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Massage Girl in Ukhrul: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Ukhrul who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Ukhrul that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Ukhrul massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Ukhrul who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Ukhrul massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Ukhrul massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Ukhrul who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Ukhrul employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Ukhrul helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Ukhrul

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Ukhrul at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.

खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.

क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.

अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.

बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.

अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.

मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.

फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.

बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.

बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.

करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.

मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.

मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.

अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.

उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.

उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई चूत थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.

अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …

मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”

मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.

कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.

मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.

अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.

इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.

आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.

थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.

फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.

रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.

उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.

आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.

Antarvasna Sex Stories

अंतर्वासना पढ़ने Antarvasna Sex Stories वाले हर शख्स को मेरी तरफ से बहुत बहुत प्यार !

मैं इस अन्तर्वासना की एक-एक कहानी को तहे-दिल से पढ़ती हूँ और अपनी कक्षा में जाकर अपनी सहेलियों को भी सुनाती हूँ, फ्री पीरियड में बैठ कर हम यह सब एक दूसरी से शेयर करती और एक दूसरी के मम्मे वगैरा भी दबाती हैं, हल्की-फुल्की छेड़खानी !

हम तीन सहेलियाँ हैं रोज़ी, पिंकी और मैं पायल !

मैं अपनी दोनों सहेलियों से एक साल बड़ी हूँ, बीमार होने की वजह से मेरी एक क्लास ड्राप हो गई थी। मुझे समय से पहले ही जवानी आने लगी है, अब तो मैं काफी बड़ी लगने लगी हूँ।

मैं अक्सर शाम को रोज़ी के घर चली जाती हूँ, उसमें अभी भी बचपना सा है। हम एक साथ खेलती, कूदती हैं। उसने घर की पीछे के हिस्से में बेडमिंटन का जाल लगा रखा है। राजेश अंकल रोज़ी के पापा हैं, वो देखने में ही ठरकी किस्म के हैं, उनकी नज़रें मेरी छातियो पर ज्यादा टिकती हैं और अब मैं यह जान चुकी थी कि वो मुझ में कुछ ज्यादा ध्यान देने लगे, मैं सब समझती थी क्यूंकि मैं भी रोज़ रात को कंप्यूटर पर बैठ चेटिंग,सर्फिंग, वेबसाइट्स देखती और पढ़ती हूँ, मुझे सब चीज़ों का पता है, हिंदी में इन सबको क्या कहते हैं, मैं सब नेट से जान चुकी हूँ।

मैं भी शाम को स्कर्ट पहन कर जाती थी, जब मैं उछलती तो स्कर्ट उड़ती, अंकल अखबार सामने रख चोरी-चोरी मेरी चिकनी जांघें देख अपना लौड़ा खुजलाते। वैसे अब बाहर भी कई लड़के मेरे चारों तरफ मंडराने लगे हैं, फिर तो अंकल बढ़ने लगे और मुझे कहते- तुझे खेलना सिखाता हूँ !

मुझे मालूम था कि वो क्या खेल सिखाना चाहते थे। बहाने से मुझे छूते। उनके स्पर्श से मुझे कुछ होने लगता। कभी रैकट पकड़ना सिखाने के बहाने पीछे से मेरी गांड पर अपना लौड़ा रगड़ते, अंकल को मालूम था कि मैं सब जानती हूँ क्यूंकि एक दिन जब वो मेरे पीछे आये थे तो मैंने खुद गांड पीछे दबा दी थी।

एक दिन शाम को जब मैं वहां गई तो रोज़ी घर पर नहीं थी, ना ही उसकी मम्मी और उसका छोटा भाई !

शनिवार था, वो अपने नानी के घर गई हुई थी, मैं वापस आने लगी तो अंकल बोले- आ जा ! मेरे साथ खेल ले बेडमिन्टन !

न जाने मुझे क्यूँ लगा कि अंकल ने आज जानबूझ कर सब को घर से भेजा है ताकि वो मुझ से मजे कर सकें !

नहीं अंकल ! कल आऊँगी ! कहकर मैं मुड़ने लगी ही थी कि उन्होंने मेरी कलाई पकड़ मुझे अपनी तरफ खींच लिया। एक झटके में मैं उनकी बाँहों में थी, मेरा चेहरा उनके चेहरे के बहुत करीब था, अंकल ने ताज़ी शेव की थी, उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए !

मैं भी उनके चुम्बन का प्रत्युत्तर देने लगी। नीचे से उनका दूसरा हाथ मेरी स्कर्ट में था। मुझे बहुत मजा आ रहा था, अंकल ने मेरे होंठ छोड़ते हुए कहा- चल, बिस्तर में चलते हैं !

मैंने थोड़ा ड्रामा करते हुए कहा- नहीं ! यह सब ठीक नहीं है, मुझे जाने दो !

मुझे कस कर बाँहों में भर अंकल बोले- आज मौका है रानी, तुझे जन्नत दिखाता हूँ !

मुझे बाँहों में उठा अपने बेडरूम में ले गए और मेरी स्कर्ट खोल दी और पैंटी नीचे करते ही अपने होंठ मेरी कुंवारी चूत पर रख दिए।

बहुत ठरकी थे वो !

