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मैं आज पहली बार अपनी आपबीती बताने जा रहा हूँ, मैं सोचता हूँ शायद आप सभी को पसंद आएगी।
मेरा नाम अभिजीत है.. मैं वेस्ट बंगाल का रहने वाला हूँ.. और मैं एक गोरे बदन और स्मार्ट दिखने वाला लड़का हूँ।
मेरा उम्र 23 साल है.. मेरा लम्बाई 5 फुट 5 इंच है.. मेरा लण्ड लगभग 6.8 इंच है।
बात उस समय की है.. जब मैं 12वीं में पढ़ता था.. तब मैं अपने चाचा के घर में रहता था.. मतलब वहीं रह कर पढ़ाई करता था।
मेरे चाचा की नई नई शादी हुई थी और वो एक प्राइवेट जॉब करते थे.. तो चाचा को ज्यादातर बाहर जाना पड़ता था जिस वजह से आरती चाची अकेली रह जाती थीं।
तो चाचा ने मुझे अपने पास बुला लिया और मैं तब से वहीं से पढ़ाई करने लगा।
चलिए मैं अब पॉइंट पर आता हूँ। मेरी जो चाची हैं.. वो बहुत खूबसूरत हैं। उनकी उम्र अभी 23 साल थी.. क्या माल थीं.. उनका फिगर 34-28-30 का था.. एकदम गोरा बदन।
मैंने जब से उन्हें देखा था.. तब से ही उन्हें चोदने का मन बना लिया था। मेरी आरती चाची बीए कर चुकी थीं। वे मुझे पढ़ाने भी लगीं और मैं उनके पास पढ़ने लगा।
पढ़ते समय मैं आरती चाची को देखता जब वो लिखतीं.. तो मैं उनके मम्मों देखता रहता था।
आरती चाची घर में नाइटी में रहती थीं तो उनके बड़े-बड़े चूचे पहाड़ की तरह खड़े रहते थे। मैं उन्हें जब भी देखता.. तो चोदने का सोचता रहता।
एक दिन चाचा को कोई काम से दस दिनों के लिए बाहर जाना पड़ा.. तो चाचा ने मुझे कहा- कहीं जाना मत.. आरती चाची का ख्याल रखना।
मैंने कहा- ठीक है..
तो उस दिन मैं स्कूल भी नहीं गया और दिन भर आरती चाची के साथ घर में रहा।
अब चूंकि मैं आरती चाची के साथ थोड़ा हँसी-मज़ाक भी करने लगा था, आरती चाची भी मुझसे काफी खुल कर बात करने लगी थीं।
आरती चाची ने एक प्लान बनाया आर मुझसे कहा- चलो आज मार्किट चलते हैं।
तो मैंने कहा- ठीक है.. चलिए।
शाम को हम दोनों मार्किट चले गए.. आरती चाची ने ढेर सारी खरीददारी की और अंत में वो एक लेडीज शॉप में गईं। उन्होंने मुझे बाहर रहने को कहा.. तो मैं बाहर रुक गया।
कुछ देर बाद आरती चाची बाहर आईं और हम दोनों घर चले आए।
घर आने के बाद हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और मैं आरती चाची के रूम में टीवी देखने लगा।
टीवी देखते-देखते मुझे कब नींद आ गई और मैं वहीं सो गया।
अचानक मुझे कैसा महसूस हुआ कि कोई मेरे लण्ड के साथ खेल रहा है.. तो मैं झट से उठा और देखा कि आरती चाची मेरे सामने एक पारदर्शी नाइटी में बैठी है और मेरे लण्ड के साथ खेल रही हैं।
तो मैंने आरती चाची से कहा- यह क्या कर रही हैं आप?
आरती चाची ने कहा- कुछ नहीं बस सोये हुई चिड़िया को जगा रही हूँ।
मैं हंसने लगा..
तो आरती चाची ने कहा- जब मैं तुम्हें पढ़ाती थी.. तब तुम मेरे चूचों को देखते थे.. मुझे सब पता है।
मैं उनको कातिल निगाहों से घूरने लगा।
आरती चाची ने फिर कहा- आज मेरी प्यास बुझा दो अयान..
मैंने आरती चाची को अपने पास खींच लिया और उनके होंठों को चूमने लगा।
उन्होंने लिपिस्टिक लगा रखी थी और मैं जोर से उनके होंठों को चूस रहा था.. वो भी मेरा साथ दे रही थीं।
उसके बाद मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा।
हाय क्या मस्त लग रहा था.. पहली बार किसी की चूचियों को दबा रहा था।
मैंने उनकी नाइटी को खोलना शुरू किया.. तो वो अन्दर लाल रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुई थीं।
क्या मस्त बदन लग रहा था उनका.. एकदम गोरा बदन और उस पर कसी हुई लाल रंग की ब्रा।
फिर मैंने ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को सहलाया और दबाने लगा।
आरती चाची ने अपनी चूचियों को मेरी तरफ और तान दिया।
मैंने उनकी ब्रा को खोल दिया और उनके सफ़ेद कबूतर बाहर निकल आए।
फिर मैंने उनकी पैन्टी को खोला.. तो देखा कि आरती चाची ने चूत की झांटों को पूरा का पूरा साफ करके रखा हुआ है..
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी चूत चाटने लगा..
अब आरती चाची मादक आवाजें निकालने लगीं- आह.. आह्ह.. आह्ह्ह.. आह्हह.. उन्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह!
फिर उन्होंने मेरा पैंट भी खोल दिया और मेरा लण्ड अपनी मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मुझे लौड़ा चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था।
हम 69 की तरह हो गए, दस मिनट तक हम दोनों इसी लण्ड-चूत की चुसाई में लगे रहे।
अचानक आरती चाची की चूत का पानी निकल गया.. मैंने जैसे ही उनके रस को चखा.. आह्ह.. दिल खुश हो गया.. क्या मस्त खुशबू थी.. पर मैंने अपना मुँह हटा लिया.. तो आरती चाची ने मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत के साथ लगा दिया।
फिर मैं भी झड़ गया और मेरा पूरा वीर्य उनके मुँह में घुस गया।
इस तरह हम दोनों झड़ कर शांत हो गए।
फिर हम लोग एक दूसरे से लिपट कर बात करने लगे। उसके बाद आरती चाची बोलीं- अब मुझे चोद दो..
मैं उठा और उनके नंगे बदन के ऊपर आकर लंड को चूत पर रखा, आरती चाची ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी के छेड़ पे रखा और कहा- घुसा दे!
लेकिन उनकी चूत बहुत तंग थी.. मेरा मोटा लवड़ा अन्दर नहीं घुस रहा था।
मैंने किसी तरह सुपारा उनकी चूत में फंसा कर जोर लगाया.. तो आधा अन्दर चला गया और आरती चाची जोर से चिल्ला पड़ीं- आह्ह.. ह्ह्ह्ह.. माआ..
