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Massage Girl in Muktsar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Muktsar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Muktsar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Muktsar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Muktsar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Muktsar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Muktsar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Muktsar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Muktsar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Muktsar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Muktsar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Muktsar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

मैं एक 25 साल की खूबसूरत सेक्सी औरत हूँ. मेरा Sex Stories मर्द मुझसे पाँच साल बड़ा है और वो एक उद्योगपति है. वो काम में एकदम पागल आदमी है. बिजनेस के सिवाय उसको कुछ नहीं दिखता. उसके व्यस्त होने के कारण हम एक दूसरे के साथ बहुत कम मिल पाते हैं.

हमारा अभी तक कोई भी बच्चा नहीं हुआ है. शुरू के दो तीन साल में हम लोगों की सेक्स लाइफ बहुत ही अच्छी थी. उसके बाद वो काम के चक्कर में बहुत फँस गया और मैंने किट्टी पार्टी और लेडीज़ पार्टी जॉयन कर ली.

इस तरह की किट्टी पार्टी और लेडीज पार्टी में सिर्फ़ शराब व ब्लू फ़िल्म चलती थी. औरतों में चूत चूमना और चूत चाटना खुले रूप में होता था. मुझे भी दिल बहलाने का बहाना मिल गया था. मैं इसमें बहुत खुश थी.

एक बार होली पर मेरा पति अपने काम से बाहर गया हुआ था. मैं लेडीज किट्टी पार्टी में चली गई. उस दिन किट्टी पार्टी में बहुत शराब पी गई और हम लोगों ने ताश भी खेले.

फिर हम औरतों ने एक हिन्दी पोर्न फ़िल्म भी देखी जो बहुत ही गर्म थी. उसके बाद हम औरतों ने चुम्मा चुम्मा खेला और चूत चटाई भी की. यह सब रात के तीन बजे तक चलता रहा. मैंने बहुत शराब पी ली थी और मुझे घर तक मेरी एक सहेली अपनी कार में छोड़ गई.

घर पर मेरे भाई सुरेशने सहारा देकर मुझे मेरे बेडरूम तक पहुँचाया. मैंने इतनी शराब पी रखी थी कि मैं ठीक तरह से चल भी नहीं पा रही थी. आज मैं किट्टी पार्टी में गर्म पोर्न मूवी देख कर बहुत ही गर्म हो गई थी.

मेरी चुन्चियाँ बहुत फड़क रही थीं और मेरी चूत से पानी निकल रहा था जिससे मेरी पैंटी तक भीग गई थी. जैसे ही मेरा भाई मुझको सहारा देकर मेरे बेडरूम तक ले आया, मेरा मन उसी से चूत चुदवाने का हो उठा.

मेरा भाई सुरेशएक 20 साल का हट्टा कट्टा नौजवान है. मैं अपने बेडरूम में आकर एक कुर्सी पर बैठ गई और जानबूझ कर अपना पल्लू गिरा दिया जिससे कि सुरेशमेरी चुंचियों को देख सके. मैंने उस दिन एक बहुत ही छोटा ब्लाउज पहन रखा था और उसका गला बहुत ही लो-कट था.

सुरेशका लंड मेरी चुन्ची देख कर धीरे धीरे खड़ा होने लगा और उसको देख कर मैं और चुदासी हो गयी. मुझे लगा कि मेरा प्लान काम कर रहा है. उसकी पैंट तम्बू के जैसे उठने लगी. मैं धीरे से मुस्कराई और मैंने हाथ से अपने बाल पीछे कर लिये.

मैं जानबूझ कर उसको अपनी चुन्ची की झलक दिखाना चाहती थी. मैं अपने कन्धों को और पीछे ले गई जिससे कि मेरी चुन्ची और ज्यादा बाहर की तरफ़ निकल गई.

उसकी पैंट और अधिक उठने लगी और मैं मन ही मन मुस्करा रही थी. मुझे यकीन था कि मेरा काम बन जाएगा. उसके लंड के उठाव को देख कर लग रहा था कि थोड़ी ही देर में मैं उसकी बाँहों में होऊंगी और उसका लंड मेरी चूत अच्छी तरह से कसकर चोद रहा होगा.

मैंने अपने भाई से कहा- जाओ दो गिलास और एक स्कॉच की बोतल हमारे कमरे से ले आओ!
वो बोतल उठा लाया. एक पैग मैंने अपने लिये बनवा लिया और उसको भी पीने के लिए कहा.

वो भी शायद अपनी बहन की चुदाई का सपना देख रहा था इसलिए मेरा हर कहा मान रहा था.
वो भी मेरे सामने खड़ा होकर शराब पीने लगा और उसका लंड मैं उसकी पैंट में तना हुआ साफ देख पा रही थी.

पूरा गिलास खाली करने के बाद मैंने अपने ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुन्चियों को मसलना शुरू किया. सुरेशअभी भी अपने होंठों से गिलास को लगाये हुए था लेकिन उसकी नज़र मेरे हाथों पर थी जो मेरी चुन्चियों को दबाने लगे थे.

ये देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया. मैं भी उसको तड़पा कर मजा ले रही थी. मैं उसकी पैंट की तरफ़ देख रही थी, जो अब तक बहुत ही फूल चुकी थी. मैं समझ गई कि उसका लंड अब बिल्कुल फटने को हो गया है और वो मुझे चोदने के लिए पागल हो चुका है.

फिर मैंने ब्लाउज को खोल दिया और अपने बड़े बड़े स्तनों को उसके सामने आजाद कर दिया. मैं अपने दोनों खरबूजों को सहलाने और मसलने लगी. सुरेशमेरे आधे नंगे जिस्म को बहुत अच्छी तरह से देख रहा था.

मैंने मादक सी आवाज में उससे पूछा- क्या हुआ रमेश, क्या देख रहे हो?
वो कुछ नहीं बोल पा रहा था. उसका चेहरा वासना और आश्चर्य से भरा हुआ था. उसके माथे पर पसीना आ गया था.

फिर मैंने उसके लंड की ओर देखकर कहा- लगता है तुम्हारा खड़ा हो गया है. क्या तुम इसको शांत नहीं करना चाहोगे?
मैंने अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी चूत पर हाथ फिराते हुए कहा.

अपनी ही जुबान से निकल रही इस तरह की गन्दी बातों से मैं और ज्यादा उत्तेजित हो रही थी. मेरी चूत उसका लंड खाने के लिए फड़फड़ाने लगी. मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी कि कब सुरेशका लंड मेरी चूत में घुसेगा और मुझे जोर जोर से चोदेगा.

मैं अपने कपड़ों को धीरे धीरे से खोलने लगी और यह देख कर सुरेशकी आँखें फैलने लगीं. मैंने धीरे से अपनी साड़ी उतार दी. मैंने अपना पेटीकोट भी धीरे से उतार फेंका और फिर पैंटी भी उतार डाली.

अब मैं अपने भाई सुरेशके सामने बिल्कुल नंगी हो कर खड़ी हो गयी. सुरेशमुझको फ़टी आँखों से देख रहा था. मेरी बाल सफा, भीगी चूत उसकी आँखों के सामने थी और वो उसके लंड को लीलने के लिए बेताब हो रही थी.

मैंने सुरेशसे धीरे से पूछा- ओह सुरेश… कब तक देखते रहोगे? आओ … मेरे पास आओ, और मुझे चोदो. देख नहीं रहे हो मैं कब से अपनी चूत खोले चुदासी हुई पड़ी हूँ? आओ, पास आओ और अपने मोटे लंड से मेरी चूत को खूब अच्छी तरह से रगड़ कर चोदो!

मेरी इस बात को सुन कर वो हरकत में आ गया. वो मेरे सामने अपने कपड़े उतारने लगा. उसने पहले अपनी शर्ट को उतारा. फिर उसने अपनी चड्डी भी धीरे से उतार फेंकी. चड्डी उतारते ही उसका लंड मेरी आंखों के सामने आ गया.

उसका लंड इस समय बिल्कुल खड़ा था और चोदने को बेताब होकर झूम रहा था. मैं उसके लंड को बड़ी बड़ी आँखों से घूर रही थी. उसका लंड मेरे पति के लंड से ज्यादा बड़ा और मोटा था.

मैं उसका लंड देख कर घबरा गयी थी लेकिन मेरी चूत उसके लंड को खाने के लिए फड़फड़ा रही थी. मैं अपनी कुर्सी से उठ कर उसके पास जाने लगी, लेकिन मेरे पैर लड़खड़ा गए. मैं गिरने लगी और सुरेशने आकर मुझको अपने बदने से चिपका कर संभाल लिया.

एक झटके में सुरेशका हाथ मेरी चुन्ची पर था. वो मेरी एक चुन्ची को अपने मुंह के अन्दर लेकर चूसने लगा. मैं बहुत शराब पीने के कारण खड़ी नहीं हो पा रही थी. मैं फर्श पर गिर पड़ी.

