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Massage Girl in Lohardaga: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Lohardaga who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Lohardaga that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Lohardaga massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Lohardaga who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Lohardaga massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Lohardaga massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Lohardaga who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Lohardaga employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Lohardaga helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Lohardaga

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Lohardaga at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

हैलो दोस्तो ! Antarvasna

यह मेरी पहली कहानी है। यहां Antarvasna पर मैं अन्य लेखकों की तरह यह बिल्कुल नहीं कहूँगा कि यह मेरी सच्ची कहानी है। बल्कि मैं यह कह रहा हूँ कि यह मेरी काल्पनिक कथा है जो कि सिर्फ मनोरंजन के लिए है, इसलिए इसे कुछ और न समझें।

मेरा नाम राजेश कुमार है। मैं 19 साल का एक रोमांटिक लड़का हूँ। मेरा कद 5.5 फीट है। मेरा बदन भरा हुआ और हल्का गुलाबी रंग का है। मेरी छातियां एकदम टाइट हैं ऐसे जैसे कि मैं जिम में जाता हूँ लेकिन दोस्तों आज तक मैं जिम कभी भी नहीं गया। मैं गांव का रहने वाला हूँ और मुझे गांव बहुत पसंद है। वहां की ताजी हवा, बड़े-बड़े हरेभरे पेड़, शांत वातावरण शहर की चिलपों से दूर मैं गांव में रहता हूँ।

मुझे जींस और टीशर्ट पहनना बहुत अच्छा लगता है। जब मैं जींस पहनता हूँ तो फिर मेरे चूतड़ों के उभार साफ दिखने लगते हैं। मैंने कई बार लड़कियों को अपने चूतड़ों की तरफ ललचाई निगाहों से देखते हुए पाया है। लेकिन मुझे लड़कियों से जबरजस्ती छेड़खानी करना कतई पसन्द नहीं है। मेरा मानना है कि चुदाई में सहमति से जो मजा आता है वो जबरजस्ती से नहीं आता है।

और हां दोस्तो ! मेरा लण्ड 6 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है। मैंने कई बार अन्तर्वासना में पढ़ा है, लेखक लिख देते हैं- मेरा लण्ड 10 इंच है तो कोई 12 इंच। लेकिन दोस्तो ! मैं ऐसी वैसी बातों को नहीं लिखा करता जो कि पचे नहीं, मैं वही बात लिखा करता हूँ जो कि आराम से गले से नीचे उतर जाए जैसे कि मेरा लण्ड।

दोस्तो ! यह जो कि मैं भूमिका बांध रहा हूँ तो हो सकता है कि आपको बोर कर रहा होऊं इसलिए अब मैं कहानी की शुरूआत कर रहा हूँ।

मेरा शानदार चेहरा, थोड़े मोटे किन्तु गुलाबी रंगत वाले होंठ जैसे कि शहद भरा हुआ हो मेरी काली आंखें, जब शेव करता हूँ तो चिकने गाल, सपाट पेट, भरी-भरी जांघें, पत्थर की तरह कठोर लंड जो कि किसी की भी बुर या चूत फाड़ दे, बाहर को निकले हुए चूतड़, शानदार गांड की दरार, सुनहरी झांटे यानि कि वह सब कुछ है जो कि एक जवान और खूबसूरत लंड को चाहिए।

तो अब मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।

यह बात बहुत ज्यादा पुरानी नहीं है। करीब एक महीने पहले मैं अपने एक रिश्तेदार के गांव में गया था जो कि मेरे गांव से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है। वे मेरे दूर के अंकल लगते थे। मैं किसी काम से वहां गया था लेकिन काम में इतना मशगूल हो गया कि समय का ध्यान ही नहीं रहा। सो मैं अपने अंकल के घर चला गया।
वहां पर जब मैं पहुंचा तो देखकर हैरान रह गया। मेरी आंटी इतनी हसीन थीं कि मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं। आंटी ने भी इस बात को ताड़ लिया और मुस्कुराकर रह गईं।

मेरे अंकल की उम्र करीब 40 साल है जबकि मेरी आंटी सिर्फ 25 साल की ही हैं। मैं अंकल की शादी में काम के कारण आ नहीं सका था इसलिए आंटी को देख ही नहीं पाया था। उनकी शादी 6 महीने पहले ही हुई थी। मैं आंटी का बायोडाटा बाद में लिखूंगा, पहले यह बता दूं कि उनको चोदने का प्रोग्राम कैसे बनाया।

मेरी आंटी का नाम रम्भा है और अंकल का नाम योगेश।

तो जब मैं घर पहुंचा तो आंटी बोली कि यह कौन है तो अंकल ने बता दिया कि यह हमारा भतीजा है।

तो आंटी ने पूछा कि इसका नाम क्या है तो मैंने खुद ही अपना नाम बताया कि मेरा नाम राजेश है।

तब आंटी चहककर बोलीं- वाह ! यह वही है जिसके बारे में आप हमेशा बाते किया करते हैं।
तब मैंने पूछा- आंटी ! क्या आप मुझे पहले से जानती हैं?

तो उन्होंने बताया- तुम्हारे अंकल तुम्हारे बारे में अक्सर मुझे बताया करते हैं, तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए कुछ लाती हूँ।
तब उन्होंने अंकल से कहा- जाओ ! दुकान से नमकीन बिस्कुट इत्यादि ले आओ, खत्म हो गई है !

अंकल बाहर को चले गये।

तब आंटी मेरे पास बैठकर मेरे कंधे पर हाथ रखकर बोलीं- तुम शादी में क्यों नहीं आये थे?

मैंने बता दिया कि कुछ काम था इसलिए नहीं आया था। लेकिन उसने फिर शिकायत की- तो इतने दिनों क्यों नहीं आये थे?

मैंने बताया- आजकल बहुत व्यस्त हूँ और आपसे मिलने नहीं बल्कि काम के सिलसिले में आया हूँ।

तो फिर क्या था- आंटी दूसरी तरफ मुंह फुलाकर बैठ गयीं और कहा कि तुम्हें सिर्फ काम ही रहता है, तुम मुझसे मिलना नहीं चाहते, मुझे प्यार करने की क्या जरूरत है तुम्हें ! तुम इतने हैंडसम हो ! पता नहीं कि कितनी गर्लफ्रेन्ड होगी तुम्हारी, इसीलिए तो मुझसे बात नहीं करते।

जब आंटी गुस्सा हो गईं तो फिर तो मेरी बांछें खिल गईं। मैंने तुरंत ही आंटी की गर्दन में हाथ डाल दिया और कहा- आप गलत समझती हैं, मैं आपको चाहता तो हूँ कि प्यार करूं लेकिन आप बुरा न मान जाएँ इसलिए मजाक कर दिया।

तब आंटी मेरी तरफ घूम कर बोली- सच कह रहे हो?
तो मैंने कहा- आपकी कसम।

तब आंटी ने मेरे गले में बांहें डाल दीं और मेरे चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी और उनके आंसू निकल आए।
मैंने कहा- ओह, आंटी आप तो रोने लगी।
आंटी रोते-रोते बोली- तुम मुझे इतना प्यार करते हो कि आंखे भर आई।

मैंने रूमाल निकाल कर आंटी के आंसू पोछे और कहा- अगर अब रोओगी तो फिर मैं अपनी गर्लफ्रेन्ड के पास चला जाउंगा।

आंटी ने मेरी तरफ क्रोधित नजरों से देखा तो मुझे लगा कि यह सही में नाराज न हो जाये, मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और अपने सिर पर रख कर कहा- आपको मेरी कसम है कि आप मुझसे नाराज नहीं होंगी, मैं मजाक कर रहा था, अगर आप नाराज हुईं तो मैं आत्महत्या कर…

बस फिर क्या था- आंटी ने अपना हाथ मेरे होंठों पर रख दिया और आंसू भरी आंखों से बोलीं- मेरी कसम से ऐसा न कहो।

मुझे मजाक सूझा और मैंने कह दिया- आंटी मेरे होंठो पर अपना हाथ नहीं बल्कि अपने होंठ रख कर मुझे चुप कर दो !

आंटी ने एक पल मुझे घूर कर देखा, फिर अगले पल ही मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूमने लगी। मैंने भी देर करना मुनासिब नहीं समझा और आंटी का चेहरा हथेलियों में भर कर होंठों को चूसने लगा। करीब 2 मिनट बाद आंटी अलग हुईं और मुझसे कहा- भगवान के लिए अब ऐसी बातें नहीं बोलोगे !

मैंने कहा- आंटी ! भगवान को छोड़ो और कहो कि मेरे लिए ऐसी बातें नहीं बोलोगे तो मैं नहीं बोलूंगा।

तब आंटी खिलखिला कर हंस पड़ी और मेरे गालों को चूम लिया।

मैंने कहा- आंटी आपके होंठ और गाल इतने रस भरे हैं कि मेरा जी चाहता है कि मैं देर तक चूसूं ! क्या आप बुरा तो नहीं मानेंगी।

आंटी ने कहा- मेरे होंठों गालों को ही क्या, जो तुम चूमना, चूसना चाहते तो वो चूसो। लेकिन अभी तुम्हारे अंकल घर में आते ही होंगे इसलिए बाद में चूसना।

मैंने कहा- अंकल को मैं रात को बाहर भेज दूंगा कहीं तब आपको खूब प्यार करूंगा।
आंटी ने कहा- ठीक है ! मैं सोचूंगी कि कैसे तुम्हारे अंकल को बाहर भेजूं !
मैंने कहा- आंटी, आप व्यर्थ ही चिंता करती हैं, मैं खेत पर किसी बहाने से भेज दूंगा।

तब आंटी ने कहा- तुम बैठो ! मैं चाय बनाती हूँ तुम्हारे अंकल आते ही होंगे। और आंटी चाय बनाने चली गईं और मैं बाहर दरवाजे पर आ गया यह देखने कि अंकल आ रहे हैं या नहीं। बढ़िया हुआ कि अंकल नहीं आ रहे थे।

मैंने दरवाजे को बंद किया लेकिन जंजीर नहीं लगाई और अंदर आ गया।

अब मैं अपनी आंटी के जिस्म का बायोडाटा बताता हूँ। मेरी आंटी 25 साल की जवान लड़की हैं औरत इसलिए नहीं कह रहा कि मुझे तो बाद में मालूम हुआ कि आंटी की बुर की सील ही अभी नहीं टूट पाई थी ! नुकीली चूचियां, उनके बूब्स 36 के हैं कमर 28 चूतड़ 34 के साइज के हैं।

उनका चेहरा ऐसा लगता है जैसे कि मक्खन में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो ! होंठ ऐसे जैसे कि अभी खून पीकर आई हों ! लम्बी सुराहीदार गर्दन ! भारी गोल चूचियां, पतली कमर बाहर को निकले हुए हाहाकारी चूतड़ ! केले के तने जैसी चिकनी जांघे लम्बी टांगें ! वाह! वाह! उनमें ऐसा सब कुछ था कि किसी का भी ईमान डोल जाए और फिर मेरी तो बल्ले-बल्ले थी, वो आसानी से मेरी गोद में जो आ गिरी थी।
जबकि इसके विपरीत मेरे अंकल 40 साल की उम्र पर पहुंच गये थे। अब अंकल का बायोडाटा बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि पाठक खुद ही अंदाजा लगा लेंगे कि 40 साल का गांव का आदमी कैसा लगता होगा।

अब आता हूँ कहानी पर।

मैं सीधा रसोईघर में गया और बोला- आंटी ! अभी अंकल आते तो दिख नहीं रहे हैं !

