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यह Sex Stories कहानी उस वक्त की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था।
मध्यप्रदेश के जबलपुर में चौधरी चाल में मैं रहता हूँ। हमारे चाल में कविता, रेशमा, और पिंकी ये तीन लड़कियाँ रहती हैं। जब वे स्कूल में थी तब उनका मेरे घर में आना जाना रहता था। अब वे 18 साल की हो चुकी हैं। जब स्कूल में थी, उस वक्त से मैं उन तीनों बहुत चाहता हूँ। उनको मैंने कैसे चोदा, यही कहानी हैं।
एक दिन की बात है, उस वक्त मेरे घर में मैं अकेला था, और मैं कम्प्यूटर पर ब्ल्यू फिल्म देख रहा था। तभी कविता, रेशमा और पिंकी मेरे घर चली आई। उन्हें देखते ही मैंने फिल्म बंद कर दी। वे मुझे सुहास नाम से बुलाती हैं।
सुहास.. तू घर पर अकेले क्या कर रहा है? ऐसे कविता ने पूछा।
मैंने कहा- कुछ नहीं ! कम्प्यूटर पर काम कर रहा था…
पर आज तुम तीनों मेरे घर अचानक.. एक साथ ? क्या कुछ काम था..? मैंने पूछा तो पिंकी ने कहा- कॉलेज को छुट्टी है तो तुम्हारे साथ कुछ खेल खेले ऐसा सोचकर हम चली आई ! तू भी तो अकेला है…
क्या खेलें…..?
तो रेशमा बोली- आँख मिचौली खेलते हैं…
मैंने भी कहा- ठीक है….
वैसे मेरा घर बहुत बड़ा है, चाल में हमारा घर ही बड़ा है, एक बेडरुम, किचन और हॉल – ऐसे तीन कमरे थे, जिनमें हॉल सबसे बड़ा है।
कविता बोली- राज कौन लेगा….
तो मैंने कहा- हम लॉटरी निकालते हैं….
ठीक है- तीनों ने माना।
फिर मैंने परची डाली और पिंकी से कहा- इनमें से एक उठाओ ! जिसका नाम आयेगा वो राज लेगी….
ठीक है !
पिंकी ने परची उठाई तो रेशमा पर राज आई।
उस वक्त उन तीनों ने स्कूल की ड्रेस पहनी थी। घर में भी वे तीनों अक्सर स्कूल ड्रेस ही डाला करती थी। रेशमा ने उस वक्त चॉकलेटी रंग का पेटिकोट और अंदर से शर्ट पहना हुआ था, पिंकी ने पंजाबी ड्रेस की तरह नीले रंग का कुरता और आसमानी रंग का पज़ामा पहना था, ऊपर से दुपट्टा लिया था और कविता ने पीले रंग का स्कर्ट और टॉप पहना था।
मैं उस वक्त बरमुडा और टी-शर्ट में था।
पिंकी बोली- रेशमा पर राज आया है ! उसकी आँखों पर पट्टी बांधो….
मैंने कहा- पिंकी, मेरे पास तो पट्टी नहीं है….
तो कविता बोली- अरे सुहास ! पिंकी का दुपट्टा कब काम आयेगा….
पिंकी बोली- ठीक है… दुपट्टा ही बांधती हूं….
पिंकी ने अपना दुपट्टा निकाला और और रेशमा की आँखों पर बांधा।
रेशमा जिसे छुएगी उसको फिर राज लेना होगा… ऐसे पिंकी ने कहा और खेल शुरू हुआ। हम तीनों इधर उधर भागे, आँख पर पट्टी बंधी रेशमा हम तीनों को खोजने लगी। मैं रेशमा को हाथ लगा कर पीछे हट जाता था। वैसे ही पिंकी और कविता ने शुरु किया।
अचानक मेरा हाथ रेशमा के स्तनों पर लग गया और उस वक्त मैं पकड़ा गया। अब मेरे बारी थी। मेरे आँखों पर पिंकी ने पट्टी बांधी। पट्टी बांधते समय पिंकी के स्तन मेरे पीठ पर छू रहे हैं, ऐसा मुझे महसूस हुआ। तभी मेरा लंड खड़ा हुआ। अब मैं तीनों को खोज रहा था।
अचानक कविता बोली, अरे सुहास तुम्हारी जेब ऐसे फ़ूली क्यों है, कुछ जेब में है क्या….?
मैं घबरा गया- नहीं नहीं ! कुछ नहीं ! यह तो ककड़ी है जो मैं रोज खाता हूँ….
अच्छा मुझे भी चाहिए ! कविता बोली और जिद करने लगी।
देता हूँ…. खेल तो पूरा होने दो !
नहीं पहले दो ! नहीं तो मैं निकाल लूंगी ! पिंकी तो जिद पर आ गई।
मैं बोला- पास मत आना पिंकी ! आऊट हो जाओगी…
पर पिंकी नहीं मानी, उसने रेशमा और कविता से कुछ छुपी बातें की।
सुहास ! तुझे छूने ही नहीं दूंगी तो कैसे आऊट होऊँगी? खेल शुरु रख कर भी मैं ककड़ी निकाल सकती हूँ… पिंकी बोली।
उस वक्त मैं कुछ नहीं समझा मैं तीनों को ढूँढ रहा था कि अचानक रेशमा और कविता ने मेरे हाथ कस के पकड़ लिए।
मैं बोला- अरे यह क्या कर रही हो…?
तो कविता बोली- सुहास, तू हमें छू नहीं सकता क्योंकि हमने तुम्हारे हाथ पकड़े हैं…
मैं उस वक्त डर गया। तभी पिंकी ने मेरे जेब में हाथ डाला. और ककड़ी खींचने लगी… पिंकी ने ककड़ी नहीं, मेरा लंड पकड़ लिया था पर उसे कुछ नहीं पता था। इधर दोनों ने मुझे कस कर पकड़ लिया था।
रेशमा बोली- पिंकी ककड़ी निकालो…
पिंकी बोली- नहीं निकल रही है…
कविता बोली- अरे शायद सुहास ने अंदर में ककड़ी रखी होगी…. ऊपर वाली पैंट उतारो…
कविता झट से बोल गई तो पिंकी शरमा गई।
अरे, क्या शरमाना ! सुहास तो अपना दोस्त है….
अब मेरा भांडा फ़ूटने वाला है, मैं बहुत घबरा गया क्योंकि मैंने अंडरवीअर नहीं पहना था, सिर्फ बरमुडा पहना था।
तभी पिंकी ने मेरा बरमुडा खींचना शुरु किया। मैं हलचल करने लगा पर आखिर में पिंकी ने मेरा बरमुडा खींच ही लिया। बरमुडा नीचे आते ही मेरा सात इंच का लंड तीनों को सलामी देने खड़ा हुआ था। तीनों दंग रह गई। रेशमा चिल्लाई- बाप रे ! कितना बड़ा है सुहास तेरा लंड….
नहीं, यह इतना बड़ा नहीं है, यह तो तुम तीनों को देखकर बड़ा हो गया है….
अब मैंने हथियार डाल दिए और सच सच बातें करने लगा।
रेशमा, पिंकी कविता सुनो ! मैं तुम तीनों को चाहने लगा हूँ ! तुम्हारी जवानी का रस पीने की कोशिश कर रहा हूँ !
कविता बोली- कौन सा रस…?
तब मैंने कविता से कहा- बुरा नहीं मानेगी तो मैं साफ बात करुँ….?
तभी पिंकी बोली- अरे सुहास ! तू बिदांस बात कर…. कुछ मदद चाहिए वो भी हम देंगे….
तब मैंने खुलकर बातें करना शुरू किया, मैं बोला- मैंने तुम तीनों के बहुत बार स्तन दबाये हैं और अपना लंड तुम्हारे शरीर को छुआया है। तभी मेरा लंड ऐसे ही खड़ा हो जाता है…. अभी तुम्हारे स्तन देखकर इन्हें चूसने का मन कर रहा है ! और..
