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अन्तर्वासना में अपनी कहानियाँ भेजनेAntarvasnaवालों को एक बार फिर से गीता का प्रणाम! खुली फुद्दी से मेरी कहानी पढ़ने वालों को प्रणाम! सो दोस्तो अब तक चुदाई का सफ़र में मैं अब शादीशुदा हूँ लेकिन चुदाई का सफ़र में मेरी ज़िंदगी में पड़ोसी के बाद दूसरा लौड़ा किसने डाला?
मैंने बताया था कि पड़ोसी ने मेरे साथ अवैध संबंध बनाए वैसे भी मुझे शादीशुदा मर्दों से चुद कर मजा आता है पड़ोसी के ऑस्ट्रेलिया जाने से अब मेरी फुद्दी प्यासी थी तड़फ़ रही थी। एक दिन घर में मेरी बड़ी बहन का नंदोई आया था, मम्मी घर नहीं थी और वो किसी काम से शहर आया था। रात हो जाने के कारण उसको रुकना पड़ा।
मैं डिनर तैयार करने लगी। पापा उसको बिठा कर खुद बाहर ठेके से दारू की बोतल लेने गये। मैं किचन में काम करते वक्त चुन्नी नहीं लेती थी और वैसे भी मैं डीप-नेक और पीछे ज़िप वाले सूट पहनती हूँ।
वो किचन में ग्लास, पानी, नमकीन लेने आया, बोला- नमकीन दे दो!
मैं डिब्बे से नमकीन निकालने लगी जो उपर वाली शेल्फ पे था। मैंने कहा- रुकना! मैं स्टूल ले कर आती हूँ।
वो बोला- उसकी क्या ज़रूरत? उसने पीछे से आकर उठा दिया और बोला- लो डिब्बा उतार लो उसकी इस हरक़त में उसने मेरे चूतड़ों को हल्के से दबा डाला। जाते जाते मेरे मम्मों को भी दबा गया।
फिर पापा और वो बैठ कर पीने लगे। उसकी क्षमता काफ़ी लगती थी पापा को चढ़ गई लेकिन दूसरी बोतल भी खुल गई। पापा थोड़ा नमकीन और पानी लाने के लिए उठने लगे। वो बोला- प्लीज़ अंकल जी! आप बैठो मैं लाता हूँ।
रसोई में आकर उसने मुझे पीछे से दबोच लिया और मेरी गर्दन पे अपने होंठ रख दिए। मुझे गरम करने के लिए उसने मेरे मम्मों को दबाया और बिना बोले वहाँ से चला गया। उसकी मजबूत बाहों से मेरी प्यासी फुद्दी गीली होने लगी।
थोड़ी ढेर में पापा को ज्यादा चढ़ गई। तभी भाई का फोन आया कि वो आज अपने ससुराल में ही रुकने वाले है। मैंने गेस्ट रूम में बिस्तर लगा दिया। उसके लिए खाना लगाने लगी।
तभी वो एक पेग हाथ में लेकर मेरी तरफ आया और मुझे पिलाने लगा। मैंने मना किया लेकिन उसने पेग पिला ही दिया। सरूर जल्दी ही चढ़ने लगा। दोनों खाना खाने डाइनिंग टेबल पे बैठ गये। वो उठा और दो पेग बना लाया, बोला- गीता जी! एक जाम और मेरे नाम का!
मैं वो पेग गटक गई। खाना खाने के बाद मैं उठी, बर्तन वगैरा रख के अपने कमरे में चली गई और नशे में सरूर सा आने लगा। तभी वो कमरे में आया और कुण्डी चढ़ा दी।
उसने आते ही मुझे दबोच लिया, ज़िप खोल मेरा कमीज़ उतार दिया, ब्रा उतार कर मेरे मम्मों को मसलने लगा, बोला- गीता! तुम बहुत मस्त माल हो ,कैसी गोल-मोल गाण्ड! उफ़फ्फ़! कायल कर दिया तूने!
कहते ही मैंने भी उसके गले में बाहें डाल दी और बोली- आप भी असली मर्द हो। आपकी यह चौड़ी छाती, घने बाल, मर्दानगी की कायल तो मैं हो गई आपकी!
वो मेरी दोनों टांगों के बीच बैठ कर अपनी ज़ुबान से मेरी फुद्दी चाटने लगा। जब वो मेरे दाने को चबाता, कसम से आग मच जाती! अहह उह!!!
मैंने उसको धकेलते हुए पीछे किया और जल्दी से उसका लंड पकड़ लिया और घुटनो के बल बैठ कर चूसने लगी।
वो बोला- हाय जान! रानी! राण्ड! माँ की लौड़ी! चूस!
वो अपने पैर से नीचे मेरी गाण्ड के छेद में अंगूठा डालने की कोशिश करने लगा। फिर दारू में टल्ली उसने मुझे सीधा लिटाते हुए अपना मोटा लंड मेरी फुद्दी में धकेल दिया।
अहह धीरे!
बोला- कमीनी! चुप साली रंडी!
मैं ज़ोर ज़ोर से चुदने लगी। जब जब उसका लंड मेरी बच्चेदानी से रग़ड़ ख़ाता, मानो स्वर्ग बिस्तर पे आ गया लगता था।
अब मैं खुद नीचे से बोली- हाए मेरे ख़सम! फाड़ डाल! छोड़ना मत!
और मैं गाण्ड उठा उठा के चुदने लगी। उसने मुझे घोड़ी बना लिया और पेलने लगा। मैं झड़ गई लेकिन वो थमा नहीं। करीब 25 मिनट यूँ ऐसे ही गैर मर्द की बाहों में झूलती हुई जो चुदी।
उसने अपना गरम गरम पानी जब मेरी बच्चेदानी के पास में छोड़ा, मैं पागल हो गई। कितना लावा निकालता था उसका लंड!
सो दोस्तो था वो मेरी बहन का नंदोई लेकिन सारी रात उसके नीचे मैं सोई।
उसने मुझे 3 बार चोदा, 1 बार गाण्ड में!
यह था मेरी जिन्दगी का दूसरा लंड!उसके बाद वो मुझे मोबाइल से फ़ोन करता, जब हमारे शहर में आता तो मुझे कॉलेज से लेकर करके होटल में ले जाता और खूब चोदता।
2 महीने मेरा उसके साथ सम्बंध रहे। फिर मैंने उसे मुँह लगाना छोड़ दिया।
फ़िर भी अब कभी जब घर आता है तो मौका देख 1 बार चोद ही लेता है मुझे!
अगले गैर मर्द की बाहों की दास्तान! सफ़र चुदाई का लेकर जल्दी रुबरू हो जाऊँगी।
खाओ लंड, लो आनन्द, जाए चूत में लंड!
