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दोस्तो, अब तक मैं अपनी Hindi Porn Stories चुदाई के दो किस्से लिख चुका हूँ, पहली बार गांड किस तरह सुनसान बाग़ में एक बिहार से पंजाब में काम करने आए हुए एक मोची से करवाई, फ़िर दूसरा लंड भी मोची के साथ में ही कमरे में रहने वाले उसके ही एक दोस्त से उसकी गैर मौजूदगी में लिया।
और फ़िर एक बार आपके सामने अपनी एक और चुदाई पेश करने जा रहा हूँ, तो वैसे भी मैं लड़की ही बन गया हूँ मुझे अलग अलग लंड लेने का चस्का पड़ गया है।
मेरे पापा का दिल्ली से कपड़े ला कर पंजाब में बेचने का है, अब उनके ठीक न होने की वजह से मुझे जाना पड़ता है।
दिल्ली से वापिस आने के लिए इस बार भी मुझे रात को ट्रेन लेनी थी मैंने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस पकड़ ली। मैं खिड़की के पास अपना बैग रख बैठ गया।
गाजियाबाद स्टेशन से सहारनपुर तक के काफी लोग चढ़ आए। डिब्बा दिल्ली से पीछे से ही भर के आया था।
लगता है बिहार के मर्दों के लंड मेरी गांड की किस्मत में ज्यादा हैं, मेरठ केंट से दो हट्टे-कट्टे फौजी डिब्बे में घुसे।
पैर पे पैर पहले से चढ़ रहे थे, मैं उनके आगे खड़ा था, पहले ही गांड घिसा के मजे ले रहा था, दोनों ने शॉल औढ़ रखे थे।
मेरी गांड उनमें से एक के लंड पे पूरी तरा दबाव डाल रही थी उसका लंड सॉलिड लगा।
उसने पहले ध्यान नहीं दिया पर मुझे कुछ होने लगा, गांड में खुजली मचने लगी।
मैंने गांड को पीछे धकेला और उसके लंड पे घिसा दिया।
उसको अब लगा कि यह माल ही है, उसका अकड़ने लगा।
मैंने फ़िर से गोल गोल गांड को गोल गोल तरीके से घिसाया अभ उसको विश्वास होने लगा कि मैं ख़ुद गांड घिसा रहा हूँ।
उसने मेरी लोई में हाथ डाल अपनी ऊँगली मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरी गाण्ड में डाल दी।
मैंने कुछ कहने की बजाये ख़ुद गांड को उसकी ऊँगली की तरफ़ धकेला जिससे ऊँगली अच्छी तरह घुस जाए।
उसने पीछे खड़े दूसरे फौजी को सब बता दिया, दूसरा वाला भी मेरे पीछे ही खड़ा हो गया।
पहले वाले ने ऊँगली देनी चालू रखी दूसरा पास आ बोला- बहुत भीड़ है!
मैंने कहा- हाँ!
‘कहाँ से हो?’
मैंने कहा- पंजाब!
‘ओह हमें भी अमृतसर जाना है, फ़िर तो पूरे सफर के साथी हो।’
पीछे वाला कान के पास आकर बोला- अच्छा लग रहा है?
बहुत अच्छा!
इतनी भीड़ में नीचे किसी का ध्यान न था। दूसरे वाला मेरे सामने खड़ा हो गया।
उसके और मेरे चेहरे में बहुत कम फासला था।
हवा में चुम्बन देकर आंख मारते हुए मेरा हाथ पकड़ अपनी लोई में ले गया उसने जिप खोल मेरा हाथ अपनी पैंट में घुसा दिया, मैं उसका लण्ड सहलाने लगा।
पीछे वाला अन्दर हाथ डालना चाहता था लेकिन मैंने आगे से इलास्टिक की गांठ खोल दी। उसने इलास्टिक खींच ली और मेरा लोअर नीचे खिसका मेरी गांड पे हाथ फेरने लगा, थूक लगा ऊँगली डाल दी।
आगे वाले के लंड को मैं प्यार से सहला रहा था।
तभी सहारनपुर आने वाला था, आधे से ज्यादा डिब्बा यहीं खाली होने वाला था।
लोग सीट से उठ खिड़की की तरफ़ बढ़े, हम तीनों कपड़े ठीक कर साइड पे खड़े हो गए।
काफी सीट खाली हुई लेकिन कोई तीन लोगों का एक साथ बैठने वाली नहीं।
ट्रेन चली, हम तीनों बैठ गए अलग अलग! मायूस!
तभी आधे घंटे में जगाधरी आया और डिब्बा लगभग खाली ही हो गया, बैठने क्या लेटने के लिए एक केबिन तो पूरा खाली था।
इसके बाद सीधा अम्बाला में गाड़ी रुकनी थी, हमने बैग सीट पे रख लिए।
उनमें से एक ने अपना बिस्तर-बंद खोल नीचे फ़र्श पर बिस्तर लगा लिया।
दोनों एक तरफ़ मुँह कर लेट गए।
मैं बीच में उनकी पैर की तरफ़ मुँह करके लेट गया। मैं इकट्ठा सा हो अपना मुँह उनकी जांघों तक ले आया।
दोनों ने लंड निकाल रखे थे, मैं आराम से चूसने लगा।
उन दोनों ने मेरी गाण्ड नंगी कर दी और सहलाने लगे।
वो बोला- यार तेरी गांड मारनी है, कैसे मारूँ? यह चूसना वगैरा तो अन्दर छिप के हो जाता है।
तभी हमने फैसला किया कि सामने वाली सिंगल सीट पे उनमें से एक बैठेगा ताकि कोई आए तो वो बोल दे!
