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यह मेरी पहली कहानी है। जब Hindi Sex Stories मेरी उम्र 18 साल की थी, मैं अपने गाँव में शादी में गया हुआ था। वहां पर रजनी भी आई हुई थी लेकिन उससे मेरी कभी बात नहीं होती थी। उसके स्तन मुझे बहुत हो प्यारे लगते थे जो मैंने नहाते समय देख लिए थे- जब वो नहाने के लिए बाथरूम में गई तो थोड़ी देर बाद में ही घुस गया क्योंकि बाथरूम के गेट में कुण्डी नहीं थी वो केवल पैंटी में ही थी।
मई का महीना चल रहा था, गर्मियों के दिन थे। सभी लोग रात में छत पर सोते थे। घर में भी मेहमान आये हुए थे। एक दिन रजनी अनजाने में मेरे बगल में आकर लेट गई। तब रात के 11 बज रहे थे, मुझे अब नींद नहीं आ रही थी। एक बज चुका था, सभी लोग सो चुके थे, वो भी सो गई थी। उसने फ़्रॉक पहनी हुई थी और सोते समय उसकी फ़्रॉक काफी ऊपर आ गई थी। अब उसे देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने डरते हुए उसकी पैंटी को छुआ तो कोई हलचल नहीं हुई क्योंकि वो सो रही थी। अब मेरी हिम्मत और बढ़ गई। अब मैंने उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया। उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डाला। उसकी चूत के ऊपर बाल थे। अब मैं उसकी चूत को सहला रहा था और उसके छेद में ऊँगली डालने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी चूत बहुत कसी हुई थी।
तभी उसने एकदम करवट ली, मैं एकदम डर गया और सोने का नाटक करने लगा। लेकिन वो अब भी सो ही रही थी। थोड़ी देर बाद मैं मुठ मार कर सो गया।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो वो मुझसे पहले उठ चुकी थी। अब मेरा दिन नहीं कट रहा था और रात का इंतजार कर रहा था।
जब रात हुई तो वो कल की तरह ही सोने के लिए आई लेकिन उसके और मेरे बीच में मेरे ताउजी की बेटी राधा आकर लेट गई। राधा मुझसे एक साल बड़ी थी। मैं रात को सोना नहीं चाहता था। रजनी सो चुकी थी और राधा भी।
तभी मैंने राधा के ऊपर से हाथ डाल कर जैसे ही रजनी को छुआ तो राधा के स्तन मेरे हाथ से दब रहे थे। इसी वजह से राधा की नींद खुल गई और वो सोने का नाटक करने लगी थी। अब मैंने जैसे ही रजनी की पैन्टी में हाथ डाला तो राधा ने अपनी आँखे खोल दी। उसे जगता देखकर मैं डर गया लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और थोड़ी देर बाद वो उठकर मेरी दूसरी तरफ आ गई अब मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है। उसने मेरा रास्ता साफ कर दिया। अब मैं आसानी से रजनी की चूत सहला रहा था।
लेकिन थोड़ी देर बाद राधा ने अपना हाथ मेरे लंड के ऊपर रख दिया। मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वो क्या चाहती है। अब राधा मुझसे चिपक गई थी और वो काफी गरम लग रही थी। उसने अपना कमीज़ खुद ही ऊपर कर दिया लेकिन वो मेरी बहन थी इसलिए मुझे बहुत डर लग रहा था। पर उस वक्त मुझे केवल चूत ही दिख रही थी। मैं राधा की चूत को सलवार के ऊपर से सहला रहा था और उसके स्तन चूस रहा था क्योंकि उसने अपना कुर्ता खुद ही ऊपर कर लिया था।
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला तो राधा ने पैन्टी नहीं पहनी थी। उसने कहा कि वो सूट के साथ पैन्टी नहीं पहनती है। उसकी भी चूत पर बहुत बाल थे। अब मैं उसकी चूत के दाने को सहला रहा था, बीच बीच मैं उसके छेद में उंगली भी डाल देता था। उसकी चूत रजनी की तरह कसी हुई नहीं थी। तो उसने बताया कि वो चुपचाप मोमबत्ती अन्दर डालती थी।
थोड़ी देर बाद उसकी चूत में से पानी निकलने लगा। अब उसने मुझसे कहा कि उसकी चूत को अब लंड की जरुरत है।
राधा ने अपनी सलवार और नीची कर दी और अब मैं उसके ऊपर था और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ रहा था लेकिन वो बहुत ही उतावली हो रही थी चुदने के लिए !
मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला तो उसके मुँह से अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह की आवाज निकली और मैं उसको लगातार चोदने में लगा हुआ था। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई और मैंने भी अपना पूरा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। फिर हम लोगों ने अपने कपड़े सही किये और बातें करने लगे। रात के तीन बज चुके थे।
अचानक रजनी ने करवट बदली और उसका एक पैर मेरे ऊपर था वो भी बहुत गरम हो रही थी। मैंने फिर रजनी की चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
तब राधा ने कहा- मैं तुझे रजनी की चूत भी दिलवाऊंगी।
अब तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न था। थोड़ी देर तक हम लोग चूमा-चाटी करके सो गए।
सुबह राधा ने मुझे कहा- मैं रजनी को दोपहर में ऊपर के कमरे में ले आऊअगी और तुम कमरे में छुप जाना। जब मैं इशारा करूं तो तुम बाहर निकल आना !
वही हुआ। दोपहर में मैं कमरे में छुप गया तो वो दोनों कपड़े बदलने लगी। यह सब राधा का नाटक था।
उसने रजनी को कहा- हमें कहीं जाना है इसीलिए ऊपर कमरे में कपड़े बदल ले !
