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हाय दोस्तो, मेरा नाम मोहित है। मैं बीए कर रहा हूं। मेरी उमर बीस वर्ष की है। मैं इन्दौर में रहता हू। मैं आपको मेरी पहली Antarvasna सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं।
मेरे घर के पास दीपिका नाम की लड़की रहती थी, वो सिर्फ़ 18 वर्ष की थी। मेरी एक गर्ल फ़्रेण्ड थी उसका नाम विनीता था। दीपिका को मेरे और विनीता के सेक्स सम्बन्ध के बारे पता था।
जब मैं विनीता को कहीं ले जाता था तो ये बात दीपिका के अलावा कोई नहीं जानता था। क्योंकि मैं दीपिका के घर से ही विनीता को फोन किया करता था। विनीता और दीपिका अच्छी सहेलियों की तरह बाते करते थे। विनीता, मेरे और उसके के बीच हुये सेक्स के बारे में दीपिका को बता दिया करती थी।
विनीता को ये नहीं पता था कि उसके द्वारा सेक्स के बातें बता देने से दीपिका के मन में भी चुदाने की इच्छा जागृत हो गयी थी।
वो मेरे घर आकर मुझे पूछती- मोहित भैया, कल आपने विनीता के साथ क्या क्या किया।
मैं उससे बोलता- तुझे क्या काम है?
और टाल देता था।
वो मेरी देख कर शरमा कर चली जाती थी।
जब मैंने विनीता से दीपिका के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मेरे और उसकी चुदायी की सारी बातें दीपिका को बता देती थी। मैं अब सब कुछ समझ गया था।
एक दिन जब मैं आपने घर में काम कर रहा था तो दीपिका मेरे पास आई और मुझसे बात करने लगी। मैंने उसको कहा- तू अभी जा, थोड़ी देर से आना, मुझे कुछ काम करना है।
मगर वो नहीं मानी।
मैं थोड़ी देर तक कहता रहा फिर वो चली गयी।
मेरी मम्मी को बाज़ार जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा कि वो थोड़ी देर में वापिस आ जायेगी तुझे चाय पीनी हो तो दीपिका को बोल देना वो बना देगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मम्मी के जाने के ठीक बाद दीपिका फिर से मेरे यहां आ गयी और मुझे परेशान करने लगी। मैं आज अपना काम नहीं कर पा रहा था। इतने में दीपिका मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी। मैं उसे पकड़ने के लिये खड़ा हुआ और झपट कर मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आ गये थे। वो बहुत ही नर्म थे और छोटे छोटे ही थे। मेरे हाथों से उसके कोमल स्तन दब से गये थे। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर था। उसकी चूतड़ की गोलाइयों ने मेरे लण्ड को छू कर उसमें आग सी लगा थी। थोड़ी देर तक पकड़ने के बाद उसने मुझे मेरा पेन वापस दे दिया। मैं अब पेन नहीं लेना चाहता था, मजा जो आ रहा था। पर मुझे छोड़ना ही पड़ा।
मैंने उसको कहा- मेरे लिये चाय बना दे।
उसने कहा- ठीक है भैया!
और वो चाय बनाने के लिये चली गयी।
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि अब क्या करूँ। मगर अब मुझसे बिना सेक्स करे बिना नहीं रहा जा रहा था। मैं धीरे से उसके पास किचन में गया। और उसके पीछे जा कर खड़ा हो कर चिपक सा गया और कहने लगा- क्या अभी तक चाय नहीं बनी।
मेरे स्पर्श से वो लहरा सी गयी। फिर मैं उसके पीछे से हट गया क्योंकि वो समझ गयी थी।
वो मुझसे कहने लगी- भैया दूर रहो, करण्ट सा लगता है!
मैं भी समझ गया गया था कि वो क्या कह रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया में जा रही हूं अपने घर।
मैंने कहा- रुक ना … चाय तो पीने दे, उसके बाद चली जाना।
उसने कहा- ठीक है, पी लो।
मैं उसे अपने कमरे में ले गया। वो मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गयी। मैंने सोचा कि अब क्या किया जाये।
मैंने उससे जान कर विनीता की बात को छेड़ा, मैंने उससे पूछा- तेरी विनीता से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं।
फिर मैंने उसको कहा- तू विनीता को फोन कर के यहां बुला ले।
उसने कहा- क्यों, यहां क्यों बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसीलिये।
उसने कहा- ठीक है।
वो बोली- मैं फोन कर के आती हूं।
मैंने कहा- रुक।
मेरे यह कहने से वो रुक गयी और कहने लगी- क्या कह रहे हो भैया?
मैंने उससे पूछा- विनीता तुझे क्या क्या बताती है?
तो उसने कहा- कुछ नहीं।
मैं समझ गया कि यह अब डर रही है मुझसे बोलने में।
मैंने कहा- दीपिका मेरे पास तो आ।
वो बोली- क्यों?
मैंने कहा- आ तो सही।
वो धीरे से मेरे पास आई, मैंने उसको बेड पर बैठाया और कहा- दीपिका तुझे सब पता है ना मेरे और विनीता के सेक्स के बारे में?
तो वह कहने लगी- भैया मुझे कुछ नहीं पता है कसम से।
वो उस समय डर गयी थी।
फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं। तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर मगर विनीता से मत पूछा कर।
तो उसने तुरन्त पूछा- क्यूं?
मैंने कहा- कहीं विनीता ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से हां की।
उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या? अभी बता।
तो उसने धीरे से अपने चेहरे को नहीं में हिलाया।
फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरु कर दिया। थोड़ी देर तक तो वो ना ना कर रही थी उसके बाद वो गौर से सुनने लगी। मैंने उसको एक दिन की बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की बात सुनाओ ना?
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाऊंगा नहीं बल्कि करके बताऊंगा।
“नहीं ना … हटो … नहीं।”
“करके बताना चाहता हूं। उसमें अधिक मजा आता है.”
वो एकदम से खड़ी हो गयी। मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होठों की चुम्मी लेने लगा। वह मुझसे छूटने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी। मगर मैंने उसको छोड़ा नहीं।
थोड़ी देर के बद मैंने उसको कहा- बेड पर लेट जा.
मगर वो बोली- मैं चिल्ला दूंगी। भैया मुझे छोड़ो!
मैंने कहा- ठीक है, तू चिल्ला!
मैंने उसको अपने हाथों में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसके उपर लेट गया। मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा। थोड़ी देर तक तो वो ना ना करती रही। फिर मैंने अपने एक ही हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिय। और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल लिया।
वो नहीं नहीं कर रही थी।
फिर मैं उसकी सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा। थोड़ी देर तक यह करने के बाद वो भी गर्म होने लगी। मैंने फिर उसके हाथ को छोड़ दिया और उसके बाद में समझ गया कि अब यह भी गर्म हो गयी है।
फिर मैंने उसकी कुरती उतार दी और उसके साथ उसकी शमीज भी उतार दी. मैं उसके स्तन को सहलाने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा। मुझे पता था कि यह पहली बार सेक्स कर रही है।
उसके मुंह से ह्हह्ह ह्हह्ह … ह्हह की आवाज आ रही थी।
मैंने उसको कहा- मैं विनीता के साथ भी यही करता हूं।
तो उसने अपनी बन्द आँखें खोली और कहा- उसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया था कि यह अब पूरी गर्म हो गयी है। मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिये। अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैंने भी फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले कर आया। मैंने मेरे लण्ड पर तेल लगाया जो कि 7 इन्च का है। उसके बाद उसकी चूत पर तेल लगाया।
मैंने उससे कहा- क्या मैं अपना लण्ड डालूं?
