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मेरा नाम अमन है। जब मेरी Hindi Sex Stories नौकरी लगी थी तब मैं एक कसरती लड़का था। मेरा पहला पदस्थापन धार जिले में हुआ था। मैं वहां भी कसरत करता था। खाना पकाने के लिये मैंने एक १८ वर्ष का लड़का रख लिया था। वो मेरे सामने वाले घर में भी काम करता था। वो सुबह और शाम काम पर आता था। उसका नाम सन्नी था। ज्यादातर शाम का खाना मेरे यहां ही खा लेता था। मैं रोज़ अपने बदन पर तेल की मालिश करवाता था। मेरी मालिश भी वही कर देता था। शाम को मैं ओफ़िस से आने के बाद मालिश करवाता था।
सन्नी सामने वाले घर से काम करके शाम को ७ बजे मेरे कमरे में आ जाता था। सामने वाले घर की मालकिन रीता मुझे कभी कभी शाम का खाना भी भेज देती थी। आज भी वो खाना लेकर आ गई थी।
“अमन ….. आज मैंने स्पेशल सब्जी बनाई है…. बताना कि कैसी है..”
मैंने उसे धन्यवाद कहा। थोड़ी देर बैठने के बाद वो चली गई। सन्नी ने मेरी पेन्ट और बनियान उतार दी। मैं नीचे दरी बिछा कर उल्टा लेट गया। उसने तेल की मालिश करना चालू कर दिया। वो अच्छी मालिश करता था। मालिश करवाते समय मैं मात्र एक वी आई पी की अंडरवियर पहनता था। फिर मैं सीधा लेट जाता था, तब वो मेरे सीने की इत्यादि की मालिश भी कर देता था। उसके हाथ में मालिश की कला थी।
मुझे अचानक लगा कि जैसे किसी ने दरवाजा खोला और बंद कर दिया। मैंने पूछा,” सन्नी, कौन था ?”
“कोई नहीं… ” सन्नी मुस्कराता हुआ बोला।
मालिश करवाने के बाद मैं नहाने चला जाता था।
दो तीन दिनो से मैं महसूस कर रहा था कि सन्नी मालिश करते समय मेरे गुप्त अंगो को भी हाथ लगा देता था। उससे मुझे उत्तेजना महसूस होने लगती थी। आज भी मैं मालिश करवा रहा था। सन्नी के हाथ मेरे बदन पर पर तेजी से चल रहे थे। कभी कभी उसके हाथ मेरे अंडर वियर के अन्दर भी घुस जाते थे और चूतड़ों की भी मालिश कर देते थे। मैं उत्तेजित हो जाता था उसके ऐसा करने से मुझे बड़ा आनंद आता था। वो सब समझता था।
वो बोला -“अंकल, अंडरवियर थोड़ा नीचे कर लो… मैं चूतड़ों की मालिश भी कर देता हूँ !”
“अरे नहीं….कोई देख लेगा..”
“आप तो मर्द है फिर क्यों शरमाते हो…” उसने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी। उसने मेरे कसे हुये दोनो चूतड़ों पर तेल लगाया और उन्हे मलने लगा। मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया। उसने मेरी चूतड़ों के बीच दरारो में भी तेल डाल दिया था और दरारों के अंदर गाण्ड के छेद में भी तेल मल कर मालिश करने लगा।
मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। उसने कहा – “साब…. अब सीधे हो जाओ…”
मैं जैसे ही सीधा हुआ, मेरा लण्ड सीधा तना हुआ खड़ा हो गया था। मेरी अन्डर वियर तो आधी उतरी हुई थी….
सन्नी हंसने लगा – “अंडरवियर तो ऊपर कर लो….ये देखो कैसा हो गया है…….”
“चल बदमाश…” मैं भी शरमा गया। मैंने अंडरवियर ऊपर खींच लिया। उसने सामने मालिश शुरु कर दी। उसने मेरी अंडर वियर सरका कर लण्ड पर तेल मल दिया। मैं एकबारगी तो कंपकंपा गया। पर मुझे लगा कि वो मेरे लण्ड को और मसल दे और मसलता ही रहे। मैं चुपचाप मलवाता रहा….पर अन्त में एक सिसकारी तो निकल ही गई।
वो धीरे धीरे तेल मलता रहा। मैं बेसुध सा हो गया। तभी मुझे महसूस हुआ कि दरवाजा किसी ने खोला…. मैंने आंखे खोली तो दरवाजे पर कोई नजर नहीं आया। सन्नी ने मलना बन्द कर दिया और तेल एक तरफ़ रख दिया।
“साब…. नहला दूं क्या ?.”
“हां यार…. नहला दे अब……”
मैंने नहाते हुए कहा – ” सन्नी तू तो एक्स्पर्ट है मालिश करने में…”
“जी हां…. मैं मालिश भी तो करता हूँ…. रीता आंटी की मालिश भी मैं ही करता हूं”
मैं चौक गया – क्या …. आंटी की…. कैसे ..”
“पांव और पीठ की…. वो इसके लिये मुझे २० रुपिये देती है…”
मैंने भी उसे २० रुपये देने का वादा कर दिया। मैं तौलिया लपेट कर बैठ गया था और खाने की तैयारी करने लगे। खाने के बीच में मैंने रीता के बारे में पूछा। तो उसने बताया की रीता भी आपके बारे में पूछती रहती है। मुझे लगा कि वो मुझमें दिलचस्पी रखती है।
बाहर मौसम अच्छा नहीं था…. बरसात के आसार थे। लग रहा था बरसात जल्दी ही शुरु हो जायेगी। बिजली रह रह कर चमक रही थी। बादल भी गरज रहे थे। कुछ ही देर में बरसात शुरु हो गई। जैसा कि यहा आम बात थी कि बरसात शुरु होते ही बिजली चली जाती थी। वही हुआ, बिजली गुल हो गई।
काफ़ी देर हो गई…. बरसात रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी….मैं बिस्तर पर लेट गया। सन्नी भी वहां आ गया। मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला। बन्टी भी मेरी बगल में आकर सो गया। रात को मेरी नींद खुल गई। मैंने तौलिया उतारा और अंडरवियर में सन्नी की पीठ से चिपक कर सो गया।
बरसात अपनी तेजी पर थी। मुझे लगा सन्नी से चिपकने के कारण मेरे लण्ड में कड़ापन आने लग गया था। मेरा लण्ड उसके शरीर से स्पर्श होने के कारण खड़ा हो गया था। वो सन्नी के चूतड़ों पर लग रहा था। मैंने अपने को उससे अलग किया, लेकिन सन्नी ने जानकर अपने चूतड़ पीछे सरका कर मेरे लण्ड से सटा दिया, लण्ड फिर से एक बार और उसकी चूतड़ों की दरार में घुस गया। मेरे शरीर में तेज सिरहन दौड़ गई। मैं वैसे ही पड़ा रहा पर लण्ड दरारों में घुसा हुआ फूलने लगा। और कड़ा हो गया। उसने सिर्फ़ चड्डी पहन रखी थी।
मुझे कड़क लण्ड होने से बहुत तकलीफ़ होने लगी थी। मैंने अंडरवियर से लण्ड को बाहर निकाल कर आज़ाद कर लिया। मेरा लण्ड अब नंगा था और खुला हुआ था। मुझे लगा कि सन्नी ने जानकर अपनी गान्ड और पीछे सरका कर मेरे लन्ड को गाण्ड से चिपका रहा था। अब मुझसे भी मेरा धैर्य छूट रहा था। मैंने अब अपना लण्ड उसकी गाण्ड की दरारो में घुसा दिया और बाहर से ऐसे ही रगड़ने लगा।
जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने उसकी चड्डी का नाड़ा खोल दिया और चड्डी नीचे सरका दी। अब सन्नी ने अपने चूतड़ ढीले कर दिये और लण्ड को छेद तक जाने का रास्ता दे दिया। मैंने अपना लण्ड उसके चूतड़ों की दरार में घुसा डाला और छेद तक पहुंचा दिया।
वो सोया नहीं था और उसे मजा आ रहा था। मुझे लगा कि छेद बहुत टाईट है, मैंने अपना थूक उस पर लगा दिया। मैं लण्ड धीरे धीरे गाण्ड के छेद पर दबाने लगा..और मेरे लण्ड की चमड़ी ऊपर तक सरक गई और लाल सुपाड़ा निकल आया और छेद में घुस गया। सन्नी ये जताने लगा कि वो नींद में है।
सुपाड़े के अन्दर जाते ही वो बोल उठा,” आह…. धीरे धीरे डालना …. मजा आ रहा है….”
