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Massage Girl in Darbhanga: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Darbhanga who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Darbhanga that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Darbhanga massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Darbhanga who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Darbhanga massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Darbhanga massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Darbhanga who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Darbhanga employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Darbhanga helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Darbhanga

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Darbhanga at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

मैं एक लड़का हूं और मेरा नाम सुरेश कुमार है।अभी मैं देल्ही में रहता Sex Stories हूं। बात उन दिनों की है जब मैं इंजिनियरिंग कॉलेज में पढ़ता था।मैं ट्रेन से घर जा रहा था गर्मी की छुट्टियों में। डिब्बे में काफ़ी भीड़ थी। शाम का टाइम था मैं अपनी रिज़र्व्ड सीट पर जा कर लेट गया तो देखा कि सामने वाली सीट पर एक परिवार था जिसमें एक १९-२० साल की थोड़ी मोटी सी लड़की २४-२५ साल का पतला सा लड़का और उसकी माँ थी जिसकी उमर लगभग ४७ -४८ होगी।एकदम दुबली पतली।
वो लोग अपना समान सेट करने लगे। वो औरत मेरे पास आकर बैठ गई। मैं लेटा हुआ था। फिर पूछने लगी कि तुम कहाँ तक जाओगे मैंने कहा गुवाहाटी जाना है। तो उसने बताया कि वो लोग बिहार के किसी स्टेशन तक जाने वाले थे। फिर बोली कि तुम्हारी सीट खिड़की के पास है बड़ी अच्छी हवा आ रही है। मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ लेती हूं। मैं उसे बात करने मैं इंटेरेस्ट नहीं ले रहा था|क्योंकि मुझे डर था कि कहीं किसी को मेरी सीट पर एड्जस्ट न कर दे। आंटी ने कहा बेटा दिल्ली से आ रहे हो। मैंने कहा हां तो वो बोली कि दिल्ली में तो बड़ी बेशरम लड़कियां रहती हैं, मैं जहाँ रहती हूं वहाँ पड़ोस मैं तीन चार लड़कियाँ रहती हैं जो ब्रा और चड्डी में ही बाहर निकल आती है ऐसे थोड़े होता है मैने कहा। वो कहने लगी कि हमारा और उनका बाल्कनी पास पास है। वो चड्डियों में ही कपड़े सुखाने चली आती हैं मैं ने कहा आंटी आप भी कैसी बात करती हो। पर पैंट में मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था।

आंटी ने अब एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया था और सहला रही थी बात करने के साथ साथ मुझे अपने लंड पे काबू रखना मुश्किल हो रहा था। फिर धीरे धीरे अपना हाथ मेरे लंड के उपर रख दिया। साथ ही साथ वो कुछ बोलती भी जा रही थी जिससे आस पास वालों को शक न हो पर वो क्या कह रही थी मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आ रहा था क्योंकि एक तो ट्रेन की आवाज़ हो रही थी दूसरे मेरा पूरा ध्यान अपने लंड पर था कि वो झड़ न जाए।

तभी आंटी ने धीरे धीरे मेरे पैंट की जिप खोल दी और लंड को पकड़ लिया। लंड इतना सख़्त हो रहा था कि उसमें दर्द होने लगा। आंटी बड़बड़ा रही थी कि कितना प्यारा और सख़्त लंड है, लगता है और कितना सख़्त भी। कोई भी औरत इससे चुदने को तैयार हो जायेगी मैं सोचने लगा पहली बार तो इसे किसी ने सहलाया है।तभी उसकी उंगलियों ने मेरी गोलियों की मालिश शुरू कर दी। मेरा अपने लंड पर से काबू हट गया और सारा माल इतनी तेज़ी से निकलने लगा कि बता नहीं सकता। लंड झटके पर झटके ले रहा था। जब तक आंटी ने नहीं छोड़ा जब तक की पूरा रस नहीं निकल गय।फिर लंड को थपथपाते हुए पूछा- किसी की चूत मारी है कि नहीं। जब मैं ने न कहा तो वो बोली इससे जितनी लड़कियों की चूत में डालोगे उतने ही एक्सपर्ट हो जाओगे। मैं तो अपनी साँसे ठीक करने में व्यस्त था।

तभी मेरी नज़र उपर गयी तो देखा कि उसकी बेटी हमें बड़े ध्यान से देख रही है। पर जब उसने मुझे अपनी ओर देखते हुए पाया तो एकदम नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी…। Sex Stories

शेष अगले भाग में………………।

Indian Sex Stories

म लोग शहर की घनी आबादी के एक Indian Sex Stories मध्यम वर्गीय मुहल्ले में रहते थे। वहां लगभग सभी मकान दो मंजिल के और पुराने ढंग के थे और सभी घरों की छतें आपस में मिली हुई थी। मेरे घर में हम मिया बीवी के साथ मेरी बूढ़ी सास भी रहती थी। य्ह कहानी मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के राज की है जो पिछ्ले महीने से ६-७ हमारे साथ वाले घर में किराये पर रहता था। राज अभी तक कुंवारा ही था और मेरा दिल उस पर आ गया था।

मेरे पति की ड्यूटी शिफ़्ट में चलती थी। जब रात की शिफ़्ट होती थी तो मैं छत पर अकेली ही सोती थी क्योंकि गरमी के दिन थे। राज़ और मैं दोनो अक्सर रात को बातें करते रहते थे। रात को छत पर ही सोते थे।

आज भी हम दोनो रात को खाना खा कर रोज की तरह छत पर बातें कर रहे थे। रोज की तरह उसने अपना सफ़ेद पजामा पहन रखा था। वो रात को सोते समय अंडरवियर नहीं पहनता था, ये उसके पजामे में से साफ़ ही पता चल जाता था। उसके झूलता हुए लण्ड का उभार बाहर से ही पता चल जाता था। मैंने भी अब रात को पेंटी और ब्रा पहनना बंद कर दिया था।

मेर मन राज से चुदवाने का बहुत करता था… क्युंकि शायद वो ही एक जवान लड़का था जो मुझसे बात करता था और मुझे लगता था कि उसे मैं पटा ही लूंगी। वो भी शायद इसी चक्कर में था कि उसे चुदाई का मजा मिले। इसलिये हम दोनों आजकल एक दूसरे में विशेष रुचि लेने लगे थे। वो जब भी मेरे से बात करता था तो उसकी उत्तेजना उसके खड़े हुए लण्ड से जाहिर हो जाती थी, जो उसके पजामे में से साफ़ दिखता था। उसने उसे छिपाने की कोशिश भी कभी नहीं की। उसे देख कर मेरे बदन में भी सिरहन सी दौड़ जाती थी।

मैं जब उसके लण्ड को देखती थी तो वो भी मेरी नजरें भांप लेता था। हम दोनो ही फिर एक दूसरे को देख कर शरमा जाते थे। उसकी नजरें भी जैसे मेरे कपड़ों को भेद कर अन्दर तक का मुआयना करती थी। मौका मिलने पर मैं भी अपने बोबे को हिला कर…या नीचे झुक कर दिखा देती थी या उसके शरीर से अपने अंगों को छुला देती थी। हम दोनो के मन में आग थी। पर पहल कौन करे, कैसे हो…?