तो उसने कहा- डाल दो ना भैया।
मैंने जैसे ही अपना लण्ड थोड़ा सा उसकी चूत में दबाया तो वह जोर से चिल्ला दी- ऊऊऊऊ उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊओ म्मम आआआ आयीईईई ईईईईए नहीईईई उईईई भैयाआआ निकालो।
मैंने अपना लण्ड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा, तू इतनी ज़ोर से मत चिल्लाना।
उसने कहा- ठीक है, मगर भैया थोड़ा धीरे धीरे डालना।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। तो वह फिर से चिल्लाई. मैंने अपना मुंह उसके मुंह में रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे कर के ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।
उसके बाद वह तो समझो मर ही गयी थी, इतनी ज़ोर से चिल्लाई- मम्मयय ययय नहीईई ईईई भैअयाआआ आआआ आअ निकालो ऊऊऊ ऊऊऊह
फिर मैंने उसका मुंह से अपना मुंह लगा लिया और वो ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। उसकी चूत में से खून आने लग गया और वह पागल सी हो गयी।
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदते ही चला गया। थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड से सफ़ेद गाढ़ा सा वीर्य निकल गया जो मैंने बाहर निकाल दिया और उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा।
मेरे लण्ड को उसकी चूत में से बाहर निकालने बाद ही उसने शान्ति की सांस ली और कहा- भैया, अब मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊंगी।
मैंने उससे कहा- तू अपना खून साफ़ कर ले और कपड़े पहन ले।
मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये और उसके बाद अपना काम करने लग गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे में से बाहर आई और कहा- भैया मैं जा रही हूं।
मैंने कहा- ठीक है, अब कब आयेगी?
तो उसने कहा- जब समय मिलेगा।
Antarvasna stories आज भी मैं उसको जब भी मौका मिलता है तो चोदता रहता हूं। अब वो भी चुदायी का पूरा मजा लेती है।
मैं गुरुजी का शुक्रिया करना चाहता हूँ Antarvasna मैंने अन्तर्वासना में कितनी सारी कहानियाँ पढ़ी हैं।अब मैं चाहता हूँ कि आप मेरा अनुभव पढ़ें !यह कहानी मेरे सामने ही रहती एक भाभीजी की है जिन्हें मैं देखते हुए भी मुठ मार लिया करता था। उनकी बरफ़ बनाने की फ़ैक्टरी है। वोह रोज झाड़ू लगाती तो उसकी श्वेत दूधियाँ रोज़ मुझे दिखती थी।
एक दिन उसका पति किसी काम से बाहर गया था तो मैं उसके घर गया और बोला- भाभीजी ! आपके पास चार किनारे वाला स्क्रु ड्राईवर है?
तो उसने बोला- वोह तो आपके पास है !
मैं उसकी भाषा नहीं समझ पाया।
फ़िर भाभीजी बोली- आप रोज़ इस तरह मुझे क्यों घूरते हो?
मैं बोला- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो इसलिये मैं आपको देखता हूँ।
फ़िर भाभी बोली- तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है !
और थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे ऐसे पकड़ा और मैं भी उनको चूमने लगा। मैंने गाल से चालू किया चूमना।
धीरे धीरे मैंने उनके होंठ के साथ अपने होंठों से किस किया। उनकी जीभ मेरे मुँह में ऐसे चल रही थी कि बहुत मज़ा आ रहा था।
फ़िर मैंने उनकी गर्दन पर अपनी जीभ चलानी शुरू की और वो थोड़ी गर्म होने लगी। फ़िर मैंने उसे दिवार की और उल्टा कर दिया। उनकी गान्ड मेरे लन्ड को छू रही थी और उनके मुँह से आवाज़ निकल रही थी- आ औ औइ अं अह …
और फ़िर मैंने उनका ब्लोउज़ निकाला। उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। पहली बार उनके बड़े बड़े स्तनों के पूर्ण नग्न दर्शन हुये। मेरा लन्ड भी अंगड़ाई ले रहा था और उनके चुचूक मैंने अपने मुँह में लिए।
अरे यारो ! उनके निपल इतने बड़े थे कि कैसे बताऊँ आपको ! मैंने इतने मोटे निपल पहले कभी नहीं देखे थे। और फिर मैंने उनके पेटिकोट का नाड़ा खोला और पेटिकोट निकाल दिया और उसने काले रंग की कच्छी पहनी थी।
अब वो सिर्फ़ कच्छी में थी और नीचे बैठ गई और मेरा लन्ड चूसने लगी। अब मेरे मुँह से आवाज़ निकल रही थी- श ऽऽह श ले मेरी रानी मेरा लन्ड चूस और चूस मेरी रानी !
उसके बाद मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उनकी कच्छी को निकाल दिया और उनकी चूत चाटने लगा। मैंने पूरी जीभ उसकी चूत में डाल दी और वो आहें भरने लगी- ऊऽऽ ऊऽ ऊ ऊऽआ आ आ आ औ इऽऽ … और अन्दर डाल कर जीभ हिलाओ मेरे राज़ा ! आज तू मुझे जी भर के चोदना ! मैं भी तेरे लन्ड की प्यासी हूँ !
मैं उल्टा हो गया, अब उनकी चूत मेरे मुँह में और मेरा लन्ड उनके मुँह में ! हम दोनों इतने मशगूल हो गये और फ़िर दोनों ने खूब चाटा।
फ़िर भाभी बोली- अब मुझसे नहीं रहा जा रहा ! तुम मुझे चोदो !
फ़िर मैंने मेरा लन्ड 6″ का उनकी चूत में डाला और थोड़ा गया तो भाभी बोली- धीरे से डालो ना !
फ़िर भाभी की बात ना सुनते हुए मैंने पूरा लन्ड ही उनकी चूत में डाल दिया।
भाभी बोली- मर गई मैं ! आऽऽऽऔ चोद डाला तूने जालिम मुझे ! मेरी चूत की थोड़ी तो चिन्ता कर !
फ़िर 15-20 धक्कों के बाद भाभी मुझे चोदने लगी। वो मुझे धक्के देने लगी। अब भाभी को मज़ा आने लगा था ऊऽऽआऽऽऔऽअऊ आ औ अ ऽऽऽ अ ऊ आ औ अ और जोर से चोद ! मेरी चूत फ़ाड डाल आज ! जोर से चोदो मुझे !
