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Massage Girl in Ahmedabad: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Ahmedabad who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Ahmedabad that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Ahmedabad massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Ahmedabad who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Ahmedabad massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Ahmedabad massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Ahmedabad who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Ahmedabad employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Ahmedabad helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Ahmedabad

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Ahmedabad at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

बीकानेर के होटल में एक ही Hindi Sex Stories रात में तीन बार मेरी गाण्ड मारने के बाद बड़े जीजाजी को एक सप्ताह तक फ़िर मेरी गाण्ड मारने का मौका ना मिल सका। उन्होंने कई बार मौका निकाला पर वह सफ़ल नहीं हो सके।

हालांकि मुझे गाण्ड मराने में आनन्द तो आया था परन्तु मुझे यह सब अच्छा नहीं लगा था। मन में डर भी था। सेक्स के बारे में मुझे उस समय कोई जानकारी भी नही थी । पहली बार मैंने मुत्तु (लण्ड) और गांड का ऐसा उपयोग होते देखा था। गाण्ड के छेद में लण्ड घुसने पर मुझे बड़े जोर का दर्द होता था तथा टायलेट में भी तकलीफ होती थी इसलिए गांड मराने में मजा आने के बाद भी मैं बड़े जीजाजी से बच के रहता था पर वह कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने मौका निकाल ही लिया।

जंगल की सैर कराने के बहाने वह मुझे अपने साथ जंगल ले आए। सुबह सुबह वह और मैं जीप से जंगल के लिए निकले। करीब चार घंटे के सफर के बाद हम जंगल में उनकी ड्यूटी-पॉइंट पर पहुँचे। यह बड़ी ही खूबसूरत जगह थी। बीच जंगल में उनके रहने के लिए दो वृक्षो पर जमीन से करीब दस फीट ऊपर लकड़ी का दो कमरों वाला मकान बना था, जिसमें उपयोग के लिए सभी सामान था। बड़े जीजाजी जब भी जंगल में रहते वह इसी काष्ठ-घर में रुकते थे।

उन्होंने अपनी सेवा के लिए दो छोकरे रख रखे थे उनमें से एक नेपाली था तथा एक आदिवासी, लेकिन दोनों ही चिकने और आकर्षक थे। नेपाली का नाम शिव था तथा आदिवासी लड़के का नम शायद मथारू था। उनकी चाल ढाल देख कर ही मुझे लगा कि जीजाजी ने गांड मारने के लिए ही इन्हें रख रखा है।

जंगल में पहुँच कर जीजाजी ने दोनों से खाने की व्यवस्था करने को कहा तथा मुझे लेकर वह ऊपर कमरे में आ गए। आते ही वह बोले- योगेश तुम नहा कर तैयार हो जाओ।

मैं नहाने के लिए बाथरूम में चला गया पर वहां दरवाजा नहीं था, सिर्फ़ एक परदा लगा था। मैं नहाने लगा, तभी जीजाजी भी वहां आ गए। उन्होंने मुझे पकड़ कर मेरी चड्डी उतार दी तथा मेरी पीठ, जांघ और गाण्ड पर साबुन मलने लगे। बीच बीच में वह मेरी मुत्तु को भी सहला देते तथा मेरे गाण्ड के छेद में भी साबुन भर कर उंगली डाल देते।

मुंह पर साबुन लगा होने के कारण मेरी आँखें बंद थी। मैंने महसूस किया कि जीजाजी भी पूरी तरह नंगे हैं तथा मेरा हाथ पकड़ कर वह अपने लण्ड को सहला रहे हैं। मैंने पहली बार उनका लण्ड पकड़ा था। उसकी लम्बाई और मोटापन महसूस कर मैं डर सा गया कि इतना बड़ा और मोटा लण्ड कैसे मेरे छोटे से छेद में घुस जाता है।

जब उनका लण्ड पूरे जोश में आ गया तो उन्होंने थोड़ा और साबुन मेरे गाण्ड के छेद में लगा दिया तथा अपने लण्ड को मेरे छेद से टिका दिया।

उन्होंने एक जोर का धक्का दिया लण्ड का सुपारा अब मेरी गांड के अन्दर था। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई। बेरहम जीजाजी ने मेरी गाण्ड को थोड़ा सा दबाया और दोनों दोनों फांको को फैला कर छेद में अपना पूरा लण्ड घुसेड़ दिया तथा धीरे धीरे धक्के लगाने लगे।

थोड़े दर्द के बाद अब मुझे भी मजा आने लगा। जीजाजी पूरे जोश में थे। मुझे घोड़ा बनाकर लगातार लण्ड अन्दर बाहर कर रहे थे। बाथरूम फच फच की आवाज़ से गूँज रहा था। 15 मिनट बाद उन्होंने पिचकारी मेरे गाण्ड के छेद में ही छोड़ दी। उन्होंने ही मेरी गाण्ड साफ की तथा नहलाया। नहाने के बाद उन्होंने पूछा- योगी मजा आया। में शरमा गया, कोई जवाब नही दिया।

इसी बीच शिव और मथारू ने खाना तैयार कर लिया था। खाना खाने के बाद जीजाजी ने थोड़ी देर आराम किया। मुझे भी अपने पास लिटा कर मेरे लण्ड को सहलाया तथा उसे मसला भी। मेरे गाण्ड के छेद में उंगली डाली, मुझे मजा तो आ रहा था पर न जाने क्यूँ यह सब मुझे बहुत अच्छा नहीं लगा। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। वह पूरी तरह तन्नाया हुआ था।

उन्होंने मेरे मुत्तु को मसला तथा फिर मुझे तिरछा कर मेरी चड्डी नीच खिसका दी और मेरे गाण्ड के छेद में उंगली करने लगे। फिर उन्होंने कोई तेल मेरे छेद पर मला तथा अपने लण्ड पर भी लगाया। तिरछा लेटे होने के कारण वह मेरी गांड में अपना लण्ड नहीं घुसा पा रहे थे।

उन्होंने मुझे पलट कर उल्टा कर दिया तथा वह मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गए। मेरे दोनों गाण्ड को मसला तथा उन्हें फैला कर मेरी गांड के छेद में एक जोर का धक्का मार कर एक ही बार में पूरा का पूरा लण्ड घुसेड़ दिया।

मैं दर्द से बिलबिला उठा। मेरी चीख निकल गई पर वह नहीं माने। वह लगातार धक्के पर धक्के मरे जा रहे थे। मुझे मजा तो आने लगा पर मेरे आंसू भी भी निकले। करीब 15 मिनट बाद वह झड़ गए और सारे का सारा रस मेरे गाण्ड के छेद में ही निकाल दिया।

जंगल में जीजाजी का चार दिन रुकने का प्रोग्राम था। दो घंटो में ही उन्होंने दो बार मेरी गांड मार ली। मैंने मन ही मन हिसाब लगाया कि यदि जीजाजी ने इसी रफ्तार से मेरी गांड मारी तो मैं तो मर ही जाऊंगा। उनका मोटा लण्ड घुसते समय बड़ा दर्द देता था तथा मेरी गांड से खून भी निकाल आता था। लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था चुपचाप गांड मराते रहने के।

पहले ही दिन संध्या समय तक जीजाजी ने एक बार मेरी गांड और मारी तब वह मुझे जंगल की सैर कराने ले गए। जंगल काफी खूबसूरत था। प्राकृतिक सुन्दरता, हिरण, बारहसिंगे, नीलगाय और मोर देख कर मन खुश हो गया।

लौटते लौटते रात के आठ बज गए। खाना तैयार था। हमने खाना खाया और मैं सोने के लिए लेट गया। मैं बहुत थक भी गया था। पर जीजाजी तो मेरी गांड का भुरता बनाने पर तुले थे। उस रात उन्होंने चार बार और मेरी गांड मारी। मेरी गांड का छेद फूल कर कुप्पा हो गया। पर मैं कर भी क्या सकता था। जंगल में मेरी सुनने वाला भी कोई नहीं था। वैसे भी मैं यह सब किसी से कह भी नहीं सकता था।

