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आज बहुत दिन बाद मैं कोई कहानी लिखने जा Hindi Porn Stories रही हूँ मैं असल में बाहर चली गई थी।
आप लोगों के बहुत सारे मेल मिले थे जिनमें मेरी कहानियों को काफ़ी पसंद किया गया है जिसका मैं आप सबका खुले दिल और फ़ैली चूत के साथ शुक्रिया अदा करती हूँ लड़कियों की चूत के लिये दुआ करुंगी कि उनको भी कोई चोदने वाला जल्दी से मिल जाए।
और लड़के तो साले होते ही हरामी हैं, कहीं और नहीं मिली तो घर में ही शुरु हो गये।
मुझे लड़कों से एक शिकायत है कि वो सब ही मुझे चोदना चाहते हैं! अरे यार… मुझे चुदवाने से कोई इंकार नहीं है पर अब मैं बैठी यू पी में… और आप लोग पता नहीं कहाँ कहाँ बैठे हो, अब भला किसी का लंड इतना बड़ा तो होगा नहीं कि वहाँ बैठे बैठे मेरी चूत को चोद डाले…
तो प्लीज़ मुझसे हर तरह की बात करें पर मुझे चोदने की बात न करें क्योंकि यह हो नहीं सकता।
हाँ तो अब मैं आप सबको बताती हूँ कि मैं आगरा अपनी मुमानी के घर गई थी करीब 5 साल बाद अपनी अम्मी और भाई के साथ…
वहाँ मुझे बहुत अच्छा लगा, इतने साल बाद जाने के बाद वहाँ सभी लोग बहुत प्यार से मिल रहे थे। हम लोगों ने खूब मौज मस्ती की पर हफ़्ते भर बाद ही मुझमें चुदाने के कीड़े रेंगने लगे क्योंकि कहाँ तो लगभग रोज़ ही चूत में लंड खाती थी, शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब मैं न चुदवाऊँ, पर यहाँ तो चुदाई क्या साला किसी से चूची मसलवाने को तरस गई।
हालांकि मेरी मुमानी की दो लड़कियाँ मेरी हमउम्र थी पर वो बहुत सीधी सादी थी। कम से कम उनके बर्ताव से तो यही ज़ाहिर होता था कि बच्चियाँ अभी बहुत नादान हैं, बेचारी अपनी जवानी के बारे में भी शायद नहीं जानती थी जबकि वो दोनों बला की खूबसूरत हैं, जिस्म का रंग दूध जैसा गोरा, भरी भरी जांघें, लाल-लाल गाल और चूचियाँ तो कयामत थी! कसम से उनकी चूची बला की खूबसूरत थी! उनमें छोटी वाली अभी स्कर्ट टॉप ही पहना करती थी।
मैं अकसर सोचती कि साली इतनी खूबसूरत हैं दोनों, फ़िर भी इतनी सीधी साधी हैं।
एक दिन की बात है मैं छत पर नहा कर बाल सुखा रही थी कि तभी कोई मेरे पीछे से मेरी गांड में लौड़ा अड़ा कर मेरी चूचियों को दबाने लगा। मेरी तो बांछें खिल गई, सोचा किसी को तो तरस आया मेरी जवानी पे!
जब घूम कर देखा तो भाई जान थे।
मैंने कहा- हटिये भी भाई! भला यह भी कोई जगह है प्यार करने की? कोई देख लेगा तो शामत आ जायेगी।
तब भाई ने उसी अवस्था में खड़े खड़े मेरी चूचियाँ दबाते हुए कहा- हाँ यार, यह तो है! साला यहाँ बाकी सब तो ठीक है पर लंड को बहुत तरसना पड़ता है। साला यहाँ घर ऐसा महल तो है नहीं कि जब जी चाहा बिस्तर पर पटक कर चोद लिया! यार तुम न हुई तो अम्मी की पुरानी भोसड़ी में ही लंड डाल लिया, नहीं तो तुम्हें ही चोद लिया पर साला यहाँ तो बड़ी दिक्कत है, अब हफ़्ता भर हो गया, साला लंड को कोई चूत नसीब नहीं हुई।
उनके चूची दबाने से मैं अब तक गर्म हो चुकी थी, तब मैंने कहा- भाई, अब आप मेरी चूची न दबायें क्योंकि इस तरह तो आग और भड़क रही है, जब चोद नहीं पायेंगे तब गुसल खाने में जाकर मुझे भी उंगली करनी पड़ेगी और आपको भी मुठ मारना पड़ेगा।
तब भाई ने कहा- यार, अब इतने दिन बाद मौका मिला है तो बिना चोदे तो नहीं छोडूंगा, चाहे जो हो जाए!
और यह कह कर मेरा तौलिया खोलने लगे.
मगर मैंने कहा- हाय भाई, ऐसा न कीजिये, कहीं यहाँ किसी ने देख लिया तो बड़ी बदनामी हो जायेगी! चुदवाने का मन तो मेरा भी है पर क्या करें, मज़बूरी है!
तब भाई ने कहा- अच्छा तुम नहीं मान रही तो मेरा लंड बस मुंह से चूस कर ही हल्का कर दो, मैं सब्र कर लूंगा।
मैंने कहा- भाई, आप मान नहीं रहे, कहीं कोई उलटी सीधी बात हो गई तो क्या होगा?
मगर भाई न माने और मुझे एक तरफ़ दीवार की आड़ में ले गये और अपनी पैंट की जिप खोल कर मुझे घुटनो के बल फ़र्श पर बैठा दिया और मेरे हाथ में लंड पकड़ा कर बोले- प्यारी बहना चूस कर खलास कर दो लंड को!तब मैंने कहा- भाई, अभी तो खड़ा भी नहीं हुआ, बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और वक्त भी लगेगा। आप मान नहीं रहे।
तब वो मेरी चूची को तौलिये के ऊपर से दबाते हुए बोले- साली नाटक न कर बहन की लौड़ी! एक तो चोदने को नहीं मिल रहा, ऊपर से तू बातें चोद रही है! चल जल्दी से चूस कर खड़ा कर लंड को!
तब मुझे भी गुस्सा आ गया, मैंने कहा- बड़ी बहादुरी दिखा रहे हो? लो अब मैं भी बहादुरी दिखाती हूँ।
ये कह कर मैंने अपनी टोवल उतार कर फ़ेंक दी और झट से भाई का लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी.
भाई ने जब देखा कि मैंने टोवल उतार कर फ़ेंक दी तो उसकी भी गांड फ़टी- आरज़ू, तुमने ये क्या किया? कहीं किसी ने देख लिया तो क्या होगा?
तब मैंने कहा- अभी मैं कह रही थी तो मेरी गांड में घुस गये अब काहे गांड फ़टी जा रही है. चोदो जो होगा देखा जायेगा, ज्यादा से ज्यादा मुमानी की लड़कियाँ या मुमानी ही तो आयेंगी ऊपर सम्भाल लूंगी मैं…
उनको तब भाई ने कहा- अगर मामु जान आ गये तो क्या होगा?
तब मैंने कहा- यार लड़कियों और अम्मा को तुम सम्भालना और अगर मामु जान आये तो वो मेरी चूत और नंगी चूचियाँ देख कर ही धरशायी हो जायेंगे!
उसके बाद मैंने भाई से कहा- भाई, आप जल्दी से मेरी चूत को चाट कर गर्म कर दो और आपका लंड मैं चूस कर तैयार करती हूं.
तब भाई जल्दी से मेरी चूत की तरफ़ मुंह करके लेट गये और अपने लंड को मेरे मुंह के पास ले आये और तब मैं जल्दी से उनका लंड मुंह में भर लिया और चूसने लगी. भाई भी चटाक चटाक मेरी बुर को चटखारे के साथ चूस रहे थे.
भाई का लंड जल्दी ही खड़ा हो कर तन गया मगर मैं अभी पूरी तरह से गर्म नहीं हुई थी.
तब भाई ने कहा- आरज़ू, तुम जल्दी से चौपाया बन जाओ, मैं पीछे से डालता हूं आज तुम्हारी चूत में!
मैंने कहा- भाई, अभी मैं पूरी तरह गर्म नहीं हूं, आप ऐसा कीजिये कि अपनी टांगें फ़ैला लीजिये, मैं आज झूला आसन से चुदाऊँगी!
