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मैं नवीन हूँ। मेरे परिवार में हम चार Hindi Sex Stories लोग हैं, मैं, मेरी दो बहनें बड़ी पूनम और छोटी राखी और मेरी माँ गीता। मेरे पापा की मौत आज से दो साल पहले हो चुकी थी। मेरी छोटी बहन मुझसे दस माह छोटी और बड़ी बहन एक साल बड़ी है। हम लोगों के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। पिछले साल हमने सफारी गाड़ी ली थी जो हमारे गैराज में खड़ी रहती थी। गैराज का एक गेट मेन-गेट की तरफ और दूसरा घर के अन्दर खुलता है। हमारा घर चारों ओर से बंद है जिसकी वजह से कोई हमारे घर में नहीं देख सकता।
एक दिन माँ और बड़ी बहन को एक शादी में जाना था सो वो दोनों सुबह तैयार होकर शाम तक आने का कह कर चली गई। हमारे कॉलेज में भी खेल चल रहे थे इसलिए मैं भी शाम तक आने का कह कर अपने स्पोर्ट्स जूते पहन कर चला गया। कॉलेज में आते ही सबसे पहले हमारा ही मैच था और २ घंटे में ही हमारा मैच ख़त्म हो गया और मैं जूते बदलने के लिए घर आ गया।
जब मैं घर पहुंचा तो जैसे ही मैं घण्टी बजाने को था कि मुझे एक आह की आवाज़ सुनी जो गैराज में से आ रही थी। मैं बिना घण्टी बजाये अन्दर आ गया और गैराज की तरफ देखा तो अन्दर वाला गेट खुला था और गाड़ी खड़ी थी। जैसे ही मैं और आगे गया, मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। राखी अपनी सलवार कमीज उतारे सिर्फ ब्रा और पेंटी में ही हैंड ब्रे़क के सिरे पर बैठी थी जो उसकी चूत के अन्दर था। मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगी देखा था और वो भी राखी, अपनी बहन को !
मेरा लंड खड़ा हो गया। राखी उसके ऊपर नीचे हो रही थी जिससे कभी वो उसकी चूत में जाता और कभी बाहर निकलता। तभी घण्टी बजी और मैं अपने कमरे की तरफ चला गया। राखी गाड़ी में से बाहर आई, पूछने लगी- कौन है?
तभी बाहर से आवाज आई- मैं पूनम हूँ।
राखी वैसे ही ब्रा पेंटी में ही गेट खोलने चली गई। जैसे ही पूनम अन्दर आई, राखी उससे लिपट गई और उसके होठो को चूमना शुरू कर दिया तो पूनम बोली- यह क्या कर रही है तू ?
तो राखी ने कहा- वही जो रोज रात को करते हैं नवीन के सोने के बाद।
पूनम कहने लगी- वो तो रात को करते हैं दिन में तो नहीं।
राखी- क्यों दिन में क्या होता है, आज तो घर पर कोई नहीं है, माँ भी शाम को आएगी और नवीन भी अभी नहीं आएगा, आज तो अभी करेंगे।
और वो पूनम के स्तन दबाने लगी, जिससे उसे भी मस्ती चढ़ गई और वो भी उसे चूमने लगी। मुझे पता नहीं था कि वो दोनों रात एक दूसरी की प्यास बुझाती हैं मेरे सोने के बाद ! क्यूंकि हम तीनों एक ही कमरे में सोते हैं।
पूनम- यार ! काश कोई लड़का हमारे साथ होता तो कितना मजा आता !
राखी- अरे कोई लड़का क्यों ? हमारा नवीन ही क्यों नहीं?
पूनम- अरे वो तो हमारा भाई है ! वो हमें थोड़े ही चोदेगा !
राखी- क्यों नहीं चोदेगा ? क्या उसका लंड नहीं है ? मैंने कई बार देखा है उसका बाथरूम में से ! बहुत बड़ा है !
मैं उनकी बातें सुन कर धीरे से बाथरूम की तरफ चल पड़ा क्योंकि मुझ से अब रहा नहीं जा रहा था जैसे ही मैं बाथरूम में पंहुचा, राखी पूनम से बोली- चल बाथरूम में चलते हैं, साथ नहायेंगे !
यह सुनते ही मैं बाथरूम में परदे के पीछे छुप गया और वो दोनों वहाँ आ गई, दोनों नंगी थी और एकदम गोरी चिकनी !
वो दोनों टब में बैठ गई और एक दूसरे की चूत को मसलने लग गई, कभी स्तन मसलती कभी चूत में ऊँगली करती !
राखी- अगर नवीन भी हमारे साथ मिल जाये तो हमें न तो देर रात तक जागना पड़ेगा और हमारे लंड लेने की भी जरुरत पूरी हो जायेगी। मैं तो उसे पटाने के लिए आज रात से ही कोशिश शुरू कर दूंगी। कभी नींद के बहाने उसके ऊपर हाथ रखूंगी कभी टांग, कभी उसके लंड पर हाथ रखूंगी।
पूनम- तो फिर मैं भी उसे पटाने की पूरी कोशिश करुँगी पूरी रात और दिन में भी, पर ध्यान रखना कहीं माँ को पता न चल जाये। अरे यह क्या कर रही है तू? जरा जोर से उंगली डाल चूत के अन्दर पूरी डाल दे ! आह ! बहुत मजा आ रहा है ! ओ नवीन ! मैं झड़ने वाली हूँ ! आह ! जल्दी कर !