“हां सन्नी…….तुझे अच्छा लग रहा है…”
“आऽऽऽऽऽऽह …. हां…. और डालो ना…”
मैंने अब अपने आप को सेट किया और जोर लगा कर कर अन्दर घुसाने लगा। उसकी गान्ड का छेद मुलायम था…..मुझे घुसाते हुये बड़ा आनन्द आ रहा था। मैंने भी अपना हाथ बढा कर उसका लण्ड पकड़ लिया। उसका लण्ड भी मोटा और लम्बा था…. अभी खूब तन्ना रहा था। मैंने उसका लण्ड जोर से पकड़ कर कर अपने लण्ड को गाण्ड में पूरा घुसेड़ दिया।
अब मैं उसके लण्ड को मुठ मारने लगा और उसकी गाण्ड चुदाई करने लगा। सन्नी अब मस्त हो उठा था। मुझे भी भरपूर मजा आ रहा था। हम दोनों सिसकारियां भर रहे थे। सन्नी ने एक हाथ पीछे करके मेरे चूतड़ भींच लिये थे। और अपनी ओर खींचने लगा। अब मुझे भी धक्के मारने में सहुलियत हो रही थी। मेरी कमर अब मंथर गति से हिल रही थी और लण्ड आराम से सटासट आ जा रहा था।
मुझे भी असीम आनन्द आने लगा था। उसके लण्ड को मुठ भी मार रहा था…. वो आनन्द से अपने शरीर को हिला रहा था। मैं सन्नी की गाण्ड से और चिपकता जा रहा था। और अब धक्के भी जम कर लगा रहा था। मेरी सिसकारियां भी बढ गई थी।
सन्नी भी सिसकारियां भर रहा था-” हाऽऽऽऽय …. लण्ड जोर से मसल दो ना…….. और जोर से रगड़ो….जोर से मुठ मारो”
मेरे तन में आग लगी हुई थी….वो भी तड़प रहा था …. बेहाल हो रहा था …. अचानक ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया । उसकी तेज पिचकारी निकल पड़ी। उसका वीर्य मेरे हाथों को गीला कर रहा था। उसकी गाण्ड भी इसके साथ भिंच गई। मैंने उसे उल्टा लेटा दिया और उसकी गाण्ड पर चढ गया। अब एक बार फिर से लण्ड गाण्ड में घुसा कर पूरे जोर से उसकी गाण्ड चोदने लगा। चूंकी वो झड़ चुका था इसलिये उसकी गाण्ड भी ढीली हो गई थी लण्ड तेजी से आ जा रहा रहा था और अब मेरा भी लण्ड जवाब देने लगा था….और ….और मेरे लण्ड ने भी वीर्य छोड़ दिया।
मैं जोर लगा कर अपना वीर्य उसकी गाण्ड में भरने लगा। धीरे धीरे सारा वीर्य निकल गया….. मैं वैसे ही उसके ऊपर लेट गया। शान्त होने पर मैं एक तरफ़ लुढक गया। मुझे अब होश आया। और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा। बाहर बरसात अब भी अच्छी खासी हो रही थी। कुछ ही देर में मैं सो गया।
सुबह आंख खुली तो बरसात थम चुकी थी। पर ये क्या ? मैं चौंक कर खड़ा हो गया। मैं नंगा ही था…. सन्नी भी नंगा ही था। उसके चूतड़ों पर वीर्य लगा हुआ था…. टेबल पर चाय और नाश्ता लगा हुआ था। मैं घबरा गया…. यहां कोई आया था…. सन्नी सो रहा था। मैंने तुरन्त तौलिया लपेटा और देखा तो दरवाजा में अन्दर से कुण्डी नहीं लगी थी।
मैंने बाहर झांका तो रीता अपने घर के बाहर की सफ़ाई कर रही थी। मुझे देख कर वो मुस्कुराई। सफ़ाई बंद करके वो मेरी तरफ़ आने लगी…. मैंने पास पड़ी कमीज पहन ली। वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई।
” अमन जी…. दरवाजा तो बन्द कर लिया करो….”
“आप कब आई थी….रीता जी”
“मैं बस जी….बिल्कुल सही समय पर आई थी…. तुम्हें जी भर कर देख लिया…. लगता है मौसम ने रात को गड़बड़ी कर दी…”
“ना….नहीं…. वो तो ऐसे ही ना….रात को तौलिया खुल गया था…”
“फिर भी…. बिना अंडरवियर के …. और बेचारा सन्नी…. अपना दम उस पर निकाल दिया….” और हंस पड़ी।
“रीता जी…. बस करो ना..”
” ओह हां सॉरी …. पर ….” रीता ने मुस्करा कर मेरे लण्ड की तरफ़ देखा।
“पर क्या……..”
“मजा आया रात को….”
” रीता जी….वो लड़की थोड़ी है…. वो तो….”
“पर मैं तो लड़की हू ना….। उसके स्वर में सेक्स भरा अनुरोध था।
रीता के मन में हलचल हो रही थी।
“रीता जी ….मुझे शरम आ रही है….मेरा मजाक मत बनाओ….रात को मेरी वजह से सब गड़बड़ हो गई थी….”
“क्या गड़बड़ हुआ मुझे क्या सन्नी से पूछना पड़ेगा” वो आगे बढती ही जा रही थी। साफ़ जाहिर था कि उसे मालूम था कि मैंने आज सन्नी की गाण्ड चुदाई की है। मैंने भी सीधे ही कहा -“रीता जी ….! एक बात पूछूं….?”
” हां….पूछो…..”
“आपके दिल में कुछ हलचल है ना….”
उसने मुझे वासना की नजर से देखा – ” अमन !!!……”
मैंने धीरे से दोनो हाथों से उसका चेहरा थाम लिया । उसने अपनी आंखें बंद कर ली। मेरे होंठ उसके होंठो की तरफ़ झुकने लगे। हमारे होंठ आपस में मिल गये। मेरे हाथ उसके उरोजों से चिपक गये। मैंने रीता उरोजों को मसलना चालू कर दिया। उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
“उफ़्फ़ बस करो….क्या कर रहे हो….”
मैंने उसके हाथ पकड़े और बाथरूम में ले आया…. और उससे लिपट गया…. उसके अंगों को बेतहाशा मसलने लगा।
” छोड़ो ना….ये क्या कर रहे हो….” उसने मुझसे और चिपकते हुये कहा। फिर एकएक दूर हटते हुए मुझ पर तिरछी नज़र डालते हुए शरमा कर भाग गई।
मैंने सन्नी को उठाया। उसने उठ कर कपड़े पहने और नाश्ता किया और चला गया। सारा काम निपटा कर मैं बाथ रूम में नहाने चला गया। सन्नी के जाने के बाद रीता वापस आ गई।
उसने मुझे धीरे से आवाज दी। मैंने कहा,” यहीं आ जाओ…. बाथ रूम में !”
“उसने मुझे बाथ रूम में अन्दर झांका। और मुझे देखती ही रह गई। मैं नंगा नहा रहा था। मेरा लण्ड तो वैसे ही खड़ा था। मुझे देख कर उसने अपना मुंह हाथों में छिपा लिया। मैंने उसने हाथो को हटा कर उसे चूम लिया और उसके हाथ को अपने लण्ड पर रख दिया-“रीता….प्लीज पकड़ लो इसे….”
रीता ने शरमाते हुए मेरा लण्ड पकड़ लिया और झट से मुझसे लिपट गई। मैंने उसे झरने के नीचे खींच लिया। वो भीगने लगी। वो सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाऊज में थी। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। भीगते ही उसके चूंचियां ब्लाऊज में से दिखने लगी।
मैंने उसके बोबे पर अपना हाथ रख दिया और होले होले दबाने दबाने लगा। उसका पेटीकोट का नाड़ा मैंने खोल दिया। पेटीकोट नीचे पांवो के पास गिर पड़ा। दूसरे ही पल मैंने उसका ब्लाऊज उतार दिया। उसकी आंखे बन्द थी। उसने अपने आप को पूरा समर्पित कर दिया था।
झरने के नीचे मेरा लण्ड उसकी चूत से रगड़ खाने लगा था। वो भी अपनी चूत को मेरे लण्ड से चिपका रही थी। मैंने उसे घुमा दिया और उसकी पीठ से चिपक गया। मुझे उसकी गोल गोल गाण्ड बहुत प्यारी लगती थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूतड़ों में घुसा दिया। उसने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी। पानी हमारे शरीर पर गिर रहा था। मैंने उसकी गीली गाण्ड में अपना लण्ड दबा दिया। लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में घुसता चला गया। वो सिसक उठी। जरा सा और जोर लगा कर लण्ड को पूरा अन्दर तक बैठा दिया।
मेरा लण्ड मीठी गुदगुदी से भर गया। मैंने उसके बोबे पकड़ कर उसका शरीर अपने से चिपटा लिया। उसकी आंखे अभी भी बन्द थी। अपनी गाण्ड में वो लण्ड का पूरा आनन्द ले रही थी। मैंने पीछे से धक्के मारना जारी रखा। मैंने अब एक हाथ छोड़ कर उसकी चूत पकड़ ली और दबा दी।
“इसे छोड़ो अमन…. वरना मैं झड़ जाऊंगी……..”
मुझे लगा वो उत्तेजित तो पहले ही से थी। कहीं सच ही में ना झड़ जाये। मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकाला और उसे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर ले आया। उसे सीधा लेटा कर मैं उस पर चढ गया। और उसके शरीर पर अपना बोझ डाल दिया। उसने भी मुझे अपने दोनो हाथों से कस लिया। उसके होंठो पर मैंने अपने होंठ रख दिये। और कमर उठा कर लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसके मुख से एक प्यारी सी सिसकारी निकल पड़ी,”मेरे राजा…. हाय…. इसी का इंतज़ार था…. हाय मेरी चूत को अब शांति मिली….”
मेरा लण्ड बुरी तरह से उतावला हो रहा था। मैंने भी अब बेरहमी से उसे चोदना चालू कर दिया। दोनों की कमर तेजी से चल रही थी। लग रहा था कि जनम जनम से प्यासी हो। दोनों के मुख से सुख भरी चीखें निकल रही थी। अब रीता की बारी थी उसने कोशिश की कि वो मेरे ऊपर आ जाये।
मैंने उसका इशारा समझ लिया और एक पलटी मार कर उसे अपने ऊपर चढा लिया। रीता ने अपनी चूत में सट से लण्ड वापस डाल लिया और और पांव सीधे करके मेरे पर लेट गई। उसकी कमर धीरे धीरे चल रही थी। उसने पांव पास करके अपनी चूत तंग कर ली थी। अच्छी तेज रगड़ लग रही थी। मेरा सुपाड़ा घर्षण से तेज उत्तेजना दे रहा था।
रीता बोली,” राजा…. मेरी चूंचियां मसल दो…. निपल खींचो…. हाय जल्दी करो….”
मैं अब निर्दयता से उसके बोबे मसकने लगा…. निपल खींच खींच कर मलने लगा। वो निहाल हो गई। मस्ती में उसकी कमर तेज चलने लगी।
“हाय…. और जोर से…. मेरे राजा…. चोद दो मुझे………… सारा निकाल दो मेरा कस बल….”
“मेरी रानी…. लगा…. जरा जोर से धक्का लगा…. देख मेरा लण्ड तेरी चूत का कैसा प्यासा हो रहा है….”
“हाय रे….अमन…. मुझे कैसा कैसा लग रहा है…. मैया री…. चुद गई रे मैं तो….”
मुझे लगने लगा कि रीता चरमसीमा पर पहुंच चुकी है। चूत काफ़ी पानी छोड़ रही थी। फ़च फ़च की आवाजें तेज हो चली थी। उसकी मेरे शरीर पर पकड़ तेज होने लगी थी।
“येएएहऽऽ…. मेरे राजा…. ईईईईह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. चुद गई….चुद गई…. हाय्…. ओऽऽऽऽह …. माई रेऽऽऽऽऽ…….. गई मैं तो…. अमन॥…. निकल गई…. हाय…….. ये निकला….निकला….हाआईईईई रे….”