तो आंटी बोली- दुकान दूर है और भीड़ भी लगी रहती है, इसलिए देर लग रही है। क्या तुम्हें कुछ ज्यादा ही भूख लगी है? अगर ज्यादा लगी हो तो बताओ कि क्या खाओगे।

मैंने कहा- आंटी, मैं तो इसलिए कह रहा था कि यदि अंकल देर से आयें तो मैं आपको चूम-चाट तो सकूं।
तब आंटी खिलखिलाकर हंस पडीं और बोली- इसीलिए रसोई में आ गये हो?
तो मैंने कहा- आपको यदि बुरा लगा हो तो मैं चला जाता हूँ।

आंटी बोल पड़ी- तुम जो चाहते हो वो करो, मैं बुरा नहीं मानूंगी और तुम मुझे आंटी नहीं रम्भा कहोगे।

मैंने कहा- ठीक है, मेरी रम्भा रानी ! तुम पीछे घूमकर चाय बनाओ तब तक मैं तुम्हारी गांड को देखता हूँ ! इससे चाय भी बनती रहेगी और मैं तुम्हारी गांड को देखता रहूँगा।

तब रम्भा पीछे को घूमी और मैं उसके चूतड़ों पर साड़ी के ऊपर से हाथ फेरने लगा। मैं जोर-जोर से उसके चूतड़ों को सहला रहा था और रम्भा सिसकारियां भर रही थी। हाथ फेरते हुए मैं उसकी साड़ी को ऊपर को सरका रहा था जिससे कि मुझे उसकी टांगें नजर आ रही थीं। मेरा लण्ड पैंट में खड़ाहोने लगा था जिससे कि मेरी लण्ड वाली जगह फूल गई थी। मेरा जी चाहा कि मैं रम्भा की साड़ी को ऊपर उठा दूं जिससे की उसकी मस्त गांड का नजारा तो देख सकूं।

मैंने साड़ी को ऊपर उठाना जारी रखा। ज्यों-ज्यों साड़ी ऊपर उठ रही थी मुझे उसकी जांघे दिखने लगीं। वाह क्या शानदार नजारा था ! क्या मस्त चिकनी जांघे थी। मैं नीचे बैठ गया और उसको चूमने लगा। चूमते-चूमते मैं रम्भा की गांड को भी देख रहा था। अब मैं सोच रहा था कि चूतड़ों को चाटूं कि अचानक मेरी छठेन्द्रिय ने मुझे खतरे का आभास कराया।

मैं तुरन्त ही उठ गया और बोला- रम्भा मुझे लगता है कि अंकल आ रहे हैं, तुम चाय बनाओ मैं बाहर जाता हूँ। और हां आज रात को ब्रा और पैंटी नहीं पहनना।

मैंने उससे कहा तो उसने प्रत्युत्तर में मुस्कुराकर आंख मार दी। मैं निहाल हो उठा और मैंने उसको पीछे से बांहों में भरकर चूचियां दबा दीं और बाहर को भाग गया। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि अंकल दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ा चुके थे।
मैं बोला- अंकल आप आ गये।
हां आ तो गया हूँ लेकिन तुम जा कहां रहे थे।

मैं बोला- आपने बहुत देर कर दी थी तो मैं बाहर आपको देखने जा रहा था कि देर क्यों लग रही है ! अब चलो।

जैसे ही हम अन्दर पहुंचे तो देखा कि रम्भा चाय लेकर रसोई से निकल रही थी।
ओह ! ” आप इतनी देर से आये हैं चाय तो बन गई है और आप अब आ रहे हैं !” रम्भा ने कहा।
”हां ! वहां दुकान पर भीड़ थी ना ! इसीलिए देर हो गई है !” अंकल ने कहा।

खैर, कोई बात नहीं ! चाय पियो ! रम्भा ने पैकट ले लिया और रसोईघर से प्लेट में नमकीन और बिस्कुट इत्यादि ले कर बाहर आ गई।

चाय पीने के बाद मैंने कहा- अंकल, मुझे आपका खेत देखना है, क्या बोया है खेत में?

”भुट्‌टा !” अंकल ने कहा।

बस मेरे दिमाग में एक योजना घुस गई।
अंकल आप खेत की रखवाली खुद करते हैं या फिर किसी और से करवाते हैं?
नहीं, तेरे अंकल खुद ही रखवाली करते हैं ! अंकल के बोलने से पहले ही रम्भा बोल पड़ी।

शाम का खाना खाकर मैं बोला- चलो अंकल मुझे अपना खेत दिखाओ चलकर ! शाम होने वाली है इसलिए जल्दी चलो, फिर वापस भी तो आना है।

हां आना तो है लेकिन यह कोई जरूरी नहीं कि मैं भी वापस आऊं ! अंकल बोले।
क्यों?

रम्भा बोली- यहां पर दूसरों के जानवर खेत चर जाते हैं, इसलिए तेरे अंकल ज्यादातर खेत में ही सोते हैं।

फिर हम खेत में चले गये। जब हम खेत में पहुंचे तो अंकल बोले- तुम खेत घूमो ! मैं टट्‌टी फिर कर आता हूँ।

एक जगह पर मुझे तरीका सूझ गया और मैंने कुछ पौधों को इस अंदाज में तोड़-मरोड़ दिया जैसे कि उसको किसी जानवर ने खा लिया हो। जब अंकल के साथ मैं खेत देख रहा था तो अंकल उस स्थान पर पहुंच कर बोले- आज यहीं पर सोऊंगा ! लगता है कि किसी जानवर ने इसे चर लिया है।

तुम घर चले जाओ ! अंकल ने अपना बिस्तर खेत में ही लगाते हुए बोले।

ठीक है ! कहकर मैं घर वापस आ गया।

घर में जब मैं आया तो देखा कि रम्भा घर के दरवाजे पर मेरे इंतजार में खड़ी थी। मेरे अंदर आते ही उसने दरवाजा बंद कर लिया।

ओह! मेरी जान ! रम्भा रानी ! तू तो बड़ी कयामत ढा रही है ! क्या तुमने ब्रा और पैंटी पहनी है।
नहीं तुमने ही तो कहा था कि न पहनो तो मैंने न पहनी।
हां तो मैं सबसे पहले तुम्हारे चूतड़ों को चूसूंगा ! चलो अन्दर बेडरूम में चलो।

हम बेडरूम में आ गये तो मैंने उसे सिंगारदार के सामने खड़ा कर दिया जिसमें कि एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था। अब मैंने उससे कहा- अब पीछे मुड़ कर अपनी साड़ी को अपने हाथों से ऊपर उठा कर अपने चूतड़ दिखाओ।

वह चहकती हुई पीछे को घूमी और साड़ी को ऊपर उठा कर अपने चूतड़ों को दिखाने लगी कि देखो बढ़िया हैं ना?

हां बहुत बढ़िया हैं ! मैंने कहा और जाकर उसके चूतड़ों को चाटने लगा। 2 मिनट बाद मैंने उसके हाथों को हटा दिया जिससे कि उसकी साड़ी नीचे को गिर गई।

अब मैंने उसे आगे से बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वाह ! क्या मदमस्त होंठ थे, उससे भी ज्यादा मदमस्त उसकी अदायें थी ! जितनी जोर से मैं उसके होंठों को चूसता उससे भी ज्यादा जोर से वो मेरे होठों को चूस रही थी। कुछ देर के बाद मैंने कहा- मेरी रम्भा रानी, अब तो मैं तुझे चोदकर वो मजा दूंगा कि तू सारी जिन्दगी याद रखेगी।

इतना कह कर मैं उससे लिपट गया और बिस्तर पर ले जाकर उसके होठों और गालों चूमने चाटने लगा। चाटते-चाटते मैं उसकी चूचियों को ऊपर से ही दबा रहा था। उसके मुंह से मस्त सिसकारियां निकल रही थीं। अब मैंने अपना चेहरा नीचे किया और कहा- रम्भा ! अब इस ब्लाउज को निकालने में मेरी मदद करो।

वो बोली- मदद क्या करना ! मैं ही निकाले दे रही हूँ।

उसने ब्लाउज को ऊपर से पकड़ा और एक ही झटके में खींच डाला। चूंकि ब्लाउज में चुटपिटी लगी हुईं थी इसलिए तुरन्त ही फाटक खुल गया और मेरे आंखे फटी की फटी रह गईं। इतनी बड़ी-बड़ी चूचियां गोल-गोल जैसे कि हिमालय पर्वत हों। वह लेटी थी लेकिन क्या मजाल कि जरा सा भी ढलकाव आया हो।

मैं उसकी चूचियों पर पिल पड़ा और खूब मरोड़-मरोड़ कर चूसा। चूचियां चूसते हुए मैं एक हाथ उसकी चूत पर भी फिरा रहा था। जिससे कि वह और भी गर्म हो गई थी। वह खूब तेजी से चिल्ला रही थी- चूसो और तेजी से चूसो ! आज भुर्ता ही बना दो इन चूचियों का।

कुछ देर बाद मैंने कहा- अब साड़ी और पेटीकोट को निकाल दो !

