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Massage Girl in Dhalai: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Dhalai who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Dhalai that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Dhalai massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Dhalai who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Dhalai massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Dhalai massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Dhalai who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Dhalai employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Dhalai helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Dhalai

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Dhalai at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Antarvasna

“ओह … मीनू … सच Antarvasna कहता हूँ मैं इन तीन दिनों से तुम्हारे बारे में सोच सोच कर पागल सा हो गया हूँ। लगता है मैं सचमुच ही तुम्हें पर … प्रेम … ओह … चाहने लगा हूँ। पर ये सामाजिक बंधन भी हम जैसो की जान ही लेने के लिए बने है !” भैया की आवाज कांप रही थी।

“भैया क्या आपने कभी सोचा कि मैं आपके बारे में क्या सोचती हूँ ?”

“क… क्या मतलब ?” अब उनके चौंकने की बारी थी।

“हाँ भैया मैं भी आपसे प्रेम करने लगी हूँ !” मैंने अपनी नजरें झुका ली।

“ओह… मेरी मीनू मेरी मैना मेरी जान” और भैया मुझ से लिपट ही गए। उन्होंने मुझे अपने बाहों में भर लिया और मेरे होंठों पर एक चुम्बन ले लिया। आह … वो प्यार का पहला चुम्बन मुझे अन्दर तक रोमांच से भिगो गया। मेरा तन मन सब कुछ तो उसी एक छुवन की लज्जत से सराबोर हो गया। मैंने भी अपने जलते होंठ उनके होंठों पर रख दिए।

मुझे नहीं पता कितनी देर हम लोग इसी तरह एक दूसरे को चूमते रहे। हम तो जैसे अपनी सुधबुध ही खो बैठे थे। मैं तो उनसे ऐसे लिपटी थी जैसे कोई लता किसी पेड़ से। बाहर जोर की बिजली कड़की तब हमें होश आया। भैया ने झट से उठ कर कमरे का दरवाजा बंद किया और फिर वापस आकर मुझे अपने आगोश में भर लिया।

“मीनू कहीं हम गलत तो नहीं कर रहे ?”

“ओह … भैया अब कुछ मत सोचो। इस रात और इन हसीन लम्हों को यादगार बना लो। छोड़ो इन पुरानी दकियानूसी बातों को !”

और फिर ……………….

उन्होंने मुझे कस कर अपनी बाहों में भर लिया और मेरी लुंगी को खींचने लगे। मैंने कहा “नहीं पहले लाइट बंद करो !”

उन्होंने झट से लाइट बंद कर दी और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। खिड़की से हलकी रोशनी आ रही थी। अब उन्होंने अपने और मेरे कपड़े निकाल फेंके। अब हम दोनों ही एक दम नंगे थे। मेरी मुनिया तो कब की पानी छोड़ छोड़ कर पीहू पीहू कर रही थी। मैंने शर्म के मारे अपने दोनों हाथ अपनी मुनिया के ऊपर रख लिए।

“मीनू मेरी जान ! अब शर्म छोड़ो ! मुझे अपनी इस प्यारी मुनिया को प्रेम करने दो !”

प्रेम ने मेरे हाथ परे कर दिए। मैं चित्त लेटी थी। मेरी जांघें आपस में कसी हुई थी। एक अनजाने डर और रोमांच से मैं तो लबालब भरी हुई थी। उन्होंने अपना एक हाथ धीरे से मेरी पिक्की की केशर क्यारी पर फिराया। और फिर अपने जलते हुए होंठ मेरी मुनिया के होंठो पर जैसे ही रखे मेरी एक हलकी सी किलकारी निकल गई। फिर अपनी जीभ से मेरी मुनिया की गुलाबी पंखुडियों को चूम लिया और फिर उसे चाटना शुरू कर दिया तो मेरी बंद जांघें अपने आप खुलने लगी।

फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरी पिक्की की दोनों फांकों को चौड़ा किया। शहद की कुप्पी जैसी लाल गुलाबी रंगत वाली प्रेम रस में सराबोर हुई अनछुई पिक्की हलकी ‘पुट’ की आवाज के साथ खुल गई। उन्होंने अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू कर दिया। मेरे मुंह से सहसा निकल पड़ा “उई ……. माँ …….” अरे अभी तो उन्होंने दो तीन बार ही जीभ फिराई थी मेरी पिक्की तो निहाल ही हो गई और अपने प्रेम रस की 4-5 बूंदें उन्हें समर्पित कर दी। वो तो मस्त होकर उसे चाट ही गए। मैं सीत्कार पर सीत्कार करने ली। मेरे पैर अपने आप ऊपर उठ गए और मैंने उनकी गर्दन के चारों और लपेट लिया। वो कभी मेरे नितम्बों को सहलाते कभी मेरे गोल मटोल उरोजों को दबाते। मैं तो सातवें आसमान पर थी।

“ओह… प्रेम बस करो ! मुझे कुछ होता जा रहा है।”

मेरा शरीर अकड़ने लगा और साँसे तेज होने लगी। मुझे लगा जैसे कहीं मैं अनजाने खुमार और उन्माद में डूब रही हूँ। मैंने उनके सिर के बालों को जोर से पकड़ लिया और अपनी पिक्की की और दबा दिया। और उसके साथ ही मेरी किलकारी निकल गई और मेरी पिक्की ने गरम गरम प्रेम रस की जैसे बौछार ही चालू कर दी। आह … इतना मजा तो कभी हस्तमैथुन करके भी नहीं आया था। शमा सच कह रही थी इस लज्जत (स्वाद) से अब तक मैं तो अनजान ही थी। प्रेम पूरा का पूरा रस चटखारे लेकर पी गया।

“ओह मेरी मैना ! मेरी जान ! मजा ही आ गया ” प्रेम ने उठते हुए कहा। मेरा शरीर अब भी रोमांच से काँप रहा था। वो मेरे ऊपर आ गए। और मेरे होंठों को चूसने लगे। उनके होंठों पर लगे मेरे प्रेम रस का नमकीन और कुछ खट्टा सा स्वाद मुझे भी मिल ही गया। वो कभी मेरे गालों को कभी मेरे होंठो को कभी गले को कभी उरोजों को चूमते ही जा रहे थे। फिर उन्होंने अपना मुंह मेरे अमृत कलशों (उरोजों) पर लगा दिया और उनकी चने के जितनी बड़ी निप्पल्स को चूसना चालू कर दिया। कभी वो एक उरोज को पूरा मुंह में भर लेते और चूसते और कभी दूसरे को। मेरी तो सीत्कार ही निकलती जा रही थी।

अचानक मेरा हाथ उनके ‘उस’ से टकराया। ओह… मुझे शर्म आ रही है उसका नाम लेते हुए। आप समझ रहे हैं ना। लगभग 7” लम्बा और 1 ½ “ मोटा उनका पप्पू तो अकड़ कर जैसे लोहे की रॉड ही बना था। उसका रंग सांवला सा था। वो तो ऐसे खड़ा था जैसे किसी बन्दूक की मोटी सी नाली हो और बस घोड़ा दबाने का इंतज़ार कर रहा हो. और सुपाड़ा तो जैसे कोई लाल टमाटर ही हो । मैंने आज पहली बार किसी का “वो” इतने नजदीक से देखा था। मैंने प्यार से उसे छुआ तो वो तो फुफ्कारे ही मारने लगा। मैंने धीरे धीरे प्यार से उसे सहलाना शुरू कर दिया तो उसने भी ठुमके लगाने चालू कर दिए। मैंने जब सुपाड़े पर अंगुली फिराई तो मुझे कुछ लेसदार सा चिपचिपा सा महसूस हुआ। शमा बताती है ये प्री कम होता है। कुछ नमकीन सा होता है और इसका स्वाद बहुत ही मजेदार होता है। मेरा जी तो कर रहा था कि उसे मुंह में ले लूं पर शर्म के मारे मैं उसे मुंह में नहीं ले पाई।

“मीनू मेरी जान क्या तुम तैयार हो ?” उन्होंने मेरे होंठ चूमते हुए पूछा।

“किसके लिये ?”

“ओह ये भी बताना पड़ेगा क्या ?”

“हाँ बताये बिना तो मैं कैसे समझूंगी ?”

“अब चुदाई करनी है मेरी मैना !” उन्होंने मेरी नाक पकड़ते हुए मेरे होंठों पर एक चुम्बन ले लिया।

“ओह… भैया आप बहुत गन्दा बोलते हो ?”

“अब चुदाई को तो चुदाई ही कहा जाएगा और क्या बोलूँ ?”

“नहीं …ये गन्दा शब्द है हम इसे प्रेम मिलन कहेंगे ‘वो’ नहीं ?”

“वो क्या ?”

“ओह भैया आप फिर… नहीं मुझे शर्म आती है” मैंने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढांप लिया।

अब वो कहाँ रुकने वाले थे। उन्होंने मुझे जोर से अपनी बाहों में भर कर मेरे होंठ चूम लिए। और फिर एक हाथ बढा कर उन्होंने बेड की साइड ड्रावर से वैसलीन की डब्बी निकाली और एक अंगुली में क्रीम भर कर मेरी पिक्की के होंठो पर और छेद में लगा दी। मैं तो सिहर ही उठी रोमांच से। उन्होंने धीरे धीरे अपनी अंगुलियों से मेरी पिक्की की फांकों को मसलना शुरू कर दिया। फिर एक अंगुली मेरे रति-द्वार के छोटे से छेद में डाल दी। “ऊईई …. माँ.. आ ….” मुझे गुदगुदी सी हो रही थी। उन्होंने अब अंगुली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी। मैं तो जैसे मदहोश ही हो गई। मेरे मुंह से तो बस आह … ओईई … ही निकलते जा रहा था। फिर उन्होंने अपने पप्पू को भी क्रीम से तर कर लिया और उसे मेरी पिक्की के मुंह पर रख दिया। वो तो बेचारी कब की तरस रही थी। उन्होंने कोई जल्दी नहीं की। मुझे बड़ी हैरानी हो रही थी ये इतनी देर क्यों कर रहे हैं। शमा तो कहती है की गुल तो एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार देता है।

प्रेम ने एक हाथ मेरी कमर के नीचे लगा लिया और एक हाथ मेरी गर्दन के नीचे। उसने मेरे होंठ अपने होंठों में भर लिए। मेरी मुनिया तो कब की पीहू पीहू कर रही थी। उन्होंने एक जोर का सांस लिया और धीरे से एक धक्का लगाया। मेरी प्यारी मुनिया को चीरता हुए उनका पप्पू 3 इंच तक मेरी पिक्की में घुस गया और उसके साथ ही मेरी घुटी घुटी चीख निकल गई। मुझे लगा जैसे किसी ने लोहे की गरम सलाख मेरी पिक्की में ठोक दी हो। मुझे ऐसे लगा जैसे मेरी पिक्की की चमड़ी किसी ने चाकू से चीर दी है। मैं कसमसाने लगी। और जैसे ही मेरे होंठ उनके मुंह से छूटते मेरी हलकी सी चींख निकल गई। “ओह भैया…. मैं मर गई ……. म… म… मम्मी !”