मैं डर गया कि पता नहीं क्या हुआ फिर भी मैं उन्हें चोदता रहा।
एक बार मैंने और जोर लगाया तो पूरा का पूरा लौड़ा चूत के अन्दर चला गया। आरती चाची कराह कर रह गईं.. फिर धीरे धीरे उनकी चूत ने मेरे लवड़े को आत्मसात कर लिया।
उसके बाद मैं उन्हें धकापेल चोदने लगा था।
तो वो अजीब-अजीब सी आवाज़ निकाल रही थीं- आह्ह्ह्ह.. अह्ह्हह्ह.. उह्ह्ह्ह.. माआआअ.. चोदो अयान.. और जोर से.. बहुत मज़ा आ रहा है।
लगभग हम दोनों में 15 मिनट तक जबर्दस्त चुदाई का खेल खेलते रहे, उसके बाद आरती चाची झड़ गई थीं।
अब बारी मेरी थी.. तो मैंने आरती चाची से पूछा- क्या करूँ.. अन्दर डाल दूँ या बाहर निकालूँ।
उन्होंने कहा- अन्दर ही डाल दो।
तो मैंने कुछ दमदार धक्के लगाए और अपना माल उनकी चूत के अन्दर ही डाल दिया। मैं बहुत थक गया था तो निढाल हो कर वहीं आरती चाची के शरीर के ऊपर गिर गया।
कुछ देर बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम गए.. खुद को साफ किया।
मैं आरती चाची के चूचों को साफ करने लगा। कुछ देर बाथरूम में मस्ती करने के बाद हम दोनों बाहर आ गए।
उसके बाद चाय पी.. और सो गए।
बस अब तो रोज-रोज यही सिलसिला चलने लगा। फिर चाचा वापस आए तो ये सब बंद करना पड़ा।
फिर भी कभी-कभी मैं मौक़ा पाकर चलते फिरते उनके चूचे दबा देता था।
मैंने अपने जीवन का पहला सेक्स किया था और इसमें मुझे बहुत मज़ा आया था।
उसके बाद मेरे एग्जाम खत्म हो गए.. मैं अपने घर चला आया।
उसके बाद अभी तक किसी को नहीं चोदा है.. सोचता हूँ आरती चाची के घर से फिर से घूम आऊँ।
मेरा नाम राज है और मेरी उमर १९ साल Hindi Porn Stories की है। मेरी दीदी मुझसे दो साल बड़ी है लेकिन उनका रंग काला है। पर फ़िगर के मामले में करीना कपूर है- ज़ीरो फ़िगर ! लेकिन उनके काले रंग के कारण कोई कभी उनकी तरफ़ देखता ही नहीं है। इसी कारण वे हमेशा उदास रहती और ज्यादातर घर में ही रहती हैं और पढ़ती रहती हैं।
मेरा रंग साफ़ है और शरीर भी गठीला है। मैं इन्ज़िनीयरिंग के दूसरे साल में हूँ। मेरे कॉलेज़ में कई लड़कियाँ पढ़ती हैं। मैंने कई लड़कियों से मित्रता की पेशकश की पर कोई भी घास नहीं डालती और मैं सेक्स का भूखा लड़का हूँ। मेरे घर में मैं, दीदी और और मम्मी-पापा हैं। पापा एक दवाई की कंपनी में एरिया मेनेजर हैं जो हमेशा टूर पर ही रहते हैं। मम्मी हमेशा घर और बाहर के कामों में ही लगी रहती हैं। दीदी मुझे अपना एक अच्छ दोस्त समझती हैं और हर छोटी बड़ी बात, समस्या के बारे में मुझसे बात करती हैं।
उनके रंग के कारण उनका कोई दोस्त नहीं है तो वो मुझे ही अपना बॉयफ़्रेंड समझती हैं। मैं उनको शुरू शुरू में तो दीदी के रूप में ही देखा लेकिन कुछ दिनों में मेरे अन्दर कुछ बदलाव आ गया था। मैं उनकी सेक्सी जीरो फिगर का दीवाना हो गया था इसलिए मैं उनके साथ रहने के लिए उनको अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता था और उनके साथ साथ ही रहता था। उनको भी अच्छा लगता था इसलिए उनको जहाँ कहीं भी जाना होता तो मुझे साथ लेकर जाती हैं। दीदी मेरे साथ बाइक पर हमेशा चिपक कर बैठती हैं लेकिन मैं उनका इस तरह बैठने की अदा को समझा नहीं। उनके स्तन मेरी पीठ से हमेशा चिपके रहते थे और वो इस बात पर कभी ध्यान नहीं देती थी। इस लिए मैं भी कुछ नहीं कहता था या करता था।
दीदी काफ़ी समय से अध्यापिका की नौकरी के लिए कोशिश कर रही थी और किस्मत से उन्होंने प्रवेश-परीक्षा पास भी कर ली। जिस दिन उनको परिणाम मिला, वो बहुत खुश थी, उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। खुशी में उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा लिया और उनके स्तन मेरे सीने में गड़ गए। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर के बाद मम्मी आईं तो दीदी ने उन्हें भी अपने सीने से लगा लिया तो मैंने इस बात को सामान्य हरकत समझा और भूल गया।
कुछ ही दिनों में उनका साक्षात्कार था, जिसके लिए उन्हें भोपाल जाना था। तो मम्मी ने मुझे उनके साथ जाने की जिम्मेदारी सौंप दी क्योंकि और कोई था ही नहीं जो उनके साथ जा सके। मैंने भी हाँ कर दी।
हमें कुल तीन दिन लगने थे। हम लोगों ने पूरी योजना बना कर अपने कपड़े वगैरह लेकर भोपाल के लिए रवाना हो गए। दीदी के साथ अकेले रहने का इससे अच्छा मौका और नहीं मिल सकता था इसलिए मेरी खुशी का कोई पारावार ना था।
हम लोग शाम के छः बजे भोपाल पहुँचे। वहाँ पहुँच कर हम कोई होटल ढूंढने लगे। करीब तीन घण्टे तक होटल खोज़ने पर भी किसी होटल में कमरा खाली नहीं मिला क्योंकि अध्यापकों की भर्ती की संख्या ज्यादा थी इसलिए बहुत अधिक लोग पहुँचे हुए थे साक्षात्कार के लिए।
अंत में हम दोनों बहुत थक चुके थे कि एक होटल में हमें एक ही कमरा मिला। मैंने दीदी को बताया तो वो कहने लगी कि यही ले लो, हम काम चला लेंगे।
मैं कमरा बुक करने लगा और मैंने दीदी को कमरे में जने को कहा क्योंकि दीदी बहुत ज्यादा थकी हुई थी। दीदी वेटर के साथ कमरे में चली गई और मैं होटल का रज़िस्टर भरने लगा।
सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जब मैं चलने लगा तो रिसेप्शन पर बैठे व्यक्ति ने कहा- मैंने रज़िस्टर देखा है कि आप दोनों भाई बहन हैं इसलिए बता रहा हूँ कि रात को साढ़े दस बजे के बाद टीवी के चैनल ५ मत चलाईएगा क्योंकि तब इस पर केवल व्यस्कों के देखने लायक कार्यक्रम चलाए जाते हैं और आपके साथ आपकी दीदी हैं !
तो मैंने कहा- ठीक है ! धन्यवाद ! मैं अपने कमरे में आ गया। वहाँ वेटर दरवाज़े पर मेरा इन्तज़ार कर रहा था। मैंने उसे टिप दी तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- हैपी हनीमून सर ! कुछ चाहिएगा तो मुझे याद कर लीज़िएगा सर !
वेटर तो बोल कर चला गया, मैं समझ गया कि वेटर हमें पति पत्नी समझ रहा है। फ़िर मैं कमरे में आया तो दीदी पलंग पर लेटी हुई थी।
मैंने कहा- दीदी ! तुम बहुत थक गई हो ! थोड़ा फ़्रेश हो लो। फ़िर हम खाना खाएंगे।
दीदी बोली- तुम ठीक ही कहते हो !
और दीदी ने बैग खोल कर अपने कपड़े निकाले और बाथरूम में चली गई।
मेरे मन में वेटर की बात घूम रही थी और मैं दीदी के साथ अपने ही बारे में सोचने लगा। बाथरूम से दीदी के नहाने की आवाज़ आ रही थी। मैं कल्पना करने लगा कि काश मैं और दीदी साथ साथ नहाते !
मुझे लगता था कि वेटर की बात सच हो सकती है। मैं इस बारे में योजना बनाने लगा तो मुझे रिसेप्शन वाले की व्यस्क फ़िल्म वाली बात याद आई। तभी मैंने घड़ी में देखा तो सवा दस बजे थे। तो मैंने ५ नम्बर का चैनल लगाकर बैठ गया और रिमोट को तकिए के नीचे छुपा दिया, साथ में खाने का ऑर्ड्र भी दे दिया।
५ मिनट के बाद दीदी बाहर आई। उन्होंने सेक्सी फ़िगर पर सफ़ेद रंग की नाईटी पहनी थी। मैंने कभी भी उनको ऐसी नियत से नहीं देखा था। आज वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। उन्होंने कहा- जाओ तुम भी नहा लो !
दीदी दर्पण में बाल बनाने लगी थी। उनका ध्यान टीवी पर नहीं था।
मैं तुरन्त बाथरूम में घुस गया। मैंने बाथरूम में देखा कि दीदी की पैन्टी और ब्रा वहाँ सूख रही थी और मैंने उन्हें बैग से कपड़े निकालते देखा था तो उन्होंने पैन्टी नहीं निकाली थी, सिर्फ़ ब्रा ही थी। तो मैं समझ गया कि दीदी ने पैन्टी नहीं पहनी है। मुझे लगा कि दीदी थकी हुई हैं इसलिए फ़्री होकर सोना चाहती हैं इसलिए पैन्टी नहीं पहनी।
फ़िर मैंने उनकी पैन्टी को सूंघा, उसमें से एक अजीब सी खुशबू आ रही थी। मैंने मस्तराम की किताबों में पढ़ा था इसीलिए यह सब कर रहा था। लेकिन मेरा ध्यान टीवी पर था। तभी मुझे ब्ल्यू फ़िल्म चालू होने की आवाज़ आई। मेरा ध्यान से दीदी की हरकतों पर था। मुझे कुछ देर तो टीवी की आवाज़ आई लेकिन थोड़ी देर बाद टीवी की आवाज़ बंद हो गई।
मैं समझ गया कि दीदी ब्ल्यू फ़िल्म देख रही हैं। उन्होंने रिमोट ढूंढ कर टीवी की आवाज़ बंद कर दी थी ताकि मैं ब्ल्यू फ़िल्म से आती कामुक आवाज़ें ना सुन लूँ।
बाथरूम में मैंने दीदी के नाम से मुठ मारी और उनकी चड्डी को पूरी तरह गीला कर दिया, फ़िर मैंने उसे धोया। मैं सिर्फ समय बिता रहा था ताकि दीदी अच्छे से गर्म हो जाये। करीब १५ मिनट के बाद मैं बाथरूम से बाहर निकला और कमरे में गया। मैंने देखा कि दीदी का हाथ दीदी की चूत में है उनकी नाईटी उठी हुई है। मुझे देखते ही वो घबरा गयी और तुंरत खड़ी हो गयी। जल्दी में वो चैनल भी बदल नहीं पाई। मैंने टीवी की तरफ देखा तो लड़का लड़की को पलंग पर लेटकर उसकी चूत चाट रहा था।
दीदी की ऑंखें लाल हो गई थी और शर्म से सर झुका हुआ था। शर्म तो मुझे भी आ रही थी, फिर मैंने चैनेल बदल कर दिया। दीदी चुपचाप दर्पण पर अपने बाल बनाने लगी और मैं भी कपड़े पहनने लगा। फिर मैं कोई पत्रिका पढ़ने का नाटक करने लगा। कमरे में शांति का माहौल था, न उनको और न मुझको बोलने की हिम्मत हो रही थी।
और फिर डोर-बेल बजने की आवाज़ आई मैं उठा और दरवाज़ा खोला तो देखा कि वेटर खाना ले कर आया है। उसने खाना मेज़ पर रखा, फिर खाना लगाकर कहा,“ सर मैं इसे कल सुबह ले जाऊंगा।”
मैंने उसे टिप दी और वो हंसते हुए चला गया।
मैं और दीदी खाना खाने लगे। दीदी की सहेली नहीं होने के कारण उन्होंने शायद कभी भी ब्लू फिल्म नहीं देखी थी, उनकी यह पहली बार थी इसीलिए उनका शरीर गर्म हो गया था और दीदी को सेक्स के बारे में भी खुछ खास पता नहीं था। खाना खाने के बाद हम दोनों ने पेपर-नैपकिन से हाथ पोंछा लेकिन पेपर नैपकिन के नीचे कंडोम के ४-५ पैकेट थे जो कि देखने में सौंफ के पाउच लग रहे थे। दीदी ने उसे सौंफ का पाउच समझ कर फाड़ा लेकिन उसके अंदर से कंडोम निकला।
दीदी ने कभी कंडोम देखा नहीं था इसीलिए मेरी तरफ देख कर पूछा और टीवी वाली घटना के बाद पहली बार मुझसे बात की- भाई ! यह क्या है?