अगले दिन मेरी किस्मत से ख़बर आई कि जंगल में एक वन-रक्षक पर भालू ने हमला कर दिया है। जीजाजी को सुबह सुबह ही वहां जाना पड़ा। मैंने रहत की साँस ली। पर क्या मैं सचमुच राहत की साँस ले पाया, पढ़िये अगले अंक में…Hindi Sex Stories

मेरा नाम वसुंधरा है और मैं लखनऊ से हूं।
मेरी उम्र 35 साल है और फिगर 36 30 38 है।
कद 5 फुट 3 इंच और जिस्म गोरा है।

पेशे से मैं एक टीचर हूं और साथ ही साथ एक 10 वर्ष के बच्चे की मां भी!
मेरे पति एक मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते हैं और समय समय पर उनका तबादला होता रहता है।

मेरी पिछली कहानी
कुंवारी गांड फाड़ दी जीजू ने
और उससे पहले की दो कहानियों में आपने जाना कि कैसे मैं अपने छोटी बहन के पति आनन्द के साथ सेक्स कर बैठी.
यह पहली बार था जब मेरे पति के अलावा किसी गैर मर्द ने मेरा जिस्म भोगा हो।

अब मैं पहले से ज्यादा उत्तेजक हो गई थी और मेरा अंदाज भी बदल गया था. अब मुझमें शर्म ओ हया जरा कम हो गई थी और अब पुरुषों की अश्लील नजरें मुझे डराने की जगह उत्तेजित करती थी।
मेरी नजरें अब पराए मर्दों की तरफ जाना शुरू हो गई थी।
महीने में एक दो बार आनन्द मेरी प्यास बुझाते थे लेकिन अब मेरा मन किसी और मर्द के नीचे आने को लालायित हो रहा था।

मेरे पति विकास मेरी अदाओं से खुश रहते थे और मैं उनके साथ ज्यादा खुलकर संभोग करती थी।
लेकिन उनको कंपनी की वजह से अक्सर बाहर ही रहना पड़ता था और कभी कभी विदेश भी जाना पड़ता था इसलिए मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए कुछ अलग तौर तरीके खोजने पड़े।

हमारे स्कूल में शिवम् नाम का एक लड़का था जो कि मेरी ही क्लास में था।
पढ़ाई में उसका दिल नहीं लगता था और एग्जाम में हमेशा उसके कम मार्क्स ही आते थे।

क्लास टीचर होने के नाते उनके अभिभावकों से मिलने की जिम्मेदारी मेरी थी।

हर बार की तरह शिवम् इस बार भी फेल हो गया।
इसलिए मुझे ही उसके अभिभावकों से मीटिंग करनी थी।

मीटिंग के दिन लगभग सभी बच्चों के मां बाप आते थे।
शिवम् भी अपने पिता के साथ आया हुआ था।

उसके पिता का नाम आशुतोष था।
मैंने उनको देखा तो मुझे उनकी शक्ल जानी पहचानी लगी लेकिन मैंने उन्हें कहां देखा था, यह मुझे याद नहीं आ रहा था।
आशुतोष के 2 बच्चे और थे जो उसके साथ ही आए थे।

मैंने आशुतोष को सामने कुर्सी पर बिठाया और फिर शिवम् की शिकायत की।
मैंने कहा- आशुतोष जी, आपका बेटा बहुत लापरवाही करता है, पढ़ाई में हर बार कम नंबर लाने की वजह से उसका भविष्य संकट में पड़ सकता है।

आशुतोष ने कहा- माफी चाहता हूं मास्टरनी जी, मेरे पास इतना समय नहीं होता है कि मैं इनकी पढ़ाई करवा सकूं और मेरे पास इतनी आय भी नहीं है कि मैं इनकी कोचिंग का इंतजाम कर सकूं।

मैंने कहा- अगर आपके पास समय नहीं है तो अपनी बीवी से कहिए कि वो कुछ ध्यान दे. ऐसे तो काम नहीं चलेगा।

आशुतोष ने कहा- उसी का तो रोना है मास्टरनी जी, मेरी बीवी अब इस दुनिया में नहीं है।
यह कहकर वो जरा उदास हो गए।

मैंने उनसे संवेदना जताई, मैंने कहा- आप हिम्मत रखिए, ऊपर वाला जरूर आपको कोई रास्ता दिखाएगा। वैसे आप करते क्या हैं?
आशुतोष ने कहा- मैडम, मैं कपड़े की दुकान में काम करता हूं। सुबह बच्चों को स्कूल में छोड़ता हूं और छुट्टी के वक्त उनको लेकर घर जाता हूं।

मुझे यह सुनकर जरा बुरा लगा।
अभी उसकी उम्र भी 40 के आसपास थी और इस तरह से उसकी तकलीफ देखकर मुझे बुरा लगा।

मैंने कहा- ठीक है आशुतोष जी, आप जरा ध्यान रखिए बच्चों का! और अगर कोई जरूरत हो तो मुझे जरूर बताइएगा।
मैंने अपना नंबर उसे दिया और वो मुझे नमस्ते कर के चला गया।

अब मैं छुट्टी के बाद अक्सर उनको आते जाते देखती जहां वो अपने बच्चों को लेने आता था।

मैं उसे देखती तो वो दूर से ही नमस्ते कर देता।
इस तरह हमारा परिचय बढ़ा।

कुछ दिन बाद रविवार को मैं कुछ खरीददारी करने मार्केट में निकली तो सोचा कि कुछ अंडर गारमेंट्स खरीद लूं।

मैं एक होजरी शॉप में पहुंचीं तो वहां आशुतोष जी मिल गये।
उन्होंने यह तो बताया था कि वो कपड़े की दुकान में काम करते हैं लेकिन मुझे नहीं पता था कि वो इसी दुकान में काम करते हैं.
शायद इसलिए मुझे उनका चेहरा जाना पहचाना लग रहा था।

मैंने उनसे पूछा- आशुतोष भाई, ये दुकान आपकी है क्या?
आशुतोष ने कहा- अरे नहीं मैडम, हम यहां नौकर हैं, आज मालिक किसी काम से बाहर गए हैं इसलिए मैं अकेला हूं। बताइए क्या खिदमत करूं?

मैंने कहा- कुछ अच्छे ब्रा पैंटी के सेट दिखा दीजिए।
आशुतोष मुस्कुराए और बोले- मैडम, वैसे आपका साइज क्या है?

मैं उनकी मुस्कुराहट की वजह समझ रही थी।
मैंने कहा- जी ब्रा का 34 C और पैंटी 38″

आशुतोष ने मेरे सामने एक से एक बढ़िया डिजाइन की ब्रा पैंटी ला दी.
मैंने उनमें से अपनी पसंद को चुना और फिर आशुतोष ने मुझे डिस्काउंट भी दिया।

आशुतोष ने कहा- मैडम, मालिक डिस्काउंट के लिए मना करता है इसलिए उसे मत बताना कि मैंने आपको डिस्काउंट ऑफर दिया है।अगर आप होम डिलीवरी लेना चाहो तो मैं जुगाड़ कर सकता हूं, आपको सस्ती भी पड़ जाएगी और मेरी नौकरी भी बची रहेगी।

मैंने उसे अपना पता दिया और फोन नंबर भी!
उसके बाद मैं उसकी दुकान से निकल गई।

अब नंबर मिलने के बाद हमारे बीच बातें भी होने लगी और हमारी अच्छी दोस्ती हो गई।
फिर हम दोनों जरा खुलकर बातें करने लगे।

एक रात आशुतोष ने मुझसे कहा- मैडम जी, आप वो लाल नेट वाली ब्रा पैंटी पहना करिए, आपके पति तो देख कर ही मदहोश हो जायेंगे।
मैंने कहा- पहन कर दिखाऊंगी किसे, मेरे पति तो बाहर टूर पर हैं।

आशुतोष ने पूछा- आप अकेली रहती हैं, आपको डर नहीं लगता?
मैंने कहा- नहीं, बेटा रहता है यहां साथ में तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है।

आखिर में आशुतोष ने कहा- मैडम जी, कभी कोई जरूरत हो और आपके पति शहर में न हों तो बताइएगा, ये आशुतोष हर तरह से आपके काम आयेगा।

मैं उसका इशारा समझ रही थी लेकिन मैंने अनजान बने रहने में ही अपनी भलाई समझी।

खैर इसी तरह हमारी बातचीत चलती रही और मैंने एक दो बार आशुतोष को अपने घर भी बुलाया.
वो मेरे लिए बड़ी ही चुनिंदा ब्रा पैंटी लाकर देता था और अब हम अच्छे दोस्त बन चुके थे।

इसी बीच करवा का त्यौहार आ गया।
मेरे पति इस दौरान टूर पर थे और कुछ दिन बाहर ही रहने वाले थे।
इस तरह मुझे करवा अकेले मनाना था।

त्यौहार के एक दिन पहले अचानक रात को मेरी डोरबेल बजी, देखा तो सामने आशुतोष भाई थे।

मैंने पूछा- आशुतोष भाई आप? वो भी इस वक्त? सब खैरियत तो है?