“बस बस मेरी मैना अब दर्द ख़त्म ! बस थोड़ा सा बर्दाश्त कर लो ! अब आगे मजा ही मजा है !”

“नहीं भैया बाहर निकाल लो प्लीज … मैं मर जाउंगी बहुत दर्द हो रहा है !”

“बस एक मिनट की बात है। प्लीज चुप करो। बस अब दर्द ख़त्म ! ”

हम लोग कोई 3-4 मिनट ऐसे ही एक दूजे की बाहों में लिपटे पड़े रहे और फिर तो जैसे कमाल ही हो गया। मेरा दर्द कम होता चला गया। आह ….. अब तो बस मजा ही मजा था। प्रेम धीरे धीरे धक्का लगाने लगे पर पूरा अन्दर नहीं किया।

मैंने कहा, “अब मत तरसाओ ! पूरा डाल दो !”

“क्या डाल दूँ ?”

“ओह भैया आप तो मुझे बेशर्म ही कर के छोडोगे। नहीं मैं इसका नाम नहीं ले सकती !”

“प्लीज बोलो ना ?” उन्होंने मेरा चेहरा अपने दोनों हाथों में ले लिया और मेरी आँखों में झांकते हुए पूछा।

“ये तो मेरा प्यारा मिट्ठू है बस अब तो आप खुश हैं ना ?” कहते हुए मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं।

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था और साँसें बेकाबू होती जा रही थी। मेरा तो रोम रोम ही पुलकित हो गया था। मैं तो जैसे मस्ती के सागर में ही डूबी थी।

अचानक उन्होंने मुझे जोर से अपनी बाहों में भींच लिया। मैंने भी अपने नितम्ब उछालने शुरू कर दिए। पर मुझे क्या पता था अभी तो असली काम बाकी था। प्रेम एक मिनट के लिए रुका और फिर बोला “देखो मेरी जान थोड़ा सा दर्द और सहन करना होगा !”

“ओह प्रेम अब कुछ मत पूछो अब डाल दो पूरा अन्दर ! अब दर्द की चिंता मत करो ! तुम्हारे लिए मैं सब सहन कर लूंगी !”

फिर उन्होंने मुझे कसकर अपनी बाहों में भर लिया और एक जोर का धक्का लगाया। उनका 7” लम्बा पप्पू मेरी मुनिया की झिल्ली को रोंदता हुआ अन्दर समा गया। मेरे मुंह से जोर की चीख और आँखों से आंसू दोनों एक साथ निकल पड़े। प्रेम तो पक्के गुरु थे। इस से पहले कि मेरी चीख हवा में गूंजे, उन्होंने मेरा मुंह अपने हाथ से ढक दिया और मैं तो बस गूं गूं करती ही रह गई। बाहर बहुत जोर से बिजली कड़की लेकिन मुझे लगा कि मुझे जितने जोर का झटका लगा है वो उस बिजली से कम नहीं था। मुझे लगा मेरी पिक्की से गरम गरम सा कुछ निकल रहा है। मुझे तो बाद में पता चला वो तो मेरी पिक्की की सील टूटने से निकला खून था जो पूरी बेडशीट को ही भिगो गया। मैंने उनकी पीठ पर अपने नाखून गड़ा दिए जिससे उनका हल्का सा खून निकल आया। पर इस खून और दर्द की किसे परवाह थी।

कोई 4-5 मिनट हम इसी तरह शांत पड़े रहे। फिर जब उनका ‘वो’ (अरे यार पप्पू) अन्दर एडजस्ट हो गया तो मेरी पिक्की ने भी रोना धोना बंद करके प्रेम रस बहाना चालू कर दिया। मेरी पिक्की अब संकोचन करने लगी थी। उनका पप्पू भी अन्दर मस्त हुआ ठुमके लगाने लगा। अब प्रेम ने धीरे धीरे धक्के लगाने चालू कर दिए। मैं भी अपने नितम्ब उठा उठा कर उनका साथ देने लगी। पता नहीं कितनी देर वो अपने पप्पू को अन्दर बाहर करते रहे। समय की परवाह किसे थी। मैं तो बस यही चाह रही थी हमारे प्रेम के ये सुनहरे पल कभी ख़तम ही न हों। मेरे मुंह से आह… ओईई …. या.. आ.. आ.. की आवाजें निकालने लगी थी और मेरी पिक्की से फच फच की आवाजें आनी शुरू हो गई थी। मेरा शरीर एक बार फिर अकड़ने लगा और इस से पहले की मैं कुछ समझती या करती मेरी पिक्की ने पानी छोड़ दिया।

प्रेम धक्के लगता जा रहा था। मैंने अपने पैरों को ऊपर उठा कर प्रेम की कमर से कैंची की तरह जकड़ लिया। अब वो धक्के नहीं लगा पा रहे थे। वो कुछ देर ऐसे ही मेरे ऊपर पड़े रहे। मैं तो प्रेम रस में डूबी रोमांच के सागर में गोते लगा रही थी। फिर मैंने धीरे धीरे अपने पैर नीचे कर लिए। हमें कोई 15 मिनट तो जरूर हो गए होंगे। प्रेम ने फिर जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। उनके मुंह से अजीब सी गुरर्र.. गु….र…र्र की आवाज निकलने लगी थी। मेरी पिक्की से भी अब फच .. फच .. की आवाजें आनी शुरू हो गई थी। इस मधुर संगीत को सुनकर मैं तो तृप्त ही होती जा रही थी। इस अनोखे स्वाद से अब तक तो मैं अनजान ही थी। इसके बदले में अगर स्वर्ग भी मिले तो मैं ना जाऊं।

“मेरी मैना अब मैं भी जाने वाला हूँ !” उनके धक्को की रफ़्तार अचानक तेज हो गई।

मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उन्हें जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया। और इसके साथ ही उनके पप्पू ने एक… दो.. तीन.. चार… न जाने कितनी पिचकारियाँ छोड़ दी। मेरी पिक्की तो उनके गरम और गाढ़े वीर्य से लबालब भर गई। मेरी पिक्की भला क्यों पीछे रहती उसने भी एक बार फिर काम रस छोड़ दिया।

बाहर बारिश अब बंद हो गई थी। मैं शर्ट और लुंगी पहन कर नीचे भाग आई।

प्रेम तो मुझे मीनल से मैना बना कर चले गए पर मैं आज भी उन लम्हों को याद करके रोमांच से भर जाती हूँ। लेकिन बाद में मेरे दिल में एक हूक सी उठती है और मेरी आँखों से आंसू छलक पड़ते हैं। आप शायद इन बातों को नहीं समझेंगी। प्रेम की याद में मैं कितना रोती और तड़फती हूँ आप क्या जाने। वो तो बस सावन में आग लगा कर चला गया। काश कोई मेरे इन आंसुओं की कीमत समझे और इस आने वाले सावन में मेरे भीगे बदन को अपने सीने से लगा ले।

क्या आप मेरे लिए “आमीन” (भगवान् करे ऐसा ही हो) नहीं बोलेंगे ? मेरी आपबीती आपको कैसी लगी मुझे और प्रेम को मेल करेंगे ना ???

मैना का विशेष आग्रह :

इस कहानी पर आप अपने विचार प्रकट करना चाहें तो अन्तर्वासना फ़ोरम के “कहानियों पर आपकी राय” कोलम में जाकर रजिस्टर करके अपनी राय दे सकते हैं यह बड़ा आसान है आपको

बस अपना नाम, पास वर्ड और मेल एड्रेस देना है आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा. उसके बाद आप अपनी राय लिख सकते है जिसे सभी पाठक भी आपकी राय पढ़ सकते हैं.

धन्यवाद ! Antarvasna

प्रेषक : संगीता Antarvasna

सभी अन्तर्वासना के पाठकों को मेरी तरफ से Antarvasna यानि कि संगीता की तरफ से प्रणाम !

मैं अन्तर्वासना का एक सच्चा पाठक हूँ जो इसकी एक एक कहानी का तुत्फ़ उठाता हूँ। मैं कई बार अपनी एक मस्त चुदाई सबके सामने लाना चाहता था सो आज मैं अपनी पहली चुदाई का सीन सबको बताने जा रहा हूँ।

दोस्तो ! मैं एक ‘गे’ हूँ, मुझे मर्द अच्छे लगते हैं, खास कर जब कभी मैं अकेला किसी मर्द के साथ होता हूँ, मेरे में उतावलापन आ जाता है। लेकिन मुझे लड़कों से गांड मरवाना अच्छा नहीं लगता। मुझे शादीशुदा या फिर जो अपने स्टेट, अपने शहर के ना हों, क्यूंकि वो लोग बात फैलाते नहीं हैं, बदनामी नहीं करते। वहीँ लड़का एक बार गांड मारता है अपने कई साथियों को बताता है।

चलो खैर, अपने मुददे पर आते हैं।

एक रात की बात है, मैं घर में अकेला था। रात को भी घर में अकेले ही रहना था, बोर हो रहा था, मैंने इन्टरनेट ओन किया और बैठ गया, चेटिंग करने लगा। गे-रूम में पहुँच वहाँ लोगों के साथ बातें करते हुए मैं गरम होने लगा। वेबकैम पर एक मर्द से चेटिंग करते हुए दोनों नंगे हो गए। वो गांड मारने वाला गे था और मैं गांड मरवाने वाला गे था। उसके खड़े लौड़े को देख कर मेरा दिल गांड मरवाने को करने लगा। आखिर चेटिंग करने में वो मजा थोड़े होता है जो असली में गाण्ड मरवाने में आता है।

रात का समय था, किस को बुलाता ! उसी मर्द ने मुझे प्लान बताया कि तेरे पास कार है?