सुरेशने मुझको फट से पकड़ लिया और हम दोनों कार्पेट पर गिर गए. सुरेशका हाथ मेरी चुन्ची पर था और सुरेशवैसे ही पड़ा रहा. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने धीरे से सुरेशसे कहा- सुरेशमेरी चुन्ची तो दबाओ, खूब जोर से दबाओ, इनको अपने मुंह में लेकर चूसो, इनसे खूब खेलो.

इतना सुनते ही सुरेशमेरे ऊपर टूट पड़ा और मेरी चुंचियों से खिलवाड़ करने लगा. मैंने अपना दाहिनी तरफ का दूध उसके मुंह पर लगा दिया और कहा- आह्ह … लो … इसे अपने मुंह में लेकर खूब जोर से चूसो.

सुरेशमेरे दूध को मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं अपनी कामवासना में पागल हो रही थी. मेरी चूत से पानी निकल रहा था. सुरेशमेरी दोनों चुंचियों को बारी बारी से मसल रहा था और चूस रहा था.

मैं उसकी दूध चुसाई से पागल सी हो गयी और उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर ले गयी. मेरी चूत को छूते ही सुरेशने पहले मेरी चूत के मोटे मोटे उभरे हुए होंठों पर हाथ फिराया और अपनी बीच वाली उंगली को मेरी चूत में घुसा दिया.

मेरा भाई अब मेरी चूत को अपनी उंगली से चोद रहा था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने अपने दोनों हाथों से सुरेशका लंड पकड़ लिया और उसको मसलने लगी.

सुरेशके मुंह से सी … सी … करके सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने भाई का लंड पकड़ कर उसका सुपारा निकाल लिया और उस पर एक चुम्मा जड़ दिया. सुरेशअब जोर जोर से मुझे अपनी उंगली से चोद रहा था.

मैं सुरेशका लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और वो अपने लंड को मेरे मुंह में जोर जोर से ठेलने लगा. थोड़ी देर के बाद मुझको लगा कि सुरेशअब झड़ जायेगा.

सिसकारते हुए मैं बोली- आह्ह सुरेश… चोद … चोद … अपनी दीदी के मुंह को खूब जोर जोर से चोद और अपना माल अपनी दीदी के मुंह में गिरा दे.

थोड़ी देर के बाद सुरेशसिसकारते हुए बोला- आह्ह … दीदी … मैं झड़ रहा हूँ.
उसने अपना सारा माल मेरे मुंह में डाल दिया. मैंने उसके लंड का माल पूरा का पूरा पी लिया.

मैंने धीरे से सुरेशसे पूछा- अपनी दीदी को चोदेगा? तेरे जीजा की बहुत याद आ रही है. मेरी चूत बहुत प्यासी हो रही है.
सुरेशने मेरी दोनों चुंचियों को पकड़ कर कहा- दीदी अपनी चूत पिलाओ न? पहले दीदी की चूत चूसूंगा, फिर जी भर कर चोदूंगा.

सुरेशका लंड मैं अपने हाथों में पकड़ कर खेल रही थी.
मैंने कहा- तेरा लंड तो बहुत विशाल है रे!
उसने पूछा- आपको पसंद आया दीदी?
उसका लंड हाथ से सहलाती हुए मैं बोली- यह तो बहुत प्यारा है. किसी भी लड़की को चोद कर मस्त कर देगा.

फिर मैं चित होकर चूतड़ों के बल लेट गयी और अपनी टांगें फैला कर बोली- ले … अपनी दीदी की चूत को प्यार कर. जी भर कर पी ले इसे. पूरी रात पीता रह अपनी दीदी की चूत.

सुरेशमेरी चूत को जीभ से चाटने लगा. वो मेरी चूत को पूरी अंदर तक चाट रहा था. कभी कभी उसकी जीभ मेरी चूत के मटर-दाने पर भी चाटने लगती थी. कभी वो उसको दांतों में लेकर काट देता था और मैं पागल हो जाती थी.

अपनी चूत चटाई करवाते हुए मैं बिल्कुल पागल हो गयी और बड़बड़ाने लगी- आआ … आह्हह … मेरे राजा भैया, बहुत मजा आ रहा है. चूसो, खूब जोर से चूसो … ओह … ऊ … ओईई … ओह … पी जा इसे।

मैं उसका सिर पकड़ कर उसके मुंह में अपनी चूत को चूतड़ उछाल उछाल कर रगड़ रही थी. मैं उसकी चूत चटाई से बिल्कुल पागल हो गयी और सुरेशके मुंह पर ही झड़ गयी.

सुरेशमेरी चूत से निकला पूरा का पूरा पानी पी गया.
मैं फिर से बड़बड़ाने लगी- ओह सुरेश… अब अपनी दीदी को चोद दे. अब नहीं रुका जा रहा … अपने लंड को मेरे चूत में घुसा दे … पेल दे अपने लंड को मेरी चूत में … प्लीज़ राजा … अब चोदो ना!

अब वो मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के मुंह पर रख कर धक्का लगाने लगा. उसका लंड फिसल रहा था.
मैं हंस पड़ी और बोली- साले अनाड़ी … बहनचोद, चोदना आता नहीं, चला है दीदी को चोदने! बहनचोद कहीं का!

मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुंह पर लगा दिया और कहा- चल अब देर मत कर और अपनी दीदी को चोद चोदकर उसकी चूत की आग को ठंडा कर.

सुरेशके चूतड़ों को पकड़ कर मैंने अपने हाथ से खूब जोर से दबा दिया और अपने चूतड़ उछाल कर सुरेशका लंड अपनी चूत में ले लिया. सुरेशका लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुस गया.

मैं मस्ती में आकर चिल्ला पड़ी- आआ … ह्हह … हाय … सुरेश… मजा आ गया … लंड गया … आह्ह … चोद अब साले … पेल दे मेरी चूत को … आईई … चोद जल्दी कुत्ते। आज सालों बाद इतनी हसीन चुदाई हो रही है इस छिनाल चूत-रानी की. साली को लंड लेने का बहुत शौक था. चोद दो इसको … फाड़ दो.

सुरेशअब एक्शन में आ गया और मेरी चूत में लंड को पेलने लगा. मैं मस्त होने लगी. उसका लंड बहुत मोटा था और वो मेरी चूत को दो फांकों में फाड़ रहा था. सुरेशके लंड से चुदवाते हुए मैं बिल्कुल सातवें असमान पर थी.

मैंने अपनी टांगों को उठा कर सुरेशके चूतड़ों पर लॉक कर दिया और उसके कंधों को पकड़ कर उसके लण्ड के धक्कों को अपनी चूत में खाने लगी।

सुरेशअपने धक्कों के साथ साथ मेरी चुन्ची को भी पी रहा था। मेरा पूरा बदन सुरेशकी चुदाई से जल रहा था और मैं अपने चूतड़ उछाल उछाल कर उसका लण्ड अपनी चूत से खा रही थी।

मैं लण्ड खा कर पूरी तरह से मस्ता गई और बोली- रमेश! आज पूरी रात तू इसी तरह मुझे चोदता जा। तू बहुत अच्छी तरह से चोद रहा है। तेरी चुदाई से मैं और मेरी चूत बहुत खुश हैं। मुझे नहीं मालूम था कि तू इतना अच्छा और मस्ती से चोदता है।

सुरेशबोल रहा था- हाय दीदी! मैं आज पूरी रात तुमको इसी तरह चोदूंगा। तुम्हारी चूत बहुत गर्म है, इसमें बहुत मस्ती भरी हुई है। अब यह चूत मेरी है और इसको खूब चोदूंगा।

मैं मस्ती से पागल हो रही थी और मेरी चूत पानी छोड़ने वाली थी। सुरेशअब जोर जोर से मेरी चूत चोद रहा था। वो अब अपना लण्ड मेरी चूत से पूरा निकाल कर फिर से पूरा का पूरा मेरी चूत में जोरों से पेल रहा था।

भाई के मोटे लंड से चुदते हुए मेरी चूत अब तक दो बार पानी छोड़ चुकी थी। मैं उसके हर धक्के का आनन्द उठा रही थी। हम दोनों अब तक पसीने से नहा गए थे।

सुरेशअब अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे चोद रहा था और मैं सोच रही थी कि काश आज की रात कभी खत्म ना हो। थोड़ी देर बाद सुरेशचिल्लाया- आह्ह … ओह्ह … दीदी … अब मेरा लण्ड पानी छोड़ने वाला है, अब तुम अपनी चूत से मेरे लण्ड को कस कर पकड़ो।

इतना कहने के बाद सुरेशने करीब दस-बारह धक्के और लगाये और वो मेरी चूत के अन्दर झड़ गया और मेरी चुन्चियों पर मुंह रख कर लेट गया।

