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यह मेरी पहली Hindi sex stories है जिसके माध्यम से मैं अपनी बात सबके सामने रख रहा हूं। अगर आपकी कोई भी प्रतिक्रिया हो तो मेल करना। मुझे इन्तज़ार रहेगा। बात एक साल पहले की है जब मैं एक ट्रैनिंग के लिये जयपुर जा रहा था। माफ़ कारना दोस्तों, मेरा नाम बिल्लू है और मेरी उम्र 28 साल है।
मेरे साथ मेरी एक फ़्रेंड रीना भी जा रही थी। रीना मेरे साथ ही जोब करती है। हम दोनों जब जयपुर पहुंचे तो रात के 8 बजे थे। गरम मौसम के कारण रीना ने एक हलका सा सलवार सूट पहना था। हम जब होटल पहुचे तो पता चला कि हम लोगों के लिये गलती से एक ही रूम रिजर्व था।
होटल के मैनेजर ने माफ़ी मांगी और कहा कि आज आपको काम चलाना होगा, कल से आपके लिये एक और रूम खाली हो जायेगा। रीना के कहने पर मैं उसके रूम मे चला गया। हम जाकर सो गये। रात मे सोते हुये मेरा एक हाथ रीना के चूतड़ों पर लगा। मेरी नींद खुल गयी। हम दोनों एक ही बेड पर थे। मैं बैचेन हो गया और मैने एक हाथ उसके चूतड़ के बीच मे लगा दिया। कुछ देर के बाद रीना ने मेरा हाथ हटा दिया। दस मिनट के बढ मैने उसके लिप्स चूम लिये। रीना भी बैचेन हो गयी और मेरे होटों को चूमने लगी। फिर मैने उसकी बिना बाल कि चूत को चाटा। और उसने मेरा लण्ड चाटा और चूसा। फिर मैने उसकी चूत मे लण्ड डालने के लिया कहा तो उसने मना किया और कहा कि मेरी गाण्ड मार लो।
तब मैने उसको डोगी स्टाईल मे ले कर उसके गाण्ड के छेद मे अपना थूक डाला जिसके बाद उसकी गाण्ड गीली हो गयी। फिर मैने अपना 8 इन्च का लौड़ा उसकी गाण्ड मे डाला। वो दर्द से रोने लगी पेर मैने स्पीड कम नही की। सारे रूम मे उसकी चीखें थी। कुछ देर के बाद उसको भी मजा अने लगा। जब मैं झड़ने लगा तो मैने सारा उसकी गाण्ड मे ही डाल दिया इस तरह हमे बहुत मज़ा आया। आपको ये कहानी कैसी लगी मुझे जरूर मेल करे। अगर कोई 25 से 35 साल क बीच की लड़की या औरत मुझे मेल कारना चाहे तो मुझे मेल करे।
मैं आज अपनी कहानी पहली बार भेज रहा हूं और उम्मीद है पसन्द कि आयेगी जिसमे मैने अपनी मम्मी और बहन को चोदा था साथ साथ पापा भी थे यानि कि पूरा घर ही चुदक्कड़ थ। बात उन दिनो कि है जब मैं 16 या 18 साल का हुआ करता था और मेरी बहन 14 साल की। उस दिन रात को पापा मम्मी कि चुदायी कर रहे थे और मैं पेशाब करने को उठा था तब मैने पापा के रूम से चीखने कि आवाज सुनी और मै जिज्ञासा शान्त करने को रूम कि तरफ़ बढ गया और जब पास गया तो तबियत हरी हो गयी।
मम्मी पूरी तरह से नंगी थी और रूम की लाईट जल रही थी जिससे उनकी चूचियां साफ़ नज़र आ रही थी और पापा उनको पीछे से चूतड़ मे धक्का लगा रहे थे और गाली बक रहे थे साली रण्डी इतनी बार गाण्ड मरवा चुकी है फ़िर भी चिल्लाती है मादरचोद आज तेरी गाण्ड फ़ाड़ दूंगा और पापा कस कस कर धक्के लगाने लगी मम्मी ऊऊ ओफ़्फ़फ ऊउफ़्फफ़्फ़ आआईई आआह्ह आआअह सीई कर रही थी और उनकी आंख से आंसू निकल रहे थे तब पापा ने अपने दोनों हाथ मम्मी की नीचे लटकी चूचियों पर रख कर दबाने लगे जिसे मम्मी को कुछ राहत मिली और वो धक्के लगाने लगी तब पापा उनकी गाण्ड मे खलास हो गये और तब मम्मी ने उनका झड़ा हुआ लौड़ा हाथ मे ले लिया और रगड़ने के बाद मुह मे रख कर चूसने लगी।
बोली- बिल्लूा, आपका लौड़ा पीने मे मुझे बहुत मज़ा आता है।
पापा ने कहा- मेरी जान अकेले अकेले चाटने का मज़ा ले रही हो? यह तो गलत बात है, मैं भी तुम्हारी चूत का पानी चाटूंगा और फ़िर वो दोनों 69 कि स्थिति में लेट गये और फ़िर मम्मी ऊऊह्हह ऊऊऊ ऊऊऊओह्हह् आअहहह्ह आआअह्हह करने लगी और कुछ देर बाद ही दोनों का माल एक दूसरे के मुँह मे गिर गया और उसके बाद मैने अपने पापा के साथ मिलकर किस तरह से मम्मी और बहन की चुदाई की।
इसका जिक्र मैं अगली बार करुंगा Hindi sex stories
मैं अन्तर्वासना की Sex Stories कहानियाँ बहुत दिनों से पढ़ता आ रहा हूँ। मैं भी अपना अनुभव पाठकों के साथ बाँटना चाहता हूँ।
मुझे एक बार काम के सिलसिले में दिल्ली से चेन्नई जाना था। प्रोग्राम देर से बना था इसलिए मुझे कन्फर्म टिकट नहीं मिल पाई थी, मैं स्टेशन पर जाकर टीटी से सीट के लिए बात कर रहा था कि अचानक एक 20-21 साल की लड़की मेरे पास आई और कहने लगी- मेरे पास फर्स्ट एसी का एक एक्स्ट्रा टिकट है, अगर आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो आप मेरे साथ चल सकते हैं।
मैंने तुंरत ही हाँ कह दिया। कन्फर्म टिकट और हसीन साथ और क्या चाहिए। ट्रेन में जाकर मुझे पता लगा कि वोह एक एसी केबिन का टिकट है।
मैंने उससे पूछा- तुम्हें डर नहीं लगेगा अकेले मेरे साथ?