मेरी छत पर अंधेरा अधिक रहता था इसलिये वो मेरी छत पर आ जाता था, और बहाने से अंधेरे का फ़ायदा हम दोनों उठाते थे। आज भी वो मेरी छत पर आ गया था। मैं छत पर नीचे बिस्तर लगा रही थी। वो भी मेरी सहयता कर रहा था। चूंकी मैंने पेंटी और ब्रा नहीं पहन रखी थी इसलिये मेरे ब्लाऊज में से मेरे स्तन, झुकने से उसे साफ़ दिख रहे थे… जिसे मैं और बिस्तर लगाने के बहाने झुक झुक कर दिखा रही थी। उसका लण्ड भी खड़ा होता हुआ उसके पज़ामे के उभार से पता चल गया था। मुझे लगता था कि बस मैं उसके मस्त लण्ड को पकड़ कर मसल डालू।

“भाभी… भैया की आज भी नाईट ड्यूटी है क्या…?”
“हां… अभी तो कुछ दिन और रहेगी… क्यों क्या बात है…?”
“और मां जी क्या सो गई हैं…?”
“बड़ी पूछताछ कर रहे हो… कुछ बताओ तो…!” मैं हंस कर बोली।

” नहीं बस… ऐसे ही पूछ लिया…” ये रोज़ की तरह मुझसे पूछता था, शायद ये पता लगाता होगा कि कहीं अचानक से मेरे पति ना आ जाएं।

हम दोनो अब छत की बीच की मुंडेर पर बैठ गये… मुझे पता था अब वो मेरे हाथ छूने की कोशिश करेगा। रोज़ की तरह हाथ हिला हिला कर बात करते हुए वो मुझे छूने लगा। मैं भी मौका पा कर उसे छूती थी।, पर मेरा वार उसके लण्ड पर सीधा होता था। वो उत्तेजना से सिमट जाता था। हम लोग कुछ देर तक तो बाते करते रहे फिर उठ कर टहलने लगे… ठंडी हवा मेरे पेटीकोट में घुस कर मेरे चूत को और गाण्ड को सहला रही थी… मुझे धीमी उत्तेजना सी लग रही थी।

जैसी आशा थी वैसा ही हुआ। राज ने आज फिर मुझे कुछ कहने की कोशिश की, मैंने सोच लिया था कि आज यदि उसने थोड़ी भी शुरूआत की तो उसे अपने चक्कर में फंसा लूंगी।

उसने धीरे से झिझकते हुए कहा -“भाभी… मैं एक बात कहूं… बुरा तो नहीं मनोगी ” मुझे सिरहन सी दौड़ गयी। उसके कहने के अन्दाज से मैं जान गई थी कि वो क्या कहेगा।

“कहो ना… तुम्हारी किसी बात का बुरा माना है मैंने…” उसे बढ़ावा तो देना ही था, वर्ना आज भी बात अटक जायेगी।

“नहीं… वो बात ही कुछ ऐसी है…” मेरे दिल दिल की धड़कन बढ़ गई। मैं अधीर हो उठी… मेरा दिल उछल कर गले में आ रहा था…

“राम कसम… बोल दो ना…” मैंने उसके चेहरे की तरफ़ बड़ी आशा से देखा।
“भाभी आप मुझे अच्छी लगती हैं…” आखिर उसने बोल ही दिया…और मेरा फ़ंदा कस गया।
“राज… मेरे अच्छे राज … फिर से कहो… हां… हां … कहो… ना…” मैंने उसे और बढ़ावा दिया।

उसने कांपते हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिये। उसकी कंपकंपी मैं महसूस कर रही थी। मैं भी एकबारगी सिहर उठी। उसकी ओर हसरत भरी निगहों से देखने लगी।

“भाभी… मैं आपको प्यार करने लगा हूँ…!” लड़खड़ाती जुबान से उसने कहा।
“चल हट… ये भी कोई बात है… प्यार तो मैं भी करती हूँ…!” मैंने हंस कर गम्भीरता तोड़ते हुए कहा.
“नहीं भाभी… भाभी वाला प्यार नहीं… ” उसके हाथ मेरे भारी बोबे तक पहुंचने लगे थे।

मैंने उसे बढ़ावा देने के लिये अपने बोबे और उभार लिये। पर बदन की कंपकंपी बढ़ रही थी। उसे भी शायद लगा कि मैंने हरी झंडी दिखा दी है। उसके हाथ जैसे ही मेरे उरोज पर पहुंचे…मेरा पूरा शरीर थर्रा गया। मैं सिमट गयी।

“राऽऽज्… नहींऽऽऽ… हाय रे…” मैंने उसके हाथों को अपनी छाती पर ही पकड़ लिया, पर हटाया नहीं। उसके शरीर की कंपकपी भी बढ़ गयी। उसने मेरे चेहरे को देखा और अपने होंठ मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ाने लगा। मुझे लगा मेरा सपना अब पूरा होने वाला है। मेरी आंखे बंद होने लगी। मेरा हाथ अचानक ही उसके लण्ड से टकरा गया। उसका तनाव का अहसास पाते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये। मेरे चूत की कुलबुलाहट बढ़ने लगी। उसके हाथ अब मेरे सीने पर रेंगने लगे। मेरी सांसे बढ़ चली। वो भी उत्तेजना में गहरी सांसे भर रहा था। मैं अतिउत्तेजना के कारण अपने आप को उससे दूर करने लगी। मुझे पसीना छूटने लगा। मैं एक कदम पीछे हट गयी।

“भाभीऽऽऽ … मत जाओ प्लीज्…” वह आगे बढ़ कर मेरी पीठ से चिपक गया। उसका एक हाथ मेरे पेट पर आ गया। मेरा नीचे का हिस्सा कांप गया। मेरा पेट कंपकंपी के मारे थरथराने लगा। मेरी सांसे रुक रुक कर निकल रही थी। उसका हाथ अब मेरी चूत की तरफ़ बढ़ चला। मेरे पेटीकोट के अन्दर हाथ सरकता हुआ मेरी चूत के बालों पर आगया। अब उसने तुरन्त ही मेरी चूत को अपने हाथों से ढांप लिया। मैं दोहरी होती चली गयी। सामने की ओर झुकती चली गयी। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों कि दरार को रगड़ता हुआ गाण्ड के छेद तक घुस गया। मैं अब हर तरफ़ से उसके कब्जे में थी। वह मेरी चूत को दबा रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी।

“राज्… हाऽऽऽय रे… मेरे राम जी… मैं मर गई!” मैंने उसका हाथ नहीं हटाया और वो ज्यादा उत्तेजित हो गया।

“भाभी… आप कितनी प्यारी है…” मैंने जब कोई विरोध नहीं किया तो वह खुल गया। उसने मुझे अब जकड़ लिया। मेरे स्तनो को अपने कब्जे में लेकर होले होले सहलाने लगा। उसके प्यार भरे आलिंगन ने और मधुर बातों ने मुझे उत्तेजना से भर दिया। जिस प्यार भरे तरीके से वो ये सब कर रहा था… मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। मेरा शरीर वासना के मारे झनझना रहा था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर दस्तक दे रहा था।

“तुम मुझे प्यार करते हो…!” मैंने वासना में उसे प्यार का इज़हार करने को कहा।

“हां भाभी… बहुत प्यार करता हूं…तब से जब मैं आपसे पहली बार मिला था!”

