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हैल्लो दोस्तो, मैं ये अपनी पहली Hindi Porn Stories कहानी लिख रहा हूँ. सुनीता मेरे साथ काम करती है. वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है. ऑफिस के सभी लड़के उस पर लाइन मारते हैं. पर वो किसी को लिफ्ट नहीं देती थी, पर मुझे वो थोड़ी बहुत लिफ्ट दे देती थी. मैं उसे बहुत ही चाहता था. उसका जिस्म एकदम सेक्सी और मलाई जैसा दिखता था. मैं उसे चोदना चाहता था. मेरे मन में बड़ी ही तमन्ना थी कि उस से शादी करूँ और उसके साथ सुहागरात मनाऊँ. उसकी चूची बड़ी ही अकर्षक थी.
आखिर एक दिन आ ही गया जब वो मेरे साथ सेक्स करने को तैयार हो गई. मैं उसे ऑफिस के एक खाली अकेले कमरे में ले गया. उसके दिल की धडकनों की आवाज़ मुझे ज़ोरों से सुनाई दे रहे थी. मैंने उसे कमरे में एक मेज पर बिठा कर उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया.
उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगीं. उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया मैंने उसके चूचियों को ऊपर से सहलाने लगा. उसके मुँह से अहह्हह की सिसकरियाँ निकलने लगीं. मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ़ खिसकाना शुरू किया, उसके दिल की धड़कनें बढती ही जा रहीं थीं. मैंने अपना हाथ अब उसकी सलवार के अन्दर घुसा दिया और पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा. सुनीता अब बिल्कुल गरम हो चुकी थी, वो अब चुदने के लिए बेकरार थी.
मैंने उसका सलवार-कुर्ता उतार दिया. अब सुनीता केवल ब्रा और पेंटी में ही थी. गुलाबी रंग की ब्रा-पेंटी में वह बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसकी चूचियाँ ब्रा में से निकलने को बेताब हो रहीं थीं. मैंने उसकी ब्रा को अलग किया. सुनीता के दोनों दूध अलग हो गए. सुनीता की चूचियाँ कठोर हो रहीं थीं. मैंने जैसे ही सुनीता की चूची के निप्पल को मुँह में लेकर चूसा, उसकी सिसकारी निकल गई. सुनीता ने भी अब अपना हाथ मेरे पैंट के अन्दर डाल दिया. मैं उसकी चुचियों को पागलों की तरह चूस रहा था. उसने अपने हाथ से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया.
मैंने उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी योनि का एक चुम्बन लिया, सुनीता पागलों की तरह चिल्ला उठी. मैंने उसकी पेंटी को उतार दिया. सुनीता अपनी चूत को अपने हाथों से छुपा रही थी, उसे शरम आ रही थी. मैंने उसके हाथों को हटा कर उसकी चूत को जैसे ही देखा मैं हैरान रह गया. गुलाबी रंग की चूत बिना बालों के बड़ी ही सुंदर लग रही थी. मैंने उसके जिस्म को पैरों से लेकर उसके होठों तक बड़ी ही जोश से चूमा, कोई भी अंग और जगह खाली नहीं बची होगी, जहाँ मैंने उसे नहीं चूमा हो.
अब सुनीता बोली- प्लीज़ जल्दी करो मेरे बदन में आग लग रही है!
मैं बोला- मेरी जान ऐसी भी क्या जल्दी है. पहले मुझे तुम्हारी चूत को चूसने तो दो. और मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया. सुनीता के मुँह से जोर-जोर की सिसकारियाँ निकल रहीं थीं. हाय ये क्या कर रहे हो? मेरे तो आआआ आआआ उस्स्स्स… स्स्स्स स्स्स्स… धीरे… प्लीज़… दर्द हो रहाआआआ है… उईए… म्माआआ… आआहह… रुक्कक… जाओ… मैं उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा.
सुनीता बोली- प्लीज़ अब मुझे मत तरसाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में घुसा दो.
मैं बोला- अभी नहीं डार्लिंग… अभी तो मजा आया है. मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर जैसे ही अन्दर बाहर किया, उसने मेरा सिर अपने हाथों से ज़ोर से पकड़ कर अपनी जांघों से जोरों से दबा लिया और उसकी चूत से पानी निकलने लगा, सुनीता झड़ने वाली थी. मैं रुक गया और बोला- अब तुम मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसो.
सुनीता शरमाने लगी, पर वो मान गई और मुँह में मेरा लंड लेकर चूसने लगी. उसने काफी देर तक मेरा लंड चूसा और मैं अपने एक हाथ की उंगली उसकी चूत में करने लगा. उसके मुंह से फुच्च-फुच्च की आवाज़ आ रही थी. अब मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकाल कर उसके चूत की फाँकों पर रगड़ने लगा, सुनीता के मुँह से सिसकरियाँ निकल रहीं थीं. सुनीता पागल हो रही थी चुदने के लिए.
मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर थोड़ा सा धक्का दिया, सुपाडा पूरा चूत के अन्दर चला गया. सुनीता की चीख़ निकल गई और वह बोली, हाय मैं मर गई, प्लीज़ बाहर निकालो!
मैं बोला- अभी एक मिनट में दर्द बन्द हो जाएगा और तुम्हें मजा आने लगेगा. अब मैंने थोड़ा सा लंड और अन्दर किया, सुनीता चिल्लाने लगी, बोली- प्लीज़ बाहर निकाल लो, नहीं तो मर जाऊँगी! रुक जाओ प्लीज़! दर्द हो रहा है, अभी इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे.’
उसकी सील टूट चुकी थी और वो अब मेरा लंड अपनी चूत में आराम से अंदर ले रही थी. मैंने उसे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया. दो-तीन मिनटों में उसका दर्द जब कुछ कम हुआ तो उसे मजा आने लगा. वो बोली- थोड़ा और अंदर डाल कर और तेज़ी… से चोदो… मुझे!’
मैंने थोड़ा और अंदर दबाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 4′ तक घुस गया. मैं अपनी गति को बढ़ाते हुए उसे चोदने लगा. वो अपना चूतड़ आगे-पीछे करते हुए मेरा साथ दे रही थी. पाँच मिनट तक चोदने के बाद वो बहुत ज्यादा जोश में आ गई. मैंने अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी चूत में धकेल दिया, सुनीता को बहुत दर्द हुआ और उसकी चूत से खून भी निकल आया. वो डरने लगी पर खून ज़ल्दी ही बंद हो गया.
अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए अब सुनीता को मजा आने लगा और वो भी अपने चूतडों को हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी. उसके मुँह से बड़ी ही मादक-मादक आवाजें निकल रहीं थीं. सुनीता कहने लगी, प्लीज़ ज़ोर से धक्का लगाओ और सारा लंड अन्दर कर दो बड़ा ही मजा आ रहा है.
मैंने अब अपना सारा 6 इंच का लंड उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया. सुनीता के मुंह से स्स्स्स्स आह आह्ह्ह उस्सुसुसू जैसी मादक आवाजें निकाल रही थी. मैंने अब सुनीता की चूत में से अपना लंड निकाल कर उसको घोड़ी स्टाईल में खड़ा कर उसकी चूत में लंड घुसा दिया और धक्के मारने लगा. उसको और मजा आने लगा. उसके चूतड़ मुझे बहुत ही आनन्द दे रहे थे. 2 मिनट में ही वो अपनी चूतड़ उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब देने लगी. मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी. मुझे कुछ हो रहा है. लगता है मेरी चूत से पानी निकलने वाला है. खूब ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ.’
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है. मैंने बहुत ही तेज़ी के साथ उसकी चुदाई शुरू कर दी. वो बोली- आआआ!! मैंऽऽऽ आआआऽऽ रहीऽऽ हूँऽऽ और तेज़ऽऽ और तेज़ऽऽ’ उसकी चूत से पानी निकलने लगा और मेरा सारा लंड भीग गया. मैं भी बिना रुके उसे आँधी की तरह चोदता रहा. लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. इस दौरान वो भी 3 बार झड़ चुकी थी. लंड का पूरा पानी उसकी चूत में निकल जाने के बाद मैं हट गया.
आपको सुनीता की चुदाई कैसे लगी प्लीज़ मुझे लिखें. Hindi Porn Stories
दोस्तो, मेरा नाम मनोज है Sex Stories और मैं अन्तर्वासना कहानी पढ़ता हूँ तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. तो मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी आपनी आपबीती बात बताऊँ!
आज मेरी उम्र 21 साल की है और जो कहानी मैं आप लोगो को सुनाने जा रहा हूँ वो करीब 3 साल पुरानी है. आज तक आप लोगों ने सुना होगा कि एक लड़के ने लड़की का जबर चोदन किया तो क्या एक लड़की लड़के का जबर चोदन नहीं कर सकती?
जी हाँ! मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था!
मेरे एक दोस्त की चार बहनें है, चारों की शादी हो चुकी है पर तीन साल पहले वो चारों शादीशुदा नहीं थी. एक का नाम सोनू, दूसरी का नाम मोनू, तीसरी का नाम बबली और चौथी का नाम गीता है. गीता मेरी गर्लफ्रेंड थी और आज भी है. हम 7-8 लोग रोज़ छुपन छुपाई खेलते थे.
एक दिन हम बस पाँच लोग ही थे, मैं और वो चार लड़कियाँ!
सोनू बाजी दे रही थी और हम चार लोग छुपे हए थे, मैं और मेरी गर्लफ्रेंड एक साथ ही थे, वो बहुत ही सेक्सी थी वो मुझसे धीरे धीरे चिपकने लगी, मुझे होटों पर चूमने लगी. मुझे पहली बार किसी के होटों पर चूमा था. हम दोनों बेड के नीचे छुपे थे, वो धीरे धीरे मेरे ऊपर चढ़ने लगी, मुझे डर लगने लगा वो धीरे धीरे मेरे लंड की ओर अपना हाथ बढ़ाने लगी, मेरी पैंट की जिप खोल दी और मेरा लंड पकड़ लिया. मैं और डर गया!
मैंने उससे पूछा- यह क्या कर रही है तू?
तो वो बोली- आप चुपचाप लेटे रहो!
और उसने मेरे होटों पर आपने होंट रख दिए और मेरा मुँह बंद कर लिया. वो धीरे धीरे मेरे लंड को हिलाने लगी और मेरा लण्ड खड़ा हो गया. अब मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा था. उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी पर मजा भी बहुत आ रहा था. वो मेरा लण्ड चूसती रही.
तभी उसकी तीन बहनें और आ गई और मैं और वो दोनों ही बहुत डर गए थे. उसकी तीनों बहनें गुस्से से मुझे और उसे देखने लगी. अब हम पाँचों एक दूसरे की ओर देखने लगे. वो तीनों बहनें धीरे से मुस्कुराई ओर बोली- बेड के नीचे क्या कर रहे हो तुम दोनों? चलो बाहर चलो! गीता तू क्या अकेले ही सारा मजा ले लेगी! हमें नहीं लेने देगी क्या!
और चारों बहनों ने मुझे बेड पर लिटा दिया, फिर सोनू बोली- तुम तीनों मज़े लो, मैं बाहर देखती हूँ कि कोई आना जाये! ठीक है?
सोनू बाहर चली गई, गीता तो मेरे लंड से ही चिपकी रही, मोनू मुझे होटों पर किस करने लगी और बबली मेरे हाथ की बड़ी उंगली को अपनी चूत में डालने लगी पर मैं तो कुछ कर ही नहीं पा रहा था. अब गीता झड़ने वाली थी इसलिए उसने अपने कपड़े उतारे, अपनी चूत मेरे लंड पर रख दी और मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगी. उसकी चूत बहुत ही टाइट थी मेरे लंड में दर्द होने लगा था पर चुदाई में बहुत मजा आ रहा था इसलिए मैं सारा दर्द सहन कर रहा था.
मोनू जोकि मेरे होटों को चाट रही थी, अब उसने भी अपने कपड़े उतार दिए थे पर अपनी चूत के मुँह को मेरे होटों पर रगड़ने लगी. मैंने भी उसकी चूत को जीभ से चाटना चालू कर दिया. तब तक बबली भी अपने कपड़े उतार चुकी थी. बबली तो बस मेरी उंगली से ही अपनी चूत चुदवा रही थी. तीनों ने मुझे अपने नीचे दबा रखा था.
मैं बहुत परेशान हो चुका था. मैंने तीनों को अपने ऊपर से हटाया और गुस्से में कहा- साली रंडियो! एक एक कर के आओ! कुत्तियो आओ!
तब मैंने पहले अपनी गर्लफ्रेंड गीता को पकड़ा और बेड पर दोनों हाथ रखवाये और घोड़ी बना कर उसे चोदना शुरू किया. 15 मिनट तक चोदा, फिर मैं झड़ गया. सारा का सारा वीर्य उसकी चूत में ही छोड़ दिया. वो भी झड़ चुकी थी, मैंने उसे कमरे से बाहर जाने को कहा तो वो बोली- क्यों जाऊँ?
मैंने बोला- तेरी दो बहनों को भी तो चुदना है!
तो गीता बोली- तो मेरे सामने ही चोदो न!
मैंने बोला- नहीं, तू चुदाई देखेगी तो फिर से चुदाने के लिए तैयार हो जायेगी और मुझमें इतनी ताकत नहीं है कि बार बार चोद पाऊँ!
और मैंने गीता को बाहर का रास्ता दिखाया. अब मोनू की बारी थी, वो बहुत देर से बेचैन थी. मेरा लंड ढीला पड़ गया था, मैंने मोनू से कहा- मोनू, मेरी जान! मेरे लंड को खड़ तो कर! जान, तभी तो तुझे चोद पाऊँगा!
इतना बोलने की ही देर थी कि उसने मेरा लण्ड पकड़ा और झट से मुँह में लेकर चूसने लगी. धीरे धीरे मेरा लंड खड़ा हो रहा था और बबली खड़ी खड़ी सब देख रही थी और अपनी बारी का इंतजार कर रही थी, अपनी चूत में उंगली भी कर रही थी. मैंने मोनू की एक टांग अपने कंधे पर रखी और दूसरी टांग जमीन पर ही थी, मैंने उसे एक हाथ से कमर पर पकड़ रखा था, एक हाथ से उसके चुचे दबा रहा था और जोर जोर के धक्के मरता जा रहा था. वो बहुत चिल्ला रही थी, मैंने उसके चुचे दबाना बंद कर उस हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया और फिर 15-20 मिनट में मैं एक बार फिर झड़ गया और सारा वीर्य उसकी ही चूत में झाड़ दिया. लंड के निकलते ही उसने मेरा लंड फिर से चूसना शुरु कर दिया. मुझे लगा कि शायद वो अभी झड़ी नहीं है. फिर मैं जल्दी से उसकी चूत में उंगली करने लगा. 5 मिनट के बाद वो भी झड़ गई और बाहर चली गई.
अब बबली की बारी थी. बबली की चूत और गांड दोनों ही बहुत अच्छी थी. दोनों ही चीज बिना बाल के थी. पहले तो मैंने उसकी चूत में उंगली की, धीरे धीरे एक उंगली उसकी गांड में भी डाल दी. वो सिसकियाँ लेने लगी पर मेरे लंड पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. वो काम वासना के अंतिम चरण पर थी इसलिए उसने मुझसे कहा- मनोज प्लीज़! मुझ से ओर देर तक रुका नहीं जायेगा, मुझे जल्दी से चोदो!
मैंने कहा- रंडी, अभी तो मेरा लंड खड़ा ही नहीं है तो कैसे चोदूँ तुझे!
तभी उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी. धीरे धीरे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने उसे बेड पर लिटाया, दोनों टाँगें अपने कंधे पर रखी और लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर एक जोर का धक्का मारा. वो बहुत जोर से चिल्लाई. आवाज़ सुन कर बाहर से आवाज़ आई- क्या हुआ बबली? तेरी चूत फट गई क्या?
मैं जोर जोर के धक्के लगाता रहा, वो चिल्लाती रही पर मैं तो अपने जोश में था, मैं कहाँ रुकने बाला था, धक्के मारता रहा, मारता रहा. मुझे उसकी गांड बहुत ही सुन्दर लग रही थी तो मैंने चूत को छोड़, गांड पर निशाना साधा. मैंने उसकी गांड पर बहुत सा थूक फेंका और उंगली से पूरी गांड पर लगा दिया. धीरे धीरे उंगली उसकी गांड में अन्दर बाहर करने लगा. गांड जब थोड़ी नरम हुई तो मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में डाल दिया.
वो फिर चिल्लाई और अपनी गांड को टाइट कर लिया. मेरा लंड अब उसकी गांड में फंसा था, मुझे भी दर्द हो रहा था. मैं धीरे धीरे उसकी गांड में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था. वो धीरे धीरे नर्म होती जा रही थी और मेरी स्पीड धीरे धीरे तेज़ होती जा रही थी.