लगभग चीखती सी रीता झड़ने लगी…. मैंने भी अपने लन्ड को उसकी चूत में गड़ा कर झड़ने की कोशिश करने लगा…. पर नहीं निकला। वो झड़ती रही और मेरे शरीर पर निढाल सी पड़ गई। मैंने पलटी मार कर उसे फिर से नीचे ले लिया और उसकी जांघों पर बैठ गया…….. और मुठ मारने लगा। तेज पिचकारी के साथ मेरा वीर्य छूट पड़ा तो उछल कर रीता के उरोजों पर जा गिरा। उसने हाथ से वीर्य अपने बोबे पर फ़ैला दिया। मेरा लण्ड झटके दे दे कर वीर्य छोड़ रहा था। अन्त में रीता ने मेरा लौड़ा पकड़ कर बचा खुचा वीर्य भी निचोड़ लिया। मैं उसके ऊपर से हट गया और बिस्तर से नीचे आ गया। रीता भी कुछ देर बाद बिस्तर पर बैठ गई
“अमन…. तुम तो कमाल के हो…. मेरी तो पूरी जान ही निकाल दी….”
“नहीं रीता…. तुमने तो मुझे आज निचोड़ डाला…. मेरी तो आज जिन्दगी सफ़ल हो गई….”
रीता हंसने लगी। मैंने कहा – “आओ अब नहा लेते हैं…..”
हम दोनो शावर के नीचे जा कर खड़े हो गये…. और नहाने लगे…. जाने कब हम फिए होश खो बैठे…. और हमारे शरीर फिर से चिपकने लगे…. लण्ड खडा हो गया…. रीता मेरी बाहों में कसने लगी…. लन्ड एक बार फिर रीता की कोमल चूत में घुस पड़ा…….. और ….और….दोनों फिर से सिसकारियां भरने लगे…….. Hindi Sex Stories
मेरी भाभी की उम्र 21 Indian Sex Stories साल की थी, और मैं 18 साल का था। भाभी ने बीए फ़ाईनल की परीक्षा दी थी और मुझे रिजल्ट लेने भाभी के साथ उज्जैन जाना था। उज्जैन में ही कुछ ऐसा हुआ कि मैं और भाभी बहुत ही खुल गए।
मैं और मेरी भाभी रतलाम से सवेरे रवाना हो कर उज्जैन आ चुके थे। स्टेशन पर उतरते ही सामने एक होटल में रूम बुक करा लिया। कमरा अच्छा था। डबलबेड टेबल बाथरूम सभी कुछ साफ़सुथरा था। मैंने और भाभी ने स्नान किया और यूनिवरसिटी रवाना हो गये। वहां से हमने भाभी का रिजल्ट कार्ड लिया। दिन भर उज्जैन के पवित्र स्थलों के दर्शन किये और होटल वापस आ गये। शाम को हमारे पास कोई काम नहीं था।
अचानक भाभी बोली- चलो पास में पिक्चर हॉल है …चलते हैं, थोड़ा समय पास हो जायेगा।
हम दोनों हॉल में पहुँच गये। कोई अंग्रेजी फ़िल्म थी।
पर वह फ़िल्म बहुत सेक्सी निकली। बहुत से सीन चुदाई के थे उसमें ! थोड़ी थोड़ी देर में नंगे और चुदाई के सीन आ जाते थे। पर ये सीन ऐसे थे कि अंधेरे में फ़िल्माये गये थे, पर ये सीन इस तरह फ़िल्माये गये थे कि लण्ड और चूत के अलावा सब दिख रहा था।
जब सीन आते तो भाभी मुझे तिरछी नजर से देखने लगती। भाभी की कम उम्र थी, और उस पर इन दृष्यों का सीधा असर हो रहा था और उसकी जवानी का उबाल बेलगाम था। थोड़ी थोड़ी देर में वो मुझे छूने लगी फिर मुझ पर उसका असर देखती। मैं भी कम उम्र का ही था…
भाभी गरम होती जा रही थी। भाभी ने जब मेरी तरफ़ से कोई ऑब्जेक्शन नहीं पाया तो तो वो आगे बढ़ी और मेरे हाथ पर अपना हाथ धीरे से रख दिया। मैंने भाभी की तरफ़ देखा तो उसकी बड़ी बड़ी गोल आंखे मुझे ही देख रही थी। हम दोनों की नजरें मिली और हम आंखों ही आंखों में देखते हुए एक दूसरे में खोने लगे। उसका हाथ मेरे हाथ को दबाने लगा। मैं एक बार तो सिहर उठा। मैंने भी अब उत्तर में उसका हाथ दबा लिया।
मेरा लण्ड भी अब उठने लगा था, पर भाभी बहुत ही गरम हो चुकी थी। उसने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया और लण्ड की तरफ़ बढ़ने लगी और अपनी आंख से इशारा किया…
मेरा दिल धड़क उठा। उसने अचानक ही मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और अंगुलियों से उसे दबा दिया।
“हाय रे !” मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
“क्या हुआ?” उसने और जोर से दबाते हुए कहा।
सेक्सी सीन परदे पर आ जा रहे थे।
“मजा आया ना !” भाभी ने फ़ुसफ़ुसाते हुए पूछा।
मैंने भी हाथ उसकी पीठ पर से सरकाते हुए उसके बोबे थाम लिये और हौले हौले से सहलाने लगा। उसके भरे हुए मांसल बोबे और निपल उत्तेजना से कड़े हो कर तन गये थे।
“तुम्हें भी मजा आया भाभी?”
“हां रे…बहुत मजा आ रहा है।” फिर मेरी ओर देख कर बोली- “अभी और मजा आयेगा, देख !” उसने मेरे लण्ड को जोर से दबा दिया।
“भाभी, हाय रे… !”
“खूब मजा आ रहा है ना ऐसे, तेरा लण्ड तो मस्त है रे !” एकाएक भाभी ने देसी भाषा का प्रयोग किया और उनका स्वर सेक्सी हो उठा।
“भाभी, चलो होटल चलते हैं, यहाँ कुछ ठीक नहीं है।” मैं अब भड़क उठा था।
“नहीं विजय, अभी बोबे और मसलो ना… !” उसकी फ़ुसफ़ुसाहट से लगा कि उसे बहुत ही मजा आ रहा था। पर मैं खड़ा हो गया, मुझे देख कर वो भी खड़ी हो गई। हम बाहर निकल आये और होटल आ गये। रास्ते भर भाभी कुछ नहीं बोली।
हम कमरे में आ गये और कपड़े बदल कर मैंने पजामा और बनियान पहन ली और भाभी भी मात्र पेटीकोट और ब्लाऊज पहन कर आ गई। मेरी एक दम से कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। पर भाभी तो वासना में झुलस रही थी। चुदने के इरादे से बोली,”विजय तुम्हे लौड़ी घोड़ी खेलना आता है?” उसने पूछा।
“नहीं तो, तुम्हें आता है?”
‘अरे हां, बहुत मजा आता है, खेलोगे?”
“कैसे खेलते है, कुछ बताओ !”
” देखो मैं तुम्हारी आंखो पर रुमाल बांध देती हूँ, फिर मैं जो कहूं तुम्हें मेरा वो अंग छूना है, अगर कोई दूसरा अंग छू लिया तो आऊट और सजा में तुम्हें घोड़ी बनाना होगा और तुम्हारी गाण्ड में अंगुली डालूंगी। अगर सही छुआ तो तुम्हारा लण्ड चूत में डालूंगी…तुम भी यही करना।”
मुझे सनसनी आने लगी। ये तो बढ़िया खेल है। मुझे तो दोनों तरफ़ से फ़ायदा है, वो हारी तो भी घोड़ी बनेगी और जीती तो चुदेगी। हां पर हारने पर मुझे घोड़ी बनना पड़ेगी। पर खेल मजेदार लगा, था चुदाई का सेक्सी खेल। भाभी तो हर हाल में चुदने को तैयार थी। ये तो जवानी का तकाजा था। भाभी बेशरम हो चली थी। उसने अपने कपड़े मेरे सामने ही उतार दिये। भाभी को नंगा देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
भाभी ने मेरा खड़ा लण्ड देख लिया। और बोली,”अपना पाजामा तो उतारो…और अपने लण्ड को तो आज़ाद करो, देखो कैसा जोर मार रहा है।”
मैं शरमा गया, पर वो नहीं शरमाई। मैंने कपड़े उतार दिये। मेरा लण्ड बाहर निकल कर फ़ुफ़कारने लगा।
मेरा लण्ड सहलाते हुए बोली,”अब बस नीचे वालों का ही काम है… चलो खेले, देखो खेलते हुए भटक मत जाना, कंट्रोल रखना !”
भाभी ने अब मेरी आँखों पर रूमाल बांध दिया …और कहा,”मेरे हाथ पकड़ो !”
मैं उसे ढूंढने लगा… भाभी तेज थी … मेरी तरफ़ गाण्ड करके बैठ गई। मैंने हाथ बढ़ाया और एक जगह अंगुली रखी…
“रख दी अंगुली।” मुझे लगा कि यह हाथ नहीं है…मैंने दूसरी जगह अंगुली रखी तो नाखून लगे।
“यही है।” और पट्टी खोल दी वो पांव की अंगुली थी। पर भाभी को नंगा देख कर मैं बेहाल होने लगा।
“अब बनो घोड़ी” मैं घोड़ी बन गया। भाभी ने अपनी एक अंगुली मेरी गाण्ड में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगी।
“मजा आया देवर जी।” भाभी का ये सब करना अच्छा लग रहा था।
“भाभी, ठीक है कर लो, मेरा नम्बर भी आयेगा !”
‘देवर जी, गाण्ड तो बड़ी मस्त है तुम्हारी” भाभी ने मेरी गाण्ड की तारीफ़ की।
मेरी गाण्ड को उसने थपथपाया और अपनी पूरी अंगुली घुसेड़ कर धीरे धीरे बाहर निकाल ली। अब मेरा नम्बर था।
मैंने भाभी की आंख में रूमाल बांध दिया और कहा,”मेरी छाती पर हाथ रखो !”
