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घर में हम तीन लोग Antarvasna ही रहते थे- मैं, मेरी भाभी और भैया। मेरा अधिकतर समय कॉलेज में या खेलने कूदने में ही निकलता था।
मेरा एक दोस्त उस समय एक छोटी सी दुकान से अश्लील पुस्तकें लाया करता था। वो किताब उसने मुझे भी पढ़ने दी। धीरे धीरे मुझे सेक्स की उन अश्लील किताबों को पढ़ने मे मजा आने लगा था। उस मित्र ने उस दुकान वाले से मेरी जान पहचान करवा दी थी। अब मैं भी, जब पैसे होते थे, तब पढ़ने को पुस्तक ले आया करता था। पढ़ते समय ज्यादातर मेरा लण्ड खड़ा हो जाया करता था।
एक बार रात को जब मैं पुस्तक पढ़ रहा था तब मेरा लण्ड खड़ा हुआ था। अनजाने में मेरा हाथ लण्ड पर आ गया और मैंने उसे दबा डाला। फिर मुझे उसे ऊपर नीचे करने में मजा आने लगा। तभी मेरे लण्ड में से जोर से कुछ गाढ़ा सा सफ़ेद लसलसा सा छूट पड़ा। मैं हैरान रह गया… पर पुस्तक में पढ़ा था कि जब जोर की मस्ती चढ जाती है तो वीर्य स्खलित हो जाता है। यह मेरा प्रथम स्खलन था। मैंने जल्दी से जाकर अपनी चड्डी बदल ली। पर भूल गया कि भाभी इसे कपड़े धोते समय धोएंगी। भाभी ने उसे अवश्य देखा होगा धोते समय क्योंकि अब भाभी मुझ पर नजर रखने लग गई थी।
एक दिन भाभी ने झिझकते हुये मुझसे कह ही दिया,”भैया, आजकल आप बिगड़ते जा रहे हो।”
“न…न… नहीं तो भाभी … क्या हो गया ?”
“आजकल आप चड्डी बहुत बदलते हो…”
मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गया,”वो भाभी, आजकल जाने कैसे, कुछ हो जाता है और…!”
“चड्डी बदलनी पड़ती है, है ना? ऐसी पुस्तकें पढ़ोगे तो यह सब होगा ही…”
इसका मतलब भाभी ने मेरी अनुपस्थिति में मेरे बिस्तर के नीचे से वो अश्लील पुस्तकें ढूंढ ली थी और उसे पढ़ा था।
“वो … मेरा दोस्त है ना … उसने पढ़ने को दी थी।”
“अब नहीं लाते हो क्या?”
“जी… मेरे पास पैसे नही रहते ना…” मुझे भाभी का यह पूछना कुछ सकारात्मक सा लगा।
“ओह हो … बस पैसे की बात थी … मेरे से ले जाया करो… मुझे भी ये पुस्तकें अच्छी लगती हैं।”
यह सुनते ही मेरी तो बांछें खिल गई,”आप पढ़ेंगी ? भैया को मत बता देना… !”
अब तो रोज मैं अश्लील कहानी की पुस्तकें लाने लगा। भाभी उसे दिन में पढ़ती थी और मैं रात को पढ़ता था। अब भाभी मुझे भैया से छुपा कर ज्यादा जेब खर्च देने लगी थी।
उन्हीं दिनों मेरे उसी मित्र ने मुझे बताया कि अब पैसे खर्च करने की जरूरत नहीं है, ये तो कम्प्यूटर में अन्तरवासना में फ़्री में पढ़ने को मिल जाया करती हैं। तब मैं ये कहानियाँ अन्तर्वासना पर पढ़ने लगा। भाभी को भी मैंने अन्तर्वासना के बारे में बता दिया। इसमें कहानी पुस्तकों से बहुत अच्छी पढ़ने को मिलती थी, मजा भी खूब आता था। अब तो बस जब इच्छा हुई, कहानी पढ़ ली। बस मजे की बात यह हुई कि भाभी को कहानियाँ पढ़ने के लिये मेरे कमरे में आना पड़ता था। फिर कहानी पढ़ते समय उसकी हालत देखने योग्य हो जाती थी। उसकी छातियां यूं ऊपर नीचे होने लगती थी कि बस मन करता था कि दबा दूँ जाकर।
इन दिनों मुझ में बहुत बदलाव आता जा रहा था। मेरी नजर भाभी पर पड़ने लगी थी। मुझे उसके स्तन उत्तेजक लगने लगे थे। मेरी नजरें हमेशा उसके पेटीकोट में कुछ ढूंढती रहती थी। मुझे लगता था कि भाभी जानकर के मेरे सामने कम कपड़ों में आती है। ना तो चूंचियां छिपाती है और ना ही अपने अन्य अंग।
एक दिन ऐसे ही मेरे दोस्त ने मुझे ब्ल्यू सीडी लाकर दी। मैंने यह शुभ सूचना भाभी को दी और देखने के लिये बीस रुपये भी किराये का बहाना कर के ले लिये। पर अब वो फ़िल्म अपने टीवी पर देखा करती थी। यहां से आरम्भ होता है भाभी के साथ मेरा अंतरंग प्रसंग…।
भाभी अश्लील मूवी देख रही थी। मेरे कमरे में आने का उस पर कोई प्रभाव नही पड़ा, बस मुझे एक बार देखा और फिर से फ़िल्म देखने में तल्लीन हो गई। मैं भी एक तरफ़ सोफ़े में बैठ गया और फ़िल्म देखने लगा। कुछ ही देर में मेरा लण्ड पजामे में से फ़ुफ़कारने लगा। मैंने अपना लण्ड थाम लिया। मैंने अपने आप को बहुत रोका पर मन बावला हो गया था। मैं धीरे से उठा और भाभी के पीछे आ गया। बहुत साहस जुटा कर मैंने अपने दोनों हाथ उसके कंधे पर रख दिये। भाभी का शरीर गर्म था, मेरे हाथ रखने उसने कुछ नहीं कहा। मेरा साहस और बढ़ गया, तब मैने अपना हाथ नीचे सरका कर भाभी के कठोर और उन्नत उरोजों पर रख दिया।
मैंने हिम्मत करके स्तनों को धीरे से सहला कर दबा दिया। भाभी के मुख से एक प्यारी सी सिसकी निकल पड़ी, पर उसने मुझे कुछ नहीं कहा। मुझे उसने पीछे मुड़ कर देखा और अपनी नशीली आंखों से आंखें मिला दी। मैंने कुछ नही कहा, बस हौले हौले कठोर पत्थरों को सहलाता रहा। उसने मेरा हाथ थाम लिया और अपने पास बैठने का इशारा किया। मैं घूम कर वापस उसके पास आ गया और साथ में बैठ गया। उसकी पीठ की तरफ़ से हाथ डाल कर फिर से भाभी की चूचियाँ दबाने लगा।
मेरे मन में विचित्र सा आभास होने लगा था। भाभी की दिल की धड़कनें मुझे अब महसूस होने लगी थी। मेरे सफ़ेद पतले से पजामे मे मेरे लण्ड का उभार देख कर उसे पकड़ लिया। भाभी का मुख मेरी ओर बढ़ चला … अधरों से अधर मिल गये। चुम्बन और मर्दन का काम एक साथ चलने लगा था। मैंने टीवी बन्द कर दिया। बस कमरे में अब तेज सांसो की आवाज आ रही थी, बीच बीच में भाभी सिसक उठती थी। लण्ड मसलने से मुझे बहुत ही मजा आने लगा था, मेरे शरीर में जैसे आग सी लग गई थी। मैंने अपना हाथ भाभी की चूत की तरफ़ बढ़ा दिया। उसने अपना पेट पिचका कर मुझे हाथ पेटीकोट के अन्दर घुसाने दिया और धीरे से अपनी टांगें फ़ैला कर आमन्त्रित किया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत तक पहुंचा वो तड़प सी गई।