जय चूत लण्ड की! Antarvasna
मैंने तो सपने में भी Hindi Sex Stories नहीं सोचा था कि मेरी वासना की संतुष्टि की कहानी ‘सीमा की मस्ती’ पढ़ कर आप सभी मुझे इतना प्यार देंगे। आपके ई मेल्स के लिए मैं तहे-चूत से आपका धन्यवाद करती हूँ। मैं अपनी उन सहेलियों का भी शुक्रिया अदा करती हूं जिन्हें मेरी कहानी पसंद आई और उनका भी जिन्होंने अपना वैसा ही अनुभव मुझे बताया।
कहाँ तो मैं एक अदद लँड के लिये तरस रही थी और आज तो करीब-करीब आप सभी ने मेरी लेने की इच्छा जतलाई है। और सबसे ज्यादा खुशी तो मुझे इस बात की है कि आप सभी बड़े-बड़े लँडों के मालिक हैं और सभी को चोदने में महारत हासिल है। आपके ईमेल पढ़ कर मेरी चूत में जबर्दस्त खुजली मचने लगती है।
सीमा के जाने के बाद तो अब फिर उंगली मारने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था। मेरे लिये तो यह फैसला करना मुश्किल हो गया है कि मैं आप में से किसका लँड लूँ और किसका छोड़ूं।
फिर भी, लँड लेने की चाहत में आप में से जिसे भी मैंने मेल किया है, प्लीज मुझे और ज्यादा लँड का लालच मत दीजिये क्योंकि मैं एक छोटे शहर में रहती हूं और मेरे लिये आप में से किसी से भी मिलना सम्भव नहीं हो पायेगा।
चुदवाने के चक्कर में अगर बदनामी हो गई तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी। काश मैं किसी महानगर में होती तो रोजाना ही आप में से किसी न किसी से मरवाने जरूर पहुँचती।
वैसे मुझे लगता है कि हम छोटे शहरों वालियों को ही यह समस्या है, नहीं तो गांव की लड़कियाँ तो खेत खलिहानों में जा जा के अपनी चूत की जबर्दस्त रगड़ाई करवाती हैं। और बड़े शहरों की बातें तो आप जानते ही हैं।
इसके अलावा, मेरी जिंदगी में एक और घटना पिछ्ले हफ्ते घट गई है जो मैं आपके साथ बाँटना चाहती हूँ।
कहते हैं भगवान के घर देर है पर अँधेर नहीं है। मेरी प्यासी चूत के लिये सामान खुद-ब-खुद चल कर मेरे घर पहुँच गया। मेरे पति किसी काम के सिलसिले में चंडीगढ़ गये हुए थे और अभी तक नहीं लौटे हैं।
पीछे उनके मामे का लड़का पवन अचानक टूर पर आ गया, जो करीब 24 साल का है और एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करता है। हालांकि वो हमारे घर पहली बार ही आया था क्योंकि उसकी नई नई नौकरी लगी थी और उसे हमारे वाला क्षेत्र मिला था।
अगले दिन सुबह वह अपने स्थानीय दफ़्तर चला गया और रात करीब आठ बजे लौटा।
मैंने खाना बना रखा था और हम दोनों खाना खाकर सिटिंग रूम में आ गए।
मैंने टीवी चला दिया और पवन अपने पेपर वगैरह देखने लगा।
मैं नीचे कालीन पर बैठी हुई थी और पवन ऊपर सोफे पर।
मैं टीवी देखने में मशगूल हो गई और कुछ देर बाद मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि कमरे में मेरे अलावा कोई और भी है।
मैं यूँ ही चैनल बदल रही थी और तभी एक इंग्लिश पिक्चर का सीन दिखाई दिया जिसमें हीरो-हीरोइन चुम्बन कर रहे थे।
मैं उसी चैनल पर रुक गई और देखने लगी।
कुछ देर बाद हीरो ने हीरोइन के कपड़े उतार डाले और उसके ऊपर आ गया।
सीन में हीरो-हीरोइन के ऊपरी हिस्से को ही दिखाया था पर दोनो के हिलने डुलने से साफ पता चल रहा था कि नीचे क्या खिचड़ी पक रही है।
हीरोइन आँखे बंद कर के आँ ऊँ करे जा रही थी और कुछ ‘फक मी हार्ड’ या ऐसा ही कुछ बोल रही थी और हीरो महाशय लगातार धक्का-पेली में लगे हुए थे।
कुल मिला के काफी गर्मागरम चुदाई चल रही थी। सीन देख कर मेरी चूत पनियाने लगी और मैंने अपनी टांगे चौड़ी करके गाउन ऊपर कर लिया.
पैन्टी तो मैंने शाम को ही उतार के बाथरूम में टांग दी थी क्योंकि रोज रात को मुठ मारे बिना तो मुझे नींद ही नहीं आती है, जिसके लिए चूत को मैं पहले ही आज़ाद कर लेती थी ।
पवन का तो मुझे ध्यान ही नहीं था, इसलिए बड़े आराम से अपनी गोरी टांगों को सहलाते हुए मैंने एक हाथ से अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया।
चूत के रस में गीली कर के मैंने एक उंगली धीरे से अँदर कर ली और हौले हौले आगे पीछे करने लगी।
मुझे लगता है कि मेरी हरकत देखकर पवन का लँड तो तुरंत ही टन्ना गया होगा। थोड़ी देर बाद पवन ने एक गहरी साँस ली और इससे मुझे उसकी उपस्थिति का एहसास हो आया।
लेकिन मेरे दिमाग में एकदम से पवन के लौड़े की शक्ल कौंध गई, और मैंने बेशर्मी से उसकी तरफ कनखियों से देखा और उंगली चलाती रही। वह थोड़ा शरमा गया।
मैं उसे छेड़ते हुए बोली- क्या हाल है, सब ठीक तो है?
पवन बोला- क्या मतलब है आपका?
मैंने कहा- भोले मत बनो ! मुझे सब नज़र आ रहा है तुम्हारे पैंट के तंबू के नीचे ! जिससे लगता है कि तेरा लँड काफी बड़ा है। तुझे पता है, तेरे भैया ने तो आज तक मुझे छुआ तक नहीं है। मेरी कुंवारी चूत तो बरसों से लौड़े की प्यासी है। मैं जैसे तैसे मुठ मार मार के अपना काम चला रही हूँ। तुम चाहो तो आज मेरी जी भरके ले डालो, मैं भी कुछ मज़े कर लूंगी। मेरी सभी सहेलियाँ अपनी चुदाई के किस्से सुनाती रहती हैं। उनके पति उन्हें रात-रात भर कई कई बार चोदते हैं और वह भी अच्छी तरह रगड़ कर। और एक मैं हूँ जिसे आज तक सही लँड तक नहीं मिला। प्लीज़, आज तो मुझे तुम्हारा लौड़ा चाहिए और सच कह रही हूँ अब तो मैं इसे अँदर लेकर ही रहूँगी।
पवन के कोई जवाब देने से पहले ही मैंने पलट कर अपना हाथ पवन के तने हुए लँड पर रख दिया।
पवन के लौड़े को तो जैसे करेंट लग गया और वह एकदम फनफना गया।
मैंने जल्दी से उसके पैंट का हुक और ज़िप खोल दिया और फिर अँडरवियर नीचे कर के लँड को बाहर निकाल लिया। लँड क्या था, पूरा 8 इंच का बेलन था बिल्कुल टन्नाया हुआ।
उसका लाल सुपाड़ा देख कर मेरी आँखों में नशा छा गया और पूरा बदन थरथरा उठा। जिस चीज़ की मैं कल्पना ही करती रहती थी वह आज मेरे इतने पास थी। पवन के लँड की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी थी।
मैंने उसके लँड को चूमा और फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।
लँड की जड़ से शुरू कर के मैं जीभ उसके टोपे तक ले जाती और फिर सुपाड़े को चारों तरफ से चाट चाट कर मैंने लँड को पूरा गीला कर डाला। इसके बाद मैं लँड को पूरा मुँह में ले कर उसे आम की तरह चूसने लगी और साथ साथ एक हाथ से उसे मुठ भी लगा रही थी।
पवन तो जैसे स्वर्ग में था बोला- भाभी, बहुत अच्छा लग रहा है, चूस डालो … मेरे लौड़े को, निकाल डालो इसका पानी।
पर मैंने लँड मुँह से निकाल कर कहा- बस बस अभी रहने दे और अब इसे अँदर डालकर मेरी चूत की प्यास बुझा दे।
पवन बोला- भाभी, पर मैंने तो आज तक किसी को नहीं चोदा है, ये कैसे होगा।
मैं बोली- यह तो और भी अच्छी बात है, आज तो समझो हमारी सुहागरात है, कुंवारी चूत को कुंवारा लँड जो मिल रहा है। तुम्हें तो बस ऊपर आकर लँड मेरे हाथ में देना है, बाकी काम तो मेरा है।
इतना कहकर मैंने अपना गाउन खोल दिया। काली ब्रा के ऊपर से मेरे गोरे और सुडौल मम्मे झाँक रहे थे।
पवन ने हल्के से मेरे उभारों को छूकर सहलाना शुरू कर दिया। मेरी तो आँखें बंद हो गईं और दिल भी धकधक होने लगा।
पवन की हिम्मत बढ़ गई और उसने ब्रा के स्ट्रेप मेरे कंधे से हटा कर मेरी गोल और दूधिया छातियों को नंगा कर डाला। मेरे मम्मों के बीचोंबीच मेरी हल्के बादामी रंग की चूचियां तन कर खड़ी हो गईं थीं।
पवन ने अब मुझे गोद में बिठा लिया और मेरे मम्मे सहलाने लगा। फिर उसने मेरी एक चूची को दो उंगलियों के बीच लेकर हल्के से दबा दिया। मैंने एक सिसकारी भरी और पवन से लिपट गई।
पवन ने भी अपने गरम होंठ मेरे होंठों से सटा दिए और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। साथ ही पवन मेरे मम्मे दबाने और चूचियाँ मसलने में लगा हुआ था।
सच बता रही हूँ, मैं तो लगा कि हवा में उड़ने लगी थी। चूमते चूमते मैंने अपनी जीभ पवन की जीभ से सटा दी और उसका लँड जोर से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।
कुछ देर बाद पवन मेरे सामने आ गया और मेरी चूची पर जीभ लगा कर चाटने लगा, फिर एक एक कर के उसने दोनों चूचियों को चूस चूस के सुजा डाला।
पवन के हाथ अब मेरी जाँघों पर थे और उन्हें सहलाते हुए वह मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था। मैंने भी अपनी टाँगें फैला कर के उसका रास्ता साफ कर दिया और बोली- हाँऽऽऽ… करो न ।
पवन मेरा इशारा समझ कर तुरंत मेरी चूत के होंठ फैला कर अपनी उंगली मेरी गीली चूत पर फिराने लगा। पवन की उंगली मेरे बटन पर लगते ही मेरे मुँह से आह निकल गई और मैं चिल्लाई- डालो न प्लीज़ ।
पवन ने अपनी उंगली मेरी चूत में धीरे से घुसा दी और अँदर-बाहर करने लगा।
मेरी चूत की खुजली कुछ कम होने लगी, पर चुदाई की इच्छा तेज होने लगी इसलिए जल्दी ही मैं पवन का लँड पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी और अपनी टाँगें फैला कर बोली- अब देर मत करो, लँड अँदर दे दो।
पवन को लगता है विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं सचमुच उससे चुदवाना चाहती हूं और वह अब मुझे चोदने वाला है, वो बोला- भाभी, क्या आप सच में मेरा लँड लेना चाहती हैं?
