Our site can help you find a professional massage girl in Barpeta who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Barpeta that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Barpeta massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Barpeta who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Barpeta massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Barpeta massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Barpeta who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Barpeta employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Barpeta helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Barpeta
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Barpeta at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
मैं Antarvasna मेरा नाम नितेश है.. मैं अभी 27 साल का हूँ.. मेरा जिस्म बहुत आकर्षक है और मैं एक इंजीनियर हूँ।
आज़ मैं आपको अपनी कहानी बताने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपनी कॉलेज फ़्रेंड के साथ चुदाई की।
यह कहानी उस वक्त की है जब मैं MCA कर रहा था। उस वक्त मैं तीसरे सेमस्टर में था। इसी सेमेस्टर में हमारे इंस्टिट्यूट में लखनऊ से एक लड़की ट्रांसफ़र हो कर आई थी.. उसका नाम रेखा था, वो काफ़ी सुंदर थी, उसका 36-23-32 का फिगर एकदम मस्त था.. और वो एकदम गोरी-चिट्टी एक माल थी।
मेरा तो मन उसे पहली बार देखते ही चोदने का कर रहा था तो मैंने उससे एक दिन मौका पाकर बात शुरू की।
मैंने पूछा- आपका नाम क्या है।
बोली- रेखा.. मेरा यहाँ पर कोई दोस्त नहीं है.. क्या आप मेरे दोस्त बनोगे।
जैसे उसने मेरे मन की बात ही छीन ली हो। मैंने भी झट से ‘हाँ’ कर दिया। उसके परिवार में उसका छोटा भाई था.. वो भी BE कर रहा था। उसके पापा बैंक में मैनेजर थे और उसकी मम्मी हाउसवाइफ थीं।
ऐसे ही क्लास में आते-जाते हम काफ़ी करीब आ चुके थे। एक दिन मौका देख कर मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोल दिया.. और उसने भी ‘हाँ’ कह दिया।
फ़िर एक दिन उसके सभी घर वाले 70 किलोमीटर दूर मंदिर में दर्शन करने गए हुए थे, आने और जाने में करीब दस घन्टे लगने की उम्मीद थी।
इसलिए उसने मुझे मेरे मोबाइल पर फोन करके बुलाया। मैं उसके घर गया और देखा कि वो सिर्फ़ एक पतली नाइटी में थी। नाइटी के अन्दर उसने ब्लैक ब्रा और पैंटी पहन रखी थी.. जो कि साफ़ दिखाई दे रही थी।
उसे देखते ही मेरा मूड बन गया और नीयत खराब हो गई।
मैंने उसे नशीली निगाहों से ताकते हुए पूछा- बाकी सब लोग कहाँ गए हैं।
उसने भी अर्थपूर्ण तरीके से कहा- सब मंदिर गए हैं.. रात तक आयेंगे।
इतना सुनते ही मैंने उसे अपने बाहों में ले लिया और उसे किस करने लगा। मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और अन्दर बेडरूम में ले गया।
मैं उसके होंठों पर किस करने लगा। करीब 15 मिनट तक मैंने उसे किस किया। वो एकदम उत्तेजित हो चुकी थी और कामुकता से सिस्या रही थी ओह्ह.. जान.. प्लीज़ कम ऑन..
फिर मैंने उसकी नाइटी को लगभग फाड़ते हुए खोल दिया। अब वो सिर्फ़ टू पीस में थी.. फिर मैंने अपनी पैंट-शर्ट खोल दिए।
अब मैं सिर्फ़ चड्डी में था, मैं उसे ऊपर से नीचे की तरफ़ किस करने लगा।
किस करते हुए जब मैं उसके मम्मों के पास आया.. तो मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। तो ये देख कर मैं पागल हो गया कि उसके इतने भरे हुए मम्मों एकदम पूरी तरह से टाइट थे.. और उसके चूचुक पूरी तरह से तन रहे थे।
मैंने उसका निप्पल चूसना शुरू किया तो वो चिल्ला उठी- प्लीज़ निमि.. जल्दी करो.. अहह.. फक मी..
फिर मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी और अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी। मैंने भी अपनी चड्ढी खोल दी। मेरा 8 इंच का मोटा तगड़ा लंड देख कर वो घबरा गई और बोली- प्लीज पूरा मत डालना.. मैंने सुना है कि काफ़ी दर्द होता है।
फिर मैंने कहा- जान दर्द से ज्यादा मजा आता है.. तुम देखती जाओ बस।
और मैंने अपना लंड उसके मुँह में डालना चाहा.. तो उसने मना कर दिया और बोली- इसे मेरी चूत में ही डालो।
फिर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया और काफ़ी देर तक चाटता रहा। उसके मुँह से चीखें निकल रही थीं- मुझे जल्द चोद दो.. मुझसे अब रहा नहीं जाता.. आह्ह..
फिर उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया और मैंने उसके कंधों को अपने हाथों से कस कर पकड़ लिया और अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा। अभी सिर्फ़ 25% ही गया थे कि वो जोर से चिल्लाई और पीछे हटने की कोशिश की.. मगर मैंने भी उसे पूरे जोर से पकड़ रखा था।
फिर एक और झटके से मैंने अपना करीब 75% लंड उसकी चूत में डाल दिया। वो फिर से चिल्लाई- ओह्ह.. छोड़ो मुझे.. बहुत बड़ा है.. दर्द हो रहा है.. आह्ह..
मैंने उसे फिर एक झटका दिया और अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। उसके मुँह से काफ़ी तेज आवाज निकल रही थीं। लेकिन कुछ ही देर में उसे भी मजा आने लगा। फिर उसने कहा- निमि.. अब मुझे मजा आ रहा है.. प्लीज़ फक मी..फास्ट..
फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ाते हुए फ़ुल स्पीड पर चुदाई शुरू कर दी। अब वो चिल्ला रही थी- प्लीज जोर से चोदो.. प्लीज.. फक मी फास्ट..