भाई अपनी टांगें सीधी फ़ैला कर बैठ गये और मैं अपनी चूत फ़ैला कर उनकी टांगों के बीच खड़ी हो गई और पहले भाई से कहा- भाई, एक किस मेरी बुर पर कीजिये, फ़िर सम्भाल कर बैठ जाइये मैं अचानक अपनी चूत आपके लंड पर गिराऊँगी.
भाई ने मेरी चूत पर किस तो करा मगर फ़िर बोले- रानी, अगर सेंटर आउट हो गया तो मेरी भी गांड फ़टेगी और तुम्हारी भी इसलिये भलाई इसी में है कि चुपचाप मेरे लौड़े पर अपनी चूत रख कर बैठ जाओ!
मगर मुझे तो ज़िद चढ़ गई, मैंने कहा- जैसा कहती हूं करो!
तब भाई सम्भल कर बैठ गये और मैं धड़ से उनके लंड पर बैठने को हुई कि उनका लंड पीछे चला गया और मेरी गांड के नीचे दब गया. भाई के मुंह से एक दर्द भरी चीख निकल गई- आआअह मार डाला कुतिया… सालीईई मैं पहले ही कह रहा था तू नहीं कर पायेगी मगर तू तो आज मेरी गांड फ़ाड़ने पर अमादा है. हट जा, ज़रा सहलाने दे लंड को, बहुत ज़ोर से दबा है! एक तो तेरे चूतड़ इतने भारी हैं, ऊपर से 9 मन का बोझ!
मुझे भाई की हालत देख कर हंसी आ गई और मैंने कहा- एक बार निशाना चूक गया तो गांड फ़ट गई? अरे मेरी चूत की तुम और अब्बु मिलकर कितनी बार कुटाई कर चुके हो?
तब भाई थोड़ा नोर्मल हो गये और मैं फ़िर से खड़ी हो गई, मुझे खड़ा होते देख कर भाई की गांड फ़ट गई, बोले- क्या इरादा है अब तेरा?
मैंने कहा- भाई वन्स मोर! कोशिश करो प्लीज!
तब भाई ने कहा- बहुत बड़ी निशानची बन रही है? याद रख, तुझे चांस तो दे रहा हूं, अगर इस बार निशाना चूका तो किसी कुत्ते से तेरी गांड मरवाऊँगा!
हम दोनों अपनी वासना में इतने गुम हो गये थे कि भूल ही गये थे कि यह घर मुमानी का है और हम लोग छत पे हैं, मुझे ज़रा आहट हुई तो देखा कि खाला की छोटी लड़की अफ़रोज़ दरवाज़े की आड़ लेकर खड़ी है और पता नहीं कब से हम दोनों की बातें सुन रही थी और नज़ारा देख कर मजा ले रही थी.
मैं उसे देख कर थोड़ा सकपका गई और सम्भलते हुए भाई की गोद में बैठ कर उसके कान में धीरे से कहा- भाई, अफ़रोज़ पता नहीं कितनी देर से हम लोगों को देख रही है और हमारी बातें भी सुन ली हैं उसने!
तब तो भाई भी घबरा गया लेकिन भाई ने धीरे से कहा- अब तो देख ही लिया है, मेरे ख्याल से ये ज्यादा कुछ नहीं करेगी, बस हम लोगों की चुदाई देखेगी, इसमें हमारा ही फ़ायदा है!
मैंने कहा- भाई, अगर मुमानी से कह दिया इसने… तब क्या होगा? मामु और मुमानी क्या सोचेंगी कि हम लोग आपस में चोदा चोदी करते हैं?
तब भाई ने कहा- ऐसा कुछ नहीं होगा, अब हमें इसकी प्यास भड़कानी है, इसको इस बात का एहसास करा देना है कि चुदाई में बहुत मजा आता है. जवान तो ये भी है साली कितनी देर तक बरदाश्त करेगी चूत की प्यास को! और फ़िर जब मेरा औज़ार तुम्हारी चूत में घुसते हुए देखेगी, तब साली खुद ही उंगली करेगी अपनी बुर में और कसम से मैं तो पहले दिन से इन दोनों बहनों को चोदने के चक्कर में हूं मगर हाथ ही नहीं धरने देती हैं साली दोनों बहनें… पर आज यकीनन इसकी चूत में चुदाई का कीड़ा रेंगने लगेगा. बस तुम इस तरह से दिखाना कि तुमको बहुत मजा आ रहा है, फ़िर देखो कैसे लाइन पर आती है.
और उसके बाद भाई ने मुझे कैसे चोदा और फ़िर वहीं छत पर अफ़रोज़ को भी ऊपरी मजा यानि खाली चूची मसलने का मजा दिया उसके बाद उसकी चुदाई भी की पर उसके बारे में अगली कहानी में बताऊँगी. Hindi Porn Stories
कहानी का अगला भाग: भाई और बहन की आपस में चुदाई-2
मैं हूँ आपकी अंजू शर्मा ! मैं Antarvasna पच्चीस साल की हो चुकी हूँ। मैं आज आपको अपनी सच्ची कहानी अन्तर्वासना डॉट कॉम के माध्यम से बता रही हूँ कि मैंने अपने बड़े भाई से कैसे चुदवाया था।
मेरे बड़े भाई का नाम अजय है, वह सताईस साल का है। उसकी एक गर्लफ्रैंड भी है जिसका नाम शैली है। शैली मेरे साथ पढ़ चुकी है और मेरे घर से थोड़ी दूर ही रहती है। शैली अजय को पसंद करती है लेकिन शैली के कई दोस्त हैं। शैली एक चालू लड़की है। फ़िर भी अजय को शैली से अकेले में मिलने का कोई मौका नहीं मिल पा रहा था।
एक दिन मेरे पापा और मम्मी दो दिन के लिए एक शादी में जबलपुर जाने वाले थे, हम पढ़ाई का बहाना करके घर में ही रुके रहे। वैसे अजय मेरा बड़ा भाई है लेकिन हम दोस्तों की तरह रहते हैं। हम एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाते हैं और आपस में हर एक विषय पर खुल कर बातें करते हैं, यहाँ तक सेक्स की बात करने से भी हमें कोई शर्म नहीं आती है।
उस दिन अजय ने मुझसे कहा- अंजू, दो दिन तक हम लोग अकेले रहेंगे, अगर तुम किसी तरह शैली को दो दिन के लिए अपने घर रहने के लिए तैयार कर लो तो मैं तुम्हारी हर शर्त मान लूंगा।
मैंने भी अपनी शर्त रखी- मैं शैली को किसी भी बहाने अपने घर रुकने पर राजी कर लूंगी लेकिन तुम शैली के साथ जो भी करोगे मेरे सामने करना होगा।अजय बोला- लेकिन इसके लिए तुम्हें मेरा पूरा साथ देना पड़ेगा !
इस तरह हम दोनों के बीच शर्तें तय हो गईं।
शाम को मैंने शैली को फोन किया कि मुझे अपना एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए उसकी मदद चाहिए और दो दिनों में प्रोजेक्ट पूरा करना है, घर में अकेली हूँ मेरे घर में कोई परेशानी नहीं होगी, मिल कर पढ़ाई और मस्ती करेंगे।
मैंने कहा- अजय भी हमारी मदद करेगा !
