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Massage Girl in Bishnupur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bishnupur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bishnupur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bishnupur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bishnupur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bishnupur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bishnupur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bishnupur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bishnupur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bishnupur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bishnupur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bishnupur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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सब को मेरा नमस्कार! Hindi Sex Stories

सीपी मेरा दोस्त है उसका नाम Hindi Sex Stories श्याम है. वो औरतों के कपड़े बनाता है, उसका काम औरतों के कपडे सीने का काम है. सीपी एक अच्छा लड़का है. वो सिर्फ अपने काम से मतलब रखता है. उसने बहुत सारी औरतों और लड़कियों के कपडे बनाये. सीपी कभी गलत नहीं सोचता है. सीपी कभी किसी औरत या लड़की के घर कपड़ों का नाप लेने नहीं जाता है, सभी उसकी दुकान पर आती हैं.

मैं कभी कभी सीपी की दुकान में जाता और जब सीपी औरतों के नाप लेता तो मेरी नजर औरतों के वक्ष पर जाती है. सीपी फिर मुझे डाँटता है और बोलता है- आदमी को अपने काम में गलत विचार नहीं लाना चहिए, नहीं तो वो कभी भी काम नहीं कर सकता है.

कुछ दिन पहले की बात है, मैं और पवन और सीपी साथ में बैठ कर चाय पी रहे थे और सीपी कुछ भी नहीं बोल पा रहा था. हमने पूछा- सीपी, क्या हुआ? आजकल तुम परेशान दिख रहे हो और ज्यादा मन लगाकर काम भी नहीं कर रहो हो?

सीपी कुछ नहीं बोला और उसकी आँख से आँसू आने लगे.

फिर मैंने पूछा- सीपी, तुझे अपनी दोस्ती की कसम है, जल्दी बोल, क्या हुआ?
फिर सीपी खामोश रहा और फिर थोड़ी देर बाद बोला- यार! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है और अब मैं यह काम भी नहीं कर सकता हूँ.
मैंने बोला- मुझे साफ-साफ बता कि क्या हुआ!
सीपी ने सारी बात बताई.

कुछ 10-15 दिन पहले एक लड़की, उसका नाम रानी है, आई और बोली- मुझे मेरे माप के कपड़े बना के दो!

वो लड़की इतनी सुन्दर थी कि पहले मैंने ऐसी लड़की पहले नहीं देखी थी क्योँकि मेरे यहाँ ज्यादातर औरतें आती हैं. वो अपने पापा के साथ आई थी. उसके पापा बैठ गये और फोन से बात करने लगे. मैं उसका माप ले रहा था, मैंने उसे छुआ तो वो लडकी मचल चुकी थी, वो बोली- पहली बार मुझे किसी लड़के ने छुआ है. पहले मेरे कपड़े औरतें ही बनाती थी.

और फिर और माप लिया और उसके स्तनों को छुआ तो वो लड़की कुछ अलग महसूस कर रही थी. फिर उसके नीचे का माप लिया तो वो लड़की कुछ अगल नजर से देख रही थी. फिर वो उसके पापा के साथ चली गई. मुझे वो लड़की अच्छी लगी थी पर मैं अपनी पत्नी से ही प्यार करता हूँ.

दो तीन दिन बाद रानी का फोन आया- मुझे शादी में जाना है, कृपा करके आप मेरे घर पर आकर मेरा माप ले लें!

पता नहीं क्या हुआ, मैं कभी किसी के घर पर माप लेने नहीं जाता हूँ पर मैं उसके घर गया.

उसने मुझे ठंडा पिलाया और मेरा पूरा शरीर ठंडा हो गया. फिर उसके पापा किसी काम के सिलसिले में बाहर चले गये.

अब वो घर पर अकेली थी. मैं उसका माप ले रहा था. पहले उसकी ब्रा का माप लिया तो उसने मुझे पकड़ लिया.
मैं बोला- ये गलत है!
फिर मैंने उसके नीचे का माप लिया तो वो बोली- पहले का साइज ठीक नहीं था, अच्छे से लो!

फिर उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिये. उसका शरीर गोरा था, मैं उसके स्तनों को दबाने लगा.
वो बोली- क्या कर रहो हो? माप लो!
मुझे पता नहीं क्या हुआ, मैं उसकी चूचियाँ मुँह से खा रहा था.
वो बोली- मत करो, छोड़ दो मुझे!
अब नहीं छोड़ सकता हूँ!
मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और चाटने लगा.

फिर उसने अपना हाथ मेरी पैन्ट के अन्दर डाल दिया और बोली- क्या मैं आपका लण्ड मुँह में ले लूँ?
मैंने लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और वो चूसने लगी. अब हम दोनों पागल हो चुके थे.
फिर उसने बोला- लण्ड को मेरी चूत में डालो ना!

मेरे लण्ड की प्यास बढ़ गई और मैंने उसकी चूत में लण्ड डाला.
उसके मुँह से आऽऽआ आ की आवाजें आने लगी और बोली- हाय! डालो! और जोर जोर से डालो राजा!
फिर मैंने अपना पानी उसके बूब्स पर गिरा दिया. फिर मैंने अपना मुँह धोया और अपनी दुकान पर चला गया.

अब मुझे बस यही लगता है कि मैंने ऐसी गलती क्यों की और अब मैं यह काम नहीं कर सकता!