राखी- और कैसे करूँ? पूरी तो दे दी है ! अब तो नवीन ही दे सकता है आगे ! मेरी चूत में भी पूरी डाल दे ! आह मेरा भी निकलने वाला है ! आह ! आह ! ऊउऊ डाल दे पूरी ! दो डाल दे !
मेरा भी अपने आप ही निकलने वाला हो गया था उनकी मस्त चूत देख कर और बातें सुन कर !
कुछ देर में वो दोनों चली गई और टीवी देखने लग गई। मैं भी अपना माल निकाल कर अपने कमरे में आ गया और सो गया। मुझे सपने में भी उनकी बातें सुन रही थी। मैं कुछ देर बाद बाहर चला आया और उन दोनों के बीच में बैठ गया। मेरी टाँगें उन दोनों की टांगो के साथ लग गई और मैंने पूनम से रिमोट माँगा तो उसने पूछा- नवीन तुम कब आये?
मैंने उससे कहा- मुझे आये हुए एक घंटा हो गया !
तो उन दोनों का चेहरा शर्म से लाल हो गया।
पूनम- तो अब तक कहाँ थे?
मैंने कहा- अपने कमरे में सो रहा था !
मैंने उससे दुबारा रिमोट माँगा तो वो बोली- मेरा सीरियल आ रहा है !
तो मैंने उसे छूने के लिए उसके हाथ से रिमोट छीनना चाहा पर वो थोड़ा पीछे हट गई और मेरे हाथ उसके वक्ष पर लग गए। उसने मेरी तरफ तिरछी नजर से देखा तो मैंने अपने हाथ हटा लिए और ऐसे दिखाया कि जैसे मुझे कुछ पता ही न हो।और दोबारा उठ कर उसकी तरफ बढ़ा तो वो और पीछे सरक गई। जब मैंने उस पर झपटी मारी तो उसने रिमोट राखी की तरफ फ़ेंक दिया। जैसे ही में उसके ऊपर गिरा तो उसने हटने की कोई कोशिश नहीं की और मैं उसके ऊपर गिर गया। मुझे समझ में आ गया कि वो मुझे पटाना चाहती है इसलिए मैं भी उसके ऊपर से हटा नहीं तो उसने मुझे थोड़ा सा धक्का दिया जिससे मैं उसे पकड़े हुए उसके साथ ही गिर गया। वो मेरे ऊपर थी जिससे उसके स्तन मेरे सीने से टकरा रहे थे। उसने अब भी उठने की कोई कोशिश नहीं की। मैंने उसे उठाने के बहाने उसके दोनों स्तन पकड़ लिए और उसे अपने ऊपर से उठा दिया।
वाह क्या नरम गरम स्तन थे !
और खुद भी उठ कर बैठ गया।
राखी ने रिमोट अपने टॉप के नीचे ब्रा में छुपा रखा था। मैंने जब राखी से रिमोट माँगा तो उसने कहा- मेरे पास रिमोट नहीं है !
तो मैंने उससे कहा- मुझे पता है कि रिमोट कहाँ है, तू मुझे अपने आप दे दे, वरना मैं छीन लूँगा।
उसने कहा- मेरे पास नहीं है ! अगर है तो तुम छीन लो !
और अपने दोनों हाथ हवा में उठा दिए, जिससे मुझे रिमोट उसके टॉप में साफ दिख गया। मैंने भी उसके स्तन छूने थे इसलिए उससे दोबारा रिमोट नहीं माँगा और सीधा उसके पास आकर उसके टॉप में हाथ डाल दिया। राखी ने मेरी तरफ देखा पर कहा कुछ नहीं ! बस थोड़ा सी पीछे हट गई। मैंने अपना हाथ उसके टॉप के और अन्दर तक डाल दिया और मेरे हाथ उसके स्तनों पर लगे। जैसे ही मेरे हाथ उसके बूब्स पर लगे, पूनम ने पीछे से मुझे धक्का दे दिया और मेरे ऊपर गिर गई जिससे राखी मेरे नीचे और पूनम मेरे ऊपर और मेरा हाथ राखी के टॉप के अन्दर था, जिसे पूनम ने रिमोट पकड़ने के बहाने ऊपर से पकड़ लिया और मेरा हाथ राखी के बूब्स पर दब गया।
पूनम ने मेरा हाथ ढीला छोड़ कर दोबारा उसके बूब्स पर दबा दिया जिससे राखी के मुँह से सिसकारी निकल गई। जब मैंने दोबारा रिमोट पकड़ कर हाथ बाहर निकलना चाहा तो पूनम ने एकदम मेरा हाथ राखी के बूब्स पर दबा कर और साथ ही उसके टॉप को पकड़ कर बाहर खींचा तो राखी का टॉप ऊपर से फट गया और उसके बूब्स बाहर आ गए।
वो तो आँखें बंद करके लेटी थी इसलिए उसे पता नहीं चला और न ही पूनम ने उसे बताया उसके बूब्स मेरे सामने थे।
और मैंने उन्हें देखते हुए पूनम की तरफ देखा तो उसने आँखों के इशारे से पूछा- क्या देख रहे हो?