काफ़ी देर तक मैं उसे चोदता रहा। फिर उसकी चूत में से पानी निकल गया और उसने मुझे और टाइट से पकड़ लिया।
मैं समझ चुका था कि उसका पानी निकल चुका है। अब मैंने अपनी स्पीड और तेज की.. थोड़ी देर में मेरा भी पानी निकल गया।
जब मेरा माल निकलने लगा तो मैं उसके ऊपर ही लेट गया और फिर थोड़ी देर बाद हम दोनों ने एक-दूसरे को चूमा और यूँ ही प्यार करते रहे।
इसके बाद तो जब भी मौका मिला हम दोनों ने अपनी खूब प्यास बुझाई। Antarvasna
फ़रदीन भाई जान ने Antarvasna Stories मुझसे कहा कि आज मैं भी आप जैसा लिखूंगा, मैंने भी तो आपको चोदा है, मैं कहानी का स्वरूप लिखूंगा, बस आप उसे दिलचस्प बना देना। मेरे साथ फ़रदीन ने कैसे अपनी रंगीनियाँ बिखेरी, यह उसकी दस्तान है। वो इस तरह से अपनी आप बीती लिखते हैं…
मैं कानपुर में रहता था और अब्बू के साथ दुकान पर काम करता था। मेरे ही घर के आंगन में एक अखाड़ा भी था जहा उस्ताद उस्मान चाचा अपने पठ्ठों को पहलवानी का अभ्यास कराया करते थे। मैं तो बचपन से ही अखाड़े में बड़ा हुआ था अतः मेरा शरीर एक दम चिकना और इकहरा था। जवान होते होते तो मेरा रंग रूप और भी निखर आया था। पर उसमान चाचा हमें लड़कियों से दूर रखते थे। मेरे शरीर पर एक भी बाल नहीं था सिवाय मेरे लण्ड के आसपास नरम सी झांटों के, हां कुछ बाल मेरी बगल में भी थे। शमीम बानो के अब्बू मेरे अब्बू के बहुत पुराने दोस्त थे, उनकी दुकान पर काम करने वाला दो महीनों की छुट्टी पर चला गया था सो उन्होंने मुझे बुला लिया था। मैं वाराणसी पहुंच गया था। बानो मुझे लेने स्टेशन पर आई थी।
बानो के पति भी अपनी दुकान चलाया करते थे। उनके अब्बू ने उन्हें छत के ऊपर वाला भाग दे दिया था। उनके पति हैदराबाद से थे। मुझे भी ऊपर ही गैलरी के दूसरी तरफ़ का कमरा रहने को दे दिया था। मैं शाम को ही दुकान से फ़्री हो पाता था। फ़ारूख भाई जान और शमीम आपा शाम को रोज दारू पीते थे और पीते क्या थे, पी कर बिलकुल टुन्न हो जाते थे। कभी कभी तो वो खूब प्यार करते थे और कभी कभी तो खूब झगड़ते थे। प्यार करें या झगड़ा, उनमें गाली-गलौज का व्यव्हार बहुत होता था। यूँ तो मेरे लिये यह माहौल नया नहीं था, मेरे घर पर भी यही सब कुछ होता था। धीरे धीरे अब्दुल, फ़िरोज, अनवर आदि आपा के सभी दोस्तों से मेरा मिलना हो चुका था। तभी मुझे पता चला कि शमीम आपा तो बहुत ही रंगीन मिजाज की है, उनके दोस्तों का उनसे रिश्ता मुझे मालूम हो चुका था।
मैं आजकल काम से फ़ारिग हो कर शाम को नहा धो कर गैलरी के पास की खिड़की से शमीम आपा और उसके पति की मस्तियों को देखा करता था। आज भी मैंने उनके लिये भुना हुआ गोश्त और सलाद रख दिया था। वो भी नहा धो कर दारू पीने बैठ गये थे। पीते पीते कुछ ही देर में उन पर दारू का नशा चढ़ने लगा था और दोनों ही अश्लीलता पर उतर आये थे। फ़ारूख ने बानो को अपने ही पास सोफ़े पर बैठा लिया था और उसकी चूचियों से खेलने लगे थे।
“बानो, तेरी चूचियाँ अभी तक कड़क कैसे है, भोसड़ी की कैसी तन कर खड़ी हो जाती हैं !”
“तेरे लण्ड के लिये मैंने कुछ कहा है क्या कि इतना मस्त कैसे है, भेनचोद, कैसा इठला इठला कर मेरा दिल जीत लेता है साला !”
कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे को नोचने खसोटने लगे। कमरे में आहें गूंजने लगी। उन्हें देख कर मेरा दिल भी पिघलने लगा। मेरा लण्ड फ़ूल कर फ़ड़क उठा। मैं कुंवारा, बेचारा यह सब देख कर मन मसोस कर रह गया। मेरा गोरा लण्ड बार बार कुलांचे मारने लगा। बानो आपा की गाण्ड को देख कर और फिर गाण्ड की चुदाई देख कर मेरा वीर्य उछल कर लण्ड से बाहर आ गया। मेरा पजामा गीला हो गया। हाय रे, बानो की मां की भोसड़ी… भेनचोद को मन करता है कि चोद डालूँ ! रात भर उनकी चुदाई को सोच सोच कर मेरा लण्ड पानी छोड़ता रहता था। आखिर कितनी बार मुठ मारूँ … यह तो उनकी रोज की बात थी।
दुकान का सामान लेने फ़ारूख भाई को दिल्ली जाना था। वो शाम की गाड़ी से दिल्ली चले गये थे।
रोज की तरह मैं रात को भुना हुआ गोश्त बानो के कमरे में रख आया था। दारू की बोतल भी बैठक में सजा दी थी। तभी बानो नहा धो कर सिर्फ़ पेटीकोट और एक बिना ब्रा के ब्लाऊज में बाहर आई। ओह ! मैं उसे देखता ही रह गया। वो तो सच में रूप की देवी थी, उसका भरा बदन, उसके उरोज, उसके मद भरे चूतड़ों के उभार, इतने पास से पहली बार देख रहा था। खिड़की से तो उस बड़े कमरे में दूर से तो उसका मद भरा हुस्न इतना कुछ नहीं नजर आता था। मुझे यूँ घूरता देख कर बानो ने सब कुछ भांप लिया। वो जानबूझ कर के मेरे बिल्कुल पास आ गई। उसके शरीर की खुशबू मेरे नथनों में समा गई। हाय! उसके शराबी गोल गोल स्तनों के उभार मेरे दिल को घायल कर रहे थे। मेरे शरीर में एक विचित्र सी सनसनी फ़ैलने लगी।
“यहाँ गिलास रख दे … और भेन चोद यूँ आंखे फ़ाड़ फ़ाड़ कर क्या देख रहा है?”
“ह… हाँ … वो कुछ नहीं… मैं चलता हूँ !”
“अरे चलता हूँ …तेरी तो … यहीं बैठ भोसड़ी के …मेरे साथ दारू कौन पियेगा … तेरा बाप ?”
“पर मैं तो नहीं पीता हूँ आपा … आप लीजिये…”
“अच्छा मत पीना, बैठ तो सही, मेरे लिये पेग बनाना … और ये बोटी तो खायेगा ना !”
मैं उसके कहने के अन्दाज से चौंक गया। उसका इशारा तो उरोज की तरफ़ था, पर बात वो गोश्त की कर रही थी। मैं झेंप गया और एक टुकड़ा उठा कर खा लिया। उसका दारू का दौर शुरू हो गया। साथ में उसका गाली-गलौज और अश्लील हरकतें भी।
“ऐ फ़रदीन, तूने कभी कोई लौंडिया चोदी है…?”
“कैसी बातें करती हो आपा… ?”
“अरे बता ना … तेरी उम्र में तो मेरे कितने ही दोस्त थे… साले सब हारामी थे … मैंने तो खूब चुदाया।”
“क्या बताऊँ, उस्ताद ने कहा है कि किसी लड़की की तरफ़ देखा भी तो वो हमारी गाण्ड मार देगा।”
“अरे वो तो लड़की के लिये बोला था ना, मैं लड़की थोड़े ही हूँ, मैं तो औरत हूँ 27 साल की !”
“ओह हाँ, आपा … फिर आप तो मेरी आपा हैं ना, कोई लड़की तो हो नहीं … पर आपा…?”
“ओये होये, मेरे भाई जान, ले पास आ जा, अब तो ठीक है ना, मेरी बोटी चूसेगा?”
उसने अपना, एक चूचा पकड़ कर मुझे देख कर हिलाया और फिर दबा दिया। मैं तो अन्दर तक हिल गया। ये क्या कह रही है बानो ! मेरा मन तो पहले ही उस पर लट्टू था। मैं शरमा गया। वो मेरे पास सरक आई और उसने अपने ब्लाऊज का बटन खोल कर उसे ढीला कर लिया। उसने अपना एक चूचा बाहर निकाल लिया।
“ले तो, समझ ले अम्मी का बोबा चूस रहा है…!”
“आपा, यह क्या कह रही हैं आप…?”
उसने कुछ नशे की झोंक में, कुछ वासना के नशे में मेरे गले में हाथ डाल कर मेरा मुख अपने बोबे पर दबा दिया। हाय रे मेरी अम्मी जान ! यह क्या… मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे होंठ अनायास खुल गये और उसकी चूची पर जम गये।
“अल्लाह रे, मजा आ गया … तू तो भोसड़ी का बड़ा नमकीन है रे !”