वो बोली- नहीं, तुम ऐसे लगते नहीं हो, वैसे भी अकेले सफ़र करने में भी तो डर है।
सफ़र शुरू होने के थोड़ी देर बाद टीटी टिकट चेक कर गया, फिर वो भी बाथरूम जाकर अपनी ड्रेस बदल कर आ गई।
मैं लेट कर एक नॉवल पढ़ने लगा तभी उसने मुझे दूसरा झटका दिया। उसने केबिन का दरवाजा बंद कर दिया और अपने सामान से एक वोड्का की बोतल निकाल ली और मुझसे पूछने लगी- तुम लोगे क्या?
मैं हैरान था, मैंने हाँ कह दिया। थोड़ी देर में दोनों को नशा होने लगा। हम लोग आपस में काफी खुल गए थे।
फिर उसने कहा- चलो, ताश खेलते हैं।
थोड़ी देर के बाद वो बोली- तुमने कभी स्ट्रिप पोकर खेला है?
यह सुनकर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं समझने लगा कि यह लड़की चाहती क्या है, मैंने कहा- खेला तो नहीं है पर अगर तुम चाहो तो खेल सकता हूँ।
वो बोली- ठीक है पर पूरे कपड़े नहीं उतारेंगे और तुम मेरे साथ कुछ उल्टा सीधा नहीं करोगे !
मैंने कहा- ठीक है।
पहला गेम मैंने जीता।
उसने शर्त के अनुसार अपनी शर्ट उतार दी। अन्दर उसने काली सिल्की ब्रा पहनी हुई थी जिसमें से उसके गोरे मम्मे झांक रहे थे।
मेरा सर घूमना शुरू हो गया। मेरी नज़र अब उसके मम्मों पर बार बार जा रही थी, ध्यान भंग होने के कारण मैं अगले दोनों गेम हार गया और अब मैं सिर्फ अपने अंडरवियर में था जिसमें मेरा लंड खड़ा हुआ साफ़ दिख रहा था।
वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराकर बोली- और खेलना है?
मैंने कहा- मैं हार गया तो पूरा नंगा हो जाऊंगा !
वो बोली- तो क्या मैं भी तो हार सकती हूँ !
हमने अगला गेम खेला और वो जानबूझ कर हार गई। उसने अपना पजामा उतारा तो उसकी दूधिया जांघें देखकर मेरी आह निकल गई।
वो बोली- और खेलना है?
मैंने कहा- पर तुम तो कह रही थी कि पूरे कपड़े नहीं उतारेंगे?
वो बोली- मैं उतारने को तैयार हूँ अगर तुम मेरे साथ कुछ उल्टा सीधा न करो तो !
मैंने कहा- ठीक है।
मैं अगला गेम हार गया।
उसने बोला- चलो उतारो !
मैंने धीरे से अपना अंडरवियर उतार दिया और मेरा आठ इंच का मोटा लंड बाहर निकल आया जिसे देख कर वो मुस्कुराने लगी।
उसने कहा- और खेलना है?
मैंने कहा- और क्या ! मैं भी तुम्हें नंगा देखना चाहता हूँ !
वो मुस्कुराई और खेलने लगी, और बार बार मेरे मोटे लंड को देखती रही।
अगला गेम वो हार गई और जैसे ही उसने अपनी ब्रा उतारी उसके सफ़ेद मम्मे मेरे सामने प्रकट हो गए।
मैंने अपने आप को कैसे संभाला मैं ही जानता हूँ।
पर इस धीरे धीरे होने वाले इस गेम में मुझे मज़ा आ रहा था। अगला गेम वो जानबूझ कर हार गई।
मैंने कहा- तुम्हारी पैंटी मैं उतारूंगा !
उसने कहा- ठीक है ! पर शर्त याद है न? तुम कुछ उल्टा सीधा नहीं करोगे !
मैंने कहा- है तो बड़ा मुश्किल ! पर कोशिश करूंगा !
वो मेरे सामने खड़ी हो गई और मैंने धीरे से उसकी पैंटी उतार दी और उसकी चिकनी चूत के दर्शन किये।
मैं उसके बाद बैठ तो गया पर कण्ट्रोल करना बड़ा मुश्किल हो रहा था। मैंने धीरे से अपना लंड सहलाना शुरू कर दिया।
वो हंस कर मेरे पास आई और बोली- कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो तुम तड़प कर मर जाओगे !
उसने अपने हाथ से मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया, फिर वो मेरे सामने नीचे बैठ गई और मेरे लंड को चाटने लगी, फिर धीरे धीरे उसने उसको चूसना शुरू किया।
मैं नियंत्रण से बाहर होता जा रहा था, मैंने उसके बाल पकड़ लिये और उसके मुँह को जोर जोर से चोदने लगा।
मुझे झड़ने में ज्यादा देर नहीं लगी, वो मेरा पूरा जूस पी गई। उसके बाद वो मेरे बगल में बैठ गई।
मैंने पूछा- आज तक तुम कितने लंडों का स्वाद चख चुकी हो?
वो बोली- मैंने गिना नहीं !
मैंने पूछा- और कबसे चुदवा रही हो?
“कई सालों से !”
“पहली बार कैसे हुआ था?”
वो बोली- ठीक है, जब तक तुम्हारा लंड दुबारा खड़ा होता है, तुम्हें पहली बार का किस्सा बताती हूँ।
वो मेरे बगल में बैठ गई और मेरा लंड अपने हाथ में लेकर धीरे धीरे सहलाते हुए मुझे बताने लगी- य बात तब की है जब मैंने नया नया अपनी जवानी की दहलीज़ पर कदम रखा था, मेरी सहेलियाँ अपनी चुदाई के किस्से मुझे सुनाती थी, पर मैं तब तक कुँवारी ही थी। मेरे पापा के एक दोस्त हमारे साथ रहने हमारे घर आये। मैंने महसूस किया कि जबसे वो घर आये हैं बार बार मुझे देखते थे और मुझसे बात करते थे।
एक रात को जब सब सो गए तो वो मेरे कमरे में आये और बोले- मेरा आज अकेले मन नहीं लग रहा ! अगर तुम्हें कोई परेशानी नो हो तो तुम्हारे कमरे में सो जाऊँ?