मुझे मजा आने लगा. वो इस तरह चूत चाट रहे थे जैसे बहुत मीठी हो ! मैं पूरी गर्म हो चुकी थी। अंकल ने ने अपना सब कुछ उतार दिया मुझे 69 की अवस्था में आने को कहा। मैं उनके ऊपर थी, उन्होंने पकड़ कर लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया और मैं चूसने लगी। बहुत मजेदार लौड़ा था उनका ! जो मैंने इन्टरनेट पर देखा था, सब वही खेल मेरे सामने था। अंकल की पूरी जुबान मेरी चूत में घुस जाती, जब वो अन्दर घुमाते तो मैं पागल होकर उनका लौड़ा चूसती !

कुतिया मज़ा आ रहा है? कभी पहले किसी ने चूसी है तेरी?

नहीं अंकल !

कोई यार बनाया है अभी तक तुम दोनों ने ?

क्या ऊँगली डालती हो तुम सहेलियाँ एक दूसरी की चूत में ?

नहीं अंकल ! नहीं डालती !

लौड़ा डलवाएगी मेरा ?

हाँ अंकल !

कुछ कुछ हो रहा है !

हाय मेरी जान ! देख बुड्ढे का लौड़ा है ! पसंद है तुझे ?

हां पसंद है जानू ! फक मी ! अब कुछ करो !

मैंने अब खुद पकड़कर मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।

वाह मुन्नी वाह ! अंकल बोले- चल कर टांगें चौड़ी कर और देख जलवा !

अंकल ने लौड़ा चूत पर रखते हुए झटका दिया, उसका टोपा मेरी चूत की फांको में फंस गया।

दर्द से हिल गई मैं !

छोड़ दो अंकल ! अभी छोटी है मेरी ! यह नहीं सहेगी !

चल कुतिया ! रंडी साली ! मुझे सब मालूम है- एक साथ तीनों कमरे में घुस कर इन्टरनेट पर क्या क्या देखती हो !

थोड़ा तेल लगा अंकल ने झटका मारा, उनका आधा लौड़ा चूत में फंस गया। मैं बेहोश होने लगी। खून से उनका लौड़ा लथपथ हो चुका था, झिल्ली फट चुकी थी एक और झटके में पूरा जड़ तक घुस गया। अंकल ने मेरे होंठ नहीं छोड़े ताकि आवाज़ न निकले !

फिर सारा लौड़ा निकाल कर साफ़ किया, चूत को साफ़ किया, तेल लगाया और फिर से घुसा दिया !

अब थोड़ा आराम से घिसता हुआ चला गया। फिर निकाला और फिर से थोड़ा तेल लगा कर डाला और अब मजे से आगे पीछे होने लगा। मुझे अब सब दर्द भूल गया। नीचे से गांड अपने आप उठने लगी झटकों के साथ साथ !

वो कभी एक चुचूक चूसते कभी दूसरा ! कभी कभी पूरा मम्मा मुँह में डाल लेते ! मेरी आंखें मस्ती से बंद होने लगी ! अंकल की रफ़्तार बढ़ने लगी। मैं एक बार झड़ चुकी थी। मेरी गर्मी से उनका भी पिघल गया और तेज़ तेज़ झटकों के साथ उन्होंने मेरी चूत अपने रस से भर दी और मुझे चुदाई का सुख दिया। मैं मस्ती में इतनी पागल हो चुकी थी कि आंखें नहीं खुल रही थी। वो काफी देर मेरे नंगे जिस्म को सहलाते, दबाते रहे। उसके बाद अगले दिन सुबह ही आने को कहा।

उसके बाद क्या-क्या हुआ। यह जानने के लिए मेरे साथ जुड़े रहो और मुझे मेल करो !

जल्दी ही अगले भाग के साथ आपके सामने हाज़िर हूँगी ! Antarvasna Sex Stories

प्रेषक : डॉ. एस. पी. Sex Stories

बात कई साल पुरानी है लेकिन है Sex Stories बिल्कुल सच्ची। उस समय में बीएससी सैकिंड ईयर में हास्टल में रहकर पढ़ रहा था। मेरी उम्र करीब उन्नीस साल की रही होगी। कालेज में कुछ दिनों की छुट्टियां हो जाने के कारण मै गांव जाने का कार्यक्रम बनाकर हॉस्टल से शहर में आ गया। शहर से हॉस्टल करीब दस किमी दूर बाहर था। शहर में मेरे पिताजी की मौसी रहती थी।

वक्त दोपहर का था, मैंने सोचा क्यों कुछ देर पापा की मौसी के यहां रूक कर फ़िर गांव चला जाए। शहर से गांव ६५ किमी दूर था यही सोचकर मैं उनके घर चला गया। उनके घर पर गया तब पापा की मौसी नहाने की तैयारी कर रही थी। वो इतनी साफ सफाई वाली बुजर्ग महिला थीं कि उन्हें नहाने में दो घंटे से कम नहीं लगते थे। घर पहुंचने पर उन्होंने मेरे हाल चाल पूछे। फ़िर बैठने के लिए कहा। मैं इत्मीनान से उनके यहां बैठ गया।