मैंने कहा- है !

बोला- तू घर से निकल किसी ऐसी कालोनी में जा, जहाँ कन्स्ट्रक्शन का काम चल रहा हो !

मैंने कहा- वहां क्या मिलेगा?

वो बोला- या स्टेशन वाले एरिया के आस पास कोई प्रवासी जो यहाँ काम करने आया हो या कोई रिक्शा वाला उसको पैसों का लालच दे कर बिठा ला और सुबह होने से पहले वहीं छोड़ आना !

मुझे सही लगा, मैंने अपनी कार निकाली, घर लॉक किया, निकल पड़ा मिशन ‘लौड़ा-ढूंढ’ पर !

पास में एक नई कालोनी में प्लाट काटे गए थे और अब वहां मकान बन रहे थे ,तभी मेरी नज़र एक आदमी पर पड़ी। कोई प्रवासी मजदूर था, लुंगी वगैरा डाल रखी थी। वो सिगरेट पी रहा था, उसके आस पास कोई नहीं था।

मैं चलता हुआ उसके पास पहुंचा। काफी ताक़तवर हट्टा-कट्टा मर्द था। मेरे बोलने से पहले बोला- तू इतनी रात को अकेला इस जगह क्यूँ आया है?

कुछ नहीं, घर में अकेला था, आज दिल नहीं लग रहा था, घूमने निकल आया ! तुम कहाँ के हो?

मैं बिहार में एक गाँव का हूँ, यहाँ मजदूरी करता हूँ, अब ठेकेदारी का काम करने वाला हूँ। तू बहुत चिकना चुपड़ा है, सब जानता हूँ मैं तुम बड़े लोगों को, बहुत टाइम से हूँ यहाँ पर, तुम लोग इतनी रात को क्या करने निकलते हो, सब जानू, चल अन्दर आजा ! जगह है, आज अकेला ही हूँ मैं भी ,वरना कल से सभी गाँव से लौट आयेंगे !

उसने मेरा काम खुद कर दिया था, मुझे तेरा लौड़ा लेना है !

मालूम था मुझे !

लेकिन यहाँ नहीं, मेरे साथ घर चलो जितने पैसे कहोगे दूंगा !

उसने गेट लाक किया, बैठ गया कार में, बोला- पचास का नोट निकालना, ज़रा ठेके से पौवा ले लूँ !

उसने एक पौवा लिया, खोला, वहीं ग्लास में डाल कर खींच लिया और वापिस कार में बैठ गया। चलती कार में ही मैंने उसकी लुंगी में हाथ डाल दिया और उसके लौड़े को सहलाने लगा। छूने पर ही लग गया कि माल सॉलिड मिला है।

उसको भी सरूर सा होने लगा दारू का ! उसने खुद ही लौड़ा निकाल दिया, तन्न चुका था, देख कर खुश हुआ कि क्या लौड़ा मिला है।

मैंने दरवाजा खोला, उसको कार में बैठे रहने को बोल मैंने कार अन्दर ले जाकर पोर्च में लगा दी। गेट लॉक कर, लाइट बंद कर उसको उतार के कमरे में ल गया। उसको बिठा कर पानी पिलाया और कपड़े बदल कर वहीं आ गया।

उसको नशा हो चुका था। मैंने सिर्फ अंडरवियर और पतली सी शर्ट डाली थी, उसके पास बैठ गया, वो अपना हाथ मेरी जांघ पे फेरते हुए बोला- तुमको लड़की होना चाहिए था, मस्त माल है तू !

मैंने भी उसको नीचे से नंगा कर दिया और उसके लौड़े को सहलाने लगा, झुकते हुए मुँह में ले लिया। वो सिसक उठा किसी ने उसका कभी चूसा नहीं था। वो मजे से चुसवा रहा था। उसने मुझे भी नंगा किया और रौंदने लगा। चूम चूम के मेरे निपल लाल कर डाले, बोला- साले लड़की को मात पावे तू !

हाय मैं हूँ ही लड़की !

मैं घोड़ी बन गया और उसने लौड़ा रख धक्का दिया फिसल गया।

तुम भी न ! कभी गांड नहीं मारी?

खुद पकड़ कर रखा, उसने धक्का मारा और आधा लौड़ा घुसा दिया। उसका मोटा लौड़ा डलवा मेरी भी चीख निकल गई। लेकिन उसने रहम न खाते हुए पूरा डाल दिया। मैं चिल्लाने लगा, उसने नहीं छोड़ा, नशे में था और फाड़ डाली, जोर जोर से रौंदने लगा। जैसे ही गांड ने उसके साइज़ को अपना लिया, मुझे बहुत मजा आने लगा और खुद मरवाने लगा।

मैंने कहा- नीचे लिटा कर चोद !

उसने टांगे चौड़ी करवा बीच में बैठ घुसा दिया और मेरा एक मम्मा पूरा मुँह में ले चूसने लगा और तेज़ धक्के मार फाड़ डाल करते हुए उसने अपना लावा अन्दर छोड़ दिया। मुझे बहुत मजा आया।

उसने वहां बार देख लिया, बोतल देख बोला- मुझे पिला !

पीकर वो शराबी होने लगा और हवसी की तरह पूरी रात मेरी मारता रहा। क्या मजा आया, बता नहीं सकता।

अगली रात फिर अकेला था मैं !

सुबह जब चैट पे मैंने अपने नेट वाले दोस्त को सब बताया और उसका शुक्रिया किया।

उसने मुझे एक सीख दी कि कभी उसको दूसरी बार घर मत लाना, दिन में हरगिज़ नहीं ! उसको रास्ता न मालूम पड़े और आज कोई और ढूंढ लेना, लेकिन कंडोम रखा कर और इन प्रवासी मर्दों के लौड़े लेता रह !

अगली रात मैंने किस तरह एक रिक्शा वाले को फंसाया, अगले बार में बताऊंगा ! Antarvasna

Antarvasna Sex Stories

अंधेरे में एक साया एक घर Antarvasna Sex Stories के पास रुका और सावधानी से उसने यहाँ-वहाँ देखा। सामने के घर की छोटी सी दीवार को एक फ़ुर्तीले और कसरती जवान की तरह उछल कर फ़ांद गया और वहाँ लगी झाड़ियों में दुबक गया।

कमरे में रीना बिस्तर पर लेटी हुई कसमसा रही थी, उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे अचानक लगा कि उसके घर में कोई कूदा है। वह दुविधा में रही, फिर उठ कर खिड़की के पास आ गई। उसे एक साया दिखा जो झाड़ियों के पास खड़ा था।

वो साया दबे पांव अन्दर की ओर बढ़ रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि मुख्य दरवाजा खुला हुआ था। वो तेजी से अन्दर आ गया और सीधे मौसी के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। रीना का दिल धक-धक करने लगा, पर उसे ताज्जुब हुआ कि वो मौसी के कमरे में ना जाकर ऊपर सीढ़ियों पर चला गया।

उसने अंधेरे में तुरंत अपना मोबाईल निकाला और अपनी पड़ोसन शमा आण्टी को फोन किया,”आण्टी, हमारे घर में कोई चोर घुस आया है।”

” क्या… क्या … कहाँ है वो अभी ?”

“वो ऊपर गया है”

“रूपा कहाँ है…।”

“शायद सो रही है…”

“ओह्ह्… तुम सो जाओ वो चोर नहीं है ?”

“तो आण्टी ???”

“वो दिल का चोर है… तुम्हारी आन्टी भी ऊपर ही है… सो जाओ !” शमा की खनकती हंसी सुनाई दी ।

रीना ने फोन बन्द कर दिया। ओह्ह्… तो यह बात है… यह मौसी का यार है !!! अरे ये वही तो नहीं है जो सवेरे चाय पी रहा था। इसका मतलब यह रात भर मौसी के साथ रहेगा। मौसा अक्सर बिजनेस यात्रा पर चले जाते थे।

“तो क्या मौसी … छी … छी … ऐसा नहीं हो सकता। मैं ऊपर जाकर देखूँ? हाँ यह ठीक रहेगा।” रीना ने धीरे से दरवाजा खोला और नंगे पांव सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ गई। मौसी के कमरे की लाईट जल रही थी। मतलब वो अभी तक सोई नहीं थी। वो चुपचाप सीढियाँ चढ़ गई। सारी खिड़कियाँ बन्द थी। पर हां खिड़की के पास एक पत्थर की बेन्च थी, उसके ऊपर ही एक खुला रोशनदान था। रीना बेन्च पर चढ़ गई।

जैसे ही अन्दर झांका तो जैसे उसके दिल की धड़कन रुक गई। वो लड़का वही था… उसका नाम आशू था। वो बिल्कुल नंगा खड़ा था और उसका लण्ड लम्बा सा और मोटा सा था। उसका सीधा खड़ा और तन्नाया हुआ लण्ड बड़ा ही मनमोहक लग रहा था।

मौसी बस एक पेटीकोट में थी, उनका ब्लाऊज उतर चुका था। उनकी दोनों चूचियां खूबसूरत थी, गोल गोल, भूरे भूरे निपल, आशू ने मौसी को प्यार से चूम लिया और बदले में मौसी में उसके फ़डकते हुये लण्ड को अपनी मुठ्ठी की गिरफ़्त में ले लिया। उसे प्यार से सहलाते हुये उसके लण्ड अपना हाथ आगे पीछे चलाने लगी।

रीना का दिल कांप उठा। धड़कन बढ़ गई। उसके मन में वासना जाग उठी।

“आशू, मस्त लण्ड के मजे कुछ ओर ही होते हैं… हैं ना…?”

“रूपा, और मस्त चूत भी कमाल की होती है… जैसे आपकी है !”

“कल तो तू बड़ा रीना की चूत मारने की बात कर रहा था…?”

“वो तो नई चूत है ना … अभी तक चुदी नहीं होगी… आप आदेश दे तो उसे भी सेट करें?”