मैंने कहा- ठीक है, जैसा आपका मन।
लाइट बंद होने के बाद थोड़ी देर में मेरी आँख लग गई। अचानक मैंने महसूस किया कि अंकल मेरी चादर में घुस गए हैं और मुझसे सट कर लेट गए हैं।
मैंने अंकल से दूसरी तरफ करवट ले ली। उन्होंने भी मेरी तरफ करवट ली और मुझसे फिर सट गए, उनका लंड मुझे अपनी गांड पर महसूस होने लगा। उन्होंने धीरे से हाथ आगे बढ़ाया और मेरे दाहिने मम्मे पर टिका दिया, फिर वो उसको धीरे धीरे मसलने लगे।
पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा पर फिर मज़ा आने लगा। उन्होंने फिर अपना हाथ मेरी शर्ट के अन्दर डाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और आगे हाथ ले जा कर मेरे मम्मे मसलने लगे।
मैंने करवट ली और सीधी हो गई। उन्होंने मेरी शर्ट और ब्रा ऊपर उठाई और मम्मे चूसने और चाटने लगे।
मैं अब गरम होने लगी थी, मेरी चूत गीली हो रही थी। अंकल ने एक हाथ मेरी पैंटी में डाला और मेरी चूत को छेड़ने लगे।
मैं काबू से बाहर हो रही थी, मेरे मुँह से आह….. आह….. की आवाजें निकल रही थी।
फिर अंकल ने नीचे जाकर मेरी पैंटी और पजामा दोनों एक साथ उतार दिए। उन्होंने मेरी टाँगे मोड़ कर फैला दी और चूत को पूरी तरह खोल दिया। मेरी उनचुदी बुर देखकर उनसे रहा न गया।
अंकल अपनी पैंट और अंडरवियर दोनों उतार दिए और अपना लंड मेरी चूत के पास ले आये। उन्होंने मुझसे धीरे से पूछा- पहले किया है?
मैंने कहा- नहीं !
ठीक है ! मैं धीरे से करूंगा। शुरू में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़ा आएगा।
फिर उन्होंने अपने लंड पर थोड़ा सा तेल लगाया और मेरी चूत से धीरे धीरे बाहर से ही रगड़ने लगे।
मैं धीरे धीरे पागल होती जा रही थी, फिर अचानक उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया और मेरी चीख निकल गई।
अंकल ने मेरे मुँह पर हाथ रखा फिर मुझे धीरे धीरे चोदने लगे, मेरा दर्द धीरे धीरे आनंद में बदलने लगा, उनके धक्के तेज होने शुरू हो गए थे और मैं पागल हुई जा रही थी। मेरी आह आह की आवाज़ से पूरा कमरा भर गया।
फिर अचानक अंकल झड़ गए। वो मेरे ऊपर से उतरे और कपड़े पहन कर अपने कमरे में चले गए।
मुझे पहली बार ज़िन्दगी में इतना मज़ा आया था ! मैं कभी भूल नहीं सकती !
उसकी कहानी सुनकर मेरा लंड फिर पूरी तरह तैयार था।
वो मुस्कुराकर बोली- अब मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी ! जो करना है कर लो !
मैंने कहा- अब मैं भी कहाँ रुकने वाला हूँ !
और मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया, उसके मम्मों को मैं जोर जोर से मसल रहा था।
वो सीट पर लेट गई और मैंने उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो पागल होने लगी और चिल्लाने लगी।
मेरा लंड बेताब हो चला था।
उसने फिर उठकर दोनों सीटों के बीच में चादर बिछाई और लेट कर कहा- नीचे चुदाई करेंगे ! ज्यादा मज़ा आता है !
उसने लेट कर अपनी टांगों को फैला दिया। मैंने नीचे जाकर उसकी चूत में अपना आठ इंच का लम्बा मोटा लंड घुसेड़ दिया।
उसकी चूत मेरा पूरा लंड पी गई। फिर मैंने उसको पेलना शुरू किया। इतनी देर रुकने के बाद कसम से उसको चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था।
वो भी चिल्लाने लगी थी। ट्रेन अपनी पूरी स्पीड पकड़ चुकी थी और हम भी फुल स्पीड पर थे।
करीब आधे घंटे तक मैं उसको पेलता रहा उसके बाद मैं उसकी चूत में झड़ गया। उस दौरान वो कम से कम तीन या चार बार झड़ी होगी।
फिर मैं अपने लंड को उसकी चादर से पोंछ कर सीट पर बैठ गया। थोड़ी देर में वो भी उठकर आ गई।
बाकी का सफ़र हमारा कैसा कटा यह मैं आपको फिर बताऊंगा। Sex Stories
बनारस में कहावत है कि Antarvasna किसी जवान लड़की की गाण्ड देख कर अगर लौड़ा खड़ा नहीं हुआ तो वो बनारसी नहीं है। यहाँ लोग गाण्ड के दीवाने होते हैं। कोई चिकना लौण्डा हो तो भी लण्ड फ़ड़फ़ड़ा उठता है। फिर मैं और नसीम तो जवान, कम उम्र, और सुपर गोल गाण्ड वाली लड़कियाँ थी, किसी की नजर पड़ गई तो समझो लण्ड से नहीं तो उनकी नजरों से तो चुद ही जाती थी। हम दोनों ऐसी नजरें खूब पहचानती थी।
मैं और मेरी रिश्ते की बहन नसीम, जो मेरी अच्छी सहेली भी थी, हम दोनों बाल्कनी में खड़ी बाते कर रही थीं। नीचे ही देख रही थी कि मुझे दो लड़के नज़र आये।
“नसीम, ये दो नये लौण्डे कौन हैं?”
“वो तो अनवर है और ये जीन्स वाला फ़िरोज़ है, अपने ही रिश्ते में है।”
“यार, मस्त लौण्डे हैं, आज इनको पटाते हैं…”
“यार, तेरी तो बहुत जल्दी फ़ड़कने लगती है बानो…”
“सच कह रही हूँ, मुझे इन चिकने लौण्डों से चुदवाने में बड़ा मजा आता है…”
“हाय, दो सहेलियां खड़ी खड़ी, दोनों चुदायें घड़ी घड़ी …”
हम दोनों खिलखिला कर हंस पड़ी। नीचे से दोनों ने हंसी सुन कर ऊपर देखा और दोनों हमें देखते ही रह गये। फिर दोनों ने एक दूसरे को मुस्कुरा कर देखा।
“लगा तीर दिल पर…!” मैंने कहा,”अब ये तो गये काम से…समझ लो आज रात का काम बन गया !”
नसीम मुझे हैरानी से देखने लगी…”देख, वो फ़िरोज़ मेरा वाला है…!”
“भेनचोद, तुझे लण्ड चाहिये या शकल… जो पट जाये वही ठीक है… चल अब एक्टिंग शुरू करें !”
