस स्टैंड छोड़ दिया और वहीं से जेठ जी के दोस्त अपनी कार पर मुझे अपने घर ले चला, बोला- बहुत सुंदर हो रानी ! उसने मेरी जांघें सहला दी।
वो बहुत हैण्डसम था उसने जानबूझ कर गाड़ी खाली कालोनी की तरफ लम्बे रास्ते डाल ली। जैसे ही उसका हाथ चूत तक गया, मैंने उसका लंड पकड़ लिया।
उसके बाद क्या हुआ, वो अगली बार लिखूंगी ! मैं बहुत चुदासी औरत हूँ, रंडी कह लो, सब चलेगा ! लेकिन मर्द के बिना मैं नहीं रह पाती ! वो भी पराये मर्दों के बिना !!!!!
जवाब लिखो ! Antarvasna
मेरे प्यारे दोस्तो!इस कहानी को पढ़ने वाली लड़कियों, भाभियों Hindi Porn Stories और आंटियों को मेरा प्यार!मेरे बचपन के दोस्त राहुल की शादी को तीन महीने ही हुए थे। उसकी पत्नी का नाम पूनम है। उसकी शादि चूंकि पूनम के परिवार वालों ने हमारे शहर में आकर की थी तो उनकी देखरेख का काम मैंने ही किया था। इसी कारण पूनम भी मुझे पहचानने लगी थी। जब मैंने उसे पहली बार देखा तो मैं मन ही मन सोचने लगा कि बेटा राहुल तेरी तो किस्मत ही खुल गई क्योंकि पूनम बहुत सुन्दर है, 5’4″, लम्बे बाल, गुलाबी होंट, आंखें बड़ी बड़ी और नशीली और आवाज कोयल की तरह है। पूनम और राहुलदोनों एम एस सी पढ़े हैं।
अब मैं राहुल के घर कम ही जाने लगा और राहुल इस बात की शिकायत भी करता कि मैं उसके घर नहीं आता। तो मैंने एक दिन कहा कि मैं आने लगूंगा तो भाभी मन ही मन कहेंगी कि अमन जब देखो यहीं पड़ा रहता है। यह बात सुन कर वो नाराज़ हो गया और कहने लगा कि अमन तू ऐसी बात करता है और पूनम कहती है कि अमन जी आते ही नहीं हैं, क्या अमन जी मुझसे नाराज़ हैं। यह बात सुनकर मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैंने राहुलसे कल आने का वायदा किया, वैसे तो हमारे घर पास पास ही हैं।
अगले दिन मैं उसके घर गया तो मुझे पूनम भाभी मिली, वो रसोई में नाश्ता बना रही थी। मैंने भाभी को हेलो बोला और राहुलके बारे में पूछा।
पूनम मुझे देख कर काफ़ी प्रसन्न हुई और बोली- अमन जी! आज आप कैसे सुबह सुबह आ गए! चलो आए हो तो अपने दोस्त से ही मिलने आए होंगे।
मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं, बस काफ़ी दिनों से कुछ ज्यादा काम आ गया था, इसलिए नहीं आया।
पूनम बोली- राहुलबाज़ार गए हैं, आज शाम को उन्हें ओफ़िस के काम से इन्दौर जाना है, इसलिए घर का सामान लेने गए हैं। आप बैठिए, मैं नाश्ता लाती हूँ।
मैंने कहा- नहीं भाभी, मैं नाश्ता नहीं करूंगा।
तो पूनम बोली- अमन जी! एक बार नाश्ता कर के देखें कि मैं कैसा नाश्ता बनाती हूँ।
तो मैं पूनम भाभी को मना नहीं कर पाया। फ़िर भाभी ने पूछा- आप चाय लेंगे या जूस?