मैं बिना पिये ही मदहोशी में था। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था, पजामे में से उभर कर मेरी शोभा बढ़ा रहा था। बानो आपा, लण्ड के आकार को देख कर ही लालायित हो उठी थी। उनके हाथ लण्ड की तरफ़ बढ़ चले थे। मेरे कड़क लण्ड को पहले तो उसने अपनी अंगुली से हिला कर देखा, वो तो टनटनाता हुआ झूल कर फिर से सीधा खड़ा हो गया। मेरे तन बदन में जैसे बिजली तड़क गई।
“आपा, मुझे क्या हो रहा है…” मेरे तन में सनसनी सी होने लगी।
“मादरचोद, तेरा लण्ड मजबूत है … कितना कड़क है…!” बानो पर नशा असर कर रहा था। मैं धीरे धीरे अपना होश खोता जा रहा था। बानो भी पेग पर पेग पिये जा रही थी। इसी बीच मुझे भी उसने एक पेग पिला दिया था। गोश्त हम दोनों ने जल्दी ही साफ़ कर दिया था। मैंने बानो को धक्का दे कर सोफ़े पर लिटाने की कोशिश की और उसके होंठों को चूसने लगा।
“अरे उठ गाण्डू, साला चढ़ा ही जा रहा है… हट जा !”
मैं जैसे होश में आ गया।
“जा वो दूसरी प्लेट गोश्त की ले आ … सारा तो खुद ही खा गया। ऐसा कर पूरा ही ले आ !”
मेरे पजामे का बटन खुल गया था और उसमें से लण्ड बाहर निकल आया था। मेरा गोरा और मोटा मस्त लण्ड देख कर बानो तो चकित रह गई। मैं गोश्त की पूरी डेगची ही उठा लाया।
“ऐ, फ़रदीन अपना पजामा उतार तो … इसकी तो मुठ मारूँ, भेन के लौड़े की !”
मेरा मन तो पहले ही विचलित हो चुका था। उसकी फ़रमाईश पर जैसे मेरा मन बाग बाग हो गया। मैंने तो पजामे के साथ साथ अपनी बनियान भी उतार दी।
“साला, हरामी… तू इतना मस्त है… पहले क्यों नहीं मिला रे… आ पास तो आ… जरा इसे देखूँ तो !”
उसने मेरा लण्ड अपनी आंखों के पास लाकर देखा। उसे सूंघा … और सर ऊंचा करके मन में उसकी सुगन्ध ली और अहसास लिया। मेरा खतना किया हुआ लौड़ा पूरा खुला हुआ था। बीच में पेशाब की नलिका को उसने हाथ से ठपकारा … मेरे लण्ड में एक मीठी सी जलन हुई। मेरा डन्डा पकड़ कर उसने जोर जोर से हिलाया और अपने मुख के ऊपर मार लिया। बानो की हालत एक मदहोश, वासना भरी, नशे में धुत्त औरत जैसी हो रही थी। मैंने भी धीरे से हाथ बढ़ा कर उसके ब्लाऊज को सामने से पूरा खोल दिया। मैंने भी उसके चुचूक को मसल कर अपना जवाब दिया। शायद उसे होश ही नहीं था। मेरा लण्ड उसके मुख में बड़ी मुश्किल से समा पाया था। उसने मेरे पोन्द को दबाया और लण्ड को अपने मुख में अन्दर बाहर करने लगी। मेरे सुपारे को जीभ से रगड़ने लगी। उसका एक हाथ अब मेरे लण्ड के डण्डे के पिछले सिरे पर आ गया और … और … वो उसे मसलने लगी, मुठ मारने लगी।
“आपा, बस करो … मैं मर जाऊंगा … निकालो बाहर !”
पर उसने एक ना सुनी … उसकी तेजी बढ़ती गई। मैं सिहर उठा, मेरी सहन शक्ति जवाब देने लगी।
“तेरी माँ को चोदू, गण्डमरी, छिनाल साली छोड़ मुझे, अरे … अरे… आह … मेरी तो चुद गई… “
उसे भला कहाँ होश था। वो तो जोंक की तरह मुझसे चिपट गई थी। उसने मेरा लण्ड जैसे निचोड़ डाला। मैं तड़प उठा … तभी मेरे लण्ड से ढेर सारा वीर्य निकल पड़ा।
“आह … साली हरामी … मैं तो मर गया … रण्डी, मेरी तो चोद दी ना साली … अब तुझे क्या खाक चोदूँगा ?”
उसके मुख से थोड़ा सा वीर्य बाहर उबल पड़ा। थोड़ा तो वो पी गई और थोड़ा उसने बाहर निकाल दिया। मेरा लण्ड मुरझाने लगा। मैं निराश हो गया कि … साली चुदने से बच गई। मैं नंगा ही बिस्तर पर जाकर बैठ गया। बानो ने वहीं प्लेट पर अपना हाथ धोया और अपना पेटीकोट उतार कर नंगी हो गई।
वो धीरे धीरे मेरे पास आई और मुस्कुरा कर बोली,”मजा तो धीरे धीरे ही आता है ना…!”
फिर उसने मुझे एक ही झटके में बिस्तर गिरा दिया और मुझे अपने नीचे दबा लिया।
“चल मेरे राजा, अभी तो मैंने नल का पानी पिया है अब तुझे ट्यूब वेल का पानी पिलाती हूँ !” उसकी हंसी कमरे में गूंज उठी। उसकी चूत मेरे मुख से चिपक गई।
“ले … ट्यूब वेल को खोल और पानी पी …”
मुझे लगा कि खेल तो अब आरम्भ होने वाला है।
शेष दूसरे भाग में ! Antarvasna Stories
मैं कुछ दिनों से Sex Stories अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इन कहानियोँ से मुझे मेरी घटनाएँ याद आ गई।
मेरे नाम मोहित है मैं पुणे से एम बी ए कर रहा हूँ। कद ५’८”, लंड ७” ।
मैं पुणे अप्रैल में पहली बार आया था, मुझे कॉलेज की फीस देनी थी। मेरी ट्रेन दोपहर १२ बजे स्टेशन पर पहुंची। अब मुझे कॉलेज जाना था। चूंकि मैं पुणे में नया था, मुझे सिटी बस के बारे में कुछ पता नहीं था। लेकिन ऑटो वाले बहुत ज्यादा भाड़ा बोल रहे थे। मैं स्टुडेंट हूं इसलिए इतना ज्यादा पैसा नहीं दे सकता था। तब मैंने कोई सवारी देखना शुरू किया, जो मेरे साथ भाड़ा शेयर कर ले। बहुत समय तक देखा कोई नहीं मिला।
फ़िर अचानक एक औरत आई और कहा वो ऑटो का भाड़ा शेयर कर सकती है। उसका घर भी रास्ते पर ही था। क्या फिगर था उसका, ३८-२८-३४ का फिगर था। उसके चूतड़ के तो क्या कहने जैसे निकलने के लिए बेताब हो।
उसने मेरा नाम पूछा, मुझे बहुत जोरों की प्यास लगी थी। तो उसने मुझे पानी दिया, वो शोपिंग कर के आ रही थी। मैं उससे सटकर बैठा हुआ था। मेरे जांघ उसके जांघ से टकरा रहे थे। मुझे स्वर्ग सा मज़ा आ रहा था।
ड्राइवर ने एक बार जोर से ब्रेक मारा तो मैं उस पर जा गिरा।
उसका घर आया। चूंकि हम दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो चुकी थी, स्वाति उसका नाम था। उसके पास सामान बहुत था सो मैं उसका सामान लेकर उसके घर गया। क्या बंगला था उसका। फ़िर मुझे उसने बैठाया और पानी लेकर आई, फ़िर मैंने पूछा कि इतने बड़े घर में अकेले रहती हो क्या?
उसने जवाब दिया कि वो और उसका पति रहते हैं। अभी ३ महीने ही हुए है शादी को। फ़िर उसने कहा कि वो कपड़े बदल के आती है, मैं तब तक अकेले ही बैठा रहा। फ़िर वो बरमूडा और टी शर्ट में आई, मैं तो उसे देखता ही रह गया।
क्या गोरे गोरे जांघ थे उसके। फ़िर वो मेरे पास आकर बैठ गई। फ़िर उसने मेरे बारे में पूछा, मैं तो उसके गोरे जांघ देखकर पागल हुआ जा रहा था, मुझ से रहा नहीं गया, मैंने उससे कहा कि वो बहुत सेक्सी है।
उसने कहा कि बस सेक्सी और कुछ नहीं।
बस मैं समझ चुका था। मैंने कहा कि आप तो हॉट हो, मैं आपके साथ सिर्फ़ कुछ पल बिस्तर पर बिताना चाहता हूँ।
उसने कहा- कुछ पल क्यों जितना बिता सकते हो !