उस समय उनके घर उनके सिवाय उनकी बड़ी बेटी की दूसरे नंबर की लड़की सलोनी थी जोकि रिश्ते में मेरी बहन ही लगती थी। उस समय वह १२वीं कक्षा में पढ रही थी। जिसकी उम्र लगभग १८ साल के आसपास रही होगी। उसके उभार संतरे जैसे थे। चूतड़ों पर भी मांस आ जाने से गदराने लगे थे। सलोनी का चेहरा और होठ तो इतने रसीले थे कि कोई भी देखे तो किस करने का मन करने लगे, बड़ी-बड़ी आंखें, कुल मिलाकर उसकी हाईट कम थी परंतु थी अल्हड़ जवानी में कदम रखने को बिल्कुल तैयार। पापा की मौसी को हम लोग भी मौसी ही कहते थे।

मेरे पहुंचने पर सलोनी से उन्होंने पानी देने को कहा। सलोनी उस समय अंदर वाले कमरे में किवाड़ बंद करके छोटी सी चारपाई पर टीवी देख रही थी। उसने उस समय फ़्रॉक पहन रखी थी, जोकि टाईट होने के कारण उसकी संतरा जैसी चूची और ठोस गदराए चूतड़ों को सेक्सी बना रही थी। उसने मुझे भइया कहकर नमस्ते किया, पहले पानी पिलाया फ़िर चाय बनाकर पिलाई। फ़िर जाकर लेटकर टीवी देखने लगी। मैंने जल्दी से चाय खत्म कर दी।

मौसी ने नहाना शुरू कर दिया। वह बूढ़ी होने के कारण नंगी होकर नहाती थी। यही सोचकर उन्होंने मुझसे कहा कि गांव शाम को चला जाना, दोपहरी हो रही है। सलोनी के पास आराम कर ले।

तब तक मेरे दिमाग में सलोनी के लिए कोई गलत विचार नहीं थे। मैं मौसी के कहने पर दरवाजा खोलकर कमरे के अंदर चला गया। सलोनी चारपाई पर टीवी की तरफ करवट लेकर लेटे हुए टीवी देख रही थी। मैं भी पैन्ट-शर्ट पहने जूते उतार कर सलोनी की बगल से लेट गया। उस समय टीवी पर श-थीम नाम का कार्यक्रम चल रहा था जिसमें फ़िल्मी समाचार और जानकारियाँ आ रहीं थीं।

मुझे भी कार्यक्रम देखने का मन हुआ तो मैंने सलोनी की तरफ करवट ले ली। क्योंकि चारपाई छोटी थी। इस कारण मेरी छाती सलोनी की पीठ और मेरा छह इंच का लंड सलोनी की मस्त गदराई गांड से पूरी तरह से सट गया। कार्यक्रम में कुछ फ़िल्मी हीरो-हीरोईन के बारे में गरमा गरम जानकारी मय चित्रों के दिखाई जा रही थी। इसे देखकर मेरा सलोनी की गाण्ड से सटा लंड पैन्ट के भीतर से खड़ा होना शुरू हो गया। कुछ ही देर में वह पूरी तरह से खड़ा हो गया। किसी लड़की से इस तरह सटने का यह मेरा पहला अनुभव था।

मेरे लंड के दबाब और कार्यक्रम को देखते हुए सलोनी की श्वांसे भी गरम होने लगीं। धीरे-धीरे मैंने सलोनी के चूतड़ों पर हाथ फ़िराना शुरू कर दिया। जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मेरा हौंसला बढ़ गया। इसके बाद मैंने उसके संतरे जैसे चूचों को फ़्रॉक के उपर से सहलाना शुरू कर दिया। इसके बाद सलोनी आंखें बंद कर मजा लेने लगी। परंतु मुझे यह डर लग रहा था कि कहीं यह रोने न लगे और मेरी शिकायत कर दे। परंतु उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

इसके बाद मैंने उसकी फ़्रॉक को उसके चूतड़ों से उपर तक सरका दिया और उसकी नंगी चूचियों और चड्डी के भीतर हाथ डालकर उसकी बिना बालों की चूत को सहलाना शुरू कर दिया, वह पूरी तरह से मस्ती में आकर आंखें मूंदे पड़ी रही। यह सब करते हुए मैं उससे पूछता- सलोनी ! तो वह सिर्फ हां कहकर चुप हो जाती। मैने जमकर उसकी चूचियों को मसला दबाया। उसकी चूचियां बहुत सख्त थी। जैसे भीतर मांस की कोई गांठ हो।

मैं इस दौरान उससे पूछता- सलोनी मजा आ रहा है?