मैं पवन से बोली- प्लीज़ पवन, अब तंग मत करो, मुझसे अब और नहीं रुका जाता, जल्दी से डाल दो ना ऽऽऽ…
इतना सुनते ही पवन ने मुझे गोद में उठा कर दीवान पर लेटा दिया और अपना पैंट और टीशर्ट उतार फैंके, अपना टनटनाया हुआ लँड मेरी चूत की तरफ कर के वो घुटनों के बल मेरी टाँगों के बीच आ गया।
मैंने लँड पकड़ के अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और फिर अपनी गाँड ऊपर कर के पवन की कमर को दोनों हाथों से अपनी ओर खींचा ।
लँड थोड़ा रुक कर मेरी चूत के अँदर सटाक से जा घुसा।
मेरे मुँह से एक आह निकल गई पर तसल्ली भी हो गई कि चलो जिंदगी के 28वें साल में आखिरकार मेरी सील तो टूटी।
मेरी चूत अब भट्टी की तरह धधक रही थी और पवन का लँड भी अँदर जाते ही लाल लोहे की तरह तपने लगा था।
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद पवन ने अपना लँड धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया और मुझे चोदने लगा।
मैं भी नीचे से ताल मिला के अपनी चूत ऊपर नीचे कर रही थी।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे पर मुझे नहीं लगता है कि चुदाई सीखने सिखाने कि ज़रूरत पड़ती है। हमारा कार्यक्रम तो मस्त चलने लगा था।
पवन ने पूछा- क्यों भाभी, मज़ा आ रहा है या नहीं?
मैंने कहा- बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करते जाओ। काश तुम्हारे जैसा बड़ा और मोटा लँड मुझे पहले मिल जाता तो मैं अपनी चूत का सही उपयोग कर लेती।
पवन ने हिलते हिलते पूछा- भाभी, क्या हर औरत मोटा लँड चाहती है?
मैंने कहा- यार, जहाँ तक मुझे लगता है, कि अगर किसी को पता न चले तो हर औरत मन ही मन किसी बड़े और मोटे लँड वाले से ज़रूर चुदवाना चाहती है, बस मौका मिलना चाहिए। ये सब छोड़ो और अब तो तुम बस मुझे जी भर के ज़ोर ज़ोर से चोदो।
यह सुन कर पवन अपना लँड मेरी रसदार चूत में अँदर-बाहर करने लगा।
मैं भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा लेने में लग गई।
पवन ने मेरे होंठ अपने होंठों में दबा लिए और चूसने लगा। साथ ही अपने एक हाथ से वह मेरे मम्मों और चूचियों को मसले जा रहा था। मेरे मुँह से तो ईऽऽस्स ईऽऽस्स की आवाजें निकलने लगी थीं।
मैं बोली- पवन, प्लीज़ ऐसे ही चोदो और चोदते जाओ, रुकना मत, बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ओह माँ … मम्मी … ये क्या हो रहा है।
पवन मस्त होकर अपना लँड मेरी चूत में कड़छी की तरह हिलाने लगा। मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला के दनादन शॉट मारने लगी। दीवान तो झूले की तरह हिल रहा था।
मैंने अपनी टाँगें उठाकर पवन की कमर पर लपेट लीं और अपनी चूत ऊपर कर के किसी कुतिया की तरह उसके लँड को अँदर दबोच लिया। फिर मैंने मुँह की तरह ही अपनी चूत से उसके लँड को चूसना शुरू कर दिया।
पवन भी बड़बड़ाता हुआ गचागच अपना लँड मेरी चूत में पेल रहा था- ‘ले सीमा ले, आज तो तेरी फाड़ डालूंगा’।
मेरे सिर पर तो चुदाई का भूत सवार हो चुका था और अब मैं सारी लाज शरम छोड़ कर किसी रंडी के जैसे चोदने-चुदवाने में लगी हुई थी। पूरा कमरा हमारी चुदाई के संगीत से गूंजने लगा था।
काफी देर तक ऐसी ठुकाई के बाद मेरे बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगीं और मैंने पवन को जोर से जकड़ लिया अपनी चूत जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। पवन भांप गया कि मैं अब झड़ने वाली हूँ और उसने फटाफट मेरी एक चूची अपने मुँह में ले ली और उसे चूसने लगा।
मैं बोली- पवन, लगता है तुम तो आज मुझे मार ही डालोगे। इतना सुख मुझे कभी नहीं मिला, लग रहा है कि चूत में आग लगी हुई है।
पवन बोला- भाभी, मेरे लँड में भी झुनझुनी हो रही है, और बदन में तो लगता है चींटियाँ रेंग रही हैं।
पवन ने चुदाई की स्पीड बहुत तेज़ कर दी।
मेरी चूत और सारा बदन उत्तेजना से अकड़ने लगा और अचानक मैं चिल्ला उठी- हाय, मैं मरी … … प्लीज़ … मेरी फाड़ दो न… अपना लँड मेरे पेट तक घुसेड़ दो। हो सके तो मेरी गाँड़ भी फाड़ दो। हे रामऽऽऽऽ, आऽऽह, मैं तो ये गईऽऽऽ मम्मी … … पवनऽऽऽ तुम भी आ जाओ नऽऽ … …
और मैं टाँगे फैला के झटके मार मार के झड़ने लगी।
पवन का बदन भी अकड़ गया था और उसने अपना लँड मेरी चूत में जड़ तक घुसा कर पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दीं और सारा माल मेरे अँदर उड़ेल दिया।
मैंने एक हाथ से उसके टट्टे पकड़ के निचोड़ डाले।
मेरी चूत तो लबालब भर गई थी और दोनों का रस मिल कर बहने लगा।
हम दोनों पसीने से तर हो चुके थे और काफी देर इसी तरह लँड-चूत का संगम किए लेटे रहे।
इतनी ज़बर्दस्त चुदाई से दोनों निढाल हो गए थे, पर ऐसा लग रहा था कि हम स्वर्ग में हैं।
मैंने पवन को प्यार से चूमा और बोली- आज मैं पूरी औरत हो गई हूँ। तुम्हारी खटियातोड़ रगड़ाई ने मेरी चूत को सही में चुदाई का मतलब सिखा दिया है। थैन्क्स ए लॉट यार ।
पवन भी प्यार से मेरे मम्मे और सारा बदन सहलाने लगा और उस रात हम यूँ ही बाहों में बाहें डाले नंगे ही सो गए।
पवन यहाँ दो दिन के लिए आया था पर मैंने उसे अभी तक रोक रखा है और हम दोनों अपनी जवानी का भरपूर मज़ा ले रहे हैं।
कामसूत्र के करीब करीब सारे आसन भी आज़मा डाले हैं।
पवन के ऊपर चढ़ कर चोदने में तो सच इतना मज़ा आया कि क्या बताऊँ।
पर कल मेरे पति आने वाले हैं और पवन उनसे मिल कर निकल जाएगा। तब क्या होगा? मैं सोचना भी नहीं चाहती … … ये तो पक्का है कि आज की रात कयामत की रात होगी … … Hindi Sex Stories
मैं जब 25 साल की थी. मैं उस समय झाँसी में Antarvasna रहती थी. मेरी जयपुर में नई नई नौकरी लगी थी. मुझे दो दिन बाद जयपुर जाना था. पापा ने अपने ऑफिस का ही एक काम करने वाला, जो जयपुर में रहता था, उसे मेरे साथ में भेजने के लिए तैयार कर लिया था.