मेरा हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा। भाभी भी अपनी चूत को ऊपर कर के मेरी अंगुली को उसमें घुसवाने का प्रयत्न करने लगी। मेरे पजामे का नाड़ा उसने खोल दिया था और मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया था। उसने मेरा सुपाड़ा चमड़ी खींच कर बाहर निकाल लिया। ट्यूब लाईट में लाल टमाटर जैसा चमकदार सुपाड़ा जैसे उसके मन को भा गया। वो मेरे लण्ड पर मुठ मारने लगी। दोनों के शरीर वासना की मीठी अग्नि में जल उठे। कुछ ही समय में मेरा वीर्य छूट गया, शायद भाभी का भी रस निकल गया था, उसकी चूत में भी बहुत सा गीलापन आ गया था। भाभी ने अपना हाथ कपड़े से साफ़ कर लिया और अपने कपड़े ठीक से पहन कर चली गई। रात के दस बज रहे थे, भैया के आने का समय हो गया था। मैंने सीडी छुपा कर रख दी।
कुछ ही देर में भैया आ गये थे। सभी ने साथ भोजन किया और अपने अपने कक्ष मे चले गये।
कहानी के अगले भाग में भाभी और मैंने क्या क्या गुल खिलाये, जरा लण्ड थाम कर पढ़िये। Antarvasna
हाय! मैं हूँ मोहित, मैं धरन, नेपाल में Antarvasna रहता हूँ। ये मेरी अंतरवासना के लिये दूसरी कहानी है। ये कहानी यहां से शुरु होती है …
सबसे पहले मैं अपनी बॉस का धन्यवाद करना चाहूंगा जिसकी बदौलत मैं आज मस्ती के उस मुकाम पर पहुंचा हूं जहां मेरी वासना का ज्वार हर लहर के साथ टूट कर नहीं बिखरता। हर एक लहर अगली लहर को तब तक बढाती है जब तक कि आखिरी मंजिल पर पहुंच कर एक जबरदस्त उफान के साथ मेरे प्यार का लावा असीम आनन्द देता हुआ मेरे साथी को अपने साथ बहा ले जाता है। बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था। मिस सोनम मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५’८” और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी।
मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाओं में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस मैडेन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले दया ऊपर वाली की मर्जी क्या है। एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उसदिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।
अगले दिन जब मैं नौ बजे ऑफिस पहुंचा तो देखा कि सोनम मैडम मेन गेट के सामने खडी हैं। मैंने उन्हें विश किया और पूछा “आप यहां क्या कर रही हैं”। वो बोलीं “बस ऐसे ही घर में बोर हो रही थी तो सोचा कि यहां आकर तुम्हारी मदद करूं”। हम दरवाजा खोलकर अन्दर गए। मैडम ने कहा कि आज इतवार होने की वजह से कोई नहीं आएगा। इसलिए सुरक्षा के खयाल से दरवाजा अन्दर से बन्द कर लो। मैंने उनके कहे अनुसार दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया। अब पूरे आफिस में हम दोनों अकेले थे और हमें कोई डिस्टर्ब भी नहीं कर सकता था। मुझे सोनम मैडम की नीयत ठीक नहीं लग रही थी। दाल में जरूर कुछ काला था। नहीं तो भला आज छुट्टी के दिन एक छोटी सी समस्या के लिए उन को दफ्तर आने की क्या जरूरत।
मैडम घूम कर कम्प्यूटर लैब की तरफ चल दी और मैं भी मन्त्रमुग्ध सा उनके पीछे पीछे चल दिया। पूरे माहौल में उनके जिस्म की खुशबू थी। जब हम कॉरीडोर में थे तो मैंने उनकी पिछाडी पर गौर किया। हाय क्या फिगर था। हालांकि मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं पर यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर सोनम मैडम किसी ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग ले तो अच्छे अच्छों की छुट्टी कर दें और देखने वाले अपने लन्ड संभालते रह जाएं। उनकी मस्तानी चाल को देख कर यूं लग रहा था मानो फैशन शो की रैम्प पर कैट वॉक कर रही हो। उनके चूतड पेन्डुलम की तरह दोनों तरफ झूल रहे थे। उन्होंने गहरे नीले रंग का डीप गले का चोलीनुमा ब्लाउज मैचिंग पारदर्शी साडी के साथ पहना था। उनकी पीठ तो मानो पूरी नंगी थी सिवाय एक पतली सी पट्टी के जो उनके ब्लाउज को पीछे से संभाले हुई थी। उन्होंने साडी भी काफी नीची बांधी हुई थी जहां से उनके चूतडों की घाटी शुरू होती है। बस यह समझ लो कि कल्पना के लिए बहुत कम बचा था। सारे पत्ते खुले हुए थे।
अगर मुझमें जरा भी हिम्मत होती तो साली को वहीं पर पटक कर चोद देता। पर मैडम के कडक स्वभाव से मैं वाकिफ था और बिना किसी गलत हरकत के मन ही मन उनके नंगे जिस्म की कल्पना करते हुए चुप चाप उनके पीछे पीछे चलता रहा। मैडम ने कल्पना के लिए बहुत ही कम छोडा था। साडी भी कस कर लपेटे हुई थी जिससे कि उनके मादक चूतड और उभर कर नजर आ रहे थे और दोनों चूतडों की थिरकन साफ साफ देखी जा सकती थी। मैंने गौर किया कि चलते वक्त उनके चूतड अलग अलग दिशाओं में चल रहे थे। पहले एक दूसरे से दूर होते फिर एक दूसरे के पास आते। मानो उनकी गान्ड खुल बन्द हो रही हो। जब दोनों चूतड पास आते तो उनकी साडी गान्ड की दरार में फंस जाती थी। यह सीन मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था और मन कर रहा था कि साडी के साथ साथ अपने लन्ड को भी उनकी गान्ड की दरार में डाल दूं। बडा ही गुदाज बदन था सोनम मैडम का।