तो मैंने कहा- भाभी, मैं तो सुबह चाय ही लेता हूँ।
भाभी दो कप चाय ले आई और हम साथ साथ ही नाश्ता करने लगे। मैंने पूनम की ओर देखा, वो काले रंग के गाऊन में थी। पूनम के दूध के समान गोरे रंग पर काला गाऊन काफ़ी जच रहा था। शायद पूनम ने ब्रा नहीं पहनी थी फ़िर भी उसकी छाती काफ़ी आगे को उभरी हुई थी। उसे देख कर मेरे मन में अजीब सी हरकत होने लगी लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जो पूनम को बुरा लगे।
थोड़ी देर बाद राहुलभी आ गया और मुझे देख कर बहुत प्रसन्न हुआ, बोला- अच्छा हुआ अमन तुम मुझे यहाँ पर ही मिल गए।
मैंने पूछा- कुछ काम था क्या?
राहुलबोला कि मैं एक सप्ताह के लिए इंदौर जा रहा हूँ और तुम्हारी भाभी को बाज़ार से कुछ सामान की आवश्यकता थी इसलिए तुम और पूनम बाज़ार से सामान ले आना।
मैंने कहा- तुम चिन्ता मत करो।
फ़िर अगले दिन पूनम का फ़ोन आ गया कि अमन जी आज हम बाज़ार चलें अगर आप को कोई और काम ना हो तो।
मैंने पूनम को शाम पांच बजे का समय दिया और शाम को जब मैं भाभी के घर गया तो वो बाज़ार जाने के लिए तैयार थी। आज भाभी ने सफ़ेद कमीज़ और काले रंग की जींस पहन रखी थी और आज भी काफ़ी सुन्दर दिख रही थी। मैंने भाभी को बताया कि मैं कार ले कर आया हूँ तो भाभी ने कहा कि बाज़ार में कार बहुत तंग करती है इसलिए आओ अपनी बाईक ले लो। फ़िर मैं बाइक ले आया और वो बाईक पर लड़कों की तरह बैठी। ब्रेक लगने पर भाभी की चूची मेरी कमर से लग जाती। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि कम से कम भाभी और मैं आपस में स्पर्श तो हुए।
खरीदारी के बाद मैंने भाभी से पूछा कि आप क्या खाएंगी तो वो बोली कि कुछ भी जो आप खाएं। हमने एक होटल में जाकर कुछ खाया पिया और घर की ओर चल दिए। शाम के साढ़े सात से ज्यादा बज गए थे तो भाभी को घर छोड़ कर मैं बोला- भाभी मैं चलता हूँ।
भाभी बोली-मैं चाय ला रही हूँ, काफ़ी थक चुके हैं! फ़िर मैंने और भाभी ने चाय पी और थोड़ी देर बाद मैं अपने घर आ गया।
आज भाभी के साथ रहने से हम दोनों काफ़ी खुल गए थे और मजाक भी कर लेते थे। अगले दिन रविवार होने के कारण मैं पूनम के घर गया तो भाभी एक किताब पढ़ रही थी। मुझे देख कर बोली- अच्छा हुआ अमन जी आप आ गए, मैं बहुत बोर हो रही हूं। अगर आप कहें तो कोई मूवी देखने चलें?
मैंने हाँ कर दी तो भाभी बोली- मैं तैयार हो कर आती हूँ।
जब भाभी आई तो मैं देखता ही रह गया क्योंकि भाभी लाल रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ में थी। मैं भाभी को देखता ही रहा तो वो बोली- अमन जी क्या हुआ! कहाँ खो गए?
मैंने तुरन्त कहा- भाभी जी! आपको देख कर खो गया हूँ, आप बहुत सुन्दर लग रही हैं। तो भाभी हंसने लगी। फ़िर हम दोनों माल आ गए और मूवी देखने लगे। अच्छी मूवी थी। जैसे ही हम माल से बाहर निकले तो मेरे एक अच्छे मित्र ने मुझे देखा और पुकारा- अमन!
मैंने देखा तो वो रमण था। मैं रुका और रमण और उसकी पत्नी से मिला और पूनम से मिलवाते हुए कहा- यह पूनम है…
मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि रमण बोल पड़ा- भाभी जी नमस्ते! और मुझसे बोला- यार! शादी भी कर ली और बताया भी नहीं!
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं…!
लेकिन मेरी बात काट कर रमण बोला- भाभी चलो, हमारे घर चलते हैं, तो मैंने मना किया और कहा कि बाद में आऊँगा। पर रमण ने कहा कि नहीं आज ही!