फ़िर क्या था मेरा रास्ता साफ़ हो गया था।
फ़िर उसने बताया कि वो चुदवाने की बहुत दीवानी है, रात भर मेरा पति मुझे चोदता है, मैं कालेज के समय से ही रोज रात को चुदाते आ रही हूँ। बिना चुदे मुझे नींद नहीं आती है। पर दिन को मेरे पति काम पर होते हैं, तो चुदाई की विडियो देखकर काम चलाना पड़ता है।
मैंने कहा- रानी अब मैं तुम्हें चुदाई का असली मज़ा देता हूँ जो आज तक तुम्हें किसी ने नहीं दिया होगा। फ़िर मैंने उसके लाल रसीले होंठों को अपने होंठों से किस करना चालू किया, क्या रसीले होठ थे, मैं तो बस चूस ही रहा था। कभी ऊपर के होंठ तो कभी नीचे के। फ़िर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी, मैंने उसे चूसा, फ़िर मैंने अपनी जीभ उसे दी। इस तरह आधे घंटे तक चुम्मा चलता रहा। वो पूरी तरह से गरम हो चुकी थी।
फ़िर मैंने उसका टी-शर्ट उतार दिया और बरमूडा भी। अब वो मेरे सामने ब्रा और चड्डी में थी। क्या चूतड़ थे। चड्डी तो पूरी गीली हो चुकी थी। फ़िर मैं पूरा नंगा हो गया।
जैसे ही उसने मेरा ७” का लंड देखा तुंरत अपने मुँह में डाल लिया। अब वो मेरा लण्ड चूस रही थी, मैं उसके ब्रा और चड्डी उतार रहा था। क्या चूसती है। मैं उसके मुँह में अपने लंड को पूरा उसके गले तक डालता था, करीब आधे घंटे तक मैं उसके मुँह की चुदाई करता रहा।
मैंने बहुत देर तक उसके पूरे गोरे बदन को चाटा। ऐसा कोई अंग नहीं था जिसे नहीं चाटा हो। उसके चूतड़ को तो दबा दबा के लाल कर दिया था।
फ़िर उसे बेड पर लेटाया और और उसके चूत को चाटने लगा, उसने बताया कि उसने आज ही शेव की है चूत की। इसलिए चिकनी फ़ुद्दी चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने उसकी चूत को अपने जीभ से चोदा, ऊँगली डाल के चोदा, चूस चूस के उसके चूत को लाल कर दिया । वो वही पर झड़ गई।
फ़िर मैंने उसके गांड को चाटना चालू किया। वो चिल्ला रही थी मर गई, आऽऽ आ आऽऽ आऽ आऽऽऽऽऽऽ आ !
मुझे मजा आ रहा था। क्या गांड था, कुछ देर बाद वो रिचार्ज हो गई।
फ़िर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। उसे चोदता रहा, पहले धीरे धीरे चोदा फ़िर एक्सप्रेस की स्पीड से चोदा।
वो चिल्ला उठी- बस कर हरामजादे !
चूंकि वो बहुत अच्छे घर से थी, उसे गन्दी गालियां नहीं आती थी।
मैं फ़िर भी चोदता रहा। अब तो वो भी साथ देने लगी। अपने चूतड़ उठा कर साथ देने लगी।
उसने कहा- फाड़ दो आज इस चूत को।
फ़िर मैंने उसे कुतिया की तरह किया और पीछे से चोदा। बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हारे चूत का भोसड़ा बनाऊंगा ! क्या लग रही थी वो ! सिर्फ़ सेंडल पहन कर चुदा रही थी !
हम दोनों साथ में झड़ गए। वो शादीशुदा थी, इसलिए झड़ने का कोई डर नहीं था मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
हम दोनों सो गए, कुछ देर बाद मैं जगा, वो नंगी सो रही थी ! मैंने उसे जगाया, फ़िर मैंने उसकी गांड मारी।
उसने कहा कि उसने कभी गांड नहीं मराई क्योंकि गांड मराने से जवानी ढलती है। पर तुम्हारे लंड को देखकर मैं अपने आप को रोक नहीं पाई।
फ़िर मैंने उसकी गांड मारी, और उसके गांड में ही झड़ गया। अब हम दोनों बहुत थक चुके थे। फ़िर मैंने अपनी मुठ मारी और सारा माल उसके मुंह में दे दिया। फ़िर मैंने उसकी गांड और चूत को चाट कर साफ़ किया।
फ़िर हम दोनों साथ नहाए, फ़िर नाश्ता किए।
फ़िर उसने मुझे १००० रूपए देना चाहा पर मैंने नहीं लिया। फ़िर उसने मेरा फ़ोन नम्बर लिया। मैं आज पुणे में रहता हूँ। और स्वाति को कई बार चोद चुका हूँ। जब भी उसे जरुरत महसूस होती है, मुझे बुला लेती है।
हमारा राज़ आज तक कोई नहीं जान पाया।
आप को मेरी घटना कैसी लगी? मेल करें। Sex Stories
मेरा नाम अनु अरोड़ा हैमेरा नाम अनुक्ति है मुझे घर पर सभी अनु नाम से ही बुलाते हैं., मैं बी टेक 3र्ड इयर की स्टूडेंट हूँ. मेरी उमर 21 साल है.
मैं मध्य प्रदेश से हूँ और बी टेक करने दिल्ली आई हूँ, मेरा कॉलेज गुरुग्राम में है.
मेरे परिवार में मेरे पिता जी, माँ और एक छोटा भाई है जो मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मैं भी अपने परिवार से बहुत प्यार करती हूँ, शायद यही कारण था कि मैं आज तक किसी ग़लत चक्कर में नहीं पड़ी और ना ही कभी बॉयफ्रेंड बनाया.
मेरा फिगर 36-24-36 का है, मैं अपने फिगर को लोगों को आकर्षित करने के लिए नहीं पर अपनी खुशी के लिए मेंटेन रखती हूँ. मेरे कॉलेज के सब लड़के मेरे दीवाने हैं. बहुत लड़कों ने मुझे प्रपोज़ किया है पर मैंने कभी किसी को कभी हाँ नहीं कहा और ना ही कभी किसी लड़के से कभी दोस्ती की.
लेकिन किस्मत ने जब जिससे जहाँ मिलना होता है, मिला देती है और शायद किस्मत को संदीप को मुझसे मिलना था.
संदीप मेरा एक दोस्त है जो मुझे गुरुग्राम में ही मिला. संदीप दिखने में भी बहुत अच्छा है, मन में एक बार तो आया था कि उसे अपना बॉयफ्रेंड बना लूँ पर अपने माँ बाप की इज़्ज़त पर कोई आँच नहीं आने देना चाहती इसलिए सिर्फ़ दोस्त ही रहने दिया उसे भी.
संदीप रहने वाला मेरठ का है और मुझे गुरुग्राम के एक माल में मिला था. वो यहाँ एक कंपनी में डेटा अनालिस्ट है.
एक बार मॉल में कुछ लड़के मुझे छेड़ रहे थे तब संदीप ने मुझे उनसे बचाया था और हॉस्टल तक छोड़ा था. तब से मेरी और संदीप की दोस्ती हो गई. संदीप ने मुझे बाद में प्रपोज़ भी किया तो मैंने उससे बता दिया- संदीप, मैं सिर्फ़ अरेंज मैरिज करना चाहती हूँ वो भी उससे जो मेरे माँ बाप मेरे लिए ढूंढेंगे. तुम एक अच्छे लड़के हो इसलिए मैं तुम से दोस्ती नहीं तोड़ना चाहती.