“देखो राज…ये बात किसी को नहीं बताना… मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है… मैं बदनाम हो जाऊंगी… मैं मर जाऊंगी…!” मैंने उस पर अपना जाल फ़ेंका।

“भाभी… मैं मर जाऊंगा…पर ये भेद किसी को नहीं कहूंगा…” मेरी विनती से उसका दिल पिघल उठा।

“तब देरी क्यूं… मेरा पेटीकोट उतार दो ना… अपने पजामे की रुकावट हटा दो…” मुझसे अब बिना चुदे रहा नहीं जा रहा था। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल डाला और पेटीकोट अपने आप नीचे फ़िसल गया। उसका लण्ड भी अब स्वतन्त्र हो गया था।

“भाभी… आज्ञा हो तो पीछे से शुरु करू… तुम्हारी प्यारे प्यारे गोल गोल चूतड़ मुझे बहुत पसन्द है…” उसने अपनी पसन्द बिना किसी हिचक के बता दी।

“राऽऽऽज… अब मैं तुम्हारी हू… प्लीज़ अब कहीं से भी शुरू करो… पर जल्दी करो… बस घुसा दो…” मैंने राज से अपनी दिल की हालत बयां कर दी।

“भाभी… जरा मेरे लण्ड को एक बार प्यार कर लो और थूक लगा दो…” मैंने प्यार से उसे देखा और नीचे झुक कर उसका लण्ड अपने मुंह में भर लिया… हाय राम इतना मस्त लण्ड!… वो तो मस्ती में फ़नफ़ना रहा था। मैंने उसका सुपाड़ा कस के चूस लिया। और फिर ढेर सारा थूक उस पर लगा दिया। अब मैं खड़ी हो गयी… राज के होंठो के चूमा… और अपने चूतड़ उघाड़ कर पीछे निकाल दी। मेरे गोरे चूतड़ हल्की रोशनी में भी चमक उठे। मैंने अपनी चूतड़ की प्यारी फ़ांके अपने हाथों से चीर दी और गाण्ड का छेद खोल कर दे दिया। मेरे थूक से भरा हुआ उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर आ टिका। मैंने हल्का सा गाण्ड का धक्का उसके लण्ड पर मारा। उसकी सुपारी मेरे गाण्ड के छेद में फ़ंस गयी। उसके लण्ड के अंदर घुसते ही मुझे उसकी मोटाई का अनुमान हो गया।

“राज… प्लीज… चलो न अब… चलो…करो ना!” पर लगा उसे कुछ तकलीफ़ हुई। मैंने पीछे जोर लगाया तो उसने भी लण्ड को दबा कर अंदर घुसेड़ दिया। पर उसके मुख से चीख निकल गयी।

“भाभी… लगती है… जलता है…” मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि उसने मुझे ही पहली बार चोदा है। उसके लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी। मेरा मन खुशी से भर उठा। मुझे एक फ़्रेश माल मिला था। एक बिलकुल नया लण्ड मुझे नसीब हुआ था। मेरे पर एक नशा सा चढ़ गया।

“राजा… बाहर निकाल कर धक्का मारो ना… देखो तो मेरा मन कैसा हो रहा है। ऐसी जलन तो बस दो मिनट की होती है…” मैंने उसे बढ़ावा दिया।

उसने मेरा कहा मान कर अपना लण्ड थोड़ा सा निकाल कर धीरे से वापस घुसेड़ा। फिर धीरे धीरे रफ़्तार बढ़ाने लगा। मैं उसका लण्ड पा कर मस्त हो उठी थी। मैंने अपने दोनो हाथ छत की मुंडेर पर रख लिये थे और घोड़ी बनी हुई थी। मैंने अपने दोनो पांव पूरे खोल रखे थे। चूतड़ बाहर उभार रखे थे। राज ने अब मेरे बोबे अपने हाथों में भर लिये और मसलने लगा। मैं वासना के मारे तड़प उठी। उसे लण्ड पर चोट लग रही थी पर उसे मजा आ रहा था। उसके धक्के बढ़ते ही जा रहे थे। उत्तेजना के मारे मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। अचानक उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया… और मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गयी। मैं बिस्तर पर आ कर लेट गयी।

“भाभी… आप बहुत प्यारी है…सच बहुत मजा आ रहा है… जिन्दगी में पहली बार इतना मजा आया है…” मुझे पता था कि जब पहली बार किसी चूत में लण्ड जायेगा तो …मजा तो नया होगा… इसलिये आत्मा तक तो आनन्द मिलेगा। और फिर मेरी तो जैसे सुहाग रात हो गयी… कई दिनों बाद चुदी थी। फिर कितने ही दिनों से मन में चुदने कि इच्छा थी। किस्मत थी कि मुझे नया लण्ड मिला।

राज मेरे पास बिस्तर पर आ गया। मैंने अपनी दोनो टांगे ऊपर उठा दी और चूत खोल दी। राज ने आराम से बैठ कर अपना लण्ड हाथ से घिसा और हिला कर चूत के पास रख दिया। मैं मुस्कुरा उठी… उसे ये नहीं पता था कि लण्ड कहां रखना है… मैंने उसका लण्ड पकड़ कर चूत पर रख दिया।

“राजा… नये हो ना… तुम्हे तो खूब मजा दूंगी मै…आ जाओ… मुझ पर छा जाओ…” मैंने चुदाई का न्योता दिया।

उसने हल्का सा जोर लगाया और लण्ड बिना किसी रुकावट के मेरी गीली चूत के अन्दर सरकता हुआ घुसने लगा। मुझे चूत में तीखी मीठी सी गुदगुदी उठने लगी और लण्ड अन्दर सरकता रहा।

“आहऽऽऽ … राज… मेरे प्यार… हाय रे… और लम्बा सा घुसा दे…अन्दर तक घुसा दे…” मेरी आह निकलती जा रही थी। सुख से सराबोर हो गई थी। उसने मेरे दोनो चूंचक खींच डाले… दर्द हुआ … पर अनाड़ी का सुख डबल होता है… सब सहती गयी। अब उसके धक्के इंजन के पिस्टन की तरह चल रहे थे। पर अब वो मेरे शरीर के ऊपर आ गया था…मैं पूरी तरह से उससे दब गई थी। मुझे परेशानी हो रही थी पर मैं कुछ बोली नही… वो अपना लण्ड तेजी से चूत पर पटक रहा था, जो मुझे असीम आनन्द दे रहा था।

“भाभी… आह रे… तेरी चूत मारूं… ओह हां… चोद डालू… तेरी तो… हाय भाभी…” उसकी सिसकारियां मुझे सुकून पहुंचा रही थी। उसकी गालियाँ मानो चुदाई में रस घोल रही थी…

“मेरे राजा… चोद दे तेरी भाभी को… मार अपना लण्ड… हाय रे राज…तेरा मोटा लण्ड… चोद डाल…” मैंने उसे गाली देने के लिये उकसाया… और राज्…
“मेरी प्यारी भाभी… भोसड़ी चोद दूं… तेरी चूत फ़ाड़ डालू… हाय रे मेरी… कुतिया…मेरी प्यारी…” वो बोलता ही जा रहा था।
“हां मेरे राजा … मजा आ रहा है… मार दे मेरी चूत …”
“भाभी …तुम बहुत ही प्यारी हो…कितने फ़ूल झड़ते है तुम्हारी बातों में… तेरी तो फ़ाड़ डालूं… साली!”

फ़काफ़क उसके धक्के तेज होते गये… मैं मस्ती के मारे सिसकारियाँ भर रही थी…वो भी जोश में गालियाँ दे कर मुझे चोद रहा था। उसका लण्ड पहली बार मेरी चूत मार रहा था। सो लग रहा था कि वो अब ज्यादा देर तक रह नहीं पायेगा।

“अरे… अरे… ये क्या…?” मैंने प्यार से कहा.
उसका निकलने वाला था। उसके शरीर में ऐठन चालू हो गई थी। मैं जानती थी कि मर्द कैसे झड़ते हैं।