और मेरी स्पीड इतनी बढ़ गई थी कि भाभी इतनी देर में कई बार झड़ चुकी थी और उनकी चूत भी एक दम चिकनी हो गई थी। भाभी अब कुछ भी बोल नहीं पा रही थी, सिर्फ़ आवाज़ निकाल रही थी- आ आ औ औ औ ऊ ओ !
और करीब एक घंटे तक चुदाई चलती रही। फ़िर मैं भी झड़ने वाला था। मैंने भाभी को बोला- मैं झड़ने वाला हूँ, कर दूँ अन्दर ?
भाभी बोली- अन्दर नहीं करना, बाहर निकालो, उसको मुझे पीना है।
फिर मैंने भाभी को हाथ में दे दिया और भाभी मेरा लन्ड हिलाने लगी और जैसे ही मैं झड़ा तो भाभी ने मेरा सारा वीर्य अपने मुँह में समा लिया और सब पी गई।
अगर आप लोगों को मेरी कहानी पसन्द आई हो तो मुझे मेल कीजियेगा।
अगर न पसन्द आई हो तो भी कृपया मुझे मेल कीजियेगा Antarvasna
एक दिन ई-मेल देखते Sex Stories समय मैंने देखा कि किसी प्रिया नाम की लड़की का मेल आया है। मैंने वह मेल खोला और पढ़ने लगा। वह मेल किसी प्रिया नाम की लड़की का था और वह मुम्बई में रहती थी। उसने लिखा था- मैंने आपकी कहानी पढ़ी और मुझे बहुत अच्छी लगी, आप बस ऐसे ही कहानियाँ लिखते रहो और कृपया मुझे मेरी ई-मेल पर भेजो। मुझे ऐसी कहानियाँ बहुत पसन्द हैं।
मैंने उत्तर में उससे पूछा- आप कहाँ की रहनेवाली हैं, और आप की उम्र कितनी है?
तो दूसरे ही दिन उसका प्रत्युत्तर आया “मैं भी मुम्बई में रहती हूँ और मेरी उम्र २२ साल है।
फिर मैंने उससे पूछा- कभी किसी के साथ सेक्स किया है?
तो उसने उत्तर दिया- नहीं।
मैंने पूछा- क्यों? कभी मन नहीं करता सेक्स करने का?
उसने कहा- मन तो बहुत करता है पर मुझे डर लगता है, कहीं सेक्स करने के बाद घर पर पता ना चल जाए।
मैंने उसे प्रस्ताव दिया- इस मामले में मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ, अगर तुम मान जाओ तो।
उसने पूछा- कैसे?
तो मैंने बताया- मैं तुम्हारे साथ सेक्स करने को तैयार हूँ और मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊँगा, ये मेरा वादा है।
उसने कहा- लेकिन यह कैसे सम्भव होगा? तुम मुझे कहाँ मिलोगे और हम लोगों को ऐसी जगह कहाँ मिलेगी जहाँ हम दोनों के सिवा तीसरा कोई ना हो।
मैंने लिखा- हम लोग किसी रिसॉर्ट में जाएँगे, वहाँ एक कमरा लेंगे और पूरा दिन मज़ा करेंगे।
उसने लिखा- नहीं मुझे डर लगता है, कहीं उल्टा-सीधा हो गया तो! सेक्स के बाद अगर मुझे गर्भ रह गया तो?
मैंने लिखा- ऐसा कुछ भी नहीं होगा, मैं कॉण्डोम चढ़ा लूँगा अपने लण्ड पर, फिर तो कुछ भी गड़बड़ नहीं होगी। तुम मुझे शुक्रवार को विरार स्टेशन पर मिलो, सुबह 9 बजे।
उसने कहा- ठीक है।
और वह शुक्रवार को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार हो गई। मैंने अभी तक उसको देखा भी नहीं था, ना ही उसका आवाज़ ही सुनने का मौक़ा मिला था। मैं बहुत ही रोमांचित था कि मुझे शुक्रवार को एक अनछुई चूत मिलने वाली है, जिसकी सील मुझे तोड़ने को मिलेगी।
वह दिन भी आ गया। मैं पौने नौ बजे ही वहाँ पहुँच गया और मेडिकल से कोहिनूर कॉण्डोम ख़रीद लिए। मैं उसका इन्तज़ार करने लगा। उसने बताया था कि वह गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहनकर आएगी और मैंने भी उसे बता दिया था कि मैं काली टी-शर्ट और नीली जीन्स-पैन्ट में रहूँगा। इससे हम एक-दूसरे को पहचान सकते थे।
क़रीब बीस मिनट के बाद एक लड़की मेरे सामने आई और पूछा- अमित?
मैंने कहा- तुम प्रिया हो?
उसने हाँ कहते हुए अपनी गर्दन नीची कर दी।
वह बेहद ख़ूबसूरत थी। क़द 5’4″ और फ़िगर 34-26-34. दिखने में एकदम सेक्सी थी। उसने गुलाबी रंग की सलवार-कमीज़ पहन रखी थी। कमीज़ के ऊपर से उसके वो दो उभार साफ दिखाई दे रहे थे, वे पूरे मौसम्मी के आकार के थे। उसकी चूचियों के आकार देखकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैं उसे लेकर एक रिसॉर्ट में गया और वहाँ एक कमरा लेकर हम उसमें चले गए। कमरे में जाते ही देखा कि वहाँ एक बिस्तर था और शौचालय व स्नानघर भी था। मैंने दरवाज़ा बन्द करके कुण्डी लगा दी। वह बिस्तर पर बैठी थी। मैं बाथरूम जाकर थोड़ा तरोताज़ा होकर आ गया, फिर उसे भी फ्रेश हो जाने को कहा। वह उठकर बाथरूम चली गई।
थोड़ी देर बाद वह जैसे ही बाथरूम से बाहर आई, मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे धीरे-धीरे चूमने लगा। वह शरमाकर ख़ुद को छुड़ाने की नकली कोशिश करने लगी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- हम लोग यहाँ मौज़ करने ही आए हैं और अगर तू ऐसे ही शरमाएगी तो ना तू मज़ा ले पाएगी और ना ही मुझे मज़ा आएगा। सो प्लीज़ डोन्ट अपोज़ मी।
और मैंने उसकी गर्दन और होठों पर चूमना शुरु कर दिया। बीच-बीच में मैं उसके कान को भी चूमता।
इन सब से वो भी उत्तेजित हो गई और मुझे उत्तर भी देने लगी। मैंने अपना एक हाथ आगे की ओर लाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और उंगलियों को ऊपर से ही धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाकर सहलाने लगा। वह रह-रहकर सिहर उठती थी, उसने मुझसे कहा- प्लीज़ ऐसा मत करो, और ज़ोर से दबाओ।
मैं फिर उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत पर गया वह वहाँ से मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।
मैंने उससे कहा- प्लीज़!