संदीप एक शरीफ लड़का था तो उसने मुझे समझा और उसने इसलिए भी मुझे समझा क्योंकि वो मेरे बारे में सब जानता था. संदीप को पता था कि अनु एक शरीफ लड़की है और कभी बॉयफ्रेंड ना बनाया है और ना बनाएगी.
एक बार संदीप ने मुझे पूछा कि क्या मैं वर्जिन हूँ. तो मैंने उससे बहुत सुनाया कि क्या मतलब है उसका कि मैं वर्जिन हूँ.
मैंने उससे बोला- एक बात, जब आज तक मैं किसी लड़के के साथ नहीं हुई तो यह सवाल कैसा और दूसरा उसे शर्म आनी चाहिए यह सवाल पूछते हुए मुझसे!
मैंने उससे दोस्ती तोड़ दी, उसने माफी माँगी पर मैंने उससे माफ़ नहीं किया.
उस पर तरस तो आया पर हिम्मत नहीं हुई उससे नज़रें मिलाने की… उसके इस सवाल के बाद!
एक दिन मुझे कॉलेज की फीस भरनी थी तो मैंने पिता जी को फोन कर दिया. हालांकि मुझे पिता जी से पैसे लेना अच्छा नहीं लगता था पर मैंने सोच रखा था की मेरी पढ़ाई कंप्लीट होते ही और नौकरी लगते ही पिता जी को एक एक रूपया लौटा दूँगी.
मेरे फोन करते ही पिता जी ने मेरे अकाउंट में 1 लाख 30 हज़ार जमा करवा दिए. शनिवार का दिन था, तब बैंक हाफ डे के लिए ही खुलता था, मैंने अपनी रूममेट को बोला- मेरे साथ बैंक चल… पर उसकी तबीयत कराब थी तो मैं अकेली चली गई.
एक बार तो सोचा संदीप को फोन करके बुला लूँ, वैसे भी अब नाराज़ हुए काफ़ी दिन हो गये थे, पर फिर सोचा छोड़ो. बाद में देखते हैं. और पहले फीस का काम निपटा लूँ.
मैं सुबह 10 बजे बैंक पौंछ गई, वहाँ पर्ची भर के पैसे ले लिए. मैंने पैसे बैंग में डाले और कैब बुलवा कर हॉस्टल आ गई. किस्मत से ट्रॅफिक ना मिलने के कारण मैं 12 बजे तक हॉस्टल पहुंच गई थी. हॉस्टल में एंट्री लेते हुए समय मैंने देखा कि फीस विंडो पर लाइन नहीं लगी हुई है और विंडो भी खुला था तो सोचा क्यूँ ना अपनी फीस ही भर दूं और यह काम पूरे से निपटा दूं और वैसे भी सोमवार को काफ़ी लंबी लाइन लगने वाली थी.
मैं फीस काउंटर पर गई और फॉर्म लेकर अपना नाम, बेच, रोल नंबर और सब भर दिया. जैसे मैं विंडो पर पहुंची और पैसे निकालने के लिए बैग में हाथ डाला तो देखा बैग में से पैसे गायब थे. मैंने घबरा कर बैग में से सारा सामान निकल दिया और देखा बाद में एक छेद हुआ पड़ा था और पैसे बैग से गायब थे. मैं वहीं चक्कर खाकर गिर गई.
तभी हॉस्टल की वॉर्डन ने और ना जाने किसने मुझे मेरे हॉस्टल रूम में पहुंचाया.
जब मुझे होश आया तो एक पल कि मुझे लगा कि सपना था पर पास में बैग देख कर समझ आया कि सपना नहीं यह सच था कि मैंने अपनी फीस के 1 लाख 30 हज़ार गुमा दिए थे. मैं एकदम से घबरा गई और समझ नहीं आया कि क्या करूँ!
घबराहट में मुझे कुछ नहीं सूझा और मैंने तुरंत अपने दोस्त संदीप को फोन घुमा दिया. संदीप ने जैसे ही मेरा फोन उठाया, मैंने उससे रोते रोते सब बताया कि क्या हुआ.
संदीप ने मुझे फोन पर चुप करवाया और बाहर बुलाया क्योंकि वो गर्ल्स हॉस्टल की अंदर तक नहीं आ सकता था.
मैं बाहर संदीप का वेट कर रही थी और 5 ही मिनट में संदीप अपने किसी दोस्त की मोटरसाइकल लेकर आ गया. संदीप के आते ही मेरा रोना फिर छूट गया तो उसने मुझे बोला- चुप हो जाओ और यहाँ से चलो पहले!
और यह कह कर वो मुझे दूर एक पार्क में ले गया और पूरी बात पूछी. पूरी बात जानने के बाद वो मुझे मोटरसाइकल से बैंक के रास्ते और बैंक से हॉस्टल के रास्ते ले गया पर कुछ नहीं मिला.
मुझे रोता देख संदीप बोला- देखो अनु, पैसे तो मेरे पास भी नहीं है, नहीं तो मैं तुम्हें दे देता… पर मैं वादा करता हूँ कि 2 दिन का समय दो तो मैं कुछ कर पाऊंगा.
मैंने संदीप की बात मान ली और हम दोनों सोचने लगे.
तीसरे दिन मैंने संदीप को फोन किया और बोला- संदीप, फीस भरने की आख़िरी डेट आने वाली है, जल्दी कुछ नहीं किया तो बहुत बड़ी मुसीबत में फंस जाऊँगी.
तभी संदीप ने बोला- अनु तुम परेशान मत हो, पैसों का इंतज़ाम 80% हो गया है पर पहले तुम मिलो मुझे.
मैं संदीप से मिलने पहुँची और फिर वो मुझसे मोटरसाइकल पर बिठा कर एक पार्क में ले गया और बेंच पर हम बैठ गये.
तभी संदीप ने मुझे एक बात बोल कर हैरान और परेशन दोनों कर दिया.
संदीप ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- देख अनु, मैं तुझे अपना बहुत प्यार दोस्त मानता हूँ, समझ नहीं आ रहा कि कैसे बोलूं तुझे… पर मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
संदीप ने कहा- अनु, मैंने 2 दिन पहले अपने एक दोस्त से बात की पैसों के लिए और मैंने उसे तुम्हारी पूरी कहानी भी बता दी थी कि क्यों एकदम से इतने पैसों की ज़रूरत आ पड़ी है पर उसके पास भी पैसे ना होने के कारण उसने मना कर दिया था.
संदीप मुझसे बोला- अनु, आज मेरे उसी दोस्त का फ़ोन आया था और वो बोला की 1 लाख 30 हज़ार की जगह 2 लाख मिल जाएँगे अगर तुम एक आदमी के साथ पूरी रात गुजार लो तो!
यह सुनते ही मुझे सब समझ तो आ गया था पर यकीन नहीं हुआ था कि यह संदीप ने क्या बोल दिया.
मैंने संदीप को कहा- वॉट डू यू मीन कि पूरी रात गुज़ारनी होगी?
संदीप बोला- तुम्हें एक आदमी के साथ सेक्स करना होगा और पूरी रात उसी पास रहना पड़ेगा.
मुझे संदीप पर बहुत गुस्सा आया और मैंने उससे तमाचा मार दिया और रोते हुए अपने हॉस्टल आ गई.
मेरे हॉस्टल आने के बाद मैंने संदीप को सॉरी का मेसेज किया और सोने की कोशिश करने लगी पर टेंशन में और संदीप की बात सुन कर नींद नहीं आ रही थी. मैं बहुत डरी हुई थी, समझ नहीं आ रहा था कि कैसे क्या करूँ. एक बार तो सोचा कि घर पर ही बता दूं पर फिर अपने घर की आर्थिक हालत के बारे में सोच कर मैंने चुप रह कर खुद से सब संभालने की सोची.