उसके लण्ड ने बहुत सारा पानी छोड़ा था और अब वो पानी मेरी चूत से बाहर आ रहा था। मैंने सुरेशको कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसका मुंह चूमने लगी. उसको चूमते चूमते और उसके लंड को चूत में महसूस करते करते मेरी चूत ने तीसरी बार पानी छोड़ दिया।

थोड़ी देर बाद हम दोनों उठकर बाथरूम गए और अपनी चूत और लौड़े को साफ किया। सुरेशका लण्ड अभी तक सख्त था। मैं उसका लण्ड हाथ में ले कर सहलाने लगी और फिर उसके सुपाड़े पर चुम्मा दे दिया। फिर हम दोनों नंगे ही बिस्तर पर जाकर लेट गए औए एक दूसरे के लण्ड और चूत से खेलते रहे।

कुछ देर खेलने के बाद सुरेशका लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। उसे देख कर मैं भी मस्ती में आ गई। मैंने उसके लण्ड का सुपारा खोल दिया। उस समय लंड का सुपारा बहुत फूला हुआ था और चमक रहा था। मैंने झुक कर उसको अपने मुंह में ले लिया और मस्ती से चूसना शुरू कर दिया।

चूसने के कुछ देर बाद सुरेशबोला- दीदी … अब मेरा लण्ड छोड़ दो, नहीं तो मेरा पानी निकल जायेगा।

मैं उससे एक बार और चुदाना चाहती थी इसलिए मैंने उसका लण्ड अपने मुंह से निकाल दिया और बोली- अब तेरा लण्ड अच्छी तरह से खड़ा हो गया है और मेरी चूत में घुसने को तैयार है। चल … जल्दी से मेरे ऊपर आ और मेरी प्यासी चूत को अच्छी तरह से चोद दे।

यह सुनते ही सुरेशमेरे ऊपर आ गया और अपना पूरा का पूरा लण्ड मेरी चूत में एक झटके में ही पेल दिया। उसने मेरी चूत को दोबारा खूब अच्छी तरह से चोदा और मैं उसकी चुदाई से निहाल हो गई।

उस रात हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गए। उस दिन के बाद से मैं और सुरेशजब भी घर में अकेले होते हैं तो हम कपड़े नहीं पहनते हैं और नंगे ही रहते हैं. चूसा चुसाई और चोदम चुदाई का खेल चलता है और हम भाई-बहन खूब जम कर चुदाई करते हैं।

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Hindi Sex Stories

चतुर्थ भाग में मैंने लिखा था कि Hindi Sex Stories किस प्रकार मैं सीमा दीदी की ससुराल गया और वहाँ रीना और टीना के साथ मस्ती की !

बाथरूम से आने के बाद मैं तो एक तरह से निढाल हो चुका था पर वो दोनों एक दम चुस्त लगती थी ! हो क्यों ना ? मेहनत तो मुझे ही करनी पड़ी थी !

वो कह रही थी- देख बहनचोद, अब क्या हालत होती है तेरी !

उनके मुँह से गाली सुनकर अजीब सा लगा पर अच्छा भी लग रहा था ! इतनी बिंदास थी दोनों कि गाली पर गालियाँ दिए जा रही थी। अब मेरे से भी नहीं रहा गया, मैंने भी कहा- साली रंडियों, देख तेरा भाई कैसे आराम से सो रहा है और तुम दोनों ने मुझको ही मुर्गा बना रखा है ! साली अपने भाई का भी कुछ ख्याल करो !

टीना ने कहा- उससे तो हम रोज ही चुदते हैं और भाभी आने के बाद भी चुदेंगी पर तू कहाँ फिर मिलेगा !

मैंने कहा- यह कोई समस्या नहीं है, जब भी तुम लोग याद करोगे, मैं हाज़िर हो जाऊंगा !

फिर दोनों ने मिलकर पाउडर लेकर मेरे सारे बदन पर ढेर सारा लगा दिया केवल लंड और मेरे निपल को छोड़ कर !

मैं कुछ समझ नहीं पाया कि वो क्या कर रही हैं ! इस तरह वो दोनों मुझसे लिपट कर लेट गई ! मैं फिर से उत्तेजित होने लगा क्योंकि टीना मेरे चुचूक को चूस रही थी और रीना मेरा लंड चूस रही थी! हम लोगों के बदन पावडर की वजह से इस तरह रगड़ रहे थे कि मालूम ही नहीं होता था कि बदन से बदन रगड़ रहे हैं ! मैं मन ही मन सोच रहा था कि हम लोगों ने इतने दिन बेकार ही किये ! जो मजा आज मिला मानो मुझे स्वर्ग ही मिल गया ! मैंने सोच लिया कि आगे हम लोग भी इसी तरह का लुफ्त उठाएंगे !

इसके बाद हम लोगों ने एक बार जमकर चुदाई की। तब तक तीन बज चुके थे और हम सो गए !

दूसरे दिन जीजू ऑफिस नहीं गए, हम लोग मस्ती कर ही रहे थे कि जीजू ने कहा कि वो अभी आते हैं, और चले गए !

जब वापस आये तो साथ में बीयर की बोतलें और एक बोतल व्हिस्की की थी। जीजू ने कहा कि चलो सब बीयर पीते हुए चुदाई का मजा लेते हैं, रात को व्हिस्की पीकर चुदाई करेंगे!

फिर क्या था- बीयर की बोतल खुल गई और हम सब बीयर पीते हुए आपस में छेड़खानी करते करते एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। सबसे ज्यादा पहल टीना कर रही थी !

जैसे ही कपड़े उतरे, टीना मेरी गोद में और रीना जीजू के गोद में बैठ गई ! दोनों लंड से खेल रही थी हम उनकी चूचियों से !

अचानक टीना को क्या हुआ मेरी गोद से उतर गई, मैंने पूछा- क्या हुआ ? कहने लगी- साले, चुप भी रहेगा कि नहीं ! देख मैं क्या करती हूँ !

कहकर मेरे लंड पर बीयर डालकर चूसने लगी। मैं भी कहाँ कम था, तुंरत उसकी चूचियों पर बीयर डाल कर मजा लेने लगा !

इधर जीजू और रीना क्या कर रहे थे, उसका हमें होश नहीं था !

और हमे करना भी क्या था ! बीयर पीते पीते एक राउंड चुदाई का हुआ ! फिर कुछ देर आराम करके फिर चुसाई-चुदाई में लग गए !

टीना और रीना कह रही थी- संजय, तेरा लौड़ा इतना मस्त है कि जी चाहता है हर समय चूत में घुसाकर ही रखूँ !

मैंने कहा- हम तो आपके गुलाम हैं ! आप जैसा चाहेंगी, वही होगा !

उन्होंने कहा- साले यहीं आकर रह जा और दिन रात हम लोगों की चूत की सेवा कर !

पर यह मुश्किल था, मैंने कहा- दीदी के आ जाने बाद तो आना जाना लगा ही रहेगा तुम लोगों की सेवा करने !

इसके बाद एक जबरदस्त चुदाई का राउंड हुआ और हम सब सो गए ! रात को जीजू ने अपने पापा मम्मी को कहा- आप लोग खाना खाकर सो जाओ, हम देर से खाना खायेंगे !

वो बेचारे क्या समझते, खाना खाकर सो गए ! फिर चालू हुआ हम लोगों का प्रोग्राम ! फिर व्हिस्की की बोतल खुली, एक एक पैग सबने आपस में चुहलबाजी करते हुए पिया। फिर तो थोड़ा सरुर आते ही एक दूजे से भिड़ गए !

फिर व्हिस्की पीते हुए लंड चुसाई और चुदाई चालू हो गई ! टीना ने कुछ जायदा ही पी ली थी इसलिए वह बहुत मस्ती से बढ़-बढ़ कर चुदवा रही थी, साथ ही साथ कह रही थी- ऐसा कोई मर्द नहीं जो टीना को ठंडी कर सके !

मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर कोई उपाय नहीं था !

खैर रात भर चुदाई के बाद सुबह रवाना होने के पहले मैंने टीना को कहा- इस बार जब आऊंगा तो ऐसा चोदूंगा दोनों को कि दोनों जिन्दगी भर याद रखोगी !

उसने कहा- तेरे जैसे बहुत देखे हैं !

जाते जाते दोनों ने मुझे चुम्मियों से भर दिया और एक बार मेरा अमृतरस पीने की इच्छा प्रकट की। भला मैं उन्हें निराश कैसे कर सकता था !

दोनों ने चूस चूस कर मेरा रस मजे ले ले कर पिया और मैं उनकी चूचियाँ दबा कर चल पड़ा।

उन्होंने कहा- संजय, तुम्हारी बहुत याद आएगी !

मैंने कहा- मैं तुम दोनों को कैसे भूल सकता हूँ, जल्द ही आने की कोशिश करूँगा !