और वह मान गई और दोनों हाथों से उसने मुझे जकड़ लिया। मैं कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने कमीज़ के अन्दर हाथ डाला और उसकी चूत सहलाने लगा। उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगीं- आहहहह … उउफ्फ … ज़ोर से …
फिर मैंने अपना वही हाथ ऊपर ले जाकर कमीज़ के नीचे से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। उसने अन्दर ब्रा पहन रथी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियाँ एक-एक कर दबानी शुरु कर दी। थोड़ी देर बाद मैंने दूसरे हाथ से उसकी कमीज़ की चेन खोल दी और उसकी कमीज़ ऊपर करके निकाल दी। अब वह मेरे सामने सफ़ेद ब्रा में थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर दोनों हाथों को पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा अलग कर दी।
वाह! क्या दूध थे उसके। पूरे गोल-गोल। ना ही अधिक छोटे ना ही बहुत बड़े, बिल्कुल उपयुक्त आकार के। चूचियों के ऊपर दो गुलाबी रंग के दाने थे। क्या ख़ूबसूरत नज़ारा था, मैंने मेरी ज़िन्दगी में पहली बार इतनी अच्छी चूचियाँ देखीं थीं। ऐसी चूचियाँ तो शायद ही किसी की होंगी। मैं तो पागल ही हो गया था, मैं उसकी दोनों मौसम्मियाँ हाथ में लेकर दबाने लगा, क्या कसाव थे उसमें। थोड़े नरम और थोड़े कसे हुए। मैं तो बस उसे दबाता ही रह गया। ऐसा लग रहा था इन्हें छोड़ कहीं न जाऊँ।
10-15 मिनट के बाद मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। और फिर धीरे से जैसे ही उसके सलवार का नाड़ा खींचा, सलवार नीचे गिर गई। तभी मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी सलवार को पैरों से आज़ाद कर दिया। उसने पीली रंग की पैन्टी पहन रखी थी। वह शरमा कर दूसरी ओर देख रही थी। मैंने अपनी शर्ट उतारी, बनियान निकाली और पैन्ट भी उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ अण्डरवियर में था, और वह भी मेरे सामने सिर्फ छोटी सी चड्डी में थी।
मेरा लंड तो एकदम खड़ा हुआ था. मैं बिस्तर पर उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। मैंने उसे कहा- मेरा लंड चखोगी?
तो उसने इन्कार कर दिया और कहा- मुझे मुँह में लेना अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- तुम्हारी मर्ज़ी।
फिर मैं एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत सहलाने लगा। उसकी चड्डी गीली हो गई थी। मैंने हाथ पिर उसकी चड्डी में डाल दिया, वह सिहर उठी। मेरे हाथ को उसकी झाँट के बाल लग गए।
मैंने उससे पूछा- कभी उसे साफ नहीं करती।
उसने गर्दन हिलाकर ना कहा।
मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद पर फिरानी शुरु कर दी। वह उफफ ओओओओ… आँआँआँआँ … आआआहहह… श्शसस्सीस्स आआहहह करती रही। मैं फिर वही उंगली उसकी चूत में घुसाने लगा। वह फिर से चिल्लाने लगी, मेरी पूरी उंगली उसकी चूत में चली गई, उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी। मैं अपनी उंगली अन्दर ही गोल-गोल घुमाने लगा। वह सिर्फ आआहहह … उउफ्फ्फ ज़ोररर से कर रही थी।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चड्डी से निकाला और उठकर बैठ गया और उसकी चड्डी उतारने लगा, वह शरमा रही थी। मैंने उसकसी चड्डी उसके पैरों से अलग कर दी और उसकी चूत देखने लगा। तबी उसने अपने दोनों पैर एक-दूसरे पर रख दिए और चूत छुपाने की कोशिश करने लगी। मैंने उसके दोनों पैर अलग करके उसे फैला दिए।
अब मुझे उसकी चूत दिखने लगी। क्यी चूत थी वो!!! एकदम कोरी चूत। चूत पूरी तरह से सील पैक थी। मैंने फिर अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी, और उंगली अन्दर-बाहर करने लगा. वह एकदम पागल हुई जा रही थी और मेरा हाथ पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से उंगली अन्दर-बाहर करने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला कर दिया। मैंने सोच लिया, यही सही समय है इसे चोदने का, क्योंकि उसकी चूत पूरी तरह से गीली और चिकनी हो चुकी थी।
मैंने अपना अण्डरवियर उतारी और पैन्ट की पॉकेट में से कॉण्डोम का पैक निकाला। मैंने उससे कहा- यह कॉण्डोम है। कभी देखी है?” उसने गर्दन हिलाकर ना कहा। अब मैंने उसमें से एक कॉण्डोम बाहर निकाली और उससे कहा- देख लो, उसे लंड पर कैसे चढ़ाते हैं, अगली बार तुझे ही ऐसा वाला दूसरा कॉण्डोम मेरे लण्ड पर चढ़ाना होगा। वह गौर से देखने लगी। मैंने कॉण्डोम अपने लण्ड पर चढ़ा लिया। मैंने कल ही अपनी झाँट के बाल साफ किए थे। फिर मैंने उसकी दोनों टाँगें घुटनों से मोड़ दी, और जितनी सम्भव थी फैला दीं। अब उसकी चूत खुल चुकी थी। मैं उसकी दोनों टाँगों के बीच घुस उसके ऊपर सो गया। मैंने अपना लण्ड एक हाथ से उसकी चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वह बुरी तरह से पागल हो रही थी, मुझसे कहने लगी- प्लीज़, जल्दी डाल दो वरना मैं मर जाऊँगी। प्लीज़ जल्दी करो। फाड़ दो मेरी चूत को इस लंड से प्लीज़।
मैंने एक ज़ोर से धक्का मारा। वह तड़प उठी और चिल्लाने लगी, उईईमाँआआ… मररर गईईई आआआहह मेरीईईई चूउउतत फफ्फ्फट गईईईईई… निइइकाआआलो इसे, आह। फिर थोड़ी देर तक मैंने अपना लंड ऐसे ही रखकर एक और ज़ोर से धक्का मारा, उसकी सील टूट गई और वह रोने लगी। वह चिल्ला उठी आआहहहह प्लीज़ निकाल लो इसे, मैं मगर जाऊँगी… प्लीज़। मैंने कहा, कुच नहीं होगा, ऐसे ही पड़ी रहो, दर्द कम हो जाएगा। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे। उस वक्त मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था। ५-१० मिनटों के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उसे भी अब मज़ा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वह मुझसे लिपट गई और उसने अपनी चूत से ढेर सारा पानी छोड़ दिया।
लेकिन मेरा लण्ड अभी भी जोश में था। क़रीब १५-२० मिनटों के बाद मैंने भी कॉण्डोम में ही पानी छोड़ दिया और फिर उसकी ऊपर ही उसकी चूत में लण्ड डाले हुए ही सो गया। १० मिनटों के बाद मैंने उसकी चूत से अपना लण्ड निकाला और उसके ऊपर से उठ गया। देखा कि उसकी चूत से थोड़ा-बहुत खून निकल रहा था। खून और उसकी चूत के पानी से उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा और उसे अपनी बाँहों में उठाकर टॉयलेट ले गया। वहाँ उसे बैठाकर ठण्डे पानी से उसकी चूत साफ करने लगा। उसकी चूत में उंगली डाल कर साफ करने की वज़ह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसकी चूत साफ करके फिर से उसे अपनी बाँहों में उसे उठाया और बिस्तर पर लाकर रख दिया। अब मेरा लण्ड मेरे मनसपन्द शॉट मारने के लिए बेक़रार था। पैन्ट से मैंने एक कॉण्डोम निकाला और उसके हाथ में दे दिया और कहा- चढ़ा दो उसे मेरे लण्ड पर।
उसने उसमें से कॉण्डोम बाहर निकालकर मेरे लण्ड पर रखा और उसे चढ़ा दिया।
मैंने उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रखीं, नीचे से मैंने मेरा लण्ड उसकी चूत में पूरी तरह से घुसा दिया और उसकी बाँहों में से अपने हाथ डालकर उसे ऊपर उठाया। अब मैं खड़ा था, और उसकी दोनों टाँगें मेरे कंधे पर थी, और मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे थे। वह पूरी तरह से मुड़ी हुई थी, और मेरा लंड उसकी चूत में था। मैंने अपनी पीठ थोड़े से सहारे के लिए दीवार पर छुआ रखी थी, और फिर कमर आगे-पीछे करने लगा। इस मुद्रा में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में चला जा रहा था। जब मैं पूजा को इस तरह से चोदता था तो मुझे दीवार के सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ती थी, क्योंकि उसका व़जन बहुत ही कम था। लेकिन प्रिया 22 साल की थी और उससे काफी बड़ी और भारी थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था मैंने उससे पूछा- मज़ा आ रहा है ना?