मैं उल्टा होकर लेट गया, पूरा घोड़ा नहीं बना। गांड थोडी सी ऊपर कर दी, उसने पीछे से अपना मजबूत लंड को थूक लगा धक्का दे थोड़ा अन्दर किया।
फौजी का लंड था, फाडू तो होगा, मैंने सह लिया।
उसने अहिस्ता से सारा पेल डाला और चोदने लगा।
मैं भी गांड धकेल धकेल के चुदने लगा।
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तभी उसने तेज धक्के मारने चालू किए, किसी के आ जाने के डर से उसने जल्दी ही अपना सारा गाढ़ा माल धार से उगल दिया।
तभी दूसरे वाला पीछे आया, पहला फ़िर डिब्बा देखने गया। दूसरे वाले ने मुझे अपने लण्ड पे बिठा लिया और मैं उछल उछल के चुदने लगा। हाय! क्या लण्ड है तेरा! फाड़ डाल आज मेरी गांड! लगा दे फौजी वाला दम!
उसने एक दम से मुझे अपने नीचे डाल लिया, दोनों टांगें कंधों पे रख कर चोदने लगा।
मुझे यह तरीका सबसे अच्छा लगता है क्यूंकि नंगे मर्द के नीचे लेटने से मुझे बहुत सुख मिलता है।
यह ज़बरदस्त खिलाडी था ज़ोर ज़ोर से चोदते चोदते उसने एक ज़बरदस्त धक्का मारा और सारा पानी मेरी गांड में डाल दिया, मेरे ऊपर लुढ़क गया।
हम तीनों ने अपने कपड़े ठीक किए। वैसे भी लुधियाना आते ही डिब्बे में चाय वाले घुस गए। हमने चाय पी, दोनों ने मुझे अपने बीच बिठा रखा था मुझ से लण्ड सहलवा रहे थे।
ट्रेन चलते ही, अब यह जालंधर रुकेगी, दोनों ने मुझे फ़िर से पकड़ लिया और चोदने लगे। दूसरे वाले को ज्यादा मजा आ रहा था तभी उसने लगतार दो शिफ्ट लगाने की सोची। दोनों मुझे एक एक बार फ़िर चोदने के बाद भी नहीं रुके, बोले- अब अमृतसर रुकेगी!
मैंने सोचा- ले सनी! तेरी गांड तो ये दोनों सुजा के घर भेजेंगे। वो थे ही इतने हट्टे-कट्टे!
ब्यास से ट्रेन चली ही थी कि दोनों ने फ़िर लण्ड निकाल लिए। अब कोई कम्बल नहीं था। वो दोनों सीट पे बैठ गए, मैं नीचे घुटनों पे बैठ बारी बारी से दोनों के लंड चूसने लगा। इस बार मैंने दोनों बाहें सीट पे रख गांड उनकी तरफ़ घुमा ली, उसने डाल दिया।
अमृतसर आने तक रेल में वो मेरी गांड की रेल बना रहे थे। रात के साढ़े दस बजे से उनके लंड कभी मेरे हाथ में, कभी मुहं में, कभी गांड में!
दोनों ने मुझे बहुत ज़ोर लगाया कि मैं उनके साथ केंट में उनके क्वार्टर में चलने का।
मैंने कहा- अपने मोबाइल नम्बर दे दो, मैं कॉल कर लूँगा, तभी प्रोग्राम बना के में आपके सरकारी क्वार्टर में चुदने आ जाऊँगा।
दोनों ने मिलकर मुझे वो सुख दिया जो एक हफ्ते से मेरी गांड को नहीं मिला था। मेरी गाण्ड की सारी खुजली मिटा डाली।
जाते वक्त बोले- और भी लंड तेरी गांड में घुसवाएँगे!
दोस्तो, यह थी मेरी एक और चुदाई की कहानी! Hindi Porn Stories
मैं बताना चाहूंगा कि मेरे अब तक के Hindi Porn Stories अनुभव के आधार पर आज तक मैंने कई कॉलगर्ल, रिश्तेदारी में, पत्नी, गर्लफ्रेण्ड आदि के साथ चुदाई कार्यक्रम किये, मगर चुदाई कार्यक्रम के दौरान ना तो उनके मुंह से कोई अश्लील भाषा निकली और ना ही मेरे मुंह से ! तो कैसे मान लूं कि चोदते वक्त अगर अश्लील भाषा का प्रयोग किया जाये तो औरत और मर्द दोनो में उत्तेजना बढ़ती है। अश्लील भाषा का प्रयोग चोदते समय तो कतई नहीं करना चाहिये, उत्तेजना बढ़ने के बजाय हो सकता है कि शिथिलता आ जाये।
खैर ……. दोस्तो, आज नई कहानी लेकर आया हूँ !