आशुतोष ने कहा- जी मैडम, सब खैरियत है. मैं आपके लिए कुछ लाया था, सोचा कि आपको पसन्द आयेगा, आप देख लीजिए और कॉल करके बताइएगा कि कैसा है।
यह कहकर वे चले गए।

मैंने उनका तोहफा खोला तो उसमें एक डार्क रेड रंग की ब्रा पैंटी का सेट था जिसमें गोल्डन चेन लगी हुई थी और उस पर फूल काढ़े गए थे।
ये पारदर्शी थी और हुस्न को बेहद खूबसूरत तरीके से सामने लाने वाली थी।

देखने में काफ़ी महंगी जान पड़ती थी और ऐसी ब्रा पैंटी लड़कियां अक्सर हनीमून के दौरान पहनती हैं।

मुझे उनका तोहफा पसन्द आया और मैंने उन्हें शुक्रिया का मैसेज कर दिया।

10 मिनट बाद उन्होंने कुछ तस्वीरें भेजी जिनमें एक मॉडल उसी सेट को पहनकर पोज दे रही थी।

आशुतोष भाई ने लिखा- आप इसे पहनकर बेहद खूबसूरत दिखेंगी और आपकी करवाचौथ की रात खुशनुमा रंग में रंग जाएगी।

मैंने उन्हें बताया कि इस बार मुझे त्यौहार अकेले ही मनाना होगा क्योंकि पतिदेव टूर पर हैं और मेरा बेटा भी नानी के यहां गया है।
आशुतोष भाई ने लिखा- अरे, आप खुद को अकेला मत समझिए, हम हैं ना आपकी खुशियां बांटने के लिए। कल हम आपके यहां आ जायेंगे और फिर आप अपना त्यौहार मनाइयेगा।

हमने एक दूसरे को गुड नाईट कहा और मैं अगले दिन का इंतज़ार करने लगी।

आज मेरे दिल में एक अजीब सी कश्मकश थी कि कहीं मैं गलत तो नहीं कर रही हूं.

लेकिन आशुतोष भाई के लिए मेरे दिल में भी काफ़ी कुछ था इसलिए मैंने घटनाक्रम को ऐसे ही चलने देने का फैसला किया।

मैंने खुद को अच्छे से साफ किया और फिर अपनी योनि और बगल के बाल साफ़ किए।

शाम को मैंने ख़ुद को अच्छे से सजाया और फिर वही ब्रा पैंटी पहन ली जो आशुतोष भाई ने दी थी।
ऊपर से मैंने लाल साड़ी और ज्वैलरी पहनी; साथ ही बैकलेस ब्लाउज भी।

मुझे करधनी पहनने का बहुत शौक है और मैं उसे खास मौकों पर ही पहनती हूं।
मैंने एक गजरा लगाया और खुद को दुल्हन की तरह सजा कर तैयार हो गई।

शाम को चांद निकलने से 15 मिनट पहले आशुतोष भाई आए और उनके हाथों में कुछ फल थे।
मैंने उनको अन्दर बिठाया और फिर पूजा अर्चना करने ऊपर छत पर चली गई और पूजा कर के पानी पीकर व्रत खोला।

नीचे आकर मैं आशुतोष भाई से मिली और उन्होंने खुद ही मेरे लिए कुछ फल काट कर रखे थे।
उन्होंने मुझे अपने हाथों से फल खिलाए.
बदले में मैंने भी उनको फल खिलाकर अपना फर्ज अदा किया।

आशुतोष भाई ने मेरी बहुत तारीफ की- मैडम जी, आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हैं। अगर मैं आपका पति होता तो आपको बिल्कुल भी अकेला न छोड़ता।

मैंने उनको थैंक्स कहा और बोली- पतिदेव पैसे छापने में लगे हैं, उनको बीवी से ज्यादा पैसा प्यारा है।

आशुतोष- आपको अपना ख्याल रखना चाहिए मैडम जी, वैसे आपने वो लौंजरी पहनी है या नहीं जो हमने आपको दी थी?

मैंने कहा- जी वही पहनी हुई है लेकिन मेरे पतिदेव तो यहां हैं नहीं जो उसे देखकर मेरी तारीफ करते। मेरे पहनने का क्या फायदा हुआ? जंगल में मोर नाचा किसने देखा?

मेरे भाव देख कर आशुतोष भाई का हौसला जरा बढ़ गया- आपके पति ने ना सही, लेकिन मोरनी को हमने तो आज देख लिया है और वो बेहद खूबसूरत लग रही है।

मैं आशुतोष की बात सुनकर मुस्कुरा दी और कहा- ठीक है ठीक है, अब रुकिए मैं आपके लिए चाय बना देती हूं।

मटकती हुई मैं किचन में चली गई तो आशुतोष भाई भी मेरे पीछे आकर खड़े हो गए।
उनकी नजरों से मेरे जिस्म का एक्सरे हो रहा था और मुझे भी मज़ा आ रहा था।

आशुतोष भाई ने कहा- मैडम, आप सच में अप्सरा लगती हो। आपकी ज्वैलरी भी बहुत उम्दा लग रही है आप पर!
यह कहकर वो मेरी करधनी को टटोलने लगे और मैंने कोई विरोध नहीं किया।

मैं बोली- ये मुझे मेरी ननद ने दी थी, मेरी मुंह दिखाई की रस्म में!

फिर उन्होंने अपने हाथ मेरे कमर पर रखे तो मेरे जिस्म में एक सनसनी दौड़ गई।

तभी उन्होंने हाथ मेरी साड़ी पर फेर कर कहा- और ये किसने दी थी मैडम जी?
मैंने कहा- ये मेरी सासू मां ने दी थी, मेरी गोद भराई की रस्म में!

आशुतोष- बड़ी रेशमी और मुलायम है, आप पर खूब फबता है ये रंग!

यह कह कर उन्होंने धीरे से मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी कमर सहलाई और फिर हाथ मेरी नाभि पर ले गये।
उसकी गोलाई में अपनी उंगली डाल कर उन्होंने मुझे गुदगुदी की तो मुझे हंसी आ गई।

मैंने कहा- भाई, ये क्या कर रहे हैं आप? मुझे गुदगुदी हो रही है।
उन्होंने कहा- आपके हुस्न को देख रहा हूं मैडम जी, ऊपर वाले ने आपको बेहद खूबसूरती से तराशा है।
ये कहकर उन्होंने मेरे दाएं कंधे पर एक चुम्बन दे दिया।

उनकी दाढ़ी की चुभन ने मुझे हैरानी में डाल दिया।
उनके हाथ मेरी कमर में लिपट गए थे और उनकी गर्म सांसे मेरी त्वचा से टकरा रही थी।

उधर गैस पर चाय उबल रही थी और इधर अंतर्मन में मेरे जज़्बात।

अचानक उन्होंने मेरी गर्दन पर हाथ रखा और कहा- मैडम जी, आपकी चेन बहुत मोटी है, ये किसने दी?
ये कहकर वो धीरे धीरे मेरी चेन को सहलाने लगे।

मैंने कहा- ये मेरे पति ने दी थी, सुहागरात पर!
आशुतोष भाई- आपके पति की पसन्द बेजोड़ है, जेवर और औरत दोनों मामलों में!
यह कहकर उन्होंने मेरे गले को चूम लिया।

क्योंकि मैं कोई विरोध नहीं कर रही थी इसलिए उन्होंने भी मौके का पूरा फायदा उठाया।

अब मुझे अपने नितम्बों के पास कुछ चुभता सा महसूस हुआ, मैं समझ गई कि ये आशुतोष भाई का लंड है।

उन्होंने कहा- मैडम जी, आप ने सबकी दी हुई चीजें तो पहन ली, लेकिन मेरा गिफ्ट पहना या नहीं?
मैं उनकी शरारत समझ गई।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा- अभी बताया तो … सबसे पहले आपका ही दिया हुआ गिफ्ट पहना है आशुतोष भाई!
आशुतोष भाई ये सुनकर और खुश हो गए- फिर तो मेरा उस गिफ्ट को देखना बनता है मैडम जी!