उसने बिना कुछ सोचे समझे जो सामने आया, पकड़ लिया। देखा तो मेरे पेट पर हाथ था।
“भाभी, घोड़ी बनो।” भाभी के तन की आग बढ़ती जा रही थी। वो तुरंत घोड़ी बन गई। मैंने उसकी गाण्ड सहलाई और अपना तना हुआ लण्ड गाण्ड के छेद में लगा कर अन्दर घुसा दिया।
“हाय, ये क्या, तुम्हें अंगुली घुसानी है…लण्ड नहीं।” पर तब तक लण्ड जड़ तक पहुंच चुका था। भाभी ने तुरन्त पलट कर लण्ड निकाल दिया। मेरा गीला लण्ड कड़कता हुआ बाहर आ गया। मैंने अब अपनी अंगुली भाभी की गाण्ड में घुसा दी।
“अब धीरे धीरे अन्दर बाहर करो” मैं उसकी गाण्ड में अंगुली करता रहा। वह सिसकी भरती रही।
“भाभी, प्लीज, यह लौड़ी घोड़ी रहने दो ना, मेरे लण्ड का तो कुछ ख्याल करो !”
“खेल के जो नियम है उसे तो मानना पड़ेगा ना, चलो अब मेरी बारी है, अपनी आंखे बन्द करो !” मैंने आंखे बन्द कर ली।
“मेरी चूंचियां पकड़ो…” इस बार मुझे थोड़ा सा दिख रहा था। मैंने सीधे ही भाभी की चूंचिया दबा दी
“नहीं ये तो बेईमानी है…” वो कहती रही।
“नियम तो नियम है” और मैंने उसे धक्का दे कर बिस्तर पर लेटा दिया और उस पर चढ़ गया। उबलता हुआ लण्ड मैंने उसकी चूत पर रख दिया। और अन्दर पेल दिया। भाभी पिघल उठी, उसने भी मदद करते हुये अपनी चूत उछाल दी और दोनों ही सिसकारी भरते हुए एक दूसरे से चिपक गये। लण्ड चूत में घुसता चला गया। भाभी ने अपने होंठ भींच लिये और जैसे उसे जन्नत मिल गई हो।
“देवर जी, इस खेल में चुदाई से पहले जितना तड़पोगे उतना ही मजा चुदाई में आता है, इसीलिये लौड़ी घोड़ी खेल खेलते है, और चुदाई के लिये तड़पते रहते रहते हैं।”
“हां भाभी, मेरा तो खेल खेल में माल ही निकलने वाला था।”
“तेरे भैया का तो कितनी ही बार निकल जाता था।”
उसकी वासना तेजी पर थी। वो जोर जोर से उछल कर लण्ड ले रही थी। मैं उसकी नरम चूत को जम के धक्के मार रहा था। जवान चूत थी, पानी भी बहुत छोड़ रही थी, जड़ तक लौड़ा ले रही थी। उसकी मांसल चूंचिया छोटी मगर बेहद कड़ी थी। मसलने में बड़ा आनन्द आ रहा था। कुछ ही देर में मेरा वीर्य निकल पड़ा। उसकी चूत भी अन्दर से लहरा रही थी, वो भी झड़ चुकी थी।
हम दोनों ने कुछ देर आराम किया फिर भाभी ने कहा,”देवर जी, हां तो आगे चले।”
“चलो खेलते हैं !” मैंने भी झट हां कर दी।
“यह दूसरा दौर है। पहले खेल में तुम जीते थे, अब मैं तो घोड़ी बनी रहूंगी… तुम मेरे शरीर के किसी भी अंग को चाट सकते हो, अपनी लौड़ी को, यानी लण्ड को किसी भी छेद में घुसा कर मजा ले सकते हो, चलो आंखें बंद करो !”
भाभी ने मेरी आंखे फिर रूमाल से बंद कर दी। अब वो बिस्तर पर झुक कर फिर से घोड़ी बन गई। मैंने जैसे ही अपना मुँह आगे बढ़ाया तो गाण्ड का स्पर्श हुआ। मैंने अपनी जीभ निकाली और जीभ उसके चूतड़ों पर फ़ेरने लगा। भाभी ने निशाना बांधा और गाण्ड का छेद सामने कर दिया। मेरी जीभ ने छेद पह्चान लिया और चाटने लगा और उसके छेद में भी जीभ डालने लगा।
जैसे ही जीभ बाहर निकाली मुझे बालों का स्पर्श लगा, मेरी जीभ अब उसकी चूत चाट रही थी।
मेरा लण्ड तन्ना रहा था। किसी भी छेद में घुस कर एक बार और अपना वीर्य निकालना चाह रहा था। मैंने अब रूमाल हटा लिया और उसे निहारा। उसके गोल गोल गोरे गोरे चूतड़ सामने उभरे हुए थे। भाभी मस्ती में अपनी आंखें बंद किये हुए थी। मैंने जल्दी से अपना लण्ड उसकी गाण्ड में घुसेड़ दिया।
भाभी बोल उठी,”देवर जी, लौड़ी घोड़ी… हाय रे…लौड़ी घोड़ी…गाण्ड चोद दो…हाय !”
भाभी ने मस्ती में गाण्ड ढीली छोड़ दी…और लण्ड गाण्ड की गहराइयों में उतरता चला गया। मुझे तेज मीठी मीठी सी लण्ड में मस्ती लगी। टाईट गाण्ड थी। पर उसे दर्द हो रहा था, फिर भी मजा ले रही थी। कुछ ही देर में उसने कराहते हुए कह ही दिया,” देवर जी, चूत की मस्ती दो ना…मेरा जी तो चूत चुदाने कर रहा है…देखो पानी भी छोड़ रही है !”
मैंने उसकी बात समझी कि ये तो सिर्फ़ मर्दो का सुख है…औरत का सुख तो चूत में है। मैंने लण्ड निकाला और … लौड़ी घोड़ी … कहा और चूत में लण्ड घुसा डाला। अब उसे असली मजा आया। और घोड़ी बने बने ही चूत चुदवाने लगी। इस पोजिशन में लण्ड पूरा अन्दर जा रहा था। मेरे पेड़ू तक चूत से चिपक कर चोद रहा था।
चुदाई तेज हो उठी। भाभी अपने मुँह से सिसकारियोँ के साथ मां बहन, भोसड़ी, कुत्ते जैसे गालियाँ निकालने लगी। मुझे लगा कि अब वो चरमसीमा पर आकर झड़ने वाली है। और मेरा अनुमान सही निकला…
हम दोनों ही एक साथ झड़ने लगे। चूत में दोनों माल भरने लगा और माल आपस में एक हो गया। मैंने उसकी चूत से गिरते हुए माल को हाथ में लिया और चखा…फ़ीका फ़ीका सा, लसलसा सा, मुझे मजा नहीं आया। पर भाभी ने देखा तो मेरा हाथ पूरा चाट गई और चूत से माल हाथ में ले लेकर चाटने लगी।
“खबरदार, जो मेरे माल को हाथ लगाया … लौड़ी घोड़ी में सारा माल मेरा होता है।
अब तीसरा दौर… आप घोड़ी बनेगे और मैं आपकी लौड़ी यानी लण्ड नीचे से चूस चूस कर तुम्हारा शहद निकालूंगी, तुम घोड़ी की पोजिशन में चाहे मेरी चूत चाटो या कुछ भी करो।”
पर दो चुदाई करने के बाद मैं थक गया था। मैंने जैसे कुछ सुना ही नहीं और पलंग पर लेट गया। वो मुझे झकझोरती रही पर मेरी आंखे नींद में डूबती चली गई। सवेरे जब उठे तो भाभी मेरे से चिपकी हुई नंगी ही सो रही थी।
मुझे भाभी ने लौड़ी घोड़ी का खेल अच्छी तरह से सिखा दिया। कोई भी, चाहे लड़का हो या लड़की यह खेल फ़्री में खेल सकता है। मजे की गारण्टी है। Indian Sex Stories
दूसरे दिन मैं सवेरे नहा धो Anatrvasna कर निपटा ही था कि मुझे अपने कमरे के बाहर एक सुन्दर सी परी नजर आई। मेरी आंखें चकाचौंध हो गई। भरी जवानी लिये एक नवयौवना मेरे द्वार पर खड़ी थी।
‘कौन है आप, अन्दर आईये !’ उसने सर हिला कर मना कर दिया और अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे निहारने लगी। मेरे दिल पर जैसे सैकड़ों बिजलियां गिर पड़ी। मैं एकबारगी तो कांप गया। ऐसी बला की सुन्दरी मेरे घर पर !? यकीन नहीं हो रहा था। उसके भारी स्तन उसके कुर्ते में से झांक रहे थे। भरा मदमस्त बदन, गोल गोल उभरे हुए सुन्दर चूतड़, जवानी जैसे छलकी पड़ रही थी। इतने में मीना लहराती हुई अन्दर आई।
‘यह राधा दीदी हैं ! पसन्द आई?’ मीना ने परिचय कराया।
‘इतनी सुन्दर ! मीना, ये तो खुदा की कलाकृति है !’
‘है ना ! इसे आज आपके लिये सजाया है, इसे सब कुछ सिखाना है… दीदी ! ये सिखायेंगे !’
राधा शर्म से नीचे देखने लगी।
‘चल ना… वापस चल !’ राधा कुछ नर्वस नजर आ रही थी।
‘अरे दीदी, सुबह से तो अंकल जी का नाम जप रही थी, अब क्या हुआ?’ मीना ने उसकी पोल खोलते हुए कहा।
‘मीना, चल ना, मैं तो मर जाऊंगी !!’ राधा शर्म से लाल हो रही थी।
‘अंकल जी इसे अन्दर तो ले जाईये !’ मीना ने राधा को अन्दर मेरे सामने धकेल दिया।
मैंने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा। मुझे और उसे जैसे बिजली के झटके से लगे। मेरे हाथ लगाते ही वो सिमट गई, जैसे छुईमुई हो। मैंने हिम्मत करके उसकी बांह थाम ली और उसे प्यार से दुल्हन की तरह अन्दर लाया। और बिस्तर पर बैठा दिया।
‘अंकल इसे प्यार से चोदना, देखो मजा आना चाहिये। मैं जितने घर का काम निपटाती हूँ !’