“दीदी ये कंडोम है !”
तो दीदी ने टीवी पर कंडोम के बारे में सुना था तो समझ गई, फिर शर्म से चुप हो गई, फिर पूछा,”वेटर हमारे खाने के साथ कंडोम क्यों लाया है?”
तो फिर मैंने दीदी को पूरी बात बताई तो हंसने लगी और बोली- तुझे पता था कि टीवी पर ब्लू फिल्म चलेगी तो तूने जानबूझ कर उसी चैनल पर टीवी चलाया था !
दीदी थोड़ी देर में मेरे साथ खुल गई और सेक्स की बातें करने लगी। मुझे समझ में आ गया था कि वो ब्लू फिल्म देखने के बाद सेक्स के लिए तड़प रही है। दीदी ने कहा- मैंने कभी भी ब्लू फिल्म नहीं देखी है !
तो मैंने तुरंत ही टीवी पर ब्लू फिल्म लगायी। उसमें एक लड़की को लड़का डौगी स्टाईल में चोद रहा था।
दीदी- ये सेक्स का कौन सा तरीका है?
तो मैंने कहा- दीदी इसे डौगी-सेक्स कहते हैं !
दीदी- तू बहुत जानता है रे ! कभी किसी के साथ सेक्स किया है क्या?
तो मैंने कहा- दीदी कोशिश बहुत की लेकिन कोई लड़की पटी ही नहीं !
तो मैंने हिम्मत करके कहा- दीदी तुम मेरे साथ सेक्स करोगी?
तो उसने मुझे बहुत ही बुरी तरह डांटा और कहा- तुझे अपनी दीदी से ऐसी बातें करते हुए शर्म नहीं आती !
फिर मैं चुप चाप सो गया लेकिन मेरी आँखों में नींद नहीं थी और न ही दीदी की आँखों में।
रात को १ बजे दीदी ने मुझ से पूछा- क्या तुझे सेक्स करना है?
तो मैंने कहा- हाँ दीदी !
वो बोली- मैं तो काली हूँ?
मैंने कहा- दीदी सेक्स का मजा काले या गोरे से नहीं, फिगर से आता है और तुम सेक्सी हो !
मेरी बातों से वो गर्माने लगी और फिर सेक्स के लिए तैयार हो गई। मैंने दीदी को पूरी नंगी कर दिया और उनकी बिना बालों की चूत को चाटने लगा। वो ब्लू फिल्म की एक्ट्रेस की तरह चिल्लाने लगी- आ अ अह ! उ ऊ ऊउउऊ !
मैं उनको झड़ने तक चूसता रहा, फिर उनकी कुंवारी चूत के नीचे तकिया लगाकर थोड़ा ऊपर किया, फिर अपना खड़ा लण्ड उनकी चूत में घुसाया। धीरे धीरे लण्ड अंदर जाने लगा, वो दर्द से चिल्लाने लगी। फिर थोड़ी देर के बाद शांत हो गई और सेक्स का पूरा मजा लेने लगी।
दीदी के साथ उस रात मैंने कई बार सेक्स किया और फिर मैं और दीदी तीन दिन तक होटल के कमरे में मियां बीवी की तरह ही रहे।
घर आकर भी हम मौका देख कर सेक्स करने लगे …… Hindi Porn Stories
तुम्हारी सेक्सी मेल्स पढ़कर मुझे इतना मज़ा Antarvasna आता है कि मैं बता नहीं सकती। जितना मज़ा तुम्हारी मेल ने दिया है उतना शायद ही कभी मुझे मिला हो। जैसा कि तुम मुझे कह रहे थे, मैं भी तुमको यह सेक्सी मेल लिख रही हूँ। होप यू एन्जॉय।
जहाँ तुमने छोड़ा था उसके आगे से लिख रही हूँ।
तुम मेरे पास आगरा आए थे और होटल के रूम में बुला कर तुमने मुझे खूब चोदा।
(हाय मैं इतना गन्दा सोच रही हूँ )
तीन बार करने के बाद तुम पूरी तरह निढाल होकर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर मेरे ऊपर ही सो गए। सुबह उठकर तुम वापिस चले गए।
एक हफ़्ते बाद तुम वापिस आए इस एक हफ़्ते में मैं तुम्हारी याद में हस्त मैथुन करती रही।
तुम सुबह 10 बजे मेरे रूम पे आए, तुमने दरवाज़ा खटखटाया, मैं सन्डे होने के कारण थोड़ी देर पहले ही सो के उठी थी। मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला, तुम अन्दर आ गए, पीछे से दरवाज़ा बंद करके मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बेतहाशा चुम्बन करने लगे।
तुमने कहा- मैं पूरे एक हफ्ते से प्यासा था, आज मेरी प्यास बुझा दो !
मैंने मजाक में कहा- लो पानी पी लो, फिर कोल्ड ड्रिंक भी देती हूँ।
तुमने हँसते हुए पानी पी लिया और कहा- कोल्ड ड्रिंक मैं गिलास से नहीं पियूँगा।
मैंने पूछा- फ़िर कैसे?
तुमने आगे आकर मुझे किस किया और मेरे मम्मों को दबाते हुए बोले- नए स्टाइल में पियूँगा !!!
मैंने पूछा- कौन सा नया स्टाइल?
तुमने कहा- अभी बताता हूँ।
मैंने क्रीम रंग की नाईटी पहनी थी, नीचे काली ब्रा और पैंटी !
“तुम बैठो मैं अभी नहा कर आती हूँ !”
तुम- चलो, मैं तुम्हें नहलाता हूँ !
मैं- धत्त ! बेशर्म ! मुझे शर्म आती है।
तुम- जब मैं तुम्हारी मारता हूँ तब तो शर्म नहीं आती?
“अरे नहीं ! आती तो है पर उस समय मैं इतनी गर्म होती हूँ कि मुझे होश ही नहीं रहता।”
” तो चलो ठीक है, मैं तुम्हें गरम करके नहलाता हूँ और कोल्ड ड्रिंक पीने का नया तरीका भी तो बताना है तुम्हें। सच्ची तुम्हें बहुत मज़ा आएगा !”
“ऐसा है तो चलो।”
और हम दोनों बाथरूम में घुस जाते हैं।
बाथरूम में घुसते ही तुम मुझे पकड़ के कस के चूमते हो और मेरे मम्मे और मेरे गान्ड पर हाथ फ़ेरते हो। मुझे मज़ा आने लगता है। तुम शावर खोल देते हो और मैं भीगने लगती हूं। तुमने टी-शर्ट और जीन्स पहन रखी हैं। भीगने से मेरी नाईटी मेरे शरीर से चिपक जाती है और मेरे मस्त मम्मे ब्रा में ढके हुए और मेरी पैन्टी साफ़ दिखने लगती है। यह देख कर तुम गरम हो जाते हो और मुझे अपनी तरफ़ खींचते हो। नीचे घुटनों के बल बैठ कर मेरी नाईटी ऊपर उठा कर मेरी टांगों और जांघों को चूमते हुए मेरी पैन्टी तक पहुँच जाते हो !!
“स्स्स्स्स्स्स श्ह्ही अआया आआः मज़ा आआया आया आ आ रहा है !”
तुम दोनों हाथ मेरी पैन्टी के अन्दर डाल देते हो और दाएं हाथ से मेरी गान्ड को और बाएं हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगते हो !
“आआया आया अआया आआअह्ह्ह मज़ा आ आ आआया आआया रहा है।”
यह करते हुए तुम मुँह से मेरी पैन्टी का एलास्टिक पकड़ कर उसको धीरे धीरे नीचे उतारते हो।
मेरी गरम चूत देखते ही तुम्हारे मुँह में पानी आ जाता है और तुम मेरी क्लिटोरिस को चूमने और चाटने लगते हो, मैं आ आया आ आआ अआय आ आआया अह आ आआया आआ अआः करती हूँ, तुम्हारा सर पकड़ कर अपनी चूत पे दबाती हूं, तुम्हारे हाथ मेरे गान्ड के छेद पे होते हैं।
इस तरह से मैं पहली बार ओर्गास्म हो जाआआताआ है, “आआअह मैं मर गई !”
तुम कहते हो यह तो शुरुआत है। मेरे चूत का जूस अपने होठों पे लेकर मेरी नाईटी और ऊपर उठाते हो और मेरी ब्रा को खोल कर मेरे मम्मे ज़ोर ज़ोर से दबाते हो और मेरे सख्त निप्प्ल पर मेरी चूत का जूस मेरे होठों से लगा देते हो। मेरी ब्रा खुल कर नीचे गिर जाती है, मैं नाईटी उतार देती हूं और पैन्टी से पैर निकाल कर बाहर आ जाती हूं।
मैं तुम्हारे लन्ड की तरफ़ देखती हूं जो एकदम टाईट हो रहा है और तुम्हारी जींस फाड़ कर बाहर आने को बेताब है।
“अरे जान इसको क्यूँ सज़ा दे रहे हो, इसको तो बाहर आने दो !”