यह कहकर उन्होंने मेरे ब्लाउज की डोरी खोल दी तो मेरा ब्लाउज ढीला पड़ गया और मेरी पीठ नंगी हो गई।

मेरी पीठ पर उनकी दी हुई ब्रा की स्ट्रैप साफ दिख रही थी।
आशुतोष भाई ने उस स्ट्रैप पर हाथ फेरा और कहा- ये लाल ब्रा आपके ऊपर बहुत सैक्सी लग रही है मैडम जी।

अब चाय उबल पड़ी लेकिन किसी को फुर्सत नहीं थी उसे पीने की।

उन्होंने कहा- मैडम जी, आपके गहने बहुत महंगे हैं, आप इनको उतार दीजिए वरना गुम हो गए तो बड़ा नुकसान हो जायेगा। आप इनको रख दीजिए तब तक हम कुछ खाने का इंतजाम करते हैं।
मुझे भी उनकी बात सही लगी।

मैंने हामी भरी और बेडरूम की तरफ चल दी।
अपने सारे जेवर मैंने निकाल दिए मंगलसूत्र को छोड़कर!

अभी मैंने अलमारी लॉक की ही थी कि तभी पीछे से आशुतोष भाई आ गए।
आते ही उन्होंने दरवाजे की चिटकनी लगाई, उनका इरादा साफ था।

मेरे ब्लाउज की डोरी अभी भी खुली हुई थी और वो ढीला पड़ गया था।
आशुतोष भाई मेरे पास आए और उन्होंने कहा- मैडम जी, सारे जेवर निकाल दिए ना?

मैंने हामी भरी तो उन्होंने कहा- ये मंगलसूत्र आपके गले में क्या कर रहा है?
मैंने कहा- इसे मैं नहीं उतार सकती आशुतोष भाई, ये मेरे सुहागन होने की निशानी है।
आशुतोष भाई मुस्कुराए और फिर बोले- जैसी आपकी मर्जी मैडम जी, मुझे लगा था कि आप अपने पति से प्यार नहीं करती।

फिर मुझे उन्होंने आईने के सामने खड़ा किया, वो आइना मेरी ही लम्बाई का था।

फिर वो मेरे पीछे आए और कहा- आपने मेरा दिया हुआ तोहफा भी पहना है ना?
मैंने कहा- जी आशुतोष भाई, ये आपका ही दिया हुआ तोहफा है। कितनी बार पूछेंगे आप?

आशुतोष ने शरारती अंदाज में कहा- मैं कैसे मान लूं?
मैंने भी पलट कर कहा- तो देख कर तसल्ली कर लीजिए।
उन्होंने पीछे से ही मेरा पल्लू नीचे गिरा दिया और फ़िर मेरे ब्लाउज को सरका कर मेरे जिस्म से अलग कर दिया।

मैंने भी उनका साथ बखूबी दिया और ब्लाउज उतारने में उनकी मदद की ओर उसे शृंगारदान पर रख दिया।

अब मैं उनके सामने ब्रा और साड़ी में खड़ी थी और वो मेरे पीछे खड़े हुए थे।

उन्होंने मेरी गर्दन पर हाथ फेरा और कहा- ये ब्रा तो वही है मैडम जी, आपके पति अगर आपको इस तरह ब्रा में देख लेते तो वो दुनियादारी भूलकर आपको खुश करने में लगे रहते।
यह कहकर उन्होंने खुद को मेरे बदन से सटा दिया और मेरे पेट पर अपना बायां हाथ रख कर मुझे अपनी ओर खींच लिया।
उनका हथियार बहुत तना हुआ था।

धीरे धीरे उन्होंने मेरे गले पर चुम्बन देना शुरू कर दिया और उनकी पकड़ कड़ी होती चली गई।

उन्होंने फिर मेरे क्लीवेज पर हाथ फेरा और कहा- मैडम, आपके लिए चुनिंदा ब्रा लाया था, आखिर कार मेरी मेहनत सफल रही।
यह कहकर उन्होंने अपनी एक उंगली ब्रा की दरार में घुसा दी और मेरे क्लीवेज सहलाने लगे।

उनके होंठ मेरी गर्दन पर लिपटे हुए थे और मैं बेसुध सी खड़ी अपने लुटने का इंतज़ार कर रही थी।
मेरा मंगलसूत्र उनकी उंगलियों से उलझ रहा था और वो लगातार मेरी दरार को गहरा करने में लगे थे।

उन्होंने मेरा गजरा खोल दिया और फिर मेरी चोटी भी, मेरे खुले बालों को उन्होंने पोनी टेल की तरह समेटा और फिर उन्हे पकड़ कर मेरे सर को अपने काबू में कर लिया।

अब उन्होंने मेरे कानों को धीरे धीरे अपने दांत से कुरेदना शुरू किया और मुझे उत्तेजित करने लगे।
मैं खड़ी आंखें बंद किए आहें भरती जा रही थी।

उन्होंने अपना कुर्ता उतार दिया और मेरे सामने नंगा सीना लेकर खड़े हो गए।
उनकी छाती पर बाल थे जो उनके पेट से होकर नीचे तक पहुंच रहे थे।

उन्होंने मुझे ड्रेसिंग टेबल पर बिठा दिया और आकर मेरे सामने खड़े हो गए।
मेरी सांसें तेज हो चली थी और मेरे माथे से पसीना बहा जा रहा था।

आशुतोष भाई ने मेरे हाथों की चूड़ियां उतार दी और फिर मेरी कलाइयां पकड़ कर अपने काबू में की।
मैं अब उनके रसभरे होंठों का स्पर्श पाने का इंतज़ार कर रही थी लेकिन उन्हे मुझे तरसाने में मजा आ रहा था।

मैंने खुद पर से काबू खो दिया और अपने अधरों को उनके होंठों के सुपुर्द कर दिया।

उउम्मझ
ऊम्म्ह्ह
आशुतोष ऊऊम्म
इस तरह की आवाज़ें गूंजने लगीं।

उन्होंने मेरी कलाइयां छोड़ी और फिर मेरी टांगें फैला दी और आकार बीच में खड़े हो गए।
मैंने कैंची की तरह अपनी टांगें उनकी कमर से लपेट ली।

आशुतोष भाई ने मेरी साड़ी ऊपर सरकानी शुरू कर दी और फिर मेरी जांघों पर लाकर मेरी जांघें मसलने लगे।
मैं बहुत उत्तेजना में थी और अपने होंठों को उनके होंठों से सटा कर उनका रस पी रही थी।
काफ़ी देर तक आशुतोष भाई मुझे यूं ही उत्तेजित करते रहे।

मैं भी अब शर्म लाज भूल चुकी थी।
उन्होंने कहा- मैडम जी, आपने ब्रा तो दिखा दी, पैंटी नहीं दिखाएंगी क्या?

मैंने आशुतोष भाई की बात सुनकर खुद को खड़ा किया और अपनी साड़ी उतार दी।
आशुतोष ने मेरी साड़ी पर कोई दया नहीं दिखाई और उसे वहीं जमीन पर छोड़ दिया।

फिर अपने हाथ उसने मेरे नितम्बों पर रखे और फिर मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया।
मेरा पेटीकोट शाख से छूटे पत्ते की तरह नीचे जमीन में सरक गया।

मेरी पैंटी उनकी आंखों के सामने आई तो उन्होंने झट से मेरे गोल नितम्बों को मुट्ठी में भर लिया और एक चपत लगाई।
सटाक!