उसने हाँ कहा- ऐसे ही चोदते रहो मेरा राजा। मैं तुम्हारी दीवानी हो गई हूँ। शादी के बाद भी मैं तुम्हीं से चुदवाऊँगी। और ज़ोर से चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को… और कस के आआहहहह आआआहहहह।
8-10 मिनटों के बाद मैंने उसे बिस्तर पर रख दिया और कुतिया की तरह झुकने को कहा। उसने अपने दोनों हाथ ज़मीन पर रख गिए और घुटनों के बल कुतिया बन गई। मैंने उसके पैर थोडे फैलाए और पीछे से मेरा लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कुत्ते की तरह चोदने लगा। 15 मिनट बाद मैंने पानी छोड़ दिया। इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी। मैंने अपने लण्ड से कॉण्डोम उतारा।
दोपहर के साढ़े बारह बज गए थे। मैंने उससे कहा, कपड़े पहन लो, खाना खाने चलते हैं।
वह उठकर बाथरूम चली गई, मैं भी उसके पीछ-पीछे बाथरूम में चला गया।
वह कहने लगी- तुम बाहर जाओ, मुझे पेशाब करनी है।
मैंने कहा- इसमें इतनी शरमाने वाली क्या बात है?
और मैं उसके सामने ही पेशाब करने लगा. वह गौर से देखने लगी।
जैसे ही मेरा पेशाब करना खत्म हुआ, वह नीचे बैठ गई और पेशाब करने लगी। बड़ी ज़ोर से धार मारी थी उसने। फिर वह खड़ी होकर पानी से पैर और चूत पर गिरा हुआ पानी साफ करने लगी।
हम दोनों बाथरूम से बाहर आ गए। मैंने अपने कपड़े पहन लिए। उसने पहले अपनी चड्डी पहनी, फिर ब्रा। मैंने उसकी ब्रा के हुक लगा दिए। फिर उसने अपनी सलवार पैरों में चढ़ाई और अन्त में कमीज़ पहन ली।
मैंने उससे कहा- प्रिया मैं अपनी यह कहानी अन्तर्वासना पर लिखना चाहता हूँ, लेकिन अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो, वर्ना नहीं।
“इसमें पूछने वाली क्या बात है! तुम कहानी लिख सकते हो, लेकिन मेरा नाम बदल देना।” उसने हामी भर दी।
“ठीक है।” मैंने उसे धन्यवाद कहा और हम खाना खाने के लिए चले गए।
खाना खाने के बाद क्या हुआ यह अगले भाग में।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ। Sex Stories
हाय दोस्तो, मैं मुकेश, मैंने पहले भी एक Hindi Porn Stories बार एक कहानी “चुदाई या छुप्पम-छुपाई” लिखी थी। मुझे कुछ लोगों के उत्तर भी मिले थे पर उतने अधिक नहीं। हो सकता है कि शायद ज्यादा लोगों को मेरी कहानी पसन्द नहीं आई हो, अगर आज की कहानी अच्छी लगे तो कृपया अवश्य लिखें।”
बात उन दिनों की है जब मैं बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में पढ़ता था। एक बार मैं अपने मामा के सेब के बगीचे में गया जो कि हिमाचल में है। मेरे सबसे बड़े मामा और उनका परिवार भी वहीं रहते हैं। उनका लड़का बाहर पढ़ता था। मामी, मामा, और उनकी लड़की सभी सरकारी नौकरी में हैं। मैं अक्तूबर के महीने में उन लोगों के पास गया था, यानि की बात अक्तूबर माह की है। उस समय अभी बर्फ नहीं गिरी थी, तो पालतू जानवरों के लिए घास काटकर सुखा ली जाती है जो बर्फ गिरने के समय जानवरों को खाने के लिए दी जाती है। वास्तव में बर्फबारी के बाद हरी घास नहीं मिल पाती है इसलिए पहले ही काट कर जमा कर ली जाती है।
मामी ने विद्यालय से छुट्टी ले रखी थी, और हमारे माली की घरवाली यानि मालिन भी उन के साथ घास काट रही थी। उसका नाम स्वाति था। मैंने जब मालिन को देखा तो देखता ही रह गया… यार क्या बताऊँ, क्या सॉलिड माल थी। उम्र तकरीबन २६-२६ की थी और एकदम मस्त फिगर, काम वगैरह करते रहने की वजह से उसकी डील-डौल एकदम कमाल की थी, और बदन कसा हुआ था। ठीक से तो नहीं बता सकता पर शायद ३६-२६-३४ की फिगर रही होगी, जिसे याद कर के आज भी मुझे बहुत मज़ा आता है। जब मैंने उसे देखा तो मैंने सोचा कि अगर इसकी मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
इस चक्कर में मामी के मना करने के बावज़ूद भी उनके साथ काम करना शुरू कर दिया। घास काटने का काम ८-१० दिनों तक चलना था और उस दिन तो पहला ही दिन था, और मेरे कॉलेज में छुट्टियाँ भी थीं तो मैंने सोचा, अभी तो काफी समय है, मुझे प्रयास करना चाहिए, शायद किस्मत मेहरबान हो जाए।
मैं ज्यादातर उसके आस-पास ही काम करता रहता था। मैं घास को इकट्ठा कर के उस को बाँधता था। जब वह घास काटने के लिए झुकती तो उस के मम्मे उस की कमीज के ऊपर से दिख जाते। पहाड़ों में काम करते समय, औरतें ज्यादातर ब्रा नहीं पहनतीं। तो बार-बार देखने पर कभी-कभी मुझे उसके निप्पल भी दिख जाते, कसम से मेरा एकदम खड़ा हो जाता था। मैं बड़ी मुश्किल से उसे छुपाता था। डरता था कहीं मामी को पता न चल जाए। मैं इसलिए उनसे दूर ही रहता था।