मेरी पत्नी घर के काम काज के मामले में बहुत ही आलसी है, कभी कभी मुझे उस पर बहुत ही गुस्सा आता है, मगर फिर भी मैं जानबूझ कर उसे कुछ नहीं कहता।
मेरे ससुराल में शादी थी तो मुझे भी वहां जाना था। वहां पर बहुत से रिश्तेदार आये थे, वहां मेरी पत्नी ने अपनी एक रिश्तेदार से मिलाते हुए कहा- इसका नाम चांदनी हैं और हम इसको परीक्षा के बाद अपने पास ही रखेंगे।
जब मैंने उस लड़की को देखा तो सच में देखता रह गया। उसके बोबे क्या माशा अल्लाह, और काया गजब अति सुन्दर काया थी उसकी, कि जो भी उसको देखे, देखता ही रह जाये।
अचानक मेरी पत्नी की आवाज ने मुझे झकझोर दिया कि कहां खो गये।
मैंने कहा- कहीं नहीं।
मेरी पत्नी ने मुझे धीरे से कहा- अगर तुम नहीं चाहते उसको अपने यहां पढ़ाना ! तो मैं मना कर देती हूँ।
मेरे मन में तो लड्डू फ़ूट रहे थे, मैं कब मना करने वाला था, मैंने कहा -नहीं-नहीं मुझे कोई एतराज नहीं।
जब तक मैं ससुराल में रहा तब तक मैं मजाक ही मजाक में उसके स्तन दबा देता, या नाजुक अंगों से छेड़छाड़ कर देता तो वह हंसकर भाग जाती।
जब मैं वापस अपने शहर आया तो मुझे उसकी याद आने लगी, मगर मैं अपने मुंह से कुछ नहीं कहना चाहता था क्योंकि पत्नी को शक होने का डर था। पर ऊपर वाला शायद एक बार फिर मुझ पर मेहरबान था।
मेरी पत्नी ने ही आगे होकर उसके शहर जाकर उसे लाने के लिये कहा। मेरा मन तो गार्डन-गार्डन हो गया।
मैं व मेरी पत्नी उसके शहर गये और उसे ले आये। अब तो बस मौके की तलाश थी। वाह री किस्मत मेरी पत्नी को फिर अपने ससुराल २-४ दिन के लिये जाना था। पहले तो मेरी पत्नी ने कहा- मैं चांदनी को भी साथ ले जाती हूँ। फिर उसने खुद ही विचार बदल दिया कि वह बेकार परेशान होगी, २-४ दिन की ही तो बात है। मैं और चांदनी मेरी पत्नी को छोड़ने सुबह ६ बजे ही रेलवे स्टेशन गये और उसे छोड़ कर वापस आये।
चांदनी ने आते ही कहा- जीजू चाय पीकर जाना !
मैंने उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर खींच लिया और मस्ती करने लगा। यह सब ऊपर की मस्ती मजाक तो मेरी पत्नी के सामने भी करता था, मगर आज तो बस उसे चोदने का मन बना हुआ था।
मैंने कहा- चांदनी, चाय-वाय बाद में बनाना, आओ थोड़ी देर बैठो तो।
उसने कहा- जीजू, क्या बात है, विचार तो नेक हैं, आपके?
मैंने कहा- विचार तो आपके जीजू के हरदम ही नेक होते हैं, बस आप ही नहीं समझती।
और मैं अपने हाथों को उसके शरीर के नाजुक अंगों पर फिराने की कोशिश करने लगा। मैंने उसके वक्ष को पीछे से हल्के से दबाया तो वह कुनमुना गई और छुटने की नाकामयाब कोशिश करने लगी। आज मुझे लग रहा था कि चांदनी भी मुझसे चुदवाने को बेताब है। मैंने जब उसकी तरफ से मौन इशारा समझा तो अपने हाथों को धीरे-धीरे उसके नाभि-मण्डल पर ले गया और मेरे होंठों ने भी अपना काम चालू कर दिया था। मेरी तरफ उसकी पीठ होने के कारण मैंने उसकी गरदन को अपनी तरफ घुमाकर उसके होंठों का रसस्वादन करने लगा। अब मेरा हौंसला भी बुलन्द होने लगा।
मैंने उसके कुर्ते को थोड़ा ऊपर किया तो उसने कहा- नहीं जीजू यह सब नहीं ! अगर किसी को मालूम हो गया तो?
मैंने चांदनी को समझाते हुए कहा- देखो जान ! इस घर में मेरे व तुम्हारे अलावा कोई नहीं है, तो किस को मालूम होगा और कौन बतायेगा कि हमने क्या किया।
चांदनी मेरा मतलब समझ गई और चुप हो गई। अब मैं भी बिन्दास हो गया और चांदनी की कुर्ती के अन्दर हाथ डालकर बोबों को दबाने व सहलाने लगा। चांदनी का पहला चुदाई कार्यक्रम था तो उसमें डर और मजा दोनों का समावेश था।
उसके मुख से रह रहकर सिसकारियाँ निकल रही थी- आ….ह…….. जीजू……………
मैंने चांदनी की कुर्ती को एक झटके में शरीर से अलग कर उसकी ब्रा को खोल दिया और बोबों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
चांदनी मदहोशी में आंखे बंद किये ही कहने लगी- जीजू ! ऐसे क्या करते हो !