“अभी तो मेरी चूत कुलबुला रही है… चल अपना लौड़ा अब चूत में घुसा डाल… रीना को तो पटा ही लेंगे… अब बेचारी के पास चूत है तो लण्ड तो चाहिये ही ! है ना?”

आशू हंस पड़ा और रूपा से लिपट गया। कुछ देर तक तो वो कुत्ते की तरह लण्ड चूत पर मारता रहा फिर चूत के द्वार पर अपने आप ही सेट हो गया और चूत के पट खोलता हुआ अन्दर घुस गया। रूपा आशू से लिपट गई और एक टांग उठा कर आशू की कमर में डाल दी और लण्ड को अपनी चूत में सेट कर लिया।

रीना का बदन पसीने से भीग गया, सांस फ़ूलने लगी। उसकी चूत भी रिसने लगी और गीली हो उठी। अपने चुदने की बात से उसे अपनी पहली चुदाई याद हो आई। दोनों की कमर धीरे हिलने लगी और रूपा चुदने लगी। दोनों के मुख से वासना भरी सिसकारियाँ निकलने लगी।

“हाय रे आशू, भगवान ने भी क्य मस्त चीज़ें बनाई हैं… धरती पर ही स्वर्ग का आनन्द ले लो !”

“हां देखो ना आपके अधर रस से भरे, आंखों में जैसे शराब भरी हुई है, गुलाबी गाल को सेब की तरह काटने को मन करता है… चल बिस्तर पर चुदाई करते हैं !”

” नहीं रे अभी नहीं … अभी थोड़ा सा गाण्ड को भी तो मस्ती दे यार !” और उसका लण्ड बाहर निकाल कर पीछे घूम गई और घोड़ी बन कर चूतड़ उभार दिये…

जैसे ही आशू का लण्ड गाण्ड के छेद रखा… रीना सिहर गई। रीना का मन उनकी पूरी चुदाई देखने को हो रहा था, और अब तो ये हालत थी कि उसकी चूत भी फ़डफ़डा उठी थी। उसने अपनी चूत को अपने हाथ से हौले से दबा दी। उसकी चड्डी बाहर तक गीली हो गई थी और चिपचिपापन बाहर से ही लग रहा था। उसके सारे शरीर में एक वासना भरी कसक भर उठी थी। रूपा की ग़ाण्ड के दोनों गोल गोल उभरे हुये चूतड़ किसी का भी लण्ड खड़ा कर सकते थे।

आशू ने हल्का सा ही जोर लगाया और उसका लोहे जैसा डण्डा उसकी गाण्ड के छेद में उतर गया। दोनों ही एक साथ सिसक उठे। उन दोनों का रोज का ही गाण्ड मराने का और फिर चुदाने का दौर चलता था।

सो रूपा की गाण्ड तो लण्ड ले ले कर मस्त हो चुकी थी। उसे दोनों ही छोर से चुदाने में मजा आता था। आशू ने रूपा के मस्त बोबे पकड़े और मसलने लगा। साथ ही साथ जोश में लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। दोनों मस्ती के माहौल में डूबे हुये थे … हौले हौले सिसकी भरते हुये रूपा चुद रही थी। रीना की आंखें मदहोशी में डूबने लगी थी। उसका सारा शरीर पसीने से भीग उठा था। उसकी आंखों के कटोरे नशे से भर गये थे, नयन बोझिल हो गये थे। उसका बदन जैसे आग में जलने लगा था। उसकी नस नस में वासना की कसक भर चुकी थी। ऐसे में उसे यदि कोई मिल जये तो उसको जी भर के चोद सकता था। रूपा की गाण्ड चुद रही थी। आशू का लण्ड भी फ़ूलता जा रहा था।

उसे भी स्वर्ग का आनन्द आ रहा था। दोनों ही दीन दुनिया से बेखर जन्नत में विचरण कर रहे थे। रीना का मन सकता जा रहा था। उसकी चूत भी चुदाई करने जैसी हालत में आगे पीछे चलने लगी थी। जाने कब उसकी एक अंगुली उसने अपनी चूत में घुसा ली और चूत को शान्त करने की कोशिश करने लगी।

तभी आशू ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और रूपा झट से बिस्तर पर आ गई और उसने अपनी टांगें लेटे हुये ऊपर की ओर उठा ली। अपनी चूत को लण्ड को घुसेड़ने के लिये खोल दी। आशू भी उछल कर रूपा पर सवार हो गया। उसे अपने बदन के नीचे दबा लिया।

उसका लण्ड उसके मुख्य द्वार में घुस गया और अन्दर उतरता चला गया। दोनों ही एक बार फिर से सिसक उठे। दोनों के होंठ मिल गये और फिर दोनों के चूतड़ एक दूसरे दबाते हुये लण्ड को घुसाने लगे। दोनों एक लय में, एक ताल में चलने लगे और चुदाई आरम्भ हो गई। दोनों की वासना भरी चीखें कमरे में गूंजने लगी।

उस कामुकता भरे वातावरण में रीना का मन डोल उठा और उसने चुदाने की सोच ली।

पर अभी चुदाई चल ही चल ही रही थी… उसे देखने का लोभ वो छोड़ ना सकी। रुपा की चुदाई के बाद वो भी कमरे में घुस कर चुदवाना चाहती थी। रीना की चूत मारे गुदगुदी के बेहाल हो रही थी। बार बार अपनी अंगुली चूत में घुसा लेती थी।

तभी रूपा की चीख निकल पड़ी और वो झड़ने लगी। आशू भी साण्ड की तरह अपना मुँह ऊपर करके जोर लगा कर झड़ने की तैयारी में ही था। कुछ ही क्षणों में उसने अपना चेहरा ऊपर करके हुन्कार भरी और लण्ड बाहर निकाल कर वीर्य उसकी उसके बदन पर बिखेरने लगा। रीना ने देखा कि मामला तो अब शान्त हो चुका है, बड़े बेमन से वो पत्थर की बेंच पर से उतरी और दबे पांवो से सीढ़ियाँ उतर गई।

उसकी चूत की हालत यह थी कि उसकी चड्डी सामने से गीली हो चुकी थी। कमरे में घुसते ही उसने मोमबत्ती ली और बिस्तर पर लुढ़क गई। अपनी चूत को मोमबत्ती से शान्त किया, फिर वो निद्रा में लीन हो गई। सुबह तक उसकी चड्डी सूख कर कड़क हो गई थी। उसकी चूत का पानी भी यहां वहां फ़ैल कर जांघ से चिपक गया था। उसने अपनी फ़्रॉक को नीचे खींचा और कमरे से बाहर निकल आई। उसने अपने खुले टॉप की तरफ़ भी ध्यान नहीं दिया। उसने बाहर आकर दोनों हाथों को उठाकर और आंखे बंद करके एक मदमस्त अंगड़ाई ली, पर आँखें खुलते ही उसने देखा कि आशू सामने खड़ा था। वो उसे आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर यूं घूर रहा था जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो।

रीना ने उसे देखा और घबरा कर वापस अपने कमरे में आ गई। आशू भी मुस्कुरा पड़ा और रीना भी कमरे में मुस्कुरा उठी।

वो तुरंत बाथरूम में जाकर नहा धो कर फ़्रेश हो गई। उसने रूपा के कमरे में जैसे ही कदम रखा तो उसे आशू वहाँ नहीं मिला। वो जा चुका था।

रात को खाना खाने के बाद रूपा अपने कमरे में आराम करने लगी, तभी रीना भी वहाँ पर आ गई।

“मौसी, मैं भी आपके पास लेट जाऊं?”

मौसी एक तरफ़ खिसक गई। रीना उनके पास लेट गई।

“मौसी, एक बात पूछूँ… ये आशू क्या करता है…?” रीना ने धीरे से पूछा।

रूपा ने उसकी तरफ़ करवट ली और कहा,”क्यूं क्या बात है … है ना सुन्दर लड़का…?”

“हां मौसी, सुन्दर तो है, पर मेरे से वो बात ही नहीं करता है…” रीना अपनी चूंचियां रूपा की बांह से दबाती हुई बोली। रुपा को रीना की बैचेनी का अहसास हो गया था। उसने अपनी बांह को उसकी चूंचियों पर और दबाते हुए कहा,”अरे, वो तो तुम्हारी ही बात करता है … कहो तो उससे दोस्ती करा दूँ…!”

रीना को अपनी चूंची पर दबाव महसूस हुआ तो उसके मन में तरगें फ़ूट पड़ी।

“सच मौसी, मान जायेगा वो…आप कितनी अच्छी हैं…!” रीना ने अपनी चूची को उनकी बांह पर पूरा दबाते हुये उन्हें चूम लिया।

“लगता है तेरा मन भटक रहा है… अब तेरी शादी करा देनी चाहिये !” मौसी ने मन की बात पढ़ ली थी।

“मौसी, शादी तो करा देना… पर मन को तो हल्का कर दो… !” रीना की आवाज में कसक थी। रूपा ने उसकी बैचेनी को देखते हुये अपने हाथों में रीना की दोनों चूंचियां भर ली।

“मेरी रीना, अभी तो ये ले … फिर समय आने दे… आशू भी मिल जायेगा…!”

रीना सिसक उठी और रूपा से लिपट गई। रूपा ने भी मौके का पूरा फ़ायदा उठाया और अपनी एक चूंची उसके मुँह से रगड़ दी। रीना ने भी रूपा को पटाना उचित समझा और उसके ब्लाऊज को ऊपर खींच कर उसकी चूंची को अपने मुँह में भर लिया। रुपा भावना में बह चली। दोनों ही वासना में लिप्त हो कर एक दूसरे के बदन से खेलने लगी थी। अंधेरा बढ़ चला था। तभी आशू ने हौले से कमरे के भीतर कदम रखा। रीना चौंक गई, वो भूल गई थी कि आशू के आने समय हो चुका है।

रूपा तो रीना को बहला कर बस आशू के आने का ही इन्तज़ार कर रही थी। रीना तो लगभग नंगी ही थी, पर रुपा ने अभी भी पेटीकोट पहना हुआ तो था पर वो पूरा ही ऊपर उठा हुआ था।

“रीना, देख आशू आया है…”

” मौ… मौसी, मैं तो मर गई, कुछ दो ना… मुझे शरम लग रही है !” रीना हड़बड़ा गई।

“शरमा मत … ये तो मुझे रोज रात को चोदता है… चल आज तू चुदवा ले …” रूपा ने उसे धीरज बंधाते हुये कहा।

” रूपा जी आपने तो अपना वादा पूरा कर दिया … वाह … रीना जी यदि कहेंगी तो ही कुछ करने का मजा आयेगा… “

“आशू जी, आप तो अपने कपड़े उतारो … रीना आपका स्वागत करेगी… रीना कुछ तो कहो !”