मेरे मुंह से आह निकल पड़ी- आशुतोष भाई, ये क्या कर रहे हैं आप? दर्द होता है।
आशुतोष भाई हंसे और बोले- कपड़े की क्वालिटी चेक कर रहा था मैडम, कहीं कमजोर तो नहीं है।

मैंने कहा- क्वालिटी घर जाकर चेक कर लीजिएगा, जाते वक्त मैं इसे आपको वापस लौटा दूंगी।
वे हँसे और बोले- अरे मैडम इतनी भी क्या जल्दी है? अभी तो पूरी रात बाकी है।

आशुतोष भाई नीचे घुटनों पर बैठ गए और मेरी पैंटी का मुआयना करने लगे।
उस जालीदार पैंटी से मेरी गोरी चूत की चमक झलक रही थी।
उन्होंने उसे सूंघा और कहा- बड़ी मदहोश कर देने वाली खुशबू आती है आपकी पैंटी से मैडम!

फिर वो खड़े हो गए।
उनके इस तरह बार बार मेरी काम वासना जागने के बाद पीछे हट जाना मुझे रास नहीं आ रहा था।

मैं उनकी छाती से चिपक गई और खुद को उनके सुपुर्द कर दिया।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था।

उन्होंने मेरी पीठ सहलाई और एक झटके में ही मेरा हुक खोल दिया।
मैंने भी बखूबी उनका साथ निभाया और अपनी ब्रा को अलग कर के वहीं रख दिया।

अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी और मेरा गोरा बदन एलईडी लाइट में बेहद खूबसूरत लग रहा था।

बाहर पटाखों का शोर जारी था और इधर मेरे मन में मस्ती की लहरें उछल रही थी।
आशुतोष भाई ने बिना देरी किए मेरे स्तनों को अपने काबू में किया और अपने होंठों से उनका रसपान करने लगे।

वे मेरे निप्पलों को दांतों से भींचते और जब मैं आह करती तो उसे छोड़कर दूसरे से चिपट जाते।
इस तरह कई मिनट उनका स्तनपान चला।

मेरे स्तनों को जी भर कर पीने के बाद उन्होंने मुझे छोड़ा और मुझे सोफे पे बैठने को कहा।
मैंने वैसा ही किया।

उन्होंने मेरे बेड की चादर हटा दी और उसके गद्दे लेकर जमीन पर डाल दिया।
एक के ऊपर एक गद्दा बिछा कर उन्होंने उसकी ऊंचाई काफ़ी बढ़ा दी।

फिर उन्होंने मुझे बुलाया और इस गद्दे पर बिठा दिया और मेरे चेहरे के पास आकर खड़े हो गए।
उनका संकेत समझते मुझे देर न लगी।

मैंने अपने दांतों से उनके नाड़े को खींच दिया और उनका पजामा उतार दिया।
फिर उनके अंडर वियर पर हाथ फेरा और उसे कुतिया जैसे सूंघा।

आशुतोष भाई जमीन पर खड़े हो गए और मैं कुतिया जैसी घुटनों पर बैठ गई।
उन्होंने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए और अपने लिंग पर मेरा मुंह सटा दिया।

उनके अंडर वियर में उनका लिंग फुफकार रहा था और मैं उसे उसे अपने मुंह से सहलाती जा रही थी।

आखिर मैंने खुद ही उसको अंडरवियर से आजाद कर दिया और अपने होंठों को उस पर रख दिया।
उनका लिंग काफी लम्बा और मोटा था।

आशुतोष भाई ने अपना लंड मेरे गले तक धंसा दिया और जब मैं छटपटाई तो निकाल कर हंसने लगे।
फिर उन्होंने यही क्रिया कई बार की।

जब मैं उनके इस काम के साथ तालमेल बिठा चुकी तो उन्होंने मुझे आजाद कर दिया और मुझे गद्दे पर लेटा दिया।

गद्दे पर लेटते ही उन्होंने मेरी पैंटी उतार दी और अब मैं उनके सामने पूर्ण नग्न लेटी हुई थी।

मुझे चूमते हुए आशुतोष भाई नीचे की तरफ आए और उन्होंने मेरी योनि पर अपने होंठ टिका दिए।

उनकी जीभ मेरी योनि पर थिरक रही थी और उससे लगातार रस टपक रहा था जिसे आशुतोष भाई बड़े मजे से पी रहे थे।
उन्होंने अपने हाथ से मेरे चूत का द्वार खोला और फिर अपनी जीभ उसके अन्दर डालने लगे।

उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को मसल रही थी और मेरी चूत से रस लगातार बह रहा था।
आशुतोष भाई सिप सिप कर के उसे पिए जा रहे थे।
मैं लगातार अपने नाखूनों में गद्दे को नोच रही थी।

मेरी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थी और मैं मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी।
उसने भी साथ देते हुए तुरंत हाथ उठाकर मेरे स्तनों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया.

मैं अत्यंत मजे में थी.
और कुछ ही पलों में मैंने हिचकी लेने की तरह 10-12 झटके लिए और पतली चिपचिपी सी धार उसके मुंह में भरते हुए झड़ गयी।
आखिर कब तक मेरी मुनिया ये सहती!

वे मजे से सारे रस को पी गए।

मेरी सांसें तेज हो गई थी और तेजी से चल रही थी।

मैं जरा ठंडी हुई तो आशुतोष भाई ने मुझे अपने ऊपर 69 पोजीशन में बिठा लिया।
उनके मजबूत हाथ मेरे नितम्बों को मसल रहे थे।

उन्होंने मुझे अपने मुंह पर बिठा लिया और फिर मेरी योनि के साथ साथ मेरी गांड पर भी जीभ फिराने लगे।

मैं भी कुछ देर तक इस हरकत का मजा लेती रही और फिर मैंने अपने होंठ उनके लंड पर रख दिए।
‘उउम्म्ह्ह’
एक गहरा चुम्बन लेकर मैंने उनके लिंग को गीला किया और उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

उनके भूरे से लंड को चूसते हुए उसके आसपास के बाल मुझे चुभने लगे लेकिन मुझे उनका गुदगुदाना पसन्द आ रहा था।

उधर उन्होंने अपनी जीभ मेरी चूत से हटा कर मेरी गांड पर ले आए।
उन्होंने अपनी जीभ मेरी गांड की दरार पर चलानी शुरू की और इससे मुझे उत्तेजना के साथ साथ आनन्द का अहसास भी हो रहा था।

अब आशुतोष भाई ने मुझे सीधी किया और अपने ऊपर लिटा लिया और फिर मेरा चुम्बन लिया।
वो बैठ गए और मैं उनकी गोद में आ गई।

मैंने अपनी टांगें उनकी कमर पर लपेट ली और मेरी योनि अब उनके लिंग से सटी हुई थी।

आशुतोष भाई ने अपना लंड सीधा किया और उसे एडजस्ट कर के मेरी योनि के दरवाजे से लगा दिया।
मैंने अपनी बांहों में उन्हे कस लिया और अब वो लम्हा आ गया जिसके लिए हम दोनों ने इतनी मेहनत की थी।

उन्होंने धक्का लगा कर अपना लिंग मेरी योनि में उतार दिया।
आह, इस आवाज के साथ मेरी योनि में एक गर्म रॉड सा लंड उतर गया और मेरे चेहरे पर संतोष के भाव आ गए।

मैं और आशुतोष भाई दोनों एक दूसरे को हिलाने लगे ताकि लिंग की रगड़ योनि में अच्छी तरह से हो।
मैं उनकी गोद में बैठ कर अपनी योनि का मर्दन करवा रही थी और आशुतोष भाई मेरे होंठों को चूस कर उनका रस पी रहे थे।

धीरे धीरे हमारे धक्के तेज होने लगे और आशुतोष भाई ने मुझे गद्दे पर लेटा दिया और मेरे ऊपर आ गए।

उन्होंने अब अपने धक्के तेज कर दिए और जोर जोर से मेरी योनि को चोदने लगे।
मेरी चूत से पानी फव्वारे की तरह बह रहा था और कुछ देर बाद उन्होंने भी आह भरी और फिर मेरी चूत में ही झड़ गए।