तो मैंने कहा- चांदनी अभी तो बाकी है ऐसे-वैसे सब करेंगे, तुम बस महसूस करो और मजा लो।
बोबों को चूसते हुए उसके नाभि-स्थल तक होंठों को फिराता हुआ लाया, नाभि से नीचे जाना चाह रहा था, मगर चांदनी का नाइट पायजामा और पेंटी दीवार बन कर खड़े थे। इधर चांदनी मेरी पीठ को सहला रही थी। मैंने चांदनी की पैंटी और पायजामा एक बार में ही खोल दिया और अपना मुँह चांदनी की गुलाबी चूत पर ले गया, चांदनी की गुलाबी चूत पर नाम मात्र के मुलायम बाल थे जो उसकी गुलाबी चूत की पहरेदारी कर रहे थे।
मैंने अंगूठे से उसके पहरेदारों को एक तरफ किया और उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी सिसकारियाँ लगातार जारी थी- जी……जू……….ये क्या……….कर रहे……. हो……….आ.हहहहहह जी…..जू………मजजजजजा आाा ररररहा हैं औररररर जोर सेससस चाटटो नााा
गुलाबी चूत से रिस रिस कर नमकीन पानी निकल रहा था, उसे चाटने में मुझे भी मजा आ रहा था और शायद अब चांदनी को भी मजा आने लगा था। चांदनी अपनी गांड उठा उठा कर मुखचोदन करा रही थी।
आधे घण्टे तक चूत चाटने के बाद हमारे लण्ड महादेव भी हुंकारने लगे और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने को व्याकुल होने लगे। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपना लण्ड निकाल कर चांदनी के हाथ में दे दिया।
वह लण्ड देखते ही चिल्ला उठी- ये क्याऽऽऽ ?
मैंने कहा- लण्ड।
बोली- इतना बड़ाऽऽ? मैं मर जाऊंगी जीजू ! नहीं मुझे छोड़ दो !
मैंने उसे समझाया- जानू, तुम्हारी जीजी भी तो इसे लेती हैं, वो तो नहीं मरी। इसे मुँह में लो ! तुम्हें मजा आयेगा !
वह ना ना करती हुई मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेने लगी। धीरे धीरे आधा लण्ड मुँह में लेने के बाद मैंने उसके मुंह को चोदना चालू कर दिया। लण्ड चूसने में अब चांदनी को भी मजा आ रहा था। वो अब लण्ड को लॉलीपाप की तरह चूसने लगी। मैं पॉजीशन बदलते हुए ६९ की पॉजीशन में आ गया और अब वो मेरा लण्ड और मैं उसकी चूत चाटने लगा। करीब २०-२५ मिनट में चांदनी दो बार स्खलित हो गई और मैं अब होने वाला था।
और मैं……….. ये ……..गया वो गया……… और अपना सारा माल उसके मुँह में उड़ेल दिया। और फिर आपस में चिपक कर हांफने लगे।
थोड़ी देर बाद अचानक अपने लंड पर किसी के स्पर्श से मैंने आंखे खोली तो देखा कि चांदनी उससे खेल रही है और उसे खड़ा करने की कोशिश कर रही है। मेरे आंख खोलते ही मुझे अर्थपूर्ण दृष्टि से देखा। मैं समझ गया कि अब मेरी साली को जीजू से क्या चाहिये।
मेरा लण्ड कब पीछे रहने वाला था, उसने तुरन्त सलामी ठोक दी और चूत पर जाकर पहरेदारों से भिड़ गया। आखिर जीत मेरे लण्ड की हुई और सारी दीवारें तोड़ता हुआ चांदनी की अनछुई गीली, चिकनी चूत में धीरे-धीरे प्रवेश करने लगा क्योंकि मुझे मालूम था कि चांदनी पहली बार चुदने वाली हैं।
जैसे ही लण्ड ने संकरे रास्ते में प्रवेश किया, चांदनी ने रोक दिया- नहीं जीजू ! दर्द हो रहा है ! और चिल्लाने लगी।
मैंने सोचा अगर चांदनी की बातों में आ गया तो सारा किया धरा रह जायेगा और मैंने तुरन्त चांदनी के होंठों पर कब्जा कर एक लण्ड की तेज ठोकर लगाई और उसकी चिल्लाहट को होंठों से दबा दिया।
मैंने महसूस किया कि लण्ड पर खून का फव्वारा छुट गया और वह हाथ पैर मारने लगी, मगर मैं अपने हाथों से उसके स्तनों को सहलाते हुए और होंठों से अब गाल, कान, गरदन वगैरह चूम कर उसे दिलासा देने लगा और धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करने लगा। उसका प्रतिरोध अब कम होता नजर आया और अब शायद उसे भी मजा आने लगा इसलिये गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी और मुंह से अनाप शनाप आवाजें निकालने लगी- जी……जू चो…….दो मुझे………….. चोद………..डालो ! वगैरह वगैरह।