मालिन ने मुझे कई बार घूरते हुए देख लिया था और शायद उसने पैन्ट के अन्दर मेरे खड़े लण्ड को भी देख लिया था। इसलिए वह कभी-कभी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देती थी। मैंने धीरे-धीरे उससे बात करनी शुरू कर दी और वह भी मुझसे बात करने में खुलने लगी। जब शाम हुई तो मामी कहने लगी कि मैं घर जाकर कुछ खाने के लिए बनाती हूँ, तुम लोग थोड़ी देर बाद आ जाना। और वह वहाँ से चलीं गईं।
अब मैं और वह अकेले रह गये, तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हारा पति कहाँ रहता है, तो उसने बताया कि उसकी ननद बीमार है और अस्पताल में भर्ती है, जो यहाँ से करीब ४० किलोमीटर दूर है। और मैंने उसके बच्चों के बारे में पूछा तो बोली कि दो हैं, एक लड़का ४ साल का, और लड़की २ साल की, वे उसकी सास के पास रहते हैं। उनका घर भी वहीं पर थोड़ी सी दूरी पर था, मतलब मामाजी के घर से दिख जाता था। और मैं उससे ऐसे ही इधर-उधर की बातें करता रहा, वो भी मेरे बारे में पूछती रही। समय हो गया और हम दोनों वापस मामा के घर आ गए, जहाँ मामी ने कुछ खाने के लिए बना रखा था। और वह उस दिन मेरे लण्ड को खड़ा ही छोड़कर चली गई। अब मुझे जल्दी से अगले दिन का इन्तज़ार था कि कब सुबह हो और वह आए।
अगले दिन वह फिर आई और मैं उस दिन भी उस के साथ काम कर रहा था, मैं कभी उस के मम्मे देखता और कभी उस के पीछे जा कर उसकी गाँड देखता। तभी उसके हाथ में काँटा चुभ गया और वह दर्द की वजह से हल्के से चिल्लाई। मैंने पूछा कि क्या हुआ, तो उसने जवाब दिया कि हाथ में काँटा चुभ गया। तब मैंने उसका काँटा निकालने के बहाने उसका हाथ पकड़ लिया और काँटा निकालने लगा। धीरे-धीरे उस के बाज़ू को सहलाने लगा, मगर वह काँटा इतनी जल्दी नहीं निकल रहा था, मैंने उसे कहा कि इसे पकड़ कर बाहर खींचना पड़ेगा, तो वह बोली, कैसे खींचें, यहाँ तो कुछ भी नहीं है। तभी मैंने उसका अँगूठा अपने मुँह के पास लाया और अपने दाँतों से उसे निकालने लगा, मगर वह इतनी आसानी से नहीं निकल रहा था, थोड़ी मेहनत करने के बाद वह निकल गया। मगर उस के हाथ से खून बहने लगा, तो मैंने उसका अँगूठा चूस लिया, तो वह बोली, छोड़ दो, कोई देखेगा तो जाने क्या समझेगा। हालाँकि वहाँ कोई और नहीं था पर मैंने फिर भी छोड़ दिया। ओर हम फिर से काम करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- स्वाति एक बात बताऊँ?
तो वह बोली- क्या?
मैंने कहा- यार तुम बड़ी टेस्टी हो !
तो वह बोली- क्या मतलब?
तो मैंने कहा- मतलब कि तुम्हें खाने में बहुत मज़ा आएगा !
वह मेरा मतलब समझ गई और बोली- “धत्त” ! अपना काम करो।
तो मैंने कहा- नहीं सच में तुम बहुत ख़ूबसूरत हो, और टेस्टी भी हो, तुम्हें खाने में सही में बहुत मज़ा आएगा।
तो वह बोली- सही में मुझे खाना चाहते हो?
तो मैंने कहा- चाहता तो मैं बहुत कुछ हूँ पर…। और मैं चुप हो गया तो वह बोलने लगी- क्या चाहते हो बताओ?
मैंने कहा- कल बताऊँगा, तो वह बोली- नहीं अभी बताओ।
हम बातें कर ही रहे थे कि मामी आ गईं और बोलीं- चलो काफी शाम हो गई है। और हम तीनों वापिस घर आ गए।
फिर अगले दिन मामी को स्कूल जाना था और पीछे हम दोनों ही रह गये थे और हम दोनों साथ-साथ काम कर रहे थे और वह मुझसे पूछने लगी कि हाँ अब बताओ कि क्या चाहते हो।
तो मैंने कहा- छोड़ो तुम बुरा मान जाओगी।
इस पर वह बोली- नहीं तुम बताओ मैं बुरा नहीं मानूँगी।
तो मैंने कहा- मेरा दिल तुम्हें चूमने का करता है।
वह थोड़ी देर खामोश बैठी मेरी तरफ देखती रही और मैं डर गया कि शायद यह कहीं मेरी शिकायत न कर दे। पर थोड़ी देर बाद वह बोली कि ऐसा नहीं बोलती, तब मैं थोड़ा सामान्य हुआ फिर कहा- तुम ही बार-बार पूछ रही थी, तो मैंने बता दिया।
उसके बाद वह कुछ चुपचाप रहने लगी, और मैंने सोचा सारा खेल ही खराब हो गया। हम पूरा दिन थोड़ी-बहुत बात करते रहे, शाम के समय वह ऊपर वाले खेत पर जा रही थी, और मैं ठीक उस के पीछे था। उसका पैर फिसला और वह गिरने लगी, तो मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया, और मेरा एक हाथ उसकी कमर में और दूसरा उसकी दाईं चूची पर आ गया। मैं भी ठीक से संतुलन नहीं बना पाया, और हम दोनों ही नीचे वाले खेत में गिर गये, मैं नीचे और वह मेरे ऊपर।
हम थोड़ी देर यूँ ही रहे और फिर वो और मं जोर-जोर से हँसने लगे। मैंने तब भी उसका एक मम्मा अपने हाथ में पकड़ रखा था और उसकी गाँड बिल्कुल मेरे लण्ड पर थी, मैंने पतले से सूट के अन्दर उसकी निप्पल पकड़ ली और मसलने लगा। वह फिर भी हँसे जा रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके गाल पर चूम लिया, मैं गरम हो चुका था। तब वह हँसते-हँसते उठ गई। मैं भी उठ गया और उससे कहने लगा कि मेरे पीठ में जलन हो रही है, वास्तव में खेत में पत्थरों पर गिर पड़ा था और थोड़ी बहुत खरोंच भी लग गई थी।
उस पर वह बोली- दिखाओ !
मैंने कहा- मुझे टी-शर्ट उतारनी पड़ेगी, अगर किसी ने देख लिया तो…?