नसीम भी पटाने की अपनी तरह से तैयारी करने लगी। मैंने भी अपना मूड बना लिया और अन्दर जा कर तंग काली वाली कैप्री पहन ली और एक नीचे गले वाला छोटा सा स्लीवलेस टॉप डाल लिया। ऐसा टॉप था कि जरा सा पास आने से चूंचियो के दर्शन हो जाते थे। थोड़ा सा मेक-अप किया और कंटीली नार बन कर नीचे उतर कर आ गई। उनमें से एक युवक अन्दर की ओर आ रहा था। मैंने आव देखा ना ताव, सीधे उससे टकरा गई।
“हाय अल्लाह, आह्ह्ह, …” मैंने कराहते हुए उसे देखा।
“सॉरी…सॉरी… लगी तो नहीं…?” उस युवक ने कहा।
“हाय अम्मी… आप देख कर नहीं चलते…?” मैंने अपनी बड़ी बड़ी आंखे धीरे से उठाई… उसने ज्योंही मुझे देखा … उसका दिल धक से रह गया… आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर मुझे देखने लगा…
“या खुदा… रहम कर… ये हूर… आप कौन हैं…?”
उसके मुख से आह सी निकली। लगा कि काम बन गया।
“मैं… मैं.. शमीम बानो… ” नाटक चालू था… मैंने अपनी आंखे धीरे से झुका ली… और जान करके उसके और पास आ गई। उसके दिल पर कई कांटे गड़ चुके थे। उसकी नज़र मेरे पास आते ही मेरे टॉप के अन्दर पड़ गई, जहाँ मेरे उभार उसकी आंखो को रस पिलाने के लिये बेताब हो रहे थे। उसे समय दिये बिना डोरे डाले जा रही थी।
“सुभान अल्लाह… ये जिस्म है या जादू … !!” मेरा अगला तीर भी निशाने पर बैठा। मेरी नजर अचानक नसीम पर पड़ी तो बराबर हाथ हिला कर कुछ कहना मांग रही थी, पर मैं मौके की नजाकत को समझ रही थी, मुर्गा फ़ंसने को तैयार था…
“हाय… ये क्या कह रहे है आप…” मैं हाथ से छूटे कपड़े उठाने के लिये यूं झुकी कि कैप्री में से चूतड़ की दोनों गोलाईयां उभर कर उसके चेहरे के सामने आ गई। दोनों चूतड़ खुल कर खिल उठे… उसकी नजर ने इसका पूरा जायजा लिया, मेरे उठते ही काप्री मेरे चूतडों की दरार में घुस गई… उसके मुख से आह पर आह निकलती गई। तीर जिगर में धंसते चले गये।
“बानो, मैं फ़िरोज़… आपने तो जाने क्या जादू कर डाला ?” मैं नसीम का इशारा अब समझी। पर काम तो हो चुका था। मैंने तुरन्त उसकी तरफ़ कंटीली चिलमन से मुसकरा कर देखा।
“जादू… देखो आपने तो मुझे चोट लगा दी…” मैंने तिरछी नज़रों का एक वार और कर डाला।
“और मुझे जो चोट लगी है वो…?” घायल सा वो बोला।
“ओह… सॉरी… कहां लगी है…बताईये तो…!” मैंने अनजान बनते हुए कहा। उसका लण्ड का उठान शुरू हो चुका था, और पैंट में से उभर रहा था।
“यहां पर…!” उसने अपने दिल पर हाथ रख कर कहा।
“धत्त… हाय अल्लाह… !!” मैं कह कर नसीम वाले कमरे में भाग आई। फ़िरोज वहीं घायल सा तड़फता खड़ा रह गया। जाने कितने तीर लग चुके थे उसके दिल पर…।
नसीम ने मुझे देखते ही नाराजगी जाहिर की…”वो तो मेरा वाला था… साला बेईमान निकला… देखा नहीं तुझे देख कर मादरचोद ने लण्ड हिलाना चालू कर दिया।”
“अभी तो लण्ड हिला रहा है…देखना भेनचोद रात को यही लण्ड खड़ा मिलेगा… फिर क्या तेरी चूत और क्या मेरी चूत… सबको चोद देगा !”
“बानो, तू बड़ी खराब है… अब अनवर को मुझे पटाना पड़ेगा…!”
“सॉरी नसीम… साला वो पहले सामने आ गया… इरादा तो अनवर को पटाने का ही था!”
मैं ऊपर अपने कमरे में चली आई… । फ़िरोज मेरा पीछा कर रहा था। मेरे पीछे पीछे फ़िरोज भी आ गया। मैं कपड़े बदल चुकी थी और सिर्फ़ एक गाऊन जान करके डाल रखा था, अन्दर कुछ नहीं पहना था। पर अब तक वो आया क्यूं नहीं। उसने दरवाजा खटखटाया और अन्दर झांका… मैं उसके अचानक आने का मैंने घबराने का नाटक किया।
“आप… फ़िरोज जी…”
“खुदा कसम… मन नहीं माना… तो आपके पास आ गया…।”
“कहिये… क्या हुआ…” मुझे पता था कि हरामी का लौड़ा खड़ा हो रहा होगा… तो पीछे पीछे आ गया आशिकी झाड़ने। पर मुझे तो उसका पूरा आनन्द जो लेना था। सोचा चलो शुरुआत अभी कर लेते है…रात को चुदवा लेंगे। मेरी तैयारी पूरी थी, अन्दर से मैं पूरी नंगी थी, बस काम चालू होते ही मेरे नंगे जिस्म को मसल देगा वो…।
“बानो… आप मेरे मन को भा गई है… देखिये खुदा के लिये इन्कार मत करना…”
मैंने अपना मुख दोनों हाथों से ढक लिया…और शर्माने का भरपूर नाटक करने लगी।
“ऐसे मत कहिये… खुदा की मार मुझ पर… आप तो मेरे लिये खुद ही खुदा है…”
“क्या कहा… कबूल है… ओह्ह मेरी किस्मत… अल्लाह रे… आपने बन्दे की सुन ली…”
साला मरा जा रहा था मेरे पर… पर मुर्गा इतनी जल्दी लपेटे में आ जायेगा यकीन नहीं हो रहा था। मेरा जिस्म फ़ड़कने लगा कि अब उसके हाथ मेरे तन को सहलायेंगे। इतना सुन्दर, गोरा, लम्बा और सुडोल शरीर वाला लड़का… बिलकुल जैसे खजाने में से निकाला हो, नया नया जवान … 18-19 साल का… हाय… बेचारा गया काम से। आगे बढ़ कर मेरे हाथो को उसने पकड़ लिया। मैंने जैसे कांपने का नाटक किया।
“हाय अल्लाह, ना छुओ … मैं मर जाऊंगी” मैंने शरमाने का भरपूर नाटक किया। उसने जोश में मेरा मुख चूम लिया और उसके हाथ मेरी चूंचियों पर आकर उसे नापने लगे। मैंने शरम से झुक गई और उसे दूर हटाने लगी… “फ़िरोज… बस करो… छोड़ दो मुझे…”
“पहले वादा करो, रात को मेरे कमरे में मिलोगी ना…”
“बस करो ना… हाँ आ जाउंगी ना… बस” कहते ही फ़िरोज ने मुझे छोड़ दिया। मुझे निराशा हुई कि मेरा बदन तो कोरा ही रह गया। लेकिन नहीं … वो इतनी जल्दी मानने वाला नहीं था। फिर से नजदीक आया और मुझे लिपटा लिया। गाऊन के अन्दर उसके हाथ पहुंचने लगे। मेरा तन पिघल उठा। मेरा अंग अंग नपा तुला सा दबा जा रहा था। सभी उभारों को उसने एक कली की तरह मसल दिया। मेरी सिसकियाँ गूंज उठी। चूत पानी टपकाने लगी। मैं उसकी बाहों में तड़प उठी। फिर धीरे से उसने छोड़ दिया। मैंने अपना गाऊन ठीक किया। वो मुझे प्यार से निहारते हुए जाने लगा।
“तो फिर रात को…। बाय …बाय…” वो जैसे ही मुड़ा तो मुझे लगा कि मैंने तो उसे झटका दिया ही नहीं।
“फ़िरोज, रुको तो…” जैसे ही वो रुका , मैं उसके पास आ गई और उससे चिपक गई। वो कुछ समझता मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।
“बानो… मैं मर गया… छोड़ दे रे…”
“फ़िरोज प्लीज… दबाने दो… मेरी बहुत इच्छा थी इसे हाथ में लेकर दबाने की… बहुत मोटा और लंबा है?”