रेशमा बोली- सुहास और क्या….
तो मैंने कहा- मेरा लंड तुम तीनों चूसें ! ऐसी मेरी इच्छा है…. और मेरा लंड तुम्हारी चूत में डालने की इच्छा है….
तो कविता बोली- तो उसमें क्या है सुहास ! अभी तक तो तूने हम तीनों से ऊपरी-ऊपरी मज़े लिए, अब सच में इस नये खेल का हम आनंद उठाते हैं….
रेशमा और पिंकी ने कहा- हाँ सुहास…. तुम जैसे चाहे हमें चोद सकते हो ! शादी के बाद तो हमारा पति हमें चोदेगा, उससे पहले कैसे चोदते हैं यह सीख लिया तो शादी के बाद परेशानी नहीं होगी।
कैसे शुरुआत करें….? कविता बोली।
मैंने फिर परची डाली और रेशमा को कहा- एक एक कर के तीनों को उठाओ।
रेशमा ने उठाई तो पहली परची में पिंकी का नाम था, दूसरी में रेशमा का और तीसरी में कविता का नाम आया।
मैंने कहा- देखो, परची में जैसे नाम आएँ हैं, वैसे ही मैं एक एक को चोदूँगा….
ठीक है ! तीनों मान गई।
पिंकी, तेरा नाम पहले आया है, तू तैयार है ना….?
पिंकी बोली- हाँ, मैं तैयार हूँ, मुझे क्या करना होगा?
पिंकी तू कुछ नहीं करेगी ! करुंगा तो मैं, जब करना हो तो मैं बोलूँगा। बाद में तुम खुद ही करोगी, ऐसा ही यह खेल है…. पिंकी चलो, बेडरुम में चलते हैं…. मैंने कहा।
तभी रेशमा बोली- सुहास, क्या हम भी आ जायें ?
हाँ चलो, तुम भी देख लो कि कैसे चोदते हैं।
हम चारों बेडरुम में चले गये। मैंने पिंकी को बिस्तर पर लिटाया और उसके गाल चूमना शुरु किया। पिंकी ने थोड़ी हलचल की क्योंकि यह सब वह पहली बार महसूस कर रही थी। मैंने पिंकी के ओंठ पर अपने ओंठ रखे, फिर गले का चुंबन लेने लगा, फिर और नीचे आकर उसके स्तन को चूमने लगा, कपड़ों के ऊपर से मैंने उसके स्तन दबाना शुरु किए। फिर मैं पिंकी का कुर्ता उतारने लगा। पिंकी अब ब्रा पहनती थी, कुर्ता उतारते ही उसके स्तन उभर कर आगे आये।
पिंकी तुम्हारे स्तन तो आम जैसे पक गये हैं ! मैंने कहा।
पिंकी बोली- अब रस पी जाओ भी ?
तभी मैंने पिंकी की ब्रा भी उतारी, अब स्तन पूरे खुले गये थे। मैं स्तन देखकर उन पर लपक पड़ा। पिंकी के स्तन मैंने दबाना शुरु किए। फिर एक स्तन मैंने मुँह में लिया उसके निप्पल चूसने लगा और दूसरा स्तन दबाने लगा।
पिंकी ! तुम जिसे ककड़ी समझ रही थी, वो मेरा लंड था। तुम मेरा लंड हाथ में लेकर मसलना शुरु करो।
तब पिंकी ने मेरा लंड मसलना शुरु किया। सुहास, तेरी इच्छा थी ना कि तेरा लंड मैं मुँह में लूँ और चुसूँ ! तो अपनी इच्छा पूरी कर !
हाँ पिंकी, आय लव यू, फिर मैंने अपना लंड पिंकी के मुँह में दिया। पिंकी मेरा सात इंच का लंड मुँह में चूसने लगी। उधर कविता और रेशमा हमारा खेल देखकर गरम हो रही थी।
तभी रेशमा बोली- सुहास ! अरे, पिंकी को चोदना भी शुरु करो ! मुझे कुछ हो रहा है !
हाँ रेशमा डार्लिंग ! अभी चोदता हूँ ! मैंने पिंकी का पजामा उतार दिया। अब पिंकी पूरी नंगी थी, अपने बोबे दिखा कर बोली- सुहास … इन्हें दबाओ ! … और दबाओ !
मैं फिर टूट पड़ा। फिर मैंने पिंकी की चूत के पास अपना लंड ले गया। पिंकी ने मेरा लंड का पकड़ कर चूत के सामने रखा। मैंने कहा- पिंकी, अब मैं तुझे चोदने जा रहा हूं….
हाँ तैयार हूँ !
फिर मैंने जोर का धक्का देकर लंड पिंकी के चूत में धकेल दिया। लंड चूत में जाते ही आऽऽ आऽ आहह्हह्ह ! पिंकी चिल्ला उठी।
फिर थोड़ी देर बाद मैं लंड अंदर-बाहर करने लगा। पिंकी मदहोश होकर चुदाई का आनंद ले रही थी।
पिंकी अब बस करो ! अब रेशमा को चोदने दो… वो तरस रही है !
ठीक है ! पिंकी बोली और कविता के बगल में जा बैठी।
रेशमा डार्लिंग आओ.. मैंने कहा।
रेशमा तुरंत बिस्तर पर लेट गई…
रेशमा ने स्कूल पेटिकोट और शर्ट पेहना था। मैंने उसके ओंठ के चुंबन लेकर रेशमा का पेटीकोट उतारना शुरु किया फिर मैंने उसका शर्ट खोल दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। जैसे ही मैंने शर्ट खोला तो उसके दूध उछल के बाहर आ गये, मैं उन्हें दबाने लगा। कितने दिनों के बाद इसके पूरे के पूरे स्तन देखने को और दबाने को मिले। फिर मैंने उसके निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा। रेशमा आ आह्हह्ह हा आआ आऽऽह्हह्हह कर रही थी। मैं उसे चूसता ही रहा। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। पिंकी की चुदाई देखकर रेशमा की चूत बहुत गरम हो गई थी। मैं उसकी चूत को फैला कर चाटने लगा। वो सिसकारी भर रही थी- अहाऽऽआआ असऽऽ स्सहस आआअह्ह्हस् स्सशाआ आआहस्सह्हस्स अह्हह्हह ह्ह्हह हस्साआ आअह्ह ह्हहा ह्ह्हाआ ह्हाहहवो !
वो मेरे लंड को हाथ में लेकर खींच रही थी- सुहास अरे लंड मुझे चूसने दो ना….
हाँ रेशमा…
और मैंने लंड रेशमा के मुँह में दिया। वो आयस्क्रीम की तरह उसे चूसने लगी। फिर रेशमा ने कमर को ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जांघों के बीच लेकर रगड़ने लगी। वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके। उसकी चूची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हें कस कस कर दबा रहा था। अचानक उसने अपनी एक चूची मेरे मुंह में ठेलते हुए कहा- सुहास, चूसो इनको मुंह में लेकर।
मैंने उसकी चूची को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा। थोड़ी देर के लिये मैंने उसकी चूची को मुँह से निकाला और बोला- मैं हमेशा तुम्हारी कसी चूची की सोचता था और परेशान होता था, इनको छूने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हें मुँह में लेकर चूसूँ और इनका रस पीऊं। पर डरता था पता नहीं तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ न हो जाओ। तुम नहीं जानती कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है !
अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो ! मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूं जैसा चाहे वैसा ही करो ! रेशमा ने कहा।
फिर क्या था, हरी झंडी पाकर मैं जुट पड़ा रेशमा की चूची पर। मेरी जीभ उसके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। मैंने अपनी जीभ को उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाया। मैं दोनों अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था। मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूंगा। रेशमा भी पूरा साथ दे रही थी। उसके मुँह से ओह! ओह! अह! सी, सी! की आवाज निकल रही थी। मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी। उसने अपनी बाईं टांग को मेरे कंधे के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जांघों के बीच रख लिया। मुझे उसकी जांघों के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ। यह उसकी चूत थी। उसने पैंटी नहीं पहन रखी थी और मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी झांटों में घूम रहा था। मेरा सब्र का बांध टूट रहा था।
रेशमा ने तब हाथ में मेरा लंड लेकर निशाने पर लगा कर रास्ता दिखाया और रास्ता मिलते ही मेरा लंड एक ही धक्के में सुपाड़ा अंदर चला गया। इससे पहले कि वो सम्भले या आसन बदले, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया।
रेशमा चिल्लाई- उईई ईईईइ ईईइ माआआ हुहुह्हह्हह ओह , ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नहीं, सुहास…हाय ! बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड। मार ही डाला !
पहली बार जो इतना मोटा और लम्बा लंड उसकी बुर में घुसा था। मैं अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर चुपचाप पड़ा था। उसकी चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को मसल रही थी। उसकी उठी उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी।
मैंने हाथ बढ़ा कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगा। रेशमा को कुछ राहत मिली और उसने कमर हिलानी शुरु कर दी। मेरा लंड धीरे धीरे चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा। रेशमा को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी। रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए उसने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिये और मेरे मुंह में जीभ ठेल दिया।
इधर चुदाई जोरदार शुरु थी उधर कविता तड़फ रही थी। सुहास, बस भी करो अब मुझे कब शांत करोगे… कविता बोली।
कविता डार्लिंग ! हाँ अब तुन्हें ही चोदना है ! रेशमा अब बस करो ! कविता मुझे घूर-घूर कर देख रही है !
ठीक है सुहास ! तुम कवितो को चोदो !फिर रेशमा पिंकी के साथ जा बैठी।
कविता मेरी जानेमन ! आओ ! ऐसे कहते ही कविता तुरंत बिस्तर पर आ गई।
कविता, तुम स्कर्ट-टॉप में बहुत सुंदर दिखती हो ! तुम्हो बोबे भी अब पिंकी और रेशमा की तरह बड़े हो गये हैं।
सुहास ! अब तो बड़े हो गये हैं और तुम्हें बुला रहे हैं…
फिर मैं कैसे रुक सकता था। मैंने धीरे से कविता के टॉप के हुक खोल दिए और उसकी ब्रा उतार दी। अब वह एकदम परी लग रही थी। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया।, उसकी चिकनी चूचियाँ मैं चूसने लगा, उसकी घुंडियाँ कड़ी हो रही थीं और वह कह रही थी- सुहास बहुत मज़ा आ रहा है !
फिर मैं होंठ चूसने लगा, इस बीच कविता का एक हाथ मेरे लंड को पकड़ चुका था। कविता मेरा लंड मसलने लगी। तभी मैं उसके बोबे दबाने शुरु किया, उसकी चूचियाँ चूसने लगा- कविता, तेरा दूध पीने की बहुत इच्छा है !
अरे सुहास ! अभी तो मेरी शादी नहीं हुई, शादी के बाद माँ बन जाऊंगी तो जरुर मेरा दूध पीना !
सच कविता..? और मैं फिर कविता की चूचियाँ जोर-जोर से चूसने लगा। उउउउउउऊऊऊऊऊ… .आआआआआहहहहह… उसके होंठों पर किस किया और दोनों हाथों से उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाया। अब मैं उसकी स्कर्ट उतारने लगा। उसने काले रंग की पैन्टी पहन रखी थी।
तभी उसने कहा- सुहास अब रहा नहीं जाता, मुझे दे दो, मुझे चाहिए !
अब मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लंड खड़ा था। मैंने कविता की पैन्टी अपने मुँह से उतारनी शुरु की। वहाँ बाल बहुत कम थे। उसकी पैन्टी उतार कर मैंने उसको बीच में से सूँघा। गज़ब की खुशबू थी। उसकी चूत की लाईन चाटने लगा। मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो चुका था। कविता ने मेरे लंड को पकड़ लिया और उसके सुपाड़े की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मैं भी दोनों हाथों से कविता की गोल चूचियां दबा रहा था। मैं भी गरम हो रहा था, कविता ने मेरा लंड पकड़ के मुँह में भर लिया और सटासट चाटने लगी.. वो मेरा सारा रस पी गई। कविता ने चूस-चूस कर फिर से मेरा लंड खड़ा कर दिया….
कविता बोली- सुहास, जान अब और न तड़पाओ ! अपनी रानी को चोद दो ! मेरी प्यास बुझा दो..
मैं तो तैयार था।उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने पर रखा और कहा- धक्का मारो !
मैंने भी बहुत जोर से पेल दिया पर चूत बहुत टाइट थी, लंड घुसा ही नहीं तो उसने लंड पकड़ कर ढेर सारा थूक मेरे सुपाड़े पर पोत दिया…..
अबकी बार मैंने धीरे धकेला तो आधा लंड अंदर चला गया….
वो दर्द से पागल हो गई, बोली- निकालो ! बाहर करो ! मैं नहीं सह पाऊँगी !
पर अब मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कविता की कमर से पकड़ कर पूरे जोर से एक धक्का मारा और लंड उसकी चूत की गहराइयों को छू गया……वो दर्द से रोने लगी पर मैं धीरे धक्के लगाने लगा। थोड़ी देर में कविता को भी मजा आने लगा, उसके मुँह से आवाज निकलने लगी थी- चोदो….और जोर से…..आह…आह….मेरे राजा…..मुझे जन्नत की सैर कराओ….और अंदर डालो …आह ….सी…सी ….आह….
मैं पूरे जोर से पेले जा रहा था- हाँ रानी… ले… खा ले … पूरा मेरा खा जा … ले … ले … पूरा ले …
आह …राजा….मैं गई….सी….थाम लो….मुझे…..आह….
मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है तो मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी….. थोड़े धक्कों के बाद हम दोनों साथ ही झड़ गये..
कुछ देर बात कविता, पिंकी, रेशमा ने साथ-साथ मुझसे चुदवाया। जब मैं रेशमा के स्तन दबाता और चूसता तब पिंकी मेरा लंड चूसती। जब मैं कविता के स्तन दबाता और उसकी चूचियाँ चूसता, तब रेशमा मेरा लंड मुँह में लेकर उसे चूसती। जब मैं पिंकी के स्तन दबाता और चूचियाँ चूसता तो कविता मेरा लंड मुँह में लेकर उसे चूसती। कुछ देर बाद मेरा लंड पिंकी की चूत में जाकर उसे चोदता तब रेशमा अपने स्तन और चूचियाँ मुझसे दबवाती और चुसवाती। जब मैं रेशमा की चूत में मेरा लंड डालकर उसे चोदता तब कविता अपने स्तन मुझे दबाने को देती।
इस तरह यह चोदा-चोदी हमने दो घंटे की।
मेरी कहानी आपको कैसी लगी ? Sex Stories
बारहवीं कक्षा पास करने के -Antarvasna बाद जब मैंने कॉलेज में दाखिला लिया तो वहाँ नई सहेलियाँ बनीं. दो चार दिन में ही उनकी बातें सुन सुनकर मुझे यह एहसास हो गया कि मैं कितने पिछड़े क़िस्म के स्कूल से पढ़ कर आई हूँ. उनकी बातें और अनुभव सुनकर मेरे अन्दर भी किसी से प्यार करने की इच्छा जागृत हो गई, सीधे शब्दों में कहूँ कि मैं चुदवाने के लिए बेताब होने लगी.
कॉलेज में ज्यादातर लड़कियाँ अपनी स्कूटर या कार से आती जाती थीं, मैं और तीन चार अन्य लड़कियाँ ही सिटी बस से कॉलेज आती जाती थीं.
एक दिन कॉलेज से निकलने के बाद मैं बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रही थी कि एक हॉण्डा सिटी कार मेरे पास आकर रुकी, कार अमित अंकल चला रहे थे, अमित अंकल पापा के दोस्त थे और हमारे घर के सामने ही रहते थे.