तो वह हूं कहकर सिर हिला देती थी। मैने अपनी पैन्ट की चेन खोलकर लंड बाहर निकाल लिया। इसके बाद पीछे से उसकी चूत और गांड पर फ़िराने लगा वह मारे उत्तेजना के गर्म-गर्म श्वांसे छोड़ने लगी। उसकी चड्डी इतनी ढीली थी कि मैं चड्डी को सरकाकर लण्ड को उसकी चूत में डालने का प्रयास करने लगा। साथ ही साथ उसकी चूचियों से भी जमकर खेल रहा था। इसी दौरान कई बार उसको चूमा और उसके रसीले औंठ भी चूसे। पर वह बिना कोई हलचल किए आंखे बंद किए चुपचाप करवट लिए लेटी रही।

मैं बार-बार उसकी चूत में लंड डालने का प्रयास कर रहा था। क्योंकि सलोनी का भी इतनी उम्र में यह पहला अनुभव रहा होगा। चूत में लण्ड डालने का प्रयास करते समय मेरे दिमाग में यह बात बार बार आ रही थी कहीं पूरा लण्ड घुस गया तो इसकी चूत न फट जाए और तेज दर्द के यह चिल्लाने लगे। यही कारण था कि मैं चाह कर भी लंड सलोनी की चूत में घुसाने के लिए पूरा जोर नहीं लगा पा रहा था। परंतु मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में उपर से जा रहा था।

मैं जबरदस्त मजे में आ गया सलोनी की श्वांसे गहरी हो गई। मैं चूचियों को मसलते हुए उसके मुँह पर अपना मुंह रगड़ते हुए लंड का सुपाड़ा तेजी से उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा। कुछ ही देर में मेरा पानी निकलने को हुआ। मैंने सोचा अगर पानी ऐसे ही चूत के ऊपर छोड़ा गया तो सलोनी की चड्डी खराब हो जाएगी। इससे कहीं मौसी को मालूम चल गया तो बदनामी के साथ पिटाई भी होगी। इस कारण मैंने अपना पूरा का पूरा पानी सलोनी की चूत में से लंड निकाल कर अपने अंडरवीयर के भीतर छोड़ दिया और ऐसे ही सलोनी से लिपटे-लिपटे लेटा रहा।

लेकिन कुछ देर बाद मेरा लंड़ फ़िर खड़ा हो गया तो मैने फ़िर से सलोनी की चूत में लंड डालने का प्रयास किया तो उसने करवट ले कर ऐसे दिखाने लगी जैसे उसे कुछ मालूम नहीं है और सोकर जगी है। तब तक मौसी की आवाज आ गई और वह उठकर बाहर चली गई। कुछ ही देर बाद मैं भी वहां से गांव चला आया।

मेरे मन में सलोनी की असफल चुदाई का दृश्य बार-बार कोंधता रहा। इसके बाद मैं कई बार वहां गया लेकिन हर बार सलोनी मुझसे नजरें छुपाकर दूर-दूर रहने लगी। कुछ वर्षों बाद सलोनी के घर वालों ने कम उम्र में उसकी शादी भी कर दी। लेकिन दुर्भाग्य से वह दो साल के भीतर एक बेटी को लेकर विधवा हो गई। विधवा होने के बाद भी उसके ससुर ने उसका विवाह करा दिया।

सलोनी अब कभी भी मिलती है तो मुझसे नजरें चुराती है। जबकि आज भी मासूमियत भरी जवानी को मैं चोदना चाहता हूं।

दोस्तों अंतरवासना के लिए यह मेरी पहली सच्ची कहानी है। मुझे कालेज लाइफ से ही मासूम नादान लड़कियां बहुत अच्छी लगती हैं। और मैं जब भी मौका लगता है कभी चूतड़ों पर तो कभी चुचियों पर हाथ फ़िरा कर मजा लेने से नहीं चूकता हूं।

दोस्तों मैं छात्र जीवन में मासूम चिकने लड़कों की गाण्ड मारने का भी बहुत शौकीन रहा हूं और मैने दर्जनों लड़कों की जमकर गांड मारी है। और अब अपनी बीबी की भी गांड मारता हूं। ऐसी कई और मेरी सच्ची कथाएँ हैं जिसमें मैंने अपनी चचेरी बहन दीपा, चचरे भाई की मासूम लड़की मोनी, सलोनी की मौसी की लड़की पारूल से कैसे मजा लिया है के बारे में विस्तार से बतांऊगा।

यह कहानी आपको कैसी लगी मुझे मेल करें। Sex Stories

(Mere Mama Ka ghar-1) Antarvasna

Antarvasna stories मेरा नाम राकेश है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ, 20 साल का हूँ। कॉलेज में पढ़ता हूँ।

पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में मैं अपने ननिहाल अमृतसर घूमने गया हुआ था।

मेरे मामा का छोटा सा परिवार है। मेरे मामाजी पंकज सेठ 45 साल के हैं और मामी हरिता 42 के अलावा उनकी एक बेटी है कणिका 18 साल की।
मस्त क़यामत बन गई है वो!
अब तो अच्छे-अच्छों का पानी निकल जाता है उसे देख कर।
वो भी अब मोहल्ले के लौंडे लपाड़ों को देख कर नैन-मट्टका करने लगी है।

एक बात खास तौर पर बताना चाहूँगा कि मेरे नानाजी का परिवार लाहौर से अमृतसर 1947 में आया था और यहाँ आकर बस गया।
पहले तो सब्जी की छोटी सी दुकान ही थी पर अब तो काम कर लिए हैं। कॉलेज के सामने एक जनरल स्टोर है जिसमें पब्लिक टेलीफ़ोन, कम्प्यूटर और नेट आदि की सुविधा भी है। साथ में जूस बार और फलों की दुकान भी है।

अपना दो मंजिला मकान है और घर में सब आराम है। किसी चीज की कोई कमी नहीं है।
आदमी को और क्या चाहिए। रोटी कपड़ा और मकान के अलावा तो बस सेक्स की जरूरत रह जाती है।