उनका गाढ़ा वीर्य मेरी योनि के रस से बहकर बाहर आ गया तो उन्होंने अपनी उंगली डाल दी और फिर मुझे चटाई।
उनके गाढ़े वीर्य का स्वाद मुझे बहुत मजेदार लगा।

मैंने एक टिशू पेपर उठाया और अपनी योनि साफ की और आशुतोष भाई की तरफ़ शिकायत से देखा।
और मैंने कहा- ये क्या किया आपने? मैं प्रेगनेंट हो गई तो?
उन्होंने मुझे चूमा और बोले- गोली खा लेना मैडम जी, मैं ला दूंगा।

उनकी बात ने मुझे निरुत्तर कर दिया।
मैं बॉथरूम गई और पेशाब करके खुद को हल्का किया।

Hindi Antarvasna stories

पिछले महीने Antarvasna एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़,

वो और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स पढ़ाऊं।

फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो। मुझे सटरडे – सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी। मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।

थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था। जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।

वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया। रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे से पढ़ाया।

रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़ कर रही थी।

अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।

थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे पैंट के ऊपर से लंड पर रख
दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।

पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३० मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।

फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी पैंट उतारकर अपने तने
हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।

थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से
उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।

अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया। उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके
ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।

फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी को बता दे।

अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया। Antarvasna

Xxx मेड फक कहानी में मैं मुठ मार के गुजरा करता था. हमारी काम वाली आंटी को पता चल गया, उन्होंने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा. तो मैंने आंटी को ही मदद करने को कहा.

दोस्तो, मेरा नाम जीत है. मैं यूपी का रहने वाला हूं.
मेरी उम्र अभी 25 साल है, हाइट 5 फुट 7 इंच है और मेरा लौड़े का साइज 6 इंच है.

यह Xxx मेड फक कहानी एकदम सच्ची है.

यह बात एक साल पहले की है.

हमारे घर पर एक काम वाली आंटी काम करने आती थीं.
उन आंटी का नाम कोमल था.
उनका रंग सांवला था.
आंटी थोड़ी मोटी भी थीं, लेकिन बहुत ही सेक्सी फिगर की थीं.

एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ घूम रहा था तो हम दोनों हस्तमैथुन की बात करने लगे.

बातचीत के दौरान उसने कहा- मैं तो लंड पर कंडोम पहन कर मुठ मारता हूँ और वैसे ही अपने लौड़े को कंडोम पहनाए हुए ही सो जाता हूँ.
मैंने कहा- इसमें क्या खास बात है?

वह बोला- खास-वास कुछ नहीं है, बस उस वक्त जो नशा चढ़ता है ना तो लगता है कि कौन लंड धोने जाए … बस ऐसे ही पड़े रहो. बिस्तर के कपड़े भी खराब नहीं होते और मजा भी पूरा आआ है. तू कैसे मुठ मारता है?

मैंने कहा- मैं तो मुठ मार कर टिश्यू पेपर से लंड पौंछ लेता हूँ.
वह कुछ नहीं बोला.

फिर उसने कहा- अरे यार, मुझे तो डॉटिड कंडोम में हाथ चलाने में मजा आता है.
उसकी यह बात सुनकर मुझे भी लगा कि एक बार तो कंडोम लगा कर देखना चाहिए कि कैसा लगता है.

कुछ देर बात करने के बाद उस दोस्त ने मुझे अपने पास से एक कंडोम का पैकेट दे दिया और कहा- ट्राई करके देख.
मैंने भी वह कंडोम का पैकेट अपनी जेब में रख लिया.

मैं शाम को अपने घर आया तो मैंने सोचा कि मैं इस कंडोम को यूज कर लेता हूँ.
मेरा कमरा अलग था तो अपने कमरे में गया और दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपने लौड़े पर कंडोम चढ़ाने लगा.
पर लंड तो ढीला था तो मैंने सोचा कि पहले इसको कड़क करता हूँ.

मैंने अपने लौड़े पर थूक लगा कर हिलाना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद मेरा लंड सख्त हो गया.
अब मैंने कंडोम का रैपर फाड़ा और उसे अपने लौड़े पर चढ़ा दिया.

उसके बाद मैंने कुछ देर तक मुठ मारी और झड़ गया.
सच में बड़ा मजा आया.
न साला हाथ धोना पड़ा और ना लंड.

फिर मैं बिना कंडोम निकाले यूं ही ही सो गया.
बड़ी गहरी नींद आई.

सुबह सुबह कोमल आंटी की आवाज आई- जीत बेटा दरवाजा खोलो.
मैं एकदम से हड़बड़ा कर उठा और अपने लंड को देख कर मैंने कहा- हां आंटी, बस अभी आया … आप एक मिनट रुको.

मैंने झट से लंड से कंडोम निकाला और बेड के गद्दे के नीचे घुसा दिया.
फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोल दिया.

कोमल आंटी ने कहा- 8 बज रहे हैं … उठना नहीं था क्या?
कोमल आंटी मुझसे थोड़ा फ्रेंडली थीं तो मैंने कहा- आपके ही उठाने का इंतजार कर रहा था.
वे हंसने लगीं.

फिर मैं फ्रेश होने चला गया.

जब मैं अपने कमरे में आया तो देखा कि साला कंडोम तो आधा ही गद्दे के नीचे घुसा हुआ है और कोमल आंटी भी उसी के सामने पौंछा लगा रही हैं.

मैंने जैसे ही कंडोम को अन्दर घुसाने की कोशिश की, आंटी ने मुझे देख लिया.

आंटी मुझसे बोली- यह कंडोम यहां क्या कर रहा है?
जैसा कि मैंने आपको बताया कि कोमल आंटी मुझसे थोड़ा फ्रेंडली थीं.

तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा- कुछ नहीं आंटी, यह गलती से रह गया था.
आंटी ने कहा- इसे तो तुरंत ही फेंक देना चाहिए था ना!

मेरी जगह कोई और होता तो शायद तुरंत उनकी बात को पकड़ लेता कि वे क्या कहना चाहती हैं.
लेकिन मैंने कहा- आंटी यह तो अभी निकाला है, इसलिए मैंने यहीं रख दिया था.

आंटी आश्चर्य से बोलीं- क्या तूने यह अभी यूज़ किया है?
मैंने कहा- नहीं, यूज़ तो रात को किया था … पर इसे लगा कर ही सो गया था. अब निकाल कर रखा था.

वह बोलीं- छी: तेरे कच्छे में तो बास भी भर गई होगी!
मैंने कहा- अरे ऐसे कैसे कच्छे में बास भर गई होगी? चाहे तो आप सूंघ लो.

आंटी हंसने लगीं और बोलीं- किसी को लेकर भी आया था … या अपने हाथ से ही काम चलाया था?
मैंने कहा- ऐसी किस्मत कहां है मेरी, जो कोई मेरे साथ सेक्स करे!

कोमल आंटी ने कहा- दिखने में तो इतने हैंडसम हो, फिर भी तुझे हाथ से काम चलाना पड़ रहा है!
मैंने कहा- क्या करूँ आंटी … आप भी तो मेरे लिए कुछ नहीं सोचतीं.

यह सुनकर आंटी ने मेरे हाथ से एकदम कंडोम छीन लिया और बोलीं- जीत, ज्यादा मत बोला करो … मैं तुम्हारी आंटी हूँ … तुम्हारे पास मेरे लायक लंड भी नहीं होगा.
मैंने उनके मुँह से लंड शब्द सुना तो समझ गया कि आंटी लंड के नीचे आने को राजी हैं.

मैंने कहा- बड़े छोटे से कुछ नहीं होता आंटी … लंबी रेस का घोड़ा होना चाहिए.

तभी आंटी ने कंडोम को सीधा किया और हैरानी से बोलीं- क्या तुम्हारा इतना बड़ा है या तुमने इसे खींच कर लंबा कर दिया?
यह कह कर वे हंसने लगीं.

इतनी सेक्सी बात सुनते सुनते मेरा लंड खड़ा हो गया था.

मैंने आंटी का हाथ अपने लौड़े पर रखा और कहा- खुद ही देख लो आंटी … मेरा हथियार आपकी फटी हुई चुत को मजा दे सकता है!
आंटी ने एकदम से लौड़े से हाथ हटाया और बोलीं- हट बदतमीज, कोई देख लेगा.