शैली भी फ़ौरन तैयार हो गई। शैली काफी चालाक है, वह सारा मामला समझ गई और एक घंटे के बाद ही घर आ गई। वह काफी सजधज कर आई थी।
दरवाज़े पर अजय ने ही उसका स्वागत किया। शैली आराम से सोफे पर बैठ गई और इधर उधर की बातें करने बाद अजय तीन व्हिस्की के पैग बना कर लाया। हम धीमे धीमे व्हिस्की की चुस्कियाँ लेने लगे। अजय खड़े खड़े हमारी बातें सुन रहा था।
तभी अजय ने झुक कर शैली को चूम लिया। शैली खड़ी हो गई और अजय की पैंट की जिप खोल कर उसका लण्ड चूसने लगी। शैली ने अजय का दस इंची लण्ड पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं भी अजय के लण्ड का लाल लाल सुपारा देख कर दंग रह गई। ऐसा लग रहा था कि जैसे गुस्से से लण्ड का मुँह लाल हो गया हो और चूत पर हमला करने वाला हो। शैली बड़े प्यार से लण्ड चूस रही थी और सारा लण्ड निगल लेना चाहती थी। यह देख कर मेरी चूत भी गीली हो रही थी। शैली लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रही थी, इससे लण्ड और सख्त और लंबा हो रहा था। लण्ड शैली के थूक से पूरी तरह से सना था।
तभी शैली ने अजय को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बाक़ी के सारे कपड़े निकाल दिए। अजय का लण्ड कुतुबमीनार की तरह सीधा खड़ा था। एक एक करके शैली ने अपने कपड़े भी उतार दिए। जब शैली ने अपनी पैंटी भी उतार दी तो मैं उसकी गोरी गोरी चूत देख कर मोहित हो गई। शैली ने अपनी चूत के बाल अच्छी तरह से साफ़ किए थे। चूत से सेक्सी खुशबू आ रही थी। मैंने शैली की चूत को चूम लिया। आख़िर वह मेरे भाई का इतना लंबा मोटा लण्ड लेने जा रही थी। और कोई लड़की होती तो अजय के लण्ड से उसकी चूत जरूर फट जाती।
फ़िर शैली उठी और अजय के लण्ड को निशाना बना कर उस पर अपनी चूत रख दी। लण्ड का सुपारा चूत पर था, शैली लण्ड पर बैठ गई। शैली के दवाब से लण्ड अन्दर घुसने लगा। जब लण्ड का सुपारा चूत में घुस गया तो चूत में लण्ड के लिए रास्ता बनता गया। लण्ड चूत को चीरते हुए भीतर जाने लगा।
मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था। मैं लगातार शैली को हिम्मत दिलाती रही और कभी उसे चूमती और कभी उसके स्तन सहलाती रही। जैसे ही पूरा लण्ड शैली की चूत में समा गया, मैंने ताली बजा कर शैली को बधाई दी। शैली अपनी चूत में अजय का लण्ड इस तरह अन्दर-बाहर करने लगी जैसे वह अजय की आज ठीक से चुदाई करे बिना नहीं मानेगी।
कुछ देर बाद अजय शैली के ऊपर आ गया और उसका लण्ड गच से शैली की चूत में धंस गया। अजय शैली को लगातार चूम रहा था और उसकी चूत की भगनासा को मसल रहा था।
शैली मस्ती में बक रही थी- अजय जोर जोर से डालो, फाड़ दो मेरी चूत ! उफ़ मज़ा आ रहा है ! जोर से धक्के मारो ! मेरी पूरी चूत भर गई है चूत में अब जगह नहीं है। चोदो ! लगे रहो ! आज मैं जन्नत का मज़ा ले रही हूँ ! तुम्हारा लण्ड कमाल है।
करीब आधा घंटे के बाद अजय ने शैली को पलंग पर घोड़ी बनाकर अपना लण्ड उसकी चूत में पीछे से घुसा दिया और दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिए। इस जबरदस्त चुदाई से शैली हाय हाय करने लगी। शैली हर धक्के पर अपनी चूत लण्ड की तरफ़ धकेल देती थी जिससे मजा दुगुना हो जाता था। शैली की चूत से पानी रिस रहा था, फ़िर भी वह लगातार चुदवा रही थी।
यह देख कर मुझे भी इसी तरह चुदवाने की इच्छा हो रही थी और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी।
इसी तरह आधा घंटा और चोदने के बाद अजय ने मुझे बुला कर कहा- शैली की चूत काफी चुद गई है, अब मैं शैली की गाण्ड मारूंगा, तुम ज़रा पास आकर शैली की कमर जोर से पकड़े रहना और शैली की चूत और वक्ष मसलते रहना। अगर शैली को दर्द हो तो उसकी चूत चाटते रहना, इससे दर्द कम हो जाएगा। वरना वह मेरा इतना लंबा मोटा लण्ड सह नहीं पायेगी, उसकी गाण्ड भी फट सकती है, तुम अपने हाथों से शैली के चूतड़ फैलाते रहना।
फ़िर अजय ने दोबारा शैली को घोड़ी बनाया। मैंने थोड़ा सा तेल शैली की गाण्ड और अजय के लण्ड पर लगा दिया और अजय को गाण्ड जीतने का आशीर्वाद दे दिया। अजय ने उठ कर अपने लण्ड का सुपारा शैली की गाण्ड के छेद पर रख कर थोड़ा सा दवाब डाला। सुपारा गाण्ड में घुस गया, शैली चिल्लाई- मर गई ! ओह ओह उई उई ! धीमे ! ज़रा धीमे से ! यह लण्ड काफी मोटा है ! मैं सह नहीं पाऊँगी।
अजय ने कहा- हिम्मत रखो ! हम तुम्हारी गाण्ड नहीं फटने देंगे ! आराम से डालेंगे !
फ़िर अजय ने चौथाई लण्ड अन्दर घुसा दिया जो आसानी चला गया। फ़िर शैली के दर्द की परवाह किए बिना आधा लण्ड जब चला गया तो मैंने कहा- अब रुको नहीं ! बाक़ी लण्ड भी घुसा दो !
अजय ने एक ऐसा जोर का धक्का मारा कि गाण्ड को फाड़ते हुए गाण्ड में समा गया। शैली ने इतनी जोर की चीख मारी कि मुझे उसका मुँह बंद करना पड़ा।
अजय बोला- अब थोड़ा सा दर्द सह लो ! गाण्ड में लण्ड के लिए रास्ता बन चुका है !
कुछ देर बाद अजय ने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया तो लण्ड आसानी से घुसने लगा। शैली ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी, उसका दर्द गायब हो चुका था। मुझे ताज्जुब हुआ कि लण्ड कैसे फचा फच गाण्ड में जा रहा है और शैली मजे से गाण्ड मरवा रही है। मैं शैली की हिम्मत की दाद देने लगी, मैं बोली- तुम्हें तो गाण्ड मरवाने का ओलम्पिक मैडल मिलना चाहिए।
यह सुन कर अजय ने अपनी स्पीड तेज कर दी। जब उसका लण्ड से बाहर आता तो तो ऐसा लगता था कि लण्ड के साथ पूरी गाण्ड बाहर आ जायेगी क्योंकि लण्ड गाण्ड में पूरी तरह से कसा हुआ था।
शैली कभी मुझे और कभी अजय को चूम लेती थी। आधे घंटे की गाण्ड मराई के बाद अजय ने अपना गर्म गर्म वीर्य शैली की गाण्ड में छोड़ दिया जो गाण्ड से बाहर बहने लगा। अजय के लण्ड से शैली की गाण्ड काफी चौड़ी हो गई थी। लण्ड निकलने के बाद गाण्ड का गुलाबी चौड़ा छेद साफ़ दिखाई दे रहा था।
शैली ने अजय के लण्ड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया और एक तरफ़ लेट कर साँस लेने लगी।
मैंने पूछा- कैसा लगा अजय का लण्ड?
शैली ने लण्ड को चूम लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। इससे लण्ड फ़िर से फड़कने लगा और कड़क होकर खड़ा हो गया। तभी शैली ने मुझे अपने पास पलंग पर गिरा लिया और मेरे मना करने के बावजूद मेरे कपड़े उतार दिए और अजय का लण्ड मेरी चूत पर रख दिया।
शैली ने कहा- अंजू चुदाई कुदरत का वरदान है ! दुनिया के सभी प्राणी चुदाई करते हैं ! एक बार लण्ड किसी की चूत में घुस जाता है तो सारे रिश्ते ख़त्म हो जाते हैं, सिर्फ़ चूत और लण्ड का रिश्ता बाक़ी रह जाता है। इसलिए किसी लण्ड का अपमान नही करना चाहिए, जो भी मिले, जैसा भी मिले, जहाँ भी मिले, लण्ड का मजा जरूर लेना चाहिए। तू तो किस्मत वाली है कि घर में ही इतना मजेदार लण्ड मौजूद है। फ़िर भी पुराने विचारों में अपना मजा बरबाद कर रही है। हर एक चूत को हर एक लण्ड से मजा मिलता है। देख, मैंने इसी सुख के लिए अजय के घोड़े जैसे लण्ड से तेर सामने चुदा लिया और गाण्ड भी मरवाई। यह एसा मजा है जिसमे कोई खर्चा नहीं लगता, सिर्फ़ हिम्मत चाहिए। चल उठ और मेरे सामने ही अजय से चुदा ले ! फ़िर तुझे भी पता चल जाएगा कि ऐसे लण्ड से चुदाने में कितना मजा आता है। तू फ़िर रोज चुदवाने लगेगी और मुझे याद करेगी।
उस दिन से अजय से कई बार लण्ड का मजा ले चुकी हूँ। शैली की बात सच है, आज रात मैं फ़िर चुदवाने वाली हूँ ! आप रात को क्या करने वाले हैं ? Antarvasna
गुरु जी को Hindi Sex Stories प्रणाम, सभी कुंवारी लड़कियों और शादी शुदा औरतों को मेरा प्यार और सेक्स भरा नमस्कार !