उसका लण्ड तन्ना उठा। वो तड़प उठा। मेरा हाथ हटाने लगा पर मैं कोई कच्ची खिलाड़ी थोड़े ही थी। जम के उसक लौड़ा पकड़ा और मसलने लगी। उसका डन्डा था भी लम्बा और हाथ में ऐसे फ़िट आया कि उसका मुठ ही मार दिया। वो लहरा उठा…
“बानो, अरे मेरा लण्ड तो छोड़ दे, हाय रे”
“प्लीज फ़िरोज… बहुत अच्छा है… मसलने दे ना” मैंने जिद करके मसलना चालू रखा। कुछ ही पलों में पेण्ट में एक काला धब्बा उभर आया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मेरा काम हो गया था। उसके मुंह से एक आह निकली…
मैंने कहा,”फ़िरोज… शाम को मेरा निकाल देना बस…” और हंस पड़ी।
“मेरी तो मां चोद दी बानो… तुझे भी नहीं छोड़ने वाला… तेरी भी फ़ोकी चोद डालूंगा देखना !” फ़िरोज़ भी झड़ने से थोड़ा शर्मिन्दा हो गया था।
रात के एक बज रहे थे। मेरे मोबाईल का अलार्म बज उठा, सुस्ती के मारे उठने का मन नहीं कर रहा था। पर फ़िरोज़ के मोटे लण्ड का ख्याल आते ही जिस्म तरावट से भर गया। मैं झट से उठी। मैंने नसीम के कमरे में झांक कर देखा और धीरे से उसे जगाया। हम दोनों ही दबे पांव कमरे से बाहर आ गये। हम दोनों ही रात के सोने वाले वाले कपड़े पहने थे। बस एक झीना सा पजामा और एक उटंगा सा कुर्ता…
“चल यार चुदना ही तो है क्या मेक-अप करना…” मैंने कहा और सीढ़ियां चढ़ कर फ़िरोज के कमरे के बाहर आ गई।
“अभी तू बाहर से देखना, फिर मैं तुझे बुला लूंगी” मैंने नसीम को तरकीब बताई।
“नहीं, मैं अनवर को बुलाती हूँ… तू जा…”
“पर अनवर… “
“मैंने उसे पटा लिया है… दिन को एक बार चुदा भी चुकी हूँ।” नसीम में फ़ुसफ़ुसा कर कहा। मुझे जलन हो उठी… साली भोसड़ी की… मेरे से पहले ही चुदा लिया। मैं तो चाह रही थी कि अनवर पर भी लाईन मार कर उसे फ़ंसा लेती और उससे भी खूब चुदाती…।
नसीम साईड वाले कमरे में अनवर के पास चली गई। मैंने फ़िरोज़ का दरवाजा खोला। मुझे किसी ने अचानक ही पीछे से दबोच लिया। सामने फ़िरोज़ खड़ा था… तो फिर मेरी गाण्ड में ये लण्ड किसका गड़ा जा रहा था।
“आज तो बानो की मां चोदनी है… साली ने मेरा दिन को मेरा माल निकाल दिया था” फ़िरोज़ ने मुस्करा कर कहा।
“चल तू क्या चोद रहा है…” ये आवाज अनवर की थी… मेरा मन मयूर नाच उठा… अनवर तो बिन पटाये ही लण्ड लिये हुए खड़ा है।
“मैं इसकी चूत चोदता हूँ और तू गाण्ड चोद इस… नमकीन की…” फ़िरोज़ बोला।
“साला हरामी, चोदने का मुझे वादा किया और चूत बानो की चोदेगा…” कमरे में अनवर को नहीं पा कर नसीम आ चुकी थी। मैं एक बार फिर ईर्ष्या से जल उठी। ये माँ की लौड़ी यहाँ कैसे मर गई। दो दो लण्ड की आश खत्म हो गई थी। फ़िरोज़ ने ज्योंही नसीम को देखा , वो उसकी ओर लपक उठा…
“अनवर , मेरे दिल की रानी आ गई…” और नसीम को अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर आ गया। फ़िरोज़ का लण्ड देखते ही बनता था, नसीम को देखते ही वो फ़नफ़ना उठा था। मैं अब और निराश हो चली थी कि ये हरामी तो नसीम का आशिक निकला।
“मेरा पजामा मत फ़ाड़ना… नहीं तो नीचे नहीं जा पाउंगी !” नसीम में खुद ही अपना पजामा उतार दिया। मुझे भी अपना पजामा उतारने में भलाई ही लगी। अब कौन हमें छोड़ता… फ़िरोज़ ने नसीम को दबा डाला और लण्ड चूत में घुसेड़ दिया। नसीम ने फ़िरोज़ को जोर से कस लिया और सिसक उठी। मुझे नीचे पड़े बिस्तर पर अनवर ने प्यार से लेटाया और अपना खड़ा लण्ड मेरी चूत पर हौले हौले घिसने लगा। डबलरोटी की तरह फ़ूली हुई मेरी चूत के पट खुलने लगे। दोनों फ़ांकें खुल गई। बीच की पलकें जो हल्की भूरी सी, टेढी मेढी सी लहराती हुई मांसल चमड़ी और बीच में पानी का गीलापन और फिर झाग से बुलबुले से भरी मेरी रसीली चूत पर अनवर मर मिटा। उसके होंठ मेरी चूत से लग गये और उनका रसपान करने लगा। मेरी चूत से लगा मेरा दाना फ़ड़क उठा, उसके होंठ बार बार मेरे दाने को भी चूस लेते थे…
“अनवर मियां… मैं मर जाउंगी… प्लीज फ़िरोज की तरह चोद डालो ना…”
“नहीं, बानो… चोदेगा तो तुम्हें फ़िरोज ही, मैं तो गाण्ड का दीवाना हूँ…”