तो दोस्तो, यह सीपी (श्याम) की देसी कहानी थी. Hindi Sex Stories

अब आगे : Antarvasna Sex Stories

अगले दिन दोपहर को मौसा Antarvasna Sex Stories जी घर आ चुके थे। उनके साथ उसके एक पुराने मित्र राजेश भी थे। उनके आते ही रीना और रूपा में कुछ बदलाव सा लगा, दोनों ही कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही थी। रीना भी पहले से अधिक सेक्सी लगने लगी थी। उसने थोड़ा मेकअप भी किया हुआ था और मौसा जी से वो हंस-हंस के बात कर रही थी। रूपा ने राजेश की खूब आवभगत की और उससे खूब बातें की।

मौसा जी बार-बार रीना की तरफ़ देखते, कभी उसका फ़िगर देखते, कभी उसके सुडौल चूतड़ों को निहारते। आज जाने क्यों रीना बड़ी आकर्षक लग रही थी। मौसा को क्या पता था कि आज रीना ने भरपूर चुदाई करवा कर अपना मन शांत कर लिया था।

पर हां इससे रीना के मन में एक नया जोश और मर्दों के प्रति एक आकर्षण पैदा हो गया था। जैसे अधिकतर मर्द नारी को एक भोग्य वस्तु मानते हैं, वैसे ही उसे पुरुष भी भोगने की वस्तु लगने लगे थे। उसे लगने लगा था कि मर्द तो बस चूत के दीवाने रहते हैं, इन्हें तो जब चाहो तब पटा लो और चुदा लो। बस थोड़ी सी चूची दिखा दो और मर्दों का तम्बू तन जाता है। चुनांचे मौसा जी भी रीना के लिये उसी श्रेणी में आ चुके थे।

रीना दो दिनों में ही मौसा जी के बहुत निकट आ चुकी थी। रीना उन्हें हर तरफ़ से उसे पटाने में लगी थी। उसे आशा थी कि उसे एक नया लण्ड जल्दी ही मिल जायेगा। अभी तो सभी कुछ पर्दे के पीछे था। उधर रूपा भी राजेश से खूब घुल मिल गई थी। शाम को सब मौसा जी के साथ राजेश को घुमाने ले जाते थे। रूपा ने रीना को और रीना ने रूपा को यह बता दिया था कि वो इन मर्दों को पटा रही हैं। दोनों ने अपने पत्ते खोल रखे थे। रीना यदि मौसा के अधिक करीब आ जाती थी तो रूपा जानबूझ कर दूसरी ओर चली जाती थी और मौसा यह समझते थे कि मौका मिल गया। इस दौरान वो हाथ दबा देते थे और कभी कभी चूतड़ पर हाथ भी मार देते थे। बदले में रीना शर्माने का अभिमय कर देती थी।

उधर रूपा ने भी राजेश को पटा लिया था। रूपा जरा तेज थी, सो वो तो चुम्बन तक पहुंच गई थी।

“रीना ! अब तो मुझे चुदने की लग रही है … अपने मौसा जी को कही बाहर ले जा ना !”

“शाम को मौसा जी को मैं घुमाने ले जाती हूँ और आप तबियत का बहाना बना लेना !”

दोनों ने अपनी ओर से सरल सा बहाना बना लिया। योजना के मुताबिक राजेश बाहर निकल गया और रूपा ने पेट दर्द का बहाना किया। मौसा जी तो चाहते ही थे कि उसे सिर्फ़ रीना का साथ मिले। रीना के थोड़े से ही कहने पर मौसा जी मान गये।

रूपा ने भी मंजूरी दे दी। दोनों कार में निकल पड़े और रूपा ने जल्दी से मोबाईल पर फ़ोन करके राजेश को वापस बुला लिया। राजेश तुरंत घर आ गया। राजेश सीधा रूपा के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। रूपा उसे देखते ही शरमाती सी खिल गई।

“अब हम तुम इस कमरे में बंद हो तो…”

“धत्त, आप तो मजाक करने लगे…” रूपा ने राजेश को रिझाने का नाटक किया।

“अब तो मत शर्माओ … अब तो एक मैं और एक तू … दोनों मिले किस तरह… बताओ !”

“हाय रे … आप दूर रहें … मुझे कुछ होता है…!” राजेश ने रूपा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया, रूपा जानबूझ कर उसके ऊपर गिरती हुई बोली,”हाय राम … बैंया तो छोड़ो, मोच आ जायेगी ना…” रूपा फ़िल्मी अदाएँ दिखाते हुये राजेश से लिपट गई। दूसरे ही क्षण रूपा के मद भरे अमृत कलश उसकी हथेलियों में दबे हुये थे।

“मां री ! … मत करो ना … गुदगुदी होती है …! ” रूपा ने आह भरते हुये कहा,”दूर रहो जी… नीचे कुछ गड़ रहा है…”

मेरी मतवाली रूपा यही है वो मस्त चीज़ जो हमे अभी मस्ती देगी … अब बनो मत …”

“ना जी … मत सताओ … इसे दूर ही रखो … मेरा मन डोल रहा है… हाय रे ! क्या कर रहे हो… घुसाये चले जा रहे हो… आह्ह्ह मेरे राजेश…!!”

“मस्ती आ रही है ना… आओ अब अधरों का रसपान करें” राजेश भी भावना में बह कर बोला।

दोनों के होंठो की पत्तियां टकरा गई और एक दूसरे की जीभ से वो भीग गये।

होंठो का कसाव दोनों ने बढ़ा दिया और अधरपान में लीन हो गये। राजेश के मुँह से सीत्कार निकल पड़ी… रूपा ने उसका लण्ड कस कर दबा दिया था।

“अरे रूपा, तुम मुझे मार डालोगी… जरा धीरे से… कहीं निकल गया तो मजा नहीं आयेगा…”

“तो फिर जी, क्या करें … मेरा तो मन डोल रहा है जी…!”