मैं बचपन से ही बहुत शर्मीला रहा हूँ मुझे अभी तक सेक्स का ज्यादा अनुभव नहीं था।
बस एक बार बहुत पहले मेरे चाचा ने मेरी गांड मारी थी।

जब से जवान हुआ था अपने लंड को हाथ में लिए ही घूम रहा था। कभी कभार नेट पर अन्तरवासना पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ लेता था और ब्लू फ़िल्म भी देख लेता था।
सच पूछो तो मैं किसी लड़की या औरत को चोदने के लिए मरा ही जा रहा था।

मामाजी और मामी को कई बार रात में चुदाई करते देखा था। वहीं 42 साल की उम्र में भी मेरी मामी हरिता एकदम जवान पट्ठी ही लगती है। लयबद्ध तरीके से हिलते मोटे मोटे नितम्ब और गोल गोल स्तन तो देखने वालों पर बिजलियाँ ही गिरा देते हैं।

ज्यादातर वो सलवार और कुर्ता ही पहनती है पर कभी कभार जब काली साड़ी और कसा हुआ ब्लाउज पहनती है तो उसकी लचकती कमर और गहरी नाभि देखकर तो कई मनचले सीटी बजाने लगते हैं। लेकिन दो दो चूतों के होते हुए भी मैं अब तक प्यासा ही था।

जून का महीना था। सभी लोग छत पर सोया करते थे।

रात के कोई दो बजे होंगे, मेरी अचानक आँख खुली तो मैंने देखा मामा और मामी दोनों ही नहीं हैं। कणिका बगल में लेटी हुई है।

मैं नीचे पेशाब करने चला गया। पेशाब करने के बाद जब मैं वापस आने लगा तो मैंने देखा मामा और मामी के कमरे की लाईट जल रही है।

मैं पहले तो कुछ समझा नहीं पर ‘हाई.. ई.. ओह.. या.. उईई..’ की हल्की हल्की आवाज ने मुझे खिड़की से झांकने को मजबूर कर दिया।

खिड़की का पर्दा थोड़ा सा हटा हुआ था, अन्दर का नजारा देख कर तो मैं जड़ ही हो गया।

मामा और मामी दोनों नंगे बेड पर अपनी रात रंगीन कर रहे थे।
नीचे मामा लेटे थे और मामी उनके ऊपर बैठी थी।

मामा का लंड मामी की चूत में घुसा हुआ था और वो मामा के सीने पर हाथ रख कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी और.. आह.. उन्ह.. या.. की आवाजें निकाल रही थी।

उसके मोटे मोटे नितम्ब तो ऊपर नीचे होते ऐसे लग रहे थे जैसे कोई फ़ुटबाल को किक मार रहा हो।
उनकी चूत पर उगी काली काली झांटों का झुरमुट तो किसी मधुमक्खी के छत्ते जैसा था।

वो दोनों ही चुदाई में मग्न थे। कोई 8-10 मिनट तक तो इसी तरह चुदाई चली होगी। पता नहीं कब से लगे थे।

फ़िर मामी की रफ्तार तेज होती चली गई और एक जोर की सीत्कार करते हुए वो ढीली पड़ गई और मामा पर ही पसर गई।
मामा ने उसे कस कर बाहों में जकड़ लिया और जोर से मामी के होंठ चूम लिए।

‘हरिता डार्लिंग ! एक बात बोलूँ?’
‘क्या?’
‘तुम्हारी चूत अब बहुत ढीली हो गई है बिल्कुल मजा नहीं आता !’

‘तुम गांड भी तो मार लेते हो, वो तो अभी भी टाइट है ना?’
‘ओह तुम नहीं समझी?’
‘बताओ ना?’

‘वो तुम्हारी बहन बबिता की चूत और गांड दोनों ही बड़ी मस्त थी ! और तुम्हारी भाभी जया तो तुम्हारी ही उम्र की है पर क्या टाइट चूत है साली की? मज़ा ही आ जाता है चोद कर !’

‘तो यह कहो ना कि मुझ से जी भर गया है तुम्हारा !’
‘अरे नहीं हरिता रानी, ऐसी बात नहीं है दरअसल मैं सोच रहा था कि तुम्हारे छोटे वाले भाई की बीवी बड़ी मस्त है। उसे चोदने को जी करता है !’

‘पर उसकी तो अभी नई नई शादी हुई है वो भला कैसे तैयार होगी?’
‘तुम चाहो तो सब हो सकता है !’
‘वो कैसे?’

‘तुम अपने बड़े भाई से तो पता नहीं कितनी बार चुदवा चुकी हो अब छोटे से भी चुदवा लो और मैं भी उस क़यामत को एक बार चोद कर निहाल हो जाऊँ !’
‘बात तो तुम ठीक कह रहे हो, पर अविनाश नहीं मानेगा!’
‘क्यों?’
‘उसे मेरी इस चुदी चुदाई भोसड़ी में भला क्या मज़ा आएगा?’
‘ओह तुम भी एक नंबर की फुद्दू हो ! उसे कणिका का लालच दे दो ना?’
‘कणिका? अरे नहीं, वो अभी बच्ची है!’