पर संभालना कैसे था… यह समझ नहीं आ रहा था.
अब 5 दिन बीत चुके थे और आज गुरुवार था और सोमवार को फीस भरने की आख़िरी तारीख थी. गुरुवार की रात तक सब कुछ सोचने के बाद जब कुछ रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था तो संदीप की बात मेरे दिमाग़ में घूमने लगी. एक बार दिमाग़ ने कहा कि अनु एक रात किसी और के साथ… तेरी सब दिक्कत दूर कर देगी और सेक्स कभी ना कभी तो करना ही पड़ेगा और आजकल सब शादी से पहले कर चुके होते हैं पर किसी अंजान आदमी के साथ कैसे?
पूरी रात सोचते सोचते निकल गई और फिर मैंने शुक्रवार की सुबह संदीप को फोन किया, कहा- संदीप मैं तैयार हूँ, पर यह बात प्लीज़ तुम्हारे और मेरे बीच में ही रखना!
संदीप बोला- ठीक है, मैं पता करके बताता हूँ कि कब जाना होगा.
आधे घन्टे बाद संदीप ने मुझसे मेरा अकाउंट नंबर माँगा और कहा- इसमें अभी 50 हज़ार आ जाएँगे और बाकी के बाद में… और तुम्हें आज की रात ही जाना पड़ेगा तो तुम वॉर्डन को बोल दो कि तुम घर जाओगी आज शाम को!
मैंने संदीप की बात मान ली और वैसा ही किया.
संदीप मुझे 6 बजे हॉस्टल से ले गया और फिर एक जगह जाकर हम खड़े हो गये. मुझे बहुत ड़र लग रहा था.
तभी वहाँ एक सफेद गाड़ी आकर रुकी और उसमें से एक लड़का निकला. लड़के ने संदीप से हाथ मिलाया और मुझे कहा- डरो मत, मैं संदीप का दोस्त हूँ, मैं आपको वहाँ छोड़ कर आऊंगा और फिर कल दोपहर लेने भी आऊंगा और फिर संदीप आपको यहीं से ले जाकर हॉस्टल छोड़ देगा.
और फिर मुझे साथ चलने को कहा.
मैं चुपचाप गाड़ी में बैठ गई और संदीप का दोस्त, जिसका नाम अंशुल था, आगे की सीट पर ड्राइवर के साथ बैठ गया.
रास्ते में अंशुल ने मुझे कहा- तुम बहुत प्यारी हो और तुम्हें मैं संजय सर के पास छोड़ के आने वाला हूँ.
रास्ते में उसने मुझे अपने संजय सर के बारे में बताया.
अंशुल ने बताया- संजय सर करीब 34 साल के हैं और बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं, भारत में उनके कई बिजनेस हैं..
और सब कुछ बताया.
अंशुल ने यह भी बताया- संजय सर की कभी शादी नहीं हुई है, एक बार शादी तय हुई थी पर जिस लड़की से उनकी शादी तय हुई थी, वो लड़की मंडप से अपने बॉयफ्रेंड के साथ भाग गई थी और उसके बाद संजय सर ने कभी शादी नहीं की और अपने काम में लग गये.
करीब 45 मिनट में हम संजय सर के घर पहुंच गये. उसे घर कहना शायद ठीक नहीं होगा, वो एक महल से काम नहीं था, घर के गेट पर ही 2 गार्ड खड़े थे.
गाड़ी अंदर गई, ड्राइवर ने घर के दरवाजे पर कार रोक दी. मैं और अंशुल गाड़ी से उतर के अंदर गये तो देखा एक बहुत बड़ा हॉल था जिसमें सोफे पर कोई आदमी बैठा था. देखने में तो 34 की उमर का संजय नहीं लगा तो मुझे लगा कोई होगा… यह संजय का छोटा भाई हो सकता है. उसका शरीर जिम जाने वाले लड़कों की तरह तना हुआ था और हाइट उसकी 5 फुट 11 इंच होगी.
हम जैसे ही थोड़ा करीब पहुंचे तो अंशुल ने बताया- ये ही संजय सर हैं!
और फिर मुझे इंट्रोड्यूस करवाया.
मैंने घबराते हुए अपने काँपते हाथ से उनसे हाथ मिलाया.
उन्होंने हमें बैठने को कहा.
तभी अंशुल ने कहा- चलो, मैं चलता हूँ कल दस बजे तक आ जाऊँगा आपको लेने!
यह बोल कर अंशुल चला गया और संजय अंदर कहीं चले गये.
थोड़ी देर बाड 2 चाईनीज या पहाड़ी सी दिखने वाली लड़कियाँ आई और मुझे कहा- चलो हमारे साथ!
और एक कमरे में ले गई, वो कमरा वैसा था जैसा मॉडेल्स या हीरो हेरोइन के तैयार होने के लिए होता है.
उन्होंने ने मुझे कहा- हम तुम्हें यहाँ दुल्हन की तरह तैयार करेंगे क्योंकि संजय सर तुम्हें अपनी दुल्हन की तरह देखना चाहते हैं.
मैं समझ गई कि आज मेरी बिना शादी के सुहागरात मनेगी. मैं बहुत घबराई हुई थी.
उन्होंने मुझे एक कुर्सी पर बैठा दिया और फिर मेरी टीशर्ट और जीन्स उतार कर बैठने को कहा.
मैं बोली- मुझे बहुत शर्म आएगी आप दोनों के सामने!
तब उन्होंने समझाया कि वो भी लड़कियाँ ही हैं और शरमाने की कोई बात नहीं है.
मैंने उनकी बात मान ली और अपने कपड़े उतार दिए.
फिर उन्होंने मेरे वक्ष का साइज़ चेक किया और मेरे साइज़ से 1 नंबर छोटी ब्रा और पेंटी के 4-5 सेट मंगवा लिए. फिर वो दोनों मेरे हाथों पैरों की वैक्सिंग करने लगी.
उसके बाद उन्होंने मेरे हाथों पैरों पर मेहंदी लगाई.
फिर उन्होंने मेरा फेशियल किया और नहलाया और पूरा अच्छे से तैयार कर दिया. उन्होंने मेरी बुर पर से भी बाल पूरी तरह साफ कर दिए थे.
फिर उन्होंने मुझे एक डार्क ब्लू कलर की ब्रा और पेंटी पहना दी जो थोड़ी टाइट थी और मेरे शरीर को और उभार रही थी. मुझे जो पेंटी पहनाई थी वो भी डार्क ब्लू की थी जिसके आगे थोड़ा सा जाली वाला डिज़ाइन था.
मुझे एक लहंगा पहनाया गया और हाथ में कुछ चूड़ियाँ और दुल्हन वाला चूड़ा पहनाया और पैरों में पायल पहनाई. यहाँ तक कि उन्होंने मुझे गले में एक मंगल सूत्र पहनने को भी दिया.
मुझे पूरी तरह दुल्हन की तरह सज़ा दिया गया.
मैंने जब खड़े होकर खुद को शीशे में देखा तो खुद को एक बार यकीन नहीं हुआ कि मैं इतनी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी.
फिर मुझे वो लोग एक कमरे में ले गये. कमरे में जाते ही मैंने देखा कि कमरे में बेड को फूलों से सजाया हुया था. मुझे उस बेड पर बैठा कर वो दोनों वहाँ से चली गई.
मैं बहुत डर रही थी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है और क्या होने वाला था. हालांकि मुझे पता था कि आज मेरे साथ क्या होने वाला है.
करीब 15 मिनट में संजय कमरे में आए, दरवाज़ा बंद कर दिया और ए.सी. का टेंपरेचर 16 पर कर दिया. वो मेरे करीब आकर बैठ गये और फिर मेरा हाथ पकड़ कर कहा- आज रात तुम मेरी पत्नी हो, मुझे अपने पति की तरह प्यार करना है तुम्हें आज!