वह बोली- उधर घने पेड़ों के बीच चलते हैं, वहीं देखते हैं। तो मैं और वह घने पेड़ों के बीच चले गये और मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मेरी पीठ पर रगड़ लगी थी, और वह बोली कि थोड़ा सा छिल गया है, अब यहाँ तो कोई क्रीम भी नहीं है, उसने बताया कि उसकी बाँह भी थोड़ी सी छिल गई है, तो मैंने कहा कि तुम्हारी बाँह के लिए क्रीम तो है, पर निकालनी पड़ेगी, वह थोड़ी देर से समझी और फिर हँसने लगी।
मैंने उससे कहा कि मेरे ज़ख्म ठीक हो सकते हैं, अगर तुम थोड़ा चूम लो तो। वह बोली ठीक है, और मेरी पीठ पर २-३ जगह चूम लिया। मैंने कहा कि मेरे होठों पर भी रगड़ लगी है, यहाँ भी चूम लो ना… तब वह बोली, आज नहीं, आज बहुत देर हो गई है, फिर कभी… मगर मैं मान नहीं रहा था, मैंने ग्रीन सिग्नल तो देख लिया था इसलिए उसे पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। वह भी गरम हो गई थी और मेरा साथ देने लगी।
तब मैंने उसका मोम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। वह उम्म्म्म… आआआहहहह हह… की आवाज़ों में सिसकारियाँ भरने लगीं। मैंने उसे ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी कमीज़ ऊपर कर दी और उसका एक मम्मा चूसने लगा और दूसरी हाथ से दबाने लगा। मैं बारी-बारी से उस के दोनों मम्मे चूस रहा था। तभी मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत थोड़ी गीली हो गई थी। पर मेरी किस्मत खराब थी कि मामी हम दोनों को जोर-जोर से आवाज़ लगा रही थी। और हम दोनों को जाना पड़ा। तो मैंने उसे कहा कि बाकी का कल करेंगे, तो उसने कहा कि अब तो यह बस होता ही रहेगा। और हम दोनों वापिस घर आ गये।
कुछ खाने के बाद मामी ने कहा कि जा इसे इसके घर छोड़ दे। आज थोड़ी देर हो गई है, जल्दी ही अँधेरा हो जाएगा तो मैं उसे उस के घर छोड़ने चल पड़ा। हम रास्ते में भी खूब चूम्मा-चाटी करते रहे और मैंने उसके मम्मे चूसे। वो रात मेरी बहुत मुश्किल से कटी।
मैं सुबह ही उठ गया और उसका इन्तज़ार करने लगा। मामा-मामी सुबह ७ बजे ही स्कूल निकल जाते थे। वह तकरीबन ९:०० बजे आई और हम दोनों फिर बगीचे में चले गये। बगीचे के साथ-साथ एक दूसरे गाँव का रास्ता भी जाता है, इसलिए वहाँ सुबह थोड़ी चहल-पहल होती है तो हम सिर्फ बातें ही करते रहे। उसने बताया कि उसके पति ने कभी भी उसके निप्पलों को नहीं चूसा, वह सिर्फ मम्मे ही दबाता है। अब तो वह सेक्स भी हफ्ते में शायद एक बार ही करता है। और रोज़ शाम को देसी दारू पी लेता है और सो जाता है।
वह बोली कि मैं सारी रात तुम्हारे बारे में सोचती रही और सो नहीं पाई। दोपहर के समय हम दोनों फिर घने पेड़ों में गये और मैंने उसे जाते ही चूमना शुरू करक दिया। और मैंने उसके मम्मे दबाने और कमीज़ के ऊपर से ही चूसने शुरू कर दिये, वह केवल सिसकारियाँ भर रही थी, और मेरे सिर को अपने मम्मों के बीच दबा रही थी। मैं सच में उस वक्त ज़न्नत में था।
मैंने उसको ज़मीन पर लिटा दिया और उसकी सलवार खोल दी, उसकी चूत एकदम गोरी-चिट्टी ती। उसपर थोड़े बाल भी थे, मैंने हाथ से बाल हटाकर देखा, उसकी चूत अन्दर से गुलाबी थी। मैंने उसमें अपनी एक ऊँगली डाल दी। वह एकदम गीली और चिकनी थी, मैं ऊँगली को अन्दर-बाहर करने लगा और उसके मम्मे चूसने लगा। वह उफ्फ्फ्फ… आआआहह हह… उईईई मममाँआआ की आवाज़ें निकाल रही थी। बीच-बीच में उसे चूम भी रहा था।
मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा, तो वह बोली- नहीं यह गन्दा होता है। पर मैंने उसे काफी प्रयास करने के बाद मना लिया, फिर वह मेरा लण्ड चूसने लगी। उसने थोड़ी देर चूसा और मैं फिर से उसकी चूत में ऊँगली करने लगा और मम्मे चूसने लगा। अब मैंने अपनी दो ऊँगलियाँ उस की चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।
वह ज़ोर-ज़ोर से हम्म्म… आआ आआहह हहह… उउफ्फ्फ्फ… आआआहहह… करने लगी और जब वह अपनी दोनों टाँगें इकट्ठी करने लगी तो मैं रूक गया। मैं समझ गया कि वह पूरी तरह तैयार हो गई है। तभी मैंने अपनी पैंट की जेब से कोहिनूर कंडोम निकाला और लण्ड पर चढ़ा लिया, जो कि लोहे की तरह सख्त हो रहा था। मैंने उसकी टाँगें फैला कर अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत के मुहाने पर लगाई और हल्का सा झटका दिया। वह दर्द से आआआआह हहहह… करने लगी, तो मैंने कहा तुम्हें अब भी दर्द हो रहा है?