“जी मैं क्या कहूँ… मुझे तो बहुत लज्जा आ रही है…” रीना ने मुँह छुपा रखा था। आशू रीना के और नजदीक आ गया था।

” आपके मुख के पास कुछ है… रीना जी… मुख खोलो तो…” आशू ने कहा।

रीना ने अपना मुख खोल दिया… और आशू ने अपना कोमल, नरम चमड़ी वाला कठोर लण्ड उसके होंठो से सहला दिया। रीना के शरीर में सनसनी फ़ैल गई। उसने धीरे से हाथ बढ़ा कर उसका लण्ड पकड़ लिया,”हाय राम… इतना बड़ा…?” रीना की भारी आंखे आशू की ओर उठ गई और उसे प्यार से निहारने लगी। वो एक दम नंगा उसके सामने खड़ा था। रूपा रीना की ओर देख-देख कर मुस्करा रही थी। उसने प्यार से रीना के सर पर हाथ फ़ेरा और आशू के लण्ड को उसके सर को दबा कर रीना के मुँह में प्रवेश करा दिया। रीना ने सारी शरम छोड़ कर आशू के चूतड़ पकड़ लिये और अपने मुँह में उसे भींच लिया।

रूपा ने आशू को चूम लिया और उसकी गाण्ड में अंगुली डालने लगी। आशू झुक कर रीना के सर को पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में अन्दर बाहर करने लगा।

आशू को रूपा की अंगुली अपनी गाण्ड में बहुत भली लग रही थी। आशू जैसे रीना का मुख चोद रहा था। अब आशू ने रीना को लेटा दिया और उसकी चूंचियों को दबाने और मसलने लगा। उसके चुचूक जो बेहद कड़े हो चुके थे, उन्हें हौले हौले से सहलाने और अंगुलियों से खींचने लगा।

“आह मौसी, ऐसा मजा तो कभी नहीं आया… आशू जी, अब नहीं रहा जाता … प्लीज आ जाओ ना…”

“अभी से कहाँ रीना जी… जवानी का मजा तो लो अभी …” अब आशू के हाथ उसकी चूत की पंखुड़ियो के आस पास सहला रहे थे। बीच बीच में चूत के ऊपर रीना की यौवन-कलिका को भी सहला देता था। उसे हिला हिला कर रीना को असीम आनन्द दे रहा था। रीना की दोनों टांगें ऊपर उठने लगी थी। नतीजा यह हुआ कि उसकी गाण्ड का भूरा-भूरा कमल भी नजर आने लग गया था। आशू पंजों के बल बैठा था, सो रूपा भी आशू का आनन्द ले रही थी। कभी वो उसके लण्ड को मसल देती थी, कभी उसकी गोलियों को सहला देती थी, तो कभी उसकी गाण्ड में अपनी एक अंगुली घुसा देती थी। आशू भी थूक लगा कर रीना की गाण्ड में अंगुली घुसाने लगा था। उसकी गाण्ड के छेद को बड़ा कर रहा था, पर इस क्रिया में रीना मस्ती में बेहाल हुई जा रही थी। उसके मुख से सिसकारियाँ जोर से निकल रही थी, कभी कभी तो मस्ती में चीख भी उठती थी। आशू की अंगुलियाँ चूत में भी कमाल कर रही थी।

रूपा का दिल भी मचल उठा और जान करके उसने आशू का कड़कता लण्ड रीना की गाण्ड में रख दिया और आशू को कुछ कहा।

आशू मुस्कुरा उठा और उसने लण्ड का जोर गाण्ड के छेद पर लगा दिया। लण्ड रीना की गाण्ड में घुसता चला गया। रीना की गाण्ड तो कितनी बार उसके दोस्तो ने चोद रखी थी, सो लण्ड सरकता हुआ भीतर बैठने लगा। रीना ने भी अपनी गाण्ड थोड़ी ऊपर उठा दी। रूपा ने जल्दी से तकिया नीचे लगा दिया। रूपा ने आशू की गाण्ड में अपनी अंगुली फ़ंसाते हुये कहा,”आशू चोद दे साली को, ये तो पहले से ही खुली हुई है… लगा धक्के साली की गाण्ड में…”

“आह्ह्ह, आशू जी, जोर से चोद दो ना इसे … बहुत दिन हो गये इसे चुदवाये … आह्ह… लगा और जोर से…” रीना सीत्कार भरने लगी।

रीना की गाण्ड चुदने लगी … रीना को आनन्द आने लगा।

अब रुपा रीना के पास आ गई और उसके स्तन मुँह में भर कर चूसने लगी, कभी कभी वो उसके मुख को भी जोर से चूस लेती थी। कुछ देर तक यही दौर चलता रहा, फिर आशू ने अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दिया। रीना के मुख से आनन्द की जोर से आह निकल गई। तभी आशू ने रूपा की चूत में भी अपनी अंगुली प्रवेश करा दी। वो भी चिहुंक उठी। अब आशू का लण्ड रीना की चूत में घुस चुका था। रीना को लगा कि हाय, स्वर्ग है तो बस चूत में ही है…

रुपा भी अपनी चूतड़ आशू की तरफ़ उठाये थी और वो उसमें अपनी अंगुली फ़ंसाये हुये था। अब तो रीना की कमर और आशू की कमर बराबरी से चल रही थी। मस्त चुदाई का माहौल बना हुआ था। तीनों नशे में झूम रहे थे।

रीना तो जबरदस्त चुदाई मांग रही थी,”आशू, प्लीज ! मुझे जोर से चोदो ना… जल्दी जल्दी करो ना … मेल इंजन की तरह …”

आशू ने रुपा को एक तरफ़ किया और अपनी पोजिशन को फिर से सेट की और उसके पांव खींच कर पलंग के किनारे कर दिया और खुद खड़े हो कर पोजीशन बना ली। अब उसका लण्ड उसकी चूत के बिल्कुल सामने था।

“तो रीना रानी, चूत फ़ाड़ चुदाई के लिये तैयार हो…?”

“हां जी… अब देर ना लगाओ … मेरी तो अब फ़ाड़ दो आशू राजा !”

“लगता है पहले से मस्त चुदी चुदाई हो…!”

“आशू जी। आप भी तो मस्त चोदते हो ना… पुराने खिलाड़ी हो ना।”

तीनों ही हंस दिये। आशू ने अपना लण्ड पहले तो अपना लण्ड भीतर घुसा कर सेट कर लिया, फिर बोला,”हां जी… तैयार हो जाओ…” और कहते हुए उसने पूरा लण्ड निकाल कर पूरा ही जोर से धक्के के साथ घुसा डाला। रीना के मुख से खुशी की एक तेज चीख निकल गई। जल्दी ही दूसरा धक्का लगा जो जड़ तक चीर गया। फिर धक्के पर धक्के भीतर तक, चूत को फ़ाड़ देने वाले धक्के चलने लगे। रीना तेज धक्कों से प्रसन्न हो उठी। और उसे और तेज धक्कों के लिये प्रोत्साहित करने लगी। उसके मुख से आनन्द भरी चीखें वातावरण को और वासनामय बना रही थी। अब तो रीना के चूतड़ भी उछल उछल कर लण्ड भीतर तक लेकर चुदवा रहे थे। दोनों के दिल की धड़कनें तेज हो गई थी। पसीना छलक उठा था। रूपा दोनों का इस प्रकार का रूप देख कर विचलित हो रही थी और सोच रही थी कि आशू ने मेरी चुदाई तो कभी भी इस तरह से नहीं की थी। वो मन ही मन जल उठी।

तभी एक तेज चीख ने रूपा का ध्यान भंग कर दिया। रीना झड़ रही थी। उसका यौवन रस निकल पड़ा था। रीना अपना यौवन रस अपनी चूत लण्ड पर दबा कर निकाल रही थी। आशू को लगा जैसे कि रीना की चूत ढीली पड़ गई थी, उसमें पानी भरा हुआ था और लण्ड अब फ़च फ़च की आवाज कर रहा था। तभी रूपा ने अपने आप को आशू के सामने पेश कर दिया…

“उसका काम तो हो गया, आशू जी, मेरी ओर तो देखो, यहाँ तो आपको फिर से बेकरार एक चूत मिलेगी… उठो और मेरे से चिपक जाओ !” रूपा ने आशू को अपनी ओर खींचा। आशू का कड़कता लण्ड रीना की चूत से बाहर गया जो कि रस से नहाया हुआ था। रीना बिस्तर पर ही लोट लगा कर एक किनारे हो गई और रूपा को चुदने के लिये जगह दे दी। कुछ ही पलों में आशू का लण्ड रूपा की चूत में घुस चुका था। इस बार रुपा की बारी थी सिसकारी भरने की। पर आशू तो रीना को ही चोद कर झड़ने के करीब आ चुका था, सो रुपा को चोदते हुये कुछ देर में अपने आप को सम्हाल ना पाया और अपना वीर्य छोड़ने लगा। दोनों ही अब आशू से लिपट पड़ी और उसे अपने चुम्बनों से बेहाल कर दिया। रीना तो आशू का लण्ड मुँह में भर कर बचा खुचा वीर्य भी चट गई। रूपा और रीना भी आपस में लिपट कर एक दूसरे को प्यार करने लगी……

शेष दूसरे भाग में ! Antarvasna Sex Stories

Antarvasna

अभी तक आपने पहले भागों में पढ़ा Antarvasna कि प्रिया की मैंने पहली बार कैसे चुदाई की थी। वो पूरी तरह से संतुष्ट होकर मेरे घर से गयी थी। अब आगे की कहानी और जानें कि आगे की चुदाई कैसे हुई।

प्रिया ने मुझसे लंड को पकड़ कर लेट जाने को कहा मैंने वैसा ही किया तो प्रिया ने खड़े खड़े ही अपनी नंगी गोरी टांगें, चमकती हुई गोरी गुलाबी जांघें, मस्त चूतड़ और उनकी जांघों के बीच से झांकती हुइ उसकी मस्त गंजी चूत देखकर मैं तो पागल हो गया।