मैंने अन्तर्वासना की बहुत सी कहानियाँ पढ़ी है मेरी जीवन में भी बहुत सी सच्ची घटनायें हैं जिन्हें मैं अब बाँटना चाहता हूँ। इस बारे में मैंने आज तक किसी से बात नहीं की क्योंकि मैं बहुत अंतर्मुखी स्वाभाव का हूँ।
यह बिल्कुल सच्ची घटना है काल्पनिक न समझें, सिर्फ नाम काल्पनिक हैं।
मेरा नाम कमल है मेरी उम्र 22 साल है, लण्ड सात इंच, बदन गोरा, लम्बाई 5 फ़ुट 10 इंच, गठीला बदन है।
मेरी बुआ का नाम सरिता है, उम्र 31 साल, गोरा बदन, सेक्सी, आज भी हिरोइन सी लगती है, वो बहुत ही कामुक है।
बहुत दिन पहले मेरी बुआ मुझे ऊपर छत पर ले गई, मुझे बैठा कर मेरे सामने अपनी चड्डी उतार कर टट्टी करने लगी और एकदम अलग नजरों से देखने लगी। मुझे उसकी चूत दिखी, थोड़ी-थोड़ी सुनहरी झांटें थी और छोटी सी प्यारी सी गुलाबी सी चूत थी। पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रही है। टट्टी करने के बाद वो मेरे पास आई, मेरी चड्डी खोलने लगी और मेरी लुल्ली से खेलने लगी। फिर मेरी लुल्ली खड़ी हो गई। और फिर वो अपनी चड्डी उतार कर मेरे ऊपर चढ़ गई मेरे लण्ड के ऊपर अपनी चूत रगड़ने लगी। धीरे धीरे उसने अपनी चूत में मेरा लण्ड घुसवाना चालू किया।
वो सेक्सी सेक्सी आवाजें निकाल रही थी पर धीरे धीरे ! ताकि कोई सुन न ले !
मुझे भी अच्छा लग रहा था पर उतना नहीं जितना कि मेरी बुआ को ! फिर अचानक वो एकदम से तेज़-तेज़ हिलना चालू हो गई और एकदम उसका दबाव मुझ पर बढ़ने लगा। मैं तो छोटा था, मुझे डर लग रहा था कि इस पर भूत-चुड़ैल तो नहीं घुस गया। मैं तो एकदम चुप हो गया था।
धीरे धीरे वो एकदम शांत हो कर मुझ पर ही लेट गई, शायद क्योंकि उसकी वासना की आग बुझ चुकी थी। मेरा वीर्य नहीं निकला पर मुझे बहुत अच्छा लगा था।
उस दिन के बाद मेरी नज़र हमेशा मेरी बुआ के ऊपर थी कि कब वो फ़िर से मुझे चोदेगी।
पर उस दिन के बाद बुआ मुझे ध्यान ही नहीं देती थी पता नहीं क्यों !
शायद उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था इसलिए वो मुझसे ज्यादा बात भी नहीं करती थी और दूर दूर रहती थी। लेकिन मैं तो अब उसे और ध्यान से देखने लगा था। क्या जवानी थी उसकी ! साफ सफाई करती थी झुक झुक कर तो मैं उसके बूब्बे देखा करता था हमेशा नजर बचा कर ! मैंने इस बारे में आज तक किसी से बात नहीं की है, डर लगता है।
वो जब समझ जाती थी कि मैं उसे देख रहा हूँ तो मुझे घूर कर देखती थी क्योंकि वो भी किसी को कुछ नहीं बता सकती थी।
ऐसे ही कुछ साल बीत गए मेरी बुआ और ज्यादा जवान हो गई और सेक्सी लगने लगी लेकिन मुझे सेक्स का ज्ञान ही नहीं था।
पर कुछ समय बाद मुझे अपने दोस्तों के साथ ब्लू फिल्म देखने को मिली जिससे मुझे थोड़ा बहुत ज्ञान मिला।
एक दिन जब हमारा पूरा परिवार एक साथ हॉल में सो रहा था तो मेरी बुआ मेरे पास ही सोई हुई थी। उसकी टांगें मेरी तरफ थी। बुआ ने लहंगा और गाउन पहना था। गर्मी का मौसम था इसलिए किसी ने भी चादर नहीं ओढ़ी थी।
रात के लगभग दो बज रहे थे, अँधेरा होने के बावजूद मेरी आँखों में तो नींद ही नहीं थी, मैं तो अपनी बुआ के जवान स्तन देखना, चूसना चाहता था, उसकी चूत चाटना और चोदना चाहता था।
पर मुझे यह भी डर लग रहा था कि घर वाले मुझे पकड़ न ले ! वे तो मुझे मार ही डालेंगे।
धीरे से आखिर हिम्मत करके उसके लहंगे की तरफ मेरा हाथ बढ़ा, मैंने उसकी टांगों को उठाने की कोशिश की। वो शायद गहरी नींद में थी, इसलिए उसे पता नहीं चला। धीरे से मैंने उसका गाउन उसके घुटनों तक ऊपर किया जिससे मुझे मधिम रोशनी में उसकी चड्डी हल्की सी दिखी।
अब मैं धीरे से उसकी जांघ पर अपना हाथ फिर रहा था, वो अब भी नींद में थी। धीरे धीरे मैं उसकी पैन्टी के ऊपर हाथ फिराने लगा। मुझे बहुत डर भी लग रहा था और बहुत अच्छा और सेक्सी भी लग रहा था।
अचानक हाथ फिराते हुए मुझे लगा कि उसके जिस्म में हरकत हो रही है इसलिए मैंने तुरंत बुआ की चूत से हाथ हटा दिया और आंखें झपका कर सोने का नाटक करने लगा।
मेरा शक सही था, बुआ झटके से उठी और शायद समझ गई। उसने पहले अपना लहंगा ठीक किया और मेरी तरफ एकदम घूर कर देखने लगी। अँधेरे के कारण उसे ठीक से नहीं दिखा कि मैं भी पलकें झपका कर उसे देख्र रहा हूँ।
मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा जैसे मुझे कुछ मालूम ही नहीं। उसे पता होने के बाद भी वो किसी को मेरे बारे में बता नहीं सकती थी क्योंकि यह सब शुरू ही उसने किया था। कुछ देर तक वो मुझे देखने के बाद आखिर वो सो गई। शायद मुझे फिर से हरकत करते हुए रंगे हाथ पकड़ने के लिए !
पर इस बार मेरी हिम्मत ही नहीं हुई।
इस दिन के बाद मुझे कभी उसके साथ सोने का मौका नहीं मिला।
इसके कुछ समय बाद मेरी बुआ की शादी हो गई और मेरा उसको चोदने का सपना आज तक अधूरा है क्योंकि मेरी बुआ ने तो मुझे चोद दिया पर मैं उसे नहीं चोद पाया हूँ।
खैर आज भी मेरी तम्मना है कि मैं उसे चोदूँ।
पर मेरी जिंदगी सेक्स के लिए नहीं रुकी, मेरी जिंदगी में बहुत सी लड़कियाँ आ गई, बड़े अच्छे पल थे वो भी !
कई कुंवारी चूतों का स्वाद चखा है मैंने !
जैसे मेरी कुछ नौकरानियाँ खासकर सरोज, उसकी माँ, मेरी चचेरी और ममेरी बहन, मेरी बड़ी बुआ की बहु, मेरी सगी बहन की सहेलियाँ, मेरी बहुत सारी गर्लफ़्रेन्ड्स, आंटियाँ !