जब रजनी ने अपने कपड़े उतारे तो मैं उसका बदन देखकर दंग रह गया। उसका शरीर तो मानो एकदम मक्खन की तरह लग रहा था। वो सिर्फ ब्रा और पैन्टी में ही थी।
तभी राधा ने उसकी एक चूची को दबा किया। इस पर उसने भी राधा की दोनों चूचियां मसल दी। राधा तो यही चाहती थी कि रजनी यह सब करे।
अब वो दोनों एक दूसरे के स्तन दबा रही थी कि तभी राधा ने रजनी की पैन्टी उतार दी और खुद भी नंगी हो गई। अब वो दोनों एक दूसरे की चूत में ऊँगली डाल रही थी।
तभी रजनी ने कहा- काश ! यहाँ कोई लड़का होता तो कितने मजे आते !
तो राधा ने मुझे इशारा किया तो मैं बाहर आ गया। मुझे वह देखकर रजनी को शर्म आने लगी और अपनी चूत को अपने हाथों से छुपाने लगी। लेकिन तब तक वो मेरी बाहों में थी और मैं उसको गालों और होंठों को चूम रहा था। मेरा एक हाथ रजनी के वक्ष पर था और दूसरा उसकी चूत पर !
उसकी चूत से पानी निकल रहा था। मैं समझ गया कि वो चुदाने के लिए तैयार है।
अब मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसकी चूत पर लंड रगड़ने लगा। फिर जैसे ही मैंने अपने लंड को झटका दिया तो वो थोड़ा सा उसकी चूत में चला गया। वो रोने लगी और बोली- प्लीज, बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा है !
मैं उसकी एक नहीं सुन रहा था। थोड़ी देर में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। मैं बिल्कुल शांत था ताकि उसका दर्द कुछ कम हो जाये।
जब वो कुछ शांत हुई तो मैंने उसको चोदना शुरू किया। उसे भी अब अच्छा लग रहा था। राधा भी अपनी चूत में उंगली डाल के शांत हो गई थी।
थोड़ी देर में मैंने वीर्य से उसकी चूत भर दी थी। जब मैंने देखा तो वहाँ पर खून पड़ा था और रजनी की चूत भी खून से लाल थी।राधा ने बाद में यह सब साफ किया।
फिर जब भी मौका मिलता तो मैं अपनी बहन राधा की चुदाई करता।
2-3 दिन में रजनी अपने घर जा चुकी थी लेकिन उसको मैंने 3-4 बार चोद लिया था।
हम लोग भी अपने घर पर आ गए। राधा और मेरा चुदाई का सिलसिला आज भी है।
आपको मेरी सच्ची कहानी कैसी लगी? मुझे जरूर बतायें ! Hindi Sex Stories
अन्तर्वासना पढ़ने Antarvasna वालों को मेरी तरफ से बहुत बहुत सलाम! मैं इस अन्तर्वासना की दीवानी हुई पड़ी हूँ!
मेरा नाम है अंतरा है, मेरी उम्र अठाईस साल है, मैं एक बहुत रईस परिवार की बहू हूँ। अपने शौक पूरे करने के लिए पैसे के पीछे मैंने अपनी खूबसूरती का स्कूल से लेकर अब तक जम कर इस्तेमाल किया।
हम तीन बहनें ही हैं, पिता जी ने माँ की मौत के बाद अपने से कहीं कम उम्र की छोकरी से शादी करके हमें सौतेली माँ उपहार में दी।
शुरु में बहुत बुरा लगा लेकिन फिर उससे हम तीनों की पटने लगी। उसकी उम्र चौंतीस की है और उसके कई यार हैं। पिता की गैर-मौजूदगी में वो न जाने कितने मर्दों के नीचे लेट जाती थी।
उसके ही एक आशिक ने मेरी सबसे बड़ी बहन को फंसा लिया और उनकी यारी परवान चढ़ने लगी।
माँ की मौजूदगी में ही वो अपने आशिक को घर बुलवा के चुदवाती। उसके अलावा भी उसके कई आशिक थे। दूसरी बहन का भी ऐसा ही हाल हुआ।
और फिर मेरे सोलहवां पार करते ही मेरे छोटे-छोटे नीम्बू रसीले आम बन गए और मेरे कदम बहकने में देर ना लगी और मेरा टाँका भी एक लड़के से फिट हो गया। इसी बीच जब पापा को माँ के लक्षण मालूम हए तो यही सोच-सोच मेरे पापा डिप्रेस रहने लगे और फिर हर्ट-अटैक से उनकी मौत हो गई।
देखते ही देखते मैं एक रांड बन गई। स्कूल, कॉलेज में मेरी पहचान एक बेहद चालू माल की बन गई। कई लड़कों अथवा मर्दों ने मेरा रसपान किया।
तभी अशोक मेरी जिंदगी में आया। वो बहुत बड़ा बिज़नस-मैन था। उसने जिस दिन से मुझे कॉलेज जाते रास्ते में देखा वो मुझ पे लट्टू हो गया और मेरे को एक दिन उसने अपनी चमचमाती कार में बिठा ही लिया और मुझ से हाँ करवा कर दम लिया। वो बहुत पैसा मेरे ऊपर लुटाने लगा और मेरे भी शौक पूरे होने लगे।
वो मुझसे आठ साल बड़ा था, लेकिन मैं सिर्फ उसकी महंगी कारों उसके आलीशान बंगले और पैसा देख रही थी। आखिर में मैं उसकी दुल्हन बनकर उसके आलीशान बंगले की मालकिन बन गई।
नौकर चाकर, सब मिल गया लेकिन जैसे दिन बीतने लगे वो बहुत व्यस्त हो गया, बिज़नस इतना फैला लिया तो मुझे कम समय देने लगा।
वैसे भी अब उसके लौड़े में दम नहीं रहा जो मेरे जैसी रांड को ठंडी कर दे! मैंने भी अपने पर काफी काबू रखा लेकिन मेरी जवानी ही ऐसी है, मेरा जिस्म ही ऐसा है!