मेरा लंड तो और भी खींचा जा रहा था और मेरे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा था कि उसकी चूत का रस चूसते हुए उसके जांघों को खा जाऊँ।

प्रिया के गुलाबी बूब मुझको बेचैन कर रहे थे, इसी बीच उसने अपने दोनों हाथ ऊपर को कर दिये तो उसके बूब्स और बगल मुझे और उत्तेजित करने लगे।

मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और उसके बूब्स देखकर तो मैं एकदम बेचैन सा हो गया और मैंने प्रिया के बूब्स को मुंह में लेकर उनको चूमना और चाटना शुरु कर दिया। प्रिया कभी अपने बूब्स को ज़ोर से दबाने को कहती और जब मैं ज़ोर से दबाता तो कहती अरे धीरे से क्या मार डालोगे मुझे।

प्रिया के चूचियों पर मालिश करने में बड़ा मज़ा आ रहा था पर मैं आज उसे इतनी जल्दी छोड़ने वाला नहीं था आज मैं उसके बदन का एक एक पुर्ज़ा मसल देना चाहता था जिससे साली प्रिया मेरी चुदाई को याद रखे।

मैं साइए में उसकी बगल और कंधे पर भी मालिश कर रहा था।

फ़िर मेरा ध्यान प्रिया की पतली कमर पर गया वह इतनी पतली थी कि जितनी शायद 15 साल की कन्या की भी नहीं होगी। मैंने प्रिया के नाभि के नीचे के हिस्से में मसाज करने लगा।

इस एरिआ में मासाज करने पर प्रिया की उत्तेजना बढ़ गयी थी और वह जोर से अपने पैर पटकने लगी तो मुझे अपने लंड को कंट्रोल करना पड़ रहा था जो मेरे लिये थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

मैंने उसकी चूत के आस पास अब्दोमेन का एरिया तक जब उसकी नंगी थाईस पर जोर से मसाज किया तो उसने अपनी दोनों थाईज़ को बंद करके चिपका दिया।

मैंने भी जल्दी से उसकी चूत पर हाथ डालकर वहाँ पर ऊँगली करने लगा तो प्रिया का तो बुरा हाल हो गया था वह मस्ती में छटपटाने लगी और उसने अपनी दोनों थाईज को खोल दिया तो मेरे तो मज़े ही आ गये अब मैं उसकी चूत, थाईज़ या अबदोमेन जहाँ चाहे वहाँ मसलने लगा।

मेरी ऊँगलियों के हमले से प्रिया की हालत अब खराब हो गयी थी वह अब मेरे एक्शन का विरोध नहीं कर पा रही थी।
मैं जैसे मर्जी आये उसके हर पार्ट को मसलता, रगड़ता और मसाज कर रहा था। जब मेरी मस्ती और बढ़ी तो मैंने प्रिया की चूत पर ऊँगली डालकर अंदर तक ऊँगली से उसकी चूत के छेद के अंदर तक मसाज करने लगा।

मेरे इस एक्शन से तो प्रिया पूरी तरह से चित हो गयी और बोली राजू प्लीज़ अब बस करो और एकदम से पलट गयी।

अब प्रिया के नंगे चूतड़ मेरे सामने थे जिसके बीच में उसका गांड तो नज़र नहीं आ रहा था पर पीचे से भी प्रिया की चूत मुझको फ़िर नज़र आने लगी तो मैं फ़िर अपनी ऊँगली से उसकी चूत पर हमला कर दिया और दूसरे हाथ से उसकी जांघों को पीछे से मसलने लगा।

जब प्रिया की चूत मेरी ऊँगलियों के हमले को नहीं बरदाश्त कर पायी तो प्रिया बोली- राज प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे ऐसे ही गीली कर दोगे क्या?

मैं उसके बड़े बड़े चूतड़ और उसके नीचे मोटी मोटी जांघों को सारा का सारा एक बार में ही मसल देना चाहता था पर मेरे दोनों हाथों में इनता एरिया एक बार में कवर नहीं हो रहा था।

प्रिया एकदम नंगी थी तो मेरे को अपने लंड पर कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने अपना ध्यान प्रिया के चूचियों पर दिया पर वह उल्टी लेटी हुई थी और उसके बूब्स साइड से ही नज़र आ रहे थे।

फ़िर भी मैंने साइड से ही उसके दोनों बूब्स को जोर से दबाया और सहलाना शुरु कर दिया। प्रिया को तो मेरा हर एक्शन एंजोयमेंट दे रहा था और अब वह मेरे हर एक्शन पर बस आहें भर रही थी।

मैं प्रिया के चूतड़ पर मसाज करने लगा तो उसके चूतड़ बहुत बड़े बड़े थे और उनको दबाने में बड़ा मज़ा आ रहा था।

पर मैं और मज़ा लेने के लिये उसके चूतडों पर जोर से स्लाप भी कर देता जिससे चटाक! की आवाज आती और प्रिया को बड़ा मज़ा आता था और वह अपने चूतड़ ऊपर उठा कर जैसे और स्लाप करने को कहती।

प्रिया की जांघें मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, मैं वहाँ पर प्रेस, मसाज, किस, रब कर सकता था। और मैं ये सोच रहा था कि जब मैं उसकी चुदाई करुंगा तो उसकी थाईज़ जब मेरी थाई के साथ रब होंगी तो कितना मज़ा आयेगा।

अगर प्रिया की जैसी स्मूथ बॉडी हो तो ऐसा लगता है कि जैसे लिनेन पर स्लिप हो रहा हो। जब मैं उसके चूतडों पर मसाज कर रहा था तो मुझे बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था।

प्रिया को डबल मज़ा आ रहा था एक तो उसकी मसाज हो रही थी दूसरा एक मर्द के हाथों उसके बॉडी के पार्ट्स का स्पर्श दे रहा था और जिसे वह फुल्ली एन्जॉय कर रही थी।

मैंने प्रिया के दोनों चूतड़ को चोडा करके उसकी गांड को देखने लगा और मुझे प्रिया की चूत पीछे से दिखायी देने लगी और मेरा लंड फ़िर जोर मारने लगा।

इधर मेरा लंड अब पूरी तरह बेकाबू हो गया था और उसको कंट्रोल करना मेरे लिये पोस्सिब्ल नहीं था। वह अब प्रिया की चूत में जाये बगैर मानने वाला नहीं था।

प्रिया की चूत का बुरा हाल हो गया था। मैंने अपने अंगूठे से को प्रिया की चूत के आस पास रब करना शुरु कर दिया और मौका पाते ही उसकी चूत के अंदर पूरा अंगूठा डाल दिया। मेरा अंगूठा पूरा उसकी चूत में गया तो प्रिया की खुजली जरा कम हुई और वह अब थोड़ा मज़ा लेने लगी।

मेरा अंगूठा लंड की तरह प्रिया की चूत में अंदर बाहर फ़िसलने लगा, प्रिया को मज़ा तो आ रहा था पर उसकी चूत की खुजली पूरी तरह से दूर नहीं हो रही थी। वह मस्ती मेरे से चिपट गयी जैसे कहना चाहती हो कि कब चोदोगे पर वह बोली कुछ नहीं।

पहले प्रिया के नंगे बदन की गर्मी से मेरा लंड तो तना हुआ था मैंने जल्दी से प्रिया को दाब लिया। प्रिया की चूत में तो पहले से ही खुजली थी पर वह झूठा गुस्सा दिखा रही थी और मना कर रही थी।

मैंने उसको कमर से पकड़ा और उसके चूचियों को अपने लिप्स से किस करने लगा जैसे ही प्रिया ने मुंह खोला तो मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिया और नीचे से दूसरे हाथ को उसकी थाईज़ पर मसाज करने लगा।

उसकी थाईज़ बड़ी टाइट थी, बच्चों वाली औरतों की तरह ढीली नहीं थी। मैं थाई पर हाथ फ़ेरते हुए उसकी चूत की तरफ़ बढ़ना चाह रहा था। प्रिया के बूब्स भी एकदम टाइट हो गये थे जिसका मतलब था कि उसको पूरी उत्तेजना हो रही थी।

मैंने कइ बर प्रिया के बूब्स के निप्पल को लिप्स में लेकर जोर से प्रेस किया जिससे दोनों को बड़ा मज़ा आया।

जब मुझे ज्यादा मज़ा आने लगा तो मैंने एक दो बार प्रिया के निप्पल को अपने दांत से हल्का सा काट भी दिया जिससे प्रिया चीख पड़ी और मुझे बड़ा मज़ा आया।
नीचे से मेरा हाथ प्रिया की थाईज़ से होता हुआ उसके चूतडों और रानो पर मसाज करने लगा।
ऊपर से मैंने प्रिया की बैक, नेक, वेस्ट और नाभि के आस पास लिप्स और जीभ से किस और लिक करना चालु रखा था।

जब मेरा एक हाथ प्रिया की रानो पर फ़िसल रहा था तो प्रिया की मस्ती कंट्रोल से बाहर हो गयी तब मैंने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और अपने आप भी साइड बी साइड लेट गया।

मैं आराम से अपने दोनों हाथों और लिप्स से प्रिया के पूरे बदन से खेलने लगा।
अब दोनों एकदम गर्म हो गये थे प्रिया की भी सारी शरम दूर हो गयी थी और उसका बदन की एक एक हरकत मुझे महसूस हो रही थी उसकी गर्म सांसें मुझे बेचैन कर रही थी।

मैंने प्रिया की चूत के ठीक पास अपनी ऊँगली से रब करना शुरु कर दिया जिससे मस्ती के मारे प्रिया ने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और मुझे उसकी चूत पर अटैक का एक मौका मिल गया। Antarvasna

शेष अगले भाग में…

दोस्तो, Antarvasna

मैंने आपको बताया था कि Antarvasna मेरी शादी के बाद अपनी पत्नी के अलावा मेरा सबसे पहला सैक्स अनुभव मेरी साली रजनी “बेबो” के साथ हुआ, जिसके बारे में मैं अपनी पिछली कहानी
मैं नहाने जा रही हूँ
में बता ही चुका हूँ। आपने मेरी कहानी पढ़ी और उसे पसंद किया उसके लिए मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ।