तो वह तुनककर उठ खड़ी हुई, बिस्तर के ऊपर खड़ी हो कर गुस्से भरी नजरों से मेरी तरफ देखा और कहा- तुम तो यह सब कपड़े पहने हो और मुझसे कह रहे हो कि निकालो। अब जब तुम पहले निकालोगे तभी मैं निकालूंगी।

मैंने उससे कहा- खुद ही मेरे कपड़े निकाल दो।

बस फिर क्या था- वह चहकती हुई आई और मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, अंडरवियर भी नहीं छोड़ा। जैसे ही उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसकी आश्चर्ययुक्त व खुशी मिश्रित चीख निकल गई- अरे ! इतना बड़ा और मोटा लण्ड।

‘क्यों? क्या हुआ?’ अपने लण्ड को बिना हाथों के ही हिलाते हुए मैं बोला।
वह बोली- तुम्हारे अंकल का लण्ड तो 3 इंच लम्बा है और आधा इंच ही मोटा !

खैर कोई बात नहीं ! मैं बोल पड़ा- अब मैं तुम्हें मजा दूंगा, लो छू कर देखो ! उसने किलकारी निकालकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी।

मैं अचानक पीछे हटा और कहा- अब तुम कपड़े पहने हो तो नहीं खेलने दूंगा।

बस फिर क्या था मेरे कुछ भी करने से पहले ही उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये। चूंकि कमरे में भरपूर प्रकाश था इसलिए उसकी बुर बिना झांटों की साफ चमक रही थी।

लेकिन वह तुरन्त ही आई और मेरे लण्ड से खेलने लगी।
मैंने उससे कहा- यह सब लेट कर करें?

वह तुरन्त मान गई और हम लेट गये। वह मेरे लण्ड से खेलते खेलते ही चूमने लगी और चूमते हुए ही चूसने लगी। मैं अब तक बहुत उत्तेजित हो चुका था सो मैंने उससे कहा- अब हम 69 की पोजीशन में आ जायें ! मैं तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ।

अब हम 69 की पोजीशन में थे। वाह ! क्या बुर थी उसकी बिना झांटो के छोटी सी गुलाबी ! मैं बेतहाशा उसको चूसने लगा। कभी मैं जीभ ऊपर करता तो कभी नीचे कभी गोल-गोल घुमाता तो कभी बुर के अन्दर घुसेड़ देता। मैं उसके दाने को जोर-जोर से चूस रहा था सो मैं और वह कन्ट्रोल नहीं रख पाये और हम दोनों ही एक दूसरे के मुंह में झड़ गये। मैंने उसका और उसने मेरा सारा रस पी लिया।

फिर हम सीधे लेट गये और मैं उसकी जांघों पर अपनी एक टांग रखकर और एक हाथ से उसकी एक चूची दबाकर पूछने लगा- क्या अंकल तुमको नहीं चोदते हैं?

वह बोली- अब तक उन्होंने मुझे 10-15 बार ही चोदा है किन्तु उनकी छोटी सी लूली क्या करेगी ! और मैंने अपनी सहेलियों से सुना है कि पहली बार चोदने पर खून भी निकलता है लेकिन मेरे तो नहीं निकला !

मैं समझ गया कि यह अभी कुवांरी ही है ! मैंने उसे बताया कि तुम अभी कुवांरी ही हो ! छोटा सा लण्ड कुछ भी नहीं कर पाया है। अब देखो कि मैं तुमको कैसे चोदता हूँ। तुम अपनी जांघें फैला लो !

मैंने नीचे तकिया लगा दिया जिससे कि उसकी चूत पूरी खुल गई। अब मैं उसके बीच में आ गया और लण्ड को उसके दाने पर रगड़ने लगा। वह चिल्ला पड़ी कि अब सब्र नहीं होता है खोंस दो।

मैंने उससे कहा- तुम मुंह में कपड़ा खोंस लो जिससे कि आवाज नहीं निकलेगी।
तो वह बोली- क्या दर्द होगा?
मैंने कहा- थोड़ा सा होगा ! फिर बहुत मजा आयेगा।

उसने तुरन्त ही कपड़ा खोंस लिया। अब तक उसकी बुर खूब चिकनी हो गई थी। सो मैंने देर करना मुनासिब नहीं समझा और उसकी कमर को पकड़ कर एक जोरदार झटका दिया।
इतनी जोरदार कि मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी बुर में घुस गया। वह जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी और पूरा जोर लगा कर मुझे बाहर की तरफ ढकेल रही थी लेकिन मैंने उससे कहा- जोर से बिस्तर को पकड़ लो और मैंने लण्ड बाहर की तरफ खींचा और फिर पुनः अन्दर को खोंस दिया। अगर उसके मुंह में कपड़ा नहीं होता तो फिर आधे गांव में उसकी चीख साफ सुनी जा सकती थी।

लगातार 5 मिनट तक मैं उसकी बुर की चुदाई करता रहा और वह तड़पती रही। 5 मिनट के बाद मैं रूका और लण्ड को उसकी चूत में डालकर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूची दबाते हुए उसके मुंह से कपड़ा निकाला। उसने एक हिचकी ली और रोते हुए बोली- भला ऐसी कहीं चुदाई की जाती है कि मेरी बुर का भुर्ता ही बन जाए।

मैंने कहा- अब दर्द तो खत्म हो गया है अब तो सिर्फ मजा ही आयेगा।

तना कह कर मैं पुनः उठा और उसकी बुर को धीरे-धीरे चोदने लगा। अब वह चिल्ला रही थी कि स्पीड तेज करो और तेज ! उसके मुंह से मदमस्त सिसकारियां निकल रही थी और अपनी उंगली से बुर को रगड़ रही थी।

15 मिनट तक मैं उसको चोदता रहा। इस दौरान वह दो बार झड़ी।

फिर मैंने कहा- अब तुम मेरे उपर आ जाओ और मुझे चोदो !

जब मैंने लण्ड बाहर निकाला तो उसकी बुर से खून और बुर-रस निकल रहा था तो मैंने उससे कहा- देखो यह तुम्हारी कुवांरी बुर की निशानी है ! और अपना लण्ड उसकी आंखो के सामने कर दिया तो वह शरमा गई। अब वह मेरे उपर थी और जोरदार तरीके से उछल रही थी। कभी मैं उसको रोक कर जोरजोर धक्के लगाने लगता तो कभी वह मुझे रोककर उछलने लगती।

10 मिनट के बाद वह झड़ गई तो धक्के लगाना बंद कर दिया और बोली- अब मैं थक गई हूँ !

लेकिन चूंकि मेरे लण्ड से एक बार माल चूसते समय पहले ही निकल गया था इसलिए मैं झड़ा नहीं था। सो मैंने उसे नीचे लिटाया और जोर-जोर से चोदने लगा। 5 मिनट के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो उससे कहा- मैं अपना माल कहां पर छोड़ूं?

तो उसने कहा- बुर में ही छोड़ दो ! मुंह में तो एक बार ले ही चुकी हूँ।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अचानक रम्भा के शरीर को झटके लगने लगे मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है। जब मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी तो मैंने अपने लण्ड को जड़ तक अन्दर खोंस देता और बाहर खींचता लेकिन सुपाड़ा अन्दर ही रहने देता। मैं यही क्रिया बार-बार दोहरा रहा था। जब हम दोनों पूरे झड़ गये तो मैंने एक करारा धक्का लगा कर अपना लंड पूरा अंदर पेल दिया और रम्भा के ऊपर लेट गया और कहा- कैसा लगा?

उसने कहा- मेरे राजा आज मुझे इतना मजा आया है कि आज तक कभी भी नहीं आया होगा !
तो मैंने कहा- तो चलो इसी बात पर एक रसभरा चुंबन हो जाय !

रम्भा ने मेरे होंठो को चूम लिया और बोली- अब मैं बहुत थक गई हूँ चुपचाप सो जाओ। अब कल चोदेंगे।
गुड नाइट!

मेरे दोस्तों! खासकर लड़कियों ! मैं इस कहानी को लिखना तो लम्बा चाहता था लेकिन मुझे इतना समय और वातावरण नहीं मिला कि मैं इस कहानी को दो-तीन सौ पेजों में बना देता। अगर जो आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो फिर मुझे मेल करो ताकि मैं और भी अच्छी कहानियां लिख सकूं। Antarvasna

हाय दोस्तो, Antarvasna

खासकर प्यारी-प्यारी महिलाओ, आज Antarvasna मैं अपने जीवन के एक यादगार हसीन दिन की दास्तान सुना रहा हूँ … आशा ही नहीं पूरा विश्वास है कि आप सब गीले और मस्त हो जायेंगे।

यह बात सन 1996 के दिसम्बर के पहले सप्ताह की है। मैं उन दिनों लख्ननऊ में रहता था और अक्सर बनारस के पास अपने गाँव जाया करता था, वहाँ मेरा लंगोटिया यार डी पी रहता था। हम जब भी मिलते खाने-पीने का दौर चलता।

उस रात को उसने बताया कि कुछ दिन पहले वह और उसके गाँव का एक लड़का चंदौली की नीलम नाम की एक लड़की को अपने फ़्लैट पर स्कूटर से ले आये थे और दिन भर में दोनों ने 3-3 बार चुदाई की थी। लड़की मस्त थी और जम के चुदवाई कराई थी। अगर मैं चाहूँ तो वो कोशिश करके उसको ला सकता है, पर इसके लिये हमें अपनी मारुति कार से चन्दौली चलना पड़ेगा, कार देखकर वह आसानी से तैयार हो जायेगी। (उन दिनो मारुति का क्रेज़ था)।

डी पी ने बताया कि लौण्डिया बहुत ही चुदक्कड़ है तथा थोड़ा बहुत व्हिस्की भी पीती है, थोड़ी व्हिस्की पीकर बहुत ही मज़ा देगी। यह सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अगले दिन हम दोनों चन्दौली गये और मुझे गली में छोड़कर वह नीलम से मिलने उसके घर चला गया। किसी तरह मौका पाकर उसने मेरे बारे में बताया और साथ में बनारस चलने को कहा। उसने अगले दिन सुबह चलने को कहा तो हम लोग पास ही स्थित अपने गाँव चले गये। नीलम को मैं देख तो पाया नहीं था पर अगले दिन उसके साथ मस्ती की कल्पना से ही मुझे रात भर नींद नहीं आई और रात भर लण्ड महाराज तने ही रहे। दरअसल कई सालों से बीबी के अलावा कोई दूसरी लड़की या औरत मिली ही नहीं थी … स्वाद बदलने की कल्पना से ही मैं बेचैन था।