अगली बार इनके बारे में भी बताऊंगा। मुझे मेल जरूर करें ! Hindi Sex Stories
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी Antarvasna Stories पढ़ाई के लिए दिल्ली आया था, मुझे मेरे बुआ के घर पर रहना था। मेरी बुआ का लड़का एक बहु-राष्ट्रीय कम्पनी में काम करता है। उनकी शादी अभी दो साल पहले हुई थी। मेरी भाभी जिनका एक साल का एक लड़का भी है, उनकी सुन्दरता में कोई कमी नहीं थी।
उनकी चूची ऐसी थी मानो नागपुरी संतरे अभी अभी पेड़ों पर लदा ही है। उनका आकार भी मानो क़यामत हो। उनको देख कर कोई यह कह नहीं सकता कि उनका एक साल का एक बच्चा भी है।
हमेशा मेरा मन उन्हें चोदने को करता पर मौका नहीं मिल पाता। वैसे जब भी मैं पढ़ कर घर आता तो उनका बिस्तर ही मेरे आराम का साधन होता था। मैं उनके बिस्तर पर ही लेट जाता जाता था, मेरी भाभी भी आकर मेरे बगल में लेट जाती थी।
चूंकि घर में बुआ के अलावा और कोई था भी नहीं और मेरी बुआ को मेरे ऊपर विश्वास था ही, इसकी वजह से कभी किसी को कोई परेशानी नहीं हुई।
एक दिन भाभी मेरे बगल में लेट कर बच्चे को दूध पिला रही थी, उस वक़्त उनकी चूची देखी थी, क्या रंग दिया था खुदा ने उनके शरीर को, एकदम दूधिया रंग की चूची थी उनकी? देखा तो देखता ही रह गया था! उस दिन चोरी चोरी उनकी चूची को देखता रहा और कब नींद लग गई पता ही नहीं चला।
उस दिन के बाद मैं हमेशा उनके आगे-पीछे डोलने लगा कि कब मौका मिल जाये और उनके गोरे बदन का दीदार हो जाये। रब ने ऐसा मौका जल्दी ही दे दिया।
उस दिन बुआ पड़ोस में पूजा देखने के लिए गई थी और शाम से पहले लौटने वाली भी नहीं थी। मैं गया और भाभी की रजाई में घुस गया। थोड़ी देर बाद भाभी भी बच्चे को ले कर आई और मेरे सामने ही दूध पिलाने लगी।
अब मेरे लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था, मैं रजाई से निकल कर जाने लगा तो भाभी ने मुझे टोका, कहा- कहाँ जा रहे हो?
तो मैंने छूटते ही कहा- जब आप ऐसे रहोगी तो मेरे लिये यहाँ पर रहना मुश्किल हो जाएगा।
वो मेरी बात को समझ नहीं पाई और बोली- क्या हुआ? मैंने ऐसे क्या कर दिया जो ऐसे बोल रहे हो?
फिर मैंने कहा- भाभी एक तो आप बला की खूबसूरत हो! जो भी देखे देखते रह जाए। मेरे लिए तो आपको देख कर अपने आप पर काबू कर पाना पहले ही मुश्किल था उपर से आपके आपके ये नागपुरी संतरे मुझे जीने नहीं दे रहे हैं।
यह सुनकर भाभी थोड़ा सा शरमा गई और रूठने का नाटक करती हुई बोली- जाओ! मैं आपसे बात नहीं करती!
फिर मैं भाभी को अपनी तरफ घुमाते हुए बोला- सच कहता हूँ भाभी! मैंने जब से आपको देखा है मेरे तो नींद ही उड़ गई है, हरदम मेरे खयालो में आप ही रहती हो।
इतना सुनते ही भाभी शरमा गई और बस इतना ही बोली- धत्त!
फिर क्या था मैंने उनको अपने आगोश में लेते हुए उनके गाल पर एक चुम्मा जड़ दिया।
उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और थोड़ी देर तक ना-नुकर करती रही, लेकिन उन पर मेरी पकड़ मजबूत होती जा रही थी, उनके गालो की जगह मेरे ओंठ उनकी ओंठों को चूमने लगे थे और मेरे हाथ धीरे-धीरे उनकी नंगी चूचियों की तरफ बढ़ने लगे थे।
मेरी उँगलियों का जादू उन पर धीरे-धीरे छाने लगा था और वो भी मदहोश होने लगी थी।
जब पहली बार मेरे हाथ उनकी चूचियों पर पड़े, मानो मुझे स्वर्ग मिल गया।
जिंदगी में पहली बार इस सुखद एहसास का आनंद मिल रहा था जिसे मैं किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहता था। मेरे ओंठ अभी भी उनके ओंठों पर चिपके हुए थे और मेरी उंगलियाँ उनकी चूचियों पर तैर रही थी।
मैंने थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और मैंने अपना दायाँ हाथ उनकी कमर में डाल दिया और धीरे धीरे उनकी नंगी कमर को सहलाने लगा, साथ ही अपनी जीभ उनके मुँह में ठेलने लगा।
इसके एवज में उन्होंने मुझे बहुत जोर से जकड़ लिया और मेरे हर चुम्बन का जबाव दुगुने जोश के साथ देने लगी।
अब मेरे लंड की हालत ख़राब होने लगी थी और पजामे के अन्दर वो फुंफकार मारने लगा था। मैंने एक हाथ से अपने पजामे का नाड़ा ढीला किया और 7″ लम्बे लंड को बाहर निकाल कर उनके हाथों में थमा दिया। जिसे वो बड़े प्यार से सहलाने लगी मेरे लंड की अकड़ धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी।
मैंने अपने हाथों का दायरा थोड़ा और बढ़ाया और धीरे-धीरे अपनी उँगलियों को उनकी चूत की तरफ बढ़ाने लगा।
पहले तो वो थोड़ा सा कसमसाई पर मेरे जोर देने पर फिर मान गई। मेरी उंगलियाँ ज्यों-ज्यों उनकी चूत की तरफ बढ़ती जा रही थी उनकी सांसें उतनी ही तेज चलने लगी थी, उनके मुँह से अजीब सी आवाजें निकल रही थे जैसे- ऊओह आह स स स श श!!!
मैंने धीरे से उनको बिस्तर पर लिटाया और धीरे धीरे उनके कपड़े उतारने लगा।
चूंकि दूध पिलाने के लिए उन्होंने अपने ब्लाउज के कुछ बटन पहले ही खोल रखे थे और उनकी एक चूची बाहर निकली हुई थी, इसलिए ब्लाउज उतारने में मुझे ज्यादा देर नहीं लगी। अब सफ़ेद ब्रा में उनका शरीर दमक रहा था। धीरे से मैंने उनकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और ऊपर से वो बिल्कुल नंगी थी।
इस बार उन्होंने उठ कर मेरा शर्ट खोल दिया। इस तरह हम दोनों ऊपर से आधे नंगे होकर एक दूसरे को चूम रहे थे।
फिर मैंने उनकी साड़ी खोल दी, फिर पेटीकोट भी खोल दिया। अब उनके शरीर पर सिर्फ पैंटी ही रह गई थी जिसमें उनका जिस्म चमक रहा था।
मैं फिर से उनके शरीर को ऊपर से नीचे तक चूमने लगा जिससे उनमें मादकता छाने लगी।
जैसे ही मेरे ओंठ उनकी नाभि को छुए, वो बेचैन होने लगी। मेरे ऊपर भी एक अलग सा नशा छाने लगा था और मैंने अब उनकी पैंटी को भी उनके शरीर से अलग कर दिया और धीरे-धीरे मेरे ओंठ उनकी चूत की तरफ बढ़ने लगे।
उनकी चूत पर हल्के हल्के बाल थे, इससे लगता था कि उन्होंने एक-दो दिन पहले ही अपने बाल साफ़ किये थे।
जैसे ही मेरे होंठ उनकी चूत से लगे, वो सीत्कार कर उठी। अब हम 69 की पोजीशन में आ गए थे और मेरा लंड उनके मुँह को छू रहा था। उन्होंने लपक कर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और हम दोनों एक दूसरे के अंगों को चूसने लगे। बहुत देर तक हम एक दूसरे को अंगो को चूसते रहे, फिर भाभी ने अपने मुँह से मेरे लंड को निकाल दिया और बोली- जल्दी डालो! अब बर्दास्त नहीं होता!