“हाँ यह तो बाहर आएगा ही वरना मज़ा क्या आएगा।”
और हम दोनों हँसते हैं।
तुम- अच्छा तुम जाओ ज़रा चिल्ड कोल्ड ड्रिंक लेकर आओ !
मैं- अरे कोल्ड ड्रिंक का क्या करोगे अभी?
तुम- जाओ न, मुझे प्यास लगी है मुझे पीना है !
“अच्छा बाबा लाती हूँ पर तुम कपड़े तो उतारो।”
“नहीं कपड़े तुम उतरना मेरे, तब असली मज़ा आएगा।”
अच्छा !
मैं जल्दी से पूरी नंगी हालत में भाग के गई और फ्रीज से सुपर-चिल्ड कोल्ड ड्रिंक-फ़ैंटा निकाल के ले आई।
भाग के जाने से मेरी साँस फूलने लगी और मेरे मम्मे ऊपर नीचे होने लगे।
तुम- जान तुम्हारे मम्मे कितने अच्छे हैं ! अच्छा अब मैं थोडी देर बाद कोल्ड ड्रिंक पियूँगा और तुम लोलीपोप चूसना।
मैं- लोलीपोप? मैं कोई बच्ची तो नहीं हूँ जो लोलीपोप चूसूंगी !
“मना ना करो, तुम्हारे लिए बहुत टेस्टी लोलीपोप लाया हूँ।”
“अच्छा ! कहाँ है दो।”
“पहले तुम अपनी आँखें बंद करो।”
“मैं अपनी आँखें बंद करती हूं।”
अब तुम अपना लन्ड निकाल कर उस पर थोड़ा सा कोल्ड ड्रिंक गिरा के मुझसे कहते हो- जानू अपना मुँह खोलो !
मैं अपना मुँह खोलती हूं और तुम अपना लन्ड मेरे मुँह में दे देते हो।
मैं जीभ से टेस्ट करती हूँ- अरे यह तो ओरंज फ्लेवर लोलीपोप है।
तुम्हें अच्छी लगी !
“हाँ !”
तुम- तो आंखें खोलो और चूसो !
मैं आँखें खोलती हूं और तुम्हारा लन्ड देखती हूं- तो यह लोलीपोप है?
हाँ, अब चूसो !
मैं तुम्हारा जींस का बटन खोल कर अंडरवीअर नीचे करके घुटने तक तुम्हारा लन्ड चूसने लगती हूं।
तुम मेरे सर के पीछे से पकड़कर कस के चुसवाने लगते हो। तुम्हारा लंबा मोटा लन्ड मेरे मुँह में पूरा नहीं जा पा रहा होता है, तुम मुझे पकड़कर अपने लन्ड को ज़ोर से मेरे मुँह में डाल देते हो। मुझे दर्द होता है लेकिन अब तक तुम्हारे हाथ मेरे मम्मों को दबाने लगते हैं और मुझे मज़ा आने लगता है। मैं तुम्हारा पूरा लन्ड लोलीपोप की तरह चूसने लगती हूं।
तुम आ आआया आआह्ह हह्ह्ह्छ ओऊ ऊऊ ऊऊओ ऊह ऊऊ ऊऊ उफ ! करते हो।
“बस रुक जाआआओ ! वरना मैं झर जाऊँगा।”
“तो झर जाओ !”
तुम- नहीं ! मुझे अभी तुम्हारी चूत और तुम्हारी गान्ड मारनी है।
मैं हँसते हुए हट जाती हूं। अब तुम अपने कपड़े उतार के आ जाते हो और बोलते हो कि अब मुझे कोल्ड ड्रिंक पीनी है
मैं- वो कैसे?
तुम मुझे अपने सामने खड़़ा करते हो और मेरे नंगे शरीर को देख कर कहते हो- यह है न ग्लास।
मैं- मतलब?
तुम कोल्ड ड्रिंक की बोतल लेकर अपने होठों से शुरू करके अपने मम्मों, अपनी नाभि अपनी चूत, अपनी गांड जांघों और टांगों पर कोल्ड ड्रिंक डालो धीरे धीरे और मैं पीता जाऊँगा !
“वाओ, यह तो बहुत बढ़िया तरीका है।” है न?
और मैं अपने होठों से कोल्ड ड्रिंक गिरा कर धीरे धीरे नीचे बढती जाती हूं। ठंडी कोल्ड ड्रिंक से बदन में सिहरन उठती है लेकिन तुम्हारे चाटने से मज़ा आऽऽऽऽ हऽऽ आऽऽऽ रहा है। तुम ऐसे ही चूसते और कोल्ड ड्रिन्क पीते जाते हो, मेरे मम्मों पर, चूत में से, गान्ड में से नीचे तक।
मैं- अब मेरी बारी !
अब तुम खड़े हो जाते हो और मैं घुटनों के बल तुम्हारे आगे बैठ जाती हूं और तुम्हारे लन्ड पर कोल्ड ड्रिन्क डाल डाल कर पीती रहती हूं और साथ ही तुम्हारा लन्ड, तुम्हारे टट्टे भी चूसती जाती हूं। अब तुम बिल्कुल गर्म हो जाते हो। मैं जैसे ही कोल्ड ड्रिन्क की बोतल रखने के लिये पलटती हूं, तुम मुझे पीछे से पकड़ कर मेरे मम्मे नोच लेते हो।
मेरी चीख निकल जाती है। इस समय तुम्हारा लन्ड मेरी गान्ड के छेद के पास गड़ रहा होता है। तुम मुझे ऐसे अपनी बाहों में उठा लेते हो कि तुम्हारा लन्ड मेरी गान्ड से रगड़ रहा होता है और उठा के मुझे बेड के पास ले जाते हो।
वहाँ पहुंच कर तुम मुझे बेड पे दोनों हाथ और पैर पे बैठने को कहते हो और वैसलीन की शीशी उठा लाते हो। मेरी गान्ड के छेद को खूब चूसते हो और उस पर वैसलीन लगाते हो, और अपने लन्ड पर भी !
मैं- आज क्या पहले गान्ड मारोगे?
“हाँ !”
“तो ठीक है ऐसे मारना मेरी गान्ड फ़ाड़ देना ! ठीक है?”
तुम पहले दो उंगलियों से मेरी गान्ड का छेद बड़ा करते हो, फ़िर धीरे से अपना सख्त लन्ड मेरी गान्ड पर लगाते हो और धीरे से मेरी गान्ड मारना शुरू करते हो। धीरे धीरे धक्के देते जाते हो, तुम्हारे हाथ मेरे मम्मों पर आ जाते हैं और तुम उन्हें दबाने लगते हो, बीच बीच में दो उंगलियों से मेरे चूत में भी फ़िन्गरिन्ग करते हो आऽऽऽहऽऽ आआऽऽ मज़ा आऽऽ रहाऽऽ है… और जोर से और जोर से
” मुझे धीरे में मज़ा नहीं आ रहा, जोर से मारो मेरी गान्ड फ़ड़ दो आज” मैं हवस के बहाव में बोलने लगती हूं।
तुम जोश में आ जाते हो, मेरी जांघें पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचते हो और एक झटके में अपना पूरा लन्ड मेरी गान्ड में डाल देते हो।
मेरी चीख निकल जाती है- आऽऽऽऽह ऽऽआअऽऽऽऽ अऽऽऽऽ मर गई !
इससे पहले कि मैं सम्भल पाती, तुम मेरी गान्ड जोर जोर से मारने लगते हो, पूरा लन्ड बाहर निकाल कर जोर से एक झटके में अन्दर बाहर करने लगते हो।
“मुझे बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मज़ा भी आ रहा है !”
तुम अपनी स्पीड बढ़ाते जाते हो !
मैं कहती हूं- रुक जाओ प्लीज बस !
तुम- नहीं आज सचमुच में तुम्हारी गांऽऽऽऽड फ़ाड़ के रहूंगाऽऽऽ”
“मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहाऽऽऽ है नाऽऽऽ.?”
“हाँऽऽऽऽऽ!
तुम फ़िर मेरी गान्ड के पट्टों पर थप्पड़ मारते हो सटाक सटाक !
मुझे बहुत मज़ाऽऽऽ आऽऽऽ रहा है, मेरे चूतड़ बिल्कुल लाल हो गये और मेरी गांड का बुरा हाल हो गया, लेकिन तुम रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हो !
मेरे बहुत कहने पर तुम रुके पर एक शर्त पर कि मैं तुम्हारे लन्ड पर बैठ कर कूदूंगी क्योंकि तुम्हें अभी मेरी गान्ड और भी मारनी है !
मैं अच्छा बाबा ! अच्छा ! कह्ती हूं और तुम नीचे लेट जाते हो मैं तुम्हारे लन्ड पर तुम्हारी तरफ़ मुंह करके बैठ जाती हूं और कूदना शुरू कर देती हूं। अब तुम्हें बहुत मज़ा आने लगता है।
आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽऽआअ, मेरे लन्ड पर ऐसे ही कूदती रहो !
इस पोजीशन में तुम्हारा लन्ड बहुत अन्दर तक जा रहा होता है। एक हाथ से तुम बारी बारी मेरे मम्मों को मसल रहे होते हो और दूसरे से मेरी चूत को !