मुझे फिर थोड़ी सी निराशा हुई, पर कुछ ही देर में नसीम को चोद कर फ़िरोज़ मेरे पास हाज़िर हो चुका था। चूस चूस कर लगा था कि झड़ना बाकी है। पर मैंने अपने आप को कंट्रोल किया। फ़िरोज़ का खड़ा लण्ड, सुपाड़े की चमड़ी कटी हुई, सच्चा मुसलमान लग रहा था… उसकी मर्दानगी भी एक पठान की तरह लग रही थी। अनवर सामने से हट गया और फ़िरोज़ ने कमाण्ड सम्हाल ली। वो मेरे पर चढ़ गया और मुझे नीचे दबा लिया। मेरा सारा जिस्म कसमसा उठा। उसका भार बड़ा प्यारा लग रहा था। कुछ ही क्षणों में उसका गरम गरम लण्ड मेरे जिस्म के भीतर समाने लगा। मैं तड़प उठी।
“मेरे खसम… मजा आ गया… पूरा समा दे अन्दर… हाय…” उसने मेरा मुख अपने मुख से दबा लिया और निचले होंठ दबा कर चूसने लगा। अब उसका लण्ड अन्दर बाहर होने लगा। उधर नसीम की गाण्ड को अनवर लण्ड घुसेड़ कर चोद रहा था। नसीम भी मेरी ही तरह गाण्ड चुदाने में माहिर थी।
“बानो, आज आई है नीचे तू… तेरी आस तो मुझे कब से थी रे…अब तो चोद ही दिया !”
” हाय रे मेरे जिगर… तेरे नाम से ही मर मिटी थी जानू…मेरे दिल, मेरी जान… आह रे…” मैं भी अपने मन के लड्डू फ़ोड़ रही थी… साला ऐसा जवां मर्द कहाँ मिलेगा मुझे।
“मैंने कहा था ना तेरी फ़ोकी चोद कर मजा लूंगा… मस्त भोसड़ी है !”
“बस कुछ मत बोल, बस जोर से चोद दे…” मेरी बेताबी बढ़ती जा रही थी, पर मेरी चूत को और गहरी चुदाई चाहिये थी। उसके धक्के तेजी से चल रहे थे। मुझे भी वासना की आग घेर चुकी थी। जिस्म आग में सुलगने लगा था। मीठी मीठी आग तन को जला रही थी। पर मुझे और दबा कर चुदना था। मुझे लगा कि अभी लण्ड पूरा दम लगा कर नहीं चोद रहा है। बिना हल्के दर्द के कैसा चुदना। मैंने दांत भींचते हुये फ़िरोज को दबाया और पलटी मार कर उसके ऊपर आ गई।
“मादरचोद… लौड़े में दम नहीं है क्या… लौड़ा तो साले का मस्त दिखता है…” मैंने फ़िरोज़ को दबाते हुये चूत में उसका सुपाड़ा फ़ंसा लिया और उस पर सीधे बैठ गई और चूत पर पूरा जोर लगा कर लण्ड को अन्दर समा लिया। मुझे लगा कि अब सुपाड़ा की गद्दी ने जड़ में ठोकर मार दी है तब मैंने कस कस कर उसके लण्ड पर अपनी चूत पटक पटक कर मारनी चालू कर दी। हर बार मेरे मुख से आह निकल जाती… चूत की गहराई को उसका लण्ड और गहरा कर रहा था। गहराई की चोट एक अलग ही मजा दे रही थी, थोड़ा सा दर्द और खूब सारा मजा…। उसका लण्ड फ़ूलता सा लगा उसकी पकड़ मजबूत होने लगी। तभी अनवर ने मेरी गाण्ड थपथपा कर इशारा किया। मैं फ़िरोज पर लेट गई और गाण्ड ऊंची कर ली। मेरी गाण्ड में अनवर का लण्ड सरसराता हुआ घुस पड़ा। अनवर के लण्ड के झटके, मेरी चूत को फ़िरोज के लण्ड पर मार कर रहे थे।
फ़िरोज तो झड़ने के कगार पर था… और तभी फ़िरोज के मुख से सिसकारी निकल पड़ी और उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया। उसके बलिष्ठ हाथों ने मुझे जकड़ लिया। उसका लण्ड मेरी चूत में गरम गरम लावा भरने लगा… तभी मेरा शरीर भी गर्मी पा कर लहरा उठा और मेरा रज भी छूट पड़ा। मैंने अनवर को धक्का मार कर पीठ पर से उतार दिया और
फ़िरोज के ऊपर लेट कर सुस्ताने लगी। तभी अनवर अपना मुठ मार कर अपना वीर्य मुझ पर उछालने लगा। मेरा चेहरा और बदन उसके वीर्य से भीग उठा……
फ़िरोज़ ने मुझे अलग कर दिया और बाथ रूम में चला गया। मैंने भी सुस्ती छोड़ी और उठ खड़ी हुई, नसीम सो चुकी थी, उसको उठाया और हम दोनों ने अपने चूतडों और चूत के आस पास लगे वीर्य को धो कर साफ़ कर लिया। थोड़ा सा पानी से मैंने अपनी पीठ और सामना साफ़ कर लिया।
“शब्बा खैर… मेरे जानू…” फ़िरोज़ और अनवर ने मुसकरा कर हमें विदा किया। पर नसीम मुड़ मुड़ कर चुदासी आंखों से उन्हे निहार रही थी… मुझे हंसी आ गई…
“अरे कल फिर और चुदा लेना… अब चल साली, नहीं तो सुबह हो जायेगी…”
हम दोनों भारी मन से चुदने की इच्छा लिये दरवाजे से दोनों को एक बार और देखा और अंधेरे में कदम बढ़ा दिये…। Antarvasna
मैं आपको अपनी एक कहानी Hindi Porn Stories बताता हूँ। मैं मुम्बई का रहने वाला हूँ। मेरी कहानी १९ मई २००९ को घटी सच्ची कहानी है। मेरे घर के सारे सदस्य गाँव गए थे तो मुझे ही घर का पूरा काम करना पड़ता था। पूरे घर का काम करने में पूरा दिन चला जाता तो मैं अपने दोस्त को रोज़ नहीं मिल पाता। मेरे दोस्तों के समूह में हम ७ दोस्त थे। ३ लड़कियाँ और ४ लडके। उसमें से सिर्फ़ ३ लोग ही मुम्बई में थे। सोनाली (परिवर्तित नाम), राज और मैं।