मैं हर रोज़ शाम को सैर करने निकलती थी, घर के नज़दीक ही एक हरा भरा बाग़ था।
एक रोज़ मैं बाग में सैर कर रही थी कि मुझे कुछ आवाजें सुनाई पड़ी।
मैं आवाज़ की ओर बड़ी छुप के देख एक हट्टा कट्टा बंदा एक लड़के से अपना लौड़ा चुसवा रहा था, वो लड़का शायद गांडू था और वो लड़की से बेहतर लौड़ा चूस रहा था।
लेकिन जिस लौड़े को वो चूस रहा था वो बहुत बहुत बड़ा था, वो बंदा कोई प्रवासी मजदूर था जिसका लौड़ा बहुत बड़ा था।
फिर उसने उसकी गांड मारने की लाख कोशिश की लेकिन दर्द की वजह से वो लड़का चुद नहीं पा रहा था। सच में मैंने पहली बार इतना बड़ा लौड़ा देखा था। मैंने इन्टरनेट पर कई लौड़े देखे लेकिन आज हकीकत सामने थी।
उस लड़के ने उसका चूस चूस कर पानी निकलवा दिया। मेरी चूत भी फड़कने लगी। आखिर कितने देर से प्यासी थी। मैं वहाँ से चली आई। वो लड़का अब हर रोज़ वहाँ आता और उल्टा उस बन्दे को पैसा देता था उसके लौड़े से खेलने के लिए!
अब मुझ से भी रहा नहीं जा रहा था, अगले दिन मैंने कुछ न कुछ करने की मन में धार ही ली लेकिन मुझे यह भी डर था उस बाग़ से पुलिस चौकी दो किलोमीटर की दूरी पर थी। अगले दिन मैं गहरे गले का थोड़ा पारदर्शी सूट और सेक्सी ब्रा-पेंटी पहन कर गई।
वो लड़का वहीं इंतज़ार कर रहा था। वो बंदा वहाँ पहुंचा और वो लड़का गांडू उससे चिपक गया मानो एक प्यासी औरत! मैं हैरान थी।
उसने पल में उसकी लुंगी एक तरफ़ कर उसका लौड़ा मुँह में ले लिया। बंदा आंखें बंद कर चुसवा रहा था।
मैंने एक छोटा पत्थर उठा कर वहीं पड़े सूखे पत्तों पर फेंका। दोनों एकदम सीधे हो गए।
मैंने एक पत्थर और फेंका तो वो लड़का भाग़ गया। लेकिन बंदा वहीं था उसको क्या फर्क पड़ता! उसकी कौन सी इज्जत लुटती! मजदूर था, वहीं बन रहे मकानों का चौकीदार होगा!
मैं उसकी और बढ़ी, वो वहीं खड़ा अपना हथियार हिला कर मुठ मार रहा था। मुझे देख वो चौंक गया और जल्दी से अपनी लुंगी सीधी कर ली। लेकिन मेरे चेहरे पर मुस्कराहट देख थोड़ा समझ गया। लेकिन डर रहा था, वो चलने लगा। मैंने उसके पास जाकर पीछे से उसकी लुंगी खींच दी।
वो हड़बड़ा कर मुड़ा!
‘कहाँ जा रहे हो? लड़के की लेने में ज्यादा स्वाद मिलता है क्या तुझे?’
‘जी! जी!’ घबरा सा गया!
‘इतना बड़ा लौड़ा है, क्यूँ लड़कों पर बर्बाद करते हो?’
‘क्या करें मेम साब, वो पैसे देता है और ऊपर से मज़े! हम मजदूरी करने वाले इंसान हैं एक एक पैसा कीमती है!’
‘अच्छा!’ मैं आगे बढ़ी और उसकी लुंगी उतार कर वहीं बिछा कर खुद घुटनों के बल बैठ उसका लौड़ा सहलाने लगी।
क्या लौड़ा था! बहुत ज्यादा बड़ा मोटा! अब तक का मेरा सबसे मोटा लौड़ा था!
‘ऐसी चीज़ों को जाया नहीं करते राजा! बन के रहो, मैं तुझे काम दूंगी! यह ले कार्ड, कल आ जाना!’
कह मैंने मुँह में लिया और चूसने लगी।
‘अह अह… वाह! क्या मैं सपना देख रहा हूँ मैडम?’
सच में प्यासी के पास कुँआ आया था। मैं दीवानी हो गई उसके लौड़े की! वो मस्त था, वो मुझे बाँहों में लेकर मेरे टॉप में छुपे मेरे मम्मों को दबाने लगा। उसके सख्त हाथ एक मर्द का एहसास साफ़-साफ़ करवा रहे थे। वो मेरी जांघें सहलाने लगा, साथ ही मेरे गोरे गोरे मक्खन जैसे पट्ट चूम रहा था।
‘हाय मेरे साईं! और चाट! और दबा! खा जा!’
बोला- मैडम, यहीं बग़ल में ही एक सरदार की कोठी बन रही है, वहीं दिन में काम करता हूँ, रात को चौकीदारी! वहीं चलो!
उसने एक कमरे में अपना बिस्तर नीचे बिछा रखा था। मैं अपने आप अपने कपड़े उतार उसके पास बैठ गई और उसको नंगा कर चिपक गई। अब बिना डर हम एक होने जा रहे थे।
वो मेरा दूध पीने लगा!