लैब तक पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गई थी और मुझे लगने लगा कि अब और नहीं रूका जाएगा। लैब के दरवाजे पर पहुंच कर मैडम एकाएक रूक कर पलटी और मुझसे ऊपर की सेल्फ के केबल कनेक्शन जांचने को कहा। उनकी इस अचानक हरकत से मैं संभल नहीं पाया और अपने आप को संभालने के लिए अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए। मैडम ने एक दबी मुस्कराहट के साथ कहा “कोई शैतानी नहीं” और मेरे हाथ अपनी कमर से हटा दिए। मैंने झेंपते हुए उनसे माफी मांगी और लैब में ऊपर की सेल्फ से कम्प्यूटर हटाने लगा। मैडम भी उसी सेल्फ के पास झुककर नीचे के केबल देखने लगी। उनकी साडी का पल्लू सरक गया जिससे कि उनकी चूचियों का नजारा मेरे सामने आ गया। हाय क्या कमाल की चूचियां थीं।
एक पल को तो लगा कि दो चांद उनकी चोली में से झांक रहे हों। वो ब्रा नहीं पहने थी जिससे कि चूची दर्शन में कोई रूकावट नहीं थी। और काम करना मेरे बस में नहीं था। मैं खडे खडे उस खूबसूरत नजारे को देखने लगा। चोली के ऊपर से पूरी की पूरी चूचियां नजर आ रही थीं। यहां तक कि उनके खडे गुलाबी निप्पल भी साफ मालूम दे रहे थे। शायद उन्हें मालूम था कि मैं ऊपर से फ्री शो देख रहा हूं। इसीलिए मुझे छेडने के लिए वो और आगे को झुक गई जिससे उनकी पूरी की पूरी चूचियां नजर आने लगीं। हाय क्या नजारा था। मैं खुशी खुशी चूचियों की घाटी में डूबने को तैयार था। ऐस लगता था मानो दो बडे बडे कश्मीरी सेव साथ साथ झूल रहो हों। एकाएक मैडम ने अपना सर ऊपर उठाया और मुझे अपनी चूचियों को घूरते हुए पकड लिया। जब हमारी नजर मिली तो अपने निचले होठ को दांतों में दबा कर मुस्कराते हुए बोली “ऐ क्या देखता है”। मैं सकपका गया और कुछ भी नहीं बोल पाया। मैडम ने मेरे चूतडों पर हल्की सी चपता जमा कर कहा ” शैतान कहीं के। फ्री शो देख रहा है”।
मेरा चेहरा लाल हो गया उनके मुस्कराने के अन्दाज से मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा लौंडा जीन्स के अन्दर ही तन कर बाहर निकलने को बेचैन होने लगा। मैंने अपनी जीन्स को हिला कर लन्ड को ठीक करने की कोशिश की पर मुझे इसमें कामयाबी नहीं मिली। लन्ड इतना कडा हो गया था कि पूछो मत। बस ऊपर ही ऊपर होता जा रहा था और मेरी जीन्स उठती ही जा रही थी। मैडम ने मेरी परेशानी भांप ली और शरारती मुस्कराहट के साथ बोली “ये तुमने पैन्ट में क्या छुपाया है जरा देखूं तो मैं भी” जब तक मैं कुछ बोलूं उन्होंने खडे होकर मेरे लन्ड को पकड लिया और पैन्ट के ऊपर ही से कस कर दबा दिया। “हाय बडा तगडा लगता है तुम्हारा तो। बडा बेताब भी है। बस ऐसा ही लन्ड तो मुझे पसन्द है”।
मैं तो हक्का बक्का रह गया। मैडम सोनम मेरे साथ फ्लर्ट कर रही हैं। मिस आइस मैडेन का यह गरम रूख देख कर मेरी तो बोलती ही बन्द हो गई और मैं उनकी हरकतें देखता रह गया। चूंकि मैं टेबल के ऊपर खडा था इस लिए मेरा लन्ड उनके मुंह की ठीक सीध में था। वो अपने चेहरे को और पास लाईं और पैन्ट के ऊपर ही से मेरे लन्ड को चूमते हुए बोली “इसे जरा और पास से देखूं तो क्यों इतना अकड रहा है” ऐसा कहते हुए मैडम सोनम ने मेरी जीन्स की जिप खोल दी। मैं आम तौर पर अन्डरवियर नहीं पहनता हूं। लिहाजा जिप खुलते ही मेरा लन्ड आजाद हो गया और उछलकर उनके चेहरे से जा टकराया।
“हूं ये तो बडा शैतान है। इसे तो सजा मिलनी चाहिए” मैडम ने अपने सेक्सी मुंह को खोला और मेरे सुपाडे को अपने रसीले होठों में दबा लिया। मैं तो मूक दर्शक बन कर सातवें आसमान में पहुंच गया था। जिस मैडम सोनम के पीछे सारा आफिस दीवाना था और जिनके बारे में सोच सोच कर मैंने भी औरों की तरह कई कई बार मुठ मारी थी यहां एक रंडी की तरह मेरा लौंडा चूस रही थी। मैंने मैडम का सर पकड कर अपने लौंडे पर दबाया और साथ ही साथ अपने चूतडों को आगे धक्का दिया। एक ही झटके में मेरा पूरा लन्ड मैडम के मुंह में कंठ तक घुस गया। उनका दम घुटने लगा और उन्होंने अपना सिर थोडा पीछे किया। मुझे लगा कि अब मैडम मुझे मेरे उतावलेपन के लिए डांटेगीं।
मैं बोला “सोरी मैडम मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया”। उन्होंने बोलने से पहले मेरा लन्ड अपने मुंह से निकाला और मुस्कुराई “धत पगले। मैं तुम्हारी हालत का अन्दाजा लगा सकती हूं। लेकिन ये मैडम मैडम क्या लगा रखी है। तुम मुझे सोनम कह कर बुलाओ ठीक है ना। अब मुझे अपना काम करने दो”। ऐसा कह कर मैडम ने एक हाथ में मेरा लन्ड पकडा और शुरू हो गई उसका मजा लेने में। वो लन्ड को पूरा का पूरा बाहर निकाल कर फिर दोबारा अन्दर कर लेती। मैं भी धीरे धीरे कमर हिला हिला कर उनका मुंह चोदने लगा। कुछ देर बाद वो बोली “बस इसी तरह खडे खडे कमर हिलाने में क्या मजा आएगा। थोडा आगे बढो”।
मैंने उनका इशारा भांप लिया और पहले उनके गालों को सहलाया। फिर धीरे धीरे हाथो को नीचे खिसकाते हुए उनकी गर्दन तक पहुंचा और उनकी चोली का स्ट्रैप खोल दिया। दोनों मस्त चूचियां उछल कर बाहर आ गई। मैडम ने भी मेरी जीन्स खोल दी और बिना लन्ड मुंह से बाहर किए नीचे उतार दी। फिर लन्ड चूसते हुए वो अपनी चूचियों को मेरी जांघों पर रगडने लगी। मैंने थोडा झुक कर उनकी चूचियों को पकडा और कस कस कर मसलने लगा। जल्द ही हम दोनों काफी उत्तेजित हो गए और हमारी सांसें तेज हो गई। मैं बोला “मैडम मैं पूरी तरह से आपको मजा नहीं दे पा रहा हूं। अगर इजाजत हो तो मैं भी नीचे आ जाऊं।” मैडम ने मुझे गुस्से से देखा और हौले से सुपाडे को काट लिया। वो बोली “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो। अगर मैं बोलती हूं कि मुझे सोनम कह कर पुकारो तो तुम मुझे सोनम ही कहोगे मैडम नहीं।”