तो मैंने राखी के बूब्स की तरफ हाथ कर दिया तो पूनम ने राखी के एक बोबे को पकड़ कर मसल दिया जिससे उसके मुँह से आह निकल गई। पूनम ने राखी के टॉप को पकड़ कर पूरा फाड़ दिया तो उसने आँखे खोली और उठ कर खड़ी हो गई जिससे उसका फटा टॉप नीचे गिर गया और बूब्स बाहर निकल आये।
उसने हमसे पूछा- टॉप किसने फाड़ा?
पूनम ने मेरा नाम ले लिया। राखी अपने नंगे बूब्स में ही मेरे पीछे भागी।
मैंने उससे कहा- मैंने नहीं, पूनम ने यह सब किया है।
राखी- बूब्स तो तुम ही मसल रहे थे, तो पूनम ने कैसे किया है? सीधे क्यों नहीं कहते कि तुम्हें मजा आने लगा था और तुमने मेरे बूब्स देखने और चूसने के लिए मेरा टॉप फाड़ दिया। मुझसे कह देते तो मैं उतार देती, पर फाड़ क्यों दिया ? मेरा नया टॉप था !
पूनम- हाँ राखी ! नवीन ने ही तुम्हारे बूब्स मसलने के लिए तुम्हारा टॉप फाड़ दिया। तुम मुझ से कह देते तो मैं अपना टॉप उतार देती ! तुम्हारे लिए क्या हम अपने कपड़े भी नहीं उतार सकते ! क्या तुमसे अपने बूब्स नहीं मसलवा सकते ! जिन्हें आज नहीं तो कल कोई और मसलेगा !
और यह कहते हुए पूनम ने भी अपना टॉप उतार दिया और अपने बूब्स मेरी तरफ कर के खड़ी हो कर बोली- लो तुम्हें मसलना है तो मसलो ! चूसना है तो चूसो ! पर मैं अपना टॉप नहीं फड़वाना चाहती !
राखी मेरे पास आकर बोली- डरो नहीं ! माँ शाम से पहले नहीं आएगी ! और अपना एक बूब मेरे हाथ से लगा दिया।
उन दोनों के बूब्स देख कर मैंने अपने लंड पर हाथ लगाया जो अब पैन्ट फाड़ने के लिए तैयार था।
पूनम- नहीं उसे हाथ मत लगाओ उसे हम हाथ लगायेंगे।
मैंने राखी के बूब्स मसलते हुए कहा- हाथ लगाना है तो लगाओ ! मुझे भी अपनी पैन्ट नहीं फ़ाड़नी !
और फिर वो दोनों हंस पड़ी। राखी ने आकर मेरी पैन्ट का हुक खोल दिया और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और चूसने लगी। मैं भी अपना लंड आगे निकल के राखी के बूब्स चूस रहा था। राखी ने मेरी शर्ट उतार दी, मेरे होंठों से अपने होंठ लगा के चूसने लगी। मैंने भी उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए। पूनम मेरा लंड छोड़ कर मुझे सोफे की तरफ खींचने लगी और हम तीनों सोफे पर आ गए। मैं राखी के होंठों और बूब्स को चूस रहा था और पूनम मेरे लण्ड को थोड़ी देर चूसने के बाद मेरे लंड के ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी। पर लंड उसकी नई चूत होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था।
मैंने राखी को हटा कर पूनम की चूत पर अपना हाथ रख के उसे सीधे लेटने के लिए कहा तो वो सीधी लेट गई। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर लगा कर जोर से धक्का मारा तो लंड की टोपी उसकी चूत में चली गई और उसकी जोर से चीख निकल गई। पूनम पीछे हटने लगी तो मैंने आगे से उसे पकड़ते हुए राखी से पूनम को पकड़ने के लिए कहा तो उसने पीछे आकर उसे पकड़ लिया और उसके बूब्स मसलने लगी। कुछ देर बाद मैंने जब दूसरा धक्का मारा तो लंड आधा चूत में चला गया। पर इस बार पूनम की चूत में से खून निकल आया और उसके आंसू भी निकल गए।
पूनम के आंसू और खून देख कर राखी भी घबरा गई पर मैंने उसे समझाया- पहली बार ऐसा होता है !
और मैंने एक दो धक्कों में अपने पूरा लंड पूनम की चूत में डाल दिया और थोड़ी देर रुक कर धक्के लगाने लगा तो पूनम भी मस्त हो गई और मेरा साथ देने के लिए नीचे से अपनी गांड उछालने लगी। जब मैंने जोर जोर से पूनम की चूत में धक्के लगाये तो वो अपने परम आनन्द पर पहुंच गई और निढाल हो गई।
फिर राखी ने मुझ से कहा- अब इसे छोड़ दो और मेरी चूत में डालो !