‘वाह मेरे शेर! चढ़ जा मेरे ऊपर! रौंद दे मुझे!’
उसने मेरी टाँगें फैला ली और बीच में बैठ गया। डालने से पहले फिर से थोड़ी देर मुँह में देकर गीला करवाया और फिर उतार दिया मेरी चूत के अन्दर!
लग रहा था कि आज मेरी सुहागरात है, चीरता हुआ लौड़ा देखते ही देखते पूरा मेरी चूत में था। दर्द तो हो रहा था लेकिन जल्दी ही मजा आने लगा और हम दोनों एक दूसरे में समां गए। मानो आज मुझे तृप्ति मिल गई हो!
कई तरह से मुझे पेला उसने मुझे! उसका था कि बहुत मुश्किल से झड़ा। उसने तो मेरी चूत फाड़ दी।
जब मैं कपड़े पहन रही थी तो वो लेटा हुआ अपनी मर्दानगी पर मूछें खड़ी कर मुझे घूर रहा था। तभी उसके दो साथी मजदूर भी अपने अपने काम से वापिस आ गए। तब तक मैंने सिर्फ टॉप पहना था, पेंटी डाली थी।
दोनों मेरे करीब आये और फिर अपने दोस्त को देखा। उसने न जाने क्या इशारा किया कि दोनों मेरे जिस्म के करीब आकर एक मेरी जांघ और दूसरा मेरे मम्मे सहलाने लगा। लेकिन मुझे जल्दी थी मैंने उन्हें अगले दिन आने का वादा किया।
आते आते मुझ से रुका नहीं गया और दोनों के पास गई और उनकी लुंगी उठा कर उनके लौड़े देखे- क्या लौड़े थे! हाय मोरी मईया! कल आऊँगी!
अगले दिन क्या हुआ यह जल्दी लिखूंगी। Antarvasna
मेरा नाम राम सिंह, उम्र Hindi Sex Stories चब्बीस साल, मुंबई में रहता हूँ। अमिं अन्तर्वासना पर नियमित रूप से कहानियाँ पढ़ता हूँ।
अब मैं आपको अपनी एक कहानी सुनाता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं इन्ज़िनियरिंग कर रहा था। मेरे एक दोस्त ने मुझे काल-बॉय सेवा के बारे में बताया और कहा- इसमें आमदनी भी अच्छी है और मज़ा भी है। तो पैसे के लिए मैं भी यह काम करने को तैयार हो गया और मेरे दोस्त ने मेरा सम्पर्क ऐसे किसी आदमी से करा दिया जो इस तरह का काम करता था।
एक दिन उसने मुझे एक महिला से मिलवाया। उस औरत का नाम रुबी था, वो लगभग ३३ साल की होगी पर उसका फ़ीगर मस्त था। उसके कपड़े देख कर लग रहा था कि वो बहुत अमीर है।
उस औरत ने मुझे एक होटल में मिलने को कहा। जब मैं वहाँ पहुँचा तो वो मेरा इन्तज़ार कर रही थी। हम दोनों होटल के कमरे में गए। उसने मेरा नाम पूछा और साथ ही यह भी पूछा- तुमने कभी चुदाई की है?
मैंने कहा- किया है पर आपकी उम्र की स्त्री के साथ नहीं। तब उसने मुझे मेरा लण्ड दिखाने को कहा और देख कर कहा कि यह तो बहुत ही लम्बा है, मेरे पति का तो इतना नहीं है। यह सुन कर मेरा थोड़ा आत्मविश्वास जागा और मैंने उसको बोला- कुछ घण्टे के लिए मैं आपका गुलाम हूँ और आपकी खिदमत के लिए आया हूँ, अगर आप मेरी बात मानती हैं और मेरे तरीके से चुदाई करवाती हैं तो आपको बड़ा मज़ा आएगा।
वो मैडम मान गई और मैंने अपना काम शुरू कर दिया। सबसे पहले मैंने उसके होंठों को चूमा दस मिनट तक। उसको बड़ा मज़ा आया। फ़िर मैंने उसके स्तनों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना शुरू किया तो वो आहऽ ह ऊहऽऽई करने लगी। फिर मैं धीरे धीरे उसके कट्स में किस करने लगा उसको बड़ा मजा आने लगा।
उसने कहा- तुम तो बड़े एक्सपर्ट हो !
तो मैंने उसको कहा- आपका सेवक हूँ !
फिर मैं अपने कम में लग गया और मैंने धीरे से उसके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए। अब वो कसमसाने लगी, फिर मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। उसके बूब्स देख कर मैं हैरान रह गया। क्या मस्त बूब्स थे ! मजा आ गया !
अब एक स्तन को मैंने मुंह में रखा और दूसरे को हाथ से दबा रहा था, उसे बहुत मजा आ रहा था, वो बोल रही थी- और दबाओ ! और चूसो !
मैंने और जोर से दबाना चालू कर दिया। अब मैंने धीरे से एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। उसकी पैंटी उसके चूत के रस से भीगी थी। तब मैंने उसकी साड़ी भी खोल दी और उसकी पैंटी को भी निकाल दिया।
अब वो पूरी नंगी हो गई थी। मैं उसकी बूर में २ मिनट तक नीचे से ऊपर तक जीभ फिराता रहा। उसने बोला- ऐसे मत करो, नहीं तो मैं लीक हो जाऊँगी।
तो मैंने उसको कहा- यह तो पहली बार है, अभी तो मैं आपको कितनी बार लीक करूँगा। मैंने जीभ हिलाना चालू रखा और वो सचमुच लीक हो गई।
मैंने उसकी क्लिट को चूसना करना शुरू किया तो १० मिनट में ही फिर से वो सिसकियाँ लेने लगी और मुझे कहा- जल्दी से चुदाई करो ! मैं इंतजार नहीं कर सकती !