घर की बेल बजी तो मैंने बाहर निकल कर देखा. एक सजीला 25-26 साल का लड़का बाहर खड़ा था. मैंने पूछा – “कहिये… किस से मिलना है…”
उसने मुझे देखा तो वो बोल उठा -“अरे नेहा… तुम यहाँ रहती हो ..”
“हाय… तुम अनिल हो… आओ अन्दर आ जाओ…” उसे मैंने बैठक मैं बैठाया।
अनिल मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था. उसने बताया कि वो अब पापा के ऑफिस में काम करता था.
“अंकल ने बुलाया था… जयपुर कौन जा रहा है ..”
” मैं जा रही हूँ…”
“अंकल ने मुझे आपके साथ जाने को कहा है… रिज़र्वेशन के लिए बुलाया था… मैं भी दो दिन बाद जा रहा हूँ ”
मैंने सोचा कि कॉलेज में जब पढ़ते थे तो तब तो ये मेरी तरफ़ देखता भी नहीं था. उसे देखते ही मन में पुरा्नी यादें उभरने लगी. अनिल मुझे आरम्भ से अच्छा लगता था. अब जयपुर तक साथ जाएगा तो इसे छोडूंगी नहीं. मैंने कहा – “आगे का स्लीपर लेना है… वरना बस में परेशान हो जायेंगे. झाँसी से जयपुर लंबा सफर है ”
“ओके तो दो दिन बाद के स्लीपर लेना है…अंकल को बता देना ”
अनिल चला गया. अब मैं अपने प्लान बनाने लगी… मुझे सब समझ में आने लगा कि अनिल को कैसे पटाना है.
हम बस स्टैंड पहुच गए. बस में अनिल पहले से ही नीचे वाली डबल सीट पर बैठा था. मेरे आते ही वो खड़ा हो गया और बाहर आ गया. अभी बस जाने में १५ मिनट बाकी थे. मैंने आज सलवार और कुरता पहन रखा था. पर पेंटी नहीं पहनी थी. इस से मेरे चूतड़ में लचक अधिक दिख रही थी. अनिल ने मेरे चूतड़ों को बड़ी हसरत भरी निगाहों से देखा. मैं तुंरत भांप गयी. मैं अब कुछ ज्यादा ही उत्साहित हो गयी.
“बड़ी सुंदर लग रही हो ..”
“थैंक्स… अनिल… सीट नम्बर क्या है ”
“आगे वाले पहले दो स्लीपर है… सिंगल नहीं मिला ”
मन में सोचा… ये अनिल की शरारत है. पर मुझे तो मौका मिल गया था. ऊपर से गुस्सा हो कर बोली -“मैंने तो सिंगल के लिए कहा था… पर ठीक है ..”
“अरे यार…खूब बातें करेंगे… साथ रहेंगे तो .”
बस का टाइम हो गया था. पापा मुझे छोड़ कर जा चुके थे. हम दोनों सीट पर आ गए. आगे से दूसरे नम्बर की सीट थी. पहले मैं जा कर खिड़की के पास बैठ गयी. फिर अनिल भी बैठ गया. बस खाली थी. झाँसी से बस ग्वालियर तक खाली रहती है. पर ग्वालियर में सब सीट फुल हो जाती है. कंडक्टर से अनिल ने ग्वालियर तक सीट पर बैठने की परमिशन ले ली थी. अँधेरा हो चला था. सड़क की बत्तियां जल उठी थी. शाम के ठीक ७ .३० बजे बस रवाना हो गयी. हम दोनों कॉलेज के टाइम की बातें करने लगे. दतिया स्टेशन क्रॉस हो चुका था. मैंने अपनी चादर और पानी की बोतल बगल में सीट पर रख दी. और थोड़ा अनिल से सट कर बैठ गयी. मेरे और अनिल की टांगे आपस में रगड़ खा रही थी. उसकी जांघों का स्पर्श मेरी जांघों पर हो रहा था. मैं अब जान कर बस के मुड़ने पर उस पर गिर गिर जाती थी. और उसकी जंघे पकड़ कर सीधी हो जाती थी. इतने में बस की लाइट जल गयी. मैंने पीछे मुड कर देखा तो थोड़े से लोग सीट पर बैठे झपकियाँ ले रहे थे. अचानक लाइट बंद हो गयी.
अब बस में पूरा अँधेरा था. मैंने आंखे बंद कर ली और सर पीछे करके बैठ गयी. इतने में मुझे महसूस हुआ कि मेरी जांघ पर अनिल के हाथ का स्पर्श हुआ है. पजामे के ऊपर मेरी मुलायम जांघों को उसका हाथ छू रहा था. मैं सिहर उठी. मुझे लगा अब अनिल चालू हो गया है. पर मैं चुपचाप रही. उसने अपना हाथ सहलाते हुए आगे बढाया और हौले से दबा दिया. मुझे करंट लगने लगा था. मैंने आँखे खोल कर उसकी और देखा. वो जान कर आंखे बंद करके ऐसा कर रहा था. उसने हाथ चूत कि तरफ़ बढ़ा दिया। मौका हाथ से निकल न जाए इसलिए मैं चुप ही रही और टांगे थोडी चौड़ी कर दी. अब उसका हाथ मेरे चूत की फांकों पर आ गया था. मैंने अब उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ़ खींच लिया. और उसे धीरे धीरे अपने स्तनों की तरफ़ ले जाने लगी. अनिल ने मेरी तरफ़ देखा. मैं भी उसकी नजरों में झाँकने की कोशिश करने लगी.
उसने अपना चेहरा मेरी तरफ़ बढ़ा दिया. मैंने भी धीरे से उसके होंट पर अपने होंट रख दिए. वो मेरे होंटो को चूमने लगा. मैंने भी जवाब में उसके होंटों के अन्दर अपनी जीभ डाल दी. उसके हाथ मेरे स्तनों पर आ चुके थे. अनिल ने मेरे बूब्स हौले हौले दबाना चालू कर दिए. मेरी आँखे मस्ती में बंद होती जा रही थी. मेरा हाथ उसके लंड की तरफ़ बढ़ चला. पेंट के ऊपर से ही लंड की उठान नजर आ रही थी. मेने उस को ऊपर से ही सहलाना चालू कर दिया. ऐसा लगा जैसे उसका लंड पेंट फाड़ कर बाहर आ जाएगा… अनिल के हाथ मेरे शरीर को दबा दबा कर सहला रहे थे. मेरी उत्तेजना बदती जा रही थी. मैंने उसकी पेंट का जिप खोला और अन्दर से लंड पकड़ लिया. वो अन्दर अंडरवियर नहीं पहना था. लगा की वो भी इसी तय्यारी के साथ आया था.
“हाय रे मसल दो… हाय… तुमने अंडरवियर नहीं पहनी है…”
“नहीं… मैंने तो जान कर के नहीं पहनी थी… पर तुमने भी तो नहीं पहनी है…”
” मैंने भी जान बूझ कर नहीं पहनी थी…” तो आग दोनों तरफ़ लगी थी…
मैंने खींच कर उसका लंड पेंट से बाहर निकल लिया. मैंने झांक कर इधर उधर देखा. सभी आराम कर रहे थे. बस तेजी से मंजिल की और बढ़ रही थी. उसका लंड देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया. मैंने उसके सुपारी के ऊपर की चमड़ी को ऊपर चढा दिया. उसकी लाल लाल सुपारी खिड़की से आ रही लाइट से बार बार चमक उठती थी. मैंने सर झुकाया और उसकी सुपारी अपने मुंह में ले ली. और उसका लंड नीचे से पकड़ कर मुठ मारना चालू कर दिया. मेरी हालत भी कुछ कम नाजुक नहीं थी. मैंने भी अपने पजामे का नाडा खोल दिया था. अब वो पीछे से हाथ बढ़ा कर मेरी गांड की गोलाईयों को दबा रहा था. उसके हाथ मेरे चूतड की दरार में भी घुसे जा रहे थे. पर मैं बैठी थी और आगे झुकी हुयी थी इसलिए उसे चूत के दर्शन नहीं हो रहे थे. हम दोनों के हाथ बड़ी तेजी से चलने लगे थे. उसने मेरी चूचियां मसल मसल कर मुझे बेहाल कर दिया था. मेरे मुंह में लंड था इसलिए मैं आह भी नहीं निकाल पा रही थी.