तो हम रमण के घर चल दिए। घर आकर रमण ने कहा- यार! शादी में क्यों नहीं बुलाया? इससे पहले कि मैं कुछ कहता। पूनम बोल पड़ी- रमण जी! हमारी लव मैरिज़ है और अचानक ही हो गई, इसी कारण किसी को भी नहीं बुला पाए। रमन और उसकी बीवी ने हमें खाना खाने के बाद ही आने दिया। अब रात भी हो चुकी थी। हम घर के लिए निकले और मैंने कहा- भाभी जी! आपने ऐसा क्यों कहा?
तो भाभी बोली- आपको बुरा लगा क्या?
मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं!
तो वो बोली- फ़िर क्या बात है?
मैंने कहा- भाभी! हमारी ऐसी किस्मत कहाँ कि आप हमारी पत्नी बनें!
भाभी बोली- पत्नी नहीं पर भाभी तो हूं!
मैंने कहा- हाँ! यह तो है!
फ़िर हम घर आ गए और मैंने कहा कि भाभी रात के ग्यारह बज गए, मैं चलता हूँ।
भाभी ने कहा- रुको! ज़रा मैं कपड़े बदल लूँ! और भाभी काले रंग का गाऊन पहन कर मेरे पास बैठ गई और बोली- अमन जी, शादी कब करोगे?
मैंने कहा- जब आप जैसी कोई मिल जाएगी तो कर लूंगा, आज मिले तो आज ही कर लूंगा।
पूनम ने कहा- अगर मैं ही मिल जाऊँ तो?
भाभी की इस बात को सुन कर मैं दंग रह गया और कुछ बोल नहीं पाया।
भाभी बोली- अमन जी! क्या हुआ, सांप सूंघ गया क्या?
मैंने कहा- नहीं भाभी पर मैं समझ नहीं पाया कि आपने क्या कहा।
तो पूनम ने कहा- मैं आप से प्यार करती हूँ।
मैंने कहा- सिद्धार्थ?
भाभी ने कहा- राहुलको कुछ पता नहीं चलेगा। इतना कह कर भाभी मेरे पास लेट गई और मुझे किस किया। मैंए भी उसे पसन्द करता था इसलिए मैं भी विरोध ना कर सका।
फ़िर भाभी बोली- अमन, अगर आपको मैं पसन्द नहीं तो रहने दो।
मैंने कहा- नहीं भाभी! ऐसी कोई बात नहीं, आप मुझे अच्छी लगती हो।
पूनम ने कहा- तो मुझे पूनम नाम से पुकारो!
मैंने कहा- पूनम! मैं तुमसे प्यार करता हूँ और मैंने पूनम को उसके लाल रंग के होटों पर किस किया और फ़िर तो मैं और पूनम एक दूसरे के मुँह में जीभ देने लगे। आधे घण्टे इस तरह एक दूसरे के साथ चिपके रहे। तब पूनम ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, मैंने भी पूनम के कपड़े उतारने शुरू कर दिए।
पूनम बोली- अमन, आज तुम्हारी मेरे साथ पहली सुहागरात है, अभी रुको, आज हम सुहागरात मनाएंगे, मैं तैयार होती हूँ।, तुम एक अच्छी सी नग्न फ़िल्म लगाओ।
मैंने एक ब्लू फ़िल्म लगा दी और देखता रहा। काफ़ी देर बाद पूनम आई तो उन्हीं कपड़ों में थी जो उसने अपनी शादी के दिन पहने थे और काफ़ी सुन्दर दिख रही थी। आते ही मैंने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और किस करने लगा। मैं कुछ जल्दी कर रहा था तो पूनम ने कहा- जल्दी ना करो, पूरी रात बाकी है।
मैं पूनम की चूची जोर जोर से दबाने लगा तो पूनम गर्म हो गई। मैंने एक एक कर के पूनम के सारे गहनें उतार दिए और फ़िर उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया। फ़िर जब लहंगा भी उतार दिया तो पूनम के शरीर पर केवल ब्रा और पेंटी ही बची थी। उसकी आंखें बंद थी और वो गर्म सांसें छोड़ रही थी। मैं पूनम के शरीर के सब हिस्सों पर किस करने लगा और फ़िर मैंने उसकी ब्रा को भी फ़ाड़ के उसके शरीर से अलग कर दिया। जैसे ही मैंने उसकी पेंटी को हाथ लगाया तो वो गीली थी।
मैंने पूनम से कहा- पूनम! तुम तो झड़ चुकी हो।
उसने कहा- हाँ!