मैंने कहा- अभी तो शुरू ही किया है, और तुम बोलती हो कि चोदो !
मैंने फिर जीभ उसकी बूर में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा तो उसे मजा आने लगा। ऐसे मैंने ५ मिनट तक किया तो उसने कहा- मुझे कब तक तड़पाओगे? अब तो करो !
मैंने कहा- रुकिए मैडम ! अभी और मज़ा आएगा !
मैं उसके स्तन चूसने लगा और एक उंगली उसकी बुर में अन्दर बाहर करने लगा।
वाह डार्लिंग ! मज़ा आ रहा है।
थोड़ा ऐसे करने के बाद मैंने दो उंग्लियाँ उसकी बुर में डाल दी। उसे बड़ा मज़ा आया।
अब मेरा लण्ड भी काबू से बाहर होने लगा था तो मैंने अपने लण्ड को मैडम की बुर के सामने रखा और धीरे से घुसा दिया। उसने आह! किया और कहा- कितना बड़ा है तुम्हारा लण्ड ! प्लीज़ धीरे से करो !
तब मैंने धीरे से धक्का मारा तो पूरा अन्दर चला गया और फ़िर मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा। ८-१० धक्कों के बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी कमर उठा कर मदद करने लगी। मेरे करने के बीच वो दो बार लीक हो गई और जब मैं लीक होने वाला था तो उसने कहा- अन्दर लीक मत होना ! मेरे मुंह पर करना !
तब मैंने उसके मुंह पर लीक किया, उसे बड़ा मज़ा आया। फ़िर हम दोनों ने थोड़ी देर बेड पर आराम किया।
फ़िर मैंने कहा- यह तो पहली पारी थी, अब दूसरी पारी शुरु करते हैं।
वो मुझसे ही पूछने लगी- तुम ही बताओ कैसे शुरू करें?
तब मैंने कहा- तुम मेरा लण्ड चूसो और मैं आपकी चूसता हूँ।
हम दोनों ६९ होकर एक दूसरे को मुख-मैथुन सुख प्रदान करने लगे। फ़िर हमने एक बार और सम्भोग किया और फ़िर बाथरूम में फ़्रेश होकर कपड़े पहने। जब हम होटल से जा रहे थे तो उसने मुझे दस हज़ार रुपए दिए। मैंने मैडम को धन्यवाद दिया और हम अपने अपने रास्ते चले गए।
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मैंने मामी को नीचे Antarvasna खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा. मेरा जोश अब पहले से भी ज्यादा था. क्या पता फिर मौका मिले ना मिले? मैं उनके मम्मे चूसे ही जा रहा था और एक हाथ से चूत सहला रहा था. मैंने अब उनको चाटना चालू किया. उन्होंने अपने हाथों से सर के नीचे जो तकिया था, उसे कस के पकड़ा था. तो मैंने उनकी बगलों में चूमना चालू किया जिससे मामी पूरी सिहर उठी. धीरे धीरे चूमते हुए मैं नीचे आ गया और चूत चाटने लगा. अब मामी ने धीरे से अपने पैर उठाये और अपनी छाती के पास ले गई जिससे अब उनकी गांड का छेद मेरे सामने आ गया था.
“नयन, अगर तुमको तकलीफ ना हो तो थोड़ा इसे भी चाटो ना!”
मैंने अपनी जीभ गांड के छेद पर रखी और धीरे धीरे अपनी जीभ का जोर बढ़ाया. मामी कसमसा रही थी और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मुझसे चुसवा रही थी.
“मामी क्या इस छेद को कभी किसी ने छेड़ा है?”
“नहीं नयन, ये तो मेरी चूत को हो नहीं चाटते! तो इसको क्या चाटेंगे!”
“मामी, मैं इसको चूसूंगा भी और बजाऊँगा भी!”
मामी अब जरा मेरा लंड गीला तो करो!”
मामी ने वापस मेरा लंड मुँह में लिया और चूसना चालू किया.
“अब मामी पेट के बल हो जाओ, मैं आपके पीछे के छेद को छेड़ता हूँ!”
“नयन, संभल के! मैंने कभी पीछे लिया नहीं है!”
“अरे मामी जी! तुमने कभी आगे भी नहीं लिया था! लेकिन अब लेती हो ना!”
मैंने अपनी पकड़ बना ली और उनकी गांड पर लंड का दबाव बनाने लगा.
“नयन, धीरे से करो! मुझे दुःख रहा है!”
“हाँ मामी! मैं धीरे से करता हूँ!”
“मामी, एक काम करो! आप नीचे से गांड उठाओ और धीरे से अन्दर लेने की कोशिश करो!”
लंड तो अब मेरा भी दुखने लगा था क्योंकि गांड का छेद बहुत ही छोटा था. मामी ने अपनी गांड नीचे से उठानी शुरू कर दी थी. वो गांड तो नीचे से उठा रही थी, साथ में चिल्ला भी रही थी.
“नयन, आऽऽऽऽ आआआऽऽऽ बहुत दर्द हो रहा है नयन…!”
अब लंड आधा अन्दर जा चुका था और मामी अब गांड आगे खींचने लगी थी. मुझे लगा कि मामी अब बाहर निकलेगी तो मैंने मामी को पेट के नीचे हाथ डाल कर पकड़ लिया और ऊपर से ऐसा जोर लगाया कि लंड अन्दर धंसने लगा. मामी की तो चीख ही निकलने वाली थी पर उसने जैसे तैसे रोक ली.