अनिल ने धीरे से कहा -“नेहा…बस करो… छोड़ दो अब ”
” नहीं… अभी नहीं ..राम रे…मजा आ रहा है…” मैंने उसकी सुपारी जोर से चूसने लगी और साथ ही जोर से मुठ मरने लगी. वो अपने को रोक नहीं पा रहा था. दबी जबान से मस्ती के शब्द निकाल रहे थे…”अरे .. बस…अब नहीं… बस ..बस… हाय… निकल रहा है ..नेहा…” कहते हुए उसका लावा उबल पड़ा और रुक रुक कर पिचकारी छोड़ने लगा. मेरे मुंह में उसकी सुपारी तो थी ही. मेरे मुंह में रस भरने लगा. मैंने गट गट कर पूरा पी लिया… और चाट कर साफ़ कर दिया.
मैं अब बैठ गयी. उसने भी अपने कपड़े ठीक कर लिए. मैंने भी पजामे को ठीक करके नाडा बाँध लिया. ग्वालियर में बस पहुँच चुकी थी. बस की लाइट जल उठी. बस स्टैंड पर आ कर रुक गयी.
कंडक्टर कह रहा था. “१५ मिनट का स्टाप है… नाश्ता कर लो…सभी अब अपने अपने स्लीपर पर चले जाए ..”
हम दोनों बस से उतर गए. और कोल्ड ड्रिंक पीने लगे.
“नेहा .. मजा आ गया… तुम्हारे हाथों में तो जादू है…”
“और तुम्हारे हाथो ने तो मुझे मसल कर ही रख दिया…” मैं मुस्कराई.
‘मेरा लंड कैसा लगा…”
“यार है खूब मोटा…पर जब चूत में जाएगा तो पता चलेगा.. कि कैसा है..”
दोनों ही हंस पड़े.
बस का टाइम हो रहा था. हम दोनों बस में स्लीपर में घुस गए, और नीचे वाली दोनों सीट खाली कर दी. स्लीपर में हमने चादर साइड पर रख ली और दोनों लेट गए. बस फिर से चल दी. मुझे अभी चुदवाना बाकी था.
मैंने कहा -“अनिल मैंने नाड़ा खोल लिया है… तुम भी पेंट नीचे खींच लो न..”
अनिल खुशी से बोला “चुदवाने का इरादा है… ठीक है ..” अनिल ने स्लीपर का परदा खेंच कर बंद कर दिया. इतने में बस की लाइट भी बंद हो गयी .अनिल ने अपना पेंट नीचे खीच दिया .अब हम दोनों नीचे से बिल्कुल नंगे थे. अनिल ने चादर अपने ऊपर डाल ली. और मुझे कमर से खींच कर मेरी पीठ से चिपक गया. मेरी चिकनी गांड का स्पर्श पा कर उसका लंड फिर से हिलोरें मरने लगा. बार बार मेरी चूतडों की फांकों में घुसने की कोशिश करने लगा. मैंने मुड कर उसकी तरफ़ देखा तो अनिल ने प्यार से मेरे गलों को चूम लिया और नीचे गांड पर जोर लगाया उसका लंड मेरी दोनों गोलाईयों को चीरता हुआ मेरी गांड के छेड़ से टकरा गया. मुझे लग रहा था कि वो जल्दी से अपने लंड को मेरी गांड में घुसेड दे. मैंने एक हाथ बढ़ा कर उसके चूतड पकड़ लिए और अपनी तरफ़ जोर से चिपका लिया. अनिल ने भी अपनी पोसिशन ली और अपने लंड को गांड के छेड़ में दबा दिया. उसकी सुपारी गांड में फक से घुस गयी. मेरे मुंह से आह निकल गयी. उसने अपना लंड थोड़ा बाहर खींचा और फिर से एक झटका दिया. लंड अन्दर घुसता ही चला जा रहा था. जैसा जैसा वो धक्के मरता लंड और अन्दर बैठ जाता. लंड पूरा घुस चुका था. अब अनिल रिलाक्स हो गया. और लेट गया अब वो मजे से गांड चोद रहा था. मुझे भी अब मजा आने लगा था. उसके धक्के अब तेज होने लगे थे.
अचानक उसने मुझे सीधा लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया. और मेरी चूत में अपना लंड घुसेड दिया. लंड बस के झटको और धक्कों से एक बार में अन्दर तक बैठ गया. मैं खुशी के मारे सिसकारी भरने लगी.
“धीरे… नेहा…धीरे…”
“अनिल ..मैं मर जाऊंगी…हाय…” उसने मेरे होटों पर होंट रख दिए जिस से मैं कुछ न बोल सकूँ…
मेरी उत्तेजना बढती जा रही थी. मैंने अपनी चूतडों को हिला हिला कर जोर से धक्कों का उत्तर धक्कों से देने लगी. अब मुझे लगाने लगा कि मैं झड़ने ही वाली हूँ. नीचे आग लगी हुयी थी… मेरी चूत में मीठी मीठी गुदगुदी तेज हो उठी. मन में सिस्कारियां भर रही थी. अब लग रहा था कि अब मैं गयी…मैंने चूत को ऊपर दबाते हुए जोर से पानी छोड़ने लगी. मेरा मुंह उसके होटों से चिपका था. कुछ बोल नहीं पाई. और अब पूरा पानी छोड़ दिया. उधर अनिल ने भी अपनी रफ़्तार तेज कर दी. मैं झड़ चुकी थी और अब उसका लंड का मोटापन और उसका भारी पन महसूस होने लगा था. अचानक ही उसके लंड का दबाव मेरी चूत में बहुत बढ गया. मेरे मुंह से चीख निकल कर उसके होटों में दब गयी. मुझे अपनी चूत में अब गरम गरम रस निकलता हुआ महसूस होने लगा. उसके वीर्य की गर्माहट मुझे अच्छी लगने लगी. अनिल निढाल हो कर मेरे पास में लुढ़क गया. उसका वीर्य मेरी चूत में से बह निकला. मैंने चादर को अपनी चूत पर लगा दी. वीर्य रिसता रहा मैं उसे पोंछती रही.
अचानक लगा कि कोई सिटी आने वाला है. मैंने अनिल को उठाने के लिए हिलाया पर वो सो चुका था. मैंने अपने कपड़े ठीक कर लिए. और अनिल के पेंट को ठीक करके उस पर चादर ओढा दी. बस रुक चुकी थी. धौलपुर आ गया था. यहाँ पर यात्री डिनर के लिए उतरते हैं. पर मैं एक करवट लेकर अनिल से चिपक कर सो गयी.
अन्तर्वासना के पाठक मेरी इस काल्पनिक कहानी कमेंट जरूर भेजें. ताकि आगे मैं अपनी लेखनी सुधार सकूँ ! Antarvasna
अरे सुरेश, बड़े दिनों बाद दिखे, आज कल कहां Sex Stories रहते हो?’
‘मंथली एक्ज़ाम चल रहे थे न आंटी। अब इस साल मैं 12वीं में आ गया हूं।’
‘तुम्हारी क्लास में लड़कियाँ कितनी हैं?’
’12
‘और लड़के?’
’36 ‘
‘बड़ी किस्मत वाली हैं एक एक के तीन तीन लौंडे।’
‘पर मुझे तो कोई घास नहीं डालती।’
‘अरे कोई नहीं, मैं सिखा दुंगी तुम्हे लड़की कैसे पटाते हैं।’
‘प्लीज़ आंटी जल्दी सिखाओ।’
‘तुम्हारी कोई गर्ल फ़्रेण्ड है या नहीं?
‘है न, रीता।’
‘क्या करते हो उसके साथ?’
‘बातें, और क्या?’
‘क्या गर्ल फ़्रेण्ड के साथ केवल बातें करते हैं?’
‘नहीं, आंटी, वो न थोड़ी कंज़रवेटिव है।’
‘कंज़रवेटिव न होती तो क्या करते?’
‘तो सब कुछ कर देता।’
‘मतलब क्या-साफ़ साफ़ बताओ मुझे?’
‘मुझे शरम लगती है।’
‘मैं तुमको कैसी लगती हूं?’
‘बहुत अच्छी।’
‘मतलब क्या क्या अच्छा लगता है?’
‘आपका चेहरा बहुत अच्छा लगता है।’
‘मतलब मैं बुड्ढी हो गयी हूं चेहरे के सिवा कुछ अच्छा ही नहीं है।’
‘है न।’
‘तो बताओ न।’
‘आप गुस्साओगे तो नहीं?’
‘मैं क्यों गुस्साऊं, अपनी बढ़ाई किस को अच्छी नहीं लगती।’
‘आप का न फ़्रंटसाइड बहुत अच्छा है।’
‘फ़्रंटसाइड मतलब?’