फिर क्या था, मैंने उनको सीधा लिटाया और अपना फनफनाता हुआ लंड उनकी चूत के मुंह पर जैसे ही लगाया, नीचे से वो धक्का लगाने लगी। मैंने भी एक जोर का धक्का लगाया और लंड उनकी चूत के अन्दर घुस गया।
उस दिन मैंने उन्हें पाँच बार चोदा और रात को भी भैया नहीं आये तो दो बार रात को भी चुदाई की।
फिर जब भी हमे मौका मिलता हम एक दूजे में खो जाते।
आज मेरी शादी हो चुकी है, फिर भी हमारा सम्बन्ध बदस्तूर जारी है और जब भी मौका मिलता है मैं उसी जोश के साथ उनकी चुदाई करता हूँ जैसे पहले किया था।
अब भी ऐसा लगता है कि मैं उनको पहली बार ही चोद रहा हूँ।
मेरे प्यारे दोस्तो, मुझे जरूर लिखना कि मेरी कहानी आपको कैसी लगी? Antarvasna Stories
मैं अपनी चालीस की उम्र Hindi Sex Stories पार कर चुकी थी। पर तन का सुख मुझे बस चार-पांच साल ही मिला। मैं चौबीस वर्ष की ही थी कि मेरे पति एक बस दुर्घटना में चल बसे थे। मेरी बेटी की शादी मैंने उसके अठारह वर्ष होते ही कर दी थी। अब मुझे बहुत अकेलापन लगता था।
पड़ोसी रीना का जवान लड़का मोनू अधिकतर मेरे यहाँ कम्प्यूटर पर काम करने आता था। कभी कभी तो उसे काम करते करते बारह तक बज जाते थे। वो मेरी बेटी वर्षा के कमरे में ही काम करता था। मेरा कमरा पीछे वाला था … मैं तो दस बजे ही सोने चली जाती थी।
एक बार रात को सेक्स की बचैनी के कारण मुझे नींद नही आ रही थी व इधर उधर करवटें बदल रही थी। मैंने अपना पेटीकोट ऊपर कर रखा था और चूत को हौले हौले सहला रही थी। कभी कभी अपने चुचूकों को भी मसल देती थी। मुझे लगा कि बिना अंगुली घुसाये चैन नहीं आयेगा। सो मैं कमरे से बाहर निकल आई।
मोनू अभी तक कम्प्यूटर पर काम कर रहा था। मैंने बस यूं ही जिज्ञासावश खिड़की से झांक लिया। मुझे झटका सा लगा। वो इन्टरनेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरें देख रहा था। मैं भी उस समय हीट में थी, मैं शान्ति से खिड़की पर खड़ी हो गई और उसकी हरकतें देखने लग गई। उसका हाथ पजामे के ऊपर लण्ड पर था और धीरे धीरे उसे मल रहा था।
ये सब देख कर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मेरे हाथ अनायास ही चूत पर चले गये, और सहलाने लग गये। कुछ ही समय में उसने पजामा नीचे सरका कर अपना नंगा लण्ड बाहर निकाल लिया और सुपाड़ा खोल कर मुठ मारने लगा। मन कह रहा था कि तेरी प्यासी आंटी चुदवाने को तैयार है, मुठ काहे मारता है?
तभी उसका वीर्य निकल पड़ा और उसने अपने रूमाल से लण्ड साफ़ कर लिया। अब वो कम्प्यूटर बंद करके घर जाने की तैयारी कर रहा था। मैं फ़ुर्ती से लपक कर अपने कमरे में चली आई। उसने कमरा बन्द किया और बाहर चला गया।
उसके जाते ही मेरे खाली दिमाग में सेक्स उभर आया। मेरा जिस्म जैसे तड़पने लगा। मैंने जैसे तैसे बाथरूम में जा कर चूत में अंगुली डाल कर अपनी अग्नि शान्त की। पर दिल में मोनू का लण्ड मेरी नजरों के सामने से नहीं हट पा रहा था। सपने में भी मैंने उसके लण्ड को चूस लिया था। अब मोनू को देख कर मेरे मन में वासना जागने लगी थी। मुझे लगा कि सोनू को भी कोई लड़की चोदने के लिये नहीं मिल रही है, इसीलिये वो ये सब करता है। मतलब उसे पटाया जा सकता है। सुबह तक उसका लण्ड मेरे मन में छाया रहा। मैंने सोच लिया था कि यूं ही जलते रहने से तो अच्छा है कि उसे जैसे तैसे पटा कर चुदवा लिया जाये, बस अगर रास्ता खुल गया तो मजे ही मजे हैं।
मोनू सवेरे ही आ गया था। वो सीधे कम्प्यूटर पर गया और उसने कुछ किया और जाने लगा। मैंने उसे चाय के लिये रोक लिया। चाय के बहाने मैंने उसे अपने सुडौल वक्ष के दर्शन करा दिये। मुझे लगा कि उसकी नजरें मेरे स्तनों पर जम सी गई थी। मैंने उसके सामने अपने गोल गोल चूतड़ों को भी घुमा कर उसका ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की और मुझे लगा कि मुझे उसे आकर्षित में सफ़लता मिल रही है। मन ही मन में मैं हंसी कि ये लड़के भी कितने फ़िसलपट्टू होते हैं। मेरा दिल बाग बाग हो गया। लगा कि मुझे सफ़लता जल्दी ही मिल जायेगी।
मेरा अन्दाजा सही निकला। दिन में आराम करने के समय वो चुपके से आ गया और मेरी खिड़की से झांक कर देखा। उसकी आहट पा कर मैं अपना पेटीकोट पांवों से ऊपर जांघों तक खींच कर लेट गई। मेरे चिकने उघाड़े जिस्म को वो आंखे फ़ाड़-फ़ाड़ कर देखता रहा, फिर वो कम्प्यूटर के कमरे में आ गया। ये सब देख कर मुझे लगा चिड़िया जाल में उलझ चुकी है, बस फ़न्दा कसना बाकी है।
रात को मैं बेसब्री से उसका इन्तज़ार करती रही। आशा के अनुरूप वो जल्दी ही आ गया। मैं कम्प्यूटर के पास बिस्तर पर यूँ ही उल्टी लेटी हुई एक किताब खोल कर पढने का बहाना करने लगी। मैंने पेटीकोट भी पीछे से जांघो तक उठा दिया था। ढीले से ब्लाऊज में से मेरे स्तन झूलने लगे और उसे साफ़ दिखने लगे। ये सब करते हुये मेरा दिल धड़क भी रहा था, पर वासना का जोर मन में अधिक था।
मैंने देखा उसका मन कम्प्यूटर में बिलकुल नहीं था, बस मेरे झूलते हुये सुघड़ स्तनों को घूर रहा था। उसका पजामा भी लण्ड के तन जाने से उठ चुका था। उसके लण्ड की तड़प साफ़ नजर आ रही थी। उसे गर्म जान कर मैंने प्रहार कर ही दिया।
“क्या देख रहे हो मोनू…?”