मैंने नज़रें नीचे झुका ली…
उन्होंने मुझे गले से लगाया और बेड पर लिटा दिया और वो भी मेरे पास ही लेट गये और मेरे हाथ को पकड़ लिया.
मैं बहुत घबरा रही थी. उन्होंने फिर मेरे माथे पर किस किया, फिर मेरी आँखों पर और फिर मेरे गाल पर!
जैसे ही वो मेरे लिप्स पर किस करने लगे, मैंने मुँह फेर लिया.
कहानी जारी रहेगी..........
देखिये मैं कोई कहानी Antarvasna आपको नहीं बता रहा हूँ, यह मेरा पहला अनुभव था जो मैं आपको बताना चाहता हूँ जब मुझे जिंदगी के सबसे हसीन पल नसीब हुए।
शुरू से ही मेरी दिलचस्पी बड़ी उम्र की महिलाओं में मतलब कि शादीशुदा महिलाओं में रही है क्यूंकि शादी के बाद उनके यौवन में जो निखर आता है उसका कोई जवाब ही नहीं होता! चेहरे पर जो लाली होती है, शरीर में जो भराव होता है वो बात एक कुंवारी लड़की में नहीं होती।
यही वजह है कि मुझे शादीशुदा महिलाएं ज्यादा आकर्षक लगती हैं।
बात अभी पिछले साल की है जब हमारे घर पर नए किरायेदार आये थे। वो एक शादीशुदा जोड़ा था जिनकी शादी को अभी एक साल ही हुआ था!
पति रमेश एक दवाइयों की कंपनी में मैनेजर थे और पत्नी स्कूल टीचर जो पास के ही एक स्कूल में जाती थी, उनका नाम साक्षी था!
साक्षी के हुस्न की मैं क्या कहूँ! एक दम गोरा बदन, शरीर भरा हुआ, दोनों चूचियाँ इतनी मोटी कि देखते ही लण्ड खड़ा हो जाये!
मैं तो उन्हें देखते ही पागल हो गया था! एक आग सी लग गई अन्दर कि काश इनके यौवन का मजा मैं भी ले सकता!
बस फिर क्या था मैं बस एक मौके की तलाश में रहने लगा!
पहले धीरे धीरे मैंने साक्षी से बात करनी शुरू की! बातों बातों में पता चला कि उनके पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते है कई दिनों तक!
बस यह सुनते ही मेरा दिल खुश हो गया क्यूंकि अब कुछ हो सकता था!
मैं अक्सर रात को उनकी खिड़की में झाँका करता था यह सोच कर कि कभी साक्षी के भरे हुए शरीर का नजारा मिल जाये!
एक रात तो मैंने साक्षी को सेक्स करते हुए उसके पति के साथ देखा! तबसे मेरे तन बदन में आग लग गई कि अब तो मुझे कैसे भी करके साक्षी को चोदना है!
कुछ दिनों बाद साक्षी का पति बाहर चला गया और जिस दिन का मुझे इन्तज़ार था वो अब करीब था।
एक रात मैं साक्षी के कमरे में झांक रहा था तो जो देखा उस से मेरे रोंगटे खड़े हो गए! साक्षी टीवी पर ब्लू फिल्म देख कर अपनी चूत को जोर जोर से अपने हाथों से रगड़ रही थी! मेरा सात इंच का लण्ड एकदम से तन कर खड़ा हो गया! मुझसे रहा न गया और मैंने वहीं खड़े खड़े मुठ मार कर उसे शांत किया!
अगले दिन मैं कॉलेज से दोपहर में ही वापिस आ गया! मेरे घरवाले ताला लगा कर बाहर गए हुए थे! मैं बाहर सीढ़ियों पर बैठ गया!
तभी देखा कि सामने से साक्षी आ रही थी! उनके स्कूल की छुट्टी हो गई थी!
मुझे बाहर बैठा देख कर वो मुझसे बोली- क्या बात है आशु दोपहर में बाहर क्यों बैठे हो!
मैंने कहा- घरवाले ताला लगा कर बाहर चले गए हैं और चाबी नहीं छोड़ कर गए!
साक्षी- तो कोई बात नहीं बाहर मत बैठो मेरे कमरे में आ जाओ नहीं तो बीमार पड़ जाओगे धूप में!
मैं उनके कमरे मैं चला गया!
साक्षी- कुछ भी चाहिए हो तो बता देना, संकोच मत करना।
मैं मन ही मन सोचने लगा कि जो चाहिए वो कैसे बताऊँ!
साक्षी- तुम यहीं बैठो, मैं कपड़े बदल कर आती हूँ!
जब वो कपड़े बदल कर आई तो जो गाउन वो पहन कर आई उसमें उन्हें देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया!
वो मेरे सामने बैठ गई और मुझसे बात करने लगी!
साक्षी- तो कॉलेज में सिर्फ पढ़ाई ही करते हो या कोई मस्ती भी! कोई गर्ल फ्रेंड है या नहीं?
मैं उसकी पहली ही बात से हैरान हो गया कि इतना खुल के बात कर रही है!
मैंने कहा- नहीं, कोई नहीं है!
साक्षी- क्या तुम आजकल के लड़के एक लड़की नहीं सेट कर सकते! पता नहीं जवानी के मजे कब लोगे।
मैं हैरान हो कर उसे देखता रहा!
तभी उसने अपनी एक टांग दूसरी टांग के ऊपर रख ली, जिससे उसकी जांघें दिखने लगी- एकदम गोरी गोरी, एक भी बाल नहीं एक दम चिकनी!
मेरी नज़र वहाँ जाकर टिक गई!
साक्षी- वैसे कल तुम मेरी खिड़की में झांक कर जो कर रहे थे वो ठीक नहीं!
इसका मतलब उसने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया था! अब मैंने तय किया कि जो भी होगा देखा जायेगा और मैंने उनकी जांघ पर हाथ रख दिया!
मैंने कहा- क्या करूँ जबसे तुम्हें देखा है तबसे अन्दर एक आग सी लग गई है! मैं बस एक बार तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ!
साक्षी- तो यह बात है!
मैंने धीरे धीरे हाथ अन्दर बढ़ाना शुरू कर दिया!
साक्षी- शर्म आनी चाहिए तुम्हें जो एक शादीशुदा औरत पर नज़र रखते हो!
मैंने घबरा कर हाथ वापिस खींच लिया और जाने के लिए खड़ा हो गया! मेरा लण्ड तो खड़ा ही था और वो पैंट से बाहर आने के लिए तड़प रहा था!
तभी साक्षी ने मेरी पैंट के बाहर से ही लण्ड पकड़ कर कहा- सिर्फ नज़र रखने से ही कुछ नहीं होता, कुछ करने की हिम्मत भी होनी चाहिए!
मैंने कहा- आप एक मौका तो दो, फिर मैं दिखाता हूँ कि क्या कर सकता हूँ!
साक्षी- तो फिर देर किस बात की है! आ जाओ और हो जाओ शुरू! शादी के बाद ये अकेलापन काटने को दौड़ता है पर इन्हें तो अपने काम से ही फुर्सत नहीं!
मैंने कुछ न कहते हुए हुए सीधे उनके रसीले गुलाबी होंटों को चूमना शुरू कर दिया! धीरे धीरे मेरा हाथ उनकी गाउन के अन्दर उनकी मोटे मोटे मम्मों की तरफ बढ़ने लगा! उसके मम्मे कस गए और मैंने उन्हें खूब जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया!
साक्षी ने मेरी पेंट की जिप खोल दी और मेरे लण्ड को पकड़ लिया और अंडरवीयर से बाहर निकल दिया और जोर जोर से हिलाने लगी!
हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए धीरे धीरे उनके बेडरूम में चले गए. साक्षी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी पैंट और अंडरवीयर उतार दी!
साक्षी- अरे बाप रे! इतना बड़ा लण्ड! ऐसा तो मैंने ब्लू फिल्म में भी आज तक नहीं देखा कभी!