मेर क्लाईमैक्स आ रहा होता है आऽऽहऽऽ आऽऽऽऽ आअ आऽऽऽहऽऽ आअऽऽ अऽऽऽऽ मर गई।
उफ़्फ़्फ़्फ़ ! मेरी चूत के जूस तुम्हारे हाथ पर और तुम्हारे पेट पर फ़ैल जाते हैं.’ मैं थक गई कूद कूद के”
“अच्छा तो हट जाओ !”
तुम मेरी चूत क जूस मेरे मम्मों पे लगा देते हो और जोर जोर से चूसते हो। मेरे मम्मों के बीच टिशु पेपर लगाकर अपना लन्ड रगड़ते हो और साफ़ कर लेते हो”
तुम मुझे पेट के बल लेटने को कहते हो और तीन तकिये मेरे पेट के नीचे रख देते हो।
मैं डर जाती हूं- क्या अभी और गान्ड मारने का इरादा है?
“नहीं जान, अब तुम्हारी चूत की बारी है।”
“अरे चूत तो आगे से मारी जाती है।”
“यह नया स्टाईल है !”
“अच्छा कैसे?”
तुम तकिये मेरे पेट के नीचे रखकर मेरी चूत पर हाथ फ़ेरते हो और मेरी टांगें फ़ैला देते हो। फ़िर एक झटके में अपना लन्ड मेरी चूत में डाल देते हो।
मेरी फ़िर से चीख निकल जाती है- हाऽऽऽऽय आऽऽज क्या जान निकालने का इरादा है?
“नहीं, लेकिन जब दर्द होता है तभी तो मज़ा आता है !”
“हाँ, वो तो है।”
और तुम जोर जोर से मेरी चूत मारने लगते हो। तुम दोनों हाथों की उन्गलियों के बीच में मेरे सख्त चूचकों को दबा दबा के खींच रहे हो और जीभ से चाट और चूस भी रहे हो। मैं मुँह नीचे कर के देखती हूं। तुम्हारा लन्ड पिस्टन की तरह मेरी चूत में जा रहा होता है।
यह देख कर मेरा फ़िर से पानी निकल जाता है, मैं पूछती हूं, तुम्हारा एक बार भी नहीं झड़ा?
तुम कहते हो- नहीं ! आज जी भर चोदने के बाद ही झड़ूंगा।
फ़िर तुम मुझे घसीट के बेड के किनारे पर ले आते हो, खुद जमीन पर खड़े हो जाते हो और मेरी टांगें चौड़ी करके अपने कन्धों पे रख लेते हो और पूरी गति में चोदने लगते हो। इस स्थिति में तुम्हारा लन्ड पूरा मेरी चूत में बहुत अन्दर तक जा रहा है। तुम जोर से झटका मारते हो और मेरी चूत में कुछ गरम गरम लगता है।
मैं पूछती हूं- ये क्या है, क्या तुम्हारा निकल गया?
तुम- नहीं, मैंने तुम्हारी चूत में मूत दिया है, तुम्हें मज़ा आ रहा है ना?
मुझे इतना मज़ाऽऽऽ आऽऽ रहाऽ है कि मेरा एक बार और निकल जाता है। 10 मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद तुम मुझे उठा के मेज़ के किनारे पर बैठा देते हो और मेरी टांगें अपनी पीठ में गोल घेरे के रूप में बांध लेते हो और जोर के झटकों के साथ मुझे चोदने लगते हो।
“पूरी ताकत से पूरी ताकत से चोदो ! फाड़ दो मेरी चूत को भी !”
और तुम वास्तव में राजधानी एक्सप्रेस की तरह फुल स्पीड में मेरी चूत की बेदर्दी से चुदाई करते जा रहे हो और मेरे मम्मों से खेल रहे हो।
अब तुम्हारी साँसें तेज़ होने लगती हैं।
तुम आ आआअह उफ़ फ्फ्फ्फ़ फ्फ्फफ्फ़ मर गया आआअ मेरा निकलने वाला है चिल्लाने लगते हो !
मैं अपनी टांगों का घेरा बना कर तुम्हें अपनी तरफ़ ज़ोर ज़ोर से खीच रही हूं। तुम अचानक मुझे अपनी बाहों में उठा लेते हो इस तरह की मेरी चूत मैं तुम्हारा लन्ड घुसा हुआ है और मेरे मम्मे बुरी तरह उछल रहे हैं।
5 मिनट मुझे हिलने को कहते हो और मुझे ज़ोर ज़ोर से इसी पोजिशन में उछालते जाते हो। तुम्हारी स्पीड बढ़ती जाती है और मुँह से आ आआह आया आय आआअह ईईइ ईई आआ आआ ऊऊह्ह्ह्ह्ह की आवाजें आती जाती हैं।
मुझे ऐसे ही उछलाते तुम एक ज़ोर का झटका मारते हो और तुम्हारा गर्म सफ़ेद जूस तुम्हारे मोटे सख्त लन्ड से निकल कर सीधा मेरी चूत की आग को शांत करते हुए गिर जाता है। मेरी चूत में से एक बार और जूस निकलता है।
तुम मुझे लेकर बेड पर पास आ जाते हो और मेरे और तुम्हारे जूस बेड पर टपकते हैं।
हम कुछ देर इसी तरह पड़े रहते हैं।
फ़िर उठ कर मैं तुम्हारे और अपने लिए खाना बनाती हूँ।
और हम खाना खाते हैं।
इस पूरे दौरान मैं और तुम पूरे नंगे रहते हैं।
खाना खाकर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो जाते हैं, दो घंटे बाद उठके फ़िर अलग अलग जगह और पोज में खूब चुदाई करते हैं।
रात को भी एक बार चुदाई का दौर चलता है और तुम अपना लन्ड मेरी चूत में डाल कर ही मुझे अपनी बाहों में भर कर सो जाते हो।
सुबह उठकर हम लोग एक दूसरे को 69 पोसिशन में ओरल सेक्स करते हैं।
तुम कहते हो- एक दिन में इतना मज़ा मैंने ज़िन्दगी में कभी नहीं किया और शायद तुम्हारे बिना कर भी नहीं पाता।
मैं भी कहती हूं- हाँ, वास्तव में जितने प्यार से और मज़े से तुमने मेरी चूत और गान्ड मारी है शायद ही कोई और मारता।
आई लव यू जानू !
तुम तैयार होते हो जाने के लिए तो मैं उदास हो जाती हूं।
तुम कहते हो- चिंता मत करो, मैं जल्दी ही आऊँगा और अपने साथ एक दोस्त को भी लाऊँगा, हम दोनों मिलकर तुम्हारी मारेंगे। सोचो एक लन्ड तुम्हारी चूत में और एक तुम्हारी गान्ड में एक साथ हो तो कितना मज़ा आएगा।
मैंने कहा- हाँ ! फ़िर मैं अपनी सहेली को भी बुला लूंगी और हम सब मिलकर ग्रुप सेक्स करेंगे।
इसी वादे के साथ तुम चले जाते हो !
जानू यह तुम्हारी मेल और तुम्हारी चैट का नतीजा है जो मैंने यह मेल लिखी है, तुम्हें कैसी लगी?
अब तुम इससे भी सेक्सी और लम्बी मेल मुझे लिखना !
तुम्हारे लंड की प्यासी Antarvasna
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी छोटी बहन ने मुझे सेक्स के लिए बुलाया और नंगी होकर ओरल सेक्स का मजा लिया.
उसकी चूत बहुत टाइट थी, मुझे जीभ घुसाने में बहुत मजा आ रहा था.
अब आगे हॉट चूत फकिंग स्टोरी:
उसके हाथ मेरे सर पर थे और मैं लगातार उसकी चूत चुसाई किए जा रहा था.
नीचे से वह पूरे जोश में अपनी गांड उठा रही थी और गोल गोल घुमा रही थी.
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.
‘क्या चूसते हो भैया, मुझे पता ही नहीं था कि इतना मज़ा भी आएगा … और अन्दर पेलो … और जोर से चूसो अपनी छोटी बहन की छोटी सी चूत का सारा कामरस निचोड़ दो.’
वह और भी जाने क्या क्या बोले जा रही थी.
फिर उसने जोर से कस कर मेरा सर चूत पर दबाया और मेरे मुँह में झड़ गयी.
मैं उसके रस की हर बूंद को पी गया.
मुझे मेरी छोटी बहन पर बहुत प्यार आ रहा था, वह बिल्कुल शांत हो कर पड़ी थी.
मैं उसके ऊपर आ गया और होंठों पर किस करने लगा.
वह भी साथ देने लगी और वापस जोश में आ गयी.
थोड़ी देर किस करने के बाद लंड उसके मुँह के पास ले गया.
वह लेटी लेटी ही लंड को चूसने लगी.
मैंने उससे कहा- छोटी, इसको अपने मुँह की लार से पूरा चिकना कर दे और हॉट चूत फकिंग के लिए तैयार हो जा!
वह रुक कर लंड हाथ में पकड़ कर बोली- भैया, आपकी छोटी तो कब से तैयार है … आप करो, जो करना है!
वह फिर से लंड चूसने लगी.
उसने पूरे लंड को गीला और चिकना कर दिया था.
मैं नीचे आया और उसकी गांड के नीचे 2 तकिए लगा दिए.
उसने कहा- ये क्यों?
मैं बोला- जैसे जीभ पूरी चूत में ली … वैसे लंड नहीं लेना क्या?
तो वह कटीली स्माइल करती हुई धीरे से बोली- हां लेना है ना!
फिर खुद ही शर्मा गयी और अपने दोनों हाथों के बीच अपना चेहरा छुपा लिया.
मैंने दोनों हाथों को अलग करते हुए कहा- मेरी जान, अब करें!
उसने हां में सर हिलाया और मैंने लंड उसकी चूत पर सैट कर दिया.