लेकिन मैं तो अब भी पागल हो रहा था, शायद मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सच है। मैंने पूनम के शरीर से पेंटी अलग कर दी और उसकी पेंटी अपने लण्ड से रगड़ने लगा तो पूनम ने कहा- इसे छोड़ो, मैं हूँ ना!
उसके बाद पूनम ने मेरे लण्ड को पहला स्पर्श किया तो लण्ड पहले से भी ज्यादा गर्म और कड़क हो गया। वो मेरे लण्ड को आगे पीछे कर रही थी और मैं उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। पूनम के मुँह से सी सी की आवाज़ें आने लगी और वो अपने चूतड़ ऊपर करने लगी।
फ़िर पूनम ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया तो ऐसा लगा कि मैं उसके मुँह में झड़ जाऊँगा।
मैंने पूनम से पूछा- पूनम, तुमने राहुलसे पहले किसी के साथ यह काम किया है?
तो उसने कहा- पहले मुझे पता ही नहीं था कि इसमें इतना मजा आता है।
मैंने कहा- तुम्हें राहुलके साथ मजा नहीं आता क्या?
तो पूनम ने कहा- आता है! लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुम्हारे ही बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। अगर मैं तुमसे प्यार ना करती तो क्या मैं ऐसे सुहागरात मनाती।
यह सुन कर मुझे अच्छा लगा और मैंने पूनम के मुंह में अपनी जीभ दे दी। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे पास कन्डोम होगा? तो पूनम ने कहा- कंडोम की जरूरत नहीं है।
फ़िर मैंने पूनम की चूत पर अपना लण्ड रख कर अन्दर किया तो आधा उसकी चूत में चला गया। एक और झटके में मैंने पूरा का पूरा लण्ड पूनम की चूत में डाल दियाऔर जोर जोर से झटके मारने लगा तो पूनम को भी मजा आने लगा। दस बारह झटकों में मैं झड़ गया और पूनम भी झड़ गयी और उसकी चूत में अपना वीर्य डाल दिया।
पूनम ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया तो मेरा लण्ड पाँच मिनट में ही पहले की तरह खड़ा हो गया। फ़िर मैंने पूनम को घोड़ी बना कर चोदा। इस प्रकार हम सुबह के चार बजे तक चुदाई करते रहे और हमें कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह साढ़े पाँच बजे घर पर बैल बजी तो पूनम ने अपना गाऊन पहना और गेट पर जाकर आई तो मैंने पूछा कि कौन था?
उसने कहा- दूध वाला था। अमन! तुम चाय लोगे?
तो मैंने हाँ कर दी। पूनम चाय ले कर आई तो मैं नंगा ही लेटा था। मैंने पूनम को अपने पास खींच लिया तो उसने कहा कि अब भी कोई कमी रह गई है क्या!
मैंने कहा- हाँ! और उस कमी को पूरा करना है।
तो पूनम ने कहा- सुबह हो चुकी है, अमन अब रहने दो!