“चलो, पहले प्यास बुझा ले… कपड़े उतारो…”

“प्यास लग रही है तो कपड़े क्यूँ उतारें भला…?” रूपा ने शरमाते हुये कहा।

राजेश ने धीरे से रूपा की साड़ी उतार दी … फिर ब्लाऊज को जबरदस्ती उतार दिया। रूपा की तरफ़ से ब्लाऊज़ उतारने का विरोध तो मात्र एक नाटक था, ब्लाऊज उतरते ही उसने अपनी उभरी हुई जवानी को हाथों से छिपाने का नाकाम प्रयास किया। राजेश ने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार फ़ेंके। अब रूपा के पेटीकोट की बारी थी, बस नाड़ा खींचने की देर थी। पेटीकोट झम से नीचे पांवों पर आ गिरा।

“मैं मर गई राम जी… और कभी अपनी चूत छिपाती तो कभी अपने उभरे हुये स्तनों को ढकने की कोशिश करती। राजेश ने अपने नंगे बदन से रूपा को लिपटा लिया और दोनों फिर बिस्तर पर एक दूसरे को धकेल कर लेट गये। दोनों ही एक दूसरे के शरीर को दबाते हुये लोट लगाने लगे। तभी रूपा सिसक उठी। उसकी चूत में राजेश का कड़क लण्ड बिना किसी पूर्व सूचना के उतर चुका था। रूपा के बदन में तरावट आने लगी। कब से नये लण्ड का इन्तज़ार कर रही थी और नये लण्ड ने उसकी चूत को स्वीकार करते हुये खेल-खेल में प्रवेश कर लिया था।

राजेश रूपा के नीचे दबा हुआ था और रूपा उसके ऊपर लण्ड पर बैठ गई थी। रूपा उसके लण्ड पर अपनी चूत भींचे जा रही थी और राजेश के चूतड़ ऊपर की ओर जोर लगा कर पूरा लण्ड अन्दर तक बैठाने की कोशिश में थे।

रूपा राजेश पर पिघले जा रही थी। उसकी चूत फ़डफ़डा रही थी। राजेश ने रूपा के सुडौल स्तन हिलते हुये देखे और उसके हाथ उन्हें थाम कर ऊपर नीचे करके उसे मसलने लगा। रूपा उस पर झुक गई और चूत को आगे पीछे करके राजेश को चोदने लगी। राजेश का शरीर वासना में जलने लगा। वो अपने चूतड़ ऊपर उछाल कर रूपा को चोदने में सहायता करने लगा।

अब रूपा राजेश के शरीर के ऊपर लेट सी गई और आहें भरते हुये चूत को आगे-पीछे करके लण्ड का आनन्द लेने लगी। राजेश ने अतिउत्तेजना में रूपा को कमर से जकड़ लिया और धीरे से उसे अपने नीचे दबोच लिया।

राजेश अब ऊपर था और लण्ड जो कि इस उल्टा पल्टी में बाहर आ गया था, फिर से चूत में सरक गया। अब रूपा की भरपूर चुदने की बारी थी। राजेश के धक्के और झटके चूत पर चालू हो गये थे। और नीचे दबी रूपा आह्… उह्ह… हाय रे… जैसी सीत्कारें निकाल रही थी।

राजेश अपने लण्ड को अपनी तसल्ली के लिये दबा के धक्के मार रहा था। नीचे दबी चुदैल रूपा को ये धक्के बडे प्यारे लग रहे थे। उसके हर जोरदार धक्के पर रूपा के मुँह से आह निकल जाती थी। तभी रूपा को लगा कि उसकी चूत जवाब देने वाली है, उसने अपनी प्यारी चूत को पूरी तरह से झड़ने के लिये तैयार कर ली और आंखें बंद करके अपनी चूत को ढीली छोड़ दी ताकि अच्छी प्रकार से पानी निकल जाये। उसकी चूत अब रस छोड़ने वाली थी और बार बार अन्दर लहरें उठ रही थी। तभी रूपा ने अपनी चूत ऊपर की ओर दबाई और अपना रस छोड़ने लगी।

उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ी। उसने राजेश को अपनी बाहों में दबा लिया और लण्ड को चूत में कस लिया। तभी राजेश का वीर्य भी छलक पड़ा। उसकी पिचकारी चूत में समाने लगी और फिर चूत के बाहर रिसने लगा। दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में समाये हुये यूं ही अपना रस निकालने में लगे रहे। उनकी आंखें आनन्द के मारे बंद थी। काफ़ी देर दोनों यों ही दुनिया से बेखबर पड़े रहे।

फ़िर रूपा कुछ अलसाई सी पता नहीं क्या बोली और अपना मोबाईल पर रीना को मिस कॉल कर दिया। राजेश भी उठा और जल्दी से कपड़े पहन कर रूपा को चूमा और घर से बाहर निकल गया। कुछ ही देर में रीना मौसा जी के साथ घर आ गई।

“अरे, वो राजेश नहीँ आया…?” मौसा ने पूछा।

रूपा मुस्करा उठी,”आप जानें … आपका दोस्त है!”

रूपा रीना के कमरे में आ गई थी। दोनों सहेलियाँ कुछ गुपचुप बाते कर रही थी।

“मै सोने जा रहा हूँ… हम दोनों ने खाना बाहर खा लिया है… रूपा तुम भी खा लेना !”

मौसा जी अपने कमरे में जाकर बत्ती बंद करके लेट गये। रूपा भी मौसा जी के पीछे चली गई। रीना ने भी अपने रात को सोने वाले कपड़े पहन लिये या यूँ कहे कि बस एक सामने से खुला हुआ गाऊन डाल लिया और बिस्तर पर लेट गई।

कहानी का अगला भाग: कलयुग की लैला-3 Antarvasna Sex Stories

Hindi Sex Stories

मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के Hindi Sex Stories लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई राज मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और राज एक ही कमरे में रहते और सोते थे।

एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैंने देखा कि राज घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड… उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया… पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में राज का लन्ड और दिख गया… मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी।

राज रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले… वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था…पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो राज सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है…तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा…धत्त… ये क्या… सोचने लगी।

मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये।

मैंने भी जानबूझ कर के राज के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैंने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैंने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो राज मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।