अब वो पूरी तरह से नर्म हो चुकी थी, मैं जोर जोर से धक्के लगा रहा था, वो धीरे धीरे चिल्ला रही थी. मैंने उसकी गांड और चूत बहुत देर तक मारी और अलग अलग तरीकों से उसे चोदा. वो तो दो बार पहले ही झड़ चुकी थी, अब वो तीसरी बार झड़ गई और उसके साथ ही मैं भी झड़ने वाला था. मैंने अपना लंड जल्दी से बाहर निकला और उसके मुँह में डाल दिया. वो उसे चूसने लगी और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया. वो मेरा सारा का सारा वीर्य पी गई. अब तीनों बहनें खुश थी, तीनों कमरे में आई और मुझे चूमने लगी. तीन ने तो मुझे चोद दिया पर चौथी का क्या? अभी तो वो भी तो बाकी है दोस्तो!
चौथी का क्या हुआ, मैं आप लोगों को जरूर बताऊँगा पर तब जब आप लोग मुझे बतायेंगे कि मेरी आपबीती कहानी कैसी लगी आपको! Sex Stories
Hindi sex stories दोस्तो, लड़की को सिड्यूस (कामोत्तेजित) करने में बड़ा मजा आता है. बस उसको कामोत्तेजित करने का तरीका ठीक होना चाहिए.
मैंने अपने घर की नौकरानी को ऐसे ही कामोत्तेजित करके खूब चोदा. आज मैं आप सब को वही कहानी सुनाने जा रहा हूँ. मेरा नाम है अजय. मेरे घर में उलूल-जुलूल नौकरानियों के बाद एक दिन बहुत ही सुन्दर नौकरानी काम करने के लिए आई. वह बहुत ही खूबसूरत थी. सुन्दर होने के साथ-साथ वह सेक्सी भी लग रही थी. उसकी हाइट मीडियम थी, बदन सुडौल था. उसका फीगर 33-26-34 का रहा होगा. वह शादीशुदा भी थी.
उस नौकरानी को देखकर मुझे उसके पति से मन ही मन जलन होना शुरू हो गई थी. उसका पति मुझे बहुत ही किस्मत वाला लग रहा था कि जिसके पास ऐसी सेक्सी बीवी है. मुझे पूरा यकीन था कि वह साला इस सेक्सी नौकरानी को खूब चोदता होगा. उसके बूब्स ऐसे थे कि देखते ही मन करता था बस यहीं पर दबा दो इनको. वह अपनी चूचियों को साड़ी से कितना भी ढकने की कोशिश करती लेकिन उसके बूब्स कहीं न कहीं से बाहर आकर दिखाई देने लगते थे. वह बहुत कोशिश करने के बाद भी अपनी चूचियों के ऊपर की दरार को छिपा नहीं पाती थी. जब मैंने उसकी दरार को तिरछी नजर से देखा तो पता चला कि उसने तो अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी.
शायद हो सकता था कि उसको लगता हो कि ब्रा पर बेकार ही पैसे क्यों खर्च किए जाएं. जब वह ठुमकती हुई चलती थी तो उसके चूतड़ हिलते थे और हिलते हुए ऐसे लगते थे जैसे कह रहे हों कि मुझे पकड़ो और दबा दो. अपनी पतली सी साटिन की साड़ी को जब वह चूत के पास से पकड़ कर संभालती हुई चलती थी तो मन करता था कि काश मैं भी इसकी चूत को छू सकूँ. काश मैं इसके मम्मों को दबा सकूँ. काश मैं इसकी चूचियों को चूस सकूँ. साथ ही साथ मेरा बहुत दिल करता था कि मैं इसकी चूत को चूसते हुए जन्नत का मजा ले सकूँ. इसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोद सकूँ. मेरा लंड भी मानता ही नहीं था.
उसकी चूत में घुसने के लिए मेरा लंड बेकरार रहता था. मगर मैं सोचता था कि मेरा ये सपना पूरा हो तो हो कैसे? वह साली तो मेरी तरफ देखती भी नहीं थी. वह बस अपने काम से ही मतलब रखती थी. काम करने के बाद ठुमकती हुई वापस चली जाती थी. मैंने भी कभी उसको अहसास नहीं होने दिया कि मेरी नज़र उसकी चूत पर है और मैं उसको चोदने के लिए इतना बेताब रहता हूँ. मगर मुझे किसी न किसी तरह उसकी चूत को चोदना ही था. मैंने सोच लिया था कि इसको किसी न किसी तरह गर्म करके ही यह सब संभव हो सकता है.
मगर यह सब मुझे धीरे-धीरे करना होगा. अगर ये नाराज हो गई तो मेरा सारा भांडा फूट जाएगा. कुछ दिन के बाद मैंने उसके साथ बहाने से बातें करना शुरू कर दिया. उसका नाम था किरण. मैंने एक दिन उसको चाय बनाने के लिए कह दिया. जब उसने अपने नर्म हाथों से मुझे चाय पकड़ाई तो मेरा लंड तो जैसे उछल ही गया. मैंने चाय पीते हुए उससे कहा- किरण तुम तो चाय बहुत अच्छी बना लेती हो.
उसने कहा- हां, बाऊजी, चाय तो मैं बना ही लेती हूँ.
उसके बाद मैंने किरण से हर रोज ही चाय बनवाना शुरू कर दिया. फिर एक दिन जब मैं ऑफिस जा रहा था तो मैंने किरण को अपनी शर्ट प्रेस करने के लिए दे दी.
मैंने कहा- तुम तो प्रेस भी अच्छी कर लेती हो.
इस तरह से जब मेरी बीवी मेरे आस-पास नहीं होती थी तो मैं किरण से बातें करना शुरू कर देता था.
मैंने पूछा- किरण, तुम्हारा पति क्या करता है?
वह बोली- एक मिल में काम करता है मेरा आदमी.
मैंने कहा- कितने घंटे की नौकरी होती है उसकी?
उसने कहा- 10-12 घंटे तो लग ही जाते हैं और कई बार तो रात को भी ड्यूटी लगा देते हैं.
मैंने कहा- तुम्हारे बच्चे कितने हैं?
उसने शर्माते हुए जवाब दिया- अभी तो मेरे पास एक लड़की ही है 2 साल की.
मैंने पूछा- तो क्या तुम उसको घर में अकेली ही छोड़कर आ जाती हो?
उसने कहा- नहीं, मेरी एक बूढ़ी सास है. वह उसकी देखभाल कर लेती है.
मैंने पूछा- तुम कितने घरों में काम करती हो?
उसने कहा- साहब, बस एक आपके घर में काम करती हूँ और एक नीचे वाले घर में काम करने जाती हूँ.
मैंने फिर पूछा- तो क्या तुम दोनों का गुजारा हो जाता है?
उसने कहा- साहब हो तो जाता है लेकिन बड़ी मुश्किल से ही काम चल पाता है. मेरा आदमी शराब में बहुत सारे पैसे बर्बाद कर देता है.
अब मेरे काम की बात यहाँ से शुरू हो गई थी.
मैंने किरण से कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ.
किरण ने मुझे अजीब सी नजरों से देखा.
उसने कहा- क्या मतलब है आपका?
मैंने कहा- अरे, मेरा मतलब है कि तुम अपने आदमी को मेरे पास ले आओ, मैं उसको समझा दूंगा.
उसने कहा- ठीक है साहब. कहते हुए उसने एक लम्बी और गहरी सांस ली.
इस तरह हम दोनों के बीच ये बातों का सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और धीरे-धीरे बातों के सहारे मैंने किरण के मन में से उसकी झिझक को कम करने की कोशिश की.
एक दिन मैंने शरारत भरे लहजे में कहा- तुम्हारा आदमी तो पागल ही होगा. इतनी सुंदर बीवी होते हुए भी वह शराब पीता है.
दोस्तो, औरतें काफी समझदार होती हैं. किरण भी मेरा इशारा शायद समझ गई थी लेकिन उसने अपनी नाराजगी का मुझे जरा सा भी अहसास नहीं होने दिया. मुझे भी थोड़ा हिन्ट मिल गया था कि यह भी तैयार हो जाएगी. अगर मुझे मौका मिले इसे दबोचने का तो यह शायद चुदवा भी लेगी.
वो कहते हैं न कि भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं है. एक दिन मेरे पास भी मौका आ ही गया. रविवार का दिन था. मेरी बीवी एक दिन पहले ही मायके चली गई थी. वह हमारे दोनों बच्चों को भी साथ में लेकर गई थी. मेरे बीवी ने कहा था कि अगर किरण आए तो घर का काम ठीक से करवा लेना. सुबह से ही मेरे मन लड्डू फूटने लगे थे और मेरा लंड फुदकने लगा था. मैं बार-बार किरण के बारे में ही सोच रहा था.
कुछ देर के बाद किरण घर में आ गई. उसने दरवाजा बंद कर दिया और अपने काम पर लग गई. इतने दिनों की बात-चीत के बाद हम दोनों अब आपस में काफी खुल भी गए थे. किरण को मेरे ऊपर भरोसा भी हो गया था. इसलिए शायद उसने मेरे बिना कहे ही दरवाजा बंद कर दिया था. मैंने सोचा कि अगर आज मैंने पहल नहीं की तो यह फिर कभी हाथ नहीं आएगी. बात मेरे हाथ से निकल जाएगी. फिर मैंने सोचा कि पहल मैं करूं कैसे? फिर दिल में ख्याल आया कि पैसे की बात ही कर लेता हूँ.
मैंने कहा- किरण, अगर तुम्हें पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. जरा सा भी झिझकना नहीं.
किरण ने कहा- साहब, क्या आप मेरी पगार काटने वाले हैं?
मैंने कहा- अरे नहीं पगली, अगर तुझे अगर कुछ फालतू पैसों की जरूरत हो तो मुझे बता देना. मैं तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ. मैं इस बारे में अपनी पत्नी को भी कुछ नहीं बताऊंगा. लेकिन एक वादा तुमको भी करना होगा कि तुम भी इस बारे में मेरे बीवी से कुछ नहीं कहोगी.
इतना कहकर मैं किरण के जवाब का इंतजार करने लगा.
किरण ने कहा- मैं क्यों बताने लगी आपकी बीवी को?
उसके मुंह से यह जवाब सुनकर मैं खुश हो गया. मेरा तीर एकदम सही निशाने पर जाकर लगा था.
मैंने कहा- तुम खुश हो जाओ अब.
वह बोली- हां साहब, इससे मुझे काफी आराम हो जाएगा.
मैंने कहा- किरण, मैंने तुम्हें खुशी दे दी. क्या तुम नहीं चाहती कि मैं भी खुश हो जाऊं? मगर उसके लिए तुमको अपना मुंह बंद रखना होगा.
कहते हुए मैंने किरण के हाथ में पांच सौ रुपये का नोट थमा दिया.
किरण ने पूछा- क्या करना होगा मुझे साहब?
मैंने कहा- पहले तुम अपनी आंखें बंद कर लो. अगर तुमने आंखें खोल दीं तो तुम शर्त हार जाओगी.
मेरे कहने पर किरण ने आंखें बंद कर लीं और मेरे सामने ही खड़ी रही. मैंने देखा कि किरण के गाल लाल हो रहे थे और उसके होंठ कांपने लगे थे.
मैंने फिर कहा- जब तक मैं ना कहूँ तब तुम्हें अपनी आंखें नहीं खोलनी हैं.
वह बोली- ठीक है साहब.
किरण शरमा रही थी और वहीं पर चुपचाप खड़ी हुई थी. उसने अपने दोनों हाथों को अपनी जवान चूत के सामने लाकर बांध रखा था. जैसे उसको छिपाने की कोशिश कर रही हो.
पहले मैंने किरण के माथे पर हल्का सा चुम्बन किया. अभी तक मैंने उसको अपने हाथों से नहीं छुआ था. वह चुपचाप आंखें बंद करके खड़ी हुई थी. फिर मैंने उसकी पलकों पर हल्के से चुम्बन किया. उसकी आंखें अभी भी बंद ही थीं. फिर मैंने आहिस्ता से उसकी आंखों को चूमने के बाद उसके गालों को भी धीरे से चूम लिया. इतनी ही देर में मेरा लंड तन गया था और मेरे कपड़ों के अंदर लोहे की तरह सख्त होकर खड़ा हो गया था.
उसके बाद मैंने किरण की ठुड्डी पर किस कर दिया.
अबकी बार किरण ने अपनी आंखें खोलने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको पहले ही बोल दिया कि अगर उसने आंखें खोलीं तो वह शर्त हार जाएगी और इसलिए अभी अपनी आंखों को बंद ही रखे. उसने झट से आंखें बंद कर लीं.
अब मैं भी समझ गया था कि उसको तैयार करने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी. अब मुझे बस उसको तैयार करना था, उसकी चूत की चुदाई का मजा लेना था. अबकी बार मैंने उसके कांपते हुए होंठों पर एक किस कर दिया.
मैंने अभी भी उसको अपने हाथों से टच नहीं किया था. उसके बाद किरण ने फिर आंखें खोलीं और मैंने अपने हाथों से ही उसकी पलकों को बंद कर दिया.
अब मैं थोड़ा और आगे बढ़ा, मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर अपनी कमर के दोनों तरफ रखवा दिया. फिर मैंने किरण को अपनी बांहों में लपेट लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसको चूसने लगा. उसके होंठ नहीं बल्कि शराब के प्याले थे. उसके दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिरने लगे थे. इधर मैं उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पीने में लगा हुआ था. बहुत मजा आ रहा था. मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी.
तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूचियां मेरे सीने पर दबाव बना रही हैं. उसकी चूचियां तनकर टाइट हो चुकी थीं. फिर मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और किरण को अपनी तरफ खींचते हुए उसके होंठों को जोर से चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूचियां तो जैसे मलाई थी. अब मेरा लंड बहुत जोर से फुदकने लगा था. फिर मैंने किरण के चूतड़ों अपनी तरफ खींच कर अपने हाथों से दबाना शुरू कर दिया. मेरा लंड उसके बदन से सट गया. मैं किरण के शरीर पर अपने लंड को महसूस करवाना चाहता था.
दोस्तो, शादीशुदा लड़की को चोदना बहुत आसान होता है. इसका एक कारण यह है कि उन्हें सब कुछ पहले से ही पता होता है. इस तरह की लड़कियाँ घबराती नहीं हैं.
किरण ने नीचे से ब्रा नहीं पहनी थी. उसके ब्लाउज के बटन पीछे की तरफ थे. मैंने अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर उसके ब्लाउज के बटन को टटोला और फिर आराम से उनको खोलना शुरू कर दिया. मैंने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए उसके ब्लाउज के बटनों को खोलकर उसके ब्लाउज को उतार फेंका. उसकी चूचियां तो पहले से ही तनी हुई थीं इसलिए खोलते ही उछल कर मेरे हाथों में आ गईं.
उसकी चूचियां वैसे तो कड़क थीं लेकिन मलाई की तरह मुलायम भी थी. फिर मैंने उसकी साड़ी को उतारना शुरू कर दिया. मैंने हल्के से उसकी साड़ी को खींचते हुए किरण को अपने बेड की तरफ ले जाना शुरू कर दिया. जब मैं उसको लेकर बेड के पास पहुंच गया तो मैंने उसको वहां पर आराम के साथ लिटा दिया.
मैंने कहा- किरण, अब तुम आंखें खोल सकती हो.
किरण ने कहा- आप बहुत ही रसीले हो साहब. यह कहकर किरण ने फिर से आंखें बंद कर लीं.
मैंने भी झट से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये. जल्दी ही मैं भी नंगा हो गया.
मेरा लंड उछल-उछल कर दर्द करने लगा था. मैंने उसके पेटीकोट को जल्दी से खोला तो देखा कि उसकी चूत बिल्कुल नंगी थी. उसने नीचे कच्छी भी नहीं पहनी हुई थी.
मैंने कहा- किरण, तुम्हारी चूत तो बिल्कुल नंगी है. क्या तुम कच्छी नहीं पहनती हो?
उसने मेरी इस बात का जवाब दिये बिना ही कहा- साहब, बहुत रौशनी आ रही है. पर्दे बंद कर दो ना.
मैंने उठकर पर्दों को खींच दिया और रूम में थोड़ा अंधेरा हो गया. उसके बाद मैं तुरंत वापस आकर किरण के ऊपर लेट गया.
मैंने किरण के होंठों कस कर चूम लिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा. फिर मैंने उसकी चूत पर अपना हाथ फिराया. उसकी चूत पर घुंघराले से बाल थे. मुझे उसकी चूत के बाल बहुत अच्छे लग रहे थे. फिर मैंने उसकी चूची को मुंह में ले लिया और उसको पीने लगा. बहुत ही अच्छा लग रहा था मुझे.
उसके बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत की दरार पर लगा दिया. फिर उसकी बुर में घुसा दिया. उसकी चूत में मेरी उंगली ऐसे घुस गयी जैसे मक्खन में छुरी घुस जाती है. उसकी चूत बहुत गर्म और गीली हो चुकी थी. उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलना शुरू हो गई थीं. उसकी सिसकारियाँ मुझे और भी मस्ती से भर रही थी.
मैंने कहा- किरण रानी, अब क्या करना है?
वह बोली- साहब, अब और मत तड़पाइये. अब बस कर दीजिए.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं. जान कहकर बुलाओ.
उसने मुझे अपने करीब खींचते हुए कहा- साहब कर दीजिए, अब मत तड़पाओ.
मैंने कहा- नहीं, ऐसे नहीं.
वह बोली- साहब डाल दो न.