मैं बोला “सॉरी सोनम अब तो मुझे नीचे आने दो।” सोनम ने मेरा हाथ पकड कर नीचे उतरने में मदद की। नीचे आते ही मैंने उनके चूतडों को पकडा और अपने पास खींच कर होठों को चूमने लगा। अब मैं उनके होठों को चूसते हुए एक हाथ से चूतड सहला रहा था जबकि मेरा दूसरा हाथ उनकी चूचियों से खेल रहा था। सोनम मेरे लन्ड को हाथ में पकड कर सॉफ्ट टॉय की तरह मरोड रही थी। मैंने सोनम की साडी पकड कर खींच दी और पेटीकोट का भी नाडा खोल कर उतार दिया। सोनम ने भी मेरी टी शर्ट उतार दी और हम दोनों ही पूरी तरह नंगे हो गए। एक दूसरे को पागलों की तरह चूमते हुए हम वहीं जमीन पर लेट गए। चूत की खुशबू पा कर मेरा लन्ड फनफनाने लगा। सोनम भी गर्म हो गई थी और अपनी चूत मेरे लन्ड पर रगड रही थी। हम दोनों एक दूसरे को कस कर जकडे हुए किस करते हुए कमरे के कालीन पर लोट पोट हो रहे थे। कभी मैं सोनम के ऊपर हो जाता तो कभी सोनम मेरे ऊपर। काफी देर तक यूं मजे लेने के बाद हम दोनो बैठ कर अपनी फूली हुई सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगे।
सोनम ने अपने बाल खोल दिए। मैं बालों को हटा कर उनकी गर्दन को चूमने लगा। फिर दोबारा उनके प्यारे प्यारे होठों को चूमते हुए उनकी चूचियों से खेलने लगा। सोनम मेरा सिर पकड कर अपनी रसीली चूचियों पर ले गई और अपने हाथ से पकड कर एक चूची मेरे मुंह में डाल दी। मैं प्यार से उनकी चूचियों को बारी बारी से चूमने लगा। वो काफी गरम हो गई थी और मुझे अपने ऊपर ६९ की पोजिशन में कर लिया। मैं उनकी रसीली चूत का अमृत पीने लगा। सोनम अपनी जीभ लपलपा कर मेरे लौंडे को चूसे जा रही थी। जब भी हम में से कोई भी झडने वाला होता तो दूसरा रूक कर उसको संभलने का मौका देता। कई बार हम दोनों ही किनारे तक पहुंच कर वापस आ गए। हमारी वासना का ज्वार बढता ही जा रहा था और बस अब एक दूसरे में समा जाने की ही बेकरारी थी।
सोनम ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद चित्त हो कर लेट गई। अपने दोनों पैर उठा कर अपने हाथों से पकड लिए और मुझे मोर्चे पर आने को कहा।मैंने भी सोनम के दोनों पैरों को अपने कन्धों पर टिकाया और लन्ड को उसकी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाया। मेरा लोहे जैसा सख्त लौंडा एक ही झटके में आधा धंस गया। सोनम के मुंह से उफ की आवाज निकली पर अपने होठों को भींच कर नीचे से जवाबी धक्का दिया और मेरा लन्ड जड तक उसकी चूत में समा गया। फिर मेरी कमर पर हाथ रख कर मुझे थोडा रूकने का इशारा किया और बोली “तुम्हारा लन्ड तो बडा ही जानदार है। एक झटके में मेरी जान निकाल दी। अब थोडी देर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के मजा लो।”
सोनम के कहे मुताबिक मैं धीरे धीरे उसकी चूत में लन्ड अन्दर बाहर करने लगा। चूत काफी गीली हो चुकी थी इसलिए मेरे लन्ड को ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी। मैं धीरे धीरे चूत चोदते हुए सोनम की मस्त चूचियों को भी मसल रहा था। बडी ही गजब की चूचियां थी उसकी। एक हाथ में नहीं समा सकती थी। पर इतनी कडी मानो कन्धारी अनार। वो चित्त लेटी हुई थी पर चूचियों में जरा भी ढलकाव नहीं था और हिमालय की चोटियों की तरह तन कर ऊपर को खडी थी। उत्तेजना की वजह से उसके डेढ इन्च के निप्पल भी तने हुए थे और मुझे चूसने का आमन्त्रण दे रहे थे।
मै दोनों निप्पलों को चुटकी में भर कर कस कस कर मसल रहा था। सोनम भी सिसकारी भर भर कर मुझे बढावा दे रही थी। आखिर मुझसे नहीं रहा गया और उसके पैरों को कन्धे से उतार कर जमीन पर सीधा किया और उसके ऊपर पूरा लम्बा होकर लेट गया। सोनम ने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को पकड कर पास पास कर लिया और मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने लगा। ऐसा लग रहा था कि सारी दुनिया का अमृत उन चूचियों में ही भरा हो। मैं दोनों हाथों से चूचियों को मसल रहा था। चूचियों की मसलाई और चुसाई में मैं अपनी कमर हिलाना ही भूल गया। तब सोनम अपने हाथ नीचे करके मेरे चूतडों पर ले गई और उन्हें फैला कर एक उंगली मेरी गान्ड में पेल दी। मैं चिहुंक गया एक जोरदार धक्का सोनम की चूत में लगा दिया। सोनम खिलखिला कर हंस पडी और बोली “क्यों राज्जा मजा आया। अब चलो वापस अपनी ड्यूटी पर।”
सोनम का इशारा समझ कर मैं वापस कमर हिला हिला कर उसकी चूत चोदने लगा। सोनम भी नीचे से कमर उठाने लगी और धीरे धीरे हम दोनों पूरे जोश के साथ चुदाई करने लगे। मैं पूरा लन्ड बाहर खींच कर तेजी से उसकी चूत में पेल देता। सोनम भी मेरे हर शॉट का जवाब साथ साथ देती। पूरे कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जैसे जैसे जोश बढता गया हमारी रफ्तार भी तेज होती गई। आखिर उसकी चूचियों को छोड मैंने उसकी कमर को पकड कर तूफानी रफ्तार से चुदाई शुरू कर दी। सोनम भी कहां पीछे रहने वाली थी। वो भी मेरी गर्दन में हाथ डाल कर पूरे जोश से कमर उछाल रही थी। अब ऐसा लगने लगा था कि हम दोनों ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे पर सोनम तो एक्सपर्ट चुदक्कड थी और अभी झडने के मूड में नहीं थी। उसने अपनी कमर को मेरी कमर की दिशा में ही हिलाना शुरू दिया। इससे लन्ड अन्दर बाहर होने के बजाए चूत के अन्दर ही रह गया। मेरी पीठ पर थपकी दे कर उन्होंने रफ्तार कम करने को कहा और बोली “थोडा सांस ले ले फिर शुरू होना। इतनी जल्दी झडने से मजा पूरा नहीं आएगा।”