‘मीना मत जा, रुक जा।’ उसकी आंखो में विनती थी। वो नर्वस हो रही थी।
‘मेरे सामने चुदायएगी क्या?’ मीना ने फ़ूहड़ तरीके से कहा।
‘हाय मीना, मत बोल ऐसा !’ वो शरम से सिमटती जा रही थी। मैंने मीना को इशारा किया कि वो जाये।
‘मीना, देखो सुहागरात को तुम्हारा मर्द तुम्हें चोदेगा, तुम्हें सब आना चाहिये, मत चिन्ता करो, मैं हूँ ना, सब सिखा दूंगा !’ मैंने उसे तसल्ली दी।
‘अंकल, कुछ होगा तो नहीं ना? !!’ वो शरम से मुँह छिपाने लगी।
‘राधा, सुनो वो तुम्हारे वक्ष से शुरू करेगा, और उसे दबाते हुए तुम्हरा कुर्ता उतारेगा !’ मैंने उसके स्तनों पर हाथ डालते हुए कहा। उसके बोबे नरम और नाजुक से लगे। निपल कड़े हो चुके थे। मैं कुर्ता ऊपर खींचने लगा।
‘सुहागरात को कुर्ता नहीं, मैं ब्लाऊज पहनूंगी !’ उसने कुछ हिचकिचाते हुए कहा। मुझे हंसी आ गई।
‘अच्छा तो ये कुर्ता तो उतारो… ‘
‘ नहीं , पहले आप उतारो !’ उसने शरमाते हुए कहा। उसकी शर्म दूर करना जरूरी था। मैंने अपना पजामा उतार दिया। मेरा तन्नाया हुआ लण्ड बाहर उछल कर आ गया। वो लण्ड देखते ही शरमा गई।
‘उई मां, यह तो बहुत बड़ा है, और ऐसा लोहे जैसा?’ उसकी आह निकल गई।
‘अब तो उतार दो ना, देखो मैंने भी उतार दिया है !’
शरमाते हुए राधा ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उसका तराशा हुआ चिकना बदन, लुनाई से भरा हुआ, चमकता हुआ, मेरी धड़कने बढ़ाने लिये काफ़ी था। मैं उसके समीप आ गया, मेरे बिना कुछ कहे उसने मेर लण्ड पकड़ लिया, सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और मुठ में भर लिया और दबा लिया।
‘आह, अंकल जी, जब यह अन्दर जायेगा तो मर ही जाऊंगी !’ और उसने मेरा लण्ड जबर्दस्त दबा दिया। मेरे मुख से आह निकल गई। राधा मेरे लण्ड को दबाती चली गई और आह भरती गई। मेरी उत्तेजना बहुत तेज हो उठी। एक परी जैसी नवयौवना मेरा लण्ड दबा रही थी।
‘कितना कठोर लण्ड है, मां रीऽऽऽ, मस्त है !’ उसका हाथ कसता गया। मेरे शरीर में जैसे रंगीन फ़ुलझड़ियाँ छूट पड़ी। सारा पानी जिस्म में सिमटता सा लगा। और… और हाय… मेरा वीर्य बाहर आने की तैयारी में था।
‘मीना मैं तो गया, मेरा निकला !’ मीना भाग कर आई और गिलास को मेरे लण्ड की टोपी पर रख दिया।
‘अरे अंकल जी, ये क्या… निकल गया माल?’ मीना हंस पड़ी। वीर्य पिचकारी बन कर फ़व्वारे की तरह लण्ड से बाहर आने लगा और गिलास में उसे मीना ने एकत्र करने लगी।
‘लो सभी इसे टेस्ट करो !’
राधा अपनी अंगुली तर करके वीर्य चाटने लगी। मीना ने भी वीर्य चाटा, राधा ने एक अंगुली में भर कर मेरे मुँह में भी डाल दिया। मुझे तो वीर्य का स्वाद कुछ खास नहीं लगा, पर वे दोनों पूरा चट कर गई।
‘ये सब राधा के रूप और यौवन का कमाल है, मैं इसकी जवानी सह नहीं पाया !’ मैंने राधा की जवानी की तारीफ़ की। वो भी शरमा गई। मुझे थोड़ी शर्मिन्दगी सी लगी पर अपनी कमजोरी लावा बन कर बाहर निकल चुकी थी।
‘अंकल जी, मुझे सिखाओगे नहीं क्या?’ राधा ने फिर से विनती की। मेरा अंग अंग फिर से फ़ड़क उठा। उसके गाण्ड की गोलाईयां को मैंने दबा कर अपनी ओर खींच लिया। उसका नरम नरम जिस्म मेरे शरीर में आग भरने लगा। मेरा लण्ड फिर से जाग उठा। उसकी चूत से मेरा लण्ड टकराने लगा। मीना भी उसकी चूचियाँ दबाने लगी। हम दोनों ने मिल कर राधा को बिस्तर पर लेटा दिया।
‘तू जा ना अब, तेरे सामने मुझे शरम आयेगी !’
‘आहाऽऽ ! बड़ी आई शरमाने वाली ! रेशमा से तो खूब खेलती है? अब मुझसे शरमायेगी !’
‘जा ना मीना, चुदते हुए मुझे शरम आयेगी !’ इतने में ऊपर आ चुका था और राधा के जिस्म को कब्जे में कर रहा था। मेरा लण्ड अब उसकी चूत पर दब रहा था।
‘मीना, अब जा नाऽऽऽ… आह… मीना घुस गया रे !’
‘चोद दो अंकल इसे ! जरा भी मत रहम करना !’ मीना ने राधा को छेड़ते हुए कहा।
मेरा लण्ड थोड़ा सा और अन्दर गया और राधा बोल पड़ी,’धीरे से, मेरी चूत अभी तक कुंवारी है, झिल्ली धीरे से तोड़ना !’ राधा ने मुझे लिपटाते हुए कहा।
मैंने हल्के से लण्ड अन्दर सरकाया। पर मीना ने शरारत कर दी। उसने मेरे दोनों चूतड़ों को सहलाते हुए जोर से धक्का दे दिया। लण्ड फ़च से अन्दर तक बैठ गया। राधा चीख उठी।
‘हाय रे अंकल ! कहा था ना धीरे से… !’ उसकी आंखों से दर्द के मारे आंसू निकल आये।
‘राधा ! यह धक्का मीना ने दिया है !’ मैंने प्यार से उसे चूम कर शान्त किया।
पर मीना ने फिर से मेरे चूतड़ को जोर से एक धक्का और दे दिया। लण्ड फिर से जड़ तक घुस गया। वो फिर से चीख उठी।
‘मजा आया ना दीदी, तेरी फ़ुद्दी में मोटा लौड़ा फंस गया है अब !’
‘साली, हरामजादी ! मुझे लग रही है और तुझे मजाक सूझ रहा है ! अंकल जी लौड़ा धीरे मारो ना !’
‘झिल्ली फ़ुड़वायेगी ना, तो दर्द का भी मजा ले, अंकल ने कल मेरी झिल्ली भी फ़ोड़ डाली थी… खूब मजा आया था… अंकल चोद मारो ना साली को !’ मीना शरारत करने में जरा भी पीछे नहीं हट रही थी।
मैंने धीरे धीरे लण्ड अन्दर बाहर करना चालू कर दिया। मीना ने अंगुली में थूक लगा कर राधा की गाण्ड में सरका दी। मीना मेरी गोलियों से भी खेल रही थी। राधा के बोबे मैंने मसलने चालू कर दिये थे, उसके निपल कड़े हो चुके थे, उसे रबड़ की तरह ऊपर खींच कर छोड़ रहा था। कुछ ही देर में राधा तैयार हो चुकी थी, गाण्ड में अंगुली का मजा भी ले रही थी।
‘हाय मीना, सच में तेरे अंकल जी ने तो मुझे चोद चोद कर मस्त कर दिया है, मस्त लौड़ा है रे, मीना गाण्ड में जल्दी जल्दी अंगुली कर ना !’
मेरे धक्के भी अब तेज हो चुके थे। राधा भी उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरा बिस्तर खून के धब्बों से लाल हो गया था। राधा अपनी गाण्ड और खोल कर अंगुलि अन्दर ले रही थी। अब राधा बल खाने लगी थी। सिसकारियाँ तेज हो उठी । उसकी बाज़ारू भाषा निकल पड़ी थी।
‘मीना, हाय रे, हरामी लण्ड ने मुझे पेल दिया, हाय रे चुद गई मैं तो… आहऽऽ मैं गई… राजाऽऽऽ चोद… चोद रे, मैया रीऽऽऽ !’
‘मेरी बहना आज मौका है, फ़ुड़वा ले अपनी चूत… अंकल गन्डमरी को लौड़ा मार मार कर चोद दे !’
‘अंकल जी, हाय चूत मार दी रे, मेरी फ़ुद्दी चुद गई, आह्ह मेरा माल निकला रे , हरामजादी… मेरी चूत फ़ोड़ डाली रे…’ और उसने अपनी चूत सिकोड़ ली। राधा झड़ने लगी, उसका पानी निकलने लग गया था।
‘अंकल जी इसकी गाण्ड मारो, जल्दी करो… !’ मीना ने मेरा कड़क लण्ड बाहर निकाला और अंगुली निकाल कर उसकी जगह लण्ड रख दिया। मैंने जरा सा जोर लगाया और लण्ड गाण्ड में घुसता चला गया। राधा फिर से चीख उठी।
‘हाय री, बस ना, दर्द हो रहा है, अब मेरी गाण्ड फ़ाड़ोगे क्या !’
‘अरे वाह, खुद तो झड़ गई, अंकल प्यासे रह जायेंगे क्या, अंकल जी चोद दो राधा गाण्ड को… साली की फ़ाड़ दो !’ मीना अपनी देसी भाषा में मेरी तरफ़दारी कर रही थी।
मेरा लण्ड फूल कर तन्ना रहा था। मैं राधा को कैसे छोड देता, मेरा जिस्म तरावट में मस्त हो रहा था। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को अन्दर तक चोद रहा था। मीना को यह देख कर मजा आ रहा था कि राधा आज पूरी तरह से चुद गई है। मीना ने अब मुझे झाड़ने के लिये मेरी गाण्ड में भी अंगुली डाल दी। मुझे अंगुली घुसते ही दुगना मजा आ गया।
‘मीना, अंगुली से मेरी गाण्ड और चोद दे, बड़ा मजा आ रहा है।’ मैंने मीना को और उकसाया। पर मेरी हालत झड़ने जैसी होने लगी। उसकी अंगुली मेरी गाण्ड में तेज मजा दे रही थी और मैं अब उस आनन्द को झेल नहीं पा रहा था। मुझे अचानक लगा कि बस अब पूरा हो गया।
‘राधा, बस मैं आ गया, हाय निकल रहा है… आह्ह्ह !’