१७ मई को राज अपने दादी के घर चला गया तो फिर सोनाली और भी बोर होने लगी। क्योंकि सोनाली तो बहुत ही अमीर परिवार से थे और रोज़ हमें घुमाने या पार्टी के लिए ले जाती थी। सोनाली वैसे दिखने में एकदम हॉट, सेक्सी है। कोई भी उसे देखे तो उसका खड़ा होकर अण्डरवीयर में सलाम करता होगा। उसकी फिगर तो शायद ३२-२८-३२ होगी। उसकी एक-एक अदा हर किसी को फ़िदा होने पर मज़बूर करती थी। उसके होंठ तो एकदम लाल टमाटर जैसे थे, उसे देखकर मुझे तो रोज़ किस्स करने की इच्छा होती, पर कभी मौक़ा नहीं मिला था।
१९ तारीख को मेरा नसीब खुल गया और सोनाली ने मुझे कॉल किया और पूछा कि क्या आज तुम खाली हो क्या। मुझे लगा कि आज वह फिर से मुझे कहीं घुमाने ले जाना चाहती है। मैंने कहा – हाँ फ्री हूँ।
तो उसने कहा – मैं तेरे घर आ रही हूँ।
मैंने कहा – ठीक है।
फोन रखने के लगभग २० मिनट बाद वह मेरे घर आ गई। मैं अपने घर में हमेशा की तरह कम्प्यूटर पर गाने सुन रहा था। मैंने उससे पूछा कि चाय या सॉफ्ट-ड्रिंक लोगी, तो उसने कहा कुछ भी चलेगा। मैं उसके पसन्द की ७अप की २ गिलास लेकर बाहर आया तो देखा कि सोनाली मेरे कम्प्यूटर के सामने बैठी है। मैंने उसे १ गिलास दिया और मैं उसके पास वाले बिस्तर पर बैठ गया। उसे सेवन अप की घूँट मारी और कम्प्यूटर में मेरी तस्वीरें देखने लगी।
अचानक उसने मेरी एक हॉट तस्वीर देखी और फिर मुझे घूर कर देखने लगी। मैं उसे देखकर डर गया। उसी समय उसका मोबाईल बजा और उसके हाथ से गिलास उसकी चूचियों पर गिर गई और उसकी टीशर्ट भीग गई। टीशर्ट भीगने के कारण उसकी सफ़ेद टी-शर्ट से उसकी ब्रा साफ-साफ दिखने लगी। मैं तुरन्त उठकर उसके पास चला गया और गिरा हुआ गिलास उठाया और पूछा, कहीं लगी तो नहीं। वो शर्म के मारे मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी। उसे ऐसी हालत में देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा कि बाथरूम में जाकर धो लेना, पर वह नहीं मानी। और उसी हालत में वह घर से बाहर भी नहीं जा सकती था। तो वह मान गई और बाथरूम चली गई। १० मिनट वो बाहर नहीं आई, मैं सोचने लगा कि क्या कर रही होगी।
जब वह वापस आई तो मैं उसे बस देखता ही रह गया। वह काले रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुए मेरे सामने थी। थोड़ी देर के लिए मैं बिल्कुल सुन्न हो गया था। फिर मैं होश में आया और सीधे जाकर उसे ज़ोरों से गले लगा लिया और उसके होंठों पर होंठ रखकर चूमने लगा। उसे ख़ुद को सँभालने का मौक़ा भी नहीं मिला।
चूमते-चूमते मैंने अपना एक हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल कर उसके गोरे-गोरे और मुलायम चूतड़ों को सहलाने लग गया। फिर मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। ब्रा उतारते ही उसकी गुलाब़ी घुण्डियों वाली चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने उन्हें दबोच लिया और एक हाथ से उसकी घुंडी को मसलने लगा, तो उसकी सिसकियाँ निकल पड़ीं। फिर मैंने एक झटके से उसकी पैन्टी को उतार कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए।
उसके गाँड की छेद भी गुलाबी रंग की थी। मैं बीच-बीच में उसमें भी उँगली डाल देता, जिससे वह अचानक चिहुँक पड़ती। थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर मैंने अपना लंड उसके गाँड की छेद पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसके अन्दर चला गया, जिसके कारण वो चिल्ला पड़ी। मैं रुक गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने फिर उसकी जाँघों को पकड़ कर धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। वह एकदम से चिल्ला उठी।
मैंने उसके होंठों को चूमना शुरु कर दिया, फिर थोड़ा सामान्य होने पर मैं उसकी गाँड में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा। मैंने साथ में उसकी चूत में ऊँगली करना भी जारी रखा, जिससे उसे और भी मज़ा आ रहा था। वह सिसकारियाँ लेने लगी और बोली, निशु थोड़ा और तेज़ करो। मैंने चुदाई की गति में और बढ़ावा किया। थोड़ी देर बाद उसकी चूत से पानी आने लगा।, और वह अपनी गाँड को दबोचने लगी। उसने कहा, “निशु… मैं गई… मैं गई…!” कहते हुए फिर वो आहह ह्हहहह… आह्ह्ह हहहह करने लगी।”
पर मैं रुका नहीं। जल्द ही मेरा भी निकलने वाला था, मैंने पूछा – “सोनाली कहाँ छोड़ूँ?”