मैंने किसी तरह अपने को संभाल कर रफ्तार कम की। मैं अब उसके रसीले होठों को चूसते हुए हौले हौले चोदने लगा। जब हम दोनों की हालत संभली तो दोबारा सोनम ने फुल स्पीड चुदाई का इशारा किया और फिर से मैं पहले की तरह चोदने लगा। रूक रूक कर चुदाई करने में मुझे भी मजा आ रहा था। हमारी इस चुदाई का दौर आधा घन्टे से भी ज्यादा चला। कई बार मेरे लन्ड में और उसकी चूत में उफान आने को हुआ और हर बार हमने रफ्तार कम करके उसे रोक लिया। हाालांकि कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनो पसीने से नहा गए। आखिर सोनम ने मुझे झडने की इजाजत दी। मैं तूफान मेल की तरह उसकी चूत में धक्के लगाने लगा। वो भी कमर उछाल उछाल कर मेरी हर चोट का जवाब देने लगी। चरम सीमा पर पहुंच कर मैं जोर से चिल्लाया “सोनमआआआआ आआआआ मेरी जान। मैं आया” और उसकी चूत में जड तक लन्ड घुसा कर अपना सारा उफान उसके अन्दर डाल दिया। सोनम ने भी मेरी पीठ पर अपने पैर बांध कर मुझे कस कर चिपका लिया और चीखती हुई झड गई। Antarvasna
मुझे जॉन ने अपने गांव में छुट्टी Hindi Porn Stories मनाने के लिये बुला लिया था। आज शाम को डिनर पर वो मुझे बता रहा था कि उसके पुराने मकान पर भूतों का निवास है, और वहां जाने पर वो उत्पात मचाते हैं। मैं हमेशा उसकी बातों पर हंसता था। मेरी हंसी सुन कर वो बड़ा निराश हो जाता था। उसका मन रखने के लिये मैंने उससे कह दिया कि अगले दिन अपन वहां चल कर देखेंगे।
दूसरे दिन शाम को वो चलने को तैयार था। मैं उसे टालने के चक्कर में था पर एक नहीं चली… हम दोनों डिनर करके कार में बैठ कर चल दिये। गांव की आबादी से थोड़ी ही दूर पर यह मकान था।
जॉन ने कार रोक दी और बताया कि यही मकान है। मैंने उसे समझाया कि देखो ये भूत वगैरह कुछ नहीं होता है… तो उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा कि चलो वापस लौटते हैं… मैंने उसके दिल से वहम निकालने के लिये उसे कहा कि अब आये है तो अन्दर चल कर देख लेते हैं।
जॉन अब झुन्झला गया- अच्छा चलो… अपनी आंखों से देखोगे तो पता चलेगा.
मैंने उसकी बात हंसी में उड़ा दी।
हम दोनों उस मकान में दाखिल हो गये। तभी एक जवान लड़का दौड़ता हुआ आया और पूछा- साब… कौन हैं आप… ओह… जॉन साब…आप… आईये!
“सब यहां ठीक तो है…” जॉन ने पूछा।
“हां मालिक… मैं यहां की रोज सफ़ाई करता हूँ… अब मैं ही ध्यान रखता हूँ यहां का… आईये…!” लड़के ने कहा।
मैं हंसा- ये लड़का यहां रहता है… तेरा नौकर है ना?
“ह… आ… हां ये तो कालू है…”
हम अन्दर मकान में चले आये। पुराना मकान था… कालू और उसका परिवार वहां रहता था। उसने हमे बड़े आदर के साथ अन्दर बैठाया।
मैंने कहा- अरे भाई कालू मुझे मकान तो दिखाओ?
“हां साब… जब तक चाय बनती है, आपको मकान दिखाता हूँ!”
“और जॉन… तुम मुझे भूत दिखाओ…” मैंने जॉन का मजाक बनाया, कालू थोड़ा सहम गया।
हम दोनों कालू के पीछे चल दिये… वो एक एक कमरा बताता जा रहा था।
मैंने एक जगह रुक कर पूछा- इस कमरे में क्या है?
“इसे रहने दो मालिक… ये कमरा मनहूस है!”
“मैंने कहा था ना… अब चलो यहां से…” जॉन ने मुझे खींचा।
“क्या मनहूस है… खोलो इसे…”
“वहां चलते हैं…” कालू बात पलटता हुआ बोला।
“नहीं रुको… इसे खोलो…” मैंने ज़िद की…
“जी चाबी नहीं है इसकी…”
मुझे गुस्सा आ गया… मैंने दरवाजे पर एक लात मारी… दरवाजा खुल गया… वह एक सजा सजाया कमरा था।
“तो यह है शानदार कमरा… यानि भूतों वाला… तुम इसे मनहूस कहते हो?” मैंने व्यंग्य से कहा- जॉन को बेवकूफ़ बनाते हो?
तभी वहां दो जवान लड़कियाँ नजर आई.
मैंने उनसे पूछा,”आप लोग कौन हैं…?”
वो दोनों लड़कियाँ घबरा गई.
उनमें से एक ने हिम्मत करके कहा- हम तो छुप कर यहां रहती है… ये कालू हमारी मदद करता है.
“तो जनाब ये है आपके भूत बंगले का राज़… जॉन निकालो इन्हें यहां से…”
“साब आप हमे मत निकालिये… हम आप को खुश कर देंगी…” एक मेरे पांव पर झुक गई।
उसके बड़े बड़े बोबे उसकी कमीज में से छलक पड़े।
मैं ललचा गया उसकी जवानी देख कर।
“जॉन खुश होना है क्या…” पर मैंने देखा जॉन वहां से शायद घबरा कर जा चुका था।
दूसरी ने विनती की- आप जॉन साब से कहेंगे तो वो मान जायेंगे… प्लीज़ साब…
उसने भी अपने स्तनों को थोड़ा सा झटका दिया।
मैंने पहली वाली से कहा- तुम्हारा नाम क्या है?
“जी मैं ईवा… ये जूही…!”
जूही मेरे पीछे आकर खड़ी हो गई… दोनों लड़कियाँ अब मुझे सेक्सी लगने लगी थी… मुझे उनके कपड़ों में उनका बदन महसूस होने लगा था, मुझे एकाएक लगा कि कहीं जॉन की भूतों वाली बात सच तो नहीं है।
मैंने अपना संशय दूर करने के लिये पूछ ही लिया- अ…आप दोनों कौन हैं… सच बतायें…
“बता दें क्या… हम तो बस आपके लन्ड की प्यासी हैं… और मत पूछो… और हम यहाँ पर इसका धन्धा करती हैं…” ईवा ने मुझे उत्तेजित करते हुए कहा- आपको भी हम खुश कर देंगी… पर प्लीज़ हमें मत निकालना…!
“नहीं नहीं… मैं कुछ नहीं कहूँगा… आप झूठ बोल रही हैं !” मैं कुछ विस्मित होता हुआ बोला- आप जरूर कोई प्रेत-आत्मा हैं.