इस प्रकार दो दिन मस्ती से गुजार कर घर लौट आया ! घर आकर मैंने सीमा दीदी और विजय भैया को सारी बातें बताई और हम तीनों ने कई दिनों तक उसी तरीके से काफी मजे किये !

आपको कैसी लगी कृपया मुझे मेल करें ! Hindi Sex Stories

(Meri Sexy Maa Ki Chut Chudai) चुदाई की कहानी


ये हिंदी में चुदाई की कहानी उस समय की है.. जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। उस वक्त मेरी उम्र 20 साल की थी जबकि मेरी सौतेली माँ 35 साल की थीं।

मेरी मॉम एक बहुत ही सेक्सी महिला थीं.. उनके जिस्म का एक-एक हिस्सा बिल्कुल तराशा हुआ था और अंग-अंग से मादकता टपकती थी। मैं कई बार उन्हें बाथरूम में सम्पूर्ण नग्नावस्था में देख चुका था। एक बार तो पापा उन्हें पूरा नंगा करके चोद रहे थे, तब भी उनकी मचलती जवानी को देखा था। जिस दिन पापा मॉम को चोद रहे थे, उसी दिन मेरा मन मॉम को चोदने के लिए मचल उठा था।

एक रात पापा शहर से बाहर गए हुए थे, मैं अपने बेडरूम में था। लेकिन मन में उत्तेजना के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी, सो मैंने मॉम की चूचियों को याद करते हुए मुठ मारनी चालू कर दी। कुछ ही देर में मेरी उत्तेजना और अधिक बढ़ गई तो मैंने गोल तकिया को अपनी टांगों में फंसा लिया और उसे ही मॉम समझ कर चोदना शुरू कर दिया।

उसी समय मेरी मॉम ने मेरे बेडरूम का दरवाजा खोला और मेरे कमरे में आ गईं।

दरवाजा खुलने की आवाज़ से मैं घबराकर रुक गया लेकिन मैं तकिए के ऊपर था। फिर मैंने मॉम को देखा तो मैं तकिए के बगल में लेट गया।

मॉम ने पूछा- क्या हुआ.. क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- नींद नहीं आ रही है, कुछ बेचैनी सी है।
फिर मैंने मॉम से पूछा- क्या आपको भी नींद नहीं आ रही है?
वो बोलीं- हाँ मुझे भी नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- आप भी यहीं लेट जाओ न।

फिर वो मेरे पास बैठ गईं।

मैंने फिर कहा- यहीं सो जाओ ना, मेरे पास।
वो सीधी लेट गईं। कुछ देर बाद मैंने पूछा- नींद नहीं आ रही है.. तो कोई कहानी पढ़ लेते हैं।

उन्होंने सर हिला कर हामी भरी तो मैंने पापा की किताब की रेक से एक सेक्सी कहानी की बुक निकाली और कहा- इसको पढ़ते हैं।
मॉम बोलीं- ये कौन सी किताब है?
मैंने कहा- कहानी की किताब है, इसकी कहानी पढ़ने में बहुत मजा आएगा, इसको पढ़ने से बहुत गुदगुदी भी होती है।

फिर मैंने किताब को हम दोनों के बीच में रखकर पढ़ने लगा। ऐसे में मॉम को पढ़ने में जरा दिक्कत हो रही थी तो मैंने कहा- चलो मैं पढ़कर सुनाता हूँ..

मैं उनको सेक्सी कहानी पढ़कर सुनाने लगा। इसमें एक लड़की का दूसरे मर्द के साथ सेक्स का किस्सा था। ये सेक्स स्टोरी बहुत डिटेल में थी।

मॉम बोलीं- ये सब क्या है?
मैंने कहा- अल्मारी में रखी थी।
वो बोलीं- इसमें बड़ों की गन्दी बातें लिखी हैं। तुमको इसे नहीं पढ़ना चाहिए।
मैंने कहा- फिर आपकी और डैड की अल्मारी में क्यों रखी है? एक बार पढ़ते हैं, सुनो ना!

फिर मॉम को भी मज़ा आने लगा। वो भी गरम होने लगीं। मॉम बीच-बीच में अपनी बुर खुजला रही थीं।

मैंने कहा- कहो गुदगुदी हो रही है ना।

मॉम ने स्माइल दे दी।

मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मेरे भी इसमें और सारे बदन में बहुत गुदगुदी हो रही।
फिर मैंने कहा- अब आप पढ़िए।

अब वो पढ़ने लगीं.. वो बहुत गरम हो गई थीं। तभी मॉम ने किताब बंद करके रख दी और बिस्तर पर अपने पैर पसार कर चित्त लेट गईं।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोलीं- बहुत बेचैनी हो रही है, नीचे बदन में कुछ खुजली भी हो रही है।
मैंने पूछा- शायद पावडर बदन पर लगाने से आराम मिल जाएगा।
वो बोलीं- हाँ ठीक है.. तुम पावडर ही लगा दो।

मैं बगल वाले रूम से पावडर लेकर आया।

मैंने देखा कि मॉम पेट के बल लेट गई थीं।

मॉम बोलीं- कमर में लगा दो।

मैंने देखा उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन खोले हुए थे और ब्रा भी खोल दी थी।

मैं पावडर कमर पर लगाते हुए ब्लाउज के अन्दर हाथ डालकर मलने लगा। उनका कोई विरोध नहीं हुआ तो फिर मैं आहिस्ता-आहिस्ता पूरी कमर पर पावडर मलते हुए सीधे ही उनके मम्मों को मसलने लगा। मॉम को मम्मे मिंजवाने में मजा आ रहा था। वे मजा लेने लगीं तो मैंने सीधे ही उनके मम्मों पर पावडर लगाया और मम्मों को मसलने लगा।

अब उनको मजा आ रहा था।
फिर मैंने कहा- मॉम जरा आपकी गर्दन के पास भी पाउडर लगा देता हूँ।
वो घूमीं तो ब्लाउज के बटन खुले हुए थे और बूबस- पूरे नंगे दिखने लगे थे।
मॉम के बड़े-बड़े चूचे बहुत सेक्सी लग रहे थे।

मैंने उनकी गर्दन पर पावडर लगाने लगा। अब तो मैं सामने से मॉम के मम्मों को मसल रहा था और वो कुछ नहीं बोल रही थीं।

फिर मैंने मम्मे मसलते हुए हाथ नीचे पेट पर फिराया और नाभि को मसला। मॉम की आह निकली तो मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ अन्दर डालकर जांघ पर फेरते हुए उनकी बुर पर भी पावडर लगाने लगा।

वो कामुक आवाज में बोलीं- उह.. ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- ठीक से लगा देता हूँ.. फिर नींद भी ठीक से आ जाएगी।

मॉम कुछ नहीं बोलीं तो मैं अपने हाथ को उनके गोल-गोल चूतड़ों पर फेरने लगा। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।

मैंने पूछा- मॉम क्या मज़ा आ रहा है.. आराम मिल रहा है?
अब मैं मॉम के चूतड़ों पर हाथ फेरते-फेरते उनके ऊपर चढ़ गया और बोला- इससे आपका बदन भी दब जाएगा।

मॉम भी मेरे मजे लेने लगीं।

मैंने कमर के नीचे से मॉम के चूचे पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगा।
अब तो मॉम पूरी तरह से चुदास से तड़फ रही थीं।

मैंने कहा- किताब वाला सीन करते हैं।
मेरे बदन में जोर-जोर से गुदगुदी हो रही है।

फिर अचानक से मॉम को कुछ याद आया और वे बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- दरवाजा बंद है, किसी को पता नहीं चलेगा, मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, तुम्हारी कसम मॉम आपको मज़ा भी आ जाएगा, प्लीज़ मना मत करो।

मॉम ने कुछ नहीं कहा।

मैंने फिर से उनसे कहा- कहानी की तरह मज़ा करते हैं मॉम।

मैंने अपना पजामा खोल दिया और उनकी जाँघों पर बैठ गया।

अब मॉम ने मेरा लंड पकड़ कर लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मुझसे वादा करो कि तुम किसी से कभी भी नहीं कहोगे।
मैंने कहा- वादा।

और फिर क्या था.. उन्होंने अपने सारे कपड़े बदन से अलग कर दिए।

मैंने कहा- आप जैसे बोलेंगी.. मैं वैसे ही करूँगा।
उन्होंने कहा- हाँ जैसा कहानी में पढ़ा था.. वैसे ही करते रहो। मैंने उनके एक चुचे को चूसना शुरू किया.. दूसरे चूचे को दबा भी रहा था।

फिर वो भी मेरे लंड पर हाथ फेरने लगीं। मैंने भी एक हाथ की उंगली से मॉम की बुर को दबाने लगा और उंगली चुत के अन्दर कर दी।