अब मुझ पर अपना काबू नहीं रहा.
मैंने आंटी की एक चूची पकड़ कर भींच दी.
आंटी ‘आउच.’ कह कर उचक गईं.

मैंने आंटी से कहा- आंटी, मुझे अब आपके साथ सब कुछ करना है.
वे बोलीं- कोई आ जाएगा, अभी मुझे जाने दो … मैं जा रही हूं.
आंटी मुझसे छूट कर चली गईं.

मैंने आंटी के जाने के बाद उनकी चूचियों का अहसास करते हुए मुठ मार ली.

मैं समझ गया था कि आंटी को लंड के नीचे लाना कोई बड़ी बात नहीं है. साली चुत चुदवाने के कुछ पैसे ही तो लेगी.

उस दिन आंटी चली गईं.
उसके बाद से जब भी आंटी मेरे कमरे में आतीं, मैं उनके ब्लाउज में सौ का नोट फंसा देता कि आंटी एक बार चूसने दो ना.

आंटी हँसती हुई मुझसे अपने दूध दबवा लेतीं और कभी कभी मैं उनके ब्लाउज को उठा कर निप्पल चूस भी लेता.
हर बार आंटी को सौ का नोट मिलता तो वे और ज्यादा प्यार से चूचे दबवा लेतीं.

कभी कभी मैं उनकी टांगों के बीच में भी हाथ डाल कर उनसे चुत चुदवाने की बात कर लेता तो वे कुछ नहीं कहतीं.
कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा.

एक दिन घर के सभी लोग एक फंक्शन में दो दिन के लिए गए हुए थे.
मैं नहीं गया था.
मैंने सोच लिया था कि आज आंटी की लेना ही है.

शाम को आंटी आईं और बोलीं- सभी लोग कहां पर हैं?
मैंने कहा- वे सभी एक-दो दिन के लिए एक रिश्तेदार के यहां गए हैं.

आंटी मुस्कुराने लगीं.
मैंने कहा- यहां पर सिर्फ आप और मैं ही रह गए हैं.

वे बोलीं- तो क्या करूँ?
मैंने लंड सहला कर कहा- आंटी, आज आप कुछ नहीं करोगी. आज मैं आपकी चुत चुदाई करूंगा.

आंटी ने हँसते हुए झाड़ू लगाना शुरू कर दिया.
मैंने उनकी गांड को देखा तो मेरा लंड मचलने लगा था.
पीछे से उनकी गांड मुझे मदहोश कर रही थी.

मैंने एकदम से आंटी को पीछे से पकड़ लिया और उनके मोटे मोटे चूचे दबाने लगा.
कोमल आंटी ने कहा- जीत, यह तुम क्या कर रहे हो … ऐसा मत करो.

मैंने आंटी को बेड पर गिरा लिया और कोमल आंटी की चूची दबाते हुए उनके होंठों चूसने लगा.
आंटी ने भी मेरे लौड़े को अपने मुलायम हाथों से भींच लिया.

कुछ 5 मिनट तक हम ऐसे ही करते रहे.
आंटी ने मेरे कपड़े निकाल दिए.
तो मैंने भी आंटी की साड़ी और ब्लाउज निकाल दिए.

आंटी जितनी मोटी थीं, उतनी ही बिल्कुल टाइट चूचियां थीं.
उनकी ब्रा सफेद रंग की ओर कच्छी नीले रंग की थी.

आंटी मेरे लौड़े को पकड़ कर हिलाती हुई बोलीं- आगे को आ जाओ.
उन्होंने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर लिया.
अब आंटी मेरे लौड़े को चूस रही थीं.

तभी मैंने आंटी की ब्रा उतार दी.
आंटी के निप्पल काले थे.
मैं उनके निप्पल दबाने लगा.

आंटी को मेरा लंड को चूसते चूसते 15 मिनट हो गए थे.
तब आंटी ने कहा- अब तुम मेरी चाटो.

मैं आंटी की किस करते-करते नीचे आ गया.
मैंने आंटी की पैंटी निकाल दी.

आंटी की चूत पर काली झांटें थीं.
मैंने अपनी उंगली से आंटी की चूत खोली और चूत में उंगली डाल दी. फिर जीभ से चाटने लगा.

आंटी ने मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया.
मैं अपनी उंगली जोर-जोर से अन्दर बाहर कर रहा था.

आंटी की चूत पूरी तरह से गीली थी.
वे सिसकारियां भरने लगीं- उई आ अम्म चाट जीत चाट मेरे भोसड़े को.
उनकी झांटें मेरे चेहरे पर लग रही थीं.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, अपने पैर चौड़े कर लो.
आंटी ने अपने पैर चौड़े कर लिए.

फिर मैंने अपना सख्त लौड़ा उनकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो मेरा लंड अन्दर घुस गया.
आंटी अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी चूची दबाने लगीं.

मैं तेज तेज धक्के मारता हुआ आंटी की चूत चोदने लगा.
मैंने आंटी से कहा- आंटी, आप मेरे लौड़े के ऊपर आ जाओ.

मैं बेड पर लेट गया.
अब आंटी ने मेरे लौड़े को अपनी चूत में डाल लिया और ऊपर नीचे होने लगीं.

आंटी थोड़ी मोटी थीं तो वे कुछ ही देर में थक गईं.
वे बोलीं- मुझसे नहीं हो पा रहा, अब तुम करो.

मैंने आंटी को घोड़ी बना लिया.
आंटी की झांटें बहुत बड़ी थीं इसलिए चूत खोल कर अपना लंड पूरा एक ही बार में डाल दिया.

आंटी- उई आह थोड़ा आराम से करो.
मैंने जैसे ही धक्के देने चालू किए, आंटी के चूतड़ मेरी जांघों पर लगने लगे थे.

Xxx मेड फक करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं झड़ने वाला था तो मैंने लौड़े को गर्म चूत से बाहर निकाला और आंटी की गांड से कमर तक अपने माल की बूंदें गिरा दीं.

फिर हम दोनों शान्त हो गए.
मैं आंटी के ऊपर ऐसे ही लेट गया.

आंटी बोलीं- मैं इतने दिनों से काम कर रही हूं, ये काम तो तुझे पहले ही कर देना चाहिए था!
मैंने कहा- आंटी कोई बात नहीं, अब से तो शुरू हो गया!

उसके बाद मैंने कहा- आज आप यहीं रुक जाओ. रात भर चुदाई का मजा लेंगे.
वे कुछ देर सोचने के बाद राजी हो गईं।

उन्होंने अपने घर फोन कर दिया कि आज रात वे मेरे घर रुकेंगी.

बस फिर क्या था … मैं और आंटी ने सारी रात चुदाई का मजा लिया.
मैंने आंटी की चुत की झांटें साफ कीं और जबरदस्त चुदाई की.

दोस्तो, यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है. आपको कैसी लगी प्लीज बताएं.

मेरी अभी कुछ सेक्स कहानी और भी हैं जो एकदम सच्ची हैं. उनको मैं Xxx मेड फक कहानी पर आपके कमेंट्स पढ़ने के बाद लिखूँगा.

हेल्लो दोस्तो ! मैं जीतू एक बार फ़िर हाज़िर हूँ अपना अनुभव लेकर !Antarvasna

यह आज से एक साल पुरानी बात है, मुझे चेटिंग Antarvasna करने का बहुत शोक है और मैं चेटिंग पर लड़कियों और शादीशुदा औरतों से सेक्स की बातें किया करता था। उनको चेट के जरिये चोदा करता था, मजा आता था इस सब में। मुझे पर फ़िर धीरे धीरे वस्तविक सेक्स करने की इच्छा होने लगी। इसलिए मैंने चेटिंग पर असंतुष्ट महिला की तलाश शुरू कर दी।

एक दिन मैं चेट करने के लिए किसी को ढूंढ रहा था, तभी मुझे एक प्राइवेट मैसेज मिला, वो एक औरत का मैसेज था। वो अपने पति से असंतुष्ट थी, उसका नाम रचना था, उसकी उमर ३२ साल थी। उसने मुझे अपना फ़ोन नम्बर दिया और शाम को फ़ोन करने के लिए बोला। मैंने जब शाम को उसको फ़ोन किया थो उसने मुझसे ज्यादा बात ना करते हुए सिर्फ़ अपना पता दिया और २ दिन बाद आने के लिए कहा।

मैं जब उसके घर गया तो वो अकेली थी। वो एक बहुत ही सुंदर महिला थी उसको देख कर लगता नहीं था कि वो ३२ साल ही की है। हम दोनों सोफे पर बैठ गए और बात करने लगे। मैंने उससे पूछा- आपके पति क्या करते हैं?