ईवा पीछे से मुझसे लिपटने लगी… उसके उरोज मेरी पीठ पर गड़ने लगे।
जूही मेरे सामने आ कर सट गई- आप ऐसे क्यों सोचते हैं… कालू कहता है इसलिये… वो तो हमारी खातिर करता है…” जूही ने कालू की पोल खोलते हुए कहा।
मुझे लगा ये दोनों सच बोल रही है… पर मुझे इससे क्या मतलब था… मुझे तो दो हसीनायें मिल रही थी।
मैंने जूही को अपने में समेटते हुए उसके स्तन दबा दिये.
“हाय… सीऽऽऽ और दबाओ मेरे राजा…” उसकी सिसकारी से मैं उत्तेजित हो गया.
ईवा ने पीछे से हाथ बढ़ा कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया… मेरा लन्ड अभी ढीला ही था… पर स्पर्श पा कर उसने भी अब अंगड़ाई ली… और धीरे धीरे खड़ा होने लगा।
आगे से जूही के होंठ मेरे होंठो से सट गये और मेरे नीचे के होंठ को चूसने लगी।
“जो सर… आओ बिस्तर पर मजा करते हैं…”
मैं उनके साथ बिस्तर के पास आ गया.
ईवा और जूही ने मेरे कपड़े उतार दिये और फिर वो दोनों भी नंगी हो गई… कम उमर और भरपूर जवानी के उभार… कटाव… गहराईयाँ… मेरा लन्ड तन्ना उठा।
ईवा ने मेरी हालत देखी और मेरा लन्ड अपने मुँह में भर लिया, जूही ने मेरे बदन को सहलाना शुरू कर दिया… ईवा कभी मेरी गोलियों को सहलाती फिर तेजी से लन्ड को मुठ मारती… मेरा सुपाड़ा उसके मुख में खेल रहा था। अब ईवा खड़ी हो चुकी थी…और तन कर मेरे आगे खड़ी हो गई… जैसे उसके बोबे मेरे हाथों से मसलने के लिये ललकार रहे थे… उसने अपनी चूत मेरे लन्ड से यूं अड़ा कर खड़ी हो गई कि मानो लन्ड घुसेड़ने की हिम्मत हो तो घुसेड़ लो।
मेरे कन्धे जूही ने अपने बोबे से चिपका रखे थे। ईवा के सामने तने हुए बोबे मुझसे सहे नहीं गये… मैंने तुरन्त ही हाथ बढा कर उसके बोबे दबा दिये और अपनी और उसे खींच लिया… उसने भी अपनी व्यापारिक अदाएँ दिखाते हुए चूत को भी झटका देते हुए लन्ड अपनी चूत में फंसा लिया।
मेरा सुपाड़ा चूत में जा चुका था… उसने भी जोर से सिसकारी भरी… और मेरे से चिपक गई।
“जो… बिस्तर पर लिटा कर मुझे चोद दो ना… हाय ऐसा लन्ड तो पहले नहीं घुसा कभी…हाय जूही…मुझे चुदवा दे रे…”
जूही भी उतावली हो उठी…”दीदी पहले मुझे चुदवा दो ना…” मैंने ईवा को दबोच कर बिस्तर पर पटक दिया और उस पर चढ़ गया। उसकी बुर पर लन्ड जमाया और दबा कर लन्ड घुसेड़ दिया।
“मैं मर गई… हाय्…” ईवा जोर से चीख उठी… सारे कमरे में उसकी चीख गूंज उठी… उसकी तड़पन देख कर मेरी वासना और भड़क उठी…
इतने में चीख सुन कर जॉन और कालू वहां पर आ गये। पर ये नजारा देख कर जॉन भी भड़क उठा… उसने भी फ़टाफ़ट अपने कपड़े उतार दिये और जूही को पकड़ लिया… कालू वहां से चला गया। अब जॉन ने अपना लन्ड जूही की चूत में घुसा डाला। अब ये दूसरी जबरदस्त चीख थी जिससे सारा घर ही गूंज उठा था…
मेरे धक्कों की रफ़्तार तेज हो गई थी… उसी के हिसाब से दोनों लड़कियाँ भी जोर से चीख चीख कर मजा ले रही थी… शायद उनकी चीखों में ही उनकी वासना और उत्तेजना थी.
मैं ईवा के बोबे दबा दबा कर चोद रहा था… बदले में वो भी अपने मस्त चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी। उसका कसा हुआ शरीर मुझे तेजी से चरम-सीमा की ओर ले जा रहा था.
ईवा भी प्रोफ़ेशनल ढंग से सिसकारियाँ भरी चीखें निकाल कर… और बहुत ही उत्तेजित तरीके अपनी चूत को घुमा घुमा कर चुदवा रही थी… सच में वो एक वेश्या ही थी जो मर्द को पूर्ण रूप से सन्तुष्ट करना जानती थी।
मेरे धक्के बढ़ते जा रहे थे… मैं चरमसीमा तक पहुंच चुका था…मैं और मजे लेना चाहता था… देर तक चोदना चाहता था… पर ईवा की चूत की अदाएँ… मरोड़ना और दीवारों को सिकोड़ना और चूत का लन्ड को पकड़ने की कला ने मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया।
मैं अन्त में शिखर पर पहुंच ही गया और मेरी पिचकारी छूट पड़ी। मेरी पिचकारी के साथ ही ईवा फिर से चीख उठी- हाय जो… तुमने मुझे चोद डाला… मैं गई…हाय… मेरी तो निकल पड़ी.
और हम दोनों ही आपस में जोर से चिपक गये… मेरा लन्ड जोर लगा कर वीर्य निकालने में लगा था… और ईवा अपने चूत सिकोड़ कर मेरे लन्ड से पूरा रस निकालने में लगी थी।
कुछ ही देर में हम शान्त हो गये थे.
जॉन और जूही अभी भी जबरदस्त चुदाई में लगे थे…
ईवा ने कहा- जो… बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ?
“हां… हां जरूर कहो…” मैंने प्यार से कहा।
“प्लीज़ मेरी चूत चूस लो…और मुझे झड़ा दो… मैं झड़ी नहीं हूँ…प्लीज़…” मैंने विस्मय से उसे देखा… वास्तव में मैं आज जल्दी झड़ गया था… पर ईवा की अदाओं से मुझे लगा था कि झड़ गई है.
“नहीं हम लोग कितनी ही बार नहीं झड़ते हैं… पर ग्राहक को संतुष्टि के लिये यह महसूस कराना पड़ता है कि आपसे हमें बहुत मजा आया है, हमें पैसे इसी बात के मिलते हैं…”
मैंने ईवा के दोनों पांव ऊंचे कर दिये और उसके दाने को चाटने लगा… वो उछल पड़ी और एक बार फिर मस्ती की चीखों से कमरा गूंज उठा। ये वास्तविक मस्ती की चीखें थी. बीच बीच में मेरी जीभ उसकी चूत को भी चोद रही थी। झड़ते झड़ते ईवा ने अपनी दोनों टांगों से मेरा चेहरा दबा लिया और झड़ने लगी… उसकी चूत अब लगा कि पानी छोड़ रही है… मैं उसका सारा गीलापन चाटने लगा।
अब वो शान्त लग रही थी। उसने मुझे प्यार से देखा और सोते सोते ही अपनी बांहें फ़ैला दी… मैं धीरे से उसकी बाहों में समा गया, उसके प्यार भरे आलिंगन ने मुझे नींद के आगोश में ले लिया। मैंने धीरे से आंखे खोली… तो देखा कि जूही और जॉन आपस में प्यार कर रहे थे और उनका दौर भी समाप्त हो चुका था.
