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Massage Girl in Muzaffarpur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Muzaffarpur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Muzaffarpur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Muzaffarpur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Muzaffarpur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Muzaffarpur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Muzaffarpur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Muzaffarpur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Muzaffarpur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Muzaffarpur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Muzaffarpur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Muzaffarpur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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हेलो दोस्तो, Antarvasna Stories

मैं सुरेश यादव लुधियाना से हूँ Antarvasna Stories पर मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हूँ। मैं अन्तर्वासना पर रोज कहानियाँ पढ़ता हूँ। मेरे मन में विचार आया कि मैं भी अपनी कहानी आप लोगों के सामने रखूँ और आपके प्यारे विचार जानूँ !

मेरी साथ वाली गली में मेरा दोस्त सुयश रहता है। जनवरी २००९ में उसकी शादी हो गई। मेरे दोस्त सुयश की बीबी और मेरी भाभी सोनिया जो नई नई शादी करके आई थी, थी बड़ी सेक्सी ! क्योंकि मुझे शादीशुदा औरतें अच्छी लगती हैं, इसलिए मैं उसको देखने सुयश के घर जाया करता था। पर मुझे नहीं पता था कि मैं सोनिया को देखने जाता हूँ और सुयश की बहन नीलम मुझे देखती थी।

यह सब दो महीने चलता रहा पर एक दिन नीलम ने मुझे पकड़ के बोली- १ ४ ३

मैं बोला- यह क्या ?

तो बोली- मैं तुमसे प्यार करती हूँ !

मैं बोला- तेरी भाभी घर में है, अगर सुन लिया तो ?

वो बोली- कोई बात नहीं, भाभी के भी तो पुराने यार हैं, भाभी ने ही बताये हैं, भाभी मेरे से सारी बात कर लेती है तुम न डरो ! भाभी ने बोल दिया है !

चलो फिर मेरा तो काम बन गया- भूखे को चाहिए रोटी !

मैं तो खुश हो गया पर नीलम ने हाथ भी नहीं लगाने दिया !

बोलती है शादी के बाद !

मैंने सोचा- चलो कोई बात नहीं, मैं इससे शादी करा लूंगा क्योंकि वो है बड़ी प्यारी ! खैर मैं भी नीलम से प्यार करने लगा, नीलम तो मेरे से प्यार करती ही थी।

इसके दो महीने बाद मेरी और उसकी शादी की बात चली पर नीलम के घरवाले नहीं माने और उसकी शादी जालंधर में पक्की कर दी। मैं और नीलम दुखी हो गये और आत्महत्या के बारे में सोचने लगे।

पर सोनिया भाभी ने बोला- जिन्दगी जीने का नाम है, कभी भी जिन्दगी से हारना नहीं !

इसलिए हमने मरने का विचार छोड़ दिया पर नीलम बोलने लगी- मैंने सुहागरात तो तुम्हारे साथ ही मनानी है !

तो भाभी बोली- चलो, मैं यह काम करा दूँगी !

मेरा दिल नहीं मान रहा था पर हम जिससे प्यार करते है उसकी ख़ुशी के लिए तो कुछ भी कर सकते हैं।

खैर धीरे-धीरे शादी का दिन भी आ गया। भाभी ने अपनी जान पहचान वाली का ब्यूटी-पार्लर बुक कर लिया और उसको पैसे दे कर बोल दिया कि हमने यहाँ क्या क्या करना है !

खैर भाभी ११ बजे नीलम को ले करके ब्यूटी-पार्लर आ गई और एक बजे मुझे बुला लिया। जब मैं पार्लर के भीतर गया तो नीलम क्या गजब की लग रही थी ! लाल रंग का लहंगा-चोली पहन रखी थी, हाथों में लाल रंग का चूडा, मेहंदी लगाई हुई थी, बाल खुले थे, लाल रंग की लिपस्टिक लिप लाइनर के साथ में, नाक में नथ पहन रखी थी, आँखों में काजल और आई-शैडो, कुल मिला के बहुत प्यारी लग रही थी। फिर भाभी मुझे अन्दर के कमरे में ले गई जहाँ पर बेड सजाया था।

फिर भाभी वहीं पर बैठ गई और बोली- तुम लग जाओ ! कोई परेशानी होगी तो मैं यहीं पर हूँ !

फिर मैंने बोला- हमें तो पता नहीं कि कैसे करते हैं !

तो भाभी बोली- इसीलिए तो मैं यहाँ हूँ !

फिर भाभी बोली- की तुम इसके मम्मे दबाते-दबाते और चूमते-चूमते कपड़े उतारो, और नीलम तुम भी लंड को पकड़ो और कपड़े उतारो !

इस तरह करीब १५ मिनट चूमा-चाटी करने के बाद हमने एक दूसरे को नंगा किया। फिर भाभी ने बेड पर नीचे मुझे और ऊपर नीलम को लिटा के मुझे उसकी चूत और उसको मेरा लंड चूसने को कहा जब तक कि पानी ना निकल जाये।

नीलम को तो मेरा लंड चूसने से उल्टी भी आ गई पर वो नहीं मानी, जब तक मेरा पानी नहीं निकल गया !

मैं भी जोश में आ गया और नीलम की चूत चूसने लगा। चूत चूसने से नीलम काफी गरम हो गई और उसको हिचकियाँ आने लगी। मैं रुक गया पर नीलम ने रुकने नहीं दिया और फिर नीलम का शरीर अकड़ गया और नीलम ने पानी छोड़ दिया। मैं सारा पानी चाट गया जो कि थोड़ा नमकीन और कुछ खट्टा सा लगा।

फिर भाभी ने चुदाई करने को कहा।

हम थोड़ी देर तक एक दूसरे के जिस्म से खेलते रहे, इस तरह से फिर गर्मी चढ़ गई। फिर मैं नीलम की टांगों के बीच में आ गया, अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा और मम्मे को मुँह में ले के चूसता रहा। यह करने को भाभी ने ही बोला था। इस तरह से करीब ५ मिनट में नीलम चीखने लगी।

तब भाभी ने बोला- अब लंड डाल दो ! और एक बार में ही डालना !

मैंने ७ इंच का लंड चिकनी चूत में एक बार में ही डाल दिया पर मेरी भी जान निकल गई और नीलम की भी !

मेरी भी सील टूट चुकी थी और नीलम की भी !

बड़ा दर्द हो रहा था, भाभी दोनों को हौंसला दे रही थी !

खैर थोड़ी देर बाद चुदाई शुरु हुई। फिर तो मुझे भी बड़ा मजा आया और नीलम को भी !

इस तरह से हमने सुहागदिन मनाया !

यह मेरी चुदाई की कहानी थी, हमें इतना मजा आया कि अब मैं खोज रहा हूँ कि कोई मिले पर कोई मिलती नहीं !

मुझे मेल करें ! Antarvasna Stories

Indian Sex Stories

मेरा नाम सोनू है। मेरी उम्र छब्बीस Indian Sex Stories वर्ष है। मै यहां के अस्पताल में नर्स हूं। मेरी शादी हो चुकी है। मेरे पति भी सरकारी नौकरी में हैं। यू तो हमारी एक अच्छी निश्चिन्त जिन्दगी है। एक सुखी परिवार है। लेकिन मन का क्या करे वो तो चन्चल है, कभी न कभी भटक ही जाता है, कही भी फ़िसल जाता है।

अस्पताल में मेरे साथ एक कम्पाउन्डर रमेश काम करता है। देखने में सुन्दर है, हंसमुख है, कभी कभी तीखे सेक्सी मजाक भी करता है जिससे दिल में मीठी सी गुदगुदी भी होने लगती है और मै उसकी और बरबस ही खिन्च जाती हूं। रमेश दिल ही दिल में सब समझता था। मुझे अकेले में कभी कभी छेड़ता भी था। उसे मालूम था कि मैं कुछ नही कहूंगी। मैं मन से तो चाह्ती थी कि मुझे छेड़े… मेरा हाथ पकड़ ले। इस्के लिये मुझे ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। क्योंकि जब दोनो तरफ़ आग बराबर हो तो दिल मिल ही जाते हैं।

मैं स्टोर में मेडीसिन लेने गई तो वहां पर रमेश कुछ काम कर रहा था। मैंने उसे मेडीसिन की लिस्ट दे दी। उसने सारी दवाईयाँ निकाल दी और एक पेकेट बना कर मुझे दे दिया। मैं जैसे ही मुड़ी रमेश ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे पता था कि रमेश अकेला पा कर कुछ तो करेगा ही। मैंने भी आज दिल मजबूत कर लिया। मैंने भी अपना हाथ नही छुड़ाया। मैंने पीछे मुड़ कर उसे देखा … वो एकटक मुझे निहार रहा था। मैंने शरम से अपना सर झुका लिया। हां… पर हाथ नहीं छुड़ाया। मैंने मुस्करा कर तिरछी निगाहों से उसे देखा।

रमेश ने तीर छोड़ा -‘मेडम… हंसी तो फंसी …’
‘मैं कहां फंसी … फ़से तो तुम हो…’ मैंने भी तीर छोड़ा।

‘मेडम … एक बात कहूं … मैं तो मर गया… खास कर आपकी मुसकराहट पर…’ उसने अपनी तरफ़ हाथ पकड़ कर खीन्चा । मै जान कर के रमेश से टकरा गयी।

‘हाय … दूर रहो…’ मैंने रमेश को प्यार से धकेल दिया और अपने को छुड़ा लिया।

मैं मुसकराती हुयी बाहर चली आयी। मुझे लगा आज काम फ़िट हो गया। मुझे उसके हाथों का स्पर्श अभी भी महसूस हो रह था। दिल में एक गुदगुदी सी उठ रही थी। मेरे जिस्म में वासना जागने लगी। मेरा दिल अब उस से अकेले में मिलने को आतुर हो उठा।
मेरे दिल में खलबली हो रही थी। दवाईयां मैंने वार्ड में आकर डाक्टर को दे दिया। वहां से मैं डाक्टर के रेस्ट रूम में चली आयी।

इतने में रमेश भी पीछे आ गया। मैं समझ गयी थी कि रमेश की तेज निगाहों ने मुझे यहां आते हुए देख लिया था। आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया। मैं जान कर के उससे चिपक गयी। उसने धीरे से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मुझे एक गहरा किस किया। मेरा पल्लू नीचे गिर गया, उसने मेरी चूचियां दबा डाली, मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिये और एक हाथ मेरी ब्रा में डाल दिया और मेरे चूंचक को हाथ में लेकर मलने लगा।

‘आऽऽऽह रमेश …प्लीज़ अभी नहीं…’ वो समझ गया। मैंने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ ठीक किया और उसकी तरफ़ मुस्करा कर देखा। उसे छेड़ते हुए बोली,’कर दी ना गड़बड़ …… ‘

‘सुनो सोनू … कल पिक्चर देखने चले …’

‘कब… सवेरे दस बजे के शो में…’

‘ हां… कल सवेरे नौ बजे मैं आपको पिक कर लूंगा…’ मैं उसका मतलब समझ रही थी। वो पिक्चर हाल में मुझे दबायेगा… मेरे अंगों से खेलेगा। मेरा मन भी भटकने लगा। मेरी आंखो दे सामने सारा नजार घूमने लगा। मेरा मन तड़प उठा।

सवेरे मैंने घर का काम निपटा लिया। अब मैं तैयार होने लगी… मैंने जान करके ब्रा और पेंटी नहीं पहनी। पर एक शाल ले लिया। मैं रमेश का इन्तज़ार करने लगी। वो ठीक नौ बजे अपनी मोटर बाईक लेकर आ गया। हम लोग पहले एक अच्छे रेस्टोरेन्ट में गये। वहां हमने चाय नाश्ता किया, फ़िर सोचा कि कौन सी पिक्चर देखी जाये। यह निश्चित करके हम दोनों एक हाल में चले गये। हाल लगभग खाली था।
दस बजे फ़िल्म शुरू हो गयी। फ़िल्म क्या शुरू हुई रमेश भी शुरू हो गया। चूंकि हमारे आसपास की सीटें खाली पड़ी थी इसलिये कोई देख लेने का खतरा भी नही था। उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। मैंने सुरक्षा को नजर में रखते हुए शाल अपने पर डाल लिया। रमेश ने मेरी चूंचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगा। मैंने अपना एक हाथ उसके कन्धे पर रख दिया।

वो अब खुल कर मेरी चूंचियां मसल रहा था, कभी कभी वो मेरे चूंचक को खींच देता था। मैं मस्ती में धीमी आहें भर रही थी। अब रमेश ने नीचे से मेरा पेटीकोट उठा लिया। उसके हाथ मेरी जांघों से फ़िसलते हुये मेरी चूत से जा टकराये। मैंने थोड़ा नीचे सरक कर चूत आगे को निकाल दी।