‘अरे बच्ची कहाँ है ! पूरे अट्ठारह साल की तो हो गई है? तुम्हें अपनी याद नहीं है क्या? तुम तो दो साल कम की ही थी जब हमारी शादी हुई थी और मैंने तो सुहागरात में ही तुम्हारी गांड भी मार ली थी !’

‘हाँ, यह तो सच है पर !’
‘पर क्या?’

‘मुझे भी तो जवान लंड चाहिए ना? तुम तो बस नई नई चूतों के पीछे पड़े रहते हो, मेरा तो जरा भी ख़याल नहीं है तुम्हें?’
‘अरे तुमने भी तो अपने जीजा और भाई से चुदवाया था ना और गांड भी तो मरवाई थी ना?’
‘पर वो नए कहाँ थे मुझे भी नया और ताजा लंड चाहिए बस ! कह दिया?’

‘ओह ! तुम तरुण को क्यों नहीं तैयार कर लेती? तुम उसके मज़े लो ! मैं कणिका की सील तोड़ने का मजा ले लूँगा !’
‘पर वो मेरे सगे भाई की औलाद है, क्या यह ठीक रहेगा?’
‘क्यों इसमें क्या बुराई है?’

‘पर वो नहीं.. मुझे ऐसा करना अच्छा नहीं लगता !’

‘अच्छा चलो एक बात बताओ, जिस माली ने पेड़ लगाया है क्या उसे उस पेड़ के फल खाने का हक नहीं होना चाहिए? या जिस किसान ने इतने प्यार से फसल तैयार की है उसे उस फसल के अनाज को खाने का हक नहीं मिलना चाहिए? अब अगर मैं अपनी इस बेटी को चोदना चाहता हूँ तो इसमें क्या गलत है?’

‘ओह तुम भी एक नंबर के ठरकी हो। अच्छा ठीक है बाद में सोचेंगे?’

और फ़िर मामी ने मामा का मुरझाया लंड अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी।

मैं उनकी बातें सुनकर इतना उत्तेजित हो गया था कि मुट्ठ मारने के अलावा मेरे पास अब कोई और रास्ता नहीं बचा था। मैं अपना सात इंच का लंड हाथ में लिए बाथ रूम की ओर बढ़ गया। फ़िर मुझे ख़याल आया कणिका ऊपर अकेली है। कणिका की ओर ध्यान जाते ही मेरा लंड तो जैसे छलांगें ही लगाने लगा। मैं दौड़ कर छत पर चला आया।

कणिका बेसुध हुई सोई थी। उसने पीले रंग की स्कर्ट पहन रखी थी और अपनी एक टांग मोड़े करवट लिए सोई थी, इससे उसकी स्कर्ट थोड़ी सी ऊपर उठी थी। उसकी पतली सी पेंटी में फ़ंसी उसकी चूत का चीरा तो साफ़ नजर आ रहा था। पेंटी उसकी चूत की दरार में घुसी हुई थी और चूत के छेद वाली जगह गीली हुई थी।

उसकी गोरी गोरी मोटी जांघें देख कर तो मेरा जी करने लगा कि अभी उसकी कुलबुलाती चूत में अपना लंड डाल ही दूँ।
मैं उसके पास बैठ गया और उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगा।

वाह.. क्या मस्त मुलायम संग-ए-मरमर सी नाज़ुक जांघें थी।

मैंने धीरे से पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अंगुली फ़िराई।
वो तो पहले से ही गीली थी। आह.. मेरी अंगुली भी भीग सी गई।

मैंने उस अंगुली को पहले अपनी नाक से सूंघा। वाह.. क्या मादक महक थी।

कच्चे नारियल जैसी जवान चूत के रस की मादक महक तो मुझे अन्दर तक मस्त कर गई। मैंने अंगुली को अपने मुँह में ले लिया। कुछ खट्टा और नमकीन सा लिजलिजा सा वो रस तो बड़ा ही मजेदार था।

मैं अपने आप को कैसे रोक पाता। मैंने एक चुम्बन उसकी जाँघों पर ले ही लिया, फ़िर यौनोत्तेजना वश मैंने उसकी जांघें चाटी। वो थोड़ा सा कुनमुनाई पर जगी नहीं।
अब मैंने उसके उरोज देखे। वह क्या गोल गोल अमरुद थे। मैंने कई बार उसे नहाते हुए नंगी देखा था। पहले तो इनका आकार नींबू

जितना ही था पर अब तो संतरे नहीं तो अमरुद तो जरूर बन गए हैं। गोरे गोरे गाल चाँद की रोशनी में चमक रहे थे। मैंने एक चुम्बन उन पर भी ले लिया।

मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही कणिका जग गई और अपनी आँखों को मलते हुए उठ बैठी।

‘क्या कर रहे हो भाई?’ उसने उनीन्दी आँखों से मुझे घूरा।
‘वो.. वो.. मैं तो प्यार कर रहा था !’
‘पर ऐसे कोई रात को प्यार करता है क्या?’