“हां भाभी… मुझे कुछ हो रहा है… शायद पेशाब निकल रहा है… नहीं नहीं… ये …ये… हाय्… भाभी…ये क्या…” उसके लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लग रहा था। और … और… उसका पानी छूट पड़ा… उसका लण्ड फ़ूलता… पिचकता रहा मेरी चूत में सारा वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैंने उसे चिपका लिया। वो गहरी गहरी सांसे भरने लगा। और एक तरफ़ लुढ़क गया। मैं प्यासी रह गयी… पर वो एक २२ वर्षीय जवान लड़का था, मेरे जैसी ३३ साल की औरत के साथ उसका क्या मुकाबला…। उसमें ताकत थी…जोश था… पूरी जवानी पर था। वो तुरन्त उठ बैठा। वो शायद मुझे छोड़ना नहीं चाह रहा था। मुझे भी लग रहा था कि कही वो अब चला ना जाये। पर मेरा अनुमान गलत निकला। वो फिर से मुझसे प्यार करने लगा। मुझे अब अपनी प्यास भी तो बुझानी थी। मैंने मौका पा कर फिर से उसे उत्तेजित करना चालू कर दिया। कुछ ही देर में वो और उसका लण्ड तैयार था। एकदम टनाटन सीधा लोहे की तरह तना हुआ खड़ा था।
“भाभी…प्लीज़ एक बार और… प्लीज…” उसने बड़े ही प्यार भरे शब्दों में अनुरोध किया। प्यासी चूत को तो लण्ड चाहिये ही था… और फिर मुझे एक बार तो क्या… बार बार लण्ड चाहिये था…
“मेरे राजा… फिर देर क्यों … चढ़ जाओ ना मेरे ऊपर…” मैंने अपनी टांगे एक बार फिर चुदवाने के लिये ऊपर उठा दी और चूत के दरवाजे को उसके लण्ड के लिये खोल दिया।

वो एक बार फिर मेरे ऊपर चढ़ गया… उसका लोहे जैसा लण्ड फिर मेरे शरीर में उतरने लगा। इस बार उसका पूरा लण्ड गहराई तक चोद रहा था। मैं फ़िर से आनन्द में मस्त हो उठी… चूतड़ों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। अब वो पहले की अपेक्षा सफ़ाई से चोद रहा था। उसका कोई भी अंग मेरे शरीर से नहीं चिपका था। मेरा सारा शरीर फ़्री था। बस नीचे से मेरी चूत और उसका लण्ड जुड़े हुये थे। दोनो हो बड़ी सरलता से धक्के मार रहे थे। वार सीधा चूत पर ही हो रहा था। छप छप और फ़च फ़च की मधुर आवाजे अब स्पष्ट आ रही थी। वो मेरे बोबे मसले जा रहा था। मेरी उत्तेजना दो चुदाई के बाद चरमसीमा पर आने लगी… मेरा शरीर जमीन पर पड़े बिस्तर पर कसने लगा, मेरा अंग अंग अकड़ने लगा। मेरे जिस्म का सारा रस जैसे अंग अंग में बहने लगा। मेरे दोनो हाथों को उसने दबा रखे थे। मेरा बदन उसके नीचे दबा फ़ड़फ़ड़ा रहा था।
“मेरे राजा… मुझे चोद दे जोर से…हाय राम जी… कस के जरा… ओहऽऽऽ … मैं तो गई मेरे राजा… लगा…जरा जोर से लगा…” मेरे शरीर में तेज मीठी मीठी तरावट आने लगी… लगा सब कुछ सिमट कर मेरी चूत में समा रहा है… जो कि बाहर निकले की तैयारी में है।
“मेरे राजा… जकड़ ले मुझे… कस ले हाऽऽऽय… मेरी तो निकली… मर गयीऽऽऽ ऊईईऽऽऽ आहऽऽऽ … ” मैं चरमसीमा लांघ चुकी थी… और मेरा पानी छूट पड़ा। पर उसका लण्ड तो तेजी से चोद रहा था। अब उसके लण्ड ने भी अन्गड़ाई ली और मेरी चूत में एक बार फिर पिचकारी छोड़ दी। पर इस बार मैंने उसे जकड़ रखा था। मेरी चूत में उसका वीर्य भरने लगा। एक बार फिर से मेरी चूत में वीर्य छोड़ने का अह्सास दे रहा था। कुछ देर तक हम दोनों ही अपना रस निकालते रहे। जब पूरा वीर्य निकल गया तो हम गहरी गहरी सांसे लेने लगे। मेरे ऊपर से हट कर वो मेरे पास ही लेट गया। हम दोनो शान्त हो चुके थे…और पूरी सन्तुष्टि के साथ चित लेटे हुए थे। रात बहुत हो चुकी थी। राज जाने की तैयारी कर रहा था। उसने जाने से पहले मुझे कस कर प्यार किया… और कहा…”भाभी… आप बहुत प्यारी है… आज्ञा हो तो कल भी…” हिचकते हुये उसने कहा, पर यहा कल की बात ही कहां थी…

मैंने उसे कहा -“मेरे राजा…मेरे बिस्तर पर बहुत जगह है… यही सो जाओ ना…”
“जी…भाभी…रात को अगर मुझे फिर से इच्छा होने लगी तो…”
“आज तो हमारी सुहागरात है ना… फिर से मेरे ऊपर चढ़ जाना…और चोद देना मुझे…”
“भाभी…आप कितनी…”
“प्यारी हूं ना… और हां अब से भाभी नही…मुझे कहो नेहा…समझे…” मैंने हंस कर उसे अपने पास लेटा लिया और बचपन की आदत के अनुसार मैंने अपना एक पांव उसकी कमर में डाल कर सोने की कोशिश करने लगी। Indian Sex Stories

Antarvasna Sex Stories

दोस्तो, सोनू हरियाणा से फ़िर Antarvasna Sex Stories हाज़िर है आपके लिए एक रोमांच और सेक्स से भरपूर कहानी ले कर…

सभी मर्द अपने लंड को हाथ में दबा के और लड़कियाँ अपने वक्ष को दबा के और अपनी चूत में ऊँगली दे कर बैठें !

अपनी कहानी शुरू करने से पहले मैं पाठकों को बता दूँ की मेरी कहानी कोई झूठी या मन से बनाई हुई नहीं है यह उतनी ही सच्ची है जितनी की सेक्स की जरुरत…

और एक बात प्लीज़ कोई भी पाठक ग़लत नाम से मुझे मेल ना भेजे !

मेरी पिछली कहानी को पढ़ के कुछ लड़कों ने लड़कियों के नाम से मुझे मेल भी भेजी सिर्फ़ यही जानने के लिए कि मैं सच बोल रहा हूँ या झूठ … तो दोस्तो, मैं आपको अपनी कहानी बता रहा हूँ तो इसका ग़लत मतलब न निकालें !

अभी कुछ दिन पहले जब मेरी दूसरी कहानी “पड़ोस की कुँवारी छोकरी” अन्तरवासना पर आई थी तो उसके बाद मुझे एक मेल आई। मेल भेजने वाली लड़की का नाम था जसमीत कौर जो एक पंजाबी परिवार से थी। उसने बताया कि वो एक होम गर्ल है और कॉलेज में पढ़ती है। उसने मेरी कहानी पढ़ी और उसे सेक्स करने की इच्छा हुई। उसका पहली बार था, वो अपने घर वालों से भी डरती है लेकिन सब कुछ करना भी चाहती है। इस तरह हमने २-३ दिन मेल से ही बात की।

उसने मुझसे मेरा सेल-नम्बर लिया और फ़िर मुझे एक दिन काल किया। उसकी आवाज में क्या जादू था दोस्तो ! मैं तो दीवाना हो गया उसकी आवाज का !