लण्ड और चूत की लड़ाई चालू हो गई थी, या यूं कहिये आपस में शास्त्रीय संगीत की प्रतिस्पर्धा चालू हो गई हो। क्योंकि लण्ड जैसे ही अन्दर जाता तो तबले पर पड़ने वाली थाप की आवाज आती और चांदनी के मुँह सिसकारियाँ निकलती। मतलब कि उस वक्त सरगम बज रही थी।
१५-२० मिनट बाद मैंने चूत में लण्ड डाले डाले ही उसे घोड़ी बनाया और फिर चालू हो गया। इस दरम्यान वो २-३ बार झड़ चुकी थी मगर मेरा अभी ठिकाना नजर नहीं आ रहा था।
मगर घोड़ी की पोजीशन में आते ही मुझे लगने लगा कि अब ज्यादा देर नहीं टिक सकूंगा और मैं भी १५-२० धक्कों के बाद उस पर ढेर हो गया और अपना सारा माल उसकी कोमल चूत में बहा दिया।
देर बाद जब हम उठे तो उसकी नजर बिस्तर पर गई जहां खून ही खून और वीर्य उसका और मेरा दोनों का पड़ा था, जिसे देख कर वह डर गई और रोने लगी- जीजू ! यह क्या हुआ ? इतना खून निकल गया।
मैंने कहा- साली साहिबा ! यह सब तो पहली बार में होता ही है ! और समझाने लगा।
मैंने उस दिन ऑफिस फोन कर छुट्टी ले ली और उस दिन और उसके बाद जब तक मेरी पत्नी नहीं आई तब तक मैं चांदनी को लगातार चोदता रहा कभी घोड़ी-कुतिया तो कभी किचन में एक टांग पर। कुल मिलाकर चांदनी के साथ बिताये वो हर पल आज भी मेरी आंखों के सामने आते हैं तो बस उसे चोदने की इच्छा जागृत हो जाती है।
उसके बाद हमें जब भी दिन में, रात में या जब भी मौका मिलता हम एक हो जाते। अब वो हमारे साथ नहीं रहती ! वो अपने घर चली गई, मगर उसकी याद अब भी दिल में बाकी है।
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चोदे, चुदायें और लाइफ बनायें। Hindi Porn Stories
मैं बारहवीं क्लास का Hindi Porn Stories लड़का हूँ मेरी उम्र बीस साल हैं मेरा लंड आठ इंच का है। मेरा शुरू से ही आकर्षण लड़कियों से ज्यादा लड़कों में रहा हैं क्योंकि मुझे उनकी टाइट गांड मारने में मुझे मज़ा आता है। मैं 3-4 बार अपने दोस्त अभिषेक (झारखण्ड) की भी मार चुका हूँ लेकिन उसके बारे में मेरी अगली कहानी बताऊंगा। अभी मैं अपनी और मेरे भाई अविचल के कांड की कहानी बताता हूँ।
हम फरीदाबाद के रहने वाले हैं। मैं छुट्टियों में कुछ दिनों के लिए अपने चाचा से मिलने जयपुर गया हुआ था।वहाँ मैं मेरे चाचा और उनका बेटा अविचल से मिला। अविचल 19 साल का हो गया था और काफी वासना भरा भी लग रहा था। वो आई आई टी की तयारी कर रहा था।पहली नजर में ही उसकी सेक्सी गांड देख कर मुझे उसकी गांड मारने की इच्छा हुई और मैंने मन ही मन ठान लिया था कि मैं उसकी गांड मार कर ही रहूँगा। मैं वहाँ पर दस दिनों के लिए गया था और उसी वक्त में मुझे कुछ करना था। हम पहले भी कभी मिलते थे तो एक दूसरे का मुठ मारते थे इसलिए मुझे मंजिल ज्यादा मुश्किल नहीं लग रही थी।
एक दिन मेरे चाचा काम से गए हुए थे, हम दोनों घर पर अकेले थे। मुझे वो वक्त बात बढ़ाने के लिए सही लगा। मैंने उसे पहले पुरानी बातों को याद दिलाने की कोशिश की।
मैं उससे बोलने लगा- और अविचल, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या ?
उसने थोड़ा शरमाते हुए कहा- नहीं, लेकिन मैं गर्लफ्रेंड बनाना चाहता हूँ !
तो मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारे लिए गर्लफ्रेंड पटवा सकता हूँ लेकिन तुम्हें मेरा एक काम करना पड़ेगा।
उसने खुश होते हुए मुझसे कहा- आप जो बोलेंगे मैं वो करूँगा, अगर करने लायक हुआ तो !
मेरी बात बनने ही वाली थी कि इतने में किसी ने घंटी बजाई। अविचल ने जाकर देखा तो मेरे चाचा आ चुके थे। मुझे उस वक्त अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आया। उस दिन तो मैं मन मार कर रह गया और मुठ से ही संभाला मैंने अपने आप को !
लेकिन अगले दिन जब मेरे चाचा गए तो अविचल मेरे पास आया और उसने मुझसे बोला- भैया, कल आप मुझसे कुछ कह रहे थे ?