खैर अब आगे…

उस सैक्स अनुभव के बाद मैं और बेबो बहुत खुल गये थे। अब दिन में या रात को जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद कर देता ताकि मेरी पत्नी और बच्चे को नींद में बाधा ना हो। ऐसा मैं अकसर ही करता था क्योंकि दिन में जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो लूडो या कैरम खेलते और रात को फिर जब मेरी पत्नी छोटे बच्चे को दूध पिलाते-पिलाते सो जाती तो मैं और बेबो देर रात तक बाते करते।
यह बात मेरी पत्नी जानती थी। चूंकि वो ये बात जानती और समझती थी इसलिये हम पर बिल्कुल शक नहीं करती थी और वो आराम से सोती थी। लेकिन उस सैक्स अनुभव के बाद लूडो या कैरम खेलना छोड़ कर हम दूसरा खेल खेलने लगे थे।

हम कमरे का दरवाजा सावधानी से बंद करके दोनो एक दूसरे से लिपट जाते और लिपट-चिपट कर किस करते। फिर एक दूसरे को बाँहों में भर कर किस करने से बात आगे बढ़ कर एक दूसरे के अंगों को छूना शुरु हो जाता। बेबो ज़्यादातर सलवार सूट पहनती थी। इसलिये मैं बेबो के कुरते के ऊपर से उसके स्तन दबाने और फिर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को दबाने और फिर सलवार के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ फिराने तक पहुँच जाता।

मैं ज़्यादातर टी-शर्ट और लोअर पहनता था। मैं अपने लोअर की जिप खोलकर उसे जरा सा नीचे सरका कर अपना लण्ड निकाल कर बेबो के हाथ में थमा देता। बेबो भी मेरे लण्ड को बिना झिझक के अपने हाथ में थाम लेती और हल्के-हल्के दबाती या मुठ्ठी में भर कर आगे-पीछे करती और जोर-जोर से हिलाती।
एक-दो दिन बाद तो वो खुद ही मेरे लोअर की ज़िप खोल कर मेरा लण्ड निकालने और दबाने तक पहुँच गई। यह सारा कार्यक्रम लगभग 10 से 15 मिनट तक चलता। हम दोनों बेहद गर्म हो जाते और मेरे लण्ड से और बेबो की चूत से कुछ चिकना सा द्रव्य निकलने लगता।
उसके बाद हमारा चुदाई कार्यक्रम शुरु हो जाता।

मैं और बेबो सोफे पर बैठ जाते। फिर मैं बेबो की सलवार और उसकी पैंटी को उतार कर नीचे उसके पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। फिर कुछ देर मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में बैठ जाता और बेबो की चूत के बाल अपने मुँह में भर लेता। फिर अपनी जीभ से बेबो की चूत के जी-पॉइंट को रगड़ने और ऊपर-नीचे फिराने लगता।

बेबो गर्म होकर पागल हो जाती और मेरे बाल पकड़ लेती। हाँ, कहीं उसकी दीदी को ना सुन जाये इसलिये वो कोई आवाज़ तो नहीं करती, मगर फिर भी उसके मुँह से बहुत हल्की सी सिसकियाँ जरूर निकलने लगती। फिर वो मेरा सर पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने की नाकाम कोशिश करने लगती। मैं अपनी जीभ तेज-तेज उसकी चूत के जी-पॉइंट पर फिराने लगाता। जब उसकी चूत से कुछ चिकना-चिकना सा नमकीन पानी निकलने लगता तो मैं थोड़ा सा उसे टेस्ट करके बेबो से अलग हो जाता।

फिर मैं बेबो के सामने खड़ा होकर अपना लोअर और जॉकी को उतार कर नीचे अपने पैरों में गिरा देता, मगर पैरों से अलग नहीं करता। बेबो सोफे पर ही बैठी होती। फिर मैं खड़े-खड़े अपना लण्ड बेबो के मुँह की तरफ करता। बेबो समझ जाती और मेरा लण्ड पकड़ कर अपने मुँह में भर लेती। फिर मेरा लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगती। बेबो के ऐसा करने से ना चाहते हुऐ भी मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगती। मेरी सिसकियाँ सुनकर बेबो जोर-जोर से और तेज-तेज मेरे लण्ड को चूसने लगती। बेबो लगभग 5 मिनट तक मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसती रहती।

मेरे मुंह धीमे-धीमे से ‘ओह बेबो! आह्…ओह! अह! सीईईईईइ, सीस्सईईइ!’ की आवाजें निकलने लगती। थोड़ी देर बाद जब मुझे ऐसा लगता कि अगर बेबो इसी तरह से मेरे लण्ड को चूसती रही तो मैं इसके मुँह में ही डिस्चार्ज हो जाऊँगा, तब मैं अपना लण्ड बेबो के मुँह से बाहर खींच लेता। फिर मैं लोअर और जौकी को ऊपर उठा कर, हाथ से पकड़ कर, धीरे-धीरे अपनी पत्नी के कमरे के दरवाजे के पास जाता और दरवाज़े पे कान लगा कर अपनी पत्नी के हल्के खर्राटों को सुनने की कोशिश करता और जब ये इतमिनान हो जाता कि वो सो रही है, तब मैं वापस बेबो के पास आ जाता।

बेबो धीरे से पूछती “दीदी सो रही है क्या?”
मैं हाँ में सर हिला देता।

फिर मैं बेबो के पैर ऊपर करके उसे सोफा पर लिटा देता। मैं अपनी टी-शर्ट और बेबो अपना कुर्ता कभी नहीं उतारते थे। सेंटर टेबल पर लूडो बिछा होता था। फिर मैं उसकी सलवार और उसकी पैंटी को उसके एक पैर मे से उतार कर उसके दूसरे पैर में कर देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता। फिर मैं भी अपना लोअर और जौकी अपने एक पैर से निकाल कर दूसरे पैर में फंसा देता, मगर दूसरे पैर से अलग नहीं करता, ताकि अगर मेरी पत्नी अचानक उठ भी जाये और दरवाजा खोलने के लिये कहे तो मैं और बेबो जल्दी से अलग होकर अपने-अपने लोअर और अन्डरवियर पहन सके और सेंटर टेबल पर लूडो बिछा देखकर उसे कोई शक ना हो।

फिर मैं बेबो की बगल में लेट कर उसे अपने साथ सटा कर लिटा लेता। हम दोनो सोफ़े पर चिपक कर लेट जाते। फिर कुछ देर तक मैं उसकी चूत के घने बालों पर हाथ फिराता। फिर मैं उसके नर्म-नर्म स्तनों को कुरते के ऊपर से दबाने लगता। फिर कुछ देर बाद मैं उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके सख़्त हो चुके दोनों बूब्स को एक-एक करके दबाने लगता। मेरा लण्ड तन कर बेबो की चिकनी टांगों से टकरा रहा होता था।

फिर मैं बेबो की चिकनी टांगों पर हाथ फिराने लगता। फिर उसकी पाव रोटी की तरह उभरी हुई उसकी चूत पर हाथ फेरने लगता। फिर मैं मौके की नज़ाकत को समझते हुए अपनी उँगलियॉ बेबो की चूत के अन्दर डाल देता। फिर अपनी उंगलियों से बेबो की चूत के फाँको को खोलने और बन्द करने लगता। फिर मैं बेबो की चूत के दाने को रगड़ने लगता।

बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती; बेबो मस्त हो जाती। वो बहुत गरम हो जाती और जोर-जोर से, आवाज़ रोक कर सिसकारियाँ लेने लगती और अपने होंठ चूसने लगती। फिर वो मेरे बालों पर हाथ फेरने लगती। यह सिगनल होता कि वो चुदवाने के लिये तैयार है। फिर मैं उसे धीरे से सौफे पर सीधा लिटा देता और मैं बेबो के ऊपर आकर लेट जाता। बेबो का जिस्म मेरे जिस्म के नीचे दब जाता। मेरा लण्ड बेबो की जांघों के बीच में रगड़ खा रहा होता। बेबो बिना झिझके मेरा लण्ड अपने हाथ में थाम लेती। फिर वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में दबाने लगती। मेरा लण्ड तन कर और भी सख्त हो जाता।

बेबो मेरे लण्ड को मुट्ठी में भर कर आगे-पीछे करने लगती। फिर वो मेरा तन कर लम्बे हो चुके लण्ड को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगती। तब तक मैं बेबो की चूत मारने को बेताब हो चुका होता। फिर मैं साली बेबो की टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में अधलेटा होकर मैं अपने लण्ड को मुठ्ठी में भर कर बेबो की चूत के दाने के उपर-नीचे करके रगड़ने लगता। बेबो के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगती। कुछ देर बाद बेबो की चूत से फिर से कुछ चिकना-चिकना सा निकलने लगता था।

अब वो मदहोश होने लगती और उसकी आंखें बंद होने लगती। फिर साली मेरे कान के पास फुसफसा कर बोलती “ओह जीजू, प्लीज डालो ना। मेरे तो तन-बदन में आग सी लग रही हैं।”

यह सुन कर मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उसके चूत के गुलाबी छेद पर टिका कर एक जोरदार धक्का मारता जिससे मेरा पूरा का पूरा लण्ड एक ही झटके में बेबो की कुंवारी और चिकनी चूत में पूरा अन्दर चला जाता। मेरे लण्ड के अन्दर जाते ही बेबो के मुँह से हल्की सी सिसकी निकलती और वो मुझे अपनी बाँहों में कस लेती। मैं भी उसे कस कर पकड़ लेता और हम एक दूसरे में पूरे तरीके से समा जाते। फिर मैं अपने लण्ड को बेबो की चिकनी चूत के अन्दर पूरा डाले हुऐ रुक जाता और बेबो के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगता।