अब मैंने भी अपना हाथ उसके लन्ड पर रख दिया और दबाने लगी। मैंने पेन्ट की ज़िप खोली ……उसने भी मेरी तरह अन्दर अन्डरवियर नहीं पहनी थी। मैंने उसका लन्ड खींच कर बाहर निकाल लिया। मैं भी अब उसका लन्ड सहलाने लगी। उसका सुपाड़ा निकाला और पूरा लन्ड हिलाने लगी। पर मेरी हालत उत्तेज़ना से खराब होने लगी थी।

उसने मेरी चूत में उन्गली घुसा दी थी। मेरे दाने को भी सहला रहा था। जोश में मैं भी उसके लन्ड का मुठ मारने लगी। वो अपना चेहरा मेरे गालों से रगड़ने लगा और उसके मुख से तेज सिसकारी निकल रही थी। उसके बदन में अचानक ऐंठन होने लगी। मैंने मुठ मारने की रफ़्तार और तेज कर दी। तभी रमेश ने अपना रूमाल निकाला और अपने लन्ड पर लगा लिया। वो चरमसीमा पर पहुंच चुका था। तभी उसका वीर्य निकल पड़ा। मैंने तुरन्त ही उसका लन्ड रूमाल से पोंछ दिया। रूमाल पूरा गीला हो गया था… मैंने उसका लन्ड अब छोड़ दिया था।

मैंने अपनी चूत को देखा…रमेश अभी भी तेजी से उन्गली अन्दर बाहर कर रहा था… साथ में दाना भी रगड़ खा रहा था। अब मैं भी नीचे से चूत उठा कर उसकी सहायता कर रही थी। और …और …हाय मैं भी कहां तक रोक पाती… अन्तत: मैं भी झड़ने लगी। मैं चुपचाप उत्तेजना सहती रही और झड़ती रही। फिर सीट पर ठीक से साड़ी करके बैठ गयी। अपने ब्लाउज के बटन ठीक से लगाये और हम सीट पर आराम से बैठ गये। हमारा काम हो गया था… इसलिये हम सिनेमा हाल से बाहर आ गए। हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे…जैसे कोई किला फ़तह कर लिया हो।

‘सोनू… मजा आया ना…’ मैं शरमा गयी।

‘चुप रहो…अब…’ मेरी नजरे अब भी झुकी जा रही थी।

हम सिनेमा हाल से सीधे अस्पताल आ गये… और अपनी ड्यूटी जोईन कर ली। हम दोनों ने रात की ड्यूटी ले ली। रमेश मुझे वापस घर छोड़ कर चला गया।

मुझे शाम का बेकरारी से इन्तेज़ार होने लगा। मेरे शरीर में रह रह कर वासना और उत्तेजना की लहर दौड़ जाती थी। मुझे उत्तेजना के कारण बार बार अंगड़ाई भी आ रही थी। एक एक पल घण्टों के समान लग रहा था।
समय होने पर मैंने घर के बाहर से टूसीटर लिया और अस्पताल आ गयी। अन्दर आते ही मेरी नज़रे रमेश को ढूंढने लगी। उसे देखते ही मेरी जान में जान आयी। मेरे शरीर में तरावट आने लगी। मेरी चूंचियां कसने लगी, चूत में खुजली होने लगी। मुझे लग रहा था कि आज में किसी तरह से चुदा लूं बस।

रमेश डाक्टर साहब से कुछ परामर्श कर रहा था। मैंने अपना समान रेस्ट रूम में रखा और अस्पताल की यूनिफ़ार्म पहन ली। पर हां मैंने फिर अपनी ब्रा और पेन्टी नही पहनी। मुझे नहीं मालूम था कि ऐसा करने से मेरे चूतड़ और बोबे की लचक अधिक नजर आयेगी। डाक्टर साहब रमेश को कुछ समझा कर बाहर निकल गये। रमेश मेरे चूतड़ों की लचक देख रहा था… मेरी चूंचियां भी बिना ब्रा के हिल रही थी। मैं जान कर रेस्ट रूम में आ गयी… रमेश भी वहीं आ गया। रमेश ने मुझे बताया कि डाक्टर साहब को किसी पार्टी में जाना है सो वो अब रात को नहीं आयेंगे ।

रात के ग्यारह बज रहे थे हमने सब ठीक से चेक कर लिया कि सारे मरीज आराम से हैं । तब मैं रेस्ट रूम में सुस्ताने आ गयी। रमेश ने भी अपना काम निपटा लिया और वहीं रेस्ट रूम में आ गया। उसे देखते ही मेरा शरीर कसमसाने लगा। रमेश ने मुझे आंख मारी …… मैं शरमा गयी।

उसने मुझे गले लगाते हुये और मेरे शरीर को अपने शरीर से चिपकाते हुए शरारत से कहा,’ सोनू जी…आंख मारी है अभी … और तो कुछ नहीं मारी ना…बस शरमा गयी…?’

‘और क्या मारोगे…?’ मैं शरमाते हुए बोली। उसके होंट मेरे कांपते होटों से मिल गये। मेरे सफ़ेद ब्लाउज़ के बटन एक एक कर खोलने लगा। मेरा बदन कांपने लगा… मुझे पता चल गया था कि अब थोड़ी देर में मेरी चुदाई हो जायेगी। मेरे नंगे उरोज पर उसके हाथ पहुंच गये थे। मेरे भारी और बड़ी चूंचियों को उसने अपने हाथों में भर ली।

मैं थोड़ा सा कसमसाई, पर उससे दूर नहीं हटी। उसने मुझे कस कर चिपका रखा था। मेरे शरीर में वासना उठने लगी, मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी। मैं रमेश से चिपकने लगी। उसका लन्ड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और मेरी चूत के आसपास गड़ने लगा। मैं उसके लन्ड के टकराने के अहसास से ही आनन्द से भर उठी। मैंने भी अपनी चूत को उससे और चिपका दी। उसने मेरे दोनों बोबे को दोनों हाथों में भर लिया और मसलने लगा। मैं अपने होंठ उसके होंठों से रगड़े जा रही थी।

तभी रूम की बेल बजी। रमेश अलग हो गया। मैंने उसे देखा तो हंस पड़ी… उसका हाल बेहाल हो रहा था… उसका लन्ड फ़ूल कर पैन्ट में जोर मार रहा था। रमेश ने कहा,’मैं जरा देख कर आता हूं…’

मैंने दोनों हाथों को उठा कर एक भरपूर अंगड़ाई ली और बिस्तर पर लेट गयी। मैं अपनी चूंचियों से खेलने लगी। नोकों को उन्गलियों से गोल गोल मसलने लगी। फिर उल्टी लेट कर तकिये को दबाने लगी। तभी रेस्ट रूम का दरवाजा रमेश ने अन्दर से बन्द कर दिया। मैं आंखे बन्द करके उसका इन्तज़ार करने लगी। रमेश ने इत्मिनान से अपना पैन्ट खोला और फिर अन्डरवियर भी उतार दी, अन्त में फिर बनियान भी उतार दी। मेरे बिस्तर पर नज़दीक आ कर बोला,’सुनो जी…… तैयार हो…।’

मैंने शरमा कर तकिये में चेहरा छिपा लिया। उसने मेरी सफ़ेद साड़ी और पेटीकोट खोल कर अलग कर दिया। फिर खुले हुए ब्लाउज़ को प्यार से उतार दिया। मैंने अपना चेहरा अभी भी शरम से छिपा रखा था। अब मैं पूरी नंगी थी और रमेश भी पूरा नंगा था। वो धीरे से मेरी पीठ पर लेट गया। उसका भार मेरे ऊपर बढ गया। उसका कड़क लन्ड मेरी चूतड़ों पर रेन्गने लगा। शायद दरारों में छिपने की कोशिश कर रहा था। अन्तत: उसका लन्ड मेरी चूतड़ की दरार में घुस पड़ा।

‘हाय…क्या कर रहे हो…?’
‘उस समय आंख मारी थी… अब गान्ड मारूंगा… क्यों ठीक है ना…’
‘हाय… मेरे राजा… कुछ भी करो…बस मुझे रगड़ दो…।’ मैं वासना के नशे में बेशरम होती जा रही थी। मेरे पति भी मेरी गान्ड जम कर मारते थे… उन्हे तो पूरी संतुष्टी मिलती ही इससे थी। मेरी गान्ड इस काम के लिये पूरी अभ्यस्त थी। मेरी गान्ड का छेद भी खुला हुआ था। रमेश का कड़कड़ाता हुआ लन्ड मेरे गान्ड के छेद की खोज में था। आखिर में लन्ड छेद ढूढने में सफ़ल हो गया। रमेश की कमर थोड़ी सी उठी और उसने अपने लन्ड पर जोर लगा दिया। उसका मोटा और कड़ा लन्ड अपनी पूरी कड़ायी के साथ छेद में घुस पड़ा। मेरे मुंह से सीत्कार निकल पड़ी।

‘पहली बार गान्ड मरा रही हो ना… तकलीफ़ तो होगी मेरी जान…’ रमेश ने अपनी पन्डिताई झाड़ी।

‘ मांऽऽ…रीऽऽऽ… रमेश… घुसेड़ दो पूरा…’ मैं तड़प उठी।

उसने जोर लगा कर अपना पूरा लन्ड ही अन्दर घुसेड़ दिया। पूरा घुसते ही मुझे चैन आया…… मुझे पता चल गया कि शरीफ़ सा दिखने वाला रमेश कितना चालू है। इतने सलीके से तो कोई एक्स्पर्ट ही गान्ड मार सकता है। उसने हौले हौले धक्के मारने शुरु कर दिये। फिर वो तेज करता गया। मात्र हल्की सी तकलीफ़ हुई। मैंने अपनी पांव और चूतड़ और फ़ैला दिये। उसे और गान्ड मारने की सहूलियत दे दी। अब वह अपनी कोहनी और घुटनों के बल पर आ गया था।

उसका शरीर मेरे शरीर से फ़्री हो चुका था। अब उसका लन्ड फ़्री स्टाईल में मेरी गान्ड चोद रहा था। मैं भी अब अपनी गान्ड को उछाल उछाल कर उसका साथ दे रही थी। उसके मुंह से तेज सिस्कारियां निकल रही थी। मैं इतमिनान से तकिये पर अपना सर रखे आंखे बन्द करके गान्ड चुदाई का आनन्द ले रही थी। रमेश ने मेरे सर के नीचे से तकिया हटाया और मेरी चूत के नीचे रख कर मेरी गान्ड और ऊपर उठा दी। मेरी चूत अब उसे दिखने लग गयी थी…

उसने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाला और मेरी पनीली चूत पर रख दिया। थोड़ा सा उसने लन्ड को चूत पर घिसा और चूत के अन्दर घुसा दिया। मेरे मुँह से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी। उसने मेरी गान्ड थपथपाई और घोड़ी बनने का इशारा किया। मैंने धीरे से गान्ड ऊंची की और घोड़ी बन गयी, पर लन्ड को बाहर नहीं निकलने दिया। अब उसका लन्ड मेरी चूत में पूरा घुस गया।

मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। उसका मोटा लन्ड अब तेजी पकड़ रहा था। उसकी चमड़ी का घर्षण मेरी चूत की दीवारों पर बहुत उत्तेजना दे रहा था। मीठी मीठी सी गुदगदी तेज लग रही थी। मैं मदहोश होती जा रही थी। रह रह कर मेरा शरीर कांप उठता था। मुझे सुख की अनुभूति स्वर्ग का अनुभव करा रही थी।

अचानक रमेश के धक्के तेज होने लगे… उसकी सिस्कारियां बढने लगी। मैं समझ रही थी कि उसका वीर्य स्खलित होने वाला है। मुझे उससे पहले झड़ना था। मैंने अपने पांव अन्दर दबाते हुये अपनी चूत को टाईट कर ली, जिससे लन्ड का घर्षण तेज हो गया और मेरा पानी छूटने लगा। मैं आहिस्ता आहिस्ता झड़ने लगी।

पर इसका असर ये भी हुआ कि उसके लन्ड ने भी अपना लावा उगल दिया। उसका लन्ड टाईट चूत नही झेल पाया। उसकी पिचकारी निकल पड़ी…और उसका वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैं भी पूरी झड़ चुकी थी। मैं निढाल हो कर बिस्तर पर ही लेट गयी। पर रमेश उठा और तौलिया लेकर मेरी चूत के नीचे रख दिया। वीर्य रिस रिस कर तोलिये पर गिरता रहा… मैं भी उठ कर बैठ गयी। मैंने रमेश को पास आने का ईशारा किया… उसे मैंने अपनी तरफ़ खींच कर गले से लगा लिया…