मैंने कहा- क्या डाल दूँ? मैंने शरारत करते हुए पूछा.
मुझे उसके मुंह यह सब सुनना बहुत मजा दे रहा था. वह बार-बार डालने की बात कह रही थी लेकिन मैं उसके मुंह से पूरी बात सुनना चाहता था.
वह बोली- यह लंड मेरे अंदर डाल दो ना साहब …
उसने मेरे होंठों से अपने होंठ चिपका दिये. मैंने भी उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- हाँ, मेरी रानी, अब यह लंड तुम्हारी चूत में अंदर जाएगा. कहो तो चोद दूँ तुमको?
वह बोली- हाँ साहब, मुझे चोद दीजिए.
किरण काफी गर्म हो चुकी थी. अब मैंने उसकी चूत के ऊपर अपने लंड को रख दिया. एक झटका दिया और लंड को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया. उसके बाद मैंने अपने हाथों से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. कभी उसके होंठों को, तो कभी उसके गालों को चूमते हुए उसको चोदना शुरू कर दिया. मैं किरण को चोदने में मशगूल हो गया.
मेरा मन कर रहा था कि उसको चोदता ही रहूँ. वह भी मेरे लंड से उछल-उछल कर चुदवा रही थी.
उसने कहा- साहब, आप तो बड़ी ही मस्त चुदाई कर रहे हैं. आह्ह् … आप बस मुझे चोदते ही रहिए. मुझे बहुत मजा आ रहा है. ओह्ह …
धीरे-धीरे किरण के हाथ मेरी पीठ पर कसने लगे थे. उसने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों पर लपेट दी थीं. साथ ही साथ वह नीचे से अपनी गांड को भी उछाल रही थी. वह चुदवा रही थी और मैं मजे से उसको चोद रहा था.
मैंने कहा- किरण रानी, तुम्हारी यह चूत तो मेरे लंड से चुदने के लिए ही बनी है. बहुत ही मस्त चूत है तुम्हारी. बहुत मजा दे रही है. बता ना, कैसी लग रही है मेरी चुदाई. मेरे लंड को लेकर कितना मजा आ रहा है मेरी रानी?
वह बोली- आप बस चोदते रहिए. बहुत मजा आ रहा है. आह्ह् … ओह्ह .. उफ्फ … उम्म …
इस तरह से हम दोनों बातें करते हुए बहुत देर तक चुदाई का मजा लेते रहे. उसके बाद अचानक ही हम दोनों एक साथ झड़ गए. लेकिन मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा था. 20 मिनट के बाद मैंने अपना लंड फिर से उसके मुंह में डाल दिया और उसको चुसवाने लगा. अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए थे. जब वह लंड चूस रही थी तो मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. वैसे दूसरी औरत को चोदने का मजा ही कुछ और होता है यारो.
बल्कि दूसरी बार तो उसको चोदने में और भी ज्यादा मजा आया मुझे. इतना मजा आया कि मैं बता ही नहीं सकता. इस बार लंड ने भी मेरा बहुत देर तक साथ दिया. मेरे लंड को झड़ने में बहुत समय लगा. मैं उसको भरपूर मजा देता रहा.
फिर जब हम थक गए तो वह अपने कपड़े पहनने लगी.
मैंने कहा- किरण रानी, अब तुम चुदवाती रहना मुझसे.
वह बोली- आपने तो बहुत मस्त चुदाई की है साहब. मैं तो अब आपके ही लंड से चुदवाती रहूंगी. चाहे आप मुझे पैसे भी मत देना लेकिन अपने लंड से ही मेरी चूत को चोदना.
उसके बाद मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबा दिया और उसके हाथों को सहलाने लगा.
फिर मैंने किरण को अपने पास बेड पर लेटा लिया और बहुत देर तक उसके होंठों को चूसता रहा.
अब जब भी मौका मिलता है किरण खुद ही अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाती है.
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सभी पाठकों को मेरा प्रणाम !यह कहानी Hindi Sex Stories सच्ची है …मेरी शादी होने के बाद जब मैं ससुराल गया और मेरी साली भैरवी को देखा तो देखते ही रह गया !
क्या बदन था … क़यामत थी … बड़े लम्बे बाल … गोरा रंग .. काली आँखें… बड़े बड़े स्तन …बड़े उभरे हुए नितम्ब …. आऽऽहा … क़यामत थी ….
शुरु में तो वो भाव खा रही थी … मेरी बीवी को बच्चा होने वाला था….मैं भी वहाँ रहता था … रोज काफी मस्ती होती थी। मैं भी उसको छू लेता था तो वो कुछ नहीं बोलती थी …
बाद में उसकी शादी हुई … उसकी उसके पति से नहीं बनी और उसने तलाक ले लिया।
अब वो मेरी साथ काफी बातें करती थी और खूब घुल मिल गई थी … जब भी मौका मिलता, मैं उसके बदन को छू लेता.. वो कुछ नहीं कहती।
एक दिन रात को मैं उसके कमरे में गया …. उसके बालों में हाथ घुमाया … केले जैसी पिन्डलियों पर भी हाथ घुमाया !
उसने कोई विरोध नहीं किया … मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैं अपने होठों से उसके होंठ चूमने लगा …
उसको मजा आया, कहने लगी- मुझे तुम पहले से पसन्द थे !
फिर तो देरी किस बात की…
मैंने उसके संतरे जैसे स्तनों को हाथ में पकड़ा और मसलने लगा..
उसको भी मजा आ रहा था, कई दिनों से उसने लंड नहीं लिया था …
मैं तो उसको चाटने लगा। ऊपर का गाउन को हटा दिया, अब मेरे सामने वो सिर्फ पेंटी में थी और मैं उसले सारे बदन को चाटने लगा…
यह मेरी बहुत सालों से इच्छा थी जो आज पूरी हो रही थी….
उसके दोनों बूब्स जो मेरी जान थे, वो आज मेरे हाथों में थे …
वो कराह रही थी … काफी गरम हो रही थी….. उसकी गोरी काया ….. मुझे उत्तेजित कर रही थी… पूरा बदन जैसे किसी ने फ़ुरसत में बनाया हो ऐसा था…
मैं नसीब वाला हूँ… मेरी जीभ नीचे की ओर गई … एक भी बाल नहीं था …. मेरी जीभ ने अपना काम चालू कर दिया ….
वो भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी !
मेरा ७ इन्च का लंड उसके हाथ में था ….
वो उसको अन्दर लेने के लिए बेताब थी ….
मैंने धीरे से उसकी चूत के मुँह पर लंड को रखा और एक ही झटके में आधा अन्दर घुसेड़ दिया…
क्या टाइट चूत थी… जैसे नई ….
वो बोली …ओह …धीरे से ….
दूसरे झटके में पूरा घुसेड़ दिया…
उसकी आँखों में से पानी निकल गया …
फिर भी बोली …. मजा आया .. जल्दी करो…
मैं तो चालू हो गया
झटके पे झटके ….
उसने दोनों पैर ऊपर उठा के मेरे कंधो पे रख दिए ….
झटके लग ही रहे थे कि उसने मुझे बोला … कुछ और स्टाइल करते हैं …
मैंने बोला- कुतिया बन जाओ…
वो घूम गई और झुक गई…..
क्या गांड थी…
मैं तो पागलों की तरह चूमने लगा !
तो वो बोली … अरे ! दीदी जग जायेगी… !
मैं तो उसकी गांड का छेद देखते ही रह गया…..और उस में डालने की सोचने लगा।
लेकिन उसने मेरा पकड़ के अपनी चूत में घुसेड़ लिया…
मैंने फ़िर से झटके लगाना चालू कर दिया …
काफी समय के बाद उसका पानी निकल गया, मेरा निकलने वाला ही था कि उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी …. पूरा पानी पी गई… बोली- अच्छी चुदाई करते हो ! दीदी लकी है ! …. पहले मालूम होता तो पहले ही कर लेती….
मैं भी पूरी रात उसके साथ ही नंगा सोया रहा … पूरी रात में तीन बार उसकी चुदाई की ….. पर उसकी गांड मरने की इच्छा पूरी नहीं हुई …..
यह मेरी सच्ची कहानी है ….. Hindi Sex Stories
Antarvasna stories...निशा अपने मां बाप की एकलौती लड़की है, दिल्ली में रहती है। निशा के पिताजी राजू शर्मा दिल्ली में ही एल आई सी में ऑफ़िसर थे और चार साल पहले स्वर्गवासी हो गये थे.
निशा की मां श्रीमती रजनी हाऊस वाईफ़ है। निशा के और दो भाई भी है और उनकी शादी भी हो गई है।
निशा ने पिछले साल ही एम ए इंगलिश में पास किया है। निशा का रंग बहुत ही गोरा है और उसका फ़िगर 36-25-38 है। वो जब चलती है तो उसके कमार एक अजीब सी बल खाती है और चलते समय उसके चूतड़ बहुत हिलते हैं।
उसके हिलते हुए चूतड़ को देख कर पड़ोस के कई नौजवान, और बूढे आदमियों का दिल मचल जाता है और उनके लंड खड़े हो जाते है। पड़ोस के कई लड़कों ने काफ़ी कोशिश की लेकिन निशा उनके हाथ नहीं आई।
निशा अपनी पढ़ाई और युनिवरसिटी के संगी साथी में ही व्यस्त रहती थी।
थोड़े दिनो के बाद निशा की शादी उसी शहर के रहने वाले एक पुलिस ऑफ़िसर से तय हो गई।
उस लड़के के नाम मुकेश था और उसके पिताजी का नाम गोविन्द था और सब उनको गोविन्दजी कहकर बुलाते थे। गोविन्द जी कि पत्नी का नाम स्नेहलता है और वो एक लेखिका है। अब तब गिरिजा जी ने करीब 8-10 किताबे लिख चुकी है।
गोविन्द जी अपनी जवानी के दिनो में और अपनी शादी के बाद भी हर औरत को अपनी नज़र से चोदते थे और जब कभी मौका मिलता था तो उनको अपनी लौड़े से भी चोदते थे।
गोविन्द जी बहुत चोदू है और अब तक वो अपने घर में कई लड़कियों और औरतों को चोद चुके थे और अब जब कि उनकी काफ़ी उमर हो गई थी मौका पाते ही कोई ना कोई औरत को पटा कर अपना बिस्तर गर्म कराते थे।
गोविंदजी का लंड की लम्बाई करीब साढे आठ इन्च लम्बा और मोटाई करीब साढे तीन इन्च है और वो जब कोई औरत की चूत में अपना लंड डालते थे तो 25-30 मिनट के पहले वो झड़ते नहीं है। इसलिये जो औरत उनसे अपनी चूत चुदवा लेती है फिर दोबारा मौका पाते ही उनका लंड अपनी चूत में पिलवा लेती है।
आज निशा का सुहागरात है। परसों ही उसकी शादी मुकेश के साथ हुई थी। निशा इस समय अपने कमरे में सज धज कर बैठी अपनी पति का इन्तज़ार कर रही है। उसकी पति कैसे उसके साथ पेश आयेगा, ये सोच सोच कर निशा का दिल जोर जोर से धड़क रहा है। सुहागरात में क्या क्या होता है, यह उसको उसकी भाभी और सहेलियों ने सब बता दिया था।
निशा को मालूम है कि आज रात को उसके पति कमरे में आ कर उसको चूमेगा, उसकी चुची को दबायेगा, मसलेगा और फिर उसके कपड़ों को उतार कर उसको नंगी करेगा। फिर खुद अपने कपड़े उतर कर नंगा हो जायेगा। इसके बाद, उसका पति अपने खड़े लंड से उसकी चूत की चटनी बनते हुए उसको चोदेगा।
वैसे तो निशा को चुदवाने का तजुरबा शादी के पहले से ही है। निशा अपने कॉलेज के दिनो में अपने क्लास के कई लड़कों का लंड अपने चूत में उतरवा चुकी है। एक लड़के ने तो निशा को उसकी सहेली के घर ले जा कर सहेली के सामने ही चोदा था और फिर सहेली कि गांड भी मारी थी।
एक बार तो निशा अपने एक सहेली के घर पर शादी में गई हुई थी। वहाँ उस सहेली के भाई, सुरेश, ने उसको अकेले में छेड़ दिया था और निशा की चुची दबा दिया। निशा ने तो सिर्फ़ मुसकुरा दिया था। फिर सहेली के भाई ने आगे बढ कर निशा को पकड़ लिया और चूम लिया। तब निशा ने भी बढ कर सहेली के भाई को चूम लिया।
तब सुरेश ने निशा के ब्लाऊज के अन्दर हाथ डाल उसकी चुची मसलने लगा और निशा भी गर्म हो कर अपनी चुची मसलवाने लगी और एक हाथ से उसके पेण्ट के ऊपर से उसके लंड पर रख दिया। तब सुरेश ने निशा को पकड़ कर छत पर ले गया। छत पर कोई नहीं था, क्योंकि सारे घर के लोग नीचे शादी में व्यस्त थे।
छत पर जा कर सुरेश ने निशा को छत कि दीवार के सहारे खड़े कर दिया और निशा से लिपट गया। सुरेश एक हाथ से निशा कि चुची दबा रहा था और दूसरा हाथ साड़ी के अन्दर डाल कर उसकी बुर को सहला रहा था। थोड़ी देर में ही निशा गर्मा गई और उसके मुंह से तरह तरह कि आवाज निकलने लगी।
फिर जब सुरेश ने निशा कि साड़ी उतरना चाहा तो निशा ने मना कर दिया और बोली- नहीं सुरेश हमको एकदम से नंगी मत करो। तुम मेरी साड़ी उठा कर, पीछे से अपना गधे जैसा लंड मेरी चूत में पेल कर मुझे चोद दो।’
लेकिन सुरेश ना माना और उसने निशा को पूरी तरह नंगी करके उसको छत के मुंडेर से खड़े करके उसके पीछे जा कर अपना लंड उसकी चूत में पेल कर उसको खूब रगड़ रगड़ कर चोदा। चोदते समय सुरेश अपने हाथो से निशा कि चुची को भी मसल रहा था। निशा अपनी चूत कि चुदाई का बहुत मजा ले रही थी और सुरेश के हर धक्के के साथ साथ अपनी कमार हिला हिला कर सुरेश का लंड अपनी चूत में खा रही थी।
थोड़ी देर के बाद सुरेश निशा कि चूत चोदते चोदते झड़ गया। सुरेश के झड़ते ही निशा ने अपनी चूत से सुरेश का लंड निकल दिया और खुद सुरेश के सामने बैठ कर उसका लंड अपने मुंह में ले कर चाट चाट कर साफ़ कर दिया। थोड़ी देर के बाद निशा और सुरेश दोनों छत से नीचे आ गये।
आज निशा अपनी सुहागरात कि सेज पर अपनी कई बार की चुदी हुई चूत लेकर अपने पति के लिये बैठी थी। उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था क्योंकि निशा को डर था कि कहीं उसके पति को यह ना पता चल जाये कि निशा पहले ही चुदाई का आनन्द ले चुकी है। थोड़ी देर के बाद कमरे का दरवाजा खुला। निशा ने अपनी आंख तिरछी करके देखा कि उसके ससुरजी, गोविन्द जी, कमरे में आये हुए है। निशा का माथा ठनका, कि सुहागरात के दिन ससुरजी को क्या काम आ गया है।
खैर निशा चुपचप अपने आप को सिकोड़े हुये बैठी रही। थोड़ी देर के बाद गोविन्द जी सुहाग की सेज के पास आये और निशा के तरफ़ देख कर बोला- बेटी मैं जानता हूं कि तुम अपने पति के लिये इनतजार कर रही हो। आज के सब लड़के अपने पति का इन्तजार कराती है। इस दिन के लिये सब लड़कियों का बहुत दिनो से इन्तजार रहता है। लेकिन तुम्हारा पति, मुकेश, आज तुमसे सुहागरात मनाने नहीं आ पायेगा। अभी अभी थाने से फोन आया था और वह अपनी यूनिफ़ार्म पहन कर थाने चला गया। जाते जाते, मुकेश यह कह गया कि शहर के कई भाग में डकैती पड़ी है और वोह उसकी छानबीन करने जा रहा है। लेकिन बेटी तू बिल्कुल चिन्ता मत करना। मैं तेरी सुहागरात खाली नहीं जाने दूंगा।’
निशा अपने ससुरजी की बात सुन तो लिया पर अपने ससुर कि बात उसके दिमाग में नहीं घुसी, और निशा अपना चेहरा उठा कर अपने ससुर को देखाने लगी। गोविन्द जी ने आगे बढ कर निशा को पलंग पर से उठा लिया और जमीन पर खड़े कर दिया।
तब गोविन्द जी मुसकुरा कर निशा से बोले- घबराना नहीं, मैं तुम्हारा सुहागरात बेकार जाने नहीं दूंगा, कोई बात नहीं, मुकेश नहीं तो क्या हुआ मैं तो हूं।’
इतना कह कर गोविन्द जी आगे बढ कर निशा को अपने बाहों में भर कर उसकी होठों पर चूम्मा दे दिया।
जैसे ही गोविन्द जी ने निशा के होठों पर चूम्मा दिया, निशा चौंक गई और अपने ससुरजी से बोली- यह आप क्या कर रहे है। मैं तो आपके बेटे कि पत्नी हूं और उस लिहाज से मैं आप कि बेटी लगती हूं और आप मुझको चूम रहे है?’