“मामी, अब पूरा अन्दर गया है! अब कैसा लग रहा है?”
“नयन, बहुत ही दर्द हो रहा है!”
“मामी, थोड़ा सहन करो! और आपको दर्द ना हो, इस तरह से अपनी गांड नीचे से हिलाओ!”
“हाँ मामी! बस इसी तरह से धीरे धीरे हिलाओ!”
मामी ने अपना काम चालू कर दिया था.
“मामी, कैसा लग रहा है?”
“नयन, यह तो अलग ही अनुभव है! मुझे बहुत ही मजा आ रहा है! तुम भी कमर हिलाओ ना! मजा आ रहा है बहुत!”
अब मैंने अपने शॉट धीरे से चालू किये जिससे उनको तकलीफ़ ना हो.
लेकिन मामी पूरे जोश में आ गई थी, वो तो नीचे से गांड हिला हिला कर लंड ले रही थी.
मैं भी जोरों पर था और और एक हाथ से उनकी चूची भी दबा रहा था.
बहुत देर ये खेल चला!
“मामी, क्या बस करूँ गांड की ठुकाई?”
“हाँ नयन, अब जरा मेरी चूत पर जोर लगाओ!”
मैंने गांड से लंड बाहर निकाला और उनको घोड़ी बना कर उनकी चूत में डाल दिया और पूरी गति से कमर हिलाने लगा.
मामी की सिसकारियाँ रुक रुक कर निकल रही थी जो के मेरे धक्के के कारण हो रहा था.
“मामी, कैसा लग रहा है?”
“नयन, मत पूछो! तुम अपना काम चालू रखो!”
“नयन! आआऽऽऽ आआआआअ… क्या मजा आ रहा है! मैं तो पागल थी जो तुम्हें चोदने को मना कर रही थी!”
“नयन, मैं निकलने वाली हूँ मुझे कस लो नयन! आआऽऽऽ आआआआअ…! ”
मैंने मामी की हालत जान ली और पीछे से उनको कस कर पकड़ लिया.
मामी ने अपनी चूत को मेरे लंड पर कस लिया जिस कारण मैं भी मचलने लगा.
“मामी, ऐसे ही चूत से दबाओ मेरे लंड को! मैं भी निकलने वाला हूँ…मामी ऽऽऽ! ”
और मैं और मामी एक साथ झड़ने लगे. मेरे लंड का फव्वारा मामी की चूत में खाली हो रहा था और मामी भी अपनी चूत के होंट दबा दबा कर मेरा पूरा लंड खाली करवा रही थी.
“क्यों नयन, मजा आया?”
“बहुत मामी…बहुत मजा आया!”
“अरे अभी कहाँ? मजा तो अब तुझे दूंगी जो तुम जिन्दगी भर नहीं भूलोगे!”
और मामी ने मेरा मुरझाया हुआ लंड अपने मुँह में लिया और अपनी जबान से और दातों से उसे चूसने लगी. मेरी हालत तो ख़राब हो रही थी, एक तो पहले ही मैं दो बार झड़ चुका था.
“मामी बस करो ना! अब मेरे लंड में दर्द हो रहा है!”
“नयन, यह दर्द बस थोड़ी देर सहन करो! फिर देखो!”
थोड़ी देर बाद मेरी लंड में जान आने लगी और वो वापिस पहले की तरह तैयार हो गया. मामी मेरे लंड को निहार निहार कर चाट रही थी. शायद उनको लंड चूसना बहुत ही पसंद था.
“नयन, तुम्हरे लंड में तो बड़ा जोर हैं! यह तो तीसरी बार भी तैयार हो गया है?”
“यह तो आप के मुँह में लेने की कला के वजह से हो रहा है!”
“अब मेरी समझ में आया कि मेरी गांड में इतना दर्द क्यों हुआ! यह तो कितना बड़ा है!”
“अब आपको पता चला? जब चूत और गांड दोनों चोद कर हो गया?”
“अरे तुमने देखने ही कहाँ दिया? जब देखो मशीन चालू थी तुम्हारी!”
“हाँ मामी! अब क्या करना है मुझे?”
“नयन, चूत और गांड तो तुमने चोद दी! अब मैं तुम्हें मुँह चोदना सिखाती हूँ.
मामी ने मुझे घोड़ा बना दिया और मेरे नीचे आ कर नीचे से मेरे लंड को पकड़ा.
“नयन, जैसे तुमने मेरी चूत चोदी और मेरी गांड चोदी, उसी तरह अब मेरे मुँह को चूत समझ कर जोर से चोदो!”
मैंने जैसे ही अपनी कमर हिलाना चालू किया, मामी ने अपने मुँह से कमाल दिखाना चालू किया, नए-नए तरीके से मेरे लंड को मुँह में चूस रही थी, कभी अपने होंटों का दबाव बना कर, कभी अपनी जबान से सहला कर मुझे पागल कर रही थी.
मैं भी अब पूरी गति से उनके मुँह में लंड को हिला रहा था. मैं अब घुटनों के बल बैठ गया और मामी वैसे ही नीचे से सर हिला के अपने मुँह को खुद चुदवा रही थी.
मैंने एक हाथ पीछे किया और उनकी चूत में उंगली डाल दी. मामी अब आगे से सर हिला के मुँह को चुदवा रही थी और कमर हिला एक चूत में उंगली ले रही थी. अब मेरा बदन अकड़ने लगा था. मामी अपने मुँह का कमाल दिखा रही थी. मैं अब अपने हाथों पर आ गया और कमर हिला हिला के मामी का मुँह चोदने लगा.