‘थैन्क यू… रमेश… आज तुमने मुझे अच्छी तरह से संतुष्ठ कर दिया…’
‘अभी कहां… अभी तो शुरूआत है… अभी मेरा कमाल तुमने देखा कहां है…’
‘ ये तो साधारण सी चुदाई थी… अभी तो तुम्हे खड़े खड़े चोदना है… फिर नहाते हुए चोदना है… और…’
‘अरे… अरे… बस बस… चुदेगी तो मेरी चूत ही ना…।’

हम दोनो हंस पड़े… और हम कपड़े पहनने लगे…
मैंने रमेश से धीरे से पूछा,’ रमेश… कल का क्या…’
रमेश उत्साहित होत हुआ बोला,’ आज … क्या बस इतना ही… अभी तो पूरी रात बाकी है…’
‘धत्त… हटो … इतना क्या कम है …’
मैं एक बार फिर रमेश से लिपट पड़ी… Indian Sex Stories

हेल्लो दोस्तो! Sex Stories

मैं आज आप सबको यह सच्ची कहानी बता Sex Stories रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी साली को चोदा।
यह उन दिनों की बात है जब मेरा रिश्ता पक्का हुआ था। मेरी बीवी की 3 बहने हैं। एक बड़ी ओर दो छोटी।

सगाई के बाद मैं एक बार किसी काम से अपनी बड़ी साली के घर पर गया तो पता चला कि उसका पति टूर पर बाहर गया हुआ है और 3 दिन में वापिस आएगा।

मैं वहाँ रात को पहुँचा था। मेरी साली मुझे देख केर बहुत खुश हुई। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी। खाना खाने के बाद हम बातें करने लगे। मेरी बड़ी साली का नाम रीना है।

बातें करते करते मैंने कहा- मुझे नींद आ रही है तो उसने मुझे अपने साथ वाले कमरे में सोने को कहा। थोडी देर के बाद रीना मेरे पास आ कर बैठ गई।
मैंने शरारत में कहा- साली जी! क्या ख्याल है! आप के इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे।

तो वह बोली- यह जीजा साली का रिश्ता होता ही है ऐसा कि इसमें शरारत तो होती ही है। उसने नाईट गाऊन पहन हुआ था। मैंने धीरे से अपना पैर उसके पैर से छू दिया तो वोह मुस्कराने लगी।
मैं समझ गया कि मामला साफ़ है। मैंने उसे कहा- रीना पास आ जाओ और वोह मेरे पास आ कर लेट गई।
मैंने उसे कहा- तू कितनी सेक्सी है!
तो वह बोली- शर्म नहीं आती! साली पर लाइन मार रहे हो?
तो मैं बोला- अब तो साली की चूत मारूंगा!

यह सुन कर वोह मेरे से लिपट गई। मैंने उसका गाऊन उतार दिया, अब वोह बिल्कुल नंगी थी। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उस से लिपट गया और उस पर टूट पड़ा। मैंने उसके नंगे बदन को चूमना और काटना शुरू कर दिया।
वोह भी गर्म हो गई और कहने लगी- जीजू अपनी साली को चोद दो। जब से तुम्हें देखा है, तुमसे चुदने के लिए तरस रही हूँ!
मैंने अपना लण्ड उसके मुहँ में डाल दिया और वोह उसे प्यार से चूसने लगी।
फिर वोह बोली- मुझे अपने ऊपर आने दो।

वह मेरे ऊपर आ गई और मेरा लण्ड अपनी चूत में डाल कर आगे पीछे होने लगी और मेरे मुहँ में अपना निप्पल डाल दिया।
मैं उसके निप्पल को चूसने लगा और वोह झड़ गई।
फ़िर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे काफी देर तक चोदा।
उसके बाद 3 दिन तक उसे रोज 3-3 बार चोदा। मैंने उससे बाकी सालियों को चोदने के बारे में भी पूछ लिया जो मैं आप को बाद में बताऊँगा।
मैंने अपनी शादी वाले दिन अपनी छोटी साली को कैसे चोदा। Sex Stories

राज और भाभी0- Hindi sex stories

मेरा नाम राज है। मैं भोपाल का रहने वाला हूँ। मैं आप को अपनी Hindi sex storiesबताने जा रहा हूँ।

हमारे घर मैं, मम्मी और भैया तीन लोग ही थे। भैया का नाम मोहन है, भैया बहुत ही गुस्से वाले हैं।

वो बात बात पर गुस्सा करते थे इसलिये मैं उनसे बहुत डरता था। भैया मुझसे 6 साल बड़े हैं। मम्मी मुझे बहुत प्यार करती थी।

ये उस समय की बात है जब भैया की शादी हो गयी थी। भाभी का नाम किरण था और वो अभी उम्र में छोटी ही थी।

भाभी मुझे बहुत प्यार करती थी और मेरी देखभाल भी करती थी। उनसे मुझे मम्मी और भाभी दोनो का प्यार मिलता था।

भाभी के आ जाने के कुछ दिन बाद मैंने देखा कि भैया भाभी से बहुत डरने लगे। वो उनकी हर बात, चाहे सही हो या गलत, तुरन्त ही मान लेते थे।

एक दिन भाभी ने मम्मी से कहा- अब आप रहने दो, आज से मैं ही राज को तेल लगाऊँगी और नहलाऊँगी भी!

मम्मी ने कहा- मैं तो इसकी छुन्नी पर भी तेल लगा कर खूब मालिश करती हूँ। तू कैसे करेगी।

भाभी ने कहा- तो क्या हुआ, मैं राज की देखभाल ठीक वैसे ही करूंगी जैसे कि आप करती हैं।

भाभी मेरी देखभाल मम्मी की तरह से करने लगी।

वो मेरे सारे कपड़े उतार देती और फिर मम्मी की तरह से मेरे सारे बदन पर तेल लगाती थी, उसके बाद मेरी छुन्नी पर भी तेल लगा कर मालिश करती थी।
फिर वो मुझे अपने साथ बाथरूम ले जाती और अपने सारे कपड़े भी उतार कर एकदम नंगी हो जाती, उसके बाद वो मुझे अपने साथ ही नहलाती थी।

भैया की शादी के 6 महीने के बाद ही मम्मी का स्वर्गवास हो गया तो मैं उदास रहने लगा।
मैं कई दिनों तक स्कूल नहीं गया।

भाभी ने मुझे प्यार से समझाया- राज, तुम घबराओ मत, मैं तुम्हारी देखभाल ठीक उसी तरह से करूंगी जैसे तुम्हारी मम्मी किया करती थी।

मैं धीरे धीरे भाभी से एकदम घुलमिल गया और मम्मी को भूल गया।
अब मुझे मम्मी कि याद नहीं सताती थी।

जब कभी मैं शरारत करता तो भैया मुझ पर गुस्सा हो जाते थे।

जैसे ही भैया मुझ पर गुस्सा होते तो भाभी उन्हें घूर कर देखती और वो तुरन्त ही चुप हो जाते।

धीरे धीरे 3 साल गुजर गये।

मेरी छुन्नी भी अब थोड़ी बड़ी हो चुकी थी। भाभी जब तेल लगने के लिये मुझे एकदम नंगा कर देती तो मुझे शरम आती थी।

फिर जब वो मेरे सारे बदन पर तेल लगने के बाद मेरी छुन्नी पर तेल लगा कर मालिश करती तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था, तब मैं और ज्यादा शरमा जाता था।

वो कभी कभी मेरी छुन्नी को चूम भी लेती थी।

भाभी मुझसे अकसर मजाक में कहा करती थी- तेरी छुन्नी तो जवान आदमियों की तरह हो गई है।
मुझे अब तेरी शादी करनी पड़ेगी। मुझे तेरी छुन्नी बहुत अच्छी लगती है।

उनकी बात सुनकर मैं शरमा जाता था।

मैंने भाभी से कहा- अब मैं बड़ा हो गया हूँ मैं खुद ही नहा लूंगा।
वो बोली- क्यों अब तुझे शरम आती है।

मैंने कहा- हाँ। वो बोली- बदमाश कही का, आज तक मैं तेरी छुन्नी पर तेल लगा कर मालिश करती रही और तुझे अपने साथ नहलाती रही। मुझे आज तक शरम नहीं आयी और तू अब शरमा रहा है। मैं तेरी शादी होने तक खुद ही तेरी छुन्नी कि तेल लगा कर मालिश करूंगी और नहलाऊँगी भी। अगर बदमाशी करेगा तो मैं तुझे मारूंगी भी और तेरे भैया से कह दूंगी, फिर तुझे बहुत डांट पड़ेगी।

मैं भैया से बहुत डरता था इस लिये मैं चुप हो जाता था। भाभी अभी भी मेरे लण्ड को छुन्नी ही कहती थी।

धीरे धीरे मेरी छुन्नी पूरी तरह से लण्ड बन गयी।

भाभी अभी भी मुझे भैया का डर दिखा कर मेरी छुन्नी पर तेल लगाती और मुझे नहलाती भी थी।

भाभी के हाथ लगाने पर मेरा लण्ड बहुत सख्त हो जाता था। भाभी को तेल लगाने पर और भी मस्ती आने लगी थी।

एक दिन मैंने भाभी से कहा- अब तो मैं जवान हो गया हूँ। मेरी छुन्नी भी अब लण्ड बन गयी है। जब तुम मेरे लण्ड पर तेल लगाती हो तो मुझे कुछ कुछ होने लगता है, सख्त भी हो जाता है। अब मैं खुद ही नहा लिया करुंगा।

वो मुसकुराते हुये बोली- ठीक है, अब मैं तुझे नहीं नहलाऊँगी और ना ही तेल लगाऊँगी। अब तो खुश है ना।

मैंने कहा- हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ।

उसके बाद मैं खुद ही अपने सारे बदन पर तेल लगने लगा और नहाने भी लगा।

धीरे धीरे 2 साल और गुजर गये। अब मेरा लण्ड पूरे शवाब पर आ चुका था और 8″ लम्बा और खूब मोटा हो गया था।

मैं अब भी एकदम नंगा ही नहाता था। मैं भाभी से ज्यादा शरमाता भी नहीं था इस लिये मैं बाथरूम का दरवज़ा खुला छोड़ कर ही नहाता था।

भाभी भी मुझसे जरा सा भी नहीं शरमाती थी। वो पहले कि तरह ही एकदम नंगी ही नहाती थी और नहाने के बाद बाथरूम से नंगी ही बाहर आ जाती थी।

एक दिन मैं नहा रहा था और भाभी बाथरूम के पास से गुजर रही थी तो उनकी निगाह मेरे लण्ड पर पड़ी।

उन्होंने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये मजाक किया और कहा- बाप रे, तेरी छुन्नी तो अब एकदम खतरनाक हो गयी है। इतनी बड़ी छुन्नी मैंने आज तक नहीं देखी है। तू जवान भी हो गया है। अब तो तेरी शादी करनी ही पड़ेगी।

मैं शरमा गया और मैं टावेल लपेटने लगा।

भाभी बोली- पहले तो खूब मज़े से अपनी छुन्नी पर तेल लगवाता था। अब शरम आ रही है।
मैंने शरमाते हुये कहा- भाभी, जाओ ना।

वो बोली- अब बाथरूम का दरवाज़ा बन्द कर के नहाया कर, नहीं तो तेरी छुन्नी को मेरी नज़र लग जायेगी।

मैंने मजाक किया और कहा- तुम हमेशा इसे छुन्नी ही कहती रहोगी। ये तो अब छुन्नी से इतना बड़ा और मोटा लण्ड बन गया है। अब इसे लण्ड ही कहा करो।

वो बोली- अच्छा बाबा, अब मैं इसे लण्ड ही कहूँगी। मैं जाती हूँ, तू नहा ले।

भाभी चली गयी।
मैं नहाने लगा।

एक दिन भाभी उदास बैठी थी, मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं।
मैंने ज़िद करते हुये कहा- बताओ ना?

वो बोली- 6 साल गुजर गये और आज तक मैं माँ नहीं बन पाई। सारा दोष तेरे भैया का ही है।
मैंने कहा- क्या किया भैया ने?
वो बोली- वो मुझे मां बनाने के लायक ही नहीं हैं।
मैंने पूछा- क्यों?
वो बोली- मुझे शरम आती है।

मैंने कहा- आज तक तो मुझसे नहीं शरमाती थी, कब से शरम आने लगी?

वो बोली- बात ही कुछ ऐसी है।

मैंने कहा- बताओ ना?