‘अंकल, निकाल दो अपना माल, लगाओ जोर !’
‘हाय निकला रे… मीना !’ मैं राधा से लिपट पड़ा। मीना ने मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में से निकाल लिया और अपने हाथ से मुठ मारने लगी। मेरी पिचकारी छूट पड़ी और मीना ने लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। मेरा वीर्य झटके खा खा कर निकल रहा था। मीना उसे पीती जा रही थी। अन्त में मेरा लण्ड पूरा निचोड़ कर साफ़ कर लिया और मेरे लण्ड को लटकता छोड़ दिया। राधा चुद कर मस्त हो गई थी। हमारी चुदाई पूरी हो चुकी थी।
राधा धीरे से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये। मीना चाय बना लाई थी। आराम से हम सभी ने चाय नाश्ता किया। मैंने अपनी जेब से सौ रुपए राधा को दिये और पचास रुपए मीना को दिये। राधा खुश हो गई, मीना को बिना चुदे ही पैसे मिल गये थे।
‘अंकल राधा को सौ क्यों दिये?’
‘उसकी मस्त भरी जवानी के, मस्ती भरी चूत के, फिर गाण्ड भी तो मरवाई थी ना !’
‘और मुझे पचास क्यो दिये, आपने मुझे तो चोद ही नहीं है?’
‘तुमने आज मेरी गाण्ड में अंगुली डाल कर जो मस्त मजा दिया था, ये उसके हैं !’
राधा आज खुश थी, उसे चुदाना आ गया था साथ में पैसे भी मिल गये थे।
‘अंकल कल भी आऊँ मैं, मुझे सौ रुपए दोगे?’ राधा ने कुछ अविश्वास से मुझे पूछा।
‘जरूर, पर चुदाने के साथ साथ गाण्ड भी मरवानी होगी सौ रुपए में, आज की तरह !’
‘हाँ, हाँ ! आप कितने भले है अंकल जी !’
राधा ने मुझे चूम लिया। मैंने मीना और राधा के बोबे दबाये और उन्हें कल आने का न्योता दे दिया।
मीना और राधा दोनों खुश हो कर जा रही थी और मुझे मुड़ मुड़ कर हाथ हिला रही थी। Anatrvasna
मेरा नाम अंकित है। आपने Hindi Porn Stories मेरी कहानी स्वतन्त्रता दिवस तो ज़रूर पढ़ी होगी। उस वक़्त टीना के साथ जो हुआ वो तो हुआ ही लेकिन जैसे-जैसे बंगलौर में दिन बीत रहे थे, मेरी जवानी के नए-नए नखरे भी देखने को मिल रहे थे। मुझे खुद पर ही भरोसा नहीं हो रहा था कि मैं क्या था और क्या हो गया।
खैर, वो तो अब भूली-बिसरी बातें हैं, गड़े मुर्दे उखाड़ने का क्या फायदा? है या नहीं??
तो बात करते हैं टीना के बाद मेरी ज़िन्दगी में आए उस तूफ़ान की जिसने मुझे बीच में ही लाकर खड़ा कर दिया- ना मैं इधर का रहा और ना उधर का !
टीना वाली घटना हुए दो महीने ही बीते थे कि एक दिन मेरे पास एक लड़की फ़ोन कॉल आया, वो लड़की मेरे ऑफिस के ही कैब से आती थी, लेकिन शरीफ बच्चा होने की वजह से उस पर कभी ध्यान नहीं दिया। उसे मेरा नंबर कहाँ से मिला यह तो पता नहीं लेकिन इतना ज़रूर बता सकता हूँ कि मेरे व्यवहार से लड़की बहुत खुश लगती थी।
खैर, मुझे कॉल आया- नाम पूछने पर पता चला कि उसका नाम निशा है और संयोग की बात यह है कि बिना पूछे ही बहुत कुछ पता चल गया। वो मेरे घर के पास में ही रहती थी। देखा तो उसे था ही मैंने लेकिन अब मुझे क्या मालूम कि कौन मेरे बारे में क्या सोच रहा है ! देखने में अच्छी थी और मेरे नज़दीक सिर्फ एक ही बार बैठी थी।
कहानी को थोड़ा पीछे ले जाता हूँ जहाँ मैंने उसको पहली बार देखा था। उसके बाद फोन कॉल की बात से शुरू करूँगा।
हमारे ऑफिस में शनिवार को कैजुअल वीयर पहनते हैं। उस दिन शनिवार होने की वजह से उसने बदन से चिपकी हुई टी-शर्ट पहनी थी। हम ऑफ़िस कैब में थे। उसके बड़े-बड़े स्तन अपना सर उठाये ताज़ी हवा का आनंद लेकर मस्ती में झूल रहे थे। मेरे बगल में बैठे होने के कारण मेरा भी मन जल बिन मछली की माफिक मचल रहा था। चूंकि मैं लड़कियों से ज्यादा बात नहीं करता, अपना सर दूसरी तरफ घुमाये गाने-वाने गा रहा था।
एक नए सहकर्मी को उसके घर से लेना था, उसका घर भी पता नहीं था तो उसके क्षेत्र में जाकर गाड़ी रुक गई। निशा मेरी तरफ मुड़कर पीछे देखने लगी जिससे उसके स्तन मेरे हाथ से सटने लगे। मैं फड़फ़ड़ाने लगा। कुछ देर के बाद जब उसका ऐसा करना कम नहीं हुआ तो मैं भी अपना हाथ धीरे-धीरे उससे सटाने लगा जिससे मुझे अच्छा लग रहा था। जैसे तैसे ऑफिस पहुँच गए। उस दिन उसको ऑफिस-ट्रिप पर ऊटी जाना था। वहां से लौटने के वक़्त ही उसने मुझे कॉल किया था।
तो चूँकि अब फ्लैशबैक ख़त्म हो गया, मैं वर्तमान की बात बताता हूँ।
उसने कॉल किया।
निशा- हेलो !
मैं- हेलो, कौन?
निशा- मेरा नाम निशा है।
मैं- कौन निशा?
निशा- कल ही तो मिले थे।
मैं- कल तो मिले थे लेकिन कहाँ और किससे?
निशा- अच्छा मज़ाक है !(हँसते हुए)
मैं- थैंक्स फॉर द कोम्प्लिमेंट
निशा- वो सब छोड़ो, पहचाना मुझे?
मैं- हाँ पहचान लिया।
निशा- तो बताओ मैं कौन हूँ?
मैं- तुम वही हो जिससे मैं कल मिला था।
निशा- फिर वही मज़ाक….
मैं- चलो जब मज़ाक पसंद नहीं तो तुम कुछ सीरियस हो जाओ और बता दो कि तुम कौन हो?
निशा- मैं तुम्हारे कैब से आती हूँ और तुम्हें मालूम नहीं?
मैं- तुम मेरे कैब से आती हो ये तो पता चल गया लेकिन तुम्हारा नाम क्या है?
निशा- मुझे निशा कहते हैं।
मैं- कौन कहता है? (छेड़ते हुए)
निशा- मेरा नाम निशा है बाबा…
मैं- काफी अच्छा नाम है।
निशा- तुम अच्छे दीखते हो।
मैं- मतलब?
निशा- मतलब बहुत डिसेंट !
मैं- थैंक्स लेकिन यह सब बोलने का मतलब क्या है?
निशा- मैं बहुत दिन से तुम्हें नोटिस कर रही हूँ।
मैं- क्यूँ? मुझमें ऐसी नोटिस करने वाली क्या बात दिखी तुम्हें?
निशा- बस ऐसे ही ! तुम अच्छे दीखते हो इसलिए !
मैं- मेरा नंबर कहाँ से मिला?
निशा- मेरे फ्रेंड से मिला।
मैं- बहुत चालू चीज़ लगती हो।
निशा- क्या हम मिल सकते हैं कभी?
मैं- क्यूँ?
निशा- मुझे कुछ बात करनी है तुमसे।
मैं- तो बताओ क्या बात है?
निशा- नहीं ! पहले मिलो तो बताउंगी !
मैं- ओके ! कब मिलना है?
निशा- कल मिल सकते हैं क्या?
मैं- कहाँ पर?
निशा- मैं तुम्हारे घर पे आ सकती हूँ क्या?
मेरा तो दिमाग ही घूम गया कि इसे मेरा घर भी पता है। बात को टालते हुए पूछा- कहाँ रहती हो तुम?
उसने अपना पता बताया तो मालूम चला कि मेरे घर से 5 मिनट की दूरी पर रहती है और सब बात साफ़ हो गई।
मैं- एक काम करते हैं ! मेरे घर पर तो अभी बहुत लोग हैं, अगर तुम कहो तो क्या हम मेरे दोस्त के यहाँ मिल सकते हैं?
निशा- ठीक है।
मैं- तो एक काम करो, मैंने तो तुम्हें देखा होगा लेकिन कभी ध्यान नहीं दिया। तुम्हें पहचानूँगा कैसे?
निशा- तुम मंदिर के पास आना, मैं कॉल करके बता दूंगी कि मैं कौन हूँ ! (मेरे घर के पास एक मंदिर है)
मैं- ठीक है।
समय निश्चित हुआ। यह बात मैंने अपने दोस्त को बता दी थी।
उसने कहा कि मेरे ऑफिस आकर घर की चाभी ले लेना। मैं दूसरे दिन वहाँ उसकी प्रतीक्षा करने लगा। वो बिलकुल समय पर आ गई और मुझे कॉल किया। मेरे पास ही खड़ी होकर मुझे कॉल कर रही थी। फिर मेरे तो होश ही उड़ गए, एक बला की खूबसूरत लड़की मुझे कॉल करके मुझसे मिलने के लिए मेरे दोस्त के घर चलने तक को तैयार है।
हम दोनों ऑटो में बैठे और दोस्त से चाभी लेकर उसके घर चल दिए। मैंने महसूस किया कि वो कभी कभी मुझे छूने की कोशिश कर रही है। मैं चुप-चाप बैठा हुआ था। कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था न इसलिए !