तो मैंने लंड पूनम की चूत में से निकल लिया और राखी को सीधा सोफे पर लिटा कर अपने खून से भरे लंड को उसकी चूत पर रख कर धक्का लगाया तो फ़च की आवाज के साथ उसकी चीख निकल गई। मैंने तभी दूसरा धक्का भी लगा दिया और उसकी चूत से खून की धार निकल के सोफे पर पड़ने लगी। कुछ देर मैं ऐसे रुक उसके बूब्स मसलने लगा तो थोड़ी देर में ही उसका दर्द ठीक हो गया और मैं धक्के लगाने लगा। वो भी जोर जोर से मेरा साथ देने लगी। उसके निप्प्ल भी बुरी तरह से कड़े हो गए थे। मुझे लगा कि अब मेरा पानी निकलने वाला है।
तभी राखी जोर जोर से धक्के लगाने लगी और फिर कांपती हुई शांत हो गई।
मैं भी जोर जोर से धक्के मारता हुआ राखी की चूत में शांत हो गया।
फिर हम आधे घंटे तक वहीं सोफे पर पड़े रहे और जब मैं उठ कर बाथरूम की तरफ चला तो मैंने देखा कि उन दोनों से उठा भी नहीं जा रहा था। Hindi Sex Stories
मेरा तलाक हुए करीब 3 साल Antarvasna हो चुके थे। मेरी शादी जब मैं 19 साल की थी तब कर दी गई थी। मेरा पति मुझसे दस साल बड़ा था। उस समय तक मैं चुदाई और सेक्स के खेल से अनभिज्ञ थी। सुहागरात को उसने मेरी चुदाई नहीं की थी पर मुझसे मुख-मैथुन किया था। अपना लण्ड मुझसे चुसवाया था, जो मेरे लिये एक नया नया दर्दनाक अनुभव था। मुँह में लण्ड डाल कर मेरा मुख चोदता था, फिर ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह में ही निकाल देता था। मुझे बहुत ही घिन आती थी और फिर मुझे उल्टियां होने लगती थी। फिर उसने मेरी गाण्ड मारी थी। यूँ तो चिकनाई भी लगाई थी, पर जाने क्यूँ मेरी गाण्ड एकदम टाईट हो जाती थी, वो मुझे तमाचे मार मार गाण्ड में लण्ड घुसेड़ देता था। मेरी गाण्ड लहूलुहान हो जाती थी। मुझे बहुत ही पीड़ा होती थी। पर पिटाई के बीच गाण्ड मारना मेरे लिये दर्द भरा हादसा था। मैं बहुत उससे बहुत डर गई थी।
डर के मारे अगले दिन मैं बीमारी का बहाना कर अपनी सास के पास सो गई थी। पर आखिर कब तक बहाना करती। फिर मैंने हिम्मत करके अपनी सास को कह ही दिया। मेरी बात सुनते ही वो चिन्तित हो उठी। सास ने मुझे वादा किया कि वो उन्हें समझा देगी। पर रात को उसने मुझे फिर से अपना लण्ड मेरे मुख में डाल कर मुख मैथुन किया और फिर बाद में मेरी गाण्ड भी मारी। मैंने बहुत सहा, लगभग एक महीना होने को आया, मेरी सास ने उसे कुछ नहीं कहा। फिर उसने मेरी चूत चोदी। चूंकि पहली बार चुदी थी तो फिर वही तकलीफ़ हुई थी। मेरे पति का लण्ड भी मोटा और लम्बा था, इस कारण रोज़ गाण्ड मरवाने में और चुदवाने में मुझे बहुत तकलीफ़ होती थी।
एक दिन मैंने अपनी मां से कह कर अपने शहर वापिस आ गई। मेरी हालत देख कर मुझसे मेरी मां ने पूछ ही लिया। मैंने रो रो कर सारी बातें बता दी। मेरे पापा ने दूसरे ही दिन मेरे पति से बात की। पर उसने बहुत ही बद्तमीज़ी से बात की। अन्त में हार कर पापा ने कोर्ट में तलाक की अर्जी दे डाली। मेरा पति भी मुझसे परेशान था अतः तलाक में अधिक परेशानी नहीं आई। मुझे अब उन नारकीय दुःखों से छुटकारा मिल ग़या।
लगभग तीन साल बाद मुझे अचानक एक फोन आया। कोई अशोक नाम का लड़का था। उसने कहा कि उसने बहुत मुश्किल मेरा मोबाईल नम्बर प्राप्त किया है और मुझसे शादी करने की इच्छा रखता है। उसने बताया कि वो एक पढ़ा-लिखा सरकारी अफ़सर है… उसे मेरे तलाक के बारे में पता है। मैं दिखने में बहुत सुन्दर हूँ, शरीर से दुबली पतली हूँ, लगभग 5 फ़ुट 4 इन्च की हूँ। मैंने पास में स्कूल में नौकरी कर ली थी। बस मुझमें सुन्दरता ही एक खूबी थी, जिसके कारण लड़के मुझसे दोस्ती करना पसन्द करते हैं। पर उनकी मन्शा मात्र मुझे चोदने तक की होती है। सभी को पता है कि मैं तलाकशुदा हूँ।