वो कहने लगी- तेरा लण्ड देख कर मैं सोचती हूँ कि काश तेरे भैया का भी ऐसा होता तो आज मेरी कोख सूनी ना रहती। मुझे उनसे मज़ा भी नहीं मिल पाता।

मैंने कहा- इसमें मैं क्या कर सकता हूँ।

वो बोली- अगर मैं तुझसे एक बात कहूँ तो तू बुरा तो नहीं मानेगा क्योंकि वो बात कुछ ठीक नहीं है और मुझे ऐसा करना भी नहीं चाहिये।

मैंने कहा- तुम मेरे लिये इतना सब कुछ करती हो, क्या मैं तुम्हारे कुछ भी नहीं कर सकता। तुम बताओ तो सही?

वो बोली- इतने साल मैंने केवल तुझे पल-पोस कर कर बड़ा करने में गुजार दिये और कभी मां बनने के बारे में सोचा ही नहीं।

मैंने कहा- तुम बताओ तो सही कि मुझे क्या करना है?
भाभी बोली- मुझे शरम आती है।

मैंने कहा- जब मैं शरमाता था तब तो तुम मुझ पर गुस्सा होती थी। अब तुम शरमा रही हो तो मुझे क्या करना चाहिये, बताओ।

मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ी और बोली- मैं मां बनना चाहती हूँ और साथ ही साथ मैं चुदाई का मज़ा भी लेना चाहती हूँ। अगर तेरा कोई दोस्त हो और उसका लण्ड तेरे जैसा हो तो…
इतना कह कर वो चुप हो गई।

मैंने कहा- मैं समझ गया भाभी, लेकिन अगर भैया को पता चल गया तो?

वो बोली- वो क्या कर लेंगे। तू तो जानता ही है कि मैं जब उन्हें घूर कर देखती हूँ तो वो चुप हो जाते हैं। वो मेरी हर सही या गलत बात को मान भी लेते हैं। वो ऐसा क्यों करते हैं मैं आज तुझे बताती हूँ। तेरे भैया का लण्ड बहुत छोटा है। उनका लण्ड ठीक उतना ही बड़ा है जितना 13 साल के उमर में तेरा था। उनका चुदाई का काम भी बड़ी मुश्किल से 2 मिनट में ही खत्म हो जाता है। इसीलिये वो मुझसे डरते हैं।

मैंने कहा- अब मैं समझा कि वो तुमसे इतना डरते क्यों हैं।
भाभी ने कहा- मुझे तेरे भैया से कोई डर नहीं है।
मैंने कहा- आस पास के लोग क्या कहेंगे।

वो बोली- मैं यहाँ थोड़े ही चुदवाऊँगी। तेरे दोस्त के पास ही चलूंगी और तू मेरे साथ चलेगा।
मैंने कहा- मेरा एक दोस्त है, संजय। वो अकेले ही रहता है। मैं उससे बात कर लूँ, फिर तुम्हें उसके पास ले चलूँगा।
भाभी ने कहा- मुझे तेरे जैसा लण्ड भी चाहिये।

अब मैं भाभी से ज्यादा शरमाता भी नहीं था। मैंने तुरन्त ही अपनी लुंगी उतार दी और कहा- फिर मेरे लण्ड से ही काम चला लो। इधर उधर जाने कि क्या जरूरत है।

भाभी ने मेरे लण्ड पर अपने हाथ से हल्की सी चपत लगाते हुये कहा- तू इसे अपने पास ही रख। यह मेरे लिये पुराना हो चुका है। मुझे नया लण्ड चाहिये।

मैंने कहा- मैंने एक बार संजय का लण्ड देखा था। उसका मुझसे ज्यादा लम्बा और मोटा है।

वो बोली- फिर ठीक है। तू उस से बात कर ले लेकिन वो किसी से कहेगा तो नहीं?

मैंने कहा- नहीं वो किसी से नहीं कहेगा। फिर एक महीने के बाद ही वो अपने घर भी जाने वाला है। उसके बाद वो यहाँ वापस नहीं आयेगा। उसका घर तो यहाँ से 200 किलोमीटर दूर है।

भाभी ने कहा- फिर ठीक है।

मैं संजय के पास चला गया। मैंने संजय से बात की तो वो बहुत खुश हो गया।

एक घण्टे में मैं घर वापस आ गया।

भाभी बड़ी बेसब्री से मेरा इन्तजार कर रही थी, जैसे ही मैं घर के अन्दर पहुँचा तो वो बोली- काम हो गया?

मैंने कहा- हाँ, वो तैयार है।
भाभी ने पूछा- कब चलना है?
मैंने कहा- जब तुम चाहो।

भाभी बहुत ज्यादा जोश में आ चुकी थी और बोली- अभी चलूं?
मैंने कहा- चलो।

दोपहर के 11 बज रहे थे। भाभी ने भैया को फोन कर के बता दिया कि वो अपनी एक सहेली के यहाँ जा रही हैं, शाम के 5 बजे तक वापस आयेगी।

मैं भाभी को लेकर संजय के पास आ गया।

संजय भाभी को देख कर मुसकुराने लगा तो भाभी भी मुसकुरा दी।

संजय ने कहा- यहीं या कमरे में?
भाभी ने कहा- नहीं कमरे में।

भाभी ने मुझसे कहा- तू यहीं बैठ कर टीवी देख।

मैंने कहा- जब मुझे लाईव शूटिंग देखने का मौका मिल रहा है तो फ़िल्म क्यों देखूँ। मैं तुम्हारे साथ ही चलता हूँ।

वो बोली- मारूंगी अभी।
मैंने कहा- अच्छा बाबा जाओ।

मैंने टीवी पर एक फ़िल्म लगा दी और फ़िल्म देखने लगा।

भाभी संजय के साथ कमरे में चली गयी।

5 मिनट बाद ही कमरे से भाभी की चीखने और चिल्लाने की आवाजें आने लगी।

मैं समझ गया कि अन्दर क्या हो रहा है। संजय का लण्ड 10′ लम्बा और बहुत ही मोटा था। बहुत देर तक भाभी की चीखने और चिल्लाने की आवाज़ आती रही फिर धीरे धीरे उनकी आवाज़ आनी कम हो गई।

थोड़ी देर बाद ही भाभी की आहें और सिसकारियाँ सुनाई देने लगी।
15 मिनट के बाद संजय लुंगी पहने हुये पसीने से लथपथ कमरे से बाहर आया और बोला- जा, तुझे तेरी भाभी बुला रही हैं।

मैं कमरे के अन्दर गया तो भाभी बेड पर एकदम नंगी पड़ी हुई थी, केवल एक छोटे से कपड़े से उनकी चूत ढकी हुई थी।
उनके बाल बिखरे हुये थे, वो पसीने से एकदम लथपथ थी और उनकी सांसें बहुत तेज चल रही थी।

उन्होंने अपने पैरों को मोड़ कर फैला रखा था।
मैंने पूछा- क्या है?
वो बोली- मेरे पास आ।

मैं उनके पास जा कर बैठ गया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- तूने तो मुझे फंसा ही दिया।

मैंने पूछा- आखिर हुआ क्या?

वो बोली- मैंने तुझसे कहा था कि मुझे तेरे लण्ड के जैसा लण्ड चाहिये लेकिन तेरे दोस्त का तो बहुत ही ज्यादा लम्बा और मोटा है। मैं तो समझती थी कि थोड़ा सा फरक होगा।

मैंने पूछा, काम हो गया?
वो बोली- अभी आधा ही हुआ है।

मैंने कहा- आधा का क्या मतलब है।

वो बोली- दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी। बड़ी मुशकिल से मैं उसका आधा लण्ड ही अन्दर ले पायी हूँ। मैंने मजाक करते हुये कहा- अगर मैं होता तो एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर घुसा देता। वो बोली- तब तो मैं मर ही जाती।

इतना कह कर भाभी ने मेरे गालों को चूम लिया और बोली- संजय का लण्ड बहुत ही अच्छा है।

मैंने पूछा- मज़ा आया।

वो बोली- बहुत थोड़ा सा। जब वो पूरा अन्दर घुसा कर चोदेगा तब मज़ा आयेगा।

मैंने कहा- अबकि बार पूरा अन्दर ले लेना।

वो बोली- दर्द बहुत हो रहा था नहीं तो मैं पूरा अन्दर ले लेती। आज तूने मुझसे पहली बार कुछ कहा है और मैं तेरी बात टालूंगी नहीं। मैं अबकि बार पूरा का पूरा अन्दर ले लूगी भले ही कितना भी दर्द हो।

मैंने कहा- मुझे अपनी चूत तो दिखा दो।

वो बोली- बदमाश कही का, तू मेरी चूत देखेगा।
मैंने कहा- तो क्या हुआ। तुम मेरे सामने एकदम नंगी नहाती हो। तुम्हारा कुछ मुझसे छुपा है क्या।

वो बोली- अच्छा बाबा, बाद में दिखा दूंगी। पहले मुझे पूरा अन्दर तो ले लेने दे।

भाभी मुझसे बाते करती रही। अब हम दोनो में ज्यादा शरम नहीं रह गयी थी।

तभी संजय कमरे में आ गया और बोला- मैं फिर से तैयार हूँ।

भाभी ने मुझसे कहा- अब तू जा बाहर। मैंने मजाक किया, नहीं, मैं यही रहूँगा।

भाभी बोली- मुझे तेरे सामने शरम आयेगी ना।

मैंने कहा- अब काहे की शरम?

वो बोली- शरम खत्म होने में थोड़ा समय तो लगेगा ही। अब जा ना।

मैं कमरे से बाहर चला आया।

2 मिनट में ही फिर से भाभी की चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ आने लगी। इस बार वो कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चीख और चिल्ला रही थी।
लगभग 10 मिनट तक उनकी चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ आती रही, उसके बाद उनकी चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ धीरे धीरे शान्त हो गयी।

लगभग 20 मिनट के बाद संजय बाहर आ गया तो मैं भाभी के पास चला गया।

भाभी की हालत बहुत ज्यादा खराब दिख रही थी। उनका सारा बदन पसीने से एकदम लथपथ था और उन्होंने अपने पैरो को मोड़ कर पूरी तरह से फैला रखा था। उनके बाल बिखरे हुये थे। वो एकदम नंगी पड़ी हुयी थी केवल उनकी चूत एक छोटे से कपड़े ढकी हुयी थी।
मैंने पूछा- काम हो गया।

वो बोली- हाँ, लेकिन बहुत दर्द हुअ। तेरे कहने की वजह से मैंने इस बार पूरा अन्दर ले लिया नहीं तो मुझे अभी एक बार और करवाना पड़ता। उसका लम्बा होने के साथ साथ बहुत ज्यादा मोटा भी तो है।

मैंने मजाक किया- मज़ा तो आया ना?
वो बोली- बदमाश कहीं का।

मैंने कहा- बताओ ना?

उन्होंने शरमाते हुये कहा- थोड़ा सा।

मैंने कहा- वो क्यों?
वो बोली- इस बार दर्द बहुत हो रहा था ना।

मैंने कहा- फिर तो तुम्हारी चूत की हालत एकदम खराब हो गयी होगी?
वो बोली- बहुत ही ज्यादा खराब हो गयी है। मैं तो अब शायद 2-3 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पाऊँगी।

मैंने कहा- अब तो दिखा दो।
वो बोली- अभी नहीं।
मैंने कहा- फिर कब?