उन्होंने मुझसे पूछा- घर चलना है?
मेरे हाँ कहते ही उन्होंने कार का दरवाजा खोला, मैं उनके बगल की सीट पर बैठी और थोड़ी ही देर में घर पहुँच गई.
घर पहुँचने के काफी देर बाद तक मेरे जहन से बस और कार के सफ़र का फर्क निकल नहीं पा रहा था, मैं सोच रही थी कि कितना सुखी रहता है कार में सफ़र करने वाला! ना धूल मिटटी, ना गर्मी, ठाठ से ए.सी. में बैठकर सफ़र कीजिए.
अब अक्सर यह संयोग होने लगा कि मेरे कॉलेज से निकलने के समय अमित अंकल उधर से गुजरते और मुझे साथ ले लेते. मेरे पापा भी खुश हो जाते कि आज भी वापसी का बस का किराया बच गया.
एक दिन मेरे कार में बैठते ही अमित अंकल ने पूछा- दस पन्द्रह मिनट देर हो जाए तो कोई परेशानी तो नहीं है ना?
मैंने कहा- नहीं अंकल, कोई परेशानी नहीं है!
अमित अंकल ने कार एक रेस्तरां के बाहर रोकते हुए कहा- इसका डोसा बहुत टेस्टी है!
पापा के साथ इस रेस्तरां में आने के बारे तो मैं सोच भी नहीं सकती थी, वो एक नंबर के कंजूस आदमी हैं. खैर, हमने डोसा खाया और घर आ गए.अब हर दूसरे चौथे दिन हमारा इसी तरह कहीं खाने पीने का प्रोग्राम होने लगा. एक दिन रेस्तरां में कॉफ़ी पीते पीते अमित अंकल बोले बहुत दिनों से पिक्चर देखने का मन हो रहा है, अगर कहो तो कल चलें, रानी मुखर्जी की नई फिल्म लगी है.
मैंने कहा- कल कब?
अंकल ने कहा- कॉलेज बंक करके, तुम्हारे घर किसी को पता भी नहीं चलेगा.
कुछ अंकल के अहसान, कुछ नई उमंग और कुछ अनजानी सी चाहत ने मेरे मुँह से हाँ निकलवा दी.
अगले दिन तय कार्यक्रम के हिसाब से हम मिले और पिक्चर देखने सिनेमा हॉल में पहुँच गए. इंटरवल तक आराम से पिक्चर देखी और बातचीत करते रहे. इंटरवल में अमित अंकल पॉप कॉर्न और कोका कोला ले आये. पिक्चर चलती रही और हम पॉप कॉर्न खाते रहे, पॉप कॉर्न लेने के दौरान कई बार एक दूसरे से हाथ छू हो गया तो अमित अंकल ने कहा- मनमीत जब तुम्हारा हाथ छूता है तो मेरे शरीर में कर्रेंट सा दौड़ जाता है, तुम्हें कुछ नहीं होता क्या?
मैं कुछ नहीं बोली तो अमित अंकल ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा- मेरे छूने से तुम्हे कुछ नहीं होता क्या?
मैंने धीरे से कहा- होता है!
तो उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, अपने दोनों हाथों में मेरा हाथ छुपा लिया और बोले- यह हाथ मैं कभी नहीं छोडूंगा!
इसके बाद लगभग रोज ही मैं उनके साथ आने जाने लगी और हम लोगों में छूने और चूमने का काम शुरू हो गया.
एक रात को एक बजे मेरे मोबाइल पर अमित अंकल का कॉल आया- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- सो रही थी!
तो बोले- मनमीत, हमारी नींद उड़ाकर तुम सो रही हो?
इसके बाद रोज़ रात को हम लोगों की बातचीत शुरू हो गई. बातचीत का विषय चलते चलते यहाँ तक आ पहुँचा कि अमित ( अमित अंकल कहना मैं छोड़ चुकी थी ) बोले- जिस दिन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों को खोलकर अपना लंड उस पर रखूँगा, तुम जन्नत में पहुँच जाओगी.
वास्तविकता यह थी कि अमित मुझे चोदने के लिए जितना बेताब थे मैं चुदवाने के लिए उससे ज्यादा बेताब थी. अमित की कल्पना करके ना जाने कितनी बार उंगली से काम कर चुकी थी.
खैर, जहाँ चाह वहाँ राह!
वीना आंटी ( अमित की पत्नी ) कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई. रात को अमित का फ़ोन आया- कल का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- कुछ नहीं! आप बताएँ!
तो बोले- कल कॉलेज बंक करो, मैं भी ऑफिस नहीं जाता! मेरे घर आ जाना, दोनों मिलकर अच्छा सा खाना पकायेंगे, खायेंगे.
मैंने कहा- ठीक है, आप अपने घर का पिछला दरवाज़ा खुला रखना, मैं पीछे से आऊँगी.
इतना सुनकर अमित ने फ़ोन काट दिया.
मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी चूत पर फेरते हुए कहा- मुनिया रानी ( चूत का यह नाम कॉलेज की लड़कियों ने रखा था) कल तुझे लंड की प्राप्ति होने वाली है! तैयार हो जा!
मैं सुबह थोड़ा जल्दी उठी, अपनी चूत के आस पास के अनचाहे बालों (झांटों) को साफ़ किया, अच्छे से नहा धोकर तैयार हुई, सुन्दर सा सूट पहना और मम्मी से ‘कॉलेज जा रही हूँ’ कहकर घर से निकल पड़ी.
चुदवाने के ख्याल से दिल बल्लियों उछल रहा था, मन में हल्का सा डर भी था लेकिन डर पर चाहत भारी थी. अमित के घर पिछले दरवाज़े पर हाथ रखा तो खुल गया. अन्दर घुसकर दरवाजा बंद किया तो तौलिया लपेटे अमित मेरे सामने आ गए, शायद नहाने जा रहे थे.
पहली बार उन्हें इस रूप में देखकर मैं रोमांचित हो गई. अमित करीब पचास साल के 5 फुट 10 इंच लम्बे हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति थे, बालों से भरा उनका सीना उनसे लिपट जाने की दावत दे रहा था.
एक कदम मैं आगे बढ़ी और दो कदम अमित. मैं उनके सीने से लग गई, उन्होंने मेरे माथे पर चूमा, मेरे चूतड़ों को हल्के-हल्के हाथों से दबाने लगे, मैं बेहाल होती जा रही थी.
अमित ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए, संतरे के आकार के मेरे मम्मे देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरी चूत के दर्शन करते ही वो पागल से हो गए और अपने होंठ मेरी चूत पर रखकर चूमने-चाटने लगे. उनके चाटने से मेरी चूत भयंकर रूप से गीली हो गई और चुदने के लिए बेताब हो गई. अमित चूत को चाटते ही जा रहे थे, मैंने उनका तौलिया खींच कर अलग कर दिया. तौलिया हटते ही उनका लंड मुझे दिख गया, अमित का लंड देखते ही मेरी तो गांड ही फट गई और चुदवाने का नशा हिरण होने लगा.
कारण यह कि अमित का लंड करीब 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, मुझे मालूम था कि यह मेरी चूत का भुरता बना देगा.
मैंने अपने जीवन में इससे पहले सिर्फ एक बार लंड देखा था, वो भी अपने पापा का. एक बार रात को मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो देखा मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल जल रही थी, उत्सुकता से खिड़की की झिर्री से देखा कि मम्मी नंगी लेटी हुई हैं और पापा अपने लंड पर कंडोम चढ़ा रहे थे. पापा का लंड करीब 4-5 इंच लम्बा रहा होगा. आप ही सोचिये कोई बीस साल की कुंवारी लड़की जो 4-5 इंच का लंड अपनी बुर में लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो, उसे आठ इंच लम्बा अच्छा खासा मोटा लंड दिख जाए तो वो घबरायेगी या नहीं?