एक दिन वो मुझे स्कूल में मिलने आ गया।
“मेरा नाम अशोक है, मैंने ही आपको फोन किया था।”
विजिटिंग रूम में हम लोग बातें करते रहे, उसका व्यवहार अच्छा था, वो सुन्दर था और शरीर से भी लम्बा और बलिष्ठ नजर आ रहा था। उसके बाद से वो मुझसे मिलने अक्सर स्कूल आ जाता था। मेरी छुट्टी होने पर हम दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े हो कर बाते करते थे। धीरे धीरे हमारी दोस्ती बढ़ गई। अब वो मेरे लिये गिफ़्ट भी लाता था। हम दोनों मोबाईल पर भी खूब बतियाने लग गये थे। एक दिन मेरे घर पर अशोक अपने पापा के साथ आया और उन्होने मेरा हाथ मांग लिया। मेरे पापा खुश हो गये कि मुझे मेरी ही जात वाला एक प्रतिष्ठित युवक मिल गया। उन्होने तुरन्त ही इस रिश्ते की मंजूरी दे दी। सादे तरीके से हमारी सगाई हो गई।
अब रोज ही शाम को अशोक मुझसे मिलने आता था और हम दोनों कार में घूमने निकल पड़ते थे। मै उसके प्यार में खो चुकी थी। हम दोनों बाग में अक्सर एक दुकान के आगे रुक कर पेप्सी या थम्स अप पिया करते थे।
ऐसे ही एक दिन उसने भावावेश में मुझे अपने से लिपटा लिया और मेरे होंठ चूम लिये। मैं आनन्द से भर गई। मुझे भी पुरुष का शारीरिक स्पर्श का आनन्द बहुत दिनो बाद हुआ था। सो मैं उससे लिपटी रही। इसी दौरान उसने मेरे चूचियों को हल्के से छुआ भी और सहलाया भी। मुझे एक अलग ही आनन्द आने लगा था। यूं तो मैं शारीरिक स्पर्श से डरती थी… पर यह पहले जैसी अनुभूति नहीं थी। मुझे इसमे आन्तरिक सुख मिलता था। मैंने इसका कोई विरोध नहीं किया। हम दोनों इस असीम सुख का आनन्द उठाते रहे। अब हमारा जब भी घूमने जाना होता तो हम एकान्त में कार रोक कर आपस में खूब चिपका चिपकी करते थे। फिर जाने कैसे एक दिन मैंने होश खोते हुये उसका लण्ड थाम लिया… और उसे बहुत देर तक सहलाती रही। एक अनजानी सी सुखद वासना भरी अनुभूति हुई। मेरे मन में उसके लण्ड के लिये प्रीति जाग उठी, मैं कभी कभी उसका सुपारा चूम लेती थी।
एक दिन उसका सहलाते सहलाते उसके लण्ड में से वीर्य निकल गया, उसकी पैन्ट गीली हो गई। उस दिन अशोक ने भी मेरी चूत के आस पास सहलाया था। मेरी जीन्स की जिप खोल कर मेरी चूत में अंगुली भी दबाई थी। चूत का गीलापन उसे बहुत अच्छा लगा था।
एक दिन सवेरे जब मैं स्कूल जा रही थी तो अशोक का फोन आया कि आज की छुट्टी ले लो, घर पर कोई नहीं है, दोनों घर पर बातें करेंगे। मैंने स्कूल में फोन करके छुट्टी ले ली और उसके साथ उसके घर आ गई। घर बिलकुल खाली था।
उसने अपना घर मुझे दिखाया… फिर अपना कमरा भी दिखाया… ये हमारा कमरा होगा … ये बिस्तर आपका होगा… ” उसने एक बेहद मुलायम सा बिस्तर दिखाया।
“हाय रे अशोक … कब होगी शादी…।” मैंने उतावले स्वर में कहा।
“दिल से दिल मिल जाने को ही शादी कहते हैं !” और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे चूमने लगा।
“चलो इस नरम गद्दे पर लेट कर प्यार करते हैं…” अशोक मुस्करा उठा।
उसका फ़ोम का गद्दा बहुत ही नरम था। मैं तो उस पर लोट लगाने लगी। तभी अशोक ने अपनी बाहें खोल दी। मैं लोट लगाते हुये उसकी बाहों में चली आई। हम एक दूसरे से लिपट पड़े। प्यार से एक दूसरे को चूमने लगे।