“आं … हां … कुछ नहीं रीता आण्टी… !” उसके चेहरे पर पसीना आ गया था।
“झूठ… मुझे पता है कि तुम ये किताब देख रहे थे ना ……?” उसके चेहरे की चमक में वासना साफ़ नजर आ रही थी।
वो कुर्सी से उठ खड़ा हुआ और मेरे पास बिस्तर के नजदीक आ गया।
“आण्टी, आप बहुत अच्छी हैं, एक बात कहूँ ! आप को प्यार करने का मन कर रहा है।” उसके स्वर में प्यार भरी वासना थी।
मैंने उसे अपना सर घुमा कर देखा,”आण्टी हूँ मैं तेरी, कर ले प्यार, इसमे शर्माना क्या…”
वो धीरे से मेरी पीठ पर सवार हो गया और पीछे से लिपट पड़ा। उसकी कमर मेरे नितम्बो से सट गई। उसका लण्ड मेरे कोमल चूतड़ों में घुस गया। उसके हाथ मेरे सीने पर पहुंच गये। पीछे से ही मेरे गालों को चूमने लगा। भोला कबूतर जाल में उलझ कर तड़प रहा था। मुझे लगा कि जैसे मैंने कोई गढ़ जीत लिया हो।
मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कर ली, उसका लण्ड गाण्ड में फ़िट करने की उसे मनमानी करने में सहायता करने लगी।
“बस बस, बहुत हो गया प्यार … अब हट जा…” मेरा दिल खुशी से बाग बाग हो गया था।
“नहीं रीता आण्टी, बस थोड़ी सी देर और…” उसने कुत्ते की भांति अपने लण्ड को और गहराई में घुसाने की कोशिश की। मेरी गाण्ड का छेद भी उसके लण्ड को छू गया। उसके हाथ मेरी झूलती हुई चूंचियों को मसलने लगे, उसकी सांसें तेज हो गई थी। मेरी सांसे भी धौकनीं की तरह चलने लगी थी। दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। लगा कि मुझे चोद ही डालेगा।
“बस ना… मोनू …तू तो जाने क्या करने लगा है …ऐसे कोई प्यार किया जाता है क्या ? …चल हट अब !” मैंने प्यार भरी झिड़की दी उसे। वास्तव में मेरी इच्छा थी कि बस वो मुझे पर ऐसे ही चढ़ा रहे और अब मुझे चोद दे… मेरी झिड़की सुन कर वो मेरी पीठ पर से उतर गया। उसके लण्ड का बुरा हाल था। इधर मेरी चूंचियां, निपल सभी कड़क गये थे, फ़ूल कर कठोर हो गये थे।
“तू तो मेरे से ऐसे लिपट गया कि जैसे मुझे बहुत प्यार करता है ?”
“हां सच आण्टी … बहुत प्यार करता हूँ…”
“तो इतने दिनों तक तूने बताया क्यों नहीं?”
“वो मेरी हिम्मत नहीं हुई थी…”उसने शरमा कर कहा।
“कोई बात नहीं … चल अब ठीक से मेरे गाल पर प्यार कर… बस… आजा !” मैं उसे अधिक सोचने का मौका नहीं देना चाहती थी।
उसने फिर से मुझे जकड़ सा लिया और मेरे गालों को चूमने लगा। तभी उसके होंठ मेरे होठों से चिपक गये। उसने अपना लण्ड उभार कर मेरी चूत से चिपका दिया।
मेरे दिल के तार झनझना गये। जैसे बाग में बहार आ गई। मन डोल उठा। मेरी चूत भी उभर कर उसके लण्ड का उभार को स्पर्श करने लगी। मैंने उसकी उत्तेजना और बढ़ाने के लिये उसे अब परे धकेल दिया। वो हांफ़ता सा दो कदम दूर हट गया।
मुझे पूर्ण विश्वास था कि अब वो मेरी कैद में था।
“मोनू, मैं अब सोने जा रही हूं, तू भी अपना काम करके चले जाना !” मैंने उसे मुस्करा कर देखा और कमरे के बाहर चल दी। इस बार मेरी चाल में बला की लचक आ गई थी, जो जवानी में हुआ करती थी।
कमरे में आकर मैंने अपनी दोनों चूंचियाँ दबाई और आह भरने लगी। पेटीकोट में हाथ डाल कर चूत दबा ली और लेट गई। तभी मेरे कमरे में मोनू आ गया। इस बार वो पूरा नंगा था। मैं झट से बिस्तर से उतरी और उसके पास चली आई।
“अरे तूने कपड़े क्यों उतार दिये…?”
“आ…आ… आण्टी … मुझे और प्यार करो …”
“हां हां, क्यों नहीं … पर कपड़े…?”
“आण्टी… प्लीज आप भी ये ब्लाऊज उतार दो, ये पेटीकोट उतार दो।” उसकी आवाज जैसे लड़खड़ा रही थी।
“अरे नहीं रे … ऐसे ही प्यार कर ले !”
उसने मेरी बांह पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझसे लिपट गया।
“आण्टी … प्लीज … मैं आपको … आपको … अह्ह्ह्ह्… चोदना चाहता हूं !” वो अपने होश खो बैठा था।
“मोनू बेटा, क्या कह रहा है …” उसके बावलेपन का फ़ायदा उठाते हुये मैंने उसका तना हुआ लण्ड पकड़ लिया।
“आह रीता आण्टी … मजा आ गया … इसे छोड़ना नहीं … कस लो मुठ्ठी में इसे…”
उसने अपने हाथ मेरे गले में डाल दिये और लण्ड को मेरी तरफ़ उभार दिया।
मैंने उसका कड़क लण्ड पकड़ लिया। मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा। आखिर मैंने उसे फ़ंसा ही लिया। बस अब उसकी मदमस्त जवानी का मजा उठाना था। बरसों बाद मेरी सूनी जिंदगी में बहार आई थी। मैंने दूसरे हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया, वह जाने कब नीचे सरक गया। मैंने मोनू को बिस्तर के पास ही खड़ा कर दिया और खुद बिस्तर पर बैठ गई। अब उसका लौड़ा मैंने फिर से मुठ्ठी में भरा और उसे आगे पीछे करके मुठ मारने लगी। वो जैसे चीखने सा लगा। अपना लण्ड जोर जोर से हाथ में मारने लगा। तभी मैंने उसे अपने मुख में ले लिया। उसकी उत्तेजना बढ़ती गई। मेरे मुख मर्दन और मुठ मारने पर उसे बहुत मजा आ रहा था। तभी उसने अपना वीर्य उगल दिया। जवानी का ताजा वीर्य …
सुन्दर लण्ड का माल … लाल सुपाड़े का रस … किसे नसीब होता है … मेरे मुख में पिचकारियां भरने लगी। पहली रति क्रिया का वीर्य … ढेर सारा … मुँह में … हाय … स्वाद भरा… गले में उतरता चला गया। अन्त में जोर जोर से चूस कर पूरा ही निकाल लिया।
सब कुछ शान्त हो गया। उसने शरम के मारे अपना चेहरा हाथों में छिपा लिया।
मैंने भी ये देख कर अपना चेहरा भी छुपा लिया।
“आण्टी… सॉरी … मुझे माफ़ कर देना … मुझे जाने क्या हो गया था।” उसने प्यार से मेरे बालों में हाथ फ़ेरते हुये कहा।
मैं उसके पास ही बैठ गई। अपने फ़ांसे हुये शिकार को प्यार से निहारने लगी।
“मोनू, तेरा लण्ड तो बहुत करारा है रे…!”
“आण्टी … फिर आपने उसे भी प्यार किया… आई लव यू आण्टी!”
मैंने उसका लण्ड फिर से हाथ में ले लिया।
“बस आंटी, अब मुझे जाने दीजिये… कल फिर आऊंगा” उसे ये सब करने से शायद शर्म सी लग रही थी।
वो उठ कर जाने लगा, मैं जल्दी से उठ खड़ी हुई और दरवाजे के पास जा खड़ी हुई और उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगी। उसने मेरी चूत और जिस्म को एक बार निहारा और कहा,”एक बार प्यार कर लो … आप को यूँ छोड़ कर जाने को मन नहीं कर रहा !”
मैंने अपनी नजरें झुका ली और पास में रखा तौलिया अपने ऊपर डाल लिया। उसका लण्ड एक बार फिर से कड़क होने लगा। वो मेरे नजदीक आ गया और मेरी पीठ से चिपक गया। उसका बलिष्ठ लण्ड मेरी चूतड़ की दरारों में फ़ंसने लगा। इस बार उसके भारी लण्ड ने मुझ पर असर किया… उसके हाथों ने मेरी चूंचियां सम्भाल ली और उसका मर्दन करने लगे। अब वह मुझे एक पूर्ण मर्द सा नजर आने लगा था। मेरा तौलिया छूट कर जमीन पर गिर पड़ा।
“क्या कर रहे हो मोनू…”
“वही जो ब्ल्यू फ़िल्म में होता है … आपकी गाण्ड मारना चाहता हू … फिर चूत भी…”
“नहीं मोनू, मैं तेरी आण्टी हू ना …”
“आण्टी, सच कहो, आपका मन भी तो चुदने को कर रहा है ना?”
“हाय रे, कैसे कहूँ … जन्मों से नहीं चुदी हूँ… पर प्लीज आज मुझे छोड़ दे…”
“और मेरे लण्ड का क्या होगा … प्लीज ” और उसका लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में दबाव डाल दिया।
“सच में चोदेगा… ? हाय … रुक तो … वो क्रीम लगा दे पहले, वर्ना मेरी गाण्ड फ़ट जायेगी !”