मैंने कहा- सात इंच का है! अच्छे अच्छों का नहीं होता इतना मोटा और बड़ा!
साक्षी- पता है मुझे लण्ड के साथ क्या करना पसंद है!
मैंने पूछा- क्या?
उसने कुछ नहीं कहा और सीधे मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया!
मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा!
वो बड़ी जोर जोर से मेरा लण्ड चूस रही थी! और मेरा लण्ड और कसता जा रहा था!
पंद्रह मिनट तक वो मेरा लण्ड चूसती रही और मेरी साँसें तेज होने लगी!
वो और तेज होती जा रही थी! और एक दम से उसने अपना मुँह हटा लिया और मेरा सारा वीर्य चस चस करता हुआ तेज धार से उसकी गाउन पर जा गिरा!
साक्षी- क्या हुआ बस इतने में ही झड़ गए!
मैंने कहा- आज तो दस बार भी झड़ जाये तो भी ये लण्ड बैठने वाला नहीं! मेरा लण्ड अभी भी पहले से ज्यादा तना हुआ था!
मैंने कहा- अब देखो मैं तुम्हें स्त्री जीवन के चरम सुख का आनंद दिलाता हूँ!
मैंने उसके गाउन को उतार दिया, उसने अन्दर कुछ नहीं पहना था!
उसको बेड पर लिटा कर मैंने उसके मोटे मोटे मम्मो को मुँह में ले लिया और दबा दबा कर चूसने लगा! उसके मुँह से जोर जोर से सिसकियाँ निकलने लगी! मैंने जी भर कर पहले उसके मम्मों को चूसा, उसके लाल लाल चुचूकों को चूसा और चूस चूस कर उन्हें सुजा दिया।
साक्षी- बस इन्हें ही चूसोगे या कुछ और भी करोगे!
मैंने थोड़ा ऊपर उठ कर सीधे उसके होंठों को होंठों से चूमा और जी भर कर चूमा।
साक्षी- आह! मेरे होंठों को काटने में बड़ा मजा आ रहा है क्या ?
मैंने कहा- बस देखती जाओ अब मैं कहाँ कहाँ काटता हूँ!
मैं धीरे धीरे, प्यार से चूमते हुए होंठो से नीचे की ओर गर्दन को चूमते हुए मम्मों को चूमते हुए और नीचे जाता गया! अब प्यार से मैं उसके पेट को चूमते हुए धीरे धीरे नीचे की ओर जाने लगा! मैंने पहले कभी चूत नहीं देखी थी तो मैंने अपने हाथों से पहले उसकी चूत को थोड़ा सहलाया! धीरे धीरे मैंने उसे अपनी ऊँगली से रगड़ना शुरू किया! साक्षी गरम होने लगी!
वो अस्स्स्स अस्स्स् अस्स्स्स करके सिहरने लगी!
मैंने रगड़ते हुए कहा- आज तक आपका कभी झड़ा है?
साक्षी- ये क्या कह रहे हो! झड़ता तो आदमियों का है औरतों का नहीं!
मैंने कहा- यही तो! यह बात कितनी औरतो को अपनी पूरी यौन-जीवन में पता नहीं चलती कि उनका भी झड़ता है और मर्दों से कहीं ज्यादा और तेज जिसे फीमेल एजकुलेशन कहते हैं! और जो आनंद इस से मिलता है वो बयां नहीं किया जा सकता!
साक्षी- बोलो मत और करके दिखाओ!
मैंने धीरे धीरे उनकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया! रगड़ बढ़ने से साक्षी के बदन की गर्मी बढ़ने लगी! उसके मुँह से अह्ह्छ अह्ह्ह स्स्स्स स्स्स्स ऊउम्मम ऊऊम्म की आवाजें आने लगी! फिर मैंने अपनी एक ऊँगली को चूत के अन्दर डाल कर उसके “जी स्पॉट” को ( जो चूत के अन्दर होता है ) को रगड़ना शुरू कर दिया! साथ साथ मैं उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसता रहा!
मैंने ऊँगली की रगड़ को तेज कर दिया! और साक्षी और ज्यादा आग की तरह भड़कने लगी। आवाजें बढ़ती जा रही थी! ऊऊह्ह्ह ऊऊउह्हह स्स्स्स स्स्स्स्
साक्षी- और जोर से, और जोर से आआऽसऽऽ आआअह्ह्हऽऽ अब बर्दाश्त नहीं होता! डाल दो अपना लण्ड अन्दर और फाड़ दो मेरी चूत को, फाड़ दो! आआह्ह आआह्ह्ह चोद चोद कर लाल कर दो मेरी चूत को, फाड़ दो!
जब मुझे लगा कि इसका “जी स्पॉट” पूरी तरह गरम हो चुका है तो मैंने अपना अपना लण्ड उसकी चूत पर सटा दिया और हल्का हल्का बाहर से ही रगड़ने लगा!
साक्षी- और कितना तड़पाओगे! ये सात इंच का हथोड़े जैसा लण्ड मार कर फाड़ दो मेरी चूत को!
मैंने हल्के-हल्के रगड़ते हुए एकदम से जोर का झटका मारा और एक ही बार में पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर डाल दिया!
साक्षी के मुँह से जोर से आवाज़ आई- हे माँ! मार डाला! आआअह्ह्ह! तार तार कर दो आज मेरी चूत को फाड़ कर!
मैंने धीरे धीरे लण्ड को चूत में अन्दर बाहर करना शुरू किया! उसकी सिसकियाँ बढ़ने लगी! वो जोर जोर से आवाज़ निकालने लगी- आईई आह्ह्ह स्स्स्स म्मम्म
मैंने उसके होंठों को होंठों से सील करते हुए लण्ड के झटके तेज कर दिए! अब मेरा लण्ड पूरे उफान पर था और साक्षी का बदन पूरे जोश में आग से धधक रहा था! आआह्छ अह्ह्ह् अह्ह ह्ह्ह्छ
और मैं पूरी तेजी के साथ झटके दे रहा था! फच फच फच की आवाजें आ रही थी जब मैं पूरे जोर से झटके लगा रहा था!
इतने में साक्षी का बदन अकड़ने लगा मुझे अहसास हो गया कि अब साक्षी झड़ने वाली है!
मैंने और जोर से झटके देने शुरू कर दिए! इतने में साक्षी ने मुझे जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया और चिल्लायी- हाय आशु! मैं मर गई … आआह्ह्ह्ह्छ …
और एक दम तेज धार से उसकी चूत से पानी झड़ने लगा!
मैं रुका नहीं और मैंने झटके चालू रखे! मैं चरम सीमा पर पहुँच चुका था और मेरा झड़ने वाला था!
मैंने और जोर से लण्ड चूत में हिलाते हुए उसको जकड़ लिया! मेरा लण्ड चस चस करता हुआ एकदम कस कर उसकी चूत में झड़ गया! और मैंने उसको कसकर जकड़ लिया!
हम दोनों शांत हो चुके थे! जो आग अन्दर थी वो कुछ कुछ ठंडी हो चुकी थी!
हम दोनों कुछ देर बेड पर ही एक दूसरे को लिपट कर लेटे रहे और एक दूसरे को चूमते रहे!
साक्षी- यह सुख जो आज मिला है शायद ही जिंदगी भर कभी भूल पाऊँगी! आज तक तो मैं बस सेक्स करती थी पर आज मेरा झड़ने के बाद उसका सही मतलब पता चला! पर यही सुख मुझे आगे भी चाहिए!
हमने कई दिनों तक कई कई बार प्यार के हसीं पलों का मज़ा लिया!
कुछ महीने बाद उसके पति का ट्रान्सफर किसी और जगह हो गया और उन्होंने घर बदल लिया!
उसके बाद से मैं अकेला पड़ गया! आज भी मुझे किसी शादीशुदा भरी हुई औरत की तलाश है!
मुझे मेल करें! Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.