गोविन्द जी ने तब निशा से कह- पागल लड़की, अरे मैं तो तुम्हारी सुहागरात बेकार ना जाये इसालीये तुमको चूमा। अरे लड़कियाँ जब शादी के पहले जब शिव लिंग पर पानी चढाते है तब वो क्या मांगती है? वो मांगती है कि शादी के बाद उसका पति उसको सुहागरात में खूब रगड़े। समझी?
निशा ने अपना चेहरा नीचे करके पूछा- मैं तो सब समझ गई, लेकिन सुहागरात और रगड़ने वाली बात नहीं समझी।’ गोविन्द जी मुसकुरा कर बोले- अरे बेटी इसमे ना समझने कि क्या बात है? तू क्या नहीं जानती कि सुहागरात में पति और पत्नी क्या क्या करते है? क्या तुझे यह नहीं मालूम कि सुहागरात में पति अपने पत्नी को कैसे रगड़ता है?’
निशा अपनी सिर को नीचे रखती हुइ बोली- हाँ, मालूम तो है कि पहली रात को पति और पत्नी क्या क्या करते और करवाते हैं। लेकिन, आप ऐसा क्यों कह रहे है?
तब गोविन्द जी ने आगे बढ कर निशा को अपनी बांहो में भर लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोले- अरे बहू, तेरा सुहागरात खाली ना जाये, इसलीये मैं तेरे साथ वो सब काम करुंगा जो एक आदमी और औरत सुहागरात में कराते हैं।
निशा अपनी ससुर के मुंह से उनकी बात सुन कर शर्मा गई और अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया और अपने ससुर से बोली- यह बात आप कह रहे है। मैं आपके बेटे कि पत्नी हूं और इस नाते से मैं अपकी बेटी समान हूं और मुझसे आप ये क्या कह रहे है?
तब गोविन्द जी अपने हाथो से निशा कि चुची को पकड़ कर दबाते हुए बोले- हाँ, मैं जानता हूं कि तू मेरी बेटी के समान है। लेकिन मैं तुझे अपने सुहागरात में तड़पते नहीं देख सकता और इसलिये मैं तेरे पास आया हूं।
तब निशा अपने चेहेरे से अपना हाथ हटा कर बोली- ठीक है बाबूजी, आप मेरे से उमर में बड़े है। आप जो ही कह रहे है, ठीक ही कह रहे है। लेकिन घर में आप और मेरे सिवा और भी तो लोग है।
निशा का इशारा अपने सासू मां के लिये था।
तब गोविन्द जी ने निशा कि चुची को अपने हाथो से ब्लाऊज के उपर से मलते हुए कह- निशा तुम चिंता मत करो। तुम्हारी सासू मां को सोने से पहले दूध पीने कि आदत है, और आज मैंने उनको दूध में दो नींद की गोली मिला कर उनको पिला दिया है। अब रात भर वो आरम से सोती रहेंगी।
तब निशा ने अपने हाथो से अपने ससुरजी की कमर पकड़ते हुए बोली- अब आप जो भी करना है कीजिए, मैं मना नहीं करुंगी।
तब गोविन्द जी निशा को अपने बाहों में भींच लिया और उसके मुंह को बेतहाशा चूमने लगे और अपने दोनों हाथों से उसकी चुची को पकड़ कर दबाने लगे। निशा भी चुप नहीं थी। वो अपने हाथो से अपने ससुर का लंड उनके कपड़े के ऊपर से पकड़ कर मुठ मार रही थी।
गोविन्द जी अब रुकने के मूड में नहीं थे, उन्होंने निशा को अपने से अलग किया और उसकी साड़ी का पल्लू को कंधे से नीचे गिरा दिया। पल्लू को नीचे गिराते ही निशा की दो बड़ी बड़ी चुची उसके ब्लाऊज के ऊपर से गोल गोल दिखाने लगी। उन चुची को देखते ही गोविन्द जी उन पर टूट पड़े और अपना मुंह उस पर रगड़ने लगे।
निशा कि मुंह से ओह! ओह! अह! क्या कर रहे हो की आवाजे आने लगी।
थोड़ी देर के बाद गोविन्द जी ने निशा कि साड़ी उतार दिया और तब निशा अपने पेटीकोट पहने ही दौड़ कर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। लेकिन जब निशा कमरे कि लाईट बुझाना चाहा तो गोविन्द जी ने मना कर दिया और बोले- नहीं बत्ती मत बंद करो। पहले दिन रोशनी में तुम्हारी चूत चोदने में बहुत मजा आयेगा।’
निशा शर्मा कर बोली- ठीक है मैं बत्ती बंद नहीं करती, लेकिन आप भी मुझको बिल्कुल नंगी मत कीजियेगा।’
‘अरे जब थोड़ी देर के बाद तुम मेरा लंड अपनी चूत में पिलवाओगी तब नंगी होने में शरम कैसी। चलो इधर मेरे पास आओ, मैं अभी तुमको नंगी कर देता हूं।’ निशा चुपचाप अपना सर नीचे किये अपने ससुर के पास चली आई।
जैसे ही निशा नज़दीक आई, गोविन्द जी ने उसको पकड़ लिया और उसके ब्लाऊज के बटन खोलने लगे। बटन खुलते ही निशा कि बड़ी बड़ी गोल गोल चुची उसके ब्रा के उपर से दिखाने लगी। गोविन्द जी अब अपना हाथ निशा के पीछे ले जकर निशा कि ब्रा का हुक भी खोल दिया। हुक खुलते ही निशा कि चुची बाहर गोविन्द जी के मुंह के सामने झूलने लगी। गोविन्द जी ने तुरंत उन चुची को अपने मुंह में भर लिया और उनको चूसने लगे। निशा कि चुची को चूसते चूसते वो निशा कि पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और पेटीकोट निशा के नितम्बों से सरकते हुए निशा के पैर के पास जा गिरा। अब निशा अपने ससुर के समने सिर्फ़ अपने पेण्टी पहने खड़ी थी। गोविन्द जी ने झट से निशा कि पेण्टी भी उतर दी और निशा बिल्कुल नंगी हो गई। नंगी होते ही निशा ने अपनी चूत अपने हाथो से छुपा लिया और शरमा कर अपने ससुर को कनखियों से देखाने लगी। गोविन्द जी नंगी निशा के सामने जमीन पर बैठ गये और निशा कि चूत पर अपना मुंह लगा दिया। पहले गोविन्द जी अपने बहू कि चूत को खूब सूंघा। निशा कि चूत से निकलती सौंधी सौंधी खुशबु गोविन्द जी के नाक में भर गई। वो बड़े चाव से निशा कि चूत को सूंघने लगे। थोड़ी देर के बाद उन्होंने अपना जीव निकल कर निशा कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। जैसे ही उनका जीव निशा कि चूत में घुसा, तो निशा जो कि पलंग के सहारे खड़ी थी, पलंग पर अपनी चूतड़ टिका दिया और अपने पैर फ़ैला कर अपनी चूत अपनी ससुर से चटवाने लगी। थोड़ी देर तक निशा कि चूत चाटने के बाद गोविन्द जी अपना जीव निशा कि चूत के अन्दर डाल दिया और अपनी जीव को घुमा घुमा कर चूत को चूसने लगे। अपनी चूत चाटने से निशा बहुत गर्म हो गई और उसने अपने हाथो से अपनी ससुर का सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी और उसके मुंह से सी सी की आवाजे निकलने लगी।
अब गोविन्द जी उठ कर निशा को पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया। जैसे ही निशा पलंग पर लेटी, गोविन्द जी झपट कर निशा पर चढ कर बैठ गये और अपने दोनों हाथो से निशा कि चुची को पकड़ कर मसलने लगे। गोविन्द जी अपने हाथों से निशा कि चुची को मसाल रहे थे और मुंह से बोल रहे थे- मुझे मालूम था कि तेरी चुची इतनी मस्त होगी। मैं जब पहली बार तुझको देखाने गया था तो मेरा नज़र तेरी चुची पर ही थी और मैंने उसी दिन सोच लिया था इन चुची पर मैं एक ना एक दिन जरूर अपना हाथ रखूंगा और इनको रगड़ रगड़ कर दबाऊँगा। ‘हाय! अह! ओह! यह आप क्या कह रहे है? एक बाप होकर अपने लड़के के लिये लड़की देखते वक्त आप उसकी सिरफ़ चुची को घूर रहे थे। छीः कितने गन्दे है आप’ निशा मचलती हुई बोली। तब गोविन्द जी निशा को चूमते हुए बोले- अरे मैं तो गन्दा हूं ही, लेकिन तू क्या कम गन्दी है? अपने ससुर के सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई है और अपनी चुची को ससुर से मसलवा रही है? अब बाता कौन ज्यादा गन्दा है, मैं या तू?’ फिर गोविन्द जी ने निशा से पूछा- अच्छा यह बाता कि चुची मसलने से तेरा क्या हाल हो रहा है?’ निशा अपने ससुर से लिपट कर बोली- ‘ऊऊह्हह्हह और जोर से हाँ, ससुरजी और जोर से दबाओ बड़ा मजा आ रहा है मुझे, अपका हाथ औरतों की चुची से खेलने में बहुत ही माहीर है। आपको पता है कि औरतों की चुची कैसे दबाया जाता है। और जोर से दबाईये, मुझे बहुत मजा आ रहा है।
फिर निशा अपने ससुर को अपने हाथों से बांधते हुए बोली- अब बहुत हो गया है चुची से खेलना। आपको इसके आगे जो भी करने वाले हैन जल्दी कीजिये, कहीं मुकेश ना आ जाये और मेरी भी चूत में खुजली हो रही है।’ ‘अभी लो, मैं अभी तुझको अपने इस मोटे लंड से चोदता हूं। आज तुझको मैं ऐसा चोदुंगा कि तु जिंदगी भर याद रखेगी’ इतना कह कर गोविन्द जी उठकर निशा के पैरों के बीच उकड़ू हो कर बैठ गये।
ससुर जी को अपने ऊपर से उठते ही निशा ने अपनी दोनों टांगों को फ़ैला कर ऊपर उठा लिया और उनको घुटने से मोड़ कर अपना घुटना अपने चुची पर लगा लिया। इसासे निशा कि चूत पूरी तरह से खुल कर ऊपर आ गई और अपने ससुर के लंड अपनी चूत को खिलाने के लिये तैयार हो गई। गोविन्द जी भी उठ कर अपना धोiति उतार, चड्डी, कुरता और बनियान उतार कर नंगे हो गये और फिर से निशा के खुले हुए पैरो के बीच में आकर बैठ गये। तब निशा उठ कर अपने ससुर का तनतनाया हुअ लंड अपने नाज़ुक हाथों से पकड़ लिया और बोली- ऊओह्हह्हह ससुरजी कितना मोटा और सख्त है अपका यह।’ गोविन्द जी तब निशा के कान से अपना मुंह लगा कर बोले- मेरा क्या? बोल ना निशा, बोल’ गोविन्द जी अपने हाथों से निशा कि गदराई हुई चुची को अपने दोनों हाथों से मसाल रहे थी और निशा अपने ससुर का लंड पकड़ कर मुट्ठी में बांधते हुए बोली- आआअह्ह ऊओफ़्फ़फ़ ऊईईइम्म म्ममाआ ऊऊह्हह्ह ऊऊउह्ह! आपका यह पेनिस स्सास्सह्ह ऊऊम्माआह।’ गोविन्द जी फिर से निशा के कान पर धीरे से बोले- निशा हिन्दी में बोलो ना इसका नाम प्लीज’। निशा ससुर के लंड को अपने हाथों में भर कर अपनी नज़र नीची कर के अपने ससुर से बोली- मैं नहीं जानती, आप ही बोलीए ना, हिन्दी में इसको क्या कहते हैं।’ गोविन्द जी ने हंस कर निशा कि चुची को चूसते हुए बोले- अरे ससुर के सामने नंगी बैठी है और यह नहीं जानती कि अपने हाथ में क्या पकड़ रखी है? बोल बेटी बोल इसको हिन्दी में क्या कहते और इसासे अभी हम तेरे साथ क्या करेंगे।’
तब निशा ने शर्मा कर अपने ससुर के नगी छती में मुंह छुपाते हुए बोली- ससुर जी मैं अपने हाथों से आपका खड़ा हुआ मोटा लंड पकड़ रखा है, और थोड़ी देर के बाद आप इस लंड को मेरी चूत के अन्दर डाल कर मेरी चुदाई करेंगे। बस अब तो खुश है न आप। अब मैं बिल्कुल बेशरम होकर आपसे बात करुंगी।
इतना सुन कर गोविन्द जी ने तब निशा को फिर से पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया और अपने बहू की टांगो को अपने हाथों से खोल कर खुद उन खुली टांगो के बीच बैठ गये। बैठने के बाद उन्होंने झुक कर निशा कि चूत पर दो तीन चूम्मा दिया और फिर अपना लंड अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बहू कि चूत के दरवाजे पर रख दिया।
चूत पर लंड रखते ही निशा अपनी कमार उठा उठा कर अपनी ससुर के लंड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी। निशा कि बेताबी देख कर गोविन्द जी अपने बहू से बोले- रुक छिनाल रुक, चूत के सामने लंड आते ही अपनी कमार उचका रही है। मैं अभी तेरे चूत कि खुजली दूर करता हूं।
निशा तब अपने ससुर के छाती पर हाथ रख कर उनकी निप्पले के अपने अंगुलियों से मसलते हुए बोली- ऊऊह्हह ससुरजी बहुत हो गया है। अब बार्दाश्त नहीं हो रहा है आओ ना ऊऊओह्हह प्लीज ससुरजी, आओ ना, आओ और जल्दी से मुझको चोदो। अब देर मत करो अब मुझे चोदो ना और कितनी देर करेंगे ससुरजी। ससुर जी जल्दी से अपना यह मोटा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दीजिये। मैं अपनी चूत कि खुजली से पागल हुए जा रही हूं। जल्दी से मुझे अपने लंड से चोदिये। अह! ओह! क्या मस्त लंड है आपका।
गोविन्द जी अपना लंड अपने बहू कि चूत में ठेलते हुए बोले- वाह रे मेरी छिनाल बहू, तू तो बड़ी चुद्दकड़ है। अपने मुंह से ही अपने ससुर के लंड की तारीफ़ कर रही है और अपनी चूत को मेरा लंड खिलाने के लिये अपनी कमार उचका रही है। देख मैं आज रात को तेरे चूत कि क्या हालत बनाता हूं। साली तुझको चोद चोद कर तेरी चूत को भोसड़ा बना दूंगा!
और उन्होंने एक ही झटके के साथ अपना लंड निशा कि चूत में डाल दिया।
चूत में अपने ससुर का लंड घुसते ही निशा कि मुंह से एक हलकी सी चीख निकल गई और उसने अपने हाथों से अपने ससुर को पकड़ उनका सर अपनी चुची से लगा दिया और बोलने लगी- वाह! वह ससुर जी क्या मस्त लंड है आपका। मेरी तो चूत पूरी तरह से भर गई। अब जोर जोर से धक्का मार कर मेरी चूत कि खुजली मिटा दो। चूत में बहुत खुजली हो रही है।’
‘अभी लो मेरे चिनल चुद्दकड़ बहू, अभी मैं तेरी चूत कि सारी कि सारी खुजली अपने लंड के धक्के के साथ मिटाता हूं’ गोविन्द जी कमार हिला कर झटके के साथ धक्का मारते हुए बोले।
निशा भी अपने ससुर के धक्के के साथ अपनी कमर उछाल उछाल कर अपनी चूत में अपने ससुर का लंड लेते बोली- ओह! अह! अह! ससुरजी मजा आ गया। मुझे तो तारे नज़र आ रहे हैं। आपको वाकई में औरत कि चूत चोदने कि कला आती है। चोदिए चोदिए अपने बहू कि मस्त चूत में अपना लंड डाल कर खूब चोदिए। बहुत मजा मिल रहा है। अब मैं तो आपसे रोज़ अपनी चूत चुदवाऊँगी। बोलीये चोदेंगे ना मेरी चूत?
गोविन्द जी अपनी बहू की बात सुन कर मुसकुरा दिये और अपना लंड उसकी चूत के अन्दर बाहर करना जारी रखा। निशा अपनी ससुर के लंड से अपनी चूत चुदवा कर बेहाल हो रही थी और बड़बड़ा रही थी- आआह्हह्हह ससुरजीईए जोरर सीई। हन्नन्न सासयरजीए जूर्रर्रर जूर्रर्र से धक्कक्काअ लगीईई, औरर जोर्रर सीई चोदिईईए अपनी बहू की चूत्त को। मुझीई बहुत्तत्त अस्सह्ह्हाअ लाअग्ग रह्हह्हाअ हैईइ, ऊऊओह्ह्ह और जोर से चोदो मुझे आआहह्ह सौऊउर्रर्रजीए और जोर से करो आआह्हह और अन्दर जोर से। ऊऊओह्हह्ह दीआर्रर ऊऊओह्हह ऊऊफ़्फ़ आआह्ह आआह्हह ऊउईई आअह्हहह ऊम्मम्माआह्ह्ह ऊऊह्ह।’
थोड़ी देर तक जोर जोर के धक्को से अपने बहू की चूत चोदने के बाद गोविन्द जी ने अपना धक्को की रफ़्तार धीमी कर दिया और निशा की चुची को फिर से अपने हाथों में पकड़ कर निशा से पूछा- बहू कैसा लग रहा है अपने ससुर का लंड अपनी चूत में पिलवा कर?