वो बोली- एक बार और करवा लेने दे तब मेरी चूत का मुँह एकदम खुल जयेगा। उसके बाद देख लेना।

मैंने कहा- ठीक है, मैं थोड़ी देर और सबर कर लेता हूँ।

लगभग 30 मिनट के बाद संजय फिर आ गया तो मैं बाहर चला आया।

इस बार भाभी की चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ ज्यादा देर तक नहीं आयी।
थोड़ी ही देर में उनकी सिसकारियाँ सुनाई देने लगी।
लगभग 20 मिनट के बाद ही संजय फिर से बाहर आ गया तो मैं कमरे में चला गया।

भाभी का चेहरा इस बार कुछ खिला हुआ था।
मैंने कहा- लगता है इस बार मज़ा आ गया।

वो बोली- हाँ, लेकिन तेरा दोस्त तो 10-15 मिनट से ज्यादा कर ही नहीं पाता नहीं तो मुझे और मज़ा आता।

मैंने कहा- अब तो दिखा दो।
वो बोली- शरम आती है।
मैंने कहा- अभी तो तुमने कहा था कि अगली बार दिखा दूंगी।

भाभी ने शरमाते हुये कहा- अच्छा बाबा, देख ले लेकिन अगर कही तुझे जोश आ गया तो।

मैंने कहा- मैं भी चोद दूंगा।
वो बोली- ठीक है, चोद देना।

मैंने भाभी कि चूत पर से कपड़ा हटा दिया। उनकी चूत कि हालत एकदम खराब हो चुकी थी। उनकी चूत का मुँह बहुत ज्यादा चौड़ा हो चुका था और उनकी चूत डबल रोटी कि तरह सूज गयी थी। उनकी चूत से ज्यूस टपक रहा था जिसमें थोड़ा सा खून भी मिला हुआ था। बेड कि चादर भी उन दोनो के ज्यूस से एकदम खराब हो चुकी थी।

मैं देर तक भाभी कि चूत को देखता रहा तो वो बोली- अब रहने भी दे। कब तक देखेगा। मैंने कहा- मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वो बोली- मेरी जान ही निकल गयी और तुझे अच्छा लग रहा है।

मैंने कहा- मज़ा भी तो आया।
वो बोली- हाँ, ये तो है।

मैंने कहा- फिर देखने दो ना।
वो बोली- ठीक है, जी भर कर देख ले।

मैंने कहा- मुझे भी जोश आ रहा है।
वो बोली- अगर तेरा दिल करता है तो तू भी अपनी प्यास बुझा ले।

मैंने कहा- तुम्हारी चूत मेरे लण्ड के लायक नहीं है।
वो बोली- क्यों, क्या खराबी है मेरी चूत में।

मैंने कहा- ये तो कुछ ज्यादा ही चौड़ी हो गयी है।

भाभी कुछ नहीं बोली।

लगभग 35 मिनट के बाद संजय फिर आ गया तो मैं बाहर चला आया। इस बार भी भाभी के चीखने कि आवाज़ ज्यादा देर तक नहीं आयी।

इस बार भी संजय 20 मिनट में ही कमरे से बहर आ गया तो मैं कमरे में चला गया।

इस बार भाभी एकदम नंगी पड़ी थी। उन्होंने अपनी चूत को भी नहीं ढका था।

मैंने पूछा, अब शरम नहीं आ रही है।
वो बोली- अब कहे कि शरम। अब तो तू मेरी चूत को देख ही चुका है।

मैंने कहा- वो तो मैं बरसो से देख रहा हूँ।

मैंने भी कि चूत को देखते हुये कहा- ये तो पहले से भी ज्यादा सूज गयी है।
भाभी ने कहा- आ, बैठ जा मेरे पास।

मैं उनके पास बैठ गया। उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहने लगी, तूने मुझे आज वो मज़ा दिलया है कि मैं सारी जीन्दगी इसे नहीं भुला पाऊँगी। मुझे अब लग रहा है कि मैं भी मा बन जाउँगी।

मैंने कहा- अब घर चलोगी या और भी चुदवाना है।

वो बोली- अब आज और नहीं।

मैंने कहा- फिर घर चलो।
वो बोली- चल।

भाभी उठने की कोशिश करने लगी तो उनके मुँह चीख निकल गयी।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- बहुत दर्द हो रहा है, घर कैसे जाउँगी।

मैंने कहा- फिर क्या करोगी।

वो बोली- थोड़ा गर्म पानी ले आ, मैं अपनी चूत की सिकाई कर लेती हूँ। इस से दर्द कम हो जयेगा।
मैंने कहा- अभी लाता हूँ।

मैं थोड़ी ही देर मैं गर्म पानी ले कर भाभी के पास आ गया। मैंने कहा- पानी लाया हूँ, सिकाई कर लो। वो सिकाई करने के लिये उठना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी। मैंने उनकी इतनी बुरी हालत देखी तो मैंने कहा- कहो तो मैं ही सिकाई कर दूं।

वो बोली- तू मेरी चूत की सिकाई करेगा।
मैंने कहा- तो क्या हुआ।
भाभी ने शरमाते हुये कहा- ठीक है, तू ही सिकाई कर दे।

मैंने गर्म पानी से भाभी कि चूत कि सिकाई शुरु कर दी। जोश के मारे मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया।
भाभी ने मेरा लण्ड देखा तो बोली- तेरा क्यों खड़ा हो गया।
मैंने कहा- चूत पर हाथ लगने से मुझे भी थोड़ा जोश आ गया है।
वो मुसकुरते हुये बोली- गड़बड़ मत करना।
मैंने कहा- होटल का खाना खाने के बाद घर का खाना थोड़े ही अच्छा लगता है। आखिर में घर का खाना ही खाना पड़ेगा।
वो बोली- अगर मेरा मन हुआ तो मैं घर का खाना भी खा लूंगी।

लगभग 20-25 मिनट कि सिकई के बाद मैंने कहा- अब उठ कर देखो, उठ पाती हो या नहीं। भाभी उठने की कोशिश करने लगी तो उनके मुँह से हल्की सी आह निकल गयी लेकिन वो उठ गयी।
मैंने कहा- अब चलो घर।
वो बोली- थोड़ी सिकई और कर लेने दे। उन्होंने मेरे हाथ से गर्म पानी और कपड़ा ले लिया और अपनी चूत कि सिकई करने लगी। 10-15 मिनट बाद वो बोली- अब घर ले चल मुझे।

भाभी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं भाभी को सहारा दे कर घर ले आया। अगले 2 दिनो तक भाभी संजय के पास नहीं गयी।

तीसरे दिन भाभी मुझसे कहने लगी, आज रात तेरे भैया से बात हो रही थी। मैंने उनसे बता दिया कि मैंने तेरे एक दोस्त से चुदवाया है। पहले तो वो थोड़ा नाराज़ हुये और फिर कहने लगे कि अगर तुझे चुदवाना ही था तो क्या राज बुरा था। राज का लण्ड भी तो खूब लम्बा और मोटा है। मैंने उनसे कह दिया कि मुझे राज से चुदवने में शरम आयेगी तो वो बोले फिर ठीक है तुम्हारी मरजी जीस से भी मन कहे चुदवाओ।

फिर मैंने उनसे कहा कि मैं कल से 10 दिनो के लिये संजय के पास जाउँगी तो वो बोले, चली जाओ। अब तू मुझे संजय के पास पहुचा दे। 10 दिनो के बाद मुझे लेने आ जाना।

मैंने कहा- ठीक है, चलो पहुचा देता हूँ।

मैं भाभी को संजय के घर छोड़ कर आने लगा तो मैंने संजय से कहा- भाभी का ख्याल रखना।

वो बोला- तू चिंता मत कर।

मैंने भाभी से मजाक करते हुये कहा- कम से कम 50 रन जरूर बनाना।

उन्होंने मुसकुरते हुये कहा- मैं 51 रन बना दूंगी, तू चिंता मत कर। समय से मुझे लेने आ जाना।

मैंने कहा- मैं आ जाऊँगा।

10 दिन के बाद मैं भाभी को लेने संजय के घर गया। भाभी मुझे देखकर बहुत खुश हो गयी।
मैंने मुसकुराते हुये पूछा, कितने रन बने।

वो थोड़ा उदास हो कर बोली- तू मुझे घर ले चल, मैं तुझे बाद में बता दूंगी। मैं भाभी को लेकर घर चला आया।

घर पहुचने पर मैंने भाभी से पूछा, अब बताओ कि कितनी बार चुदवाया।
वो बोली- केवल 44 बार लेकिन मैं मा नहीं बन पाऊँगी।
मैंने पूछा- वो क्यों।

वो बोली- संजय कल घर जा रहा है, अब वो यहाँ नहीं आयेगा।

मैंने कहा- इतने दिन तुमने उस से चुदवाया है, अब तो उसका बच्चा भी तुम्हारे पेट में आ भी गया होगा।

वो बोली- मुझे आज सुबह ही महीना आ गया। अगर उसका बच्चा मेरे पेट में आ गया होता तो मुझे महीना थोड़े ही आता।

मैंने कहा- एक पंडित जी हैं, मैं तुम्हे उनके पास ले चलता हूँ।

वो बोली- फिर देर काहे कि, अभी चल।

मैं भाभी को लेकर पंडित के पास आ गया।
पंडित ने भाभी कि कुंडली देखी और कहा- कुंडली के हिसाब से तुम्हारी जीन्दगी में 4 मरद आयेंगे। पहले के 3 मरद तुम्हें बच्चा नहीं दे पायेंगे। चौथे मरद से ही तुम्हें बच्चा होगा। तुम्हारी कुंडली से ये भी पता चलता है कि तुम अपने देवर के बच्चे कि मां बनोगि और तुम्हें जुड़वा लड़के पैदा होंगे लेकिन सावधान रहना। जब तक तुम्हारी जीन्दगी में 3 मरद नहीं आ जाते तब तक तुम अपने देवर से बच्चा पैदा करने की कोशिश मत करना नहीं तो तुम कभी भी माँ नहीं बन पाओगी।

भाभी ने मेरी तरफ़ इशारा करते हुये कहा- लेकिन पंडित जी, मेरा तो एक ही देवर है और वो ये है। मैंने ही इसे पालपोस कर बड़ा किया है फिर मैं कैसे इससे मा बनने के बारे में सोच सकती हूँ।

पंडित जी ने कहा- बेटी जरा सोचो। अगर तुम्हारी शादी 24 साल की उमर में हुयी होति तब ये 20 साल का होता, तब तो तुम इसके बच्चे कि माँ बनने को कोशिश करती या नहीं।
भाभी ने कहा- तब तो मैं जरूर कोशिश करती।
पंडित जी ने कहा- बात तो आखिर वही हुयि, फरक केवल इतना ही है कि तुम्हारी शादी जल्दी हो गयी और उस समय ये छोटा था। अगर तुम मा बनना चाहती हो तो तुम्हें इसकी मदद ही लेनी पड़ेगी। तुम्हारी कुण्डली देखने से ये भी पता चलता है कि तुम दोनो में बहुत ही ज्यादा प्रेम होगा। अब तुम ही बताओ कि मैं सही कह रहा हूँ या गलत।

भाभी ने कहा- पंडित जी, आप एकदम सही कह रहे हैं। मैं अपने देवर को बहुत प्यार करती हूँ और वो भी मुझे बहुत प्यार करता है।

भाभी ने मेरी तरफ़ इशारा करते हुये कहा- पंडित जी, मैं इसकी कुण्डली भी लायी हूँ, देख लीजीये। पंडित जी ने बहुत देर तक मेरी कुण्डली देखी और बोले, बेटी, इसकी कुण्डली तो बहुत ही अच्छी है। इस से तो 4 जुड़वा बच्चे पैदा होंगे यानि कि कुल मिला कर 8 बच्चे।

भाभी हंसने लगी तो पंडित जी बोले- बेटी, हंसो मत, मेरी बात ध्यान से सुनो। एक जुड़वा बच्चा तो इसकी अपनी बीवी से होगा लेकिन एकदम आखिर में। बाकी के 3 जुड़वा बच्चे 3 सगी बहनो से पैदा होगे। एक जुड़वा बच्चा तो तुमसे पैदा होना है। बाकी बचे 2 जुड़वा बच्चे। क्या तुम्हारी कोई सगी बहन भी है।

भाभी ने कहा- मेरी 2 बहने और भी है। एक मुझसे 2 साल बड़ी और एक 2 साल छोति।
पंडित जी ने कहा- बेटी मेरी बात का बुरा मत मानना। तुम्हारी दोनो बहनो को भी इस से 2 जुड़वां बच्चे पैदा होगे। अगर तुम अपनी दोनो बहनो कि कुण्डली ले आओ तो मैं एकदम साफ़ साफ़ बता दूंगा।

भाभी ने कहा- मैं अभी मंगा देती हूँ।

भाभी ने मुझसे कहा- आलमारी में रीना और रोशनी कि कुण्डली रखी है, जा कर ले आ।
थोड़ी ही देर मैं घर से कुण्डली ले आया। पंडित जी ने दोनो कुण्डली देखी और बोले, अब मेरी समझ में सारी बात आ गयी।

भाभी ने कहा- बताये पंडित जी।
पंडित जी कहने लगे- तुम्हारी बड़ी बहन कि जिन्दगी में 2 मरद आयेंगे। पहला तो उसका पति होगा और दूसरा उसका देवर। उसको भी अपने देवर से ही बच्चा पैदा होगा वो भी जुड़वां। रीना की कुण्डली से ये भी पता चलता है कि उसका कोई सगा देवर नहीं होगा। क्या ये बात सही है।

भाभी ने कहा- एकदम सही है।
पंडित जी ने कहा- फिर तुम्हारे देवर से ही रीना को भी जुड़वां बच्चा पैदा होगा। अब रही रोशनी कि बात। उसकी कुण्डली से भी ठीक यही बात सामने आती है। उसे भी अपने देवर से ही जुड़वां बच्चे पैदा होगे और उसके भी कोई सगा देवर नहीं होगा। क्या मैं सही कह रहा हूँ।