मैंने जब उसे यह कहते हुए सुना तो मुझे लगा कि शायद यह भी वासना का शिकार है। मैंने उससे कहा- हाँ, मुझे तुमसे कुछ काम है, याद हैं जब अपन पहले मिलते थे तो एक दूसरे का मुठ मारते थे और एक बार मैंने तुम्हारे मुँह में देने की कोशिश की थी और तुम छटपटाने लग गए थे।
वो थोड़ा शरमा गया और मुझसे बोला- आप क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हो?
फिर मैं धीरे धीरे उसकी उत्तेजना बढ़ाने के लिए उससे सेक्सी सेक्सी बातें करने लग गया। फिर हम दोनों मेरे मोबाइल पर साथ साथ ब्लू फिल्म देखने लग गए। मेरा लंड नब्बे डिग्री पर खड़ा हो गया लेकिन उसके लंड पर कोई असर ही नहीं था। लेकिन वो मचलने लग गया। तब मुझे पता चल गया कि साला अविचल तो नपुंसक है। उसके मचलने से मुझे लगा कि उसकी गांड मराने की प्रबल इच्छा हो रही है। तब शाम होने वाली थी, मैंने उससे पूछा- क्या तुम पहले की तरह मेरा मुँह में लेना चाहोगे?
उसने मुझे देखा और बोला- मैं तो कब से मौके की तलाश में था !
और उसने आगे से मेरे पैंट की चैन खोली और मेरे लंड को चड्डी के ऊपर ही मसलने लग गया। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उसने मेरा अंडरवीयर खोल दिया और मेरा लंड तुंरत उसने मुँह में ले लिया और कुत्ते की तरह चाटने लग गया। मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी और थोड़ी देर में मैंने अपना रस उसके मुँह पर छोड़ दिया और वो उसे गटक गया और गाल पर टपकी बूंदे हाथ में लेकर चाट गया।
अब शाम हो गई थी और चाचाजी भी आ गए थे। अगले दो दिनों तक चाचाजी छुट्टी पर थे तो हम दोनों को मौका नहीं मिला। मगर जब दो दिन बाद चाचा ऑफिस गए तो हम दोनों उसके कमरे में चले गए। अब हम दोनों ने टीवी पर ब्लू फिल्म देखना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों की उत्तेजना बढ़ गई, हम दोनों ने एक दूसरे के साथ मस्ती शुरू कर दी। फिर हम एक दूसरे को 15 मिनट फ्रेंच किस करने लग गए।
अब हम दोनों की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और वह मेरा मुँह में लेने लग गया। मुझे उसके मुँह में देने में अत्यंत आनंद मिल रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- तुम भी अपने कपड़े खोल दो !
तो उसने थोड़ा शरमा कर कहा- मुझे शर्म आती है, मैं नपुंसक हूँ !
तो मैंने कहा- वो तो मुझे पहले ही पता चल गया था ! तुम्हें शर्माने की कोई जरुरत नहीं है, मैं तुम्हें दूसरा ही मजा दूंगा !
उसने थोड़ी नाटकबाजी के बाद कपड़े खोलने शुरू कर दिए। फिर वो पापी मेरा मुँह में लेने लग गया। थोड़ी देर बाद जब मेरी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ने लग गई तो मैंने कहा- अविचल, अब मुझसे नहीं रहा जाता ! अब मुझे तुम्हारी गांड मारनी है !
तो उसने कहा- अब मैं भी चरम सीमा पर हूँ, पर तुम्हारा इतना मोटा लंड है, मेरी तो गांड फट जायेगी !
तो मैंने उसे समझाया- शुरू में थोड़ा दर्द होगा लेकिन बाद में मज़ा बहुत आयेगा।
तब उसने बोला- अब तुम मेरी गांड में अपना यह औजार घुसा ही दो !
और वो घोड़ी बन गया। जब वो घोड़ी बना तो मैंने देखा कि उसकी गांड का छेद तो पहले से ही खुला हुआ था। मेरे पूछने पर उसने बताया कि एक बार उसके तीन करीबी दोस्त विकास, धरमवीर और रजत ने उसकी जबरदस्ती गांड मार दी थी लेकिन उसे मज़ा बहुत आया था।
फिर मैंने बात वहीं पर ख़त्म कर के उसकी गांड में एक झटका मारा, मेरा सिर्फ सुपारा ही घुसा था कि उसकी चीख निकल गई, वो चिल्लाने लग गया लेकिन मैंने बिना कोई दया दिखाए उसकी गांड में एक और झटका दिया और मेरा लंड पूरी तरह उसकी गांड में घुस गया।
उससे सहन नहीं हो रहा था, वो चिल्लाया- आआआआ उइउइ उउइउइउइउइउइ मादरचोद ! मेरी तो तूने गांड ही फाड़ डाली ! साले मैं तेरी माँ चोद दूंगा !