उसने मुझे अपने बारे में सब कुछ बताया और कहा कि उसके पास कोई जगह नही है और वो करना भी चाहती है। लेकिन उसकी एक शर्त थी कि सब कुछ गुप्त और सुरक्षित होना चाहिए। तो फ़िर क्या था जैसे कि मेरा नियम है एवेरी थिंग विल बी सीक्रेट एंड सेफ…

मैंने उसे विश्वास दिलाया और फ़िर उसने मुझे बताया कि वो जालंधर सिटी की रहने वाली है। उसने मुझसे अगले ही दिन आने को कहा। मैं भी उसके कहे अनुसार सुबह ६ बजे ही वह पहुँच गया और पहुँच कर मैंने एक होटल में कमरा बुक किया और उसे फ़ोन से सम्पर्क किया। उसने मुझे कहा कि वो कॉलेज टाइम में मेरे पास आएगी। उसने मुझे १० बजे का टाइम दिया,

मैं फ्रेश हुआ और कुछ देर रेस्ट किया। उसने मुझे १० बजे कॉल की और एक पार्क में आने को कहा मैं उसके बताये हुए स्थान पर गया… वो एक बेन्च पर पार्क में अकेली बैठी थी। उसने जींस और टॉप पहना हुआ था, उसकी हाईट ५’४” होगी और उसके बाल बहुत लंबे और काले नागिन की तरह, आँखे काली काली और बड़ी बड़ी, गाल कश्मीर के सेब की तरह लाल-लाल, होंठ गुलाब की पंखुडियों की तरह गुलाबी और उसके स्तन पूरे भरे हुए, टॉप फाड़ कर बाहर आने को थे। अगर ठीक से कहूं तो उसका फिगर कुछ ३६-३०-३६ रहा होगा।मैं तो देखते ही फ्लैट हो गया और काफी देर तक उसे देखता ही रहा। फ़िर मैं उसके पास गया और बैठ कर हमने कुछ देर बात की और उसके बाद हम दोनों होटल की तरफ़ चल दिए। होटल पहुँच कर हम दोनों कमरे में गए। वहाँ हमने कुछ देर बात की और धीरे धीरे मैं उसकी आँखों में मदहोश हो गया। फ़िर मैंने उसके गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख दिए और काफी देर तक उसे समूच किया।

इसी दौरान मेरे हाथ उसके बड़े और नर्म-नर्म स्तनों पे चले गए। मैं उसके स्तन बड़े ही आराम से दबा रहा था और उसकी आँखों में मदहोशी साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी। मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाला और उसके कबूतरों को ब्रा की कैद से आजाद करवा दिया। अब मेरे हाथ उसके आजाद कबूतरों को बड़े ही जोरों से दबा रहे थे। फ़िर मैंने देर ना करते हुए उसके टॉप को उतार दिया… वाह ! उसके स्तन जितने नर्म थे उतने ही तने हुए थे और उसके चुचूक भी कड़े और हल्के गुलाबी थे।

फ़िर मैंने उसके एक स्तन को मुँह में लिया और छोटे बच्चे की तरह चूसने लगा और दूसरे को हाथ से दबाने लगा। वो बहुत ही मदहोश हो चुकी थी और सेक्सी आवाजें निकाल रही थी- ऊऊ ऊह्ह्ह ह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह! म्म्म्म्मूऊ ऊउस्स्स।

इतने में मुझे अपने लंड पे कुछ महसूस हुआ, उसका हाथ मेरे लंड को टटोल रहा था। मैंने अपनी जींस उतार दी और लंड उसके हाथ में दे दिया। फ़िर उसने मुझे बिस्तर पे लिटा दिया और नीचे झुक कर मेरे लंड को चूमा और उसे मुँह में ले लिया। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई छोटा बच्चा लोलीपोप को चूसता है। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। काफी देर तक उसने मेरा लंड चूसा जब तक मेरा वीर्य नही निकल गया।

उसके बाद मेरी बारी आई, मैंने उसे बेड पे लिटाया और उसकी जींस को उतारा। उसने अपने पूरे बदन की वैक्सिं की हुई थी, शायद मेरे लिए खास !

उसने अन्दर एक काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी। फ़िर मैंने उसकी पैंटी को भी उतार दिया, क्या मज़ेदार चीज थी उसकी चूत ! उसकी चूत को देखते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया … उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था और उसके चूत के होंठ भी गुलाबी थे। मैंने जैसे ही उसकी चूत को छुआ, वो एक दम से कराह उठी। मैंने धीरे से उसकी चूत में ऊँगली डाली और उसके होंठों को रगड़ा ! उसकी चूत बहुत टाइट थी, वो सही थी कि उसका पहली बार है…

फ़िर मैंने उसकी चूत को चूमा और मुझसे रहा नहीं गया, मैं उसकी चूत को चूसने लगा…

वो पागलों की तरह आवाजें निकालने लगी, पूरा कमरा सेक्सी आवाजों से गूंज रहा था कुछ इस तरह ऊऊह्ह्ह आआह्ह्ह ऊऊफ़्फ़्फ़् म्म्म्म्स्स प्ल्ज्ज धिरेईईए!

फ़िर हम दोनों 69 की पोज़िशन में थे और एक दूसरे को चूस रहे थे। वो 2 बार झड़ चुकी थी। फ़िर उसने मुझसे कहा कि सोनू प्लीज़ अब बर्दाश्त नहीं होता फक्क मी वैरी हार्ड ! अपना लंड मेरी प्यासी चूत में घुसा दो।

अब मेरा लंड उसकी चूत में घुसने के लिए तैयार था। मैंने एक तकिया उठा कर उसकी गांड के नीचे रखा और अपना लंड उसकी चूत के मुँह पे लगा के जोर से धक्का दिया। मेरा लंड अभी थोड़ा सी ही अन्दर गया था कि वो चिल्लाने लगी। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और उसे फ़िर से एक धक्का दिया। मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था। उसकी चूत में से ब्लीडिंग हो रही थी, वो चिल्ला नहीं पा रही थी क्योंकि उसके होंठ मेरे होंठों में थे।

थोड़ी देर तक मैं उसके वक्ष के साथ खेलता रहा, कुछ देर में वो शांत हुई तो मैं फ़िर एक जोर से धक्का दिया और पूरा लंड उसकी चूत में था। इस बार वो थोड़ा सा तड़पी लेकिन सब कुछ सामान्य था। फ़िर मैंने अपना खेल शुरू किया- मेरे लंड के धक्कों से पूरे कमरे में फ़्फ़्फ़ फ़्फ़्फ़्फ़् की आवाजें आ रही थी और वो अपनी गांड उठा-उठा के मेरा साथ दे रही थी और साथ में कह रही थी सोनू डार्लिंग फक्क मी ! मेरी चूत की प्यास बुझा दो फक्क मी हार्ड !

कुछ देर तक चोदने के बाद वो एक झटके क साथ मेरे से चिपक गई, शायद वो झड़ चुकी थी और 4-5 झटकों के बाद मैं भी झड़ गया। फ़िर हम कुछ देर तक बेड पे एक दूसरे के साथ चिपक कर लेटे रहे। उसके बाद उसने मुझे एक जोर से किस किया और कहा कि आज मैं बहुत खुश हूँ, लेकिन अभी कुछ और करो !

मैं उसे अपने गोद में उठा के बाथरूम में ले गया और वहाँ शॉवर के नीचे हमने एक बार और चुदाई की, उस दिन हमने तीन बार चुदाई की।

शाम को जब वो जाने लगी तो मुझे कस के अपनी बाहों में जकड़ के बोली- सोनू डार्लिंग ! यू आर सो स्वीट… टुडे आई ऍम वैरी हैप्पी… मैं तो वैसे ही डरती थी… इसमें तो बहुत मजा आया…

उसने मेरी फीस मुझे दी और अपने घर चली गई, मैं भी कुछ देर आराम कर के अपने घर के लिए निकल लिया।

तो दोस्तो यह थी मेरी जालंधर सिटी की दास्ताँ..