लेकिन मेरे लण्ड को तो गर्मी चढ़ी थी। पूनम मना करती रही और मैं पूनम को खींचता रहा। ऐसा करने से पूनम का गाऊन फ़ट गया और पूनम मुझ से लिपट गई। फ़िर हमने तीन बार काम किया और एक बार पूनम के मुँह में झाड़ा। पूनम काफ़ी खुश थी।
पूनम ने कहा- अब जब तक राहुलनहीं आ जाता, आप ही मेरे पति की तरह यहाँ पर रहोगे। इस प्रकार हम एक दूसरे को मजा दिलाते रहे।
और अब जब भी राहुलबाहर जाता है तो हम खूब चुदाई करते हैं। Hindi Porn Stories
मैं भी अन्तर्वासना के लाखों Hindi Sex Stories चाहकों में से एक हूँ। मैंने यहाँ बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं। कुछ तो इतनी लाजवाब हैं कि पढ़ते-पढ़ते किसी का भी लण्ड खड़ा/चूत गीली कर दे।
यह मेरी प्रथम सेक्स की कहानी है जो मैं आप सब को बताने जा रहा हूँ। एक प्यासी स्त्री की सच्ची कहानी।
अभी मेरी उम्र 30 वर्ष है पर यह कहानी 11 वर्ष पहले की है। यह मेरी पहली कहानी है, लिखने में कोई भूल हो तो माफी चाहता हूँ।
मेरा नाम जय है और मैं सूरत में रहता हूँ। बचपन से ही मैं अपने दादा-दादी और चाचा के साथ बैंगलोर में रहा और वहीं पढ़ाई की, वहाँ पर दादा की स्थाई नौकरी थी और चाचा दुबई में नौकरी करते थे।
चाचा की शादी को 8 साल हुए थे और उनकी 2 बेटियाँ थी। चाचा साल दो साल में एक बार आते और 1 महीना रहते थे।
जैसा कि मैंने आप को बताया कि चाचा दुबई में थे और साल दो साल में एक महीने के लिये आते थे। तो आप समझ सकते हैं कि चाची कि हालत क्या होती होगी जब चाचा वापस चले जाते होंगे। दादा -दादी साथ रहते थे इसलिए उन्हें कहीं बाहर जाने या किसी से मिलने का भी कोई मौका नहीं था, बस कभी कभी कुछ काम हो तो मेरे साथ जाती थी।
मेरी चाची के साथ अच्छी बनती थी, मैं काम में उनकी मदद भी कर दिया करता था। और जब चाचा दुबई जाते तो मैं चाची के कमरे में सोता था, सब कुछ सामान्य था। मैं चाची के साथ मस्ती भी बहुत करता था लेकिन कभी उन्हें वासना भरी नज़र से नहीं देखा था।
समय बीतता गया और मैं भी जवानी में कदम रख रहा था और कुछ दोस्तो के साथ मिलकर कभी कभी ब्ल्यू फिल्म देख लिया करता था और कुछ सेक्स की किताब भी पढ़ता था छुप-छुप कर और कभी कभी मुठ भी मार लिया करता था।
जैसे जैसे मुझे सेक्स के बारे में पता चलता गया मेरी नज़र बदलती गई और मेरी नीयत बदलती गई। अब मैं चाची के बारे में सोच सोच कर मुठ मारने लगा और मन में उन्हें चोदने की इच्छा जागी।
हमारे घर में दो बेड रूम थे, एक में दादा-दादी और चाची की एक बेटी सोते और दूसरे में मैं चाची और मेरी एक चचेरी बहन सोते थे। (मैं एक बेड पर और चाची और बहन एक बिस्तर पर सोते। मैं दस साल का था तब चाचा की शादी हुई थी और चाचा एक महीने के अंदर ही वापस चले गये थे, तब से मैं चाची के कमरे में ही सोता हूँ)
जिस दिन मैंने कोइ ब्ल्यू फिल्म देखी हो उस रात मुझे नींद ही नहीं आती, पूरी रात चाची को देखने में ही निकल जाती, कभी उनकी नाईटी ऊपर सरक आती और उनकी गोरी जांघ दिखाई देती तो कभी उनके स्तनों की झलक मिलती।
नाईट लेम्प की रोशनी में ही मजे लेने पड़ते थे। कई बार सोचा कि उनके स्तन दबाऊँ, गोरी जांघ पर हाथ फेरूँ, पर डर लगता था कि कही चाची ने शोर मचाया और दादा दादी को बता दिया तो अंजाम बहुत बुरा होगा।
समय बीतता गया और धीरे-धीरे अब मैं सेक्सी किताबें और ब्ल्यू फिल्म की केसेट घर पर ही लाने लगा और जब भी मौका मिलता, छुप-छुप कर पढ़ता और फिल्म देखता था।
जब भी मौका मिलता, मैं उनके गुप्त अंगों को देखने की कोशिश करता और मस्ती-मस्ती में उन्हें छू भी लेता था। चाची भी इसका कोइ विरोध नहीं करती थी, शायद उन्हें भी आनन्द आता था। लेकिन यह सब तभी होता था जब दादा-दादी कहीं बाहर गये हों।
तभी हमारे एक रिश्तेदार की मृत्यु हो गई और दादा-दादी को 15 दिनों के लिये सूरत जाना पड़ा। अब घर पर मैं, चाची और उनकी 2 बेटियाँ रह गये। दोनों बेटियों दे स्कूल दोपहर के थे और मेरी सुबह में! यानि मैं घर आता तो वो दोनों स्कूल गये होते थे और शाम को 5.30-6.00 बजे आते थे।
दादा-दादी को गए दो दिन हो गये थे और इन दो दिनों में मैंने देखा कि चाची कुछ बदली-बदली सी लग रही थी। मतलब एक दम बिंदास, मस्ती ज़्यादा और काम कम!