खैर अगले दिन हम दोनों दोस्त चन्दौली गये और पिछले शाम की तरह मैं गली में अपनी कार में बैठा रहा और डी पी उसके घर में चला गया। करीब आधे घण्टे बाद वह बाहर आया और बोला कि एक समस्या आ गई है। दरअसल नीलम को कुछ बहाना बना के घर से जाना था तो उसका छोटा भाई जो दसवीं में पढ़ता था वह भी कार देखकर साथ चलने की जिद करने लगा तो घर वालों ने कहा उसको भी लेती जाओ। नीलम ने डी पी को इशारा किया कि लेते चलो कोई रास्ता निकल आयेगा ।

उसने कहा कि थोड़ा रिस्क तो है पर चलते हैं कोई न कोई रास्ता तो निकलेगा ही।

कुछ देर बाद हम चारों चल दिये। डी पी नीलम के साथ कार में पीछे बैठा और रास्ते में ही उसने मेरे बारे में बताकर साथ रात गुजारने की पेशकश की तो वह झट तैयार हो गई (बाद में उसने बताया कि मेरा भव्य व्यक्तित्व देखकर उसका मन खुद ही मुझसे चुदवाने को मचलने लगा था) वैसे वह तो जान ही रही थी कि डी पी इसी काम के लिये बनारस ले जा रहा है। हाँ उसने साफ़ कह दिया कि उस दिन की तरह दोनों को नहीं झेल पायेगी, दरअसल वह मुझसे पूरी मस्ती के मूड में थी। डी पी ने भी उसे बता दिया कि मैं काफ़ी शौकीन हूँ तथा किसी अच्छे होटल में ही रात गुजारूँगा, अच्छा खाना … अच्छी शराब और नीलम का शबाब … बस मस्ती ही मस्ती … ।

उन दोनों ने योजना बनाई कि डी पी अपनी दुकान पर पाण्डेपुर उतर जायेगा और हम तीनों दिन भर सारनाथ घूमेंगे तथा शाम को डी पी नीलम के भाई को अपने फ़्लैट पर यह कह कर लेता जायेगा कि मुझे नीलम को किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति से किसी जरूरी काम के सिलसिले में मिलाना है। दरअसल नीलम उन दिनों थोड़ी-2 राजनीति और समाजसेवा में शुरुआत कर रही थी तथा उसके अभिभावक भी उसके बाहर आने-जाने तथा कभी-2 रात में भी बाहर रुक जाने पर आपत्ति नहीं करते थे। रात बाहर रुकने के लिये वह कोई न कोई बहाना बना देती थी और हम दोनों उन्हें छोड़ कर किसी होटल में जाकर रात गुजारेंगे, उसके भाई को डी पी कुछ बहाना बना कर हमारे फ़्लैट पर न लौटने का कारण बता कर फ़ुसला लेगा।

नीलम करीब 22 साल की दुबली पतली सी गोरी लड़की थी, उसका चेहरा मोहरा औसत ही था वह देखने में कोई खास तो नहीं लग रही थी पर बुरे काम के लिये बुरी नहीं थी … और डी पी ने उसके चुदवाने की जो तारीफ़ की थी तथा जिस बाँकी नज़र से वो मुझे देख रही थी … आ … ह … ह … ह … मेरा दिल तो बल्ले-बल्ले कर रहा था।इधर कई सालों से बस अपनी धर्मपत्नी के साथ धर्म की चुदाई ही करता रहा, कभी स्वाद बदलने का मौका ही नहीं मिला, इसलिये भी मैं अत्यन्त उत्तेजित था … बस अब मन्जिल कुछ घण्टों की दूरी पर थी … बस एक काँटा नीलम का भाई था, डी पी के बनाये प्लान के मुताबिक शाम को वह सेट हो जाये तो रात अपनी थी।

हम तीनों दिन भर सारनाथ घूमते रहे। बीच-2 में उसके भाई को कहीं किसी बहाने से भेजकर हम सम्भावित मस्ती की बातें भी कर ले रहे थे। दोनों का ही इन्तज़ार में बुरा हाल था। एक बार तो उसको कहीं भेज कर हम दोनों कार लेकर फ़ुर्र हो गये और करीब आधे घण्टे बाद लौटे और बहाना बना दिया कि आशापुर चले गये थे सर दर्द की दवा लेने।

नीलम ने बड़ी ही बेबाकी से बताया कि उसे सेक्स की बड़ी प्यास रहती है परन्तु अच्छे साथी तथा मौका नहीं मिल पाता। मेरे यह कहने पर कि तने लण्ड के कारण मेरा बुरा हाल है, वह बोली कि मेरी भी तो पैण्टी गीली हो रही है, क्या करूँ?

मैंने पूछा कि गरम होने पर कैसे शान्त होती हो तो वो बोली- जब कोई उपाय नहीं होता तो काफ़ी देर तक ठण्डे पानी से नहाती हूँ तो तन की गरमी शान्त हो जाती है।

लन्च के समय वह मेरे बगल में बैठी तथा अपनी जाँघों से मेरी जाँघ रगड़ती रही तथा मौका पाकर पैण्ट के उपर से मेरे लण्ड को सहला देती। उसकी हरकतों से मैं तो पागल हो रहा था और शाम होने का इन्तज़ार बहुत खल रहा था। यही हाल कमोबेश नीलम का भी था। मन तो कर रहा था कि नीलम को लेकर सारनाथ के आस पास के किसी अरहर या गन्ने के खेत में घुस जाँऊ … और …

तो भैया किसी तरह दिन ढला और शाम हुई और हम वापस पाण्डेपुर पहुँचे और डी पी उसके भाई को लेकर अपने फ़्लैट पर चला गया और मैं नीलम को लेकर होटल की तलाश में। चूँकि शाम हो चुकी थी अतः 2-3 होटलों में जगह नहीं मिलने के बाद कैन्टोमेन्ट के एक अच्छे होटल में अपने बज़ट में कमरा मिल गया। तकरीबन आठ बजे हम कमरे में चेक-इन किया और दरवाजा बन्द करते ही नीलम मुझसे जोर से चिपट गई और लगी मुझे चूमने … वाह क्या चीज थी नीलम भी … क्या प्यास था उसकी आँखों में … क्या उत्तेजना थी … मैं तो एकदम गरमा गया और उसे जोर से अपने सीने में भींच कर उसके गालों पर चुम्बनों की बौछार कर दी।

वह भी दोगुने जोश से पलटवार कर रही थी … यानि मेरे गालों पर और होठों पर अपने चुम्बनों की बौछार शुरू कर दी … खड़े-खड़े ही हम दोनों गुत्थम-गुत्था होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे … दोनों मानो एक दूजे के होंठों को खा जाना चाहते हों। होठों का ज्वार कुछ कम हुआ तो दोनों बिस्तर पर आये और मैंने उसकी चूँचियों को ऊपर से दबाना शुरू किया। नीलम की चूँचियाँ छोटी-2 थी, पर उत्तेजना से कड़ी हो गई थी। मैंने उसकी शमीज उतार दी, अन्दर वह किशोरियों वाली अन्डर-शमीज पहने थी … कोई जवान की तरह ब्रा नहीं पहने थी, यह देख कर मुझे हँसी आ गई तो उसने पूछा- हँस क्यों रहे हो ?

मैंने कहा- तुम्हारी अन्डर-शमीज देख कर मुझे लग रहा है कोई स्कूल की छोकरी को फ़ुसला कर गलत काम कर रहा हूँ।

इस पर नीलम बोली- चूँचियाँ छोटी-2 हैं, अतः ब्रा नहीं पहनती, परन्तु आपको मुझसे पूरी मस्ती मिलेगी ! मैं कोई कुवाँरी नहीं हूँ, खेली-खाई हूँ, चूँचियों की कसर मेरे निप्पल चूस-2 कर निकाल लीजिये … चाहे जितने जोर से चूसिये, मैं उफ़्फ़ नहीं करूँगी … चाहो तो निप्पल काट लो मेरे राजा … अब देर मत करो मेरे ठाकुर साहब ..

यह कह कर उसने अपना निप्पल मेरे मुँह में घुसा दिया … और मैं लगा चूसने ! उसकी घुण्डियों को दाँतो से हौले-2 काटता हुआ !

और नीलम उत्तेजना से पागल हो के मेरा पैण्ट खोल के अण्डरवीयर से लण्ड बाहर निकाल कर हाथों से सहलाने लगी … मैं भी सलवार के ऊपर से उसकी पैण्टी के अन्दर उसके गरम होती चूत को सहलाने लगा … ओफ़्फ़् … सहलाते ही नीलम मचल उठी और जोर-2 से मेरे लण्ड को दबाने लगी और मेरे कपड़े उतरने लगी। और बोली- अब नहीं सहा जाता ! जल्दी से मेरी बुर में अपना लण्ड पेल कर मेरी बुर की प्यास बुझाइये मेरे सरकार … अब और नहीं सहा जाता !