भाभी ने कहा- एकदम सही कह रहे हैं आप।
पंडित जी ने कहा- फिर रोशनी को भी तुम्हारे देवर से ही जुड़वां बच्चा पैदा होगा। लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है।
भाभी ने कहा- वो क्या पंडित जी?
पंडित जी ने कहा- रोशनी कि जीन्दगी में कुल 21 मरद आयेगे। पहला मरद तो उसका पति होगा और आखिरी मरद तुम्हारा देवर। लेकिन उसकी जिन्दगी में बाकि के 19 मरद कहाँ से आयेगे ये मैं नहीं बता सकता। खैर छोड़ो जाने दो। भविष्य में क्या होने वाला है वो तो केवल ईश्वर ही जानता है।

मैं भाभी के साथ घर आ गया।
भाभी ने कहा- तेरे भैया ठीक ही कह रहे थे कि मुझे तुझ से ही चुदवा लेना चाहिये था। मैं तो अब तुझसे ही चुदवा कर बच्चा पैदा करूंगी।
मैंने कहा- वो तो ठीक है भाभी लेकिन अभी तो तुम्हारी जिन्दगी में केवल 2 मरद ही आये हैं, पहले तीसरा तो आ जाने दो।
वो बोली- देखा जायेगा लेकिन अब तो तू खुश हो जा।
मैंने कहा- वो किस लिये। भाभी ने कहा- तुझे मेरी और मेरी दोनो बहनो कि चुदयी करने का मौका जो मिलने वाला है।
मैंने कहा- आने दो सालियों को, उन्हें भी चोद दूंगा।

भाभी हसने लगी और बोली- तू मेरी बहनो को गाली दे रहा है।
मैंने कहा- मेरी ये जुर्रत कि मैं तुम्हारी बहनो को गाली दूंगा।
भाभी ने कहा- अभी तुमने कहा ना कि आने दो सालियों को उन्हें भी चोद दूंगा।
मैंने कहा- मैंने कोई गलत बात थोड़े ही कही है, आखिर वो दोनो मेरी सालियाँ ही तो हैं।
मेरी बात सुनकर भाभी जोर जोर से हसने लगी।

5 दिन बाद भाभी ने नहाया। उसके बाद वो एकदम नंगी ही बेड रूम में आयी और श्रृंगार करने लगी। उन्होंने बहुत प्यारी सी खुशबू भी लगायी।
मैंने कहा- तुम्हारा इरादा तो आज खतरनाक लग रहा है। आज किस का कतल करने का इरादा है।
वो बोली- तेरा।
मैंने कहा- अभी तो 2 ही हुये हैं, तीसरा तो आ जाने दो।
इतना सुनते ही वो मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने पूछा, क्या हुआ, रो क्यों रही हो।

वो बोली- मुझे तुझसे बच्चा चाहिये।
मैंने कहा- वो तो ठीक है लेकिन पंडित जी कि बात याद है ना।
वो रोते हुये कहने लगी- मेरी जीन्दगी में तीसरा मरद पहले ही आ चुका है। जब तू मुझे संजय के पास छोड़ कर घर चला आया तो दूसरे दिन उसका एक दोस्त महमूद आ गया था। मैं लाख मना करती रही लेकिन महमूद ने भी मुझे जबरदस्ती चोद दिया। मैं चिल्लती रही लेकिन उन दोनो ने मेरी एक ना सुनी। उसके बाद मैंने संजय से कहा कि मैं घर जा रही हूँ। संजय ने महमूद को घर भेज दिया। उसके बाद ही मैंने उस से इतने दिनो चुदवया।

भाभी की बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने कहा- जब मैं तुम्हें लेने गया था तब ही बताना चाहिये था। मैं संजय कि अच्छी तरह से खबर लेता। भाभी ने कहा- मैं कोई बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहति थी। अब जो होना था वो तो हो ही चुका है। मुझे माफ़ कर दे। इतना कह कर वो मेरे कनधे पर सिर रख कर रोने लगी। मैंने उन्हें समझा बुझा कर चुप कराया। थोड़ी देर बाद वो नोरमल हो गयी।

मैंने पूछा- मुझे अपनी चूत नहीं दिखाओगी?
वो मुसकुरा कर बोली- सारा का सारा बदन तो तेरे सामने एकदम खुला पड़ा है। आज से मैं खुद को तेरे हवाले कर रही हूँ। अब तू मेरे बदन का जैसे भी चहे इस्तेमाल कर और मुझे मा बना दे।
मैंने कहा- मैं एक बात कहना चाहता हूँ।
वो बोली- अब क्या है।
मैंने कहा- जब तुम्हारे पेट में बच्चा आ जयेगा तब तुम नहीं चुदवाओगि। मैं चहता हूँ कि पहले हम दोनो खूब जी भर के जवानी का मज़ा उठा ले। उसके बाद बच्चा पैदा करेंगे।
वो बोली- ये तो बहुत ही अच्छा रहेगा। मैं आज से ही पिल्स लेना शुरु कर दूंगी।
मैंने कहा- फिर मैं कहाँ से शुरु करूं।
वो बोली- जहाँ से तेरा मन कहे। मैंने कहा- तुमने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बहुत मालिश की है और इसे चूमा भी है। लेकिन आज तक तुमने कभी मेरा लण्ड नहीं चूसा, चूसोगी इसे।
वो बोली- क्यों नहीं चूसुन्गी।

भाभी ने तुरन्त ही मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है?
वो बोली- बहुत ज्यादा क्यों कि आज तक मैंने किसी का लण्ड नहीं चूसा है और आज पहली बार लण्ड चूस रही हूँ वो भी अपने प्यारे देवर का।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी चूत को चाटना चहता हूँ।
वो बोली- तो फिर चाट जल्दी से। आज तक किसी ने मेरी चूत भी नहीं चाटी है।

मैंने कहा- क्या कह रही हो।
वो बोली- एकदम सही कह रही हूँ। आज तक तेरे भैया कभी मेरी चूत ही नहीं चाटी।
मैंने पूछा- और संजय ने?
वो बोली- उसने भी कभी मेरी चूत नहीं चाटी। वो तो लण्ड खड़ा होने के बाद सीधे जुट जाता था और झड़ने के फौरन बाद हट जाता था। उसे केवल मेरी चुदायी करने से मतलब था और वो ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट ही चुदायी कर पाता था।

मैं भाभी के उपर 69 कि पोजीशन में हो गया। वो मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उनकी चूत चाटने लगा। मैंने पूछा, ठीक से चाट रहा हूँ ना?
वो बोली- तू तो बहुत ही अच्छी तरह से चाट रहा है। और तेजी से चाट, बहुत मज़ा आ रहा है।
मैंने भाभी कि चूत को और ज्यादा तेजी से चाटना शुरु कर दिया। 2 मिनट में ही भाभी कि चूत से ज्यूस निकल आया तो मैंने कहा- लगता है बहुत जोश में हो।
वो बोली- आज अपने देवर का लण्ड जो अन्दर लेने वाली हूँ।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत का ज्यूस चाट लूं। वो बोली- जैसी तेरी मरजी। मैं भाभी कि चूत का ज्यूस चाटने लगा तो वो सिसकारी लेने लगी।

थोड़ी देर बाद मेरे लण्ड का ज्यूस भी उनके मुँह में निकलने लगा। उन्होंने सारा ज्यूस निगल लिया और बोली- जिन्दगी में आज मुझे पहली बार लण्ड के अमृत का स्वाद चखने को मिला है।
मैंने पूछा- अच्छा लगा?
वो बोली- बहुत ही अच्छा था।
मैंने फिर से भाभी कि चूत को चाटना शुरु कर दिया और वो मेरा लण्ड चूसने लगी। 5 मिनट के बाद ही भाभी फिर से झड़ गयी तो मैंने उनकी चूत का सारा ज्यूस चाट लिया।
वो बोली- आज तक मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला, तू तो एकदम पक्का खिलाड़ी लग रहा है।
मैंने कहा- तुमने ही तो बनाया है।

तभी मुझे बदमाशी सूझी। मैंने अपनी एक अंगुली भाभी की गाण्ड के छेद पर रख दी और कहा- मैं इसका मज़ा भी लेना चाहता हूँ। वो बोली- फिर तू यहीं से शुरु कर दे। मुझे भी आज तक इसका मज़ा नहीं मिला है। मैंने कहा- इसका मज़ा भी लूंगा लेकिन बाद में। वो बोली- अभी क्यों नहीं। मैंने कहा- पहले तुम्हारी चूत का मज़ा तो ले लूं।

हम दोनो ऐसे ही बातें करते रहे। थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो भाभी ने कहा- अब बरदाश्त नहीं हो रहा है, शुरु हो जा।
मैंने कहा- मैं नहीं चोदूंगा।
वो बोली- क्यों। मैंने कहा- तुम ही चोदो।
वो बोली- मैं ही चोद देती हूँ लेकिन चिल्लाना मत।
मैंने कहा- मैं कोई औरत थोड़े ही हूँ कि मुझे दर्द होगा और मैं चिल्लाऊँगा।
वो बोली- मैं अपने देवर को चोदूंगी तो पूरि मस्ती से चोदूंगी। ऐसा धक्का लगाऊँगी कि तुझे तेरी नानी याद आ जायेगी।
मैंने कहा- कसम से, तब तो बहुत मज़ा आयेगा।

इतना कह कर मैं बेड पर लेत गया। भाभी मेरे ऊपर आ गयी। मैं पूछा, किसी को चोदा है कभी?
वो बोली- कभी नहीं लेकिन आज तुझे पहली बार चोदने जा रही हूँ।
मैंने कहा- चोदने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
वो बोली- अभी पता चल जायेगा।
भाभी ने मेरा लण्ड अपनी चूत में डाल लिया और जोर जोर के धक्के लगने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्यों कि आज पहली बार मेरे लण्ड ने चूत को टच किया था और कोई औरत मुझे चोद रही थी।

थोड़ी देर बाद भाभी ने कहा- कैसा चोद रही हूँ?
मैंने कहा- बहुत ही अच्छी तरह से।
वो बोली- तू जानता नहीं है कि मैं कितनी सेक्सी हूँ।
मैंने कहा- तुम कब से सेक्सी बन गयी।
वो बोली- जब से मैं तेरे लण्ड की मालिश कर रही हूँ।
मैंने कहा- तो फिर पहले क्यों नहीं चुदवाया।
वो बोली- शरम आती थी।
वो जोर के धक्के लगाती रही और थोड़ी देर बाद ही झड़ गयी।

उसके बाद वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरे होठों को चूमते हुये बोली- देखा मैं तेरी नानी याद करा दी।
मैंने कहा- मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ।
वो बोली- मैंने तेरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर डाल के और धक्का लगा लगा के अपनी चूत का पानी निकल दिया।
मैंने कहा- मेरा पानी निकलो तब पता चलेगा।
वो बोली- वो मेरा काम नहीं है। मुझे मज़ा लेना था मैंने ले लिया। तुझे मज़ा लेना है तो मेहनत तो तुझे ही करनी पड़ेगी।
मैंने कहा- वो तो है। अब देखो मैं तुम्हें कैसे तुम्हारी नानी याद दिलाता हूँ।

मैं भाभी के ऊपर आ गया। मैंने उनके पैरो को मोड़ कर उनके कन्धे के पास सटा दिया और दबा कर जोर से पकड़ लिया। वो एकदम दोहरी हो गयी और उनकी चूत एकदम उपर उठ गयी। उसके बाद मैंने उनकी चुदायी शुरु कर दी। मैंने बहुत जोर जोर के धक्के लगने शुरु किये तो भाभी बोली- मेरी सारी हड्डियाँ तोड़ दलेगा क्या।
मैंने कहा- अभी तो ये शुरुआत है। आगे आगे देखो मैं क्या करता हूँ।

मैंने पूरे ताकत से साथ बहुत जोर जोर के धक्के लगते हुये भाभी को चोदना शुरु किया तो वो बोली- उयीईई… मां… तू तो बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा है।
मैंने कहा- अभी तो तुमने मा को ही याद किया है, थोड़ी ही देर में नानी को भी याद करोगी।
वो हंसने लगी।
मैंने पूछा, मज़ा आ रहा है?
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है। तेरे दोस्त का लण्ड भले ही तुझसे ज्यादा लम्बा और मोटा था लेकिन उसने कभी भी उसने मुझे इतनी अच्छी तरह से नहीं चोदा।
मैंने कहा- मुझसे चुदवाने के बाद तुम उसे भूल जओगी।
वो बोली- मैं तो इतनी देर की चुदायी में ही उसे भूल गयी।