कुछ देर तक हम दोनो ऐसे ही एक-दूसरे से चिपके रहते और एक-दूसरे के होंठों को चूसते रहते। मेरा पूरा लण्ड बेबो की चूत के अन्दर तक समाया होता। फिर कुछ देर बाद उसके होंठों को चूसते हुए मैं उसे चोदना शुरु कर देता। पहले मैं अपने लण्ड को उसकी चूत में धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लगता।
कुछ देर बाद बेबो भी जोश में आ जाती और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाने लगती। मैं बेबो को अपनी बाँहों में भर लेता। बेबो भी मुझे अपनी बाँहों मे पूरी ताकत से कस लेती। शुरु-शुरु में कुछ देर तक मैं अपने लण्ड को धीरे-धीरे से ही बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता रहता। फिर कुछ देर बाद जब बेबो अपनी टांगें ऊपर की तरफ मोड़ कर मेरी कमर के दोनों तरफ लपेट लेती तो मेरी रफ़्तार बढ़ने लगती। फिर मैं अपने लण्ड को तेज-तेज बेबो की चूत के अन्दर-बाहर करता।

धीरे-धीरे मेरी रफ़्तार और भी बढ़ने लगती। अब मेरा लण्ड बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता और मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारने लगता। जब मैं फुल स्पीड में बेबो को चोदता तो सोफे की वजह से चुदाई का मजा दुगना हो जाता। सोफे की फोम और फोम के नीचे स्प्रिन्गों की वजह से जब मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड का धक्का लगाता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग दब जाते और जैसे ही मैं अपना लण्ड बेबो की चूत से बाहर खींचता तो सोफे के फोम और स्प्रिन्ग बेबो के हिप्स को ऊपर धकेल देते। सच इस वजह से सोफे पर तो बेबो को चोदने में दुगना मजा आता।

थोड़ी देर बाद बेबो भी नीचे से अपनी कमर को उचका कर मेरे धक्कों का ज़वाब देने लगती और मज़े में धीरे-धीरे बोलने लगती “सी… सी… और जोर.. से जीजूजुजु… …येसस्स्स्स अरररऽऽ बहुत मज़ा आ रहा है और अन्दर डालो और जीजू और अन्दर येस्स्स्स जोर से करो। प्लीज जीजू तेज-तेज करो ना। बहुत अच्छा लग रहा है। बडा मज़ा आ रहा है।”

बेबो को सचमुच में मजा आने लगता था और वो अपने हाथ सोफे पर टिका कर जोर जोर से अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करने लगती थी और मैं तेज़-तेज़ धक्के मारने लगता था। वो मेरे हर धक्के का स्वागत अपने हिप्स को ऊपर-नीचे करके करती। फिर वो मेरे हिप्स को अपने हाथों में थाम लेती। अब वो भी नीचे से मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने हिप्स को तेज-तेज ऊपर-नीचे कर रही होती थी। जब मैं लण्ड उसकी चूत के अन्दर घुसाता तो वो अपने हिप्स को पीछे खींच लेती। जब मैं लण्ड उसकी चूत में से बाहर खींचता तो वो अपने हिप्स ऊपर उठा देती। इससे मैं तेज-तेज धक्के मार कर बेबो को चोदने लगता। फिर मैं सोफे पर हाथ रख कर बेबो के ऊपर झुक कर तेजी से उसकी चूत मारने लगता।

अब मेरा लण्ड बेबो की चिकनी चूत में आसानी और तेजी से आ-जा रहा होता था। बेबो भी अब चुदाई का भरपूर मजा ले रही होती थी। वो मदहोश हो रही होती थी। मैं रुक कर धीरे से बेबो के कान में कहता- बेबो अच्छा लग रहा है क्या?

बेबो धीरे से बोलती- हाँ जीजू, बहुत अच्छा लग रहा है। प्लीज जीजू रुकें मत। तेज-तेज करते रहो। ओह आहा… ह… प्लीज तेज-तेज करो। मैं डिस्चार्ज होने वाली हूँ। अब रुको मत। प्लीज तेज-तेज करते रहो।

बेबो के मुँह से ये सुन कर मैं फिर से बेबो को चोदना शुरु कर देता और अपनी रफ्तार को और भी बढ़ा देता। फिर मैं बेबो के पैर अपने कंधे पर रख कर उसके बडे-बडे हिप्स को अपने हाथों से जकड़ लेता और छोटे-छोटे मगर तेज-तेज शॉट मार कर बेबो को चोदने लगता। बेबो के मुँह से मस्ती में बहुत धीरे से “ओह्ह्ह होहहोह सिस्स्स स्सहह्ह हाहा ह्ह्हआ आआआ हा-हा करो-करो ऽअआह हाहअआ प्लीज जीजू तेज-तेज करो। ओह जीजू!” निकलने लगता।

मैं बेबो के होंठों को अपने होंठों से चूसते हुऐ उसे तेजी से चोदने लगता। मेरा लण्ड सटासट बेबो की चूत में तेजी से अन्दर-बाहर होने लगता था। मैं बेबो की चूत में अपने लण्ड के तेज-तेज धक्के मारता। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जब हम दोनों झड़ने वाले होते तो हम दोनों एक साथ अकड़ से जाते और एक साथ जोर-जोर से धक्के मारने लगते।

फिर अचानक बेबो ने मुझे कस कर अपनी बाँहो में भर लेती और बोलती,”जीजू, मेरा तो काम होने वाला है। प्लीज जीजू! अब खूब जोर-जोर से करो। येस-येस अररर् और जोर से य…य…यस यससस… औह जीजू मैं तो हो गईईईईई! इसके साथ ही बेबो की चूत अपना पानी छोड़ देती। फिर वो एक धीमी सी आह भरती और फिर वो ढीली पड़ जाती।

मैं समझ जाता कि बेबो डिस्चार्ज हो गई है। मैं भी डिस्चार्ज होने वाला होता था, इसलिये मैं तेज-तेज धक्के मारने लगता और जोर-जोर से अपने लण्ड को बेबो की चूत में पेलने लगता। बेबो मुझे जल्दी से होने को और मेरे लण्ड को अपनी चूत में से बाहर निकालने के लिए बोलने लगती। लेकिन मैं उसकी बातों को अनसुना कर तेज-तेज धक्के लगाना जारी रखता। करीब 2-3 मिनट तक बेबो को तेज-तेज चोदने के बाद जब मैं डिस्चार्ज होने लगता तो मैंने अपना लण्ड साली की चूत से बाहर खींच लेता और अपने लण्ड के सुपाड़े को अपनी मुठ्ठी में भर लेता और अपनी मुठ्ठी में ही डिस्चार्ज हो जाता।

फिर मैं तुरन्त उठ कर, अपना लोअर और जौकी एक पैर में फँसाए हुए धीरे-धीरे चलता हुआ वाश-बेसिन के पास जा कर अपना लण्ड और हाथ धोता। फिर अपना लोअर पहन कर सोफे के पास आता और बेबो के ऊपर गिर जाता। बेबो अपनी सलवार पहन चुकी होती थी। फिर मैं कुछ देर उसके ऊपर लेट कर अपनी तेज-तेज चलती हुई सांसों को नार्मल होने का इन्तज़ार करता। फिर मैं बेबो की बगल में लेट जाता। बेबो भी मेरे साथ लेटी हुई अपनी सांसों को काबू में आने का इंतजार करती थी। कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों उठकर अपने कपड़े ठीक करते और फिर सोफे पर बैठकर आराम से नार्मल बातें करनी शुरु कर देते जैसे कुछ हुआ ही ना हो।

मैं धीरे से बेबो से पूछता कि कैसा लगा तो वो बोलती- जीजू! बहुत अच्छा लगा। बहुत मजा आया। सचमुच मैं तो आपकी दीवानी बन गई हूँ।
मैं उससे कहता कि चलो कल फिर करेंगे।
तो बेबो बोलती-अब आप जब चाहें ये सब कर सकते हैं। मुझे कोई एतराज नहीं होगा।

यह सुन कर मैं खींच कर उसे अपनी गोद में लिटा लेता। मैं सोफे के एक कोने पर बैठा होता और बेबो मेरी गोद में लेटी होती। फिर मैं अपने जलते हुऐ होंठ बेबो के होंठों पर रख देता। फिर मैं उसके नरम-नरम होंठों को अपने होंठों मे भर कर चूसने लगता। बेबो भी मुझ से लिपट सी जाती। फिर मैं बेबो को किस करते-करते उसके बालों में हाथ फिराने लगता। फिर मैं उसके गालों पर हाथ फिराने लगता। फिर मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर उसके कुरते के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगता। फिर मैं मजाक में उसके कान में कहता कि बेबो चलो एक बार फिर करते हैं।

यह सुनते ही वो एकदम छटक कर अलग हो जाती और बोलती- क्या जीजू! बड़े गन्दे हो आप। इतना सब कुछ हो गया। फिर भी चैन नहीं पड़ा है। अब सब्र रखो। दीदी उठने वाली होंगी। मैं चाय बना के लाती हूँ। फिर चलो लूडो खेलेंगे।

ये कह कर वो शरारत से अपना हाथ हिला कर बाय किया करती और फिर वो तेजी से किचन की ओर बढ़ जाती।

मैं सोफे पर बैठा-बैठा उसे जाते हुए देखता रहता। फिर मैं अपनी आँखें बंद करके मन ही मन यह सोच कर बहुत खुश होता था कि कैसे मैंने बेबो को अभी-अभी सोफे पर जम कर चोदा है। कुछ देर बाद बेबो चाय लाकर मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ जाती और हम चाय की चुस्की लेते-लेते बातें करना और लूडो खेलना शुरु कर देते।
इस तरह मैंने अलग-अलग दिन कुल 5 बार मैंने बेबो के साथ सोफे पर सैक्सपिरियंस किया। इसके बाद मौका मिलने पर लगभग दो साल में मैंने कुल 9 बार अपने घर में, 3 बार बेबो के घर में और एक ही रात में 3 बार होटल के कमरे में बेबो के साथ खुलकर सैक्स किया।

दो साल बाद बेबो की शादी हो गई और आज वो दो बच्चों की माँ हैं। बेबो और उसके परिवार से हर साल दो या तीन बार मुलाकात जरुर होती है। फोन पर तो अकसर बात होती रहती है। लेकिन हम भूल कर भी अपने पुराने सैक्स के बारे में बात नहीं करते है। बेबो की शादी के बाद हमने मौका मिलने पर भी कभी सैक्स नहीं किया और शायद यही वजह है कि हमारे दिल में एक दूसरे के लिये प्यार आज भी है। सच्चा प्यार मरता नहीं है!

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी साली की चूत चुदाई कहानी! मुझे मेल करना मत भूलना! Antarvasna

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