फिर वो मुँह से ‘शह्ह.. उह्हह..’ आवाज निकालने लगीं।

मैंने उनसे किताब के सीन की तरह उनसे डॉगी स्टाइल में बैठने को कहा। जैसे ही मेरी मॉम कुतिया के जैसे बनीं मैंने अपने लंड को पीछे से उनकी बुर के छेद के पास ले जाकर सुपारे को फेरने लगा। साथ ही मैं दोनों हाथों से मम्मों भी दबा रहा था। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।

अचानक ही लंड फिसला और झटके के साथ बुर में घुस गया, क्योंकि उनकी बुर का छेद चुदवाते चुदवाते कुछ तो बड़ा हो गया था।

उनके मुँह से भी और मेरे मुँह से भी जोर की ‘शह्हह.. आह..’ की आवाज निकलने लगी।

मैंने अब धक्का लगाना शुरू किया, धीरे-धीरे धक्के की स्पीड भी बढ़ा रहा था। सच में क्या मस्त मज़ा आ रहा था।
मॉम भी बोलीं- और जोर से चोद.. और जोर से पेल.. आह मजा आ रहा है।
मैंने मॉम के मम्मों को जोर से दबाकर निप्पलों को खींचा और धक्के लगाने लगा।

‘अह.. उह.. ओह.. सुपरब.. श्शश.. और और जोर से.. क्या बात है और झटका दूँ मॉम?’
‘हाँ पेलता रह..’

मैंने अपना लंड बाहर निकाला और वो बेड पर सीधी लेट गईं।

मैंने धीरे-धीरे उनके कामुक बदन पर हाथ फेरा, फिर बुर में उंगली घुसेड़ कर भीतर के पॉइंट को सहलाने लगा।

ये उनका जी-स्पॉटस था, वो बहुत जोर से हिल गईं और उनकी जोर से ‘आअ.. आअ.. श्शश.. उह..’ की आवाज निकल गई।

मैंने अब लंड को उनके मम्मों पर फिराना शुरू किया और ऊपर से नीचे की तरफ़ लंड लाने लगा। फिर उन्होंने मेरा मुँह अपने मुँह के पास खींचकर जोर से किस किया। मैं भी जोर-जोर से किस करने लगा और अपनी जीभ भी उनके मुँह पर फेरने लगा। उनकी जीभ को चूसने में मज़ा आ रहा था। वो साथ-साथ मेरे लंड को एक हाथ से जोर-जोर से सहला रही थीं।

मैं भी बोला- बहुत मज़ा दे रही हो।

फिर उन्होंने मेरे को जोर से अपनी तरफ़ खींचकर बांहों में जकड़ लिया। मैंने भी उनको भींच लिया, उनके चूचे मेरी छाती से चिपक कर दब रहे थे।

आह क्या रगड़ सुख मिल रहा था।

फिर उन्होंने अपनी जांघें फैलाईं और कहा- अब जल्दी-जल्दी जोर से यहाँ लंड ले आओ।

मैंने लंड को उनकी बुर में घुसेड़कर धीरे-धीरे हिलने लगा।

फिर वो बोलीं- आअह ऐसे नहीं चलेगा.. जोर-जोर से झटके लगाओ।

मैंने जोर से चोदना शुरू कर दिया।

क्या मस्त चुदाई का आनन्द आ रहा था। मॉम भी चुदाई का मजा ले रही थीं- शह.. शह आ.. क्या बात है आह.. आ.. शह.. अह्हह.. ओह्हह.. और जोर जोर से धक्के लगाओ.. बहुत मज़ा आ रहा है।

मैं भी पूरी ताकत से लंड को भीतर तक ठोकने लगा। चुदाई पूरी स्पीड पर थी और अब मैं झड़ने लगा था। मेरा रस झड़ने लगा और मैं ढीला होकर उनके नंगे बदन से जोर से लिपट गया। मॉम के गुदगुदे बदन पर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।

फिर वो बोलीं- चलो हटो.. बहुत देर हो गई है.. अब सोते हैं।
वो अपने कपड़े पहनने लगीं। फिर बोलीं- ये राज ही रखना, किसी से कभी मत कहना।

मैंने हाँ कहते हुए उनके मम्मों को दबाकर किस कर लिया और बुर को दबाते हुए कहा- फिर कभी गुदगुदी होगी तो..?
वो हंसने लगीं.. मैं भी समझ गया।
मॉम बोलीं- बदमाश हो गए हो, चलो अब सो जाओ।

वो अपने कमरे में सोने चली गईं।

मैं अपनी मॉम के साथ चुदाई की इस कहानी को कभी नहीं लिखना चाहता था.. पर अब मुझे अच्छा लग रहा है।

इस चुदाई की कहानी पर आपके कमेंट्स का इन्तजार है।

प्रेषक – राम कुमार Antarvasna stories

राम कुमार (ग्वालियर से) का Antarvasna stories अन्तर्वासना के सभी पाठकों को खड़े लण्ड का सलाम। मैं अपना एक सच्चा अनुभव लेकर हाज़िर हूँ जिस को पढ़कर आँटियाँ, चाचियाँ, मामियाँ, भाभियाँ और लण्ड की प्यासी लड़कियों की चूत गीली हो जाएगी और लंड के लिए तड़प उठेंगीं। और जिन लड़कों के पास चूत की व्यवस्था होगी, वो चूत चोदने लगेंगे और जिनके पास नहीं होगी, वो मूठ मारने लगेंगे।

यह बात मई की है। मेरी मामी जो लगभग ३२ साल की है और दो बच्चों की माँ है, रंग गोरा, शरीर भरा हुआ, न एकदम दुबला न एक दम मोटा-ताज़ा। मतलब बिल्कुल गज़ब की। पर चूचियाँ तो दो-दो किलो के और गाँड कुछ ज़्यादा ही बाहर निकले हैं। मेरे ख़्याल से उसकी फिगर ३८-३२-३९ होगी।

मैं उस मामी को चोदने के चक्कर में दो सालों से लगा था, और उसके नाम से मूठ मारा करता था। मेरे मामा (४०), जो ग्वालियर में ही रहते थे, रेडीमेड कपड़ों के धंधे में थे और अपना माल दिल्ली ख़ुद ही जाकर लेकर आते थे।

एक दिन जब मैं अपने घर पहुँचा तो मामा वहाँ थे, और मम्मी से बातें कर रहे थे। मैंने मामा से पूछा – “अब नये कपड़े कब आ रहे हैं?”

“बस आज ही लाने जा रहा हूँ। पर इस बार माल दिल्ली से नहीं, मुम्बई से लेकर आना है। वहाँ एक नामी कम्पनी से मेरी बात तय हो गई है। मुझे वहाँ से आने में चार-पाँच दिन तो लग ही जाएँगे। तब तक मैं चाहता हूँ कि तुम दिन में एक बार ज़रा दुकान जाकर काम देख लेना और रात में मेरे घर चले जाना।”

“तू कुसुम और बच्चों को यहीं क्यों नहीं छोड़ देता?” मेरी मम्मी ने पूछा।

“मैंने कुसुम से कहा था कि बच्चों के साथ दीदी के यहाँ रह लेना, पर वह कह रही थी कि चार-पाँच दिनों के लिए आप लोगों को क्यों परेशान करना, बस राम को बोल देना, वो तुम्हारे आने तक हमारे यहाँ ही आ जाए और दुकान को भी काम देख ले। नौकरों के भरोसे दुकान छोड़ना ठीक नहीं। तुझे कोई दिक्क़त तो नहीं?” – मामा बोले।

“अभी तो मैं पूरा खाली ही हूँ। परीक्षाएँ भी खत्म हो चुकी हैं। चलिए एक अनुभव के लिए आपकी दुकान को भी सँभाल लेते हैं (और मामी को भी)।”

“आज ८ बजे मेरी ट्रेन है, तू सात बजे घर आ जाना और मुझे स्टेशन छोड़ कर वापिस मेरे घर ही चले जाना।”

“ठीक है मैं ६:३० बजे आ जाऊँगा।”

६:३० बजे मैं मामा के घर पहुँच गया, मामा सफ़र की तैयारी कर रहे थे और मामी पैकिंग में मामा की मदद कर रही थी। पैकिंग के बाद मामी ने मामा को खाना दिया और मुझे भी खाने के लिए पूछा।

“मामा को छोड़कर आता हूँ, फिर खा लूँगा।” मैंने कहा।

७:३० बजे मामा और मैं स्टेशन पहुँच गए। मामा की ट्रेन सही समय पर आ गई, मामा का आरक्षण था, मामा अपनी सीट पर जाकर बैठ गए और पाँच मिनट के बाद ट्रेन मुम्बई के लिए चल पड़ी। चलते-चलते मामा बोले,”मामी और बच्चों का ख्याल रखना।”

“आप यहाँ की फिक्र ना करें, मैं मामी और बच्चों का पूरा ख्याल रखूँगा।”