मुझे ख्यालों में खोया देखकर अमित बोले- क्या हुआ जान?
मैं कुछ नहीं कह सकी, मैंने कहा कुछ नहीं. अमित मेरे करीब आ गए और मेरा एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया तथा दूसरे पर उँगलियाँ फिराने लगे. इस सबसे मुझमें उत्तेजना भर गई. अमित ने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रखा और अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने लगे.
मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं चुदासी हो चुकी थी. मैंने कहा- अमित अब मेरे अन्दर समा जाओ!
अमित उठे, मेरी टांगों के बीच आकर अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के होठों पर रखा, हल्के से दबाया और सुपारा चूत के अन्दर!
एक झटके में आधा लंड और दूसरे झटके में हल्के दर्द के साथ पूरा लंड मेरी मेरी मुनिया रानी के अन्दर जा चुका था. मैं हैरान थी कि जिस लंड को मैं देखकर डर रही थी वो कितनी आसानी से मुझे चोद रहा था.
करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद अमित उठे और अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर फिर जुट गए.
उस दिन अमित ने मुझे तीन बार चोदा और उसके बाद सैकड़ों बार!
आज मैं छब्बीस साल की हो चुकी हूँ, अमित से चुदते-चुदते छः साल हो चुके हैं और शायद बाकी ज़िन्दगी भी अमित से ही चुदवाना पड़े क्योंकि कंजूस प्रवृति के मेरे पापा शायद मेरी शादी कभी नहीं कर पायेंगे. बिना दहेज़ के शादी होगी नहीं और दहेज़ मेरे पापा देंगे नहीं!
मुझे क्या!
अमित अंकल जिंदाबाद!!
खाओ पियो चौड़े से, चूत चुदाओ लौड़े से! Antarvasna
जो बात मैं आप लोगो को बताने Antarvasna जा रहा हूँ वो सिर्फ़ इतनी है कि उसके होने के बाद मेरी सेक्स लाइफ थोडी बदल गई है। मेरा नाम कुणाल है और मैं दिल्ली में रहता हूँ। मेरी शादी को 6 साल हो चुके है और मेरा एक 5 साल का बच्चा भी है! मेरी बीवी का नाम मीनू है और वो भी आज 25 साल की एक खूबसूरत युवती बन चुकी है।
हम दोनों ने अपनी मर्ज़ी से शादी की है और आज हम दोनों बहुत ही खुश हैं!
हम दोनों हमेशा से ही कुछ नया करने की सोचते रहते हैं चाहे वो सामाजिक जीवन में हो या फिर यौन जीवन में!
एक बार हम दोनों हिमाचल घूमने गए हुए थे। वहा पर न जाने क्या हुआ, मीनू ने सोचा कि क्यों न आज खुले आसमान के नीचे ही सेक्स किया जाए। तब हम दोनों ने वही किसी पहाड़ी पर झाड़ी के पीछे डरते डरते सेक्स के खूब मज़े लिए वो भी बिल्कुल नंगे होकर!
फिर वहीं कहीं नदी के किनारे में मीनू ने बिल्कुल नंगी होकर अपनी नहाते हुए फोटो भी खिंचवाई। वो फोटो आज भी देखता हूँ तो उतेजित हो जाता हूँ। तब हमें ये डर नहीं लगता कि कोई हमें देख लेगा तो क्या होगा!
कई बार तो हमने अपनी बालकनी में भी सेक्स किया है बिल्कुल खुले में। एक बार हमें पड़ोस वाली भाभी ने देख लिया था! उसने मीनू से कहा भी था पर मीनू ने कहा के हमें इस में ही मजा आता है!
एक बार रात को मैं मीनू की मस्त चुदाई कर रहा था। उस रात मैंने एक दो पैग लगा लिए थे इस लिए मुझे कुछ सरूर ज्यादा था, मीनू को भी मैंने एक पैग दिया था इस लिए वो भी आज कुछ ज्यादा ही मज़े दे रही थी। वैसे मीनू पीती नहीं है पर मेरे साथ कभी कभी चल जाता है।
मीनू को चोदते चोदते मैं उस से गन्दी गन्दी बातें भी कर रहा था। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने आज एक ब्लू फ़िल्म लगा रखी थी, उसको देखते देखते ही मैं मीनू को चोद रहा था।
जैसे जैसे फ़िल्म में हो रहा था वैसे ही मीनू और मैं कर रहे थे। मीनू कभी मेरा लंड चूसती तो कभी मैं उसकी चूत चाटता कभी मैं मीनू को घोड़ी बना कर चोदता तो कभी उसकी गांड को फाड़ता। आज पूरे मज़े ले लेकर हम चुदाई कर रहे थे।
तभी फ़िल्म में एक सीन आया उसमे एक आदमी एक लड़की को लंड चूसा रहा था और लड़की कुतिया की तरह खड़ी हो कर चूस रही थी। तभी एक दूसरा आदमी आया और उसी कुतिया के पोज़ में उसे चोदने लगा।
ये देख कर मीनू भी मेरा लंड चूसने लगी और अपनी चूत में उंगली करने लगी। बहुत देर तक करते रहने के बाद उसका हाथ थकने लगा तो उसने उंगली हटा ली!
ये देख कर मैंने कहा- क्या हुआ! अगर ज्यादा ही मन है तो किसी दूसरे लंड का इन्तजाम करूँ क्या!
मीनू भी जोश में थी और चुदाई उस वक्त उस पर हावी हो चुकी थी। उसने कहा- क्यों नहीं कब से मेरी इच्छा है दो दो लंड लेने की, पर तुम सिर्फ़ अकेले ही चोदते हो, कभी तो दूसरा लंड लेकर आओ मेरे लिए!
हम अक्सर सेक्स करते हुए ऐसी बातें करते है इसलिए मैंने दुबारा उससे पूछा- तू ही बता दे ना तुझे किसका लंड चाहिए? जिसका तुझे पसंद होगा उसका ही दिला दूंगा तुझे!’
मीनू झट से बोल पड़ी- हाँ हाँ सुनील का लंड चाहिए मुझे उसका बहुत ही मोटा और तगड़ा है।’
‘क्यों नहीं कल ही ले, तुझे सुनील के लंड से चुदवाता हूँ, वो ही कल तेरी चूत की चटनी बनाएगा।’
‘पक्का ना?’
‘पक्का! पर एक शर्त है मेरे सामने चुदना होगा मैं यहाँ चुपचाप देखूंगा।’
‘पर अगर तुम देखोगे तो मुझे दूसरा लंड कहा से मिलेगा?’
‘तो क्या हुआ एक और मर्द बता दे जिससे चुदने की इच्छा है।’
‘हाँ हाँ दीपक का भी लंड बहुत मोटा है।’
हम दोनों ऐसे ही बात करते जा रहे थे, तभी मैं झड़ गया तो मैंने अपना लंड हटा लिया और साफ़ करके सो गया।
सुबह सब कुछ सामान्य था। मैं नाश्ता करके ऑफिस चला गया।
ऑफिस में दिन में अचानक मीनू का फ़ोन आया- कुणाल कहाँ हो? अभी घर आ सकते हो?
मैंने पूछा- क्यों?
‘बहुत मन कर रहा है!’
‘शाम को आ कर चोदता हूँ ना’
‘नहीं अभी आओ वरना में सुनील दीपक को बुला रही हूँ!’
‘बुला लो!’
ऐसा कह कर मैंने फ़ोन रख दिया।
मैं सोचने लगा कि क्यों न इस बार ये भी करके देखा जाए, इस में बुरा ही क्या है, सुनील और दीपक मेरे दोस्त है और दोनों भी शादी शुदा है अगर दोनों उसे चोद भी देंगे तो घर की बात घर में रहेगी और वो दोनों भी अपनी बीवियों के डर से किसी को नहीं बताएँगे और मेरे और मीनू के लिए ये नया यौनानुभव होगा।
ये सोच कर मैंने मीनू को दोबारा फ़ोन किया और कहा कि आज शाम को दीपक और सुनील को घर पर दारू पार्टी के लिए बुलाओ।
‘क्यों आज सही में इरादा है क्या मुझे दो दो से चुदवाने का?’