उसने क्रीम मेरी गाण्ड के छेद में लगा दी और अंगुली गाण्ड में चलाने लगा। मुझे तेज खुजली सी हुई।
“मार दे ना अब … खुजली हो रही है।”
मोनू ने लण्ड दरार में घुसा कर छेद तक पहुंचा दिया और मेरा छेद उसके लण्ड के दबाव से खुलने लगा और फ़क से अन्दर घुस पड़ा।
“आह मेरे मोनू … गया रे भीतर … अब चोद दे बस !”
मोनू ने एक बार फिर से मेरे उभरे हुये गोरे गोरे स्तनों को भींच लिया। मेरे मुख से आनन्द भरी चीख निकल गई। मैंने झुक कर मेज़ पर हाथ रख लिया और अपनी टांगें और चौड़ा दी। मेरी चिकनी गाण्ड के बीच उसका लण्ड अन्दर-बाहर होने लगा। चुदना बड़ा आसान सा और मनमोहक सा लग रहा था। वो मेरी कभी चूंचियां निचोड़ता तो कभी मेरी गोरी गोरी गाण्ड पर जोर जोर से हाथ मारता।
उसक सुपाड़ा मेरी गाण्ड के छेद की चमड़ी को बाहर तक खींच देता था और फिर से अन्दर घुस जाता था। वो मेरी पीठ को हाथ से रगड़ रगड़ कर और रोमांचित कर रहा था। उसका सोलिड लण्ड तेजी से मेरी गाण्ड मार रहा था। कभी मेरी पनीली चूत में अपनी अंगुली घुसा देता था। मैं आनन्द से निहाल हो चुकी थी। तभी मुझे लगा कि मोनू कहीं झड़ न जाये। पर एक बार वो झड़ चुका था, इसलिये उम्मीद थी कि दूसरी बार देर से झड़ेगा, फिर भी मैंने उसे चूत का रास्ता दिखा दिया।
“मोनू, बस मेरी गाण्ड को मजा गया, अब मेरी चूत मार दो …” उसके चहरे पर पसीना छलक आया था। उसे बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी। उसने एक झटके से अपना लण्ड बाहर खींच लिया। मैंने मुड़ कर देखा तो उसका लण्ड फ़ूल कर लम्बा और मोटा हो चुका था। उसे देखते ही मेरी चूत उसे खाने के लिये लपलपा उठी।
“मोनू मार दे मेरी चूत … हाय कितना मदमस्त हो रहा है … दैय्या रे !”
“आन्टी, जरा पकड़ कर सेट कर दो…” उसकी सांसें जैसे उखड़ रही थी, वो बुरी तरह हांफ़ने लगा था, उसके विपरीत मुझे तो बस चुदवाना था। तभी मेरे मुख से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई। मेरे बिना सेट किये ही उसका लण्ड चूत में प्रवेश कर गया था। उसने मेरे बाल खींच कर मुझे अपने से और कस कर चिपटा लिया और मेरी चूत पर लण्ड जोर जोर से मारने लगा। बालों के खींचने से मैं दर्द से बिलबिला उठी। मैं छिटक कर उससे अलग हो गई। उसे मैंने धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया और उससे जोंक की तरह उस पर चढ़ कर चिपक गई। उसके कड़कते लण्ड की धार पर मैंने अपनी प्यासी चूत रख दी और जैसे चाकू मेरे शरीर में उतरता चला गया। उसके बाल पकड़ कर मैंने जोर लगाया और उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी से जा टकराया। उसने मदहोशी में मेरी चूंचियां जैसे निचोड़ कर रख दी। मैं दर्द से एक बार फिर चीख उठी और चूत को उसके लण्ड पर बेतहाशा पटकने लगी। मेरी अदम्य वासना प्रचण्ड रूप में थी। मेरे हाथ भी उसे नोंच खसोट रहे थे, वो आनन्द के मारे निहाल हो रहा था, अपने दांत भींच कर अपने चूतड़ ऊपर की ओर जोर-जोर से मार रहा था।
“मां कसम, मोनू चोद मेरे भोसड़े को … साले का कीमा बना दे … रण्डी बना दे मुझे… !”
“पटक, हरामजादी … चूत पटक … मेरा लौड़ा … आह रे … आण्टी…” मोनू भी वासना के शिकंजे में जकड़ा हुआ था। हम दोनों की चुदाई रफ़्तार पकड़ चुकी थी। मेरे बाल मेरे चेहरे पर उलझ से गये थे। मेरी चूत उसके लण्ड को जैसे खा जाना चाहती हो। सालों बाद चूत को लण्ड मिला था, भला कैसे छोड़ देती !
वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल रहा था, जबरदस्त ताकत थी उसमें, मेरी चूत में जोर की मिठास भरी जा रही थी। तभी जैसे आग का भभका सा आया … मैंने अपनी चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगा दिया… लण्ड चूत की गहराई में जोर से गड़ने लगा… तभी चूत कसने और ढीली होने लगी। लगा मैं गई… उधर इस दबाव से मोनू भी चीख उठा और उसने भी अपने लण्ड को जोर से चूत में भींच दिया। उसका वीर्य निकल पड़ा था। मैं भी झड़ रही थी। जैसे ठण्डा पानी सा हम दोनों को नहला गया। हम दोनों एक दूसरे से जकड़े हुये झड़ रहे थे। हम तेज सांसें भर रहे थे। हम दोनों का शरीर पसीने में भीग गया था। उसने मुझे धीरे से साईड में करके अपने नीचे दबा लिया और मुझे दबा कर चूमने लगा। मैं बेसुध सी टांगें चौड़ी करके उसके चुम्बन का जवाब दे रही थी। मेरा मन शान्त हो चुका था। मैं भी प्यार में भर कर उसे चूमने लगी थी। लेकिन हाय रे ! जवानी का क्या दोष … उसका लण्ड जाने कब कड़ा हो गया था और चूत में घुस गया था, वो फिर से मुझे चोदने लगा था।
मैं निढाल सी चुदती रही … पता नहीं कब वो झड़ गया था। तब तक मेरी उत्तेजना भी वासना के रूप में मुझ छा गई थी। मुझे लगा कि मुझे अब और चुदना चाहिये कि तभी एक बार फिर उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर घुस गया। मैंने उसे आश्चर्य से देखा और चुदती रही। कुछ देर में हम दोनों झड़ गये। मुझे अब कमजोरी आने लगी थी। मुझ पर नींद का साया मण्डराने लगा था। आंखें थकान के मारे बंद हुई जा रही थी, कि मुझे चूत में फिर से अंगारा सा घुसता महसूस हुआ।
“मोनू, बस अब छो … छोड़ दे… कल करेंगे …!” पर मुझे नहीं पता चला कि उसने मुझे कब तक चोदा, मैं गहरी नींद में चली गई थी।
सुबह उठी तो मेरा बदन दर्द कर रहा था। भयानक कमजोरी आने लगी थी। मैं उठ कर बैठ गई, देखा तो मेरे बिस्तर पर वीर्य और खून के दाग थे। मेरी चूत पर खून की पपड़ी जम गई थी। उठते ही चूत में दर्द हुआ। गाण्ड भी चुदने के कारण दर्द कर रही थी। मोनू बिस्तर पर पसरा हुआ था। उसके शरीर पर मेरे नाखूनों की खरोंचे थी। मैं गरम पानी से नहाई तब मुझे कुछ ठीक लगा। मैंने एक एण्टी सेप्टिक क्रीम चूत और गाण्ड में मल ली।
मैंने किचन में आकर दो गिलास दूध पिया और एक गिलास मोनू के लिये ले आई।
मेरी काम-पिपासा शान्त हो चुकी थी, मोनू ने मुझे अच्छी तरह चोद दिया था। कुछ ही देर में मोनू जाग गया, उसको भी बहुत कमजोरी आ रही थी। मैंने उसे दूध पिला दिया। उसके जिस्म की खरोंचों पर मैंने दवाई लगा दी थी। शाम तक उसे बुखार हो आया था। शायद उसने अति कर दी थी…। Hindi Sex Stories
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