तब निशा अपनी कमर उठा उठा कर चूत में लंड की चोट लेती हुइ बोली- ससुरजी अपसे चूत चुदवा कर मैं और मेरी चूत दोनों का हाल ही बेहाल हो गया है। आप चूत चोदने में बहुत एक्सपर्ट है बड़ा मजा आ रहा है मुझे ससुरजी, ऊओह्हह्हह ससुरजी आप बहुत अच्छा चोदते है आआह्हह ऊऊह्हह। ऊऊओफ़्फ़ ससुरजी आप बहुत ही एक्सपर्ट है और आपको औरतों कि चूत चोद कर औरतों को सुख देना बहुत अच्छी तरह से आता है। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है यूं ही हाँ, ससुर जी यूं ही चोदो मुझे आप बहुत अच्छे हो बस यू ही चुदाई करो मेरी ऊओह्हह्ह खूब चोदो मुझे।
गोविन्द जी भी निशा की बातों को सुन कर बोले- ले रण्डी, छिनाल ले अपने चूत में अपने ससुर का लंड का ठोक कर ले। आज देखते है कि तू कितनी बड़ी छिनाल चुद्दकड़ है। आज मैं तेरी चूत को अपने हलवी लंड से चोद चोद कर भोसड़ा बना दूंगा। ले मेरी चुदक्कड़ बहू ले मेरा लंड अपनी चूत में खा।
गोविंद जी इतना कह कर फिर से निशा कि चूत में अपना लंड जोर जोर से पेलने लगे और थोड़ी देर के बाद अपना लंड जड़ तक ठूंस कर अपनी बहू कि चूत के अन्दर झड़ गये।
निशा भी अपने ससुर कि लंड को चूत को उठा कर अपनी चूत में खाती खाती झड़ गई। थोड़ी देर तक दोनों ससुर और बहू अपनी चुदाई से थक कर सुस्त पड़े रहे।
थोड़ी देर के बाद निशा ने अपनी आंखे खोली और अपने ससुर और खुद को नंगी देख कर शर्मा कर अपने हाथों से अपना चेहरा ढक लिया। तब गोविन्द जी उठ कर पहले बाथरूम में जा कर अपना लंड धो कर साफ़ करने के बाद फिर से निशा के पास बैठ गये और उसके शरीर से खेलने लगे। गोविन्द जी ने अपने हाथों से निशा का हाथ उसके चेहरे से हटा कर अपने बहू से पूछा- क्यों, छिनाल चुद्दकड़ रण्डी निशा मजा आया अपने ससुर के लंड से अपनी चूत चुदवा कर? बोल कैसा लगा मेरा लंड और उसके धक्के?
निशा अपने हाथों से अपने ससुर को बांध कर उनको चूमते हुए बोली- बाबूजी अपका लंड बहुत शानदार है और इसको किसी भी औरत कि चूत को चोद कर मजा देने कि कला आती है। लेकिन, सबसे अच्छा मुझे आपका चोदते हुए गन्दी बात करना लगा। सच जब आप गन्दी बात कराते है और चोदते है तो बहुत अच्छा लगता है।
गोविन्द जी ने अपने हाथों से निशा कि चुची को पकड़ कर मसलते हुए बोले- अरे छिनाल, जब हम गन्दा कम कर रहे है तो गन्दी बात करने में क्या फ़रक पड़ता है और मुझको तो चुदाई के समय गाली बकने कि आदत है। अच्छा अब बोल तुझे मेरा चुदाई कैसी लगी? मजा आया कि नहीं, चूत कि खुजली मिटी कि नहीं?’ निशा ने तब अपने हाथों से अपने ससुर का लंड पकड़ कर सहलाते हुए बोली- ससुरजी आपका लंड बहुत ही शानदार है और मुझे अपसे अपनी चूत चुदवा कर बहुत मजा आया। लगता है कि आपके लंड को भी मेरी चूत बहुत पसंद आई। देखिये ना, आपका लंड फिर से खड़ा हो रहा है। क्या बात है एक बार और मेरी चूत में घुसना चहता है क्या?
गोविंदजी ने तब अपने हाथ निशा कि चूत पर फेराते हुए बोले- साली कुतिया, एक बार अपने ससुर का लंड खा कर तेरी चूत का मन नहीं भरा, फिर से मेरा लंड खाना चाहती है? ठीक है मैं तुझको अभी एक बार फिर से चोदता हूं।’
गोविन्द जी कि बात सुन कर निशा झट से उठ कर बैठ गई और अपने ससुर के समने झुक कर अपने हाथ और पैर के बल बैठ कर अपने ससुर से बोली- बाबू जी, अब मेरी चूत में पीछे से अपना लंड डाल कर चोदिये। मुझे पीछे से चूत में लंड डलवाने में बहुत मजा आता है।’ गोविन्द जी ने तब अपने सामने झुकी हुई निशा की चूतड़ पर हाथ फेराते हुए निशा से बोले- साली कुत्ती तुझको पीछे से लंड डलवाने में बहुत मजा आता है? ऐसा तो कुतिया चुदवाती है, क्या तू कुतिया है?’ निशा अपना सिर पीछे घुमा कर बोली- हाँ मेरे चोदू ससुरजी मैं कुतिया हूं और इस समय आप मुझे कुत्ता बन कर मेरी चूत चोदेंगे। अब जल्दी भी करिये और शुरु हो जाओ जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डालिये।’ गोविन्द जी अपने लंड पर थूक लगाते हुए बोले- ले मेरी रण्डी बहू ले, मैं अभी तेरी फुदकती चूत में अपना लंड डाल कर उसकी खबार लेता हूं। साली तू बहुत चुद्दकड़ है। पता नहीं मेरा बेटा तुझको शान्त कर पायेगा कि नहीं।’ और इतना कहकर गोविन्द जी अपने बहू के पीछे जाकर उसकी चूत अपने अंगुलियों से फैला कर उसमे अपना लंड डाल कर चोदने लगे। चोदते चोदते कभी कभी गोविन्द जी अपना अंगुली निशा कि गांड में घुसा रहे थे और निशा अपनी कमार हिला हिला अपनी चूत में ससुर के लंड को अन्दर भर कर करवा रही थी। थोड़ी देर के चोदने के बाद दोनों बहू और ससुर जी झड़ गये। तब निशा उठ कर बाथरूम में जाकर अपना चूत और जांघे धोकर अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और गोविन्द जी भी अपने कमरे जाकर सो गये।
अगले हफ़्ते मुकेश और निशा अपने हनीमून मनाने अपने एक दोस्त, जो कि शिमला में रहता है, चले गये। जैसे ही मुकेश और निशा शिमला एयरपोर्ट से बाहर निकले तो देखा कि मुकेश का दोस्त, गौतम और उसकी बीवी सुमन दोनों बाहर अपनी कार के साथ उनका इन्तज़ार कर रहे है। मुकेश और गौतम आगे बढ कर एक दूसरे के गले लग गये। फिर दोनों ने अपनी अपनी बीवियों से परिचय करवा दिया और फिर कार में बैठ कर घर की तरफ़ चल पड़े। घर पहुंच कर मुकेश और गौतम बैठक में बैठ कर पुरानी बातो में मशगूल हो गय और निशा और सुमन दूसरे कमरे में बैठ कर बाते करने लगे। थोड़ी देर के बाद मुकेश और गौतम अपनी बीवियों को बुलाकर उनसे कहा कि खाना लगा दो बहुत जोर की भूख लगी है। सुमन ने फटाफ़ट खाना लगा दिया और चारों डाईनिंग टेबल पर बैठ कर खाने लगे। खाना खाते समय निशा देख रही थी कि मुकेश सुमन को घूर घूर कर देख रहा है और सुमन भी धीरे धीरे मुसकुरा रही है। निशा को दाल में कुछ काला नज़र आया। लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
अगले दिन सुबह गौतम नहा धो कर और नाश्ता करने के बाद अपने ऑफ़िस के लिये रवाना हो गया। घर पर निशा, मुकेश और सुमन पर बैठ कर नाश्ता करने के बाद गप लड़ा रहे थे। निशा ने आज सुबह भी ध्यान दिया कि मुकेश अभी भी सुमन को घूर रहा है और सुमन धीरे धीरे मुसकुरा रही है। थोड़ी देर के बाद निशा नहाने के लिये अपने कपड़े ले कर बाथरूम में गई। करीब आधे घण्टे के बाद जब निशा बाथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिया लपेट कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने टांगे फैला कर अपनी कुरसी पर फैली आधी लेटी और आधी बैठी हुई है और उसके ब्लाऊज के बटन सब के सब खुले हुए है मुकेश झुक कर सुमन की एक चुची अपने हाथों से पकड़ चूस रहा है और दूसरे हाथ से सुमन की दूसाड़ी चुची को दबा रहा है। निशा यह देख कर सन्न रह गई और अपनी जगह पर खड़ी कि खड़ी रह गई। तभी सुमन कि नज़र निशा पर पर गई तो उसने अपनी हाथ हिला कर निशा को अपने पास बुला लिया और अपनी एक चुची मुकेश से छुड़ा कर निशा की तरफ़ बढा कर बोली- लो निशा तुम भी मेरी चुची चूसो।’ मुकेश चुपचाप सुमन कि चुची चूसता रहा और उसने निशा कि तरफ़ देखा तक नहीं। सुमन ने फिर से निशा से बोली- लो निशा तुम भी मेरी चुची चूसो, मुझे चुची चुसवाने में बहुत मजा मिलता है तभी मैं मुकेश से अपनी चुची चुसवा रही हूं।’ निशा अब कुछ नहीं बोली और सुमन की दूसाड़ी चुची अपने मुंह में भर कर चूसने लगी।
थोड़ी देर के बाद निशा ने देखा कि सुमन अपना हाथ आगे कर के मुकेश का लंड उसके पैजामे के ऊपर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी में लेकर मारोड़ रही है और मुकेश सुमन कि एक चुची अपने मुंह में भर कर चूस रहा है। अब तक निशा भी गर्म हो गई थी। तभी सुमन ने मुकेश का पैजामे का नाड़ा खींच कर खोल दिया और मुकेश का पैजामा सरक कर नीचे गिर गया। पैजामा के नीचे गिरते ही मुकेश नंगा हो गया क्योंकि वो पैजामे के नीचे कुछ नहीं पहन रखा था। जैसे ही मुकेश मुकेश नंगा हो गया वैसे ही सुमन आगे बढ कर मुकेश का खड़े लंड को पकड़ लिया और उसका सुपारा को खोलने और बंद करने लगी और अपने होठों पर जीभ फेरने लगी। यह देख कर निशा ने अपने हाथों से पकड़ कर मुकेश का लंड सुमन के मुंह से लगा दिया और सुमन से बोली- लो सुमन, मेरे पति का लंड चूसो। लंड चूसने से तुम्हे बहुत मजा मिलेगा। मैं भी अपनी चूत मारवाने के पहले मुकेश का लंड चूसती हूं। फिर मुकेश भी मेरी चूत को अपने जीभ से चाटता है।’ जैसे ही निशा ने मुकेश का लंड सुमन के मुंह से लगाया वैसे ही सुमन ने अपनी मुंह खोल कर के मुकेश का लंड अपने मुख में भर लिया और उसको चूसने लगी। अब मुकेश अपनी कमार हिला हिला कर अपना लंड सुमन के मुंह के अन्दर बाहर करने लगा और अपने हाथों से सुमन कि दोनों चुची पकड़ कर मसलने लगा। तब निशा ने आगे बढ कर सुमन के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही सुमन ने अपनी चूतड़ कुरसी पर से थोड़ा सा उठा दिया और निशा अपने हाथों से सुमन की पेटीकोट को खींच कर नीचे गिरा दिया। सुमन ने पेटीकोट के नीचे पेण्टी नहीं पहनी थी और इसालीये पेटीकोट खुलते ही सुमन भी मुकेश कि तरह बिल्कुल नंगी हो गई।
निशा ने सबसे पहले नंगी सुमन की जांघो को खोल दिया और उसकी चूत को देखाने लगी। सुमन की चूत पर झांटे बहुत ही करीने से हटाई गई थी और इस समय सुमन कि चूत बिल्कुल चमक रही थी। सुमन कि चूत से चुदाई के पहले निकलने वाला रस रिस रिस कर निकल रहा था। निशा झुक कर सुमन के सामने बैठ गई और सुमन कि चूत से अपनी मुंह लगा दिया। निशा का मुंह जैसे ही सुमन कि चूत पर लगा तो सुमन ने अपनी टांगे और फैला दिया और अपने हाथों से अपनी चूत को खोल दिया। अब निशा ने आगे बढ कर सुमन कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। निशा अपनी जीभ को सुमन कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपर तक ला रही थी और सुमन मारे गर्मी के निशा का सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी। उधर मुकेश ने जैसे ही देखा कि निशा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही है तो उसने अपना लंड सुमन के मुंह से लगा कर एक हलका सा धक्का दिया और सुमन अपना मुंह खोल कर मुकेश का लंड अपने मुंह में भर लिया। नीचे निशा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही थी और कभी कभी सुमन के दाने को अपने दांतो से पकड़ कर हलके हलके से दबा रही थी।
थोड़ी देर तक सुमन कि चूत को चाटने और चूसने का बाद निशा उठ कर खड़ी हो गई और मुकेश का लंड पकड़ सुमन के मुंह से निकल दिया और सुमन से बोली- सुमन अब बहुत हो गया लंड चूसना और चूत चटवाना चलो अब अपने पैर कुरसी के हत्थो के ऊपर रखो और मुकेश का लंड अपने चूत में पिलवाओ। मुझे मालूम है कि अब तुम्हे मुकेश का लंड अपने मुंह में नहीं अपनी चूत के अन्दर चाहिये।’ और निशा ने अपने हाथों से अपने पति का खड़ा हुआ लंड सुमन कि गीली चूत कि ऊपर रख दिया। चूत पर लंड के रखते ही सुमन ने अपने हाथों से उसको अपनी चूत की छेद से भिड़ा दिया और मुकेश कि तरफ़ देख कर मुसकुरा कर बोली- लो अब तुम्हारी बीवी ने ही तुम्हारा लंड को मेरी चूत से भिड़ा दिया। अब देर किस बात का है। चलो चुदाई शुरु कर दो।’ इतना सुनते ही मुकेश ने अपना कमार हिला कर अपना तना हुआ लंड सुमन कि चूत के अन्दर उतार दिया। चूत के अन्दर लंड घुसते ही सुमन ने अपने पैर को कुरसी के हत्थों पर रख कर और फैला दिया और अपने हाथों से मुकेश का कमार पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। अब मुकेश अपने दोनों हाथों से सुमन कि दोनों चुची को पकड़ कर अपना कमार हिला हिला कर सुमन को चोदना शुरु कर दिया। सुमन अपनी चूत में मुकेश का लंड पिलवा कर बहुत खुश थी और वो मुड़ कर निशा से बोली,
‘निशा तेरे पति का लंड बहुत ही शानदार है, बहुत लम्बा और मोटा है। मुकेश का लंड मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। तेरी ज़िन्दगी तो मुकेश से चुदवा कर बहुत आराम से कट रही होगी?’
निशा तब मुकेश का एक हाथ सुमन कि चुची पर से हटा कर सुमन कि चुची को मसलते हुए बोली- हाँ, मेरे पति का लंड बहुत ही शानदार है और मुझे मुकेश से चुदवाने में बहुत मजा मिलता है। मैं तो हर रोज़ तीन – चार बार मुकेश का लंड अपनी चूत में पिलवाती हूं। क्यों, गौतम तेरी चूत नहीं चोदता? कैसा है गौतम का लंड?’