मैंने उसकी सलवार और पैन्टी उतार के उसे पूरा नंगा किया और उसको सीधा लिटा कर दोनों टाँगें उठा कर बुर को ऊपर उठा कर उसकी बुर के मुँह पर अपना टनटनाया लण्ड रगड़ने लगा … नीलम तो जैसे पागल हो गई … मेरे गले में बाँहें डालकर जोर से मेरा एक चुम्मा लेकर बोली … अब पेलो नाऽऽऽऽ आऽऽऽऽआ … क्यों तड़पा रहे हो राजाऽआऽआऽआ …

मैंने उसकी चूत के मुँह पर लण्ड रखा और लण्ड को घुसाया …

सुपाड़ा जाते ही वो सिसकारी मारते हुए बोली … आआ आआहह हहह … रुको मत मेरे दोस्त ,पूरा लौड़ा पेल दो एक साथ … ओह … ह … ह … ह … चिन्ता मत करो राजा मैं देखने में बच्ची जरूर लगती हूँ पर कोरी नहीं हूँ, पेल दो जोर से … भले ही फ़ट जाये नीलम की बुर … बस क्या था, मैं तो बौखला गया और एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया …

उसने उफ़्फ़ करके मुझे जकड़ लिया और मेरे सीने से चिपट गई और मेरे निप्पल को चाटने लगी। मैं थोड़ी देर वैसे ही लण्ड देव को चूत की गुफ़ा में डालकर विश्राम करने लगा, जब एकाध मिनट तक कोई हरकत नहीं हुई तो नीलम खुद ही अपनी चूत को हिलाने लगी और मेरे गालों को सहलाते हुए कान में बोली- राजा जी, अब और ना तड़पाओ … अब चोद डालो नीलम को … मारो धक्का … अब मत रुको जानू …

बस भैय्या, मैं तो शुरू हो गया और दे दनादन धक्का लगा कर नीलम की बुर को चोदने … हचा … हच् … हच् … हच् … हच् … फ़च् … फ़च् … फ़चा … फ़च् … फ़च् … फ़च् … सटा-सट् … सट … पूरा कमरा फ़च-फ़च और नीलम की सिसकरियों से गूंज उठा … वो जोर-2 से अपने चूतड़ उठा कर मुझे जकड़ कर मेरे होंठ चूसने लगी और मुझे ललकारते हुए अपनी बुर को फ़ाड़ देने के लिये उकसाने लगी।

बड़ी देर तक मैं नीलम की बुर की चुदाई करता रहा। कमरे में बस हमारे साँसो तथा फ़चा-फ़च … और बीच-2 में उसकी सिसकारियों की आवाज आ रही थी। ज्यादा गीली होने पर मैंने तौलिये से अपना लण्ड और उसकी चूत साफ़ की और फ़िर से चोदना शुरू किया..

काफ़ी देर बाद हम दोनों ही लगभग एक साथ झड़े और उसने मुझे जकड़ लिया और हम दोनों लस्त-पस्त होकर सो गये।

शेष अगले भाग में ! Antarvasna

लेखक : विजय पंडित Indian Sex Stories

मेरी पिछली कहानी ‘ अंजलि की इच्छा ‘ को Indian Sex Stories काफी अच्छा समर्थन मिला पाठकों से, इसलिए अब मैं आपको आगे की कहानी सुनाता हूँ।

अंजलि के घर मैं, जब भी उसके पति बाहर गए होते, तभी चला जाता था। एक दिन जब मैं अंजलि के घर गया तो उसने मुझसे कहा- मेरी एक सहेली है, उसकी शादी को २ साल हो गए हैं पर उनका कोई बच्चा नहीं हुआ। अब उसके पति का कहीं और चक्कर चल रहा है इसलिए उसका पति उसकी बिलकुल भी परवाह नहीं करता। क्या तुम उसकी थोडी मदद कर सकते हो?

मैं समझ गया कि मुझे एक और चूत मिलने वाली है, मैं तो ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गया। मैंने अंजलि से उसका पता लिया और अगले दिन दोपहर को ११ बजे उनके घर पहुँच गया।

जब मैं उनके घर पहुंचा तो एक सुन्दर सी २५-२६ साल की लड़की ने दरवाज़ा खोला। अंजलि ने मुझे उसका नाम गीता बताया था, तो मैंने पूछा- क्या तुम गीता हो?

उसने कहा- हाँ !

मैंने कहा- मैं राहुल हूँ !

तो उसने कहा- आइये ना ! अन्दर आइये।

शायद अंजलि ने उसको पहले ही बता दिया था कि मैं कल आऊंगा, इसलिए घर में उसके अलावा कोई और नहीं था। फिर भी मैंने ऐसे ही पूछ लिया कि नौकर नहीं है घर पे?

तो उसने कहा- आज सबको छुट्टी दे रखी है।

मैंने कहा- शायद अंजलि ने आपको पहले ही सब कुछ बता दिया था?

गीता ने कहा- हाँ !

गीता ने लाल रंग का सूट डाला हुआ था जो कि एकदम पतला झीना था, जिसमें से उसकी ब्रा साफ़ नजर आ रही थी। उसके स्तन भी ३४ साइज़ के होंगे। मैं तो उनको देखता ही रह गया। अचानक गीता ने पूछा- क्या देख रहे हो?

मैंने कहा- जो चीज़ देखने की है, वही देख रहा हूँ !

तो वो कहने लगी- ऐसे ही देखनी है या फिर छू कर भी देखनी है?

मैंने कहा- यही नहीं सब कुछ छू कर देखना है !

तो उसने कहा- उसके लिए तो तुम्हें अन्दर बेडरूम तक आना पड़ेगा !

मैंने कहा- चलो फिर देर किस बात की है?

हम दोनों उठ कर अन्दर उसके बेडरूम में चले गए।

अन्दर जा कर मैंने उसे कस के पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। गीता भी मुझे किस करने लगी। फिर मैंने धीरे धीरे उसके स्तन सहलाने शुरू कर दिए। वो इतनी गरम हो गई कि उसने अपने आप ही अपने कपड़े उतार दिए। शायद वो काफी दिनों से सेक्स के लिए प्यासी थी।

तभी अचानक मुझे कुछ सूझा और मैंने उसे कहा- पहले मैं तुम्हारी मालिश करता हूँ तेल से, फिर हम प्यार करेंगे !

फिर मैंने एक हाथ में तेल लिया और उसको पेट के बल लेटा दिया।

पहले मैंने उसकी पीठ पर मालिश करनी शुरू की। फिर धीरे धीरे मैं उसके चूतड़ों पर मालिश करने लगा और उसकी चूत पर भी हाथ फेरने लगा। फिर मैंने उसे सीधे होने को कहा।

अब उसके स्तन सीधे मेरे सामने थे। मैं धीरे धीरे उसके स्तनों पर गोल गोल हाथ फेरने लगा, वो सिसकियाँ भरने लगी। उसके बाद मैंने धीरे धीरे उसकी टाँगे चौड़ी करी और उसकी चूत पर मालिश करने लगा।

वो इतनी गरम हो चुकी थी कि उस से रहा नहीं गया और मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया, कहने लगी- अब मुझसे और नहीं रहा जाता !

फिर उसने जल्दी जल्दी करके मेरी पैंट उतार दी और मेरा लण्ड लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मैंने अपनी शर्ट भी उतार दी और मैंने उस से 69 पोजिशन में आने के लिए कहा। फिर मैं उसकी चूत को चाटने लगा, वो मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।

अचानक उसकी चूत से काफी सारा पानी निकलने लगा, वो स्खलित हो गई। फिर मैंने उसे उठाया और नीचे बेड पर लेटा दिया पर आज मेरा मन उसकी गांड मारने का कर रहा था। मैंने उसे कहा- कि तुमने कभी गांड मरवाई है?

वो कहने लगी- नहीं !

मैंने कहा- आओ ! आज तुम्हें उसका मजा देता हूँ !

तो वो बोली- बहुत दर्द होगा !

मैंने कहा- पहले पहले होगा, फिर मजा आएगा !

तो वो मान गई फिर मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और अपने लण्ड पर भी, और उसकी गांड के मुंह पर अपना लण्ड रख के धक्का मारा। मेरा लण्ड थोड़ा सा अन्दर चला गया पर वो चिल्लाने लगी, कहने लगी- इसमें तो बहुत दर्द होता है, इसे बाहर निकालो !

पर मैंने कहा- डरो मत ! बस एक बार ही दर्द होगा, फिर नहीं !

फिर मैंने एक जोर से झटका मारा और मेरा लण्ड उसकी गांड में चला गया। फिर मैंने उसको धक्के मारने शुरू किया, धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ तो उसको भी मजा आने लगा।

अब वो भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में से निकाल के उसकी चूत में डाल दिया और झटके मारने लगा।

१० मिनट बाद वो और मैं दोनों इक्कठे झड़ गए।

इसके बाद हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे, फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और मैं चलने लगा तो उसने मुझसे कहा- कल आओगे?

मैंने कहा- तुम बुलाओ और मैं न आऊं ! यह तो हो ही नहीं सकता !

फिर वो कहने लगी- यह बात गुप्त रहेगी न ?

मैंने कहा- भरोसा रखो, कोई भी बात गुप्त रखना तो मेरा पहला धर्म है !

उसने पूछा- तुम्हारी फीस कितनी है?

मैंने कहा- मैं फीस के लिए यह नहीं करता ! मुझे यह पसंद है !

फिर भी उसने मुझे ४००० रुपए दिए और दुबारा अगले दिन आने के लिए कहा।

कहानी पर अपनी राय मुझे अवश्य भेजिएगा ! Indian Sex Stories

प्रेषिका : सीमा शर्मा Hindi Sex Stories

मेरा नाम सीमा है, उमर २२ साल, कद Hindi Sex Stories लम्बा, करीब ५ फ़ुट ३ इंच, रंग गोरा, बटाला और मैं अंग्रेज़ी से एम ए में पहले साल में हूँ और मेरी बहिन ऋचा उम्र २३ साल कद मुझ से थोड़ा छोटा ५ फ़ुट, मुझ से एक साल बड़ी है और वह मुंबई में कॉल सेण्टर में नौकरी करती है।

आज जो बात लिखने जा रही हूँ मुझ को बताते हुए बड़ी शर्म आ रही है।

बात आज से एक महीने पहले की है।

मेरी बहन एक महीने पहले ऑफिस से छुट्टी लेकर आई हुई थी। जब हम दोनों सो रहे थे तो दीदी के मोबाइल पर रात के करीब १०:३० बजे एक मिस्ड कॉल आई। तब दीदी ने कॉल देखी और उसी नंबर पर कॉल कर के बात करने लगी कि अभी तो मुझ को मासिक-धर्म ठीक से हुआ है अगर जरुरत पड़ी तो गोली ले लूँगी।

मैने पूछा- क्या बात है दीदी ऐसी बातें आप किस से कर रही हो?

दीदी- कुछ नहीं ! तू सो आराम से !

बस इतनी बात कर मैं भी सो गई।

अगले दिन हमारा चाचे का बेटा, नाम राहुल, उम्र २७ साल, कद ५ फुट ७ इंच, रंग सांवला अपनी नौकरी के सिलसिले में आया हुआ था। वह अब एक अच्छा डॉक्टर बन चुका था और एक सरकारी नौकरी पाने के लिए इंटरव्यू देने आया था। वह हम सबसे मिलने सुबह करीब ११ बजे आया।

नमस्ते ताया जी ! नमस्ते ताई जी ! क्या हाल है ? राहुल ने मम्मी पापा को बड़े जोश से पूछा।

बिलकुल ठीक है पुत्तर – दोनों ने कहा।

सीमा और ऋचा कहाँ पर हैं ?