मैं भाभी को पहली पहली बार में ही इतनी अच्छी तरह से चोद देना चाहता था कि वो उन दोनो को एकदम भूल जाये। तभी भाभी के मुँह से जोर जोर कि सिसकरी निकलने लगी, रज्जज्ज… मैं… तो… गयीईईह्ह्ह्ह…… इसके साथ ही भाभी कि चूत से ज्यूस निकलने लगा। उनकी चूत से इस बार बहुत ढेर सारा ज्यूस निकला।
मैं रुका नहीं, मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी। भाभी का सारा बदन पसीने से लथपथ हो गया। मेरा सारा बदन भी पसीने से नहा गया। मेरे चेहरे का पसीना भाभी के चेहरे पर टपा टप गिरने लगा।
मैं जोर जोर के धक्के लगता हुअ भाभी को चोदता रहा। 5 मिन्ट भी नहीं बीते थे कि वो फिर से झड़ गयी और बोली- उस दिन तू कह रहा था ना कि अगर मैं होता तो एक ही बार में पूरा अन्दर घुसा देता।
मैंने कहा- हाँ, कहा तो था। भाभी ने कहा- आज मैं समझ गयी कि तू एकदम सही कह रहा था।

मुझे भाभी कि चुदायी करते हुये लगभग 10 मिनट और बीते थे कि वो फिर से झड़ गयी। जब उनकी चूत का सारा ज्यूस निकल गया तो मैंने कहा- मैं उस दिन एकदम सही कह रहा था, कहो तो कर के दिखा दूं।
भाभी ने कहा- वो कैसे, तेरा तो पूरा अन्दर घुस ही चुका है।

मैंने कहा- कभी गाण्ड मरवायी है।
वो बोली- कभी नहीं।
मैंने कहा- गाण्ड मरवाने के लिये तैयार हो।
वो बोली- एकदम तैयार हूँ।
मैंने कहा- कहो तो एक ही बार में पूरा का पूरा लण्ड तुम्हारी गाण्ड में घुसा कर दिखा दूं।
वो बोली- दिखा दे।
मैंने कहा- बहुत चिल्लाओगी।
वो बोली- चिल्लाने दे ना।
मैंने कहा- बहुत दर्द होगा।
वो बोली- होने दे ना।

मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाला। मेरा लण्ड भाभी कि चूत के ज्यूस एकदम भीगा हुअ था। मैंने भाभी कि चूत पर से थोड़ा सा ज्यूस उनकी गाण्ड के छेद पर लगा दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड के छेद पर रख दिया और कहा- तैयार हो जाओ।
वो बोली- मैं तैयार हूँ।
मैंने एक धक्का मारा तो वो जोर से चीखी। मेरे लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड में घुस गया था। मैंने दूसरा धक्का मारा तो मेरा लण्ड उनकी गाण्ड को चीरता हुआ 3′ तक अन्दर घुस गया। वो जोर जोर से चिल्लाने लगी। मैंने तीसरा धक्का मारा तो उनकी गाण्ड से खून निकल आया और मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में 5′ अन्दर घुस गया।
मैं रुका नहीं। मैंने बहुत जोरदर 2 धक्के और लगा दिये तो पूरा का पूरा लण्ड उनकी गाण्ड में समा गया। वो जोर जोर से चिल्ला रही थी और उनकी आंखो से आंसू निकल आये। दर्द के मारे उनका बुरा हाल हो रहा था। मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरु कर दी।

थोड़ी देर तक वो चिल्लाती रही फिर धीरे धीरे शान्त हो गयी। 5 मिनट में ही भाभी को मज़ा भी आने लगा। मैंने पूछा, अब क्या ख्याल है।
वो बोली- तू तो बहुत ही खराब आदमी है।
मैंने कहा- क्यों, मज़ा नहीं आया?
वो बोली- मज़ा तो आया लेकिन दर्द भी तो हुआ।
मैंने कहा- वो तो होना ही था लेकिन जितना होना चाहीये था उतना तो नहीं हुआ होगा।
वो बोली- और जोर जोर से धक्के लगा। मैंने कहा- वो तो लगाऊँगा ही।

मैंने और ज्यादा जोर जोर के धक्के लगने शुरु कर दिये। थोड़ी ही देर में भाभी एकदम मस्त हो गयी। 10 मिनट तक उनकी गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से निकल कर उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चुदायी शुरु कर दी।

5 मिनट में ही भाभी फिर से झड़ गयी और बोली- कितनी बार मेरी चूत का पानी निकलेगा।
मैंने कहा- तुम देखती जाओ।
मैंने उनकी चूत से अपना लण्ड निकल कर उनकी गाण्ड में डाल दिया। 5 मिनट गानद मरने के बाद मैंने फिर से उनकी चुदायी शुरु कर दी। 10 मिनट कि चुदायी में ही वो फिर से झड़ गयी तो मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरु कर दी।

भाभी बोली- लगता है कि तू आज मेरी चूत का भुरता बना देगा। मैंने कहा- इसी को तो असली चुदायी कहते हैं। वो बोली- वो तो मैं आज समझ ही गयी क्यों कि तेरा दोस्त ने तो मुझे ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट तक ही चोदा था। मैंने कहा- देखती जाओ, अभी तो मैं बहुत देर तक चोदने वाला हूँ।

5 मिनट तक उनकी गाण्ड मारने के बाद मैंने फिर से उनकी चुदायी शुरु कर दी। 10 मिनट में ही भाभी फिर से झद गयी और बोली- अब रहने दे, मैं एकदम थक गयी हूँ।
मैंने पूछा, नानी याद आयी या नहीं।
वो बोली- नानी की बात कर रहा है तू, मुझे तो नानी कि मम्मी भी याद आ गयी, अब रहने दे।
मैंने कहा- अभी मेरे लण्ड का पानी कहाँ निकला है।
वो बोली- फिर जल्दी से निकाल।
मैंने कहा- वो मेरे बस में नहीं है।
वो बोली- फिर किस के बस में है।
मैंने कहा- तुम्हारे।
वो बोली- मैं क्या कर सकती हूँ।
मैंने कहा- तुम भी नीचे से धक्का लगओ।
वो बोली- तूने तो मेरा पैर जोर से पकड़ रखा है। मेरा पैर छोड़ेगा तब ही तो धक्के लगाऊँगी।

मैंने भाभी के पैर छोड़ दिये तो उन्होंने भी अपना चूतड़ उठा उठा कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने और ज्यादा जोर जोर के धक्के लगने शुरु कर दिये।

10 मिनट की चुदायी के बाद मैं झड़ गया। वो भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी। मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बहर निकला और हट गया। वो बोली- तेरा लण्ड तो बहुत ही खतरनाक है।
मैंने कहा- तुमने ही तो इसे तेल लगा लगा कर इतना खतरनाक बनया है। मैं तुम्हारी दोनो बहनो को भी ऐसे ही चोदुंगा।
वो बोली- जरूर चोदना लेकिन मुझे आज चुदवाने में जो मज़ा आया है ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था। मैं तो आज दोबारा चुदवाने के लायक ही नहीं रही।
मैंने कहा- मैं तो आज कम से कम 2 बार और चोदुंगा।
वो बोली- अच्छा बाबा, चोद लेना। लेकिन तू ये तो बता कि तुझे झड़ने में इतनी देर क्यों लगती है।
मैंने कहा- किसी से कहोगी तो नहीं।
वो बोली- बिल्कुल नहीं।
मैंने कहा- तुम मेरे लण्ड पर तेल लगा कर कितनी देर मालिश करती थी।
वो बोली- 15-20 मिनट।
मैंने कहा- जब मैं तुम्हें चोद रहा था तो 15-20 मिन तक तो मुझे यही लग रहा था कि मेरे लण्ड कि मालिश हो रही है। उसके बाद मुझे धीरे धीरे जोश आना शुरु हुआ। लगभग 15 मिन के बाद मैं पूरे जोश में आ गया। जोश में आने के बाद मैंने 20-25 मिनट तक ही तो तुम्हारी चुदायी की।
वो बोली- अब मैं समझी कि तू इतनी देर तक कैसे चोद पाता है।

मैंने उस दिन भाभी को 2 बार और चोदा। अगले 3 महीने तक मैं भाभी की चुदायी करता रहा और उनकी गाण्ड भी मारता रहा।
एक दिन भाभी बोली- बच्चा नहीं पैदा करना है।
मैंने कहा- करना क्यों नहीं है।
वो बोली- अगर तुझे पूरा मज़ा मिल गया हो तो मैं पिल्स लेना बन्द कर दून।
मैंने कहा- ठीक है, बन्द कर दो।
भाभी ने पिल्स लेनी बन्द कर दी। लगभग 40 दिन गुजर गये लेकिन उनको महीना नहीं आया। दोस्तों के पास जाने पर पता चला कि वो मां बनने वाली है। भाभी बहुत खुश हो गयी।
उन्होंने घर आ कर ये बात भैया को बतायी तो भैया बहुत ही खुश हो गये और बोले, मैं कहता था ना कि राज से काम चला लो, बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं है।
भाभी ने कहा- सोरी, मुझे माफ़ कर दो। मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। भैया ने कहा- जब बच्चा पैदा हो जायेगा तब ही मैं तुम्हें माफ़ करुंगा

भाभी ने घर का काम करने के लिये एक नौकरानी रख ली। उसका नाम मधु था और उसकी उमर लगभग 35 साल की थी। मैंने भाभी से कहा- तुमने ये क्या किया। जवान नौकरानी रखती तो मेरा काम भी हो जाता।
भाभी बोली- अब कुछ दिन आराम कर लो वरना सेहत खराब हो जायेगी। समय पूरा हो जाने के बाद भाभी को जुड़वां बच्चे पैदा हुये। उन दोनो कि शकल मेरे जैसी ही थी। भैया बहुत खुश हो गये।
भाभी ने भैया के पैर पकड़ लिये और कहा- अब तो मुझे माफ़ कर दो। भैया ने भाभी के माथे को चूम लिया और कहा- मैंने आज तुम्हारी सारी गलती माफ़ कर दी। अब तो खुश हो जाओ।
भाभी ने कहा- अब तो मैं बहुत खुश हूँ।
भैया ने कहा- एक बात और है।
भाभी ने कहा- कहिये।
भैया ने कहा- जब घर में ही अच्छा खाना मिल रहा हो तो होटल जाने की क्या जरूरत है। समझ रही हो ना मेरी बात।
भाभी ने मेरी तरफ़ देखा और मुसकुराने लगी। मैं शरमा गया। भैया जब कमरे से बाहर जाने लगे तो बड़े प्यार से मेरे गाल पर हलकी सी चपत लगा गये। आज जिन्दगी में पहली बार भैया मेरे साथ प्यार से पेश आये थे।

1 महीने के बाद बच्चे की खुशी में घर पर दावत थी। भाभी की दोनो बहने रीना और रोशनी भी आयी थी। उस दिन तो मेहमानो कि धूम रही। दूसरे दिन रीना और तीना को छोड़ कर सारे मेहमान चले गये। दोपहर में हम सब आपस में हंसी मजाक कर रहे थे। तभी भैया बोले, मैं मारकेट जा रहा हूँ, कुछ काम है। शाम तक आ जाऊँगा।

भैया मारकेट चले गये। उनके जाने के बाद मैं भाभी के बगल में बैठ गया। रीना और रोशनी मुझसे हंसी मजाक करने लगी। तभी भाभी उन दोनो को पंडित जी कि कही हुयी बात बताने लगी। मैं तुरन्त उठ कर खड़ा हो गया और भाभी से कहा- तुम लोग बातें करो मैं बाहर जा रहा हूँ। भाभी ने शरारत भरे अन्दाज़ मैं कहा- मेरे प्यारे प्यारे बच्चो के पापा जी, चुपचाप बैठ जाओ, वरना…… मैंने कहा- वरना क्या।
वो बोली- वरना बहुत मारूंगी।
मैंने कहा- एक तरफ़ तो अपने बच्चो का पापा कहती हो और दूसरी तरफ़ मारने की धमकी भी देती हो। ये बहुत गलत बात है।
भाभी ने कहा- मेरी दोनो बात सही है। तू मेरे बच्चो का पापा भी है और मेरा देवर भी। मैं तुझे भाभी के हक से मारूंगी भी। चुपचाप बैठ जा। मैं भाभी के पास बैठ गया।

भाभी ने पंडित जी कि सारी बात रीना और रोशनी को बता दी। उन्होंने संजय और महमूद के बारे में भी उन दोनो को बता दिया। भाभी बोली- लेकिन पंडित जी कि ये बात मेरी समझ में नहीं आयी कि रोशनी की जिन्दगी में 19 मरद और कहाँ से आयेंगे। मुझे तो पंडित जी कि ये बात सही नहीं लगती। तभी रोशनी भाभी से लिपट कर रोने लगी। भाभी ने पूछा, तुझे क्या हुआ। वो रोते हुये कहने लगी कि पंडित जी कि बात एकदम सही है।