सुमन बोली- गौतम का लंड भी अच्छा है और मैं हर रोज़ दो – तीन बार गौतम के लंड से अपनी चूत चुदवाती हूं। गौतम रोज़ रात को हमको रगड़ कर चोदता है और रात कि चुदाई के समय मैं कम से कम से चार-पांच बार चूत का पानी गिराती हूं। लेकिन मुकेश के लंड की बात ही कुछ और है। यह लंड तो मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। असल में मुझे अपनी पति के अलावा दूसरे लंड से चुदवाने में बहुत मजा आता है और जब से मैंने मुकेश को देखा है, तभी से मैं मुकेश का लंड खाने के लिये लालायित थी। अब मेरी मन की मुराद पूरी हो गई है। अब शाम को जैसे ही गौतम ऑफ़िस से घर आयेगा उसका लंड मैं तेरी चूत में पिलवाऊँगी। तब देखना कि गौतम कैसे तुमको चोदता है। मुझे मालूम है कि गौतम के लंड को अपनी चूत से खाकर तुम बहुत खुश होगी।’ निशा चुपचाप सुमन कि बात सुनती रही और झुक कर मुकेश का लंड सुमन की चूत के अन्दर बाहर होना देखती रही। थोड़ी देर के बाद निशा झुक कर सुमन कि एक चुची अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
थोड़ी देर के बाद निशा को अहसास हुआ कि कोई उसके चूतड़ के ऊपर से उसकी तौलिया हटा कर उसकी चूत में अपना लंड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा है। निशा ने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कि उसकी चूत में लंड घुसेड़ने वला और कोई नहीं बल्कि गौतम है। हुआ यह कि गौतम के ऑफ़िस में किसी का देहान्त हो गया था और इसालीये ऑफ़िस में छुट्टी हो गई थी। इसलिये गौतम ऑफ़िस जाकर वापस आ गया था।
गौतम अब तक निशा कि बदन से उसकी तौलिया हटा कर अपना तन्नाया हुअ लंड निशा कि चूत में डाल चुका था और निशा की कमार को पकड़ के निशा की चूत में अपने लंड की ठोकर मारना शुरु हो गया था। गौतम जोर जोर से निशा कि चूत अपने लंड से चोद रहा था और अपने हाथों से निशा कि चुची को मसल रहा था। मुकेश इस समय सुमन को जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था और उसने अपना सिर घुमा कर जब निशा कि चुदाई गौतम के साथ होते देखा तो मुसकुरा दिया और गौतम से बोला- देख गौतम देख, मैं तेरे ही घर में और तेरे ही समने तेरी बीवी को चोद रहा हूं। तुझे तेरी बीवी कि चुदाई देख कर कैसा लग रहा है?’ गौतम ने तब निशा को चूमते और उसकी चुची को मलते हुए मुकेश से बोला- अबे मुकेश, तू क्या मेरी बीवी को चोद रहा है। अरे मेरी बीवी तो पुरानी हो गई है उसकी चूत मैं पिछले दो साल से रात दिन चोद रहा हूं। सुमन कि चूत तो अब काफ़ी फैल चुकी है। अबे तू देख मैं तेरे समने तेरी नई ब्याही बीवी को कुतिया कि तरह झुका कर उसकी टाईट चूत में अपना लंड डाल कर चोद रहा हूं। अब बोल किसे ज्यादा मजा मिल रहा है। सही में यार मुकेश, तेरी बीवी कि चूत बहुत ही टाईट है मगर तेरी बीवी बहुत चुद्दकड़ है, देख देख कैसे तेरी बीवी कि चूत ने मेरा लंड पकड़ रखा है।’ फिर गौतम निशा कि चुची को मसालते हुए निशा से बोला- ओह! ओह! मुझे निशा कि चूत चोदने में बहुत मजा मिल रहा है। अह! निशा रानी और जोर से अपनी गांड हिला कर मेरे लंड पर धक्का मार। मैं पीछे से तेरी चूत पर धक्का मार रहा हूं। निशा रानी बोल, बोल कैसा लग रहा मेरे लंड से अपनी चूत चुदवना। बोल मजा मिल रहा कि नहीं?’ तब निशा अपनी गांड को जोर जोर से हिला कर गौतम का लंड अपनी चूत को खिलाते हुए गौतम से बोली- चोदो मेरे राजा और जोर से चोदो। मुझे तुम्हारी चुदाई से बहुत मजा मिल रहा है। तुम्हारा लंड मेरे चूत की आखरी छोर तक घुस रहा है। ऐसा लग रहा कि तुम्हारा लंड का धक्का मेरी चूत से होकर मेरी मुंह से निकल पड़ेगा। और जोर से चोदो, और सुमन और मुकेश को दिखा दो कि चूत की चुदाई कैसे कि जाती है।’
गौतम और निशा कि चुदाई देखते हुए सुमन निशा से बोली- क्यों छिनाल निशा, गौतम का लंड पसन्द आया कि नहीं? मैं ना बोल रही थी कि गौतम का लंड बहुत ही शानदार है और गौतम बहुत अच्छी तरह से चोदता है? अब जी भर मस्त चुदवा ले अपनी चूत गौतम के लंड से। मैं भी अपनी चूत मुकेश से चुदवा रही हूं।’ मुकेश जोरदार धक्को के साथ सुमन को चोदते हुए बोला- यार गौतम, यह दोनों औरत बड़ी चुदासी है, चल आज दिन भर इनकी चूत चोद चोद कर इनकी चूतों को भोसड़ा बना देते हैं। तभी इनकी चूतों कि खुजली मिटेगी।’ इतना कह कर मुकेश सुमन कि चूत पर पिल पड़ा और दना दन चोदने लगा। गौतम भी पीछे नहीं था, वो अपना हाथों से निशा कि दोनों चुची पकड़ कर अपनी कमर के झटकों से निशा कि चूत चोदना चालू रखा। थोड़ी देर तक ऐसे ही चुदाई चलती रही और दोनों जोड़े अपने अपने साथियों की जम कर चुदाई चालू रखी और थोड़ी देर के बाद दोनों जोड़े साथ ही झड़ गये। जैसे ही मुकेश और गौतम सुमन और निशा कि चूत के अन्दर झड़ने के बाद अपना अपना लंड बाहर निकाला तो दोनों का लंड सफ़ेद सफ़ेद पानी से सना हुआ था और उधर सुमन और निशा कि चूतों से भी सफ़ेद सफ़ेद गाढा पानी निकल रहा था। झट से सुमन और निशा उठ कर अपने अपने पतियों का लंड अपने मुंह में भर कर चूस चूस कर सफ़ किया और फिर एक दूसरे की चूत में मुंह लगा कर अपने अपने पतियों का वीर्य चाट चाट कर साफ़ किया। थोड़ी देर के बाद मुकेश और गौतम का सांस नोरमल हुआ और उठ कर एक दूसरे के गले लग गये और बोले। ‘यार एक दूसरे की बीवीयों को चोदने का मजा ही कुछ अलग है। अब जब तक हमलोग एक साथ है बीवीयों को अदल बदल करके ही चोदेंगे।’
थोड़ी देर के बाद सुमन और निशा अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और तौलिया से अपनी चूत और जांघे पोंछ कर नंगी ही किचन कि तरफ़ चल पड़ी। उनको नंगी जाते देख कर मुकेश और गौतम का लंड खड़े होना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद सुमन और निशा नंगी ही किचन से चाय और नाश्ता ले कर कमरे में आई और कुर्सी पर बैठ गई। मुकेश और गौतम भी नंगे ही कुरसी पर बैठ गये। थोड़ी देर के बाद सुमन झुक कर प्याली में चाय पलटने लगी। सुमन के झुकने से उसकी चुची दोनों हवा ने झूलने लगे। यह देख कर मुकेश ने आगे बढ कर सुमन कि चुची को पकड़ लिया और उन्हे दबाने लगा। यह देख कर निशा अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और गौतम के नंगे गोद पर जा कर बैठ गई। जैसे ही निशा गोद में बैठी गौतम ने अपने हाथों से निशा को जकड़ लिया और उसकी चुची को दबाने लगा। निशा झुक कर गौतम के लंड को पकड़ कर सहलाने लगे और थोड़ी देर के गौतम के लंड को अपने मुंह में भर लिया। यह देख कर सुमन चाय बनना छोड़ कर मुकेश के पैरो के पस बैठ गई उसने भी मुकेश का लंड अपने मुंह में भर लिया। थोड़ी देर के बाद मुकेश ने अपने हाथों से सुमन को खड़े किया और उसको टेबल के सहारे झुका कर सुमन कि चूत में पीछे से जाकर अपना लंड घुसेड़ दिया। सुमन एक हल्की से सिसकरी भर कर अपने चूतड़ हिला हिला अपनी चूत में मुकेश का लंड पिलवती रही और वो खुद निशा और गौतम को देखने लगी। मुकेश और सुमन को फिर से चुदाई शुरु करते देख गौतम भी अपने आप को रोक नहीं पाया और उसने निशा को अपनी गोद से उठा कर फिर से उसके दोनों पैर अपने दोनों तरफ़ करके बैठा लिया। इस तरीके से निशा की चूत ठीक गौतम के लंड के सामने थी। निशा ने अपने हाथों से गौतम के लंड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा कर गौतम के गोद पर झटके साथ बैठ गई और गौतम का लंड निशा कि चूत के अन्दर चला गया। निशा अब गौतम के गोद पर बैठ कर अपनी चूतड़ उठा उठा कर गौतम के लंड का धक्का अपनी चूत पर लेने लगी। कमरे सिर्फ़ फस्सह, फस्सह का आवाज गूंज रही थी और उसके साथ साथ सुमन और निशा की सिसकियाँ।
मुकेश थोड़ी देर तक सुमन कि चूत पीछे से लंड डाल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद उसने अपनी एक अंगुली में थूक लग कर सुमन कि गांड में अंगुली करने लगा। अपनी गांड में मुकेश कि अंगुली घुसते ही सुमन ओह! ओह! है! कर उठी। उसने मुकेश से बोली- क्या बात है, अब मेरी गांड पर भी तुम्हारी नज़र पड़ गई है। अरे पहले मेरी चूत कि आग को शान्त करो फिर मेरी गांड कि तरफ़ देखना।’ लेकिन मुकेश अपनी अंगुली सुमन की गांड के छेद पर रख कर धीरे धीरे घुमाने लगा। थोड़ी देर के बाद मुकेश ने अपनी अंगुली सुमन कि गांड में घुसेड़ दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। सुमन भी अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत कि घुण्डी को सहलाने लगी। जब अपनी थूक और अंगुली से मुकेश ने सुमन कि गांड कि छेद काफ़ी गीली कर ली तब मुकेश ने अपने लंड पर थूक लगाकर सुमन कि गांड की छेद पर रखा। अपनी गांड में मुकेश का लंड छूते ही सुमन बोल पड़ी- अरे अरे क्या कर रहे हो। मुझे अपनी गांड नहीं चुदवाना है। मुझे मालूम है कि गांड मरवाने से बहुत तकलीफ़ होती है। हटो, मुकेश हटो अपना लंड मेरी गांड से हटा लो।’ लेकिन तब तक मुकेश ने अपना खड़े हुअ लंड सुमन कि गांड के छेद पर रख कर दबाने लगा था और थोड़ी से देर के बाद मुकेश का लंड का सुपारा सुमन कि गांड कि छेद में घुस गया। सुमन चिल्ला पड़ी- अर्रर्रीईए माआर्रर्र डालाआआ, ओह! ओह! रमेस्सास्सह्हह निकल्लल्लल्ल लूऊ अपनाआ म्मूस्सास्साअर्रर ज्जजाआईस्सास्साअ लंड्दद्दद म्ममीर्ररीई गाआनद्दद सीई। मैईई मार्रर्र जौनगीईए।’
लेकिन मुकेश कहना सुनने वाला था। वो अपना कमर घुमा कर के और अपना लंड को हाथ से पकड़ के एक धक्का मारा तो उसका आधा लंड सुमन कि गांड में घुस गया। सुमन छटपटाने लगी।
थोड़ी देर के बाद मुकेश थोड़ा रुक कर एक धक्का और मारा तो उसका पूरा का पूरा लंड सुमन कि गांड में घुस गया और वो झुक कर एक हाथ से सुमन की चुची सहलने लगा और दूसरे हाथ से सुमन की चूत में अंगुली करने लगा। लेकिन सुमन मारे दर्द के छटपटा रही थी और बोल रही थे- अबे साले भड़ुवे गौतम, देखो तुम्हारे सामने तुम्हारि बीवी कि गांड कैसे तुम्हारा दोस्त जबरदस्ती से मार रहा है। तुम कुछ करते क्यों नहीं। अब मेरी गांड आज फट जायेगी। लग रहा है आज इस चोदु मुकेश मेरी गांड मार मार कर मेरी गांड और बुर एक कर देगा। गौतम प्लीज तुम मुकेश से मुझे बचाओ।’ तब मुकेश अपने अंगुलियों से सुमन की चूत में अंगुली करते हुए सुमन से बोला- अरे सुमन रानी, बस थोड़ी देर तक सबर करो, फिर देखना आज गांड मरवाने ने तुम्हे कितना मजा मिलता है। आज मैं तुम्हारी गांड मार कर तुम्हारी चूत का पानी निकालूगा। बस तुम ऐसे ही झुक कर खड़ी रहो।’ मुकेश की बात सुन कर गौतम अपना लंड से निशा कि चूत चोदता हुअ सुमन से बोला- रानी, आज तुम मुकेश का मोटा लंड अपनी गांड डलवा कर खूब मज़े उड़ाओ, मैं भी अभी अपना लंड मुकेश की नई बीवी कि गांड में घुसेड़ता हूं और फिर निशा की गांड मारता हूं। मैं निशा की गांड मार कर तुम्हारी गांड मारने का बदला निकलता हूं।’ निशा जैसे ही गौतम की बात सुनी तो बोल पड़ी- अरे वाह क्या हिसाब है, मुकेश आज मौका पा कर सुमन कि गांड मार रहा है और उसकी कीमत मुझे अपनी गांड मारवा कर चुकनी पड़ेगी। नहीं मैं तो अपनी गांड में लंड नहीं पिलवती। गौतम तुम मेरी गांड के बजाय मुकेश कि गांड मार कर अपना बदला निकालो।’ गौतम तब निशा से बोला- नहीं मेरी चुद्दकड़ रानी, जिस तरह से मुकेश ने मेरी बीवी कि गांड में अपना लंड घुसेड़ कर मेरी बीवी की गांड मार रहा है, मैं भी उसी तरह से मुकेश कि बीवी की गांड में अपना लंड घुसेड़ कर मुकेश कि बीवी कि गांड मारुंगा और तभी मेरा बदला पूरा होगा।’ इतना कह कर गौतम ने अपना लंड निशा कि चूत से निकाल लिया और उसमे फिर से थोड़ा थूक लगा कर निशा कि गांड से भिड़ा दिया। निशा अपनी कमर इधर उधर घुमाने लगी लेकिन गौतम ने अपने हाथों से निशा की कमर पकड़ कर अपना लंड का आधा सुपारा निशा कि गांड कि छेद में डाल दिया। निशा दर्द के मारे छटपटाने लगी।
निशा अपनी गांड से गौतम का लंड को निकालने कि कोशिश कर रही थी और गौतम अपने लंड को निशा कि गांड में घुसेड़ने कि कोशिश कर रहा था। इसी दौरान गौतम ने एक बार निशा कि कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर हिला करके एक धक्का मारा तो उसके लौड़े का सुपारा निशा कि गांड कि छेद में घुस गया। फिर गौतम ने जलदी से एक और जोरदार धक्का मारा तो उसका पूरा का पूरा लंड निशा की गांड में घुस गया और गौतम की झांटे निशा कि चूतड़ को छूने लगी। अपनी गांड ने गौतम का लंड के घुसते ही निशा जोर से चीखी और चिल्ला कर बोली- साले बहनचोद, दूसरे कि बीवी कि गांड मुफ़्त में मिल गया तो क्या उसको चोदना जरूरी है? भोसड़ी के निकाल अपना मूसल जैसा लंड मेरी गांड से और जा अपना लंड अपनी मा कि गांड में या उसकी बुर में घुसा दे। अरे मुकेश तुमहे दिख नहीं रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गांड फाड़ रहा है? अरे कुछ करो भी, रोको गौतम को, नहीं तो गौतम मेरी गांड मार मार कर मुझे गांडु बना देगा फिर तुम भी मेरी चूत छोड़ कर के मेरी गांड ही मारना।’ मुकेश अपना लंड सुमन की गांड के अन्दर बाहर कराते निशा से बोला- अरे रानी, क्यों चिल्ला रही हो। गौतम तुम्हे अभी छोड़ देगा और एक-दो गांड मारवने से कोइ गांडु नहीं बन जाता है। देखो ना मैं भी कैसे गौतम कि बीवी कि गांड ने अपना लंड अन्दर बहर कर रहा हूं। तुमको अभी थोड़ी देर के बाद गांड मारवने में भी बहुत मजा मिलेगा। बस चुपचाप अपनी गांड में गौतम का लंड पिलवाती जाओ और मजा लूटो। इतना सुनते ही गौतम ने अपना हाथ आगे बढा कर निशा कि एक चुची पकड़ कर मसलने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लंड निशा कि गांड के अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के निशा को भी मजा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला कर गौतम का लंड अपनी गांड से खाने लगी। थोड़ी देर के बाद मुकेश और गौतम दोनों ही सुमन और निशा कि गांड में अपना लंड के पिचकारी से भर दिया और सुस्त हो कर सोफ़ा में लेट गये।
इस तरह से मुकेश और निशा जब तक गौतम और सुमन के घर पर रुके रहे तब तक दोनों दोस्त एक दूसरे कि बीवीयों की चूत चोद चोद कर मजा मारते रहे। कभी कभी तो दोनों दोस्त निशा या सुमन को एक साथ चोदते थे। एक बिस्तर पर लेट कर नीचे से अपना लंड चूत में डालता था और दूसरा अपना लंड ऊपर से गांड में डालता था। निशा और सुमन भी हर समय अपनी चूत या गांड मरवाने के लिये तैयार रहती थी। जब सब लोग घर के अन्दर रहते थे तो सभी नंगे ही रहते थे। निशा और सुमन भी नंगी हो कर ही चाय या खाना बनाती थी और जब भी मुकेश या गौतम उनके पास अता था तो वो झुक कर उनका लंड अपने मुंह में भर कर चूसती थी और जैसे ही लंड खड़े हो जाता था तो खुद अपने हाथों से खड़े लंड को अपनी चूत से भिड़ा कर खुद धक्का मार कर अपनी चूत में भर लेती थे। एक हफ़्ता तक निशा और मुकेश अपने दोस्त के घर बने रहे और फिर वापस अपने घर के लिये चल पड़े।
जब प्लेन में मुकेश और निशा अपने घर के लिये जा रहे थे तो मुकेश ने निशा से पूछा, क्यों निशा रानी, एक बात सही सही बातओ, कौन ज्यादा अच्छा चोदता है, मैं, गौतम या पिताजी?’ मुकेश का बात सुन कर निशा बिल्कुल अचम्भित हो गई, फिर उसने धीरे से पूछा- पिताजी से चुदाई कि बात तुमको कैसे मालूम? तुम तो अपनी सुहागरात पर ड्यूटी पर थे?’ तब मुकेश धीरे से निशा को चूमते हुए बोला- हाँ, तुम ठीक कह रही हो, मुझे उस दिन ड्यूटी पर जाना पड़ा। जब हम अपनी ड्यूटी से करीब एक घण्टे के बाद लौटा तो देखा तुम पिताजी का लंड पकड़ चूस रही हो और पिताजी तुम्हारी चूत में अपनी अंगुली पेल रहे है। यह देख मैं चुपचाप कमरे के बहर खड़े हो कर तुम्हे और पिताजी का चुदाई खत्म होते वक्त तक देखा और फिर लौट गया और सुबह ही घर पर आया।’
‘क्या तुम मुझसे नाराज़ हो’ निशा धीरे से मुकेश से पूछा।
‘नहीं, मैं तुम से बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं। तुमने पिताजी को अपनी चूत दे कर एक बहुत बड़ा उपकार किया है’ मुकेश बोला। निशा यह सुन कर बोली- वो कैसे’। तब मुकेश बोला- अरे हमारी माताजी अब बुड्ढी हो गई है और उनको टांगे उठाने में तकलीफ़ होते है, लेकिन पिताजी अभी भी जवान हैन। उनको अगर घर पर चूत नहीं मिलती तो वो जरूर से बाहर जाकर अपना मुंह मारते। उसमे हम लोगो कि बदनामी होती। हो सकता कि पिताजी को कोई बिमारी ही हो जाती। लेकिन अब यह सब नहीं होगा क्योंकि उनको घर पर ही तुम्हारी चूत चोदने को मिल जाया करेगा।’
‘तो क्या मुझको पिताजी से घर में बार बार चुदवाना पड़ेगा?’ निशा ने पलट कर मुकेश से पूछा।
‘नहीं बार बार नहीं, लेकिन जब उनकी मरज़ी हो तुम उनको अपनी चूत देने से मना मत करना।’
‘लेकिन अगर तुम्हारी माताजी ने देख लिया तो?’ निशा ने पूछा।
‘तब की बात तब देखी जायेगी’ मुकेश ने कहा।
फिर निशा और मुकेश अपने घर आ गये और वे अपने अपने कम पर लग गये। मुकेश अब पूरी तरह से ड्यूटी करता और रात को निशा को नंगी करके खूब चोदता था। गोविन्द जी भी कभी कभी निशा को मौका देख चोद लेते थे। फिर कुछ दिनो के बाद निशा और मुकेश साथ साथ निशा के मैके गये। ससुराल में मुकेश का बहुत आव-भगत हुअ। निशा के जितने रिशतेदार थे उन सभी ने मुकेश और निशा को खाने पर बुलया। मुकेश और निशा को मज़े ही मज़े थे। अपने ससुराल पर भी मुकेश निशा को रात को दो-तीन दफ़ा जरूर चोदता था और कभी मौका मिल गया तो दिन को निशा को बिसतर पर लेटा कर चुदाई चालू कर देता था। एक दिन मुकेश पास की किसी दुकन पर गया हुआ था। निशा कमरे में बैठ कर पेपर पढ़ रही थी। एकाएक निशा को अपनी मा, रजनी जी के रोने कि अवाज़ सुनाई दिया। निशा भाग कर अन्दर गई तो देखा कि रजनी जी भगवानजी के फोटो सामने खड़ी खड़ी रो रही है और भगवानजी से बोल रही है,
‘भगवन तुमने ये क्या किया। तुम मेरे पति इतनी जल्दी क्यों उठा लिया और अगर उनको उठा लिया तो मेरी बदन में इतना गर्मी क्यों भर दिया। अब मैं जब जब अपनी लड़की और दामाद कि चुदाई देखती हूं तो मेरी शरीर में आग लग जती है। अब क्या करूं? कोइ रास्ता तुम्ही दिखला दो, मैं अपनी गर्म शरीर से बहुत परेशान हो गई हूं।’ निशा समझ गई कि क्या बात है। वो झट अपनी मा के पास जकर मा को अपने बाहों में भर लिया और पीछे से चूमते हुए बोली,
‘मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे क्यों नहीं बोली?’ रजनी जी अपने आपको निशा से चुराते हुए बोली,
‘मैं अगर तुझे बता भी दूं तो तू क्या कर लेती? तुम भी तो मेरी ही तरह से एक औरत हो?’