मुझे लगा कि तीर लग गया है। मैंने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर राज की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी राज नजर आ रहा था… मैंने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि राज उसे बाहर से आईने में देख ले। मैंने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। राज ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी।

मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे… पर मेरा ध्यान तो राज पर लगा था…और राज का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।

मैंने शुरुआत कर दी…”क्या बात है राज… आज तुम बैचेन से लग रहे हो…? ”

“हां दीदी… मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है… ” उसका लन्ड खडा हुआ था… उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा… मुझे सिरहन सी आ गयी… मैं उसकी हालत समझ रही थी… दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैंने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। राज ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई… पर झिझक के मारे वापस उठ गयी… ।

रात के ११ बज रहे थे …पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। राज ने कमरे की लाईट बुझा दी…और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था… दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी। राज भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा …फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया… मैंने उसे कुछ नहीं कहा… बस झुरझुरी सी आ गयी।

उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा लिया।

उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैंने राज की तरफ़ देखा। राज ने मेरी आंखों में देखा … मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।

राज ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये..और दबा दिये… मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी…वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।

“भैय्या… हाय रे… मत कर ना…” मैंने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा…और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये… नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।

“दीदीऽऽऽ…” कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया… मेरे स्तन जोर से दबा दिये।

“भैय्या… मर गयी … हाऽऽऽय…” उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। राज ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। राज ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे…मैं तो खुशी से मरी जा रही थी… हाय मेरी गान्ड में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा… मैं भैया से चुद जाऊंगी… राज ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ छेद पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गान्ड मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी।

“भैय्या… हाय मत कर ना… ये तो अन्दर ही घुसा जा रहा है…”

“जाने दे बहना… आज इसे जाने दे… वर्ना मैं मर जाऊंगा… दीदी … प्लीज…”

मेरी सिसकारी निकल पडी… उसका लन्ड मेरी गान्ड में प्रवेश कर चुका था। मेरे बोबे मसलने से मुझे खूब तेज उत्तेजना होने लगी थी। उसका लन्ड अब धीरे धीरे अन्दर बाहर होने लगा था उसके बलिष्ठ हाथों का कसाव मेरे शरीर पर बढता ही जा रहा था। उसका लन्ड मेरी गान्ड में जबरदस्ती रगड़ता हुआ आ जा रहा था। मुझे दर्द होने लगा था… पर मैंने कुछ कहा नहीं… ऐसा मौका फिर कहां मिलता। शायद उसे तकलीफ़ भी हुई…उसने मेरी गान्ड पर अपना थूक लगाया… और अब लन्ड आसानी से अन्दर बाहर फ़िसलने लगा था। हम दोनो मुड़ कर एक दूसरे की आंखो में आंखे डाल कर प्यार से देख रहे थे … उसके होंठ मेरे होंठों को बार बार चूम रहे थे।

“नेहा दीदी… आप कितनी अच्छी है… हाय…मुझे कितना मजा आ रहा है…” राज मस्ती में लन्ड पेल रहा था। मेरी गान्ड में अब दर्द तो नहीं हो रहा था… पर मेरी चूत में आग भड़कती ही जा रही थी…

“भैय्या … अब मेरा पिछाड़ा छोड दो ना प्लीज़… आगे भी तो आग लगी है राज…” मैंने राज से विनती की। पर उसे तो पीछे गान्ड मारने मे ही मजा आ रहा था।

“भैया… देखो मैं झड़ जाऊंगी… प्लीज़… अब लन्ड को चूत में घुसेड़ दो ना…।”

राज ने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाल लिया और एक बार फिर से मेरे बोबे दाब कर पीछे से ही मेरी चूत मे लन्ड घुसेड़ दिया।

गली में सन्नाटा था… बस एक दो कुत्ते नजर आ रहे थे…कोई हमें देखने वाला या टोकने वाला नहीं था । मेरी चूत एकदम गीली थी … लन्ड फ़च की आवाज करते हुये गहराई तक उतर गया। आग से आग मिल गयी… मन में कसक सी उठी… और एक हूक सी उठी… एक सिसकारी निकल पड़ी।

“चोद दे राज… चोद दे… अपनी बहन को चोद दे… आज मुझे निहाल कर दे…” मैं सिसकते हुए बोली।

“हाय दीदी…इसमें इतना मजा आता है… मुझे नहीं मालूम था… हाय दीदी…” राज ने जोश में अब चोदना चालू कर दिया था। मुझे भी तेज मजा आने लगा था। सुख के सागर में गोते लगाने लगी… शायद भैया के साथ ये गलत सम्बन्ध… गलत काम … चोरी चोरी चुदाई में एक अजीब सा आकर्षण भी था… जो आनन्द दुगुना किये दे रहा था।

“राज… हाय तेरा मोटा लन्ड रे… कितना मजा आ रहा है…फ़ाड दे रे मेरी चूत…”

“दीदी रे… हां मेरी दीदी… खा ले तू भी आज भैया का लन्ड… मुझे तो दीदी… स्वर्ग का मजा दे दिया…”

उसकी चोदने की रफ़्तार बढती जा रही थी… मुझे घोड़ी बना कर कुत्ते की तरह चोदे जा रहा था… मेरे मन की इच्छा निकलती जा रही थी… आज मेरा भैया मेरा सैंया बन गया… उसका लन्ड ले कर मुझे असीम शान्ति मिल रही थी।

“अब जोर से चोद दे भैय्या … दे लन्ड… और जोर से लन्ड मार … मेरी चूत पानी छोड़ रही है… ऊऊउईईई… दे …और दे… चोद दे राज…”