हम सभी अब बिस्तर पर बैठे हुए थे… कालू कोफ़ी ले कर आ गया और पास टेबल रख दी और जॉन के पांव पर झुक गया… और रोने लगा- जॉन साब… मुझे माफ़ कर दो… ये दोनों गरीब लड़कियाँ है, इन दोनों को मैं शैतानों के चन्गुल से जान पर खेल कर बचा कर लाया हूँ… इन दोनों का दुनिया में कोई नहीं है… इन्हें मत निकालना… मैं चला जाता हूँ साब… मैंने आपसे झूठ बोला!
“जॉन यार, माफ़ कर दो इसे… इसने अपने लिये नहीं… इन दो गरीबों के लिये किया है…” मैं कॉफ़ी पीने लगा।
“पर यार मैं इसके कारण पिछले एक साल से किराये के मकान में रह रहा हूँ… कोई बात है ये?”
ईवा और जूही दोनों उठी और और एक पोटली उठा लाई… और हमारे सामने रख दी।
“बाबू जी…ये हमारी शरीर की कमाई है… चोरी की नहीं है… ये आप रख लीजिये और कालू को हम अपने साथ सवेरे ले जायेंगे… जानते हो साब! कालू ने हमें हाथ तक नहीं लगाया है… यह तो हमारे भाई की तरह है… हम रोते हैं तो ये रोता है… बस हमें पुलिस में मत देना…”
उन दोनों ने कालू की बांह पकड़ी और कमरे से बाहर चली गई।
“ले भाई जॉन… तेरी प्रोबलम भूतों वाली तो समाप्त हो गई… बस…”
मन में बेचैनी लिये मैं जाने के लिये उठ खड़ा हुआ… जॉन पोटली को एकटक देख रहा था… एकाएक उसने पोटली ली और कालू के पास नीचे आया.
ईवा और जूही का चेहरा आंसुओं से तर था… पर कालू के चेहरे पर मर्दानापन था- साब ये तो मेरी कुछ नहीं लगती… पर आज मुझे इन्होंने भाई का दर्जा दे दिया… ये अब मेरे साथ ही रहेंगी!
“मेरा किराया दो सौ रुपये हर महीने का निकाल दो… और हर महीने देते रहना… तुम्हारा कमरा वही है… भूतों वाला…!” जॉन ने अपना फ़ैसला सुनाया।
कालू सुन कर देखता रह गया… और जॉन के कदमों में झुक गया।
ईवा और जूही प्यार से हमसे लिपट पड़ी। मैंने जॉन का मन बदलता हुआ देखा और अपने भगवान को धन्यवाद दिया… उनकी मजबूरी मेरे मन को छू गई… जाने मेरी आंखों से आंसू कब निकल पड़े… Hindi Porn Stories
मेरे प्रिय पाठकों और Hindi Sex Stories पाठिकाओं को मेरा नमस्कार। मेरा नाम एलिस है। मैं भी आपकी ही तरह अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मुझे इस साईट की कहानियों को पढ़कर बहुत मजा आता है। मुझे ये सभी कहानियाँ बहुत अच्छी लगी और मैं पुरानी वाली कहानियाँ भी पढ़ना चाहता हूँ इसलिये मैंने भी अपनी आपबीती आप लोगों के सामने पेश करने का इरादा अन्तर्वासना के जरिये किया है। यह मेरी पहली कहानी है, अगर आपकी कृपा हुई तो मुझे आगे भी और कहानियाँ भेजने का मौका मिलेगा।
मैं जिस लड़की के बारे में बताने जा रहा हूँ, उसका नाम स्नेहा है। वो मेरे पड़ोस में रहती है। उसका कद करीब 5’6″ है, रंग गोरा है और बदन का क्या कहना ! साली क्या मस्त लगती है कि जो भी देखे तो उसका लंड तो खड़ा हो ही जाता है। उसके मम्मे करीब 34″ के होंगे और उसके गांड करीब 38″ की होगी।
बात उन दिनों की है जब मैं कोचिंग में पढ़ा करता था और छुट्टियाँ होने पर मैं घर जाता था। वो एक अमीर घराने की माडर्न ख्याल की लड़की थी और शायद इसीलिए वो ज्यादातर जींस व टी-शर्ट में रहती थी। इस कारण उसके शरीर के सारे उभारों का अच्छी तरह से प्रदर्शन होता था और यह देख सभी लड़के उस पर फ़िदा रहते थे। पड़ोस में होने के कारण वो मुझे भाई जैसा मानती थी और मैंने भी कभी उसे गलत नजर से कभी नहीं देखा था। पर मुझे पता था कि भाई-भाई करके वो मुझे लाइन देती थी।
बात गर्मियों की है जब छुट्टियाँ हुई और मैं घर गया। मुझे लग रहा था कि इस गर्मियों की छुट्टियों का मैं पूरा आनंद लूँगा। एक दिन मैं अपने नए साल के सत्र के लिए पढ़ाई कर रहा था, वो आई और कहने लगी,”मेरे घर पर सब मेरी मौसी के यहाँ शादी में जा रहे हैं इसलिये मैं आज यहाँ ही सोउंगी।”
वो बहुत खुश नजर आ रही थी और मेरी किस्मत भी देखो यारो कि पापा-मम्मी को भी उसकी मौसी के यहाँ से आग्रहपूर्वक न्योता आया कि आप भी आओ और एलिस को भी ले आना। पर पापा स्नेहा के यहाँ होने से उसे अकेला छोड़ नहीं सकते थे और मुझे पढ़ना भी था, सो मैं यहीं रुक गया और पापा-मम्मी दोनों गेराज से गाड़ी निकाल कर चले गए। मम्मी ने जाने से पहले बहुत हिदायतें दी कि दरवाजे खुले रख कर मत सोना, दोनों एक ही कमरे में सो जाना और बेड अलग अलग रखना। और हम आज रात में भी आ सकते हैं या कल आ जायेंगे वगैरह-वगैरह। मैंने भी हर आज्ञा का पालन किया, सिर्फ एक को छोड़कर, बेड अलग अलग वाला।
रात के नौ बज चुके थे और हम सोने की तैयारी कर रहे थे। उसका आज मूड कुछ बदला-बदला लग रहा था। वैसे मैं उस समय शरीफ बच्चा था। ऊपर के दरवाजे जांचने के लिए हम दोनों ऊपर गए, क्योंकि मुझे रात में अकेले डर लगता है। हम नीचे न आकर वहाँ पर ही बातें करने लग गए। वह वो मुझे बार-बार स्पर्श कर रही थी और गन्दी-गन्दी मतलब यौन सम्बन्धी बातें करने लगी। उसी समय बिजली चली गई। अब तो वो बोलने लगी कि अगर नीचे जायेंगे तो मुझे भी डर लगेगा सो हम वहीं रुक गए और बातें करने लगे। मेरा तो लंड वहीं खड़ा हो गया पर शायद अँधेरा होने के कारण उसे दिखाई नहीं दिया होगा। मैं भी जवाब में थोड़ी-थोड़ी खुलकर बातें करने लग गया। अब दोनों में कुछ-कुछ होने लगा था, हम दोनों वहाँ चिपकने लगे थे। हम दोनों गर्म होने लगे थे और वहाँ आस-पास में कोई न होने के कारण हमने आखिर एक चुम्बन तो कर ही लिया। इतने में बिजली आ गई और वहाँ हमें कोई देख लेता, उससे पहले हम दरवाज़े जाँच कर नीचे आ गए।