मामी पूरा लो! खा जाओ! मैं तो झड़ने वाला हूँ ऽऽ!!
और एक जोरदार धक्का लगाकर मैं उनके मुँह में झड़ गया. पहले की तरह मामी ने मेरा वीर्य पूरा चाट लिया और मेरे लंड को साफ कर दिया.
फिर हमने उठ कर कपड़े पहन लिए.
“मामी, मैं निकलता हूँ! आपने आज मेरा सपना पूरा कर दिया! अब मैं आप से दोबारा कुछ नहीं मांगूंगा!”
“नयन भले ही तुम मुझे दोबारा कुछ नहीं मांगो, लेकिन तुमने आज जो ख़ुशी मुझे दी है, अब मैं तुमसे रोज तुम्हारा लंड मांगूंगी! तो फिर नयन कल दोपहर को आओगे ना? मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी.”
तो दोस्तो! कैसी लगी मेरी आगे की कहानी?
अब तो मैं इतना चोदने का आदि हो गया हूँ कि जब तक दो बार झड़ता नहीं, मैं नीचे उतरता ही नहीं.
तो अब मैं 29 साल का हूँ और मुंबई में रहता हूँ.
मुझे जरूर मेल करें कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी! Antarvasna
हैलो फ्रेंड्स. मैं राहुल जयपुर से हूँ. मैं देखने में बहुत ही आकर्षक लड़का हूँ. मैं आपको एक Antarvasna कहानी सुनाने जा रहा हूँ. मेरा एक दोस्त था राहुल. राहुल और मैं साथ साथ पढ़े लिखे, मगर राहुल की शादी मुझसे पहले हो गई. राहुल एक पायलट था.. उसकी शादी शिमला की विनीता नाम की लड़की से हुई थी. वो जब भी बाहर जाता, हमेशा मुझसे कह कर जाता कि विनीता का ख्याल रखना, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
समय बीतता गया राहुल की बीवी विनीता एक बच्ची की माँ बन गई. मैं उनका बड़ा सम्मान करता था.
एक दिन मैं भाभी के घर गया, दरवाजा बंद था.. मैंने बेल बजाई मगर कुछ देर तक कोई नहीं आया. कुछ देर बाद राहुल की 3 साल की बेटी ने दरवाजा खोला. मैंने उससे पूछा कि मम्मी कहां हैं?
तो वो बोली- मम्मी अपने रूम में काम कर रही हैं.
मैं रूम की तरफ़ गया, मुझे वहां कोई नहीं दिखाई दिया, मैं वापस आ रहा था कि इतने में मुझे बाथरूम से कुछ आवाज़ ‘आआह.. ऊऊऊम्म..’ आती सुनाई दी. मुझे आवाज़ कुछ अजीब सी लगी और मैं बाहर चला आया.
कुछ देर बाद भाभी बाथरूम से बाहर निकलीं, बिना कपड़ों के पूरी नंगी.. उनको नंगा देख कर मेरा लंड जो कि 8 इंच का है, एकदम से खड़ा हो गया. भाभी ने मुझे देखा तो वो जल्दी से बाथरूम की तरफ़ वापस भाग गईं और तौलिया लपेट कर बाहर आईं. मुझे काफी डर लग रहा था कि भाभी मुझ पर चिल्लाएगीं.
मगर भाभी मेरे पास आईं और मुझसे कहने लगीं- अरे राहुल तुम कब आए?
मैं उनकी बातें समझ नहीं पा रहा था. मैंने भाभी से कहा- मैं चलता हूँ.. बाद में वापस आऊंगा.
वे हंस दीं.
मैं शर्मा गया और मैं वहां से निकल कर अपने घर पहुँचा, मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.
अब मुझे हमेशा ही दिन रात भाभी का वो नंगा बदन याद आ रहा था. बार बार मेरा लंड खड़ा हुआ जा रहा था. मैंने उसे बुरा सपना समझकर भूलने की काफी कोशिश की, मगर भूल नहीं पा रहा था.
फिर एक दिन अचनक भाभी का मेरे सेल पे कॉल आया और उन्होंने मुझे घर आने को कहा. मुझे लगा कि शायद भाभी को कोई काम होगा इसलिये बुलाया होगा.
मैं उनके घर पहुँचा. मैंने दरवाजे की घंटी बजाई. कुछ देर बाद भाभी ने गेट खोला और मुझे अन्दर आने को कहा.
मैंने अन्दर आते हुए भाभी से पूछा कि स्वीटी कहां है?
तो वो बोलीं- अपनी सहेली के घर गई है.
मैं कुछ नहीं बोला.
उन्होंने मुझे अपने रूम में आने को कहा और मैं उनके पीछे चला गया.
मैंने वहां एक 18 साल की लड़की को बैठे देखा. मैंने भाभी से पूछा कि ये कौन हैं?
तो भाभी बोलीं- ये मेरे मामा की लड़की है, कल ही शिमला से आई है.
भाभी ने उसका परिचय दिया, उसका नाम रानी था.
मैंने भाभी से पूछा कि भाभी कुछ काम था, जो आपने मुझे याद किया?
तो भाभी बोलीं- क्या जब कोई काम होगा, तभी बुला सकती हूँ क्या?
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि भाभी मुझसे क्या चाहती हैं.
भाभी बोलीं- तुम दोनों बातें करो मुझे जरा काम है मैं अभी आती हूँ.
भाभी हम दोनों को अकेला छोड़ कर चली गईं.