तो वह बोली- तुम्हारा मेरे पति से मोटा है, और लम्बा भी। तभी बातें करते-करते मैंने दूसरा ज़ोर का झटका दिया और अपना सारा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और वह दर्द से उफ्फ्फ करने लगी। और मैंने लण्ड को अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया और थोड़ी सी रफ्तार बढ़ा दी। वह आँखें बन्द करके मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी। मैंने ७-८ मिनट बाद उसे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के लगाने लगा और उसे ऊपर-नीचे होने को कहा। अब वह ऊपर-नीचे हो रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे उठाया और एक पेड़ से उसकी पीठ लगा दी और उसकी दोनों टाँगें हाथ में उठा लीं और उसे हवा में उठाकर चोदने लगा। मैं बहुत ज़ोर से धक्के लगा रहा था और मैंने फिर उसे नीचे लिटा दिया और धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी स्पीड बहुत बढ़ा दी थी। उसने एकदम अपनी टाँगें सिकोड़ लीं, मैं समझ गया कि वह छूट गई है, मैं फिर भी धक्के लगा रहा था। थोड़ी देर बाद जब मैं छूटने वाला था तो वह बोली कि मैं दुबारा छूटने वाली हूँ, और थोड़ी देर में हम दोनों शान्त हो गए।
मैंने उससे पूछा कि मज़ा आया या नहीं? तो वह कहने लगी कि आज पहली बार यह हुआ कि मैं दो बार छूटी हूँ, और ऐसे तरह-तरह से पहली बार चुदी हूँ। उसके बाद हम दोनों फिर काम पर लग गए। फिर तो हम दिन में कम से कम ३-४ बार कर ही लेते थे।
तो यह थी मेरी कहानी। कैसी लगी दोस्तों, ज़रूर बताना, मैं इन्तज़ार करूँगा। अगर आपलोगों ने उत्तर दिये तो मैंने मालिन की जेठानी को कैसे चोदा, इसकी कहानी भी लिखूँगा।
एक ज़रूरी बात मैं और कहना चाहता हूँ कि कृपा करके दोस्तों, किसी पराई-स्त्री के साथ सेक्स करते समय अच्छी क्वालिटी का कॉण्डोम ज़रूर लगा लें, क्योंकि दोस्तों “जान है तो जहान है”। अलविदा दोस्तों, मेरे पास बहुत से किस्से हैं, समय मिला तो ज़रूर सुनाऊँगा। Hindi Porn Stories
मेरी पिचली स्टोरी सबने पढ़ी Antarvasnaहै, आप सब का मुझे जवाब अच्छा मिला, उसके लिये धन्यवाद, मैं जो भी स्टोरी लिखुंगा सब सच लिखुंगा मैने कसम खाई है कि झूठ नहीं लिखुंगा। मैं अपनी स्टोरी शुरु कर रहा हूं।
कुछ टाइम पहले की बात है मेरी मौसी की लड़की है जिसकी उमर मुझसे कम है हम अक्सर मिलते थे पर कभी दिमाग में उसके लिये गलत ख्याल नहीं आया। कभी वो हमारे घर आती थी रहने कभी मैं जाता था एक दिन वो हमारे घर आये वो हमेशा स्कर्ट पहनती थी मैं दोपहर को बाल्कोनी मैं बैठा था वो आये बोली कि आ मैं तेरा सिर देखती हूं मैने कहा ठीक है मम्मी नीचे धूप सेकने गई ठी क्योंकि सर्दियां थी और हम दूसरी मंजिल पर रहते थे मम्मी सामने पार्क में बैठी थी जो हमारी बाल्कोनी और एक रूम से दिखता था फ़िर मैने कहा अब मैं देखता हूं तो उसने कहा ठीक है मैने कहा पहले मैं नहा लूं तो बोली ठीक है मैं नहा कर टोवल लपेट कर बाहर आ गया मैने कहा क्या मैं थोड़ी देर धूप देख लूं तो बोली ठीक है मैने कहा लाओ मैं तब तक तुम्हारा सिर देखूं मैं सामने चेयर पर बैठ गया तो वो दूसरी तरफ़ चेहरा करके बैठ गई फ़िर मैने कहा इस साइड से देख लिया है।
अब मेरी तरफ़ सिर घुमा लो अब इस साइड से भी देख लूं वो बोली कोई चीज़ भी नहीं है जिस पर मैं बैठुं नीचे ठंड चढ़ रही है क्योंकि उसने खाली स्केर्ट पहनी थी मैने कहा मैरे पैरों पर बैठ जा वो बोली ठीक है उसने मेरी तरफ़ चेहरा कर लिया मुझे ध्यान नहीं रहा कि मैं सिर्फ़ टोवल मे हूं वो घूमी तो उसने देखा कि मेरे टोवल मैं से मेरा लंड दिख रहा है पर वो चुप रही फ़िर मैने महसूस किया कि उसकी स्कर्ट मुझे चुभ रही है मैने कहा कि तेरी स्कर्ट मेरे पैरों में चुभ रही है थोड़ी ऊपर कर लो उसने कर ली थोड़ी सी जिस कारण उसकी चूत मेरे पैरों पर छूने लगी पर एक टक मेरा लंड देख रही थी
बाद में मैने देखा फ़िर वो बोली कि पैरों पर बैठ कर मैं गिर जाउंगी क्या कुरसी और तेरे पैरों को पकड़ कर बैठ सकती हूं मैने कहा हां उसको मज़ा आ रहा था उसने मैरे पैरों को पकड़ लिया फ़िर धीरे २ मेरे लंड पर हाथ रख दिया मैं हड़बड़ा कर उठा तो टोवल खुल गया मैं पूरा नंगा हो गया वो हंस पड़ी मैं एक दम टोवल बांधा और अंदर भाग गया फ़िर तो मैं आंख भी नहीं मिला पा रहा था उससे वो मेरे पास आयी और बोली अरे इसमे शरमा क्यों रहा है भाई क्या हुआ अगर मैने देख लिया तो मैने कहा अगर
मैं तुम्हारे साथ ऐसा करुं तो वो चुप हो गई
एक दिन वो नहा कर बाहर आयी तो रूम मैं छुप गया वो अंदर आयी और कपड़े चेंज करने लगी जब उसने सारे कपड़े उतार लिये तो मैं भी तब तक कपड़े उतार चुका था उसे पता नहीं लगा फ़िर मैने एक दम उसे पकड़ लिया वो हैरान हो गई और छूटने की कोशिश करने लगी मैने कहा अब क्या हुआ अपनी बारी में तो बोली अब देख लिया है न सब अब छोड़ो मुझे मैने कहा अब नहीं छूट सकोगी तो बोली अब और नहीं मैने कहा अच्छा एक बार देखने दो सब और छूने दो फ़िर कुछ नहीं कहुंगा वो खड़ी हो गई मैने एक २ चीज़ यानि चूची और चूत को छू कर देखा फ़िर मैने कपड़े पहन कर बाहर आ गया फ़िर तो हम खुल चुके थे
एक दिन रात को हम सो रहे थे तो मैने कहा आज न्यूड सोये क्या तो बोली कुछ करेगा तो नहीं मैने कहा नहीं तो वो तैयार हो गई हम पूरी रात मस्ती करते रहे कभी उसके ऊपर कभी नीचे फ़िर मैने कहा क्या पीचे से कर लूं बहुत इच्छा हो रही है तो बोली सिर्फ़ पीचे से मैने कहा हां तब मैने उसकी गांड पर खूब तेल लगाया और अपना लंड अंदर डाल दिया वो चीख रही थी पर मैं रुका नहीं फ़िर थोड़ी देर बाद शांत हो गई उसे मज़ा आने लगा फ़िर सुबह ४ बजे मैने देखा कि वो टांग खोल कर सो रही है मैने धीरे से उसके खूब तेल लगाया और अपना लंड धीरे २ अंदर डालने लगा अभी आधा ही अंदर गया था कि वो एक दम उठ गई मैने कहा कि थोड़ी देर करने दे प्लीज़ तो उसने मना किया पर फ़िर भी मैने मना लिया और उसके बाद मैने उसकी चूत में अपना मोटा सा लंड डाल दिया और अचानक उसकी चीख निकली देखा कि सील टूट गई है पर उसने साथ दिया और मैने जी भर कर चुदाई की। आप को कैसे लगी ये स्टोरी बताना Antarvasna
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