उसने नीचे आते ही मेरा एक लम्बा चुम्बन किया। मैंने स्नेहा को अपनी बाँहों में भर लिया, अपनी टांगें स्नेहा की टांगों से चिपका दी और मैंने अपने जलते हुए होंठ स्नेहा के होंठों पर रख दिए। फिर मैं उसके नर्म-नर्म होंठों को अपने होंठों में भर कर चूमने लगा। स्नेहा ने मुझे अपनी बाँहो में कस लिया। मेरे हाथ स्नेहा के जिस्म पर फिर रहे थे। कुछ देर बाद मैंने स्नेहा को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया। हम दोनों फिर से किस करने लगे और मेरे हाथ उसके शरीर पर कहाँ-कहाँ फिर रहे थे, कुछ पता नहीं।
करीब दस मिनट की चुम्मा-चाटी के बाद वो पूरी गर्म हो गई और मेरे कपड़े उतारने लगी। मेरा भी लंड अब जैसे अन्दर ही पैंट फाड़ने लगा और जल्द ही उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। उसने अपने हाथों से मेरे लंड को मसलना शुरू कर दिया। मैं भी उसके मम्मे दबाने में व्यस्त था। मैंने भी देर ना करते हुए उसके कपड़े उतार दिए। मैंने उसको खेलने के लिए अपना लंड दे दिया। मैंने उसे बिसतर पर लेटा दिया और फिर उसकी गोरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा। चूत बिलकुल साफ़ थी यानि एक भी बाल नहीं था।
वो बोली,”आज पूरी तैयारी करके आई हूँ !”
स्नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं तो मानो स्वर्ग की सैर कर रहा था।
आप तो उसे देखते ही पागल हो जाते और जंगली सेक्स चालू कर देते। पर जैसे कि मैंने कहा था कि मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, तो मैंने सेक्स करने के नियम पढ़ रखे थे जो किसी सज्जन ने अन्तर्वासना को भेंट किये थे। मैंने बस अपने को नियंत्रित किया।
उसके गुलाबी चुचूकों को हल्के-हल्के मसलने लगा, फिर अपने होंठों में भर कर चूसने लगा। स्नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। बाद में वो मेरा लौड़ा चूसने लग गई, दो-तीन मिनट में ही मेरी हालत ख़राब हो गई तो मैंने उसे रोका। फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा। दो-तीन मिनट बाद वो झड़ गई तो मैं उसका अमृत-पान करने लगा। वाह ! एक अजीब मजा आ रहा था। वास्तव में वो मजा आ रहा था जो जिन्दगी में पहले कभी नहीं लिया। फिर मैं स्नेहा की चूत पर हाथ फिराने लगा। हाथ फिराते-फिराते मैंने अपनी उँगलियाँ स्नेहा की चूत के अन्दर डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
वो और जोश में आ गई और तड़पते हुए बोलने लगी,”बस अब और मत तड़पाओ मेरे राजा !”
फिर मैं उसे ज्यादा न तड़पाते हुए उसकी चूत का श्री गणेश करने को तैयार था।
स्नेहा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली,”प्लीज, कंडोम तो लगा लो ! मुझे डर लगता है।”
मैंने बैड की दराज में से कंडोम निकाल कर अपने लण्ड पर लगा लिया। स्नेहा ध्यान से मुझे कंडोम लगाते देख रही थी। फिर अपना लंड उसकी बुर पर रख दिया। लंड धीरे धीरे अन्दर चला गया पर काफी मेहनत करनी पड़ी हमको पहली बार में। वो दर्द से तड़पने लगी थी, मैंने और जोर लगाया तो उसकी बुर से थोड़ा खून निकला। खून मेरे लंड पर व उसकी जांघों पर व थोड़ा चादर पर भी गिरा था। वो पहले तो यह देख कर घबरा गई पर वो जानती थी कि पहली बार में यह सब होता है, उससे उसे काफी हिम्मत मिली।
मैं थोड़ा रुका और उसके होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ, हमने खून साफ़ कर फ़िर शुरु किया। तब मैंने फिर से उसे चोदना चालू कर दिया। मैं उसके नर्म-नर्म होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा ताकि वो अपना दर्द भूल जाए और करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।
बाद में तो मुझे लग रहा था कि उसकी चूत खुल गई। फिर हमने किस किया और उसके बाद वो मेरे लौड़े को चूसने लग गई ताकि फिर से मेरा लौड़ा खड़ा हो जाये। जल्द ही मेरा लंड एक बार फिर से चुदाई करने के लिए तैयार था। इस बार फिर से चूत को ही अलग-अलग आसनों से चोदने लगा।
स्नेहा बोली,”मुझे कुछ हो रहा है, लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है। खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ।”
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी ।
उसके मुख से आवाजें आने लगी,”आआआ!!! मैंऽऽऽ आआआऽऽऽ रहीऽऽऽ हूँऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ और तेज़ ऽऽऽ”
उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया। मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा। लगभग बीस मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया।
अब उसकी गांड की बारी थी पर वो बोलने लगी,”आज नहीं, फिर कभी इसका भी नंबर आएगा, थोड़ा सब्र करो ।”
पर मैं ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहता था इसलिये उसकी एक न सुनी और गांड के लिए नीचे तकिये रखने लगा और फिर से उलटा लिटा कर गांड का पूरा मज़ा लिया। अब भी ऐसा मौका मिलता है तो छोड़ता नहीं हूँ और वो भी नहीं छोड़ना चाहती। जब भी समय मिलता है, मम्मे दबाकर और चूम कर मजे लेता हूँ, अब तक कई बार चोद चुका हूँ और औरों के भी मजे लिए हैं, वो मैं आपको बाद में कहानी के रूप में लिखता रहूँगा। अब तो कहना पड़ेगा कि “वाह ! क्या रात थी”
आप मेरी कहानी के बारे में अपनी राय जरुर दें और मेरी गलतियाँ भी बताएँ ताकि मैं उनको सुधार सकूँ। अच्छा अब के लिए इजाजत चाहता हूँ। Hindi Sex Stories
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