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठ चूसने लगा.
दोनों हाथों से उसके कंधे की पकड़ बना कर उसके होंठों कर अपने होंठों का ऐसा शिकंजा बनाया कि उसकी आवाज बाहर ना निकले.
फिर उसको किस करते हुए नीचे से एक जोरदार झटका दे दिया.
उसकी आंखें फट गईं, आंसू निकल आए.
दर्द उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था पर होंठों के लॉक होने की वजह से आवाज ही नहीं निकाल पाई.
नीचे मां और पापा सोए थे यदि उसकी आवाज निकलती तो वाट लग जाती.
कल रात को ऑफिस के रूम में मेरी बहन बहुत जोर से चिल्लाई थी.
यह आपने सेक्स कहानी के पिछले भाग में पढ़ा ही था.
मेरा लंड अभी भी 3 इंच बाहर था.
मैंने थोड़ा सा पीछे किया और फिर से एक बहुत ही जोरदार झटका दिया.
मेरा पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत को चीरता हुआ अन्दर पहुंच गया.
रितिका दर्द के मारे तिलमिला उठी.
उसने मुझसे छूटने की बहुत कोशिश की परन्तु मैंने उसको पहले ही ऐसा पकड़ा हुआ था कि उसकी हर कोशिश नाकाम रही.
मुझे अपनी छोटी बहन पर बहुत तरस आ रहा था लेकिन अगर उसको अलग कर देता तो शायद ही वह वापस लंड को चूत में डालने देती.
क्योंकि पिछली रात को इस तरह से उसकी चुदाई नहीं की थी, परन्तु आज उसे बहुत दर्द सहन करना पड़ रहा था.
मैं वैसे ही उसके ऊपर कुछ मिनट तक लेटा रहा. मेरा लंड उसकी चूत में फुंफकार मार रहा था.
फिर उसको कुछ राहत मिली, तो वह थोड़ी सी ऊपर नीचे होने की कोशिश करने लगी.
मैंने उसको ढीला छोड़ दिया.
रितिका- अब क्यों ऊपर हो रहे हो, भैया जान ही ले ली मेरी … अपनी बहन को ऐसे कौन चोदता है यार!
मैं- सॉरी यार छोटी, तू है ही इतनी क्यूट और हॉट कि खुद पर कंट्रोल नहीं हुआ.
रितिका थोड़ी गुस्सा होती हुई बोली- तो मैं कहीं भागी नहीं जा रही थी. आपके पास ही हूँ, पर थोड़ा आराम से कर लेते.
मैं- सॉरी यार दिल से … और तुझे बुरा लग रहा है या ज्यादा दर्द हो रहा है, तो लंड को बाहर निकाल लेता हूं!
रितिका स्माइल करती हुई- मेरी छोटी सी मुनिया को फाड़ दी और अब निकाल कर क्या करोगे! अब तो मज़ा आ रहा है, कर लो अपने दिल की.
मैं- दिल की नहीं छोटी, अब तो लंड और चूत की होगी.
रितिका- तो करो ना … किसने रोका है, डालो और अन्दर तक!
मैं- तो ये ले छोटी.
और इसी के साथ मैंने 3-4 जोरदार झटके लगा दिए.
रितिका- आहहह … भैया!
मैं- क्या हुआ छोटी, अभी तो बोल रही थी कि डालो अन्दर तक … अब इतनी जोर से क्यों चिल्ला रही है. कोई सुन लेगा!
रितिका अपनी दोनों बांहें मेरे गले में डालती हुई और अपने होंठों से किस करती हुई बोली- भैया, यह आवाज अब सिर्फ आपको ही सुनाई देगी और मैं चाहे जितना भी मना करूँ, आज आप पूरे जोश से मेरी चुदाई करो.
यह कह कर वह पैर फैलाती हुई बोली- लो, लंड को जितना अन्दर डाल सकते हो, डाल दो भैया!
मैंने उस पर लेटे लेटे ही किस करते हुए चुदाई का संग्राम चालू कर दिया.
कभी मैं उसके बूब्स को पूरे जोश से दबाता, तो कभी होंठ काटते हुए चोदने लगता.
रितिका भी मेरे हर झटके का पूरा जवाब दे रही थी.
वह बहुत आनन्द के साथ अपनी चुदाई करवा रही थी.
मैंने अपनी बहन के ऊपर ही चढ़ कर करीब 20 मिनट तक उसकी चुदाई की, उसके बाद वह झड़ गयी.
उसके झड़ने 5 मिनट के बाद मुझे भी लगा कि मैं भी अब टिक नहीं पाऊंगा.
तो मैंने रितिका से कहा- छोटी, मेरा होने वाला है!
रितिका बोली- हां हो जाने दो भैया, आप अन्दर ही निकाल दो.
मैंने कहा- कुछ हुआ तो?
वह बोली- आप हो ना मेरे साथ … कुछ नहीं होगा. पर आज आपको अन्दर तक महसूस करना है.
यही सब बातें करते करते ही पूरी ताकत के साथ मैं उसके अन्दर ही झड़ गया.
झड़ने के बाद बड़ी शिथिलता हो रही थी तो मैं कुछ मिनट तक उसके ऊपर ही लेटा रहा.
फिर उठ कर देखा तो उसकी नाजुक जांघें पूरी लाल हो चुकी थीं और हम दोनों का कामरस उसकी चूत से बाहर बह रहा था.
मैंने उसके माथे पर किस की और बोला- इतना प्यार करने के लिए थैंक्स छोटी.
उसने सेम टू यू बोला और हंस दी.
मैंने घड़ी में देखा तो 2.40 हो चुके थे.
हम दोनों को पता ही नहीं चला कि कब इतना समय हॉट चूत फकिंग में निकल गया.
मैंने उससे कहा- सुबह ऑफिस चलना है, सो जाते हैं.
उसने भी कहा- ठीक है, पर मुझे वाशरूम जाना है.
मैंने कहा- तो चली जा!
इस पर वह बोली- आप पागल हो क्या भैया?
मैंने कहा- क्यों?
वह बोली- आपके लंड से इतनी चुदाई के बाद मैं तो क्या, कोई भी लड़की थोड़ी देर तक अकेली उठ नहीं सकती. प्लीज आप ले चलो न!
मुझे उस पर प्यार आ गया और उसको उठा कर वाशरूम में ले गया.
उसने सुसु की.
फिर मैंने वापस उसको बेड पर सुलाया.
मैं जाने लगा तो उसने हाथ पकड़ा और मुझे रोक लिया.
तो मैंने कहा- सोने जाना है कमरे में!
वह बोली- यहीं सो जाओ, सुबह चले जाना या मुझे नींद आ जाए, तब चले जाना.
मैंने कहा- ठीक है, पर मम्मी के आने के पहले जाना पड़ेगा.
उसने कहा- हां तो चले जाना, पर अभी सो जाओ.
मैं कपड़े पहनने लगा तो भी उसने मना कर दिया- जब जाओ, तब पहन लेना, अभी नहीं.
मैं भी ‘ठीक है’ बोल कर सो गया.
उसने एसी की ठंडक बढ़ा दी और दोनों कम्बल में सो गए.
मुझे भी नींद लग गयी.
फिर अचानक नींद खुली तो 4.45 हो चुके थे.
पर जैसे ही उठा तो एसी की वजह से ठंडक लगी; मैं वापस कम्बल में घुस गया.
रितिका की वजह से कम्बल में गर्मी थी तो मैंने पहले रिमोट से एसी बन्द किया और कुछ देर बाद कम्बल हटा कर देखा.
उस वक्त छोटी सो रही थी और उसने कपड़े नहीं पहने थे.
मेरा लंड अपनी अकड़ में आ गया तो मैंने सोचा कि ठंड लग रही है.
इसी से लिपट कर इसके ऊपर सो जाता हूं.
पर जैसे ही मैंने रितिका को सीधा किया और पैर चौड़े करके ऊपर चढ़ा तो रितिका शायद इसी इंतजार में थी.
उसने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और अपनी चूत पर टिका दिया.
वह नींद में थी लेकिन लंड के प्रहार से उसकी नींद खुल गयी.
उसने लंड चुत में लेते हुए कहा- अहह … गुड मॉर्निंग उम्मम अहह … भैया आह … मेरी चुत बहुत दर्द कर रही है. इसका दर्द मिटा दो भैया … अब मेरी सुबह की शुरुआत रोज ऐसी ही करना.
मैंने धक्के देते हुए कहा- हां छोटी, तेरी चूत के लिए मेरा लंड हर पल खड़ा रहेगा.
छोटी बोली- भैया आज मैं ऑफिस में लांग गाउन पहनूँगी.
मैंने कहा- क्यों?
वह बोली- आज पैंटी नहीं पहनूँगी और वर्कर तो वैसे भी आज छुट्टी पर है तो मैं आज आपके पास नहीं बल्कि आपकी गोद में बैठूंगी.
ऐसी ही बातों के साथ हमारी मॉर्निंग की चुदाई खत्म हुई.
उसे किस करके मैं अपने कमरे में आकर सो गया.
फिर 8 बजे नींद खुली तो जल्दी से रेडी होकर माँ पापा के साथ नाश्ता किया.
फिर हम दोनों भाई बहन ऑफिस आ गए.
आगे की सेक्स कहानी में कैसे उसकी फ्रेंड के साथ सेक्स किया, वह भी बताऊंगा.
यह मैंने पिछली बार भी कहा था, पर सॉरी … कहानी लंबी खिंच जाने के कारण वह सब आपको अगली सेक्स कहानी में ही लिख पाऊंगा.