‘अरे मुझसे कुछ नहीं होता तो क्या तुम्हारा दामाद तो है? तुम्हारा दामाद ही तुमको शान्त कर देगा’ निशा अपनी मा को फिर से पकड़ कर चूमते हुए बोली।
‘क्या बोली तू, अपने दामाद से मैं अपनी जिस्म कि भूख शान्त करवाऊँगी? तेरा दिमाग तो ठीक है?’ रजनी जी अपनी बेटी निशा से बोली। तब निशा अपने हाथों से अपनी मा कि चुची को पकड़ कर दबाते हुए बोली- इसमे क्या हुआ? तुम जिस्म कि भूख से मरी जा रही हो, और तुम्हारा दामाद तुम्हारी जिस्म कि भूख को नहीं मिटा सकता है क्या?, अगर तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं अपने दामाद के समने खुद लेट जाती और उससे कहती आओ मेरे प्यारे दामादजी मेरे पास आओ और मेरी जिस्म की आग बुझाओ।’
‘चल हट बड़ी चुद्दकड़ बन रही है, मुझे तो यह सोच कर ही शरम आ रही है, कि मैं अपनी दामाद के सामने नंगी लेट कर अपनी टांगे उठाऊँगी और वो मेरी चूत में अपना लंड पेलेगा’ रजनी जी मुड़ कर अपनी बेटी कि चुची को मसलते हुये बोली।
तभी मुकेश, जो कि बाहर गया हुआ था, कमरे में घुसा और घुसते हुए उसने अपनी बीवी और सास की बातों को सुन लिया। मुकेश ने आगे बढ कर अपनी सास के सामने घुटने के बल बैठ गया और अपनी सास के चूतड़ों को अपने हाथों से घेर कर पकड़ते हुए सास से बोला- मा आप क्यों चिन्ता कर रही हैं, मैं हूं ना? मेरे रहते हुए आपको अपनी जिस्म कि भूख कि चिन्ता नहीं करनी चाहिये। अरे वो दामाद ही बेकार का है जिसके होते हुए उसकी सास अपनी जिस्म की भूख से पागल हो जाये।’
‘नहीं, नहीं, छोड़ो मुझे। मुझे बहुत शरम लग रही है’ रजनी जी ने अपने आप को मुकेश से छुड़ाते हुए बोली। तभी निशा ने आगे बढ कर अपनी मा कि चुची को पकड़ कर मसलते हुए निशा अपनी मा से बोली- क्यों बेकार की शरम कर रही हो मा। मन भी जाओ अपने दामाद की बात और चुपचाप जो हो रहा उसे होने दो।’ तब थोड़ी देर चुप रहने के बाद रजनी जी अपनी बेटी की तरफ़ देख कर बोली- ठीक है, जैसे तुम लोगो कि मरज़ी। लेकिन एक बात तुम दोनों कान खोल कर सुन लो। मैं अपने दामाद के समने बिल्कुल नंगी नहीं हो पाऊँगी। आगे जैसा तुम लोग चाहो।’ इतना सुन कर मुकेश मुसकुरा कर अपने सास से कह- अरे सासुमा आप को कुछ नहीं करना है। जो कुछ करमा मैं ही करुंगा, बस आप हमारा साथ देती जाये।’
फिर मुकेश उठ कर खड़े हो गया और अपनी सास को अपनी दोनों बाहों में जकड़ कर चूमने लगा। रजनी जी चुपचाप अपने आप को अपने दामाद के बाहों में छोड़ कर खड़ी रही। थोड़ी देर तक अपने सास को चूमने के बाद मुकेश ने अपने हाथों से अपने सास कि चुची पकड़ कर दबाने लगा। अपने चुची पर दामाद का हाथ पड़ते ही रजनी जी मारे सुख के बिलबिला उठी और बोलने लगी- और जोर से दबाओ मेरी चूंचियो को बहुत दिन हो गये किसी ने इस पर हाथ नहीं लगाया है। मुझे अपने दामाद से चुची मसलवाने में बहुत मजा मिल रहा है। और दबाओ। आ बेटी तू ही आ मेरे पास आजा और मेरे इन चुची से खेल।’ अब मुकेश फिर से अपने सास के पैरों के पास बैठ गया और उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमने लगा। रजनी जी अपने चूत के ऊपर अपने दामाद के मुंह लगते ही बिलबिला उठी और जोर जोर से सांस लेने लगी।
मुकेश भी उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमता रहा। थोड़ी देर के बाद रजनी जी से सहा नहीं गया और खुद ही अपने दामाद से बोली- अरे अब कितना तड़पाओगे। तुम्हे चूत में अंगुली या जीभ घुसानी है तो ठीक तरीके से घुसाओ। साड़ी के ऊपर से क्या कर रहे हो?’ अपनी सास कि बात सुन कर मुकेश बोला- मैं क्या करता, आपने ही कहा था आप साड़ी नहीं उतारेंगे। इसिलिये मैं आपकी साड़ी के ऊपर से ही आपकी चूत चूम रहा हूं।’
‘वो तो ठीक है, लेकिन तुम मेरी साड़ी उठा कर भी तो मेरी चूत का चुम्मा ले सकते हो?’ रजनी जी ने अपने दामाद से बोली। अपनी सास कि बात सुनते ही मुकेश ने जल्दी से अपनी सास की साड़ी को पैरों के पास से पकड़ कर ऊपर उठाना शुरु कर दिया और जैसे ही साड़ी रजनी जी की जांघो तक उठ गई तो रजनी जी मारे शरम के अपना चेहेरा अपने हाथों से ढक लिया और अपने दामाद से बोली- अब बस भी करो, और कितना साड़ी उठाओगे। अब मुझे शरम आ रही है। अब तुम अपना सर अन्दर डाल कर मेरी चूत को चूम लो।’ लेकिन मुकेश अपनी सास कि बात को अनसुनी करते हुए रजनी जी की साड़ी को उनकी कमर तक उठा दिया और उनकी नंगी चूत पर अपना मुंह लगा कर चूत को चूम लिया। थोड़ी देर तक रजनी जी की नंगी चूत को चूम कर मुकेश अपनी सास कि चूत को गौर से देखने लगा और अपनी अंगुलियों से उनकी चूत की पत्तियों और दाने से खेलने लगा। मुकेश कि हरकतों से रजनी जी गर्मा गई और उनकी सांस जोर जोर से चलने लगी।
अपनी मा की हालत देख कर निशा आगे बढ कर अपनी मा की चूंचियो से खेलने लगी और धीरे धीरे उनकी ब्लाऊज के बटन खोलने लगी। रजनी ने अपने हाथों से अपने ब्लाऊज को पकड़ते हुए अपने बेटी से पूछने लगी- क्या कर रही हो? मुझे बहुत शरम लग रही है। छोड़ दे बेटी मुझको।’ निशा अपनी काम जारी रखते हुए अपनी मा से बोली- अरे मा, जब तुम अपने दामाद का मूसल अपने चूत में पिलवाने जा रही हो तो फिर अब शरम कैसी? खोल दे अपने इन कपड़ों को और पूरी तरफ़ से नंगी हो कर मेरे पति के लंड का सुख अपने चूत से लो। छोड़ो अब, मुझको तुम्हारे कपड़े खोलने दो।’ इतना कह कर निशा ने अपनी मां का ब्लाऊज, ब्रा, साड़ी और फिर उनकी पेटीकोट भी उतार दिया। अब रजनी जी अपने दामाद के समने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मुकेश अपने नंगी सास को देखते ही उन पर टूट पड़ा और एक हाथ से उनकी चूंचियो को मलता रहा और दूसरे हाथ से उनकी चूत को मसलता रहा। रजनी जी भी गर्म हो कर अपने दामाद का कुरता और पैजामा उतर दिया। फिर झुक कर अपने दामाद का अन्डरवियर भी उतार दिया। अब सास और दामाद दोनों एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे।
जैसे ही रजनी जी ने मुकेश का मोटा मस्त लंड को देखा, रजनी जी अपने आप को रोक नहीं पाई और झुक कर उस मस्त लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। निशा भी चुपचाप खड़ी नहीं थी। वो अपनी मा के चूतड़ के तरफ़ बैठ कर उसकी चूत से अपना मुंह लगा दिया और अपनी मा कि चूत को चूसने लगी। रजनी जी अपने दामाद का मोटा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी और कभी कभी उसको अपने जीभ से चाटने लगी। लंड को चाटते हुए रजनी जी ने अपने दामाद से बोली- हाय! मुकेश, तुमहरा लंड तो बहुत मोटा और लम्बा है। पता नहीं निशा पहली बार कैसे इसको अपनी चूत में लिया होगा। चूत तो बिल्कुल फट गई होगी? मेरे तो मुंह दर्द होने लगा इतना मोटा लंड चूसते चूसते। वैसे मुझे पता था कि तुमहरा लंड इतना शानदार है’
‘कैसे?’ मुकेश ने अपने सास कि चुची को दबाते हुए पूछा। तब रजनी जी बोली- कैसे क्या? तुम जब मेरे घर में अपने शादी के बाद आये थे और रोज दोपहर और रात को निशा को नंगी करके चोदते थे तो मैं खिड़की से झांका करती थी और तुम्हारी चुदाई देखा करती थी। उन दिनो से मैं जानती थी कि तुम्हारा लंड की साईज़ क्या है और तुम कैसे चूत चाटते हो और चोदते हो।’ तब मुकेश ने अपने सास कि चुची को मसलते हुए पूछा- क्या मांजी, आपके पति यानि मेरे ससुरजी का लंड इतना मोटा और लम्बा नहीं था?’ ‘नहीं, निशा के पापा का लंड इतना मोटा और लम्बा नहीं था, और उनमे सेक्स कि भावना बहुत ही कम थी। इसिलिये वो मुझको हफ़्ते में केवल एक-दो बार ही चोदते थे’ रजनी जी ने बोली।
थोड़ी देर के मुकेश अपनी सास को बिस्तर पर लेटा कर उसकी चूत से अपना मुंह लगा दिया और अपने जीभ से उसकी चूत को ्चाटना शुरु कर दिया। चूत में जैसे ही मुकेश की जीभ घुसी तो रजनी जी अपनी कमर उचकते हुए बोली- उम्मम्म, अह्हह, ऊइ मा, राजा अभी छोड़ो ना क्यूं तड़पाते हो, मैं जल रही हूं, तुम्हारा लंड मुझे चूसना है। तुम्हारा लंड तो घोड़े जैसे है, मुझे डर लग रहा है जब तुम अन्दर मेरे चूत मैं डालोगे तो मेरी चूत तो फ़ट जायेगी। मेरी चूत का छेद बहुत छोटा है और ज्यादा चुदि भी नहीं है। आज तुम पहली बार मेरी चूत में अपन लंड डालने जा रहे हो। आराम से डालना और बड़े प्यार से मेरी चूत को चोदना’
तब मुकेश ने अपना लंड अपनी सास कि चूत पर लगाते हुए बोला- कोई बात नहीं मांजी, आपकी चूत को जो भी कमी पहले थी अब उसको मैं पूरा करुंगा। मैं अब रोज़ आपकी और आपकी बेटी को एक ही बिस्तर पर लेटा कर अपन लोगों कि चूत चोदुंगा।’
यह सुनते ही निशा अपने मम्मी से बोली- मां अब तो तुम खुश हो? अब से रोज़ तुम्हारा दामाद तुमको और मुझको नंगी करके हमारी चूत चोदेगा। हाँ, अगर तुम चाहो तो तुम अपनी गांड में भी अपने दामाद का लंड पिलवा सकती हो।’ इतना कह कर निशा ने मुकेश से बोली- मेरे प्यारे पति, अब क्यों देर कर रहे हो। जल्दी से अपना यह खड़ा लंड मेरी मां कि चूत में पेल दो और उनको तबियत के साथ खूब चोदो। देख नहीं रहे हो कि मेरी मा तुम्हारा लंड अपनी चूत में पिलवाने के कितनी बेकरार है। लाओ मैं ही तुम्हारा लंड पकड़ कर पानी मा कि चूत में घुसेड़ देती हूं- और निशा ने अपने हाथों से पकड़ कर मुकेश का लंड उसके सास कि चूत पर लगा दिया। मुकेश का लंड के चूत से लगते ही रजनी जी ने अपनी कमर हिलाना शुरु कर दिया और मुकेश ने भी अपनी कमर हिला कर अपना लंड अपने सास कि चूत में डाल दिया। रजनी जी कि चूत अपने पति के देहान्त के बाद से चुदी नहीं थी और इसालिये बहुत टाईट थी और उसमे अपना लंड डालने में मुकेश को बहुत मजा मिल रहा था। रजनी जी भी अपने दामाद का लंड अपनी चूत में पेलवा कर सातवें आसमान पर पहुंच गई थी और वो बड़बड़ा रही थी- आआअह ऊऊह आराम से डालो यार, मेरी चूत ज्यादा खुली हुई नहीं है। प्लीज, पूरा लंड मत डालो नहीं तो मेरी चूत फ़ट जायेगी, उई मा।म मर गई, ओह, आह, हन, मेरी चूत फ़ाड़ दो, हाँ, ज़ोर से, और ज़ोर से, राजा है मादरचोद मुकेश आज मेरी चूत फाड़ दो आआअह आआह ऊऊह ज़ोर से डालो, और ज़ोर से डालो, आज जितना ज्यादा मेरी चूत के साथ खेल सकते हो खेलो, राजा यह लंड पूरा मुझे दे दो, मैं इस के बिना नहीं रह सकती हूं, पूरा लंड डालो, उम्मम्मम आआह आआह’ ‘उम्मम्मम आआह चूत में गुड, उम्मम्म अह अह अह ओह्ह ओह नो। मैं चूत खाज से मरी जा रही हूं, मुझे जोर जोर से धक्के मार मार कर चोदो।’ थोड़ी देर के बाद रजनी जी ने अपने दामाद को अपने चारों हाथ और पैर से बांध कर बोली- आआअह आआह उम्मम्म, चोदो मुझे ज़ोर से उम्मम्म, उफ़ मादरचोद बहुत मजा आ रहा है, प्लीज रुकना नहीं, ओह मुझे रगड़ कर चोदो, ज़ोर से चोदो, अपना लंड पूरा मुझ को दे दो, तुम जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूंगी लेकिन मुझे और चोदो, तुम बहुत अच्छा चोदते हो, मुझे ही आज बहुत ज्यादा, चोदो भेनचोद तुम्हारा लंड तो तुम्हारे ससुर से भी बड़ा है, चोदो मुझे नहीं तो मैं मर जाऊँगी, अभी तो तुम ने मेरी गांड भी मारनी है।’