‘वो ब्लाउज़ के भीतर।’
‘उसमे अच्छा क्या है तुमने अंदर देखा है कभी?’
‘नहीं पर बहुत बड़ा है न।’
‘मतलब तुम्हें बड़ी चूची पसंद हैं।’
‘हां।’
‘तो सीधे बोलो न मुझे आपके बड़े ब्रेस्ट पसंद हैं।’
‘बोलो बोलो।’
‘मुझे आपकी बड़ी चूची पसंद हैं।’
‘गुड, शाबाश, और क्या क्या पसंद है तुम्हें?’
‘आपका बैकसाइड।’
‘पर उसमें क्या?’
‘आपका बैकसाइड छोटा और स्लिम है न।’
‘मतलब तुम्हें छोटे बटक्स चाहिये।’
‘हां।’
‘बड़े परखी हो।’
‘तुम्हारी रीता की बैक साइड कैसी है?’
‘छोटी और स्लिम, पर पता नहीं आगे जाकर फ़ैल न जाये।’
‘क्यों? क्या पीछे से डाल कर फ़ैलाने का इरादा है?’
‘धत्।’
‘और तुम्हारी गर्ल फ़्रेण्ड की चूची कैसी हैं?।’
‘मीडियम है, आप जैसे बड़े नहीं हैं।’
‘बार बार दबाने से न बढ़ जाते हैं। चूत और चूची को जितना मसलो उतना बढ़ते जाते हैं।’
‘अब अब दबायेगा रोज रोज?
‘दबवायेगी तब न।
‘कभी मसला है उसकी चूची को?’
वो तो छूने ही नहीं देती।
क्या? छूने ही नहीं देती?
अपने ब्रेस्ट ।
हिन्दी में बोलो पूरा एक बार में
वो अपनी चूची छूने ही नहीं देती।
चिन्ता मत करो मैं तुम्हें ऐसे ट्रिक्स बताऊंगी और सिखाऊंगी कि वो खुद तुम्हें चूची मसलवाने की रिक्वेस्ट करेगी।
सचमुच। आप बड़ी अच्छी हो।
अच्छा अगर मैं तुम्हें फ़्री छोड़ दूं तो क्या करोगे?
धत्। आप तो आंटी हो?
फ़िर ये तुम्हारे पैंट के भीतर कड़ा कड़ा क्यों हो गया ये सवाल सुनकर?
आई एम सोरी, आप गुस्सा न करो।
एक शर्त पर अगर तुम सच सच बोलोगे, ये कड़ा कैसे हो गया?
आप भी सेक्सी हो न इसलिये।
तो बताओ न फ़्री मिल गये तो क्या क्या करोगे?
फ़्री थोड़े ही न छोड़ेंगे आप।
लेसन 1- हाथ की सफ़ाई
तो तुम्हारा पहला लेसन है हाथ की सफ़ाई। आदमी और औरत हाथ से क्या कुछ कर और करा सकते हैं और कितना मजा दे और ले सकते हैं?
तुम बताओ हाथ से क्या कर सकते हो?
हाथ से चूची को पकड़ सकते हैं?
और?
और क्या अपना हाथ जगन्नाथ।
तुम सच मुच घामड़ हो।
क्यों और कुछ भी करते हैं? प्लीज़ बताइये न आंटी।
अच्छा बताती हूं। आदमी औरत के हर अंग को दबा के सहला के उसे मजे दे सकता है।
कैसे?
अभी दिखाती हूं।
आज मेरे बदन में बड़ा दर्द है, थोड़ा बोडी लोशन लगा दोगे?
हां।
पर कुछ और तो नहीं करोगे, फ़्री समझ के?
नहीं।
तो लो ये लोशन मेरे कंधे, पीठ और कुल्हों पे लगा दो।
मैं पेट के बल लेट जाती हूं।
अपना टी शर्ट तो उतार दो आंटी।
लो उतार दिया अब ब्रा उतारने को मत कहना। और ये लेट गयी मैं पेट के बल। कंधे को धीरे धीरे दबाओ और बोडी लोशन लगाओ। हां, ऐसे ही, अब थोड़ा प्रेस करो, वेरी गुड। अब यही मेरे पीठ पर करो। वाह! शाबाश। अब मेरी जीन्स को थोड़ा नीचे सरकाओ और पैंटी को भी। थोड़ा लोशन मेरे चूतड़ों पर लगाओ और धीरे धीरे उस पर मालिश।
अरे नहीं, गांड में मत डालो लोशन, शैतानी नहीं। बस, हो गया।
आंटी थोड़ा और दबाऊं न। आपने जीन्स क्यों बंद कर ली? बड़ा मजा आ रहा था।
अच्छा अब आगे दबाने की ट्रैनिंग देती हूं।
आगे मतलब ऊपर या नीचे
क्या मतलब? साफ़ बोलो।
वो ब्रा के भीतर या पैंटी के भीतर।
तू तो बड़ा सयाना हो गया है। साफ़ साफ़ क्यों नहीं पूछता चूत या चूची?
हां वही।
वही क्या?
चूत या चूची दबाने की ट्रैनिंग?
तुझको कौन सी पसंद है।
दोनो।
बड़ा लोभी है तू।
अगली ट्रैनिंग चूत दबाने की। वहां अपना हाथ डाल के धीरे धीरे सहलाना चाहिये।
कहां?
चूत पे और कहां?
फिर न, उंगली को चूत के छेद में डाल कर धीरे धीरे फ़िंगर करते हैं।
इससे न, लड़की/औरत गर्म हो जाती है, तुम न अपनी गर्ल फ़्रेण्ड पर ट्राइ करना और बताना कैसा लगा उसे।
आंटी थोड़ा प्रेक्टिस तो करा दो प्लीज़।
तुम तो बड़े लोभी निकले।
अच्छा चलो पर केवल दो मिनट।
थैंक यू ।
कहां से शुरु करें?
मेरे जीन्स के बटन खोलो।
खोल दिया।
क्या मस्त जांघ है आपकी।
तुम्हें पसंद आयी?
हां।
तो चूम ले जी भर के?
चाट चाट चाट ! अब अपना हाथ मेरी पैंटी के अंदर डालो।
आंटी एक बार चूत तो दिखा दो अपनी।
आज नहीं, अगली बार।
और धीरे धीरे इसे सहलाओ।
छेद पर नहीं थोड़ा ऊपर। चूत के छेद से ऊपर जो थोड़ा उठा हुआ भाग है उसे क्लाइटोरिस बोलते हैं। औरतों को न सबसे ज्यादा मजा वहीं मिलता है।
चूत से भी ज्यादा?
हां।
आंटी आपको तो कितना पता है। आइ एम लकी कि आप मुझे सब बता रहीं हैं।
सहलाते रहो धीरे धीरे।
अब जरा स्पीड बढ़ाओ – जोर से और जोर से। बस। मैं आ गयी।
विकाश आज तुमने बड़े मजे दिये मुझे। ऐसे भी मैं किसी का उधार नहीं रखती।
मैं तुम्हें इनाम देना चाहती हूं।
क्या आइस क्रीम?
नहीं, उससे भी बढ़िया।
अरे, ये तुम्हारा पैंट के भीतर क्यों इतना कड़ा हो गया है?
कोई स्टील रोड छुपा रखा है क्या।v
नहीं तो?
क्या मैं खुद हाथ लगा कर देखती हूं।
जरा अपनी पैंट के जिप तो खोलो।
अरे तुम्हारा तो कितना मोटा लंड है।
आंटी आप इसको पकड़ते हो न तो बड़ा अच्छा लगता है।
कभी तुम्हारी गर्ल फ़्रेण्ड ने पकड़ा है इसे।
नहीं वो न शरमाती है शायद।
तो भूखों मरेगी साली। कोई नहीं मैं तुम्हें ऐसे तरीके सिखाउंगी कि इसके बिना जी नहीं पाएगी तेरी छोकरी। बस एक बार उसे आदत लगने दे। अच्छा ये जो मैं तुम्हारे लंड को दबा रही हूं ये कैसा लग रहा है?
बहुत अच्छा।
तो ले आज मैं तुझे हाथ से ही लाती हूं।
आंटी थोड़ा और जोर से दबाओ।
थोड़ा तेजी से प्लीज़।
और तेजी से।
फच फच फच।
ये मैंने आपका ब्लाउज़ खराब कर दिया और थोड़ा सा तो चेहरे पर भी पड़ गया, अरे आप इसे चाट क्यों रही हो?