उसने बात करनी शुरू की।
निशा- मैं तुम्हें देखकर समझ गई थी कि तुम एक अच्छे लड़के हो इसलिए मिलना चाह रही थी।
मैं- अगर मैं अच्छा लड़का हूँ तो इसमें मिलने की क्या बात है?
निशा- नहीं, बात कुछ और है।
वो कुछ कसमसा रही थी, मैं उसकी हालत को भाँप रहा था, उसकी सांस तेज़ हो रही थी।
मैं- क्या बात है खुल के बताओ। अगर कुछ ऐसी बात है जो मुझसे कहने में दिक्कत हो रही है तो मैं चेहरा घुमा लेता हूँ। तुमको नहीं देखूंगा, तुम बोल देना।
निशा- ऐसी बात नहीं है अंकित, बताना तो बहुत कुछ चाहती हूँ लेकिन एकदम अकेले में।
मुझे कुछ अजीब सा लगा। एक तो कोई लड़की मुझे कॉल करती है, ऊपर से मिलने को बोलती है और यह कम पड़ गया तो कुछ बात भी करना चाहती है वो भी अकेले में। मैं भी तैयार था।
थोड़ी देर हम दोनों खामोश रहे और गाड़ी में इतनी तेज़ी थी कि सनसनाती हवाओं ने उसकी जुल्फें मेरे चेहरे पे बिखरा दी। उसकी महक ने जैसे मुझ पर जादू सा कर दिया। जिसका असर यह हुआ कि मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया जिसकी भनक न तो उसे हुई और न ही मुझे। यह तो बस खुद से हो गया। जब गाड़ी वाले ने ब्रेक लगाया तो मुझे एहसास हुआ कि वो मेरे कंधे पे सर रख कर आराम फरमा रही है। यह देखकर मुझे तो एक बार हंसी भी आई लेकिन किस्मत का दिया हुआ उपहार समझकर मैंने अपने मन में फूटते हुए लावा पे जैसे गंगाजल डाल दिया।
बस यही सिलसिला चलता रहा और हम दोनों मेरे दोस्त के यहाँ पहुँच गए।
मैंने उसे धीरे से कहा- हम पहुँच गए !
और यह जानकर उसके चेहरे पे एक नायाब सी ख़ुशी फ़ैल गई। मैंने कुछ सिगरेट और एक पेप्सी की बोतल ली। हम ऊपर तीसरी मंजिल पर चले गए जहाँ सिर्फ एक ही कमरा था। वहां कोई नहीं था और संयोग से उस पूरे घर में सिर्फ हम दोनों ही थे। मैंने उससे आराम से बैठने को कहा और टीवी चला दिया। कुछ देर सुस्ता के हम दोनों ने बात करनी शुरू की।
हाँ मैं बताना भूल गया कि उस घर में कोई बेड नहीं था इसलिए हम दोनों नीचे लगे गद्दे पे अगल-बगल बैठे हुए थे।
निशा- अंकित, मुझे बहुत दिन से तुम्हारे बारे में कुछ ख्याल आते हैं।
मैं- कैसे ख्याल?
निशा- बस यही कि अगर हम दोनों दोस्त बन जाएँ तो कैसा रहेगा?
मैंने सर पीट लिया कि यह लड़की सिर्फ इतना कहने के लिए इतने नखरे कर रही थी।
मैं- क्या तुमने इतना बोलने के लिए यह सब किया?
निशा- नहीं अंकित, मुझे गलत मत समझना प्लीज़, लेकिन तुम मुझे अच्छे लगते हो।
मैं- तो क्या इसका मतलब यह है कि तुम मुझसे प्यार करती हो?
निशा- शायद हाँ (हिचकिचाते हुए)
मैं- लेकिन कब से? और कैसे हुआ ये सब? मैंने तो तुमसे कभी बात तक नहीं की है।
निशा- मैं तुम्हें कैब में देखती हूँ, जिस तरह से तुम बिलकुल शांत बैठे रहते हो, गाने गाते रहते हो, मुझे अच्छा लगता है।
मैं- हाँ मैं ज्यादा बात नहीं करता किसी से।
निशा- पता है, मेरी दोस्त भी बोल रही थी।
मैंने उसको थोड़ा समय दिया ताकि वो नोर्मल हो जाए।
बातों ही बातों में कुछ आधा घंटा बीत गया। फिर धीरे से मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा। वो बिल्कुल मेरे पास आ गई जिससे उसके सांस की गर्मी मेरे चेहरे को सहलाने लगी। उसने अपना दूसरा हाथ मेरे बालों में डाल दिया। मैं उसकी आँखों में देखने की कोशिश करने लगा। मैं जानना चाहता था कि यह सही है या सिर्फ जिस्म की आग।
उसने अचानक से मासूमियत के साथ मुझे देखा जिससे मुझे अपने आप पर कुछ शर्म जैसी आने लगी। मैंने उसे छोड़ दिया। मैं उसे फिर देखा, वो चेहरा झुकाए दबी सी मुस्कान बिखेर रही थी। मैं खुश हुआ कि उसे कुछ बुरा नहीं लगा। मैं उसे देखता ही रहा। कुछ देर बाद उसने पहल की और मेरे बालों में हाथ फिराकर मुझे चूम लिया, बिल्कुल बच्चों जैसे !
मैं जैसे कुछ बोल ही नहीं पा रहा था, उस लड़की की भावनाओं को समझने की कोशिश में लगा हुआ था। सेक्स तो सबसे अंतिम चरण होता है, मैं उसके साथ कुछ बुरा नहीं करना चाहता था। फिर मैंने उसको एक लम्बा चुम्बन दिया जिससे उसका चेहरा लाल हो गया।
मैंने पूछा,”कैसा लगा?”
वो मेरे से लिपट गई।
निशा- थैंक्स अंकित !
मैं- इट्स ओ के !
निशा- मैं सिर्फ यही कहना चाहती थी कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तुम मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो।
मैं- कुछ भी मतलब क्या?
निशा- मतलब कुछ भी।
मैं- अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो अपने इस कुछ भी को थोड़ा समय दो और मुझे भी। मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूँ लेकिन यह सब एकदम अचानक से हो गया जो मैंने सोचा भी नहीं था।
निशा- मुझे माफ़ कर दो अंकित, लेकिन संभालना मुश्किल हो गया था।
मैं- कोई बात नहीं, ऐसा होता है।
फिर हमने कुछ बातें की और उसने मेरी गोद में अपना सर रख दिया। मैं भी इसका अभिवादन किया। उसने कहा, “मुझे आज बहुत अच्छा लग रहा है अंकित ! ऐसा लगता है वक़्त यहीं रुक जाये जिसमें सिर्फ हम दोनों हों !”
निशा- क्या मैं तुम्हें फिर से किस कर सकती हूँ?
मैं- बिलकुल नहीं। (थोड़ी देर बाद) क्यूंकि इस बार मैं तुम्हें किस करूँगा और बाद में तुम संभाल लेना।
उसके बाद तो जैसे मैंने न आव देखा न ताव, टूट पड़ा उस पर !
मैं उसके ऊपर था और उसके शरीर को दबाये हुए उसे चूम रहा था, वो साथ अच्छा दे रही थी।
धीरे-धीरे उसने मुझे अपने ऊपर दबाना शुरू किया जिससे मुझे लगा कि यह सेक्स ही चाहती है।
मैंने भी उसके स्तन पकड़ लिए और दबाना शुरू किया। उसने मेरे जींस के अंदर हाथ डाला और शिकार उसके हाथ में आ गया। मैंने उसकी टॉप धीरे से उठाई और उसके पेट पर हाथ फिराने लगा जिससे उसके बदन से गर्मी और मुँह से आवाज़ निकलने लगी। फिर उसकी नाभि में उंगली घुमाते हुए उसकी ब्रा खोल दी। उसके नग्न स्तन मेरे हाथ में आ गए और मेरा लंड उसके हाथ में ! दोनों एक दूसरे को ऐसे मसल रहे थे जैसे एक शैतान मच्छर को उसका सताया हुआ इन्सान मसलता है।
धीरे-धीरे मैंने उसकी पीठ को सहलाया और उसके चुचूक चूसने लगा। थोड़ी देर बाद वक्ष से होते हुए उसकी नाभि, उसका पेट, उसकी कमर पर भी चूमा चाटी कर ली। फिर ऊपर गया और उसके गले और कान को निशाना बनाया।
इसी दौरान उसकी चूत ने अपना काम कर दिया और उसकी पैंटी गीली हो गई। मैंने उसकी पैंट की ज़िप खोल कर पैंटी के अंदर उंगली डाली और उसकी चूत छूने लगा। वहीं वो मेरे लंड को मसल मसल के उसका भरता बना रही थी। कुछ देर बाद मैंने उसकी पैंट खोली और अपने जींस भी। उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया। इससे पता चला कि उसे बहुत कुछ पता था सेक्स के बारे में। यह सिलसिला थोड़ी देर चला और उसने अपना पानी दूसरी बार छोड़ दिया।
अब मेरा मन उसे चोदने को कर रहा था। मैंने उसको बोला- अब मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
तो उसने मुझे चूम लिया और बोली- ठीक है ! और लेट गई।
दिल जीत लिया था उसने मेरा ! मैं भी उसे मायूस नहीं करना चाहता था।
लेकिन दोस्तो, जब साला एक कुत्ता किस्मत पे टांग उठाता है तो भेजे की माँ चुद जाती है।
मेरी भी यही हालत हुई। मैं उसे लगाने वाला ही था कि उसके सेल पे उसके घर से कॉल आ गया कि दस मिनट में घर पहुँच जाओ, कुछ मेहमान आने वाले हैं।
वो भी मना नहीं कर सकती थी और न ही मैं !
हम दोनों ने होश से काम लिया और सेक्स की अपनी चाहत को अगली बार के लिए संजो के रख लिया।
अब इसके बाद क्या हुआ वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा।
आपको यह कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताइयेगा। Hindi Porn Stories
मैं आप लोगों को आज Hindi Sex Stories अपने जीवन की एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।। मेरा नाम राहुल है और मैं एक बिज़नसमैन हूँ। मेरे घर में हम चार लोग हैं- पिताजी, माँ, मैं, और मेरी छोटी बहन !