में बता रही थी जिसमें पड़ोस के बाप-बेटे पर मेरा दिल आ गया। मैंने अंकल को आंटी की चुदाई करते देख लिया और फिर उनसे बात करके खुद भी चुदने की सोचने लगी।
अंकल ने छत पर मुझे अपना लंड दिखाया और मैंने मुठ मारकर उनके लंड का पानी निकलवा दिया।
फिर मैं नीचे आ गई।
मेरी चूत में खुजली मची थी और लंड लेने का बहुत मन कर रहा था।
अब आगे हॉट भाभी Xxx स्टोरी:
लंड छूने के बाद चूत में आग लगी हुई थी।
लेकिन मेरे पति बाहर थे इसलिए मुझे चूत में उंगली देकर ही अपनी प्यास को शांत करना पड़ा।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, मुझे और अंकल को दोबारा मौका नहीं मिल पा रहा था।
एक दिन की बात है कि मेरे सास-ससुर चेकअप के लिए डॉक्टर के पास चले गए।
घर में मैं अकेली थी।
मैं सोच रही था कि काश आज अंकल घर आ जाते और मुझे यहीं चोद जाते।
मानो मेरे मन की बात सच हो गई।
कुछ देर बाद ही घर की बेल बजी और गेट खोला तो अंकल सामने थे।
वो अंदर आ गए और मैंने दरवाजा बंद कर दिया।
अंकल बोले- तुम्हारे ससुर जी हैं क्या?
मैंने कहा- नहीं अंकल, वो दोनों तो बाहर गए हैं। मैं ही हूं घर पर, बिल्कुल अकेली!
ये सुनते ही अंकल की आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान आ गई।
इससे पहले कि मुझे कुछ करने की जरूरत पड़ती, अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और जल्दी से मुझे अंदर खींच ले गए।
वो बोले- मैंने उन दोनों को बाहर जाते देख लिया था, मैं तो बस अपनी तसल्ली के लिए पूछ रहा था। यही मौका तो ढूंढ रहा था मैं कई दिन से!
मैं भी मन ही मन खुश हो रही थी और कह रही थी कि आज तो जमकर चुदूंगी इनसे! अच्छा हुआ ये खुद ही घर चले आये।
फिर भी मैंने थोड़ा नाटक किया और कहा- नहीं अंकल, ये गलत है, किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी।
वो बोले- कोई नहीं आने वाला रोमा डार्लिंग, अब मुझसे दूर मत रहो, जल्दी आ जाओ मेरी बांहों में!
मैंने कहा- लेकिन पहले तो आप बेटा कहकर बुलाते थे, अब एकदम से डार्लिंग बुला रहे हो, मुझे बहुत डर लग रहा है अंकल!
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बांहों में जकड़ते हुए बोले- तुम बातें बहुत करती हो रोमा, मौके का फायदा उठाओ, आज मुझसे सब्र नहीं हो रहा है!
यह कहकर अंकल मुझ पर टूट पड़े और और जोर-जोर से किस करने लगे।
मेरे दोनों होंठ उनके होंठों के अन्दर थे। मेरे अन्दर भी सेक्स की आग लग चुकी थी तो जल्द ही मैं भी उनका साथ देने लगी।
अंकल ने मेरी साड़ी उतार दी, फिर धीरे से मेरा ब्लाउज भी उतार दिया।
फिर मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा तो पेटीकोट नीचे गिर गया।
अब मैं उनके सामने सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी।
अंकल कहने लगे- रोमा, तुम तो बहुत सेक्सी हो! क्या जवानी है तुम्हारी!
फिर उन्होंने मेरी ब्रा-पैंटी भी उतार दी और मुझे नंगी करके मुझे धक्का देते हुए मुझे वहीं सोफे पर लेटाकर वो मेरे पूरे शरीर को किस करने लगे।
वो मेरे मम्मों को जोर-जोर से मसलने लगे। उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी।
अंकल ने कहा- रोमा, तेरे बूब्स तो काफी बड़े हैं … तूने ऐसा क्या किया कि तेरे बूब्स इतने बड़े-बड़े हो गए?
मैंने कहा- करना क्या था … आह्ह … रोज अपने पति से इनको खूब दबवाती हूँ… तब जाकर ये इतने बड़े हुए हैं!
अंकल ने कहा- आज से मैं भी इनको दबाऊंगा और इससे भी और ज्यादा बड़े कर दूँगा।
मैंने कहा- ठीक है दबा लेना, मगर अभी तो आप मुझे जल्दी से चोद दो।
अंकल मुझे और जोर-जोर से किस करने लगे, मैं भी पागल हो गई बिल्कुल!
फिर अंकल ने मेरी टांगें चौड़ी कीं और मेरी चूत को चूसने लगे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था।
फिर अंकल ने अपने कपड़े उतारे और अपना लंड निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया और कहा- रोमा इसे चूसो!
मैं भी लंड लेने के लिए तरस रही थी।
इसलिए मैंने भी बिना देर किए अंकल के लंड को मुँह में लिए हुए चूसना शुरू कर दिया।
अंकल का लंड मेरे पति के लंड से थोड़ा ज्यादा लंबा और मोटा था। अंकल ने मेरे सिर को पकड़ा और जोर-जोर से अपने लंड से मेरे मुँह की चुदाई करने लगे।
कभी-कभी वो अपना लंड मेरे गले तक उतार देते, जिससे मुझे ठसका लग जाता मगर वो अपने काम में लगे रहते।
थोड़ी देर बाद अंकल ने कहा- रोमा, मेरे लंड का रस निकलने वाला है!
इतना बोलते ही उनके लंड का रस मेरे मुँह में ही निकल गया और मैं उनके लंड का सारा रस पी गई।
बहुत दिन बाद मुझे किसी नए लंड का रस मिला था और मुझे माल पीना बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने फिर अंकल से कहा- चलो रूम में चलते हैं।
मैं उन्हें अपने रूम में ले गई।
रूम में जा कर हम दोनों फिर से एक दूसरे से लिपट गए और चुम्मा-चाटी करने लगे।
कुछ देर किस करने के बाद मैंने फिर से अंकल के लंड को चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में अंकल का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया।
अंकल ने कहा- रोमा, मुझे तेरी चूत की चुदाई करनी है।
मैंने कहा- हाँ अंकल, मैं भी अपनी चूत की चुदाई चाहती हूँ। चोद दो मेरी चूत को!
इतना सुनते ही अंकल ने मुझे बिस्तर पर पटका और मेरे ऊपर चढ़ गए और बोले- आज तो रोमा तेरी चूत की ऐसी चुदाई करूँगा कि तू जिंदगी भर याद करेगी!
अंकल ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया, मैं पागल सी होने लगी।
तभी अंकल ने एक झटके में मेरी चूत में अपने लंड को उतार दिया और मेरे मुँह से आह्ह … निकल गई।
अंकल मेरे होंठों को किस करने लगे।
वो साथ ही मेरे मम्मों को भी मसलने लगे।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि मेरी चूत में किसी पराये मर्द का लंड घुसा हुआ था।
अंकल मेरी चूत की जोर-जोर से चुदाई करने लगे और मैं मदहोश होने लगी।
मैंने अंकल से कहा- अंकल और तेज़ … और तेज़ चोदो मुझे … मेरी चूत का रस निकलने वाला है … अह्ह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … ओह्ह्ह।
अंकल ने कहा- हाँ मेरी जान … ये ले मेरे लंड का पूरा मजा!
ये कह कर वो और जोर-जोर से मेरी चूत में धक्के लगाने लगे।
थोड़ी देर में ही मेरी चूत का रस निकलने लगा और मैं जोर से चीखी।
तभी अंकल ने मेरा मुँह दबा दिया।
वो फिर मुंह दबाये हुए अपने धक्के लगाते रहे और दस मिनट बाद उनका भी निकलने को हो गया।
तभी एकदम से उन्होंने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया और मेरे मुंह में लंड को पेल दिया।
एक दो धक्का ही लगाया था कि उनके मुंह से आह्ह … आह्ह … करके सिसकारियां निकलने लगीं और मेरे मुंह में उनका वीर्य गिरने लगा।
अंकल ने सारा रस मेरे मुंह में ही छोड़ दिया, जिसे मैं पी गई।
फिर हम थक कर लेट गए।
थोड़ी ही देर बाद दोनों फिर से लिपटने लगे और गर्म हो गए।
अंकल ने मुझे एक बार फिर से चोदकर मुझे माल पिला दिया।
एक घंटे में हमने दो बार चुदाई कर ली थी।
उसके आधे घंटे बाद तीसरा राउंड भी अंकल ने खेल दिया।
मेरी चूत अब चुद चुदकर सूज गई थी।
मैं थक गई और अब सास-ससुर के आ जाने का डर भी सताने लगा।
इसलिए मैंने अंकल को जाने के लिए कहा।
वो पहले तो मना करने लगे लेकिन फिर बड़ी मुश्किल से मैंने दोबारा चूत मरवाने का आश्वासन देकर उनको घर भेजा।
उसके बाद कई बार जरा सा भी मौका मिलते ही अंकल मेरी चूत में लंड उतार देते थे और हम जल्दी से चुदाई का मजा ले लेते थे।
अंकल अब तक 4-5 बार मुझे चोद चुके थे।
उसके बाद कई महीने तक हमें मौका नहीं मिल पाया।
मेरे पति भी वापस आ चुके थे. अब पति भी मेरी चुदाई कर रहे थे।
फिर एक बार की बात है कि आंटी की तबियत खराब हो गई।
उनको अस्पताल लेकर गए।
मुझे भी उनके बारे में पता लगा तो मैं भी आंटी से मिलने के लिए गई।
जाकर मैंने उनसे बात की।
अंकल ने उनको दवाई दे दी।
कुछ देर मैं आंटी के पास बैठी रही और हम लोग बातें करते रहे।
फिर मैं उठकर जाने लगी।
जब मैं बाहर निकलने को थी तो अंकल ने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया, मेरी चूचियों को भींचते हुए उन्होंने मेरी गांड पर लंड लगा दिया।
मैं एकदम से घबरा गई और छुड़ाते हुए बोली- क्या कर रहे हो अंकल! कोई देख लेगा!