मैंने स्टैण्ड से अपनी बाईक ली और ८:३० तक घर आ गया। मैंने दरवाज़े की कॉलबेल बजाई तो मामी ने दरवाज़ा खोला और बोली,”हाथ-मुँह धो लो, अब हम खाना खा लेते हैं।”

“आपने अभी तक काना नहीं खाया?” मैंने पूछा।

“बस तुम्हारा ही इन्तज़ार कर रही थी। बिट्टू और सोनू तो खाना खाकर सो गए हैं। तुम भी खाना खा लो।”

मैं और मामी डिनर की टेबल पर एक-दूसरे के आमने-सामने बैठ कर खाना खा रहे थे। जब मामी निवाला खाने के लिए थोड़ा झुकती उनकी चूचियों की गहराईयों के दर्शन होने लगते और मेरा लंड विचलित होने लगता। पर स्वयं को सँभाल कर मैंने खाना खतम किया और टीवी चालू कर लिया। उस समय आई पी एल मैच चल रहे थे, मैं मैच देखने लगा।

कुछ देर बाद मामी बर्तन साफ करने लगी और वह भी मैच देखने लगी। जल्दी ही उसे नींद आने लगी।
“मैं तो सोने जा रही हूँ, तुम भी हमारे कमरे में ही सो जाना, तुम डबल बेड में बच्चों के एक तरफ ही सो जाना” मामी बोली।

“ठीक है, बस एक घन्टे में मैच खत्म होने वाला है। आप सो जाओ, मैं मैच देखकर आता हूँ।”

मामी चली गई और मैं मैच देखने लगा।

कुछ देर बाद बाद ब्रेक हुआ और मैं चैनल बदलने लगा, और एक लोकल चैनल पर रुक गया। डिश वाले एक ब्लू-फिल्म प्रसारित कर रहे थे। अब काहे का मैच, मैं तो उसी चैनल पर रुक गया और वो ब्लू-फिल्म देखने लगा और मेरा लंड हिचकोले मारने लगा।

मेरा साढ़े पाँच इंच का लंड लोहे की तरह सख्त होकर तन गया, मैं अपनी पैंट के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा। मेरा लंड चूत के लिए फड़फड़ाने लगा और मेरी आँखों के सामने मामी का नंगा बदन घूमने लगा और मैं मामी के नाम से मूठ मारने लगा। मैं मन ही मन मामी को चोद रहा था, कुछ देर बाद लंड ने एक पिचकारी छोड़ दी। मेरा वीर्य लगभग पाँच फीट दूर छिटका, और यह बस मामी के नाम का कमाल था।

अब मेरा दिमाग मामी को हर हाल में चोदने के बारे में सोचने लगा, तब तक फिल्म भी खत्म हो गई थी। मैंने टीवी बन्द किया और बेडरूम की ओर चल दिया। जैसे ही मैंने कमरे की बत्ती जलाई, मेरी आँखें फटी रह गईं। बिल्लू और सोनू, दोनों दीवार की ओर सो रहे थे, और मामी बीच बिस्तर में। उनकी साड़ी घुटनों के ऊपर तक उठ गई थी और उनकी गोरी-गोरी जाँघें दिख रहीं थीं। उनका पल्लू बिखरा हुआ था, ब्लाउज़ के ऊपर के दो हुक खुले थे और काली ब्रा साफ-साफ दिख रही थी। मामी एकदम बेसुध सो रहीं थीं।

मैंने तुरन्त लाईट बन्द की और अपने लंड को सहलाते हुए सोचा,’क़िस्मत ने साथ दिया तो समझ हो गया तुम्हारा जुगाड़ !’

मैं जाकर मामी के पास लेट गया, मामी एकदम गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ मामी के गले पर रख दिया और हाथ को नीचे खिसकाने लगा। अब मेरा हाथ ब्लाउज़ के हुक तक पहुँच गया। मैं आहिस्ते-आहिस्ते हुक खोलने लगा। तभी मामी बच्चों की ओर पलट गई, इससे मुझे हुक खोलने में और भी आसानी हो गई और मैंने सारे हुक खोल दिए। ब्रा के ऊपर से ही मामी की चूचियों को सहलाने लगा।

मामी के स्तन एकदम मुलायम थे। पर ब्रा ने उन्हें ज़ोरों से दबा रखा था, इस कारण ऊपर पकड़ नहीं बन रही थी। मैं अपना हाथ मामी की ब्लाउज़ के पीछे ले गया और ब्रा के हुक को भी खोल दिया। अब दोनों स्तन एकदम स्वतंत्र थे। मैं उन आज़ाद हो चुके बड़े-बड़े स्तनों को हल्के-हल्के सहलाने लगा, फिर मैं एक हाथ उनकी जाँघ पर ले गया और ऊपर की ओर ले जाने लगा पर एक डर सा भी लग रहा था कि कहीं मामी जाग ना जाए। पर जिसके लंड में आग लगी हो वो हर रिस्क के लिए तैयार रहता है और लंड की आग को सिर्फ चूत का पानी ही बुझा सकता है।

हिम्मत करके मैं अपने हाथ को ऊपर ले जाने लगा। जैसे-जैसे मेरा हाथ चूत के पास जा रहा था, मेरा लंड और तेज़ हिचकोले मार रहा था।

अब मेरा हाथ मामी की पैन्टी तक जा पहुँचा था। पैन्टी के ऊपर से ही मैंने हाथ चूत के ऊपर रख दिया। चूत बहुत गीली थी और भट्टी की तरह तप रही थी। मैंने साड़ी को ऊपर कर दिया और पैन्टी को नीचे खिसकाने लगा। थोड़ी मेहनत के बाद मैं पैन्टी को टाँगों से अलग करने में कामयाब रहा।

अब मैं हाथ को चूत के ऊपर ले गया और चूत को प्यार से सहलाने लगा। मामी अभी तक शायद गहरी नींद में थी। मैंने एक हाथ मामी की कमर पर रखा और उन्हें सीधा करने लगा।

मामी एक ही झटके से सीधी हो गई। मैं अपनी टाँग को मामी की टाँगों के बीच ले गया और मामी की टाँगों को फैला दिया। अब मैं नीचे खिसकने लगा और मैं जैसे ही चूत चाटने के लिए मुँह चूत के पास ले गया, मामी ने हाथ से चूत को ढँक लिया।

मेरी तो गाँड फट गई, रॉड की तरह तना हुआ लौड़ा एकदम मुरझा गया, दिल धाड़-धाड़ धड़कने लगला।

तभी मामी उठी और फुसफुसाकर बोली,”ये सब यहाँ नहीं। बिट्टू और सोनू जाग सकते हैं। अब तक तो मैंने किसी तरह अपनी सिसकियाँ रोक रखीं थीं पर अब नहीं रोक सकूँगी। हम ड्राईंगरूम में चलते हैं।”

इतना सुनते ही मेरा लंड फिर से क़ुतुबमीनार बन गया। मामी जैसे ही बिस्तर पर से उठी, मैंने मामी को अपनी बाँहों में भर लिया और उनके होंठों को चूमने लगा। वह भी मेरे होंठों पर टूट पड़ी। हम एक-दूसरे के होंठों को पागलों की तरह निचोड़ने लगे।

मैं उनके होंठों को चूमते हुए अपने दोनों हाथ उनकी गांड तक ले गया और उन्हें उठा लिया। मामी ने अपने पैर मेरी कमर के गिर्द लपेट दिए। मैं उन्हें चूमते हुए ड्राईंगरूम तक ले आया और मामी को लेकर सोफे पर बैठ गया।

मामी मेरी गोद में थी, ब्लाउज़ और ब्रा अभी भी मामी के कंधों से लटक रहे थे। पहले मैंने ब्लाउज़ को निकाल फेंका, फिर ब्रा और एक चूची को हाथ से मसलने लगा और साथ ही दूसरी चूची को चाटने लगा।

अब साड़ी की बारी थी, मैंने साड़ी भी निकाल फेंकी, अब पेटीकोट बेचारे का भी शरीर पर क्या काम था। अब मामी एकदम नंगी हो चुकी थी। लाल नाईट-बल्ब की रोशनी में मामी का नंगा बदन पूर्णिमा में ताज़ की तरह चमक रहा था और इस वक्त मैं इस ताजमहल का मालिक था।

अब मामी मेरे कपड़े उतारने लगी। मेरे सारे कपड़े उन्होंने उतार दिए और मैं सिर्फ अपनी फ्रेंची अण्डरवियर में रह गया पर वह भी अधिक देर न रह सका। उन्होंने वह भी एक ही झटके में उतार फेंकी और फिर मामी ने मेरे साढ़े पाँच इंच लम्बे विकराल लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