तू चिंता मत कर आगली बार एक बूंद भी बाहर नहीं जयेअगा सारा मैं अंदर ले लुंगी।
आंटी आपके हाथों में तो जादु है।
तू देखता जा और कहां कहां जादु है साले। आंटी के तो अंग अंग में जादु है।
विकाश, ये जो मैंने तुम्हारी ट्रैनिंग करायी किसी को बताना नहीं।
जी ।
अपनी गर्ल फ़्रेण्ड को भी नहीं?
जी अच्छा।
और अपनी गर्लफ़्रेण्ड के ऊपर ट्राइ करके बताना उसे कैसा लगा?
जी।
पर करुंगा कहां?
सिनेमा हाल में, पार्क में, खाली क्लास रूम में, जहां मौका मिले।
वो कैसे?
और कभी ट्रैनिंग की जरुरत हो तो आ जाना।
तो आज शाम को आ जाऊं?
अरे बदमाश पहले ये ट्रैनिंग तो प्रेक्टिस करले रीता पर?
जब तुम्हारे अंकल नहीं हों तब आना ट्रैनिंग के लिये।
क्यों?
तुम्हारे अंकल न नहीं चाहते कि मैं किसी को ट्रैनिंग दूं। वो सारी ट्रैनिंग खुद ही लेना चाहते हैं
बड़े स्वार्थी हैं अंकल। Sex Stories
एक बेहद खूबसूरत लड़की ….जिसे Hindi Porn Stories देख कर ही लण्ड पानी छोड़ दे, इतना कमसिन बदन था उसका !
मगर बहुत ही तेज मिजाज होने के कारण किसी की हिम्मत नहीं होती थी उस के नजदीक जाने की …..
कई लड़के उसके नाम से मुठ ही मार पाते थे, मैं भी उसी मुठ-मार दल का सदस्य था ….
रहती मेरे पड़ोस में थी, मगर दूर की खुशी थी …
एक दिन उसके पाँव में चोट आई ….अकेले चल फ़िर नहीं सकती थी, और उसी दौरान उसके परिवार को किसी नजदीकी रिश्तेदार की शादी में जाना था …तो दो दिन उसको मेरी मॉम की निगरानी में छोड़ के मजबूरन उनको जाना पड़ा ….
अनजाने में वो आग का गोला मेरे हाथ भी लग गया ….
मॉम ने कहा कि उस को कंपनी देना तुम्हारा काम है और ये भी ध्यान रहे कि उसका ख्याल रखने में कोई कमी नहीं आनी चाहिए क्यूंकि उसके परिवार ने हमारे भरोसे उसे अकेला छोड़ा है …
मॉम से इज़ाज़त मिलते ही में उसके घर चला गया ….
मैंने पूछा- कैसी हो मधु ?
वो बोली- ठीक हूँ पैर में दर्द है और बुखार भी है शायद !
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! जब मैं आ गया हूँ बुखार भी गायब हो जाएगा ….मैं उस से बात करते हुए बातों में खुल रहा था और उसे भी मेरी बातों से दर्द कम होता महसूस हो रहा था …इतनी बातों में वो भी तल्लीन हो गई थी …
अचानक उसने कहा- यार मुझे पता नहीं था तुम इतने अच्छे दिल वाले हो ! मैं तुम्हें भी आम लड़कों की तरह चालू समझती थी, मगर तुम तो बड़े प्रतिभाशाली और अच्छे दिल वाले इंसान हो !
मैंने कहा- शुक्रिया मधु ….!
हमारी बाते चल रही थी कि उसने कहा- मेरे सर में दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- अगर तू इजाजत दे तो तेरे सर का ही नहीं, तेरे पाँव का दर्द भी मैं गायब कर दूँ …
उसने कहा- कैसे ?
मैंने कहा- तू सिर्फ़ इजाजत दे, फ़िर बताता हूँ ….
उसने हामी भर दी और मैं शुरू हो गया अपनी किस्मत के दरवाजे खोलने की कोशिश में …
मैंने धीरे से उसके सर पर किस की और उसके बालों को सहलाने लगा धीरे धीरे …उसको किस कर रहा था। फ़िर भी उसके चेहरे पर नाराजगी नहीं दिख रही थी तो मैं हिम्मत करके आगे बढ़ा और उसकी आँखों को चूमा बड़े प्यार से उसकी ओर देखा और अब हिम्मत भी आ गई यह देख के कि वो प्यार से पिंघल रही है …..मैंने उसके नाक पर किस की …उसके गालों पर किस की …
इस समय भी उसके बालों को सहला रहा था मैं और किस करते हुए आगे बढ़ रहा था …
अपने गरम होठों से उसके पूरे बदन को चूमने का तय कर लिया था अब मैंने ….
अब मैं उसके गले पर किस कर रहा था और गले के आसपास भी बहुत ही प्यार से किस कर रहा था और वो भी शायद उस प्यार में डूब रही थी.. आँखें मूँद के मेरे अस्तित्व को महसूस कर रही थी …
मैंने हिम्मत करके उसके स्तन पर किस की और उसी दौरान उसने मेरे मुँह को दोनों हाथो से पकड़ कर अपने स्तनों पर दबा दिया ..
मैं उसके बदन की खुशबू लेता हुआ वहीं पड़ा रहा ….
उसने कहा- मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही है ! प्लीज़ कुछ करो …
फ़िर मैंने उसके टॉप को निकाल दिया। मैं बहुत ही प्यार से उसके कपड़े उतार रहा था और उसे चूमे जा रहा था ..
अब उसके बदन पर सिर्फ़ ब्रा पैंटी ही थी ….
मैंने उसके बदन पर मेरी निगाह डाली तो देखता ही रह गया ..गुलाबी बदन चमक रहा था ! इतनी सेक्सी लग रही थी वो कि मुझे ख़ुद पर कंट्रोल पाना मुश्किल था, लण्ड बेहद तन गया था और दर्द कर रहा था। मगर अभी कुछ करना, बना बनाया खेल बिगड़ना सा लगता था ….
तो मैं फ़िर से उसे चुम्बनों से नहलाने लगा। स्तनों से अब थोड़ा नीचे आया, उसके समतल पेट को चूमा और अब उसकी नाभि की ओर बढ़ा।
अपनी जीभ को घुमाया उसकी नाभि में और चाटना शुरू किया हौले हौले नाभि के आस पास जीभ को गोल गोल घुमाते हुए उसे चाट रहा था …उसके बदन में गर्मी बढ़ रही थी ….वो दबे मुँह सिसकियाँ ले रही थी और उसका गोरा सा बदन मचल रहा था। मगर अब भी वो चुपचाप मजे ले रही थी कोई हरकत नहीं कर रही थी ….
मैं चूमते हुए धीरे धीरे नाभि के नीचे पहुँचा और अब मेरा मुँह उसकी पैंटी के ऊपर था …पैंटी से ही उसकी चूत को चूमा और मुँह को दबाया उसकी चूत पर और तब मैंने देखा कि उसका बदन तेजी से मचल रहा है ….
मैंने धीरे से उसकी पैंटी को नीचे सरकाया …वाह क्या पिंकिश चूत थी उसकी …
बिल्कुल साफ़ सुथरी और थोड़ी सी नम ! ऐसा लगता था मानो गुलाब की पंखुड़ियों से बनी हुई है उसकी चूत जो उसकी गोरी सी चिकनी जांघों के बीच सोई पड़ी थी, आज जाग गई है …
मैंने चूत की ऊपर की किनारी से चूमना शुरू किया और गोल गोल मुँह को घुमाते हुए उसकी चूत को चूमने लगा …बहुत ही मीठी खुशबू उसकी चूत से आ रही थी और मैं पागल हुए जा रहा था …उसकी चूत के बीच के हिस्से में मैं चूम रहा था …चूत गीली हो गई थी और फ़ूल गई थी …बीच का रास्ता खुलता हुआ नजर आ रहा था और उसमें से चूत की गहराई झलक रही थी ….
मैंने अपना कंट्रोल खोते हुए दोनों हाथों से चूत को फैला दी और चूत में जीभ घुसेड़ दी और चाटने लगा और चाटते हुए उसकी गांड को सहलाने लगा। उसी वक्त मैंने मेरे लण्ड पर उसके हाथ को महसूस किया और मैं जोर जोर से चूत चाटने लगा, जीभ को पूरा चूत में घुसेड़ दिया और हिलाने लगा। …मेरा लण्ड मेरी पैन्ट से बाहर आ चुका था और अब उसके हाथों में खेल रहा था। अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी, मेरी जान पूरी तरह बेताब और तैयार थी चुदाने को !