मेरी मम्मी ने कहा- बेटा, अपने कमरे में होंगी, जा के देख ले, अच्छा बाकी सब बता, सब ठीक है? तेरी इंटरव्यू कैसी हुई? मैन्नू तेरी माँ दा फ़ोन आया सी, ताँ तो पता चला कि तू आ रहा है।

ओह ! ओह ! इतने सारे सवाल ! पहले सीमा और ऋचा से तो मिल लूं !

यह कहता हुआ राहुल हमारे कमरे में बिना दरवाज़ा खटकाए घुस आया।

मैं आगे खड़ी थी और वह एकदम से गले लग गया और जोर से उसने मेरे बूब्स को अपनी छाती साथ लगाया। एकदम से मेरे बदन में करंट दौड़ गया, मैंने एकदम से उसको अपने से पीछे हटाया- क्या कर रहे हो राहुल ?

ओह ! सॉरी मैं भूल गया था कि तुम जवान हो गई हो !

फिर वह दीदी के पास जाने लगा तो दीदी ने आगे बढ़ कर कर उस के गालों पर चूम लिया।

दीदी बोली- अब ठीक है !

राहुल बोला- मजा आ गया !

इतनी देर मैं मम्मी राहुल के लिए दूध ले कर आ गई।

राहुल बोला- क्या ताई ! यह उम्र क्या दूध पीने की है ? सेब खिलाओ, सेब !

सेब इन दिनों मैं कहाँ से लाऊँ ? मार्केट में बस केले ही मिल रहे हैं – मम्मी बोली राहुल से।

क्या ताई घर में ६ सेब मौजूद हों तो बाहर से खाने की क्या पड़ी है ? – राहुल बोला।

क्या मतलब ? मम्मी ने राहुल से बड़ी हैरानी से पूछा।

ताई दो सेब तो ताया जी चूसते हैं ! दो सेब आपने मुंबई भेज दिये और दो सेब यहाँ पर हैं वोह मुझ को दे दो !- राहुल मम्मी से बोला।

मुझ को तेरा मतलब समझ नहीं आया ? मम्मी ने राहुल को पूछा।

क्या ताई आप भी बड़ी भोली बनती हो?- राहुल आगे बढ़ा और मम्मी के ब्लाऊज़ के अन्दर देखने लगा।

क्योंकि मम्मी ने गहरे गले वाला ब्लाऊज़ पहन रखा था और जिसके अन्दर से मम्मी की ब्रा साफ़ साफ़ दिख रही थी और मम्मी के बूब्स आधे नंगे थे, क्योंकि हमारे घर में कोई लड़का नहीं था तो मम्मी ने भी कभी ऐसा ब्लाऊज़ न पहनने का न सोचा।

तभी मम्मी ने एकदम से ब्लाऊज़ को अपनी साड़ी के पल्लू से ढाका- चल हट ! शरारती कहीं का ! मम्मी ने थोड़ा हंस के और थोड़ा शरमा कर उसको पीछे किया।

तब सारे हँस दिए और बात को ख़त्म कर दिया गया। मगर सच बात यह थी कि उस वक़्त मुझ को राहुल की बात समझ नहीं आई थी, बाकियों को हँसता हुआ देख मैं भी हँस दी, मगर मेरे मन में बात चलती रही कि बात क्या हुई।

इस तरह से एक हफ्ता बीत गया।

फिर उसी तरह से दीदी को रात को करीब १०:३० बजे कॉल आई।

अब ठीक है ! परेशानी की कोई बात नहीं – दीदी ने कहा और फ़ोन काट दिया।

मैंने फिर दीदी से पूछा- क्या बात है?

मगर दीदी ने फिर वही जवाब दिया कि तुम सो जाओ !

मगर मैं सोती कैसे ! मेरे मन में बेचैनी थी कि पता नहीं बात क्या है !

सो मैने भी ठान ली कि आज बात जान कर ही रहूंगी ! मेरे सोचते सोचते २० मिनट निकल गए।

तब मैंने देखा कि दीदी उठी, तब शायद रात के १२:१५ बजे ही थे, कमरे में अँधेरा था, अंधेरे में ही दीदी ने मुझको टटोला कि क्या मैं अच्छी तरह से सो गई हूँ। मगर मैं सोई नहीं थी, मैने तो सिर्फ अपनी आँखें बंद कर रखी थी।

मैंने ध्यान से देखा की दीदी ने तब अपनी नाईटी उतार दी और फिर अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब वह पूरी तरह से नंगी थी और फिर उसने हमारे कमरे को अन्दर से लॉक कर दिया, फिर वह हमारे बेड पर आ गई, फिर उसने अपना मोबाइल उठाया और कुछ देखने लग गई।

मोबाइल की रोशनी से दिख रहा था कि दीदी पूरी तरह से नंगी हुई हुई थी, यह देख मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मगर उठती कैसे, क्योंकि मैंने दीदी को इस अवस्था में पहली बार देखा था। दीदी ने अपना मुँह मेरे से उल्टी तरफ किया और अब दीदी की नंगी पीठ मेरी तरफ थी। मेरे मन में उत्तेज़ना थी कि क्या हो रहा है !

तब मैने बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटाई और देखा कि मोबाइल में क्या चल रहा है !

वह देख मैं तो दंग रह गई- मोबाइल में लड़कों और लड़कियों की नंगी तस्वीरें थी। तब दीदी की नज़र मुझ पर पड़ी और एकदम से घबरा गई। फिर हम दोनों में १ मिनट की चुप्पी छाई रही और फिर दीदी एकदम से मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे नाईट-गाऊन के सारे बटन खोल दिए। दीदी जानती थी कि मैं रात को ब्रा और पैंटी नहीं पहनती क्योंकि मुझ को रात को इससे बड़ा आराम मिलता है।

अब मैं और मेरी दीदी पूरी तरह से नंगे थे और दीदी मेरे ऊपर थी। मुझे बहुत अजीब सा और अच्छा भी लग रहा था।

फिर दीदी ने मेरे बाएँ स्तन को चूसना शुरू किया।

ओह ! मैंने कहा- दीदी यह क्या कर रही हो?

क्यों मजा नहीं आ रहा ? दीदी ने मुझ से पूछा।

अब मैं उसको ना , ना कह सकी ! असल में मजा तो आ रहा था। मैं चुप रही।

फिर क्या था, उसने अपने होंट मेरे होंटों पर रख दिए और चूसने लगी।

बहुत मजा आ रहा था। दीदी ने फिर मेरे बूब्स को चाटा, फिर उनको चूसा !

फिर मेरे पेट को अपनी जीभ से साफ़ किया, फिर वह नीचे बढ़ी और मेरी घुटनों से पकड़ कर मेरी टाँगें खोल दी।

यह क्या ? बड़े बाल हैं साफ़ नहीं करती क्या ? उफ़ ! – दीदी ने कहा।

“सारा मजा खराब कर दिया !” फिर से कहा दीदी ने !

फिर दीदी रुकी और मेरे साइड पर बैठ गई और बोली, ” यार तेरे सेब बहुत मीठे हैं, तुझको मेरे कैसे लगे ?

मैंने उसको बड़ी हरानी से देखा,” अरे ! तेरे बूब्स तेरे सेब हैं ! राहुल इन सेबों की बात कर रहा था ! अरे यार, मम्मी के सेब रोज पापा चूसते हैं। इस उम्र में तुझको पता होना चाहिये। इस लिए तो रोज उन को कमरा बंद होता है। और तू फ़ोन कॉल की बात पूछ रही थी तो सुन मेरे से एक गलती हो गई, मैं भी अपने सेब चुसवा चुकी हूँ !”

यह कह कर उस ने मेरी तरफ देखा- हां, मैं जानती हूँ कि तुझ को यह बात सुन कर अजीब लग रहा होगा, मगर मैं सच कहूं तो मैं यह करना नहीं चाहती थी, बस हो गया ! दीदी ने कहा।

मगर हुआ कैसे ? मैने पूछा।

“मेरे ऑफिस में एक मेरा दोस्त है सुमित, मुझ को काफी अच्छा लगता है, फिर हम दोनों में दोस्ती हो गई।

फिर इक दिन १४ फरवरी को उसने मुझ को काफ़ी पीने के लिए आमंत्रित किया। हम एक रेस्तरां में चले गए। वहाँ पर जा के देखा कि वह अपना पर्स घर पर भूल आया है। मैने पैसे देने के लिए कहा, मगर वह माना नहीं इसलिए वह मुझ को पर्स लाने के बहाने से अपनी घर ले गया।

मगर जब घर के अन्दर गई तो पता लगा कि वह अकेला है। यह देख मुझको घबराहट हुई, उसने कहा कि घबराओ मत ! यह कह कर वह मुझको अपने कमरे में ले गया और कहा कि वह मेरे लिए पीने के लिए पानी लाता है। वह बाहर गया तब मैं कमरे में अकेली थी।

मैंने देखा कि उसके बेड पर नंगी तस्वीरों वाली मैगजीन थी। अभी मैं उसको देख ही रही थी कि वह पीछे से आ गया !” दीदी ने कहा।

फिर क्या हुआ ? मैंने दीदी से पूछा।

फिर क्या ? फिर उसने मुँह से सीधा-सीधा पूछ लिया,”क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी? मैं वायदा करता हूँ कि यह बात मैं किसी से नहीं कहूंगा और तुमसे ही शादी करूंगा।”- दीदी ने कहा।

फिर ? उस के बाद क्या हुआ दीदी ?- मैंने पूछा।

सच कहूं तो उस वक्त तो मैं पूरी तरह से गरम थी और मैं उसके साथ सेक्स करना चाहती थी। मैंने उसको कुछ ना कहा मगर वह मेरे मन की बात समझ गया। तब मैंने उसके साथ सेक्स किया… वाह ! …… कितना मज़ा था उसमें ! … क्या आग थी !”

“अब मुझको यह तो नहीं पता कि वही तेरा जीजू बनता है या नहीं ! लेकिन मुझसे गलती तो हुई है !” दीदी ने कहा।

चल छोड़ उसको हम अपना मजा करते हैं – फिर से दीदी ने कहा।

फिर वह उठी, मेरे ऊपर पहले चद्दर दी और मुझ को इन्तज़ार करने के लिए कहा। फिर दीदी ने मेरा नाईट गाऊन पहना और फ़्रिज से बर्फ ले आई और कमरा बंद कर फिर से पूरी नंगी हो गई और मेरी चद्दर भी उतार दी।

अब हम दोनों फिर से नंगे थे !