6 महीने पहले कि बात है। एक दिन मैं शहर से जा रही थी। रास्ते में अचानक मेरी तबियत खराब हो गयी। अन्धेरा होने लगा तो मैं एकदम परेशान हो गयी। तभी मुझे एक बस आती दिखायी दी। मैंने बस वाले को रुकने का इशारा किया तो बस रुक गयी। मैं बस में चढ गयी। उस बस में फ़ुटबॉल के 16 खिलाड़ी थे। उन खिलाड़ियों के साथ उनका कोच भी था। बुस में एक क्लीनर भी था। वो कुल मिलकर 19 लोग थे। लगभग 30 मिनट के बाद एकदम अन्धेरा हो गया तो उन्होंने एक सुनसान जगह पर बस रोक दी। उसके बाद उन सब ने मेरे साथ एक एक कर के…… इतना कह कर रोशनी जोर जोर से रोने लगी।

रीना और भाभी ने तीना को समझा बुझा कर चुप कराया।

उसके बाद हम इधर उधर कि बातें करने लगे। एक घन्टे में रोशनी एकदम नोरमल हो गयी। वो फिर से हंसी मजाक करने लगी। रोशनी और रीना मुझसे पहले से ही एकदम खुल कर बात करती थी और मुझसे छेड़छाड़ करती रहती थी। थोड़ी देर बाद रोशनी मेरी तरफ़ इशारा करते हुये बोली- मेरी जिन्दगी में 20 मरद तो आ गये, आज इसका नम्बर है। मेरी शादी को भी इतने साल गुजर गये लेकिन मैं मां नहीं बन पायी। दीदी, तुम इस से कह दो कि ये मुझे भी मां बना दे।
भाभी ने कहा- तू तो कल घर चली जायेगी। एक दिन में ही ये तुझे कैसे मा बनायेगा।
रोशनी बोली- फिर मैं एक महीने तक यहीं रुक जाती हूँ। क्यों कि जब मैं यहाँ आयी थी उसके 3 दिन पहले ही मैंने नहाया था और तब से मैं उनके साथ सोयी नहीं।
मैंने मजाक करते हुये कहा- तुम तो बहुत ही गन्दी औरत हो। इतने दिन हो गये और तुमने नहाया ही नहीं। रोशनी ने मेरे गाल जोर से काट लिये और बोली- बुद्धू, मैं रोज रोज नहाने वाली बात थोड़े ही कर रही हूँ। भाभी और रीना हसने लगे।

भाभी ने रीना से पूछा, मां बनने के बारे में तेरा क्या ख्याल है।

रीना बोली- तेरे पति कि तरह से ही मेरे पति का लण्ड भी एकदम छोटा है और वो भी 2 मिनट में ही झड़ जाते हैं। तूने अभी बताया था कि इसका लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा है। अगर मैंने इस से कराया तो मेरे पति को पता चल जायेगा, फिर मैं उन्हें क्या जवाब दूंगी। मुझे तू ऐसे ही रहने दे।
भाभी ने कहा- पंडित जी बात गलत नहीं हो सकती। आज ना सही देर सबेर तू भी इसके बच्चे कि ही मा बनेगी। रीना बोली- देखा जायेगा। रोशनी बोली- दीदी, तुमने बताया था कि ये बहुत ही अच्छी तरह से चोदता है। मैं तो पूरे जोश में आ गयी हूँ और मेरी चूत भी गीली हो चुकी है। इसके पहले कि जीजू बाजार से वापस आ जायेन मैं इसे दूसरे कमरे में ले जाती हूँ और कम से कम एक बार तो मज़ा ले ही लेती हूँ।

मैंने मजाक किया, क्यों, अपनी दीदी के सामने शरम आती है। वो बोली- भला मुझे क्यों शरम आने लगी। अगर तेरे में हिम्मत है तो मुझे चोद कर दिखा दीदी के सामने।
भाभी ने कहा- रोशनी, इसे चैलेन्ज मत कर, ये बहुत ही खराब आदमी है। ये तुझे हमारे सामने भी चोद सकता है।
रोशनी बोली- मैं इसे बरसों से जानती हूँ। इसमें इतनी हिम्मत नहीं है। दीदी, तुम्हें याद है ना जब तुम्हारे कहने पर मैंने एक बार इसके लण्ड पर तेल लगाया था ये कितना शरमा रहा था। ये मुझे तुम सब के सामने नहीं चोद सकता। मैंने भाभी से कहा- इसे समझा दो, नहीं तो मैं इसे यहीन पर चोद दूनगा।
तीना ने मुझे चिधते हुये कहा- रहने दे, रहने दे। मैंने भाभी से कहा- समझाओ इसे, नहीं तो गड़बड़ हो जायेगी। रोशनी बोली- क्या गड़बड़ करेगा तू। मैंने कहा- मैं अभी बताता हूँ इसे।

मैं पहले से ही जोश में आ चुका था और मेरा लण्ड भी खड़ा हो चुका था। मैंने अपनी लुन्गी उतार कर फेक दी और भाभी और रीना के सामने ही रोशनी को पटक दिया। उसके बाद मैंने रीना का पेटीकोट उठा कर एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। रीना शरमा गयी और उसने अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया लेकिन भाभी मुझे देखती रही। उन्होंने मुझे इशारा कर दिया कि मैं अपना काम जारी रखूं।

मैंने रोशनी की चुदायी शुरु कर दी। 2 मिनट में ही रोशनी पूरी मस्ती में आ गयी। उसने मुझसे चूतड़ उठा उठा कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने भी उसे पूरे जोश और ताकत के साथ खूब जोर जोर के धक्के लगाते हुये चोदना शुरु कर दिया।

20-25 मिनट कि चुदायी के बाद रोशनी बोली- ओह राज, तुमने तो मुझे इतनी देर में ही एकदम पागल कर दिया है। मैं 2 बार झड़ भी चुकी हूँ, अब रहने भी दो। मैंने कहा- रोशनी रानी, ये तो शुरुआत है, अभी तो बहुत देर लगेगी।

भाभी बोली- मैं कह रही थी ना कि इसे चैलेन्ज मत कर लेकिन तू नहीं मानी, अब भुगतो।

Antarvasna

सभी पाठकों को मेरा प्रणाम, मेरा Antarvasna नाम मोहित है मैं रतलाम में रहता हूँ और अंतर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

दोस्तो, यह बात फ़रवरी के महीने की हैं, रतलाम मे मेरी दूर के रिश्ते की मासी के लड़के की शादी थी उसमे मुझे एक भाभी मिली जिसका नाम सोनम था। बात करने पर पता चला कि वो दूर के किसी रिश्ते मे मेरी भाभी लगती है। उसका रंग सांवला था हाइट करीब 5’5′ होगी दिखने में एक दम सेक्सी थी उसका फिगर 34-28-32 का था।

मैंने गौर किया कि वो सुबह से ही मुझमें रुचि ले रही है। साथ में घूमना, खाना, इधर उधर की बातें करना।

दिन की बात है वो मुझे घूर रही थी, तभी अचानक मैंने उनसे कहा- भाभी देखते हैं कौन बाद में पलक झपकता है!
तो उन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली तो मैंने कहा- लो आप तो हार गयी लाओ मेरा इनाम!
तो उसने कहा- माँग लो आपको जो भी माँगना हो!

उसकी इस बात से मेरा नज़रिया थोड़ा बदल गया लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई, मैंने उनसे कहा- रहने दो आप नहीं दे पाओगी!
मेरा ऐसा कहने पर उसने कहा- मुझे पता है आपको क्या चाहिए!
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- आपको किस चाहिए ना!

उसके मुख से ऐसी बात सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर किस कर दिया। उसने मेरा पूरा साथ दिया लेकिन तभी कमरे का दरवाजा बजा और हम अलग हो गये, लेकिन अब हमारी तड़फ़ बढ़ने लगी थी । फिर शाम को रिसेपशन के समय उसने लाल रंग का लांचा पहना था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी।
उन्होंने मुझसे कहा- आज से मैं आपकी भाभी नहीं बीबी हूँ, आप मुझे जैसे चाहो खा सकते हो!

फिर हमने जल्दी जल्दी खाना खाया और मेरे दोस्त की गाड़ी लेकर हम घूमने चले गये और फिर एक होटेल में मैंने उसे 5 बार अलग अलग तरीके से चोदा।

फ़िर उस रात मेरे एक दोस्त की बाइक लेकर मैं और सोनम शादी में से निकल गए। उसने मुझे पीछे से पकड़ रखा था और जब हम थोडी सुनसान जगह पहुंचे तो उसने उसका हाथ मेरे शर्ट के अन्दर डाल दिया, उसके स्पर्श से मेरे तन में गर्मी आ गई और मैं उसे एक होटल में ले गया।

होटल में मैंने एक कमरा बुक करना चाहा तो मैनेजर ने कहा- सर, मेडम! नॉन एसी रूम चलेगा?
मैंने कहा- ठीक है!
उसने होटल में 17 नम्बर का कमरा खुलवा दिया और हम दोनों कमरे में आ गए। मैंने कमरे में आते ही सोनम को कहा- सोनम आज मैं तुम्हें अपना बना के रहूँगा!

तो उसने कहा- आप की जो मर्जी हो वैसा करो लेकिन में आपसे बहुत प्यार करती हूँ इसलिए मुझे भी आप अपना पूरा प्यार देना!
उसकी इस बात ने मेरी वासना को और भड़का दिया, मैंने उसका लांचा खोल दिया और वो मुझसे लिपट गई।
मैंने भी कुरता पहना था, उसने उसे खोल दिया, फिर उसने मुझे बेड पर बिठा दिया और कहा- मोहित! आज हमारी सुहाग रात है!
मैंने कहा- जानेमन आ जाओ! तुम्हें अपने प्यार का स्वाद चखाता हूँ!

फ़िर हम दोनों एक दूसरे को पागलों जैसे किस करने लगे। उसने अपना हाथ मेरे पजामे में डाल दिया, मेरा लंड जो खड़ा था, उसने उसे पकड़ लिया और मेरे सुपाड़े की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी। मेरी हालत ख़राब हो रही थी। लग रहा था मानो मेरा लंड फट जाएगा।

फ़िर मैंने उसके स्तन मसलने चालू कर दिए और कुछ ही समय में हम दोनों प्राकृतिक अवस्था में थे। सोनम ने कमरे की लाईट बंद कर दी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
2 या 3 मिनट ही हुए थे और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया.
उसने कहा- मोहित! आपका टेस्ट कितना अच्छा है! क्या आप मुझे नहीं चखोगे?

मैंने उसके बूब्स को मुँह में लेकर चूसना चालू किया और कुछ ही देर में मैं उसकी चूत पर था। उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल बड़े सेक्सी लग रहे थे।
मैंने उसकी चूत को चाटना चालू किया तो उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी और वो मेरा सर पकड़ कर अपने चूतड़ उठा उठा कर अपनी चूत चटवा रही थी और अचानक उसने मेरा मुँह हटा दिया और कहा- अब आप मुझे खा जाओ!
उसके इन शब्दों ने मुझे पागल बना दिया और मैंने एक सेकंड में अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का लगाया..

वो इसके लिए तैयार नहीं थी और अचानक ऐसा होने से वो एक दम डर सी गई और अगले ही झटके में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था।
दोस्तों उसकी चूत इतनी टाइट नहीं थी जितनी मेरी गर्ल फ्रेंड की थी।
और इसी तरह मैंने उससे 2-3 अलग अलग आसनों में चोदा और हम दोनों झड़ गए…

ऐसे 3 दौर पूरी रात चले और फिर हम एक दूसरे को बाहों में जकड़ के सो गए..

सुबह वो उठी और रोने लगी।
मैंने पूछा- सोनम! क्या हुआ?
तो वो मेरे गले लग के बोली कि मोहित! शायद हमने अच्छा नही किया… मैं शादी शुदा हूँ और मैंने ये सब…बस वो ये बोल ही रही थी कि मैंने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और किस करने लगा..
और उससे कहा- सोनम! इस जन्म में ना सही पर अगले जन्म में मैं तुम्हारा ही रहूँगा .. मेरे मुँह से ऐसी बात सुन कर वो खुश हो गई और फिर हम दोनों होटल से शादी की धर्मशाला आ गए…

उसके बाद आज तक वो मुझे नहीं मिली.
लेकिन एक बात तो अभी कहना चाहता हूँ कि भाभी को चोदने में जितना मज़ा आता है उतना तो गर्ल फ्रेंड को चोदने में भी नहीं आता!

पर दोस्तो, आप के ईमेल तो मिलना चाहिए इसलिए मुझे मेल करें… Antarvasna

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