अब आप इसे सच समझें या झूठ, यह तो आप पर है… लेकिन मेरे एक एक लफ्ज में सच्चाई है। Antarvasna Sex Stories

Hindi sex stories (Hamara chaukidar)

मैं गौरव, मैं 46 साल का हूँ Hindi sex stories और मेरी सेक्सी बीवी शैला (बदला हुआ नाम) 40 साल की है। हमारी शादी हुए 20 साल हो गये हैं।

अब शैला में वो पहले वाली बात नहीं रह गई थी। अब तो वो बस चुदाते समय बस लेटी रहती थी, उसमे कुछ भी सेक्स बाकी नहीं रह गया था। मैं उससे बहुत बोर हो गया था इस तरह का सेक्स करते करते।

एक दिन मैंने शैला के ड्रॉवर का ताला खोला तो उसमें एक बड़ा सा डिल्डो यानि प्लास्टिक का लण्ड रखा हुआ था।

मैं तुरन्त ही समझ गया था कि अब उसे कोई साधारण नहीं, मोटे लण्ड की आवश्यकता है, शायद उसे इस डिल्डो से बड़े लण्ड की आदत हो गई थी इसलिये उसे अब मेरे लण्ड की चुदाई में मजा नहीं आता था।

यह सब देख कर अब तो मेरा मन उसे किसी प्लास्टिक के लण्ड से नहीं, पर सच में किसी किसी मोटे और बड़े लण्ड से चुदाई होते देखने का मन हो आया था।

वैसे शैला पहले बहुत ही सेक्सी औरत थी और वो कई कई बार एक ही दिन में चुदा लेती थी, उसे डर नहीं लगता था।

वो चुदने में एक्सपर्ट थी और सब काम उसे सेक्स में करना मन्जूर था। वो चुदाते समय लण्ड को अपने मुंह में लेकर चूसती थी, अपनी गाण्ड में भी मस्ती से लण्ड ले लेती थी, 69 की पोजीशन में भी ओरल सेक्स के मजे लेती थी।

चुदते समय उसकी दर्द भरी आवाज में चिल्लाना, आहे भरना गर्म गर्म सांसें छोड़ना, चूतड़ों और चूत को उठा उठा कर लण्ड लेना, जीभ से लण्ड को सहलाना, उसकी वो कातिल निगाहें और मुंह से चूसने का अन्दाज और पूरा लण्ड मुंह में भर लेना, हम दोनों को बहुत ही मजा आता था।

अब कुछ सालों से वो ठण्डी हो गई थी और मुझे उसे फिर से गर्म करना था।

एक दिन मैं और शैला रात को कहीं से आ रहे थे। हम बिल्डिंग में आ गये तो देखा कि नया चौकीदार गेट पर था। वो कुछ पचास साल का होगा। वो मोटा सा लम्बा सा सांवले रंग का आदमी था।

मैंने इस बात को नोट किया कि जब हम ऊपर जा रहे थे तो वो मेरी बीवी शैला की गाण्ड को बहुत ही घूर रहा था।

शैला ने नाईटी पहन रखी थी सो उसकी गाण्ड पीछे से मस्त बाहर निकली हुई दिख रही थी।

मुझे लगा कि क्यूं ना मैं उससे शैला को चोदने के लिये बोलूं।

पर मुझे अभी उसके लण्ड का आकार भी देखना था क्यूंकि शैला को तो मोटे लण्ड की आवश्यकता थी।

मैं चौकीदार को दूसरे दिन दारू पिलाने ले गया और जब उसे पेशाब आया तो मै भी उसके साथ में गया।

जब उसने अपनी पैन्ट की जिप खोल कर लण्ड निकाला तो मैं उसका लण्ड देख कर दंग हो गया। काला सा मोटा सा लण्ड नौ इंच का था। मैं उसका लण्ड देख कर खुश हो गया।

उसका नाम रविंद्र था पर बहुत ही गर्म दिमाग का आदमी था और बहुत गाली देता था।

बातों बातों में मैंने भी थोड़ी बहुत पी ली थी फिर उससे पूछा कि तुम मेरी बीवी को घूर रहे थे।
पहले तो वो थोड़ा डरा, पर दारू के नशे में बोला- मस्त माल है… क्या गाण्ड है उसकी!

मैंने पूछा- तुम उसे चोदोगे?
इस पर वो उठ कर बोला- चलो, अभी चोद डालूंगा उसे।

अब हम घर की तरफ़ चल दिए। मैं उसे घर में ले गया और शैला से कहा- आज ये यहीं सोयेगा।

वो अब हमारे साथ सो गया।

हम बेड पर थे और वो नीचे सो रहा था।

थोड़ी देर बाद मैं उठा और मैंने जो पहनने को उसको लुंगी दी थी, उसे ऊपर कर दी।

उसने अपनी लुन्गी निकाल दी। अब उसका काला सा मोटा और बड़ा सा लण्ड खुला हुआ था। वो अब सोने की एक्टिंग करने लगा।

मैं दूसरे कमरे में चला आया और जोर से दरवाजा बन्द किया।

दरवाजे के बन्द करने की आवाज से शैला उठ गई। उसने रविंद्र के बड़े लण्ड को देखा तो उसे कुछ होने लगा।
वो सोचने लगी कि रविंद्र नशे में सो रहा है तो वो उसके लण्ड को सहलाने लगी।

इतने में मैंने दरवाजे को खोला तो शैला डर गई पर मैंने उसे कहा- मज़े कर।

अब रविंद्र भी उठ गया। उसने शैला की जम कर चुदाई की।

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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के पाठकगण! Antarvasna

यह मेरी पहली कहानी है, अन्तर्वासना की Antarvasna हिन्दी सेक्स कहानी पढ़ कर मेरी भी इच्छा हुई कि मेरी कई आप बीती में से एक रात का रोचक वर्णन करूँ। चूंकि यह मेरी पहली कहानी है, मेरी भाषा और अन्दाज वास्तविक है।

मेरे दिल में हलचल मचने एक बड़ा कारण यह है कि मेरे घर में आज कल मेरी छोटी मौसी और मौसा जी आये हुए हैं। मैं रात को रोज़ उनकी चुदाई देखती हूँ, और मजा लेती हूँ। पर हाँ, उसके एवज में मुझे हाथ से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। मेरा घर पुराना और साधारण सा है, अब्बा एक परचूनी की दुकान चलाते हैं, भाई जान उनकी मदद करते हैं।

मेरे घर पर कमरों के बीच में दरवाजा नहीं है, बस एक परदा रहता है। रात अधिक बीत जाने के बाद यह निश्चित हो जाने के बाद कि सभी सो गये होंगे तभी चुदाई का कार्यक्रम चालू किया जाता था। अभी तो मौसा और मौसी रात को छत पर चले जाते थे, और वहाँ पर चुदाई किया करते थे।

मेरे लिये भी यह और सरल था कि मैं चुपके से ऊपर जा कर मजे देखती। मुझे ऊपर आकर उन्हें झांक कर देखना पड़ता था। यही मुझसे बस गलती हो गई। मेरे पड़ोस के लड़के शफ़ीक ने मुझे देखते हुए पकड़ लिया और मौके का पूरा फ़ायदा उठा कर मुझे उसने चोद दिया।

वैसे यह कोई नई बात नहीं थी मेरे लिये। मेरे साथ ऐसा कितनी ही बार हो चुका था और मैं कई बार चुद भी चुकी हूँ, पर अधिकतर मेरी गाण्ड ही मारी है। शायद यहा गाण्ड मारना सभी को अच्छा लगता है। मुझे ठीक से तो याद नहीं पर चुदी तो मैं दस बारह बार ही हूँ, पर मेरी गाण्ड तो लोगों ने पता नहीं कितनी बार बजाई है।

अब आप ये तो नहीं सोच रहे हैं कि कोई तवायफ़ या वेश्या हूँ, जी नहीं, बिल्कुल नहीं, मैं एक साधारण सी लड़की हूँ, सुन्दर भी हूँ और सबकी चहेती भी हूँ। किसी का भी लण्ड खड़ा होता है तो एक बार तो वो मुझ पर ट्राई करने तो जरूर ही आता है।