मेरी चरमसीमा आ रही थी… मैं बेहाल हो उठी थी… मुझे लग रहा था मुझे और चोदे… इतना चोदे कि… बस जिन्दगी भर चोदता ही रहे … और और… अति उत्तेजना से मैं स्खलित होने लगी। मैं झड़ने लगी…मैं रोकने कि कोशिश करती रही पर… मेरा रोकना किसी काम ना आया… बस एक बार निकलना चालू हो गया तो निकलता ही गया… मेरा शरीर खडे खडे ऐंठता रहा… एक एक अंग अंगड़ाई लेता हुआ रिसने लगा… मेरा जिस्म जैसे सिमटने लगा। मैं धीरे धीरे जमीन पर आने लगी। अब सभी अंगों मे उत्तेजना समाप्त होने लगी थी। मैं राज का लन्ड निकालने की कोशिश करने लगी। पर उसका शरीर पर कसाव और पकड बहुत मजबूत थी। उसका लन्ड अब मुझे मोटा और लम्बा लगने लगा था… लन्ड के भारीपन का अह्सास होने लगा था… मेरी चूत में अब चोट लगने लगी थी…

“भैया…छोड़ दो अब… हाय लग रही है…”

पर उसका मोटा लन्ड लग रहा था मेरी चूत को फ़ाड डालेगा… ओह ओह ये क्या… राज ने अपना लन्ड मेरी चूत में जोर से गड़ा दिया… मैं छटपटा उठी… तेज अन्दर दर्द हुआ… शायद जड़ तक को चीर दिया था…

“राज छोड़…छोड़ … हाय रे… फ़ाड़ डालेगा क्या…”

पर वो वास्तव में झड़ रहा था… उसके अंगों ने अन्तिम सांस ली थी…पूरा जोर लगा कर … मेरी चूत मे अपना वीर्य छोड दिया था… उसके लन्ड की लहरें वीर्य छोड़ती बडी मधुर लग रही थी… अब उसका लन्ड धीरे धीरे बाहर निकलने लिये फ़िसलता जा रहा था। लगता था उसका बहुत सारा वीर्य निकला था। उसका लन्ड बाहर आते ही वीर्य मेरी चूत से बाहर टपकने लगा था। राज ने मुझे घुमा कर मुझे चिपका लिया…

“दीदी… आज से मैं आपका गुलाम हो गया… आपने मुझे इतना बडा सुख दिया है… मैं क्या कहूं…”

उसके होंठ मेरे होंठो से जुड़ गये और वो मुझे पागलों की तरह प्यार करने लगा। मैंने भी प्यार से उसे चूमा और अन्दर ले आई और बालकनी का दरवाजा बन्द कर दिया। अब हम दोनों बहन-भाई ना हो कर एक दूसरे के सैंयां बन गये थे। हम दोनो फिर से बिस्तर पर कूद पडे और पलंग चरमरा उठा… हम दोनों फिर से एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। हमारे बदन में फिर से बिजली भर गई… मेरे बोबे तन गये…राज का लन्ड फ़ड़फ़ड़ाने लगा… और… और… फिर मेरे शरीर में उसका कड़ापन एक बार फिर से उतरने लगा … मेरी चुदाई एक बार फिर से चालू हो गई…Hindi Sex Stories

मैं ऑफिस से घर आ रहा था रास्ते में एक लड़की मेरे सामने पैदल जा रही थी मैंने उसे रोक अपनी बाइक पर बैठाया और उसने देखा आंखें बढ़ गया उसने आगे हाथ बढ़ना मेरी पैंट की जिप पर रख दिया जिससे मुझे एहसास हुआ कि यह बहुत प्यासी है मैंने उसने अपनी जीत खोल दी उसके बाद मैं बाइक से को बाहर खड़ी कर कर उसे सरसों के खेत में देखा वहां पर उसको जबरदस्ती किया वह सेक्सी और वैसी लड़के थे उसकी च** बहुत ही छोटी और टाइट से मैंने कस कस कर खूब चोदा

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मैं और कोमल एक ही ऑफ़िस में Hindi Sex Stories काम करते थे। कोमल ने कस्ट्मर केयर में अभी अभी नया ही जॉइन किया था और मैं अकाऊँटेंट था। वो एक सरल स्वभाव की चुप सी रहने वाली लड़की थी। ऑफ़िस में किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी। ऑफ़िस में वेतन का भुगतान मैं ही करता था इसलिये हमारी बात कभी कभी हो जाया करती थी।

धीरे धीरे कोमल मुझसे थोड़ा खुलने लगी और हम दोनों लन्च एक साथ करने लगे। लेकिन अभी वो चुप चुप सी ही रहती थी, मैं जब भी थोड़ा सा मजाक करता तो वो सिर्फ़ हल्का सा मुस्कुरा देती थी बस।

मुझे लगा कि ज़रूर उसके मन में कुछ बात है जो वो किसी को नहीं बताती।

खैर समय बीतता चला गया।

एक दिन वो मेरे पास आई और कहने लगी कि उसको कुछ रुपयों की ज़रूरत है इसलिये मैं उसे कुछ एडवांस दे दूँ और उसके वेतन में से काट लूँ। मैंने उसे एडवांस दे दिया। अगले दिन वो ऑफ़िस नहीं आई, मैंने भी सोचा कि शायद घर में कुछ काम होगा, लेकिन उसके दो दिन बाद भी वो ऑफ़िस नहीं आई, मैंने उसके घर पर फोन किया लेकिन वहाँ किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया।

शाम को मैं अपनी बाइक से घर जा रहा था कि मुझे बस स्टाप पर कमिनी दिखाई दी, मैंने बाइक रोकी, कोमल ने मुझे देखा और मेरे पास आ गई।

मैंने उससे पूछा कि तुम ऑफ़िस क्यों नहीं आ रही?
उसने कहा- घर पर कुछ काम था।
मैंने उसको कहा- कहाँ जाना है। चलो मैं छोड़ देता हूँ।

वो बाइक पर बैठ गई। रास्ते में मौसम कुछ खराब होने लगा तो मैंने बाइक एक रेस्तराँ के पास रोक दी और कहा- जब तक मौसम थोड़ा ठीक नहीं होता, तब तक रेस्तराँ में एक एक कप कॉफ़ी पी लेते हैं!