‘हाँ, सोच तो ऐसे ही रहा हूँ!’
‘सोच लो अगर उनके लंड ने मेरी चूत की प्यास बुझा दी तो उनके लंड का स्वाद ही न लग जाए मुझे?’
‘कोई बात नहीं मेरी जान चूत की प्यास बुझाना कोई ग़लत नहीं है अगर पति न सही तो पति के दोस्त ही सही।’
तब थोड़ी देर में ही सही पर मीनू मान गई उन दोनों से एक साथ चुदने को।
पर मैंने उसको एक शर्त भी बता दी कि उन दोनों को पता नहीं चलना चाहिए कि मैं भी तुम्हें चुदाई करवाते देख रहा हूँ और मीनू का ही काम है उन दोनों तो तैयार करना चोदने के लिए। मीनू इस के लिए तैयार हो गई।
सब कुछ योजना के अनुसार हुआ। मीनू ने उन दोनों को खाने के बहाने घर पर बुलाया और मैं पहले ही आकर अपनी जगह पर छुप गया। ठीक शाम के 7 बजे दोनों घर पर आ चुके थे। दोनों अपने साथ एक व्हिस्की की बोतल भी लाये थे।
दोनों वहीं सोफे पर बैठ कर फ़िल्म देखने लगे। मेरा इंतज़ार करते करते आधा घंटा हो गया तो दीपक से नहीं रहा गया तो उसने मुझे फ़ोन मिला दिया। पर मैं अपना फ़ोन पहले ही बंद कर चुका था। दीपक ने मीनू से पूछा कि आज कुणाल का फ़ोन नहीं मिल रहा है क्या बात है?
मीनू ने कहा- अरे हाँ, मैं तुम्हें बताना भूल गई थी कि कुणाल का फ़ोन आया था और वो कह रहा था आज वो लेट आएगा.
‘यार ये कुणाल भी न बहुत ही अजीब है हमेशा ऐसे करता है अब बताओ हमारी दारू पार्टी का क्या होगा हम तो पूरी बोतल ले आए हैं.’
सुनील बोला- कोई बात नहीं, मैं दिनु और पप्पू को भी बुला लेता हूँ हम चारो मिल कर इसे खत्म कर देंगे!
मीनू ने ये सुना नहीं कि वो दिनु और पप्पू को भी बुला रहे है वो भी मेरे ही दोस्त हैं।
मीनू ने भी अपनी पूरी तैयारी कर ली थी। वो आज अपने पूरे बदन की वैक्सिंग करा कर आई थी। चूत पर से सारे बाल साफ़ करवा कर बिल्कुल उसे चिकनी कर के बिल्कुल दो दो लण्डों से चुदने को बेताब थी!
मीनू ने अपनी सबसे सेक्सी ब्रा पेंटी का सेट पहना और उसके ऊपर एक घुटनों तक स्कर्ट और उसके ऊपर एक नीचे गले का टॉप। कसम से इतनी सेक्सी वो तब बन कर नहीं आती जब मैं उसे चोदता हूँ पर कोई बात नहीं आज उसे दो दो लंड चोदने वाले थे!
तब तक सुनील और दीपक ने दारू पीनी शुरू कर दी थी। मीनू भी उनके बगल वाले सोफे पर जा कर बैठ गई। टॉप में उसके चुचे बाहर आने को मचल रहे थे। घुटने तक की स्कर्ट में उसकी गोल गोल जांघे दिखने का आभास दे रही थी।
मैं देख रहा था कि सुनील उसे चुपचाप देखे जा रहा था वो उसकी जांघो को ही देखे जा रहा था। सच में वो सोच रहा होगा काश इन दो जांघों के बीच की जगह पर वो लेटा होता! दीपक भी कम नहीं था वो भी मीनू के बदन को देखे जा रहा था जैसे कह रहा हो काश आज मीनू की गोल गोल मोटी गांड के पीछे से झटके मारता रहूँ।
दोनों ने दो दो पैग लिए और तीसरा बनाने लगे।
तभी मीनू कहने लगी- मैं तुम दोनों के लिए और कुछ खाने को लाती हूँ।
मीनू किचन से कुछ लेकर आई तो जब मेज़ पर झुक कर रखने लगी तभी उसके मोटे मोटे चुचे उसके टॉप से बाहर आने को मचलने लगे। सुनील और दीपक आँखें फाड़ कर उसके चूचों को खा जाने वाली नजरों से देखने लगे।
मीनू फिर वही बैठ गई और अपनी टांगें सोफे पर ऊपर कर के बैठ गई। ऐसा करते हुए उसकी थोडी सी जांघो के दर्शन उन दोनों को हो गए। अब तो उन दोनों को वहा बैठना बहुत ही भारी लगने लगा! मैं समझ गया कि मीनू का दांव बिल्कुल ठीक बैठा है। अब वो दोनों भी समझ गए थे कि मीनू क्या चाहती है!
सुनील उठा और मीनू के पास जा कर बैठ गया और ऐसे ही बोला- और बताओ मीनू आज कल क्या चल रहा है!
और ऐसा कहते कहते मीनू की जांघो पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे उसकी जांघो को मसलने लगा। दोनों ऐसे ही बात करते रहे तो दीपक से नहीं रहा गया और वो भी उठ कर मीनू के बगल में आ गया और उसकी दूसरी जांघ पर हाथ रख दिया।
अब तक सब कुछ साफ़ हो चुका था कि सब क्या चाहते हैं इसलिए मीनू ने भी देरी न करते हुए अपना हाथ बढ़ाते हुए सुनील की जिप पर अपना हाथ रखा और उसे खोलने लगी और अपने दूसरे हाथ से दीपक के लंड को दबाने लगी। तब तक सुनील का लंड बाहर आ चुका था। सच में काफी बड़ा लंड था उसका। पता नहीं उसकी बीवी बबली उसे कैसे झेलती होगी। तब तक मीनू दोनों के लंड अपने हाथ में ले चुकी थी।
मैं बाहर से उन तीनों का यह जवानी का खेल देख रहा था। मेरी बीवी मेरे सामने ही मेरे दोस्तों से चुद रही थी इससे बड़ी ब्लू फ़िल्म मेरे लिए और क्या होगी।
मीनू उन दोनों का लंड बारी बारी से चूस रही थी कभी सुनील का लंड मुँह में लेती तो कभी दीपक का। सुनील मीनू का टॉप उतार चुका था काले रंग की ब्रा में मीनू के मोटे मोटे चूचे क़यामत ढा रहे थे।
दीपक भी मीनू की स्कर्ट ऊपर उठा कर नीचे पेंटी के दर्शन कर रहा था। तभी मीनू ने उसे कहा- ये क्या कर रहे हो? यहाँ पर मैं तुम्हें फुल टॉस दे रही हूँ और तुम सिर्फ़ उसे क्लिक कर रहे हो! आजा दीपक आजा दीपक आज अपनी भाभी की जवानी का मजा जी भर कर ले ले उतार दे ये!
दीपक भी गरम हो चुका था पहले दीपक ने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगा हो कर मीनू के सामने पहुँच गया।
‘अरे वाह तेरा तो बहुत ही मोटा और लंबा लग रहा है? आज तू भाभी की चूत को बुरी तरह फाड़ने आया है क्या?’
सुनील भी तब तक नंगा हो चुका था उन दोनों ने फिर मिलकर मीनू की स्कर्ट उतारी और सुनील ने मीनू की ब्रा उतारी दीपक ने पेंटी नीचे खींच दी!