तो वो कहने लगी कि वो एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में काम करता है और ज्यादातर बाहर ही रहता है इसीलिए उसको समय नहीं दे पाता और वो तड़पती रहती है। उसकी शादी को ५ साल हो गए लेकिन उनके कोई बच्चा भी नहीं है। फ़िर वोह रोने लगी। मुझे उस पर बहुत दया आई और मैं उठकर उसके पास गया और उसको चुप करने लगा।

वो एकदम से मुझसे चिपट कर रोने लगी। मुझे उसकी चुचियों का दबाव अच्छा लगने लगा और मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मैंने उसकी कमर पर हाथ फिराना शुरू कर दिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा। अब उसकी रोने की सिसकी मस्ती की सिसकी में बदल गई। मैं धीरे धीरे उसकी चुचियों को दबाने लगा। उसकी चूची एकदम टाइट हो गई। अब वो पूरी तरह मस्ती में आ चुकी थी।

मैंने उसका ब्लाउज़ उतार दिया और ब्रा भी। मैं तो उसकी चूची देख कर हैरान रह गया, क्या मस्त एक दम सीधी खड़ी थी !

मैंने उनको जोर जोर से दबाना और चूसना शुरू कर दिया। उसने भी मेरी पैंट खोल कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और उसको सहलाने लगी। वो मेरा लण्ड देख कर बहुत खुश हो गई, कहने लगी कि उसके पति का तो बहुत छोटा है !

फ़िर उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और मैंने उसके। उसका खूबसूरत नंगा जिस्म देख कर मैं तो पागल हो गया। मैंने उसको वहीं ज़मीन पर लिटाया और उसके पूरे शरीर पर किस करना शुरू कर दिया। वो जोर जोर से आआआआअह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊमम्म्म्म्म करने लगी।

फ़िर मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी और चोदने लगा। उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी। उसको बहुत मजा आ रहा था। फ़िर मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसको चाटने लगा। उसके दाने को जीभ से सहलाने लगा। वोह जोर जोर से अपनी गांड उठाने लगी और चिल्लाने लगी- जोर जोर से करो ! मैं झड़ने वाली हूँ ! आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊस्स्स्स्स्स्स्म्म्म्म्म करने लगी।

तभी उसने मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया और झड़ने लगी। मैं उसका सारा पानी पी गया। फ़िर वो खड़ी हो गई और मुझसे लिपट गई और कहने लगी- जीतू आज तक मैं प्यासी थी, तुमने आज मुझे संतुष्ट कर दिया !

मैंने कहा- जान ! अभी तो आधा काम हुआ है !

और फ़िर मैं उसको अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले गया और बेड पर लिटा कर उसकी चूची को चूसना शुरू कर दिया। वो दोबारा गरम होने लगी। मैंने उसके ड्रेसिंग से तेल उठाया और उसके पूरे बदन पर डाल कर मालिश करने लगा। वो मस्ती में जोर जोर से चिल्लाने लगी- येस्स ! स्स्स्स्स आआआआअ ऊऊ !

मैं धीरे धीरे उसकी गांड में ऊँगली डालने लगा। वो एक दम से उछल पड़ी और मुझे देख कर मुस्कराने लगी। उसकी आँखों में वासना थी। फ़िर मैंने उसको उल्टा किया और उसकी गांड चाटने लगा। वो मस्ती से बोलने लगी। मैंने उसकी गांड में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसा दी और उसको चोदने लगा।

फ़िर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड पर लण्ड रखा। वो कहने लगी कि धीरे करना ! मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई !

मैंने धीरे से अपना लण्ड गांड में दबाया और एक झटका दिया। जैसे ही गांड में लण्ड का टोपा घुसा, वो चिल्ला पड़ी।

मैं रुक गया और उसकी चूची दबाने लगा। उसको मजा आने लगा। फ़िर मैंने एक झटका जोर से लगा दिया पूरा का पूरा लण्ड तेल की वजह से गांड को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वो जोर से चिल्ला पड़ी और रोने लगी। फ़िर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसको सीधा करके उसकी चूत मे लण्ड घुसाने लगा।

मैंने धीरे से लण्ड चूत मे डाला तो चूत के पानी की वजह से लण्ड जाने लगा और धीरे धीरे मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत मे घुसा दिया। उसकी चूत बहुत टाइट थी, शायद उसके पति ने उसे ज्यादा नहीं चोदा था उसको, जैसे कि उसने बताया था।

खैर जैसे ही मैंने एक झटका दिया, वो जोर से बोली- जीतू प्लीज़ ! धीरे ! मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है, आराम से करो !

मैंने धीरे धीरे झटके देने शुरू कर दिए और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत की गहराई में उतारने लगा। उसको अब मजा आने लगा और वो अपनी गांड उठाने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और तेज तेज चोदने लगा।

तभी उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरी पीठ में अपने नाखून गड़ा दिए और चिल्लाते हुए झड़ने लगी। फ़िर मैंने उसको घोड़ी बना कर उसकी गांड में लण्ड डाल दिया और उसको चोदने लगा। अब वो मस्ती में थी। मैं कभी उसकी चूत में लण्ड डाल कर चोदता तो कभी गांड में। वो फ़िर से झड़ गई। अब मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाला और जोर जोर से चोदने लगा।

मैंने उसको सीधा लिटाया और उसके पैर उसके कंधो तक मोड़ कर उठा दिए। इससे मेरा लण्ड सीधा उसकी बच्चेदानी तक पहुँचने लगा। अब मैं झड़ने ही वाला था कि वो भी झड़ गई और मैं भी !

मैं इतनी जोर से पहले कभी नहीं झड़ा था। मैं १५ मिनट तक उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसकी और मेरी आँख लग गई। करीब १ घंटे बाद मेरी आँख खुली तो वो सो रही थी। मैं धीरे से उठा और उसको देखने लगा। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला, मैं उसके गोरे बदन को सहलाने लगा। इससे वो भी उठ गई और मेरा लण्ड पकड़ कर सहलाते हुई कहने लगी- जीतू तुमने आज मुझे पूरी औरत बना दिया है !

और मेरा लण्ड चूसने लगी। उसके मुँह में लण्ड जाते ही मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया चोदने के लिए। मैंने फ़िर उसको कुतिया की तरह और कई प्रकार से चोदा और फ़िर उसकी चूत मे ही झड़ गया।

घड़ी में समय देखा तो शाम के ५ बज रहे थे। मैं उठा और अपनी कपड़े पहनने लगा। यह देख कर वो मुझसे लिपट गई और कहने लगी- आज की रात मत जाओ ! कल चले जाना !

दोस्तों उसकी इतनी प्यार से की गई प्रार्थना की वजह से मैं रुक गया और रात भर मैंने उसको ४-५ बार चोदा अलग अलग तरीके से।

सुबह उसके चेहरे पर एक चमक थी और संतुष्टि भी। मैंने अपनी कपड़े पहने और जाने लगा तो उसने मुझे ५००० रुपए दिए। मैंने मना कर दिया तो भी उसने मुझे जबरदस्ती ३००० तो दे ही दिए।

और मैं फ़िर मिलने का वादा करके वापस आ गया। उसके बाद उसने मुझे ३-४ बार बुलाया और अपनी एक फ्रेंड से भी मिलवाया।

यह कहानी फ़िर अगली बार !

तब तक आप सब लड़कियां, भाभी और आंटियाँ अपनी चूत में ऊँगली डाल कर अपना पानी निकालो !

तो कैसी लगी मेरी कहानी मुझे मेल करें ! Antarvasna

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