और घर पर कोई बुजुर्ग नहीं होने की वजह से उनके कपड़े भी अस्त-व्यस्त रहने लगे थे, लेकिन इससे मुझे भी आनन्द मिलने लगा और मैं उनके गोरे सेक्सी बदन को देखने और छूने का कोई मौका नहीं छोड़ता।
मैं अपने दोस्त से ब्ल्यू फिल्म की एक केसट ले आया और कमरे में ही छुपा दी, जो मुझे देख कर लौटानी थी। सोचा घर पर कोई नहीं हो और मौका मिले तो देख लूंगा।
अगले दिन मैं कॉलेज़ से लौटा, चाची ने कहा- चलो जल्दी से कपड़े बदल ले, मैं खाना लगाती हूँ और वो रसोई में चली गई। मैंने कपड़े बदले और खाना खाना खाने बैठ गया। खाना खाकर चाची पास ही कुछ सब्जी लेने चली गई और मैं घर पर अकेला!
मैंने सोचा कि मौका अच्छा है फिल्म देखने का, और मैं वो केसेट लेने कमरे में गया। वहाँ जाकर देखा तो केसेट वहाँ से गायब था। मैं एकदम चिन्ता में पड़ गया। एक तो केसेट दूसरे का और कहीं चाची के हाथ में आ गया तो दादा-दादी को बताने का डर!
मैंने सब सामान इधर उधर कर दिया पर वो केसेट नहीं मिला। थोड़ी देर में चाची वापस आ गई तो मैंने जल्दी-जल्दी सब सामान वापस रख दिया और कुछ बाहर ही रह गया।
चाची आई तो पूछने लगी- यह सब क्या कर रहे हो? और सामान क्यों निकाला?
मैंने कहा- कुछ नहीं! एक किताब रखी थी मैंने अंदर! वही ढूंढ रहा हूँ, मिल नहीं रही है।
मेरी चिन्ता मेरे चेहरे पर साफ नज़र आ रही थी और चाची जिस तरह मुझे घूर रही थी वो देख कर मुझे लग रहा था कि वो केसेट उनके हाथ लग गई है।
वो वही बैठ गई और थोड़ी देर मेरी हरकतों को देखती रही, मेरी चिन्ता देख वो बोली- चिन्ता मत कर, तूने और कहीं रख दी होगी, बाद में आराम से ढूंढना, मिल जायेगी। अपने घर में से कहाँ जायेगी।
उस रात मुझे नींद नहीं आई, पूरी रात सोच में ही निकल गई कि अब क्या होगा?