उसने कहा, “अन्दर ही।”
थोड़ी देर धक्के मारने के बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी गाँड में ही छोड़ दिया। यह पहला अवसर था कि मैं किसी की गाँड में स्खलित हुआ था।
फिर मैं उसके ऊपर लेट गया, थोड़ी देर लेटे रहने के बाद हमने एक-दूसरे को साफ़ किया और वापस आकर दुबारा बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं फिर से तैयार हो गया। पिर मैंने उसकी चूत की जमकर चुदाई की।
उस दिन मैंने उसकी २ बार चुदाई की।
फिर हम २२ को वाटर किंगडम चले गए और वहाँ भी मज़े लिए। यह मैं अगली कहानी में लिखूँगा।
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल ज़रूर करें! Hindi Porn Stories
हाय! अंतरवासना के प्यारे दोस्तो
मैं सर्मिला राजेश पटना बिहार से एक सेक्सी स्टोरी लेकर फिर Antarvasna आया हूं। सबसे पहले सभी आंटियों, भाभियों और लड़कियों को मेरा नमस्कार।
अपनी आपबीती कहानी पर आता हुं मेरी उमर २८ साल है और मेरी एक मौसी ३३ साल की थीं। मैं अपनी मामी के घर उनके बच्चे के बर्थडे में गया था।
रात में सभी पार्टी इंजोय कर एक कमरे में बैठ कर बाते कर रहे थे मुझे कुछ कुछ नींद आ रहे थी। लॅडीज़ बहुत ही गरम गरम बातें करते हुए बहुत ज़ोर ज़ोर से हंस रहीं थीं।
थोड़ी देर तक तो मैने सहन किया उसके बाद मैने कहा कि आप लोग दूसरे कमरे मैं चले जायें तो उन्होंने कहा कि तुम ऊपर वाले कमरे में जाकर सो जाओ और साथ मैं मौसी से भी कहा कि तुम भी जाकर सो जाओ।
हम दोनो ऊपर वाले कमरे में गये तो देखा कि वहां पर कई बच्चे और कज़िन सो रहे थे। हम दोनो एक किनारे लेट गये और सोने की कोशिश करने लगे पर मुझे अब नींद नही आ रही थी मौसी के बड़े बड़े बूब्स को ही देख रहा था थोड़ी देर बाद उन्होंने उठकर लाइट ऑफ कर दी।
लगभग आधे घंटे तक कुछ नहीं हुआ फिर मैने कुछ हिम्मत जुटाकर मौसी के कमर पर हाथ रख दिया उन्होंने कुछ नहीं कहा!
थोड़ी देर बाद मैने अपना हाथ उनकी बूब्स के ऊपर रख दिया इस पर वो थोड़ा हिली पर उन्होंने हाथ हटाने की कोशिश नहीं की मैने हाथ को वहीं थोड़ी देर रख कर रिअक्शन जानना चाहा जब वो कुछ नहीं बोली तो मैने बूब्स को थोड़ा प्रेस किया तो वो बोली ये तुमने कहाँ से सीखा?
मैने कोई जवाब नहीं दिया।
मैं धीरे रे उनके कुर्ते को उठाने लगा उन्होने कोई विरोध नहीं किया मैं उनके ब्रा के उपर से ही उनके बड़े बड़े चूचियों को दबाने लगा फिर मैने उनकी ब्रा को आगे ककी तरफ़ से उनकी चूचियों के ऊपर कर दिया उनके काले काले और बड़े निप्पल मुझे आउट ओफ़ कन्ट्रोल कर रहे थे मेरा लंड एकदम स्टील रोड हो चुका था।
मौसी ने मेरी पैंट में हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया। कमरे में दिनभर के सब थके हुए सो रहे थे इस लिये कोई प्रोब्लम नहीं थी
धीरे धीरे मौसी ने मेरा लंड सहलाना शुरु कर दिया और मैंने उनके बुर में उंगलियां डाल कर अंदर बाहर करने लगा वो आआआ आआआ आआअह्हह्हह्ह ह्हह्हाआआअ ओह येस्सस् ह्हह् ह्हह्ह होफ़्फ़फ़् फ़फ़्फ़ फ़फ़्फ़फ़् फ़फ़्फ़फ़् फ़फ़ वोव्वव्व कर रहीं थीं मैं भी जोश में था वो थोड़ी देर मै झड़ गईं और मै भी शान्त हो कर हम दोनो चिपक कर सो गये।
अगले दिन हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्करा दिये। दिन में मामी किसी काम से मार्केट चले गये तो मैने बिना समय गंवाये उनके बूब्स को पकड़ कर दबाने लगा और उनके कपड़े उतारने लगा अब वो बिलकुल मेरे सामने नंगी खड़ी थीं मैने उन्हें किस किया और उठा कर बेडरूम में ले गया और अपना लंद जो स्टील के रोड की तरह हो गया था उनकी बुर जो कि बिलकुल ही गीली हो गयी थी बुर के मुँह पर रख कर एक झटका दिया
वाव क्या टाइट चूत थी मेरे लंड में थोड़ा दर्द होने लगा था मैने उसके बुर को उंगली से फ़ैलाया और एक और झटका दिया मेरा आधा लंड उनके बुर में घुस गया था बुर टाइट होने के वजह से बुर की झिल्ली फट गई और वो बहुत जोर से चीखी ओह माआआआ ऊऊऊह्ह हह्हह्हह हह्ह्हह्ह गोड प्लीज़ डू इट स्लोवली ओह्हह्ह ह्हह्हह्हह दिस इस हर्टिंग मी । दर्द कर रहा है प्लीज़ निकाल लो अपना लंड…
पर मैने उनके एक भी नहीं सुनी और एक जोर का झटका और दिया मेरा पुरा लंड उनके बुर में घुस गया था । अब मै थोड़ी देर रुका और उनके बूब्स को मुँह में ले कर चूसने लगा इससे उनका दर्द कुछ कम हुआ और वो अपनी गांड को उठा कर लंड को और अंदर लेने की कोशिश करने लगी मै उनके इशारे को समझ एक जोरदार धक्का मारा
अब वो आआआआअ ह्हहह्ह ह्हहह्हवोव्व व्वव्वव्व व्वव्वव व्वव ह्हह्हह्हह ह्हह्हह्ह ह्हह् हह्हह् हह्हह्हह्हह कर रहीं थीं कुछ देर के बाद वो बोली मै झड़ रही हूँ ऊऊऊओ ह्हह्हह ह्हहहह्ह ह्ह्हह्हा आआआआआ आआआआ आआसोमीईईईइन ग्गगगग्गग्गग ग्गगग्गग्गग ओह येस्सस्सस्सस्स स्सस्स्सस ससस्सस्स सस्सस्सस्सस और उन्होंने अपना पुरा पानी बाहर उड़ेल दिया.
मैने भी अपने धक्के तेज कर दिये और कुछ ही मिनटो में मेरा पुरा वीर्य उनके बुर में गिर गया वोव कितना मजा आया था।
मामी के आने का टाइम हो गया था हम दोनो ने उठ कर जल्दी से कपड़े पहने और रूम के बाहर आ गये। रात में हमने मौका निकाल कर फिर चुदाई की। उसके बाद जब कभी भी हमें मौका मिलता हम चुदाई कर लेते।
कुछ दिनों बाद सबलोग अपने अपने घर चले गये, पर अभी जब वो घर आती हैं तो मौका देखकर मै उनके बूब्स को दबा देता हूं और अगर चान्स मिला तो चुदाई भी कर लेते हैं Antarvasna
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