मैं अब धीरे से ६९ की पोसिशन में आ गया और अपने लण्ड को उसके मुँह के पास कर दिया … लण्ड को इतना करीब देख के उससे भी रहा नहीं गया और चूत को चटाती रही और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया …ऐसे चाट रही थी मानों जन्मों की प्यासी हो और खा जाने वाली हो लण्ड को ! ….अब मैं अपनी पूरी रवानी में था, मेरा लण्ड उसके मुँह में चुदाई कर रहा था और मैं उसकी चूत को जीभ से चाट रहा था ….मैंने जीभ के साथ अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में घुसेड़ दी और चुदाई करता रह। साथ साथ एक ऊँगली उसकी गांड में भी घुसेड़ दी।
मैं मस्ती से गांड मार रहा था, चूत चोद रहा था और लण्ड चुसवा रहा था …मानो में जन्नत की सैर कर रहा था ….उसको चोदने की मुझे कोई जल्दी नहीं थी क्यूंकि एक दो बार ऊँगली से चोद के उसकी कंवारी चूत को मस्त बना के फ़िर चोदना था मुझे …. बहुत तेज रफ्तार से गांड और चूत की चुदाई हो रही थी और वो भी लण्ड को टट्टों से टिप तक चाट रही थी। कभी एकदम से लण्ड को मुँह में ले के आगे पीछे कर देती थी ….ऐसे ही कुछ पल गुजरे और हम दोनों झड़ गए …..
अब मैं उसकी बगल में आ गया और उसके साथ ही लेट गया। चँद मिनटों में मैंने उसके हाथ को अपने बदन को सहलाता पाया और मैं भी उसके बदन को सहलाने लगा ..मैं बहुत ही प्यार से उसके बदन को सहला रहा था। अपने पाँव मैंने उसके पाँव पर जमा दिए थे …. हम प्यार में डूबे जा रहे थे !
तभी उसने कहा- अब मैं सिर्फ़ तेरी हूँ ! जी भर के मेरे साथ जितना प्यार करना है कर !! मैं तेरे हवाले हूँ ….!!!
मैंने उसके बदन को जोर से सहलाना शुरू किया और उसकी ब्रा को अब निकाल दिया उसके मशरूम से बदन पर उसके स्तन क़यामत ढा रहे थे। मैं धीरे धीरे उसे सहलाने लगा, गोल गोल मालिश करते हुए उसके स्तनों को मसल रहा था।
अब उसके अनछुए होठों पर अपने गरम होठों को रख दिया और चूमने लगा, स्तन मसल रहा था और होठों का रस पी रहा था, वो भी मस्ती से साथ निभा रही थी !
हम दोनों अब होठों से होठों का रस पी रहे थे और उसके स्तनों को निचोड़ रहा था मैं ! वो भी मेरी गाण्ड को सहला रही थी। मैं उसके बूब्स और होठों पर टूट पड़ा था। धीरे धीरे बूब्स पर जोर बढ़ता गया मेरा और अब मैंने उसके चूचुकों को भी चुसना शुरू किया- चूचुकों पर जीभ घुमा रहा था, उसके बूब्स मेरे हाथो में मचल रहे थे और मैं चूचुकों के आगे पीछे गोल गोल जीभ घुमाते हुए बूब्स चाट रहा था। ….उसी दौरान मेरा लण्ड उसकी चूत पर रगड़ रहा था …उसकी चूत का गीलापन मेरे लौड़े पर महसूस हो रहा था, लौड़ा मस्त हुए जा रहा था … बूब्स गोरे से लाल होने चले थे ….
अब लण्ड को चूत पर पटकते हुए मैंने उसके बाएँ स्तन को मुँह में ले लिया चूसने लगा और दूसरे हाथ से दायाँ स्तन मसलने लगा …बारी बारी ये क्रम चलाते हुए उसकी चूत को मस्त कर रहा था मैं ……
उससे रहा नहीं गया और पहली बार वो बोली- मेरी जान ! अब मैं सहन नहीं कर पा रही हूँ ! कुछ हो रहा है मेरी चूत में !! अपने लौड़े को उसमें डाल दो …. !!!
मेरे बहुत कहने पर भी वो चूत और लण्ड नहीं बोल रही थी। मैंने सोचा- कोई बात नहीं ! काम वही है प्यार से चोदने का ! चूत हो या पस्सी…..
उसके बूब्स को छोड़ के मैंने उसके पैरो को दोनों हाथो से फैला दिए ….उसकी चूत में उसकी शिश्निका मोती सी चमक रही थी जो इस वक्त सख्त हो गई थी …
चूत से पानी निकल रहा था, मैंने इस मस्त चूत पर अपने लौड़े को रख दिया और उसको गांड से ऊपर करके धक्का दे दिया, चूत में लण्ड थोड़ा सा घुसा और रुक गया। चूत इतनी कसी हुई और रसीली थी कि मेरा लण्ड चूत की गहराई नापने के लिए उतावला हो रहा था।
मगर मुझे पता था कि कुंवारी चूत को हौले से चोदना है …मैंने लण्ड को गहराई में ना ले जाते हुए धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया ….
लण्ड का मजा लेते हुए वो इतनी मस्त हो गई कि बोली- अब कोक को घुसेड़ ! दो मेरे दर्द की परवाह मत करो …… !!
मैंने तुंरत लण्ड को जोर का धक्का दिया और चूत में घुसेड़ दिया ….उसका योनि-पटल फट चुका था और खून निकल रहा था।
कुछ देर मैं उसकी चूत को लण्ड से सहलाता रहा और जब लगा कि अब कोई खतरा नहीं, मैंने लौड़े की रफ्तार तेज कर दी …
गांड से चूत को लण्ड पर दबाये रखे चूत चोदने लगा ….
बूब्स को मुँह में ले के चूसने लगा और चूत की चुदाई करता रहा …..
वो चिल्लाने लगी- फ़क मी फ़ास्ट !
और मेरा लण्ड बरस पड़ा उसकी चूत पर !
घमासान जंग शुरू हो गया ! चूत और लण्ड के बीच जैसे होड़ लगी थी कि कौन ज्यादा मस्ती देगा लण्ड या चूत …
पहली बार चुदाने के बावजूद इतनी मस्ती से चुदाई करा रही थी कि मजा दुगना हो रहा था … गांड को उछाल रही थी वो !
और लण्ड तेज रफ्तार से चूत फाड़ रहा था ….
हाथ अपना कमाल दिखाते हुए बूब्स को मसल रहे थे और मुँह उसके मशरूम से बदन को चाट रहा था …..
हम दोनों मंजिल की ओर बढ़ रहे थे तब मैंने लण्ड को चूत में से बाहर निकल दिया।
वो चिल्लाने लगी- चोऽऽऽऽदोऽऽऽ मुझे ! मैं मर जाउँगी बिना लण्ड के …. !!
जैसे ही उसने लण्ड बोला, मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रख दिया और लोड़े को जोर का धक्का देते हुए उसकी चूत में घुसेड़ दिया ….
क्या चूत थी उसकी ! मेरा लोहे सा गरम लण्ड उसकी चूत की गर्मी को ठंडा करने को मचल पड़ा ….
लौड़े ने चूत की गहराई नाप ली थी और जोर जोर से चूत को फाड़े जा रहा था !
बूब्स हाथो में खेल रहे थे और चूत चुदाई हो रही थी ….
मंजिल करीब आ रही थी और लोड़े की रफ्तार तेज हो गई थी ….
वो उछल उछल के चुदाई करा रही थी … और लौड़ा पूरी रवानी से चूत चोद रहा था ….
आख़िर हम दोनों ने मंजिल पा ली …निढाल सा मैं उसके बदन पर पड़ा था और वो भी निढाल सी पड़ी हुई लम्बी साँसे ले रही थी …….
हमने एक ही दिन में प्यार के साथ चुदाई का मजा लिया ……
हम दोनों एक दूसरे को सहलाते हुए चुदाई के उस स्वर्गीय आनंद को महसूस कर रहे थे …..
दोस्तों यह मेरे पहला प्यार आज मेरे घर की रानी बनकर मेरे आँगन को महका रहा है और मेरे लौड़े का हर तरह की गालियों से स्वागत करते हुए उसकी चूत चुदवा रहा है …..
जो चूत तक नहीं बोलती थी वो मेरी रानी आज मादरचोद ! चोदो मेरी चूत को ! फाड़ दो ! तक बोलने लगी है ….शादी के बाद की चुदाई का किस्सा फ़िर कभी ….
आपको मेरी ये प्यार की कहानी कैसी लगी मुझे लिखियेगा जरूर …. Hindi Porn Stories
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