यहाँ कानपुर में हमारी घनी बस्ती में सारे घर आपस में जुड़े हुए हैं और यह तो यहा आम बात है, बस जिसका सिक्का चला वही मजे कर जाता है, सबसे बड़ी बात- कुंवारी को चोद जाओ, कोई कुछ नहीं कहेगा पर शादीशुदा को कोई चोद जाये तो हंगामा हो जाता है।
पर हाँ, मैं अपना चुनाव खुद करती थी।

यहाँ हर बात में गाली देना तो आम बात थी, यानि यही हमारी बोलचाल की भाषा थी, बिना गाली के तो बात पूरी होती ही नहीं थी। मैं भी इससे अछूती नहीं थी, साधारण सी बातों में भी खूब गालियाँ देने की मेरी भी आदत थी, बात बात पर गन्दी गालियाँ देती थी और गालियाँ देने की इतनी अभ्यस्त हो गई थी कि मुझे लगता ही नहीं था कि मेरे बोल गालियों से भरे हुये हैं।

शफ़ीक ने मुझे हाथ हिलाया। मैंने उसे ऊपर की ओर देखा।
‘दीदी, शीऽऽऽ , इधर आओ!’ शफ़ीक ने फ़ुसफ़ुसा कर कहा।
‘हाय, मैं मर गई, तुम…?’ मैं धीरे से दीवार कूद कर उसके पास आ गई।
‘आओ जल्दी आओ, मामला चल रहा है।’

मुझे ले कर वो दूसरी मन्जिल की छत पर आ गया। ऊपर दीवार के पास से चांदनी रात में सब कुछ ठीक से दिख रहा था।
‘दीदी, यहा से देखो, मौसा जी लगता है पोंद के शौकीन है’ उसने बताया।
देख कर मैं शरमा गई। काफ़ी दिनों से शफ़ीक मेरे पीछे था, मुझे पता था कि अब यह भी मुझे नहीं छोड़ेगा।
‘तू रोज़ देखता है क्या?’

‘हाँ, और आपको भी देखता हूँ। भेन-चोद बड़ा मजा आता है ना, वो देखो तो सही!’ मौसा जी, अब गाण्ड मार रहे थे। मौसी के बड़े बड़े चूतड़ नजर आ रहे थे। शफ़ीक ने मुझे इशारों से दिखाया।

पर मेरा ध्यान तो शफ़ीक पर था कि भेनचोद ये मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा, शायद मुझे चोदने की सोच रहा होगा। इतना कुछ हो जाये तो और मेरी जैसी लड़की को कोई छोड़ दे तो मुझे वो चूतिया ही लगेगा।

इतना सब देखने से मेरा मन भी मचल उठा था और मैं ऊपर उसके पास आई ही चुदने के लिये थी। मौसा जी कुत्ते की तरह मौसी की गाण्ड चोद रहे थे। मेरी चूत भी गीली हो उठी।

इतने में शफ़ीक ने उत्तेजित हो कर मेरी गाण्ड की गोलाई पर हाथ फ़ेर दिया, मेरे तन में झुरझुरी छूट गई। मैंने उसे सीधे देखा, शायद कोई इशारा करे, वो चूतिया तो नहीं था, उसने मेरी तरफ़ देखा और और एक गोलाई में धीरे से हाथ मार दिया।

मुझे यकीन हो गया कि अब ये मेरी मारेगा जरूर।
मैंने हंस कर कहा- धीरे मार, चपटी हो जायेगी, भेनचोद तू भी मजा ले रहा है?’

‘हाँ आपा, कितना मजा आ रहा है ना!’ शफ़ीक अब बार बार मेरे चूतड़ों का जायजा ले रहा था। मुझे मजा आने लगा था। मुझे उसका लण्ड भी खड़ा हुआ नजर आने लगा था। यानि कि मैं चुदूंगी तो जरूर ही अब, लौड़ा भी उफ़ान पर आ रहा था।

मैंने उसे और बढ़ावा देने के लिये उससे चिपक सी गई, और अपनी बड़ी बड़ी आंखे उठा कर उसे देखा और कहा- देख किसी को कहना नहीं कि अपन ने ये सब देखा है।’ मैंने उसे धीरे से कहा।
‘अरे ये कोई कहता है क्या? तेरे पोन्द तो मस्त है री!’ मेरे चूतड़ों को सहलाते हुए बोला।
‘और सुन तू जो कर रहा है वो भी मत बताना!’ मैंने झिझकते हुए कहा।

उसने यह सुनते ही मेरी गाण्ड दबा डाली और मसलने लगा। मुझे मस्ती आने लगी।
‘बानो, अपन भी ऐसा करें?’ मौसा मौसी को चोदते देख कर उसने मेरे शरीर पर लौड़ा दबाते हुए कहा।
‘क्या करें…?’ मैंने जान कर उसके मुख से कहलवाया।

‘तुम पोन्द मराओगी?’ मेरे चूंचक जोर से दबा दिये।
‘पर बताना नहीं किसी को कि मैंने पोन्द मराई है।’ मेरी चुदवाने की इच्छा बलवती होने लगी। आखिर इतने दिनों से मौसा मौसी की चुदाई देख रही थी और बहुत दिनों से मुझे किसी ने चोदा भी नहीं था।

मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया। मेरा अंग अंग वासना से भर रहा था। फिर उसका कड़क और मोटा लण्ड, लम्बा तो नहीं था, हाँ, मुझे लगा कि साढ़े पांच इन्च का मूसल तो होगा ही। मुझे कड़क लण्ड से चुदाई की बहुत इच्छा हो रही थी। चूत में से पानी चू पड़ा था। मौसा जी का कार्यक्रम समाप्त हो चुका था, पर हमारा कार्यक्रम परवान चढ़ रहा था।

मैंने शफ़ीक का लण्ड पकड़ लिया। हाय, एकदम कड़क, और प्यासा लग रहा था। बस उसे घुसा ही डालूँ चूत में!
पर वो तो मेरी पोन्द मारने पर तुला था। पोन्द यानि कि चूतड़!
‘बानो, तेरे चूचे बड़े प्यारे हैं, जरा कुर्ता तो ऊपर कर दे, थोड़ा मचका दूँ इन भेन चोदों को!’

‘चूचे मचकाना तुझे अच्छा लगता है क्या?’ मैंने कुर्ता उतारते हुए कहा।
मेरी चूचियाँ बाहर निकलते ही उछल पड़ी। मेरे चूचुक कड़े हो उठे।
उसने मेरी चूचियों को पकड़ कर दबा दिया।

‘पीठ मेरी तरफ़ कर ले, तेरी गाण्ड का मजा लूँ!’ उसने मुझे घुमा दिया और लौड़ा मेरी पोंद के बीच दबाने लगा।
‘मादर चोद! क्या मेरी फ़ाड़ डालेगा… धीरे दबा ना!’
‘शम्मो जान, पजामा उतार दे अब,… अब रहा नहीं जाता है, तेरी पोंद मरवा ले अब!’