उसके हाथ जाने कब मेरे टॉप के अन्दर पहुंच गये, मेरी चूचियाँ सहलाने लगा, मेरे भीतर अनन्त उमंगें जाग पड़ी, मेरे चुचूक फूल कर कड़े हो गये। वासना का ऐसा भावनात्मक प्यार भरा उन्माद पहली बार मह्सूस हुआ। मैंने उसकी कमीज के बटन खोल दिये और उसकी नंगी छातियों को चूमने लगी। अचानक मुझे अपने कपड़े तंग मह्सूस होने लगे। जीन्स मेरे शरीर पर कसने लगी। मेरी जांघें जैसे जीन्स को फ़ाड़ देना चाह रही थी, टॉप जैसे चूंचियों पर फ़ंसने लगा। मुझे कपड़े बहुत ही खराब लगने लगे। पहल अशोक ने ही की। उसने अपनी पैन्ट उतार दी। फिर उसने मेरी तरफ़ वासनायुक्त नजरों से देखा। मुझे भी कपड़े कहाँ सुहा रहे थे। अशोक ने मेरी टॉप ऊपर ही खींच दी। मेरे वक्ष छलक पड़े। मैंने अपनी जीन्स उतार डाली और बस एक तंग सी छोटी सी चड्डी रह गई। जैसे ही मेरे बदन को हवा लगी, एक सिरहन सी उठ गई।
जैसे ही मेरी नजरें अशोक के लण्ड पर गई, वही मोटा सा, लम्बा लण्ड… मैं डर गई, पर शायद वो मेरी बात जानता था। वो दूर हट गया… और अपना लण्ड देख कर बोला,”आपको देख कर इसे आप पर प्यार आ रहा है… जैसे कार में आप इसे प्यार करती थी… बस एक बार फिर से वही प्यार करके इसे मजा दो…”
मैंने डरते हुये उसके लण्ड को निहारा और उसे पकड़ लिया। जैसे ही मैंने उसे दबाया… अशोक के मुख से एक सिसकारी निकल पड़ी।
” आपको मजा आया ना, पर मुझे इससे डर लगता है … प्लीज मुझे कुछ मत करना…” मैंने उसे समझाते हुये कहा।
“आओ प्यार करें … जो आप कहेंगी वही करेंगे !” मैं कुछ सावधान सी, सकुचाती हुई उसके नंगे शरीर से लिपट गई। फिर हम दोनों धीरे धीरे बिस्तर पर लेट गये। हमारे अधर एक दूसरे से मिल गये। उसका लण्ड हाथ में लिये मुझे लगा कि वो और फूल गया है। बेहद कड़क हो गया है। मेरी चूंचियाँ वो मसलने लगा। मेरे शरीर में एक सुखद मीठा सा नशा चढ़ने लगा। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। मुझे जाने क्यूँ इच्छा होने लगी थी कि लण्ड अपनी चूत में घुसेड़ लूँ। मैंने लण्ड को पकड़े हुये अपनी चूत के द्वार पर रख दिया और आंखे बंद करके मदहोशी में उस पर जोर लगा दिया। उसका लण्ड मेरी गीली चूत में अन्दर फ़िसल पड़ा। मुझे एक विचित्र सी सुखद वासना युक्त कसक भरी मिठास का अहसास हुआ और मैंने अपनी चूत उसके लण्ड पर पूरी ताकत से दबा दी। उसका लण्ड मेरी चूत के लबों को चूमता हुआ अनन्त खाई में जैसे कूद पड़ा।
मैंने अशोक को खींच कर अपने ऊपर सवार कर लिया और अपनी दोनों टांगें चीर कर उसकी कमर से लपेट ली। अशोक मेरे ऊपर आ चुका था और लण्ड मेरी चूत में पूरी गहराई तक घुसा हुआ था। हम दोनों की कमर अब धीरे धीरे चलने लगी। वो चोदने लगा और मैं चुदती चली गई। ऐसा स्वर्गीय आनन्द मुझे पहली बार मिला था। इतना प्यारा वो तो नहीं चोदता था। मुझे अचानक इच्छा हुई कि मेरा पूर्व पति मेरी गाण्ड मारता था, उसमें क्या मजा आता होगा। सो मैंने अशोक को इशारो में अपनी इच्छा बता दी। उसने मेरे सर पर बालों में प्यार से हाथ फ़ेरा और लण्ड धीरे से बाहर निकाल लिया। उसने एक मोटा तकिया नीचे लगा दिया और पास में पड़ी क्रीम मेरी गाण्ड में लगा दी। फिर मुझे चूमता हुआ मुझसे प्यार से लिपट गया। मैं अनजाने डर से सहम सी गई। मेरे गाण्ड की छेद पर उसका नरम सा गोल सुपारा चिपक गया। मुझे ताज्जुब हुआ कि उसका लण्ड एक ही बार में छेद के अन्दर बिना किसी तकलीफ़ के घुस गया था। इस बार मुझे दर्द नहीं हुआ बल्कि मजा आया।
उसने अब धीरे धीरे मेरी गाण्ड चोदना आरम्भ किया। मुझे मस्ती आने लगी और मैं उसे एन्जोय करने लगी। पर हां मुझे ये जरूर लगा कि मेरे पति जब ये सब करते थे तो मैं घबरा जाती थी, गाण्ड में से खून निकलने लगता था, यहाँ तक कि मैं बेहोश भी हो जाती थी, मजा आने की बात तो दूर रही। काफ़ी देर तक मैंने गाण्ड मराने का आनन्द लिया। थोड़ी देर के बाद मेरी चूत कुलबुलाने लगी तो मैंने अशोक को चूत मारने को कहा। उसने मेरी चूत में लण्ड घुसा कर धक्के लगाना शुरू कर दिया। मेरी उत्तेजना मेरी सहनशीलता के बाहर चुकी थी। चूत उछाल उछाल कर चुदाने लगी… और फिर मेरे अंग प्रत्यंग जैसे आग उगलने लगे और मैंने अपना यौवन रस छोड़ दिया, मैं झड़ने लगी।