फिर दीदी ने मेरी टाँगें खोली और मेरे चूत पर बर्फ मली।

उफ़ ! मैंने कहा।

क्या हुआ ? दीदी ने पूछा।

कुछ नहीं ! अच्छा लगा ! मैंने कहा और मैं हंस पड़ी।

मेरी बहन जवान हो गई है ! अगर मन करे तो अपनी सेब राहुल से चुसवा लियो ! अच्छा लड़का है ! दीदी ने कहा।

फिर हमने काफ़ी मस्ती की और कपड़े पहन कर सो गए।

मैं आज भी उस दिन को नहीं भूल पाई जिस दिन दीदी ने मुझ को अपना राज बताया और मुझ को भी बड़ा मजा दिया।

मैं यह मजा फिर से लेना चाहती हूँ।

आजकल राहुल बहुत याद आता है।

आप ही बताओ कि उस साथ करुँ या नहीं !

और जो मजा मैंने दीदी साथ लिया किसके साथ लूँ ?

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मेरा नाम सोनू है। मेरी उम्र छब्बीस Indian Sex Stories वर्ष है। मै यहां के अस्पताल में नर्स हूं। मेरी शादी हो चुकी है। मेरे पति भी सरकारी नौकरी में हैं। यू तो हमारी एक अच्छी निश्चिन्त जिन्दगी है। एक सुखी परिवार है। लेकिन मन का क्या करे वो तो चन्चल है, कभी न कभी भटक ही जाता है, कही भी फ़िसल जाता है।

अस्पताल में मेरे साथ एक कम्पाउन्डर रमेश काम करता है। देखने में सुन्दर है, हंसमुख है, कभी कभी तीखे सेक्सी मजाक भी करता है जिससे दिल में मीठी सी गुदगुदी भी होने लगती है और मै उसकी और बरबस ही खिन्च जाती हूं। रमेश दिल ही दिल में सब समझता था। मुझे अकेले में कभी कभी छेड़ता भी था। उसे मालूम था कि मैं कुछ नही कहूंगी। मैं मन से तो चाह्ती थी कि मुझे छेड़े… मेरा हाथ पकड़ ले। इस्के लिये मुझे ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। क्योंकि जब दोनो तरफ़ आग बराबर हो तो दिल मिल ही जाते हैं।

मैं स्टोर में मेडीसिन लेने गई तो वहां पर रमेश कुछ काम कर रहा था। मैंने उसे मेडीसिन की लिस्ट दे दी। उसने सारी दवाईयाँ निकाल दी और एक पेकेट बना कर मुझे दे दिया। मैं जैसे ही मुड़ी रमेश ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे पता था कि रमेश अकेला पा कर कुछ तो करेगा ही। मैंने भी आज दिल मजबूत कर लिया। मैंने भी अपना हाथ नही छुड़ाया। मैंने पीछे मुड़ कर उसे देखा … वो एकटक मुझे निहार रहा था। मैंने शरम से अपना सर झुका लिया। हां… पर हाथ नहीं छुड़ाया। मैंने मुस्करा कर तिरछी निगाहों से उसे देखा।

रमेश ने तीर छोड़ा -‘मेडम… हंसी तो फंसी …’
‘मैं कहां फंसी … फ़से तो तुम हो…’ मैंने भी तीर छोड़ा।

‘मेडम … एक बात कहूं … मैं तो मर गया… खास कर आपकी मुसकराहट पर…’ उसने अपनी तरफ़ हाथ पकड़ कर खीन्चा । मै जान कर के रमेश से टकरा गयी।

‘हाय … दूर रहो…’ मैंने रमेश को प्यार से धकेल दिया और अपने को छुड़ा लिया।

मैं मुसकराती हुयी बाहर चली आयी। मुझे लगा आज काम फ़िट हो गया। मुझे उसके हाथों का स्पर्श अभी भी महसूस हो रह था। दिल में एक गुदगुदी सी उठ रही थी। मेरे जिस्म में वासना जागने लगी। मेरा दिल अब उस से अकेले में मिलने को आतुर हो उठा।
मेरे दिल में खलबली हो रही थी। दवाईयां मैंने वार्ड में आकर डाक्टर को दे दिया। वहां से मैं डाक्टर के रेस्ट रूम में चली आयी।

इतने में रमेश भी पीछे आ गया। मैं समझ गयी थी कि रमेश की तेज निगाहों ने मुझे यहां आते हुए देख लिया था। आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया। मैं जान कर के उससे चिपक गयी। उसने धीरे से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मुझे एक गहरा किस किया। मेरा पल्लू नीचे गिर गया, उसने मेरी चूचियां दबा डाली, मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिये और एक हाथ मेरी ब्रा में डाल दिया और मेरे चूंचक को हाथ में लेकर मलने लगा।

‘आऽऽऽह रमेश …प्लीज़ अभी नहीं…’ वो समझ गया। मैंने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ ठीक किया और उसकी तरफ़ मुस्करा कर देखा। उसे छेड़ते हुए बोली,’कर दी ना गड़बड़ …… ‘

‘सुनो सोनू … कल पिक्चर देखने चले …’

‘कब… सवेरे दस बजे के शो में…’

‘ हां… कल सवेरे नौ बजे मैं आपको पिक कर लूंगा…’ मैं उसका मतलब समझ रही थी। वो पिक्चर हाल में मुझे दबायेगा… मेरे अंगों से खेलेगा। मेरा मन भी भटकने लगा। मेरी आंखो दे सामने सारा नजार घूमने लगा। मेरा मन तड़प उठा।

सवेरे मैंने घर का काम निपटा लिया। अब मैं तैयार होने लगी… मैंने जान करके ब्रा और पेंटी नहीं पहनी। पर एक शाल ले लिया। मैं रमेश का इन्तज़ार करने लगी। वो ठीक नौ बजे अपनी मोटर बाईक लेकर आ गया। हम लोग पहले एक अच्छे रेस्टोरेन्ट में गये। वहां हमने चाय नाश्ता किया, फ़िर सोचा कि कौन सी पिक्चर देखी जाये। यह निश्चित करके हम दोनों एक हाल में चले गये। हाल लगभग खाली था।
दस बजे फ़िल्म शुरू हो गयी। फ़िल्म क्या शुरू हुई रमेश भी शुरू हो गया। चूंकि हमारे आसपास की सीटें खाली पड़ी थी इसलिये कोई देख लेने का खतरा भी नही था। उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। मैंने सुरक्षा को नजर में रखते हुए शाल अपने पर डाल लिया। रमेश ने मेरी चूंचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगा। मैंने अपना एक हाथ उसके कन्धे पर रख दिया।

वो अब खुल कर मेरी चूंचियां मसल रहा था, कभी कभी वो मेरे चूंचक को खींच देता था। मैं मस्ती में धीमी आहें भर रही थी। अब रमेश ने नीचे से मेरा पेटीकोट उठा लिया। उसके हाथ मेरी जांघों से फ़िसलते हुये मेरी चूत से जा टकराये। मैंने थोड़ा नीचे सरक कर चूत आगे को निकाल दी।

अब मैंने भी अपना हाथ उसके लन्ड पर रख दिया और दबाने लगी। मैंने पेन्ट की ज़िप खोली ……उसने भी मेरी तरह अन्दर अन्डरवियर नहीं पहनी थी। मैंने उसका लन्ड खींच कर बाहर निकाल लिया। मैं भी अब उसका लन्ड सहलाने लगी। उसका सुपाड़ा निकाला और पूरा लन्ड हिलाने लगी। पर मेरी हालत उत्तेज़ना से खराब होने लगी थी।

उसने मेरी चूत में उन्गली घुसा दी थी। मेरे दाने को भी सहला रहा था। जोश में मैं भी उसके लन्ड का मुठ मारने लगी। वो अपना चेहरा मेरे गालों से रगड़ने लगा और उसके मुख से तेज सिसकारी निकल रही थी। उसके बदन में अचानक ऐंठन होने लगी। मैंने मुठ मारने की रफ़्तार और तेज कर दी। तभी रमेश ने अपना रूमाल निकाला और अपने लन्ड पर लगा लिया। वो चरमसीमा पर पहुंच चुका था। तभी उसका वीर्य निकल पड़ा। मैंने तुरन्त ही उसका लन्ड रूमाल से पोंछ दिया। रूमाल पूरा गीला हो गया था… मैंने उसका लन्ड अब छोड़ दिया था।

मैंने अपनी चूत को देखा…रमेश अभी भी तेजी से उन्गली अन्दर बाहर कर रहा था… साथ में दाना भी रगड़ खा रहा था। अब मैं भी नीचे से चूत उठा कर उसकी सहायता कर रही थी। और …और …हाय मैं भी कहां तक रोक पाती… अन्तत: मैं भी झड़ने लगी। मैं चुपचाप उत्तेजना सहती रही और झड़ती रही। फिर सीट पर ठीक से साड़ी करके बैठ गयी। अपने ब्लाउज के बटन ठीक से लगाये और हम सीट पर आराम से बैठ गये। हमारा काम हो गया था… इसलिये हम सिनेमा हाल से बाहर आ गए। हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे…जैसे कोई किला फ़तह कर लिया हो।

‘सोनू… मजा आया ना…’ मैं शरमा गयी।

‘चुप रहो…अब…’ मेरी नजरे अब भी झुकी जा रही थी।

हम सिनेमा हाल से सीधे अस्पताल आ गये… और अपनी ड्यूटी जोईन कर ली। हम दोनों ने रात की ड्यूटी ले ली। रमेश मुझे वापस घर छोड़ कर चला गया।

मुझे शाम का बेकरारी से इन्तेज़ार होने लगा। मेरे शरीर में रह रह कर वासना और उत्तेजना की लहर दौड़ जाती थी। मुझे उत्तेजना के कारण बार बार अंगड़ाई भी आ रही थी। एक एक पल घण्टों के समान लग रहा था।
समय होने पर मैंने घर के बाहर से टूसीटर लिया और अस्पताल आ गयी। अन्दर आते ही मेरी नज़रे रमेश को ढूंढने लगी। उसे देखते ही मेरी जान में जान आयी। मेरे शरीर में तरावट आने लगी। मेरी चूंचियां कसने लगी, चूत में खुजली होने लगी। मुझे लग रहा था कि आज में किसी तरह से चुदा लूं बस।