‘प्यार तो रात को ही किया जाता है!’ मैंने हिम्मत करके कह ही दिया।
उसके समझ में पता नहीं आया या नहीं !
फ़िर मैंने कहा- कणिका एक मजेदार खेल देखोगी?’
‘क्या?’ उसने हैरानी से मेरी ओर देखा।

‘आओ मेरे साथ !’ मैंने उसका बाजू पकड़ा और सीढ़ियों से नीचे ले आया और हम बिना कोई आवाज किये उसी खिड़की के पास आ गए। अन्दर का दृश्य देख कर तो कणिका की आँखें फटी की फटी ही रह गई। अगर मैंने जल्दी से उसका मुँह अपनी हथेली से नहीं ढक दिया होता तो उसकी चीख ही निकल जाती।

मैंने उसे इशारे से चुप रहने को कहा।
वो हैरान हुई अन्दर देखने लगी।

मामी घोड़ी बनी फ़र्श पर खड़ी थी और अपने हाथ बेड पर रखे थी, उनका सिर बेड पर था और नितम्ब हवा में थे। मामा उसके पीछे उसकी कमर पकड़ कर धक्के लगा रहे थे। उनका 8 इंच का लंड मामी की गांड में ऐसे जा रहा था जैसे कोई पिस्टन अन्दर बाहर आ जा रहा हो। मामा उनके नितम्बों पर थपकी लगा रहे थे। जैसे ही वो थपकी लगाते तो नितम्ब हिलने लगते और उसके साथ ही मामी की सीत्कार निकलती- हाईई… और जोर से मेरे राजा ! और जोर से ! आज सारी कसर निकाल लो ! और जोर से मारो ! मेरी गांड बहुत प्यासी है ये हाईई…’

‘ले मेरी रानी और जोर से ले… या… सऽ विऽ ता… आ.. आ…’ मामा के धक्के तेज होने लगे और वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगे।

पता नहीं मामा कितनी देर से मामी की गांड मार रहे थे। फ़िर मामा मामी से जोर से चिपक गए। मामी थोड़ी सी ऊपर उठी। उनके पपीते जैसे स्तन नीचे लटके झूल रहे थे। उनकी आँखें बंद थी और वह सीत्कार किये जा रही थी- जियो मेरे राजा मज़ा आ गया !’

मैंने धीरे धीरे कणिका के वक्ष मसलने शुरू कर दिए। वो तो अपने मम्मी पापा की इस अनोखी रासलीला देख कर मस्त ही हो गई थी। मैंने एक हाथ उसकी पेंटी में भी डाल दिया।

उफ़… छोटी छोटी झांटों से ढकी उसकी बुर तो कमाल की थी, नीम गीली।

मैंने धीरे से एक अंगुली से उसके नर्म नाज़ुक छेद को टटोला। वो तो चुदाई देखने में इतनी मस्त थी कि उसे तो तब ध्यान आया जब मैंने गच्च से अपनी अंगुली उसकी बुर के छेद में पूरी घुसा दी।

‘उईई माँ…!!’ उसके मुँह से हौले से निकला- ओह… भाई यह क्या कर रहे हो?’
उसने मेरी ओर देखा। उसकी आँखें बोझिल सी थी और उनमें लाल डोरे तैर रहे थे।
मैंने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूम लिया।

हम दोनों ने देखा कि एक पुच्क्क की आवाज के साथ मामा का लंड फ़िसल कर बाहर आ गया और मामी बेड पर लुढ़क गई।

अब वहाँ रुकने का कोई मतलब नहीं रह गया था। हम एक दूसरे की बाहों में सिमटे वापस छत पर आ गए।

Antarvasna कहानी जारी रहेगी।

Hindi Sex Stories

मेरे पतिदेव का एक Hindi Sex Stories तथाकथित भाई जो उन दिनों मेरे परिवार का हिस्सा बना हुआ था… मेरा भी दोस्त बन गया था, बल्कि काफ़ी अन्तरंग हो गया था। उसने मुझसे एक बार सेक्स करने का वादा ले लिया था, मैंने शर्त रखी थी कि अपने शहर से बाहर ही उसके साथ सेक्स करूँगी। मैं करूँ या न करूँ का फ़ैसला नहीं कर पा रही थी। वह हमेशा मौके की तलाश में रहता, एक बार दूसरे शहर में मौका मिला भी तो मैंने खुद को बचा लिया था।

अब वह जब भी अकेले मिलता या फ़ोन पर बातें करता तो शिकायत जरूर करता कि आपने वादा करके उसे निभाया नहीं !

मैं उसे यह कह कर टालती कि मैं कोई मरी या भागी जा रही हूँ आगे और भी मौके आयेंगे। यूँ वह घर में मुझे अकेले पाकर भी कभी छेड़ता नहीं था बस मीठी-2 बातें करके मुझे पटाने की कोशिश करता और इस तरह वह मेरा विश्वास ही जीत रहा था।

उस घटना के करीब दो माह बाद मेरे पति 3-4 दिनों के लिये बाहर गये हुए थे, उस दौरान वह रोज ही मुझे अपना वादा पूरा करने की याद दिलाता। मेरे यह कहने पर कि शहर से बाहर का वादा है मेरा, तो वह कहता कि तब तो मिल चुका मुझे आपका संसर्ग……… जब भैया शहर से बाहर हैं यानि कि आपका पोल तो खुलने से रहा, और कोई समस्या तो है नहीं। चूँकि वह तकरीबन रोज ही आता था अतः पड़ोसियों को भी कोइ शक नहीं होता। अन्ततः उनके लौटने से एक दिन पहले उसके लगातार मनुहार करने पर मैं पिघल गई, और रात में देने का वादा इस शर्त पर किया कि आज के बाद वह फ़िर कभी मुझसे सम्बन्ध बनाने की कोशिश नहीं करेगा अन्यथा मैं पति को सब कुछ बता दूँगी।