फिर मैं रानी से बातें करने लगा और धीरे धीरे वो मेरे करीब आने लगी. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि मेरे इतना करीब क्यों आ रही है. अभी मैं कुछ समझ पाता कि उसने मेरे लंड पे हाथ रख दिया. मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं बेकाबू हो गया, मैंने भी उसे पकड़ लिया और उसके होंठों पे किस करने लगा. मुझे कुछ ख्याल नहीं था कि मैं कहां और किस के घर में हूँ.
मुझमें और जोश आने लगा मैंने उसके मम्मों को, जो अभी काफी छोटे और नरम थे, जोर जोर से दबाने लगा.
वो मुझसे कहने लगी- आह.. धीरे करो राहुल.. दर्द हो रहा है.
लेकिन मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरा लंड बहुत तड़फ रहा था.
मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए और जल्द ही उसके सारे कपड़े उतार दिए. उसने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए, बस अंडरवियर उतरना बाकी रह गया था.
रानी में भी काफी जोश आ चुका था, वो कहने लगी- तुम अपना हथियार दिखाओ राहुल प्लीज़ शो मी..
ये कहते हुए उसने मेरा अंडरवियर फ़ाड़ दिया और लंड पकड़ लिया.
मेरा मोटा लंड देख कर वो कहने लगी- जल्दी डालो राहुल.. जल्दी करो.
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा, मैंने उसको धक्का देकर बिस्तर पर चित लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया. मैंने उसकी टांगें फैलाईं और उसकी छोटी सी चुत में अपना लंड एकदम से पेल दिया. वो जोर से चिल्लाई- आह.. मर गई.. राहुल आआआह आअह्हह्ह ह्हह्हह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… बाहर निकालो.
उसकी चीख सुनकर इतने में भाभी कमरे में आ गईं और उन्होंने हम दोनों को नंगा देखा तो उनमें भी जोश आ गया और वो भी जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगीं. मैं रानी के ऊपर से हट गया. मुझे लगा था कि शायद भाभी घर से बाहर कहीं चली गई होंगी.
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि ये क्या हो रहा है.
फिर उन्होंने मुझे अपने बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर रानी को चढ़ा दिया. भाभी कहने लगीं- अपना पूरा लंड इसकी चुत में डालो.
मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाला. वो फिर से जोर से चिल्लाई- आआ आआआ.. ह्ह ह्ह.. राहुल धीरे..
मुझसे अब नहीं रहा जा रहा था, मैंने पूरा लंड घुसेड़ा और जोर जोर से शॉट मारना शुरू कर दिए.
वो चिल्लाने लगी- आआआअ.. ह्हह.. जी.त्ततू.. ऊउ…रे..
मैं और जोर जोर से शॉट मारने लगा. दस मिनट तक शॉट लगाने के बाद मेरा माल निकल गया और उसकी चुत में से खून निकलने लगा.
खून देख कर वो डर गई, मगर भाभी ने कहा- कुछ नहीं होता, पहली बार ऐसा होता ही है.
उसके बाद मैं अपने कपड़े पहन ही रहा था कि भाभी मुझसे कहने लगीं- नहीं राहुल रुको.. अभी मैं बाक़ी हूँ.
मैं उस दिन काफी जोश में था, सो भाभी के लिए भी तैयार हो गया. अब भाभी मेरे ऊपर चढ़ गई थीं और मैं उनके होंठों पे किस कर रहा था. मुझमें वापस काफी जोश आ रहा था. वो मेरे लंड को चूसने लगीं.
मेरे मुँह से ‘आआआ.. ह्हह्ह.. ओ.. हज.. ह्हह्ह प.. प्पप्प.. स्सस्स.. ह्हह..’ की कामुक आवाजें निकलने लगीं.
मुझे काफी मजा आ रहा था, उन्होंने लंड चूस कर मुझमें और जोश ला दिया, फिर मेरा लंड खड़ा हो गया और मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने भाभी की चुत में लंड डाल दिया.
वो कहने लगीं- राहुल तुममें काफी जोश है मेरी प्यास बुझा दो.
मेरे दिलो दिमाग पर भाभी छा रही थीं. मैं भी बेकाबू हो गया था. मैं भाभी की चूत में शॉट मारने लगा.
भाभी कहने लगीं- आआअ.. न.. इ.. स.. ए.. राहुल.. मजा आ गया..
मैं और जोर जोर से शॉट मारने लगा. हम दोनों को काफी मजा आ रहा था.
वो चिल्ला रही थीं- कम ऑन राहुल.. कम ऑन राहुल..
मैं पूरे जोश से शॉट मार रहा था लेकिन इस बार मेरा माल बाहर नहीं आ रहा था. मैं और जोर जोर से शॉट देने लगा.
भाभी ‘आआआआआ.. ओह.. ह्हह्हहह.. यू आर अ नाइस फकर राहुल..
कुछ देर में भाभी झड़ गईं लेकिन मैं दनादन चुदाई करता रहा. बीस मिनट तक शॉट लगाने के बाद मेरा माल निकल गया. फिर कुछ देर के लिये मैं उनसे लिपट गया.
उसके बाद मैंने कपड़े पहने और भाभी से कहा- मैं अब घर जा रहा हूँ.
भाभी कहने लगीं- राहुल, मुझे चोदने आते रहना.
इसके बाद हम दोनों का चुदाई का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.
लेकिन आखिरकार राहुल दिल्ली शिफ्ट हो गया और हम दोनों जुदा हो गए. मुझे आज भी भाभी की याद सताती रहती है और साथ साथ रानी की कमसिन चूत भी याद आती है, जो शिमला वापस चली गई थी.
आपको मेरी यह Antarvasna की कहानी कैसी लगी
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