कॉफ़ी पीते पीते मैंने उसको पूछा- क्या बात है?
उसने कहा- कुछ नहीं!

लेकिन मेरे थोड़ा कुरेदने पर वो रो पड़ी और बात बताने लगी। उसकी बात सुन कर मेरी आँखें भर आई, उसने बताया कि वो एक शादी शुदा औरत है और एक बच्ची की माँ है, शादी के एक साल बाद ही उसके पति की मौत हो गई। यह बच्ची पति की मौत के पाँच महीने बाद हुई। पति की मौत के बाद उसके ससुराल वाले उसको मारने पीटने लगे और उसकी बच्ची को भी किसी और की बताने लगे। एक बार उसके देवर ने भी उसके साथ देह शोषण करने की कोशिश की। तंग आकर वो ससुराल से अपने घर आ गई और अपने माँ बाप के साथ रहने लगी।

उसके पिता भी यह सदमा सह नहीं पाये और उनकी भी मौत हो गई। अब वो अपनी माँ और बेटी के साथ ही रहती है, इस समय उसकी माँ बीमार है और अस्पताल में है इसीलिये उसने एडवांस लिया था।

उसकी दर्द भरी दास्तान सुन कर मैं भी काफ़ी भावुक हो गया था। मौसम अब ठीक हो गया था इस लिये हम दोनों कॉफ़ी पी कर वहाँ से चल दिये। रास्ते में मैंने कोमल को अस्पताल छोडा, उसकी माँ के भी हालचाल पूछा और घर पर आ गया।

उस रात मैं सो नहीं सका और सारी रात कोमल और उसके परिवार के बारे में सोचता रहा।

अगले दिन मैं ऑफ़िस पहुँचा, कोमल आज ऑफ़िस आई हुई थी, मैंने उसे अपने केबिन में बुलाया और उसकी माँ का हाल पूछा।

उसने कहा कि डाक्टर ने अभी कुछ दिन अस्पताल में रखने के लिये बोला है।

मैंने उसको कहा कि अगर रुपयों की जरूरत हो तो मुझे बोल देना। शाम को मैं उसे अपनी बाइक पर ही अस्पताल ले गया, वहाँ डाक्टर ने कुछ दवाइयाँ मँगवाई जो मैंने अपने पैसों से ही खरीद दी। बाद में मैं ही उसे घर पर छोड़ने गया तो काफ़ी रात हो चुकी थी।

उसने मुझे कहा- आज रात को आप यहीं पर रुक जायें।

मैं भी घर पर अकेला रहता था तो मुझे कोई दिक्कत नहीं थी।

उसने मुझे कहा- मैं खाना बनाती हूँ, तब तक आप फ़्रेश हो जायें।

मैं फ़्रेश हो कर बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि कोमल ने भी अपने कपड़े बदल कर गाउन पहन लिया था। हम दोनों ने खाना खाया, खाना खाने के बाद मैं टीवी देखने लगा, कोमल भी अपनी बेटी को सुला कर मेरे पास ही बैठ कर टीवी देखने लगी। टीवी देखते देखते कमिनी की आँख लग गई और वो मेरे कन्धे पर सर रख कर सो गई, धीरे धीरे उसका सर फ़िसल कर मेरी जांघों पर आ गया और उसका मुँह मेरे लन्ड के ऊपर था।

धीरे धीरे मेरा लन्ड खड़ा होने लगा मैं आपे से बाहर होने लगा था, लेकिन मैंने अपने आपको कन्ट्रोल किया, मेरे हाथ कोमल की कमर पर आ गये, शायद कोमल को भी मेरे लन्ड के कडकपन का अह्सास हो गया था लेकिन उसने अपना मुँह मेरे लन्ड पर से नहीं हटाया और ऊपर से ही मेरे लन्ड पर अपने होंठों को फ़ेरने लगी शायद उसके मन में भी सालों से सोई हुई अन्तर्वासना जाग गई थी मेरे भी हाथ उसके जिस्म पर चलने लगे।

उसने करवट ली और पीठ के बल मेरी जांघों पर सर रख कर लेट गई और वासना भरी आँखों से मेरी तरफ़ देखने लगी। मैंने भी उसकी आँखो का इशारा पा कर उसके जलते हुए होन्ठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगा और अपने हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा। उसके स्तन एकदम टाइट थे, शायद काफ़ी समय से उसके वक्ष किसी ने दबाये नहीं थे। मैंने धीरे धीरे उसके गाउन को ऊपर उठाया और उसकी टांगों पर हाथ फ़ेरने लगा।

क्या गोरी टांगें थी उसकी!

कोमल भी अब उत्तेजना में भर गई थी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी। मैंने उसे खड़ा किया और उसका गाउन उतार दिया।

उफ़!! क्या जिस्म था! भगवान ने शायद उसको फ़ुर्सत से तराशा था। ब्रा और पेंटी में वो एकदम एश्वर्या राय लग रही थी। उसने मेरे सारे कपड़े उतारे और मेरे लन्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने भी उसका सर दबा कर अपना पूरा लन्ड उसके मुँह में दे दिया। वो अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को भींचने लगी।

उत्तेजना के कारण मेरा वीर्य उसके मुँह में ही झड़ गया। अब मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और बैडरूम में ले गया। बैड पर लिटा कर मैंने उसकी ब्रा और पेंटी उतार दी।

उफ़! क्या चूत थी उसकी! बिना बालों की और एक दम गुलाबी!

मैं उसकी चूत को चाटने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके स्तन दबाने लगा। उसने मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया और कहने लगी- और जोर से चाटो!