मेरा पजामा उसने ही उतार दिया। चांदनी रात में मेरी गोल गोल गाण्ड चमक उठी। उसका उफ़नता हुआ लण्ड और भूरे रंग का सुपाड़ा चमक उठा, उसके लण्ड की खलड़ी कटी हुई थी, फ़ुफ़कार भरते हुए मेरी पोंद की दरारों के घुस पड़ा। छेद पर लण्ड को ऊपर नीचे रगड़ा, फिर अपनी अंगुली में थूक लगा कर मेरी गाण्ड के छेद पर मल दिया और लौड़े को छेद पर रख कर अन्दर घुसेड़ दिया, थोड़ा सा रगड़ खाता हुआ अन्दर घुस पड़ा।

गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, गाण्ड का छेद भी गाण्ड मरवा कर बड़ा हो चुका था, सो मुझे तो मजा आ गया।
उसने लण्ड बाहर निकाला तो गाण्ड का छेद खुला ही रह गया। अन्दर मुझे हवा की ठण्डक सी लगी, लेकिन जल्दी ही लण्ड वापिस उसमें समा गया।
‘हाय, भाई जान, मोटा लौड़ा है, मजा आ गया!’ मैंने अपनी गाण्ड में मूसल जैसा लण्ड फ़न्सा हुआ महसूस किया।

‘शम्मो जान, ये तो रगड़ी हुई है, लगता है खूब लौड़े खाये है?’ उसके मूसल जैसे लण्ड की धचक अन्दर तक छा गई।
‘और क्या? माजिद चाचा तो जम के मेरी पोंद मारता है, हरामी हर दो तीन दिनों में लण्ड ठोक जाता है, पर मजा तो खूब दे जाता है!’ मैं उसके लण्ड का भरपूर मजा ले रही थी।

‘साला लण्ड तो यूं जा रहा है जैसे चिकनी चूत में जाता है, गाण्ड का छेद है या कोई आम रास्ता!!’ उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी। गाण्ड को रगड़ता हुआ लौड़ा फ़काफ़क अन्दर बाहर आ जा रहा था।
‘तो चूत ही मार दे ना, इस गाण्ड में क्या रखा है, सारा सुख तो इसी भोसड़े में है।’ मुझे चुदने की आस लगी थी।

‘अरे हम कनपुरिया हैं! गाण्ड देख कर ही मन डोलता है, वरना ये मादरचोद लौड़ा खड़ा ही नहीं होता है।’ मेरी गाण्ड में मीठा मीठा मजा आ रहा था। पर मुझे अब चूत का असली मजा चाहिये था।

मेरी गाण्ड खुली हवा में चुद रही थी। ठण्डी हवा बदन को सहला रही थी और बड़ा मीठा सा अहसास हो रहा था। मेरे चूचों को मल मल कर उसने लाल कर दिये थे। वो हरामी लण्ड पेले ही जा रहा था।

मैंने सहूलियत के लिये अपनी टांगे और चौड़ी कर दी ताकि लण्ड की चाल तूफ़ानी हो सके। अचानक उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और आह भरते हुए वीर्य छोड़ दिया।

‘भेनचोद सारा माल गाण्ड पर निकाल दिया, अब चल साफ़ कर अपनी बनियान से!’ मेरी चूत वासना से बेकाबू हो रही थी और इस मादरचोद साला हरामी ने अपना तो माल ही निकाल दिया। मैंने उससे कहा- अब चूतिये, मेरी चूत क्या तेरा भाई चोदेगा, रख दिया ना मेरी चूत को कुंवारी, देख कैसी चू रही है, साला हरामी!’

‘अरे तू क्या समझ रही है, मैं तुझे छोड़ दूंगा क्या, देख तेरे भोसड़े को कैसे मस्त करता हूँ चोद चोद कर!’ उसने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और सीढ़ियों के पास ही पत्थर की एक बैठने की बैन्च बना रखी थी, जिस पर बिस्तर बिछा कर शफ़ीक रात को सोता था, पर लेटा दिया। उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।

मुझे चुदाना था सो उसका लौड़ा चूस चूस कर उसे फिर से खड़ा कर दिया। लण्ड खड़ा होते ही उसने बिस्तर पर से खींच कर किनारे कर लिया और प्यार से मेरी चिकनी चूत में लण्ड घिसने लगा।

मैंने उसकी बनियान से ही अपनी चूत का रस पोंछ लिया और अपनी चूत की कलियों को दोनों हाथों से पूरी खोल दी। उसने अपना कड़क लण्ड हाथ से पकड़ा और मेरी चूत में घुसा डाला, मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी।

चिकनाहट मैंने पोंछ दी थी सो लण्ड मेरी चूत को रगड़ता हुआ अन्दर चला गया, सूखी चूत में मजा आ गया। क्या मस्त रगड़ लगी कि मैं स्वर्ग में पहुंच गई।
‘अब चोद दे भाई जान, लगा दे पूरा जोर लौड़े का!’

उसने धक्के लगाने शुरू कर दिये। मैं मस्त हो उठी और अपनी पोंद नीचे से उछालने लगी। धच्च धच्च करके लौड़ा पूरी ताकत से अन्दर तक उतर रहा था। फिर वो मेरे चूचे को भी मल मल कर मुझे मस्त किये दे रहा था, मेरे चूचक को घुमा घुमा कर मसल रहा था।

चूत एक बार फिर लसलसा उठी, पानी छोड़ने लगी थी, अब चूत के पानी के साथ फ़च फ़च की आवाजें आने लगी थी।
‘मस्त चूत है बानो जान, मलाई है ये तो, हाय रे मेरी छिनाल, मेरी रंडी, ले ले मेरा पूरा लौड़ा घुसेड़ ले!’

‘पेल दे भेनचोद, मार दे मेरी चूत को, दे… दे… मार लण्ड को, फ़ाड़ दे हरामी को!’ मैं तो चुद कर मदहोश हुई जा रही थी। मेरे दिल की भड़ास भी निकली जा रही थी। मेरी चूत उसके लण्ड को अन्दर से लपेट रही थी। मेरी चूत के अन्दर की चमड़ी उसके लण्ड को जैसे चूस रही थी। मेरी चूत अब कसने लगी थी।

पानी निकालने ही वाला थी, उसे भी तेज मजा आने लगा था। उसके मुँह से एक से एक नई नई गालियाँ निकल रही थी। मेरी जबान तो गन्दी थी ही सो खूब गालियाँ दे देकर चूतड़ों की रफ़्तार बढ़ा दी। उसने अब मेरी चूत पर पूरा दबाव डाल दिया और लण्ड को जड़ तक दबा डाला।

‘माई री, भाई जान, गई मैं तो, मेरा तो निकला रे, हाय रे… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊईऽऽऽऽऽ’ कहते हुए मेरी चूत में लहरें उठ पड़ी और पानी छूट गया। मैं झड़ने लगी।

अचानक उसका भी वीर्य निकल पड़ा और चूत के अन्दर ही भरने लगा। हम दोनों एक दूसरे को चूमते जा रहे थे और झड़ते जा रहे थे। कुछ ही देर हम सामान्य हो गये और उसी बिस्तर पर बैठ गये।

‘मां की लौड़ी, मस्त है रे तू, देख मेरा लौड़ा आज तो मस्त हो गया, कल भी चुदायेगी ना?’

‘अपनी मां को चोदना भोसड़ी के, अब कल किसी और का नम्बर है, अलग अलग लौड़े का मजा लेने में ही सुकून मिलता है, तू भी अलग अलग चूत और गाण्ड ट्राई किया कर!’

‘साली रण्डी, तेरी भोसड़ी मारूँ, मुझे चिढ़ाती है, अभी रुक तेरी गाण्ड एक बार फ़ाड़नी पड़ेगी।’ और वो मेरे पर लपक उठा।
मैं जल्दी से उठी और उसे अपना हाथ का लण्ड बना कर उसे चिढ़ाया और हंसती हुई भाग खड़ी हुई।

‘ले ले… मेरी भोसड़ी ले ले… अब कर अपने हाथ से… मुठ मार ले…!’ हंसी करते हुए छलांगें मारती हुई सीढ़ियाँ उतर कर मैंने अपनी दीवार फ़ांद ली। वो ऊपर छत से हंसते हुए हाथ हिला रहा था।

पाठकगण, मेरी भाषा मर्यादा से बाहर है, कृपया मुझे माफ़ करें। Antarvasna

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