वो फिर से मुझे जकड़ते हुए बोले- रोमा, दो महीने से तुम्हारे लिए तड़प रहा हूं। बहुत मन कर रहा है। रुक जाओ थोड़ी देर, आज तो मौका मिला है, इतने दिनों के बाद!
कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पक़ड़ कर लंड पर टिका दिया।
उनका लंड एकदम से तना हुआ था।
वो बोले- देखो, कैसे तड़प रहा है तुम्हारी चूत के लिए।
मैं बोली- लेकिन ऐसे कोई आ जाएगा!
वो बोले- कोई नहीं है घर में। बेटा ऑफिस गया है। तुम्हारी आंटी अब 2 घंटे से पहले नहीं उठने वाली है। मैंने उसको दवाई देकर सुलाया है।
ये बोलकर अंकल ने मुझे बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
वो मेरी गर्दन को चूमने लगे।
मेरी चूचियों में मुंह देते हुए उन्होंन मुझे सोफे पर गिरा दिया।
फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज और ब्रा को ऊपर उठा कर मेरे बूब्स को बाहर निकाल कर चूसना शुरू कर दिया।
मेरे ऊपर भी अंकल के चुम्बनों और चूचियों की चुसाई की मदहोशी छाने लगी।
मेरा हाथ उनके लंड को टटोलने लगा और मैंने उनका लंड बाहर निकाल कर उसके हाथ से हिलाना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद वो उठकर खड़े हो गए।
मैं सोफे पर बैठी थी और उनका लंड ठीक मेरे मुंह के सामने था।
मैंने उनकी पैंट का हुक खोला और चड्डी समेत से नीचे खींचते हुए एकदम से लंड को मुंह में भर लिया।
मैं बहुत मस्ती में अंकल के लंड चूसने लगी जैसे कि मुझे बहुत दिनों के बाद आइसक्रीम नसीब हुई हो।
अंकल के मुंह से आहें निकलने लगीं।
दो-तीन मिनट तक अंकल ने लंड चुसवाया और फिर मेरे मुंह से बाहर खींच लिया।
उन्होंने मेरी साड़ी ऊपर की और पैंटी को नीचे खींच दिया।
मेरी टांगें चौड़ी कर उन्होंने चूत में मुंह लगा दिया और मेरी चूत को चूसने लगे।
मैं पगला गई।
मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं जिनको रोक पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा था।
फिर भी मैंने किसी तरह अपनी चुदास भरी आवाजों को कंट्रोल में किया।
बस मैं धीमी आवाज में सिसकार रही थी- आह्ह … उम्म .. ओह्ह … ऊईई … अह्ह्ह्ह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … ओह्ह्ह … अंकल!
अंकल अपनी जीभ को पूरी की पूरी चूत में घुसा कर जोर जोर से चूत चाट रहे थे।
मेरी चूत से पानी निकलने लगा था।
इतने में ही डोरबेल बजी तो में घबरा गई।
मैंने जल्दी से अपनी साड़ी नीचे की, ब्रा और ब्लाउज को भी ठीक किया और अपने आप को नॉर्मल किया।
अंकल ने भी अपनी चड्डी और पैंट पहन ली।
नॉर्मल होकर उन्होंने दरवाजा खोला तो उनका बेटा दरवाजे पर था।
उसने दरवाजे पर ही अंकल से पूछा- मम्मी की तबियत कैसी है?
फिर उसकी नजर मेरे ऊपर गई।
उसने मुझे भी हैलो कहा।
अंकल बोले- तबियत ठीक है अब, उनको दवाई दे दी है और वो सो रही है।
मैं भी उठकर दरवाजे के पास आ गई और बोली- ठीक है अंकल, मैं आंटी से मिलने से फिर से आऊंगी।
फिर मैं अपने घर आ गई।
घर आकर मुझे पता चला कि मैंने अपनी पैंटी नहीं पहनी है।
मुझे याद आया कि घबराहट में मैनें अपनी पैंटी नहीं पहनी और वहीं भूल आई हूँ।
तो मैंने जल्दी से अंकल को फोन लगाया।
मैंने उनको सारी बात बताई।
वो बोले- ठीक है, मैं देखता हूं।
कुछ देर बाद उनका फिर से कॉल आया।
वो बोले- पैंटी नहीं मिली मुझे तुम्हारी!
मैं बोली- ऐसा कैसे हो सकता है, अच्छे से देखिये।
वो बोले- मैं सब जगह देख चुका हूं। मुझे कहीं नजर नहीं आई। जरा याद करो, शायद तुम पहनकर ही न आई हो?
यह सुनकर मैं भी सोच में पड़ गई, मैंने सोचा कि शायद अंकल ठीक कह रहे हों, मैंने पैंटी पहनी ही न हो, क्योंकि मैं साड़ी के नीचे पैंटी नहीं पहना करती थी।
फिर उसके अगले दिन मैं अंकल के घर गई।
वो दोपहर का टाइम था और गर्मियों के दिन थे।
मैंने डोरबेल बजाई तो अंकल ने ही दरवाजा खोला।
मुझे देख कर वो खुश हो गये थे।
उन्होंने मुझे अंदर आने के लिए कहा और बताया कि आंटी तो अभी दवाई खा कर सोई हैं।
ये बता कर उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे चूमने लगे।
मैंने कहा- एक बार देख तो लीजिये, आंटी सोई भी है या नहीं?
वो बोले- खुद ही चलकर देख लो।
मैं आंटी के रूम में गई तो वो सचमुच सो रही थी।
फिर हम दोनों बाहर आए तो अंकल ने मुझे दबोच लिया और चूमने लगे।
फिर वो मुझे गोद में उठाकर दूसरे रूम में ले गए।
ये कमरा उनके बेटे का था।
वो मुझे बेट पर लिटाकर मुझ पर टूट पड़े।
मैं भी जोश में आकर उनका साथ देने लगी।
अंकल ने जल्दी से मेरा ब्लाउज उतार दिया और ब्रा उतार कर मेरे बूब्स को चूसने लगे।
कुछ देर बूब्स चूस कर अंकल ने मेरी साड़ी, पेटीकोट और पैंटी एक साथ उतार दिए।
फिर अंकल कुछ देर के लिए रुके और मेरी चूत को देखते हुए बोले– क्या माल है तू, मेरे हाथ तो हीरा लग गया है!
उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए।
अपने कपड़े उतार कर अंकल ने मेरी टाँगें उठा लीं और लंड को सीधा मेरी चूत पर टिका दिया।
मेरी कोमल सी चूत अंकल के लंड का स्पर्श पाकर गीली हो गई।
मेरी चूत अंकल के 3 इंच मोटे लंड को लेने के लिए रेडी थी।
अंकल ने लंड को कुछ देर मेरी चूत पर रगड़ा तो मैं मदहोश होने लगी।
फिर उन्होने लंड को मेरी चूत के छेद पर रोक दिया।
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और फिर अंकल का लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुसने लग गया।
मेरी तो चीख निकल गई और मैं अंकल की पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी।
उन्होंने अपने हाथ को मेरे मुंह पर रख कर दबा दिया।
मैं पूरा ज़ोर लगा कर भी सांड जैसे अंकल को हिला नहीं पाई।
उन्होंने लंड को और अंदर घुसा दिया और फिर रुक गए।
फिर वो मुझे चोदने लगे।
मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन अंकल मुझे बुरी तरह से चोदे जा रहे थे।
उनके लगातार चोदने से मेरा दर्द कम होने लग गया, और फिर धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा।
अब अंकल का लंड भी आराम से चूत मे अंदर बाहर होने लगा।
चुदाई के मजे में मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … अह्ह … हये … उफ्फ … उम्म्म … अंकल … आह्ह … अंकल … आह्ह।
मेरी ऐसी आवाजें सुनकर अंकल और ज्यादा जोश में आ गए।
अब वो बेदर्दी से मेरी चूत को खोदने लगे।
मेरी चूत में दर्द होने लगा।
उनका मोटा लंड अब चूत को अंदर तक चोट पहुंचा रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पेट में कोई रॉड घुसा रहा हो।
वो मुझे जैसे चोद चोदकर बेहोश कर देने पर उतारू थे।
फिर एकदम से उन्होंने लंड को बाहर खींचा और मेरे ऊपर गिर कर होंठों चूसने लगे।
मुझे अपने पेट पर वीर्य की गर्म-गर्म पिचकारियां महसूस होने लगीं।
अंकल ने सारा माल मेरे पेट पर गिरा दिया।
कुछ देर हम पड़े रहे।
फिर सांसें नॉर्मल हुई तो अंकल उठ गए।
वो बोले- चलो, चलकर नहा लेते हैं। बहुत गर्मी हो गई है।
हम बाथरूम में गए।
मैंने शावर चालू कर लिया और उसके नीचे खड़ी हो गई।
एकाएक मेरी नजर सिंक पर पड़ी पैंटी पर गई। ये वही पैंटी थी जो मैंने कल पहनी हुई थी।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
तो दोस्तो, इस तरह से अंकल से मैं उनके बेटे के रूम में चुदी।
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