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर डाल दी और अन्दर ही गोलाई में घुमाने लगा, जिससे वो एकदम झड़ गई।

एक बार फ़िर से वो मेरे लन्ड को चूसने लगी जिससे मेरा लन्ड फ़िर से खड़ा हो गया। अब हम दोनों 69 की पोजिशन में आ गये और वो मेरे लन्ड को और मैं उसकी चूत को चाटने लगा। क्या गोल और भारी चूतड़ थे उसके! एक दम गोरे!

काफ़ी देर तक चाटने के बाद मैंने उसको उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और अपना लन्ड उसकी चूत के दरवाजे रख कर धीरे से एक धक्का दिया। काफ़ी दिनों से उसकी चुदाई नहीं हुई थी इसलिये उसकी चूत काफ़ी टाइट थी। मैंने धक्का दिया तो मेरा लन्ड उसकी चूत में थोड़ा सा घुस गया। उसको भी काफ़ी दर्द हुआ लेकिन उसने कहा- निकालना मत, पूरा घुसा दो।

मैंने जोर से एक धक्का लगाया और अपना पूरा लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया। कोमल को काफ़ी दर्द हुआ लेकिन उसने उस दर्द को अपने दांतों से अपने होंठों को दबा कर सह लिया। उसकी आँखों से आन्सू निकलने लगे। धीरे धीरे उसको भी मजा आने लगा और वो भी अपने चूतड़ों को उठा उठा कर मेरा लन्ड अपनी चूत के अन्दर लेने लगी। उसने अपनी दोनों टांगों से मुझे कस लिया और अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को खींचने लगी। पूरे कमरे में धप-धप, घचा घच की आवाजें आ रही थी।

मेरे भी धक्के बढ़ते जा रहे थे और मैं पागलों की तरह उसको पूरी जान लगा कर उसको चोद रहा था, उसके बूब्स को चूस रहा था। कोमल के मुँह से सी… सी… हाय… आह… की आवाजें निकल रही थी।

कुछ देर उसे चोदने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया थोड़े से दर्द के साथ कोमल ने मेरा लन्ड अपनी चूत में ले लिया और ऊपर से धक्के लगाने लगी। मैं उसके चूतड़ों को अपने हाथों से भींचने लगा और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। उत्तेजना के कारण उसने अपने नाखून मेरे सीने पर गड़ा दिये। हम दोनों की आँखों में वासना के लाल लाल डोरे नज़र आ रहे थे।

कोमल कहने लगी- समीर मैं बहुत सालों से प्यासी हूँ, आज मेरी सारी प्यास बुझा दो!

हम दोनों के मुँह से सी…सी… आह… आह… की आवाजें निकल रही थी। कोमल जोर से आह… आह… की आवाज करती हुई झड़ गई लेकिन मेरा जोश कम नहीं हुआ था और मैं उसे और चोदना चाहता था।

मैंने उसे अपने नीचे लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा। करीब दस मिनट लगातार धक्के लगाने के बाद मेरा लन्ड टाइट होने लगा। मैंने कोमल को कहा- मैं अब झडने वाला हूँ! उसने कहा- चूत में ही झड़ जाओ!

मेरे धक्के तेज होने लगे और मैं झड़ने लगा और अपना सारा वीर्य कोमल की चूत में छोड़ दिया। कोमल के चेहरे पर सन्तुष्टि झलक रही थी। उसने जोर से मेरे होंठों को चूमा और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। मैं भी उसकी जीभ को चूसने लगा और वो मेरी जीभ को चूसने लगी। लम्बी चुदाई के बाद हम दोनों काफ़ी थक चुके थे इसलिये एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गये।

अगले दिन हम सो कर उठे तो सुबह के पांच बज चुके थे। कोमल की बेटी अभी सो रही थी। कोमल ने चाय के लिये पूछा तो मैंने हाँ कर दी। कोमल नंगे ही रसोई घर में चली गई। उसके ऊपर नीचे उठते हुए चूतड़ों ने मेरे लन्ड को फिर खडा कर दिया, मैं पीछे से रसोई में गया और कोमल को पीछे से पकड़ लिया। मैंने अपने हाथों से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और मेरा लन्ड उसकी गान्ड की घाटियों में सैर करने लगा। मैंने उसकी चूत को धीरे से दबा दिया तो उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।

मैं नीचे बैठ गया और उसके चूतड़ों पर धीरे धीरे अपने दाँत गड़ाने लगा। कोमल भी अब उत्तेजित हो चुकी थी।

मैं अपनी उंगली से उसकी गान्ड के छेद को सहलाने लगा तो कोमल बोली- साहब के ख्याल नेक तो हैं?
मैंने कहा- कोमल तुम्हारी गान्ड मुझे बहुत अच्छी लगती है और मुझे आज तुम्हारी गान्ड भी मारनी है!
कोमल हँस पड़ी और बोली- समीर मैंने अपना सारा शरीर तुम्हें सौंप दिया है तो ये गान्ड भी तुम्हारी है!

ऐसा कह कर कोमल आगे की तरफ़ झुक गई उसके गोल गोल चूतड मेरी तरफ़ उभर गये और चूत और गान्ड के छेद बाहर झांकने लगे। मैंने उसकी गान्ड के छेद पर अपना थूक लगाया और लन्ड का टोपा उस पर रखा तो कोमल ने कहा- समीर, मैंने अभी तक गान्ड नहीं मरवाई है, ज़रा धीरे धीरे करना!

मैंने हल्का सा धक्का लगाया तो मेरा लन्ड का टोपा उसके अन्दर घुस गया। कोमल ने हल्की सी सिसकारी भरी। मैंने फिर से थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया तो मेरा आधा लन्ड उसकी गान्ड में घुस गया। कोमल बोली- धीरे… समीर…!!