उसने मुझसे वादा किया कि ऐसा ही होगा। उस शाम वह सात बजे ही आ गया और बच्चों के साथ टी वी देखता और बातें करता रहा। डिनर के बाद तीनों बच्चे मेरे बेडरूम में सो गये क्योंकि उसी में ए सी था, पति के बाहर जाने पर हम चारों उसी में सोते थे। दस बजे तक नौकर भी बालकनी में चला गया, हम दोनों बैठक में टी वी देखते बैठे रहे, मेरा तो घबराहट के कारण दिल धक-धक कर रहा था, जब नौकर भी सो गया तो उसने धीरे से दरवाजा बन्द कर दिया और बैठक के कमरे की लाइट बुझा कर मुझे पकड़ कर दीवान पर ले गया।

मैं उस दिन एक टू-पीस-नाइटी पहने थी। अंधेरे में वह मुझे बेतहाशा चूमने लगा और अपनी बाहों में लेकर दीवान पर लोट-पोट होने लगा……… वह अत्यन्त ही उत्तेजित था और मेरी भी हालत बुरी थी……… डर, घबराहट और शायद कुछ हद तक उत्तेजित भी हो चुकी थी मैं !……… शायद मानसिक रूप से मैं उसके साथ सम्भोग के लिये तैयार हो चुकी थी………

उसने ज्यादा देर न करके मेरी नाइटी और साया ऊपर करके अपने पैण्ट की जिप खोल कर अपना लिंग निकाल कर मेरी योनि में डाल ही दिया ………

मुझे तो कुछ होश ही नहीं रहा कि आगे क्या-क्या हुआ और कैसे-कैसे उसने किया………

बस इतना याद था कि उसका लिंग मेरे पति की तुलना में बहुत बड़ा और मोटा था। शायद पूरा गया भी नहीं था और मैं चिल्लाई भी थी आहिस्ता से ……… शायद मैं भी सहयोग करने लगी थी, उसका जल्दी ही पतन हो गया जिसका मुझे अन्दाज नहीं हुआ ……… फ़िर पता नहीं मैं या वह मुझे खींचकर बच्चों के खाली बेडरूम में ले गया और दरवाजा अन्दर से बन्द करके हम दोनों फ़िर गुत्थम-गुत्था हो गये………

शायद उसने अपनी पैण्ट उतार दी थी पर मैं नाइटी में ही थी, चूँकि मासिक के दिनो के अलावा मैं पैण्टी नहीं पहनती इसलिये मेरी योनि तक पहुँचने में उसे कोई रुकावट नहीं हुई। मुझे इतना ही याद है कि वह बहुत ही जोर-जोर से मुझे मुझे चोद रहा था और मस्ती में मैं उसके ऊपर चढ़ कर अपनी बुर उसके पोल जैसे लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगी थी। सचमुच मुझे भी काफ़ी अनन्द आ रहा था और उस समय कोई अपराध-बोध नहीं हो रहा था, बस एक आदिम-तृप्ति की चाह बच रही थी ………… मुझे और कुछ याद नहीं कितनी देर तक उसने मुझे किया ……… मैं स्खलित हुई या नहीं ……… वह कब स्खलित हुआ !

उसने बाद में बताया कि मेरा अत्यन्त उत्तेजित और रौद्र रूप देखकर (महसूस कर क्योंकि अंधेरा था न) वह अन्दर ही अन्दर डर गया कि मुझे कुछ हो न जाये।

अच्छा, एक बात और …… हमेशा चटर-पटर करने वाली उसकी जुबान उस सारे क्रिया-कलाप के दौरान एक बार भी नहीं खुली। बस चुपचाप वह मुझे लिये जा रहा था …… और ज्वार शान्त होने पर रात ही में बारह-एक बजे के बीच चला गया। हमारे काम्प्लेक्स में उस वक्त तक लोगों का आना जाना लगा रहता था अतः कोई बदनामी का डर नहीं था। मैं उसी कमरे में सो गई।

सुबह मेरा तेरह वर्षीय बड़ा बेटा पूछने लगा- मम्मी चाचा और आप रात में हम लोगों के कमरे में सोये थे क्या? मैं रात में पेशाब करने उठा तो आप दोनों के चप्पल दरवाजे के बाहर देखे थे?

मुझे काटो तो खून नहीं, पर मैं अपने धड़कते दिल को सामान्य रखने का यत्न करते हुए बोली- तुम्हें नींद में गलतफ़हमी हुई होगी क्योंकि चाचा तो साढ़े दस तक चले गये थे। मुझे तुम तीनों के साथ सोने में दिक्कत हो रही थी तो मैं उस कमरे में चली गई। खैर उस दिन के बाद मुझे कुछ अपराध-बोध भी हुआ और मन को तसल्ली भी देती कि अब ऐसा नहीं करूँगी, एक अनुभव ही काफ़ी है। वरना पाँव फ़िसला तो इज्जत जाते देर नहीं लगनी। Hindi Sex Stories

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