उसका चोदना जारी रहा पर गीलापन बढ़ने से छप-छप की आवाजें आने लगी। चूत ढीली पड़ गई। उसने इशारे से कहा कि मेरा लण्ड चूस कर वीर्य निकाल दो…
उसके लण्ड को मुख में लेने के विचार से ही मेरे मन में फिर वही डर समा गया। पर मैंने हिम्मत करके उसका लण्ड मुँह में भर लिया और धीरे धीरे उसे चूसने लगी। मुझे लगा उसे बहुत ही मजा आ रहा है। मैं जोश में उसके लण्ड के रिन्ग जोर से चूसने लगी। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ी। उसका हाल देख कर मैं भी और जोश में आ गई और उसका लण्ड हाथ से भी दबा कर मुठ मारते हुये जोर जोर से चूसने लगी।
इतने में उसने मेरे बाल पकड़ लिये और लण्ड का मुख में जोर लगा कर झुक पड़ा और लण्ड से वीर्य निकल पड़ा। वो अपने लण्ड पर जोर लगा कर पिचकारी पर पिचकारी मुह में छोड़ने लगा। मैं भी जोश में आ कर उसका वीर्य गटागट पी गई। अब उसका लण्ड मैं दूध निकालने की तरह खींच-खींच वीर्य निकालने लगी। पूरा लण्ड साफ़ करके उसे छोड़ दिया।
आज मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना था। मैं खूब जोर जोर से हंसी… और उसे भी अपनी खुशी में शामिल होने कहा। फिर मैंने अशोक को अपनी पूरी कहानी बताई और रो पड़ी। अशोक ने सब कुछ भूल जाने कहा और हम फिर से एक दूसरे में प्यार में खो गये। चुदाई के मनमोहक दौर की तैयारी करने लगे। मेरा मन आज जी भर कर चुदने का कर रहा था… मैं अपने पिछले गुजरे हुये तूफ़ान को भूल जाना चाहती थी… Antarvasna
मैं अपने कमरे में म्यूजिक Antarvasna सुन रही थी कि अचानक किसी गाने के गायक के नाम का नहीं पता होने से अपने भैया को मैंने जोर से आवाज़ दी। घर में मेरे और भैया के सिवा और कोई नहीं था। हमारे माता-पिता किसी रिश्तेदार की शादी में दो दिन के लिए बाहर गए थे। दो-तीन बार बुलाने पर मुझे भैया का कोई जवाब नहीं आया। मुझे कुछ अजीब सा लगा। मैं अपने कमरे से निकल कर नीचे आई और फिर से आवाज़ दी पर फिर भी कोई जवाब नहीं आया। सारे कमरे मैंने देखे पर भैया कहीं भी नहीं थे। मैं फिर बाथरूम की तरफ गई।
मैंने बाथरूम का दरवाज़ा धीरे से खोला तो देखा की भैया की जींस घुटनों तक नीचे थी। मुझे लगा कि मेरे भैया ने एक हाथ से अपने पेशाब वाली चीज़ को पकड़ रखा है और उसे आगे पीछे कर रहे हैं। उनके गले से कुछ अजीब सी आवाज़े निकल रही थी। मैं यह सब देख कर दंग रह गई और वहाँ से हिल न सकी। मेरी आँखें उनके पेशाब वाली चीज़ पर अटक गई। वो उस वक्त बहुत लम्बा और मोटा लग रहा था।
मैंने ऐसे अभी तक कुछ नहीं देखा था।
मुझे अचानक लगा कि मेरी टांगों के बीच मैं कुछ होने लगा है। मैं अपने गाने के बारे मैं सब-कुछ भूल चुकी थी।
तब भैया ने नज़र उठा कर मेरी तरफ देखा और एकदम से चौंक गए और अपनी पेशाब वाली चीज़ को हाथों से छुपाने की कोशिश की। पर मैं तो उनकी पेशाब वाली चीज़ को ही देख रही थी कि जैसे किसी ने मुझे मन्त्रमुग्ध कर दिया हो। तब भैया मेरी तरफ बढ़े और मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं भी उनकी तरफ खिंचती चली गई। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे ऊपर किसी ने कोई जादू कर दिया है।
तभी भैया ने मेरा दायां हाथ पकड़ा और उसे धीरे से अपनी पेशाब वाली चीज़ पर रख दिया। मैंने अभी तक भैया की तरफ नहीं देखा था। मैंने उनकी पेशाब वाली चीज़ अपने हाथ में पकड़ ली और मुझे जैसे करंट सा लगा। उनकी पेशाब वाली चीज़ बहुत गर्म सी थी और उसकी आगे वाली मोरी से कुछ लेस जैसी चीज़ भी निकल रही थी।