अब तीनों बिल्कुल नंगे हो कर एक दूसरे को लगातार किस किए जा रहे थे मीनू एक हाथ से कभी सुनील का लंड पकड़ती और कभी दूसरे हाथ से दीपक का लंड मुँह में लेती।
मुझे ये सब देख इतना मजा आया कि मैं वहीं मुठ मारने लगा।
अन्दर तब तक मीनू दोनों को बेड तक लेकर आ चुकी थी। वहाँ पर मीनू कुतिया की तरह पोज़ बना कर सुनील का लंड अपनी चूत में ले चुकी थी दीपक उसे अपना लंड चुसाये जा रहा था।
तभी बाहर बेल बजी मीनू घबराहट में उठी और बोली- अब कौन आ गया मज़े ख़राब करने?
दीपक ने कहा- शायद कुणाल आया होगा!
नहीं वो अभी नहीं आएगा!
तो फिर कौन आया होगा!
‘दिनु और पप्पू होगे, मैंने उन्हें फ़ोन कर बुलाया था!’
‘ये क्या कर दिया अब ले लो मज़े मेरी जवानी के!’ मीनू बोली- अभी तो फ़िल्म भी शुरू नहीं हुई है और तुमने इंटरवल कर दिया!
‘तो क्या हुआ मेरी रानी जहाँ हम दो दोस्त हैं वहाँ वो दो और सही, आज पूरे मज़े ले ही लो तो अच्छा है!’ सुनील बोला।
मीनू ने भी सोचा हाँ क्यों न ये भी सही जहाँ दो पराये मर्दों से चुद रही हूँ वहा दो और आ जाएँगे तो क्या ग़लत है! चलो फिर बुला लो उस दोनों को भी!
दीपक बाहर जा कर उन दोनों को अन्दर ले आया। अंदर आते ही वो सब कुछ समझ गए जब उन्होंने सुनील और मीनू को नंगी देखा।
‘आ जाओ मेरे राजाओ नंगे हो कर, तुम भी शामिल हो जाओ मेरी चूत और गांड की सवारी में!’
‘साली कब से चाहता था तेरी नंगी चूत को चोदना! आज तो जी भर कर चोदूंगा रात भर चोदूंगा!’ दिनु अंदर आते ही नंगा होकर बोला।
पप्पू भी जोश में नंगा होकर बिस्तर पर आ गया अब मेरी बीवी बिल्कुल नंगी होकर चार नंगे मोटे मोटे लंड वाले मर्दों के बीच में चुदाई की कबड्डी खेलने को बिल्कुल तैयार लेटी थी। सबसे पहले दिनु ने अपना लंड उसकी प्यासी चूत में आधा अंदर घुसा दिया।
‘आहा मर गई… दिनु कुत्ते ह्ह्ह्ह्ह् क्या मोटा लंड है तेरा कुत्ते!’
‘आज पप्पू तू भी अपना लंड पकड़वा! सबका चख लिया तेरा कैसा है तू भी चखा ना!’
मीनू पप्पू का लंड चूसने लगी।
‘नहीं ऐसे मजा नहीं आएगा मुझे सब लंड एक साथ चाहिए अलग अलग नहीं!’ मीनू पूरे जोश से बोली।
कुतिया बन रही हूँ, जिसको जहाँ जो छेद मिले वहीं अपना लंड घुसा दो जल्दी!’
मीनू कुतिया की तरह पोज़ लेकर उन चारों के बीच में आ गई।
दिनु उसके नीचे आ गया और मीनू को अपने ऊपर ले लिया और उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया।
सुनील उसकी गांड के पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गांड में धीरे से रख कर अन्दर धकेल दिया।
पप्पू ने भी अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया।
अब दीपक बचा था, दीपक का लंड मीनू ने अपने हाथ में ले लिया और कहा- कोई बात नहीं दीपक आज तेरी मुठ मैं ही मारूंगी, इन तीनों में से जो भी पहले झड़ेगा उसके बाद तू आ जाना!
चारों अब शुरू हो गए- अआः अह्ह्ह्छा मर गई सालो! कमीनो! मार डाला आज तुमने मीनू को!’
‘उईईइ उईईई अहा आ या क्या बात है चार चार लण्डों के बीच में अकेली चूत अह्ह्ह!
‘फाड़ दे दिनु आज चूत को जी भर के फाड़ पप्पू गांड को आज बिल्कुल मत छोड़ना गांड का कुआं बना दे आज!’
‘आ जाओ! आ जाओ! सुनील दीपक! तुम्हारी लंड की खुजली को ख़तम करूँ बारी बारी से चूस कर!’
‘अहाआया मजा आ गया!’
‘और जोर से छोड़ मुझे दिनु हरामजादे कभी चूत नहीं मारी क्या!’
‘सुनील गांड फाड़ दे!’
बड़ी देर तक चारों बदल बदल कर मीनू की चूत गांड को फाड़े जा रहे थे। चारों जब झड़ गए तब भी थोड़ी देर रुकने के बाद एक एक पैग लगा कर फिर से मैदान में आ जाते।
और क्यों न आते आज उन्हें मीनू की चुदाई का सुख जो मिल रहा था।
फिर न जाने कब तक वो चुदाई करते रहे पर मीनू का जी नहीं भरा पर जाना भी था। अगली बार सब वादा कर गए कि वो अगली बार 6 दोस्त एक साथ उसे चोदेंगे।
मैं भी सोच रहा था कि 6-6 के लंड मीनू कैसे लेगी पर मीनू तैयार थी अगली चुदाई के लिए!
मेरी बीवी मीनू की चुत चुदाई कैसी लगी, मुझे बताएँ! Antarvasna
मेरा नाम अनिल है मैं Hindi Porn Stories कानून का छात्र हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। अन्तर्वासना पर मैं एक अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह कहानी ऐसी है जो आज तक मैंने अपने दिल में दबा कर रखी है और जिसे पढ़ कर सभी चूत और लंड पानी छोड़ देंगे! जब बच्चे यह भी नहीं जानते कि मुठ मारना क्या होता है, मैं तब से और आज तक मुठ मारता आ रहा हूँ। जिससे मेरा लंड भी टेढ़ा हो गया है, तो तुम अंदाजा लगा सकते हो कि मैं कितना गुंडा हूँ!
बात उस समय की है जब मेरी जवानी पूरे जोश पर थी मेरा वीर्य निकलना शुरू ही हुआ था और कोमल-कोमल झांट आई थी और चूत मारने का इतंना मन करता था कि बस चूत हो! कैसे ही हो!
मेरे बड़े भाई की शादी हुई, बड़ी सुंदर भाभी आई, नाम है मनोरमा, जिसके गोल-गोल चूचे, उठी हुई गांड है!
शुरू से ही मैं अपनी भाभी से एक हद तक मजाक करता था पर मैंने कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था! भाई की रात की ड्यूटी लगी हुई थी, मम्मी और पापा भैंसों के प्लाट में सोते थे।
अब मम्मी बोलने लगी- अनिल बेटा, तेरे भाई की रात की ड्यूटी है, तू अपने कमरे में सोने की बजाय अपनी भाभी के साथ सो जाना, कभी वो अकेली डर जाये!
एक बार तो मैंने मना किया पर मम्मी के कहने पर तैयार हो गया। तब तक मेरा मन बिल्कुल शुद्ध था और सोच रहा था कि डबल बेड है, एक तरफ मैं सो जाऊँगा और एक तरफ भाभी!
बस एक अजीब सी खुशी थी कि भाभी के बेड पर सोऊँगा!
अब भाभी ने सारा घर का काम खत्म कर लिया और आ गई सोने के लिए अपने बेड पर। मैं पहले से ही बेड पर था, भाभी बोली- अनिल, सो जाओ!
हमने लाइट बुझाई और सो गए, डबल बेड पर एक तरफ मैं और एक तरफ भाभी थी।
रात को लगभग बारह बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ भाभी के चूतड़ पर था और मुँह भाभी के पैरों के तरफ था। बस वो पल मेरे लिए तूफान बनकर आया जिसने मेरी माँ समान भाभी मुझसे चुदवा दी।
अब मेरी नींद उड़ गई और मुझे अपनी भाभी एक लंड की प्यास बुझाने का जुगाड़ दिखने लगी। पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कहाँ से शुरुआत करूँ!