कभी मामी लंड पर, तो कभी अंडकोष से सुपाड़े तक जीभ फिराती, कभी लंड को हल्के से काटती, सुपाड़े पर थूकती और फिर उसे चाट जाती। मेरा तो बुरा हाल कर दिया और मेरे लंड ने मामी के मुँह पर अपनी पिचकारी मार दी। उनका पूरा चेहरा मेरे वीर्य से सन गया था। मैंने अपने दोनों हाथों से सारा वीर्य उनके चेहरे पर मल दिया।

“दूसरी बार में भी इतना माल? तेरा लंड है या वीर्य का टैंक?” – मामी ने कहा।

मैं यह सुनकर हैरान हो गया, मेरी हैरानी जानकर उन्होंने बताया – “जब तू ब्लू-फिल्म देख रहा था और मेरे नाम से मूठ मार रहा था तब मैं पानी पीने के लिए रसोईघर में आई थी और तेरे लंड की धार को देख कर मेरी कामवासना की प्यास जाग गई और मैं बेडरूम में अपने कपड़ों को जान-बूझ कर अस्त-व्यस्त कर लेट गई थी। वहाँ आने के बाद अगर तू ऐसी हरकतें नहीं करता तो आज मैं ही तेरा जबरन चोदन कर देती।”

“तरबूज़ तलवार पर गिरे या तलवार तरबूज़ पर, कटना तरबूज़ को ही है। अब तो आज रात सचमुच में जोरदार चोदन होगा। आज रात अगर आपसे रहम की भीख न मँगवाई तो मेरा भी नाम राम नहीं।” मैंने कहा।

“चल देखते हैं, कौन रहम की भीख माँगता है !” मामी ने भी ताना सा मारा।

मामी के ऐसा कहते ही मैंने मामी को ज़मीन पर लिटा दिया और उनकी चूत पर टूट पड़ा, अपनी जीभ को चूत में जितना हो सकता था अन्दर डाल दिया और जीभ हिलाने लगा। चूत के गुलाबी दाने को जैसे ही मैं हल्के-हल्के काटता-चूसता, वह तड़प उठती और आआहहहहहह आआहह्ह्हहहह करने लगती।

उसने टाँगों से मेरे सिर को जकड़ लिया और टाँगों से ही सिर को चूत में दबाने लगी और बालों में हाथ फेरने लगी। मैं चूत-अमृत पीते हुए दोनों स्तनों को मसल रहा था… तभी अचानक मामी का शरीर अकड़ने लगा उनकी चूत ज़ोरदार तरीके से झड़ने लगी।

मैंने चूत को चाटकर साफ कर दिया और जैसे ही मैं मामी के ऊपर आने को हुआ, मामी ने मुझे रोका और गेस्ट-रूम की ओर इशारा किया। मैं समझ गया कि वह उस कमरे में चलने को कह रही है। मैंने उन्हें गोद में लिया और चूमते हुए उस कमरे में ले आया। लाईट जलाई तो देखा, वहाँ एक सिंगल बेड था। मैंने पंखा चालू किया और उन्हें बिस्तर पर पटक दिया और उनके ऊपर आ गया। मैंने उनके होंठों को चूमते हुए अपनी टाँगों से उनकी टाँगे चौड़ी कीं।

अब मेरा लंड मामी की चूत के ऊपर था। मैंने अपने हाथों को सीधा किया और धक्के मारने की मुद्रा में आ गया। अब मैं अपनी कमर को नीचे करता और लंड को चूत से स्पर्श करते ही ऊपर कर लेता। कुछ देर ऐसा करने के बाद मामी बोली,”अब मत तड़पाओ, मेरी चूत में आग लग रही है, इसमें अपना लंड अब डाल दो और मेरी चूत की आग को शान्त करो, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ।

इस बार मैंने लण्ड चूत पर रखा और धीरे-धीरे नीचे होने लगा और लण्ड चूत की गहराईयों में समाने लगा। चूत बिल्कुल गीली थी, एक ही बार में लण्ड जड़ तक चूत में समा गया और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। अब मेरे झटके शुरु हो गए और मामी की सिसकियाँ भी… मामी आआआहहहहह अअआआआआहहहह करने लगी। कमरा उनकी सिसकियों से गूँज रहा था।

जब मेरा लण्ड उनकी चूत में जाता तो फच्च-फच्च और फक्क-फक्क की आवाज़ होती। मेरा लण्ड पूरा निकलता और एक ही झटके मे चूत में पूरा समा जाता। मामी भी गाँड हिला-हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी, अब तो खाट भी चरमराने लगी थी। पर मेरी गति बढ़ती जा रही थी। हम दोनों पसीने से नहा रहे थे। पंखे के चलने का कोई भी प्रभाव नहीं था।

दोनों के चेहरे एकदम लाल हो रहे थे पर हम रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। झटके अनवरत जारी थे। कभी मैं मामी के ऊपर तो कभी मामी मेरे ऊपर आ जाती। दोनों ही चुदाई का भरपूर मज़ा ले रहे थे। पूरे कमरे में बस कामदेव का राज था। हम दोनों एक-दूसरे की आग को बुझा रहे थे। तभी हमारे शरीर अकड़ने लगे।

दोनों झड़ने वाले थे। मैं लण्ड को बाहर निकालने वाला ही था कि मामी ने रोक दिया और बोली – “अपना सारा माल चूत के अन्दर ही छोड़ दो।”

मैंने भी झटके चालू रखे। हम दोनों ने एक-दूसरे को भींच लिया। मामी ने टाँगों और हाथों को मेरे शरीर पर लपेट दिया। मैंने मामी के कंधों को कसकर पकड़ लिया और एक ज़ोरदार झटका मारा। मैं और मामी एक ही साथ झड़े थे। मामी की चूत मेरे वीर्य से भर गई।

वीर्य चूत से बह रहा था। मेरा मुँह अपने-आप चूत पर पहुँच गया और मैं मामी की चूत को चाट-चाट कर साफ करने लगा।

मामी ने भी मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ कर दिया और हम दोनों एक-दूसरे के बगल में लेट गए, पर मामी का हाथ मेरे लंड पर था और मैं मामी के बालों को सहला रहा था।

मामा के आने तक मैं और मामी पति-पत्नी की तरह रहे। मैं सुबह को दुकान का एक चक्कर लगा आता। दिन में हम नींद ले लेते और रात को…

मामा के आने के बाद भी जब भी मौक़ा मिलता, मैं उसको छोड़ता नहीं।

अन्तर्वासना के पाठकों, आपको मेरी यह दास्तान कैसी लगी, मेल कर बताएँ। Antarvasna stories