मैं थोड़ा रुक गया। जब कोमल थोड़ी सामान्य हुई तो मैंने अचानक ज़ोर से धक्का लगाया, जिससे मेरा सारा लन्ड कोमल की गान्ड में समां गया। कोमल इस धक्के के लिये तैयार नहीं थी, उसके मुँह से ज़ोर से आवाज़ निकली जिसे मैंने उसके मुँह पर हाथ रख कर दबा दिया।

थोड़ी देर बाद कोमल सामान्य हुई तो मैंने धक्के लगाने शुरु किये। अब कोमल को भी मजा आने लगा था और अब वो भी साथ देने लगी और अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ़ धकलने लगी। मैंने भी उसकी चूचियों को पकड़ा और तेजी से धक्के लगाने लगा। मैंने उसकी एक टांग को रसोई की स्लैब रखा जिससे उसकी गान्ड का छेद थोड़ा खुल गया। अब मेरे धक्को में काफ़ी तेजी आ गई थी और मैं पागलों की तरह उसकी गान्ड को चोद रहा था।

कोमल के मुँह से भी कामुक आवाज़ें निकल रही थी जो मेरी वासना को और भड़का रही थी मेरा लन्ड एक दम टाइट हो चुका था और कोमल की गान्ड का बाजा बजा रहा था। मेरी जांघ कोमल के चूतड़ों से टकरा कर रसोई के अन्दर तबला बजा रही थी।
आह… आह… सी… सी… की आवाजों से पूरी रसोई गूँज रही थी।

कोमल… मेरी जान… कहते हुए मैं उसकी गान्ड में ही झड़ गया मेरे लन्ड के लावे ने कोमल की गान्ड की बन्जर ज़मीन को फिर से हरा भरा कर दिया। कोमल की गान्ड मारने के बाद मुझे भी अजीब सी सन्तुष्टि मिल रही थी और मैं एक दम हल्का महसूस कर रहा था।

उसके बाद हमने चाय पी और अपने अपने कपड़े पहन लिये। तब तक कोमल की बेटी भी उठ चुकी थी, कोमल ने उसको स्कूल के लिये तैयार किया और घर के बाहर उसको स्कूल बस में बैठा कर वापस आ गई। मैंने कोमल से कहा- अब हम भी तैयार हो जाते है, मैं तुम्हें अस्पताल छोड़ते हुए ऑफ़िस चला जाउँगा।

कोमल अपने कपड़े ले कर बाथरूम की तरफ़ चल दी। बाथरूम में जा कर उसने अपने कपड़े उतार दिये और नंगी हो गई। उसने बाथरूम का दरवाज़ा बन्द नहीं किया और मेरे सामने ही नहाने लगी। उसको नहाते हुए देख कर मेरा लन्ड फिर से खड़ा हो गया और मैं भी अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गया। कोमल मुझे देख कर मुस्कुरा दी, शायद वो भी यही चाहती थी।

शावर के नीचे हम दोनों नहाने लगे। धीरे धीरे हम दोनों के हाथ एक दूसरे के जिस्मों पर चलने लगे और आग एक बार फिर भड़क गई। मैं कोमल की चूचियों को चूसने लगा और उसके चूतड़ों को भींचने लगा। कोमल के हाथ भी मेरी गान्ड पर चलने लगे। अब उसने मेरा लन्ड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। ऊपर से पानी हमारे जिस्मों पर गिर रहा था जिस के कारण हमारी वासना और भड़क रही थी। कोमल मेरे लन्ड को मुँह में भर कर जबर्दस्त तरीके से चूस रही थी, उसकी जीभ का मेरे लन्ड के टोपे पर घर्षण मुझे अजीब सी उत्तेजना दे रहा था।

अब हम 69 की पोजीशन में आ गये और एक दूसरे को चूसने लगे। मैंने कोमल की गान्ड में अपनी उन्गली दे दी और उसकी चूत को चाटने लगा। जवाब में कोमल ने भी मेरी गान्ड में उन्गली दे दी और मेरे लन्ड को बेहताशा चूसने लगी। थोड़ी देर के बाद मैंने कोमल को अपने ऊपर लिया और नीचे से अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया। कोमल अब मेरे लन्ड की सवारी करने लगी और मेरे होंठों को चूसने लगी। होंठ चूसते हुए उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा और उसके चूतड़ों को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा।

थोड़ी देर के बाद मैंने उसे अपने नीचे लिया और अपना लन्ड उसकी चूत में डाल कर ज़ोर ज़ोर उसे चोदने लगा। हाय… मेरे समीर… चोद दो मुझे… सी…सी… की आवाज़ कोमल के मुंह से निकल रही थी और मुझे और भड़का रही थी। मेरे धक्के तेज़ होते जा रहे थे।

आह… आह… की आवाज से मैं कोमल की चूत में ही झड़ने लगा और हम दोनों के जिस्म एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे। थोड़ी देर हम दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे, फिर दोनों एक साथ नहाये। नहाने के बाद मैंने कोमल को अपनी गोद में उठाया और बाहर आ गया। फिर हम तैयार होकर नाश्ता करने लगे।

नाश्ता करते हुए मैंने कोमल को कहा- कोमल मुझसे शादी करोगी?

मेरा अचानक किया हुआ सवाल सुन कर कोमल दो मिनट के लिये खामोश हो गई और उसकी आँखें भर आई। उसने सवाल भरी नज़रों से मुझे देखा, शायद उसकी नज़रें पूछ रही थी कि मैं झूठ तो नहीं बोल रहा!

मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और फिर से वोही सवाल किया जवाब में वो मेरे सीने से लग कर रो पड़ी।

फिर हम अस्पताल गये और मैंने कोमल की माँ से कोमल का हाथ माँगा। कोमल की माँ इसके लिये सहर्ष तैयार हो गई। फिर कोमल की माँ के अस्पताल से आने के बाद कोमल और मैंने शादी कर ली। आज हमारे दो बच्चे हैं और हम सब बहुत खुश हैं। Hindi Sex Stories

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