बात आज से 4 साल पहले की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था, मेरी बहन दसवीं में थी। मेरे पिताजी अक्सर घर देर से ही आते थे क्योंकि बिज़नस की वज़ह से उन्हें देर हो जाती थी और माँ ज्यादातर अपने घर के काम में या फिर टीवी देखने में व्यस्त रहती थी। मेरी बहन जिसका नाम रिया है अधिकतर पढ़ाई करती रहती थी।
मैंने कभी उसे गलत नज़र से नहीं देखा था। मगर एक दिन मैं अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था कि एकदम से रिया मेरे कमरे में आ गई मैंने उसको देखते ही कंप्यूटर बंद कर दिया मगर उसने सब देख लिया था लेकिन वो कुछ बोली नहीं। मैं उससे कुछ नहीं कह पाया, वो हिम्मत करके मेरे पास आई और बोली- भईया मुझे यह सवाल नहीं आ रहा, इसको हल करने में मेरी मदद करो। मैंने कहा- ठीक है !
लेकिन मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मैंने उसका सवाल हल कर दिया। फिर वो जाने लगी तो मैंने उससे बोला- जो भी तुमने देखा है, वो किसी को मत बताना !
तो वो बोली- भईया, मैं किसी को नहीं बताउंगी पर यह सब अच्छी चीज़ नहीं हैं, आप मत देखा करो !
मैंने उससे कहा- ठीक है !
फिर वो चली गई लेकिन उस दिन मुझे उसे देख कर कुछ अजीब सा महसूस हुआ, मेरे दिल में उसके लिए गलत ख्याल आने लगे। मैं आपको बता दूँ कि रिया देखने में बहुत ही सेक्सी है। उसका फिगर 34-26-34 है, रंग हल्का साँवला है। जो भी उसको एक बार देख ले, उसका लंड अपने आप ही खड़ा हो जाए।
दो दिन बाद दोपहर के वक़्त माँ घर का काम निपटा कर सो रही थी और मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था। इतने में रिया आई और बोली- भईया उठो, मुझे एक सवाल समझ नहीं आ रहा, मुझे समझा दो।
तो मैं उठ कर उसे सवाल समझने लगा। लेकिन आज उसके मेरे पास बैठने से मुझे कुछ-कुछ हो रहा था, उसकी खुशबू मेरी साँसों में भर रही थी। मैं सवाल पर ध्यान नहीं लगा पा रहा था कि इतने में वो बोली- भईया, क्या बात है ?
तो मैं बोला- मुझे बहुत नींद आ रही है इसलिए मैं यह सवाल नहीं कर पा रहा हूँ !
तो वो बोली- भईया, नींद तो मुझे भी आ रही है ! ऐसा करते है ख़ी कुछ देर के लिए सो जाते हैँ, बाद में सवाल कर लेंगे।
इतना कह कर वो आपने कमरे की तरफ जाने लगी तो मैंने उससे कहा- रिया, कहां जा रही है? यहीँ पर सो जा ! थोड़ी देर में तो उठ कर सवाल करना ही है।
तो वो बोली- ठीक है !
फिर वो मेरे बगल में आकर सो गई। मैं भी सोने का नाटक करने लगा। लेकिन नींद तो आ ही नहीं रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने आपना एक हाथ हिम्मत करके उसके चूचों पर रख दिया और कोई हरकत नहीं की ताकि उसको ऐसा लगे कि गलती से नींद में रखा गया हो।
थोड़ी ही देर में उसकी साँसें तेज चलने लगी। फिर मैंने हिम्मत करके उसकी टांग के बीच अपनी टांग फंसा दी। अब वो मेरी पकड़ में थी, उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी पर उसने अभी तक कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
मैंने अपने हाथ से उसके चूचे मसलना चालू कर दिया, कुछ देर बाद वो बोली- भईया, यह क्या कर रहे हो?
तो मैंने उससे साफ़ साफ़ कह दिया- मैं तुझे प्यार करता हूँ और जब भी तू मेरे सामने आती है तो मैं अपने होश खो बैठता हूँ।
वो बोली- भईया, यह सब सही नहीं है ! अगर किसी को पता चल गया तो? और वैसे भी हम भाई-बहन हैं।
मैंने उससे कहा- किसी को पता नही चलेगा ! और भाई-बहन हैं लेकिन हैं तो लड़का-लड़की ! इतना तो सब में ही चलता है ! आखिर एक दिन तो तुम्हें किसी न किसी से चुदना ही है तो अपने भाई से ही क्यों नहीं !
इतना कह कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और साथ में हल्का सा विरोध भी कर रही थी। तो मैंने उससे कहा- तुम मेरा साथ दो तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और घर की बात घर में ही रहेगी।
तो उसने करवट ली और मेरे चेहरे के सामने अपना चेहरा ला दिया और बोली- ठीक है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए !
मैंने उससे कहा- तू फिक्र मत कर !
फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दस मिनट तक हम एक दूसरे के होंठ चूसते रहे। फिर उसके बाद मैंने उसका कुरता उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार दी।
क्या क़यामत लग रहे थे उसके चूचे !
मैंने एक चूचे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसल रहा था और उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी। फिर उसने मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे अपने हाथ से दबाने लगी। मुझे लगा जैसे कि मैं जन्नत में पहुँच गया।
इतनी में मैंने उसकी जींस और पेंटी नीचे सरका दी। फिर उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के बगल में लेटे थे। मैंने देर न करते हुए उसे अपनी बाहों में समेट लिया और कहा- मैं तुम्हारे बदन की गर्मी लेना चाहता हूँ, इसका अहसास लेना चाहता हूँ !
रिया बोली- केवल आप ही नहीं मैं भी यही चाहती हूँ !
उसका इतना कहना था कि मैं तो खुशी से पागल हो गया। फिर मैंने अपनी जीभ से उसका पूरा बदन चाटा, फिर मैं उसकी टांगों के बीच गया और उसकी गुलाबी पंखुड़ी वाली चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसकी चूत में हल्के-हल्के बाल थे। मैंने जैसे ही अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी, वो तो जैसे पागल ही हो उठी और उसके पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया।
वो बोली- भईया, मैं मर जाउंगी !
और मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसा दी तो वो बोली- भईया, मुझे भी आपका लंड चूसना है !
तो हम 69 की मुद्रा में आ गए। अब हम दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे को ऐसे ही चूसते रहे और फिर हम दोनों एक एक करके झड़ गए। इसके बाद हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेट गए। थोड़ी ही देर में हम फिर से गर्म हो गए और मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लगा तो वो बोली- भईया, अब नहीं रहा जाता ! अपना लंड अन्दर डाल दो !
मैं उसकी टांगो के बीच आ गया, उसकी चूत अभी कुँवारी थी और मैं उसे दर्द नहीं पहुँचना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने पहले अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया, फिर उसकी चूत पर भी थूक से मालिश कर दी। मेरा लुंड सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है।
उसके बाद मैंने अपना लंड रिया की चूत पर लगाया और हल्के-हल्के लंड को अन्दर करने लगा, पर जा नहीं रहा था इसलिए मैंने एक हल्का सा धक्का लगा दिया तो रिया जैसे तड़प सी गई और उसके मुँह से आह की आवाज़ निकल गई। मेरे लंड का सुपारा अन्दर जा चुका था। फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उसके चूचे मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने हल्के-हल्के लंड अन्दर डालना चालू किया और बीच बीच में हल्का सा धक्का भी मार देता था जिससे कि उसकी चीख निकल जाती थी। लेकिन मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख रखे थे जिससे उसकी चीख बाहर न जाये। अब तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था। उसकी चूत बहुत ही कसी थी और मैं हल्के-हल्के अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। शुरु में तो उससे थोड़ा दर्द हुआ पर फिर उसे भी मज़े आने लगे और वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।
अब हम दोनों चुदाई का पूरा आनंद ले रहे थे। वो कह रही थी- भईया और जोर से !
मैं भी रिया से कह रहा था- देख ! बहन को अपने भाई से चुदने में कितना मज़ा आता है !
वो बोली- हाँ भईया, सही में बहुत मज़ा आ रहा है ! यह तो सबको करना चाहिए ! लेकिन दुनिया के ये झूठे रिवाज़ हमें रोके रखते हैं। भईया, मैं तो ये सोचती हूँ कि कोई भी किसी के साथ भी चुदाई कर सकता है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि वो रिश्ते में क्या लगते हैं, आखिर वो हैं तो मर्द और औरत ही !
और हम ऐसे ही बातें करते करते चुदाई का आनंद लेते रहे। शायद रिया एक बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी चरम सीमा तक पहुँच चुका था और फिर उसके बाद हम दोनों एक साथ एक दूसरे में समां गए और अपना अपना पानी एक दूसरे में मिला दिया और एक दूसरे को पूरी ताकत से पकड़ लिया।
फिर हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया। हम लोग उस वक़्त भी बिलकुल नंगे थे, मुझे रिया के चूतड़ दिखाई दिए बिल्कुल गोल-गोल और मुलायम ! बिल्कुल गोरे-गोरे और चिकने !
मेरा लंड फिर से जोर मारने लगा। मैं उसके पास गया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया और ले जाकर उसे फिर से बिस्तर पर डाल दिया।
वो बोली- भईया, अब क्या?
मैंने उससे कहा- बहन, मुझे तेरी गांड मारनी है !
तो वो बोली- नहीं भईया ! मुझे बहुत डर लगता है, गांड मरवाने में तो बहुत दर्द होगा !
तो मैंने उससे कहा- मैं दर्द नहीं करूँगा, आराम आराम से करूँगा !
वो बोली- भईया, मार लेना मेरी गांड, लेकिन अभी नहीं, अभी बहुत देर हो गई है और माँ भी उठने वाली होगी हम गांड का प्रोग्राम किसी और दिन करेंगे।
मैं मान गया और उसके होठों का एक लम्बा चुम्मा लिया और उसके चूचे भी दबाये। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर रिया चाय बनाने चली गई।
मैंने और रिया ने मिलकर चाय पी। फिर वो अपने कमरे में चली गई।
मैंने रिया की गांड कैसे मारी, यह मैं अगली कहानी में बताऊंगा।
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