लेकिन उसने मेरे लंड को हटाने की कोशिश भी नहीं की। शायद उसे पता था कि बाद में उसे अत्यंत मज़ा आने वाला है।
मैंने अब उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। शुरू में तो वह बहुत चिल्लाया लेकिन फिर वो मेरा साथ देने लग गया और उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लग गई। अब वह बोल रहा था- मादरचोद, चोद मुझे ! आज फाड़ दे मेरी गांड ! आआआआ उईउइउइउइउ मादरचोद और जोर से मार मेरी गांड ! साले तेरी माँ को भी ऐसे ही चोदता है क्या? भेन के लौड़े, फाड़ दे आज मेरी ! ऐसे कि बेसबाल का डंडा भी आराम से घुस जाये !
उसकी ऐसी उत्तेजना भरी बातें मुझमें और जोश भर रही थी। थोड़ी देर तक डट कर गांड की चुदाई करने के बाद मैंने लंड बाहर निकाल के उसके मुँह में छोड़ दिया और वो उसे पी गया।
उस दिन मैंने उसकी तीन बार गांड मार दी और बाकी दिन तक उसकी हर दिन गांड मारी।
यह थी मेरी कहानी। Hindi Porn Stories
अन्तर्वासना के पाठकों को Hindi Sex Stories पुलकित झा का नमस्कार। घरेलू कहानियों के शौकीन पाठकों के लिए हाज़िर है एक और मस्त कहानी…
जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूँ कि मेरी कहानियाँ मेरी कल्पनाओं पर आधारित हैं, परन्तु पाठकों ने इन्हें इतना पसन्द किया कि मैं फिर एक नई कहानी पेश कर रहा हूँ।
मेरे पिताजी का तबादला हो गया और हम एक नए शहर में आ गए और एक साधारण से मुहल्ले में किराए पर रहने लगे। मुझे अपने से बड़ों से दोस्ती करने का शौक था सो मेरी दोस्ती राजन और रमेश से हो गई। वे दोनों दीदी के कॉलेज में ही पढ़ते थे और बिगड़े हुए रईसज़ादे थे। दीदी बस से कॉलेज जाती थी। कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा फिर एक लड़का दीदी के पीछे पड़ गया और उसने दीदी को छेड़ना शुरु कर दिया।
दीदी बहुत परेशान रहने लगी, फिर एक दिन मुझे बता दिया। मैंने राजन से इस बारे में बात की तो उन्होंने उस लड़के को पीट दिया, और कुछ दिन तक दीदी के आने-जाने पर भी नज़र रखी। कॉलेज में भी वे उसका ध्यान रखने लगे। इधर मेरी दोस्ती भी उनके साथ बढ़ने लगी। मैं जब भी उनके साथ होता था तो अक्सर सेक्स की, विशेष रुप से घरेलू सेक्स की बातें करते थे। मुझे बहुत मज़ा आता था।
उनकी बातों से प्रेरित होकर मैंने दीदी के लिए ताक-झाँक करनी शुरु कर दी, और फिर एक दिन बाथरूम में उसे नंगी नहाते हुए देखा। पहली बार किसी लड़की को नंगा देखा… आआआहहहह्हहहह… नंगी तस्वीरें तो बहुत देखी थीं, पर वास्तविक लड़की… आआहह्हह। फिर मैंने बार-बार झाँकना शुरु कर दिया। मुझे यह हज़म नहीं हो रहा था। अब जब भी राजन और रमेश बातें करते थे, उसकी चूत-गाँड-चूचियाँ मेरी आँखों के सामने तैरने लगती थीं। राजन और रमेश ने इसे ताड़ लिया। अब वे मुझे अपनी बातों में अधिक शामिल करने लगे और मैं भी खुल गया और बातों ही बातों में उन्हें बता दिया।</p
“अरे वाह, तू तो बड़ा छुपा रुस्तम निकला…! ” राजन ने मेरी पाठ पर एक धौल जमाते हुए कहा।
“तुम लोग ऐसी बातें करते हो, तो मेरा मन फिसल गया…”
“अरे बहुत बढ़िया किया… हाय… कुँवारी चूत को आँखों से चोद रहा है….” रमेश बोला।
“यार कुछ भी कहो… तेरी बहन है माल… शरीर पर बाल हैं या चिकनी-चिकनी एक दम…”
“तू कहे तो चोद लें…”
“बात करना अलग बात है… ऐसी लड़की नहीं है वो…” मैंने कहा, तो वे दोनों मुस्कुराए।
“अब जब बात खुल ही गई है, तो तुझे बता दें कि पटा तो हमने लिया है उसे… पर तेरा लिहाज़ था सो हमने बात बढ़ाई नहीं है…” राजन ने कहा।
“वरना, वो तो कब से टाँगें फैलाए लेटी है हमारे लिए…” रमेश हँसते हुए बोला।
“शट अप… वो ऐसी नहीं है… मैं नहीं मानता…”
“तू अगर शर्त लगाए तो तेरे सामने चोद के दिखा दें…”
“शर्त मतलब…?”