थोड़ी देर तक रजनी जी कि चूत चोदने के बाद मुकेश ने अपनी सास से पूछा- मा जी मेरी चुदाई आप को कैसी लग रही है?’ रजनी अपने दामाद कि लंड के धक्के अपने चूत से खाती हुई बोली- मेरे प्यारे दामाद जी बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे तुम्हारी चुदाई बहुत अच्छी लग रही है। तुम चूत चोदने में बहुत ही माहिर हो। बड़ा मजा आ रहा है मुझे तुमसे चुदवाने में डियर ऊओह्हह्ह डियर तुम बहुत अच्छा चोदते हो आआह्हह ऊऊह्हहह्हह्ह ऊऊओफ़्फ़ फ़ुद्दी मारी यू आर एन एक्सपर्ट। तुम्हे मालूम है कि कैसे किसी औरत कि चूत की चुदाई की जाती है और तुम्हे यह भी मालूम है कि एक औरत को कैसे कैसे सुख दिया जा सकता है। यूं ही हाँ डियर यूं ही चोदो मुझे…बस चोदते जाओ मुझे अब कुछ नहीं पूछो आज जी भर के चोदो मुझे डियर हाँ डियर जम कर चुदाई करो मेरी तुम बहुत अच्छे हो बस यूं ही चुदाई करो मेरी…ऊऊह्हहह…।। खूब चोदो मुझे…’ और मुकेश अपनी सास को अपनी पूरी ताकत के साथ चोदता रहा।
मुकेश अपनी सास कि बात सुन सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और जोर जोर से अपने सास कि चूत में अपना लंड पेलने लगा। थोड़ी देर के बाद मुकेश को लगा कि अब वो झड़ने वाला है तो उसने अपनी सास से बोली- सासुमा मैं झड़ने जा रहा हूं।’ तो रजनी जी बोली- राजा, प्लीज मेरी चूत के अन्दर ही झड़ो’ और मुकेश अपना लंड पूरा का पूरा अपनी सास की चूत में लंड ठांस कर लंड कि पिचकरी छोड़ दिया। थोड़ी देर के बाद रजनी जी भी बिसतर पर से उठ खड़ी हुई और सीधे बाथरूम में जा कर घुस गई। थोड़ी देर के बाद अपनी चूत धो धा कर रजनी जी फिर से कमरे घुसी और मुसकुरा कर अपने दामाद से बोली- हाय! मेरे राजा आज तो तुमने कमाल ही कर दिया। तुम तो सिरफ़ एक झड़े लेकिन मैं तुम्हारी चुदाई से तीन बार झड़ी हूं। इतनी जोरदार चुदाई मैंने कभी नहीं की। मेरी चूत तो अब दुख रही है।’
तभी निशा, जो कि अपने पति और अपने मा की चुदाई देख रही थी, बोली- मा अपने दामाद का लंड अपनी चूत में पिलवा कर मजा आया? मेरी शादी की पहली रात तो मैं बिल्कुल मर सी गई थी और अब इस लंड से बिना चुदवा कर मेरी तो रात को नीद ही नहीं आती। मैं रोज़ कम से कम एक बार इस मोटा तगड़ा लंड से अपनी चूत जरूर चुदवती हूं या अपनी गांड मरवाती हूं।’ तभी मुकेश ने अपने सास को अपने बाहों में भर कर बोला- मां जी, एक बार और हो जाये आपकी चूत की चुदाई। मैं जब कम से कम दो या तीन बार नहीं चोद लेता हूं मेरा मन ही नहीं भरता है।’ रजनी जी बोली- अरे थोड़ा रुको, मेरी चूत तुम्हारी चुदाई से तो अब तक कुलबुला रही है। अब तुम एक बार निशा कि चूत चोद डालो।’
‘नहीं मां जी, मैं तो इस वक्त आपकी चूत या गांड में अपना पेलना चाहता हूं। आपकी लड़की कि चूत तो मैं रोज़ रात को चोदता हूं, मुझे तो इस समय आपकी चूत या गांड चोदने की इच्छा है।’ तब निशा अपने मा से बोली- मा चुदवा ना लो और एक बार। अगर चूत बहुत ही कुलबुला रही है तो अपने गांड में ले लो अपने दामाद का लंड। कसम से बहुत मजा मिलेगा।’
तब रजनी जी बोली- ठीक है, जब तुम दोनों कि यही इच्छा है, तो यह लो मैं एक बार फिर से चुदवा लेती हूं। लेकिन इस बार मैं गांड में मुकेश का लंड लेना चाहती हूं। और दो मिनट रुक जओ, मुझे बहुत प्यास लगी है मैं अभी पानी पी कर आती हूं।’ तब निशा अपने मा से बोली- अरे मां, मुकेश का लंड बहुत देर से खड़े है और आप पानी पीने जा रही हो? इन बिस्तर पर लेटो मैं तुमहरी प्यास अपनी मूत से बुझा देती हूं।’
इतना सुनते ही रजनी जी बोली- ठीक है ला अपना मूत ही मुझे पिला मैं प्यास से मरी जा रही हूं’ और वो बिसतर पर लेट गई। मा को बिस्तर पर लेटा देख कर निशा भी बिस्तर पर चढ गई और अपने दोनों पैर मां के सर के दोनों तरह करके बैठ गई और अपनी चूत रजनी जी के मुंह से भिड़ा दिया। रजनी जी भी अपनी मुंह खोल दिया। मुंह खुलते ही निशा ने पिशाब कि धार अपने मा कि मुंह पर छोड़ दिया और रजनी जी अपनी बेटी की मूत बड़े चाव से पीने लगी। पिशाब पूरा होने पर निशा अपने मा के ऊपर से उठ खड़ी हो गई और रजनी जी के बगल में जा कर बैठ गई। तब मुकेश ने अपने सास के बाहों को पकड़ कर उनको बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और उनकी कमर को पकड़ कर उनके चूतड़ को उपर कर दिया। जैसे रजनी जी घोड़ी सी बन कर बिस्तर पर आसन लिया तो मुकेश अपने मुंह से थोड़ा सा थूक निकल कर अपने सास कि गांड में लगा दिया और अपना लंड को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी सास कि गांड कि छेद में लगा दिया। रजनी जी तब अपने हाथों से अपनी बेटी कि चुची को मसलते हुए बोली- मुकेश मेरे राजा, मैंने आज तक कभी गांड नहीं चुदवाई है और मुझको पता है कि गांड मरवाने में पहले बहुत दर्द होता है। इसलिये तुम आराम से मेरी गांड में अपन लंड डालना। जैसे ही मुकेश ने जोर लगा कर अपना लंड का सुपारा अपनी सास की गांड में घुसेड़ा तो रजनी जी चिल्ला उठी- आआह ऊऊह आआह क्या कर रहा हो, मैं मार जाऊँगी, राजा तुम तो मेरी गान्ड फ़ाड़ कर रख दोगे, मैंने पेहले कभी गांड नहीं मरवाई है प्लीज़ मेरे लल्ला आहिस्ता से करो।’ अपनी मा को चिल्लाते देख निशा ने मुकेश से बोली- क्या कर रहे हो, धीरे धीरे आराम से पेलो ना अपना लंड। देख नहीं रहे हो मेरी मां मरी जा रही है। मां कोई भागी थोड़ी ना जा रही है।’
मुकेश इतना सुन कर अपनी बीवी से बोली- क्यों चिन्ता कर रही हो। तुमको अपनी बात याद नहीं। जब मैंने पहली बार अपना लंड तुम्हारी गांड में पेला था तो तुम कितना चिल्लाई थी और बाद तुम्ही मुझसे बोल रही थी, और जोर से पेलो, पेलो जितना ताकत है फ़ाड़ दो मेरी गांड, मुझको बहुत मजा मिल रहा है और मैं तो अब से रोज तुमसे अपनी गांड में लंड पिलवाऊँगी।’ निशा अपने पति कि बात सुन कर अपनी मा से बोली- मा थोड़ा सा सबर करो। अभी तुम्हारी गांड का दर्द खतम हो जयेगा और तुमको बहुत मजा मिलेगा। मुकेश जैसा लंड पेल रहा है उसको पेलने दो।’
तब रजनी जी बोली- वो तो ठीक है, लेकिन अभी तो लग रहा था कि मेरी गांड फटी जा रही है, और मुझको अब पिशाब भी करना है।’ मुकेश अपनी सास कि बात सुन कर निशा से बोला- निशा तुम जलदी से किचन में से एक जग लेकर आओ और उसको अपनी मां की चूत के नीचे पकड़ो।’ निशा जल्दी से किचन में से एक जग उठा कर लाई और उसको अपनी मां की चूत के नीचे रख कर मां से बोली- लो अब मूतो, मेरी प्यारी मां। तुम भी मां एक अजीब ही हो। उधर तुमहरा दामाद अपना लंड तुम्हारे गांड में घुसेड़ रखा है और तुमको पिशाब करनी है।’ रजनी जी कुछ नहीं बोली और अपने एक हाथ से जग को अपनी चूत के ठीक नीचे लकर चर चर करके मूतने लगी। राजनी को वाकई ही बहुत पिशाब लगी थी क्योंकि जग करीब करीब पूरा का पूरा भर गया था।
जब रजनी जी का पिशाब रुक गया तो निशा ने जग हटा लिया और जग को उठा कर अपने मुंह से लगा कर अपनी मां की पिशाब पीने लगी। यह देख कर मुकेश रजनी जी से बोला- अरे क्या कर रही हो, थोड़ा मेरे लिये भी छोड़ देना। मुझको भी अपने सेक्सी सास कि चूत से निकला हुअ मूत पीना है।’ निशा तब बोली- चिंता मत करो, मैं तुम्हारे लिये आधा जग छोड़ देती हूं।’
थोड़ी देर के बाद रजनी जी अपने दामाद से बोली- बेटा मैं फिर से तैयार हूं, तुम मुझे आज एक रण्डी की तरह चोदो। मेरी गांड फ़ाड़ दो। मैं बहुत ही गर्म हो गई हूं। मेरी गांड भी मेरी चूत कि तरह बिल्कुल प्यासी है।’ ‘अभी लो मेरी सेक्सी सासुमा, मैं अभी तुम्हारी गांड अपने लंड के चोटों से फ़ाड़ता हूं’ और यह कह कर मुकेश ने अपना लंड फिर से अपने सास कि गांड में पेल दिया। गांड में लंड घुसते ही रजनी जी फिर जोर से चिल्लने लगी- हाय! फ़ाड़ डाला रे मेरी गांड, फ़ाड़ डाला रे। अरे कोई मुझे बचाओ रे, मेरी दामाद और मेरी बेटी दोनों मिल कर मेरी गांड फड़वा डाला।’ तब निशा अपने मा से बोली- अरे मा क्यों एक छिनाल रण्डी की तरह चिल्ला रही हो, चुप हो जाओ और चुपचाप अपने दामाद से अपनी गांड में लंड पिलवाती रहो। थोड़ी देर के बाद तुमको बहुत मजा मिलेगा।’ अपनी बेटी कि बात सुन कर रजनी जी चुप हो गई लेकिन फिर भी उसकी मुंह से तरह तरह की आवाजे निकल रही थी।
‘आआह्हह्ह… यययौऊ… ऊऊउफ़्फ़फ़… ईईइस्सा स्सास्सह्हह्हह… ऊऊओह्हह… यययौउ… ऊउफ़्फ़… यह… लंड बहुत मोटा और लम्बा है। ऊऊओमम्म्मा आआह्हह… है! मैं मरी जा रही हूं। ऊऊउह्हहह्हह… प्लीऽऽस्सासे… आआअ… ऊऊफ़्फ़फ़… धीरे… जरा धीरे पेलो मैं मरी जा रही हूं। अरे बेटी, अपने पति से बोल ना कि वो जरा मेरी गांड में अपना लंड धीरे धीरे पेले। मुझे तो लग रहा कि मेरी चूत और गांड दोनों एक हो जायेंगी।’ थोड़ी देर के बाद मुकेश अपना हाथ अपने सास के सामने ले जकर उनकी चूत को सहलाने लगा और फिर अपनी अंगुलियों से उनकी चूत की घुण्डी को पकड़ कर मसलने लगा। अपनी चूत पर मुकेश का हाथ पड़ते ही रजनी जी बिलबिला उठी और अपनी कमर हिला हिला कर मुकेश के लंड पर ठोकर मारने लगी।
यह देख कर मुकेश ने निशा से कह- देख तेरी रण्डी मां कैसे अपनी कमर चला कर मेरे लंड को अपने गांड में पिलवा रही है। क्या तुम्हारी यही मां अभी थोड़ी देर पहले अपनी गांड मरवाने पर नहीं चिल्ला रही थी?’ यह सुन कर निशा बोली- ओह्ह मुकेश! क्या बात है! देखो मेरी मां क्या मज़े से अपनी गांड से तुम्हारा लंड खा रही है। देखो मेरी मां कैसे गांड मरवा रही है। मारो, मारो मुकेश, मेरी मा कि गांड में अपना लंड खूब जोर जोर से पेलो। इसके पूरे बदन में लंड के लिये खुजली भरी पड़ी है। चोदो मुकेश साली कि गांड मारो बड़ी खुजली हो रही थी!’
रजनी जी अपनी गांड में दामाद का लंड पिलवा कर सातवे आसमन पर थी और बड़बड़ा रही थी- ओह्हह्ह! देखो निशा मेरी बेटी! तुम्हारी मा गांड में लंड लेकर चुदवा रही है! तुम आखिर अपने मरद से मेरी चूत, गांड चोदवा ही दी! देखो साला मुकेश कैसे चोद रहा है! साला सच्चा मरद है! डाल और डाल रे! चोद! मेरी गांड मार! मेरे बेटी को दिखा! आह्हह ऊह्हहह चोद चोद चोद ऐईइ!’
मुकेश अपनी बीवी और अपनी सास की बात सुनता जा रहा था और अपनी कमर चला चला कर अपनी सास की गांड में अपना लंड पेलता रहा। थोड़ी देर तक रजनी जी कि गांड मारने के बाद मुकेश एक बार जोर से अपना पूरा का पूरा लंड रजनी जी कि गांड घुसेड़ दिया और रजनी जी को जोर से अपने हाथों से जकड़ कर अपना लंड का पानी अपने सास कि गांड ने छोड़ दिया। झड़ने के बाद मुकेश ने अपना लंड अपने सास की गांड से बाहर निकाल लिया।
निशा ने अपनी मां को प्यार से गले लगा लिया। मुकेश ने भी अपनी सासू मां के चरण स्पर्श किया और फिर तीनो साथ ही एक ही बिस्तर पर ये वादा करके लेट गये कि अब पूरे घर में ऐसा ही प्यार भरा माहौल बना रहे।
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