कम से कम एक घंटा मैं एक अवस्था में ही लेटा रहा, जब तक भाभी गहरी नींद में थी।
अब मेरा सबर का बांध टूट गया, मैंने भाभी की तरफ करवट ली और अपना ग्यारह इंच का लंड भाभी की गांड क़ी दरार में धीरे से भिड़ा दिया। उस समय मैं बहुत डरा हुआ था, फिर धीरे से पैरों पर एक चुम्बन लिया! उसके बाद मेरा कुछ होंसला बढ़ा कि भाभी कुछ नहीं बोल रही! मेरे हिसाब से भाभी जग गई थी और आराम से मजा ले रही थी।
फिर मैं भाभी क़ी गांड से हाथ हटाकर पेट पर हाथ ले गया, पर मेरी गांड फट रही थी!
मैंने धीरे से कमीज़ ऊपर कर दिया और धीरे-धीरे सलवार के अन्दर हाथ ले गया, फिर कच्छी क़ी इलास्टिक ऊपर क़ी और भाभी क़ी चूत पर हाथ रख दिया। लगता था कि भाभी ने सात-आठ दिन पहले ही झांट काटी होंगी क्योंकि छोटे-छोटे बाल आ रहे थे जो मेरे हाथ में चुभ रहे थे!
भाभी ने एक अंगड़ाई ली और सीधी हो गई। मेरी गांड फट कर हंडिया हो गई, लेकिन वो कुछ नहीं बोली और सोने का नाटक करने लगी। मेरा लंड तन कर पूरा लक्कड़ हो रहा था। अब मेरा डर दूर था, मैंने भाभी का नाड़ा खोलकर सलवार और कच्छी उतार दी।
भाभी जग गई और बोलने लगी- अनिल, यह क्या बद्तमीजी है?
मैं बोला- भाभी, एक बार मुझे अपनी चूत में अपना लण्ड घुसाने दे! यह बात किसी को नहीं पता चलेगी।
वो कहने लगी- अनिल, यह गलत है!
मैं भाभी क़ी अनसुनी करते हुए भाभी के होंठ चूसने लगा, अब भाभी भी गर्म हो गई थी और मेरा विरोध नहीं किया, इसलिए मैंने देर नहीं क़ी और भाभी क़ी चूत में उंगली डाल दी। चूत कुंवारी जैसी थी क्योंकि अभी मेरी भाभी एक बार भी गर्भवती नहीं हुई थी।
अब भाभी तड़प गई और कहने लगी- अनिल जल्दी कर!
मैंने अपना टेढ़ा लंड भाभी क़ी कोमल चूत पर रख कर जोर से धक्का मारा, एक ही धक्के में लंड तो अन्दर चला गया पर भाभी दर्द से तड़प गई और बोली- अनिल, तेरे टेढ़े लंड ने तो मेरी जान ले ली!
मैंने भाभी को जोर-जोर से धक्के मारे, भाभी तड़पती रही और अपनी गांड हिला कर मेरा साथ देती रही।
पंद्रह-बीस मिनट में पहले भाभी झड़ गई और फिर मैं!
उस रात मैंने भाभी को तीन बार चोदा!
भाभी सुबह जल्दी उठ गई और बोली- अनिल, यह बात मेरे और तुम्हारे बीच रहनी चाहिए!
मैंने कहा- ठीक है भाभी!
दोस्तो, अन्तर्वासना पर मेरी पहली और सच्ची कहानी कैसी लगी?
अगली कहानी में बताऊँगा कि किस तरह मेरी भाभी ने मुझे फंसवा दिया! Hindi Porn Stories
मैं अन्तर्वासना पर बहुत समय Hindi Porn Stories से कहानियां पढ़ रही हूँ, सोचा कि आपको अपनी सच्ची कहानी सुना दूँ !
मैं एक ३५ वर्ष की छरहरी महिला हूँ, मेरे पति भी लम्बे और स्मार्ट व्यक्ति हैं। वो एक प्राइवेट फर्म में काम करते हैं पर मैं उनकी एक आदत से परेशान हूँ- वो कोई भी दूसरी महिला को देखते ही लाइन मारने लगते हैं। मैं अकसर उनके कमीज और पैंट पर लिपस्टिक के निशान देखा करती, उनके अंडरवीयर में वीर्य के निशान दिखते !
इनके एक दोस्त हमारे घर आते जाते थे। एक दिन मैंने उनसे इनके बारे में पूछा तो वो कुछ नहीं बोले, पर मेरे बहुत जोर देने पर वो मान गए कि मेरे पति का बहुत सी महिलाओं के साथ सम्बन्ध है।
मेरे आँसू बहने लगे। वो मुझे सांत्वना देने लगे और कहा- अब बहुत देर हो चुकी है, इनका ठीक होना मुश्किल है, आप ही अपना मन कहीं और लगा लें !
तो मैंने कहा- अ़ब मुझे कौन मिलेगा !
वो बोले- देखे तो सही !
मैंने कहा- क्या आप तैयार होंगे ?
तो वो बोले- कल बात करते हैं !
मैं सोचने लगी- क्या यह ठीक है?
पर कुछ अजीब सी बेचैनी होने लगी। दोपहर में उनका फोन आया और मुझे बाहर मिलने को बुलाया। हम कार में ही बात करने लगे और वो सौरी कहने लगे। मैं फिर से रोने लगी और रोते रोते उनके काँधे पर सर रख लिया। वो मुझे चुप करने लगे। अचानक उनका हाथ फिसल कर मेरे स्तन पर आ गया और मैंने उसे वहीं दबा दिया।
वो कहने लगे- आपका दिल तो बहुत जोर से चल रहा है !
मैं कुछ नहीं बोली और वो धीरे धीरे सहलाने लगे। मेरे मुँह से आह निकलने लगी। अ़ब वो दोनों हाथों से मेरे निपल चुभलाने लगे। मैं और जोर से आहें भरने लगी और मेरा हाथ उनके पैंट पर ऊपर से लंड को सहलाने लगा। उन्होंने अपनी पैंट की जिप खोल कर लंड मेरे हाथ में दे दिया। बहुत मोटा लंड था, मेरी मुट्ठी में नहीं आ रहा था। मैं खुद ही उस पर झुकती चली गई और उसे मुँह में भर कर चूसने लगी। वो भी मेरी चूची दबाते २ साड़ी को ऊपर उठा कर पैंटी के ऊपर से मेरी चूत सहलाने लगे। मेरी पैंटी पूरी भीगी हुई थी। उन्होंने उंगली मेरी चूत में घुसा दी और तेजी से अन्दर बाहर करने लगे। मैं उनका लंड दांतों से काटने लगी। वो भी आहें भरने लगे। मेरी जीभ उनके सुपारे पर तेजी से चलने लगी। उन्होंने भी तीन उंगली मेरी चूत में पेल दी और मुझे चूत से पकड़ कर ऊपर उठा दिया।
मेरा एक के बाद एक तीन बार पानी झर चुका था जो उसकी हथेली से नीचे बह रहा था। अचानक वो जोर जोर से लंड मेरे मुँह में पेलने लगा और बोला- अपना मुँह हटा लो ! मैं छुटने वाला हूँ !
पर मैंने उसका लंड और जोर से भींच लिया। उसने एक हाथ से मेरा सर अपने लंड दबा दिया और आहें भरते हुए मेरे मुँह में पानी छोड़ दिया। मैं उठ कर अपना मुँह टिशु-पेपर से साफ करने लगी पर वो मेरे होंठ उपने मुँह में लेकर चूसने लगा। तभी एक कार के हॉर्न ने हमें चौंका दिया।
आगे की कहानी अगले अंक में ! Hindi Porn Stories
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