Hello dosto ye meri pahele kahanj hai, mai site ma purana reader hua ye kahani bahot chapati aur 100%real hai.. sirf naam aur jagha badli hai. Meri family me hum 3log the shadi ke pahele papa jo ki sharabi hai mummy umr 46 Mujhe Bachpan se he porns me aur sex me bahot Ruchi rahi hai mere bahot se kisse aur kahani hai dheere dheere sab batauga agar apko ye pasand aayi to... Kahani ki shuwat to Saalo paheli he ho gyi mai Bata Du ki papa ki jua aur Sharab ki latt me hum raaste pr aa gye the hum Mere bachpan se he rent se rabete hai.. papa har roz sharab pee kr aate ghr aur mummy se ladai krte ek din papa aaye aur ladai shuru kr di humare chaul me humare alawa 2 aur ghar the jo kiraye pr the jisme ladke rahete the students job wale.. to papa mummy ko Gali dene the madarchod tu nikal ja saali Randi aur aur hathapayi krte hue bahar aa gaye raat ke 11 baj rahe hai Suresh aur Nikhil bhaiyya humesha ki tarah bahar aa gaye aur samjhane lage yaha unke samjhane tak papa ne mummy ke suit ko khincha aur wo fatt gaya mummy ke pass dupatta hone ke karan kch dikha nh unhone cover kr Lia lekin agle he pal papa: Sali Randi tujhe bahot shuak hai na meri beizzati krwane ka wo mummy ko Maine lage us bech unka dupatta bhi kahi gir gaya us din maine 1st time kisi aurat ke boobs dekhe unka suit aur zyada fatness ke karan white kurti ke andar wali black bra dikhne lagi Mere sath sath wo 2no bhi dekh rahe the aur the wo bhi aadmi he unhe bh ab maza aa raha tha.. tu mujhe kch hone lage jaise taise waqt beeta aur mai shuru ho gya kabhi Maa ki salwar ko phad deta to kabhi imagine kr ke hila leta bs aise krte krte mai jawan ho gya aur fir meri shadi.. To mai aryan ab mai ek husband bann gya hu (Wife): sania 27 age size 34 30 34 dikhne rang white as pure milk boobs bilkul mulayam Lambe baal, chutthad juicy aur jaise din pr din bade ho rhe hai.. Maine soch kr he rkha tha ki apni ke sath bahot enjoy krna hai pahele normal sex hua wo bed pr normal he thi kyu ki ek gaav se belong krti thi dheere dheere Maine mehnat shuru kr di 3month baad apni wife se ek raat kahene laga ki kch Maze daar krte hai kch naya us se uske x ke baare me pucha ek uski choot ke honto ko sahelate hue use kaha ki imagine kro wo tumhari chudai kr rha hai usne Mera hath hata kr gusse se so gyi fir har raat mai use ye sb kaheta hum sex me ek 2sre ko Galiya dete wo kamm deti thi bt dheere dheere Maine use convince kr he Lia ki swap ya fir 3sm mujhe cuckolding krni thi fir usne ek shart rakhi ki jo bh krege gaav se bahar fir humne kisi metro city shift hone ke Lie socha jaha meri wife sania ki job bhi lag Jaye aur freedom bhi fir Hume delhi ka offer aya aur ab yaha se kahani start: Sania ek gaav ki ladki hai jo salwar kameez pahe fir hai normal bra and panty. Conflict: Apne past se guilt, husband ke naye desires se dilemma. Seedha kahani pr aata hu lo hum shift ho rhe hain delhi humari train hai sham ki he humne 2tire ac ticket krwaya hai.. sania ko Maine ek raat pahele he deal yaad krwa di thi ki tum ab shuru ho jana train se he mai kaafi excited hu ki ab wo kya kregi usne mujh se promise Kiya hain ab wo uska Naya Roop dikhayegi wo thodi naraz bh hai gussa bhi kyu ki mai har roz chudai k waqt use kaheta hu ki kisi aur ko imagine kr kisi soch ki Hume koi dekh rha hai.. Bt usne kabhi bhav nh diya wo sirf mujhe ha me ha kr k baad me normal ho Jaya krti thi pr Maine 2sal me use convince kr he Lia. 7, Sham ke 6:30 baje Nagpur station platform no 7 pr humari delhi ki aa he rahi thi.. Train platform par ek ajeeb si garmi thi — na sirf hawaon mein, balki mere andar bhi. Hum dono — main aur Sania — 2-Tier AC coach ke gate ke paas khade the. Uske haathon mein ek simple sa sky-blue ka duppatta tha, jo baar-baar uske shoulders se fisal jaata, aur wo thoda gussa hokar usse sambhalti. Main uske chehre pe wohi purani sharam aur bechaini dekh raha tha — lekin is baar kuch aur bhi tha. Ek halki si bijli, ek aankhon mein chhupi hui himmat. Shayad us waade ka asar tha, jo usne kal raat diya tha. “Train se hi shuru kar do, ya phir pehle Delhi pahuchne do?” Maine uske kaan ke paas jhuk kar fusalane wale lehje mein kaha. Usne aankhon se mujhe dekha — thoda gussa, thoda sharmaahat, thoda darr. > “Tumhe to sab mazaak lagta hai…” usne dheere se kaha, “…lekin maine promise kiya hai. Par yaad rakhna, main rules banaungi.” Uska yeh dialogue mere liye chingari tha. Main chahta tha uska naya roop — wo Sania jo apni saari sharm chhod kar meri fantasy ka hissa ban jaye. Aur yeh safar, 18 ghante ka Delhi ka safar, us roop ka pehla stage banne wala tha. Coach mein chadhte hi maine dekha — humare cubicle mein sirf ek aur couple tha, 50s ke honge. Typical conservative types. Perfect. Main Sania ki aankhon mein aankhon daal kar bola, > “Yeh best time hai, unko shock dene ka. Ya sirf mujhe jalane ka…” Usne sirf ek chhoti si smirk di — aur apne bag se pani nikaalte waqt thoda jhuk gayi, jaise normal ho. Lekin us jhukhne mein wo duppatta bilkul fisal gaya. Uske tight salwar kameez ke neeche se wo curves jaise intentionally dikh rahe the. Mujhe samajh aa gaya — khel shuru ho gaya hai. Main jal raha tha. Uska sab kuch mera tha, lekin ab wo sab kuch duniya ko dikhane ka drama hone ja raha tha — mere samne. Train Nagpur se nikal chuki thi. Raat ke 10 baj rahe the. AC coach mein lights dim ho chuki thi, sirf ek halki si yellow light cubicle ke corner mein jal rahi thi. Bahar andhera tha, lekin andar… us andhere mein kuch aur hi roshni thi. Sania ne apna dupatta sirf ek taraf rakha tha — dusre shoulder se bilkul fisla hua, jaise usne jaan kar nahi sambhala. Uski white cotton kameez thodi fit thi — aur main dekh sakta tha, wo andar se bra nahi pehni thi. > “Thand lag rahi hai?” Maine jhuk kar uske kaan mein pucha, halki si muskurahat ke saath. Usne aankhon se mujhe dekha — us nazar mein innocence thi, lekin uske neeche ek chhupa hua challenge bhi. > “Lagni to chahiye tumhe… mujhe to aadat hai.” Uska tone soft tha, lekin usmein teasing thi. Tabhi ek attendant aaya blanket dene. Sania ne usse seedha aankhon mein dekha, aur bina zarurat ke apni kamar thodi si adjust ki — jaise us moment mein wo apne aapko thoda “show” kar rahi ho. Mujhe wo jalane lagi thi — uska har move ab deliberate lag raha tha. Pehli baar mujhe laga ke Sania sirf meri patni nahi rahi… wo ab meri fantasy banne ja rahi hai. Hum dono lower berth par the. Usne blanket liya aur mujhe andar baithne ko kaha, aur khud bahar side par baithi. Uski kamar mere face ke paas thi, aur jaise hi wo thoda lean hui window ke bahar dekhne ke liye — wo thoda aur uthi. Uska white cotton, tight fitting kameez light mein thoda translucent lag raha tha. Main sirf dekhta raha — jalta hua, chahta hua. > “Tum jal rahe ho na?” Usne bina mujhe dekhe kaha. > “Haan. Aur tum maze le rahi ho…” Maine uska haath pakad kar kaha, dheere se kheench kar apne paas bithaya. Usne ek second ke liye aankh band ki, fir bola: > “Bas shuruat hai... Nagpur abhi door gaya hai.” Mera Lund Mano phat jayega mujhe maza to aa raha tha lekin Jalan bh ho rhi thi.. Train ka engine rhythmic awaz kar raha tha — dhak-dhak-dhak — jaise har beat pe meri heartbeat tez hoti ja rahi thi. Raat ke 11:30 ho chuke the, aur coach mein sab log ya to so rahe the, ya mobile screen ke light mein kho gaye the. Main lower berth pe blanket ke andar tha. Sania mere paas aayi — uski aankhon mein ajeeb sa combination tha: sharm, himmat aur control. Wo dheere se andar aayi aur blanket mere saath share kar li. Ek second ke liye hamare chehre sirf 3 inch door the. Uski saans se blanket ke andar ka temperature badh gaya. > “Tumne kaha tha... train se hi shuru karun?” Uska tone ab koi sharam nahi chhupa raha tha. Maine sirf haan mein sir hilaaya. Agli hi second uska haath mere shirt ke andar gaya — thanda, lekin irade garam. Usne dheere se mere chest pe finger ghumai — jaise nayi duniya explore kar rahi ho. Phir uska haath neeche ki taraf gaya… Click. Mera belt khul gaya. Blanket ke andar kuch hone laga tha, jo koi dekh nahi sakta tha… lekin agar koi pass se guzarta, to us movement ko feel zarur karta. Sania ne pehli baar mujhe aankhon mein dekh kar kiya — bina dare, bina ruke. Uski saans tez ho rahi thi, lekin haath steady. Wo slow tease se mujhe torture kar rahi thi — jaise har second mein control uske haath mein jaa raha ho. Main haath badhata hoon, uska dupatta side karta hoon. Jaise hi main uske kurte ke neeche haath le jaata hoon — > “Nahi,” wo kehti hai, “aaj sirf main… tum sirf feel karo.” Wo mujhe kar raha hai — fully. Blanket ke andar meri kamar ke aas-paas uska har touch fire ki tarah lag raha hai. Har second mein wo mujhe jalane aur rulaane dono ka kaam kar rahi thi. Mere lips uske shoulder pe lagte hain, lekin wo kehti hai: > “Control… warna log jag jaayenge.” Aur tabhi — train rukti hai ek chhoti station pe. Bahar ek ladka platform pe aake khidki ke paas khada ho jaata hai. Sania us moment ka use karti hai — apni kamar halki si uthakar uske saamne se guzarti hai, us tarah jisme uski kamar ki curve seedha us ladke ki nazar tak jaye. Wo ladka confused hai… kuch samajh nahi raha… aur main blanket ke neeche uska toy bana hua hoon. Mujhe laga mera lund phat jayeunga — lekin yeh hi to game hai. Next part me hum delhi pahoch kr ky krege wo batauga.. koi real bull ho to msg kro email me ya koi couple

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