खैर रात बीत गई और सुबह हुई। सुबह से ही मैंने चाची में कुछ बदलाव देखे! चाची बहुत खुश नजर आ रही थी और वो मुझमें भी बहुत दिलचस्पी दिखा रही थी। किसी न किसी बहाने से मेरे गाल पकड़ती तो कभी प्यार से बालों में हाथ फेरती।
खैर मैं कॉलेज़ चला गया पर वहाँ भी मन नहीं लगा। दोपहर 12.15 बजे घर वापस आया, चाची अपने काम में व्यस्त थी तो मैं फिर से विडियो केसेट ढूंढने मे लग गया क्यूंकि घर पर मेरे और चाची के अलावा और कोई नहीं था।
‘तुम क्या ढूंढ रहे हो? मैं कुछ मदद करूँ तुम्हारी?’
यह सुनकर मुझे थोड़ा और यकीन हो गया कि वो केसेट चाची के ही पास है, लेकिन डर के मारे कुछ बोल नहीं पाया। फिर चाची वहीं बैठ गई और मेरी हरकतों को देखती रही। थोड़ी देर बाद चाची ने फिर से पूछा- सच बताओ कि क्या ढूंढ रहे हो? जो है सच बताओ मैं कुछ नहीं कहूंगी। हो सकता है कि मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकू!
यह सुनकर मुझ में थोड़ी हिम्मत आई और मैंने कहा- मैंने यहाँ एक वीडियो केसेट रखा था, मिल नहीं रहा! वही ढूँढ रहा हूँ!
तो चाची ने पूछा- कौन सा केसेट? किस फिल्म का था?
मैंने डर के मारे कहा- मेरे दोस्त के भाई के शादी का था!
चाची ने तुरंत पूछा- कल से तू वही ढूंढ रहा है?
मैंने कहा- हाँ चाची!
‘तो कल क्यों झूठ बोला था तूने?
मैं कुछ नहीं बोल सका। फिर चाची मेरे पास आई और मुस्कुराते हुये मेरे गाल पकड़ कर कहा- इतना परेशान मत हो, मिल जायेगी! चल सब सामान वापस रख दे अभी!
इतना बोल वो वहाँ से चली गई और अपने काम में लग गई। चाची की बातें सुनकर मुझे थोड़ा डर भी लगा और कहीं थोड़ी खुशी भी हो रही थी, खुशी इस बात की कि अगर चाची ने वो वीडियो देख ली है और मुझसे नाराज़ नहीं हैं तो मेरा उन्हें चोदने का सपना सच हो सकता है। लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी चाची से कुछ भी कहने की। मैं हाल में सोफे पर बैठा था, मन में कई प्रकार के सवाल जवाब चल रहे थे।
तभी चाची आई और मेरे बाजू में बैठ गई। तभी मैंने हिम्मत कर के कहा- चाची, अगर वो केसेट आप के पास है तो प्लीज मुझे दे दीजिये, वो वापस लौटानी है मुझे!
चाची- अरे तुझे कहा ना, टेन्शन मत ले, पहले जा और अपने कपड़े बदल ले!
मैं तुरंत उठा और दूसरे कमरे में कपड़े बदलने लगा। तभी मैंने अलमारी के शीशे में देखा तो मेरे पीछे चाची दरवाजे के पास खड़ी मुझे देख रही हैं। मैंने उन्हें लगने ही नहीं दिया कि मैंने उन्हें देख लिया है, और जैसे ही मैं कपड़े बदल कर मुड़ा, चाची वहाँ से जा चुकी थी।
वहाँ से मैं रसोई में गया, चाची खाना परोस रही थी, मैं खाना खाना खाने बैठ गया। हम दोनों आमने-सामने बैठे थे, मैंने चुपचाप सर झुकाये खाना खाया और बेडरूम में आकर अपनी किताब ले कर बैठ गया।
थोड़ी देर बाद चाची भी आ गई और एक मैगज़ीन लेकर मेरे पास बैठ गई। थोड़ी देर बाद चाची ने मस्ती शुरू कर दी, वैसे तो हम अकसर करते थे, पर जैसा मैंने कहा, उस दिन उनका मूड कुछ अलग ही था। वो मुझे गुदगुदी करने लगी।
मैंने कहा- प्लीज़ चाची, मत करो ऐसा, मैं करुंगा तो आप को पता चलेगा, फिर मत बोलना!
चाची तुरंत बोली- अच्छा तो क्या करेगा तू? हाँ? मैं भी तो देखूँ जरा?
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