रमेश डाक्टर साहब से कुछ परामर्श कर रहा था। मैंने अपना समान रेस्ट रूम में रखा और अस्पताल की यूनिफ़ार्म पहन ली। पर हां मैंने फिर अपनी ब्रा और पेन्टी नही पहनी। मुझे नहीं मालूम था कि ऐसा करने से मेरे चूतड़ और बोबे की लचक अधिक नजर आयेगी। डाक्टर साहब रमेश को कुछ समझा कर बाहर निकल गये। रमेश मेरे चूतड़ों की लचक देख रहा था… मेरी चूंचियां भी बिना ब्रा के हिल रही थी। मैं जान कर रेस्ट रूम में आ गयी… रमेश भी वहीं आ गया। रमेश ने मुझे बताया कि डाक्टर साहब को किसी पार्टी में जाना है सो वो अब रात को नहीं आयेंगे ।

रात के ग्यारह बज रहे थे हमने सब ठीक से चेक कर लिया कि सारे मरीज आराम से हैं । तब मैं रेस्ट रूम में सुस्ताने आ गयी। रमेश ने भी अपना काम निपटा लिया और वहीं रेस्ट रूम में आ गया। उसे देखते ही मेरा शरीर कसमसाने लगा। रमेश ने मुझे आंख मारी …… मैं शरमा गयी।

उसने मुझे गले लगाते हुये और मेरे शरीर को अपने शरीर से चिपकाते हुए शरारत से कहा,’ सोनू जी…आंख मारी है अभी … और तो कुछ नहीं मारी ना…बस शरमा गयी…?’

‘और क्या मारोगे…?’ मैं शरमाते हुए बोली। उसके होंट मेरे कांपते होटों से मिल गये। मेरे सफ़ेद ब्लाउज़ के बटन एक एक कर खोलने लगा। मेरा बदन कांपने लगा… मुझे पता चल गया था कि अब थोड़ी देर में मेरी चुदाई हो जायेगी। मेरे नंगे उरोज पर उसके हाथ पहुंच गये थे। मेरे भारी और बड़ी चूंचियों को उसने अपने हाथों में भर ली।

मैं थोड़ा सा कसमसाई, पर उससे दूर नहीं हटी। उसने मुझे कस कर चिपका रखा था। मेरे शरीर में वासना उठने लगी, मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी। मैं रमेश से चिपकने लगी। उसका लन्ड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और मेरी चूत के आसपास गड़ने लगा। मैं उसके लन्ड के टकराने के अहसास से ही आनन्द से भर उठी। मैंने भी अपनी चूत को उससे और चिपका दी। उसने मेरे दोनों बोबे को दोनों हाथों में भर लिया और मसलने लगा। मैं अपने होंठ उसके होंठों से रगड़े जा रही थी।

तभी रूम की बेल बजी। रमेश अलग हो गया। मैंने उसे देखा तो हंस पड़ी… उसका हाल बेहाल हो रहा था… उसका लन्ड फ़ूल कर पैन्ट में जोर मार रहा था। रमेश ने कहा,’मैं जरा देख कर आता हूं…’

मैंने दोनों हाथों को उठा कर एक भरपूर अंगड़ाई ली और बिस्तर पर लेट गयी। मैं अपनी चूंचियों से खेलने लगी। नोकों को उन्गलियों से गोल गोल मसलने लगी। फिर उल्टी लेट कर तकिये को दबाने लगी। तभी रेस्ट रूम का दरवाजा रमेश ने अन्दर से बन्द कर दिया। मैं आंखे बन्द करके उसका इन्तज़ार करने लगी। रमेश ने इत्मिनान से अपना पैन्ट खोला और फिर अन्डरवियर भी उतार दी, अन्त में फिर बनियान भी उतार दी। मेरे बिस्तर पर नज़दीक आ कर बोला,’सुनो जी…… तैयार हो…।’

मैंने शरमा कर तकिये में चेहरा छिपा लिया। उसने मेरी सफ़ेद साड़ी और पेटीकोट खोल कर अलग कर दिया। फिर खुले हुए ब्लाउज़ को प्यार से उतार दिया। मैंने अपना चेहरा अभी भी शरम से छिपा रखा था। अब मैं पूरी नंगी थी और रमेश भी पूरा नंगा था। वो धीरे से मेरी पीठ पर लेट गया। उसका भार मेरे ऊपर बढ गया। उसका कड़क लन्ड मेरी चूतड़ों पर रेन्गने लगा। शायद दरारों में छिपने की कोशिश कर रहा था। अन्तत: उसका लन्ड मेरी चूतड़ की दरार में घुस पड़ा।

‘हाय…क्या कर रहे हो…?’
‘उस समय आंख मारी थी… अब गान्ड मारूंगा… क्यों ठीक है ना…’
‘हाय… मेरे राजा… कुछ भी करो…बस मुझे रगड़ दो…।’ मैं वासना के नशे में बेशरम होती जा रही थी। मेरे पति भी मेरी गान्ड जम कर मारते थे… उन्हे तो पूरी संतुष्टी मिलती ही इससे थी। मेरी गान्ड इस काम के लिये पूरी अभ्यस्त थी। मेरी गान्ड का छेद भी खुला हुआ था। रमेश का कड़कड़ाता हुआ लन्ड मेरे गान्ड के छेद की खोज में था। आखिर में लन्ड छेद ढूढने में सफ़ल हो गया। रमेश की कमर थोड़ी सी उठी और उसने अपने लन्ड पर जोर लगा दिया। उसका मोटा और कड़ा लन्ड अपनी पूरी कड़ायी के साथ छेद में घुस पड़ा। मेरे मुंह से सीत्कार निकल पड़ी।

‘पहली बार गान्ड मरा रही हो ना… तकलीफ़ तो होगी मेरी जान…’ रमेश ने अपनी पन्डिताई झाड़ी।

‘ मांऽऽ…रीऽऽऽ… रमेश… घुसेड़ दो पूरा…’ मैं तड़प उठी।

उसने जोर लगा कर अपना पूरा लन्ड ही अन्दर घुसेड़ दिया। पूरा घुसते ही मुझे चैन आया…… मुझे पता चल गया कि शरीफ़ सा दिखने वाला रमेश कितना चालू है। इतने सलीके से तो कोई एक्स्पर्ट ही गान्ड मार सकता है। उसने हौले हौले धक्के मारने शुरु कर दिये। फिर वो तेज करता गया। मात्र हल्की सी तकलीफ़ हुई। मैंने अपनी पांव और चूतड़ और फ़ैला दिये। उसे और गान्ड मारने की सहूलियत दे दी। अब वह अपनी कोहनी और घुटनों के बल पर आ गया था।

उसका शरीर मेरे शरीर से फ़्री हो चुका था। अब उसका लन्ड फ़्री स्टाईल में मेरी गान्ड चोद रहा था। मैं भी अब अपनी गान्ड को उछाल उछाल कर उसका साथ दे रही थी। उसके मुंह से तेज सिस्कारियां निकल रही थी। मैं इतमिनान से तकिये पर अपना सर रखे आंखे बन्द करके गान्ड चुदाई का आनन्द ले रही थी। रमेश ने मेरे सर के नीचे से तकिया हटाया और मेरी चूत के नीचे रख कर मेरी गान्ड और ऊपर उठा दी। मेरी चूत अब उसे दिखने लग गयी थी…

उसने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाला और मेरी पनीली चूत पर रख दिया। थोड़ा सा उसने लन्ड को चूत पर घिसा और चूत के अन्दर घुसा दिया। मेरे मुँह से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी। उसने मेरी गान्ड थपथपाई और घोड़ी बनने का इशारा किया। मैंने धीरे से गान्ड ऊंची की और घोड़ी बन गयी, पर लन्ड को बाहर नहीं निकलने दिया। अब उसका लन्ड मेरी चूत में पूरा घुस गया।

मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। उसका मोटा लन्ड अब तेजी पकड़ रहा था। उसकी चमड़ी का घर्षण मेरी चूत की दीवारों पर बहुत उत्तेजना दे रहा था। मीठी मीठी सी गुदगदी तेज लग रही थी। मैं मदहोश होती जा रही थी। रह रह कर मेरा शरीर कांप उठता था। मुझे सुख की अनुभूति स्वर्ग का अनुभव करा रही थी।

अचानक रमेश के धक्के तेज होने लगे… उसकी सिस्कारियां बढने लगी। मैं समझ रही थी कि उसका वीर्य स्खलित होने वाला है। मुझे उससे पहले झड़ना था। मैंने अपने पांव अन्दर दबाते हुये अपनी चूत को टाईट कर ली, जिससे लन्ड का घर्षण तेज हो गया और मेरा पानी छूटने लगा। मैं आहिस्ता आहिस्ता झड़ने लगी।

पर इसका असर ये भी हुआ कि उसके लन्ड ने भी अपना लावा उगल दिया। उसका लन्ड टाईट चूत नही झेल पाया। उसकी पिचकारी निकल पड़ी…और उसका वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैं भी पूरी झड़ चुकी थी। मैं निढाल हो कर बिस्तर पर ही लेट गयी। पर रमेश उठा और तौलिया लेकर मेरी चूत के नीचे रख दिया। वीर्य रिस रिस कर तोलिये पर गिरता रहा… मैं भी उठ कर बैठ गयी। मैंने रमेश को पास आने का ईशारा किया… उसे मैंने अपनी तरफ़ खींच कर गले से लगा लिया…

‘थैन्क यू… रमेश… आज तुमने मुझे अच्छी तरह से संतुष्ठ कर दिया…’
‘अभी कहां… अभी तो शुरूआत है… अभी मेरा कमाल तुमने देखा कहां है…’
‘ ये तो साधारण सी चुदाई थी… अभी तो तुम्हे खड़े खड़े चोदना है… फिर नहाते हुए चोदना है… और…’
‘अरे… अरे… बस बस… चुदेगी तो मेरी चूत ही ना…।’

हम दोनो हंस पड़े… और हम कपड़े पहनने लगे…
मैंने रमेश से धीरे से पूछा,’ रमेश… कल का क्या…’
रमेश उत्साहित होत हुआ बोला,’ आज … क्या बस इतना ही… अभी तो पूरी रात बाकी है…’
‘धत्त… हटो … इतना क्या कम है …’
मैं एक बार फिर रमेश से लिपट पड़ी… Indian Sex Stories

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