भैया ने अपना हाथ मेरे उस हाथ पर रख दिया जिस हाथ से मैंने उनकी पेशाब वाली चीज़ पकड़ रखी थी। उनका हाथ मेरे हाथ पर रखते ही मुझे लगा कि मेरा पेशाब निकल गया है। मेरी कच्छी भीग गई हो पर इस पेशाब करने से मुझे जैसे कोई बेहोशी सी आ गई हो। इस तरह की अनुभूति मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं हुई थी। तब भैया अपना हाथ मेरे हाथ पर रख कर अपनी पेशाब वाली चीज़ को आगे पीछे करने लगे। थोड़ी देर बाद भैया ने अपना हाथ मेरे हाथ से उठ लिया और मैं तब भी उनकी पेशाब वाली चीज़ आगे पीछे करने लगी। मेरे भैया ने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए। मैं तो जैसे जल उठी और अपने हाथ से जोर जोर से उनकी पेशाब वाली चीज़ को आगे पीछे करने लगी।
अभी तक हम भाई बहन ने कोई भी शब्द आपस में नहीं बोला था।
अचानक मुझे लगा कि भैया एकदम से अकड़ गए हैं और उसी वक्त उनकी पेशाब वाली मोरी से एक पिचकारी सी निकली और मेरे पेट पर और कई छींटे मेरे मुँह पर पड़े। मेरे भैया उसके बाद एकदम से नीचे बैठ गए और लम्बी सी सांसें लेने लगे। मुझे पता नहीं था कि मैं क्या करूँ क्योंकि मेरी पेशाब वाली जगह से भी पानी निकल रहा था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या है। यह पेशाब नहीं था पर मैं तो जैसे उड़ रही थी, मेरे जिस्म में एक आग सी लगी थी जो इतना मज़ा दे रही थी कि कुछ न पूछो।
फिर मैंने एक ऊँगली से वो लेस उठाया जो मेरे भैया की पेशाब वाली जगह से निकला था और अपने मुँह में चाट लिया। इतना स्वाद आया कि मैंने हर जगह जो वो लेस गिरा था, अपनी ऊँगली से उठाया और चाटना शुरू कर दिया।
जब मैं वो लेस चाट रही थी तो अचानक भैया ने पूछा- मेरी बहना, स्वाद लग रहा है क्या ?
मैं तो शर्म के मारे जैसे लाल हो गई और अपनी नज़रें नीचे कर ली।
भैया ने कहा- बोल न ? अच्छा लगा मेरा जूस ?
मैंने नज़रें नीचे करके कहा- भैया क्यों पूछते हो ऐसी बातें !
भैया बोले- तूने तो मेरा जूस चख लिया, मुझे भी अपना चखने दे ना !
मैंने कहा- कैसे चखोगे?
भैया बोले- तुझे नंगी होना पड़ेगा !
मैंने कहा- मुझसे यह नहीं होगा।
भैया बोले- तूने तो मुझे नंगा देख ही लिया, तो फिर मैं तुझे क्यों न देखूं ! और मैं तुझसे वादा करता हूँ कि तुझे बहुत ही मज़ा आएगा जब मैं तेरा जूस पिउँगा तो।
मैं कुछ देर कुछ ना बोली तो भैया ने एकदम मुझे अपने बाँहों में घेर लिया और मेरे को चूमना शुरू कर दिया।
उनके हाथ मेरे वक्ष पर आ गए और मुझे लगा जैसे मेरे चुचूक अपने आप अकड़ गए हों। मेरी चूचियाँ छोटी हैं पर बहुत कड़क हैं। मेरे चुचूक काफी लम्बे हैं। मेरे भैया ने मुझे उसी वक्त फर्श पर लिटा दिया और मेरी शोर्ट्स नीचे कर दी। मेरे में कुछ भी हिम्मत नहीं थी कि मैं उनको रोक सकती। मेरे जिस्म में तो जैसे एक आग थी जो बुझना चाहती थी।
मेरे भैया ने मेरी कच्छी भी उतार फेंकी। मैं नीचे से बिल्कुल नंगी हो गई थी। फिर मेरे भैया नीचे झुकते चले गए और अपनी जीभ मेरी पेशाब वाली जगह पे रख दी, मुझे लगा जैसे मेरी जान ही निकल गई हो।
उनकी जीभ मेरी पेशाब वाली जगह पर लगते ही मुझे लगा जैसे मेरा पूरे साल का पेशाब एक बार ही निकल गया हो और मैंने भैया का सर अपनी टांगों में दबा लिया।
भैया ने अपना सर ऊपर किया और पूछा- क्या मैंने गलत कहा था कि तुझे मज़ा आयेगा जब मैं तेरे जूस पिउँगा?
मैंने आँखे बंद किये ही कहा- भैया, प्लीज़ ले लो जितना जूस चाहिए तुम्हें। मैं तो तुम्हारी गुलाम हूँ, जैसे बोलेगे वैसे ही करूँगी।
आगे की कहानी अगली बार Antarvasna
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