“हम जीते तो तू हमें अपना जीजा मान लेना।”
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“और फिर हम तेरे घर में आकर ही उसे चोदा करेंगे!!!!” राजन ने कहा।
मुझे उनकी बातें बुरी नहीं लग रहीं थीं, पर बनावटी नराज़गी दिखाते हुए मैंने उनकी शर्त मान ली। फिर कुछ दिनों तक हमारे बीच कोई बात नहीं हुई। फिर एक दिन शाम को सात बजे राजन का फोन आया और उसने मुझे साढ़े आठ बजे कॉलेज की कैन्टीन में आने को कहा। दरअसल उस दिन कॉलेज का वार्षिक महोत्सव था। दीदी शाम छः बजे ही चली गई थी और दस बजे तक आने की कह गई थी। राजन के फोन का मतलब तो मेरी समझ में नहीं आया पर मैं आठ बजकर बीस मिनट पर वहाँ पहुँच गया। राजन बाहर ही खड़ा मिला और मुझे देखते ही अँधेरे कोने में ले गया…
“क्या बात है, मुझे क्यों बुलाया…”
“चुप आवाज़ मत कर… आज हम शर्त जीतने वाले हैं… राजन लेने गया है…” वह कुटिलता से हँसते हुए बोल…।
“किसे…” मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा…।
“तेरी बहन को… साले… आज तुझे अपना साला बनाएँगे…”
“मैं जा रहा हूँ… मुझे अजीब सा लग रहा है…”
“पागल है… आज सीधा प्रसारण देख… और फिर तूने वायदा किया है कि तू हमें सपोर्ट करेगा…”
मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा। तभी राजन दीदी को लाते हुए दिखा। रमेश ने मुझे एक ऐसी जगह छुपा दिया, जहाँ एक खिड़की थी। कमरे में एक बिस्तर था। तभी राजन दीदी को लेकर कमरे में आया। दीदी कुछ सहमी सी तो थी, पर आई अपनी मर्ज़ी से थी। रमेश भी वहाँ पहुँच गया और उसने दरवाज़ा बन्द कर लिया।
“ये कहाँ ले आए हो… कोई आ गया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी…” दीदी ने कुछ सहमते हुए कहा तो रमेश ने उसे बाँहों में भींचते हुए कहा…
“चिन्ता मत कर रानी… यहाँ कोई डर नहीं है…”
“नहीं.. यहाँ… नहीं…”
“अब नखरे मत कर… इतने दिनों से मौक़ा तलाश कर रहे थे…” और फिर रमेश ने उसे नंगा करना शुरु किया तो वह कुछ विरोध करने लगी, पर उन्होंने उसकी परवाह नहीं की। राजन भी वहाँ आ गया। रमेश ने उसकी शर्ट उतारी तो राजने ने उसकी जीन्स खोल दी और कुछ ही पल में वह ब्रा और पैन्टी में थी।
मेरी साँसें फूलने लगीं। राजने ने ब्रा भी खोल दी, तो दीदी नीचे बैठ गई। फिर वे भी नंगे हो गए। उनके लंड तने हुए थे। उन्होंने दीदी को उठाया और सीधे बिस्तर पर ले गए और फिर दोनों ओर से लिपट गए। वह ना-ना करती रही और वे उसके अंगों से खेलते रहे। उसे पता भी नहीं चला कि कब उसकी ब्रा-पैन्टी उसका साथ छोड़ गई। थोड़ी देर में वह भी गरम हो गई और फिर उनका साथ देने लगी, तो उन्होंने उसे सीधा किया और फिर पहले राजने ने नम्बर लिया। वह टाँगों के बीच में आया और उसकी टाँग उठा कर अपना लंड उसकी चूत की छेद पर टिका दिया। रमेश इस बीच चूचियों को सँभाल रहा था और दीदी उसके लंड से खेल रही थी कि राजन ने एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया… दीदी की चीख निकलने को हुई कि रमेश ने उसका मुँह अपने होंठों से बन्द कर दिया और फिर राजन पिल पड़ा… वह कराह रही थी, पर वह पूरी ताक़त से चोदे जा रहा था। दो सौ से भी अधिक चोट मारने के बाद वह चूत में झड़ गया। दीदी निढाल सी हो गई। उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था। रमेश ने उसकी चूत कपड़े से पौंछी तो वह उठ बैठी…
“अब नहीं…”
“अच्छा… अब मेरा नम्बर आया तो नहीं कर रही है…?” चूत पौंछ कर वह बगल में लेट गया।
“थोड़ा रुक कर, कर लेंगे…”
“चिन्ता मत कर, मैं उस राजन की तरह गँवार नहीं हूँ… प्यार से चोदूँगा।”
और फिर वह उसे चूमने-चाटने लगा। जब वह थोड़ी सामान्य हुई, तो वह ऊपर लेट गया और लंड चूत की दरार में रगड़ने लगा। दीदी की चूत फिर गरम होने लगी तो रमेश ने धीरे से लंड चूत में उतार दिया और फिर पहले धीरे-धीरे चोदने लगा। जब वह पूरी तरह से मज़े लेने लगी तो उसने गति बढ़ा दी। वह आह्ह्हह… आह्हहह करने लगी, पर रमेश ने भी पूरी ताक़त से उसकी चूत ठोंकी। वह निढाल हो चुकी थी। वे दोनों भी उसकी बगल में लेट गए तो मैं भाग आया।
दूसरे दिन फिर शर्त के अनुसार मैंने दोनों को जीजाजी कहा। Hindi Sex Stories
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